Saturday, May 1, 2010

हिंदी कहानियाँ--एक सुहानी याद --3

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एक सुहानी याद पार्ट--3

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एक सुहानी याद पार्ट--3

गतान्क से आगे...........................

थोरी देर के बाद मुझे भी लगा कि अब ज़्यादा देर रुक नही सकता और इसलिए मैं अपना लंड एक बार जड़ तक प्रतिभा की चूत मे पेल कर उसकी एक चूंची अपने मुँह मे भर कर चुप चाप लेट गया. तब प्रतिभा बोली, "क्या हुआ रुक क्यों गये? 5-6 धक्के और मार देते तो मेरी चूत झाड़ जाती. क्या तुम मुझे चोद्ते चोद्ते तक गये क्या?" मैं तब प्रतिभा की चूंची को अपने मुँह से निकालते हुए बोला, "आरे यार समझती नही क्या? मुझे लगा कि मेरा लंड अपना पानी छ्चोड़ने वाला है और इसीलिए मैं तुम्हारी चूत की चुदाई थोड़ी देर के लिए रोक दी ताकि लंड का जोश थोरा ठंडा हो जाए और मैं तुम्हे देर तक चोद सकूँ." तब प्रतिभा मेरे होठों को चूमते हुए बोली, "वाह मेरे चोदु राजा, औरतों को चोदना कोई तुमसे सीखे. किसी औरत को कैसे चुदाई से ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा मिले वो तुम्हे सब पता है. काश मेरे गन्दू पति देवता को भी एह सब मालूम होता तो मेरी चूत की एह हालत नही होती." मैं अब फिर से प्रतिभा को चोद्ते हुए पूछा, "क्यों क्या हुआ तुम्हारी चूत को. तुम्हारी चूत बहुत ही मस्त है और देखो ना कैसे अपना मुँह खोल कर मेरा लंड गपा गॅप खा रही है." तब प्रतिभा नीचे से अपनी चूतर उचकते हुए बोली, "हाँ मेरे चोदु राजा, जब तुम अपना लंड मेरी चूत को खिला रहे तो मेरी चूत को क्या ऐतराज़ है तुम्हारे लंड खाने को? वैसे तुम चोदने मे बहुत ही माहिर हो. तुम्हारा लंड खा खा कर मेरी चूत इस समय बहुत ही मस्त हो गयी है और मैं खुद बहुत हल्की हल्की महसूस कर रही हूँ. वाह क्या धक्के मार रहे हो, तुम्हारा लंड बिल्कुल मेरी चूत के जर तक पहुँच रहा है और मुझे दीवानी बना रहा है. है ऐसे ही चोद्ते रहो, रूको मत, रत भर चोदो मुझे. पता नही कल ऐसा चुदाई का मौका मिले या ना मिले."

मैं तब प्रतिभा को ज़ोर ज़ोर धक्को से चोद्ते चोद्ते कहा, "हाँ मेरी जान, तुम हो तो बहुत सेक्सी और मुझे लग रहा है की दिन मे कम से कम एक बार बिना चुडवाए तुम्हे रात को नींद नही आती होगी. बताओ ना तुम और कितने लंड अपने चूत मे पिलवा चुकी हो? वैसे जब तुम्हारे पति को गांद मरवाने और मारने का शौक है तब तुम भी क्यों नही अपनी गांद मे अपने पति का लंड लेती हो. उसमे कम से कम तुम्हारे पति गांद मारने के लिए घर के बाहर नही जाएँगे." मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा पहले तो मुस्कुरा दी और फिर बोली, "वाह रे मेरे चूत के राजा, अगर मैं भी अपनी गांद मरवाती तो क्या तुम मुझे ऐसे अपने कमरे मे नंगी लिटा कर अपने लंड से मेरी चूत चोद पाते? मैं भी इस समय अपने पति के या अपने घर के किसी नौकर के लंड अपनी गांद मे लेकर सो रही होती. वैसे मुझे गांद मरवाने की कोई शौक नही है, मुझे गांद मरवाने मे घिन सी लगती है. और जब मेरे पास मरवाने के लिए चूत है तो मैं क्यों गांद मे लंड डल वाउ? असल मे बात एह है कि तुम सब मर्द एक जैसे हो. जो चीज़ मिल रही है उसकी कोई कदर नही और जो चीज़ नही मिलती तो उसके लिए दीवाने रहते हो. चलो हटो मेरे ऊपेर से मुझे अब नही चुदवाना तुमसे. निकालो अपना लंड मेरी चूत से मुझे जाने दो."

