Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-3

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-3



रोहित के साथ उस रात को मेरे द्वारा की गयी हरकत से मेरे मन में उसकी और शारीरिक आकर्षण बढ गया था. न जाने क्यों मैं उसे मेरे कजिन भाई से ज्यादा और नजदीकी समझने लगी थी. उसने उस रात के बाद ऐसा कुछ प्रतीत नहीं होने दिया की उसे उस रात के बारें मैं कुछ पता हो. पर उसे पता था....!! यह बात मुझे कई महीनो बाद पता चली जब हम एक दुसरे के काफी नजदीक आ चुके थे. उसने तब बताया की जब मैंने उसके लिंग को उसके पायजामे के ऊपर से रगड़ना शुरू किया था तभी उसकी आँख खुल गयी थी पर उसने कुछ न बोलना ही उचित समझा और शान्ति से सोने का नाटक करता रहा, और जागने के कारण ही वह बहुत उत्तेजना में आ गया था और स्खलित हो गया. मैं उस समय सोचती तो थी की बिना जागे कोई लड़का स्खलित हो सकता है क्या?

खैर...रोहित दिल्ली में रहता था और हम लोग उस समय जयपुर में रहते थे. मेरे और रोहित की उम्र में भी ज्यादा अंतर नहीं था , वो मेरे से बस ८ महीने ही बड़ा था. और उसके पापा मेरी मम्मी के रिश्ते में भाई लगते थे. ख़ास नहीं पर परिवार के रिश्ते में लगते थे, मैं उनको मामाजी बोलती थी. मेरी मम्मी उनको बहुत मानती थी सो वो हमारे घर में काफी आया जाया करते थे.

मैं और रोहित लगभग तीन चार साल तो गर्मी की छुट्टियों में ही मिल पाते थे. फिर कभी कभार कोई शादी वादी का फंक्सन होता था तो..मिल जाते थे. मामाजी चाहते थे कि रोहित बी ई का एंट्रेंस एक्साम दे और उसका सेण्टर भी जयपुर पड़ गया था सो मामाजी और रोहित जयपुर आने वाले थे. मैं बारहवीं क्लास में थी. काफी कुछ समझने लगी थी , मेचुयोर हो चुकी थी. यह बात करीब डेढ़ साल पहले की है.
मैं पापा के साथ स्टेसन गयी थी उनको लेने. वो लोग राजधानी से आये थे और स्टेसन से लौटते समय मैं और रोहित साथ ही बैठे थे. और रास्ते भर बातें करते आ रहे थे. बातों ही बातों में अगर वो कुछ छेड़ने वाली बात बोलता तो में उसे उसकी बांह में चिकोटी काट देती. वो इसकी शिकायत पापा से करता तो पापा बोलते की तुम दोनों जानो अपना झगडा अपने आप सुलझाओ.

घर पहुँच कर नहा धोकर , खाना खाकर वो तुरन्त ही पढाई में व्यस्त हो गया और मैं भी दो दिन स्कूल में व्यस्त रही. न ही मैंने उसे परेशान किया और न ही उसने. दो दिन बाद एक्साम ख़तम होने के बाद हम सब बातें करने में लग गए. मम्मी और मामाजी बालकोनी में बैठे बात कर रहे थे और मैं और रोहित अन्दर कमरे में. और हमारी बातिएँ जल्दी ही बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड के बारें में शुरू हो गयी, जैसे कि उसकी कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं और मेरा कोई बॉय फ्रेंड है या नहीं?

जो हमारी जेनरेशन इस समय स्कूल में थी उसके हिसाब से बॉय फ्रेंड का मतलब सिर्फ फ्रेंड होना नहीं था, बल्कि इसका मतलब था कि वो कि जो आपका हाथ पकडे, कभी कभी किस भी करे, और जिंदगी भर बातें करे. अगर लड़का भाग्य शाली हुआ तो तो वो लड़की के स्तनों को भी महसूस कर पायेगा और उन्हें चूम भी पायेगा. और अगर लड़का और ज्यादा भाग्यशाली है तो हो सकता है कि उसे लड़की के ब्लोउज में हाथ डाल कर उसके स्तनों को महसूस कर पायेगा. सब कुछ ..बिना ब्लोउज उतारे.
मैंने उसे बताया कि मेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है...और उसने भी जोर देकर साबित करना चाह कि उसकी भी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है. इन सब बातों के बीच अगर हमारे बीच कभी कोई तकरार होती तो मैं उसे चिकोटी काट देती और वो मेरी कमर में गुलगुली कर देता और मैं गुलगुली के कारण उठ पड़ती थी. हम एक दुसरे के काफी नजदीक हो गए थे और एक दुसरे को छु लेने में कुछ ऐतराज भी नहीं था.

