बाली उमर की प्यास पार्ट--36
गतान्क से आगे..................
"आ गयीं दीदी?" पिंकी की नटखट आवाज़ कानो में पड़ते ही मीनू ऐसे उच्छल पड़ी जैसे उसको किसी बिच्छू ने काट लिया हो... मीनू ने रात करीब 12:30 बजे उपर कमरे में पैर रखा था....
"आ..हां.. ना..न्ना.. पेट खराब है म्म्मेरा... बाथरूम गयी थी... तू उठ क्यूँ गयी.. अभी तो सारी रात बाकी है...!" मीनू का साया बाहर चाँद की रोशनी में साफ साफ कांपता हुआ सा देखा जा सकता था....
"अभी तो मैं सोई ही नही हूँ दीदी... आपकी राह देख रही थी.. आप उपर कब आईं....?" पिंकी को मैने लाख समझाया था की उसको आते ही कुच्छ मत बोलना.. पर पता नही वह किस मिट्टी की बनी हुई थी....
"म्म्मैन.. त्तु.. सोई क्यूँ नही..." मीनू को उगलते बना ना निगलते... वह पिंकी के पास जाकर लेट गयी...,"तू मम्मी को नही बोलेगा ना पिंकू?" मक्खांबाज़ी शुरू...
"हे हे हे हे हे...!" हँसी पिंकी के दिल की गहराइयों से निकली थी...
"हंस क्यूँ रही है..? बता ना? मम्मी को बोलेगी क्या?" पिंकी की हँसी मीनू को सामने खड़े किसी भयंकर देत्य की हुंकार से कम नही लगी होगी.. उसका आवाज़ बैठ सी गयी..
"पहले बताओ.. लंबू से प्यार करती हो ना...?" पिंकी फोकट में ही नखरे दिखाने लगी..
"प्लीज़.. तेज़ मत बोल.. अंजू जाग जाएगी... आजा.. मेरी प्यारी पिंकू..!" ये तो होना ही था...
"पर वो तो जाग रही है... ऐसे ही आक्टिंग कर रही है सोने की... अन्जुउउ.." पिंकी ने कहकर मेरी रज़ाई खींच ली...
मैं सोने का बहाना किए रही... मेरा ख़याल था कि पिंकी मीनू से सब कुच्छ पूच्छ लेगी जो मीनू शायद मुझसे शे-अर् ना करती...
"अंजू.. ये क्या नाटक है यार.. जाग रही है तो बोल दे ना!" मीनू की सकपकाई हुई आवाज़ मेरे कानो में पड़ी तो मैं चुप ना रह सकी...,".. दीदी.. वो हम बातें कर रहे थे.. अभी तक.....!"
मीनू के पास अब कोई चारा नही बचा था.. खड़ी होकर उसने लाइट 'ऑन' कर दी... और गुम्सुम सी सिर झुकाए हमारे बीच आकर बैठ गयी...
"क्या हुआ दीदी.. तुम उदास क्यूँ हो...?" पिंकी मीनू को नाराज़ नही देख सकती थी...
"कुच्छ नही.. तुम लोग किसी को बतओगि तो नही ना....?" मीनू ने सिर झुकाए हुए ही कहा....
"नही दीदी.. आपकी कसम.. मैं किसी को नही बताउन्गि... पर बताओ ना... लंबू से प्यार..."
पिंकी की बात अधूरी ही रह गयी... मीनू ने लगभग झूमते हुए चीख कर इकरार किया...,"हाआआअन.. अब तो बस करो मेरी अम्मा!" मीनू ने कहा और आगे झुक कर अपने चेहरे को रज़ाई में च्छूपा लिया....
"पूरी बात बताओ ना दीदी...", पिंकी ने मीनू के सिर को पकड़ कर उपर उठाने की कोशिश की..,"लंबू ने तुम्हे चोद दिया क्या?"
पिंकी की इस बात पर मैं भी आस्चर्य से आँखें फाड़ कर उसके मासूमियत से भरे चेहरे को देखने लगी.. मीनू का क्या हाल हुआ होगा.. आप खुद ही अंदाज़ा लगा लो... मीनू अचानक सीधी हुई; हड़बड़कर एक नज़र मुझे देखा और फिर गुस्से और लज्जा से तमतमयी हुई पिंकी को देखने लगी... उसका मुँह अभी तक खुला हुआ था....
पिंकी मीनू की आँखों की भाषा पढ़ कर समझ गयी कि उसने कुच्छ ग़लत बोल दिया है.. थोडा सकुचा कर पिछे सरकते हुए बोली...,"क्या हो गया दीदी...?" मीनू के थप्पड़ से बचने के लिए वह पहले ही अपना बयान हाथ अपने गाल पर ले गयी थी...
"क्या हुआ की बच्ची.. कहाँ से सीखी तूने ये बात...?" मीनू अपने आवेगो को दबाती हुई बड़बड़ाई... अगर उसका 'राज' पिंकी के पास ना होता तो एक झापड़ तो पक्का था ही... पिंकी की उस बात पर...
"क्कौनसी बात दीदी...?" पिंकी सहम कर बककफूट पर आ गयी... उसका हाथ अभी तक उसके गाल की ढाल बना हुआ था....
"यही....." मीनू सच में गुस्से में थी..,"जो तूने अभी बोली थी...!"
"अच्च्छा.. ववो... वो तो मुझे खुद ही पता है... नंगे होकर प्यार करें तो यही तो बोलते हैं...!" पिंकी ने मासूमियत से जवाब दिया...
"म्मै तेरी.... हे भगवान..! कैसे सम्झाउ इस पागल को..." पिंकी के बच्पने पर मीनू ने अपना माथा पीट लिया... और फिर अचानक जाने क्या सोच कर उसकी हँसी छूट गयी...,"किसी और के सामने मत बोलना ये बात.. बहुत गंदी गाली है...!" मीनू ने पिंकी के कंधों को पकड़ कर उसको झकझोर सा दिया...
"मैं पागल हूँ क्या..? किसी और के सामने क्यूँ बोलूँगी... मैं तो बस आप ही से पूच्छ रही थी...!" पिंकी ने अपना मुँह फूला लिया..
"ना.. मुझसे भी मत करना ये बात कभी... समझ गयी मेरी लाडो!" मीनू ने उसको गले से लगा लिया...
"तो किस'से करूँ दीदी...?" पिंकी के सवाल ख़तम ही नही हो रहे थे...
"चुप हो जा मेरी अम्मा... आजा सो जा... जब तू बड़ी होकर किसी से प्यार करेगी तो सब समझ आ जाएगा... किसी से पूच्छने की ज़रूरत नही पड़ेगी.. समझी...?"
"पर मैं तो अभी से प्यार करती हूँ...!" पिंकी ने एक और गोला भटका दिया... मीनू तो बस उसको देखती ही रह गयी..,"तू? .... किस'से?"
पिंकी ने मीनू के कान में कुच्छ कहा... मुझे सुना नही.. पर मैं समझ गयी थी.....
"अच्च्छा बेटा.... इसीलिए तू बार बार पैसे देकर आने की रट लगा रही है... कहीं नही जाना तुझे... अब देती हूँ मैं तेरे को पैसे....!" मीनू गरमाई नही थी.. खाली बंदैर्घूड़की ही दे रही थी शायद....
"हुन्ह.. हूंनूः.. अब इसको भी पता चल गया होगा... आपने क्यूँ बोला...?" पिंकी अपना नीचे वाला होन्ट बाहर निकाल कर रुन्वसि सी हो गयी...
"कहाँ जाएगी अभी से प्यार करके तू..? इत्ति सी तो है... संभाल जा छ्होरी.. सँभाल जा...!" मीनू पिंकी की और आँखें निकालती हुई बोली....