मैं तब प्रतिभा को अपने बाहों मे समाते हुए उसकी चूंची पर चुम्मा देते हुए 5-6 ज़ोर दर धक्के मारे और बोला, "अरे प्रतिभा रानी, क्यों नाराज़ हो रही हो? मैं तुमसे मज़ाक कर रहा था. अरे तुम्हरी अपनी चूत और गांद है. तुम जिसमे चलो लंड डलवओ, मुझे तो बस इस समय तुम्हे चोदने दो. मुझको इस समय रोको मत." तब प्रतिभा अपनी कमर उचकते हुए बोली, "आरे चोदो ना राजा, मैं कब मना कर रही हूँ. बस तुम मुझे गांद मरवाने की बात मतकरो, चूत मे चाहे जितनी मर्ज़ी लंड पेलो, रात भर चूत मे लंड कर परे रहो मुझे कोई इतराज़ नही. वैसे अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से धक्के मारो मैं झदाने वाली हूँ." मैं तब प्रतिभा के चूनचेओं को अपने हाथों मे पकड़ कर अपना कमर झटकों के साथ हिला हिला कर प्रतिभा को चोदने लगा. प्रतिभा भी अपने दोनो पैरों को मेरे कमर पर डाल कर अपनी चूतरों को उछाल उछाल कर मेरे लंड के धक्को का जवाब देने लगी और बोली, "चोदो, चोदो मेरे चोदु राजा, और ज़ोर से पेलो मेरी चूत मे अपना लंड. आज मेरी चूत को फार डालो, चूत के छितरे उरा दो, लेकिन मेरी चूत की कसम अभी रुकना मत, बस ऐसे ही पेलते रहो मुझे. बहुत मज़ा आ रहा है. हाई क्या चोद्ते हो. तुम धक्के मेरी चूत मे मार रहे हो, और चोट मेरे दिल तक पहुँच रहा है. है हाई मैं झाड़ रही हूऊऊओन. पीईईईईलो और टीईईईेज़ टीईईेज़ पीईईईईलो अपना लुउउुउऊन्ड है मैं गइईईईईई! हाई चूऊऊओदो, रुउउउउउउक्न नाहहिईीईईईईईईई ईईईईई. ओह! ओह! हा! हाया! वाह वाह मेरी चूऊओत को फ़ाआआर डाआाआलूऊऊऊऊ ओ." और प्रतिभा झाड़ गयी. तब मैं तेज़ तेज़ धक्के मार कर पना लंड पूरा का पूरा प्रतिभा के चूत मे डाल अपना लंड का पानी से प्रतिभा की चूत को भर दिया. मेरे झरने के साथ साथ प्रतिभा एक बार फिर से झाड़ गयी और मुझसे लिपट गयी और मुझे चूमने लगी.

मैं तब प्रतिभा के ऊपेर से नीचे उतरा और प्रतिभा की चूनचेओं से खेलने लगा. प्रतिभा मुझे रोकते हुए बोली, "रूको मेरे राजा, मुझे टाय्लेट जाना है." "क्यों टाय्लेट क्यों जाना है?" मैने प्रतिभे की चूंची को दबाते हुए पूछा. प्रतिभा तब मेरे मुरझाए हुए लंड को पकर कर हिलाते हुए बोली, "टाय्लेट क्यों जाया जाता है? यह भी नही मालूम?" मैने भी मज़ाक मज़ाक ने बोला, "नही मालूम की तुम क्यो टाय्लेट जाना चाहती हो." तब प्रतिभा बोली, "अरे मुझे पिशाब लगी है और मुझे टाय्लेट मे जा कर पिशाब करनी है. समझे मेरे भोले राजा?" तब मैने प्रतिभा की चूनचेओं की ज़ोर से दबाते हुए बोला, "तो ऐसे बोलो ना. की तुम्हे टाय्लेट जा कर अपनी चूत से सिटी बजानी है. मुझे चूत की सिटी सुनना बहुत अच्छा लगता है. मैं जब छोटा था तो अक्सर मैं बाथरूम के बाहर चुप कर अपनी मा और बहन की चूत की सिटी सुनता था. चलो आज मैं तुम्हारे सामने बैठ कर तुम्हारी चूत की सिटी सुनूँगा." प्रतिभा मेरे बातों को सुन कर खिलखिला कर हंस दी और बोली, "धाआत! ऐसा भी कहीं होता है? मुझे तुम्हारे सामने बैठ कर पिशाब करने मे बहुत शरम करोगी और फिर तुम मेरे सामने बैथोगे तो मुझे पिशाब ही नही होगी. तुम्हे मेरी चूत की सिटी सुननी है तो टाय्लेट के बाहर खड़े हो कर सुनो." मैं तब ज़िद करते हुए बोला, "क्यों नही हो सकता है? तुम जब शाम से अबतक मेरे सामने नंगी लेट कर अपनी चूत मेरे लंड से चुदवा सकती हो और अब तुम्हे मेरे सामने बैठ कर अपनी नंगी चूत से पिशाब करने मे शरम आएगी? तुम मेरे सामने बैठ कर पिशाब क्यों नही कर सकती? नही आज तो मैं तुम्हरे सामने बैठ कर तुम्हरी चूत से पिशाब निकलते देखने चाहता हूँ."

मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा बोली, "तुम बहुत ज़िद्दी हो. चलो आज मैं तुम्हे अपनी चूत से पिशाब निकलते हुए दिखलाती हूँ और साथ साथ अपनी चूत से निकलते हुए पिशब पिलाती भी हूँ. चलो मेरे साथ टाय्लेट चलो." इतना कह कर प्रतिभा पलंग से उठ कर नीचे खड़ी हो गयी और नंगी ही टाय्लेट के तरह चलने लगी. मैं भी तब प्रतिभा के गोल गोल चूतरों पर हाथ फेरते हुए प्रतिभा के पीछे पीछे टाय्लेट चला गया. टाय्लेट मे पहुँच कर पहले प्रतिभा ने अपना चहेरा धोया और एक तौलिया भीगा कर अपने पूरे बदन को पोंचा. फिर उसने मेरे तरफ देखकर बोली, "हां अब बोलो क्या तुम्हे मेरी चूत की सिटी सुन्नी है और क्या तुम्हे मेरी चूत से पिशब निकलते हुए देखना है?" मैं जब हां किया तो प्रतिभा बोली, "चलो टाय्लेट के फर्श पर लेट जाओ." मैं चुप चाप टाय्लेट के फर्श पर लेट गया. तब प्रतिभा मेरे मुँह के पास अपनी चूत रख कर मेरे सीने के ऊपेर अपनी चूतर रख कर बैठ गयी. बैठने के बाद प्रतिभा ने एक बार झुक कर मुझे चूमा और फिर मेरे सिर अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपनी चूत से पिशब की धार छोड़ दी. प्रतिभा की चूत से निकलती मूत की धार ठीक मेरे मुँह पर गिर रही थी और प्रतिभा ने मेरे सर को पकड़ रखी थी. इसलिए मैं अपना मुँह खोल कर प्रतिभा की चूत से निकलते पिशब की धार को पीने लगा. 3-4 मिनूट तक पिशब की धार लगातार चल रही थी और फिर रुक रुक कर मेरे मुँह पर गिरने लगी. मैं समझ गया कि प्रतिभा की पिशब की थैली खाली हो गयी है. तब मैने अपना हाथ उठा कर प्रतिभा के दोनो चूंचियो को पकड़ मसल्ने लगा.

