Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--42

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बाली उमर की प्यास पार्ट--42
गतान्क से आगे..................

"हॅपी ब'डे!" सुबह सोते हुए अचानक पिंकी ने अंजलि को पकड़कर झकझोर सा दिया... देर रात तक जागने रहने के कारण अंजलि जागने के बाद भी उनीनदी सी थी...,"उन्ह.. क्या है? थोड़ी देर और सोने दे ना...!" उसने कसमसा कर कहा.....

"अरे.. आज तेरा ब'डे है.. चल उठ जल्दी...!" पिंकी ने अंजलि की नींद तोड़ने के लिए उसके पेट पर अपनी कोहनी रख कर दबा दी...

"ऊई मम्मी... क्या करती है यार...?" अंजलि ने च्चटपटा कर उसकी कोहनी हटाई और बैठ कर अपनी आँखें मसल्ने लगी...

"कितने साल की हो गयी तू?" पिंकी ने पूचछा...

"अठारह की... क्यूँ?" अंजलि ने उसको अपनी उमर बता कर पूचछा....

"कुच्छ नही.. बस ऐसे ही पूचछा है..." पिंकी ने कहा और मुस्कुरा दी...

"ये कहाँ गयी...?" अंजलि ने अपनी साइड में खाली बिस्तेर देख कर पूचछा...

"पता नही... यहीं होगी बाहर... तुझे पता है.. सुबह सारी लड़कियों को ग्राउंड में इकट्ठा करते हैं... हमें कोई जगाने ही नही आया... तू सो रही थी, इसीलिए मैं भी नही गयी...!" पिंकी ने बताया...

"पिंकी!" अंजलि ने उसकी बात सुन'ने के बाद कहा..,"यार, मुझे भी बहुत बुरा लगा था जब उसने तुझे कमर दबाने को कहा... हम अपना कमरा चेंज कर लेंगे...!"

"तो क्या हो गया.. मुझसे बड़ी हैं.. एक आध बार काम बोल भी देंगी तो कर दूँगी... वैसे ये कमरा सब कमरों से अच्च्छा है... मैं इस कमरे में नही होती तो मेरे साथ भी दीदी कल ऐसा ही करती ना...?" पिंकी ने मन मसोस कर कहा....

"तू तो सो गयी थी ना...?" अंजलि ने हैरत से पूचछा.....

"हां... सुबह मैं बाहर निकली तो कल वाली लड़कियों में से एक ने बताया कि उनके साथ बहुत बेकार बातें की थी दीदी ने... 'वो' नही रहेगी यहाँ.... ऐसा बोल रही थी... एक बात पूच्छून...?"

"हाँ... पूच्छ...!"

"तुम वो... वो डाइयरी क्यूँ लिख रही हो?" पिंकी ने पूचछा तो अंजलि के होश उड़ गये...

"सीसी..कौनसी डाइयरी?"

"वही.. जो तेरे बॅग में रखी है... तेरा सामान निकाल कर अलमारी में रख रही थी तो मुझे मिली..."

"त्त..तूने 'वो' पढ़ ली?" अंजलि हड़बड़ा गयी...

"थोड़ी सी पढ़ी थी... तुमने उसमें पता नही कैसी कैसी गंदी बातें लिख रखी हैं... मैने बीच में ही छ्चोड़ दी...." पिंकी मुस्कुरकर बोली...

"मैं बताउन्गि तुझे...! कहाँ है मेरी डाइयरी...." अंजलि तुनक सी गयी....

"मैने च्छूपा दी.. बाद में पढ़ कर दूँगी.... हे हे हे..."

"देख.. चुपचाप 'वो' डाइयरी दे दे... वरना मैं...." अंजलि अपनी बात पूरी करती.. उस'से पहले ही दरवाजे पर एक लड़की आकर खड़ी हो गयी...,"पिंकी कौन है.. उसके गार्डियन आए हैं नीचे....!"

"पर... पापा तो कल आने थे..." पिंकी कहकर उठी और खुशी से झूमते हुए अपनी चप्पल ढूँढने लगी....

"रुक.. मैं भी तो आ रही हूँ...!" पिंकी को बाहर भागते देख अंजलि भी झट से उठी और अपना मुँह धोने लगी....

"आ जाओ.. मैं नीचे ही हूँ..." पिंकी ने एक पल ठिठक कर कहा और फिर भाग गयी....

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"तुम...?" हॅरी को सामने पाकर पिंकी का बुरा हाल हो गया था.. गेस्ट रूम में हॅरी कुर्सी पर बैठा हुआ उसको देख कर मुस्कुरा रहा था...,"क्यूँ? तुम्हे खुशी नही हुई?"

"न्नाही.. ववो.. मैं तो बस... तुम मुझसे मिलने कैसे आ गये... यहाँ तो मम्मी पापा ही मुझसे मिल सकते हैं बस... और आज तो सॅटर्डे है... आज के दिन भी मिल सकते हैं क्या?" पिंकी हड़बड़ा कर बोली....