"आप कर सकते हो तो मैं क्यूँ नही कर सकती... मैं क्या करूँ.. मुझे वो बहुत अच्च्छा लगता है...!" पिंकी बग़ावत पर उतर आई....
"चुप होगी तभी तो बताउन्गि... मानव मुझसे शादी करने वाला है.. अपने घर वालों को यहाँ भेजेगा....!" मीनू ने खुशी से झूमते हुए तकिया उठाकर अपनी गोद में रख लिया....
"सच!" पिंकी की आँखें चमक उठी... अपने प्यार को भूल कर 'वो' दीदी के जबातों को महसूस करती हुई बोली...
"हाँ तेरी कसम...! कितना अच्च्छा है ना 'वो'?" मीनू ने उसको कहने के बाद मेरी तरफ देखा.. मैं भी मुस्कुराती हुई उठकर बैठ गयी....
"हॅरी उस'से भी अच्च्छा है... भूल गयी हमें कितनी चीज़ें खिलाई थी शहर में... बैठकर गाड़ी में गाँव भी लेकर आया था... बेचारा...!" पिंकी तुलना पर उतर आई...,"लंबू ने तो मुझे पता है क्या बोला था शहर आते ही... 'इसको क्यूँ उठा लाए?" पिंकी ने उसकी नकल करते हुए अपनी आँखें गोल कर ली...
"हे भगवान... कौन बुद्धि देगा तेरे को...? तू और तेरा हॅरी... बस कर अब.. सो जा!"
"तुम किस'से प्यार करती हो अंजू...? तुम भी बताओ ना...?" पिंकी का ये 'वो' सवाल था जिसको मैं कभी भुला नही पाउन्गि....
मेरे होन्ट खुले के खुले रह गये... मैं अवाक सी उन्न दोनो को देखती रह गयी... अपने मंन का; अपने दिल का कोना कोना छान मारा... पर 'ऐसी' कोई तस्वीर मेरे जहाँ में आई ही नही जिसको मैं 'अपना' कह सकती... ऐसा कोई अक्स मेरे मानस पटल पर उकेरा ही नही गया था जिसको याद करके मैं 'वैसी' ही चमक अपनी आँखों में ला पाती जैसी उस वक़्त मीनू और पिंकी की आँखों में मुझे दिखाई दे रही थी... दरअसल मैने 'दिल' को टटोला तो उसको खाली पाया...
उल्टा मेरे दिल ने ही मुझसे सवाल सा किया..," प्यार? .... ये क्या होता है अंजू..!" और जवाब में मेरे अंदर के ख़ालीपन से एक टीस सी उभर कर 'दर्दनाक कसक' के रूप में मेरे चेहरे पर च्छा गयी.... एक 'आह' मेरे अंदर से निकली तो मुझे महसूस हुआ जैसे शादियों बाद मैने साँस ली हो.... पर 'वो' भी खाली ही थी.. नितांत अकेली....
"क्या हुआ अंजू?" मेरे चेहरे के भावों को पढ़ते हुए मीनू ने पकड़ कर मुझे हिलाया....
"क्कुच्छ नही..." मैने नज़रें झुका ली....
"कुच्छ तो बात है यार.. किसी ने चीट किया है क्या?" मीनू ने पूचछा...
जिसने आज तक खुद को ही छला हो.. उसके साथ कोई क्या 'चीट' करेगा..... मैं एक बार फिर अपने मंन की परतें उघेदने लगी... बचपन से आज तक.. जो कुच्छ देखा समझा है.. मैं तो उसी को 'प्यार' मानती आई थी... मैने तो आज तक यही जाना था की प्यार खाली 'करने' की चीज़ है.. मुझे नही पता था कि 'प्यार' को चेहरे के नूर और आँखों में अनोखी चमक से महसूस किया जाता है.. जैसा उन्न दोनो के चेहरो पर दिख रहा था.... मुझे कहाँ पता था कि कपड़े उतारने को 'प्यार' नही बोलते.. !
अपने रूप सौंदर्या पर गर्व करके हमेशा गर्दन ऊँची करके चलने वाली मैं अचानक उन्न दोनो के सामने खुद को तुच्च्छ और अछूत सी समझने लगी... फिर भी दिल के किसी कोने में एक इच्च्छा ज्वलंत हो रही थी... 'कोई मुझसे भी 'प्यार' करे! मैं भी किसी से 'प्यार करूँ!
"क्या हुआ? नींद में है क्या?" मीनू ने एक बार फिर मुझे हिला दिया...
"आ..आहान.. नींद आ रही है...!" मैं कुच्छ और नही बोली.....
"अच्च्छा.. चलो सो जाओ...!" मीनू बोली और लेट'ने को हुई ही थी कि वापस उठ कर बैठ गयी...,"सुन... मैं बताना भूल गयी.. पापा ने चाचा से तुम्हे कंप्यूटर क्लासस के लिए शहर भेजने को पूचछा था... उन्होने सॉफ मना कर दिया..!"
"कोई बात नही..." मैने और कोई प्रतिक्रिया नही दी...
"सुन तो.. एक बुरी खबर भी है... तुम दोनो के लिए....!" मीनू ने कहा....
"क्या है..? मेरी भी कॅन्सल हो गयी क्या?" पिंकी तुनक कर बोली....
"हाँ! चाचा कह रहे थे कि उन्होने 'गुरुकुल' में बात कर ली है.. रिज़ल्ट से पहले ही अड्मिशन चालू है.. अंजू को चाचा वहीं भेज रहे हैं दो चार दिन में... पापा कह रहे थे कि पिंकी को भी वहीं दाखिल करा देंगे.....!"
"क्या?" पिंकी गुस्से से पैर पटकती हुई बोली...,"मुझे नही जाना अभी कहीं भी... मैं च्छुतटियों का पूरा मज़ा लूँगी... पहले ही बता रही हूँ....!" पिंकी ने कहने के बाद अपनी टाँगों से मीनू को दूसरी और धकेलना शुरू कर दिया....
"मैं क्या कह रही हूँ.. पापा से बात करना...!" मीनू अपने पेट में गढ़ी हुई उसकी टाँगों को अलग हटाकर हँसती हुई बोली.....
सुबह मैं उठी तो मीनू बिस्तेर पर नही थी.. मैं हड़बड़कर उठी और तुरंत पिंकी को हिलाकर जगाया....
"क्या है.. सोने दे ना!" पिंकी नींद में ही अंगड़ाई लेती हुई सी बोली...
"मीनू...?" मैने पूचछा.....
"बाहर होगी... देख लो.. मुझे क्यूँ...?" पिंकी अचानक बोलना बंद करके झटके के साथ उठ बैठी..," कहाँ हैं दीदी?"
"वही तो मैं पूच्छ रही हूँ...? नीचे चलकर देखें?" मेरे कहने से पहले ही पिंकी बिस्तर से अलग खड़ी हो चुकी थी... उसने बाहर निकल कर बाथरूम में देखा और फिर नीचे सीढ़ियों में मुँह करके आवाज़ लगाई...,"दीदी....?"
"हां.. आ रही हूँ...!" मीनू ने नीचे से ही जवाब दिया.. कुच्छ देर बाद वह उपर ही आ गयी....
"आप फिर नीचे चले गये थे क्या?" पिंकी ने पूचछा...
"अभी तो गयी थी.. आधा घंटा पहले...." मीनू सफाई देती हुई बोली....
"झूठ.. लंबू से पूच्छून क्या?" पिंकी कहने के बाद हँसने लगी....
"मैं तेरी...." मीनू ने उसको पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया और फिर हँसने लगी...,"वो तो चला भी गया...!"
"कब? मुझे 'जीजू' को बाइ बोलना था..." पिंकी वापस खड़ी होकर शरारत से मुस्कुराइ.....