पिशब ख़तम होते ही प्रतिभा मुझसे बोली, "कैसा लगा मेरी चूत से निकलती पिशब की धार पीके? मज़ा आया की नही?" मैं तब प्रतिभा से बोला, "यार मज़ा आ गया. मैं तो कहीं एक किताब मे पढ़ा था कि हसीन औरतों की पिशब की टेस्ट भी बहुत अच्छा होता है. आज तुमने अपनी पिशाब पीला कर वो बात साबित कर दिया. सही मे तुम्हारी इतनी सुंदर चूत से निकलता पिशाब की धार देख कर आज मैं धन्य हो गया." मैं प्रतिभा से पूछा, "अब क्या प्रोग्राम है?" तब प्रतिभा बोली, "आरे अभी तो रात बहुत बाकी है और इसका पूरा का पूरा फ़ायदा मुझे उतनी है." "ठिक्क है"मैं बोला. तब प्रतिभा मेरे ऊपेर से उठ कर खरी हो गैई और बोली, "क्या तुम्हे पिशाब नही करना? चलो अभी तुम भी पिशाब कर्लो फिर हुमलोग फिर से पलंग पर चलते हैं." मैं तब उठ कर अपना लंड अपने हाथ से थाम कर पिशब करने की त्यआरी करने लगा. तब प्रतिभा आगे बढ़ कर मेरे लंड को पकर कर बोली, "आरे मैं हूँ ना? तुम खुद क्यों पकर्ते हो अपना लंड. लाओ मुझे पाकरने दो तुम्हारा लंड." इतना कहा कर प्रतिभा मेरे लंड को पकर लिया और बोली, "चलो मेरे राजा, अब मुझे भी दिखलाओ तुम्हारे लंड से निकलते पिशब की धार को." मैं तब प्रतिभा की चूनचेओं को पकर कर पिशब करने लगा. मुझे पिशब करते हुए अभी सिर्फ़ 10-15 सेकेंड्स ही हुए थे की प्रतिभा झुक कर मेरा लंड जिसमे से अभी भी पिशब निकल रहा था, अपने मुँह मे भर लिया और मेरी तरफ देख कर मुझे आँख मार दी. प्रतिभा मेरे लंड को अपने मुँह मे भर कर मेरे पिशब को गतगत पीने लगी और जब मेरा पिशब निकलने बंद हो गया मेरे लंड को मुँह से निकाल कर जीव से अपने होठों को साफ किया और बोली, "मज़ा आ गया. मुझे बहुत दीनो से इच्छा थी कि मैं किसी जवान मर्द के टगरे लंड से निकलता हुआ पिशब पी लूँ और आज मेरी इच्छा पूरी हुई. थॅंक्स"

मैंने तब आगे बढ़ कर प्रतिभा को चूम लिया और हम लोग वापस कमरे मे आ कर पलंग पर बैठ गये. प्रतिभा झट से लेट गयी और मेरे सीने मे अपना एक हाथ फेरती रही. थोरी देर के बाद मैं प्रतिभा से बोला, "यार तुम बहुत ही सेक्सी चीज़ है. मुझे तो लगता नही कि तुमने अबतक बहुत से लंड अपने चूत को खिलाए होंगे. बोल ना कितने लंड खाए अब तक?" प्रतिभा मेरे तरफ देख मुस्कुरा ड़ी और बोली, "मुझे तो अब याद भी नही कि मैं अब तक कितने लंड खा चुकी हूँ अपनी चूत से. छोरो एह सब बातें और चलो हुमलोग फिर से शुरू करें अपनी चुदाई की गाथा." मैं तब अपने एक हाथ से प्रतिभा की चूतरों को सहलाता हुआ बोला, "यार मेरी जान, तुम उस समय इतना बिदक गयी जिसका कोई इंतिहहा नही. मुझे तो ऐसा लगा कि सचमुच मुझे अपने ऊपेर से हटा कर तुम अपने कमरे मे सोने के लिए चली जाओगी और मैं अपने लंड पर मुट्त् मार सो जौंगा." प्रतिभा तब बोली, "और क्या मुझे बहुत गुस्सा आ गयी थी. तुम बात ही ऐसी कर रहे थी. जब औरतों के मरवाने के लिए भगवान ने चूत दी है तो गांद क्यों मरवाई जाए?" तब मैं प्रतिभा से बोला, "अच्छा छोड़ो और एक छोटी सी कहानी सुनो. प्रतिभा बोली, "इरशाद, इरशाद."

क्रमशः......................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा
एक सुहानी याद पार्ट -1
एक सुहानी याद पार्ट -2
एक सुहानी याद पार्ट -3
एक सुहानी याद पार्ट -4


