Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-4

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-4

अब मुझे एक ऐसा साथी मिल गया था जिसके साथ मैं अपनी हर तरह कि सेक्स इच्छा पूरी कर रही थी. धीरे धीरे....वो भी बड़े ही सुरक्षित तरीक से. और रोहित मेरा रिश्तेदार था सो मैं और भी ज्यादा आश्वस्त थी उसकी तरफ से. अब मैं हर वो काम करना चाहती थी जो मेरा शरीर मांग रहा था. मैं होटल लौटकर रात का इन्तजार कर रही थी.
उस रात, फिर से हम साथ ही लेते थे, और जब सभी सो गए हम जगे हुए थे. हम एक दुसरे के काफी करीब थे और एक दुसरे की गंध ले रहे थे. शरुआत चुम्बनों से हुयी और मैंने उसे 69 पोजीशन के लिए बोला. वो बोला कि 'उससे क्या फायदा?'. मैंने उसे कहा कि , मैं तुम्हे सूंघ पाउंगी और तुम मुझे..! और क्या?'. हमने उस तरह पोजीशन बनाई, मैंने उसके लिंग को उसके पायजामे के अन्दर सहलाया. और पायजामे के ऊपर से ही उसे किस करना शुरू कर दिया. उसने भी अपनी नाक मेरे पांवों के बीच में लगाते ही सूंघना शुरू किया. मैंने धीरे से अपना गाऊन ऊँचा किया और अपनी कमर तक उसे खोल दिया. वो मेरे पूसी के बाल देख पा रहा था.

धीरे से उसने अपनी उंगलियाँ मेरी झांटों में से लेते हुए मेरी पूसी के लिप्स को खोला. और बोला, 'अपनी टांगें फैलाओ, मैं तुम्हेरी फुद्दी करीब से देखना चाहता हूँ'. मैंने अपने पाँव फैला दिया , जितने कि मैं फैला सकती थी. उसने अपनी नाक मेरी पूसी के लिप्स ले बीच में लगा दी और सूंघने लगा. उसने मेरे क्लिटोरिस को सुंघा और जहाँ से मेरी शुशु निकलती है वहां भी उसने चाटा. उसने पुछा भी,'यहीं से शुशु करती हो न तुम?'. मैं हाँ में जवाब दिया. जब वो यह सब कर रहा था तो मैंने उसका पायजामा खोल दिया और उसके अंडरवियर को नीचे उतार लिया. उसका बड़ा और मोटा लिंग उछल कर बाहर कि और निकल आया. वो मेरी पूसी चाहता था.
पर हम जानते थे कि यह सही जगह नहीं है हमारे प्यार करने की.
इसलिए मेने उसके लिंग को अपने अपने हाथों से पकडा और किस कर दिया. फिर उसके लिंग की खाल को पीछे की और करके उसके लिंग के मुंड को हल्का सा चूसना शुरू किया. थोडा सा अटपटा लगा और कसैला सा साद था, फिर मैंने अपने हथेली से उसके लिंग को रगडा और हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया. उसने मुझे रोक दिया और मेरी और देखते हुए बोला, 'मैं हस्तमैथुन नहीं करवाना चाहता. मैं तो तुम्हे चौदना चाहता हूँ.' उसके मुह से यह सुनकर मेरे रोंगटे तक एक बार को खड़े हो गए..खासतौर पर चौदना वर्ड सुनकर. पहली बार किसी ने मेरे से इस तरह बोला था.

मैं जानती थी की वो मुझे चौदने के लिए बिलकुल तय्यार हो चूका था. वो मुझे पकड़ कर वहीँ नंगी कर देने वाला था और मुझे चौदना भी चाहता था पर मेने उसे शांत किया. मेने उससे कहा, 'रोहित...प्लीज..यहाँ यह सब मत करो..मैं तुम्हे अपनी कौमार्यता देने को बिलकुल तयार हूँ. पर यहाँ और अभी तो बिलकुल नहीं...'.

वो अच्छा था और समझदार भी. वो राजी हो गया, उसने मेरी पूसी पर कई बार किस किया और फिर मैं बैठ गयी. हमने अपने कपडे सही किये और एक दुसरे के साथ फिर से लेट गए.

उसने बातें शुरू कीं, 'जब लिंग फुद्दी में जाता है तो क्या तुम लड़कियों के दर्द होता है?'

