Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--6

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मस्त मेनका पार्ट----6

गतान्क से आगे................


राजा साहब ने चाभी से दरवाज़ा खोला & दोनो वैसे ही नंगे स्टडी के अंदर आ गये.राजा साहब ने लाइट जलाई तो मेनका पूरी स्टडी को ध्यान से देखने लगी.चारों तरफ शेल्व्स मे ज़मीन से छत तक किताबें भरी थी.बीच-2 मे राजा साहब के पुरखों के पोरट्रेट्स लगे थे.कमरे के बीच मे 1 बड़ा स्टडी डेस्क था & उसके पीछे 1 लेदर-बॅक चेर.

राजा साहब कमरे के 1 कोने मे चले गये थे.उस कोने मे बुक-शेल्फ मे से वो किताबें निकालने लगे.मेनका हैरत से देख रही थी & समझने की नाकाम कोशिश कर रही थी.राजा साहब ने 10 किताबें खिच-2 कर निकाल दी.फिर मेनका को इशारे से बुलाया,मेनका वाहा पहुँची तो देखा कि उस खाली जगह मे शेल्फ के पीछे का लकड़ी का हिस्सा दिख रहा था.उसने सवालिया नज़रो से अपने ससुर की तरफ देखा.राजा साहब ने मुस्कुराते हुए अपनी स्टडी से 1 पेन-नाइफ उठाई & शेल्फ के उस पिच्छले हिस्से की लकड़ी के दोनो सिरों पर जहा किताबें थी उपर से नीचे तक फिराया & वो लकड़ी का बोर्ड गिर पड़ा.

मेनका चौंक पड़ी तो राजा साहब हंस पड़े.,"ये लूज बोर्ड है & ये देखो इसके पीछे क्या है."

पीछे 1 छ्होटी-सी तिजोरी नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसका कॉंबिनेशन लॉक खोला & उसके अंदर से 1 काग़ज़ों का पुलिंदा निकाला.उस पुलिंदे को ले कर राजा साहब मेनका का हाथ पकड़ कर डेस्क के पीचे लेदर बॅक चेर की तरफ चले गये.उस पर बैठ कर उन्होने मेनका की कमर मे अपना बाया हाथ डाला & उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.उसने भी अपनी दाई बाँह अपने ससुर के गले मे डाल दी.

"हम जो आपको बताने जा रहे हैं उसे जान ने का हक़ केवल महल के राजा को होता है.ये राजा की मर्ज़ी है कि इस बात को कब वो अपने सबसे बड़े बेटे,यानी की भावी राजकुमार को बताता है.हमने तो सोचा था कि डील फाइनल होते ही विश्वा को बताएँगे पर हुमारी बदक़िस्मती कि वो कमज़ोर निकला &...यूधवीर तो हमे पहले ही छ्चोड़ कर जा चुका है.",राजा साहब खामोश हो गये.

मेनका ने भी बिना कुच्छ बोले बस उनके बालों मे हाथ फिराने लगी.

राजा साहब ने फिर कहना शुरू किया,"ये उस वक़्त की बात है जब रजवाड़े ख़तम हो रहे थे & सारी रियासतें हिन्दुस्तान मे मिलाई जाने वाली थी.हुमारे पिताजी को इस बात की भनक काफ़ी पहले लग गयी & वो समझ गये कि अब हमारा वक़्त सचमुच ख़तम होने वाला है.इस पूरे राज्य मे हुमारी काफ़ी ज़मीन & प्रॉपर्टी थी...इतनी जितनी कि कोई कभी सोच भी नही सकता.उन्होने धीरे-2 सारी प्रॉपर्टी को इस तरह बेचा कि किसी को ज़रा भी शक़ नही हुआ.जब भारत सरकार ने उन्हे हिन्दुस्तान मे मिलने को कहा तो वो झट से राज़ी हो गये.",मेनका गौर से उनकी बात सुन रही थी.

"..पिताजी ने कुच्छ ज़मीन छ्चोड़ दी थी & उन्होने वो सारी ज़मीन & प्रॉपर्टी सरकार को दे दी.सारा कुच्छ बेचने के बाद हुमारे पास जो भी रकम आई वो सब स्विस बॅंक मे जमा करा दी गयी.",उन्होने 1 पेपर मेनका की तरफ बढ़ाया,"इसमे वो अकाउंट नंबर. & उनके कोड्स हैं जिन्हे बताने पर तुम्हे बॅंक अकाउंट ऑपरेट करने की इजाज़त देता है.",मेनका ने पेपर ले लिया पर वो अभी भी हैरत से अपने ससुर को देख रही थी.