EK SUHANI YAAD paart--3

gataank se aage..........................
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Thori der ke bad mujhe bhi laga ki ab jyada der ruk nahi sakta aur isliye mai apna Lund ek bar jar tak Pratibha ki choot me pel kar uski ek chunchee apne munh me bhar kar chup chap let gaya. Tab Pratibha boli, "kya hua ruk kyon gaye? 5-6 dhakke aur mar dete to meri choot jhad jatee. Kya tum mujhe chodte chodte thak gaye kya?" Mai tab Pratibha ki chunchee ko apne munh se nikalte hue bola, "aare yaar samjhtee nahee kya? Mujhe laga ki mera lund apna Pani Chhodne wala hai aur isiliye mai tumhari choot ki chudai thodi der ke liye rok dee taki lund ka josh thora thanda ho jaye aur mai tumhe der tak chod sakun." Tab Pratibha mere hothon ko chumte hue boli, "wah mere chodu raja, auraton ko chodna koi tumse sikhe. Kisi aurat ko kaise chudai se jyada se jyada maza mile woh tumhe sab pata hai. Kash mere gandu pati devta ko bhi eh sab malum hota to meri choot ki eh halat nahi hotee." Mai ab phir se Pratibha ko chodte hue pucha, "kyon kya hua tumharee choot ko. Tumharee choot bahut hi mast hai aur dekho na kaise apna munh khol kar mera lund gapa gap kha rahee hai." Tab Pratibha neeche se apni chutar uchkate hue boli, "haan mere chodu raja, jab tum apna lund meri chhot ko khila rahe to meri choot ko kya aitraz hai tumhare lund khane ko? Waise tum chodne me bahut hi mahir ho. Tumhara lund kha kha kar meri choot is samay bahut hi mast ho gayee hai aur mai khud bahut halkee halkee mahasoos kar rahi hoon. Wah kya dhakke mar rahe ho, tumhara lund bilkul meri choot ke jar tak pahunch raha hai aur mujhe disanee bana raha hai. Hai aise hi chodte raho, ruko mat, rat bhar chodo mujhe. Pata nahi kal aisa chiudai ka mauka mile ya na mile."

Mai tab Pratibha ko jor jor dhakko se chodte chodte kaha, "yyar meri jaan, tum ho to bahit sexy aur mujhe lag raha hai ki din me kam se kam ek baar bina chudwaye tumhe rat ko neend nahi aatee hogi. Batao na tum aur kitne lund apne choot me pilwa chuki ho? Waise jab tumhare pati ko gaand marwane aur marne ka shuke hai tab tum bhi kyon nahi apni gaand me apne pati ka lund leti ho. Usme kam se kam tumhare pati gaand marne ke liye ghar ke bahar nahi jayenge." Mere baton ko sun kar Pratibha pahale to muskura dee aur phir boli, "wah re mere choot ke raja, agar mai bhi apni gaand marwatee to kya tum mujhe aise apne kamare me nangee lita kar apne lund se meri choot chod pate? Mai bhi is samay apne pati ke ya apne ghar ke kisi naukar ke lund apni gaand me lekar so rahee hotee. Waise mujhe gaand marwane ki koi shauk nahi hai, mujhe gaand marwane me ghin si lagtee hai. Aur jab mere pas marwane ke liye choot hai to mai kyon gaand me lund dalwaun? Asal me bat eh hai ki tum sab mard ek jaise ho. Jo cheez mil rahi hai uski koi kadar nahi aur jo cheez nahi miltee to uske liye dewane rahate ho. Chalo hato mere ooper se mujhe ab nahi chudwana tumse. Nikalo apna lund meri choot se mujhe jane do."

Mai tab Pratibha ko apne bahon me samate hue uski chunchee par chumma dete hue 5-6 jor dar dhakke mare aur bola, "are Pratibha Rani, kyon naraj ho rahi ho? Mai tumse mazak kar raha tha. Are tumhree apni choot aur gaand hai. Tum jisme chalo lund dalwao, mujhe to bas is samay tumhe chodne do. Mujhko is samay roko mat." Tab Pratibha apni kamar uchkate hue boli, "aare chodo na raja, mai kab mana kar rahi hoon. Bas tum mujhe gaand marwane ki bat karo, choot me chahe jitnee marzee lund pelo, rat bahr choot me lund kar pare raho mujhe koi itraz nahi. Waise ab jara jor jor se dhakke maro mai jhadane wali hoon." Mai tab Pratibha ke chuncheon ko apne hathon me pakar kar apna kamar jhatkon ke sath hila hila kar Pratibha ko chodne laga. Pratibha bhi apne dono pairon ko mere kamar par dal kar apni chutaron ko uchal uchal kar mere lund ke dhakko ka jawab dene lagi aur boli, "chodo, chodo mere chodu raja, aur jor se pelo meri choot me apna lund. Aaj meri choot ko phar dalo, choot ke chithre ura do, lekin meri choot ki kasam abhi rukna mat, bas aise hi pelte raho mujhe. Bahut maza aa raha hai. Hai kya chodte ho. Tum dhakke meri choot me mar rahe ho, aur chot mere dil tak pahunch raha hai. Hai Hai mai jhad rahi hooooooon. Peeeeeeeeeelo aur teeeeeeeeez teeeeeeez peeeeeeeeeelo apna luuuuuund hai mai gayeeeeeeeeeeeee! Hai chooooooodo, ruuuuuuukna nahhhhhhiiiiiiiiiii iiiiii. Oh! Oh! Ha! Haaaa! Wah wah meri chooooot ko phaaaaaar daaaaaaaloooooooooo o." Aur Pratiha jhad gayee. Tab mai tez tez dhakke mar kar pna Lund pura ka pura Pratibha ke choot me dal apna Lund ka Pani Se Pratibha ki choot ko bhar diya. Mere jharne ke sath sath Pratibha ek bar phir se jhad gayee aur mujhse lipat gayee aur mujhe chumne lagi.

