मस्त मेनका पार्ट..5
गतान्क से आगे................
थोड़ी देर बाद राजा साहब & मेनका नाश्ते के लिए होटेल के रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे.होटेल के शॉपिंग एरिया से गुज़रते हुए मेनका को एक ख़याल आया,"आप चलिए,हम अभी आते हैं."
"अरे,क्या बात हो गयी?पहले तो नाश्ता तो कर लें फिर शॉपिंग कर लेना."
"प्लीज़!आप चलिए ना.हम बस यूँ गये & यू आए."
"ओके.जैसी आपकी मर्ज़ी.",राजा साहब रेस्टोरेंट मे 1 टेबल पर बैठ गये & नाश्ते का ऑर्डर कर दिया.वो थोड़ी देर पहले होटेल सूयीट के कंप्यूटर पे पढ़े डॉक्टर.पुरन्दारे के ई-मैल के बारे मे सोचने लगे.उन्हे इस बात की तसल्ली थी कि विश्वा भी ठीक होना चाहता है पर शादी मे उसका विश्वास ना होने वाली बात से वो थोड़े चिंतित थे.वो मेनका को प्यार नही करता था,ये जान कर उनके मन के किसी कोने मे बहुत खुशी पैदा हुई थी पर वो जानते थे कि मेनका & उनका रिश्ता विश्वा के लौटने तक ही रह सकता है...."खैर,जब विश्वा आएगा तो देखेंगे..",उन्होने एक ठंडी आह भरी."अभी तक दुष्यंत ने भी कोई खबर नही दी है.",वो सोच रहे थे.
अब आप सोचेंगे कि ये दुष्यंत कौन है.दुष्यंत वर्मा उन गिने-चुने लोगों मे से है जो राजा साहब को उनके नाम से पुकार सकते हैं.दोनो बोरडिंग स्कूल & कॉलेज मे साथ पढ़े थे & पक्के दोस्त थे.दुष्यंत वेर्मा 1 सेक्यूरिटी &डीटेक्टिव एजेन्सी चलाते थे जिसके क्लाइंट्स हिन्दुस्तान की जानी-मानी हस्तियाँ थी.राजा साहब ने उनसे उस इंसान का पता लगाने को कहा था जो उनके बेटे को ड्रग्स सप्लाइ करता था.उनकी सख़्त हिदायत थी कि इस पूरी जाँच को सीक्रेट रखा जाए & दुष्यंत,उनके इस काम पे लगे स्टाफ & राजा साहब के अलावा किसी को भी इस बात की भनक ना लगने पाए.ऐसा वो इसलिए चाहते थे क्यूकी उन्हे पूरा यकीन था कि इसके पीछे जब्बार का हाथ है & इस बार वो उसे आखरी सबक सिखाना चाहते थे.
"अरे,क्ये सोच रहें है?खाते क्यू नही?",मेनका उनके सामने बैठी उनकी आँखों के आगे हाथ फिरा रही थी.वो अपने ख़यालों मे इतना खोए थे कि वो कब आई & वेटर कब खाना सर्व कर गया,उन्हे पता ही ना चला.
"कुच्छ खास नही,बस ऐसे ही.चलिए शुरू कीजिए.",दोनो नाश्ता करने लगे
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जहा राजा साहब अपने दुश्मन को सबक सिखाने के ख़यालों मे डूबे थे वही उनका दुश्मन भी उनकी बर्बादी के इरादे से शहर आ पहुँचा था.आइए चल कर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है.
शहर के बाहरी हिस्से मे जहा रोज़ नये फ्लॅट्स बन रहे हैं,वही 1 अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स है जो कि अभी तक पूरी तरह से बसा नही है,उस कॉंप्लेक्स का 1 फ्लॅट जब्बार का शहर का अड्डा है.उसका फ्लॅट ग्राउंड फ्लोर पर है & उस बिल्डिंग के बाकी फ्लोर्स अभी खाली पड़े हैं.अभी दोपहर के वक़्त भी यहा वीरानी च्छाई है.बस एक लंबा-चौड़ा शख्स चलता हुआ उस फ्लॅट की ओर आ रहा है.
आप उस इंसान के बगल से भी गुज़र जाएँ तो आप कुच्छ खास बात नही नोटीस कर पाएँगे पर जब मैं आपसे पुछुन्गा कि उसकी शक्ल कैसी थी तब आपका ध्यान जाएगा कि आप पास से गुज़रते हुए भी उसका चेहरा सॉफ-2 नही देख पाए थे.जी,हाँ ये कल्लन है.सर पर कॅप,आँखों पे काला चश्मा,बदन पे जॅकेट जिसका कॉलर उठा हुआ है ताकि कोई भी उसका हुलिया ना जान पाए.
देखिए वो कॉल बेल बजा रहा है.चलिए देखते हैं क्या होता है...
बेल सुन मलिका ने दरवाज़ा खोला,"ओह,तुम हो",एक कातिल मुस्कान उसने कल्लन की तरफ फेंकी.,"जब्बार तो बाहर गया है."
"मैं वेट करूँगा.",कल्लन ने अंदर आकर जॅकेट,चश्मा & कॅप उतार दिया था.उसके बाल फिर से बढ़ गये थे & चेहरे पर दाढ़ी भी वापस आ गयी थी.
"ड्रिंक लोगे?",मलिका अपनी गांद मतकाते हुए बार की तरफ बढ़ी,कल्लन की तरफ उसकी पीठ थी & वो जान बुझ कर अपनी गांद थोड़ी ज़्यादा लचका रही थी.उसने 1 टॉप पहना था जो कि उसकी छातियो के बड़े साइज़ के कारण बहुत कसा हुआ था & उसके निपल्स का आकर सॉफ दिख रहा था,नीचे 1 मिनी स्कर्ट थी & जब वो चल रही थी तो तो उसमे से उसकी नंगी गांद का थोड़ा सा हिस्सा झलक रहा था.
बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए,वो बार पर आके ड्रिंक तैय्यार करने लगी.तभी कल्लन ने उसे पीछे से अपने मज़बूत बाज़ुओं मे जाकड़ लिया & टॉप के उपर से ही उसकी छातिया मसल्ने लगा.
"औच्च!...आ .....ज़ालिम ज़रा आराम से...तो तुझमे भी आग है...मैने तो सोचा था कि तू तो बर्फ की तरह ठंडा है...एयेए...अहह.",कल्लन ने उसके गले मे काट लिया.अब उसके हाथ मलिका के टॉप के अंदर उसकी चूचियों & उन पर बने कड़े हो चुके निपल्स को मसल रहे थे.
मलिका ने 1 हाथ पीछे ले जाकर कल्लन के गले मे डाल दिया & अपना चेहरे घुमा कर उसे चूमने लगी,दूसरा हाथ उसने उस की पॅंट की ज़िप पर रख दिया."उफ़फ्फ़.....बहुत बड़ा लगता है तेरा...",उसके होठों को छ्चोड़ते हुए मलिका बोली & पॅंट की ज़िप खोल लंड को बाहर निकाल लिया.उसने सर नीचे कर देखा,सचमुच कल्लन का लंड बहुत बड़ा था.
बड़े लंड मालिका की कमज़ोरी थी.जब्बार का लंड बहुत मोटा था पर लंबाई कुच्छ खास नही थी.जब्बार की ख़ासियत थी उसका स्टॅमिना जो कि मलिका जैसी हर वक़्त गरम रहने वाली लड़की की प्यास बुझाने मे बहुत काम आता था.पर मलिका की नज़रों मे बड़े लड की बात ही कुच्छ और थी & वो कभी भी ऐसे लंडो को अपनी चूत मे लेने से नही चूकती थी.
उसने अपने हाथ से कल्लन के लंड को रगड़ना शुरू कर दिया,लंड देख ते ही उसकी चूत गीली हो गयी थी.कल्लन अब आपे से बाहर हो गया उसने मलिका के दाये घुटने को मोडते हुए उसकी जाँघ उठा कर बार पर रख दिया & वैसे ही खड़े-2 अपना लंड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया.
"आआ....ईिईययईईए!....फाड़ देगा क्या?....थोड़ा धीरे घुसा ना...ऊओवव्व!",उसकी बातें कल्लन को और दीवाना कर रही थी & उसने अपना पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया & धक्के मारने लगा."हा...अन्न....ऐसे ..ही....ज़ोर से....है....और...ज़ोर से कर...ना..!"
मलिका भी अपनी गांद हिला कर उसका पूरा साथ दे रही थी,उसकी एक बाँह कल्लन की गर्दन को घेरे थी & दूसरी बाँह पर उसके बदन को सहारा दे रही थी.कल्लन का एक हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दूसरे की उंगलिया चूत के दाने को रगड़ रही थी,होठ कभी उसके चेहरे,कभी होठ चूचियों पे घूम रहे थे.बहुत ज़ोर की चुदाई चल रही थी...
"ट्र्न्न्न!",कॉल बेल चीख उठी तो दोनो चौंक गये & मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन की कमर ने भी 2-3 झटके खाए & उसका लंड मलिका की चूत मे झाड़ गया.
मलिक ने बार से 1 नॅपकिन उठाया & कल्लन से अलग हो गई.दरवाज़े तक जाते हुए उसने अपनी जांघों पर बह आए कल्लन के & अपने पानी को सॉफ कर लिया.दरवाज़े पर जब्बार था.
अंदर आया तो उसने देखा की कल्लन सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था.थोड़ी देर पहले मचे वासना के तूफान का नाम ओ निशान उसके चेहरे पर नही था.
"क्यू बुलाया था?",उसने जब्बार से पुचछा.
"1 छ्होटी-सी मछ्लि हाथ लगी है जिसके ज़रिए हम बड़ी मछ्लि तक पहुँच सकते हैं.",उसने मलिका के हाथ से ड्रिंक लेते हुए जवाब दिया.,"हमे बहुत शॉर्ट नोटीस पर भी काम करने को तैय्यार रहना होगा.आज से तुम यही रहो पर ध्यान रहे किसी को इस बात का पता नही चलना चाहिए कि तुम यहा हो.",जब्बार कह तो कल्लन से रहा था पर उसकी नज़रे मलिका पर थी जो कि बड़े सोफे पर लेट कर उनकी बातें सुन रही थी.
