Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--3

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मस्त मेनका पार्ट..3

गतान्क से आगे................

मेनका की आँखें खुली तो उसने अपने को हॉस्पिटल के कमरे मे पाया.डॉक्टर.लता उसके बगल मे चेर पे बैठी थी.

"हाउ आर यू फीलिंग नाउ?",उन्होने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूचछा.

मेनका अब पूरी तरह होश मे आई & उसका हाथ अपने पेट पर चला गया.

"सॉरी,बेटा.",डॉक्टर.लता इतना ही कह पाई.मेनका की आँखों से आँसू बहने लगे तो डॉक्टर.लता ने प्यार से उसे गले लगा लिया.थोड़ी देर मे जब वो चुप हुई तो डॉक्टर.लता बोली,"मैं राजा साहब को भेजती हू,कल रात से वो 1 मिनिट भी नही सोए हैं.तुम्हारे होश मे आने का इंतेज़र कर रहे थे."कह के वो बाहर चली गयी.

मेनका को याद आया,कल रात राजा साहब ने ही उसे बचाया था....उस वक़्त वो पूरी नंगी थी.... तो क्या राजा साहब ने उसे वैसे देखा.शर्म से उसकी आँखें बंद हो गयी.उसका पति ऐसा दरिन्दा बन जाएगा,उसको तो अभी भी यकीन नही आ रहा था.आँखें खोल कर उसने कमरे मे नज़र घुमाई तो 1 तरफ 1 डस्टबिन मे उसे अपनी 1 नाइटी नज़र आई.."यानी राजा साहब ने उसके कपड़े बदले."

तभी दरवाज़ा खुला & राजा यशवीर दाखिल हुए.मेनका ने अपनी नज़ारे नीची कर ली & उसका गला फिर भरने लगा.थोड़ी देर तक कमरे मे खामोशी च्छाई रही.

"हम क्या कहें,दुल्हन & कैसे कहें?हुमारा अपना खून हमे अपनी ही नज़रों मे इस कदर गिरा देगा!हम आपसे माफी माँगते हैं."

मेनका वैसे ही खामोश रही.

"दुल्हन,चुकी आपकी शादी को ज़्यादा वक़्त नही हुआ है तो क़ानून के मुताबिक हॉस्पिटल वालों को पोलीस को खबर करनी पड़ी है कि आपका .....मिसकॅरियेज हो गया है.."राजा साहब कांपति आवाज़ मे बोले,"हम चाहते हैं कि-.."

"..-मैं पोलीस को आपके बेटे की हैवानियत के बारे मे ना बताऊं ना.नही बताऊंगी.प्लीज़ लीव मी अलोन!",मेनका चीखी & फूट-2 कर रोने लगी.उसका दबा गुस्सा फॅट कर बाहर आ गया था.

राजा साहब भागते हुए उसके पास पहुँचे & उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,"नही,दुल्हन.आप हमे ग़लत समझ रही हैं.हम ये कह रहे थे कि आप पोलीस को पूरी सच्चाई बता दें.विश्वा ने महपाप किया है & उसकी सज़ा उसे ज़रूर मिलनी चाहिए.अगर पोलीस नही देगी तो हम देंगे अपने हाथों से.",राजा साहब की आवाज़ा कठोर हो गयी.

मेनका ने चौंक कर अपने ससुर की ओर देखा.वो कितना ग़लत समझ रही थी.राजा साहब का इलाक़े मे इतना प्रभाव था.अगर वो चाहते तो पोलीस को यहा कभी नही आने देते.बल्कि उनकी जगह कोई और होता तो बात महल की दीवारों के बीच ही दब कर रह जाती.

तभी दरवाज़ा खुला & मेनका के माता-पिता अंदर आए.मेनका की मा अपनी बेटी से लिपट गयी,मेनका की रुलाई फिर शुरू हो गयी पर मा की गोद मे उसे बहुत सहारा मिल रहा था.उसके पिता की भी आँखें नम हो चली थी.

थोड़ी देर मे जब सब थोड़े शांत हुए तो मेनका के पिता राजा अर्जन सिंग ने सारे वाकये के बारे मे पूचछा,"आख़िर ये सब हुआ कैसे,राजा साहब?"


राजा साहब के बोलने से पहले मेनका बोली,"हमारे पैर कार्पेट मे फँस गया & हम गिर गये जिसकी वजह से हम ऐसे गिरे की हमारा-..."

"...-दुल्हन हमे शर्मिंदा होने से बचाना चाहती हैं & इसीलिए झूठ बोल रही हैं.",राजा साहब उसकी बात बीच मे ही काटते हुए बोले & फिर उन्होने सारी बात राजा अर्जन & उनकी पत्नी को बता दी.

दोनो गुस्से से उबाल पड़े,"हम अपनी बेटी को यहा 1 पल भी नही रहने देंगे.ठीक होती है मेनका वापस जाएगी हुमारे साथ.और आपके बेटे-.."

"बस,डॅडी.मैं कोई गाय-बकरी हूँ जब जी चाहा शादी कर दी ,जब चाहा वापस ले जाएँगे.",फिर वो अपनी माँ की तरफ घूमी,"मा,आपने कहा था कि हम राजघराने वालों के यहा शादी बस एक बार होती है & हम स्त्रियाँ अपनी ससुराल अर्थी पर ही छ्चोड़ती हैं."

"पर बेटी,यहा इन हालत मे कैसे छ्चोड़ दे तुम्हे?"

"डॅडी,मैं इतनी भी कमज़ोर नही हू."

ये बहस चल रही थी कि दरवाज़े पे किसी ने नॉक किया.डॉक्टर.सिन्हा & उनकी वाइफ डॉक्टर.लता आए थे,"राजा साहब हम आप सबसे कुच्छ ज़रूरी बात करना चाहते हैं.",डॉक्टर.सिन्हा राजा अर्जन & उनकी पत्नी को नमस्कार करते हुए राजा यशवीर से मुखातिब होकर बोले.

"जी,ज़रूर डॉक्टर.साब.बैठिए."

"राजा साहब.आपके कहे मुताबिक कल से कुंवर हमारे हॉस्पिटल मे हैं.हमने उनका पूरे चेक-अप करलिया है.वो अडिक्षन के शिकार हैं."

"क्या?"

"जी.वो ड्रग अडिक्ट हो गये हैं & कल रात की उनकी हरकत ड्रग्स ना मिलने पर उनका रिक्षन था.उनका अपने उपर कोई कंट्रोल नही रह गया है."

"राजा साहब,हम ये कहने आए हैं कि जल्द से जल्द उन्हे रीहॅबिलिटेशन सेंटर मे भरती करवा दे.बस यही 1 रास्ता है.",डॉक्टर.लता अपने पति की बात पूरी करते हुए बोली.

राजा साहब के माथे पे चिंता की लकीरें & गहरा गयी,"डॉक्टर.साहब,आप ही हमे रास्ता दिखाएँ."

"राजा साहब,हमे 1 वीक का समय दीजिए.हम आपको बेस्ट सेंटर्स की लिस्ट दे देंगे.",कह कर दोनो पति-पत्नी जाने के लिए उठ गये,"कुंवर को अपनी ग़लती का एहसास है कि नही पता नही.राजा साहब आपको उनसे बात करके थेरपी के लिए तैय्यर करना होगा.और अगर इस बीच आप उन्हे ड्रग्स लेते पाए तो रोके मत वरना कहीं वो फिर वाय्लेंट होकर किसिको या खुद को नुकसान ना पहुँचा ले."

शाम को मेनका अपने हॉस्पिटल रूम मे अकेली थी.वो उठी & बाथरूम मे गयी,अपना चेहरा धोया & शीशे मे देखा,एक रात मे ही उसकी दुनिया उथल-पुथल हो गयी थी,"आख़िर क्यू हुआ ऐसा?उसकी अपनी कमज़ोरी की वजह से."जवाब उसके अंदर से ही आया,"नही अब वो ऐसे नही रहेगी.अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले वो खुद लेगी.उसकी मर्ज़ी के बिना अब उस से कोई भी कुच्छ भी नही करवा सकता."

उसने कमरे मे लौटकर डॉक्टर.लता को बुलाया.

"बोलिए,कुँवारानी."

"डॉक्टर.आंटी,हमे कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स के बारे मे बताएँ."

"कुँवारानी.."