मेने कहा, 'अरे नहीं..शुरू में हल्का सा दर्द होता है , फिर अच्छा लगता है, ऐसा मेरी सहेली ने बताया था.'

'तुम कब मेरे साथ करना चाहोगी?' उसने पुछा.

'शायद कल...देखो रोहित, जितनी उत्सुकता तुम्हे है उससे भी ज्यादा मुझे होगी ..पर मैं नहीं चाहती की किसी को इस बारे में पता चले...सो हमें सावधान रहना पड़ेगा.'

वो शांत रहा. देर हो चुकी थी. हम जल्दी ही चुपचाप सो गए.

अगली सुबह मैंने मम्मी से कहा की आज हमारा गोवा में aakhiri दिन है और उसके बाद रोहित वापस पिलानी चला जाएय्गा, सो मैं होटल में ही रूककर रोहित से बातें करुँगी. और वैसे भी मैं थकी हुयी हूँ. मेरी मम्मी तुंरत मान गईं. और बोली की ठीक है , औए वैसे भी वो लोग मार्गोवा तक जाने वाले थे सो शाम तक लौटेंगे.

नहा धोकर सभी लोग निकल गए. मैं और रोहित साथ बैठे और मेने रोहित से कहा, 'रोहित आज पता चलेगा की तुम मेरे से कितना प्यार करते हो?'

हम बिस्तर के किनारे पर बैठे थे और बीच बीच में एक दुसरे को किस भी कर लेते थे. एकाध बार वो अपना हाथ मेरे पेट पर फेरता तो मैं भी उसके लिंग को उसके कपडों पर से ही छेड़ देती. रोहित उठा और खिड़की के परदे ढकने लगा. और दरवाजा बंद करके बोला, 'जूही. क्या तुम आज मेरे साथ सेक्स करना चाहोगी..?' .

'जो करना है करो...पर अछे से...कुछ गलत न हो..इसका ध्यान रखना..' मैंने उसे कहा और उसने मुझे अपनी और खींचा और बाहों में भर लिया. और फिर किस करना शुरू किया, उसके हाथ मेरे चूतडों पर चल रहे थे. उसने मुझे पलंग की और धक्का दिया और मैं पलंग पर बैठ गयी. वो मेरे सामने झुक कर बैठा और मेरी कमर पर भी किस करने लगा. मुझे उत्तेजना से गुगुदी का एहसास भी हो रहा था. और मैं सोच सोच कर गीली हुए जा रही थी की कुछ ही मिनटों में वो मुझे पूरा नंगा करके मेरे साथ सेक्स करेगा और मेरी हाईमन भी तोडेगा. उसने मेरे टॉप को उतारा, और ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों को चूमने लगा. मैंने ब्रा के हूक खोलने में उसकी मदद करी और मेरी ब्रा भी उतर गयी. उसने धीरे से मेरी ब्रा मेरे स्तनों से अलग की जैसे की केले पर से केले का छिलका उतारते हैं. और मेरे नरम और गोल सुडौल स्तन बाहर आ गए. उसके दोनों हाथों ने मेरे एक एक स्तन को हाथ से पकड़ रखा था. वो मेरी कमर को चूम रहा था, जैसे ही उसने मेरी जाँघों पर किस करना शुर किया मेरा मन विचलित हो गया और मैं उसे मेरी जाघों के बीच में लेने की कोशिश करने लगी. मैंने अपनी जाघें फैला दीं, उसने कहा, अपनी जांघें फैला दो, में तुम्हारी फुद्दी चाटना चाहता हूँ.



उसने मेरी टाँगे अपने कन्धों पर रख ली जिससे की मेरी फुद्दी उसके मुह के सामने आ गयी. उसने धीरे धीरे मेरी झांघों को चाटना शुरू किया.मेरा शारीर इधर से उधर बल खा रहा था जैसे जैसे उसके चुम्बन मेरी फुद्दी के नजदीक आते जा रहे थे. और उसने ज्यदा समय नहीं लिए मेरी फुद्दी तक पहुँचने में और एक हल्का सा किस वहां कर दिया. मेरे से रहा नहीं गया और मेने उसे कहा,'ओह रोहित, मुझे चाटो वहां. मुझे गीला करदो.'
उसने यह सुनकर मुझे खडा किया और मेरे शरीर पर से हर कपडा अलग कर दिया. साथ साथ उसने अपने कपडे भी उतार दिए. मैंने उसके अंडरवियर का एलास्टिक पकडा और उसे नीचे खींच दिया. और उसके उत्तेजित लिंग को पकड़ने की कोशिश की. जल्दी ही हम दोनों एक दुसरे के सामने पूरे नंगे खड़े थे. उसका लिंग खडा हुआ था और मेरी फुद्दी की दरार गीली और चिपचिपी हो चुकी थी. उसने मेरी झांतो से खेलना शुरू किया. और मेने उसके लिंग को हिलाना शुरू किया.