"तू बहुत बोलने लगी है आजकल... तेरा इलाज करना पड़ेगा...!" मीनू गुस्सा होने का दिखावा करती हुई बोली.. पर सच तो उसका चेहरा बयान कर ही रहा था....," चल अब काम करवा दो जल्दी जल्दी... फिर अंजू को 'वहाँ' फोन करना है...! मानव ने बोला है..."
"कहाँ?" पिंकी से पहले मैं बोल पड़ी...,"उस के पास क्या?"
"हाँ... मैने मानव को बता भी दिया की तू ही उस'से बात करती है....!" मीनू बोली...
"क्यूँ?" मैने पूचछा.....
"वो कह रहा था कि तू ज़्यादा खुलकर बात कर सकती है.. फिर मैने उसको बता ही दिया....!" मीनू ने जवाब दिया...
"हुम्म.. कोई बात नही...!" मैने कहकर अपने कंधे उचका दिए और जल्दी जल्दी काम निपटाने में लग गये....
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"उसका नंबर. तो स्विच्ड ऑफ है...!" मैने अलग जाकर नंबर. ट्राइ किया और वापस आकर हताशा में अपने कंधे उचका दिए....
"दूसरे नंबर. पर ट्राइ कर ना... उसने एक और नंबर. से भी तो फोन किया था...!" मीनू याद दिलाती हुई बोली...
"हां.. पर मुझे नंबर. याद नही है....!" मैने जवाब दिया....
"अर्रे मैने इसमें 'सेव' किया था... देना एक मिनिट....!" मीनू ने मेरे हाथ से फोन लिया और और 'वो' नंबर. ढूँढ कर फोन वापस मुझे पकड़ा दिया...,"ये ले!"
"ठीक है.. मैं ट्राइ करती हूँ..." मैं फोने लेकर वापस एक तरफ चली गयी... खुशकिस्मती से नंबर. लग गया....
"हेलो...!" उधर से एक लड़की की पैनी आवाज़ आई....
"ज्जई... 'वो' है...!" मैं लड़की की आवाज़ सुनकर हड़बड़ा गयी....
"वो?... कौन 'वो'? कहाँ मिलाया है आपने?" उधर से आवाज़ आई....
"जी वो... नाम तो पता नही.. इस नंबर. पर उनसे बात हुई है पहले...!" मैने कहा...
"रॉंग नंबर....!" उसने कहते ही फोन काट दिया और एक बार फिर मेरा इंतजार कर रही मीनू और पिंकी के पास आ गयी....,"कोई लड़की थी....रॉंग नंबर. कहकर काट दिया..."
"अच्च्छा..! क्या बोला था तूने..." मीनू ने पूचछा....
"मैं क्या बोलती.. यही बोला था कि इस नंबर. पर मेरी बात हुई थी.. अब नाम तो नही ले सकती ना! उसने बताया ही नही कभी अपने मुँह से.... नंबर. तो यही था ना....?" मैने पूचछा....
"हां यार.. नो. तो पका यही था... चल छ्चोड़.. जब 'वो' फोन ही नही करता तो हमें क्या पड़ी है... हमारा पीचछा छ्छूटना चाहिए बस!" मीनू ने कहते हुए मुझसे फोन लेकर मानव को सारी बातें बता दी...
जैसे ही मीनू ने फोन काटा.. पिंकी उसके पास जाकर बोली..,"दीदी.. ववो..!"
"क्या?"
"ववो.. मैं कह रही थी की हॅरी के पैसे दे अओन क्या?" पिंकी थोड़ा हिचक कर बोली....
"ना! कोई ज़रूरत नही है.. मैं अपने आप भिजवा दूँगी.. तू ज़्यादा स्यानी मत बन...!" मीनू ने उसको झिड़कते हुए कहा....
"प्लीज़ दीदी... हम जाते ही वापस आ जाएँगे.. जाने दो ना!" पिंकी ने मीनू के कंधे पर सिर रख लिया....
"ना... कह दिया ना.. अब गुस्सा मत दिला मुझे.. बड़ी आई प्पया...!" मीनू कुच्छ और भी बोलना चाहती थी.. पर शायद उसने बोलने से पहले अपने गिरेबान में झाँक लिया....
"ये क्या बात हुई दीदी..?" पिंकी तुनक कर उस'से दूर हट गयी...,"मैने कुच्छ बोला आपको.. आप लंबू के पास नीचे चली गयी.. और.. और... आपने 'प्यार' भी कर लिया.. मुझे भी जाने दो ना...!"
"आए.. ज़्यादा बकवास की ना...... मम्मी पापा की कसम.. मुझसे बात मत करना अब...!" मीनू गुस्से में उफान सी पड़ी....
"सॉरी!" पिंकी ने नज़रें झुका ली...
मीनू का चेहरा सफेद सा पड़ गया था और वो बचाव की मुद्रा में आ गयी...,"तुम्हारी कसम यार.. ववो.. वो तो जब उसने शादी की बात करी तो मैं एमोशनल सी हो गयी थी..... तुझे जाना है तो चली जा.. पर...."
"प्लीज़ दीदी.. हम जल्दी वापस आ जाएँगे... खुश होकर जाने दो ना! अंजू को भी तो साथ लेकर जा रही हूँ मैं...!" पिंकी एक बार फिर याचना सी करने लगी...
"ठीक है... जाओ.. पर जल्दी वापस आ जाना प्लीज़...!" मीनू ने आख़िरकार वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए हथियार डाल ही दिए....,"आकर मुझे पूरी बात बताना क्या चक्कर है ये..? और कब से है....?"
"थॅंक यू दीदी.. आइ लव यू!" पिंकी उच्छलते हुए मीनू से लिपट गयी...,"मैं सब कुच्छ बता दूँगी.. थॅंक यू... चल अंजू!"
"पिंकी तूमम्म?......... आओ!" हमें अपने सामने पाकर हॅरी हड़बड़कर कुर्सी से उठ कर खड़ा हो गया.. पर हम उसके सामने बैठे आदमी की वजह से हिचक कर दरवाजे पर ही अटक गये... पिंकी कुच्छ नही बोली...
"आओ ना.. अंदर आओ; ... कैसे आना हुआ?" हॅरी ने खड़े खड़े ही हमें दोबारा टोका...
"मैं सुबह भी आई थी.. तुम मिले ही नही...!" पिंकी सकुचते हुए बोली....
"आ.. हां.. वो आज मैं दिन भर बाहर था.. सॉरी.. बोलो..!"
पिंकी ने हमारी पीठ करके बैठे आदमी को घूर कर देखा..,"कुच्छ नही.. ऐसे ही... कुच्छ काम था...!"
"तो बोलो ना.. अंदर तो आ जाओ.. बाहर क्यूँ खड़ी हो?" हॅरी अभी तक खड़ा था...
"ओके सर.. मैं आपको बाद में फोन कर लूँगा... मेरे ख़याल से मुझे अब चलना चाहिए...!" अचानक दूसरा आदमी अपनी मौजूदगी को हॅरी की निजी जिंदगी में दखल मान कर खड़ा हुआ और हॅरी की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया...
"ठीक है.. मैं खुद ही आपको फोन करता हूँ...!" हॅरी टेबल के दूसरी तरफ आते हुए बोला.. आदमी को पलट'ता देख हम दरवाजे से अलग हटकर खड़े हो गये... वो आदमी हम दोनो पर सरसरी सी नज़र डालता हुआ दरवाजे से निकल गया...
"ये कौन था?" पिंकी ने उस आदमी के जाते ही हॅरी से पूचछा...
"था कोई.. तुम छ्चोड़ो ना.. अपनी बताओ.. कैसे आना हुआ..." हॅरी ने उसकी बात को टालते हुए कहा..,"बैठो तो पहले..!"
