Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-5

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-5

उसको रेलवे स्टेशन छोड़कर हम लोग घर के लिए निकल लिए.. कई घंटे की यात्रा के बाद हम अपने घर भी पहुंचे. घर पहुँचते ही सबसे पहले में टॉयलेट में भागी. मुझे बहुत जोर से टॉयलेट लगा था. अपने को राहत देने के बाद जब में पानी से धो रही थी तो मेरी उंगलियाँ मेरी पूसी की दरार पर से गुजरी तो मेने महसूस किया की उसके साथ सेक्स करने के कारण दरार थोडी सी फैल गयी है, इतना पहले नहीं थी. और जब मेने पूसी के अन्दर ऊँगली डाली जहाँ अब हाईमन नहीं थी, वो भी पहले से फैली हुयी महसूस हुयी. में अपने पर हंसने लगी की तीन बार सेक्स करने के बाद पूसी की दरार खुल सी गयी है और पूसी का छेद भी इतना है अब की आसानी से उसमे उसका लिंग जा सकेगा, बार बार, हर बार....
मेने अपने कॉलेज में अपनी कुछ सहेलियों के साथ रोहित के साथ बिताये कुछ पलों का जिक्र भी किया. वो बोली, 'बहुत बढ़िया, तुम्हारी छुट्टियाँ तो बड़ी ही मजेदार निकली, एक ही रात में तीन बार....वाह..और वो भी अपने कजिन भाई से...!'. में अब सबसे ज्यादा अनुभवी लड़की हो गयी थी क्लास की. कुछ ने पुछा की लिंग का स्वाद कैसा लगता है? क्या वो इतना बड़ा होता है की पूसी में आसानी से नहीं जा पाता? क्या दर्द होता है? कैसा लगता है जब लिंग अन्दर बाहर हो रहा होता है? वीर्य अन्दर निकाला या बाहर? और पता नहीं क्या क्या....

अब जो भी लडकियां, पहले अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ घूमती फिरती थी , जबकि में अकेली होती थी और वो लोग मेरा मजाक उडाती थीं, जो अपने बॉय फ्रिएंड्स को किस दे देती थी या लेती थी, और उन्हें बूब्स छूने देती थीं, या फिर सिनेमा हॉल या रेस्टोरेंट के अँधेरे कोने में उन्हें अपनी पूसी तक का एहसास कराती थी, सभी आज मेरे सामने मेरे अनुभव पूछना चाह रही थी.

दीपा , जो की सबसे ज्यादा फेमस थी की उनसे अपनी पैंटी के अन्दर तक अपने बॉय फ्रेंड का हाथ डलवा लिया था, वो भी आज मेरे आगे बौनी नजर आ रही थी और में एक रानी की तरह उन सबसे घिरी हुयी थी.
मेरी इस नयी उपलब्धी के कारण एक तो मेरा कद मेरी सहेलियों में बढ़ गया था और साथ साथ मेरे शरीर में भी कुछ बदलाव मेने महसूस किये. मेरे स्तन पहले से ज्यादा बड़े लग रहे थे और कामुक हो गए थे. मेरे हिप्स भी पहले से सुडोल लग रहे थे. मुझे लगा रहा था की में जैसे इल्ली से तितली बन चुकी हूँ. मेरे चेहरे पर सेक्स के बाद बड़ी हुयी सुन्दरता दिखने लगी थी. आँखों की पलकें भारी भारी रहती थीं, क्योंकि पिछले कई दिनों से हम लोग रात रात भर जागे थे. शरीर पर बड़े हुए स्तन और भरे हुए हिप्स अलग ही नजर आने लगे थे.

कुल मिलकर मैं पहले से ज्यादा सेक्सी लगने लगी थी और ऐसा ही और लड़कियों ने भी कहा.

रोहित के पिलानी लौटने के बाद कुछ दिनों तक कोई बातचीत नहीं हुयी. पर करीब दस दिन के बाद, उसकी पहली ईमेल आयी.