"..राजकुल ग्रूप के हर साल के प्रॉफिट से कुच्छ पैसा निकाल लिया जाता है जिसे की अकाउंट्स बुक मे नही दिखाया जाता.अभी भी जो डील हुई है उसमे भी 30 करोड़ हमे अलग से मिले हैं.ये सारा पैसा भी इन बाँक्स मे जमा है.",उन्होने बाकी पेपर्स भी उसके हाथों मे दे दिए,"ये उन प्रॉपर्टीस के पेपर्स हैं जो हमने बाद मे खरीदी हैं.इनमे से कोई भी हुमारे नाम से नही है."

"इस वक़्त तुम्हारे हाथों मे जो काग़ज़ात हैं,मेनका,उनकी कीमत जानती हो कितनी है?",मेनका ने बस ना मे सर हिला दिया.

" 350 करोड़."

"क्या?!!",मेनका का मुँह हैरत से खुल गया.

"राजा साहब,आपने अपने देश से पैसे चुरा कर ये जमा किया है.",उसने काग़ज़ अपने ससुर के हाथों मे रख दिए."क्या फयडा है इस दौलत का & क्या करेंगे आप इतनी दौलत का?सारी बाहर बॅंक मे पड़ी है या आपके नाम से नही है....और अपने दिल पे हाथ रख के कहिए क्या आपको सच मे इन पैसों की ज़रूरत है?"

"मेनका,..ये पैसे किसी बुरे दिन हमारे काम आ सकते हैं."

"अगर बुरे दिन आएँगे तो क्या गॅरेंटी है की आपके ये पैसे भी सलामत रहेंगे?"

"राजा साहब,हुमारे पास वैसे ही बहुत दौलत है.इन पैसों को तो आपको दान कर देना चाहिए था....कम से कम लोगों की दुआ तो मिलती.",मेनका चुप हो गयी.राजा साहब ने सोचा नही था कि वो इस तरह से नाराज़ हो जाएगी....पर क्या ग़लत कह रही थी.आज इतनी दौलत है पर उसे भोगने वाला कौन है.1 बेटा मर चुका है & दूसरा पता नही कब वापस आएगा.राजा साहब सर झुकाए बैठे रहे & मेनका भी वैसे ही खामोश उनकी गोद मे बैठी रही.

उन्होने उसका हाथ अपने हाथों मे थाम लिया,"..हमने ये सारी बात आपको इसलिए बताई थी क्योंकि हमे आप पे जितना भरोसा हो गया है उतना कभी किसी पे नही हुआ.हमे नही पता कि उपर वाले ने हमारी कितनी उम्र लिखी है..",मेनका कुच्छ कहने को हुई पर उन्होने अपनी उंगली उसके होठों पे रख दी,"..हमारे बाद अगर कोई राजकुल का ध्यान रख सकता है तो वो केवल आप हैं."

"पर हम आज आपको 1 वचन देते हैं.अपने जीते जी हम ये सारा काला पैसा दान कर देंगे."

"हमारा दिल दुखाने का इरादा नही था.",मेनका की आवाज़ थोड़ी भर्रा गयी.

"हुमारा दिल पैसे की बात से दुखा भी नही.तुमने तो हुमारी आँखे खोल दी.सच मे,क्या फ़ायडा है ऐसी दौलत का जो किसी काम ही ना आ पाए.इसीलिए तो आपको वचन दिया है कि इसे दान कर देंगे.दिल तो हुमारा दूसरी बात से दुखा है.",मेनका के चेहरे पर परेशानी छा गयी,"क्या कह दिया हमने?प्लीज़ बताइए..",उसने उनके चेहरे को हाथों मे ले लिया.

राजा साहब के चेहरे पे गंभीरता आ गयी थी,"..तुम गुस्से मे हमे फिर से आप बुलाने लगी थी."