"अब क्या करना है?",कल्लन अपना खाली ग्लास फिर भरने के लिए उठा.
"उस छ्होटी मछ्लि को चारा डालना है.",जब्बार मलिका की तरफ देख कर कुटिलता से मुस्कुराया.
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डील साइन करने के बाद राजा साहब & मेनका वापस होटेल आए.थोड़ी देर बाद ही उन्हे राजपुरा के लिए रवाना होना था.इस बार राजा साहब ने प्लेन चार्टर नही किया था बल्कि एरलाइन फ्लाइट से जाने वाले थे.चेक आउट करते वक़्त मेनका फिर उन्हे रिसेप्षन पे छ्चोड़ शॉपिंग एरिया मे चली गयी.
"ऐसा क्या है शॉपिंग सेंटर मे जो बार-2 वाहा जा रही हो?",कार तेज़ी से एरपोर्ट की तरफ बढ़ रही थी.
"ये तो आपको घर चल कर ही पता चलेगा.",मेनका शरारत से मुस्कुराइ.राजा साहब का दिल क्या कि उसी वक़्त उसे बाहों मे भींच कर प्यार करने लगे पर आगे ड्राइवर बैठा था.बड़ी मुश्किल से अपने जज़्बातों को उन्होने काबू मे किया.
एरपोर्ट मे चेक-इन काउंटर की ओर जाते हुए मेडिसिन स्टोर की विंडो मे लगे कॉंडम का पोस्टर देख राजा साहब के दिमाग़ मे 1 ख़याल आया.,"अरे,कल रात हम से 1 गड़बड़ हो गयी?"
"क्या?"
"हम..-"
"नमस्कार,राजा साहब.",राजा साहब के जवाब देने के पहले 1 लग भाग 60 साल का काफ़ी अमीर दिखने वाला आदमी उनके सामने आ खड़ा हुआ.
"अरे,सपरू साहब!कैसे हैं आप?यहा कैसे आए?"
"बस आपकी दुआ है,राजा साहब.हुमारी बेटी यही ब्याही है उसी से मिलने आए थे,अब वापस देल्ही जा रहे हैं."
"इनसे मिलिए.ये कुँवारानी हैं?...और ये सपरू साहब हैं.हुमारी तरह काग़ज़ & चीनी के व्यापारी पर इनका कारोबार हमसे कहीं ज़्यादा बड़ा & फैला हुआ है."
मेनका ने उन्हे नमस्कार किया तो जवाब मे उन्होने भी हाथ जोड़ दिए.,"राजा साहब तो हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.इनकी बातों पर मत जाइए.हम तो इनके सहभागी बन ने को बेताब थे पर तक़दीर ने हमारा साथ नही दिया."
"हाँ,सपरू साहब.इस बात का मलाल तो हमे भी रहेगा कि आप & हम बिज़्नेस पार्ट्नर्स नही बन पाए.अगर आपकी कंपनी का पैसा उस चाइनीस डील मे नही फँसता तो आज हमे इन विदेशियो से डील करने की कोई ज़रूरत नही पड़ती."
"सब उपरवाले की मर्ज़ी है,राजा साहब!पर क्या मालूम?हो सकता है आगे चल के वो हमारा रिश्ता और मज़बूती से जोड़ दे."
"बहुत खूब कही,सपरू साहब आपने."तभी अनाउन्स्मेंट हुई & दोनो 1 दूसरे से विदा ले अलग-2 दिशाओ मे चले गये.
प्लेन मे बैठे मेनका ने 1 मॅगज़ीन के पन्ने पलट ते हुए राजा साहब से पूचछा,"आप एरपोर्ट पे किस गड़बड़ का ज़िक्र कर रहे थे?"
राजा साहब थोड़े परेशान दिखे,"वो..हम...कल रात हमने...कोई..कोई प्रोटेक्षन इस्तेमाल नही किया & कही तुम प्रेग्नेंट..-"
"आप उस बात की चिंता मत कीजिए.आपने नही मैने किया था.",धीरे से हँसती हुई वो वापस मॅगज़ीन पढ़ने लगी.राजा साहब को तसल्ली हुई.
मेनका शुक्र मना रही थी कि पति के जाने के बाद भी उसने कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स खाना नही छ्चोड़ा था नही तो जैसे उसके ससुर ने उसकी चूत को 3 बार भरा था,वो तो शर्तिया प्रेग्नेंट हो चुकी होती.
शहर के एरपोर्ट पे राजा साहब के स्टाफ मेंबर्ज़ उनकी अगुआई के लिए खड़े थे.शाम घिरने लगी थी & स्टाफ मेंबर्ज़ ने उनसे शहर मे उनके बुंगलोव पर रुकने को कहा.पर राजा साहब जल्द से जल्द राजपुरा पहुँचना चाहते थे सो उन्होने उनसे अपनी कार ली और मेनका के साथ राजपुरा की ओर चल पड़े.वैसे भी रास्ता बस 1-1 1/2 घंटे का ही था.
राजा साहब को ड्राइव करना बहुत पसंद था & बहुत मजबूरी मे ही अपने ड्राइवर को ड्राइव करने देते थे.आज तो उन्हे बहुत अच्छा लग रहा था,ड्राइव करते वक़्त उनके साथ उनकी प्रेमिका जो बैठी थी.
कार के शीशे गहरे काले रंग के थे & अंदर का नज़ारा कोई बाहर से देख नही सकता था.इसी बात का फयडा उठाते हुए जैसे ही कार शहर से निकल कर हाइवे पर आई मेनका खिसक कर राजा साहब से सॅट कर बैठ गयी.उन्होने ने भी अपनी बाईं बाँह के घेरे मे मेनका को समेट लिया.मेनका अपने ससुर के कंधे पे सर रख सामने देखने लगी.करीब 15-20 मिनिट तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे.फिर मेनका को शरारत सूझने लगी.उसने राजा साहब के गाल पर चूम लिया तो राजा साहब ने भी 1 पल के लिए रास्ते से नज़र हटा कर उसकी किस का जवाब उसके गालों पर छ्चोड़ दिया.
मेनका ने अपने ससुर की शर्ट के उपर के 2 बटन खोल दिए & उसकी उंगलियाँ उनके सीने के बालों से खेलने लगी.उनके सीने को सहलाते हुए उसने अपने नाखूनों से राजा साहब के निपल्स को छेड़ना शुरू कर दिया.,"क्या कर रही हो?अगर हुमारा ध्यान इधर-उधर हुआ तो कही आक्सिडेंट ना हो जाए."
"यही तो आपका इम्तिहान है,राजा साहब.मैं तो ऐसे ही करती रहूंगी,आप बिना होश खोए कार चला कर दिखाएँ तो मानु."
"हमे चॅलेंज कर रही हो...ठीक है.जो मर्ज़ी कर लो,हम भी हार नही मानेंगे.अब तो कार महल पर ही रुकेगी."
जवाब मे मेनका ने थोड़ा झुक कर शर्ट के गले से झँकते उनके सीने पर चूम लिया.कार मे ऑटोमॅटिक ट्रॅन्समिशन होने की वजह से राजा साहब को गियर बदलने की ज़रूरत तो थी नही,उनका दाया हाथ स्टियरिंग को & बाया मेनका को संभाले हुए था.मेनका चूमते हुए नीचे उनकी गोद मे पहुँच गयी & उनकी पॅंट का ज़िप खोल दिया & हाथ घुसा कर अपने ससुर के लंड को बाहर निकल लिया.लंड पहले से ही तना हुआ था.मेनका ने उसे हाथ मे थमा & राजा साहब की ओर देख कर मुस्कुराइ.राजा साहब भी मुस्कुरा दिए & फिर अपनी नज़रे रोड पर जमा दी.
मेनका ने लंड को हिलाना शुरू कर दिया.उसे अपने हाथ मे इस लंड का एहसास बहुत अच्छा लगता था & इसको छुने भर से ही वो गरम होने लगे थी.राजा साहब ने अपने बाए हाथ को नीचे कर झुकाते हुए मेनका के घुटने पकड़ कर उसकी टाँगें सीट पर कर दी,फिर सीधे हो बैठ गये & उसकी सारी उठा कर उसकी कमर तक ले आए.इस सब के दौरान उन्होने कार को ज़रा भी नही लड़खड़ाने दिया.
मेनका झुक कर अपने ससुर के लंड को चूसने लगी थी.राजा साहब ने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी पॅंटी की साइड मे से अपनी उंगलिया उसकी चूत मे घुसा दी & उसके दाने को रगड़ने लगे.मेनका तो जोश से पागल हो गयी पर राजा साहब की हालत तो और भी खराब थी.उनकी बहू उनके लंड को मसल & चूस रही थी & उनका दिल कर रहा था कि बस कार रोक उसे लिटा कर उस पर सवार हो जाएँ पर उन्हे मेनका का दिया हुआ चॅलेंज पूरा करना था.राजपुरा बस 10 मिनट दूर रह गया था.उन्होने बड़ी मुश्किल से अपने उपर काबू किया था & अपने पानी को छूटने से रोका हुआ था.
राजा साहब अपनी उंगलियों से उसके जी स्पॉट को ढूँढने लगे & जैसे ही उन्होने उसे खोज कर उस पे अपनी उंगली फिराई,मेनका झाड़ गयी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.वो अभी भी वैसे ही राजा साहब के लंड पर लगी हुई थी पर राजा साहब ने भी सोच लिया था कि महल पहुँच कर ही झड़ेंगे.
मेनका की जीभ राजा साहब के अंदो पर घूमने लगी,झाँते सॉफ करने के बाद अब वो काफ़ी आसानी से उन गोलों को चूस पा रही थी.कार महल के गेट पर पहुँच गयी थी.दरबान ने राजा साहब की कार के हॉर्न को दूर से ही पहचान लिया & गेट खोल दिया.मेनका ने लंड को वापस मुँह मे लेकर चूसना & हाथों से रगड़ना शुरू कर दिया था.राजा साहब की उंगली ने फिर से उसे जन्नत की सैर करना शुरू कर दिया था.