Mai tab Pratibha ke ooper se neeche utra aur Pratibha ki chuncheon se khelne laga. Pratibha mujhe rokte hue boli, "ruko mere raja, mujhe toilet jana hai." "Kyon toilet kyon jana hao?" Maine Pratibhe ki chunchee ko dabate hue pucha. Pratibha tab mere murjhae hue lund ko pakar kar hilate hue boli, "toilet kyon jaya jata hai? Yeh bhi nahi malum?" Maine bhi mazak mazak ne bola, "nahi malum ki tum kyo toilet jana chahatee ho." Tab Pratibha boli, "are mujhe pishab lagi hai aur mujhe toilet me ja kar pishab karni hai. Samajhe mere bhole raja?" Tab maine Pratibha ki chuncheon ki jor se dabate hue bola, "to aise bolo na. Ki tumhe toilet ja kar apni choot se sitee bajani hai. Mujhe choot ki sitee sunna bahut achcha lagta hai. Mai jab chota tha to aksar mai bathroom ke bahar chup kar apne maa aur bahan ki choot ki sitee sunta tha. Chalo aaj mai tumhare samne baith kar tumharee choot ki sitee sununga." Pratibha mere baton ko sun kar khilkhila kar hand dee aur boli, "dhaaaat! Aisa bhi kaheen hota hai? Mujhe tumhare samne baith kar pishab karne me bahut sharam kagegee aur phir tum mere samne baithoge to mujhe pishab hi nahi hogi. Tumhe meri choot ki sitee sunnee hai to toilet ke bahar khade ho kar suno." Mai tab zid karte hue bola, "kyon nahi ho sakta hai? Tum jab sham se abtak mere samne nangee let kar apni choot mere Lund se chudwa saktee ho aur ab tumhe mere samne baith kar apni nangee choot se pishab karne me sharam aaegee? Tum mere samne baith kar pishab kyon nahee kar saktee? Nahi aaj to mai tumhre samne baith kar tumhri choot se pishab niklte dekhne chahata hoon."

Mere baton ko sun kar Pratibha boli, "tum bahut ziddi ho. Chalo aaj mai tumhe apni choot se pishab niklte hue dikhlatee hoon aur sath sath apni choot se nikalte hue pishab pilatee bhi hoon. Chalo mere sath toilet chalo." Itna kah kar Pratibha palang se uth kar neeche khadee ho gayee aur nangee hi toilet ke tarah chalne lagi. Mai bhi tab Pratibha ke gol gol chutaron par hath pherte hue Pratibha ke peche peche toilet chala gaya. Toilet me pahunch kar pahale Pratibja ne apna chehera dhoya aur ek tauliya bhiga kar apne pure badan ko poncha. Phir usne mere taraf dekhkar boli, "haan ab bolo kya tumhe meri choot ki sitee sunni hai aur kya tumhe meri choot se pishab nikalte hue dekhna hai?" Mai jab haan kiya to Pratibha boli, "chalo toilet ke farsh par let jao." Mai chup chap toilet ke farsh par let gaya. Tab Pratibha mere munh ke pas apni choot rakh kar mere cine ke ooper apni chutar rakh kar baith gayee. Baithne ke bad Pratibha ne ek bar jhuk kar mujhe chuma aur phir mere sir apne dono hathon se pakar kar apni choot se pishab ki dhar chod dee. Pratibha ki choot se nikaltee moot ki dhar theek mere munh par gir rahi thee aur Pratibha ne mere sar ko pakar rakhee thee. Isliye mai apna mun khol kar Pratibha ki choot se nikalte pishab ki dhar ko pine laga. 3-4 minut tak pishab ki dhar lagatar chal rahi thee aur phir ruk ruk kar mere munh par girne lagi. Mai samajh gaya ki Prtibha ki pishab ki thailee khalee ho gayee hai. Tab maine apna hath utha kat Pratibha ke dono chuncheon ko pakad masalne laga.

