Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--49

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बाली उमर की प्यास पार्ट--49

गतान्क से आगे..................

अरे... दरवाजा खुला ही पड़ा है...! विष्णु कहाँ गया?" प्रिन्सिपल मेडम के मुँह से गुरुकुल के गेट पर आते ही अनायास ही निकल गया....

"वो गाड़ी में पड़ा है...! चलो... तुम भी जाकर उस गाड़ी में बैठ जाओ..." मानव ने पिछे चलते हुए कहा और बाहर निकलते ही दरवाजे पर ताला लगाकर चाबी जेब में रख ली....!

"कहाँ चलूं, जल्दी बोलो....!" मानव ने गाड़ी में बैठते ही सीमा की तरफ चेहरा घुमा कर पूचछा.... दूसरी गाड़ी गेट्कीपर ओर मेडम को लेकर आगे निकल गयी थी.....

"मंमुझे कुच्छ नही पता सर.. सच में.... आज प्रेम उसको लेकर गया था... मुझे कुच्छ नही बताया उन्होने....!" सीमा ने सहम कर जवाब दिया....

मानव हड़बड़ाहट में ही सीमा की तरफ देखता रहा..,"ये प्रेम कौन है....? फालतू बातें मत करो... मुझे जल्द से जल्द अंजलि के पास पहुँचना है... एक मिनिट...." मानव ने जेब से सीमा का फोन निकाला..,"उस'से बात करो... पूच्छो उस'से जल्दी... अगर उसको ज़रा सा भी शक हुआ तो यहीं गोली मार दूँगा साली कुतिया को....!"

"ज्जई...." सीमा ने कुच्छ पल ठिठकने के बाद अपना हाथ आगे करके फोन पकड़ लिया....,"ज्जई.. क्या पूच्छना है...!" सीमा आज बुरी तरह मिमिया रही थी....

"अंजलि कहाँ है?" मानव ने जवाब दिया....

"ज्जई.. वो ऐसे नही बताएगा.... मुझे पता है!"

"तो तुम सोचो... हमें कैसे भी करके अंजलि के पास पहुँचना है.... ध्यान रखो अगर आज तुमने साथ दिया तो तुम बच सकती हो.....!" मानव उसके अंदर का डर गायब करने में अपनी तरफ से कोई कसर नही छ्चोड़ना चाह रहा था....

"फिर मैं बच जाउन्गि ना सर...?" सीमा के मंन में कुच्छ उम्मीद सी जागी...

"अब और कैसे सम्झाउ तुझे... तुम टाइम खोटा मत करो.. जल्दी कुच्छ सोचो....!"

"ठीक है सर... एक मिनिट..." सीमा ने कुच्छ सोचकर प्रेम का नंबर. मिला दिया... मानव ने तुरंत गाड़ी का एंजिन बंद कर दिया...

"हेलो...!"

"हां सीमा डार्लिंग... सूनाओ!"

"ंमुझे एक लड़की को लेकर आना है... अभी...!" सीमा ने कहा....

"अभी.. इतनी रात को?" प्रेम ने पूचछा....

"हाँ....!" सीमा की साँसें तेज होने लगी थी.....

" आज नही यार... कल ले आओ... आज किसी के पास टाइम नही है....!" प्रेम ने असमर्थता जताई.....

"नही.. अभी आना पड़ेगा... एक नंबर. की..." बोलते हुए सीमा ने झिझक कर मानव की ओर देखा..," बहुत प्यारी लड़की है... आज लेकर नही आई तो फिर हाथ से निकल जाएगी... कल वो हॉस्टिल छ्चोड़कर वापस जाने की बात कह रही है.....!"

"ऐसा क्या खा लिया हॉस्टिल में आज... सभी की चूत आज ही फदक रही है क्या... आज तो कोई वेहिकल भी नही है.... तुम रहने ही दो....!"

"वेहिकल तो है हमारे पास... तुम बस बताओ की आना कहाँ है....?"

"कहाँ से आया वेहिकल.....?"

"ववो... वो दरअसल उसके बाय्फ्रेंड की गाड़ी है.... उनको जगह की तलाश है... मैने बोला है कि मैं ले चालूंगी.....!" सीमा ने जवाब दिया.....

"मतलब एक और रेप... हे हे हे... क्या करूँ यार...? रूको.... सोचने दो...!" प्रेम के माथे पर बल पड़ गये.....

"वैसे तुम कहाँ हो....? अंजलि के साथ ही होगे ना......" सीमा ने बातों ही बातों में पूच्छने की कोशिश की....

प्रेम ने बोलने से पहले एक लंबी साँस ली...," मैं तुम्हे फोन करके बताने ही वाला था.... ववो....." कहकर प्रेम रुक गया....

"क्या? क्या बताने वाले थे...." सीमा के दिल की धड़कने बढ़ गयी....

"छ्चोड़ो.... कल सुबह उसके घर वालों को खबर भिजवा देना कि 'वो' किसी के साथ दीवार कूद कर भाग गयी.... 3-4 हफ्ते बाद उसकी लाश फिकवा देंगे किसी ट्रॅक पर.... किसी को क्या मालूम पड़ेगा...." प्रेम ने कहा....

"क्ककयाआअ...." सीमा आँखें फाडे गुस्से से लाल हो चुके मानव का चेहरा देखती रह गयी.....,"प्पपर... तुम्हे पता है क्या होगा...?"

"मेरा दिमाग़ मत खाओ यार... बॉस ने जैसा बोला मैने बता दिया... उनसे करना जो बात करनी है... मुझे कुच्छ नही पता......!"

"बॉस से बात करा सकते हो क्या?" सीमा ने हड़बड़ी में पूचछा....

"नही... आज 'वो' किसी से बात नही कर सकते... वो आज अपने स्पेशल प्रॉजेक्ट में बिज़ी हैं.... क्या माल पकड़ा है यार... वो तो हाथ लगते ही उच्छल रही है... अजय बता रहा था...!"

"क्कऔन... पिंकी?" सीमा के मुँह से निकल गया... मानव के तुरंत रौन्ग्ते खड़े हो गये.....

"मुझे नही पता, पिंकी है या रोज़ी... वही जो हॉस्टिल से आई थी आज....!"

"प्पर... कहाँ हो तुम अभी....!" हकबकाई हुई सीमा के मुँह से निकला....

"जहन्नुम में.... आज का प्रोग्राम कॅन्सल करो यार... पहले ही दिमाग़ बहुत खराब है.....!"

"प्पर... मेरी बात तो...!" सीमा की बात सुन'ने से पहले ही प्रेम ने फोन काट दिया...

