मस्त मेनका पार्ट..4
गतान्क से आगे................
रात अचानक राजा साहब को गर्मी महसूस हुई तो वो उठ बैठे,अपने बदन से चादर हटा दी & साइड टेबल पे रखा लॅंप ऑन कर दिया.फिर अपना कुर्ता उतार कर किनारे रख दिया & टेबल से बॉटल उठा कर पानी पीने लगे.घड़ी मे देखा तो 1 बज रहा था.उन्हे मेनका का ध्यान आया तो घूम कर उसकी ओर देखा.वो उनकी तरफ ही करवट कर लेटी हुई थी.
अपनी बहू को देखते ही राजा साहब के होठ फिर सूख गये,नाइटी के गले से मेनका की चूचियो का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था,बाहों के दबाव के कारण चूचियो का कटाव & बड़ा हो कर उभर रहा था.नींद मे चादर भी उसके शरीर से हट गयी थी & नाइटी उठ कर घुटनो के उपर तक आ गयी थी.उसकी गोरी टांगे & जांघों का थोड़ा सा हिस्सा लॅंप की रोशनी मे चमक रहे थे.राजा साहब का लंड पाजामे मे सुगबुगाने लगा.उनकी नज़रे मेनका के जिस्म से हट ही नही रही थी.उनकी आँखों ने उसके पैरों से उसका मुआयना करना शुरू किया और जैसे ही उसके चेहरे तक पहुँची तो उनके माथे पर सलवटें पड़ गयी.मेनका नींद मे थी पर कुच्छ बुदबुदा रही थी,चेहरे पर घबराहट भी झलक रही थी...
चारों तरफ घुप अंधेरा था & मेनका उस वीराने मे अकेली पूरी नंगी भाग रही थी.वो दैत्याकार आदमी काला लिबास पहने था & चेहरे पर भी काला मुखौटा था.वो हाथों मे तलवार ले उसका पीचछा कर रहा था.मेनका बदहवास सी बहुत तेज़ी से दौड़ रही थी पर तब भी उस हैवान को पीछे नही छ्चोड़ पा रही थी.तभी उसका पैर कही फँसता है & वो गिर जाती है.वो काला इंसान उसके पास पहुँच कर तलवार उठाता है,मेनका ज़ोर से चिल्लती है,"बचाओ!बचाओ!..."
"..दुल्हन..दुल्हन..आँखे खोलो...",कही दूर से उसके कानो मे आवाज़ आती है.वो अपनी आँखे खोलती है & वो इंसान जिसे वो ज़रूरत के वक़्त हमेशा अपने पास पाती है-उसका ससुर, उसे अपने उपर झुका पाती है,"..आ गये आप."
राजा साहब मेनका के उपर झुके हुए उसे जगाने की कोशिश कर रहे थे.मेनका ने उचक कर उनके गले मे बाँहें डाल दी & उनसे चिपक गयी,"मेरे पास रहिए.प्लीज़,मुझे छ्चोड़ कर मत जाइए."
राजा साहब संभाल नही पाए & उसे पकड़ते हुए उसके उपर गिर गये.मेनका उनके गले से लगी हुई थी & उनका नंगा सीना मेनका की छातियो पे दबा हुआ था.राजा साहब का चेहरा उसके बालों मे था & उसकी खुश्बू उन्हे मदहोश कर रही थी,मेनका को भी बहुत भला लग रहा था.जिस इंसान के सपने वो देखने लगी थी,आज वो उसकी बाहों मे था.उसने अपना गाल हौले से राजा साहब के गाल पे रगड़ा.उसकी इस हरकत से राजा साहब & नशे मे आ गये& उसे वैसे ही थामे हुए अपना सर उठा कर मेनका को देखा.
मेनका की नशीली आँखें & अधखुले होठ उन्हे बुलावा दे रहे थे जिसे उन्होने खुशी के साथ कबूल किया & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए & अपनी बहू को चूमने लगे.मेनका भी उनकी किस का जवाब देने लगी & दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे के होठों का मज़ा उठाते रहे.फिर राजा साहब ने धीरे से अपनी जीभ मेनका के मुँह मे डाल दी,वो तो जैसे इसी इंतेज़ार मे थी & उसने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा दी.अब दोनो पूरे जोश के साथ एक-दूसरे को चूमने लगे.राजा साहब का लंड पाजामे मे पूरा तन चुका था & नीचे मेनका उसे अपनी कमर की साइड मे महसूस कर रही थी,उसकी चूत भी गीली हो गयी थी.दोनो की टाँगें भी नीचे मिल रही थी & राजा साहब अपने पैर से उसके पैरों को सहला रहे थे.
राजा साहब ने अपनी बहू के होठों को छ्चोड़ दिया & उसके गाल चूमते हुए उसकी लंबी गर्दन पर आ गये.वाहा से उनके होठ मेनका के क्लीवेज पर पहुँच गये & राजा साहब ने उस पर किस्सस की झड़ी लगा दी.अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उन्होने मेनका की नाइटी का ज़िप खोला & उसे उसके कंधों से नीचे सरकाते हुए उसके सीने से हटा दिया.काले रंग के स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कसा उसका सीना उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर-नीचे हो रहा था.छातियो का उपरी हिस्सा खुला था & निपल्स & नीचे का हिस्सा ब्रा ने छुपा रखा था.राजा साहब ने उसकी चूचियों के उस खुले उपरी हिस्से को चूमना शुरू कर दिया.
"एयेए...आहह..!",मेनका कराही,उसका बदन एक कमान की तरह उपर उठ गया,उसके हाथ अपने ससुर के सर को कस के पकड़े हुए थे.राजा साहब अब उसी जगह पर चूसने लगे थे,मेनका की हालत बुरी हो गयी,चूत तो पहले से ही गीली थी & राजा साहब की इस हरकत ने उसे & पागल कर दिया.राजा साहब वैसे ही चूस्ते रहे & मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.वो झाड़ गयी थी & अभी तक उसके ससुर ने उसकी चूत को तो च्छुआ तक नही था.राजा साहब ने उसकी नाइटी को ओर नीचे सरका कर कमर तक कर दिया.
अब वो उसके पेट को चूम रहे थे,मेनका वैसे ही उनके सर पर हाथ रखे हुए थी.चूमते-2 वो उसके सपाट पेट के बीचो-बीच गोल,गहरी नाभि तक पहुँच गये & अपनी जीभ उसमे फिराने लगे.मेनका फिर से मज़े मे कसमसने लगी.उसके ससुर अपनी जीभ से उसकी नाभि ऐसे चाट रहे थे जैसे वो उसकी चूत हो.यह ख़याल आते ही वो फिर गरम होने लगी.राजा साहब की जीभ उसकी नाभि से निकल कर नाभि & पॅंटी के बीच के हिस्से पर थी & तभी राजा साहब ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर चुंबन ठोक दिया.मेनका ने लाज के मारे करवट ले अपने चेहरे को हाथों मे छुपा लिया.
अब राजा साहब के सामने उसकी पीठ थी.वो थोड़ी देर तक उसकी पतली कमर & चौड़ी गांद को निहारते रहे.फिर उन्होने अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रख दिया & पीछे से उस से चिपक गये.उनका पाजामे मे क़ैद लंड मेनका की गांद से सटा था & उनका सीना मेनका की पीठ से.उनका हाथ उसकी कमर से फिसलता हुआ उसके पेट पे पहुँचा & उस हाथ की 1 उंगली उसकी नाभि को कुरेदने लगी.मेनका अपनी गांद पे राजा साहब के लंड को महसूस कर रही थी & उसने अपनी गांद पीछे कर के उस दबाव का जवाब दिया.राजा साहब उसकी गर्दन चूम रहे थे & उनका हाथ अब नाभि छ्चोड़ मेनका की ब्रा मे कसी चूचियों को दबा रहा था.मेनका ने अपना दया हाथ पीछे ले जाकर अपने ससुर के सर को पकड़ लिया.तब राजा साहब ने अपना हाथ उसके सीने से हटा लिया & उसमे उसके प्यारे चेहरे को भर कर अपनी तरफ घुमाया & उसे चूमने लगे .काफ़ी देर तक वो ऐसे ही अपनी बहू के होठों का रास्पान करते रहे & नीचे से अपना लंड उसकी गांद पे रगड़ते रहे .
राजा साहब ने उसके होठों को आज़ाद किया & उसे पेट के बल लिटा दिया & उसकी पीठ के 1-1 हिस्से को चूमने लगे.अपने दातों से उन्होने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया & चूमते हुए नीचे उसकी गांद तक पहुँच गये.फिर उन्होने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर सीधा पीठ के बल लिटा दिया.मेनका का खुला ब्रा उसके सीने पर अब भी पड़ा था,राजा साहब ने उसे किनारे फेंक दिया.मेनका की दूधिया रंग की बड़ी-2 सुडोल चूचिया & उन पर बने हल्के गुलाबी निपल्स अब उनके सामने थे.मेनका की आँखें शर्म के मारे बंद थी & साँसें और तेज़ हो गयी थी,जिसके कारण उसके उरोज़ उपर-नीचे हो रहे थे & राजा साहब को पागल किए दे रहे थे.