"मैं तो किसी और काम से आया था... प्रिन्सिपल मेडम से मिलने... सोचा... तुमसे भी मिलता चलूं...!" हॅरी प्यार से उसके चेहरे को निहारता रहा..,"आओ बैठो ना...!"

आअस्चर्य और झिझक के मिले जुले भाव पिंकी के चेहरे पर देखे जा सकते थे.. तभी अंजलि भागती हुई गस्ट रूम में घुसी और हॅरी को वहाँ पाकर वापस पलट गयी....

"म्‍मैइन.. 2 मिनिट में आ जाउ?" पिंकी हॅरी के सामने खुद को रात के कपड़ों में देख शर्मा रही थी....

"नही.. अभी तो मुझे जल्दी है... तुम बस दो मिनिट बैठ जाओ...!" हॅरी ने उसको अपने पास आने का इशारा किया....

"ऐसे ही जाना था तो मुझे क्यूँ बुलाया यहाँ....?" पिंकी ने मुँह बना लिया...

"एक 'किस' लेने के लिए... दे दो ना?" हॅरी शरारत करता हुआ बोला....

हॅरी के मुँह से सीधी बात सुनकर शर्म से पिंकी के गाल गुलाबी हो गये...," ऐसी बात मत करो.. मैं चली जाउन्गि..." पिंकी अपनी झिझक च्छुपाने के लिए उसकी तरफ कमर करके खड़ी हो गयी....

हॅरी चुपके से उठा और दरवाजा बंद करके वहीं अपनी कमर सटा कर खड़ा हो गया,"ऐसे कैसे चली जाओगी... एक 'किस' तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी आज!"

बंद कमरे में एक बार फिर हॅरी के सामने खुद को पाकर पिंकी का कुँवारा यौवन मचल उठा... नज़रें उठाकर उसने क्षण भर के लिए हॅरी से नज़रें चार की और फिर उसके लब थिरक उठे...,"ंमुझे जाने दो ना... डर लग रहा है.. कोई आ जाएगा...."

"तुम इधर तो आओ एक बार..." हॅरी ने उसकी और अपने हाथ फैलाए...

पिंकी ने छलक्ते यौवन को संभालने की कोशिश करते हुए एक हाथ छातियो को च्छूपाते हुए अपने चेहरे पर रखा और नज़रें झुकाए हुए रेंगती हुई सी उसके पास जा पहुँची..,"क्क्या?"

"एक बार अपने होंटो पर होन्ट रखने दो ना जान!" हॅरी ने उसकी कलाई को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया.... प्रतिरोध की गुंजाइश ही नही बची थी... पिंकी का बदन हॅरी की बाहों के दायरे में सिमटा हुआ था... हॅरी के दोनो हाथ पिंकी की कमर पर थे और पिंकी के दोनो हाथ लज्जा वश अपनी और हॅरी की छाती के बीच...

"नही.. होंटो पर नही प्लीज़... मुझे..!" अपनी उखड़ी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए पिंकी ने अपना चेहरा उठा कर आँखें बंद कर ली... भला ये रज़ामंदी नही तो और क्या था... हॅरी ने उसको आगे कुच्छ बोलने ही नही दिया और थोड़ा झुक कर पिंकी के रसीले आधारों पर अपने होन्ट टीका दिए...

"अया..." पिंकी बावली सी होकर कराह उठी... हॅरी के हाथ जैसे ही नीचे सरकते हुए उसके नितंबों पर जाकर टीके.. काम तृष्णा बुझाने की ललक ने पिंकी को अपनी आइडियां उपर उठा अपने हाथों की दीवार को दोनो के बीच से अलग करके हॅरी के गालों को थाम लेने पर राज़ी कर ही लिया.... अपनी उभरती हुई चूचियो को हॅरी के सीने में धंसता हुआ पाकर पिंकी का रोम रोम दाहक उठा... नितंबों पर हॅरी के हाथों की जकड़न ने ऐसी आग लगाई की पिंकी सिसक उठी... उसके ऐसा लगा जैसे यही जन्नत है... नितंबों, चूचियो और आधारों के स्पर्श का असर जाने कैसे पिंकी की योनि तक जाकर उसको पिघलने लगा...

पूरे 2 मिनिट तक पिंकी के मन-बदन को झकझोर कर रख देने वाले अहसास के बाद जैसे ही हॅरी उस'से अलग हुआ, पिंकी अजीब सी नज़रों से उसको देखने लगी.. मानो पूच्छ रही हो,"रुक क्यूँ गये?"

"तुम कितनी मीठी हो पिंकी? मैं इस चूमबन को जिंदगी भर नही भुला पाउन्गा... तुम्हे कैसे लगा...?" हॅरी ने पूचछा तो पिंकी जैसे होश में आई... शरमाई और घबराई हुई सी पिंकी ने एक बार फिर नजरारें चुरा ली...,"अब तुम चले जाओगे क्या?"