Pishab khatam hote hi Pratibha mujhse boli, "kaisa laga meri choot se nikaltee pishab ki dhar peekay? Maza aaya ki nahi?" Mai tab Pratibha se bola, "yaar maza aa gaya. Mai to kahin ek kitab me parha tha ki haseen auraton ki pishab ki taste bhi bahut achcha hota hai. Aaj tumne apni pishab pila kar wo bat sabut kar diya. Sahi me tumharee itni sundar choot se niklata pishab ki dhar dekh kar aaj mai dhanya ho gaya." Mai Pratibha se pucha, "ab kya programme hai?" Tab Pratibha boli, "aare abhi to rat bahut baki hai aur iska pura ka pura faida mujhe uthani hai." "Thikk hai"mai bola. Tab Pratibha mere ooper se uth kar khari ho gaiee aur boli, "kya tumhe pishab nahi karna? Chalo abhi tum bhi pishab karlo phir humlog phir se palang par chalte hain." Mai tab uth kar apna lund apne hath se than kar pishab karne ki tyaree karne laga. Tan Pratibha aage barh kar mere lund ko pakar kar boli, "aare mai hoon na? Tum kuhd kyon pakrte ho apna lund. Lao mujhe pakarne do tumhara lund." Itna kaha kar Pratibha mere lund ko pakar liya aur boli, "chalo mere raja, ab mujhe bhi dikhlao tumhare lund se nikalte pishab ki dhar ko." Mai tab Pratibha ki chuncheon ko pakar kar pishab karne laga. Mujhe pishab karte hue abhi sirf 10-15 seconds hi hue the ki Pratibha jhuk kar mera lund jisme se abhi bhi pishab nikal raa tha, apne munh me bhar liya aur meri taraf dekh kar mujhe ankh mar dee. Pratibha mere lund ko apne munh me bhar kar mere pishab ko gatagat pine lagee aur jab mera pishab nikalne band ho gaya mere lund ko munh se nikal kar jeev se apne hothon ko saf kiya aur boli, "maza aa gaya. Mujhe bahut dino se ichcha thee ki mai kisi jawan mard ke tagre lund se nikalta hua pishab pee loon aur aaj meri ichcha puri huee. Thanks"

Mai tab aage barh kar Pratibha ko chum liya aur hum log wapas kamare me aa kar palang par baith gaye. Pratibha jhat se let gayee aur mere cine me apna ek hath phertee rahi. Thori der ke bad mai Pratibha se bola, "yaar tum bahut hi sexy cheej hai. Mujhe to lagta ahi ki tumne abtak bahut se lund apne choot ko khilaye honge. Bol na kitne lund khaye ab tak?" Pratibha mere taraf dekh muskura dee aur boli, "mujhe to ab yad bhi nahi ki mai ab tak kitne Lund kha chuki hoon apni choot se. Choro eh sab baten aur chalo humlog phir se shuru karen apni chudai ki gatha." Mai tab apne ek hath se Pratibha ki chutaron ko sahalata hua bola, "yaar meri jaan, tum us samay itna bidak gayee jiska koi intihha nahi. Mujhe to aisa laga ki sachmuch mujhe apne ooper se hata kar tum aone kamare me sone ke liye chali jaogee aur mai apne lund par mutth mar so jaunga." Pratibha tab boli, "aur kya mujhe bahut gussa aa gayee thee. Tum bat hi aisee kar rahe thee. Jab auraton ke marwane ke liye bhagwan ne choot dee hai to gaand kyon marwai jaye?" Tab mai Pratibha se bola, "achcha choro aur ek choti si kahani suno. Pratibha boli, "irshad, irshad."












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj












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