Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--50

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बाली उमर की प्यास पार्ट--50

कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम

गतान्क से आगे..................

"चल.. आगे चल... बोलना तू मुझे लेकर आई है....!" मानव 1012 से करीब 100 गाज पहले ही सीमा के साथ गाड़ी से उतर गया था.....

"ज्जई... आप चुप ही रहना वहाँ... मुझे प्रेम दिखेगा तो मैं आपको इशारा कर दूँगी... आप.. मुझे छ्चोड़ देंगे ना....!" सीमा ने याचना से मानव की तरफ देख कर कहा...

"पहले काम तो कर....!" मानव ने तेज़ी से चलते हुए अपने रेवोल्वेर में गोलियाँ चेक की... सब 'सेट' था.....

"ज्जई... आइए...!" सीमा दरवाजे पर आकर खड़ी हुई तो मानव ने उसके गले में बाँह डाल ली....

"सीमा तू?" घंटी बजाने पर बाहर आई डॉली सीमा को देख कर थोड़ी अचंभित सी हुई और फिर नज़र उपर करके मानव की और देखा...,"प्रेम तो अभी आकर बता रहा था तू किसी लौंडिया को लाने की बात कह रही थी... ये कौन है?"

मानव ने मुस्कुरकर डॉली की ओर अपनी आँख दबा दी... पर कुच्छ बोला नही....

"आए... अपनी औकात में रह स्साले... तेरे जैसे बहुत देखे हैं... ज़्यादा स्मार्ट बन रहा है क्या?" डॉली मज़ाक में ही, पर थोड़ा बिफर कर बोली....

"डॉली... ये उसका बॉयफ्रेंड है... बाकी कौन है यहाँ....?" सीमा ने बीच बचाव करते हुए कहा....

"सभी हैं... क्यूँ? लड़की कहाँ है?" डॉली ने घूम कर आगे चलते हुए पूचछा....

"मुझे प्रेम से बात करनी है... वो कहाँ है...?" सीमा ने फिर पूचछा....

"बैठो... मैं बात करती हूँ उस'से....!" डॉली ने एक बार फिर इतरा कर मानव की तरफ देखा और मटकती हुई आगे बढ़ गयी....

जहाँ उस वक़्त मानव और सीमा बैठे थे.... वहाँ से ये अंदाज़ा भी लगाना मुश्किल था कि इस मकान में कुच्छ ख़तरनाक भी चल रहा होगा.... वहाँ सुनाई दे रहे तेज़ म्यूज़िक से ज़्यादा से ज़्यादा ये अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर कोई पार्टी चल रही हो सकती है.... मानव की बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी... पर वह जानता था कि जल्दबाज़ी से खेल बिगड़ सकता है.... फिर 'वो' शायद पिंकी तक पहुँच ही ना सके... इसीलिए वह शांत ही बैठा था....

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*

डॉली ने अंदर जाकर बुरी तरह फफक फफक कर उन्न ज़ालिमों के सामने रो रही पिंकी पर एक सरसरी निगाह डाली.... 'हॅरी' को उनके ज़ुल्म से बचाने की कवायद में पिंकी ने अपनी इज़्ज़त को नीलम होने देने का मंन बना लिया था.... कमीज़ निकाल देने के कारण उसके समीज़ से झलक रही जवानी को 'कुच्छ' क्षण तक ही सही, पर च्छुपाने के लिए वह अपने दोनो हाथों में अपनी छातियो को च्छुपाए रखने का जतन कर रही थी...... उसकी आँखों से लगातार बह रहे आँसुओं से उसका समीज़ गीला होता जा रहा था....

"आए... बहुत मज़ाक हो गया अब... रोना छ्चोड़ और बाकी कपड़े उतार डाल... आख़िरी बार कह रहा हूँ वरना अब हम खड़े होकर आ रहे हैं तेरे उपर.... फिर बरी बरी नही.. एक साथ ही करेंगे.... सोच ले... तेरे पास आख़िरी पाँच मिनिट और हैं.....!" अजय ने गुर्रकार कहा और उसके पास जाकर उसके हाथ खींच कर छातियो से दूर हटा दिए...,"साली की चूचियाँ तो देखो... कैसे तनी हुई हैं.. इस हालत में भी....!"

"प्रेम... ववो सीमा आई हुई है नीचे.... उसके साथ एक लड़का भी है....!" डॉली ने अपना ध्यान पिंकी से हटाकर कहा....

"सीमा...? पर ववो यहाँ कैसे आ गयी...? मैने तो उसको बताया भी नही...." प्रेम दुविधा में पड़कर बोला...,"और वो तो कोई लौंडिया लाने की बात कर रही थी... लड़का कौन है?"

"वो कह रही है कि उस लड़की का बाय्फ्रेंड है.....!" डॉली ने बताया.....

"अरे हां याद आया.... पर लड़के को ऐसे यहाँ थोड़े ही लाना चाहिए था.... ईडियट! चल मैं देखता हूँ..." प्रेम ने कहा और उसके साथ बाहर निकल कर आ गया....

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"हेलो बॉस!" प्रेम ने जाते ही मानव की तरफ हाथ बढ़ाया....,"लड़की कहाँ है...?"

"आ जाएगी...!" मानव ने अपने आवेगो को काबू में करके सहज भाव से कहा....

"एक मिनिट... सीमा... तुम मेरे साथ आना...!" प्रेम सीमा का हाथ पकड़ कर बाहर की ओर ले चला.... मानव उनके पिछे पिछे चल पड़ा....

"तुम यहीं रूको बॉस... आराम से बैठो.. मुझे कुच्छ पर्सनल बात करनी है....!" प्रेम ने हाथ बढ़कर इशारा किया....