राजा साहब अपनी बहू की चूचियों पर टूट पड़े.वो कभी अपने हाथों से उन्हे दबाते ,मसलते तो कभी अपने होठों से चूमते & चूस्ते.उनकी इन हरकतों ने मेनका के सीने को लव बाइट्स से भर दिया.मेनका ने भी उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया & उचक कर मानो अपना सीना उनके मुँह मे और घुसाने की कोशिश करने लगी.जब राजा साहब का मुँह उसके सीने से हट ता तो उनकी उंगलियाँ उसके निपल्स को मसालने लगती जो कि अब पूरे कड़े हो गये थे.मेनका अब बहुत गरम हो गयी थी & अपनी जांघें एक साथ रगड़ रही थी.उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जब राजा साहब ने उसकी 1 चूची को अपने हाथ मे भरा & दूसरी को अपने मुँह मे & इतनी ज़ोर से चूस्सा & दबाया कि वो दूसरी बार झाड़ गयी.उसके ससुर ने बिना उसकी चूत छुए उसे 2 बार झाड़वा दिया था.वो अब पस्त हो गयी थी.उसने अद्खुलि आँखों से प्यार से अपनी ससुर को देखा.
राजा साहब उसके सीने को छ्चोड़ अपने घुटनो पर उसकी साइड मे बैठ गये.अपने दोनो हाथ की इंडेक्स फिंगर्स को उसकी सीने के बगलों से बहुत हल्के-2 फिराते हुए उसकी कमर तक ले आए & उन्हे उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसा दिया & फिर हौले से उसे उसकी जांघों से सरकाने लगे.मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली.अब वो अपने ससुर के सामने पूरी नंगी होने वाली थी.उसकी धड़कने तेज़ हो गयी.उसने महसूस किया कि पॅंटी उसकी गांद के नीचे फँस सी रही है तो उसने धीरे से अपनी कमर उठा दी & राजा साहब ने पॅंटी उसके जिस्म से अलग कर दी.
राजा साहब मेनका की खूबसूरती निहार रहे थे.मूठ मारते वक़्त जैसी कल्पना की थी मेनका उस से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी & उसकी छ्होटी सी,गुलाबी,बिना बालों की चूत कितनी प्यारी लग रही थी.उन्होने उसके पैर को उठा कर अपने होठों से लगा लिया & चूमते हुए उसकी जाँघ तक पहुँच गये.मेनका कसमसा रही थी.अब उसे बर्दाश्त नही हो रहा था.वो चाहती थी कि बस अब वो उसकी चूत को अपने मुँह से जी भर कर प्यार करे.
राजा साहब ने उसकी दोनो जांघों को जम कर चूमा & चूसा & उसकी चूचियो की तरह भी यहा भी लव नाइट्स के रूप मे अपने होठों के दस्तख़त छ्चोड़ दिए.मेनका की चूत बस गीली हुए चली जा रही थी.राजा साहब उसकी जांघों को फैला कर उनके बीच लेट गये & अपना मुँह उसकी चूत के आस-पास 1 दायरे मे फिराने लगे.धीरे-2 वो दायरा छ्होटा होने लगा & उनके होठ पहली बार उसकी चूत से जा लगे.मेनका ने अपनी टांगे उनके कंधे पर रख दी थी.अब वो नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी.राजा साहब ने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पे फिराई & धीरे से उसे अंदर सरका दिया.
"उउंम....उन्न्ञनह.!,"मेनका पागल हो गयी & अपनी कमर & उचकाने लगी अपने हाथों से अपने ससुर के सर को अपनी जांघों मे भींचने लगी.राजा साहब अब पूरे जोश से उसकी चूत चाटने लगे & उसके दाने पे अपनी जीभ फिराने लगे.ऐसा करते ही मेनका फिर झाड़ गयी पर राजा साहब ने चाटना नही छ्चोड़ा.मेनका की तो हालत अब बिल्कुल ही खराब हो गयी थी. राजा साहब ने उसकी चूत के थोडा अंदर उसके जी स्पॉट को खोज लिया था & वही कभी जीभ से तो कभी उंगली से उसे रगड़ रहे थे.मेनका की चूत तो पानी छ्चोड़ती ही जा रही थी & उसे होश भी नही था कि अब तक वो कितनी बार झाड़ गयी थी.आखरी बार झड़ने के बाद उसने देखा कि राजा साहब उसकी टाँगों के बीच खड़े अपना पाजामा उतार रहे हैं.जैसे ही वो नंगे हुए उसकी आँखें जो अभी तक अधखुली थी आश्चर्य से फैल गयी.
राजा साहब का 7 1/2इंच लंबा & काफ़ी मोटा लंड उसके सामने था.राजा साहब घुटनो के बल उसकी टाँगों के बीच बैठे थे.मेनका सोचने लगी कि वो कैसे इतने बड़े लंड को अपने अंदर लेगी.राजा साहब ने उसकी टाँगें फैला कर उसके घुटनो को मोड़ दिया & अपना लंड उसकी चूत की दरार पर फिराया तो मेनका ने अपना निचला होठ अपने दातों तले दबा लिया.
राजा साहब के लंड का मट्ठा बहुत मोटा था & अब वो उसे हल्के से उसकी चूत मे घुसा रहे थे.दर्द से मेनका की आँखें बंद हो गयी,"आ..हह.",पर राजा साहब ने बड़ी कोमलता से अपने मत्थे को उसके अंदर घुसा दिया.धीरे-2 करके 4 1/2 इंच लंड अंदर चला गया & वो वैसे ही घुटनो पर बैठे उतने लंड को अंदर बाहर करने लगे,अब मेनका का भी दर्द कम हो गया & उसे मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर को देखने लगी & दोनो हाथ बढ़ा कर उनकी कलाईयों को पकड़ लिया.राजा साहब ने हल्के धक्कों के साथ अब अपना लंड और अंदर डालना शुरू किया.
मेनका आज तक केवल अपने पति से चूड़ी थी & इस से ज़्यादा अंदर उसका लंड कभी गया नही था.उसे फिर दर्द होने लगा.राजा साहब उसके उपर लेट गये & उसे चूमने लगे & बहुत धीमे-2 धक्कों के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया.थोड़ी देर वो स्थिर रहे & बस कभी उसके होठों तो काफ़ी चूचियो को चूमते रहे.मेनका का दर्द जब ख़तम हो गया तो वो नीचे से हल्के से अपनी कमर हिलाने लगी.
राजा साहब ने अपने बहू के इशारे को समझा & अपनी बाहों पे अपने वजन को लेते हुए उसके बदन से उठ गये.उसकी आँखों मे झाँकते हुए अपना पूरा लंड उन्होने ने बाहर खीच लिया & फिर 1 झटके मे अंदर पेल दिया.
"आ...ईईयईए.",मेनका चिल्लाई & अपने ससुर को अपने उपर खींच उनसे लिपट गयी & अपनी टांगे भी उनकी कमर के गिर्द लपेट दी.अब राजा साहब ने धक्के लगा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसने अपने ससुर का इतना बड़ा लंड अपने अंदर ले लिया था.वो उन्हे चूमने लगी.उसकी चूत आज पूरी भरी थी,राजा साहब का लंड उसकी चूत की आनच्छुई गहराइयों को माप रहा था & ये एहसास उसे और भी पागल किए दे रहा था.उसने अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया,राजा साहब ने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.तभी मेनका उचक कर उनको पागलों की तरह चूमने लगी,उसकी कमर भी तेज़ी से हिलने लगी & वो फिर झाड़ गयी पर राजा साहब अभी भी लगे हुए थे.
मेनका की कसी चूत उनके लंड को पूरा लपेटे हुए थी.अपने पूरे जीवन मे उन्होने ऐसी टाइट चूत नही चोदि थी.उनकी पत्नी की कुँवारी चूत भी ऐसी ना थी.
कमरे मे मेनका की आहो & राजा साहब की साँसों का शोर था.मेनका फिर से गरम हो रही थी.इस लंड ने तो उसे पागल कर दिया था.लगता था जैसे उसकी चूत से होता हुआ सीधे उसकी कोख पे धक्के मार रहा है.उसने फिर अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया.अपने ससुर के बदन को उसने अपनी बाहों & टाँगों मे क़ैद कर रखा था.वो अब बहुत तेज़ धक्के लगा रहे थे.उसने जोश मे अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए,उसकी चूत फिर से पानी छ्चोड़ने वाली थी.नीचे से अपनी कमर और तेज़ी से हिलाते हुए,पलंग से उठ कर वो अपने ससुर के होठों को चूमने लगी...बस वो झड़ने ही वाली थी...राजा साहब को भी अब अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा था & वो भी अपनी बहू के चुंबन का जवाब देते हुए & तेज़ी से धक्के लगाने लगे.तभी मेनका का मज़ा चरम सीमा पर पहुँच गया & वो अपने ससुर से चिपक सी गयी,उसके नाख़ून उनकी पीठ मे और धँस गये & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.तभी उसने महसूस किया कि उसके ससुर ने उसके होठों को अपने होठों मे बुरी तरह कस लिया है & उनका बदन भी झटके खाने लगा & उसे अपनी छूट मे कुच्छ गरम सा महसूस किया...उसके झड़ने के साथ ही उसके ससुर भी झाड़ गये थे & उसकी चूत को अपने वीर्या से लबालब भर दिया था.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँस संभालते रहे.फिर राजा साहब उसके उपर से, धीरे से अपना लंड उसकी चूत मे से खीचते हुए उठ गये & बाथरूम चले गये.लंड निकलते ही मेनका को 1 ख़ालीपन का एहसास हुआ.