कार महल के कॉंपाउंड के अंदर दाखिल होकर बस अब मैं गेट तक पहुँचने वाली ही थी जब राजा साहब की उंगलियों की रगड़ से मेनका दुबारा झाड़ गयी.उसने अपनी जांघें भींचते हुए अपने ससुर की उंगलियो को अपनी चूत मे ही क़ैद कर लिया.उसके होठ उनके लंड को और तेज़ी से चूसने लगे & राजा साहब ने भी अपना पानी उसके मुँह मे छ्चोड़ दिया.मेनका सारा पानी पी गयी & चाट कर पूरा लंड सॉफ कर दिया,फिर उठ कर अपनी सारी & बाल ठीक करने लगी.
राजा साहब ने कार महल के पोर्च मे रोक दी,अपना लंड पॅंट के अंदर किया और मुस्कुरा कर मेनका की ओर देखा,"तो हम इम्तिहान मे पास हो गये?कितने नंबर मिले हमे?"
मेनका ने अपना आँचल सर पर ले लिया,"हां हो गये.100 मे से 101.",& दोनो कार से बाहर आ गये.
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थोड़ी देर पहले मैने आपको बताया था कि जब्बार 1 छ्होटी मछ्लि के बारे मे बात कर रहा था जिसे वो फाँसना चाहता था.आइए जानते हैं आख़िर उस छ्होटी मछ्लि के बारे मे उसे पता कैसे चला.इसके लिए हमे समय मे थोडा पीछे जाना पड़ेगा....तो चलें...
जब्बार अभी तक इस बात पे कॉन्सेंट्रेट कर रहा था कि विश्वा इलाज के लिए कहा जा सकता है & इसमे उसका समय भी बर्बाद हो रहा था,उपर से नाकामयाबी झेलनी पड़ रही थी.पर फिर उसके शैतानी दिमाग़ ने थोडा दूसरी तरह से सोचना शुरू किया.उसने सोचा कि जहा भी गया हो राजा जाएगा तो प्लेन से ही & प्लेन या तो एरलाइन्स के पास होता है या फिर चार्टर कंपनी के पास.जब उसे दुनिया से ये बात च्छुपनी थी की उसका बेटा इलाज के लिए कहा जा रहा है तो वो एरलाइन्स तो कभी नही इस्तेमाल करेगा.
और फिर चार्टर को. का नाम पता लगा कर वाहा पहुँचना तो उसके बाए हाथ का खेल था.जब शाम को दफ़्तर खाली हो गया तो वो 1 ड्यूप्लिकेट चाबी (जिनका 1 गुच्छा हुमेशा उसकी जेब मे रहता था),की मदद से अंदर घुस गया.ये चाबियाँ वो क्यू रखता था,आगे आपको ज़रूर पता चलेगा.
आइए अभी अंदर चल कर देखते हैं वो क्या कर रहा है.अंदर जब्बार कंप्यूटर के सामने बैठा था पर पासवर्ड ना मालूम होने के कारण वो फाइल्स खोल नही पा रहा था.झल्ला कर उसने मशीन बंद की & उठ कर गुस्से से एक फाइलिंग कॅबिनेट पर हाथ मारा.कॅबिनेट खुल गया & उसमे से कुच्छ कागज़ात गिर गये.उसने जल्दी से दरवाज़े की तरफ देखा-कहीं किसी ने कुच्छ सुना तो नही था.
वो पेपर्स उठा कर वापस रखने लगा की 1 फाइल पर उसकी नज़र गयी.उसने उसे खोला तो उसकी बाँछें खिल गयी.
पाइलट:माजिद सुलेमान
लास्ट चार्टर:मुंबई
करेंट स्टेटस:ऑन रेस्ट
लास्ट चार्टर क्लाइंट्स:राजकुल ग्रूप
नेक्स्ट चार्टर:न्यू देल्ही
ये राजकुल ग्रूप के चार्ट्स की फाइल थी,उसने पलट ते हुए वो डेट खोजनी शुरू की जब राजा अपने बेटे को लेकर गया होगा,पर उस दिन की एंट्री थी ही नही.कहीं राजा ने दूसरी चार्टर सर्विस तो नही उसे की....नही वो हुमेशा इसी को उसे करता है...तो फिर जान बुझ कर उस फ्लाइट की एंट्री नही की गयी है.उसने फिर से फाइल को स्टडी करना शुरू किया & पिच्छले 3 महीनो मे राजा की फ्लाइट्स उड़ाने वाले पाइलट्स का नाम,पता & फोन नंबर. नोट कर लिया.सबसे ज़्यादा बार इसी माजिद सुलेमान ने फ्लाइट्स पाइलट की थी,उस मिस्सिंग एंट्री के पहले वाली फ्लाइट & उस मिस्सिंग एंट्री के बाद वाली फ्लाइट जो की आखरी फ्लाइट भी थी,भी उसी ने पाइलट की थी....उसे अंधेरे मे रोशनी की बस एक किरण नज़र आ गयी & ये उस हैवान के लिए काफ़ी था.
अब अतीत से वापस वर्तमान मे आ जाते हैं & महल चलते हैं जहा 2 बेचैन दिल बस इस बात का इंतेज़ार कर रहे हैं की कब नौकर-चाकर बाहर जाएँ & वो फिर से एक-दूसरे मे खो जाएँ.रात के 10:30 बज गये हैं & नौकर बस दिन के काम निपटाने वाले हैं,मेनका अपने कमरे मे है & राजा साहब नीचे बेचैनी से चहलकदमी कर रहे हैं...
जैसे ही नौकर काम ख़तम कर के बाहर निकले,राजा साहब ने बटन दबा कर सारे दरवाज़े बंद कर दिए & सारी लाइट्स भी बुझा दी,सिर्फ़ 2 हल्की रोशनी वाले लॅंप्स जलने दिए.वो उपर जाने के लिए मुड़े तो देखा मेनका सीढ़ियों से उतर रही है.राजा साहब तो उसे देखते ही रह गये.वो साक्षात स्वर्ग की अप्सरा मेनका लग रही थी.
मेनका ने लाल रंग की स्लीव्ले नाइटी पहनी थी जिसमे स्ट्रॅप्स की जगह कंधों पे 2 पतले स्ट्रिंग्स थे.नाइटी का गला भी गहरा था जिसमे उसका क्लीवेज इस मद्धम रोशनी मे भी चमक रहा था,बाई टाँग पर 1 स्लिट था जो की उसके घुटने के उपर जाँघ तक चला गया था & जब वो सीढ़ियाँ उतर रही थी तो उसमे से उसकी गोरी टाँग & जाँघ का हिस्सा झलक रहा था.उसके लंबे बाल खुले थे & कमर पर लहरा रहा थे.
राजा साहब की नज़रों की गर्मी ने मेनका के दिल मे हलचल मचा दी & उसके चेहरे पर हया की लाली च्छा गयी पर उसे ये भी अच्छा लग रहा था कि उसके प्रेमी को उसका ये रूप बहुत भा रहा था.राजा साहब आगे बढ़े & मेनका को अपनी बाहों मे भर लिया & अपने तपते होठों से उसे चूमने लगे,मेनका ने भी अपनी बाहें उनके गले मे दल दी & किस का जवाब देने लगी.दोनो थोड़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे से चिपके अपने होठों & जीभ से खेलते रहे.
फिर राजा साहब ने चूमना छ्चोड़ उसे अपनी गोद मे उठा लिया,मेनका ने अपनी बाहें उनके गले मे डाल दी & फिर से उन्हे चूमने लगी.राजा साहब वैसे ही चूमते हुए उसे उठा कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.उपर पहुँच कर वो अपने कमरे की तरफ मुड़े तो मेनका ने चूमना छ्चोड़ शरमाते हुए कहा,"मेरे कमरे मे चलिए ना."
"अरे,कमरा क्या पूरा का पूरा महल आपका है.फिर क्या आपका क्या मेरा.आज अपने इस कमरे,जिसे नाचीज़ अपना कहता है,चल कर इसे भी स्वर्ग बना दीजिए."& दोनो हंस पड़े.राजा साहब उसे अपने कमरे मे ले आए & अपने बिस्तर पर लिटा दिया & उसके उपर झुक कर उसे चूमने लगे.मेनका के हाथ उनके सर के बालों से खेलने लगे.राजा साहब ने उसके होठों को छ्चोड़ एक बार पूरे चेहरे को चूमा & फिर नीचे उसकी गर्दन पर पहुँच गये.मेनका ने अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा दिए & उनकी पीठ सहलाने लगी.
राजा साहब थोड़ा उपर हुए & अपना कुर्ता उतार फेंका & फिर से अपनी बहू की गर्दन पर झुक गये.अपने हाथों से उन्होने उसके कंधों से दोनो स्ट्रिंग्स नीचे सरका दी & उसके नंगे कंधों को चूमने लगे,मेनका की चूत गीली होने लगी थी & उसने अपनी जांघे बेचैनी से रगड़ना शुरू कर दिया.उसके नाख़ून अभी भी अपने ससुर की पीठ पर फिर रहे थे.राजा साहब मेनका के क्लीवेज पर आ गये & दीवानो की तरह चूमने लगे.उनसे बर्दाश्त करने मुश्किल हो रहा था,वो जल्द से जल्द अपनी बहू के नंगे जिस्म का दीदार करना चाहते थे.
अपने हाथ पीछे ले जाकर उन्होने उसकी नाइटी का ज़िप खोल दिया,फिर उठे & 1 झटके मे उसे उसके शरीर से अलग कर दिया.नीचे मेनका ने कुच्छ नही पहना था.राजा साहब उसके उपर झुक गये तो मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली & सर 1 तरफ घुमा लिया.