'डिअर जूही,

गोवा की छुटीयों में अपने साथ ले चलने के लिए थैंक्स. मेने कई बार वहां जाने का सोचा था पर कभी जा नहीं पाया. मुझे मालूम है की तुम मुझसे नाराज होगी क्यूंकि मेने इतने दिन न तो कोई बात की और न ही कोई फ़ोन किया. आयी ऍम सॉरी फॉर डेट. मैं पदाई में थोडा बिजी था और सोचता रहता था की कैसे हम लोगों ने आपस में प्यार किया, बार बार किया....और तुमने मुझे एक अविश्वसनीय ख़ुशी दी. में सपने में तुम्हे दो बार बिस्तर पर आहें भरते देखा, तुम्हारा चेहरा ख़ुशी और उत्तेजना से भरा हुआ था जब की तुम मेरे साथ लय मिला रही थी और ओर्गास्म पर पहुंची.

पर सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात जो मुझे लग रही है वो यह है की, हम दोनों ने भाई बहिन होने के वाबजूद आपस में सेक्स किया और हम दोनों ही यह बात जानते हैं की हमारा समाज इसे मान्यता नहीं देता और इसे गलत मानता है.

मेने तुम्हारी पूसी को चखा है और मेरा लिंग तुम्हारी योनी में जा चुका है, जैसे की एक शेर को आदमी के मांस को चखने की आदत पड़ जाती है. जो चरम सुख मिला वो बहुत ज्यादा था, पर मेरा मुह अभी भी और चाहता है. मेरा लिंग भी...वो व्याकुल है और ज्यादा के लिए. क्या अब हमें सेक्स नहीं करना चाहिए?

क्या यह वास्तव में सही है? क्या हमें अपना यह रिश्ता जारी रखना चाहिए? सोचो. हो सकता है एक लड़की होने के नाते तुम्हारा फैसला ज्यादा मायने रखता हो. क्योंकि वो तुम्ही होगी जिसे यह सीमा पार करने के बारें पक्का सोचना होगा.

मैं तुम्हे जब तक प्यार नहीं करूँगा चाहे तुम कुछ भी यतन करो, जब तक की मैं तुम्हे वास्तव में प्यार करने के लिए न सोचूं. में तुम्हे प्यार करता हूँ और इतना की मैं अपने आप को तुम्हारे से प्यार करने से रोक सकता हूँ.

तुमसे जवाब की उम्मीद है,

ढेर सारा प्यार और किस , सभी जगह....

रोहित.'

मैंने अपना समय लिया और फिर जवाब दिया

'रोहित,

तुम्हारा ईमेल मेरे लिए कोई अलग बात नहीं था, तुम वास्तव में एक जेंटल मेन हो. मुझे यह पसंद आया. और मैं तुम्हे इस बात का विश्वास दिलाना चाहती हूँ कि मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है. मैं नहीं जानती कि क्या होगा जब मम्मी को पता लगेगा? और मुझे यह भी परवाह नहीं कि भारत का कानून क्या कहता है हम कजिन के रिश्ते पर. न ही मुझे कोई अपराधबोध है उस पर जो हमने किया. और आगे बदने के लिए तयार हूँ, चाहे कुछ भी हो.

वास्तव में बार बार नहीं कह सकती , जोकि मैं कहना चाहती हूँ, कि मैं सचमुच में तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ.

और शेर को और कुछ खाने कि क्या जरुरत है जब उसे इंसान का मांस खाने को मिले. और वो भी बिना किसी रोकटोक के...??

इसलिए अब जल्दी ही घर आने का प्रोग्राम बनाना.में तुम्हारे साथ समय बिताना चाहती हूँ चाहे कुछ भी हो....

मुझे भी सपने आये , उसके बारे में जो हमने गोवा में किया..तुमने भी मुझे बहुत ख़ुशी और आनंद दिया.

अच्छी तरह पडो और काम करो...और जल्दी ही जवाब देना..

पर मेरे से मिलने का प्रोग्राम टालना नहीं..मैं तुम्हारे लिए हमेश मौजूद हूँ और कोई भी नहीं मेरे सिवा...मैं अपने आप पूरी तरह से तुम्हे सौंपती हूँ , आनंद के साथ और आनंद के लिए. यह तुम्हे पता होना चाहिए..कि मैं तुम्हे प्यार करती हूँ.