पर आज वो बहुत खुश थी.चुदाई मे इतना मज़ा मिलता है,उसने तो सपने मे भी नही सोचा था.जितनी बार वो आज झड़ी थी उतनी बार तो वो अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी मे भी नही झड़ी थी.विश्वा तो उसे बस मज़े के समुंदर के किनारे पे ला कर छ्चोड़ देता था,पर आज पहली बार अपने ससुर के साथ इस समुंदर की गहराई मे कई बार डूब कर उसने पूरा लुफ्त उठाया था.
वो वैसे ही नंगी पड़ी इन ख़यालों मे खोई थी कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला & राजा साहब बातरोब पहने बाहर आए.उसने मुस्कुरा कर उन्हे देखा पर वो उसे अनदेखा करते हुए लाउंज की ओर जाने लगे.
"सुनिए",वो उठने लगी पर राजा साहब नही रुके.वो दौड़ती हुई उनके सामने जा कर खड़ी हो गयी."क्या हुआ?कहाँ जा रहे हैं?"
"हमसे ग़लती हो गयी है.हमे जाने दीजिए."
"कैसी ग़लती?क्या कह रहे हैं आप?अभी जो भी हुआ उसमे आपके साथ-2 मेरी भी मर्ज़ी शामिल थी.फिर ग़लती कैसी?"
"समझने की कोशिश कीजिए!"
"क्या समझने की कोशिश करू?यही कि जितना मैं आपको प्यार करती हू उतना ही आप भी मुझ से करते हैं?"
"होश मे आइए.अभी जो हुआ वो नही होना चाहिए था."
"मैं पूरे होश मे हू बल्कि अब ही तो मैं होश मे आई हू.अभी जो हुआ उसमे वासना से कही ज़्यादा प्यार था.मैने आपकी आँखों मे मेरे लिए चाहत सॉफ देखी है.क्या ये सच नही हैं या मैं ग़लत हू...आप को भी बस मेरे बदन की भूख थी."
"आप जानती हैं कि हम आपको चाह-..."राजा साहब की अधूरी बात मे दर्द & गुस्सा था.
"तो फिर क्यू जा रहें है हमसे दूर?",मेनका ने उनके कंधों पे अपने हाथ दिए.
"आप...आप..हमारे बेटे की पत्नी हैं.समाज के भी कुच्छ नियम हैं.ये रिश्ता हम कैसे निभा सकते हैं?"
"समाज के नियम...पत्नी..हुन्ह!क्या है समाज के नियम!यही कि आग के चारो तरफ घूम के 7 फेरे ले,सिंदूर लगा कर किसी को भी अपनी पत्नी के शरीर को जब जी चाहे,जैसे चाहे रौंदने का मौका मिल जाता है !मैं नही मानती ऐसे नियम."
"आप समझ नही रही है."
"मैं सब समझ रही हू पर आप नही समझ रहे हैं.आपको समाज का डर है ना.मुझे भी राजकुल की मर्यादा का ख़याल है.आपको वचन देती हू कभी भी उस पर आँच नही आने दूँगी.कल को आपका बेटा ठीक होकर वापस आ जाएगा तो इस मर्यादा के लिए, समाज के लिए मैं उसकी ब्यहता बन जाऊंगी.पर राजा साहब,एक लड़की क्या चाहती है अपने पति से.बस प्यार,विश्वास & इज़्ज़त जोकि आपके बेटे ने मुझे कभी नही दिया.ये सब मुझे आपने दिया है & मैने तन & मन दोनो से आपको अपना पति मान लिया है.कल आपका बेटा वापस आएगा तो दुनिया के लिए मैं उसकी बीवी हूँगी पर मेरी आत्मा पर अगर किसी का अधिकार होगा तो वो बस आपका होगा.आज जो खुशी मैने पाई है वो पहले कभी किसी ने मुझे नही दी.प्लीज़...ये खुशी मुझ से मत छिनिये.चाहे थोड़े दीनो के लिए ही सही-ये...ये 1 सपना ही सही.. मुझे इस सपने मे अपने साथ जी लेने दीजिए...प्लीज़!",मेनका की आँखें छल्छला आई & गला भर गया.
"क्या ग़लत कह रही है?क्या हमे हक़ नही है खुश रहने का & इसने तो हमारे घर मे कदम रखने के बाद बस दुख ही झेले हैं...और उसके कुच्छ ज़िम्मेदार तो हम भी हैं....क्या हुमारा फ़र्ज़ नही बनता इसकी इच्छाओं का मान रखने का.",राजा साहब के मन मे सवाल उठ रहे थे.
मेनका उनसे अलग हो उनकी तरफ पीठ कर सूबक रही थी.राजा साहब ने उसे अपनी तरफ घुमाया & ठुड्डी पकड़ कर उसके झुके चेहरे को उपर किया,"हम भी आपको वचन देते हैं जब तक इस शरीर मे जान है तब तक आपकी हर खुशी का ख़याल रखेंगे & इन आँखों मे आज के बाद हुमारी वजह से आँसू नही आएँगे.",राजा साहब ने उसके चेहरे पर बनी आँसू की लकीरों को अपने होठों से मिटा दिया & उसे अपनी बाहों मे भर लिया.मेनका उनके सीने मे मुँह छुपा फिर सुबकने लगी मगर इस बार आँसू खुशी के थे.
थोड़ी देर बाद जब वो चुप हो गयी तो उसने अपने ससुर की आँखों मे झाँका & अपने लिए सिर्फ़ प्यार पाया,"आइ लव यू.",कह कर उसने उनके होठ हल्के से चूम लिए.फिर उनका बातरोब साष खोल कर उतार दिया & उन्हे बेड पे ले गयी.
राजा साहब लेट गये तो वो भी उनकी बगल मे लेट गयी.
राजा साहब पीठ के बल लेट गये & मेनका उनकी बगल मे करवट ले कर लेट गयी.दोनो के होठ 1 बार फिर जुड़ गये.राजा साहब की एक बाँह मेनका की कमर के गिर्द थी & उनका 1 हाथ उसकी कमर & गांद को सहला रहा था & दूसरा उसकी छातियो को.मेनका की उंगलियाँ उसके ससुर के सीने के बालों से खेल रही थी.काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे.
फिर मेनका ने उनके होठों को छ्चोड़ उनके चेहरे को चूमना शुरू किया & चूमते हुए नीचे उनके सीने तक आ पहुँची.उसके होठ पहले तो हल्के से राजा साहब के काले निपल्स को छेड़ते रहे पर फिर अचानक उन्होने उन काले निपल्स को अपनी रेशमी गिरफ़्त मे भींच लिया.मेनका अपने ससुर के निपल्स चूसने लगी & वो अपने हाथ उसकी गांद & छाती से हटा उसके सर पर ले आए.उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था.
मेनका उनके सीने को चूमते हुए उनके सीने के बालों का पीचछा करते हुए नीचे जाने लगी & उनके लंड तक पहुँच गयी.लंड फिर से पूरा तना हुआ था.मेनका उसे एक तक निहारने लगी.कुच्छ देर पहले राजा साहब ने इसी लंड के सहारे उसे जन्नत की सैर कराई थी.उसने एक हाथ बढ़ा कर उसे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.राजा साहब उसे देख रहे थे.लंड इतना मोटा था कि उसका छ्होटा सा हाथ उसे पूरा नही घेर पा रहा था.
मेनका को अपने ससुर का लंड बहुत प्यारा लग रहा था.वो उसे अपने मुलायम हाथों से पकड़ धीरे-2 सहलाने लगी....उसका चेहरा धीरे-2 करके लंड की ओर झुकता जा रहा था.उसने और झुक कर लंड के टोपे को बहुत हल्के से चूम लिया.उसे खुद पर बहुत हैरानी हुई.उसका पति यही चाहता था पर उसे इतनी घिन आती थी,सोचने भर से ही उसे उबकाई आती थी....वो अपने पति से उलझ भी पड़ी थी & सॉफ इनकार कर दिया था उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से.