"नही बताओ.. ये तुम्हे 'सर' क्यूँ कह रहा था.. ?" पिंकी अंदर जाकर कुर्सी पर बैठ गयी.. मैने भी अपने लिए कुर्सी ढूँढ ली..
हॅरी वापस जाकर हमारे सामने बैठ गया....,"हा हा हा... क्यूँ? मुझे कोई 'सर' नही बोल सकता क्या?"
"पर ये तो तुमसे काई साल बड़ा था ना?... और पैसे वाला भी लग रहा था.." पिंकी जाने क्या बात लेकर बैठ गयी....
"अच्च्छा जी.. आज के बाद मुझे कोई सर बोलेगा तो मैं उसको मना कर दूँगा.. अब खुश?" हॅरी मज़ाक मज़ाक में उसकी बात को टालते हुए बोला,"अब तो बता दो, आज फिर....? हे हे हे"
"नही!" पिंकी तुनक कर बोली...
"तो फिर?" हॅरी उसका लहज़ा सुनकर संजीदा हो गया...
"ये लो तुम्हारे पैसे!" पिंकी ने अपने साथ लाए पैसे टेबल पर पटक दिए...
"पैसे? कौँसे पैसे यार?" हॅरी अचंभित सा हो गया...
"मुझे नही पता.. दीदी ने देने को बोला था... ऐसे किसी के पैसे नही रखते.. शहर में तुमने इतना खर्चा किया.. दीदी बोल रही....." पिंकी बोलती ही जा रही थी की हॅरी ने अजीब सी नज़रों से उसकी और देखते हुए उसको बीच में ही टोक दिया...,"क्क्या.. तो क्या मैं इतना भी नही कर सकता...?"
"क्यूँ? तुम क्यूँ करोगे ....? तुम कोई मुझसे प्या...." शुक्रा है पिंकी को बोलते बोलते ही समझ में आ गया 'वो' क्या बोलने वाली थी.. वा आधी बात को अपने अंदर ही पी गयी....,"ववो.. कल पापा मुझे 'गुरुकुल' में छ्चोड़ कर आने वाले हैं... !"
"अच्च्छा... अब तुम गुरुकुल में पढ़ोगी.. वेरी गुड!" हॅरी ने जवाब दिया...
"इसमें वेरी गुड क्या है..? हॉस्टिल में रहना पड़ेगा हमें!" पिंकी तुनक कर बोली...
"हां तो अच्च्छा ही है ना!" हॅरी ने मुस्कुराते हुए कहा तो पिंकी ने आँसू टपकाने शुरू कर दिए..,"इसके सामने मेरी बे-इज़्ज़ती क्यूँ कर रहे हो? सीधे सीधे बोल दो ना कि तुम मुझसे प्यार नही करते...!"
पिंकी के मुँह से सीधी और सटीक बात सुनकर हॅरी सकपका सा गया..," ययए.. ये तुम.. ये क्या बात हुई यार?"
"और नही तो क्या? बोलो!"
हॅरी ने हड़बड़ाहट में मेरी तरफ देखा और फिर झेंपटा हुआ सा बोला,"मैं क्या बोलूं यार?"
"यही कि मुझसे प्यार करते हो या नही...!" सुबक्ती हुई पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाकर पूचछा ....
शायद हॅरी की झिझक का कारण मैं ही थी..," तुम्हे पता भी है तुम क्या बोल रही हो..? ऐसी बातें ऐसे पूछ्ते हैं क्या?"
"क्यूँ? 'प्यार' करना कोई गंदी बात थोड़े ही है.. और कैसे बोलते हैं बोलो?"
"हां.. मेरा मतलब नही पर... म्मैइन तुमसे अकेले में बात करना चाहता हूँ.." हॅरी मेरी और देख कर पिंकी से बोला... मैने पिंकी की और देखा और उठने लगी.. पर पिंकी ने मेरा हाथ पकड़ लिया..,"अकेले में क्यूँ? क्या करोगे तुम?"
"क्या? म्मैइन क्या करूँगा...? बस बात ही....... और क्या?" हॅरी का चेहरा देखने लायक था...
"तो इसके सामने ही कर लो.. इसको सब पता है...!" पिंकी दनादन बोले जा रही थी....
"क्यूँ दिमाग़ की दही कर रही हो यार.. क्या पता है इसको?.. साफ साफ बोलो ना...!"
"नही.. पहले तुम बताओ मुझसे प्यार करते हो या नही... बस!"
"अब.. अब मैं तुम्हे क्या कहूँ?"
"इसका मतलब तुम मुझसे प्यार नही करते.. तो उस दिन क्यूँ..? तुम्हे देख लूँगी मैं.. चल अंजू!" पिंकी कुर्सी से खड़ी हो गयी..
"सुनो तो...!" हॅरी ने जैसे ही कहा.. मैने पिंकी का हाथ पकड़ लिया...
"छ्चोड़ो मेरा हाथ.. मुझे नही सुन'ना कुच्छ..!" पिंकी ने अपना हाथ च्छुदाने की कोशिश की.. पर च्छुदा नही पाई.. शायद 'वो' 'कोशिश' सिर्फ़ हॅरी को दिखाने के लिए ही कर रही थी.....
"हाँ.. मैं तुमसे प्यार करता हूँ.. पर मुझे नही पता था कि तुम भी....!" हॅरी ने मेरे सामने ही बोल दिया.... और उठ कर इस तरफ आने लगा....
"मैं नही करती तुमसे प्यार? अपने पैसे पाकड़ो और...." पिंकी की बात अधूरी ही रह गयी.. जैसे ही हॅरी ने उसका हाथ थामा.. वह थर थर काँपने लगी...
"मुझे विश्वास नही हो रहा पिंकी कि मैं तुम्हारे मुँह से ये सब सुन रहा हूँ.. जिस बात को मैं साल भर से तुम्हे बोलना चाहता था.. तुमने ऐसे बोल दिया जैसे 'प्यार' कोई बच्चों का खेल हो.. मैं इसीलिए हड़बड़ा गया था.... तुम्हारी कसम.. जब से मैने तुम्हे देखा है.. खास तौर से उस दिन जब..." हॅरी ने बात बीच में ही छ्चोड़ दी... ," हां.. मैं तुमसे प्यार करता हूँ..!"
पिंकी अपनी मोटी मोटी आँखें पूरी खोल कर हॅरी की आँखों में देख रही थी.. उसके रुकते ही वह बोल पड़ी..," मैं कल हॉस्टिल में चली जाउन्गि.. तुम्हे बुरा नही लग रहा....?"
"ववो.. एक मिनिट बाहर जाओगी प्लीज़..." हॅरी ने मुझसे कहा..... मैं तुरंत खड़ी हो गयी...
"न्न्नाही.. एक मिनिट...!" पिंकी की साँसें भारी हो चली थी और गालो पर अचानक च्छा गयी लाली उसके नाम को सार्थक करने लगी थी.. 'गुलबो'!... मैने पलट कर उसकी ओर देखा...
"मुझे अकेली छ्चोड़कर मत जाओ!" पिंकी सहमी हुई सी बोली...
"प्लीज़ यार... बस 2 मिनिट..!" हॅरी ने एक बार फिर कहा तो मैं उन्न दोनो को अकेला छ्चोड़ कर कमरे से बाहर आकर खड़ी हो गयी.....
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पिंकी करीब 15 मिनिट बाद बाहर आई.. मैं उत्सुकता से उसके बाहर आने का इंतजार कर रही थी.... वा नज़रें झुकाए मुझसे आगे जाकर खड़ी हो गयी,"चलो जल्दी...!"
"क्या हुआ?" मैने उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके साथ साथ मकान से बाहर निकलती हुई बोली....
"कुच्छ नही...!" पिंकी ने बात को टालने की कोशिश की.. पर उसकी आवाज़ चाहक चाहक कर बता रही थी कि कुच्छ तो हुआ है....