प्यार और किस,

जूही'

धीरे धीरे महीने बीतने लगे, तो उसकी ईमेल अधिकतर आ ही जाती थी. पर कुछ दिनों बाद उसकी ईमेल में उस अपराधबोध के बारे में जिक्र होना बंद हो गया जो कि वो पहले अपनी कजिन बहिन के साथ सेक्स करने पर महसूस करता था. पर उसे एक बात अभी भी परेशान करने लगी थी. उसने लिखा, 'मैं तुम्हे सपने में देखता हूँ, पूरी नंगी मेरी बाहों में. और मेरा लिंग खडा हो जाता है. मैं देखता हूँ कि मैं तुम्हारे ऊपर हूँ और हम दोनों प्यार कर रहे हैं. और जब मैं सचमुच ऐसा महसूस करना शुरू करता हूँ तो मेरी नींद खुल जाती है. मेरी समस्या यह है कि मैं हस्तमैथुन करता नहीं हूँ और न ही करना चाहता हूँ, क्योंकि मेरा मानना यह है कि मेरा सारा वीर्य सिर्फ तुम्हारे लिए है और तुम्हे ही मिलना चाहिए. अब तुम ही बताओ, मैं क्या करूँ?'

मैंने उसे जबाव दिया, 'डार्लिंग, मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम मेरे बारे में सोचते हुए हस्तमैथुन करो..! अगर तुम मुझे समय भी बता दो जबकि तुम करोगे, तो मैं अपने कपडे उतारकर, पैरों को फैलाकर, सोचूंगी कि तुम मेरे ऊपर चड़े हो और जोरों से धक्के लगा रहे हो, एक के बाद एक और फिर हम दोनों एक साथ ओर्गास्म पर पहुँच जायेंगे. अपने लिए इसे मुश्किल मत बनाओ. मैं वादा करती हूँ कि अगली बार जब तुम घर आओगे तो मैं सारा हिसाब चुका दूंगी. मैं तुम्हे इतनी बार प्यार करुँगी जितनी भी बार तुम चाहोगे. मैं तुम्हारी उत्तेजना और इच्छा को शांत करने के लिए कुछ भी करने के लिए तयार हूँगी.

बस मेरी बाहों में आ जाओ..प्यार और किस..

जूही'
सर्दियां आ गईं....उसकी ईमेल आयी...' क्रिसमस कि छुट्टियां आ रही है मुझे चार दिन कि छुट्टी मिल रही है. बजाय मम्मी पापा के पास जाने के मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूँ. और मैं सोच रहा हूँ कि शायद तुम हम दोनों को अकेले में मिलने के लिए कुछ कर सकती हूँ...कुछ सोचो...!! कुछ ऐसा रास्ता सोचो जिससे कि हम अकेले में मिल सकें और जो चाहे और जब चाहे कर सकें. हो सकता है कि मैं तुम्हे पूरे वक़्त नंगा ही देखना चाहूं...क्या तुम कुछ कर सकती हो ऐसा?'

मैंने उसे जवाब दिया , 'डार्लिंग, मैं कोई ऐसा रास्ता निकालने की पूरी कोशिश करुँगी जिससे की कुछ समय के लिए हम लोग पुरुष और स्त्री की तरह समय बिता सकें. कब तक ? यह नहीं पता....जैसे ही रास्ता खोज लूँगी तुम्हे बता दूंगी. जब तक के लिए तुम्हे यह बताना चाहती हूँ की तुम मेरे दिल में बसे हो..जब भी मैं आँखें बंद करती हूँ तुम्हे अपनी बाहों में महसूस करने लगती हूँ. मैं तुम्हारी मांसल बाहों को मुझे थामे हुए, मुझे चूमते हुए और मेरे नंगे बदन को सहलाते हुए पाती हूँ. मैं तुम्हारी व्याकुलता समझ सकती हूँ.. मैं तुम्हे मिस करती हूँ....हम जल्दी ही मिलेंगे. जब तक तुम पढाई पर ध्यान देना..जूही'