"ओके...!" खुशकिस्मती से वो लोग बाहर ही जा रहे थे... इसीलिए मानव ने कुच्छ क्षण का वेट करना मुनासिब समझा.... वह उनके दरवाजा खोल कर बाहर जाने का वेट करता रहा.....


"आए... तुम कहाँ चल दिए... यहीं बैठने को बोला है ना?" मानव उठने लगा तो डॉली बिफर कर बोली....

"बस एक मिनिट.... अपनी गर्लफ्रेंड को ले आता हूँ....!" मानव पलटा और मुस्कुरकर बोला.....

"कहा ना चुपचाप बैठ जाओ... उनको अंदर आने दो....!" डॉली तुनक पड़ी....

मानव धीरे से उसके पास आया," वो तो अब गये... वो अब वापस नही आएँगे... तुम्हे भी जाना है क्या?"

"आए.. क्या मत... उम्म्म्म..उम्म्म्म..." और डॉली की बोलती बीच में ही बंद हो गयी.... मानव ने उसका मुँह दबाकर अपने साथ ही घसीट लिया था.... बाहर की ओर...

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"जनाब इधर....!" झाड़ियों में दुबके पोलीस वालों में से एक की आवाज़ आई...," इस लड़की ने इसको बता दिया कि आप पोलीस वाले हो.... ये फोने कर रहा था कहीं... हमने दबोच लिए..... स्साले!"

मानव ने धक्का देकर डॉली को भी उनके साथ ही नीचे डाल दिया और घुटना टेक कर रेवोल्वेर की नोक प्रेम के माथे पर अड़ा दी....,"जल्दी बता पिंकी कहाँ है.. वरना यहीं ठोक दूँगा स्साले को....!"

प्रेम ने घबराकर लेते हुए ही अपने हाथ उठा लिए....,"प्ल्ज़ साहब.. गोली मत चलना.. मुझे नाम नही पता... पर एक लड़की..... अंदर है...!"

"क्या? यहाँ...!" मानव ने चौंक कर कोठी की तरफ देखा....,"यहाँ अंदर?"

"ज्जई साहब...!" प्रेम की आँखें भय के मारे फैल गयी थी....

"कितने लोग हैं अंदर तुम्हारे ....?"

"ज्जई.. पाँच....!"

"बॉस?"

"ज्जई...!"

"सुशील, पूरी...!.. तुम इन्न तीनो को संभलो... कोई बकबक करे तो सीधी ठोक देना अंदर... बाकी जल्दी आओ मेरे साथ.... जल्दी..!" मानव कहते ही सीधा अंदर की और भागा...... बाकी दो पोलीस वाले भी तुरंत उसके पिछे हरकत में आ गये.....

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"कहा था ना सिर्फ़ पाँच मिनिट हैं तेरे पास....!" अजय ने कहा और पिंकी के पास जाकर उसके हाथ पिछे मॉड्कर अपने हाथ में पकड़ लिए.... पिंकी बुरी तरह सीसीया उठी.....,"अयाया... प्लीज़.....!"

"साली... बोल... कहा था ना?" अजय ने कहा और पिंकी के समीज़ में हाथ डाल कर उसको खींच लिया.... मानवता नंगी हो कर त्राहि त्राहि कर उठी... पिंकी का करूँ क्रंदान देख कर भी उन्न काफिरों का दिल नही पिघला.....

"आए हाए.... मेरी जान... क्या माल है तू...? बाहर से तो ऐसी नही...." अजय बोल ही रहा था कि अचानक पिछे से आवाज़ आई...,"आएय यू!"

"तुम यहाँ कैसे... आ!" पलट कर अजय मानव को ज़्यादा देर घूर नही सका... गोली सीधी उसके माथे के बीचों बीच घुस गयी थी.... उसके हाथ में थमा पिंकी की इज़्ज़त, उसकी समीज़ का टुकड़ा हवा में लहराया और ज़मीन पर अजय की लाश के साथ ही गिर गया....

तभी कल्लू के हाथ में रेवोल्वेर चमकी और अगले ही पल उसके खून के छ्चींटों से दीवार लाल हो गयी....

बदहवास सी खड़ी पिंकी कुच्छ देर तो जैसे कुच्छ समझ ही नही पाई...... अचानक जैसे ही इस सुखद अन-होनी से उसकी आँखें रूबरू हुई... उसके शरीर में तुरंत प्रतिक्रिया हुई और वह रोटी हुई भाग कर 'ऐसे' ही मानव से लिपट गयी... अब उसका रुदन और भी बढ़ गया था....

बाकी बचे दोनो लोग हाथ उपर करके सहमे हुए खड़े थे.... मानव ने अपने पिछे खड़े पोलीस वालों को कोठी का कोना कोना छान देने का आदेश दिया और फिर कुर्सी पर बँधे बैठे 'हॅरी' पर नज़र डाली...,"तुम तो वही हो ना जो....!"

अब जाकर पिंकी को अपनी हालत का ध्यान आया था... वह तुरंत कसमसा कर मानव की छाती से अलग हुई और भागकर अपना कमीज़ उठा लिया... उसके बाद वह कमरे के कोने में खड़ी होकर फूट फूट कर सुबकने लगी.....

"सब ठीक हो जाएगा पिंकी.... कमीज़ पहन लो जल्दी...!" मानव के कहा और कुर्सी पर बँधे हॅरी को खोलने लगा.....

"सॉरी सर... मेरी वजह से....!" हॅरी के चेहरे पर अप्रध्बोध साफ पढ़ा जा सकता था.....