"पिंकी कौन है....?" मानव ने सीमा का गला पकड़ लिया...

"वववो... " सीमा थर थर काँपने लगी..,"ववो.. वो तो अपनी मर्ज़ी से ही गयी थी...!"

"तेरी मा की.... ओह शिट...." मानव पागल सा हो उठा.. उसकी समझ में नही आ रहा था कि क्या करे और क्या नही.... अचानक उसने अपना मोबाइल निकाला और मिश्रा का नंबर. मिला कर सीमा के हाथ से उसका मोबाइल झपट लिया....

"हां मिश्रा.... एक नंबर. लिखो जल्दी....!"

"सर.. बगैर एस.पी. साहब की पर्मिशन के बगैर ट्रेसिंग और सुर्वीलानसिंग अलोड नही है... आपको पता है ना...?" मिश्रा की आवाज़ आई....

"यार समझा कर... ये सारे नंबर. तरुण वाले केस से रिलेटेड हैं... उन्ही मैं आड कर देना... जल्दी कर यार! मेरे पास टाइम नही है... सब कुच्छ ख़तम हो जाएगा....!" मानव की आँखों में आँसू आ गये.....

"तो क्या मंत्री जी का नंबर. भी उसी केस से जुड़ा है....?" मिश्रा ने चौंक कर पूचछा....

"मंत्री... कौन मंत्री...?" अब चौंकने की बारी मानव की थी....

"सॉरी सर.. मैं आपको नाम नही बता सकता... एस.पी. साहब ने मना कर दिया है....!" मिश्रा ने सपस्ट किया....

"... तू जल्दी से इस नंबर. को सरविलेन्स पर लगा कर इसकी लोकेशन बता... मैं देखता हूँ उस मंत्री को....!" मानव ने नंबर. 2 बार रिपीट किया....

"वैसे आपकी मर्ज़ी है सर जी.. पर मधुमक्खी के छते में हाथ ना ही डालो तो बेहतर है....!"

"तू इस नंबर. की लोकेशन कितनी देर में बता रहा है....!" मानव ने उसकी बात अपने सिर के उपर से गुजर जाने दी.....

"पता लगते ही कॉल कर दूँगा सर...!" मिश्रा ने कहकर फोन रख दिया.....

"किसके साथ गयी है पिंकी...?" मानव ने जल्दबाज़ी में पूचछा और गाड़ी स्टार्ट करके शहर की तरफ ही दौड़ा दी....

"ववो.. वो तो पता नही सर.... पर मेरे फोन में नंबर. होगा उसका...!" सीमा ने कहा....

" नंबर. निकाल कर दो मुझे...." मानव ने उसको मोबाइल पकड़ते हुए कहा....," क्या वो भी तुम लोगों में से ही.....!"

"नही सर... वो तो.. पिंकी के गाँव... हां याद आया... हॅरी के साथ गयी थी... पर इन्न लोगों ने उसको रास्ते से उठा लिया....

"तो इन लोगों को कैसे पता चला....?" मानव ने पूचछा और सीमा के हाथ से मोबाइल निकाल कर हॅरी का नंबर. डाइयल किया.... उस वक़्त सीमा की नज़रें एक बार फिर झुक गयी थी... पर मानव का ध्यान उस पर रह नही सका....

"ययए तो ऑफ आ रहा है.... ये बॉस कौन है?" मानव के दिमाग़ में हथोदे से बजने लगे थे....

"पता नही सर... मेरे पास तो उनका नंबर. भी नही है....!" सीमा ने चेहरे पर मासूमियत झलकाते हुए कहा.....

"साली रंडी... तेरी जान ले लूँगा अगर पिंकी को कुच्छ हुआ तो...." मानव का चेहरा पसीने से भीग गया था... उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे और क्या नही... वक़्त ज़्यादा था नही... आनंफानन में मानव ने खुद ही मंत्री के पास फोन करने की सोची... पर उधर घंटी जाते ही मानव ने फोन काट दिया और पिछे मुड़ा...,"सीमा... अब तक तो शायद मैं तुम्हे छ्चोड़ता नही था... पर अगर तुम इन्न लोगों तक मुझे आज ही पहुँचा सको तो मैं सच में तुम्हे इस केस से बाहर करवा दूँगा.... प्लीज़...!" मानव का लहज़ा आसचर्यजनक ढंग से नरम पड़ गया था....

"पर.. मुझे पता नही है कि आज ये कहाँ होंगे...?" सीमा ने सहमी आवाज़ में जवाब दिया....

"मंत्री का नंबर. मिल रहा है... इस तक पहुँचा सकती हो?"

"कैसे सर?"

"बात करके...अपने मोबाइल से... कैसे भी...!" मानव ने उसको उसका मोबाइल दे दिया....

"ठीक है सर... मैं कोशिश कर दूँगी....!" सीमा ने एक गहरी साँस लेने के बाद कहा और कॉल बटन दबा दिया... उसके पास और कोई चारा था भी नही.....

"हेलो!" सीमा ने यथासंभव मधुर आवाज़ में बोला....

"कौन है...?"

"मैं हूँ...?" सीमा ने अंधेरे में तीर चलाने की सोची...

"मैं कौन साली... भेजा क्यूँ गरम कर रही है मेरा....?" मुरारी नशे में अकेला बिस्तर पर पड़ा था....

"अरे मैं हूँ...मैं घर से भाग कर आ गयी हूँ जान...अब कहाँ आना है बोलो... एक मिनिट... तुम शक्ति ही बोल रहे हो ना?"

"हां हाँ.. एक मिनिट..." सीमा की बात सुनकर मुरारी की अधूरी हसरतें एक बार फिर जवान हो उठी... यकायक उसने अपनी आवाज़ में परिवर्तन करके जवान होने का ढोंग करने की कोशिश शुरू कर दी....," तुम कहाँ हो... म्मै तुम्हे लेने भेजता हूँ....!"

"म्‍मैई..." मानव के इशारे पर सीमा ने अपनी बात बदल दी... तुम बता दो ना... मैं आ जाउन्गि.. मेरे पास गाड़ी है....!"

"तुम रेस्ट हाउस आ जाओ.... कहना मुरारी जी के रूम में जाना है... 102 में...!" नशे में मुरारी भूल ही गया कि वो 'शक्ति' है....,"ववो... वो मैने यहाँ नाम बदला हुआ है ना जान!"

"ठीक है... मैं आ रही हूँ वहीं.....!" सीमा ने कहकर फोन काट दिया.... मानव का चेहरा तमतमा गया और उसका बयाँ पैर आक्सेलाटोर पर दबाता चला गया.....