मैं समझ चुकी थी की रोहित एक प्यारा इंसान है. वो मेरी जरूरतों को समझता है और मुझे अनचाहे गर्भ से भी बचाना चाहता है. वो एक अच्छे व्यवहार के लिए बिलकुल उपयुक्त है. वो यह सब पूरे आराम के साथ कर सके और वो भी बिना कंडोम के इसका मुझे ख्याल रखना था.....क्यूंकि यह तो तय है की बिना कंडोम के जो मजा होगा वो कंडोम के साथ नहीं हो पायेगा
जैसे जैसे दिन गुजरते गए, मेरा दिमाग इस पर काम करने लगा की कैसे रोहित और मैं एक साथ कम से कम चोबीस घंटे तो साथ रह पाएं, बिना इस फ़िक्र के कि मम्मी को पता लगे. अगर ऐसा हो सका तो हम लोग बिना परेशानी कि पूरी तरह से एन्जॉय कर सकते थे. और मैं अपना सबसे पंसदीदा सपना पूरा कर सकती थी.

और आखिर मैं मैंने एक ऐसा रास्ता निकाल लिया जिससे कि मम्मी को पता भी न लगे और न ही उन्हें हमारी असली गतिविधियों के बारे में पता लगे.
मेरी एक सहेली, नेहा, जिसकी एक बार मैंने मदद की थी, उसने शहर की आवासीय योजना में एक फ्लैट ले लिया था किराये पर और वही रहती थी. वहां पिछली बार की तरह मकान मालिक का कोई चक्कर नहीं था. एक रूम का फ्लैट था और वो भी सर्दियों की छुट्टियों में अपने मम्मी पापा के पास एक हफ्ते की लिए जा रही थी. मैंने उससे पूछा की क्या मैं उसके फ्लैट पर अपने भाई के साथ दो दिन और दो रात के लिए रूक सकती हूँ? वो मेरी जरूरतों को समझ चुकी थी और मान भी गयी.

प्लान बन चुका था पर मेने रोहित को नहीं बताया, क्योंकि उसकी पडाई डिस्टर्ब हो सकती थी. मैंने उसे सिर्फ इतना बता दिया की वो जब भी आये, मम्मी और पापा को मत बताना और चुपचाप आ जाना. चार दिन पहले मेने उसे ईमेल करके यह बता दिया कि उसे नेहा के फ्लैट पर पहुंचना है. जहाँ उसे मैं मिलूंगी और उसी के बाद वो हमारे घर जाएगा. मैंने उसे पूरा प्लान इसलिए भी नहीं बताया कि अगर कोई गड़बड़ होती है प्लान मैं तो उसका मूड अपसेट भी हो सकता था.

उसके बाद मैंने मम्मी को बताया कि मैं तीन दिन के लिए नेहा के साथ बिताना चाह रही हूँ. और उनको चिंता न हो तो मैं उन्हें रोजाना एक बार कॉल भी किया करुँगी.

वो मान गयी और मेने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया. एक छोटे से कैरी बैग में मैंने अपना सामान रखा और कार से नेहा के फ्लैट ले लिए निकल पड़ी. मैं करीब सुबह के ११ बजे नेहा के फ्लैट पर पहुँच गयी. ड्राईवर मुझे छोड़ कर चला गया. जीने में नेहा मुझे मिली, और बोली, 'हे भगवान्....जूही...तू वास्तव में बहुत भूंखी लग रही है, लगता है रोहित कि खैर नहीं अब....'

मेने उसे जवाब दिया, 'क्यों जब तुम्हे हुड़क लगी थी सेक्स की तो मेरे घर पर आना पड़ा था न....बस इसी तरह इस बार मेरी बारी है...'

उसने तुंरत जवाब दिया,' जो भी था, पर मैं अपने भाई से तो सेक्स नहीं करा. था तो वो मेरा बॉय फ्रेंड..!' मुझे गुस्सा तो आया पर अगर गुस्सा करती तो सब प्लान बिगड़ सकता था. अगर प्लान की चिंता नहीं होती तो मैं नेहा में एक जमा जरूर देती.