"बाद में बात करेंगे...." मानव ने कहकर फोन निकाला सबसे पहले मीनू को पिंकी के ठीक होने की सूचना दी....

"पर... पर वो बाहर क्यूँ गयी...?" पिंकी की आँखों में भी खुशी के आँसू छलक उठे थे.....!"

"वही....!" मानव ने गहरी साँस ली..,"इश्क़ विश्क़... प्यार व्यार....!"

"क्या? हॅरी के साथ...?" मीनू चौंक पड़ी.....

"हाआँ... यहीं बैठा है.... बेचारा!" मानव ने हॅरी की तरफ घूर कर देखा....

"और अंजलि...?" बोलते हुए मीनू का गला सा रुंध गया था.....

"मम्मी को बता दो पिंकी ठीक है... मेरे साथ है.... मैं बाद में फोन करता हूँ....!"

"हाँ... मम्मी मेरे साथ ही बैठी है...!"

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"जनाब कुच्छ नही मिला..... हमने पूरा घर छान लिया....!" दोनो पोलीस वाले वापस आ गये थे.....

"कुच्छ नही यार... बॉस को ढूँधो... 'वो' भी यहीं था.....!"

"जनाब.. कोई नही है... पिछे का दरवाजा खुला है.. लगता है भाग गया...!" पोलीस वाले ने अफ़सोस जताया....

"अब कहाँ जाएगा.... इन्न दोनो को साथ ले लो...!" मानव के इशारा करते ही पोलीस वालों ने बाकी जिंदा बचे दोनो लोगों के कॉलर्स पकड़ लिए.....

"तुम क्या सोचकर पिंकी को हॉस्टिल से बाहर लाए थे हॅरी....?" अब कमरे में सिर्फ़ 'वो' तीन ही बचे थे... हॅरी और पिंकी दोनो सिर झुकाए खड़े थे....

"सॉरी सर... ववो.. आक्च्युयली....!" हॅरी ने कुच्छ कहने की कोशिश की थी....

"तुम अब ये कहोगे की तुम इस'से प्यार करते हो.. वग़ैरह वग़ैरह.... पर सोच कर देखो.. क्या ये प्यार है...? क्या ये प्यार की उमर है इसकी....? कम से कम ऐसे हॉस्टिल से निकाल कर तो नही लाना चाहिए था..... तुम समझ रहे होगे मैं क्या कहना चाहता हूँ....!" मानव ने बड़प्पन के नाते कहा....

हॅरी से कुच्छ बोलते नही बन पा रहा था.... अचानक पिंकी ही उसके बचाव में आगे आ गयी,"म्म्मैने ही इसको बोला था... मैं सिर्फ़ दस मिनिट के लिए बाहर आई थी... इस'से बात करने..." हालाँकि नज़रें पिंकी की भी अब शर्म से झुकी हुई थी...

"जनाब.... ववो... इस लड़की के पापा आए हैं...बाहर खड़े हैं... आपने बोला होगा जगदीश को...!" एक पोलीस वाले ने आकर बताया.....

"हां... हां.. चलो...!" मानव ने पिंकी का हाथ पकड़ा और उसको लेकर बाहर निकल गया.....

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"उस कामीने की हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को हॉस्टिल से बाहर लाने की.... कहाँ है ववो....!" नीचे पिंकी के पापा ये जान'ने के बाद कि पिंकी ठीक है; हॅरी पर भड़क रहे थे.....

"ताउ आ रहे हैं ना... शुक्र करो.. कम से कम तुम्हारी बेटी बच गयी.. वरना...!"

"लो आ गये.... जनाब.. आप इनसे ही बात कर लो...!" दूसरे पोलीस वाले ने कहा....

पिंकी अपने पापा से नज़रें मिलने का साहस नही कर पा रही थी... आख़िरकार हॉस्टिल से बाहर तो 'वो' अपनी मर्ज़ी से ही आई थी ना.... अपने पापा के तेवर देख पिंकी मानव के पिछे ही च्छुपकर खड़ी रही.....

पापा ने भी शायद उस'से वहाँ बात करना मुनासिब नही समझा... पर पिछे आते हॅरी को देखते ही अचानक वो उसकी ओर लपके...,"साले... कुत्ते... कामीने...!"

अच्च्छा हुआ जो मानव ने बीच बचाव करा दिया..,"आप धैर्य रखिए पिताजी... ये बातें बाद में भी हो सकती हैं.... समझने की कोशिश करें.....!"

"पर इसको छ्चोड़ना नही कमिने को.... मैं इसके खिलाफ एफ.आइ.आर. कारवँगा....!" पापा ने पिछे हट'ते हुए कहा.....

"वो पाँचों कहाँ हैं....?" मानव ने एक पोलीस वाले से पूचछा.....

"गाड़ी में डाल लिया है जनाब...! क्या करना है बताइए.....?"

"इसको भी ले चलो... उनके साथ..." मानव ने मुड़कर हॅरी की तरफ आँख मारी और फिर उसका हाथ पकड़ कर कुच्छ दूर उसके साथ चला गया....,"मैं समझता हूँ यार... हो जाता है... पर 'वो' तो पापा हैं ना! आज मेरे थाने में रहना और सुबह निकल जाना.... मैं बात कर लूँगा... पर अभी पढ़ने दो यार इसको...!"

"जी.. थॅंक योउ सर!" हॅरी ने मानव का हाथ दोनो हाथों में थाम लिया....

"और उनका क्या करना है जनाब....?" साथ साथ चल रहे एक पोलीस वाले ने पूचछा....