पर उसे आज कोई घिन महसूस नही हो रही थी बल्कि आज तो उसे ये सबसे नॅचुरल बात लग रही थी.जिस इंसान ने उसे प्यार, इतना सुख दिया था,उसके लंड को प्यार करना तो एक स्वावाभिक बात थी & फिर ये लंड कितना प्यारा लग रहा था..इतना बड़ा..इतना मोटा...अफ....यही सब सोचते हुए उसने लंड को इस बार थोड़ा & ज़ोर से चूम लिया.राजा साहब की आँखें नशे से बंद हो गयी & उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर & मज़बूत हो गयी.उनकी पत्नी ने ये कभी नही किया था & जिन रंडियों के पास जाते थे,वो तो पैसे के लिए कुच्छ भी कर सकती थी.ये पहली बार था जब किसी औरत ने अपनी मर्ज़ी से उनके लंड पे मुँह लगाया था.
मेनका ने अपने ससुर की टांगे फैलाई & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गयी,अपने हाथों मे लंड को पकड़ा & होठ उस पर कस दिए.राजा साहब ने आँखे खोली & सामने का नज़ारा देख कर & गरम हो गये.मेनका का काले बालों से घिरा चेहरा उनके लंड पर झुका था,उसने नज़रे उठाई तो उसके गुलाबी होठों मे लिपटा उनका लंड उन्हे दिखा.घुटने पे झुके होने की वजह से उसकी चौड़ी गांद हवा मे उठ गयी थी.राजा साहब उसके बालों मे उंगलिया फिराते रहे &जोश से पागल होते रहे.
मेनका ने उनकेसुपादे को कस कर चूस लिया तो राजा साहब की आह निकल गयी.अब वो पूरे जोश के साथ उनका लंड चूसने लगी.वो उनका पूरा का पूरा लंड निगल जाना चाहती थी पर वो उसके छ्होटे से मुँह मे आ नही रहा था.मेनका ने उसे मुँह से निकाला & उसे चूमने लगी.सूपदे के उपर लंड के छेद से चूमती वो लंड की जड़ तक पहुँच गयी.राजा साहब की झाँते भी उसके होठ छ्छू रही थी.उसने उनके अंडों को हाथ मे ले कर दबाया तो राजा साहब ने जोश मे अपनी कमर उचका दी.
मेनका ने पहले 1 & फिर दूसरे अंडे को अपने मुँह मे ले कर चूस लिया.राजा साहब तो पागल हो गये.उन्होने अपनी बहू का सर पकड़ अपने लंड पर दबा दिया.मेनका ने उनके आंडो को छ्चोड़ अबकी लंड की जड़ से चूमना शुरू किया & सूपदे तक पहुँच गयी.इसी तरह चूम कर & चूस कर राजा साहब को पागल कर दिया.वो बेचैनी से अपनी कमर हिला रहे थे.मेनका समझ गयी कि अब उसके ससुर को अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा है.उसने अपने मुलायम हाथों से नीचे से लंड को पकड़ा& हिलाने लगी.हिलाते हुए उसने अपने होठ लंड के उपर लगा दिया & चूसने लगी.
राजा साहब इस दो तरफे हमले से पागल हो गये.उनके आंडो से एक सैलाब चल कर उनके लंड से बाहर निकलने को बेताब होने लगा,उन्होने मेनका के सर को पकड़ अपने लंड पर & दबा दिया,"..हम...झड़ने वाले हैं...",उन्हे लग रहा था कि पता नही मेनका उनका पानी अपने मुँह मे लेना चाहे या नही.वो सोच रहे थे कि अब वो अपना मुँह हटा अपने हाथों से उन्हे झाड़वा देगी.
पर उनकी आशा के विपरीत मेनका ने अपने होठों की पकड़ & मज़बूत कर दी & और तेज़ी से उनके लंड को चूसने & हिलाने लगी.राजा साहब के सब्र का बाँध टूट गया,उनका शरीर झटके खाने लगा & नीचे से कमर हिला कर उन्होने अपनी बहू के मुँह को अपने पानी से भर दिया.मेनका उनका सारा वीर्या पीने लगी.उसने चूस-2 कर उनके लंड से विर्य की 1-1 बूँद निचोड़ ली.
राजा साहब झाड़ कर हान्फ्ते हुए लेट गये.उनका लंड सिकुड रहा था & मेनका उसे चाट कर सॉफ करने लगी.मेनका बहुत हैरान थी,उसने सपने मे भी नही सोचा था कि कभी वो ऐसे किसी लंड को मुँह मे लेगी & उसका पानी भी पी जाएगी....&वो भी अपने ससुर का.ऐसा सोचते ही उसे थोड़ी शर्म भी आ गयी.उसने लंड को अपने मुँह से अलग किया & धीमे से नज़रे उठा कर अपने ससुर से मिलाई.
राजा साहब को ऐसा मज़ा कभी भी महसूस नही हुआ था.उन्होने मेनका को अपनी ओर देखता पाया & हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर लिटा लिया,फिर करवट ले उसे अपनी बगल मे किया & बाहों मे भींच कर उसके चेहरे पर चुम्मों की झड़ी लगा दी.फिर उसके चेहरे को अपने हाथों मे लिया & उसकी काली,बड़ी-2 आँखों मे झँकते हुए उनके होठों से निकला,"आइ लव यू...मेनका."
शर्म & खुशी की लाली मेनका के चेहरे पर छा गयी & उसने अपने ससुर के सीने मे मुँह छुपा लिया.थोड़ी ही देर मे दोनो नींद के आगोश मे चले गये.
मेनका की आँख खुली तो उसने पाया कि वो करवट से लेटी हुई है & उसके ससुर भी वैसे ही लेते हैं.उनके होठ उसकी एक चूची से चिपके हुए थे & दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था.उसने खिड़की की ओर देखा तो पर्दे के पीछे अभी भी अंधेरे का एहसास हुआ.तभी राजा साहब ने उसके निपल को ज़ोर से चूस लिया,"ऊओ...ओवववव.",मेनका ने आह भरी & राजा साहब को उपर लेती हुई पीठ के बल लेट गयी.राजा साहब के लिया बस इतना इशारा काफ़ी था,उन्होने मेनका की टांगे अपने घुटनो से फैलाई & अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.
"आ...आह.",मेनका को फिर अपनी चूत मे वो मीठा दर्द महसूस हुआ.उसने अपने ससुर को अपनी बाहों & टाँगो मे भीच लिया & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी.राजा साहब उसकी चूचियो को छ्चोड़,उसके होठों पर झुक गये & एक बार फिर अपनी बहू की चुदाई मे जुट गये.
सवेरे मेनका की नींद खुली तो उसने पाया कि वो बिस्तर पे अकेली नगी पड़ी हुई है,राजा साहब वाहा नही थे.उसने घड़ी देखी तो 8 बज रहे थे.वो जल्दी से उठी,11 बजे डील साइनिंग के लिए पहुँचना था.वो बिस्तर से उतरने लगी तो उसका ध्यान अपनी चूचियो & जांघों पर गया.राजा साहब ने दोनो जगहों पर अपने होठों के निशान छ्चोड़ दिए थे.वो शर्मा गयी पर उसकी नज़रे राजा साहब को ढूँढने लगी.
बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.वो वैसे ही नंगी उस तरफ चल पड़ी,हाथ लगाया तो पाया कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला था.उसे धकेल कर वो अंदर दाखिल हुई तो देखा कि राजा साहब शेव कर रहें हैं,उनकी कमर के गिर्द 1 तौलिए के अलावा & कोई कपड़ा नही था.उन्होने घूम कर मेनका की तरफ देखा & मुस्कुरा दिए.
मेनका उनकी तरफ बढ़ने लगी.उसके ससुर की नज़रे उसके जिस्म के 1-1 अंग का मुआयना कर रही थी.उसके गाल शर्म से लाल हो गये,"ऐसे क्या देख रहे हैं?",वो उनके सामने खड़ी हो गयी.
"देख रहें हैं कि आपको धरती पर भेज कर भगवान आज कितना पछ्ता रहा होगा."
"धात!कैसी बातें करते हैं."
राजा साहब ने हल्के से उसके होठों को चूम लिया.तभी नीचे उसके पेट पे कुच्छ चुबा तो उसने देखा कि राजा साहब के तौलिए के अंदर उनका लंड खड़ा हो गया था & उसे छेड़ रहा था.मेनका ने हाथ बढ़ा कर तौलिए को राजा साहब के बदन से अलग कर दिया.
फिर वो झुक कर बैठ गयी,लंड उसकी आँखों के सामने था.राजा साहब सोच रहे थे कि फिर वो उन्हे मुँह मे लेगी पर मेनका ने ऐसा कुच्छ ना किया,हाथ बढ़ा कर वॉशबेसिन के बगल मे रखे शेविंग फोम के कॅन को उठा लिया & उस से फोम निकाल कर राजा साहब के लंड & टट्टों के आस-पास के बालों पर लगा दिया.फिर उनके हाथ से उनका रेज़र लिया & बड़ी सावधानी से राजा साहब की सारी झाटों को सॉफ कर दिया.