'तुम मुझे थोडा सा ऊपर उठा लो...मैं अपनी फुद्दी की दरार पर तुम्हारे लिंग को घिसना चाहती हूँ..अच्छा लगता है..' , मैंने उसे कहा. उसने मुझे उठाया, अपना लिंग पकडा और उसका उपरी हिस्सा मेरी दरार पर ऊपर से नीचे की और घिसना शुरू किया. उसको भी अच्छा लग रहा था और मेरी तो हालत ही खराब थी. एक पत्थर जैसा लिंग वो भी एकदम गरम ... मेरी फुद्दी के लिप्स पर रगडा जा रहा था....सभी लडकियां समझ सकती है की मेरी क्या हालत हो रही होगी उस समय.?

मेरे मुह से बार बार यही निकल रहा था,' उम रोहित, मेरी फुद्दी से खेलो...मुझे अच्छा लग रहा है..'

उसने मुझे वापस पलंग पर लिटा दिया. उसने अपने आप को मेरी टांगों के बीच में किया, और मेरी जाँघों को चौडाते हुए बोला, 'तुम अपनी फुद्दी को अपने हाथों से खोलो...' और वो अपने लिंग ले मुह को मेरी फुद्दी के लिप्स पर रगड़ने लगा. वो जल्दी से मेरी फुद्दी में जाना चाहता था. पर मैंने उसे कहा की पहले मेरी क्लिटोरिस से खेलो..क्योंकि अब तक मेरी क्लिटोरिस इतनी संवेदनशील हो चुकी थी की कुछ ही देर के घर्षण में मुझे पहला ओर्गास्म हो सकता था और मैं उसे पाना चाहती थी. पर वो शायद मेरी क्लिटोरिस नहीं धुंद पा रहा था तो मेने उसकी ऊँगली पकड़ कर मेरी उभरी हुयी उत्तेजना से कड़ी हो रखी क्लिटोरिस पर रख दी. और बोला, 'यह है..यहाँ...थोडा ऊँगली से करो, अच्छा लगता है..'.

वो समझ गया की मैं क्या चाहती हूँ. उसने मेरी टाँगे और फैला दी और अपने मुह को मेरी फुद्दी के नजदीक रखते हुए लेट गया.फिर मेरी क्लिटोरिस पर किस किया. फिर उसने उसे अपनी ऊँगली से पकड़ कर ऊपर की और खींचा और जीभ से छुआ. उसकी जीभ का मेरी क्लिटोरिस पर एहसास मेरी फुद्दी को एकदम से गीला कर गया. और मेरे मुह से उह और आह ही निकल पा रही थी. और बार बार उसके इस क्रिया से मेरे को मिनट में ही ओर्गास्म हो गया. मेरी फुद्दी से रस बाहर की और बहने लगा था. मैं चिल्ला रही थी, 'आह ...रोहित..मेरा निकल गया..!'.. पर उसे बहुत अच्छा लग रहा था, उसने कहा की , वो मुझे एक बार और ओर्गास्म देना चाहता है.

और फिर दुसरे मिनट में फिर से एक और ओर्गास्म हो गया. मेरे को पसीना आ रहा था. और उसका लिंग उत्तेजना के मारे अब कांप रहा था और एक स्प्रिंग की तरह इधर उधर डोल रहा था. मैंने थोडी सांस ली और उसे सुझाव दिया, 'रोहित, मैं तुम्हारा लिंग चूसती हूँ और तुम मेरी फुद्दी..'