सुनते ही दोनो खिलखिला के हन्स पड़े.थोड़ी देर पहले जो तनाव पैदा हुआ था वो सारा अब हवा हो गया.हंसते हुए मेनका झुक कर अपने ससुर के होंठ चूमने लगी.राजा साहब ने उसकी कमर कस के पकड़ ली & लगे उसका रस पीने.चूमते हुए मेनका ने अपनी जाँघ पे कुच्छ गरम सा महसूस किया तो नीचे देखा.उसने पाया कि राजा साहब का लंड खड़ा होकर उसकी जाँघ से रगड़ रहा था.उसने हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया & थोडा रगड़ दिया.

उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया,वो खड़ी हुई & फिर कुर्सी पे राजा साहब के दोनो तरफ अपने घुटने रख 1 हाथ से उनके लंड को पकड़ा & उस पर बैठने लगी.जब आधा लंड अंदर चला गया तो उसने उसे छ्चोड़ अपने ससुर के कंधों पर बाहें रख उनके सर को हाथों मे थाम लिया & उन्हे प्यार से चूमने लगी.

राजा साहब ने उसकी कमर पकड़ कर नीचे झुकना शुरू किया & उसकी चूत मे अपना पूरा लंड घुसाने लगे.मेनका को थोड़ा दर्द महसूस हुआ,पर साथ ही साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक चूत मे था.राजा साहब के हाथों ने उसकी चौड़ी गंद को थाम लिया & उसे प्यार से मसल्ने लगे.मेनका ने अपनी जीभ उनके मुँह मे डाल दी & जम के चूमने लगी.जोश मे वो अपने ससुर से चिपक गयी,"ओह्ह..",राजा साहब को सीने मे कुच्छ चुबा.दोनो ने अपने होठ जुड़ा किए तो पाया कि वो हीरो का नेकलेस उनके प्यार मे अड़चन बन रहा था.मेनका हाथ पीछे ले जा कर नेकलेस खोलने लगी,ऐसा करने से उसकी चूचिया और ज़्यादा उभर कर उसके ससुर के चेहरे के सामने चमकने लगी.राजा साहब ने अपना मुँह उन काम कलशो से लगा दिया & लूगे चूसने & चूमने.

"आ..अनन्नह..",मेनका ने नेकलेस को उतार डेस्क पर रखा,चैन उसने गले मे ही रहने दी & अपने हाथों मे अपने ससुर का सर जाकड़ लिया & अपनी कमर उचका-2 कर उन्हे चोदने लगी.राजा साहब के हाथ उसके बालों से होते हुए उसकी पीठ & गांद पे आके फिसलने लगे.

मेनका को इस पोज़िशन मे चुदाई करने मे बहुत मज़ा आ रहा था.इस मे वो पूरे कंट्रोल मे थी.आज तक जब भी वो अपने पति या ससुर से चुदी थी,तो वो उसके उपर रह कर धक्के मारते थे.पर आज उसकी मर्ज़ी थी कि वो कैसे धक्के लगती है.वो जी भरके अपने ससुर के लंड पे कभी तेज़ी से तो कभी हौले-2 तो कभी अपनी गांद घुमा-2 कर,उच्छल रही थी.

राजा साहब के मज़ा का तो ठिकाना ही नही था.मेनका की कसी चूत उनके लंड पे रगड़ खा कर उन्हे जोश से भरे जा रहे थी.दोनो अब अपनी मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे.मेनका ने उन्हे अपने आगोश मे और ज़ोर से जाकड़ लिए & अपनी गांद भी तेज़ी से उच्छलने लगी,राजा साहब ने अपने होठ उसकी छाती पे लगा के थोड़ी देर पहले बनाए निशान को और गहरा करना चालू कर दिया,उनकी कमर भी नीचे से हिलने लगी.

मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया & वो अपने ससुर से चिपक गयी.झड़ती हुई उसकी चूत ने राजा साहब के लंड को कस के जाकड़ लिया तो उनके लंड से भी बर्दाश्त नही हुआ & उसने भी अपनी पिचकारी से चूत को नहला दिया.

दोनो थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे रहे,"तुम हमे कुच्छ देने वाली थी?",राजा साहब मेनका के कान मे फुसफुसाए.

"हा,हुमारे रूम मे है.जा कर लाते हैं.",मेनका उतरने लगी तो राजा साहब उसे लिए हुए उठ गये & घूम कर उसे चेर पे बिठा दिया & अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया.मेनका टांगे फैलाए कुर्सी पर बैठी थी,राजा साहब के लंड का पानी उसकी चूत से टपक रहा था."थोड़ी देर यही बैठो.",राजा साहब ने सारे कागज़ा उठा कर वापस तिजोरी मे डाल कर शेल्फ मे वापस किताबें लगा दी.