जल्दी ही वो लोग दिल्ली वापस चले गए और अपने रिजल्ट का इन्तजार करने लगा. दो महीने बाद मामाजी ने बताया कि रोहित का एडमिशन बिट्स पिलानी में हो गया है. और २८ जनवरी को वो पिलानी के हॉस्टल में जाकर रहेगा. सो वो जयपुर आएगा और कुछ दिन वहां रहकर फिर पिलानी के लिए निकलेगा.

मैं उसे फिरसे जयपुर में स्टेशन पर लेने गयी, वो दो रात हमारे घर रुका और फिर ट्रेन से पिलानी के लिए निकल गया. उन दो रातों में हम पूरे वक़्त बातें करते रहे. सच में, इतनी बातें तो हम लोगों ने कभी भी नहीं करी थीं. और बातें भी घुमती घामती फिर वहीँ... गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड पर आकर रुक गयी. उस छोटी सी जगह में एक दुसरे के साथ लेटे हुए हम दोनों शारीरिक रूप से भी नजदीक आ रहे थे.

मैं यह कबूलना चाहूंगी यहाँ कि उस छ घंटे लम्बे बातों के समय उसका हाथ कई बार मेरे शरीर पर आया, जैसे कि मेरा हाथ उसके शरीर पर. पर यह सब उत्तेजित कर देने वाला या इतना महत्वपूर्ण नहीं था. और इस बार वो भी कबूल गया था कि उसकी एक गर्ल फ्रेंड थी. और यह पता चलते ही मैंने उससे पूछना शुरू कर दिया कि क्या उसने कभी उसे चूमा या उसके साथ कुछ किया?

और बातों के अंतहीन दौर में उसने कबूला कि उसने उसे किस किया था उसकी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग कि सीडियों पर. मैंने उससे बहुत कुछ पूछना चाहा पर उसने कम ही जवाब दिया. शायद ज्यादा बताने को था ही नहीं. वो भी मेरे बारे में जानने को आतुर था. मैंने उसे जोर देकर कहा कि उससे मिलने से पहले न तो मुझे किसी ने आजतक छुआ है और न ही मैंने कुछ किया है. मुझे नहीं पता था कि मैं कितना झूंठ बोल रही हूँ और कितना सच!
पर रोहित कहाँ इतनी आसानी से मानने वाला था? उसने मुझसे पुछा कि, 'क्या मेरा कोई बॉय फ्रेंड है? क्या मुझे मेरे बॉय फ्रेंड द्वारा मेरे गालों पर किस करना अच्छा लगता है? '

पिलानी जाने से पहले हमने एक दुसरे से वादा किया कि हम एक दुसरे को लेटर्स लिखेंगे. और आने वाले महीनो में हमारे एक दुसरे को लिखे लेटर्स में काफी खुलापन आ गया था. और हम लोगों से सेक्स के बारें में खुलकर और बड़े ही तरीके से डिस्कस करना शुरू कर दिया था. यह बात अलग है कि हम सेक्सुअल टर्म्स को बड़ा ही उचित शब्द प्रयोग कर लिखते थे. उनमे इतना खुलापन नहीं था. (यही कारण है कि आज भी मैं पूसी को छूट नहीं लिख पाती हूँ...मुझे बड़ा अजीब लगता है...और पेनिस के स्थान पर लंड तो बिलकुल भी नहीं कह पाती. कई पाठकों ने मुझे पर्सनल मेसेज भेज कर मुझसे यह रेकुएस्ट कि थी की मैं खुल कर शब्द लिखूं...पर आयी ऍम वैरी सॉरी..वो सब मैं लिख नहीं पाती...हाँ कभी कभी लिख दूंगी...)

एक सेम्सेटर ख़तम होने के बाद मेरी गर्मी कि छुट्टियां हो गयी और हम लोगों ने गोवा जाने का प्रोग्राम बनाया. मैंने मम्मी से रोहित को भी साथ में ले चलने के लिए पूछा और वो भी मान गयीं. उन्होंने उसे फ़ोन करके पुछा कि क्या वो हमारे संग गोवा घूमने चलेगा?
और उसका जवाब भी हाँ में आ गया. उसने बताया कि वो पुणे में किसी काम से गया हुआ है और फिर उसकी भी छुट्टियाँ हैं. इसलिए यह तय हुआ कि हम लोग ट्रेन से पुणे तक जायेंगे और फिर वहां से रोहित को लेटे हुए टैक्सी से गोवा जायेंगे.

हम लोग ट्रेन से पुणे पहुंचे और वहां से एक एम्बस्ड़र कार किराए पर ली गोवा के लिए. मैं और रोहित आगे के सीट पर बैठ गए. रोहित मेरे और ड्राईवर के बीच में बैठा था. मैं उससे मजाक वगेरह करती जा रही थी. मैंने उससे कान में कहा कि, 'रोहित अगर ड्राईवर भैया ने गलती से दूसरा गियर लगा दिया तो क्या होगा?'. वो समझ गया कि मेरे कहने का क्या मतलब है?