"मेनका..",राजा साहब ने अपने हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ चेहरे को सीधा किया.मेनका ने अधखुली आँखों से उन्हे देखा.
"अपने होठों से हुमारा नाम लो ना.",सुनकर मेनका और शर्मा गयी & फिर से मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को अपने हाथों से च्छूपा लिया.
"प्लीज़,मेनका..बस 1 बार..हुमारा नाम लो...प्लीज़."
मेनका ने वैसे ही मुँह च्छुपाए हुए सर हिला कर मना कर दिया.
"प्लीज़,तुम्हे हमारी कसम.",उन्होने उसके हाथ उसके चेहरे से हटा दिए.
मेनका ने बहुत धीरे से कहा,"..यश.."
"1 बार और,मेरी जान,प्लीज़.."राजा साहब ने बेताबी से उसके गाल चूम लिए.
इस बार मेनका ने अपनी आँखें खोल अपने प्रेमी की आँखों मे देखा,"आइ लव यू,...यश."
इस बात ने तो राजा साहब को खुशी से पागल कर दिया & वो उसके जिस्म पर टूट पड़े.उसके गुलाबी निपल्स अब उनकी जीभ & होठों की रहम पर थे."एयेए...ह..",मेनका का बदन कमान की तरह मूड गया & छाती बिस्तर से उपर उठ गयी.उसने अपने ससुर के सर को अपने सीने पर कस के भींच लिया.राजा साहब ने एक चूची मुँह मे ली & दूसरी को हाथ मे & लगे उन्हे चूसने & दबाने.मेनका का जिस्म पूरी तरह से जोश मे डूब गया था & अब तो वो झड़ने ही वाली थी.राजा साहब ने चूचियो की पोज़िशन बदल दी,पहले बाई मुँह मे थी,अब दाई आ गयी,पर उनका चूसा जाना & दबाया जाना वैसे ही जारी रहा.मेनका ने हाथ नीचे ले जाकर पाजामे के उपर से ही अपने ससुर के खड़े लंड को पकड़ लिया & मसालने लगी.थोड़ी ही देर बाद मेनका का जिस्म आकड़ा & उसने अपनी जीभ दांतो तले दबा ली-उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था.
राजा साहब पलंग पर खड़े हो गये & अपना पाजामा भी उतार दिया & अपनी बहू के सामने पूरे नंगे हो गये.वो झुक कर घुटनो पर खड़े हुए-उनका इरादा फिर से अपनी बहू के उपर चढ़ने का था,पर तभी मेनका की नज़र अपने ससुर के लंड पर पड़ी जिसने उसे पागल कर दिया था.
वो झट से उठी और अपने ससुर के लंड को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने लगी.अब राजा साहब बिस्तर पर अपने घुटनो पे खड़े थे & मेनका बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी,साथ-2 उसके हाथ लंड & नीचे लटक रहे अंदो को सहला & हिला रहे थे.राजा साहब ने अपने हाथ उसके सर पर रख दिए & खुद भी हौले-2 कमर हिला कर उसके मुँह को चोदने लगे.मेनका ने अपने हाथ उनके लंड पर से हटा लिए & पिछे ले जाकर उनकी गांद को पकड़ लिया.अपने नाखूनओ से वो हल्के-2 उनकी गांद सहलाने लगी.राजा साहब को बहुत मज़ा आ रहा था.उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर और मज़बूत हो गयी & वो थोड़ी और तेज़ी के साथ उसके मुँह को चोदने लगे.मेनका को तो ये लंड वैसे ही बहुत प्यारा लगता था.उसका तो दिल करता था की बस हर वक़्त वो इस से खेलती रहे.उसने भी राजा साहब की गांद & मज़बूती से पकड़ अपना मुँह उनकी जाँघो के बीच थोड़ा और घुसा दिया.राजा साहब झड़ने ही वाले थे पर उनका इरादा आज मेनका के मुँह मे अपना पानी छ्चोड़ने का नही था.
उन्होने अपना लंड मेनका के मुँह से बाहर खींच लिया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा.राजा साहब ने उसकी बाँहे पकड़ उसे उपर उठा लिया,अब वो भी अपने ससुर जैसे उनके सामने घुटनो पे खड़े थी.राजा साहब ने अपने हाथ उसकी कमर पे लपेट दिए & उसे चूमने लगे.जवाब मे मेनका ने भी अपने ससुर की कमर के गिर्द अपने हाथ कस दिए.राजा साहब का प्रेकुं से गीला लंड दोनो के जिस्मो के बीच उसके पेट पे दबा हुआ था.चूमते हुए दोनो के हाथ एक-दूसरे की कमर से फिसल कर नीचे एक-दूसरे की गांडो से खेलने लगे.जहा राजा साहब अपनी बहू की गांद के फांको को जाम के मसल रहे थे वही मेनका उनकी गांद पे अपने नाखूनओ के निशान छ्चोड़ रही थी.
राजा साहब वैसे ही घुटनो पे खड़ी मेनका के होठों को छ्चोड़ नीचे आ उसकी चुचियों को चूसने लगे.थोड़ी देर चूसने के बाद वो और नीचे आए, उसके पेट को चूमा & फिर उस से भी नीचे उसकी चूत पे 1 किस ठोक दी.मेनका नीचे हो कर बैठने ही वाली थी की राजा साहब झट से उसके घुटनो के बीच लेट गये & उसकी कमर पकड़ उसे अपने मुँह पर बिठा लिया.
अब राजा साहब चित लेते थे & मेनका उनके मुँह पर बैठी थी.राजा साहब ने आँखे उठा कर अपनी बहू को देखा,उसके चेहरे पर हैरत & जोश की मिलीजुली मुस्कान थी.हाथ आयेज ला उन्होने उसकी छूट की फांको को फैलाया & अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी & चाटने लगे."..ऊओ...ऊओह...",मेनका की आँखे बंद हो गयी,उसने अपने ससुर के सर को सहारे के लिए पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाने लगी.राजा साहब उसकी चूत चाट ते हुए अपने हाथ उसकी कमर से हटा उपर ले जा उसकी चुचियाँ दबाने लगे.मेनका के लिए ये बहुत ज़्यादा था & वो दुबारा झाड़ गयी पर राजा साहब ने उसकी चूत चाटना नही छ्चोड़ा.वो उसी तरह अपने हाथों से उसकी चूचिया दबाते रहे,उसके निपल्स मसालते रहे.उन्होने ुआपनी बहू की चूत मे से जीभ तब तक नही निकाली जब तक की वो दो बार & नही झाड़ गयी.
आखरी बार झाड़ते ही मेनका निढाल हो आगे गिर गयी तो राजा साहब उसकी जांघों मे से सर निकाल उठ बैठे.मेनका पेट के बल लेट गहरी साँसे ले रही थी.राजा साहब अपने हाथों से उसकी पीठ & गांद सहलाने लगे.थोड़ी देर सहलाने के बाद उन्होने अपने होठ उसकी गांद पर रख दिए & वहाँ पर जम कर चूमा,चटा & चूसा.चूस-2 कर उसकी गांद की फांको & जांघों के पिच्छले हिस्से पर उन्होने लव बाइट्स छ्चोड़ दिए.
फिर उन्होने ने उसे कमर से पलट कर सीधा किया & उसकी जांघों पे चूमने & चूसने लगे.मेनका के बदन पर कल की लव बाइट्स के निशान अभी भी ताज़ा थे,राजा साहब ने उन मे कुच्छ और निशान जोड़ दिए.उसकी जांघों से उनके होठ उसकी चूत पर आए & जितना भी पानी अभी उसकी चूत ने छ्चोड़ा था,उसे पी गये.राजा साहब का अगला निशाना मेनका की नाभि थी.उनकी जीभ उसकी नही की गहराई नापने कागी तो मेनका फिर से गरम होने लगी.उसका दिल कर रहा था कि बस अब उसके ससुर उसकी चूत मे अपना लंड डाल दे.उसने हाथ बढ़ा कर अपने ससुर के बाल पकड़ कर खींचे,"इधर आइए ना...".
राजा साहब उपर आकर उस पर लेट गये & उसकी चूचिया चूसने लगे.थोड़ी देर बाद उठे कर मेनका की जांघों पे हाथ रखा तो उसने खुद ही उन्हे फैला दिया.राजा साहब ने अपना लंड 1 झटके मे ही उसकी चूत मे दाखिल कर दिया."ऊओ...ऊव्ववव!.."मेनका का सर पीछे मूड गया,छाती हवा मे उठ गयी & कम्र खुद बा खुद झटके खाने लगी.राजा साहब ने भी बहुत देर तक अपने उपर काबू रखा था.अब उन्होने भी जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.
"आ...न्न्ह....आ...आन्न्न्नह..!
हर धक्के के साथ मेनका उनके लंड के टोपे को अपनी कोख पे लगता महसूस कर रही थी & उसे इतना मज़ा आ रहा था की पुछो मत.तभी राजा साहब ने वैसे ही उसकी चूची चूस्ते हुए फिर से 1 ज़ोर का धक्का मारा तो उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया,वो उचक कर अपने ससुर से चिपक गयी उनका जिस्म भी झटके खाने लगा & उसने उनके लंड से च्छूटता पानी अपनी चूत मे भरता महसूस किया.
थोड़ी देर दोनो वैसे ही पड़े रहे,फिर राजा साहब उसके उपर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गये.मेनका भी करवट ले उनकी बाहों मे आ गयी & उनके सीने पर सर रख दिया.राजा साहब उसके बाल सहला रहे थे & बीच-2 मे उसके सर पर चूम रहे थे.मेनका उनके सीने के बालों मे उंगलिया फिरा रही थी.
थोड़ी देर बाद मनेका उठ कर बैठ गयी,उसका ध्यान अपनी चूची पर गया जहाँ राजा साहब ने थोड़ी देर पहले जम कर चूसा था.अब वाहा पर 1 बड़ा सा निशान पड़ गया था.
"क्या देख रही हो?",राजा साहब ने लेते-2 ही पूचछा.
"आपकी कारस्तानी.",मेनका बनावटी गुस्से से बोली.