"तुम्हे क्या सच में नही मालूम की बॉस कौन है...?"

"नही सर..... सर.. मैं आपको अपनी तरफ से पूरा सहयोग करूँगी... सर.. आप चाहे कुच्छ भी.... कर लो... पर प्ल्ज़ मुझे छ्चोड़ देना सर..." सीमा ने गियर पर रखे मानव के हाथ पर अपना हाथ रखने की कोशिश की.. पर जैसे ही मानव ने अपने तमतमाए हुए चेहरे से उसकी और घूरा.. वह कंपकंपा कर पिछे हाथ गयी.....

चलते चलते ही मानव ने अपना फोन निकाला और मीनू का नंबर. मिला दिया... मीनू भी अभी तक जाग ही रही थी... चुपके से चारपाई से उठकर वो बाथरूम में आई और फोन उठाया...,"कुच्छ पता लगा मानव?"

"मीनू.. ववो..." बोलते हुए मानव का गला भारी हो चला था...,"अंजलि अब नही है... ववो.. पिंकी भी....!"

"क्याआआआआ...." बड़ी मुश्किल से मीनू अपनी चीख निकालने से रोक पाई.....
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"कुच्छ याद आया हरामी स्साली...?"

एक अंजान जगह पर स्थित कोठी के एक कमरे के कोने में अपनी ही बाहों में सिमटी हुई खड़ी बुरी तरह भयभीत पिंकी को घूरते हुए अजय ने पूचछा... उसी कमरे में हॅरी को एक कुर्सी पर बँधकर बिठाया गया था.... सुनील के हाथों में थामे वीडियो कमरा का फोकस हॅरी और पिंकी ही थे.... ऐसा प्रतीत हो रहा था कि 'इस' हादसे ने दोनो को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है.... हॅरी अपनी तरफ से हर तरह से मिन्नतें और गुज़ारिश कर चुका था... पर हैवानो के हुज़ूम पर उसकी बातों का क्या असर होता भला.....!

"म्‍म्माइने क्या किया है? हमें छ्चोड़ दो ना प्लीज़!" थर थर काँप रही पिंकी शुरू से यही रट लगाए हुए थी.....

"अच्च्छा! अब निकल गयी सारी हेकड़ी तेरी... तुझे याद है ना तरुण ने क्या कसम खाई थी... याद आया कुच्छ? अब गिन ले तेरे सामने कितने आदमी हैं... पूरे चार ही हैं ना? हा हा हा! तरुण भाई की आख़िरी इच्च्छा तो हमें पूरी करनी ही पड़ेगी....!" धीरे धीरे सरकता हुआ अजय पिंकी के पास जा पहुँचा.... पिंकी अजय और उसके साथ खड़े होकर दाँत निकाल रहे तीन लोगों के इरादे भाँप कर बुरी तरह रोने लगी थी...

"भाई साहब प्लीज़... इसको छ्चोड़ दो..तुम चाहो तो मुझे गोली मार दो.... ये..ये बहुत मासूम है....इसने तुम्हारा क्या......?" लाख बार चुप रहने की धमकी मिलने के बावजूद हॅरी से पिंकी की ये दशा देख रहा ना गया....

"चुप कर बे... तुझे कितनी बार बोलना पड़ेगा... ये क्या कम है कि अब तक हमने इसके शरीर को नोचना शुरू नही किया है.... 'ये' स्साली मासूम है तभी तो इसको खुद ही कपड़े निकाल देने को बोल रहे हैं... वरना तो अब तक... अब की बार एक शब्द भी बोला ना तो तेरे सामने ही खोल देंगे इसको..." अजय एक बार फिर हॅरी की तरफ देख कर गुर्राया और फिर पिंकी की तरफ मूड गया...,"चल... निकाल दे ना... दिखा ना अपने बदन की गर्मी!"

"नही... प्लीज़.." जैसे ही अजय ने पिंकी के गाल को अपने हाथ से च्छुआ.. पिंकी का पूरा बदन च्छुईमुई की तरह मुरझा सा गया...,"प्लीज़ भैया....!"

"भैया बोलती है साली...!" और उस दरिंदे ने एक ज़ोर का तमाचा पिंकी के गालों पर जड़ दिया...,"ये सब तूने उस वक़्त क्यूँ नही सोचा जब तू तरुण को चप्पल से पीट रही थी बोल....!"

पिंकी इस मार से बुरी तरह बिलख उठी...,"ववो.. वो मुझे छेड़ रहा था... प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो...!" इस बार पिंकी की 'भैया कहने की हिम्मत ना हुई....

"अच्च्छा... छेड़ तो मैं भी रहा हूँ... चल मार मुझे.... आजा...!" अजय उसके सिर पर खड़ा होकर गुर्राया....

"नही... प्ल्ज़...!"

"अच्च्छा चल बता... उस दिन तरुण ने क्या कसम खाई थी... बोल!"

"मंमुझे नही...." और पिंकी के सामने कुच्छ दिन पहले का वो दृशय कौंध गया जब तरुण दरवाजे पर खड़ा होकर कह रहा था कि अगर 4-4 मर्दों से उसको नही रौुन्डवाया तो उसका नाम बदल देना.... पिंकी सिहर उठी... उसको नही मालूम था कि तरुण की कसम 'उसको' इस मुकाम पर लाकर छ्चोड़ देगी.....,"म्‍मैइन.. मैं आपसे दया की भीख माँग रही हूँ... हमें छ्चोड़ दो प्ल्ज़... मुझे माफ़ कर दो... "

"तू अपने आप कपड़े निकालेगी या हमें तेरी चिकनी जवानी को अपने हाथों से ही नंगी करना पड़ेगा... जल्दी कर....!" अजय एक बार फिर गुर्राया.....

"भाई साहब प्ल्ज़...." हॅरी जैसे ही इस बार बोला, अजय ने रेवोल्वेर निकाल कर उस पर तान दी....," कल्लू!... पहले इसको ठोक साले को... ये बीच में ऐसे ही चिक्चिक करता रहेगा नही तो.... स्साला... बाहर लेजाकार इसके भेजे में ठोक दे दो चार गोली....!"

जैसे ही कमरे में खड़े बाकी तीन लोगों में से एक हॅरी की तरफ बढ़ा, पिंकी मिमिया उठी..,"नही प्ल्ज़... म्म्मै... मैं निकाल रही हूँ... इसको कुच्छ मत कहो....!"