सड़क के ऊँचे नीचे गादों से होती हुयी जब हमारी गाडी निकलती थी तो हमारी हड्डियां भी हिल जाती थीं, जब भी ड्राईवर गियर बदलता तो में रोहित को मुस्कुरा कर देखने लगती और उसके कान में बोली, 'क्या हो, agar वो गलती से तुम्हारे 'उसको' पकड़ ले...ही ही..?'. बड़ी देर तक बेचारा मेरी बातें सुनकर बोलाबुद्बुदय कि ,'तो तुम मेरी दोस्त हो , तो तुम्हें मेरे 'उसको' बचाना चाहिए न..'. 'अच्छा...तो ठीक है...जनाब.' मैंने उसे जवाब दिया.

अगले दस मिनट में एक या दो बार , जब भी ड्राईवर ने गियर बदले तो मेने उसके पेंट के उस हिस्से के ऊपर करीब दो तीन इंच ऊपर अपनी हथेली हवा में लगा कर रखी और उससे कहा कि ,'लो देखो...में अपने भाई कि संपत्ति को उसकी गर्ल फ्रेंड के लिए बचा रही हूँ...हा हा हा..'. बेचारा बड़ा ही शर्मा गया और फुसफुसाकर बोला,'क्या करती हो , ड्राईवर देख लेगा...'

जब कार हाई वे पर चलने लगी तो वो ड्राईवर कि और झुका जा रहा था तो मेने उसे उसके हाथ मेरे कन्धों कीऔर रखने को कहा जिससे की वो ड्राईवर की और न झुके. उसने मेरे खंधों पर से अपने हाथ को रख लिया. उसकी उँगलियों की सिरे मेरे स्तनों के किनारों की और लटकी हुईं थीं. करीब डेढ़ जानते में एकाध बार वो मेरे स्तनों से भी टकराई होंगी. और मैं चिंतित थी की अगर में इसे सीरिउस लुंगी तो वो घबरा कर अपना हाथ हटा लेगा.

जाहिर था जैसा जैसे यात्रा की शुरुआत हो रही थी, हम अछे दोस्त तो बन ही रहे थे बल्कि शारीरिक रूप से और नजदीक हो रहे थे.

जल्दी ही हम लोग गोवा पहुँच गए. हमने सारा सामन उतारा और एक एक करके बाथरूम भी गए. और फिर फत्फात समुंदर का किनारा देखने पहुँच गए. सचमुच यह सब बहुत आनंददायक था. मैंने एक पीली स्कर्ट और रेड टॉप पहना था. टॉप लो कट था पर ज्यादा नहीं..और पैरों में चप्पल. जयपुर में मुझे स्वीमिंग सुइट पहनने की छूट थी पर यहाँ के लिए मम्मी ने मना किया था. सो जैसे ही हमें अपने होटल में पहुंचे और समुंदर के लिए जाने लगे तो मम्मी ने चेतावनी भी दे डाली,'पानी में ज्यादा गहराई में मत जाना.'

किनारे पर पहुँच कर, रोहित, हेमा और मैं पानी की और भागे. रोहित एक सफ़ेद रंग का शोर्ट निक्कर पहने था. मैंने अपनी चप्पल उतार दी और अपनी स्कर्ट को करीब आठ इंच ऊपर करके पानी की लहरों के बीच चली गयी. लहरें मेरे नंगे पावं में आकर टकरा रही थी. उधर रोहित और हेमा भी पानी में खेल रहे थे, एक दुसरे पर हम लोग खूब पानी उछल रहे थे.

जल्दी ही शाम का अँधेरा हो गया सो मम्मी ने आवाज लगाकर हमें वापस होटल चलने को कहा. होटल लोटकर मैंने कपडे बदले और एक मेक्सी (नाईट गाउन ) पहन ली.
खाना खाते समय, हेमा ने कहा ,' मम्मी, दीदी और रोहित भाई सारी रात बातें करते रहते हैं,..इतनी सारी बातें कहाँ से लाते हैं?'. मैंने तुरन्त उसे जवाब देते हुए कहा,'हेमा, में अपने भाई से बात कर रही हूँ, तुम्हे क्या दिक्कत है उससे?'. जल्दी ही बेड टाइम हो गया. हम लोग हर बार की तरह बातों में व्यस्त थे. मैं रोहित के सज्जनता के व्यवहार से अब ऊब गयी थी और उसे जल्दी ही दूर करना चाहती थी सो मैंने थोडा रिस्क लेना शुरू किया और एक ऐसा सवाल दाग दिया जिससे उसका चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया. मैंने उससे पुछा, 'रोहित, तुम्हारी पेंट में यह उभार कैसे है? किसके बारें में सोच रहे हो..? हम् ?' . 'क्या बोल रही हो..?' , वो घबराया सा बोला. मेरी नाभि के नीचे की और सनसनाहट शुरू हो गयी और मैं आश्चर्य कर रही थी कि मैं ऐसा क्यों महसूस कर रही हूँ? मेरी जाँघों के बीच चिकनापन महसूस हो रहा था. मेरी दरार मेरे जूस से भरी जा रही थी. सारी लडकियां आसानी से समझ सकती हैं कि मैं क्या कहना चाह रही हूँ. क्योंकि लगभग सभी लडकियां ऐसा ही महसूस करती हैं.