पर जो भी मैं कह सकती थी वो मेने कहा, 'ठीक है ...वो मेरा भाई है...पर रियल तो नहीं है न...! वो बड़ा है....और सेक्स में भी अच्छा है...अगर तुम मेरे से सही से बात करोगी न तो शायद मैं उससे तुम्हारे साथ भी एक मौका दे दूं, तब तुम्हे पता लगेगा की सेक्स होता क्या है , और यह जो बॉय फ्रेंड के साथ करती हो न वो गुड्डे गुडियों के खेल लगेगा उसके आगे.'

नेहा ने तुंरत नरम तेवर में जवाब दिया, 'नहीं..थैंक्स...मुझे मेरी पूसी के लिए तुम्हारी मदद नहीं चाहिए अभी..!! अभी मुझे निकलना है नहीं तो मेरी ट्रेन निकल जायेगी.'

और वो १२ बजे तक स्टशन के लिए निकल गयी.
रोहित की ट्रेन तीन बजे आने वाली थी. और लगभग 45 मिनट में वो ऑटो से यहाँ तक पहुँच सकता था. और 15 मिनट उसे फ्लैट ढूँढने में लग जाते तो इसका मतलब वो करीब 4:30 तक ही आ पायेगा, यह सोचकर मुझे गुस्सा आ रहा था की कितना कीमती वक़्त तो ऐसे ही बेकार निकल जाएगा.

और जैसे की हर भारतीय प्रेमी घडी को देखते हुए अपने साथी का इन्तजार करता है मैं भी करने लगी, कि कब दरवाजे कि बेल बजेगी? घर से आते समय मेने fried rice और एक बड़ी botal cold drink की भी ले ली थी. मैंने अपना लंच किया और थोडी देर सोने का सोचा. जिससे की रात में देर तक जग सकू.

मेने रूम को देखा, एक कमरा था. दो खिड़कियाँ थी, एक सिंगल बेड था. एक छोटी सी रसोई और बाथरूम भी था. एक छोटी सी मेज और कुर्सी रखी थी. एक छोटी सी बालकनी भी थी जो सड़क की और खुलती थी. मेने बेड पर चादर बदल दी, और एक नींद लेने की कोशिश करने लगी. कुछ कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगता की मेने दरवाजे पर बेल सुनी है. चार बजे मैं उठ गयी और और बालों को काड़ने लगी और rohit की इच्छा के अनुसार एक साडी निकाल कर पहनना शुरू कर दिया. वो मुझे साडी में देखना चाहता था.
थोडा सा परफ्यूम लगाया और होंठों पर लिपस्टिक. कुर्सी को मेने बालकोनी में खींचा और रोहित की झलक का इन्तजार करने लगी की शायद वो फ्लैट ढूँढता ही मुझे दिख जाए. 4:15 पर वो मुझे दिखा, लम्बा, एक कोट और स्वेटर पहने हुए, और वो पड़ोसियों से फ्लैट के बारे में पूछ रहा था. मैं आशा करने लगी की शायद वो ऊपर देखे, और उसने देखा और मुझे इशारा किया. मेने भी उसे इशारा करके ऊपर आने को कहा.

मैं फटाफट टॉयलेट में घुसी और बड़ी देर से लग रही शुशु को आने दिया, उसके बाद मेने अपने को शीशे में देखा और बेल बज गयी. मेरी धड़कन मनो रुक सी गए...यह सचमुच होने जा रहा था....!

मैंने दरवाजे को खोल दिया. वो रोहित था ....मेरे सामने....!!
उसने चारो तरफ देखा और बोला ,'मुझे यहाँ क्यों आना पड़ा? मेरा मतलब यहाँ क्यों बुलाया?'

'तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?' मैंने पुछा.

'क्योंकि तुम एक पागल लड़की हो पता नहीं तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है?', उसने जवाब दिया और पुछा, 'और वो तुम्हारी फ्रेंड नेहा कहाँ हैं जो यहाँ रहती हैं?'

'क्यों...? तुम्हे उसका क्या करना है ?', मैंने पुछा, 'क्या उसे भी हमारे प्रोग्राम में शामिल करना था क्या?'