"जी आंटी,हम नही चाहते कि हमारे पति की ग़लतियों का खामियाज़ा हमे भुगतना पड़े."

"जी,कुँवारानी.",& वो उसे समझने लगी.



पर मेनक को उन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी इसके बाद सब कुच्छ बड़ी तेज़ी से हुआ.डॉक्टर.साहब ने बॅंगलुर के पास देवनहल्ली मे डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर को रेकमेंड किया.राजा यशवीर & राजा अर्जन विश्वा को वाहा अड्मिट करा आए.इस पूरे समय मे मेनका अपनी मा के साथ महल मे थी.पता नही राजा साहब ने विश्वा को जाने के लिए कैसे मनाया.बिज़्नेस पे कोई बुरा असर ना पड़े इसके लिए पहले जर्मन पार्ट्नर्स को पूरी बात बताई गयी & फिर 1 प्रेस रिलीस दी गयी.राजा साहब ने इस मुसीबत का भी बड़ी समझदारी से सामना किया था.

पर बात पूरी दुनिया के सामने खुलने से पहले उनके दुश्मन को पता चल गयी थी.

जब्बार सोफे पे नंगा बैठा था & उसकी गोद मे मलिका भी.मलिका के हाथ मे बियर की बॉटल थी जिस से उसने 1 घूँट भरा & फिर जब्बार को पिलाया.उसके दूसरे हाथ मे जब्बार का लंड था जिसे वो हिला रही थी.थोड़ी ही देर मे लंड पूरा खड़ा हो गया,तब मलिका जब्बार की तरफ पीठ करके उसकी गोद मे उसके लंड पर बैठ गयी.उसने अपनी दाई बाँह उसके गले मे इस तरह डाल दी कि जब्बार का मुँह उसकी दाई चूची से आ लगा.जब्बार ने उसका निपल मुँह मे लेकर काट लिया.

"ऊओ..व्व",मलिका ने बाल पकड़ कर उसका सिर अपने सीने से अलग किया & मुँह मे बची हुई बियर उडेल दी & फिर बॉटल को दूसरे सोफे पर फेक दिया.जब्बार ने बियर अपने हलाक से नीचे उतरी & फिर अपना मुँह मलिका की छाती से चिपका दिया.उसका बाया हाथ उसकी रखैल के बाए उरोज़ को बेरहमी से मसल रहा था तो दाया हाथ उसकी लंड भरी चूत के दाने को.मलिका जोश से पागल होकर लंड पे ज़ोर-2 से कूद रही थी.

"एयेए...आहह..आअहह...अहहह!",वो मज़े से चिल्ला रही थी,"ऊ...ईईई... .",ज़ोर की चीख के साथ वो जब्बार के उपर लेट गयी & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी.वो झड़ने के बहुत करीब थी..& 5-6 धक्कों के बाद 1 और आह के साथ उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.जब्बार ने भी नीचे से 3-4 धक्के लगाए & मालिका की चूत को अपने वीर्या से भर दिया.दोनो सोफे की पीठ पे उसी पोज़िशन मे टिक कर अपनी साँस संभालने लगे कि तभी मलिका का सेल बज उठा.मालिका ने वैसे ही टेबल से फ़ोन उठा कर अपने कान से लगाया,"हेलो...बोलिए बत्रा साब.."

थोड़ी देर के बाद उसने फ़ोन रखा & वैसे ही जब्बार की गोद मे बैठे हुए उसे सारी बात बताई.

"क्या?",जब्बार ने उसे सोफे पर 1 तरफ धकेला & अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाल कर खड़ा हो गया.

उसने उस 1 नंबर.वाले मोबाइल से कल्लन को फ़ोन कर के सारी बात बताई,"सुनो,राजा ज़रूर पता लगाएगा कि उसके बेटे को ये लत लगी कैसे & इसके लिए सबसे पहले उस इंसान को ढूंदेगा जो उसके बेटे तक ड्रग्स पहुँचाता था.इसलिए तुम अब उंड़र-ग्राउंड हो जाओ.फ़िक्र मत करना,तुम्हारे पैसे तुम्हे मिल जाएँगे.",&उसने फोन बंद कर के वापस लेटी हुई मलिका की टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

जब पोलीस हॉस्पिटल मे मेनका का बयान लेने आई तो राजा साहब की बात ना मानते हुए मेनका ने वही फिसल कर गिरने वाली कहानी बताई.राजा साहब के पूच्छने पर उसने कहा कि विश्वा को उसके किए की सज़ा मिल रही है फिर दुनिया को सच बताकर परिवार को और बेइज़्ज़त क्यू करें.

जहाँ इस बात ने राजा साहब के दिल मे मेनका के लिए और इज़्ज़त भर दी वही मेनका भी राजा साहब की ईमानदारी से प्रभावित हुए बिना नही रह सकी.पूरे मामले मे उन्हे सिर्फ़ मेनका की चिंता थी,उनका बेटा गुनेहगर था & उसे बचाने के लिए वो बिल्कुल तैय्यार नही थे-उनका बस चलता तो विश्वा जैल मे होता.उसके पिता & डॉक्टर्स के समझने पर ही वो उसे जैल के बजाय रहाब मे भेजने को तैय्यार हुए थे.

जब राजा साहब बॅंगलुर से वापस आए तो मेनका की मा ने उसे अपने साथ ले जाने की इजाज़त माँगी,राजा साहब फ़ौरन तैय्यार हो गये पर मेनका अपने ससुर को अकेला छ्चोड़ कर जाने को बिल्कुल तैय्यार नही हुई.लाख समझाने पर भी वो नही मानी & राजा साहब के कहेने पर उसने बोला,"अपने घर को छ्चोड़कर मैं कही नही जाऊंगी."

राजा साहब सवेरे नाश्ते की टेबल पर यही सब सोच रहे थे कि मेनका नौकर के हाथ से डिश लेकर उन्हे परोसने लगी,"पिताजी,एक बात पूच्छें?"

"हा,दुल्हन."

"क्या हम ऑफीस आ सकते हैं?"

"बिल्कुल,दुल्हन.इसमे पूच्छने वाली क्या बात है?आपका अपना ऑफीस है."

"आप समझे नही.हम ऑफीस जाय्न करने की बात कर रहे हैं."

राजा साहब थोड़े परेशान दिखे,"दुल्हन महल & ऑफीस दोनो की ज़िम्मेदारी कहीं आप को...-"

"-...मुझे एक बार ट्राइ तो करने दीजिए.प्लीज़!"

"ओके,कल से चलिए हमारे साथ."

"कल से नही.आज से प्लीज़!",मेनका बच्चों की तरह मचलते हुए बोली.

"ठीक है,जाकर रेडी हो जाइए.",राजा साहब हंसते हुए बोले.

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"कल्लन,जल्दी पता लगाओ कि आख़िर राजा ने अपने लौंदे को कहा भेजा है.प्रेस रिलीस क्या अपने ऑफीस मे भी साले ने रहाब सेंटर का नाम नही बताया है!",जब्बार बिस्तर पर अढ़लेता फोन पे बात कर रहा था,मलिका की चौड़ी गांद उसकी आँखों के सामने लहरा रही थी,वो घुटनो के बल बैठी थी & उसका मुँह जब्बार के लंड पे उपर-नीचे हो रहा था.

"डॉन'ट वरी.जब तक विश्वा का पता नही लगा लेता,मैं चैन से नही बैठूँगा.",& फोन कट गया.जब्बार ने फोन किनारे रखा & हाथ बढ़कर मलिका की कमर जकड़ते हुए उसे अपने उपर ले लिया,अब उसकी चिकनी चूत उसकी आँखों के सामने थी & दोनो 69 पोज़िशन मे आ गये थे.

उसने अपने दाँत उसकी गांद की 1 फाँक मे गाड़ाते हुए पूचछा,"बत्रा को भी कुच्छ नही पता चला?"

"उउन्ण..हुउँ",मलिका चिहुनकि & उसके लंड भरे मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकला.जब्बार ज़ोर से उसकी चूत चाटने लगा.

जब्बार ने उसकी कमर पे अपनी पकड़ & मज़बूत कर दी,"राजा की औलाद बर्बादी की कगार से वापस आ जाए,ऐसा मैं कभी नही होने दूँगा.",&उसने अपना मुँह उसकी चूत मे घुसा दिया & अपनी जीभ से उसे चोदने लगा.मालिका ने भी अपनी चूसने की स्पीड बढ़ा दी & दोनो अपने क्लाइमॅक्स की ओर बढ़ने लगे.