"हां.. जाना पड़ेगा.. यहाँ तुम्हारे साथ तो नही रह सकता ना...? मौका मिलते ही फिर आउन्गा...!"

"कब?" पिंकी के सवाल में कुच्छ ऐसा भाव था.."जल्दी आना!"

"जल्द ही... मैं तो यहाँ आता रहता हूँ...!" हॅरी ने दरवाजा खोल दिया...,"कोई प्राब्लम हो तो बता देना...!"

"अपना... अपना नंबर. दे दो ना... मैं फोन करूँगी...!" पिंकी अब भी चेहरा झुकाए बोल रही थी.. नज़रें मिलना उसको दुश्वार लग रहा था...

"नंबर...?... अच्च्छा लिख लो... फोन तो करोगी ना...?" हॅरी मुस्कुरकर बोला....

"हां... एक दीदी के पास मोबाइल है.. उस'से मिस कॉल करूँ तो तुम कर लेना...!" पिंकी ने हॅरी से पेन लेते हुए अपने हाथ पर नंबर. लिख लिया....

"तुम उसका ही नंबर. दे दो.. मैं खुद कर लूँगा...."

"मेरे पास नंबर. नही है उसका... मैं शाम को फोन करूँगी...!"

"ठीक है.. अब मैं चलूं...?" हॅरी ने वापस जाकर अपना बॅग उठाया....

पिंकी ने सकुचते हुए हॅरी को देखा और फिर अपनी गर्दन हिला दी... हॅरी के जाने के बाद भी काफ़ी देर तक वह गुमसूँ सी उस जगह को देखती रही जहाँ वो कुच्छ देर पहले अपने 'यार' की बाहों में थी....

"अयाया!" पिंकी ने काफ़ी देर बाद एक लंबी साँस ली और ग्वेस्टर्म से निकल गयी....

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"ययए किसलिए आया था...? क्या बात हुई?" अंजलि उसका चेहरा पढ़ने की कोशिश करती हुई बोली....

"ये.. बड़ी मॅ'म को जानता है... उसी के पास आया था...!" पिंकी की आँखें चमक उठी...

"तुझसे क्या कह रहा था... क्या बात हुई..? तुमने दरवाजा क्यूँ बंद किया था एक बार...?" अंजलि अधीर हो रही थी.. कुच्छ मसालेदार सुन'ने को...

"कुच्छ नही.. उसने ही किया था जान बूझ कर.. 'क़िस्सी' माँग रहा था..."

"फिर.. तूने दी या नही..."

"ले ली उसने... मैं तो मना कर रही थी.. वो माना ही नही..." पिंकी शर्मा गयी...

"कहाँ पर?" अंजलि खुश होकर हंस दी...

"आए... तुम पिंकी हो ना?" दरवाजे से अचानक अंदर आई सीमा कुच्छ हड़बड़ी में लग रही थी....

"आ...हां दीदी!" पिंकी अचानक संभलते हुए बोली....

"तुमने पहले क्यूँ नही बताया यार...!" सीमा उसके पास आकर उसकी कमर पर हाथ रख कर बैठ गयी....

"बताया तो था दीदी.. पर क्यूँ पूच्छ रही हो?" पिंकी ने अचकचा कर पूचछा...

"तुम तो मेडम की ख़ासमखास लगती हो यार... मेडम ने तुम्हारा खास ध्यान रखने को बोला है....!"

"अच्च्छा... ववो.. हॅरी ने बोला होगा...!" पिंकी खुशी से झूम उठी...

"नही.. हॅरी कौन? मुझे तो मेडम ने बुलाकर बोला है!" सीमा सफाई देती हुई बोली....

"आपको नही दीदी.. हॅरी ने बड़ी मॅ'म को बोला होगा.. मेरा ध्यान रखने को...!"

"हूंम्म.. अब मुझे आरती को वापस बुलाना पड़ेगा... तुम दोनो अड्जस्ट कर लॉगी ना उसके साथ...?" सीमा ने दोनो की ओर बारी बारी से देखते हुए सवाल किया...

"हाँ.. पर उसको क्यूँ बुला रही हो.. '13' नंबर. वालियों ने टिकने नही दिया क्या उसको..!" अंजलि ने सवाल किया....

"अरे 13 नंबर. वालियों की.... मुझे अपने लिए भी तो चाहिए ना काम करवाने के लिए... तुम दोनो को तो कह नही सकती...!" सीमा मुस्कुरकर बोली और फिर अंजलि का हाथ पकड़ लिया..,"आज चलना है क्या..?"

"कहाँ?" अंजलि ने पूचछा तो पिंकी भी गौर से सीमा की ओर देखने लगी....

"वहीं यार... बोला था ना कल...!"

"पर कल तो चाचा जी आने वाले हैं..... आज कैसे?"

"कहाँ जा रहे हो.. मुझे भी तो बताओ ना...?" पिंकी ने उत्सुक होकर पूचछा...