"चल शाबाश! रहने दे कल्लू... इस हसीना के कहने से एक बार और माफी सही... चल शाबाश... निकाल दे... एक एक करके सारे निकाल कर नंगी हो जा अपने आप!... प्यार से निकालेगी तो प्यार से मारेंगे तेरी.. मेरा वादा है... हा हा हा...!" अजय ने कल्लू को रोक दिया.....

पिंकी का चेहरा बुरी तरह पीला हो चला था.... जिसको कुच्छ भी करने देने की छ्छूट देकर अपनी आँखों में जाने अपने यौवन को पुलकित करने की कितनी ही सुन्दर कल्पनायें निर्मित कर पिंकी आज बाहर आई थी... उसी के सामने खड़े होकर कुच्छ दरिंदे उसको जॅलील करने की तैयारी कर चुके थे... पिंकी का चेहरा आँसुओं से भीगा हुआ था... हॅरी अवाक सा सब कुच्छ देख रहा था... पर दोनो बेबस थे... एकद्ूम लाचार....

"चल अब निकाल... ऐसे मुँह पिचकाय क्या सोच रही है...!" अजय ने जैसे ही कहा, उसका मोबाइल बज उठा...,"एक मिनिट... चुप रहो सब... हां प्रेम भाई!" अजय ने फोन कान से लगा लिया.....

"क्या चल रहा है उधर...?" प्रेम ने पूचछा.....

"कुच्छ नही... बस वही सब.... साली टाइम बहुत लगा रही है....अभी तक कपड़े भी नही निकाले.... पता नही बॉस चाहते क्या हैं... हे हे हे... हमें मनमानी नही करने दे रहे... हे हे हे...!" अजय ने बोलते हुए पिंकी के कंधे पर हाथ रख लिया.... पिंकी कसमसा उठी.....

"बात करा ना एक बार.... बॉस का फोन ही नही लग रहा....!" प्रेम ने कहा.....

"आज नही लगेगा... बॉस आज बहुत बिज़ी हैं...!" अजय ने जवाब दिया और वापस जाकर हॅरी की कुर्सी पर पैर रख लिया....

"इसीलिए तो कह रहा हूँ यार... तू तेरे फोन से करा दे बात एक बार.... 'वो' मामला तो सेट कर दिया... मंत्री भी निसचिंत होकर सो गया होगा.... मुझे क्या करना है अब....?"

"बताया ना यार बॉस आज फोन नही ले सकते... मामला सेट कर दिया ना! बहुत बढ़िया.......और दूसरी का?"

"मेरे साथ ही है... पिछे पड़ी है डिग्जी में... मामू लोगों की बहुत प्राब्लम होती है यार रात में.... बहुत परेशान कर रही थी....पता नही कब झमेला खड़ा कर दे...!" प्रेम ने बताया....

"घर जाकर सो जा आराम से..... सुबह देखेंगे..." अजय ने कहा और तुरंत अपनी बात से पलट गया..,"नही नही.. एक मिनिट... यहीं आजा... 1012 में.... हम सब यहीं हैं...!"

"आच्छि बात है... मैं वहीं आ जाता हूँ... यहाँ से ज़्यादा दूर भी नही है...!" प्रेम ने कहकर फोन काट दिया......

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"मुझे बहुत डर लग रहा है मानव... अब क्या होगा? पापा शहर पहुँचने वाले हैं... तुम्हारे पास दोबारा फोन करेंगे शहर आते ही.... मैने अभी अंजलि के बारे में नही बताया उनको...! पिंकी... ठीक तो होगी ना"

"हॅरी का भी फोन नही लग रहा... पर तुम फिकर मत करो...सब ठीक हो.... एक मिनिट... फोन रखो...." मानव ने तुरंत कहा और मीनू का फोन होल्ड पर डाल लिया...,"हां मिश्रा...?"

"सर.. 'वो' नंबर. ट्रेस हो गया है... अभी एक दूसरे नंबर. से बात हुई हैं उसकी... कहो तो सुनाउ?" मिश्रा ने उधर से कहा....

"कुच्छ काम की बात है क्या?" मानव ने जल्दी जल्दी में पूचछा... उसने रेस्ट हाउस से कुच्छ पहले ही गाड़ी रोक दी थी....

"कुच्छ खास पता नही चल पाया बातों से... उसको कहीं '1012' में बुलाया है... ये नही पता कहाँ का 1012... बाकी कुच्छ और भी बातें हैं...! मामला सेट करने की...."

"1012....." मानव अपना सिर खुजाते हुए बड़बड़ाया... "एक मिनिट...ये... 1012 क्या है...?" मानव ने सीमा का रुख़ किया.....

"सेक्टर 37 में किराए की कोठी है सर.. हम कभी कभी वहाँ जाते हैं...!" सीमा ने अनमने ढंग से जवाब दिया....

"क्या? मतलब इसी शहर में?" मानव को कुच्छ उम्मीद बँधी....

"हाँ... क्यूँ?" सीमा ने पूचछा.....

"फोन रखो मिश्रा... ज़रूरत पड़ी तो मैं फिर कॉल कर लूँगा... नाइट ड्यूटी है ना?"

"जी सर....!" मिश्रा ने बताया...

मानव ने फोन काटा और तुरंत गाड़ी को यू-टर्न दे दिया...,"प्रेम को पता होगा ना कि पिंकी कहाँ है?"

"पता नही.. शायद पता हो...! अब आप रेस्ट हाउस नही चल रहे क्या?" सीमा ने पूचछा....

" अब तुम चुप रहो... प्रेम 1012 में आ रहा है... मंत्री से ज़्यादा 'वो' काम का है...." मानव ने कहा और फिर एक फोन किया...,"इनस्पेक्टर मानव बोल रहा हूँ...सारे चौराहों से चेक पोस्ट हटा लो... सेक्टर. 37 के अंबेडकर चौंक पर 4 आदमी भेज दो... सादी वर्दी में....! पोलीस की गाड़ी मत लाना साथ...."

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"आज तो कमाल हो गया यार... कहीं भी पोलीस वाले नही...." प्रेम ने अंदर आते ही हॅरी को कुर्सी पर बँधे देखा तो उच्छल पड़ा...,"ययए........" वह कुच्छ बोल ही रहा था कि अजय ने उसको टोक दिया...,"चुप... बॉस का आदेश है.. तुम्हारी जान पहचान का है क्या?"

"आ..न..नही.. कुच्छ नही... तुम लोग 'काम' कब शुरू करोगे....!"