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कुच्छ ही दीनो मे मेनका ने ऑफीस का सारा काम समझ लिया.विश्वा के जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी,उसे उसने बखूबी भर दिया था.ज़िम्मेदारी बढ़ने के बावजूद महल के काम-काज पर उसने ज़रा भी असर नही पड़ने दिया था.अब वो पहले से ज़्यादा खुश नज़र आती थी...बस 1 प्राब्लम थी.उस हादसे के बाद से रात को उसे बुरे सपने आने लगे थे & अक्सर बीच मे ही उसकी नींद टूट जाती थी.

उस सुबह भी वो सपने की वजह से जल्दी उठ गयी तो उसने सोचा की नौकरों से थोडा काम ही निपट वाया जाए.रात के खाने के बाद महल का सारा स्टाफ महल के कॉम्पोन्ड मे बने अपने क्वॉर्टर्स मे चला जाता था & सुबह महल के अंदर से हुक्म आने पर ही अंदर जाता था.मेनका ने इंटरकम से अंदर आने का ऑर्डर दिया & बटन दबा कर सारे एलेक्ट्रॉनिक लॉक्स खोल दिए.थोड़ी ही देर मे महल के अंदर रोज़मर्रा की चहल-पहल होने लगी.

ऐसे ही किसी काम से मेनका अकेली ही उस हिस्से मे पहुँची जहा जिम था,उसने जिम की सफाई कल ही करने का ऑर्डर दिया था & उसी का मुआयना करने आई थी.

जिम के अंदर कदम रखते ही उसका मुँह खुला रह गया......सामने राजा साहब उसकी तरफ पीठ करके वेट ट्रैनिंग कर रहे थे-केवल 1 अंडरवेर मे.वो उनके गथिले बदन को देखने लगी.मज़बूत कंधे & विशाल बाहें जब वेट उपर उठाती थी तो 1-1 मसल का शेप सॉफ दिखाई देता था,नीचे बिल्कुल सीधी पीठ,पतली कमर & नीचे पुष्ट गांद.....मेनका को टाँगों के बीच गीलापन महसूस हुआ & ऐसा लगा जैसे की पैरों मे जान ही ना हो.उसने दीवार को पकड़ कर सहारा लिया पर तभी राजा साहब पीछे घूमने लगे तो वो उसी दीवार की ओट मे हो गयी.

थोड़ी देर बाद उसने वैसे ही ओट मे च्छुपकर फिर से अंदर झाँकना शुरू किया,...अब उसके ससुर का मुँह उसकी तरफ था पर वो उसे देख नही सकते थे.अब उनके हाथों मे डमबेल थे जिन्हे वो बारी-2 से उपर नीचे कर रहे थे & उनके सीने की मछ्लिया पसीने से चमक रही थी.मेनका ने उनके चौड़े सीने को देखा & उसे वो सुबह याद आई जब उन्होने उसे गिरने से बचाया था & उसने इसी सीने मे पनाह ली थी.वो मर्दाना खुश्बू फिर उसे महसूस हुई & टाँगो के बीच गीलापन बढ़ गया.उनके सीने पे काफ़ी बाल थे & मेनका की निगाहें बालों की लकीर को फॉलो करने लगी जो नीचे जा रही थी......& उनके अंडरवेर मे गुम हो गयी थी.मेनका की नज़रे अंडरवेर पर टिक गयी....कितना फूला हुआ था.....कितना बड़ा होगा......उसका हाथ सारी से उपर ही उसकी जाँघो के बीच के हिस्से को सहलाने लगा &थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

"मालिकन..",कोई नौकर उसे ढूंढता उधर आ रहा था.वो वापस होश मे आई & अपने को सायंत करके आवाज़ की दिशा मे चली गयी.
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"कल सुबह ही हमे बॉमबे रवाना होना होगा.जर्मन पार्ट्नर्स से फाइनल राउंड की बात करके डील पे साइन करना है.",राजा साहब अपने चेंबर मे बैठे थे & सामने मेनका,सेशाद्री & 4 स्टाफ मेंबर्ज़ उन्हे सुन रहे थे.

"कल सवेरे 5 बजे कार्स से हम शहर जाएँगे & 6:15-6:30 तक हमारा चार्टर्ड प्लेन बॉमबे के लिए तक-ऑफ करेगा जहा हम 10 बजे तक पहुँचेंगे.मीटिंग 11 बजे शुरू होगी.कल की रात हम सब वही रुकेंगे & परसों होप्फुली डील साइन कर के वापस आ जाएँगे."

"सर,मुझे & बाकी मेंबर्ज़ को तो कल ही वापस आना होगा क्यूकी परसो से ऑडिट शुरू होनी है.",सेशाद्री बोले.

"अरे,ये बात तो हमारे दिमाग़ से उतर ही गयी थी.तो ठीक है आप सब शाम को उसी प्लेन से वापस रवाना हो जाइएगा.हम परसों डील साइन कर के वापस आएँगे.दुल्हन हुमारे साथ ही वापस आएँगी"

सारे स्टाफ मेंबर्ज़ बाहर चले गये तो मेनका भी जाने लगी,"मैं महल जाकर अपनी पॅकिंग कर लेती हूँ."

"हा.ठीक है.",& राजा साहब अपने लॅपटॉप पे फाइल्स चेक करने लगे.

रात करीब 10 बजे राजा साहब महल पहुँच कर सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे जब वाहा से कुच्छ आवाज़ें आती सुनाई दी.अंदर जाने पर उन्होने देखा की मेनका 1 नौकर के साथ उनके वॉक-इन क्लॉज़ेट से कपड़े निकलवा कर पॅकिंग करवा रही है.

"अरे आपने क्यू तकलीफ़ की दुल्हन?हुमारे नौकर को कह देती...बस 2 ही दीनो के लिए तो जाना है."

"हा,कह ही देना चाहिए था.सारे कपड़े तो आपके एक जैसे हैं.कोई फ़र्क ही नही है."

"तो इस उम्र मे हम तरह-2 के कपड़े पहन कर क्या करेंगे?",उन्होने हंसते हुए पूचछा.

"काम करने मे तो आप जवानो को भी मात देते हैं तो कपड़े क्यू बूढो जैसे पहनेंगे....अफ",एक गिरी हुई शर्ट को उठाने के लिए मेनका झुकी तो उसका पल्लू ढालक गया & राजा साहब के सामने उसका बड़ा,मस्त क्लीवेज छलक उठा.वो उनकी नज़रो से बेपरवाह उस शर्ट को तह करने लगी.उसका पेट भी नुमाया हो रहा था & राजा साहब की नज़रे उसके क्लीवेज से फिसल कर उसके चिकने,सपाट पेट के बीचोबीच उसकी गोल नाभि पर टिक गयी.उनका लंड पॅंट के अंदर हरकत मे आने लगा था.

तभी मेनका पलटी & क्लॉज़ेट के अंदर जाने लगी,जैसे ही राजा साहब ने सारी मे कसी अपनी बहू की टाइट गांद को देखा उनका लंड पूरा खड़ा हो गया & पॅंट से निकलने को च्चटपटाने लगा.

"खाना तैय्यार है हुज़ूर..",1 नौकर ने दरवाज़े पे आके कहा.

"हम अभी आते हैं", कह कर राजा साहब तेज़ी से मुड़े & बाथरूम मे चले गये.

खाने के टेबल पर दोनो मे कुच्छ खास बात नही हुई.थोड़ी देर बाद सारा स्टाफ भी अपने कमरों को चला गया.

"गुड नाइट,पिताजी.आप भी जाकर सो जाइए.कल बहुत सवेरे उठना है",मेनका ने पहली सीढ़ी पर पैर रखा कि ना जाने कैसे उसका पैर मूड गया & वो गिर पड़ी.

"अरे संभाल के दुल्हन......चलिए उठिए",राजा साहब उसे सहारा देकर उठाने लगे पर मेनका दर्द से कराह उठी,"आउच..!पैर सीधा रखने मे दर्द होता है"

"अच्छा..",राजा साहब उसके पैर को देखने लगे,टखने मे मोच आई थी,"..हम..कमरे मे चल कर इसका इलाज करते हैं.खड़े होने की कोशिश कीजिए."