"अरे सुबह तक वापस आ जाएँगे.. चिंता मत कर तू... आज खास प्रोग्राम है... चलना है तो बोल.... एक और लड़की चल रही है...?!" सीमा पिंकी के सवाल को नज़रअंदाज करते हुए बोली....

"मैं आपको थोड़ी देर मैं बता दूँगी दीदी...!" अंजलि असमन्झस में पड़ गयी थी...

"ठीक है... सोच कर बता देना... पर ऐसा मौका फिर नही आएगा..." सीमा ने कहा और अपने बालों को झटकती हुई कमरे से बाहर चली गयी....

"कहाँ जा रही है..? मुझे भी तो बता ना?" पिंकी जान'ने को व्याकुल हो उठी....

"किसी को बताएगी नही ना तू?" अंजलि ने पूचछा....

"आज तक बताई है कोई बात?" पिंकी ने अंजलि को घूरा....

"नही पर.... 'वो' ये मुझे हॉस्टिल से बाहर घुमा कर लाने की बोल रही है... रात को...!" अंजलि ने बता ही दिया....

"तू पागल हो गयी है क्या? रात को हॉस्टिल से बाहर... वो भी 'ऐसी लड़की के साथ... क्या पता कहाँ फँसा देगी तुझको...!" पिंकी ने गुस्से से अंजू को लताड़ सी लगाई....

"ऐसा कुच्छ नही होगा... रात रात की तो बात है.. सुबह तक वापस आ जाउन्गि मैं...!" अंजलि ने समझाने की कोशिश की....

"पर क्यूँ जा रहे हो... ये तो बताओ.. मैं भी चालूंगी...!"

"तू नही पागल... ना!"

"क्यूँ? तुम जा रही हो तो मैं क्यूँ नही.. मैं भी चालूंगी तेरे साथ...!"

"समझा कर यार... आज मैं जाकर देख लेती हूँ... फिर कभी चल पड़ना...." अंजलि ने समझाने की कोशिश की....

"पर.. जा क्यूँ रही है तू...?"

"ववो.. वो घूम फिर कर आ जाएँगे बस... और कुच्छ नही...!" अंजलि ने सकपकाकर बात बनाई....

"नही.. मैं तुझे अकेले नही जाने दूँगी....!" पिंकी आड़ गयी..,"तू जाएगी तो मैं भी जाउन्गि.... बस!"

"वो तू सीमा से पूचछा... लेकर तो उसको ही जाना है ना?" अंजलि झल्ला उठी....

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"दीदी... मैं भी चलूं क्या...? तुम लोगों के साथ घूमने...." सीमा के आते ही पिंकी ने सवाल किया....

सीमा कुच्छ देर पिंकी की ओर देखते हुए कुच्छ सोचती रही और फिर 'ना' में गर्दन हिला दी....,"ना! तुझे नही जाना...!"

"पर क्यूँ दीदी? अंजलि भी तो जा रही है...." पिंकी बिगड़ कर बोली....

"तुझे नही जाना.. कह दिया ना... बाद में देखूँगी कभी....!" सीमा ने दो टुक जवाब दे दिया....

"ववो.. एक फोन करना है दीदी... कर लूं क्या?" पिंकी ने हताश होकर अपनी बात बदल दी....

"ले मार ले...बाहर जाकर बात कर ले... किसी को बोल मत देना ये बात.. सीक्रेट है.... समझ गयी?" सीमा ने कहकर उसकी तरफ मोबाइल उच्छाल दिया... पिंकी फोन लेकर बाहर निकल गयी....

"तूने इसको क्यूँ बताया यार...!" सीमा पिंकी के जाते ही अंजलि पर गुस्सा करती हुई बोली.....

"ये किसी को कुच्छ नही बताएगी दीदी.. इसके पास पहले के भी मेरे कयि राज हैं.. आप चिंता मत करो... और फिर इसको तो बताना ही पड़ता ना... इसको तो पता लगना ही था....!" अंजलि ने जवाब दिया.....

"ऐसे कैसे पता लगता.. मैं इसको कोई बहाना करके रात को दूसरे कमरे में सुला देती... उसके बाद हमें निकलना था... आइन्दा किसी को भी ऐसे मत बताना...!" सीमा तुनक कर बोली...

"ठीक है दीदी.. आगे से मैं ध्यान रखूँगी...." अंजलि ने कहा और फिर पूचछा....,"कितने बजे जाना है...?"

"10 बजे के बाद!" सीमा ने टका सा जवाब दिया.....

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"मत लेकर जाओ मुझे.... मैने हॅरी को बोल दिया... कल 'वो' मुझे लेकर जाएगा...!" अकेली होते ही पिंकी ने अंजू पर ताना सा मारा....

"क्या? तू रात को उसके साथ जाएगी..." अंजलि उच्छल सी पड़ी...,"पर वो कैसे लेकर जाएगा तुझे...?"