"हम अभी आते हैं.",वो स्टडी से बाहर चले गये.

मेनका ने हाथ सर से उपर ले जाते हुए 1 कातिल अंगड़ाई ली.उसने अपनी चूत पे हाथ फिराया तो उसके हाथों मे वाहा का पानी लग गया.उसने डेस्क पर से नॅपकिन उठा कर उसे सॉफ किया.तभी राजा साहब वापस आ गये.

"आओ,"उन्होने उसका हाथ पकड़ कर उठाया तो मेनका लड़खड़ा गयी.चुदाई ने तो उसे पस्त कर दिया था.राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे थाम कर अपने कंधे से लगा लिया & चलने लगे.बाहर आकर स्टडी को लॉक किया & उसे ले अपने वॉक-इन क्लॉज़ेट मे आ गये.

क्लॉज़ेट क्या,छ्होटा-मोटा कमरा ही था.अंदर राजा साहब के कपड़े जूते & बाकी सामान करीने से लगा था.क्लॉज़ेट के 1 तरफ एक ड्रेसिंग टेबल रखा था जिसके बगल मे उसी के साइज़ की 1 पैंटिंग लगी थी.पैंटिंग मे एक लड़की अपना शृंगार कर रही थी.राजा साहब ने आगे बढ़ कर उस पैंटिंग को उतार दिया तो पीछे 1 दरवाज़ा नज़र आया.उन्होने मेनका को लिया & उस दरवाज़े को खोल अंदर दाखिल हो गये.

मेनका को 1 लगभग 6 फीट लंबा गलियारा नज़र आया जिसके आख़िर मे भी 1 दरवाज़ा खुला था & वाहा से रोशनी आ रही थी.दोनो गलियारा पार कर उस दरवाज़े को भी पार कर गये.

"अरे!!",मेनका की सारी थकान काफूर हो गयी.वो अपने बेडरूम के वॉक-इन क्लॉज़ेट मे खड़ी थी,उसने देखा की उसके क्लॉज़ेट की वो पैंटिंग उतार कर 1 तरफ रखी थी.

"ये क्या है?",राजा साहब के साथ वो अपने कमरे मे आ गयी.

राजा साहब उसके बिस्तर पर लेट गये & अपनी बाँहे खोल दी.मेनका थोड़ी हैरान सी उनमे समा गयी.राजा साहब ने उसे बाँहों मे भर अपने से चिपका लिया & 1 लंबी किस दी.,"हमारे पुरखों की बगल के राज्य वाले राजाओं से हुमेशा जुंग होती रहती थी.राजपरिवार की सुरक्षा के लिए उपरी मंज़िल के राजपरिवार के कमरों को इस तरह से जोड़ा गया ताकि मुसीबत के वक़्त दुश्मन से बच कर भागा जा सके.इस महल मे ऐसे और भी रास्ते हैं."

"पर हम इस रास्ते का इस्तेमाल केवल आपको प्यार करने के लिए करेंगे."

"मेरा तो सर घूम रहा है,पहले वो तिजोरी & अब ये रास्ते.",उसने अपने सर पर हाथ रखा,"पर एक बात बताओ क्या नौकरों को भी पता है इन रास्तों के बारे मे?"

"2-3 पुराने खास नौकरों को जो कि इसका ज़िकरा किसी से भी नही करते.",राजा साहब उसकी 1 चूची के निपल को मसालने लगे

"..उउंम...म्‍म्मह...अच्छा.और जब आप अपने कमरे मे चले जाएँगे तो हम ये भारी-भरकम पैंटिंग कैसे लगाएँगे?"

"वो केवल देखने मे भारी है.उठा कर देखना बिल्कुल हल्की है.",और अपने मुँह मे वो पूरी चूची भर ली.

"एयेए....आहह...यश..!",उसने अपनी 1 टाँग अपने ससुर की टाँग पर चढ़ा दी & दोनो फिर से प्यार के समुंदर मे गोते लगाने लगे.

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ठीक उसी वक़्त शहर मे उनका दुश्मन भी अपनी रखैल की चूत चोदने के बाद उसकी गांद मार रहा था.

"...1 बात बता साली...ऊओवव्व!",जब्बार ने मलिका की गंद मे ज़ोर का धक्का मारा.वो घोड़ी बनी थी & जब्बार पीछे से उसकी गंद मार रहा था.