"चल रहा है... चल उतार भी दे कपड़े जाने मॅन... क्यूँ तरसा रही है इतना.. हम तेरे यार को ठोक देंगे तब उतारेगी क्या? इसको भी तो दर्शन करा दे अपनी कमसिन जवानी के...." अजय फिर से पिंकी की तरफ बढ़ गया.....

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"जैहिन्द जनाब!" अंबेडकर चौंक पर पोलीस वाले मानव से पहले ही पहुँच चुके थे.....

"ये लो..." मानव ने नीचे उतारकर चाबी एक आदमी की तरफ उच्छाल दी....,"अंधेरे में खड़ी कर दो इसको..." मानव ने कहा और सीमा का हाथ पकड़ कर पोलीस वालों द्वारा लाई गाड़ी में बैठ गया....," पहले मैं जाउन्गा अंदर... इस लड़की के साथ..... तुम लोग बाहर रहना.. एकदम चौकस... कोई भागे तो सीधी गोली मार देना सस्सलों को....!" मानव ने कहा और गाड़ी 1012 की तरफ चल पड़ी.....

"तुम समझ रही हो ना... तुम मुझे अंदर लेकर जाओगी...अपना साथी बताकर.... कोई भी लोचा हुआ तो सबसे पहले मैं तेरे सिर में गोली थोकुन्गा...." मानव ने सीमा की तरफ देख कर कहा....

"ठे.. ठीक है सर....!" सीमा सहम कर बोली....

तभी मानव का फोन बाज उठा...,"बेटा.. म्मै पहुँच गया... बस-स्टॅंड के पास खड़ा हूँ बाइक पर.... कुच्छ पता लगा क्या पिंकी का?" पिंकी के पापा की आवाज़ थॅरेयी हुई थी....

"आप फिकर ना करें पिताजी... मैं बहुत जल्द उसको ढूँढ लूँगा....!" मानव ने भी भर्रए गले से उनको शंतवना देने की असफल कोशिश की....

"पर मैं अब क्या करूँ...? यहीं खड़ा रहूं क्या...?" पापा ने पूचछा.....

"नही... मैं भेजता हूँ आपके पास... किसी को....!" मानव ने जवाब दिया.....

गतान्क से आगे..................

Arey... darwaja khula hi pada hai...! Vishnu kahan gaya?" Principal madam ke munh se Gurukul ke gate par aate hi anayaas hi nikal gaya....

"Wo gadi mein pada hai...! chalo... tum bhi jakar uss gadi mein baith jao..." Manav ne pichhe chalte huye kaha aur bahar nikalte hi darwaje par tala lagakar chabi jeb mein rakh li....!

"Kahan chaloon, Jaldi bolo....!" Manav ne gadi mein baithte hi Seema ki taraf chehra ghuma kar poochha.... Dusri gadi Gatekeeper aur Madam ko lekar aage nikal gayi thi.....

"mmmujhe kuchh nahi pata Sir.. Sach mein.... Aaj Prem usko lekar gaya tha... mujhe kuchh nahi bataya unhone....!" Seema ne saham kar jawab diya....

Manav hadbadahat mein hi Seema ki taraf dekhta raha..,"Ye Prem koun hai....? Faaltu baatein mat karo... Mujhe jald se jald Anjali ke paas pahunchna hai... Ek minute...." Manav ne Jeb se Seema ka fone nikala..,"Uss'se baat karo... Poochho Uss'se Jaldi... agar usko jara sa bhi shak hua toh yahin goli maar doonga Sali kutiya ko....!"

"Jji...." Seema ne kuchh pal thithakne ke baad apna hath aage karke fone pakad liya....,"Jji.. kya poochhna hai...!" Seema aaj buri tarah mimiya rahi thi....

"Anjali kahan hai?" Manav ne jawab diya....

"jji.. wo aise nahi batayega.... Mujhe pata hai!"

"Toh tum socho... hamein kaise bhi karke Anjali ke paas pahunchna hai.... dhyan rakho agar aaj tumne sath diya toh tum bach sakti ho.....!" Manav uske andar ka darr gayab karne mein apni taraf se koyi kasar nahi chhodna chah raha tha....

"Fir main bach jaaungi na Sir...?" Seema ke mann mein kuchh ummeed si jagi...

"Ab aur kaise samjhaaun tujhe... tum time khota mat karo.. jaldi kuchh socho....!"

"Theek hai Sir... Ek minute..." Seema ne kuchh sochkar Prem ka no. mila diya... Manav ne turant gadi ka engine band kar diya...

"Hello...!"

"Haan Seema Darling... Sunao!"

"mmujhe ek ladki ko lekar aana hai... abhi...!" Seema ne kaha....

"Abhi.. itni raat ko?" Prem ne poochha....

"haan....!" Seema ki saansein tej hone lagi thi.....

" Aaj nahi yaar... kal le aao... aaj kisi ke paas time nahi hai....!" Prem ne asamarthta jatayi.....

"Nahi.. abhi aana padega... Ek no. ki..." Bolte huye Seema ne jhijhak kar Manav ki aur dekha..," Bahut pyari ladki hai... aaj lekar nahi aayi toh fir hath se nikal jayegi... kal wo hostel chhodkar wapas jane ki baat kah rahi hai.....!"

"Aisa kya kha liya hostel mein aaj... sabhi ki choot aaj hi fadak rahi hai kya... aaj toh koyi vehicle bhi nahi hai.... tum rahne hi do....!"

"Vehicle toh hai hamare paas... tum bus batao ki aana kahan hai....?"

"Kahan se aaya vehicle.....?"

"wwo... wo darasal uske boyfriend ki gadi hai.... unko jagah ki talash hai... maine bola hai ki main le chaloongi.....!" Seema ne jawab diya.....

"Matlab ek aur rape... he he he... kya karoon yaar...? ruko.... sochne do...!" Prem ke mathe par bal pad gaye.....

"Waise tum kahan ho....? Anjali ke sath hi hoge na......" Seema ne baaton hi baaton mein poochhne ki koshish ki....

Prem ne bolne se pahle ek lambi saans li...," Main tumhe fone karke batane hi wala tha.... wwo....." Kahkar Prem ruk gaya....

"Kya? kya batane wale the...." Seema ke dil ki dhadkane badh gayi....

"Chhodo.... Kal subah uske ghar walon ko khabar bhijwa dena ki 'wo' kisi ke sath deewar kood kar bhag gayi.... 3-4 hafte baad uski lash fikwa denge kisi track par.... kisi ko kya maloom padega...." Prem ne kaha....

"kkkyaaaaa...." Seema aankhein faade gusse se laal ho chuke Manav ka chehra dekhti rah gayi.....,"pppar... tumhe pata hai kya hoga...?"