"मुझे नही पता.... मैने आज रात के लिए बोला था.. उसने कल का वादा किया है.. आज वो फ्री नही है...!"

"पर हॉस्टिल से कैसे लेकर जाएगा तुझे?"

"क्यूँ.. जब सीमा लेकर जा सकती है तो 'वो' क्यूँ नही... वो' बड़ी मॅ'म को जानता है.. उसको बोल कर ले जाएगा....!"

"और.... और 'वो' तुझसे 'प्यार' करने लगा तो?" अंजलि ने कहकर बत्तीसी निकाल दी....

"ऐसे कैसे कर लेगा 'प्यार'... शादी से पहले मैं ऐसा वैसा कुच्छ नही करने वाली...!" पिंकी ने कहा और शर्मा गयी....

"तो तू उस'से शादी करेगी?"

"और नही तो क्या?.. मीनू लंबू से करेगी तो उसको मेरी भी सेट्टिंग करवानी पड़ेगी...!" पिंकी ने तुरुप का पत्ता फैंका....

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रात करीब 10 बजे जैसे ही सीमा अंजलि और श्वेता को लेकर खेल के मैदान वाले पिच्छले गेट पर पहुँची.. गेट्कीपर ने बिना कुच्छ बोले चुपके से दरवाजा खोल दिया... बाहर थोड़ी ही दूर एक गाड़ी पहले ही उनके इंतजार में खड़ी थी...

"हाई जानेमन!" सीमा के अगली सीट पर बैठते ही ड्राइवर ने कहा तो सीमा ने उसकी तरफ झुक कर उसके होंटो को चूम लिया...,"चलो जल्दी... सुबह तक वापस भी आना है"

क्रमशः......................

"Happy B'day!" Subah sote huye achanak Pinky ne Anjali ko pakadkar jhakjhor sa diya... der raat tak jaagne rahne ke karan Anjali jaagne ke baad bhi uneendi si thi...,"unh.. kya hai? thodi der aur sone de na...!" Usne kasmasa kar kaha.....

"are.. aaj tera B'day hai.. chal uth jaldi...!" Pinky ne Anjali ki neend todne ke liye uske pate par apni kohni rakh kar daba di...

"ooyi mummy... kya karti hai yaar...?" Anjali ne chhatpata kar uski kohni hatayi aur baith kar apni aankhein masalne lagi...

"kitne saal ki ho gayi tu?" Pinky ne poochha...

"atharah ki... kyun?" Anjali ne usko apni umar bata kar poochha....

"Kuchh nahi.. bus aise hi poochha hai..." Pinky ne kaha aur muskura di...

"Ye kahan gayi...?" Anjali ne Apni side mein khali bister dekh kar poochha...

"pata nahi... yahin hogi bahar... tujhe pata hai.. subah sari ladkiyon ko ground mein ikattha karte hain... hamein koyi jagane hi nahi aaya... tu so rahi thi, isiliye main bhi nahi gayi...!" Pinky ne bataya...

"Pinky!" Anjali ne uski baat sun'ne ke baad kaha..,"yaar, mujhe bhi bahut bura laga tha jab usne tujhe kamar dabane ko kaha... hum apna kamra change kar lenge...!"

"toh kya ho gaya.. mujhse badi hain.. ek aadh baar kaam bol bhi dengi toh kar doongi... waise ye kamra sab kamron se achchha hai... main iss kamre mein nahi hoti toh mere sath bhi didi kal aisa hi karti na...?" Pinky ne man masos kar kaha....

"Tu toh so gayi thi na...?" Anjali ne hairat se poochha.....

"haan... subah main bahar nikli toh kal wali ladkiyon mein se ek ne bataya ki unke sath bahut bekaar baatein ki thi didi ne... 'wo' nahi rahegi yahan.... aisa bol rahi thi... ek baat poochhoon...?"

"Haan... poochh...!"

"Tum wo... wo diary kyun likh rahi ho?" Pinky ne poochha toh Anjali ke hosh udd gaye...

"Kk..kounsi diary?"

"Wahi.. jo tere bag mein rakhi hai... tera saaman nikal kar almari mein rakh rahi thi toh mujhe mili..."

"tt..tune 'wo' padh li?" Anjali hadbada gayi...

"Thodi si padhi thi... tumne usmein pata nahi kaisi kaisi gandi baatein likh rakhi hain... maine beech mein hi chhod di...." Pinky muskurakar boli...

"Main bataaungi tujhe...! kahan hai meri diary...." Anjali tunak si gayi....

"Maine chhupa di.. baad mein padh kar doongi.... he he he..."

"dekh.. chupchap 'wo' diary de de... warna main...." Anjali apni baat poori karti.. uss'se pahle hi darwaje par ek ladki aakar khadi ho gayi...,"Pinky koun hai.. uske guardian aaye hain neeche....!"

"Par... papa toh kal aane the..." Pinky kahkar uthi aur khushi se jhoomte huye apni chappal dhoondhne lagi....