"अब ये ऐसी खूबसूरत होंगी तो कारस्तानी तो ऐसी ही होगी.",राजा साहब उठ कर उस जगह पर हाथ फिराते हुए बोले.
"आप भी ना!",मेनका ने उनका हाथ 1 तरफ कर दिया.
"ये क्या आप-आप लगा रखा है.आज से तुम हमे सिर्फ़ तुम कह कर पुकरोगी."राजा साहब ने उसे फिर अपनी बाहों मे भर लिया.
"आज क्या हो गया है आपको,ये..-.."
"-..फिर आप!तुम कहो."
मेनका के गाल लाल हो गये,"प्लीज़ क्यू सता रहे हैं?"
"क्यू सता रहे हो?तुम्हे हमारी कसम चलो ऐसे बोल कर दिखाओ."
"ये बात-2 पे अपनी कसम क्यू देते है?"
"फिर आप."
"अच्छा बाबा!तुम...क्या तुम बात-2 पर कसम देने लगते हो?"
"हो गया.अब नही देंगे."
दोनो हंस पड़े.,"ये कारस्तानी पसंद आई?",उन्होने उस निशान को सहलाते हुए पूचछा.जवाब ने मेनका ने मुस्कुराते हुए हां मे सर हिला दिया.
"तब हम आपको 1 और कारस्तानी दिखाते हैं.",राजा साहब उठे & मेनका के कुच्छ बोलने से पहले अपने वॉक-इन क्लॉज़ेट खोल उसके अंदर चले गये.थोड़ी देर बाद बाहर आए तो उनके हाथ मे 2 डब्बे थे.
वो मेनका के पास आकर बैठ गये.1 डब्बा उसको दिया,"खोलो."
मेनका ने डब्बा खोला तो उसकी आँखें चौंधिया गयी,अंदर हीरो का 1 बहुत बेशक़ीमती जड़औ हार जगमगा रहा था.
"ये मेनका सिंग के लिए है जिसके इनवॅल्युवबल कॉंट्रिब्यूशन के बदौलत राजकुल ग्रूप डील कर पाया."
"पर इतने कीमती तोहफे की क्या ज़रूरत थी?"
"ये तुमसे कीनती नही है.",राजा साहब ने हार उठा कर उसके गले मे पहना दिया.,"अब ये दूसरा डिब्बा खोलो."
उसको खोलते ही अंदर से एक गोल्ड चैन निकली जिसमे 1 हीरे का पेंडेंट लटका था.पेंडेंट मे हीरे से 'एम' बना था & 'एम' के बीच के 'वी' से 1 सीधी लाइन नीचे निकल कर 'Y' बना रही थी.जब तक कोई बहुत गौर से नही देखता तो उसे कभी नही पता चलता कि पेंडेंट मे दोनो लेटर्स एम & Y हैं.दूर से तो बस लगता था जैसे की एम बना है.
"और ये हमारी जान के लिए उसे हमारे प्यार का पहला तोहफा.",& वो चैन भी उसके गले मे डाल दी.
मेनका की आँखो मे खुशी के आँसू छल्छला आए & वो आगे बढ़ कर अपने ससुर के गले लग गयी & सुबकने लगी.
"अरे क्या हुआ?"
"घबराईए मत..-आइ मीन घबराव मत,ये खुशी के आँसू हैं.",राजा साहब हंसते हुए उसकी पीठ पर प्यार से हाथ फेरने लगे.
"हमने भी तुम्हारे लिए कुच्छ लिया है.हमारे कमरे मे रखा है.बस अभी लेकर आते हैं."
"बाद मे ले आईएगा.पहले आपको कुच्छ और भी दिखना है-कुच्छ बहुत ज़रूरी बातें बतानी हैं.आइए.",राजा साहब खड़े हो गये & अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया.मेनका उनका हाथ पकड़ खड़ी हो गयी & राजा साहब अपने कमरे के 1 कोने मे बने उस दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगे जिसके पीछे उनकी स्टडी थी.
आपको राजा साहब की स्टडी के बारे मे कुच्छ बता दू.यू तो महल के कर्मचारी सॉफ-सफाई & बाकी कामो के लिए कहीं भी आते जाते हैं पर राजपारियर के लोगों के कमरो मे बस उनके खास नौकर-नौकरानी ही आ-जा सकते थे.
पर ये स्टडी जोकि राजा साहब के बेडरूम के अंदर ही बनी हुई थी,उसमे उनके अलावा किसी को भी जाने की इजाज़त नही थी यहा तक की उनके अपने बेटे भी उन्हे वाहा डिस्टर्ब नही करते थे.कोई काम पड़ता & राजा साहब स्टडी के अंदर हो तो बस इंटरकम पे उनको खबर की जाती.
जब राजा साहब बाहर होते तो स्टडी मे ताला लगा होता & एकमत्रा चाभी राजा साहब के पास होती.मेनका को भी इन नियमो के बारे मे पता था & इसीलिए उसे आज बड़ी हैरत हो रही थी कि राजा साहब उसे वाहा ले जा रहे हैं.
क्रमशः..............
gataank se aage................
Thodi der baad Raja Sahab & Menaka nashte ke liye hotel ke restaurant ki taraf ja rahe the.hotel ke shopping area se guzarte hue menaka ko ek khayal aya,"aap chaliye,hum abhi aate hain."
"are,kya baat ho gayi?pehle to nashta to kar len fir shopping kar lena."
"please!aap chaliye na.hum bas yun gaye & yu aaye."
"ok.jaisi aapki marzi.",raja sahab restaurant me 1 table par baith gaye & nashte ka order kar diya.vo thodi der pehle hotel suite ke computer pe padhe dr.purandare ke e-mail ke bare me sochne lage.unhe is baat ki tasalli thi ki vishwa bhi thik hona chahta hai par shadi me uska vishwas na hone wali baat se vo thode chintit the.vo menaka ko pyar nahi karta tha,ye jaan kar unke man ke kisi kone me bahut khushi paida hui thi par vo jante the ki menka & unka rishta vishwa ke lautne tak hi reh sakta hai...."khair,jab vishwa aayega to dekhenge..",unhone ek thandi aah bhari."abhi tak dushyant ne bhi koi khabar nahi di hai.",vo soch rahe the.
ab aap sochenge ki ye dushyant kaun hai.dushyant verma un gine-chune logon me se hai jo raja sahab ko unke naam se pukar sakte hain.dono boarding school & college me sath padhe the & pakke dost the.dushyant verma 1 security &detective agency chalate the jiske clients hindustan ki jani-mani hastiyan thi.raja sahab ne unse us insan ka pata lagane ko kaha tha jo unke bete ko drugs supply karta tha.unki sakht hidayat thi ki is puri jaanch ko secret rakha jaye & dushyant,unke is kaam pe lage staff & raja sahab ke alava kisi ko bhi is baat ki bhanak na lagane paaye.aisa vo isliye chahte the kyuki unhe pura yakeen tha ki iske peechhe jabbar ka hath hai & is baar vo use aakhri sabak sikhana chahte the.
"are,kye soch rahen hai?khate kyu nahi?",menaka unke saamne baithi unki aankhon ke aage hath fira rahi thi.vo apne khayalon me itna khoye the ki vo kab aayi & waiter kab khana serve kar gaa,unhe pata hi na chala.
"kuchh khas nahi,bas aise hi.chaliye shuru kijiye.",dono nashta karne lage
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jaha raja sahab apne dushman ko sabak sikhane ke khayalon me dube the vahi unka dushman bhi unki barbadi ke irade se shahar aa pahunca tha.aaiye chal kar dekhte hain ki vo kya kar raha hai.
shahar ke bahri hisse me jaha roz naye flats ban rahe hain,vahi 1 apartment complex hai jo ki abhi tak puri tarah se basa nahi hai,us complex ka 1 flat jabbar ka shahar ka adda hai.uska flat groun floor par hai & us building ke baki floors abhi khali pade hain.abhi dopahar ke waqt bhi yaha veerani chhayi hai.bas ek lamba-chauda shakhs chalta hua us flat ki or aa raha hai.
aap us insan ke bagal se bhi guzar jaayen to aap kuchh khas baat nahi notice kar paayenge par jab main aapse puchhunga ki uski shakl kaisi thi tab aapka dhyan jayega ki aap paas se guzarte hue bhi uska chehra saaf-2 nahi dekh paye the.ji,haan ye kallan hai.sar par cap,aankhon pe kala chashma,badan pe jacket jiska collar utha hua hai taki koi bhi uska huliya na jaan paye.
dekhiye vo call bell baja raha hai.chaliye dekhte hain kya hota hai...
bell sun malika ne darwaza khola,"oh,tum ho",ek kaatil muskan usne kallan ki taraf fenki.,"jabbar to bahar gaya hai."
"main wait karunga.",kallan ne andar aakar jacket,chashma & cap utar diya tha.uske baal fir se badh gaye the & chehre par dadhi bhi vapas aa gayi thi.
"drink loge?",malika apni gaand matkate hue bar ki taraf badhi,kallan ki taraf uski pith thi & vo jaan bujh kar apni gaand thodi zyada lachka rahi ti.usne 1 top pehna tha jo ki uski chhatiyon ke bade size ke karan bahut kasa hua tha & uske nipples ka aakar saaf dikh raha tha,neeche 1 mini skirt thi & jab vo chal rahi thi to to usme se uski nangi gaand ka thoda sa hissa jhalak raha tha.
bina uske jawab ka intezar kiye,vo bar par aake drink taiyyar karne lagi.tabhi kallan ne use peechhe se apne mazbut baazuon me jakad liya & top ke upar se hi uski chhatiyan masalne laga.