"आए प्लीज़.. बता ना..! मुझसे क्यूँ च्छूपा रही है?" मैने एक बार फिर कोशिश की....
"मुझे शर्म आ रही है..." पिंकी लाजाते हुए बोली और अपना हाथ झटक लिया....
"प्लीज़.. बता दे ना.. मेरी भी तो कितनी बातें पता है तुझे....!"
"पहले बता.. मुझे नही चिडाएगी ना...?"
"तेरी कसम! मैं क्यूँ चिड़वँगी..?"
"मीनू को भी नही बताओगि!"
"हां.. नही बताउन्गि किसी को भी.. तेरी कसम...!" मैं व्याकुल हो चुकी थी...
"उसने..." बोलते हुए पिंकी गड़गड़ा उठी..,"उसने मेरी क़िस्सी काट ली...!" पिंकी ने कहते ही अपना चेहरा हाथों में च्छूपा लिया....
"फिर?" मैं उतनी ही व्याकुलता से बोली...
"फिर क्या?... बस!" पिंकी ने कहा....
"बस?" मैने आस्चर्य से पूचछा....
"हां.. बस! ये कम है क्या?" पिंकी मन ही मन नाच सी रही थी....
"नही पर.... क्या सच में उसने और कुच्छ नही किया...?"
"वह और कुच्छ भी करना चाहता था.. पर मैने करने नही दिया.... हे हे हे.." पिंकी हँसने लगी...
"क्या?"
"कह रहा था कि बस एक बार अपने होंटो पर होन्ट रखने दो... मुझे शर्म आ रही थी.. मैने करने नही दिया....!" पिंकी बोलते हुए लजा गयी....
"तो... 'वो' 'क़िस्सी' कहाँ पर दी उसने?" मैं हताश होकर बोली....
"यहाँ!" पिंकी ने अपने होंटो के बिल्कुल पास गाल पर उंगली लगा कर बताया और बुरी तरह झेंप गयी.....
"धात तेरे की... फिर इतनी देर से भाव क्यूँ खा रही थी...मैं तो समझी कि पता नही क्या हो गया...?" मैने निराशा से कहा....
"वो मुझसे प्यार करता है.. ये कोई छ्होटी बात है क्या?"
मैं निरुत्तर हो गयी.......
क्रमशः........................
gataank se aage..................
"Aa gayin didi?" Pinky ki natkhat aawaj kaano mein padte hi Meenu aise uchhal padi jaise usko kisi bichhu ne kaat liya ho... Meenu ne raat kareeb 12:30 baje upar kamre mein pair rakha tha....
"aa..haan.. na..nnaa.. pate kharaab hai mmmera... bathroom gayi thi... Tu uth kyun gayi.. abhi toh sari raat baki hai...!" Meenu ka saya bahar chand ki roshni mein saaf saaf kaampta hua sa dekha ja sakta tha....
"Abhi toh main soyi hi nahi hoon didi... aapki raah dekh rahi thi.. aap upar kab aayin....?" Pinky ko maine lakh samjhaya tha ki usko aate hi kuchh mat bolna.. par pata nahi wah kis mitti ki bani huyi thi....
"mmmain.. ttu.. soyi kyun nahi..." Meenu ko ugalte bana na nigalte... Wah Pinky ke paas jakar late gayi...,"tu mummy ko nahi bolega na Pinku?" Makkhanbazi shuru...
"he he he he he...!" Hansi Pinky ke dil ki gahrayiyon se nikali thi...
"Hans kyun rahi hai..? bata na? mummy ko bolegi kya?" Pinky ki hansi Meenu ko saamne khade kisi bhayankar detya ki hunkaar se kum nahi lagi hogi.. uska aawaj baith si gayi..
"Pahle batao.. Lambu se pyar karti ho na...?" Pinky fokat mein hi nakhre dikhne lagi..
"Plz.. tez mat bol.. Anju jaag jayegi... Aaja.. Meri pyari Pinku..!" Ye toh hona hi tha...
"Par wo toh jaag rahi hai... aise hi acting kar rahi hai sone ki... anjuuu.." Pinky ne kahkar meri rajayi kheench li...
Main sone ka bahana kiye rahi... Mera khayal tha ki Pinky Meenu se sab kuchh poochh legi jo Meenu shayad mujhse share na karti...
"Anju.. ye kya natak hai yaar.. jaag rahi hai toh bol de na!" Meenu ki sakpakayi huyi aawaj mere kaano mein padi toh main chup na rah saki...,".. didi.. wo hum baatein kar rahe the.. abhi tak.....!"
Meenu ke paas ab koyi chara nahi bacha tha.. khadi hokar usne light 'on' kar di... aur gumsum si sir jhukaye hamare beech aakar baith gayi...
"Kya hua didi.. tum udaas kyun ho...?" Pinky Meenu ko naraj nahi dekh sakti thi...
"Kuchh nahi.. tum log kisi ko bataogi toh nahi na....?" Meenu ne sir jhukaye huye hi kaha....
"Nahi didi.. aapki kasam.. main kisi ko nahi bataaungi... par batao na... Lambu se pyar..."
Pinky ki baat adhoori hi rah gayi... Meenu ne lagbhag jhoomte huye cheekh kar ikraar naya...,"haaaaaaan.. ab toh bus karo meri amma!" Meenu ne kaha aur aage jhuk kar apne chehre ko rajayi mein chhupa liya....
"Poori baat batao na didi...", Pinky ne Meenu ke sir ko pakad kar upar uthane ki koshish ki..,"Lambu ne tumhe chod diya kya?"
Pinky ki iss baat par main bhi aascharya se aankhein faad kar uske masoomiyat se bhare chehre ko dekhne lagi.. Meenu ka kya haal hua hoga.. aap khud hi andaja laga lo... Meenu achanak seedhi huyi; hadbadakar ek nazar mujhe dekha aur fir gusse aur lajja se tamtamayi huyi Pinky ko dekhne lagi... uska munh abhi tak khula hua tha....
Pinky Meenu ki aankhon ki bhasha padh kar samajh gayi ki usne kuchh galat bol diya hai.. thoda sakucha kar pichhe sarakte huye boli...,"Kya ho gaya didi...?" Meenu ke thappad se bachne ke liye wah pahle hi apna bayan hath apne gaal par le gayi thi...
"Kya hua ki bachchi.. kahan se seekhi tune ye baat...?" Meenu apne aawegon ko dabati huyi badbadayi... agar uska 'Raaj' Pinky ke paas na hota toh ek jhapad toh pakka tha hi... Pinky ki uss baat par...
"kkounsi baat didi...?" Pinky saham kar backfoot par aa gayi... uska hath abhi tak uske gaal ki dhaal bana hua tha....
"Yahi....." Meenu sach mein gusse mein thi..,"jo tune abhi boli thi...!"
"achchha.. wwo... wo toh mujhe khud hi pata hai... nange hokar pyar karein toh yahi toh bolte hain...!" Pinky ne maasoomiyat se jawab diya...
"mmain teri.... Hey bhagwaan..! kaise samjhaaun iss pagal ko..." Pinky ke bachpane par Meenu ne apna matha peet liya... aur fir achanak jane kya soch kar uski hansi chhot gayi...,"kisi aur ke saamne mat bolna ye baat.. bahut gandi gaali hai...!" Meenu ne Pinky ke kandhon ko pakad kar usko jhakjhor sa diya...
"Main pagal hoon kya..? kisi aur ke saamne kyun bolungi... Main toh bus aap hi se poochh rahi thi...!" Pinky ne apna munh fula liya..
"Na.. mujhse bhi mat karna ye baat kabhi... samajh gayi meri laado!" Meenu ne usko gale se laga liya...