मैंने बातचीत को एक कदम और बढाया, और पहली बार किसी लड़के से (वो भी कजिन भाई) से बोली, 'क्या तुम्हारा डिक ( Dick - पेनिस) खडा हो गया है?'. बड़ी न नुकुर के बाद वो बोला, 'हाँ , तो क्या?'. 'कुछ नहीं, खडा रखो..!' मैंने भी जवाब दिया. और जैसे जैसे समय बीत रहा था मेरी पूसी (फुद्दी) के अन्दर कि सनसनाहट बदती जा रही थी और मैं महसूस करने लगी थी कि पूसी जूस मेरी पैंटी को भिगोने लगा था. मैं अब कुछ चाहने लगी थी और उसे पूरा करने के लिए मैंने पूछा,'बताओ न रोहित, तुमने अपनी गर्ल फ्रेंड को कैसे किस किया था?'.

'मैं कैसे बताऊँ? यह कोई बताने वाली चीज नहीं..!', उसने जवाब दिया.

'ठीक है, मुझे किस करके बता दो, कैसे किस किया था?', मैंने फिर से जवाब दिया. वो बड़ा un-comfortable महसूस कर रहा था. पर फिर भी उसने मेरे माथे पर एक किस कर दिया.

'यही था तुम्हारा किस?', मैंने उससे पूछा. मेरी नाभि के नीचे का हिस्सा आग से सुलग रहा था और मैं यह जानना चाहती थी कि क्या वो भी ऐसा ही महसूस कर रहा होगा? मैं वास्तव में व्याकुल हो गयी थी. मैंने उसे कहा,'लाओ, मैं तुम्हे बताती हूँ, कि किस कैसे करते हैं?'
मैंने उसके चेहरे पर किस किया, और एक उसके लिप्स पर, और पूछा,'मजा आया..?'. अब मैं महसूस कर रही थी कि वो भी उत्तेजना महसूस करने लगा था. मैं उसके पौरुष के किले में सेंध लगा रही थी और शायद वासना का आवेग उसमे उबलना शुरू हो चूका था.

उसने भी मुझे किस किया. इस बार उसने वासनात्मक तरीके से मेरे होंठ , मेरे गाल और मेरी आँखों पर किस किया. और जब वो रुका तो उसने पुछा,'कैसा रहा अब?'. मैं अचंभित थी कि उसकी बाजुओं में कितनी में ताकत थी और उसके किस में एक हा था.

मेरा शरीर जल उठा था. जबकि हम होटल के रूम में थे तो सिर्फ किस ही कर सकते थे पर व्याकुलता बहुत थी. उसने मुझे फिर से किस करना शुरू किया और इस बार उसने मेरे होंठ और गालों पर चुंबनों कि बौछार कर दी .उसने अपनी बाहें मेरे धड से लपेटी और मुझे अपनी और खींचा और पूरी शक्ति और सकाराक्त्मा से मुझे किस करता रहा.

मैं अगला कदम उठाने के लिए तयार थी. मैंने बोला, 'तुम फ्रेंच किस करना जानते हो?'

वो जानता ही था क्योंकि इस बार हमारे होंठ से होंठ मिल गए थे और मैं इच्छाओं से काँप रही थी .और पता नहीं क्यों वो मेरी उत्तेजना को पूरी तरह नहीं समझ पा रहा था. बार बार मुझे ही आगे बदना पड़ रहा था. अगर वो चाहता तो मैं उस भीड़ भाड़ से भरे होटल में उसे मेरी कौमार्यता गिफ्ट कर देती. पर वो अभी भी एक सज्जन व्यक्ति कि तरह ही व्यवहार कर रहा था.

मैंने महसूस किया कि शायद मुझे ही आगे बढाना पड़ेगा.
सो जब मुझे ही आगे बढना था, जब वो मुझे बेहिसाब किस करने में लगा हुआ था , तभी मैंने अपना हाथ उसके पेट कि और बढाया. मैं उसका बड़ा, सख्त और खड़े हुए लिंग को उसके पायजामे के नीचे पहने अंडरवियर में महसूस करने लगी.