"ouchh!...aah .....zalim zara aaram se...to tujhme bhi aag hai...maine to socha tha ki tu to barf ki tarah thanda hai...aaa...ahhhhh.",kallan ne uske gale me kaat liya.ab uske haath malika ki top ke andar uski choochiyon & un par bane kade ho chuke nipples ko masal rahe the.
malika ne 1 hath peechhe le jakar kallan ke gale me daal diya & apna chehre ghuma kar use choomne lagi,dusra hath usne us ki pant ki zip par rakh diya."ufff.....bahut bada lagta hai tera...",uske hothon ko chhodte hue malika boli & pant ki zip khol lund ko bahar nikal liya.usne sar neeche kar dekha,sachmuch kallan ka lund bahut bada tha.
bade lund malika ki kamzori thi.jabbar ka lund bahut mota tha par lambai kuchh khas nahi thi.jabbar ki khasiyat thi uska stamina jo ki malika jaisi har waqt garam rahne wali ladki ki pyas bujhane me bahut kaam aata tha.par malika ki nazron me bade lud ki baat hi kuchh aur thi & vo kabhi bhi aise lundon ko apni chut me lene se nahi chukti thi.
usne apne hath se kallan ke lund ko ragadna shuru kar diya,lund dekh te hi uski chut gili ho gayi thi.kallan ab aape se bahar ho gaya usne malika ke daaye ghutne ko modte hue uski jaangh utha kar bar par rakh diya & vaise hi khade-2 apna lund uski chikni chut me pel diya.
"AAAA....IIIYYYEEEEE!....phad dega kya?....thoda dheere ghusa na...OOOWWW!",uski baaten kallan ko aur deewana kar rahi thi & usne apna pura lund uske andar ghusa diya & dhakke marne laga."haa...ann....aise ..hi....zor se....hai....aur...zor se kar...na..!"
malika bhi apni gaand hila kar uska pura sath de rahi thi,uski ek banh kallan ki gardan ko ghere thi & dursi bar par uske badan ko sahar de rahi thi.kallan ka ek hath uski chhatiyan masal raha tha & dusre ki ungliya chut ke dane ko ragad rahi thi,hoth kabhi uske chehre,kabhi hoth to kabhi choochiyon pe ghum rahe the.bahut zor ki chudai chal rahi thi...
"TRNNN!",call bell cheekh uthi to dono chaunk gaye & malika ki chut ne pani chhod diya.kallan ki kamar ne bhi 2-3 jhatke khaye & uska lund malika ki chut me jhad gaya.
malika ne bar se 1 napkin uthaya & kallan se alag ho gai.darwaze tak jaate hue usne apni jaanghon par bah aaye kallan ke & apne pani ko saaf kar liya.darwaze par jabbar tha.
andar aaya to usne dekha ki kallan sofe par baitha drink kar raha tha.thodi der pehle mache vasna ke toofan ka naam o nishan uske chehre par nahi tha.
"kyu bulaya tha?",usne jabbar se puchha.
"1 chhoti-si machhli hath lagi hai jiske zariye hum badi machhli tak pahunch sakte hain.",usne malika ke hath se drink lete hue jawab diya.,"hume bahut short notice par bhi kaam karne ko taiyyar rehna hoga.aaj se tum yahi raho par dhyan rahe kisi ko is baat ka pata nahi chalna chahiye ki tum yaha ho.",jabbar keh to kallan se raha tha par uski nazre malika par thi jo ki bade sofe par let kar unki baaten sun rahi thi.
"ab kya karna hai?",kallan apna khali glass fir bharne ke liye utha.
"us chhoti machhli ko chaara dalna hai.",jabbar malika ki taraf dekh kar kutilta se muskuraya.
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deal sign karne ke baad raja sahab & menaka vapas hotel aaye.thodi der baad hi unhe rajpura ke liye rawana hona tha.is baar raja sahab ne plane charter nahi kiya tha balki airline flight se jane wale the.check out karte waqt menaka phir unhe reception pe chhod shopping area me chali gayi.
"aisa kya hai shoping centre me jo baar-2 vaha ja rahi ho?",car tezi se airport ki taraf badh rahi thi.
"ye to aapko ghar chal kar hi pata chalega.",menaka shararat se muskurayi.raja sahab ka dil kya ki usi waqt use baahon me bheench kar pyar karne lage par aage driver baitha tha.badi mushkil se apne jazbaton ko unhone kabu me kiya.
airport me check-in counter ki or jaate hue medicine store ki window me lage condom ka poster dekh raja sahab ke dimagh me 1 khayal aaya.,"are,kal raat hum se 1 gadbad ho gayi?"
"kya?"
"hum..-"
"namaskar,raja sahab.",raja sahab ke jawab dene ke pehle 1 lag bhag 60 saal ka kafi ameer dikhne wala aadmi unke samne aa khada hua.
"are,sapru sahab!kaise hain aap?yaha kaise aaye?"
"bas aapki dua hai,raja sahab.humari beti yehi byahi hai usi se milne aaye the,ab vapas delhi ja rahe hain."
"inse miliye.ye kunwarani hain?...aur ye sapru sahab hain.humari tarah kaagaz & cheeni ke vyapari par inka karobar humse kahin zyada bada & faila hua hai."
menaka ne unhe namaskar kiya to jawab me unhone bhi hath jod diye.,"raja sahab to hume sharminda kar rahe hain.inki baaton par mat jaiye.hum to inke sahbhagi ban ne ko betaab the par taqdeer ne humara sath nahi diya."
"haan,sapru sahab.is baat ka malal to hume bhi rahega ki aap & hum business partners nahi bun paye.agar aapki company ka paisa us chinese deal me nahi phansta to aaj hume in videshiyo se deal karne ki koi zarurat nahi padti."
"sab uparwale ki marzi hai,raja sahab!par kya maloom?ho sakta hai aage chal ke vo humara rishta aur mazbuti se jod de."
"bahut khub kahi,sapru sahab aapne."tabhi announcement hui & dono 1 dusre se vida le alag-2 dishayon me chale gaye.
plane me baithe menaka ne 1 magazine ke panne palat te hue raja sahab se poochha,"aap airport pe kis gadbad ka zikr kar rahe the?"
raja sahab thode pareshan dikhe,"vo..hum...kal raat humne...koi..koi protection istemal nahi kiya & kahi tum pregnant..-"
"aap us baat ki chinta mat kijiye.aapne nahi maine kiya tha.",dheere se hunsti hui vo vapas magazine padhne lagi.raja sahab ko tasalli hui.
menaka shukr mana rahi thi ki pati ke jane ke baad bhi usne contraceptive pills khana nahi chhoda tha nahi to jaise uske sasur ne uski chut ko 3 baar bhara tha,vo to shartiya pregnant ho chuki hoti.
shahar ke airport pe raja sahab ke staff members unki aguaai ke liye khade the.sham ghirne lagi thi & staff members ne unse shahar me unke bunglow par rukne ko kaha.par raja sahab jald se jald rajpura pahunchna chahte the so unhone unse apni car li aur menaka ke sath rajpura ki or chal pade.vaise bhi raasta bas 1-1 1/2 ghante ka hi tha.
raja sahab ko drive karna bahut pasand tha & bahut majburi me hi apne driver ko drive karne dete the.aaj to unhe bahut achha lag raha tha,drive karte waqt unke sath unki premika jo baithi thi.
Car ke sheeshe gehre kaale rang ke the & andar ka nazara koi bahar se dekh nahi sakta tha.isi baat ka fayda uthate hue jaise hi car shahar se nikal kar highway par aayi Menaka khisak kar Raja Sahab se sat kar baith gayi.unhone ne bhi apni baayin baanh ke ghere me menaka ko samet liya.menaka apne sasur ke kandhe pe sar rakh saamne dekhne lagi.karib 15-20 minute tak dono aise hi baithe rahe.fir menaka ko shararat sujhne lagi.usne raja sahab ke gaal par chum liya to raja sahab ne bhi 1 pal ke liye raaste se nazar hata kar uski kiss ka jawab uske gaalon par chhod diya.
menaka ne apne sasur ki shirt ke upar ke 2 button khol diye & uski ungliyaan unke seene ke baalon se khelne lagi.unke seene ko sahlate hue usne apne nakhunon se raja sahab ke nipples ko chhedna shuru kar diya.,"kya kar rahi ho?agar humara dhyan idhar-udhar hua to kahi accident na ho jaye."
"yehi to aapka imtihan hai,raja sahab.main to aise hi karti rahungi,aap bina hosh khoye car chala kar dikhayen to manu."
"hume challenge kar rahi ho...theek hai.jo marzi kar lo,hum bhi haar nahi manenge.ab to car mahal par hi rukegi."
jawab me menaka ne thoda jhuk kar shirt ke gale se jhankte unke seene par chum liya.car me automatic transmission hone ki wajah se raja sahab ko gear badalne ki zarurat to thi nahi,unka daya hath steering ko & baya menaka ko sambhale hue tha.menaka chumte hue neeche unki god me pahunch gayi & unki pant ka zip khol diya & hath ghusa kar apne sasur ke lund ko bahar nikal liya.lund pehle se hi tana hua tha.menaka ne use hath me thama & raja sahab ki or dekh kar muskurayi.raja sahab bhi muskura diye & fir apni nazre road par jama di.
menaka ne lund ko hilana shuru kar diya.use apne hath me is lund ka ehsas bahut achha lagta tha & isko chhune bhar se hi vo garam hone lage thi.raja sahab ne apne baaye hath ko neeche kar jhukte hue menaka ke ghutne pakad kar uski taangen seat par kar di,fir seedhe ho baith gaye & uski sari utha kar uski kamar tak le aaye.is sab ke dauran unhone car ko zara bhi nahi ladkhadane diya.
menaka jhuk kar apne sasur ke lund ko chusne lagi thi.raja sahab ne apna hath badha kar uski panty ki side me se apni ungliya uski chut me ghusa di & uske dane ko ragadne lage.menaka to josh se pagal ho gayi par raja sahab ki halat to aur bhi kharab thi.unki bahu unke lund ko masal & chus rahi thi & unka dil kar raha tha ki bas car rok use lita kar us par savaar ho jaayen par unhe menka ka diya hua challenge pura karna tha.rajpura bas 10 min dur reh gaya tha.unhone badi mushkil se apne upar kabu kiya tha & apne pani ko chhutne se roka hua tha.