"करना क्या है... खाल उतार दो सबकी... सुबह तक मुझे इनकी सारी डीटेल्स चाहियें... और हाँ... 'वो' प्रेम...! उसको अलग डाल लेना.... शायद 'वो' बॉस को जानता होगा... मैं आ रहा हूँ तुम्हारे साथ ही....!" मानव ने कहा और वापस मूड गया....

पोलीस वालों ने तब तक आ चुकी वॅन में सबको बिठा लिया.... सब हताश नज़रों से एक दूसरे को देख रहे थे.... उनका खौफनाक साम्राज्य अब धूल-धूसरित हो चुका था....

"सब ख़तम हो गया! इस साली सीमा ने सब मॅटीया-मेट कर दिया...." प्रेम ने इधर उधर देखा और एक लंबी साँस लेकर धीरे से कहा.....

अचानक पिछे गोली चलने की आवाज़ सुनकर आगे बैठे पोलीस वाले स्तब्ध रह गये... भाग कर पिछे आए तो देखा प्रेम गाड़ी में नीचे पड़ा है और उसके मुँह से खून बह रहा है....

"ययए.. ये क्या किया आपने?... मुझे क्यूँ.. आहह" प्रेम बिलबिलता हुआ हॅरी की ओर आँखें फ़ाडे देखता रहा....

इस'से पहले हॅरी दूसरी गोली चला पाता.. पोलीस वाले उसको काबू में कर चुके थे....

"क्या हुआ? गोली क्यूँ चलाई...." मानव लगभग भागता हुआ गाड़ी में चढ़ा था....

"जनाब... इस'ने... इसने इस पर गोली चला दी....!" पोलीस वाले ने हॅरी की और इशारा किया..... प्रेम बेसूध हो चुका था....

"जल्दी करो.... गाड़ी पहले हॉस्पिटल लेकर जाओ.. ये मारना नही चाहिए...!" मानव ने कहा और हॅरी को वापस नीचे खींच लाया....,"क्यूँ किया तुमने ऐसा...?"

"साले उसी की वजह से ये सब हुआ.... मुझे उसकी जान लेने दो प्लीज़.... मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ....!" हॅरी की आँखों से मानो खून टपक रहा हो....

"उसकी वजह से...? पर वो तो बाद में आया था... और... और तुम्हारे पास रेवोल्वेर कहाँ से आई 'वो'?" मानव ठिठक कर अचानक खड़ा हो गया.....

"ववो.. वो मैं अंदर से लाया था... उस आदमी की उठाकर जिसने आप पर गोली चलाने की कोशिश की थी.....!" हॅरी ने जवाब दिया....

"शिट यार... तुम्हे नही पता ववो हमारे कितने काम का आदमी था.... उसको कुच्छ हो गया तो मैं तुम्हे छ्ोड़ूँगा नही, देख लेना..... चल...!" मानव ने गुस्साए लहजे में कहा.....

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"हां मिश्रा... अब सुना 'वो' रेकॉर्डिंग... देखें कुच्छ काम का है कि नही...." मानव ने थाने में आते ही कहा.... पिंकी और उसके पापा को उसने 'अपने' ही घर भेज दिया था शहर में.... हॅरी उसके सामने ही कुर्सी पर बैठा हुआ था....

"2 मिनिट लगेंगे सर...! आप होल्ड करना...!" मिश्रा की आवाज़ आई....

"हां ठीक है..." मानव ने फोन का लाउडस्पिकर 'ऑन' करके टेबल पर रख लिया...,"हॅरी!"

"जी सर...!"

"सॉरी.. तुम्हारे लिए एक काम है...!"

"ववो.. वो मैं कल सुबह बताउन्गा...!" मानव मुस्कुरा दिया... तभी फोन पर मिश्रा की आवाज़ उभरी..,"हेलो सर..?"

"हां मिश्रा!"

"लीजिए सुनिए..." मिश्रा ने कहा और 'टेप' की लाइन फोन के साथ कनेक्ट कर दी...

"क्या चल रहा है उधर...?"

"कुच्छ नही... बस वही सब.... साली टाइम बहुत लगा रही है....अभी तक कपड़े भी नही निकाले.... पता नही बॉस चाहते क्या हैं... हे हे हे... हमें मनमानी नही करने दे रहे... हे हे हे...!"

"बात करा ना एक बार.... बॉस का फोन ही नही लग रहा....!"

"आज नही लगेगा... बॉस आज बहुत बिज़ी हैं...!"

"इसीलिए तो कह रहा हूँ यार... तू तेरे फोन से करा दे बात एक बार.... 'वो' मामला तो सेट कर दिया... मंत्री भी निसचिंत होकर सो गया होगा.... मुझे क्या करना है अब....?"

"बताया ना यार बॉस आज फोन नही ले सकते... मामला सेट कर दिया ना! बहुत बढ़िया.......और दूसरी का?"

"मेरे साथ ही है... पिछे पड़ी है डिग्जी में... मामू लोगों की बहुत प्राब्लम होती है यार रात में.... बहुत परेशान कर रही थी....पता नही कब झमेला खड़ा कर दे...!"

"घर जाकर सो जा आराम से..... सुबह देखेंगे..." ,"नही नही.. एक मिनिट... यहीं आजा... 1012 में.... हम सब यहीं हैं...!"

"अच्च्ची बात है... मैं वहीं आ जाता हूँ... यहाँ से ज़्यादा दूर भी नही है...!"

पूरी बात सुनते ही मानव उच्छल सा पड़ा.... वह झटके के साथ कुर्सी से उठा और लगभग दौड़ते हुए लोक्कूप की तरफ गया...,"प्रेम की गाड़ी कहाँ है...?"