और जब वो किस करते करते रुका, तो मैंने उससे पुछा, 'तुम्हारा लिंग (मैं dick 'डिक' बोलती हूँ) कठोर और खडा हुआ है..!!'

'मैं क्या करूँ..? और जो भी मुझे करना होगा , वो मैं यहाँ नहीं कर सकता..!' उसने जवाब दिया. मैंने थोडा शरारती होने का सोचा और उसे एहसास दिलाना चाहती थी कि हमारे इस incest relationship को थोडा और excite कर सकते हैं. मैंने उसे बोला, 'रोहित, तुम अपनी कजिन बहिन को किस कर रहे हो..और ..तुम्हारा खडा हो गया है..!!'.

वो कुछ नहीं बोला.

मैंने फिर कहा, 'मुझे प्यार करो, प्यार करो न...जैसे कि तुम्हारी इस कजिन बहिन को प्यार मिलना चाहिए.' उसने मुझे फिर से किस किया पर वो न तो मेरे स्तनों को, या मेरे हिप्स को मेरी मेक्सी में से महसूस नहीं कर रहा था. मैंने उसे फुसफुसाकर पुछा, 'क्या तुम मेरे बूब्स को किस नहीं करोगे?'

'मैं सिर्फ वहीँ किस करूँगा , जो कि खुला हिस्सा होगा.', उसने जवाब दिया. उसका यह जवाब एक लठ कि तरह था. सुबह के चार बज चुके थे. मैंने उसे सोने के लिए सुझाव दिया.

जल्दी हो वो सो गया. पर मैं नहीं सोयी थी. मैं मन ही मन मैं सोच रही थी कि अब उसका लिंग कैसा होगा, कितना बड़ा होगा..पिछली बार से तो बड़ा ही होगा. मैं अपनी कोहनी के बल हुयी और सब तरफ देखा, और धीरे से उसके पायजामे की गाँठ खोली, और धीरे से उसके अंडरवियर की इलास्टिक खींचते हुए नीचे किया और उसके half-erect लिंग को बाहर निकाला. मैंने अपने को थोडा नीचे किया और उसके टिप को किस किया. उसके लिंग में से अजीब सी गंध आ रही थी. मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज हो गयी थी की क्या बताऊँ..? पर मैं आगे नहीं बढ सकती थी.

सो मैं भी सो गयी. वैसे भी पूरी रात निकल गयी थी.

अगली सुबह, वही सब, नहा धोके , नाश्ता हुआ. मैं नहाने गयी तो मैंने अपने शरीर का मुयायना किया, मेरे स्तन गोलाई लिए हुए थे और निप्पलस भी बाहर की और थे. मेरी पूसी रात के जूस से भरी हुयी थी, जो अभी भी गीलापन लिए हुए थी.

अगली सुबह, वही सब, नहा धोके , नाश्ता हुआ. मैं नहाने गयी तो मैंने अपने शरीर का मुयायना किया, मेरे स्तन गोलाई लिए हुए थे और निप्पलस भी बाहर की और थे. मेरी पूसी रात के जूस से भरी हुयी थी, जो अभी भी गीलापन लिए हुए थी.

जब मैंने अपनी क्लिटोरिस पर साबुन लगाया तो मेने महसूस किया की वो काफी erected महसूस हुयी. और बहुत ही संवेदनशील हो गयी थी. मैं जान गयी, की वो समय आ गया है जब मुझे एक पुरुष का एहसास चाहिए. और यह रोहित मुझे आग से भरता जा रहा था. मैं उसे चाहने लगी थी. मैं उसे चाहती थी.

जल्दी ही हम लोग फिर से बीच पर थे. हम पानी में इधर उधर घूमने लगे. मम्मी पीछे से आवाज लगा लगाकर हमें सावधान करती थी जब हम पानी में ज्यादा आगे बड़ते थे. मैंने अपनी स्कर्ट को अपने घुटनों तक ऊँचा कर लिया था. जब भी पानी की लहर आती, हम एक दूसरे को थामते और पकड़ते, जिससे की मैं अपना बैलेंस बना पाऊं. और इस प्रक्रिया में उसका हाथ कई बार मेरे स्तनों से छू जाता. और जब भी ऐसा होता, मुझे एक इलेक्ट्रिक शोच्क लगता जो मेरे दिमाग से सीधा मेरी पूसी तक जाता था.