raja sahab apni ungliyon se uske g spot ko dhundhne lage & jaise hi unhone use khoj kar us pe apni ungli firayi,menaka jhad gayi.menaka ko bahut maza aa raha tha.vo abhi bhi vaise hi raja sahab ke lund par lagi hui thi par raja sahab ne bhi soch liya tha ki mahal pahunch kar hi jhadenge.
menaka ki jeebh raja sahab ke ando par ghumne lagi,jhaante saaf karne ke baad ab vo kafi asani se un golon ko choos pa rahi thi.car mahal ke gate par pahunch gayi thi.darbaan ne raja sahab ki car ke horn ko dur se hi pehchaan liya & gate khol diya.menaka ne lund ko vapas munh me lekar chusna & hathon se ragadna shuru kar diya tha.raja sahab ki ungli ne fir se use jannat ki sair karana shuru kar diya tha.
car mahal ke compound ke andar dakhil hokar bas ab main gate tak pahunchne wali hi thi jab raja sahab ki ungliyon ki ragad se menaka dubara jhad gayi.usne pani jaanghen bheenchte hue apne sasur ki ungliyo ko apni chut me hi qaid kar liya.uske hoth unke lund ko aur tezi se chusne lage & raja sahab ne bhi apna pani uske munh me chhod diya.menaka sara pani pi gayi & chat kar pura lund saaf kar diya,fir uth kar apni sari & baal thik karne lagi.
raja sahab ne car mahal ke porch me rok di,apna lund pant ke andar kiya aur muskura kar menaka ki or dekha,"to hum imtihan me paas ho gaye?kitne number mile hume?"
menaka ne apna aanchal sar par le liya,"haan ho gaye.100 me se 101.",& dono car se bahar aa gaye.
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Thodi der pehle maine aapko bataya tha ki Jabbar 1 chhoti machhli ke bare me baat kar raha tha jise vo phaansna chahta tha.aaiye jaante hain aakhir us chhoti machhli ke bare me use pata kaise chala.iske liye hume samay me thoda peechhe jana padega....to chalen...
jabbar abhi tak is baat pe concentrate kar raha tha ki vishwa ilaaj ke liye kaha jaa sakta hai & isme uska samay bhi barbaad ho raha tha,upar se nakamyabi jhelni pad rahi thi.par fir uske shaitani dimagh ne thoda dusri tarah se sochna shuru kiya.usne socha ki jaha bhi gaya ho raja jayega to plane se hi & plane ya to airlines ke paas hota hai ya fir charter company ke paas.jab use duniya se ye baat chhupani thi ki uska beta ilaaj ke liye kaha ja raha hai to vo airlines to kabhi nahi istemal karega.
aur fir charter co. ka naam pata laga kar vaha pahunchna to uske baaye hath ka khel tha.jab sham ko daftar khali ho gaya to vo 1 duplicate chabi (jinka 1 guchha humesha uski jeb me rehata tha),ki madad se andar ghus gaya.ye chabiyan vo kyu rakhta tha,aage aapko zarur pata chalega.
aaiye abhi andar chal kar dekhte hain vo kya kar raha hai.andar jabbar computer ke samne baitha tha par password na maloom hone ke karan vo files khol nahi paa raha tha.jhalla kar usne machine band ki & uth kar gusse se ek filing cabinet par hath mara.cabinet khul gaya & usme se kuchh kagazat gir gaye.usne jaldi se darwaze ki taraf dekha-kahin kisi ne kuchh suna to nahi tha.
vo papers utha kar vapas rakhne laga ki 1 file par uski nazar gayi.usne use khola to uski baanchen khil gayi.
Pilot:Majid Suleman
Last Charter:Mumbai
Current Status:On rest
Last Charter Clients:Rajkul Group
Next Charter:New Delhi
ye rajkul group ke charters ki file thi,usne palat te hue vo date khojni shuru ki jab raja apne bete ko lekar gaya hoga,par us din ki entry thi hi nahi.kahin raja ne dusri charter service to nahi use ki....nahi vo humesha isi ko use karta hai...to fir jaan bujh kar us flight ki entry nahi ki gayi hai.usne fir se file ko study karna shuru kiya & pichhle 3 mahino me raja ki flights udaane wale pilots ka naam,pata & phone no. note kar liya.sabse zyada baar isi majid suleman ne flights pilot ki thi,us missing entry ke pehle wali flight & us missing entry ke baad wali flight jo ki aakhri flight bhi thi,bhi usi ne pilot ki thi....use andhere me roshni ki bas ek kiran nazar aa gayi & ye us haivan ke liye kafi tha.
ab ateet se vapas vartmaan me aa jate hain & mahal chalte hain jaha 2 bechain dil bas is baat ka intezar kar rahe hain ki kab naukar-chakar bahar jaayen & vo fir se ek-dusre me kho jaayen.raat ke 10:30 baj gaye hain & naukar bas din ke kaam niptane wale hain,menaka apne kamre me hai & raja sahab neeche bechaini se chehalkadmi kar rahe hain...
Jaise hi naukar kaam khatam kar ke bahar nikle,Raja Sahab ne button daba kar sare darwaze band kar diye & sari lights bhi bujha di,sirf 2 halki roshni wale lamps jalne diye.vo upar jane ke liye mude to dekha Menaka sidhiyon se utar rahi hai.raja sahab to use dekhte hi rah gaye.vo saakshat swarg ki apsara menaka lag rahi thi.
menaka ne lal rang ki sleeveless nighty pehni thi jisme straps ki jagah kandhon pe 2 patle strings the.nighty ka gala bhi gehra tha jisme uska cleavage is maddham roshni me bhi chamak raha tha,baayi taang par 1 slit tha jo ki uske ghutne ke upar jangh tak chala gaya tha & jab vo sidhiyan utar rahi thi to usme se uski gori taang & jangh ka hissa jhalak raha tha.uske lambe baal khule the & kamar par lahra raha the.
raja sahab ki nazron ki garmi ne menaka ke dil me halchal macha di & uske chehre par haya ki lali chha gayi par use ye bhi achha lag raha tha ki uske premi ko uska ye roop bahut bha raha tha.raja sahab aage badhe & menaka ko apni baahon me bhar liya & apne tapte hothon se use chumne lage,menaka ne bhi apni baahen unke gale me dal di & kiss ka jawab dene lagi.dono thodi der tak aise hi ek dusre se chipke apne hothon & jeebh se khelte rahe.
phir raja sahab ne chumna chhod use apni god me utha liya,menaka ne apni baahen unke gale me daal di & fir se unhe chumne lagi.raja sahab vaise hi chumte hue use utha kar sidhiyan chadhne lage.upar pahunch kar vo apne kamre ki taraf mude to menaka ne chumna chhod sharmate hue kaha,"mere kamre me chaliye na."
"are,kamra kya pura ka pura mahal aapka hai.phir kya aapka kya mera.aaj apne is kamre,jise nacheez apna kehta hai,chal kar ise bhi swarg bana dijiye."& dono hans pade.raja sahab use apne kamre me le aaye & apne bistar par lita diya & uske upar jhuk kar use chumne lage.menaka ke hath unke sar ke baalon se khelne lage.raja sahab ne uske hothon ko chhod ek baar pure chehre ko chuma & fir neeche uski gardan par pahunch gaye.menaka ne apne hath unke kurte ke andar ghusa diye & unki pith sahlane lagi.
raja sahab thoda upar hue & apna kurta utar fenka & fir se apni bahu ki gardan par jhuk gaye.apne hathon se unhone uske kandhon se dono strings neeche sarka di & uske nange kandhon ko chumne lage,menaka ki chut gili hone lagi thi & usne apni jaanghe bechaini se ragadna shuru kar diya.uske nakhun abhi bhi apne sasur ki pith par fir rahe the.raja sahab menaka ke cleavage par aa gaye & deewano ki tarah chumne lage.unse bardasht karne mushkil ho raha tha,vo jald se jald apni bahu ke nange jism ka deedar karna chahte the.
apne hath peechhe le jakar unhone uski nighty ka zip khol diya,fir uthe & 1 jhatke me use uske sharir se alag kar diya.neeche menaka ne kuchh nahi pehana tha.raja sahab uske upar jhuk gaye to menaka ne sharm se aankhen band kar li & sar 1 taraf ghum liya.
"menaka..",raja sahab ne apne haath se uski thuddi pakad chehre ko seedha kiya.menaka ne adhkhuli aankhon se unhe dekha.
"apne hothon se humara naam lo na.",sunkar menaka aur sharma gayi & fir se muskurate hue apne chehre ko apne haathon se chhupa liya.
"please,menaka..bas 1 baar..humara naam lo...please."
menaka ne vaise hi munh chhupaye hue sar hila kar mana kar diya.
"please,tumhe hamari kasam.",unhone uske hath uske chehre se hata diye.
menaka ne bahut dheere se kaha,"..yash.."