"ruk.. main bhi toh aa rahi hoon...!" Pinky ko bahar bhagte dekh Anjali bhi jhat se uthi aur apna munh dhone lagi....

"aa jao.. main neeche hi hoon..." Pinky ne ek pal thithak kar kaha aur fir bhag gayi....

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***8

"Tum...?" Harry ko saamne pakar Pinky ka bura haal ho gaya tha.. Guest room mein Harry kursi par baitha hua usko dekh kar muskura raha tha...,"kyun? tumhe khushi nahi huyi?"

"Nnahi.. wwo.. main toh bus... tum mujhse milne kaise aa gaye... yahan toh mummy papa hi mujhse mil sakte hain bus... aur aaj toh Saturday hai... aaj ke din bhi mil sakte hain kya?" Pinky hadbada kar boli....

"main toh kisi aur kaam se aaya tha... Principal madam se milne... Socha... tumse bhi milta chaloon...!" Harry pyar se uske chehre ko niharta raha..,"aao baitho na...!"

Aascharya aur jhijhak ke mile jule bhav Pinky ke chehre par dekhe ja sakte the.. Tabhi Anjali bhagti huyi gust room mein ghusi aur Harry ko wahan pakar wapas palat gayi....

"Mmain.. 2 minute mein aa jaaun?" Pinky Harry ke saamne khud ko raat ke kapdon mein dekh sharma rahi thi....

"Nahi.. abhi toh mujhe jaldi hai... tum bus do minute baith jao...!" Harry ne usko apne paas aane ka ishara kiya....

"Aise hi jana tha toh mujhe kyun bulaya yahan....?" Pinky ne munh bana liya...

"Ek 'kiss' lene ke liye... de do na?" Harry shararat karta hua bola....

Harry ke munh se seedhi baat sunkar sharm se Pinky ke gaal gulabi ho gaye...," Aisi baat mat karo.. main chali jaaungi..." Pinky apni jhijhak chhupane ke liye uski taraf kamar karke khadi ho gayi....

Harry chupke se utha aur darwaja band karke wahin apni kamar sata kar khada ho gaya,"Aise kaise chali jaaogi... ek 'kiss' toh tumhe deni hi padegi aaj!"

Band kamre mein ek baar fir Harry ke saamne khud ko pakar Pinky ka kunwara youvan machal utha... Najrein uthakar usne kshan bhar ke liye Harry se najrein char ki aur fir uske lab thirak uthe...,"mmujhe jane do na... darr lag raha hai.. koyi aa jayega...."

"tum idhar toh aao ek baar..." Harry ne uski aur apne hath failaye...

Pinky ne chhalakte youvan ko sambhalne ki koshish karte huye ek hath chhatiyon ko chhupate huye apne chehre par rakha aur najrein jhukaye huye rengti huyi si uske paas ja pahunchi..,"kkyaa?"

"Ek baar apne honton par hont rakhne do na jaan!" Harry ne uski kalayi ko pakad kar apni taraf kheench liya.... Pratirodh ki gunjaayish hi nahi bachi thi... Pinky ka badan Harry ki baahon ke dayre mein simta hua tha... Harry ke dono hath Pinky ki kamar par the aur Pinky ke dono hath lajja vash apni aur harry ki chhati ke beech...

"Nahi.. honton par nahi pls... Mujhe..!" Apni ukhdi saanson ko niyantrit karne ki koshish karte huye Pinky ne apna chehra utha kar aankhein band kar li... bhala ye rajamandi nahi toh aur kya tha... Harry ne usko aage kuchh bolne hi nahi diya aur thoda jhuk kar Pinky ke raseele adharon par apne hont tika diye...

"aaah..." Pinky bawli si hokar karaah uthi... Harry ke hath jaise hi neeche sarakte huye uske nitambon par jakar tike.. kaam trishna bujhane ki lalak ne pinky ko apni aidiyan upar utha apne hathon ki deewar ko dono ke beech se alag karke Harry ke gaalon ko thaam lene par raji kar hi liya.... Apni ubharti huyi chhatiyan ko Harry ke seene mein dhansta hua pakar Pinky ka rom rom dahak utha... Nitambon par Harry ke hathon ki jakadan ne aisi aag lagayi ki Pinky sisak uthi... uske aisa laga jaise yahi jannat hai... Nitambon, chhatiyon aur adharon ke sparsh ka asar jane kaise Pinky ki yoni tak jakar usko pighlane laga...

Poore 2 minute tak Pinky ke man-badan ko jhakjhor kar rakh dene wale ahsaas ke baad jaise hi Harry uss'se lalag hua, Pinky ajeeb si najron se usko dekhne lagi.. maano poochh rahi ho,"Ruk kyun gaye?"

"Tum kitni meethi ho Pinky? Main iss chumaban ko jindagi bhar nahi bhula paaunga... Tumhe kaise laga...?" Harry ne poochha toh Pinky jaise hosh mein aayi... sharmayi aur ghabrayi huyi si Pinky ne ek baar fir najrarein chura li...,"Ab tum chale jaoge kya?"