और एक बार जब मैं गिरी, उसने मुझे रोका और मैंने उसकी बाजुओं की ताकत महसूस की. जल्दी ही खाने का समय हो गया. होटल वापस लौटते समय, मैंने फस क्रीम लेने का बहाना बनाया और एक अलग रास्ते से एक केमिस्ट शॉप पर पहुँच गयी. मैंने अपने लिए एक सेनिटरी पेड़ का पैकेट ख़रीदा (अगर मम्मी को शक होता) और एक एंटी-सेप्टिक क्रीम का पैकेट भी और...उसके बाद ....बड़ी ही हिम्मत करके...एक सिक्स कंडोम (अल्ट्रा थिन) का पैकेट. मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. और एक अनचाहा गर्भ , वो भी एक कजिन भाई से...बड़ा ही खतरनाक हो जाता..!!!

लंच के बाद हम लोग वापस बीच पर आ गए. मैंने मन में प्लान बनाना शुरू किया. मैंने मन में सोचा की अगर मैं पानी में गीली हो जाऊं, तो मम्मी चिल्लाने लगेगीं और मुझे कपडे बदलने के लिए होटल जाना पड़ेगा. और मैं रोहित को साथ में ले जाने के लिए पूछ सकती हूँ. और वही समय ठीक होगा मेरी सेक्सुअल इच्छाओं की पूर्ती के लिए.

मैं कोई तरीका नहीं ढूँढ पा रही थी जिससे कि मैं पानी में पूरी तरह से गीली हो जाऊं. मैंने तय किया कि मैं रोहित से पूछूं कि मम्मी के रहते मैं पानी में गीली कैसे हौऊँ.?
जब मैंने पुछा तो उसने बोला कि, 'बस गिर जाओ. मम्मी तुम्हे गिरने से तो नहीं रोक सकती न..'

मैं मन में सोचा, 'वह, क्या आईडिया है..?'. मैंने महसूस किया कि मैं अपनी सेक्सुअल इच्छा के लिए कितनी व्याकुल और बेसब्र हो रही थी. और उस आग को बदाये जा रही थी जो रोहित ने मेरे तन बदन में लगा दी थी. मैं पिंडली तक भरे पानी में गयी और एक लहर का इन्तजार किया और उसके आते ही मैं फिसल कर पानी में में गिर गयी. मम्मी ने मुझे देखा और रोहित मुझे सँभालने भगा. उसने मुझे खडा किया, मैं पूरी गीली हो गयी थी. मेरी कॉटन की कुर्ती और स्कर्ट मेरे शरीर से चिपक गयी थी. पर में सेक्सी महसूस कर रही थी.

मम्मी बहुत नाराज थी. वो मुझ पर चिल्लाईं और मुझे होटल जाकर कपडे बदलने को कहा. मैंने उनसे धीमी आवाज में पुछा,' मम्मी, मैं रोहित को अपने साथ ले जाऊं?'

'ठीक है .. रोहित बेटे. क्या तुम जरा जूही के साथ होटल तक जाओगे और जूही, अब तुम बीच पर मत आना. वहीँ रहना...हर समय मुसीबत करती हो.' उन्होंने नाराज होते हुए कहा.

यह बिलकुल वैसे ही हो रहा था जैसे की मैं चाह रही थी.

रोहित मुझे वापस होटल ले गया. और जैसे ही हम दरवाजे के नजदीक पहुंचे मैंने चरों तरफ देखा, वहां कोई नहीं था और कहा, 'क्यों न तुम मुझे अपनी बाहों में उठाकर अन्दर ले चलो? जैसे की अपनी गर्ल फ्रेंड को ले जाते हो?'

रोहित ने सिम्पली मुझे अपनी बाहों में भरा और दरवाजे को धक्का मारकर खोला, और मुझे अन्दर लेजाकर पलंग पर रख दिया. मैंने उसे दरवाजा बंद करने का इशारा करा. उसने दरवाजा बंद कर दिया. तब मेने अपना बेग खोला और नयी ब्रा, नयी पैंटी, और टी शर्ट और स्कर्ट निकाली. रोहित बोला, 'मैं बाहर जाता हूँ, तुम कपडे बदल लो.'

मैं बोली, 'नहीं..नहीं..मैं तुम्हारे रहते भी कपडे बदल सकती हूँ. मेरे पास ऐसा कुछ छिपाने के लिए नहीं है जो और लड़कियों के पास न हो..!' कहते हुए मैंने कुर्ती उतारी और ब्रा की स्ट्रिप्स खोली. मैंने रोहित की और पींठ की हुयी थी और उतारे हुए कपडों को फर्श पर गिराती जा रही थी. मैं जानती थी की वो मुझे देख रहा होगा. सो मेने पुछा, 'क्यूँ रोहित? नंगी पींठ कैसी लगती है? सेक्सी न ?'