"toh kiss'se karoon didi...?" Pinky ke sawaal khatam hi nahi ho rahe the...
"Chup ho ja meri amma... aaja so ja... jab tu badi hokar kisi se pyar karegi toh sab samajh aa jayega... kisi se poochhne ki jarurat nahi padegi.. Samjhi...?"
"Par main toh abhi se pyar karti hoon...!" Pinky ne ek aur gola bhatka diya... Meenu toh bus usko dekhti hi rah gayi..,"Tu? .... kiss'se?"
Pinky ne Meenu ke kaan mein kuchh kaha... mujhe suna nahi.. par main samajh gayi thi.....
"Achchha beta.... isiliye tu baar baar paise dekar aane ki rat laga rahi hai... kahin nahi jana tujhe... ab deti hoon main tere ko paise....!" Meenu garmayi nahi thi.. khali bandarghudaki hi de rahi thi shayad....
"Hunhh.. hoonnuh.. ab isko bhi pata chal gaya hoga... aapne kyun bola...?" Pinky apna neeche wala hont bahar nikal kar runwasi si ho gayi...
"Kahan jayegi abhi se pyar karke tu..? itti si toh hai... sambhal ja chhori.. sambhal ja...!" Meenu Pinky ki aur aankhein nikalti huyi boli....
"aap kar sakte ho toh main kyun nahi kar sakti... Main kya karoon.. mujhe wo bahut achchha lagta hai...!" Pinky bagawat par utar aayi....
"Chup hogi tabhi toh bataaungi... Manav mujhse shadi karne wala hai.. apne ghar waalon ko yahan bhejega....!" Meenu ne khushi se jhoomte huye takiya uthakar apni god mein rakh liya....
"Sach!" Pinky ki aankhein chamak uthi... Apne pyar ko bhool kar 'wo' didi ke jabaaton ko mahsoos karti huyi boli...
"Haan teri kasam...! kitna achchha hai na 'wo'?" Meenu ne usko kahne ke baad meri taraf dekha.. main bhi muskurati huyi uthkar baith gayi....
"Harry uss'se bhi achchha hai... Bhool gayi hamein kitni cheejein khilayi thi shahar mein... baithakar gadi mein gaanv bhi lekar aaya tha... Bechara...!" Pinky tulna par utar aayi...,"Lambu ne toh mujhe pata hai kya bola tha shahar aate hi... 'Isko kyun utha laye?" Pinky ne uski nakal karte huye apni aankhein gol kar li...
"Hey bhagwaan... koun buddhi dega tere ko...? Tu aur tera harry... bus kar ab.. so ja!"
"Tum kis'se pyar karti ho Anju...? tum bhi batao na...?" Pinky ka ye 'wo' sawaal tha jisko main kabhi bhula nahi paaungi....
Mere hont khule ke khule rah gaye... main awaak si unn dono ko dekhti rah gayi... apne mann ka; apne dil ka kona kona chhan mara... par 'aisi' koyi tasveer mere jehan mein aayi hi nahi jisko main 'apna' kah sakti... aisa koyi aks mere manas patal par ukera hi nahi gaya tha jisko yaad karke main 'waisi' hi chamak apni aankhon mein la pati jaisi uss waqt Meenu aur Pinky ki aankhon mein mujhe dikhayi de rahi thi... Darasal maine 'dil' ko tatola toh usko khali paya...
ulta mere dil ne hi mujhse sawaal sa kiya..," Pyar? .... ye kya hota hai Anju..!" Aur jawaab mein mere andar ke khalipan se ek tees si ubhar kar 'dardnaak kasak' ke roop mein mere chehre par chha gayi.... Ek 'aah' mere andar se nikli toh mujhe mahsoos hua jaise shadiyon baad maine saans li ho.... Par 'wo' bhi khali hi thi.. nitaant akeli....
"Kya hua Anju?" Mere chehre ke bhavon ko padhte huye Meenu ne pakad kar mujhe hilaya....
"kkuchh nahi..." Maine najrein jhuka li....
"Kuchh toh baat hai yaar.. kisi ne cheat kiya hai kya?" Meenu ne poochha...
Jisne aaj tak khud ko hi chhala ho.. uske sath koyi kya 'cheat' karega..... Main ek baar fir apne mann ki paratein ughedne lagi... Bachpan se aaj tak.. jo kuchh dekha samjha hai.. main toh usi ko 'pyar' maanti aayi thi... Maine toh aaj tak yahi jana tha ki pyar khali 'karne' ki cheej hai.. Mujhe nahi pata tha ki 'Pyar' ko chehre ke noor aur aankhon mein anokhi chamak se mahsoos kiya jata hai.. Jaisa unn dono ke cheron par dikh raha tha.... mujhe kahan pata tha ki kapde utaarne ko 'pyar' nahi bolte.. !
Apne roop soundarya par garv karke hamesha gardan oonchi karke chalne wali main achanak unn dono ke saamne khud ko tuchchh aur achhoot si samajhne lagi... Fir bhi dil ke kisi kone mein ek ichchha jwalant ho rahi thi... 'koyi mujhse bhi 'pyar' karey! main bhi kisi se 'pyar karoon!
"Kya hua? Neend mein hai kya?" Meenu ne ek baar fir mujhe hila diya...
"aa..aahaan.. neend aa rahi hai...!" Main kuchh aur nahi boli.....
"Achchha.. chalo so jao...!" Meenu boli aur let'ne ko huyi hi thi ki wapas uth kar baith gayi...,"Sun... Main batana bhool gayi.. papa ne chacha se tumhe computer classes ke liye shahar bhejne ko poochha tha... Unhone saaf mana kar diya..!"
"Koyi baat nahi..." Maine aur koyi pratikriya nahi di...
"Sun toh.. ek buri khabar bhi hai... tum dono ke liye....!" Meenu ne kaha....
"Kya hai..? meri bhi cancel ho gayi kya?" Pinky tunak kar boli....
"Haan! chacha kah rahe the ki unhone 'Gurukul' mein baat kar li hai.. result se pahle hi admission chaloo hai.. Anju ko chacha Wahin bhej rahe hain do char din mein... Papa kah rahe the ki Pinky ko bhi wahin dakhil kara denge.....!"
"Kya?" Pinky gusse se pair patakti huyi boli...,"Mujhe nahi jana abhi kahin bhi... main chhuttiyon ka poora maja loongi... pahle hi bata rahi hoon....!" Pinky ne kahne ke baad apni taangon se Meenu ko dusri aur dhakelna shuru kar diya....
"Main kya kah rahi hoon.. Papa se baat karna...!" Meenu apne pate mein gadi huyi uski taangon ko alag hatakar hansti huyi boli.....
Subah main uthi toh Meenu bister par nahi thi.. Main hadbadakar uthi aur turant pinky ko hilakar jagaya....
"Kya hai.. Sone de na!" Pinky neend mein hi angdayi leti huyi si boli...
"Meenu...?" Maine poochha.....
"bahar hogi... dekh lo.. mujhe kyun...?" Pinky achanak bolna band karke jhatke ke sath uth baithi..," Kahan hain didi?"
"Wahi toh main poochh rahi hoon...? Neeche chalkar dekhein?" Mere kahne se pahle hi Pinky bistar se alag khadi ho chuki thi... Usne bahar nikal kar bathroom mein dekha aur fir neeche seedhiyon mein munh karke aawaj lagayi...,"Didi....?"
"Haan.. aa rahi hoon...!" Meenu ne neeche se hi jawab diya.. kuchh der baad wah upar hi aa gayi....
"Aap fir neeche chale gaye the kya?" Pinky ne poochha...
"Abhi toh gayi thi.. aadha ghanta pahle...." Meenu safayi deti huyi boli....
"Jhooth.. lambu se poochhoon kya?" Pinky kahne ke baad hansne lagi....