"जी उधर ही खड़ी होगी... सफेद वरना है 8544!" अंदर बैठे दोनो लोगों में से एक ने बताया....

"चाबी?"

"जी उसके पास ही होगी या फिर घर में रखी होगी.....!"

"हूंम्म..." मानव पलटा और तुरंत हॉस्पिटल में प्रेम के साथ रुके पूरी के पास फोन किया... खुसकिस्मती से चाबी उसकी जेब में ही मिल गयी.... पर एक बुरी खबर भी साथ मिली थी... प्रेम मर चुका था...

"श शिट.... मैं सुशील को भेज रहा हूँ.. चाबी उसको दे देना... ओके?" मानव ने हताशा में टेबल पर मुक्का मारा...

"जी जनाब!" उधर से आवाज़ आई....

"तुमने मेरा सारा खेल खराब कर दिया... प्रेम को मार दिया तुमने.... शायद केवल वही 'बॉस' को जानता था..."मानव ने हॅरी की आँखों में झाँक कर कहा....,"तुम्हे आज लोक्कूप में ही रहना पड़ेगा... सुबह देखूँगा क्या करूँ...!"

"ज्जई...!" हॅरी के मुँह से कुच्छ और ना निकला....

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"ये रही शायद... हां यही है.... जल्दी खोलो....!" मानव की साँसें उखड़ी हुई थी... फोन पर हुई बातें सुन'ने के बाद इतना तो तय था कि जो कोई भी है... जिंदा है... पर ये समझ नही आ रहा था कि 'दूसरी' कौन हो सकती है.....

मानव की आँखें पिछे दिग्गी में हाथ, पैर और मुँह बाँध कर डाली गयी लड़की पर पड़ते ही सुखद आस्चर्य से फैल गयी...."आन्जुउउउउउउउउउ.... तुम्म्म!"

गतान्क से आगे..................

"Chal.. aage chal... bolna tu mujhe lekar aayi hai....!" Manav 1012 se kareeb 100 gaj pahle hi Seema ke sath gadi se utar gaya tha.....

"jji... aap chup hi rahna wahan... mujhe Prem dikhega toh main aapko ishara kar doongi... aap.. mujhe chhod denge na....!" Seema ne yachna se Manav ki taraf dekh kar kaha...

"Pahle kaam toh kar....!" Manav ne tezi se chalte huye apne revolver mein goliyan check ki... sab 'set' tha.....

"Jji... aayiye...!" Seema darwaje par aakar khadi huyi toh Manav ne uske gale mein baanh daal li....

"Seema tu?" Ghanti bajane par bahar aayi Dolly Seema ko dekh kar thodi achambhit si huyi aur fir najar upar karke manav ki aur dekha...,"Prem toh abhi aakar bata raha tha tu kisi loundiya ko lane ki baat kah rahi thi... ye koun hai?"

Manav ne muskurakar Dolly ki aur apni aankh daba di... par kuchh bola nahi....

"aey... apni aukaat mein rah ssale... tere jaise bahut dekhe hain... jyada smart ban raha hai kya?" Dolly majak mein hi, par thoda bifar kar boli....

"dolly... ye uska BF hai... baki koun hai yahan....?" Seema ne beech bachav karte huye kaha....

"Sabhi hain... kyun? ladki kahan hai?" Dolly ne ghoom kar aage chalte huye poochha....

"Mujhe Prem se baat karni hai... wo kahan hai...?" Seema ne fir poochha....

"baitho... main baat karti hoon uss'se....!" Dolly ne ek baar fir itrakar Manav ki taraf dekha aur matakti huyi aage badh gayi....

Jahan uss waqt Manav aur Seema baithe the.... wahan se ye andaja bhi lagana mushkil tha ki Iss makaan mein kuchh khatarnaak bhi chal raha hoga.... wahan sunayi de rahe tez music se jyada se jyada ye andaja lagaya ja sakta tha ki andar koyi party chal rahi ho sakti hai.... Manav ki bechaini bahut badh gayi thi... par wah jaanta tha ki jaldbazi se khel bigad sakta hai.... Fir 'wo' shayad Pinky tak pahunch hi na sake... Isiliye wah shant hi baitha tha....

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Dolly ne andar jakar Buri tarah fafak fafak kar unn zalimon ke saamne ro rahi Pinky par ek sarsari nigah dali.... 'Harry' ko unke zulm se bachane ki kawayad mein Pinky ne apni ijjat ko neelam hone dene ka mann bana liya tha.... Kameej nikal dene ke karan uske sameej se jhalak rahi jawani ko 'kuchh' kshan tak hi sahi, par chhupane ke liye wah apne dono hathon mein apni chhatiyon ko chhupaye rakhne ka jatan kar rahi thi...... Uski aankhon se lagatar bah rahe aansuon se uska Sameej geela hota ja raha tha....

"Aey... bahut majak ho gaya ab... rona chhod aur baki kapde utaar daal... aakhiri baar kah raha hoon warna ab hum khade hokar aa rahe hain tere upar.... fir bari bari nahi.. ek sath hi karenge.... soch le... tere paas aakhiri paanch minute aur hain.....!" Ajay ne gurrakar kaha aur uske paas jakar uske hath kheench kar chhatiyon se door hata diye...,"Sali ki choochiyan toh dekho... kaise tani huyi hain.. iss halat mein bhi....!"

"Prem... wwo Seema aayi huyi hai neeche.... uske sath ek ladka bhi hai....!" Dolly ne apna dhyan Pinky se hatakar kaha....