"mera dimag mat khao yaar... boss ne jaisa bola maine bata diya... Unse karna jo baat karni hai... mujhe kuchh nahi pata......!"

"Boss se baat kara sakte ho kya?" Seema ne hadbadi mein poochha....

"Nahi... aaj 'wo' kisi se baat nahi kar sakte... wo aaj apne special project mein busy hain.... kya maal pakda hai yaar... wo toh hath lagate hi uchhal rahi hai... ajay bata raha tha...!"

"kkoun... Pinky?" Seema ke munh se nikal gaya... Manav ke turant roungte khade ho gaye.....

"Mujhe nahi pata, Pinky hai ya Rozy... wahi jo Hostel se aayi thi aaj....!"

"Ppar... kahan ho tum abhi....!" Hakbakayi huyi Seema ke munh se nikla....

"Jahannum mein.... aaj ka program cancel karo yaar... pahle hi dimag bahut kharaab hai.....!"

"Ppar... meri baat toh...!" Seema ki baat sun'ne se pahle hi Prem ne fone kaat diya...

"Pinky koun hai....?" Manav ne Seema ka gala pakad liya...

"wwwo... " Seema thar thar kaanpne lagi..,"Wwo.. wo toh apni marzi se hi gayi thi...!"

"Teri maa ki.... Oh Shit...." Manav pagal sa ho utha.. uski samajh mein nahi aa raha tha ki kya kare aur kya nahi.... Achanak usne apna mobile nikala aur Mishra ka no. mila kar Seema ke hath se uska mobile jhapat liya....

"Haan Mishra.... ek no. likho jaldi....!"

"Sir.. bagair S.P. Sahab ki permission ke bagair Tracing aur survilaancing allowed nahi hai... aapko pata hai na...?" Mishra ki aawaj aayi....

"Yaar samjha kar... ye sare no. Tarun wale case se related hain... unhi main add kar dena... jaldi kar yaar! mere paas time nahi hai... sab kuchh khatam ho jayega....!" Manav ki aankhon mein aansoo aa gaye.....

"toh kya Mantri ji ka no. bhi usi case se juda hai....?" Mishra ne chounk kar poochha....

"Mantri... koun mantri...?" Ab chounkne ki bari Manav ki thi....

"Sorry Sir.. main aapko naam nahi bata sakta... S.P. sahab ne mana kar diya hai....!" Mishra ne sapast kiya....

"... tu jaldi se iss no. ko survillance par laga kar iski location bata... Main dekhta hoon uss mantri ko....!" Manav ne no. 2 baar repeat kiya....

"Waise aapki marzi hai Sir Ji.. par madhumakkhi ke chhate mein hath na hi daalo toh behtar hai....!"

"Tu iss no. ki location kitni der mein bata raha hai....!" Manav ne uski baat apne sir ke upar se gujar jane di.....

"Pata lagte hi call kar doonga Sir...!" Mishra ne kahkar fone rakh diya.....

"Kiske sath gayi hai Pinky...?" Manav ne jaldbazi mein poochha aur gadi start karke shahar ki taraf hi douda di....

"wwo.. wo toh pata nahi Sir.... par mere fone mein no. hoga uska...!" Seema ne kaha....

" No. nikal kar do mujhe...." Manav ne Usko mobile pakadate huye kaha....," kya wo bhi tum logon mein se hi.....!"

"Nahi Sir... wo toh.. Pinky ke gaanv... haan yaad aaya... Harry ke sath gayi thi... par inn logon ne usko raaste se utha liya....

"Toh in logon ko kaise pata chala....?" Manav ne poochha aur Seema ke hath se mobile nikal kar Harry ka no. dial kiya.... Uss waqt Seema ki najarein ek baar fir jhuk gayi thi... par Manav ka dhyan uss par rah nahi saka....

"yye toh off aa raha hai.... Ye Boss koun hai?" Manav ke dimag mein hathode se bajne lage the....

"Pata nahi Sir... Mere paas toh unka no. bhi nahi hai....!" Seema ne chehre par maasumiyat jhalkate huye kaha.....

"Sali randi... teri jaan le loonga agar Pinky ko kuchh huaa toh...." Manav ka chehra paseene se bheeg gaya tha... uski samajh mein nahi aa raha tha ki kya kare aur kya nahi... Waqt jyada tha nahi... aananfaanan mein Manav ne khud hi Mantri ke paas fone karne ki sochi... par udhar ghanti jate hi Manav ne fone kaat diya aur pichhe muda...,"Seema... ab tak toh shayad main tumhe chhodta nahi tha... par agar tum inn logon tak mujhe aaj hi pahuncha sako toh main sach mein tumhe iss case se bahar karwa doonga.... plz...!" Manav ka lahja aascharyajanak dhang se naram pad gaya tha....

"Par.. mujhe pata nahi hai ki aaj ye kahan honge...?" Seema ne sahami aawaj mein jawab diya....

"mantri ka no. mil raha hai... Iss tak pahuncha sakti ho?"

"Kaise Sir?"

"Baat karke...apne mobile se... kaise bhi...!" Manav ne usko uska mobile de diya....

"Theek hai Sir... main koshish kar doongi....!" Seema ne ek gahri saans lene ke baad kaha aur call button daba diya... uske paas aur koyi chara tha bhi nahi.....

"Hello!" Seema ne yathasambhav madhur aawaj mein bola....

"Koun hai...?"

"Main hoon...?" Seema ne andhere mein teer chalane ki sochi...

"Main koun Sali... bheja kyun garam kar rahi hai mera....?" Murari nashe mein akela bistar par pada tha....

"Arey main hoon...main ghar se bhag kar aa gayi hoon jaan...ab kahan aana hai bolo... ek minute... Tum Shakti hi bol rahe ho naa?"

"haan haan.. ek minute..." Seema ki baat sunkar Murari ki adhoori hasratein ek baar fir jawan ho uthi... yakayak usne apni aawaj mein parivartan karke jawan hone ka dhong karne ki koshish shuru kar di....," Tum kahan ho... mmain tumhe lene bhejta hoon....!"

"Mmain..." Manav ke ishare par Seema ne apni baat badal di... tum bata do na... main aa jaaungi.. mere paas gadi hai....!"

"Tum rest house aa jao.... kahna murari ji ke room mein jana hai... 102 mein...!" Nashe mein Murari bhool hi gaya ki wo 'Shakti' hai....,"wwo... wo maine yahan naam badla hua hai na Jaan!"