राजा साहब की धड़कन तेज़ हो गयी थी.काम पूरा कर मेनका उठी & उनके गालों पे बची शेव पूरी करने लगी,"कल रात प्यार करते वक़्त आपके इन बालों हमे बहुत तंग किया.",उसने एक हाथ से उनके लंड के पास की जगह को छुते हुए कहा.राजा साहब तो जोश से पागल हो गये.
उन्होने उसके हाथों से रेज़र छ्चीन कर फेंक दिया & उसे उठा कर वॉशबेसिन के बगल मे बने पलटफ़ॉर्म पे बिठा दिया,उसके घुटने मोड़ उसकी टाँगो को चौड़ा किया & अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया,"आ...अहह..."मेनका उनके सीने से लग गयी & दोनो फिर चुदाई का मज़ा उठाने लगे.वॉशबेसिन के उपर बने शीशे मे मेनका की नंगी पीठ की परच्छाई देख कर राजा साहब & गरम हो गये,उन्होने अपने हाथों मे उसकी चूचियाँ भींच ली.मेनका दर्द से तड़प कर उनसे चिपक गयी,"औ...च!",अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए & टांगे कमर पर कस दी.
राजा साहब ने हाथ चूचियो से हटा उसकी गांद की फांकों पर कस दिए & काफ़ी ज़ोर के झटके मारने लगे.इस पोज़िशन मे उनका लंड मेनका की चूत की दीवारों से ही नही रगड़ खा रहा था बल्कि उसकी चूत के दाने को भी रगड़ रहा था.मेनका भी अब अपनी कमर हिलाने लगी.वो सातवे आसमान मे पहुँच गयी थी.अपने ससुर की मर्दानगी की तो वो कायल हो गयी.कल रात ये शख्स 3 बार झाड़ा था पर अभी भी उसे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार कर रहा हो.उसकी कमर और झटके खाने लगी & वो अपने ससुर से & चिपक गयी.....उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था...वो झाड़ चुकी थी.राजा साहब को पता चल गया कि उनकी बहू झाड़ गयी है तो उन्होने भी 3-4 ज़ोर के धक्के मारे & 1 बार फिर से अपनी बहू की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.
थोड़ी देर दोनो वैसे ही एक-दूसरे से लिपटे,एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.फिर राजा साहब ने उसकी चूत से अपना लंड खींचना शुरू किया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा,"डील साइन करने भी तो जाना है",उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया,"जल्दी तैय्यर हो जाइए",उसके होठों को चूमा & बाथरूम से बाहर चले गये.
मेनका थोड़ी देर तक वैसे ही बैठी रही,वो इस एहसास से बाहर ही नही आना चाहती थी.पर डील के लिए भी तो जाना था.वो उठी & नहाने की तैय्यारि करने लगी.
तो बताइए ये पार्ट आपको कैसा लगा मेरे ख्याल से तो मैने इस पार्ट मे आपका मनोरंजन करने की पूरी कोशिश की है
क्रमशः........................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
मस्त मेनका पार्ट--1
मस्त मेनका पार्ट--2
मस्त मेनका पार्ट--3
मस्त मेनका पार्ट--4
मस्त मेनका पार्ट--5
मस्त मेनका पार्ट--6
मस्त मेनका पार्ट--7
gataank se aage................
Raat achanak Raja Sahab ko garmi mehsus hui to vo uth baithe,apne badan se chadar hata di & side table pe rakha lamp on kar diya.fir apna kurta utar kar kinare rakh diya & table se bottle utha kar pani peene lage.ghadi me dekha to 1 baj raha tha.unhe Menaka ka dhyan aaya to ghum kar uski or dekha.vo unki taraf hi karwat kar leti hui thi.
apni bahu ko dekhte hi raja sahab ke hoth fir sookh gaye,nighty ke gale se menaka ki chhatiyon ka kafi hissa nazar aa raha tha,baahon ke dabaav ke karan urozon ka katav & bada ho kar ubhar raha tha.neend me chadar bhi uske sharir se hat gayi thi & nighty uth kar ghutno ke upar tak aa gayi thi.uski gori taange & jaanghon ka thoda sa hissa lamp ki roshni me chamak rahe the.raja sahab ka lund pajame me sugbugane laga.unki nazre menaka ke jism se hat hi nahi rahi thi.unki aankhon ne uske pairon se uska muayana karna shuru kiya aur jaise hi uske chehre tak pahunchi to unke mathe par salwaten pad gayi.menaka neend me thi par kuchh budbuda rahi thi,chehre par ghabrahat bhi jhalak rahi thi...
chaaron taraf ghup andhera tha & menaka us veerane me akeli puri nangi bhag rahi thi.vo daityakar aadmi kaala libas pehne tha & chehre par bhi kala mukhauta tha.vo haathon me talwar le uska peechha kar raha tha.menaka badhawas si bahut tezi se daud rahi thi par tab bhi us haivan ko peechhe nahi chhod pa rahi thi.tabhi uska pair kahi phansta hai & vo gir jati hai.vo kala insan uske paas pahunch kar talwar uthata hai,menaka zor se chillati hai,"BACHAO!BACHAO!..."
"..dulhan..dulhan..aankhe kholo...",kahi door se uske kaano me aavaz aati hai.vo apni aankhe kholti hai & vo insan jise vo zaroorat ke waqt hamesha apne paas pati hai-uska sasur, use apne upar jhuka pati hai,"..aa gaye aap."
raja sahab menaka ke upar jhuke hue use jagane ki koshish kar rahe the.menaka ne uchak kar unke gale me baanhen daal di & unse chipak gayi,"mere paas rahiye.please,mujhe chhod kar mat jaiye."
raja sahab sambhal nahi paaye & use pakadte hue uske upar gir gaye.menaka unke gale se lagi hui thi & unka nanga seena menaka ki chhatiyon pe daba hua tha.raja sahab ka chehra uske baalon me tha & uski khushbu unhe madhosh kar rahi thi,menaka ko bhi bahut bhala lag raha tha.jis insan ke sapne vo dekhne lagi thi,aaj vo uski baahon me tha.usne apna gaal haule se raja sahab ke gaal pe ragda.uski is harkat se raja sahab & nashe me aa gaye& use vaise hi thame hue apna sar utha kar menaka ko dekha.
menaka ki nashili aankhen & adhkhule hoth unhe bulawa de rahe the jise unhone khushi ke sath kabool kiya & apne hoth uske tapte hothon pe rakh diye & apni bahu ko choomne lage.menaka bhi unki kiss ka jawab dene lagi & dono kafi der tak ek-dusre ke hothon ka maza uthate rahe.fir raja sahab ne dheere se apni jeebh menaka ke munh me daal di,vo to jaise isi intezar me thi & usne bhi apni jeebh unki jeebh se takra di.ab dono pure josh ke sath ek-dusre ko choomne lage.raja sahab ka lund pajame me poora tan chuka tha & neeche menaka use apni kamar ki side me mahsoos kar rahi thi,uski chut bhi gili ho gayi thi.dono ki taangen bhi neeche mil rahi thi & raja sahab apne pair se uske pairon ko sahla rahe the.
raja sahab ne apni bahu ke hothon ko chhod diya & uske gaal choomte hue uski lambi gardan par aa gaye.vaha se unke hoth menaka ke cleavage par pahunch gaye & raja sahab ne us par kisses ki jhadi laga di.apna hath peechhe le jate hue unhone menaka ki nighty ka zip khola & use uske kandhon se neeche sarkate hue uske seene se hata diya.kale rang ke strapless bra me kasa uska seena uski tez saanson ke sath upar-neeche ho raha tha.chhatiyon ka upari hissa khula tha & nipples & neeche ka hissa bra ne chhupa rakha tha.raja sahab ne uski choochiyon ke us khule upari hisse ko choomna shuru kar diya.
"aaa...aahhhhh..!",menaka karahi,uska badan ek kaman ki tarah upar uth gaya,uske haath apne sasur ke sar ko kas ke pakde hue the.raja sahab ab usi jagah par choosne lage the,menaka ki halat buri ho gayi,choot to pehle se hi gili thi & raja sahab ki is harkat ne use & paagal kar diya.raja sahab vaise hi chooste rahe & menaka ki choot ne pani chhod diya.vo jhad gayi thi & abhi tak uske sasur ne uski choot ko to chhua tak nahi tha.raja sahab ne uski nighty ko or neeche sarka kar kamar tak kar diya.
ab vo uske pet ko choom rahe the,menaka vaise hi unke sar par haath rakhe hue thi.choomte-2 vo uske sapaat pet ke beecho-beech gol,gehri nabhi tak pahunch gaye & apni jeebh usme phiraane lage.menaka phir se maze me kasmasane lagi.uske sasur apni jeebh se uski nabhi aise chaat rahe the jaise vo uski chut ho.yah khayal aate hi vo fir garam hone lagi.raja sahab ki jeebh uski nabhi se nikal kar nabhi & panty ke beech ke hisse par thi & tabhi raja sahab ne panty ke upar se hi uski chut par chumban thok diya.menaka ne laaj ke maare karwat le apne chehre ko haathon me chhupa liya.