"नही हो रहा.बहुत दर्द है."मेनका दर्द से परेशान हो बोली.

"ओके",राजा साहब ने उसकी दाई बाँह अपने गले मे डाली & उसे अपनी गोद मे उठा लिया.शर्म के मारे मेनका के गाल और लाल हो गये.राजा साहब सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.वो उसकी तरफ नही देख रहे थे....पर वोही मर्दाना खुश्बू मेनका को महसूस हुई,अपने ससुर के गले मे बाँह डाले मेनका को बहुत अच्छा लग रहा था.उसे उन्होने ऐसे उठा रखा था जैसे उसका वजन ही ना हो.कमरे तक पहुँचने मे ना तो वो हांफे ना ही पसीने की 1 भी बूँद उनके माथे पे छल्कि".....इस उम्र भी इतनी ताक़त",मेनका तो उनकी फिटनेस की कायल हो गयी.

कमरे मे पहुँच कर उन्होने मेनका को पलंग पे ऐसे लिटाया जैसे किसी फूल को रख रहे हैं.फिर उसके ड्रेसर से 1 बॉम लेकर आए & उसकी तरफ पीठ करके उसके पाओं के पास बैठ गये.सारी थोड़ी सी उपर खिसका कर उसके टखने को देखने लगे,"...उफ़फ्फ़..कितनी कोमल है.."राजा साहब उसके टखने को सहलाने लगे.मेनका की आँखें मूंद गयी.उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

"जब हम फुटबॉल खेलते थे तो ऐसी चोट बड़ी आम थी.",उन्होने वैसे ही सहलाना जारी रखा.

"ह्म्म...",मेनका बस इतना ही कह पाई.

और तभी राजा साहब ने उसके टखने को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर 1 झटका दिया.

"औउउ...छ्च!",मेनका उठ कर बैठ गयी & दर्द से तड़प कर पीछे से उसने अपने ससुर को पकड़ लिया & उसका सर उनकी पीठ से जा लगा."बस ठीक हो गया.",कह कर वो उसके टखने पर बॉम की मालिश करने लगे.मेनका वैसे ही अपने ससुर से सटी रही.राजा साहब भी मालिश करते-2 उसके पैर को सहलाने लगे.दोनो को एक दूसरे का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था.राजा साहब का हाथ अपनी बहू के टखने से उपर आने लगा....मेनका भी आँखें बंद कर इस लम्हे का लुत्फ़ उठा रही थी...

"टॅनन्न्न....!",महल के बड़े घारियल मे 12 बाज गये थे.दोनो चौंक कर अलग हो गये.

"आराम कीजिए दुल्हन.सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा.",कहकर बिना उसकी तरफ़ देखे वो वापस अपने कमरे मे आ गये.उनका लंड पाजामे मे पूरा खड़ा था.उन्होने उसे उतार फेंका & अपना लंड तेज़ी से हिलाने लगे....

मेनका तो जल रही थी.राजा साहब ने उसके अंदर वो आग भड़काई थी जो आज से पहले उसने कभी महसूस ना की थी.उसने अपनी नाइटी अपने बदन से अलग की & बगल मे पड़े 1 बड़े तकिये से चिपक कर अपनी चूत उस पे रगड़ने लगी.

अगली सुबह दोनो एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे,बातें भी बस कम भर हो रही थी.सभी लोग प्लेन मे बैठे & डील के बारे मे चर्चा होने लगी.मेनका अब राजपरिवार की ही नही बल्कि राजकुल ग्रूप की भी 1 अहम सदस्य बन गयी थी.सारे ज़रूरी पायंट्स डिसकस किए जा रहे थे & मेनका का पैना दिमाग़ बारीक से बारीक ग़लती को पकड़ कर उसे सही कर रहा था.राजा साहब ने फिर से उसे 1 ससुर की नज़रो से देखा...यह लड़की अगर ना होती तो शायद आज वो ये डील करने ना जा रहे होते.अपने दर्द को भूल कर मेनका ने केवल उनके परिवार के हित & मान का ध्यान रखा था.
फ्लाइट के बॉमबे पहुँचने तक दोनो बहुत हद तक नॉर्मल हो गये थे & नज़रें चुराना भी बंद कर दिया था.

11 बजे जर्मन पार्ट्नर्स एबेरहर्ट कॉरपोरेशन. के ऑफीस मे मीटिंग शुरू हो गयी.2 बजे लंच के लिए मीटिंग को रोका गया पर 1 घंटे बाद सभी लोग वापस डील के पायंट्स फाइनल करने मे लग गये.शाम 7 बजे मीटिंग ख़तम हुई,"मिस्टर.सिंग.वी'वे आ डील.",जर्मन पार्ट्नर फ्रॅन्ज़ एबेरहर्ट ने राजा साहब से हाथ मिलाते हुए कहा,"..& मिसेज़.सिंग,युवर फादर-इन-लॉ हॅज़ नोथिन्ग टू वरी अबौट एज लोंग एज यू आर विथ दा राजकुल ग्रूप."

तारीफ सुन कर खुशी & शर्म से मेनका के गालों का रंग & गुलाबी हो गया."..लुकिंग फॉर्वर्ड टू वर्क विथ यू.",एबेरहर्ट ने झुकते हुए मेनका से हाथ मिलाया.राजा साहब को अपनी बहू पर बहुत गर्व & प्यार आ रहा था.

थोड़ी देर बाद ये डिसाइड हुआ कि सारे पेपर्स तैय्यार करके कल सवेरे 11 बजे दोनो पार्टीस उन पर साइन कर ले.सेशाद्री साहब & बाकी स्टाफ के लोग वही से वापसी के लिए एरपोर्ट रवाना हो गये.अब मेनका अपने ससुर के साथ अकेली रह गयी.दोनो कार मे बैठ कर जुहू मे होटेल मेरियट की तरफ चल दिए.

कार की बॅक्सीट पे राजा साहब ने चुप्पी तोड़ी,"अगर आप हमारे साथ नही होती दुल्हन,तो शायद आज हम इस खुशी को महसूस नही कर रहे होते."

"अब आप हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.एक तरफ तो दुल्हन बोलते हैं & दूसरी तरफ ऐसी फॉरमॅलिटी भरी बातें करते हैं."

"नही,दुल्हन.हमे बोलने दीजिए.आपकी जगह कोई भी लड़की होती तो जो आपने झेला है,उसके बाद कभी भी राजपुरा मे नही रहती.हम आपके एहसानो का क़र्ज़...-"

"..-बस!अगर आपने ऐसी बातें की तो मैं ज़रूर राजपुरा छ्चोड़ कर चली जाऊंगी.आप ऐसे क्यू कह रहे हैं,जैसे राजपुरा हमारा घर नही है.",उसने अपने ससुर का हाथ अपने हाथ से दबाया,"राजपुरा हमारा घर है & अपने घर के बारे मे सोचना कोई तारीफ की बात नही."

जवाब मे राजा साहब बस प्यार भरी निगाहों से उसे देखते रहे.

तभी मेनका चिल्लाई,"ड्राइवर कार ज़रा साइड मे लो....हा..हा..इसी माल मे ले चलो."

"अभी शॉपिंग करनी है दुल्हन.हम कल करवा देंगे.अभी होटेल चल कर आराम करते हैं."

"नही.शॉपिंग तो अभी ही होगी.चलिए.",मेनका कार से उतरने लगी.

"आप हो आइए हम यहा केफे मे बैठ कर आपका इंतेज़ार करते हैं.",माल मे दाखिल होकर राजा साहब ने कहा.

"बिल्कुल नही.चलिए हमारे साथ.",मेनका ने उनका हाथ पकड़ा & खींचते हुए लिफ्ट मे ले गयी.

दोनो वैसे ही एक दूसरे का हाथ थामे मेन'स सेक्षन मे दाखिल हुए.,"अरे,दुल्हन हमे कुच्छ नही चाहिए?",मेनका का मक़सद समझते हुए राजा साहब हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगे.

"बिल्कुल चुप.",मेनका ने और मज़बूती से अपने ससुर का हाथ पकड़ते हुए कहा.

"हाउ मे आइ हेल्प यू?",1 सेलेज़्गर्ल उनके पास आई.