वो मेरे मुह पर अपना लिंग रखते हुए मेरी फुद्दी पर अपना मुह रख दिया. उसने अपनी उँगलियों से मेरी फुद्दी से बाल एक तरफ किये और मेरी फुद्दी की दरार पर अपनी जीभ से धक्के मारने लगा. उसने उसे चाटा, एक बार, दो बार, कई बार...और हर बार उसके चाटने का तरीका और बेह्तार होता जा रहा था. जहाँ तक मेरी बात थी, मैं नहाने से पहले लगभग रोजान हस्थ्मैठुं करती थी और कभी कभी सोते समय भी..पर यह पहली बार था की इस बार मेरी फुद्दी पर मेरे हाथ नहीं थे और मैं ओर्गास्म पर ओर्गास्म हासिल कर रही थी.

असर बड़ा ही जोरदार था, साथ ही बड़ा आनाद्दायक भी. मैंने भी उसके लिंग को अपने मुह में भर लिया था और वो एक तरह से मेरे मुह में अपने लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था. और लग रहा था की उसका जल्दी ही निकलने भी वाला था.

मैं रुक गयी..और बोली, 'रोहित ...बस अब मैं और नहीं रुक सकती..मैं बहुत हॉट हो चुकी हूँ..मेरी फुद्दी फड़क रही है..मेरे अन्दर डाल दो...मेरे साथ सेक्स करो..'

उसने अपनी पोजीशन चेंज करी और मेरी फुद्दी में अपने लिंग को डालने की कोशिश करने लगा. पहली बार जब उसने कोशिश की , मैं दर्द के मारे जोर से चीखी, ' ओह्ह मम्मी, बहुत लग रही है...(सच में...मम्मी याद आ गयी थीं.).. रुको...धीर धीरे.'

वो baar बार कोशिश करता रहा. हर बार वों जल्दबाजी में असफल हो जाता. वों भी धैर्य खो रहा था. और मैं जल्दी से उसके
लिंग को अपनी फुद्दी में डलवाना चाहती थी. उसने कहा, 'क्या मैं तुम्हारी हायीमन को अपनी ऊँगली से तोड़ दूँ?' और उसने अपनी बीच की ऊँगली मेरी फुद्दी के अन्दर डाल दी. और एक झटके के साथ उसने यह किया और बिजली की कड़क के साथ ही मैं दर्द से चिल्लाये..'उफ़ लग रही है..'. पर वों सिर्फ तीन चार सेकेंड का ही दर्द था. हायीमन टूट चुकी थी. उसने मेरी फुद्दी के लिप्स फैला दिया और ऊँगली से मेरी फुद्दी को चौदने लगा. चप चप की आवाज आ रही थी और मैं उसे 'चोदो मुझे' यही बोले जा रही थी.

एक आर्श्चय मुझे यह भी हो रहा रहा थी की आजतक मेने चौदो या चौदना वर्ड नहीं बोले थे पर उस समय मैं ऐसे बोल रही थी जैसे की बचपन से बोलती आयी हूँ.

उसकी ऊँगली के पहली बार मेरी योनी में जाने के कारण एक बार फिर मुझे ओर्गास्म हुआ. और अब वों समय था जबकि वों मुझे अपने लिंग से चौद सकता था.
मेने उससे तुंरत कहा, 'मेरा पर्स खोलो और कंडोम निकालो, मैं market से ले आयी थी. उसे पहनो और जल्दी से मेरे अन्दर डाल दो. मैं उसे महसूस करना चाहती हूँ'.

वों जल्दबाजी में कंडोम पहन ही नहीं पा रहा था सो मेने उसके लिंग को पकडा और उस पर कंडोम भी चदा दिया. और उसके बाद एक बार फिर उसके लिंग को हाथ में लेकर हिलाने लगी. वों मेरे ऊपर आ गया. और लिंग अन्दर डालने के लिए तयार हो गया. वों बोला, 'जब भी में अन्दर की और धक्का दूँ , तुम अपनी कमर उठाकर ऊपर की और धक्का देना...ठीक है..?'