'प्रोग्राम..? कौनसा प्रोग्राम...!?', उसने पुछा. मैं शर्मा गयी. उसने तो अभी सोचा भी नहीं होगा की मैंने इस मुलाकात को पूरे दो दिन के लिए बना कर रखा था. मैंने उसे बोला की, 'जरा बैठो और फिर मैं बताती हूँ की क्या प्लान है?'

उसने अपना एक छोटा सा बैग पलंग पर रखा.और ऐसे बैठ गया जैसे कि अभी नेहा कहीं से आकर टपक जायेगी.

मैंने उसे कहा, 'ज़स्ट रिलेक्स ! कोई नहीं आने वाला है. वो अपने घर चली गयी है कुछ दिनों के लिए. मैंने मम्मी से परमिशन ले ली है कि मैं यहाँ नेहा के पास दो दिन रहूंगी. इसलिए हम लोग यहाँ बिलकुल अकेले हैं. मैंने यह सब इसलिए किया है क्योंकि मैं चाहती थी कि हम लोग किसी भी तरह से परेशान न हो.'
उसने सब कुछ सुना और तपाक से अगला सवाल ठोक दिया, 'हम लोग तुम्हारे घर कैसे लौटेंगे?'

मैं बोली, 'मैंने वो भी सोच लिया है, तुम तीसरे दिन लंच के बाद मेरे घर के लिए निकलोगे और मेरे घर पहुँच जाओगे. मैं वहां नहीं होउंगी. तुम मेरे लिए पूछोगे. मम्मी मुझे बुलाने के लिए सोचेंगी और ड्राईवर को यहाँ भेज देंगी. मैं कार से घर लौट आउंगी. और इस सारी कहानी में उन्हें यह नहीं पता लगेगा की हम लोग साथ ही थे.'

वो बोला,' बिलकुल सही, अच्छा है..!! तुम्हारे साथ रहने वाले को होशियार रहना पड़ेगा भाई, तुम तो मर्डर करने की हिम्मत भी रखती हो. और तो और कोई पता भी नहीं लगा सकता कि तुम किस्से मिलीं?'

मैं उठी और बालकोनी में चली गयी और पुछा, 'क्या बालकोनी का दरवाजा बंद कर दूं? और यह खिड़कियाँ ?'

रोहित उठा और बोला, 'नहीं, बस इधर आ जाओ..'

मैं वापस लौटी और अपनी जगह पर आकर बैठ गयी.उसने मेरी कलाई पकड़ ली और मुझे अपनी गोद में बैठा लिया. मैं बोली,'अरे दरवाजे और खिड़कियाँ खुली हैं और कोई देख लेगा..!'

'मुझे परवाह नहीं', वो बोला.

उसने मेरे माथे पर एक किस किया और बोला, 'क्यों न मैं थोडा नहा लूँ और तारो ताजा हो जाऊं?'

मैं कहा ठीक है. वो उठा और दरवाजे और खिड़कियाँ बंद कर दी. बैग खोला और एक ट्रैक सुइट, व्हाइट शर्ट, अंडरवियर और टॉवेल निकाल लिया. वो टॉयलेट की और बड़ा, और उसमे झाँक कर बोला, 'मेरे हॉस्टल का टॉयलेट यहाँ से थोडा साफ़ रहता है.' उसने फिर शेविंग की और फिर दरवाजा फेर कर बाल्टी में पानी भरने लगा. बाल्टी भर जाने के बाद उसने दरवाजा बंद कर लिया.

इतने महीनो के बाद मेरे से अकेले में मिलने के बाद भी उसकी सेक्सुअल इच्छा दिखाई नहीं दे रही थी और वो शर्मा भी रहा था, जिसे देख कर मुझे पागलपन चढ़ रहा था.
कुछ देर में वो टॉवेल लपेटे हुए बाथरूम के बाहर आया, 'यार बाथरूम थोडा छोटा था सो मैं वहां कपडे नहीं पहन पाया.' मैं हाँ मैं हाँ मिलाई और उसने मुझे भी नहाने के लिए बोला. मैं अपने कपडे निकलने के लिए अपना बैग देखने लगी. उसने कहा, 'क्या तुम्हारे पास स्कर्ट है?' मैंने उसे बैग से तुंरत एक स्कर्ट निकाल कर उसे दिखाई और उसने सहमति जतादी.