"seema...? par wwo yahan kaise aa gayi...? maine toh usko bataya bhi nahi...." Prem duvidha mein padkar bola...,"Aur wo toh koyi loundiya laane ki baat kar rahi thi... ladka koun hai?"

"Wo kah rahi hai ki uss ladki ka boyfriend hai.....!" Dolly ne bataya.....

"Arey haan yaad aaya.... par ladke ko aise yahan thode hi lana chahiye tha.... idiot! chal main dekhta hoon..." Prem ne kaha aur uske sath bahar nikal kar aa gaya....

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"Hello boss!" Prem ne jate hi Manav ki taraf hath badhaya....,"Ladki kahan hai...?"

"Aa jayegi...!" Manav ne apne aawegon ko kabu mein karke sahaj bhav se kaha....

"Ek minute... Seema... tum mere sath aana...!" Prem Seema ka hath pakad kar bahar ki aur le chala.... Manav unke pichhe pichhe chal pada....

"Tum yahin ruko boss... aaram se baitho.. mujhe kuchh personel baat karni hai....!" Prem ne hath badhakar ishara kiya....

"OK...!" Khushkismati se wo log bahar hi ja rahe the... isiliye Manav ne kuchh kshan ka wait karna munasib samjha.... wah unke darwaja khol kar bahar jane ka wait karta raha.....


"Aey... tum kahan chal diye... yahin baithne ko bola hai na?" Manav uthne laga toh Dolly bifar kar boli....

"Bus ek minute.... Apni girlfriend ko le aata hoon....!" Manav palta aur muskurakar bola.....

"Kaha na chupchap baith jao... Unko andar aane do....!" Dolly tunak padi....

Manav dheere se uske paas aaya," Wo toh ab gaye... wo ab wapas nahi aayenge... tumhe bhi jana hai kya?"

"Aey.. kya mat... ummmm..ummmm..." Aur Dolly ki bolti beech mein hi band ho gayi.... Manav ne uska munh dabakar apne sath hi ghaseet liya tha.... bahar ki aur...

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"Janaab idhar....!" Jhadiyon mein dubake police waalon mein se ek ki aawaj aayi...," Iss ladki ne isko bata diya ki aap police wale ho.... ye fone kar raha tha kahin... hamne daboch liye..... ssale!"

Manav ne dhakka dekar Dolly ko bhi unke sath hi neeche daal diya aur ghutna tek kar revolver ki nok Prem ke maathe par ada di....,"Jaldi bata Pinky kahan hai.. warna yahin thok doonga ssale ko....!"

Prem ne ghabrakar lete huye hi apne hath utha liye....,"Plz sahab.. goli mat chalana.. mujhe naam nahi pata... par ek ladki..... andar hai...!"

"Kya? yahan...!" Manav ne chounk kar kothi ki taraf dekha....,"Yahan andar?"

"Jji sahab...!" Prem ki aankhein bhay ke maare fail gayi thi....

"Kitne log hain andar tumhare ....?"

"jji.. paanch....!"

"Boss?"

"jji...!"

"Sushil, puri...!.. tum inn teeno ko sambhalo... koyi bakbak kare toh seedhi thok dena andar... baki jaldi aao mere sath.... jaldi..!" Manav kahte hi seedha andar ki aur bhaga...... baki do police waale bhi turant uske pichhe harkat mein aa gaye.....

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"Kaha tha na sirf paanch minute hain tere paas....!" Ajay ne kaha aur Pinky ke paas jakar uske hath pichhe modkar apne hath mein pakad liye.... Pinky buri tarah sisiya uthi.....,"aaaah... plz.....!"

"sali... bol... kaha tha na?" Ajay ne kaha aur Pinky ke sameej mein hath daal kar usko kheench liya.... Manavta nangi ho kar trahi trahi kar uthi... Pinky ka karoon krandan dekh kar bhi unn kaafiron ka dil nahi pighla.....

"aaye haye.... meri jaan... kya maal hai tu...? bahar se toh aisi nahi...." Ajay bol hi raha tha ki achanak pichhe se aawaj aayi...,"Aey you!"

"Tum yahan kaise... aah!" Palat kar Ajay Manav ko jyada der ghoor nahi saka... goli seedhi uske maathe ke beechon beech ghus gayi thi.... Uske hath mein thama Pinky ki ijjat, uski sameej ka tukda hawa mein lahraya aur jameen par Ajay ki lash ke sath hi gir gaya....

Tabhi kallu ke hath mein revolver chamki aur agle hi pal uske khoon ke chheenton se deewar laal ho gayi....

Badhawas si khadi Pinky kuchh der toh jaise kuchh samajh hi nahi payi...... achanak jaise hi iss sukhad unhoni se uski aankhein rubaroo huyi... Uske shareer mein turant pratikriya huyi aur wah roti huyi bhag kar 'aise' hi Manav se lipat gayi... Ab uska rudan aur bhi badh gaya tha....

Baki bache dono log hath upar karke sahme huye khade the.... Manav ne apne pichhe khade police walon ko kothi ka kona kona chhan dene ka aadesh diya aur fir kursi par bandhe baithe 'Harry' par najar dali...,"tum toh wahi ho na jo....!"

Ab jakar Pinky ko apni halat ka dhyan aaya tha... wah turant kasmasa kar Manav ki chhati se alag huyi aur bhagkar apna kameej utha liya... Uske baad wah kamre ke kone mein khadi hokar foot foot kar subakne lagi.....

"Sab theek ho jayega Pinky.... Kameej pahan lo jaldi...!" Manav ke kaha aur kursi par bandhe Harry ko kholne laga.....

"Sorry Sir... meri wajah se....!" Harry ke chehre par apradhbodh saaf padha ja sakta tha.....