"Haan.. jana padega.. yahan tumhare sath toh nahi rah sakta na...? Mouka milte hi fir aaunga...!"

"Kab?" Pinky ke sawaal mein kuchh aisa bhav tha.."Jaldi aana!"

"Jald hi... main toh yahan aata rahta hoon...!" Harry ne darwaja khol diya...,"Koyi problem ho toh bata dena...!"

"Apna... apna no. de do na... main fone karoongi...!" Pinky ab bhi chehra jhukaye bol rahi thi.. najrein milana usko dushwar lag raha tha...

"No...?... achchha likh lo... fone toh karogi na...?" Harry muskurakar bola....

"Haan... ek didi ke paas mobile hai.. uss'se miss call karoon toh tum kar lena...!" Pinky ne Harry se pen lete huye apne hath par no. likh liya....

"Tum uska hi no. de do.. main khud kar loonga...."

"Mere paas no. nahi hai uska... main sham ko fone karoongi...!"

"Theek hai.. ab main chaloon...?" Harry ne wapas jakar apna bag uthaya....

Pinky ne sakuchate huye Harry ko dekha aur fir apni gardan hila di... Harry ke jane ke baad bhi kafi der tak wah gumsum si uss jagah ko dekhti rahi jahan wo kuchh der pahle apne 'yaar' ki baahon mein thi....

"aaaah!" Pinky ne kafi der baad ek lambi saans li aur guestroom se nikal gayi....

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"yye kisliye aaya tha...? kya baat huyi?" Anjali uska chehra padhne ki koshish karti huyi boli....

"Ye.. badi ma'm ko jaanta hai... usi ke paas aaya tha...!" Pinky ki aankhein chamak uthi...

"Tujhse kya kah raha tha... kya baat huyi..? tumne darwaja kyun band kiya tha ek baar...?" Anjali adheer ho rahi thi.. kuchh masaaledaar sun'ne ko...

"Kuchh nahi.. usne hi kiya tha jaan boojh kar.. 'kissi' maang raha tha..."

"Fir.. tune di ya nahi..."

"Le li usne... main toh mana kar rahi thi.. wo mana hi nahi..." Pinky sharma gayi...

"Kahan par?" Anjali khush hokar hans di...

"Aey... tum Pinky ho na?" Darwaje se achanak andar aayi Seema kuchh hadbadi mein lag rahi thi....

"aa...haan didi!" Pinky achanak sambhalte huye boli....

"Tumne pahle kyun nahi bataya yaar...!" Seema uske paas aakar uski kamar par hath rakh kar baith gayi....

"Bataya toh tha didi.. par kyun poochh rahi ho?" Pinky ne achkacha kar poochha...

"tum toh Madam ki khasamkhas lagti ho yaar... madam ne tumhara khas dhyan rakhne ko bola hai....!"

"Achchha... wwo.. Harry ne bola hoga...!" Pinky khushi se jhoom uthi...

"Nahi.. Harry koun? mujhe toh madam ne bulakar bola hai!" Seema safayi deti huyi boli....

"aapko nahi didi.. Harry ne badi ma'm ko bola hoga.. mera dhyan rakhne ko...!"

"Hummm.. ab mujhe aarti ko wapas bulana padega... tum dono adjust kar logi na uske sath...?" Seema ne dono ki aur bari bari se dekhte huye sawaal kiya...

"Haan.. par usko kyun bula rahi ho.. '13' no. waaliyon ne tikne nahi diya kya usko..!" Anjali ne sawaal kiya....

"Arey 13 no. waaliyon ki.... mujhe apne liye bhi toh chahiye na kaam karwane ke liye... tum dono ko toh kah nahi sakti...!" Seema muskurakar boli aur fir Anjali ka hath pakad liya..,"aaj chalna hai kya..?"

"Kahan?" Anjali ne poochha toh Pinky bhi gour se Seema ki aur dekhne lagi....

"Wahin yaar... bola tha na kal...!"

"Par kal toh chacha ji aane waale hain..... aaj kaise?"

"Kahan ja rahe ho.. mujhe bhi toh batao na...?" Pinky ne utsuk hokar poochha...

"Arey subah tak wapas aa jayenge.. chinta mat kar tu... aaj khas program hai... chalna hai toh bol.... ek aur ladki chal rahi hai...?!" Seema Pinky ke sawaal ko najarandaaj karte huye boli....

"Main aapko thodi der main bata doongi didi...!" Anjali asamanjhas mein pad gayi thi...

"Theek hai... soch kar bata dena... par aisa mouka fir nahi aayega..." Seema ne kaha aur apne baalon ko jhatakti huyi kamre se bahar chali gayi....

"Kahan ja rahi hai..? mujhe bhi toh bata na?" Pinky jaan'ne ko vyakul ho uthi....

"kisi ko batayegi nahi na tu?" Anjali ne poochha....