"1 baar aur,meri jaan,please.."raja sahab ne betaabi se uske gaal chum liye.
is baar menaka ne apni aankhen khol apne premi ki aankhon me dekha,"i love you,...yash."
is baat ne to raja sahab ko khushi se pagal kar diya & vo uske jism par tut pade.uske gulabi nipples ab unki jibh & hothon ki reham par the."aaa...ahhhh..",menaka ka badan kaman ki tarah mud gaya & chhati bistar se upar uth gayi.usne apne sasur ke sar ko apne seene par kas ke bheench liya.raja sahab ne 1 chhati munh me li & dusri ko hath me & lage unhe chusne & dabane.menaka ka jism puri tarah se josh me dub gaya tha & ab to vo jhadne hi wali thi.raja sahab ne chhatiyon ki position badal di,pehle baayi munh me thi,ab daayi aa gayi,par unka choosa jana & dabaya jana vaise hi jari raha.menaka ne hath neeche le jakar pajame ke upar se hi apne sasur ke khade lund ko pakad liya & masalne lagi.thodi hi der baad menaka ka jism akada & usne apni jeebh daanto tale daba li-uski chut ne pani chhod diya tha.
raja sahab palang par khade ho gaye & apna pajama bhi utar diya & apni bahu ke saamne pure nange ho gaye.vo jhuk kar ghutno par khade hue-unka irada fir se apni bahu ke upar chadhne ka tha,par tabhi menaka ki nazar apne sasur ke lund par padi jisne use pagal kar diya tha.
vo jhat se uthi aur apne sasur ke lund ko apne munh me le liya & chusne lagi.ab raja sahab bistar par apne ghutno pe khade the & menaka baith kar unke lund ko chus rahi thi,sath-2 uske hath lund & neeche latak rahe ando ko sahla & hila rahe the.raja sahab ne apne hath uske sar par rakh diye & khud bhi haule-2 kamar hila kar uske munh ko chodne lage.menaka ne apne hath unke lund par se hata liye & pichhe le jakar unki gaand ko pakad liya.apne nakhuno se vo halke-2 unki gaand sehlane lagi.raja sahab ko bahut maza aa raha tha.unki pakad apni bahu ke sar par aur mazbut ho gayi & vo thodi aur tezi ke sath uske munh ko chodne lage.menaka ko to ye lund vaise hi bahut pyara lagta tha.uska to dil karta tha ki bas har waqt vo is se khelti rahe.usne bhi raja sahab ki gaand & mazbuti se pakad apna munh unki jaangho ke beech thoda aur ghusa diya.raja sahab jhadne hi wale the par unka irada aaj menaka ke munh me apna pani chhodne ka nahi tha.
unhone apna lund menaka ke munh se bahar kheench liya to menaka ne sawaliya nazro se unhe dekha.raja sahab ne uski baanhe pakad use upar utha liya,ab vo bhi apne sasur jaise unke saamne ghutno pe khade thi.raja sahab ne apne haath uski kamar pe lapet diye & use chumne lage.jawab me menaka ne bhi apne sasur ki kamar ke gird apne haath kas diye.raja sahab ka precum se gila lund dono ke jismo ke beech uske pet pe daba hua tha.chumte hue dono ke hath ek-dusre ki kamar se fisal kar neeche ek-dusre ki gaando se khelne lage.jaha raja sahab apni bahu ki gaand ke faanko ko jam ke masal rahe the vahi menaka unki gaand pe apne nakhuno ke nishan chhod rahi thi.
raja sahab vaise hi ghutno pe khadi menaka ke hothon ko chhod neeche aa uski chuchiyon ko choosne lage.thodi der choosne ke baad vo aur neeche aaye, uske pet ko chooma & fir us se bhi neeche uski chut pe 1 kiss thok di.menaka neeche ho kar baithne hi wali thi ki raja sahab jhut se uske ghutno ke beech let gaye & uski kamar pakad use apne munh par bitha liya.
ab raja sahab chit lete the & menaka unke munh par baithi thi.raja sahab ne aankhe utha kar apni bahu ko dekha,uske chehre par hairat & josh ki milijuli muskaan thi.hath aage la unhone uski chut ki phaanko ko failaya & apni jibh uske andar daal di & chaatne lage."..ooo...ooohhhh...",
aakhri baar jhadte hi menaka nidhal ho aage gir gayi to raja sahab uski jaanghon me se sar nikal uth baithe.menaka pet ke bal lete gehri saanse le rahi thi.raja sahab apne haathon se uski pith & gaand sehlane lage.thodi der sahlane ke baad unhone apne hoth uski gaand par rakh diye & vahan par jum kar chuma,chata & choosa.chus-2 kar uski gaand ki phaanko & jaanghon ke pichhle hisse par unhone love bites chhod diye.
fir unhone ne use kamar se palat kar sidha kiya & uski jaanghon pe chumne & chusne lage.menaka ke badan par kal ki love bites ke nishan abhi bhi taza the,raja sahab ne un me kuchh aur nishan jod diye.uski jaanghon se unke hoth uski chut par aaye & jitna bhi pani abhi uski chut ne chhoda tha,use pi gaye.raja sahab ka agla nishana menaka ki nabhi thi.unki jibh uski nahi ki gehrayi naapne kagi to menaka fir se garam hone lagi.uska dil kar raha tha ki bas ab uske sasur uski chut me apna lund dal de.usne hath badha kar apne sasur ke baal pakad kar khinche,"idhar aaiye na...".
raja sahab upar aakar us par let gaye & uski chhatiyan chusne lage.thodi der baad uthe kar menaka ki jaanghon pe hath rakha to usne khud hi unhe phaila diya.raja sahab ne apna lund 1 jhatke me hi uski chut me dakhil kar diya."OOO...OOWWWW!.."menaka ka sar peeche mud gaya,chhati hawa me uth gayi & kamr khud ba khud jhatke khane lagi.raja sahab ne bhi bahut der tak apne upar kabu rakha tha.ab unhone bhi jam kar uski chudai shuru kar di.
"AA...NNHH....AA...AANNNNHHH..
har dhakke ke sath menaka unke lund ke tope ko apni kokh pe lagta mehsus kar rahi thi & use itna maza aa raha tha ki puchho mat.tabhi raja sahab ne vaise hi uski chhati chooste hue phir se 1 zor ka dhakka mara to uski chut ne pani chhod diya,vo uchak kar apne sasur se chipak gayi jinka jism bhi jhatke khane laga & usne unke lund se chhutata pani apni chut me bharta mehsus kiya.
thodi der dono vaise hi pade rahe,phir raja sahab uske upar se utar kar uski bagal me let gaye.menaka bhi karwat le unki baahon me aa gayi & unke seene par sar rakh diya.raja sahab uske baal sehla rahe the & beech-2 me uske sar par chum rahe the.menaka unke seene ke baalon me ungliya fira rahi thi.
thodi der baad Mneka uth kar baith gayi,uska dhyan apni chhati par gaya jahan raja sahab ne thodi der pehle jam kar choosa tha.ab vaha par 1 bada sa nishan pad gaya tha.
"kya dekh rahi ho?",raja sahab ne lete-2 hi poochha.
"aapki karastani.",menaka banawati gusse se boli.
"ab ye aisi khubsurat hongi to karastani to aisi hi hogi.",raja sahab uth kar us dagh par hath firate hue bole.
"aap bhi naa!",menaka ne unka hath 1 taraf kar diya.
"ye kya aap-aap laga rakha hai.aaj se tum hume sirf tum keh kar pukarogi."raja sahab ne use phir apni baahon me bhar liya.
"aaj kya ho gaya hai aapko,peh..-.."
"-..phir aap!tum kaho."
menaka ke gaal laal ho gaye,"please kyu sata rahe hain?"
"kyu sata rahe ho?tumhe hamari kasam chalo aise bol kar dikhao."
"ye baat-2 pe apni kasam kyu dete hai?"
"fir aap."
"achha baba!tum...kya tum baat-2 par kasam dene lagte ho?"
"ho gaya.ab nahi denge."
dono hans pade.,"ye karastani pasand aayi?",unhone us nishan ko sahlate hue poochha.jawab ne menaka ne muskurate hue haan me sar hila diya.
"tab hum aapko 1 aur karastani dikhate hain.",raja sahab uthe & menaka ke kuchh bolne se pehle apne walk-in closet khol uske andar chale gaye.thodi der baad bahar aaye to unke hath me 2 dabbe the.
vo menaka ke paas aakar baith gaye.1 dabba usko diya,"kholo."
menaka ne dabba khola to uski aankhen chaundhiya gayi,andar heero ka 1 bahut beshkimati jadau haar jagmaga raha tha.
"ye menaka singh ke liye hai jiske invaluable contribution ke badaulat rajkul group deal kar paya."
"par itne kimati tohfe ki kya zarurat thi?"
"ye tumse kinati nahi hai.",raja sahab ne haar utha kar uske gale me pehna diya.,"ab ye dusra dibba kholo."
usko kholte hi andar se ek gold chain nikali jisme 1 heere ka pendant latka tha.pendant me heere se 'M' bana tha & 'M' ke beech ke 'v' se 1 sidhi line niche nikal kar 'Y' bana rahi thi.jab tak koi bahut gaur se nahi dekhta to use kabhi nahi pata chalta ki pendant me dono letters M & Y hain.dur se to bas lagta tha jaise ki M bana hai.
"aur ye humari jaan ke liye use humare pyar ka pehla tohfa.",& vo chain bhi uske gale me daal di.
menaka ki aankho me khushi ke aansu chhalchhala aaye & vo aage badh kar apne sasur ke gale lag gayi & subakne lagi.
"are kya hua?"
"ghabraiye mat..-i mean ghabrao mat,ye khushi ke aansu hain.",raja sahab hanste hue uski pith par pyar se hath ferne lage.
"humne bhi tumhare liye kuchh liya hai.humare kamre me rakha hai.bas abhi lekar aate hain."
"baad me le aaiyega.pehle aapko kuchh aur bhi dikhana hai-kuchh bahut zaruri baaten batani hain.aaiye.",raja sahab khade ho gaye & apna hath uski or badha diya.menaka unka hath pakad khadi ho gayi & raja sahab apne kamre ke 1 kone me bane us darwaze ki taraf badhne lage jiske peechhe unki study thi.
aapko raja sahab ki study ke bare me kuchh bata du.yu to mahal ke karmchari saaf-safai & baki kaamo ke liye kahin bhi aate jate hain par rajpariar ke logon ke kamro me bas unke khas naukar-naukrani hi aa-ja sakte the.
par ye study joki raja sahab ke bedroom ke andar hi bani hui thi,usme unke alawa kisi ko bhi jane ki ijazat nahi thi yaha tak ki unke apne bete bhi unhe vaha disturb nahi karte the.koi kaam padta & raja sahab study ke andar ho to bas intercom pe unko khabar ki jati.
jab raja sahab bahar hote to study me tala laga hota & ekmatra chabhi raja sahab ke paas hoti.menaka ko bhi in niyamo ke bare me pata tha & isiliye use aaj badi hairat ho rahi thi ki raja sahab use vaha le jaa rahe hain.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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