मैंने हाँ में सर हिला दिया. और एक जोर के झटके के साथ उसका लिंग मेरी फुद्दी में अन्दर गया और मेरी योनी के अन्दर अपना एहसास देने लगा. वों अपने लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था. उसके हाथ मेरे स्तनों से खेल रहे थे. मेरे मुह से उफ़, आह और ओउच ही निकल रहा था. उसका लिंग काफी बड़ा लग रहा था. वों बड़ी जोर से अपने लिंग को अन्दर की ओर धकेलता था और जल्दी से वापस बाहर को ओर खींच लेता था. बहुत अच्छा लग रहा था उस समय. दर्द काफी कम हो चूका था. जब जब उसका लिंग मेरी योनी से पूरा बाहर आता था तो वों मेरे योनी रस से भीगा होता था और वापस अन्दर घुसते समय पप की आवाज से वों अन्दर जाता था और मेरे मुह से आह निकल जाती. उसने अपनी स्पीड और बड़ा दी और मैं सेहन न कर पायी और एक जोरदार ओर्गास्म हुआ. लहर पर लहर आती रही और लग रहा था की मेरी शुशु निकल रही है.. और जब मेने अपना ओर्गास्म रिलीज किया तो मेरी जांघें तक गीली हो गयी थी. वों भी स्खलित हो गया था. और आयी लव यू बोले जा रहा था. जब सब शांत हुआ तो मेरी टांगों ने उसके हिप्स को जकडा हुआ था और उसका लिंग मेरी योनी में घूंट से पी रहा था, शायद वों अभी भी वीर्य उगल रहा था.

वों धीरे से मेरे ऊपर से हटा और मेरे बगल में लेट गया
उसने पुछा, 'कैसा लगा?'

'बहुत अच्छा...मैं बहुत खुश हूँ.' मेने जवाब में कहा. हमने एक दुसरे को फिरसे किस किया और फिर मैं उठकर बैठी, उसके कंडोम को हटाने लगी. और उसको दिखया की कंडोम का अगला सिरा पूरा उसके वीर्य से भरा हुआ था. वों वास्तव में बहुत ज्यादा मात्रा थी. एकदम गाडा और सफ़ेद वीर्य. मैं मान गयी की वों व्वास्तव में हस्तमैथुन नहीं करता था.

दस मिनट बाद ही में उसके लंड से फिर से खेल रही थी. मैं उसके लंड की खाल को पीछे की ओर ले जाती और फिर उसके लिंग को हाथ में लेकर बोली, 'अभी तो एक दो बार और कर सकता है..यह बड़ा ताकतवर लगता है...ही ही..'

हम दोनों ही अभी पूरे संतुष्ट नहीं थे. अभी एक बार और कर सकते थे. उसका लंड भी धीरे धीर विकराल रूप में लौटने लगा था. मैंने एक और कंडोम निकाला और उसके उत्तेजित लंड पर चडा दिया. और उसको पलंग पर लिटा कर मैं उसके लंड पर बैठने लगी. उसका लंड मेरी छूट में सीधा जा रहा था. मैंने उसे मेरे स्तनों से खेलने को कहा. फिर मेने अपने आप को उसके लंड पर ऊपर नीचे करना शुरू किया. ऐसा मेने कुछ ब्लू फिल्म में देखा था. उसने पहला सेक्स बड़ी जल्दबाजी में किया था, वों भी मेरे में जल्दी से अन्दर डालना चाहता था और में भी जल्दी से ओर्गास्म पाना चाहती थी. पर अभी हम धीरे धीरे करने की कोशिश कर रहे थे. धीरे धीरे में उसके सात इंच लम्बे लंड को अन्दर ले जा रही थी. एक केले की तरह वों पूरा मेरे अन्दर जाता था और फिर में उसे वापस बाहर निकाल देती थी. पर उसे धीरे में शायद मजा नहीं आ रहा था सो उसने मुझे पकडा और अपना लंड ऊपर की और किया और मुझे उसने नीचे की और खींचा , और फिर वों शुरू हो गया.,

लगभग दस मिनट लगे जब मुझे लगा की मेरी योनी फिर से एक ओर्गास्म के लिए तयार हो रही है. और जैसे ही मेरा ओर्गास्म हुआ में उसके ऊपर निढाल सी होकर गिर पड़ी. मैं पसीने में पूरी भीग रही थी. हम दोनों ऐसे ही दस मिनट तक पड़े रहे. उसका लंड मेरी योनी में ही पड़ा हुआ था. 'तुमने अच्छी तरह से सेक्स किया न?' मैंने उससे पुछा
'अभी कहाँ..अभी तो शुरुआत है...', मेने उसका कंडोम उतारा और उसके वीर्य को देखते हुए कहा,'अरे अबकी बार कम निकला है.'