'यू आर ग्रेट जूही. पर ब्रा से तुम्हारे निशान पड़ने लगे हैं.' उसने जवाब दिया. मैंने नयी स्कर्ट ली और अपने गले में से उसे पहन लिया और दांतों में उसे पकडे रखा और अपने धड को उस स्कर्ट में छिपा लिया. फिर मेने अपनी गीली स्कर्ट को नीच की और खींच दिया.

मैं आशा कर रही थी की वो मुझे पीछे से आकर पकड़ लेगा और मेरी स्कर्ट को उतार कर मुझे पूरा नंगी कर देगा, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ...वो बड़ा ही सज्जन बन रहा था. उसने ऐसा कुछ नहीं किया. मैंने जल्दी से कपडे बदले. उसने मेरे गीले कपडे उठाये..और बोला,' इसमें से तो बदबू आ रही है...छी..' . मैंने विरोध किया, 'धत. बदबू नहीं ,..खुसबू आ रही होगी. लडकियां खुशबू ही देती हैं...लड़के होते है जिनमे से बदबू आती है. तुमने कभी किसी लड़की की खुशबू नहीं ली न..इसलिए ऐसा बोल रहे हो...बोलो...खुशबू लेनी है..?' मैं बड़ी ही निर्लज हो गयी थी तब. उसके पेंट में उभार होने लगा था. मैंने फिर बोला, 'अगर तुम वास्तव में एक लड़की की गंध लेना चाहते हो तो उन कपडों को छोडों, मैं आज रात तुम्हे असली में यह महसूस करवा दूंगी.'

'वास्तव में, क्या में पूरी तरह से तुम्हे सूंघ पाऊंगा?' मैंने शरारती अंदाज में हामी भरी. तो उसने पुछा, क्या मैंने कभी किसी लड़के को सुंघा है?' मैं कोई जवाब देती तब तक हेमा ने दरवाजे पर खटखटा दिया. वो लोग भी लौट आये थे.

रात हुयी. और फिर वही रूटीन शुरू हुआ , हामरी बातों का दौर. रात के एक बजे तक हम एक दूसरे को काफी किस कर चुके थे, और तब मेने तय किया की अगर वो मेरे स्तन देखना चाहता है तो उसे वहां उन्हें किस भी करना होगा. और मेरे निप्पलस भी चूसने होंगे. उसने किस करना शुरू किया. और हमारे किस वासनात्मक हो रहे थे. जब वो मेरे गाल पर किस कर रहा था तो मेने उससे पुछा, 'क्या मेरे स्तन चूमना चाहोगे?'. 'मैं सिर्फ वहीँ किस करूँगा, जो हिस्सा खुला होगा..', उसने जवाब दिया. 'ओह इसका मतलब तुम चाहते हो की तुम्हारी यह गर्ल फ्रेंड तुम्हारे लिए कपडे भी उतारे.'

हम कुछ समय के लिए रुके तो मेने उससे पुछा,'क्या तुमने कभी अपनी गर्ल फ्रेंड के स्तन दबाये थे?' उसने नहीं कहने के अंदाज में अपना सर हिला दिया. 'तो क्यों न, तुम मेरी टी शर्ट को हटा कर मेरे स्तनों को महसूस करो और देखो उन्हें कि वो कैसे हैं?' मेने उसे एक मौका दिया.

और इसी के साथ मेने अपनी टी शर्ट ऊपर कर ली और ब्रा के हूक खोल कर अपने स्तनों को उन्मुक्त कर दिया. मेरे स्तन आजाद थे. पहली बार , इकीस साल की होने के बाद मेरे स्तन कोई लड़का देख रहा था. वो भी मेरा कजिन भाई. मेने उसके हाथ पकडे और मेरे नंगे स्तनों पर रख दिए.

उसने उन्हें महसूस किया. मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. 'यह तो बड़े नरम मुलायम से हैं..' उसने बोला, और मुझे लिटाकर मेरे स्तनों पर किस करना शुरू कर दिया. उसने उन्हें एक एक करके चाटा और निप्पलस को भी चूसा..और यह एक लड़के के साथ पहली बार कर रही थी सो यही सब सोचते सोचते एक ओर्गास्म तो मुझे उसी समय हो गया. और मेरा शरीर एक लहर की तरह काँप सा गया. उसे लगा की कुछ गलत हो गया सो बोला की ' क्या तुम्हे दर्द हुआ?'.

'नहीं. मुझे अच्छा लग रहा है' मेने जवाब दिया. जब हम फिर से रुके तो मेने उससे पुछा की कैसा लगा?. वो बोला. बहुत अच्छा. कुछ देर बाद, वो बोला, 'जूही सच बताना, कल रात तुमने मेरा पायजामा उतारा था न?'..'हाँ. मैंने किया था...मैं तुम्हारा पूरा खडा लिंग देखना चाहती थी.'