"Baad mein baat karenge...." Manav ne kahkar fone nikala sabse pahle Meenu ko Pinky ke theek hone ki soochna di....

"par... par wo bahar kyun gayi...?" Pinky ki aankhon mein bhi khushi ke aansoo chhalak uthe the.....!"

"wahi....!" Manav ne gahri saans li..,"Ishq vishq... pyar vyaar....!"

"Kya? Harry ke sath...?" Meenu chounk padi.....

"Haaan... yahin baitha hai.... bechara!" Manav ne Harry ki taraf ghoor kar dekha....

"aur Anjali...?" Bolte huye Meenu ka gala sa rundh gaya tha.....

"Mummy ko bata do Pinky theek hai... mere sath hai.... main baad mein fone karta hoon....!"

"Haan... mummy mere sath hi baithi hai...!"

********************************

"Janaab kuchh nahi mila..... hamne poora ghar chhan liya....!" Dono police waale wapas aa gaye the.....

"Kuchh nahi yaar... Boss ko dhoondho... 'wo' bhi yahin tha.....!"

"Janaab.. koyi nahi hai... pichhe ka darwaja khula hai.. lagta hai bhag gaya...!" Police waale ne afsos jataya....

"Ab kahan jayega.... inn dono ko sath le lo...!" Manav ke ishara karte hi Police walon ne baki jinda bache dono logon ke collars pakad liye.....

"Tum kya sochkar Pinky ko hostel se bahar laye the Harry....?" Ab kamre mein Sirf 'wo' teen hi bache the... Harry aur Pinky dono Sir jhukaye khade the....

"sorry Sir... wwo.. actually....!" Harry ne kuchh kahne ki koshish ki thi....

"tum ab ye kahoge ki tum iss'se pyar karte ho.. vagairah vagairah.... par soch kar dekho.. kya ye pyar hai...? kya ye pyar ki umar hai iski....? Kam se kam aise hostel se nikal kar toh nahi lana chahiye tha..... tum samajh rahe hoge main kya kahna chahta hoon....!" Manav ne badappan ke naate kaha....

Harry se kuchh bolte nahi ban pa raha tha.... Achanak Pinky hi uske bachav mein aage aa gayi,"mmmaine hi isko bola tha... main sirf dus minute ke liye bahar aayi thi... iss'se baat karne..." halanki najarein Pinky ki bhi ab sharm se jhuki huyi thi...

"Janaab.... wwo... iss ladki ke papa aaye hain...bahar khade hain... aapne bola hoga Jagdish ko...!" Ek police wale ne aakar bataya.....

"Haan... haan.. chalo...!" Manav ne Pinky ka hath pakda aur usko lekar bahar nikal gaya.....

**************************************

"Uss kamine ki himmat kaise huyi meri beti ko hostel se bahar lane ki.... kahan hai wwo....!" Neeche Pinky ke papa ye jaan'ne ke baad ki Pinky theek hai; Harry par bhadak rahe the.....

"Taau aa rahe hain na... shukra karo.. kam se kam tumhari beti bach gayi.. warna...!"

"Lo aa gaye.... janaab.. aap inse hi baat kar lo...!" Dusre police waale ne kaha....

Pinky apne papa se najrein milane ka sahas nahi kar pa rahi thi... aakhirkaar hostel se bahar toh 'wo' apni marzi se hi aayi thi na.... Apne papa ke tewar dekh Pinky Manav ke pichhe hi chhupkar khadi rahi.....

Papa ne bhi shayad uss'se wahan baat karna munasib nahi samjha... Par pichhe aate Harry ko dekhte hi achanak wo uski aur lapke...,"Saale... kutte... kaminey...!"

Achchha hua jo Manav ne beech bachav kara diya..,"aap dhairya rakhiye pitaji... ye baatein baad mein bhi ho sakti hain.... samajhne ki koshish karein.....!"

"Par isko chhodna nahi kamine ko.... main iske khilaaf F.I.R. karaaunga....!" Papa ne pichhe hat'te huye kaha.....

"Wo paanchon kahan hain....?" Manav ne ek police waale se poochha.....

"Gadi mein daal liya hai Janab...! kya karna hai batayiye.....?"

"Isko bhi le chalo... unke sath..." Manav ne mudkar Harry ki taraf aankh mari aur fir uska hath pakad kar kuchh door uske sath chala gaya....,"Main samajhta hoon yaar... ho jata hai... par 'wo' toh papa hain na! aaj mere thane mein rahna aur subah nikal jana.... main baat kar loonga... par abhi padhne do yaar isko...!"

"Ji.. Thank you Sir!" Harry ne Manav ka hath dono hathon mein tham liya....

"aur unka kya karna hai janaab....?" sath sath chal rahe ek police waale ne poochha....

"Karna kya hai... khal utaar do sabki... subah tak mujhe inki sari details chahiyein... aur haan... 'wo' prem...! usko alag daal lena.... shayad 'wo' boss ko jaanta hoga... Main aa raha hoon tumhare sath hi....!" Manav ne kaha aur wapas mud gaya....

Police waalon ne tab tak aa chuki van mein sabko bitha liya.... sab hatash najron se ek dusre ko dekh rahe the.... unka khoufnaak samrajya ab dhool-dhoosrit ho chuka tha....

"Sab khatam ho gaya! iss Sali Seema ne sab matiyamet kar diya...." Prem ne idhar udhar dekha aur ek lambi saans lekar dheere se kaha.....

Achanak pichhe goli chalne ki aawaj sunkar aage baithe police waale stabdh rah gaye... bhag kar pichhe aaye toh dekha Prem gadi mein neeche pada hai aur uske munh se khoon bah raha hai....