"बोल,छिनाल."

"जब उस दिन की एंट्री फाइल मे है ही नही तो तुझे कैसे यकीन है कि वही पाइलट उस दिन राजा को ले गया होगा?"

"यकीन नही है,बस अंदाज़ा है.यकीन तो तू दिलाएगी जब उसे शीशे मे उतारेगी.",जब्बार ने अपनी उंगली उसली चूत मे डाल दी & दूसरे हाथ से उसकी चूचिया मसल्ने लगा.

"कल रात वो "बिज़्ज़रे" डिस्को मे जाएगा.वही तू उसे अपने जाल मे फँसाएगी.",उसके धक्कों की स्पीड बढ़ गयी थी.

"आ...अनन्न..हह..,ठीक है कुत्ते...आ....इयैयियैआइयीययी...ऐसे ही मार.फा..आड दे मेरी गा..आँड ...ऊऊओ...ऊओह..!",&वो झाड़ गयी.जब्बार ने भी 3-4 बेरहम धक्के और लगाए & उसकी गंद मे पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहा था,पर मलिका की आँखों मे अभी भी नींद नही थी.उसे कल्लन का लंबा लंड याद आ रहा था.उसने जब्बार की तरफ देखा,जब उसे यकीन हो गया कि वो सो रहा है तो वो उठी & दबे पाँव कल्लन के कमरे मे चली गयी.

कल्लन चादर ओढ़ सो रहा था.मलिका उसकी चादर मे घुस गयी तो पाया कि वो नंगा है.उसने झट से उसके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.कल्लन की नींद खुल गयी,उसने मलिका को चित किया & टांगे फैला कर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मलिका ने उसके कंधे मे दाँत गढ़ा अपने हलक से निकलती हुई चीख ज़ब्त की & अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट उस से चुदने लगी. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही समाप्त करता हू फिर मिलेंगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए विदा


gataank se aage................


Raja Sahab ne chabhi se darwaza khola & dono vaise hi nange study ke andar aa gaye.raja sahab ne light jalai to menaka puri study ko dhyan se dekhne lagi.charon taraf shelves me zamin se chhat tak kitaben bhari thi.beech-2 me raja sahab ke purkhon ke portraits lage the.kamre ke beech me 1 bada study desk tha & uske peechhe 1 leather-back chair.

raja sahab kamre ke 1 kone me chale gaye the.us kone me book-shelf me se vo kitaben nikalane lage.menaka hairat se dekh rahi thi & samajhne ki nakaam koshish kar rahi thi.raja sahab ne 10 kitaaben khich-2 kar nikal di.phir menaka ko ishare se bulaya,menaka vaha pahunchi to dekha ki us khali jagah me shelf ke peechhe ka lakdi ka hissa dikh raha tha.usne sawaliya nazro se apne sasur ki taraf dekha.raja sahab ne muskurate hue apni study se 1 pen-knife uthai & shelf ke us pichhle hisse ki lakdi ke dono siron par jaha kitaben thi upar se neeche tak firaya & vo lakdi ka board gir pada.

menaka chaunk padi to raja sahab hans pade.,"ye loose board hai & ye dekho iske peechhe kya hai."

peechhe 1 chhoti-si tijori nazar aa rahi thi.raja sahab ne uska combination lock khola & uske andar se 1 kaagazon ka pulinda nikala.us pulinde ko le kar raja sahab menaka ka hath pakad kar desk ke peechhhe leather back chair ki taraf chale gaye.us par baith kar unhone menaka ki kamar me apna baaya hath dala & use apni god me bitha liya.usne bhi apni daayi banh apne sasur ke gale me daal di.