मेनका उसके साथ राजा साहब के लिए कपड़े सेलेक्ट करने लगी.राजा साहब का हाथ अभी भी उसकी पकड़ मे था.वो उपर से तो मना कर रहे थे पर मन ही मन,उन्हे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.इस तरह तो उनकी परवाह आज तक किसी औरत ने नही की थी.उनकी पत्नी उनका बहुत ख़याल रखती थी पर उस ख़याल मे अपनेपन से ज़्यादा ड्यूटी पूरी करने का एहसास था....& ऐसे सर्प्राइज़ देकर अचानक शॉपिंग करवाना...ये तो उन्होने सोचा भी नही था...दिल कर रहा था कि बस इसी तरह सारी उम्र उसका हाथ थामे खड़े रहें"...लीजिए ये सारे कपड़े ट्राइ करिए...जाइए"

जब राजा साहब ट्राइयल रूम से बाहर निकले तो सेलेज़्गर्ल ने उनके हाथों से सारे कपड़े ले लिए,"युवर वाइफ लव्स यू ए लॉट सर & वॉट गुड टेस्ट हॅज़ शी गॉट!",राजा साहब एक पल को चौंक गये पर फिर तुरत उन्हे बात समझ मे आ गयी...ये मेनका को उनकी पत्नी समझ रही है....उन्होने बस हल्के से सर हिला दिया,वो लड़की भी कपड़े लेकर दूसरी ओर चली गयी.मेनका थोड़ी दूरी पर खड़ी कुच्छ कपड़े देख रही थी..."लगता है उसने ये बात नही सुनी."

सारी शॉपिंग के बाद दोनो पेमेंट काउंटर पे पहुँचे.राजा साहब जेब से अपना वॉलेट निकालने लगे तो मेनका ने उन्हे रोक दिया,"नही.आप नही मैं पेमेंट करूँगी.ये आपको गिफ्ट है मेरी तरफ से."

"पर दुल्हन..."

"श्ह.",उसने अपने होठों पे उंगली रखकर उन्हे चुप रहने का इशारा किया & अपने हॅंडबॅग से कार्ड निकाल कर काउंटर पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ाया.

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माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1
डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.
मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.


क्रमशः...................................

दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा


मस्त मेनका पार्ट--1
मस्त मेनका पार्ट--2
मस्त मेनका पार्ट--3
मस्त मेनका पार्ट--4
मस्त मेनका पार्ट--5
मस्त मेनका पार्ट--6
मस्त मेनका पार्ट--7


gataank se aage................

Menaka ki aankhen khuli to usne apne ko hospital ke kamre me paaya.dr.lata uske bagal me chair pe baithi thi.

"how are you feeling now?",unhone pyar se uske sir par hath ferte hue poochha.

menaka ab puri tarah hosh me aayi & uska hath apne pet par chala gaya.

"sorry,beta.",dr.lata itna hi keh payi.menaka ki aankhon se aanu behne lage to dr.lata ne pyar se use gale laga liya.thodi der me jab vo chup hui to dr.lata boli,"main raja sahab ko bhejti hu,kal raat se vo 1 minute bhi nahi soye hain.tumhare hosh me aane ka intezr kar rahe the."keh ke vo bahar chali gayi.

menaka ko yaad aaya,kal raat raja sahab ne hi use bachaya tha....us waqt vo puri nangi thi.... to kya raja sahab ne use waise dekha.sharm se uski aankhen band ho gayi.uska pati aisa darinda ban jayega,usko to abhi bhi yakeen nahi aa raha tha.aankhen khol kar usne kamre me nazar ghumai to 1 taraf 1 dustbin me use apni 1 nighty nazar aayi.."yani raja sahab ne uske kapde badle."

tabhi darwaza khula & raja yashveer dakhil hue.menaka ne apni nazare neechi kar lee & uska gala fir bharne laga.thodi der tak kamre me khamoshi chhayi rahi.

"hum kya kahen,dulhan & kaise kahen?humara apna khun humen apni hi nazron me is kadar gira dega!hum aapse maafi maangte hain."

menaka vaise hi khamosh rahi.

"dulhan,chuki aapki shadi ko zyada waqt nahi hua hai to kanoon ke mutabik hospital waalon ko police ko khabar karni padi hai ki aapka .....miscarriage ho gaya hai.."raja sahab kaanpti aavaz me bole,"hum chahte hain ki-.."

"..-main police ko aapke bete ki haivaniyat ke bare me na bataoon na.nahi bataoongi.please leave me alone!",menaka cheekhi & phoot-2 kar rone lagi.uska daba gussa phat kar bahar aa gaya tha.

raja sahab bhagte hue uske paas pahunche & uske sir par hath ferte hue bole,"nahi,dulhan.aap hume galat samajh rahi hain.humye keh rahe the ki aap police ko puri sachchai bata den.vishwa ne mahapaap kiya hai & uski saza use zarur milni chahiye.agar police nahi degi to hum denge apne haathon se.",raja sahab ki aawaza kathor ho gayi.

menaka ne chaunk kar apne sasur ki or dekha.vo kitna galat samajh rahi thi.raja sahab ka ilaake me itna prabhav tha.agar vo chahte to police ko yaha kabhi nahi aane dete.balki unki jagah koi aur hota to baat mahal ki deewaron ke beech hi dab kar rah jaati.

tabhi darwaza khula & menaka ke mata-pita andar aaye.menaka ki maa apni beti se lipat gayi,menaka ki rulayi fir shuru ho gayi par maa ki god me use bahut sahara mil raha tha.uske pita ki bhi aankhen nam ho chali thi.

thodi der me jab sab thode sayant hue to menaka ke pita raja arjan singh ne sare vaakye ke bare me poochha,"aakhir ye sab hua kaise,raja sahab?"


raja sahab ke bolne se pehle menaka boli,"humara pair carpet me phans gaya & hum gir gaye jiski wajah se hum aise gire ki humara-..."

"...-dulhan hume sharminda hone se bachana chahti hain & isiliye jhuth bol rahi hain.",raja sahab uski baat beech me hi kaatate hue bole & fir unhone sari baat raja arjan & unki patni ko bata di.

dono gusse se ubal pade,"hum apni beti ko yaha 1 pal bhi nahi rehne denge.theek hoti hai menaka vapas jayegi humare saath.aur aapke bete-.."

"bas,daddy.main koi gay-bakri hun jab jee chaha shadi kar di ,jab chaha vapas le jaayenge.",fir vo apni maan ki taraf ghumi,"maa,aapne kaha tha ki hum rajgharane walon ke yaha shadi bas ek baar hotit hai & hum striyan apni sasural arthi par hi chhodti hain."

"par beti,yaha in halat me kaise chhod de tumhe?"

"daddy,main itni bhi kamzor nahi hu."

ye bahas chal rahi thi ki darwaze pe kisi ne knock kiya.dr.sinha & unki wife dr.lata aaye the,"raja sahab hum aap sabse kuchh zaruri baat karna chahte hain.",dr.sinha raja arjan & unki patni ko namaskar karte hue raja yashveer se mukhatib hokar bole.

"ji,zarur dr.saab.baithiye."

"raja sahab.aapke kahe mutabik kal se kunwar humare hospital me hain.humne unka pure check-up karliya hai.vo addiction ke shikar hain."

"kya?"

"ji.vo drug addict ho gaye hain & kal raat ki unki harkat drugs na milne par unka reaction tha.unka apne upar koi control nahi reh gaya hai."

"raja sahab,hum ye kehne aaye hain ki jald se jald unhe rehabilitation centre me bharti karwa de.bas yehi 1 raasta hai.",dr.lata apne pati ki baat puri karte hue boli.

raja sahab ke mathe pe chinta ki lakeeren & gehra gayi,"dr.sahab,aap hi hume rasta dikhayen."

"raja sahab,humen 1 week ka samay dijiye.hum aapko best centres ki list de denge.",keh kar dono pati-patni jaane ke liye uth gaye,"kunwar ko apni galti ka ehsas hai ki nahi pata nahi.raja sahab aapko unse baat karke therapy ke liye taiyyar karna hoga.aur agar is beech aap unhe drugs lete paaye to roke mat varna kahin vo fir violent hokar kisiko ya khud ko nuksaan na pahuncha le."

sjam ko menaka apne hospital room me akeli thi.vo uthi & bathroom me gayi,apna chehra dhoya & sheeshe me dekha,ek raat me hi uski duniya uthal-puthal ho gayi thi,"aakhir kyu hua aisa?uski apni kamzori ki wajah se."jawab uske andar se hi aaya,"nahi ab vo aise nahi rahegi.apni zindagi ke faisle vo khud legi.uski marzi ke bina ab us se koi bhi kuchh bhi nahi karwa sakta."

usne kamre me lautkar dr.lata ko bulaya.