"yye.. ye kya kiya aapne?... mujhe kyun.. aahh" Prem bilbilata hua Harry ki aur aankhein faade dekhta raha....

Iss'se pahle Harry dusri goli chala pata.. Police waale usko kaabu mein kar chuke the....

"Kya hua? goli kyun chalayi...." Manav lagbhag bhagta hua gadi mein chadha tha....

"Janaab... iss'ne... Isne Iss par goli chala di....!" Police wale ne Harry ki aur ishara kiya..... Prem besudh ho chuka tha....

"Jaldi karo.... Gadi pahle hospital lekar jaao.. ye marna nahi chahiye...!" Manav ne kaha aur Harry ko wapas neeche kheench laya....,"Kyun kiya tumne aisa...?"

"Saale usi ki wajah se ye sab hua.... mujhe uski jaan lene do pls.... main aapke hath jodta hoon....!" Harry ki aankhon se maano khoon tapak raha ho....

"Uski wajah se...? par wo toh baad mein aaya tha... aur... aur tumhare paas revolver kahan se aayi 'wo'?" Manav thithak kar achanak khada ho gaya.....

"wwo.. wo main andar se laya tha... uss aadmi ki uthakar jisne aap par goli chalane ki koshish ki thi.....!" Harry ne jawab diya....

"Shit yaar... tumhe nahi pata wwo hamare kitne kaam ka aadmi tha.... usko kuchh ho gaya toh main tumhe chhodoonga nahi, dekh lena..... chal...!" Manav ne gussaye lahje mein kaha.....

*********************

"Haan Mishra... Ab suna 'wo' recording... dekhein kuchh kaam ka hai ki nahi...." Manav ne thane mein aate hi kaha.... Pinky aur uske papa ko usne 'apne' hi ghar bhej diya tha shahar mein.... Harry uske saamne hi kursi par baitha hua tha....

"2 minute lagenge sir...! aap hold karna...!" Mishra ki aawaj aayi....

"Haan theek hai..." Manav ne fone ka loudspeaker 'on' karke table par rakh liya...,"Harry!"

"Ji sir...!"

"Sorry.. tumhare liye ek kaam hai...!"

"wwo.. wo main kal subah bataaunga...!" Manav muskura diya... tabhi fone par Mishra ki aawaj ubhari..,"hello Sir..?"

"Haan Mishra!"

"lijiye Suniye..." Mishra ne kaha aur 'tape' ki line fone ke sath connect kar di...

"Kya chal raha hai udhar...?"

"Kuchh nahi... bus wahi sab.... sali time bahut laga rahi hai....abhi tak kapde bhi nahi nikale.... pata nahi Boss chahte kya hain... he he he... hamein manmani nahi karne de rahe... he he he...!"

"Baat kara na ek baar.... Boss ka fone hi nahi lag raha....!"

"aaj nahi lagega... Boss aaj bahut busy hain...!"

"Isiliye toh kah raha hoon yaar... tu tere fone se kara de baat ek baar.... 'wo' maamla toh set kar diya... mantri bhi nischint hokar so gaya hoga.... mujhe kya karna hai ab....?"

"Bataya na yaar boss aaj fone nahi le sakte... maamla set kar diya na! bahut badhiya.......aur dusri ka?"

"Mere sath hi hai... pichhe padi hai diggi mein... Maamu logon ki bahut problem hoti hai yaar raat mein.... bahut pareshan kar rahi thi....pata nahi kab jhamela khada kar de...!"

"Ghar jakar so ja aaram se..... subah dekhenge..." ,"nahi nahi.. ek minute... yahin aaja... 1012 mein.... hum sab yahin hain...!"

"Achchhi baat hai... main wahin aa jata hoon... yahan se jyada door bhi nahi hai...!"

Poori baat sunte hi Manav uchhal sa pada.... wah jhatke ke sath kursi se utha aur lagbhag doudte huye lockup ki taraf gaya...,"Prem ki gadi kahan hai...?"

"ji udhar hi khadi hogi... safed varna hai 8544!" Ander baithe dono logon mein se ek ne bataya....

"Chabi?"

"Ji uske paas hi hogi ya fir ghar mein rakhi hogi.....!"

"hummm..." Manav palta aur turant hospital mein prem ke sath ruke puri ke paas fone kiya... khuskismati se chabi uski jeb mein hi mil gayi.... par ek buri khabar bhi sath mili thi... Prem mar chuka tha...

"Ohh shit.... Main sushil ko bhej raha hoon.. chabi usko de dena... ok?" Manav ne hatasha mein table par mukka mara...

"Ji janaab!" Udhar se aawaj aayi....

"Tumne mera sara khel kharaab kar diya... Prem ko maar diya tumne.... shayad kewal wahi 'boss' ko jaanta tha..."Manav ne Harry ki aankhon mein jhank kar kaha....,"Tumhe aaj lockup mein hi rahna padega... subah dekhoonga kya karoon...!"

"jji...!" Harry ke munh se kuchh aur na nikla....

**************************

"Ye rahi shayad... haan yahi hai.... jaldi kholo....!" Manav ki saansein ukhadi huyi thi... Fone par huyi baatein sun'ne ke baad itna toh tay tha ki jo koyi bhi hai... Jinda hai... par ye samajh nahi aa raha tha ki 'dusri' koun ho sakti hai.....

Manav ki aankhein pichhe diggi mein hath, pair aur munh baandh kar dali gayi ladki par padte hi sukhad aascharya se fail gayi...."Anjuuuuuuuuuu.... tummm!"










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj















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