"hum jo aapko batane jaa rahe hain use jaan ne ka haq kewal mahal ke raja ko hota hai.ye raja ki marzi hai ki is baat ko kab vo apne sabse bade bete,yani ki bhavi rajkumar ko batata hai.humne to socha tha ki deal final hote hi vishwa ko batayenge par humari badkismati ki vo kamzor nikla &...yudhvir to hume pehle hi chhod kar ja chuka hai.",raja sahab khamosh ho gaye.

menaka ne bhi bina kuchh bole bas unke baalon me hath firane lagi.

raja sahab ne fir kehna shuru kiya,"ye us waqt ki baat hai jab rajwade khatam ho rahe the & sari riyasaten hindustan me milayi jaane wali thi.humare pitaji ko is baat ki bhanak kafi pehle lag gayi & vo samajh gaye ki ab huamara waqt sachmuch khatam hone wala hai.is pure rajya me humari kaafi zamin & property thi...itni jitni ki koi kabhi soch bhi nahi sakta.unhone dheere-2 sari property ko is tarah becha ki ki kisi ko zara bhi shaq nahi hua.jab bharat sarkar ne unhe hindustan me milne ko kaha to vo jhat se razi ho gaye.",menaka gaur se unki baat sun rahi thi.

"..pitaji ne kuchh zamin chhod di thi & unhone vo sari zamin & property sarkar ko de di.sara kuchh bechne ke baad humare paas jo bhi rakam aayi vo sab swiss banks me jama kara di gayi.",unhone 1 paper menaka ki taraf badhaya,"isme vo account nos. & unke codes hain jinhe batane par tumhe bank account operate karne ki ijazat deta hai.",menaka ne paper le liya par vo abhi bhi hairat se apne sasur ko dekh rahi thi.

"..rajkul group ke har saal ke profit se kuchh paisa nikal liya jata hai jise ki accounts book me nahi dikhaya jata.abhi bhi jo deal hui hai usme bhi Rs30 cr hume alag se mile hain.ye sara paisa bhi in banks me jama hai.",unhone baki papers bhi uske haathon me de diye,"ye un properties ke papers hain jo humne baad me kharidi hain.inme se koi bhi humare naam se nahi hai."

"is waqt tumhare haathon me jo kaagzat hain,menaka,unki keemat janti ho kitni hai?",menaka ne bas na me sar hila diya.

"Rs 350 crore."

"kya?!!",menaka ka munh hairat se khul gaya.

"raja sahab,aapne apne desh se paise chura kar ye jama kiya hai.",usne kagaz apne sasur ke haathon me rakh diye."kya fayda hai is daulat ka & kya karenge aap itni daulat ka?sari bahar bank me padi hai ya aapke naam se nahi hai....aur apne dil pe hath rakh ke kahiye kya aapko sach me in paison ki zarurat hai?"

"menaka,..ye paise kisi bure din humare kaam aa sakte hain."

"agar bure din aayenge to kya guarantee hai ki aapke ye paise bhi salamat rahenge?"

"raja sahab,humare paas vaise hi bahut daulat hai.in paison ko to aapko daan kar dena chahiye tha....kam se kam logon ki dua to milti.",menaka chup ho gayi.raja sahab ne socha nahi tha ki vo is tarah se naraz ho jayegi....par kya galat keh rahi thi.aaj itni daulat hai par use bhogne wala kaun hai.1 beta mar chuka hai & dusra pata nahi kab vapas aayega.raja sahab sar jhukaye baithe rahe & menaka bhi vaise hi khamosh unki god me baithi rahi.

unhone uska hath apne hathon me thaam liya,"..humne ye sari baat aapko isliye batayi thi kyonki hume aap pe jitna bharosa ho gaya hai utna kabhi kisi pe nahi hua.hume nahi pata ki upar vale ne humari kitni umra likhi hai..",menaka kuchh kehne ko hui par unhone apni ungli uske hothon pe rakh di,"..humare baad agar koi rajkul ka dhyan rakh sakta hai to vo keval aap hain."

"par hum aaj aapko 1 vachan dete hain.apne jeete ji hum ye sara kala paisa daan kar denge."

"humara dil dukhane ka irada nahi tha.",menaka ki aavaz thodi bharra gayi.

"humara dil paise ki baat se dukha bhi nahi.tumne to humari aankhe khol di.sach me,kya faayda hai aisi daulat ka jo kisi kaam hi na aa paye.isiliye to aapko vachan diya hai ki ise daan kar denge.dil to humara dusri baat se dukha hai.",menaka ke chehre par pareshani chha gayi,"kya keh diya humne?please bataiye..",usne unke chehre ko haathon me le liya.

raja sahab ke chehre pe gambhirta aa gayi thi,"..tum gusse me hume fir se aap bulane lagi thi."