"boliye,kunwarani."

"dr.aunty,hume contraceptive pills ke bare me batayen."

"kunwarani.."

"ji aunty,hum nahi chahte ki humare pati ki galtiyon ka khamiyaza hume bhugatna pade."

"ji,kunwarani.",& vo use samjhane lagi.



par menak ko un goliyon ki zarurat nahi padi kyuki iske baad sab kuchh badi tezi se hua.dr.sahab ne bangalore ke paas devanhalli me dr.purandare ke rehab centre ko recommend kiya.raja yashveer & raja arjan vishwa ko waha admit kara aaye.is pure samay me menaka apni maa ke sath mahal me thi.pata nahi raja sahab ne vishwa ko jaane ke liye kaise manaya.business pe koi bura asar na pade iske liye pehle german partners ko puri baat batayi gayi & fir 1 press release di gayi.raja sahab ne is musibat ka bhi badi samajhdari se samna kiya tha.

par baat puri duniya ke samne khulne se pehle unke dushman ko pata chal gayi thi.

jabbar sofe pe nanga baitha tha & uski god me malika bhi.malika ke hath me beer ki bottle thi jis se usne 1 ghunt bhara & fir jabbar ko pilaya.uske dusre hath me jabbar ka lund tha jise vo hila rahi thi.thodi hi er me lund pura khada ho gaya,tab malika jabbar ki taraf peeth karke uski god me uske lund par baith gayi.usne apni daayi baanh uske gale me is tarah daal di ki jabbar ka munh uski daayi chhati se aa laga.jabbar ne uska nipple munh me lekar kaat liya.

"ooo..ww",malika ne baal pakad kar uska sir apne seene se alag kiya & munh me bachi hui beer udel di & fir bottle ko dusre sofe par fek diya.jabbar ne beer apne halak se neeche utari & fir apna munh malika ki chhati se chipka diya.uska baya hath uski rakhail ke baye uroz ko berahmi se masal raha tha to daya uski lund bhari chut ke dane ko.malika josh se pagal hokar lund pe zor-2 se kud rahi thi.

"aaa...aahhh..aaahhh...ahahhhhh!",vo maze se chilla rahi thi,"oo...eeeeee... .",zor ki cheekh ke sath vo jabbar ke upar let gayi & uske kaan me apni jeebh firane lagi.vo jhadne ke bahut kareeb thi..& 5-6 dhakkon ke baad 1 aur aah ke saath uski chut ne pani chhod diya.jabbar ne bhi neeche se 3-4 dhakke lagaye & malika ki chut ko apne virya se bhar diya.dono sofe ki peeth pe usi position me tik kar apni saans sambhalne lage ki tabhi malika ka cell baj utha.malika ne vaise hi table se fon utha kar apne kaan se lagaya,"hello...boliye batra saab.."

thodi der ke baad usne fon rakha & vaise hi jabbar ki god me baithe hue use sari baat batai.

"kya?",jabbar ne use sofe par 1 taraf dhakela & apna sikuda lund uski chut me se nikal kar khada ho gaya.

usne us 1 no.wale mobile se kallan ko fon kar ke sari baat batayi,"suno,raja zarur pata lagayega ki uske bete ko ye lat lagi kaise & iske liye sabse pehle us insan ko dhoondega jo uske bete tak drugs pahunchata tha.isliye tum ab unerground ho jao.fikr mat karna,tumhare paise tumhe mil jayenge.",&usne phone band kar ke wapas leti hui malika ki taangon ke beech baith kar apna lund uski chut par ragadne laga.

jab police hospital me Menaka ka bayan lene aayi to raja sahab ki baat na mante hue menaka ne wahi phisal kar girne wali kahani batayi.raja sahab ke poochhne par usne kaha ki vishwa ko uske kiye ki saza mil rahi hai fir duniya ko sach batakar parivar ko aur beizzat kyu karen.

jahan is baat ne raja sahab ke dil me menaka ke liye aur izzat bhar di wahi menaka bhi raja sahab ki imandari se prabhavit hue bina nahi rah saki.poore mamale me unhe sirf menaka ki chinta thi,unka beta gunehgar tha & use bachane ke liye vo bilkul taiyyar nahi the-unka bas chalta to vishwa jail me hota.uske pita & doctors ke samjhane par hi vo use jail ke bajay rehab me bhejne ko taiyyar hue the.

jab raja sahab bangalore se wapas aaye to menaka ki maa ne use apne sath le jaane ki ijazat maangi,raja sahab fauran taiyyar ho gaye par menaka apne sasur ko akela chhod kar jane ko bilkul taiyyar nahi hui.lakh samjhane par bhi vo nahi mani & raja sahab ke kehen par usne bola,"apne ghar ko chhodkar main kahi nahi jaoongi."

raja sahab savere nashte ki table par yahi sab soch rahe the ki menaka naukar ke hath se dish lekar unhe parosne lagi,"pitaji,ek baat poochhen?"

"haa,dulhan."

"kya hum office aa sakte hain?"

"bilkul,dulhan.isme poochhne wali kya baat hai?aapka apna office hai."

"aap samjhe nahi.hum office join karne ki baat kar rahe hain."

raja sahab thode pareshan dikhe,"dulhan mahal & office dono ki zimmedari kahin aap ko...-"

"-...mujhe ek baar try to karne dijiye.please!"

"ok,kal se chaliye hamare saath."

"kal se nahi.aaj se please!",menaka bachchon ki tarah machalte hue boli.

"theek hai,jakar ready ho jaiye.",raja sahab hanste hue bole.

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"kallan,jaldi pata lagao ki aakhir raja ne apne launde ko kaha bheja hai.press release kya apne office me bhi sale ne rehab centre ka naam nahi bataya hai!",jabbar bistar par adhleta phone pe baat kar raha tha,malika ki chaudi gaand uski aankhon ke saamne lehra rahi thi,vo ghutno ke bal baithi thi & uska munh jabbar ke lund pe upar-neeche ho raha tha.

"don't worry.jab tak vishwa ka pata nahi laga leta,main chain se nahi baithunga.",& phone kat gaya.jabbar ne phone kinare rakha & hath badhakar malika ki kamar jakadte hue use apne upar le liya,ab uski chikni chut uski aankhon ke saamne thi & dono 69 position me aa gaye the.

usne apne daant uski gaandki 1 phaank me gadaate hue poochha,"batra ko bhi kuchh nahi pata chala?"

"uunn..huun",malika chihunki & uske lund bhare munh se sirf itna hi nikla.jabbar zor se uski chut chaatne laga.

jabbar ne uski kamar pe apni pakad & mazboot kar di,"raja ki aulad barbadi ki kagar se vapas aa jaye,aisa main kabhi nahi hone doonga.",&usne apna munh usaki choot me ghusa diya & apni jeebh se use chodne laga.malika ne bhi apni choosne ki speed badha di & dono apne climax ki or badhne lage.