ab raja sahab ke saamne uski peeth thi.vo thodi der tak uski patli kamar & chaudi gaand ko niharte rahe.fir unhone apna daaya hath uski kamar par rakh diya & peechhe se us se chipak gaye.unka pajame me qaid lund menaka ki gaand se sata tha & unka seena menaka ki peeth se.unka hath uski kamr se phisalta hua uske pet pe pahuncha & us hath ki 1 ungli uski nabhi ko kuredne lagi.menaka apni gaand pe raja sahab ke lund ko mehsus kar rahi thi & usne apni gaand peechhe kar ke us dabav ka jawab diya.raja sahab uski gardan chum rahe the & unka hath ab nabhi chhod menaka ki bra me kasi choochiyon ko daba raha tha.menaka ne apna daya hath peechhe le jakar apne sasur ke sar ko pakad liya.tab raja sahab ne apna hath uske seene se hata liya & usme uske pyare chehre ko bhar kar apni taraf ghumaya & use choomne lage .kafi der tak vo aise hi apni bahu ke hothon ka raspaan karte rahe & neeche se apna lund uski gaand pe ragadte rahe .
raja sahab ne uske hothon ko aazaad kiya & use pet ke bal lita diya & uski peeth ke 1-1 hisse ko chumne lage.apne daaton se unhone uske bra ke hook ko khol diya & choomte hue neeche uski gaand tak pahunch gaye.fir unhone uski kamar pakad kar use ghuma kar seedha pith ke bal lita diya.menaka ka khula bra uske seene par ab bhi pada tha,raja sahab ne use kinare phenk diya.menaka ki doodhiya rang ki badi-2 sudol chhatiyan & un par bane halke gulabi nipples ab unke saamne the.menaka ki aankhen sharm ke mare band thi & saansen aur tez ho gayi thi,jiske karan uske uroz upar-neeche ho rahe the & raja sahab ko paagal kiye de rahe the.
raja sahab apni bahu ki choochiyon par toot pade.vo kabhi apne haathon se unhe dabate ,maslate to kabhi apne hothon se choomte & chooste.unki in harkaton ne menaka ke seene ko love bites se bhar diya.menaka ne bhi unhe apni baahon me kas liya & uchak kar mano apna seena unke munh me aur ghusane ki koshish karne lagi.jab raja sahab ka munh uske seene se hat ta to unki ungliyan uske nipples ko masalne lagti jo ki ab pure kade ho gaye the.menaka ab bahut garam ho gayi thi & apni jaanghen ek sath ragad rahi thi.uski choot bahut gili ho gayi thi jab raja sahab ne uski 1 chhati ko apne haath me bhara & dusri ko apne munh me & itni zor se choossa & dabaya ki vo dusri baar jhad gayi.uske sasur ne bina uski chut chhue use 2 baar jhadwa diya tha.vo ab past ho gayi thi.usne adkhuli aankhon se pyar se apni sasur ko dekha.
raja sahab uske seene ko chhod apne ghutno par uski side me baith gaye.apne dono hath ki index fingers ko uski seene ke baglon se bahut halke-2 firate hue uski kamar tak le aaye & unhe uski panty ke waistband me phansa diya & fir haule se use uski jaanghon se sarkane lage.menaka ne sharm se aankhen band kar li.ab vo apne sasur ke saamne puri nangi hone wali thi.uski dhadkane tez ho gayi.usne mehsus kiya ki panty uski gaand ke neeche phans si rahi hai to usne dheere se apni kamar utha di & raja sahab ne panty uske jism se alag kar di.
raja sahab menaka ki khubsurati nihar rahe the.muth maarte waqt jaisi kalpana ki thi menaka us se bhi kahin zyada khubsurat thi & uski chhoti si,gulabi,bina baalon ki chut kitni pyari lag rahi thi.unhone uske pair ko utha kar apne hothon se laga liya & choomte hue uski jaangh tak pahunch gaye.menaka kasmasa rahi thi.ab use bardasht nahi ho raha tha.vo chahti thi ki bas ab vo uski chut ko apne munh se ji bhar kar pyar kare.
raja sahab ne uski dono jaanghon ko jam kar chooma & choosa & uski chhatiyon ki tarah bhi yaha bhi love nites ke roop me apne hothon ke dastkhat chhod diye.menaka ki choot bas gili hue chali jaa rahi thi.raja sahab uski jaanghon ko phaila kar unke beech let gaye & apna munh uski choot ke aas-paas 1 dayre me phirane lage.dheere-2 vo dayra chhota hone laga & unke hoth pehli baar uski chut se jaa lage.menaka ne apni taange unke kandhe par rakh di thi.ab vo neeche se apni kamar uchkane lagi.raja sahab ne apni jeebh uski chut ki darar pe firayi & dheere se use andar sarka diya.
"uumm....unnnnhhh.!,"menaka paagal ho gayi & apni kamr & uchkane lagi apne hathon se apne sasur ke sar ko apni jaanghon me bheenchne lagi.raja sahab ab poore josh se uski choot chatne lage & uske daane pe apni jeebh phirane lage.aisa karte hi menaka fir jhad gayi par raja sahab ne chaatna nahi chhoda.menaka ki to haalat ab bilkul hi kharab ho gayi thi. raja sahab ne uski choot ke thoda andar uske g spot ko khoj liya tha & vahi kabhi jeebh se to kabhi ungli se use ragad rahe the.menaka ki chut to paani chhodti hi ja rahi thi & use hosh bhi nahi tha ki ab tak vo kitni baar jhad gayi thi.aakhri baar jhadne ke baad usne dekha ki raja sahab uski taangon ke beech khade apna pajama utar rahe hain.jaise hi vo nange hue uski aankhen jo abhi tak adhkhuli thi aashcharya se phail gayi.
raja sahab ka 7 1/2inch lamba & kafi mota lund uske saamne tha.raja sahab ghutno ke bal uski taangon ke beech baithe the.menaka sochne lagi ki vo kaise itne bade lund ko apne andar legi.raja sahab ne uski taangen phaila kar uske ghutno ko mod diya & apna lund uski chut ki daraar par firaya to menaka ne apna nichla hoth apne daaton tale danba liya.
raja sahab ke lund ka mattha bahut mota tha & ab vo use halke se uski choot me ghusa rahe the.dard se menaka ki aankhen band ho gayi,"aa..hhh.",par raja sahab ne badi komalta se apne matthe ko uske andar ghusa diya.dheere-2 karke 4 1/2 inch lund andar chala gaya & vo vaise hi ghutno para baithe utne lund ko andar bahar karne lage,ab menaka ka bhi dard kam ho gaya & use maza aane laga.vo apne sasur ko dekhne lagi & dono hath badha kar unki kalaiyon ko pakad liya.raja sahab ne halke dhakkon ke sath ab apna lund aur andar dalna shuru kiya.
Menaka aaj tak kewal apne pati se chudi thi & is se zyada andar uska lund kabhi gaya nahi tha.use fir dard hone laga.raja sahab uske upar let gaye & use choomne lage & bahut dheeme-2 dhakkon ke sath apna pura lund uski choot me daal diya.thodi der vo sthir rahe & bas kabhi uske hothon to kafi chhatiyon ko choomte rahe.menaka ka dard jab khatam ho gaya to vo neeche se halke se apni kamar hilane lagi.
raja sahab ne apne bahu ke ishare ko samjha & apni baahon pe apne vajan ko lete hue uske badan se uth gaye.uski aankhon me jhaankte hue apna pura lund unhone ne bahar kheech liya & fir 1 jhatke me andar pel diya.
"aa...iiyyeee.",menaka chillayi & apne sasur ko apne upar kheench unse lipat gayi & apni taange bhi unki kamar ke gird lapet di.ab raja sahab ne dhakke laga kar uski chudai shuru kar di.menaka ko bahut maza aa raha tha.use bahut khushi ho rahi thi ki usne apne sasur ka itna bada lund apne andar le liya tha.vo unhe choomne lagi.uski choot aaj poori bhari thi,raja sahab ka lund uski chut ki anchhui gehraiyon ko maap raha tha & ye ehsaas use aur bhi paagal kiye de raha tha.usne apni kamar neeche se hilana shuru kar diya,raja sahab ne bhi apne dhakkon ki raftar badha di.tabhi menaka uchak kar unko paaglon ki tarah chumne lagi,uski kamar bhi tezi se hilne lagi & vo fir jhad gayi par raja sahab abhi bhi lage hue the.
menaka ki kasi chut unke lund ko poora lapete hue thi.apne poore jiwan me unhone aisi tight chut nahi chodi thi.unki patni ki kunwari chut bhi aisi na thi.