'तुम बहुत बदमाश हो गयी हो..' उसने जवाब दिया. 'मेने उसे किस भी किया था.' मेने उसे और बताया.
'तुम्हे गन्दा नहीं लगा?' उसने पुछा. मेने नहीं कहा, तब उसने बताया की जब पिछली छुतियों में मेने उसके लिंग को निकाल कर रगडा था और उसका वीर्य निकल गया था उस रात भी वो जाग गया था.

मेने उसे बाहों में भरा और उसे किस करते हुए कहा, 'एक दिन मैं भी तुम्हे अपनी पूसी दिखौंगी. ठीक है..?' हमने एक दूसरे को किस किया और सो गए.

अगले दिन भी वही रूटीन था, बस इस बार मेने मम्मी को सुझाव दिया की आज मैं बीच के किनारे खड़े palm ट्री के साथ साथ घुमुन्गी और पानी में नहीं जाउंगी. मेरी मम्मी संतुष्ट हो गयी. और मेरी सुरक्छा के लिए रोहित को मेरे साथ कर दिया.

मेने रोहित को एक और ले जाकर उसे समझाया की यह सब मेने क्यों किया, जिससे की हम एकांत में कुछ पल बिता सकें और खूब मस्ती कर सकें. उसका भी शैतान जाग चूका था अब, वो बोला, 'मैं तुम्हे पूरा नंगी करके किस करूँगा'. मैंने उसे जल्दबाजी न करने को कहा. मैंने उसे कहा की मैं अपना टी शर्ट ऊपर कर दूंगी और वो मेरे स्तनों से खेल सकता है. हम चलते चलते एक ऐसी जगह पहुंचे जहाँ दूर दूर तक कोई नहीं था. हम लोग एक ओत में बैठ गए और मेने अपनी टी शर्ट ऊपर की और खींच ली. और ब्रा के अन्दर से स्तनों को बाहर निकाल लिया. उसने मेरे स्तनों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया. उसने उन्हें भीचा भी और dabaya भी. वो बड़ा ही खुश नजर आ रहा था.

जब हम रे में लेटे थे. तो उसने मुझसे पुछा,' एक लड़की को क्या अच्छा लगता है जब वो सेक्सुअल एक्ट करना चाहती है?' मैंने उसे बोला, 'कि मैं जानती हूँ कि मुझे क्या चाहिए?'

'जैसे कि..?' उसने पुछा.

मैंने उसे किस करते हुए कहा, ' मैं चाहूंगी कि तुम मुझे पकडो और जोरो से किस करो, मैं तुमसे लड़ना चाहूंगी पर तुम जबरदस्ती किस करना.'

उसने ऐसा ही करना शुरू किया और धीरे धीर वो मेरे ऊपर आने वाला था. और वो मुझे अपने नीचे दवाने कि कोशिश में था और उसे मेरे ऊपर लाने के लिए मेरे अपनी पूसी वाले एरिया को ऊपर उठाना शुरू कर दिया जिससे कि उसे लगा कि वहां मेरा शरीर फ्री है सो, उसने मेरी टाँगे फैलाई और मेरी स्कर्ट ऊपर चढ़ गयी. वो मुझे फ्रेंच किस कर रहा था और मेरी पूसी पर मेरी स्कर्ट के ऊपर से दवाब बना रहा था जैसे कि मुझे fuck कर रहा हो. मैं महसूस कर रही थी कि उसका कडा लिंग उसके अंडरवियर से बाहर निकल मेरी पूसी में जाना चाहता है.

जान भूझकर मेने अपनी टाँगे उसके चारों और लपेटीं जिससे कि मेरी स्कर्ट और ऊपर हो गयी. वो मेरे ऊपर था, उसका पेट मेरे पेट से टकरा रहा था और उसका सख्त लिंग उसके अंडरवियर के अन्दर से मेरी पूसी के ऊपर जोर मार रहा था. मुझे एक जोरदार ओर्गास्म कि अनुभूति हुयी और मैं चिला पड़ी.

और कुछ मिनट तक ओर्गास्म कि लहरों में रहकर जब मैं शांत हुयी तो मैंने उसे बताया कि मुझे अभी अभी ओर्गास्म हो के चूका है. वो शांत रहा. मैंने उसे सुझाव दिया, 'रोहित, क्या में तुम्हारे लिंग को शांत करूँ?'.

'मतलब?' उसने पुछा.

'मैं तुम्हारे लिंग के साथ हस्तमैथुन करूँ?' मैंने पुछा. उसने अपना सर हिलाया और बोला, 'मैं हस्तमैथुन नहीं करता.'

हम लोग लेट हो रहे थे, मेने महसूस किया कि अगर हमें ज्यादा देर हुयी तो मम्मी रिकवरी पार्र्टी भेज देंगी और हेमा आ जायेगी. सो हम वापस लौटने लगे.













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