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kuchh hi dino me menaka ne office ka sara kaam samajh liya.vishwa ke jaane ke baad jo jagah khali hui thi,use usne bakhubi bhar diya tha.zimmedari badhne ke bawjud mahal ke kaam-kaaj par usne zara bhi asar nahi padne diya tha.ab vo pehle se zyada khush nazar aati thi...bas 1 problem thi.us hadse ke baad se raat ko use bure sapne aane lage the & aksar beech me hi uski neend tut jaati thi.

us subah bhi vo sapne ki wajah se jaldi uth gayi to usne socha ki naukron se thoda kaam hi nipatwaya jaye.raat ke khane ke baad mahal ka sara staff mahal ke compond me bane apne quarters me chala jata tha & subah mehal ke andar se hukm aane par hi andar jaata tha.menaka ne intercom se andar aane ka order diya & button daba kar sare electronic locks khol diye.thodi hi der me mahal ke andar rozmarra ki chahal-pehal hone lagi.

aise hi kisi kaam se menaka akeli hi us hisse me pahunchi jaha gym tha,usne gym ki safai kal hi karne ka order diya tha & usi ka muayna karne aayi thi.

gym ke andar kadam rakhte hi uska munh khula rah gaya......saamne raja sahab uski taraf peeth karke weight training kar rahe the-kewal 1 underwear me.vo unke gathile badan ko dekhne lagi.mazbut kandhe & vishal baahen jab weight upar uthati thi to 1-1 muscle ka shape saaf dikhai deta tha,neeche bilkul seedhi peeth,patli kamar & neeche pusht gaand.....menaka ko taangon ke beech geelapan mehsus hua & aisa laga jaise ki pairon me jaan hi na ho.usne deewar ko pakad kar sahara liya par tabhi raja sahab peechhe ghumne lage to vo usi deewar ki ot me ho gayi.

thodi der baad usne vaise hi ot me chhupkar fir se andar jhankna shuru kiya,...ab uske sasur ka munh uki taraf tha par vo use dekh nahi sakte the.ab unke haathon me dumbell the jinhe vo bari-2 se upar neeche kar rahe the & unke seene ki machhliyan paseene se chamak rahi thi.menaka ne unke chaude seene ko dekha & use vo subah yaad aayi jab unhone use girne se bachaya tha & usne isi seene me panah li thi.vo mardana khushbu fir use mehsus hui & taango ke beech gilapan badh gaya.unke seene pe kafi baal the & menaka ki nigahen baalon ki lakeer ko follow karne lagi jo neeche ja rahi thi......& unke underwear me gum ho gayi thi.menaka ki nazre underwear par tik gayi....kitna phoola hua tha.....kitna bada hoga......uska hath sari se upar hi uski jaangho ke beech ke hisse ko sahlane laga &thodi hi der me uski chut ne pani chhod diya.

"maalikn..",koi naukar use dhundhta udhar aa raha tha.vo vapas hosh me aayi & apne ko sayant karke aavaz ki disha me chali gayi.

"kal subah hi hume bombay ravana hona hoga.german partners se final round ki baat karke deal pe sign karna hai.",raja sahab apne chamber me baithe the & saamne menaka,seshadri & 4 staff members unhe sun rahe the.

"kal savere 5 baje cars se hum shehar jayenge & 6:15-6:30 tak humara chartered plane bombay ke liye tak-off karega jaha hum 10 baje tak pahunchenge.meeting 11 baje shuru hogi.kal ki raat hum sab vahi rukenge & parson hopefully deal sign kar ke vapas aa jayenge."

"sir,mujhe & baki members ko to kal hi vapas aana hoga kyuki parso se audit shuru honi hai.",seshadri bole.

"are,ye baat to humare dimagh se utar hi gayi thi.to theek hai aap sab sham ko usi plane se vapas rawana ho jayiega.hum parson deal sign kar ke wapas aayenge.dulhan humare sath hi vapas aayengi"

sare staff members bahar chale gaye to menaka bhi jane lagi,"main mehal jakar apni packing kar leti hun."

"haa.theek hai.",& raja sahab apne laptop pe files check karne lage.

raat kareeb 10 baje raja sahab mahal pahunch kar seedhiya chadh kar apne kamre ki taraf ja rahe the jab vaha se kuchh aawazen aati sunaai di.andar jane par unhone dekha ki menaka 1 naukar ke sath unke walk-in closet se kapde nikalwa kar packing karwa rahi hai.

"are aapne kyu takleef ki dulhan?humare naukar ko keh deti...bus 2 hi dino ke liye to jana hai."

"haa,keh hi dena chahiye tha.sare kapde to aapke ek jaise hain.koi fark hi nahi hai."

"to is umra me hum tarah-2 ke kapde pehan kar kya karenge?",unhone hanste hue poochha.

"kaam karne me to aap jawano ko bhi maat dete hain to kapde kyu buddhon jaise pehnenge....uff",ek giri hui shirt ko uthane ke liye menaka jhuki to uska pallu dhalak gaya & raja sahab ke saamne uska bada,mast cleavage chhalak utha.vo unki nazro se beparvah us shirt ko teh karne lagi.uska pet bhi numaya ho raha tha & raja sahab ki nazre uske cleavage se phisal kar uske chikne,sapat pet ke beechobeech uski gol nabhi par tik gayi.unka lund pant ke andar harkat me aane laga tha.

tabhi menaka palti & closet ke andar jaane lagi,jaise hi raja sahab ne sari me kasi apni bahu ki tight gaand ko dekha unka lund pura khada ho gaya & pant se nikalne ko chhatpatane laga.

"khana taiyyar hai huzoor..",1 naukar ne darwaze pe aake kaha.

"hum abhi aate hain", keh kar raja sahab tezi se mude & bathroom me chale gaye.

khane ke table par dono me kuchh khas baat nahi hui.thodi der baad sara staff bhi apne kamron ko chala gaya.

"good night,pitaji.aap bhi jakar so jaaiye.kal bahut savere uthna hai",menaka ne pehli seedhi par pair rakha ki na jaane kaise uska pair mud gaya & vo gir padi.

"are sambhal ke dulhan......chaliye uthiye",raja sahab use sahara dekar uthana lage par menaka dard se karah uthi,"ouch..!pair seedha rakhne me dard hota hai"

"achha..",raja sahab uske pair ko dekhne lage,takhne me moch aayi thi,"..hmm..kamre me chal kar iska ilaaj karte hain.khade hone ki koshish kijiye."

"nahi ho raha.bahut dard hai."menaka dard se pareshan ho boli.

"ok",raja sahab ne uski daayi baanh apne gale me dali & use apni god me utha liya.sharm ke mare menaka ke gaal aur laal ho gaye.raja sahab seedhiyan chadhne lage.vo uski taraf nahi dekh rahe the....par vohi mardana khushbu menaka ko mehsus hui,apne sasur ke gale me baanh dale menaka ko bahut achha lag raha tha.use unhone aise utha rakha tha jaise uska wajan hi na ho.kamre tak pahunchne me na to wo haanfe na hi paseene ki 1 bhi boond unke mathe pe chhalki".....is umra bhi itni taaqat",menaka to unki fitness ki kayal ho gayi.

kamre me pahunch kar unhone menaka ko palang pe aise litaya jaise kisi phool ko rakh rahe hain.fir uske dresser se 1 balm lekar aaye & uski taraf peeth karke uske paaon ke paas baith gaye.sari thodi si upar khiska kar uske takhne ko dekhne lage,"...ufff..kitni komal hai.."raja sahab uske takhne ko sahlane lage.menaka ki aankhen mund gayi.use bahut achha lag raha tha.

"jab hum football khelte the to aisi chot badi aam thi.",unhone waise hi sahlana jaari rakha.

"hmm...",menaka bas itna hi kah payi.

aur tabhi raja sahab ne uske takhne ko apne dono haathon me pakad kar 1 jhatka diya.

"ouuu...chh!",menaka uth kar baith gayi & dard se tadap kar peechhe se usne apne sasur ko pakad liya & uska sar unki peeth se ja laga."bas thik ho gaya.",kah kar vo uske takhne par balm ki malish karne lage.menaka vaise hi apne sasur se sati rahi.raja sahab bhi malish karte-2 uske pair ko sahlane lage.dono ko ek dusre ka sparsh bahut achha lag raha tha.raja sahab ka haath apni bahu ke takhne se upar aane laga....menaka bhi aankhen band kar is lamhe ka lutf utha rahi thi...

"TANNNN....!",mehal ke bade ghariyal me 12 baj gaye the.dono chaunk kar alag ho gaye.

"aaram kijiye dulhan.subah tak dard theek ho jayega.",kehkar bina uski tarf dekhe vo vapas apne kamre me aa gaye.unka lund pajame me pura khad tha.unhone use utar phenka & apna lund tezi se hilane lage....

menaka to jal rahi thi.raja sahab ne uske andar vo aag bhadkayi thi jo aaj se pehle usne kabhi mehsus na ki thi.usne apni nighty apne badan se alag ki & bagal me pade 1 bade takiye se chipak kar apni chut us pe ragadne lagi.

agli subah dono ek-dusre se nazren chura rahe the,baatein bhi bas kam bhar ho rahi thi.sabhi log plane me baithe & deal ke bare me charcha hone lagi.Menaka ab rajparivar ki hi nahi balki Rajkul group ki bhi 1 aham sadasya ban gayi thi.sare zaroori points discuss kiye ja rahe the & menaka ka paina dimagh bareek se bareek galti ko pakad kar use sahi kar raha tha.raja sahab ne fir se use 1 sasur ki nazro se dekha...yeh ladki agar na hoti to shayad aaj vo ye deal karne na ja rahe hote.apne dard ko bhul kar menaka ne kewal unke parivar ke hit & maan ka dhyan rakha tha.
flight ke bombay pahunchne tak dono bahut had tak normal ho gaye the & nazren churana bhi band kar diya tha.