sunte hi dono khilkhila ke huns pade.thodi der pehle jo tanav paida hua tha vo sara ab hawa ho gaya.hanste hue menaka jhuk kar apne sasur ke honth chumne lagi.raja sahab ne uski kamar kas ke pakad li & lage uska ras peene.chumte hue menaka ne apni jaangh pe kuchh garam sa mehsus kiya to neeche dekha.usne paya ki raja sahab ka lund khada hokar uski jangh se ragad raha tha.usne hath badha kar use tham liya & thoda ragad diya.

uske dimagh me 1 khayal aya,vo khadi hui & fir kursi pe raja sahab ke dono taraf apne ghutne rakh 1 hath se unke lund ko pakda & us par baithne lagi.jab aadha lund andar chala gaya to usne use chhod apne sasur ke kandhon par baahen rakh unke sar ko hathon me tham liya & unhe pyar se chumne lagi.

raja sahab ne uski kamar pakad kar neeche jhukana shuru kiya & uski chut me apna pura lund ghusane lage.menaka ko thoda dard mehsus hua,par sath hi sath maza bhi bahut aa raha tha.thodi hi der me lund jad tak chut me tha.raja sahab ke hathon ne uski chaudi gand ko tham liya & use pyar se masalne lage.menaka ne apni jibh unke munh me daal di & jam ke chumne lagi.josh me vo apne sasur se chipak gayi,"ohh..",raja sahab ko seene me kuchh chubha.dono ne apne hoth juda kiye to paya ki vo heero ka necklace unke pyar me adchan ban raha tha.menaka hath peeche le ja kar necklace kholne lagi,aisa karne se uski chhatiyan aur zyada ubhar kar uske sasur ke chehre ke samne chamakne lagi.raja sahab ne apna munh un kaam kalashon se laga diya & luge chusne & chumne.

"aa..annnhhhhh..",menaka ne necklace ko utar desk par rakha,chain usne gale me hi rehne di & apne haathon me apne sasur ka sar jakad liya & apni kamar uchka-2 kar unhe chodne lagi.raja sahab ke hath uske baalon se hote hue uski peeth & gaand pe aake fisalne lage.

menaka ko is position me chudai karne me bahut maza aa raha tha.is me vo pure control me thi.aaj tak jab bhi vo apne pati ya sasur se chudi thi,to vo uske upar reh kar dhakke marte the.par aaj uski marzi thi ki vo kaise dhakke lagati hai.vo ji bharke apne sasur ke lund pe kabhi tezi se to kabhi haule-2 to kabhi apni gaand ghuma-2 kar,uchhal rahi thi.

raja sahab ke maza ka to thikana hi nahi tha.menaka ki kasi chut unke lund pe ragad kha kar unhe josh se bhare ja rahe thi.dono ab apni manzil ki or pahunch rahe the.menaka ne unhe apne agosh me aur zor se jakad liye & apni gaand bhi tezi se uchhalne lagi,raja sahab ne apne hoth uski chhati pe laga ke thodi der pehle banaye nishan ko aur gehra karna chalu kar diya,unki kamar bhi neeche se hilne lagi.

menaka ki chut ne pani chhod diya & vo apne sasur se chipak gayi.jhadti hui uski chut ne raja sahab ke lund ko kas ke jakad liya to unke lund se bhi bardasht nahi hua & usne bhi apni pichkari se chut ko nehla diya.

dono thodi der tak vaise hi baithe rahe,"tum hume kuchh dene vali thi?",raja sahab menaka ke kaan me fusfusaye.

"haa,humare room me hai.ja kar late hain.",menaka utarne lagi to raja sahab use liye hue uth gaye & ghum kar use chair pe bitha diya & apna lund uski chut se nikal liya.menaka taange phailaye kursi par baithi thi,raja sahab ke lund ka pani uski chut se tapak raha tha."thodi der yehi baitho.",raja sahab ne sare kagaza utha kar vapas tijori me dal kar shelf me vapas kitaben laga di.

"hum abhi aate hain.",vo study se bahar chale gaye.

menaka ne hath sar se upar le jate hue 1 kaatil angdai li.usne apni chut pe hath firaya to uske hathon me vaha ka pani lag gaya.usne desk par se napkin utha kar use saaf kiya.tabhi raja sahab vapas aa gaye.