"aaj tak batayi hai koyi baat?" Pinky ne Anjali ko ghoora....

"Nahi par.... 'wo' ye mujhe hostel se bahar ghuma kar lane ki bol rahi hai... raat ko...!" Anjali ne bata hi diya....

"tu pagal ho gayi hai kya? raat ko hostel se bahar... wo bhi 'aisi ladki ke sath... kya pata kahan fansa degi tujhko...!" Pinky ne gusse se Anju ko latad si lagayi....

"aisa kuchh nahi hoga... raat raat ki toh baat hai.. subah tak wapas aa jaaungi main...!" Anjali ne samjhane ki koshish ki....

"Par kyun ja rahe ho... ye toh batao.. main bhi chaloongi...!"

"tu nahi pagal... na!"

"kyun? tum ja rahi ho toh main kyun nahi.. main bhi chaloongi tere sath...!"

"samjha kar yaar... aaj main jakar dekh leti hoon... fir kabhi chal padna...." Anjali ne samjhane ki koshish ki....

"Par.. ja kyun rahi hai tu...?"

"wwo.. wo ghoom fir kar aa jayenge bus... aur kuchh nahi...!" Anjali ne sakpakakar baat banayi....

"Nahi.. main tujhe akele nahi jane doongi....!" Pinky ad gayi..,"Tu jayegi toh main bhi jaaungi.... bus!"

"wo tu Seema se poochha... lekar toh usko hi jana hai na?" Anjali jhalla uthi....

**********************************************************

"didi... main bhi chaloon kya...? tum logon ke sath ghoomne...." Seema ke aate hi Pinky ne sawaal kiya....

Seema kuchh der Pinky ki aur dekhte huye kuchh sochti rahi aur fir 'na' mein gardan hila di....,"Na! tujhe nahi jana...!"

"Par kyun didi? Anjali bhi toh ja rahi hai...." Pinky bigad kar boli....

"tujhe nahi jana.. kah diya na... baad mein dekhoongi kabhi....!" Seema ne do took jawaab de diya....

"wwo.. ek fone karna hai didi... kar loon kya?" Pinky ne hatash hokar apni baat badal di....

"le mar le...bahar jakar baat kar le... kisi ko bol mat dena ye baat.. secret hai.... samajh gayi?" Seema ne kahkar uski taraf mobile uchhal diya... Pinky fone lekar bahar nikal gayi....

"tune isko kyun bataya yaar...!" Seema Pinky ke jate hi Anjali par gussa karti huyi boli.....

"Ye kisi ko kuchh nahi batayegi didi.. iske paas pahle ke bhi mere kayi raaj hain.. aap chinta mat karo... aur fir isko toh batana hi padta na... isko toh pata lagna hi tha....!" Anjali ne jawaab diya.....

"aise kaise pata lagta.. main isko koyi bahana karke raat ko doosre kamre mein sula deti... uske baad hamein nikalna tha... aainda kisi ko bhi aise mat batana...!" Seema tunak kar boli...

"theek hai didi.. aage se main dhyan rakhoongi...." Anjali ne kaha aur fir poochha....,"Kitne baje jana hai...?"

"10 baje ke baad!" Seema ne taka sa jawab diya.....

***************************************

"Mat lekar jao mujhe.... Maine harry ko bol diya... kal 'wo' mujhe lekar jayega...!" Akeli hote hi Pinky ne Anju par tana sa mara....

"Kya? tu raat ko uske sath jayegi..." Anjali uchhal si padi...,"par wo kaise lekar jayega tujhe...?"

"Mujhe nahi pata.... maine aaj raat ke liye bola tha.. usne kal ka wada kiya hai.. aaj wo free nahi hai...!"

"Par hostel se kaise lekar jayega tujhe?"

"kyun.. jab Seema lekar ja sakti hai toh 'wo' kyun nahi... wo' badi ma'm ko jaanta hai.. usko bol kar le jayega....!"

"aur.... aur 'wo' tujhse 'pyar' karne laga toh?" Anjali ne kahkar batteesi nikal di....

"aise kaise kar lega 'pyar'... shadi se pahle main aisa waisa kuchh nahi karne wali...!" Pinky ne kaha aur sharma gayi....

"toh tu uss'se shadi karegi?"

"aur nahi toh kya?.. Meenu Lambu se karegi toh usko meri bhi setting karwani padegi...!" Pinky ne turup ka patta fainka....

*********************************

Raat kareeb 10 baje jaise hi Seema Anjali aur Shweta ko lekar khel ke maidan wale pichhle gate par pahunchi.. gatekeeper ne bina kuchh bole chupke se darwaja khol diya... bahar thodi hi door ek gaadi pahle hi unke intjaar mein khadi thi...

"Hi Janeman!" Seema ke agli seat par baithte hi Driver ne kaha toh Seema ne uski taraf jhuk kar uske honton ko choom liya...,"chalo jaldi... subah tak wapas bhi aana hai"











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
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`·.¸.·´ -- raj















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