kamre me menka ki aanhon & raja sahab ki saanson ka shor tha.menaka fir se garam ho rahi thi.is lund ne to use pagal kar diya tha.lagta tha jaise uski chut se hota hua seedhe uski kokh pe dhakke mar raha hai.usne fir apni kamar neeche se hilana shuru kar diya.apne sasur ke badan ko usne apni baahon & taangon me qaid kar rakha tha.vo ab bahut tez dhakke laga rahe the.usne josh me apne nakhun unki pith me gada diye,uski chut fir se pani chhodne wali thi.neeche se apni kamar aur tezi se hilate hue,palang se uth kar vo apne sasur ke hothon ko choomne lagi...bas vo jhadne hi wali thi...raja sahab ko bhi ab apne upar kabu rakhna mushkil ho raha tha & vo bhi apni bahu ke chumban ka jawab dete hue & tezi se dhakke lagane lage.tabhi menaka ka maza charam seema par pahunch gaya & vo apne sasur se chipak si gayi,uske nakhun unki pith me aur dhans gaye & uski choot ne paani chhod diya.tabhi usne mehsus kiya ki uske sasur ne uske hothon ko apne hothon me buri tarah kas liya hai & unka badan bhi jhatke khane laga & use apni chut me kuchh garam sa mehsus kiya...uske jhadne ke sath hi uske sasur bhi jhad gaye the & uski chut ko apne virya se labalab bhar diya tha.
thodi der tak dono vaise hi pade apni saans sambhalte rahe.fir raja sahab uske upar se, dheere se apna lund uski chut me se kheechte hue uth gaye & bathroom chale gaye.lund nikalte hi menaka ko 1 khalipan ka ehsaas hua.
par aaj vo bahut khush thi.chudaai me itna maza milta hai,usne to sapne me bhi nahi socha tha.jitni baar vo aaj jhadi thi utni baar to vo apni puri shadishuda zindagi me bhi nahi jhadi thi.vishwa to use bas maze ke samundar ke kinare pe la kar chhod deta tha,par aaj pehli baar apne sasur ke sath is samundar ki gehrayi me kai baar doob kar usne pura lurf uthaya tha.
vo vaise hi nangi padi in khayalon me khoi thi ki bathroom ka darwaza khula & raja sahab bathrobe pehne bahar aaye.usne muskura kar unhe dekha par vo use andekha karte hue lounge ki or jaane lage.
"suniye",vo uthne lagi par raja sahab nahi ruke.vo daudti hui unke saamne jaa kar khadi ho gayi."kya hua?kahan jaa rahe hain?"
"humse galti ho gayi hai.hume jane dijiye."
"kaisi galti?kya keh rahe hain aap?abhi jo bhi hua usme aapke sath-2 meri bhi marzi shamil thi.phir galti kaisi?"
"samajhne ki koshish kijiye!"
"kya samjhane ki koshish karu?yahi ki jitna main aapko pyar karti hu utna hi aap bhi mujh se karte hain?"
"hosh me aaiye.abhi jo hua vo nahi hona chahiye tha."
"main pure hosh me hu balki ab hi to main hosh me aayi hu.abhi jo hua usme vaasna se kahi zyada pyaar tha.maine aapki aankhon me mere liye chahat saaf dekhi hai.kya ye sach nahi hain ya main galat hu...aap ko bhi bas mere badan ki bhookh thi."
"aap janti hain ki hum aapko chah-..."raja sahab ki adhoori baat me dard & gussa tha.
"to fir kyu ja rahen hai humse door?",menaka ne unke kandhon pe apne haath diye.
"aap...aap..humare bete ki patni hain.samaaj ke bhi kuchh niyam hain.ye rishta hum kaise nibha sakte hain?"
"samaj ke niyam...patni..hunhh!kya hai samaj ke niyam!yehi ki aag ke charo taraf ghum ke 7 fere le,sindoor laga kar kisi ko bhi apni patni ke sharir ko jab ji chahe,jaise chahe raundne ka mauka mil jata hai !main nahi manti aise niyam."
"aap samajh nahi rahi hai."
"main sab samajh rahi hu par aap nahi samajh rahe hain.aapko samaj ka darr hai na.mujhe bhi rajkul ki maryada ka khayal hai.aapko vachan deti hu kabhi bhi us par aanch nahi aane dungi.kal ko aapka beta thik hokar vaapas aa jayega to is maryada ke liye, samaj ke liye main uski byahta ban jaoongi.par raja sahab,ek ladki kya chahti hai apne pati se.bas pyar,vishwas & izzat joki aapke bete ne mujhe kabhi nahi diya.ye sab mujhe aapne diya hai & maine tan & man dono se aapko apna pati maan liya hai.kal aapka beta vapas aayega to duniya ke liye main uski biwi hoongi par meri aatma par agar kisi ka adhikar hoga to vo bas aapka hoga.aaj jo khushi maine paayi hai vo pehle kabhi kisi ne mujhe nahi di.please...ye khushi mujh se mut chhiniye.chahe thode dino ke liye hi sahi-ye...ye 1 sapna hi sahi.. mujhe is sapne me apne sath ji lene dijiye...please!",menaka ki aankhen chhalchhala aayi & gala bhar gaya.
"kya galat kah rahi hai?kya hume haq nahi hai khush rahne ka & isne to humare ghar me kadam rakhne ke baad bas dukh hi jhele hain...aur uske kuchh zimmedar to hum bhi hain....kya humara farz nahi banta iski ichhaon ka maan rakhne ka.",raja sahab ke man me sawal uth rahe the.
menaka unse alag ho unki taraf pith kar subak rahi thi.raja sahab ne use apni taraf ghumaya & thuddi pakad kar uske jhuke chehre ko upar kiya,"hum bhi aapko vachan dete hain jab tak is sharir me jaan hai tab tak aapki har khushi ka khayal rakhenge & in aankhon me aaj ke baad humari wajah se aansu nahi aayenge.",raja sahab ne uske chehre par bani aansoon ki lakeeron ko apne hothon se mita diya & use apni bahon me bhar liya.menaka unke seene me munh chhupa fir subakne lagi magar is baar aansu khushi ke the.
thodi der baad jab vo chup ho gayi to usne apne sasur ki aankhon me jhaanka & apne liye sirf pyar paya,"i love you.",keh kar usne unke hoth halke se chum liye.fir unka bathrobe sash khol kar utar diya & unhe bed pe le gayi.
raja sahab let gaye to vo bhi unki bagal me let gayi.
Raja Sahab pith ke bal let gaye & Menaka unki bagal me karwat le kar let gayi.dono ke hoth 1 bar fir jud gaye.raja sahab ki ek banh menaka ki kamar ke gird thi & unka 1 hath uski kamar & gaand ko sehla raha tha & dusra uski chhatiyon ko.menaka ki ungliyan uske sasur ke seene ke baalon se khel rahi thi.kafi der tak dono ek doosre ko aise hi choomte rahe.
fir menaka ne unke hothon ko chhod unke chehre ko chumna shuru kiya & chumte hue neeche unke seene tak aa pahunchi.uske hoth pehle to halke se raja sahab ke kale nipples ko chhedte rahe par fir achanak unhone un kale nipples ko apni reshmi giraft me bheench liya.menaka apne sasur ke nipples choosne lagi & vo apne hath uski gaand & chhati se hata uske sar par le aaye.unhe bahut maza aa raha tha.
menaka unke seene ko chumte hue unke seene ke baalon ka peechha karte hue neeche jane lagi & unke lund tak pahunch gayi.lund fir se pura tana hua tha.menaka use ek tak niharne lagi.kuchh der pehle raja sahab ne isi lund ke sahare use jannat ki sair karai thi.usne ek hath badha kar use apni giraft me le liya.raja sahab use dekh rahe the.lund itna mota tha ki uska chhota sa hath use pura nahi gher pa raha tha.
menaka ko apne sasur ka lund bahut pyara lag raha tha.vo use apne mulayam hathon se pakad dheere-2 sahlane lagi....uska chehra dheere-2 karke lund ki or jhukta jaa raha tha.usne aur jhuk kar lund ke tope ko bahut halke se chum liya.use khud par bahut hairani hui.uska pati yahi chahta tha par use itni ghin aati thi,sochne bhar se hi use ubkai aati thi....vo apne pati se ulajh bhi padi thi & saaf inkar kar diya tha uske lund ko apne munh me lene se.
par use aaj koi ghin mehsus nahi ho rahi thi balki aaj to use ye sabse natural baat lag rahi thi.jis insan ne use pyar, itna sukh diya tha,uske lund ko pyar karna to ek swavabhik baat thi & phir ye lund kitna pyara lag raha tha..itna bada..itna mota...uff....yehi sab sochte hue usne lund ko is baar thoda & zor se chum liya.raja sahab ki aankhen nashe se band ho gayi & unki pakad apni bahu ke sar par & mazbut ho gayi.unki patni ne ye kabhi nahi kiya tha & jin randiyon ke paas jate the,vo to paise ke liye kuchh bhi kar sakti thi.ye pehli baar tha jab kisi aurat ne apni marzi se unke lund pe munh lagaya tha.
menaka ne apne sasur ki taange phailayi & unke beech apne ghutno pe baith gayi,apne hathon me lund ko pakda & hoth us par kas diye.raja sahab ne aanken kholi & saamne ka nazara dekh kar & garam ho gaye.menaka ka kale baalon se ghira chehra unke lund par jhuka tha,usne nazre uthai to uske gulabi hothon me lipta unka lund unhe dikha.ghutne pe jhuke hone ki wajah se uski chaudi gaand hawa me uth gayi thi.raja sahab uske balon me ungliya firate rahe &josh se pagal hote rahe.