"Theek hai... main aa rahi hoon wahin.....!" Seema ne kahkar fone kaat diya.... Manav ka chehra tamtama gaya aur uska bayan pair accelator par dabta chala gaya.....

"Tuimhe kya sach mein nahi maloom ki boss koun hai...?"

"Nahi Sir..... Sir.. main aapko apni taraf se poora sahyog karoongi... sir.. aap chahe kuchh bhi.... kar lo... par plz mujhe chhod dena Sir..." Seema ne gear par rakhe manav ke hath par apna hath rakhne ki koshish ki.. par Jaise hi Manav ne apne tamtamaye huye chehre se uski aur ghoora.. wah kampkampa kar pichhe hath gayi.....

chalte chalte hi Manav ne apna fone nikala aur Meenu ka no. mila diya... Meenu bhi abhi tak jaag hi rahi thi... chupke se charpayi se uthkar wo bathroom mein aayi aur fone uthaya...,"Kuchh pata laga Manav?"

"Meenu.. wwo..." Bolte huye Manav ka gala bhari ho chala tha...,"Anjali ab nahi hai... wwo.. Pinky Bhi....!"

"kyaaaaaaaaaa...." Badi mushkil se Meenu apni cheekh nikalne se rok payi.....

"Kuchh yaad aaya harami ssali...?"

Ek anjaan jagah par sthit kothi ke ek kamre ke kone mein apni hi baahon mein simti huyi khadi buri tarah bhaybheet Pinky ko ghoorte huye Ajay ne poochha... Usi kamre mein Harry ko ek kursi par bandhkar bithaya gaya tha.... Sunil ke hathon mein thame Video camra ka focus Harry aur Pinky hi the.... Aisa prateet ho raha tha ki 'iss' haadse ne dono ko buri tarah jhakjhor kar rakh diya hai.... Harry apni taraf se har tarah se minnatein aur gujaarish kar chuka tha... Par Haivaano ke huzoom par uski baaton ka kya asar hota bhala.....!

"mmmaine kya kiya hai? Hamein chhod do na pls!" thar thar kaanp rahi Pinky shuru se yahi rat lagaye huye thi.....

"Achchha! ab nikal gayi sari hekdi teri... Tujhe yaad hai na Tarun ne kya kasam khayi thi... yaad aaya kuchh? ab gin le tere saamne kitne aadmi hain... poore char hi hain na? ha ha ha! Tarun bhai ki aakhiri ichchha toh hamein poori karni hi padegi....!" Dheere dheere sarakta hua Ajay Pinky ke paas ja pahuncha.... Pinky Ajay aur uske sath khade hokar daant nikal rahe teen logon ke iraade bhaanp kar buri tarah rone lagi thi...

"Bhai Sahab plz... isko chhod do..tum chaho toh mujhe goli maar do.... Ye..ye bahut masoom hai....isne tumhara kya......?" Lakh baar chup rahne ki dhamki milne ke bawjood Harry se Pinky ki ye dasha dekh raha na gaya....

"Chup kar bey... tujhe kitni baar bolna padega... Ye kya kam hai ki ab tak hamne iske shareer ko nochna shuru nahi kiya hai.... 'Ye' ssali masoom hai tabhi toh isko khud hi kapde nikal dene ko bol rahe hain... warna toh ab tak... ab ki baar ek shabd bhi bola na toh tere saamne hi khol denge isko..." Ajay ek baar fir Harry ki taraf dekh kar gurraya aur fir Pinky ki taraf mud gaya...,"Chal... nikal de na... dikha na apne badan ki garmi!"

"Nahi... Plz.." Jaise hi Ajay ne Pinky ke gaal ko apne hath se chhua.. Pinky ka poora badan chhuyimuyi ki tarah murjha sa gaya...,"Plz bhaiya....!"

"Bhaiya bolti hai Sali...!" Aur uss darinde ne ek jor ka tamacha Pinky ke gaalon par jad diya...,"Ye sab tune uss waqt kyun nahi socha jab tu Tarun ko chappal se peet rahi thi bol....!"

Pinky iss maar se buri tarah bilkh uthi...,"wwo.. wo mujhe chhed raha tha... plz mujhe chhod do...!" Iss baar Pinky ki 'bhaiya kahne ki himmat na huyi....

"Achchha... chhed toh main bhi raha hoon... chal maar mujhe.... aaja...!" Ajay uske sir par khada hokar gurraya....

"Nahi... plz...!"

"Achchha chal bata... Uss din Tarun ne kya kasam khayi thi... bol!"

"mmmujhe nahi...." Aur Pinky ke Saamne kuchh din pahle ka wo drishay koundh gaya jab Tarun darwaje par khada hokar kah raha tha ki agar 4-4 mardon se usko nahi roundwaya toh uska naam badal dena.... Pinky sihar uthi... Usko nahi maloom tha ki Tarun ki kasam 'usko' iss mukaam par lakar chhod degi.....,"Mmain.. main aapse daya ki bheekh maang rahi hoon... Hamein chhod do plz... mujhe maaf kar do... "

"tu apne aap kapde nikalegi ya hamein teri chikni jawani ko apne hathon se hi nangi karna padega... Jaldi kar....!" Ajay ek baar fir gurraya.....

"Bhai sahab plz...." Harry jaise hi iss baar bola, ajay ne revolver nikal kar uss par taan di....," Kallu!... pahle isko thok saale ko... ye beech mein aise hi chikchik karta rahega nahi toh.... ssala... bahar lejakar iske bheje mein thok de do char goli....!"

Jaise hi kamre mein khade baki teen logon mein se ek Harry ki taraf badha, Pinky mimiya uthi..,"nahi plz... mmmain... main nikaal rahi hoon... isko kuchh mat kaho....!"

"Chal shabash! rahne de kallu... iss haseena ke kahne se ek baar aur maafi sahi... chal shabash... nikal de... ek ek karke sare nikal kar nangi ho ja apne aap!... pyar se nikaalegi toh pyar se maarenge teri.. mera wada hai... ha ha ha...!" Ajay ne Kallu ko rok diya.....

Pinky ka chehra buri tarah peela ho chala tha.... Jisko kuchh bhi karne dene ki chhoot dekar apni aankhon mein jane apne youvan ko pulkit karne ki kitni hi sunder kalpanayein nirmit kar Pinky aaj bahar aayi thi... Usi ke saamne khade hokar kuchh darinde usko jaleel karne ki taiyari kar chuke the... Pinky ka chehra aansuon se bheega hua tha... Harry awaak sa sab kuchh dekh raha tha... par dono bebas the... ekdum lachaar....