11 baje german partners Eberhart corp. ke office me meeting shuru ho gayi.2 baje lunch ke liye meeting ko roka gaya par 1 ghante baad sabhi log vapas deal ke points final karne me lag gaye.sham 7 baje meeting khatam hui,"mr.singh.we've a deal.",german partner Franz Eberhart ne raja sahab se hath milate hue kaha,"..& mrs.singh,your father-in-law has nothing to worry about as long as you are with the rajkul group."

tareef sun kar khushi & sharm se menaka ke gaalon ka rang & gulabi ho gaya."..looking forward to work with you.",eberhart ne jhukte hue menaka se hath milaya.raja sahab ko apni bahu par bahut garv & pyar aa raha tha.

thodi der baad ye decide hua ki sare papers taiyyar karke kal savere 11 baje dono parties un par sign kar le.seshadri sahab & baki staff ke log vahi se vaapsi ke liye airport ravana ho gaye.ab menaka apne sasur ke sath akeli rah gayi.dono car me baith kar juhu me hotel Mariott ki taraf chal diye.

car ki backseat pe raja sahab ne chuppi todi,"agar aap hamare sath nahi hoti dulhan,to shayad aaj hum is khushi ko mehsus nahi kar rahe hote."

"ab aap hume sharminda kar rahe hain.ek taraf to dulhan bolte hain & dusri taraf aisi formality bhari baatein karte hain."

"nahi,dulhan.hume bolne dijiye.aapki jagah koi bhi ladki hoti to jo aapne jhela hai,uske baad kabhi bhi rajpura me nahi rahti.hum aapke ehsaano ka karz...-"

"..-bas!agar aapne aisi baaten ki to main zaroor rajpura chhod kar chali jaoongi.aap aise kyu keh rahe hain,jaise rajpura humara ghar nahi hai.",usne apne sasur ka hath apne hath se dabaya,"rajpura humara ghar hai & apne ghar ke bare me sochna koi tareef ki baat nahi."

jawab me raja sahab bas pyar bhari nigahon se use dekhte rahe.

tabhi menaka chillayi,"driver car zara side me lo....ha..ha..isi mall me le chalo."

"abhi shopping karni hai dulhan.hum kal karwa denge.abhi hotel chal kar aaram karte hain."

"nahi.shopping to abhi hi hogi.chaliye.",menaka car se utarne lagi.

"aap ho aaiye hum yaha cafe me baith kar aapka intezar karte hain.",mall me dakhil hokar raja sahab ne kaha.

"bilkul nahi.chaliye humare sath.",menaka ne unka hath pakda & kheenchte hue lift me le gayi.

dono vaise hi ek dusre ka hath thaame men's section me dakhil hue.,"are,dulhan hume kuchh nahi chahiye?",menaka ka maqsad samajhte hue raja sahab hath chhudane ki koshish karne lage.

"bilkul chup.",menaka ne aur mazbuti se apne sasur ka hath pakadte hue kaha.

"how may i help you?",1 salesgirl unke paas aayi.

menaka uske sath raja sahab ke liye kapde select karne lagi.raja sahab ka hath abhi bhi uski pakad me tha.vo upar se to mana kar rahe the par man hi man,unhe ye sab bahut achha lag raha tha.is tarah to unki parwah aaj tak kisi aurat ne nahi ki thi.unki patni unka bahut khayal rakhti thi par us khayal me apnepan se zyada duty puri karne ka ehsaas tha....& aise surprise dekar achanak shopping karwana...ye to unhone socha bhi nahi tha...dil kar raha tha ki bas isi tarah sari umra uska hath thame khade rahen"...lijiye ye sare kapde try kariye...jaiye"

jab raja sahab trial room se bahar nikle to salesgirl ne unke haathon se sare kapde le liye,"your wife loves you a lot sir & what good taste has she got!",raja sahab ek pal ko chaunk gaye par fir turat unhe baat samajh me aa gayi...ye menaka ko unki patni samajh rahi hai....unhone bas halke se sar hila diya,vo ladki bhi kapde lekar dusri or chali gayi.menaka thodi duri par khadi kuchh kapde dekh rahi thi..."lagta hai usne ye baat nahi suni."

sari shopping ke baad dono payment counter pe pahunche.raja sahab jeb se apna wallet nikalne lage to menaka ne unhe rok diya,"nahi.aap nahi mai payment karungi.ye aapko gift hai meri taraf se."

"par dulhan..."

"shh.",usne apne hothon pe ungli rakhkar unhe chup rahne ka ishara kiya & apne handbag se card nikal kar counter pe baithe aadmi ki taraf badhaya.

-------------------------------------------------------------------------------

mall se hotel jate waqt car me baithe-2 raja saheb ne apne mobile se fon milaya,"dr.purandare.hum yashveer singh bol rahe hain."

menaka khidki se bahar dekhne lagi,uske sasur uske pati ka haal poochh rahe the.itne dino me usne 1 baar bhi vishwa ke bare me nahi socha tha.agar man me khayal aata bhi to jaldi se apna dhyaan doosri or kar us khayal ko dimagh se nikal phenkti thi."kaisa aadmi tha uska 'so-called pati'.jab vo hospital me thi to ek baar bhi use dekhne nahi aaya....na kabhi us se maafi maangne ki koshish ki aur kyu karta vo to uske liye bas ek khilona thi....hawas mitane ki cheez,usne use kabhi patni thode hi samjha tha.",menaka soch rahi thi,"jab vo theek hokar vapas aa jayega to vo kaise karegi uska saamna...fir se us haivan ke sath rehna padega...",usne apne sar ko jhatka,"..jab aayega tab sochenge...aaj to itni khushi ka din hai.deal final ho gayi hai.aaj koi bura khayal man me nahi laoongi",apne sausr ki taraf dekha to vo mobile band karke jeb me daal rahe the.vo use kabhi bhi vishwa ke bare me nahi batate the...shayad jaante the ki uska zikr use fir se vo dard yaad dila dega.vo unki or dekh kar muskurayi & fir khidki se bahar dekhne lagi.

Aaiye ab hum bangalore chalte hain,dr.purandare ke rehab centre me,vishwa ko dekhne.....vo dekhiye baki patients ke sath baith kar kha raha hai...& dr.purandare kahan hai?....haan..wahan apne chamber me computer par kuchh dekh rahe hain...kya dekh rahen hai aakhir?....achcha!vishwa ke therapy sessions ke tape hain.dr.sahab apne sare patients se jo bhi baat karte hain use video record kar lete hain,is se unhe baad me mariz ko analye karne me aasani hoti hai.chaliye,hum bhi unke sath ye videos dekhte hain.

Patient no.45681,Vishwajeet Singh

Session 1
dr.:hello,vishwajeet.

vishwa bas sir hilata hai.

dr."dekho,vishwa-i can call you vishwa...ok.dekho,mera maanana hai ki har aadmi jo kisi buri lat ka shikar hai khud apne ko sudhar sakta hai agar vo khud ke andar jhank kar apneaap ko samajhne ki koshish kare.main chahta hu ki tum bhi yahi karo.

vishwa ek taraf sar ghuma kar deewar ki or dekh raha hai.pata nahi dr.ki baaton par dhyan de bhi raha hai ya nahi..

dr.:..insan nashe ka sahara leta hai kisi cheez se bhagne ke liye & ye nahi sochta ki kuchh samay baad vo us nashe ka ghulam ho jata hai..us ke hath ki kathputli ban kar rah jata hai bas...meri baat ke bare me sochna.you may go now.

dr.kuchh files skip kar aage badhte hain.

Session 4

dr.:hello,vishwa.

vishwa:hi.doc.

dr.:kaisa lag raha hai yaha?

vishwa:achhi jagah hai doc,par jab talab lagti hai to ye jagah jail lagne lagti hai.

dr.:tum chaho to kal hi yaha se jaa sakte ho.tumhari marzi ke khilaf ,



















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