menaka ne unke supade ko kas kar choos liya to raja sahab ki aah nikal gayi.ab vo poore josh ke sath unka lund choosne lagi.vo unka poora ka poora lund nigal jana chahti thi par vo uske chhote se munh me aa nahi raha tha.menaka ne use munh se nikala & use choomne lagi.supade ke upar lund ke chhed se chumti vo lund ki jad tak pahunch gayi.raja sahab ki jhaante bhi uske hoth chhoo rahi thi.usne unke andon ko hath me le kar dabaya to raja sahab ne josh me apni kamar uchka di.
menaka ne pehle 1 & fir dusre ande ko apne munh me le kar chus liya.raja sahab to pagal ho gaye.unhone apni bahu ka sar pakad apne lund par daba diya.menaka ne unke ando ko chhod abki lund ki jad se chumna shuru kiya & supade tak pahunch gayi.isi tarah chum kar & choos kar raja sahab ko pagal kar diya.vo bechaini se apni kamar hila rahe the.menaka samajh gayi ki ab uske sasur ko apne upar kabu rakhna mushkil hao raha hai.usne apne mulayam hathon se niche se lund ko pakda& hilane lagi.hilate hue usne apne hoth lund ke upar laga diya & chusne lagi.
raja sahab is do tarfe humle se pagal ho gaye.unke ando se ek sailab chal kar unke lund se bahar nikalne ko betaab hone laga,unhone menaka ke sar ko pakad apne lund par & daba diya,"..hum...jhadne wale hain...",unhe lag raha tha ki pata nahi menaka unka pani apne munh me lena chahe ya nahi.vo soch rahe the ki ab vo apna munh hata apne haathon se unhe jhadwa degi.
par unki asha ke viprit menaka ne apne hothon ki pakad & mazbut kar di & aur tezi se unke lund ko choosne & hilane lagi.raja sahab ke sabr ka bandh toot gaya,unka sharir jhatke khane laga & neeche se kamar hila kar unhone apni bahu ke munh ko apne pani se bhar diya.menaka unka sara virya peene lagi.usne chus-2 kar unke lund se virya ki 1-1 boond nichod li.
raja sahab jhad kar haanfte hue let gaye.unka lund sikud raha tha & menaka use chaat kar saaf karne lagi.menaka bahut hairan thi,usne sapne me bhi nahi socha tha ki kabhi vo aise kisi lund ko munh me legi & uska pani bhi pi jayegi....&vo bhi apne sasur ka.aisa sochte hi use thodi sharm bhi aa gayi.usne lund ko apne munh se alag kiya & dheeme se nazre utha kar apne sasur se milayi.
raja sahab ko aisa maza kabhi bhi mehsus nahi hua tha.unhone menaka ko apni or dekhta paya & hath badha kar use kheech kar apne upar lita liya,phir karwat le use apni bagal me kiya & baahon me bheench kar uske chehre par chummon ki jhadi laga di.fir uske chehre ko apne hathon me liya & uski kali,badi-2 aankhon me jhankte hue unke hothon se nikla,"i love you...menaka."
sharm & khushi ki lali menaka ke chehre par chha gayi & usne apne sasur ke seene me munh chhupa liya.thodi hi der me dono neend ke agosh me chale gaye.
menaka ki aankh khuli to usne paya ki vo karwat se leti hui hai & uske sausr bhi vaise hi lete hain.unke hoth uski ek chhati se chipke hue the & dusri ko apne haath se masal raha tha.usne khidki ki or dekha to parde ke peechhe abhi bhi andhere ka ehsas hua.tabhi raja sahab ne uske nipple ko zor se choos liya,"ooo...owwww.",menaka ne aah bhari & raja sahab ko upar leti hui pith ke bal let gayi.raja sahab ke liya bas itna ishara kafi tha,unhone menaka ki taange apne ghutno se phailayi & apna lund uski chut me ghusa diya.
"aa...ahhh.",menaka ko fir apni chut me vo meetha dard mehsus hua.usne apne sasur ko apni baahon & taango me bheech liya & uski kamr khud ba khud hilne lagi.raja sahab uski chhatiyon ko chhod,uske hothon par jhuk gaye & ek baar fir apni bahu ki chudai me jut gaye.
Savere Menaka ki neend khuli to usne paaya ki vo bistar pe akeli nagi padi hui hai,raja sahab vaha nahi the.usne ghadi dekhi to 8 baj rahe the.vo jaldi se uthi,11 baje deal signing ke liye pahunchna tha.vo bistar se utarne lagi to uska dhyan apni chhatiyon & jaanghon par gaya.raja sahab ne dono jagahon par apne hothon ke nishan chhod diye the.vo sharma gayi par uski nazre raja sahab ko dhoondhne lagi.
bathroom se pani girne ki aavaz aa rahi thi.vo vaise hi nangi us taraf chal padi,hath lagaya to paya ki bathroom ka darwaza khula tha.use dhakel kar vo andar dakhil hui to dekha ki raja sahab shave kar rahen hain,unki kamar ke gird 1 tauliye ke alawa & koi kapda nahi tha.unhone ghum kar menaka ki taraf dekha & muskura diye.
menaka unki taraf badhne lagi.uske sasur ki nazre uske jism ke 1-1 ang ka muayana kar rahi thi.uske gaal sharm se laal ho gaye,"aise kya dekh rahe hain?",vo unke samne khadi ho gayi.
"dekh rahen hain ki aapko dharti par bhej kar bhagwan aaj kitna pachhta raha hoga."
"dhat!kaisi baaten karte hain."
raja sahab ne halke se uske hothon ko chum liya.tabhi neeche uske pet pe kuchh chubha to usne dekha ki raja sahab ke tauliye ke andar unka lund khada ho gaya tha & use chhed raha tha.menaka ne hath badha kar tauliye ko raja sahab ke badan se alag kar diya.
phir vo jhuk kar baith gayi,lund uski aankhon ke samne tha.raja sahab soch rahe the ki fir vo unhe munh me legi par menaka ne aisa kuchh na kiya,hath badha kar washbasin ke bagal me rakhe shaving foam ke can ko utha liya & us se foam nikal kar raja sahab ke lund & tatton ke aas-paas ke baalon par laga diya.fir unke hath se unka razor liya & badi savdhani se raja sahab ki saari jhaaton ko saaf kar diya.
raja sahab ki dhadkan tez ho gayi thi.kaam pura kar menaka uthi & unke gaalon pe bachi shave puri karne lagi,"kal raat pyaar karte waqt aapke in baalon hume bahit tang kiya.",usne ek hath se unke lund ki paas ki jagah ko chhute hue kaha.raja sahab to josh se pagal ho gaye.
unhone uske hathon se razor chheen kar fenk diya & use utha kar washbasin ke bagal me bane paltform pe bitha diya,uske ghutne mod uski taango ko chauda kiya & apna lund uski chut me daal diya,"aa...ahhhhh..."menaka unke seene se laga gayi & dono fir chudai ka maza uthane lage.washbasin ke upar bane sheeshe me menaka ki nangi peeth ki parchhayi dekh kar raja sahab & garam ho gaye,unhone apne hathon me uski choochiyaan bheench li.menaka dard se tadap kar unse chipak gayi,"ou...chhh!",apne nakhun unki pith me gada diye & taange kamar par kas di.
raja sahab ne hath chhatiyon se hata uski gaand ki phankon par kas diye & kafi zor ke jhatke marne lage.is position me unka lund menaka ki chut ki deewaron se hi nahi ragad kha raha tha balki uski chut ke dane ko bhi ragad raha tha.menaka bhi ab apni kamr hilane lagi.vo saatve aasmaan me pahunch gayi thi.apne sasur ki mardangi ki to vo kaayal ho gayi.kal raat ye shakhs 3 baar jhada tha par abhi bhi use aise chod raha tha jaise pehli bar kar raha ho.uski kamar aur jhatke khane lagi & vo apne sasur se & chipak gayi.....uski chut ne pani chhod diya tha...vo jhad chuki thi.raja sahab ko pata chal gaya ki unki bahu jhad gayi hai to unhone bhi 3-4 zor ke dhakke mare & 1 baar fir se apni bahu ki chut me apna pani chhod diya.
thodi der dono vaise hi ek-dusre se lipte,ek dusre ko chumte sahlate rahe.fir raja sahab ne uski chut se apna lund kheenchna shuru kiya to Menaka ne sawaliya nazro se unhe dekha,"deal sign karne bhi to jana hai",unhone apna lund bahar nikal liya,"jaldi taiyyar ho jaiye",uske hothon ko chuma & bathroom se bahar chale gaye.
menaka thodi der tak vaise hi baithi rahi,vo is ehsas se bahr hi nahi aana chahti thi.par deal ke liye bhi to jana tha.vo uthi & nahane ki taiyyari karne lagi.
kramshah......................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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