"Main teri...." Meenu ne usko pakad kar bistar par gira diya aur fir hansne lagi...,"Wo toh chala bhi gaya...!"
"Kab? Mujhe 'Jiju' ko bye bolna tha..." Pinky wapas khadi hokar shararat se muskurayi.....
"Tu bahut bolne lagi hai aajkal... tera ilaaj karna padega...!" Meenu gussa hone ka dikhawa karti huyi boli.. par sach toh uska chehra bayan kar hi raha tha....," Chal ab kaam karwa do jaldi jaldi... fir anju ko 'wahan' fone karna hai...! Manav ne bola hai..."
"Kahan?" Pinky se pahle main bol padi...,"Uss ke paas kya?"
"Haan... Maine Manav ko bata bhi diya ki tu hi uss'se baat karti hai....!" Meenu boli...
"Kyun?" Maine poochha.....
"Wo kah raha tha ki tu jyada khulkar baat kar sakti hai.. fir maine usko bata hi diya....!" Meenu ne jawab diya...
"Humm.. koyi baat nahi...!" Maine kahkar apne kandhe uchka diye aur jaldi jaldi kaam niptane mein lag gaye....
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"Uska no. toh switched off hai...!" Maine alag jakar no. try kiya aur wapas aakar hatasha mein apne kandhe uchka diye....
"Dusre no. par try kar na... usne ek aur no. se bhi toh fone kiya tha...!" Meenu yaad dilati huyi boli...
"Haan.. par mujhe no. yaad nahi hai....!" Maine jawaab diya....
"arrey maine ismein 'save' kiya tha... dena ek minute....!" Meenu ne mere hath se fone liya aur aur 'wo' no. dhoondh kar fone wapas mujhe pakda diya...,"Ye le!"
"Theek hai.. main try karti hoon..." Main fone lekar wapas ek taraf chali gayi... Khushkismati se no. lag gaya....
"Hello...!" Udhar se ek ladki ki paini aawaj aayi....
"Jji... 'Wo' hai...!" Main ladki ki aawaj sunkar hadbada gayi....
"Wo?... koun 'wo'? kahan milaya hai aapne?" Udhar se aawaj aayi....
"Ji wo... naam toh pata nahi.. iss no. par unse baat huyi hai pahle...!" Maine kaha...
"Wrong no....!" Usne kahte hi fone kaat diya aur ek baar fir mera intjaar kar rahi Meenu aur Pinky ke paas aa gayi....,"koyi ladki thi....Wrong no. kahkar kaat diya..."
"achchha..! kya bola tha tune..." Meenu ne poochha....
"Main kya bolti.. yahi bola tha ki iss no. par meri baat huyi thi.. ab naam toh nahi le sakti na! usne bataya hi nahi kabhi apne munh se.... No. toh yahi tha na....?" Maine poochha....
"Haan yaar.. no. toh pakaa yahi tha... chal chhod.. jab 'wo' fone hi nahi karta toh hamein kya padi hai... hamara peechha chhootna chahiye bus!" Meenu ne kahte huye mujhse fone lekar Manav ko sari baatein bata di...
Jaise hi Meenu ne fone kaata.. Pinky uske paas jakar boli..,"didi.. wwo..!"
"Kya?"
"wwo.. main kah rahi thi ki Harry ke paise de aaun kya?" Pinky thoda hichak kar boli....
"Na! koyi jaroorat nahi hai.. main apne aap bhijwa doongi.. tu jyada syaani mat ban...!" Meenu ne usko jhidakte huye kaha....
"Pls didi... hum jate hi wapas aa jayenge.. jane do na!" Pinky ne Meenu ke kandhe par sir rakh liya....
"Na... Kah diya na.. ab gussa mat dila mujhe.. badi aayi ppya...!" Meenu kuchh aur bhi bolna chahti thi.. par shayad usne bolne se pahle apne girebaan mein jhank liya....
"Ye kya baat huyi didi..?" Pinky tunak kar uss'se door hat gayi...,"Maine kuchh bola aapko.. aap Lambu ke paas neeche chali gayi.. aur.. aur... aapne 'pyar' bhi kar liya.. mujhe bhi jane do na...!"
"aey.. jyada bakwas ki na...... mummy papa ki kasam.. mujhse baat mat karna ab...!" Meenu gusse mein ufan si padi....
"Sorry!" Pinky ne najrein jhuka li...
Meenu ka chehra safed sa pad gaya tha aur wo bachav ki mudra mein aa gayi...,"Tumhari kasam yaar.. wwo.. wo toh jab usne shadi ki baat kari toh main emotional si ho gayi thi..... tujhe jana hai toh chali ja.. par...."
"Plz didi.. hum jaldi wapas aa jayenge... khush hokar jane do na! Anju ko bhi toh sath lekar ja rahi hoon main...!" Pinky ek baar fir yachna si karne lagi...
"Theek hai... jao.. par jaldi wapas aa jana plz...!" Meenu ne aakhirkaar waqt ki najakat ko dekhte huye hathiyaar daal hi diye....,"Aakar mujhe poori baat batana kya chakkar hai ye..? aur kab se hai....?"
"Thank you didi.. I love you!" Pinky uchhalte huye Meenu se lipat gayi...,"Main sab kuchh bata doongi.. Thank you... chal Anju!"
"Pinky tummm?......... aao!" Hamein apne saamne pakar Harry hadbadakar kursi se uth kar khada ho gaya.. Par hum uske saamne baithe aadmi ki wajah se hichak kar darwaje par hi atak gaye... Pinky kuchh nahi boli...
"Aao na.. andar aao; ... kaise aana hua?" Harry ne khade khade hi hamein dobara toka...
"Main subah bhi aayi thi.. tum mile hi nahi...!" Pinky sakuchate huye boli....
"aa.. haan.. wo aaj main din bhar bahar tha.. Sorry.. bolo..!"
Pinky ne hamari peeth karke baithe aadmi ko ghoor kar dekha..,"Kuchh nahi.. aise hi... kuchh kaam tha...!"
"Toh bolo na.. andar toh aa jao.. bahar kyun khadi ho?" Harry abhi tak khada tha...
"OK Sir.. Main aapko baad mein fone kar loonga... mere khayal se mujhe ab chalna chahiye...!" Achanak dusra aadmi apni moujoodgi ko Harry ki niji jindagi mein dakhal maan kar khada hua aur Harry ki taraf apna hath badha diya...
"Theek hai.. main khud hi aapko fone karta hoon...!" Harry table ke dusri taraf aate huye bola.. Aadmi ko palat'ta dekh hum darwaje se alag hatkar khade ho gaye... Wo aadmi hum dono par sarsari si najar daalta hua darwaje se nikal gaya...
"Ye koun tha?" Pinky ne uss aadmi ke jate hi harry se poochha...
"tha koyi.. tum chhodo na.. apni batao.. kaise aana hua..." Harry ne uski baat ko taalte huye kaha..,"baitho toh pahle..!"
"Nahi batao.. ye tumhe 'Sir' kyun kah raha tha.. ?" Pinky andar jakar kursi par baith gayi.. maine bhi apne liye kursi dhoondh li..
Harry wapas jakar hamare saamne baith gaya....,"Ha ha ha... Kyun? Mujhe koyi 'Sir' nahi bol sakta kya?"
"Par ye toh tumse kayi saal bada tha na?... aur paise wala bhi lag raha tha.." Pinky jane kya baat lekar baith gayi....
"Achchha ji.. aaj ke baad mujhe koyi Sir bolega toh main usko mana kar doonga.. ab khush?" Harry majak majak mein uski baat ko taalte huye bola,"Ab toh bata do, aaj fir....? he he he"
"Nahi!" Pinky tunak kar boli...
"Toh fir?" Harry uska lahja sunkar sanjeeda ho gaya...