मैंने उसकी मेचिंग की ब्रा , टॉप और पैंटी भी निकाल ली और बाथरूम में जाने की लिए तय्यार हो गयी. जब तक मैं जा रही थी तब तक रोहित ट्रैक सुइट पहन चुका था.

जैसे ही मैं जाने को हुयी, उसने पुछा, 'तुम्हे कितना समय लगेगा?'

'लगभग आधा घंटा , कपडे पहनने का समय भी मिलाकर.', मैंने कहा.

'तो ठीक है, फिर मैं क्यूँ न बाहर जाकर रात के खाने के लिए कुछ ले कर आता हूँ ? और कुछ और जरूरी सामान जो हमें चाहिए होगा....और मैं तुम्हे लाक कर जाता हूँ. जिससे की जब भी लौटूं तो बिना तुम्हे परेशान करे दरवाजा खोल लूँ.'

मैं मान गयी.

वो बाहर निकाल गया और दरवाजा बाहर से बंद कर गया.

जब मैंने अपना नहाना समाप्त किया और कपडे पहन कर तैयार होने लगी. मैं जब कंघे से बाल काड़ रही थी तभी दरवाजा खुलने की की आवाज आई. वो अन्दर आया और उसके हाथ में तीन पैकेट लटक रहे थे.

एक पैकेट में बिरयानी थी, कुछ स्नेक फ़ूड के पैकेट थे, दो कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, एक ब्रेड का पैकेट बटर के पैकेट के साथ. मैंने नहीं पुछा कि बाकी के दो पैकेट में क्या है?

हम लोग बैठ गए और प्लेट में बिरयानी निकाल कर खाना शुरू कर दिया. खाने के बाद वो चेयर पर बैठ गया और मैं पलंग के एक किनारे पर अपनी पीन्थ के पीछे तकिया लगा कर बैठ गयी. बातें करते करते उसने मेरी टाँगे अपनी जाँघों पर रख ली और उनके साथ खेलने लगा.

उसके हाथ मेरे घुटनों तक जाते और फिर नीचे पिंडलियों पर, इस तरह वो उनसे खेल रहा था. मैं समझ गयी कि वो अपने हिसाब से ही आगे बढेगा. और जोर जबरदस्ती से उसे आगे बदने के लिए उकसाना कोई जरूरी नहीं था. और तो और मैं भी यही चाहती थी कि हम लोग अपना काम जभी शुरू करें जबकि हम दोनों ही इसके लिए पूरी तरह से तैयार हों. वो कुछ देर तक मेरी टांगों कि मसाज़ करता रहा.

नौ बजे करीब, वो उठा और कमरे की लाईट बंद करके नाईट लैंप जला दी. फिर मेरे और उसके कॉलेज की बातें चलती रही...बड़ा अजीब सा लग रहा थी कि कैसे शुरुआत करें? कहाँ तो रोजाना सपने में क्या क्या देख रहे थे और अब पांच छ घंटे बाद तक भी कुछ नहीं हुआ था. बातों ही बातों में वो बोला ,"नेहा , तुम मेरी बहिन हो, और मैं तुम्हारा भाई हूँ. तुम्हे नहीं लगता कि जो रिश्ता हम बना रहे हैं या आगे बढ रहे हैं वो गलत है? कम से कम इंडिया में!"

मैंने कुछ देर सोचते हुए बोला, "मुझे नहीं पता रोहित कि इस रिश्ते कि बारें में क्या सोचूं या क्या गलत है? मैं सिर्फ इतना जानती हूँ कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ."

"मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, पर हम कभी शादी भी नहीं कर पायेंगे, ये तुम्हे नहीं पता?", वो बोला.

"हाँ पता है, कि यह एक दिक्कत है पर इसका भी कोई न कोई हल निकाल लूंगी..!", मैंने जवाब दिया.

उसने मेरे चेहरे की तरफ देखा और बोला, "जूही, पता है तुम बहुत सुन्दर हो."

"तुम ऐसा सोचते हो?"

"हाँ, बिलकुल! यह सच है.", और ऐसा कहते हुए उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रख दिया.


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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