और जैसे समय बीता, मेने उसे नहाने के लिए बोला , वैसे भी मम्मी भी आने वाली थी. तो अच्छा यही था की हम लोग कपडे पहन लें. और मैं उठकर जैसे ही चलने लगी उसने मेरी कलाई पकड़ ली, उसने कहा, 'सुनो, जूही...एक बार और करते हैं...प्लीज.'

'नहीं रोहित...अब नहीं...मेरी चूत बहुत गीली हो गयी है.'

वों बैठा और बोला, 'ठीक है...रहने दो..जाओ.' मैं कमरे में इधर उधर नंगी ही घूम घूम कर वों सारे सुराग मिटा रही थी जो हामरे इस क्रिया कलाप की गवाही दे सकते थे. मैंने देखा की उसका लंड फिर से खडा हो रहा रहा था.

वों एकदम से उठा और मुझे पीछे से पकड़ लिए और बोला, 'चलो कुर्सी पर आओ.' मेने विरोध किया पर वों मुझे कुर्सी तक ले गया. उसने मुझे कुर्सी पर बैठा दिया और मेरे सामने झुक कर बोला, ' जूही, अपनी टाँगे कुर्सी के हंडल पर रख दो में तुम्हे अब ऐसे चौदना चाहता हूँ'. मैंने उसे समझाने की कोशिश की . कि 'मेरी चूत बहुत संवेदनशील है और आराम चाहती है.' पर वों सुनने के मूड में नहीं था. उसने तुंरत कहा, 'तुम मुझे करने डौगी या मैं और कुछ करूँ?'
वों कुर्सी के पीछे कि ओर आया और बोला, 'अपने आप को शीशे में देखो, में तुम्हे चोदुंगा तो तुम वहां देखना..' और इसी के साथ उसने मेरी चूत पर ऊँगली लगनी शुरू करदी और मेरे चूत के लिप्स खोलने बंद करने लगा. उसने एक और कंडोम निकाला और अपने लंड पर चडा कर अपने लंड का टॉप मेरे योनी पर लगाया और हल्का सा धक्का दिया और वों फिर से अन्दर था. मेरी चूत वास्तव में बहुत गीली थी. मेरे विरोध के वावजूद मेरी योनी उसके लंड को चाहती थी. वों उसे पूरा एक बार में ही निगल गयी. और लंड के अन्दर जाते ही उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया.लंड धीरे से अन्दर जाता और बड़ी जल्दी से वों उसे वापस बाहर खींच लेता. तीन चार बार उसने ऐसे ही धक्के लगाये. और जब उसने स्पीड बदानी शुरू कि तो मुझे लगने लगा कि जल्दी ही मैं निकल पडूँगी. इस बार उसने बड़े ही धीरे धीरे किया और करीब आधे घंटे तक धक्के लगते रहे. और फिर कुछ सेकंड्स के इधर उधर में हम दोनों साथ ही ओर्गास्म पर पहुँच गए.

उसने अपना लंड निकला, और कंडोम हटा दिया. अबकी बार तो और भी कम वीर्य निकला था. उसने थोडा सा वीर्य लिया और मेरी एक निप्पल पर भी मला. फिर हम नहा धोकर तयार हो गए. वों बोला, ' अब हम दोनों ने बेहद नजदीकी रिश्ता बना लिया है और अब हम कभी भी सेक्स कर सकते हैं.'

'हाँ..अब जब भी तुम्हारी छुट्टियां हों, तुम आ जाना, हम सेक्स करेंगे. इस यादगार दिन के लिए तुम चाहो तो मेरी चूत से एक बाल ले सकते हो और में तुम्हारे यूज किये कंडोम में से एक कंडोम रहूंगी. जब भी मुझे तुम्हारी याद आएगी में इसे देख लुंगी.'

अगली सुबह हम लोग वापस घर के लिए निकल पड़े. वों जयपुर पहुँच कर रेलवे स्टशन से ही पिलानी के लिए निकल गया. वों जाते जाते भी कह गया, 'मैं न कभी हस्तमैथुन करता था और न कभी करूँगा....करूँगा तो सिर्फ और सिर्फ ..तुम्हारे साथ सेक्स...'




















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