"Ye lo tumhare paise!" Pinky ne apne sath laye paise table par patak diye...
"Paise? kounse paise yaar?" Harry achambhit sa ho gaya...
"Mujhe nahi pata.. didi ne dene ko bola tha... aise kisi ke paise nahi rakhte.. shahar mein tumne itna kharcha kiya.. didi bol rahi....." Pinky bolti hi ja rahi thi ki Harry ne ajeeb si najron se uski aur dekhte huye usko beech mein hi tok diya...,"Kkya.. toh kya main itna bhi nahi kar sakta...?"
"kyun? tum kyun karoge ....? Tum koyi mujhse pyaa...." Shukra hai Pinky ko bolte bolte hi samajh mein aa gaya 'wo' kya bolne wali thi.. wah aadhi baat ko apne andar hi pi gayi....,"wwo.. kal papa mujhe 'gurukul' mein chhod kar aane wale hain... !"
"Achchha... ab tum gurukul mein padhogi.. Very good!" Harry ne jawaab diya...
"Ismein very good kya hai..? Hostel mein rahna padega hamein!" Pinky tunak kar boli...
"Haan toh achchha hi hai na!" Harry ne muskurate huye kaha toh Pinky ne aansoo tapkane shuru kar diye..,"Iske saamne meri be-ijjati kyun kar rahe ho? seedhe seedhe bol do na ki tum mujhse pyar nahi karte...!"
Pinky ke munh se seedhi aur sateek baat sunkar Harry sakpaka sa gaya..," yye.. ye tum.. ye kya baat huyi yaar?"
"aur nahi toh kya? Bolo!"
Harry ne hadbadahat mein meri taraf dekha aur fir jhenpta hua sa bola,"main kya bolun yaar?"
"Yahi ki mujhse pyar karte ho ya nahi...!" subakti huyi Pinky ne bura sa munh banakar poochha ....
Shayad Harry ki jhijhak ka karan main hi thi..," tumhe pata bhi hai tum kya bol rahi ho..? aisi baatein aise poochhte hain kya?"
"Kyun? 'Pyar' karna koyi gandi baat thode hi hai.. aur kaise bolte hain bolo?"
"Haan.. mera matlab nahi par... mmain tumse akele mein baat karna chahta hoon.." Harry meri aur dekh kar Pinky se bola... Maine Pinky ki aur dekha aur uthne lagi.. par Pinky ne mera hath pakad liya..,"Akele mein kyun? kya karoge tum?"
"kya? mmain kya karoonga...? Bus baat hi....... aur kya?" Harry ka chehra dekhne layak tha...
"Toh iske saamne hi kar lo.. isko sab pata hai...!" Pinky danadan bole ja rahi thi....
"Kyun dimag ki dahi kar rahi ho yaar.. kya pata hai isko?.. saaf saaf bolo na...!"
"Nahi.. pahle tum batao mujhse pyar karte ho ya nahi... bus!"
"Ab.. ab main tumhe kya kahoon?"
"Iska matlab tum mujhse pyar nahi karte.. toh uss din kyun..? tumhe dekh loongi main.. chal Anju!" Pinky kursi se khadi ho gayi..
"Suno toh...!" Harry ne jaise hi kaha.. maine Pinky ka hath pakad liya...
"Chhodo mera hath.. mujhe nahi sun'na kuchh..!" Pinky ne apna hath chhudane ki koshish ki.. par chhuda nahi payi.. shayad 'wo' 'koshish' sirf Harry ko dikhane ke liye hi kar rahi thi.....
"Haan.. main tumse pyar karta hoon.. par mujhe nahi pata tha ki tum bhi....!" Harry ne mere saamne hi bol diya.... aur uth kar iss taraf aane laga....
"Main nahi karti tumse pyar? Apne paise pakdo aur...." Pinky ki baat adhoori hi rah gayi.. Jaise hi Harry ne uska hath thama.. wah thar thar kaanpne lagi...
"Mujhe vishvas nahi ho raha Pinky ki main tumhare munh se ye sab sun raha hoon.. Jis baat ko main saal bhar se tumhe bolna chahta tha.. tumne aise bol diya jaise 'pyar' koyi bachchon ka khel ho.. main isiliye hadbada gaya tha.... Tumhari kasam.. Jab se maine tumhe dekha hai.. khas tour se uss din jab..." Harry ne baat beech mein hi chhod di... ," Haan.. main tumse pyar karta hoon..!"
Pinky apni moti moti aankhein poori khol kar Harry ki aankhon mein dekh rahi thi.. Uske rukte hi wah bol padi..," Main kal hostel mein chali jaaungi.. tumhe bura nahi lag raha....?"
"wwo.. ek minute bahar jaaogi pls..." Harry ne mujhse kaha..... Main turant khadi ho gayi...
"nnnahi.. ek minute...!" Pinky ki saansein bhari ho chali thi aur gaalo par achanak chha gayi lali uske naam ko sarthak karne lagi thi.. 'Gulabo'!... Maine palat kar uski aur dekha...
"Mujhe akeli chhodkar mat jao!" Pinky sahami huyi si boli...
"Plz yaar... bus 2 minute..!" Harry ne ek baar fir kaha toh main unn dono ko akela chhod kar kamre se bahar aakar khadi ho gayi.....
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Pinky kareeb 15 minute baad bahar aayi.. Main utsukta se uske bahar aane ka intjaar kar rahi thi.... Wah najrein jhukaye mujhse aage jakar khadi ho gayi,"Chalo jaldi...!"
"Kya hua?" Maine uske paas jakar uska hath pakad liya aur uske sath sath makaan se bahar nikalti huyi boli....
"Kuchh nahi...!" Pinky ne baat ko taalne ki koshish ki.. par uski aawaj chahak chahak kar bata rahi thi ki kuchh toh hua hai....
"Aey pls.. bata na..! mujhse kyun chhupa rahi hai?" Maine ek baar fir koshish ki....
"Mujhe sharm aa rahi hai..." Pinky lajate huye boli aur apna hath jhatak liya....
"Plz.. bata de na.. meri bhi toh kitni baatein pata hai tujhe....!"
"Pahle bata.. mujhe nahi chidayegi na...?"
"Teri kasam! main kyun chidaaungi..?"
"Meenu ko bhi nahi bataaogi!"
"Haan.. nahi bataaungi kisi ko bhi.. teri kasam...!" Main vyakul ho chuki thi...
"Usne..." Bolte huye Pinky gadgada uthi..,"Usne meri kissi kaat li...!" Pinky ne kahte hi apna chehra hathon mein chhupa liya....
"Fir?" Main utni hi vyakulta se boli...
"Fir kya?... Bus!" Pinky ne kaha....
"Bus?" Maine aascharya se poochha....
"Haan.. bus! ye kam hai kya?" Pinky man hi man nach si rahi thi....
"Nahi par.... kya sach mein usne aur kuchh nahi kiya...?"
"Wah aur kuchh bhi karna chahta tha.. par maine karne nahi diya.... he he he.." Pinky hansne lagi...
"Kya?"
"Kah raha tha ki bus ek baar apne honton par hont rakhne do... mujhe sharm aa rahi thi.. maine karne nahi diya....!" Pinky bolte huye laja gayi....
"Toh... 'wo' 'kissi' kahan par di usne?" Main hatash hokar boli....
"Yahan!" Pinky ne apne honton ke bilkul paas gaal par ungali laga kar bataya aur buri tarah jhenp gayi.....
"Dhat tere ki... fir itni der se bhav kyun kha rahi thi...Main toh samjhi ki pata nahi kya ho gaya...?" Maine nirasha se kaha....
"Wo mujhse pyar karta hai.. ye koyi chhoti baat hai kya?"
Main niruttar ho gayi.......
kramshah......................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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