"chal ab nikal... aise munh pichkaye kya soch rahi hai...!" ajay ne jaise hi kaha, uska mobile baj utha...,"ek minute... chup raho sab... haan Prem bhai!" Ajay ne fone kaan se laga liya.....

"Kya chal raha hai udhar...?" Prem ne poochha.....

"Kuchh nahi... bus wahi sab.... sali time bahut laga rahi hai....abhi tak kapde bhi nahi nikale.... pata nahi Boss chahte kya hain... he he he... hamein manmani nahi karne de rahe... he he he...!" Ajay ne bolte huye Pinky ke kandhe par hath rakh liya.... Pinky kasmasa uthi.....

"Baat kara na ek baar.... Boss ka fone hi nahi lag raha....!" Prem ne kaha.....

"aaj nahi lagega... Boss aaj bahut busy hain...!" Ajay ne jawaab diya aur wapas jakar Harry ki kursi par pair rakh liya....

"Isiliye toh kah raha hoon yaar... tu tere fone se kara de baat ek baar.... 'wo' maamla toh set kar diya... mantri bhi nischint hokar so gaya hoga.... mujhe kya karna hai ab....?"

"Bataya na yaar boss aaj fone nahi le sakte... maamla set kar diya na! bahut badhiya.......aur dusri ka?"

"Mere sath hi hai... pichhe padi hai diggi mein... Maamu logon ki bahut problem hoti hai yaar raat mein.... bahut pareshan kar rahi thi....pata nahi kab jhamela khada kar de...!" Prem ne bataya....

"Ghar jakar so ja aaram se..... subah dekhenge..." Ajay ne kaha aur turant apni baat se palat gaya..,"nahi nahi.. ek minute... yahin aaja... 1012 mein.... hum sab yahin hain...!"

"Achchhi baat hai... main wahin aa jata hoon... yahan se jyada door bhi nahi hai...!" Prem ne kahkar fone kaat diya......

**************************

"Mujhe bahut darr lag raha hai Manav... ab kya hoga? Papa shahar pahunchne wale hain... tumhare paas dobara fone karenge shahar aate hi.... maine abhi Anjali ke baare mein nahi bataya unko...! Pinky... theek toh hogi na"

"Harry ka bhi fone nahi lag raha... par tum fikar mat karo...Sab theek ho.... ek minute... fone rakho...." Manav ne turant kaha aur Meenu ka fone hold par daal liya...,"Haan Mishra...?"

"Sir.. 'wo' no. trace ho gaya hai... abhi ek dusre no. se baat huyi hain uski... kaho toh sunaaun?" Mishra ne udhar se kaha....

"Kuchh kaam ki baat hai kya?" Manav ne jaldi jaldi mein poochha... Usne rest house se kuchh pahle hi gadi rok di thi....

"kuchh khas pata nahi chal paya baaton se... usko kahin '1012' mein bulaya hai... ye nahi pata kahan ka 1012... baki kuchh aur bhi baatein hain...! maamla set karne ki...."

"1012....." Manav apna sir khujate huye badbadaya... "ek minute...ye... 1012 kya hai...?" Manav ne Seema ka rukh kiya.....

"Sec 37 mein kiraye ki kothi hai Sir.. hum kabhi kabhi wahan jate hain...!" Seema ne anmane dhang se jawab diya....

"Kya? matlab isi shahar mein?" Manav ko kuchh ummeed bandhi....

"Haan... kyun?" Seema ne poochha.....

"Fone rakho mishra... jarurat padi toh main fir call kar loonga... night duty hai na?"

"Ji Sir....!" Mishra ne bataya...

Manav ne fone kata aur turant gadi ko U-turn de diya...,"Prem ko pata hoga na ki Pinky kahan hai?"

"Pata nahi.. shayad pata ho...! ab aap rest house nahi chal rahe kya?" Seema ne poochha....

" Ab tum chup raho... Prem 1012 mein aa raha hai... mantri se jyada 'wo' kaam ka hai...." Manav ne kaha aur fir ek fone kiya...,"Inspector Manav bol raha hoon...saare chouraahon se check post hata lo... Sec. 37 ke ambedkar chounk par 4 aadmi bhej do... sadi wardi mein....! Police ki gadi mat lana sath...."

******************************
*********************

"aaj toh kamaal ho gaya yaar... Kahin bhi police waale nahi...." Prem ne andar aate hi Harry ko kursi par bandhe dekha toh uchhal pada...,"yye........" Wah kuchh bol hi raha tha ki ajay ne usko tok diya...,"Chup... Boss ka aadesh hai.. tumhari jaan pahchan ka hai kya?"

"aa..n..nahi.. kuchh nahi... tum log 'kaam' kab shuru karoge....!"

"Chal raha hai... chal utaar bhi de kapde jaane mann... kyun tarsa rahi hai itna.. hum tere yaar ko thok denge tab utaaregi kya? isko bhi toh darshan kara de apni kamsin jawani ke...." Ajay fir se Pinky ki taraf badh gaya.....

********************************************
"Jaihind Janaab!" Ambedkar chounk par police waale Manav se pahle hi pahunch chuke the.....

"Ye lo..." Manav ne neeche utarkar chabi ek aadmi ki taraf uchhal di....,"andhere mein khadi kar do isko..." Manav ne kaha aur Seema ka hath pakad kar Police waalon dwara layi gadi mein baith gaya....," Pahle main jaaunga andar... iss ladki ke sath..... Tum log bahar rahna.. ekdum choukas... koyi bhage toh seedhi goli maar dena sssalon ko....!" Manav ne kaha aur gadi 1012 ki taraf chal padi.....

"Tum samajh rahi ho na... tum mujhe andar lekar jaogi...apna sathi batakar.... koyi bhi locha hua toh sabse pahle main tere sir mein goli thokunga...." Manav ne Seema ki taraf dekh kar kaha....

"thee.. theek hai Sir....!" Seema saham kar boli....

Tabhi Manav ka fone baj utha...,"Beta.. mmain pahunch gaya... bus-stand ke paas khada hoon bike par.... kuchh pata laga kya Pinky ka?" Pinky ke papa ki aawaj tharrayi huyi thi....

"aap fikar na karein Pitaji... main bahut jald usko dhoondh loonga....!" Manav ne bhi bharraye gale se unko shantwana dene ki asafal koshish ki....

"Par main ab kya karoon...? yahin khada rahoon kya...?" papa ne poochha.....

"nahi... main bhejta hoon aapke paas... kisi ko....!" Manav ne jawab diya.....










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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