"aao,"unhone uska hath pakad kar utahya to menaka ladkhada gayi.chudai ne to use past kar diya tha.raja sahab ne hath badha kar use tham kar apne kandhe se laga liya & chalne lage.bahar aakar study ko lock kiya & use le apne walk-in closet me aa gaye.

closet kya,chhota-mota kamra hi tha.andar raja sahab ke kapde jute & baki saaman karine se laga tha.closet ke 1 taraf ek dressing table rakha tha jiske bagal me usi ke size ki 1 painting lagi thi.painting me ek ladki apna shringar kar rahi thi.raja sahab ne aage badh kar us painting ko utar diya to peechhe 1 darwaza nazar aya.unhone menaka ko liya & us darwaze ko khol andar dakhil ho gaye.

menaka ko 1 lagbhag 6 feet lamba galiyara nazar aaya jiske aakhir me bhi 1 darwaza khula tha & vaha se roshni aa rahi thi.dono galiyara paar kar us darwaze ko bhi paar kar gaye.

"are!!",menaka ki sari thakan kafoor ho gayi.vo apne bedroom ke walk-in closet me khadi thi,usne dekha ki uske closet ki vo painting utar kar 1 taraf rakhi thi.

"ye kya hai?",raja sahab ke sath vo apne kamre me aa gayi.

raja sahab uske bistar par let gaye & apni baanhe khol di.menaka thodi hairaan si unme sama gayi.raja sahab ne use baanhon me bhar apne se chipka liya & 1 lambi kiss di.,"humare purakhon ki bagal ke rajya waale rajaon se humesha jung hoti rehti thi.rajparivar ki suraksha ke liye upari manzil ke rajparivar ke kamron ko is tarah se joda gaya taki musibat ke waqt dushman se bach kar bhaga ja sake.is mahal me aise aur bhi raaste hain."

"par hum is raste ka istemal kewal aapko pyar karne ke liye karenge."

"mera to sar ghum raha hai,pehle vo tijori & ab ye raste.",usne apne sar par hath rakha,"par ek baat batao kya naukaron ko bhi pata hai in raston ke bare me?"

"2-3 purane khas naukron ko jo ki iska zikra kisi se bhi nahi karte.",raja sahab uski 1 choochi ke nipple ko masalne lage

"..uumm...mmmhhh...achha.aur jab aap apne kamre me chale jayenge to hum ye bhari-bharkam painting kaise lagayenge?"

"vo kewal dekhne me bhari hai.utha kar dekhna bilkul halki hai.",aur apne munh me vo puri choochi bhar li.

"aaa....aahhh...yash..!",usne apni 1 taang apne sasur ki taang par chadha di & dono fir se pyar ke samundar me gote lagane lage.

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thik usi waqt shahar me unka dushman bhi apni rakhail ki chut chodne ke baad uski gaand maar raha tha.

"...1 baat bata saale...OOOWWW!",jabbar ne malika ki gand me zor ka dhakka mara.vo ghodi bani thi & jabbar peechhe se uski gand maar raha tha.

"bol,chhinal."

"jab us din ki entry file me hai hi nahi to tujhe kaise yakin hai ki vahi pilot us din raja ko le gaya hoga?"

"yakeen nahi hai,bas andaza hai.yakeen to tu dilayegi jab use sheeshe me utaregi.",jabbar ne apni ungli usli chut me daal di & dusre hath se uski chhatiyan masalne laga.

"kal raat vo "Bizzare" disco me jayega.vahi tu use apne jaal me phansayegi.",uske dhakkon ki speed badh gayi thi.

"AA...ANNN..HHH..,theek hai kutte...AA....IIYYYEEEE...aise hi maar.pha..add de meri ga..aand ...OOOOO...OOOHHHH..!",&vo jhad gayi.jabbar ne bhi 3-4 beraham dhakke aur lagaye & uski gand me pani chhod diya.

thodi hi der me vo kharrate bhar raha tha,par malika ki aankhon me abhi bhi neend nahi thi.use kallan ka lamba lund yaad aa raha tha.usne jabbar ki taraf dekha,jab use yakin ho gaya ki vo so raha hai to vo uthi & dabe paanv kallan ke kamre me chali gayi.

kallan chadar odh so raha tha.malika uski chadar me ghus gayi to paya ki vo nanga hai.usne jhat se uske lund ko pakad liya & hilane lagi.kallan ki neend khul gayi,usne malika ko chit kiya & taange phail kar apna lund uski chut me pel diya.malika ne uske kandhe me daant gada apne halak se nikalti hui cheekh zabt ki & apni taange uski kamar me lapet us se chudne lagi.









आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj


















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