Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-6

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-6



और फिर मुझे अपनी तरफ खींचते हुए कहा, "मैं तुम्हे किस करना चाहता हूँ."

और उसने कई बार मेरे माथे पर , होंठों पर और गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया. मैंने भी उसे किस करना शुरू कर दिया. किस करते हुए उसका बांया हाथ मेरे टॉप पर आ गया और उसके अन्दर जाने का रास्ता बनाने लगा. मैंने उसे अपना टॉप उतार कर मौका दिया. उसके हाथ मेरी ब्रा के हूक पर आ गए और उन्हें खोलने को कोशिश करने लगा. जब वो नहीं खोल पाया तो बोला, 'इसे उतार दो न.!".

मैं तुंरत उठी और अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और साथ ही उसे भी उसकी शर्ट उतारने को कहा. उसने भी अपनी शर्ट उतार कर एक और फ़ेंक दी. मैं उसकी बाहों में दुबारा चली गयी. मेरे पहुँचते ही, उसने मेरे स्तनों पर से मेरी ब्रा को हटा दिया और बोला, "मैं तुम्हारे दोनों स्तनों को एक एक करके चूमना चाहता हूँ, और निप्पलस को चूसना चाहता हूँ, जबतक की इनमे से दूध न निकाल आये..!"

मैं हंस पड़ी और अब वो मुझे मेरे चेहरे से लेकर मेरी नाभि तक किस किये जा रहा था. उसने मेरे स्तनों को चाटना शुरू कर दिया और मेरे निप्पलस भी एक एक करके चूसने लगा.

और जल्दी ही मुझे अनुभव होने लगा की मेरी पूसी में योनी रस भर गया था और गीलापन महसूस होने लगा था. मैंने उसे कहा, "क्यूँ न लेट जायें ?'

वो उठा और प्लास्टिक का दूसरा बैग उठाकर लाया, और उसमे से गुलाब के फूल और उसकी पंखुडियां पूरे बिस्तर पर फैला दिन.

हाउ रोमांटिक ही वाज ?

और उसके बाद उसने तीसरे प्लास्टिक बैग में से उसने कंडोम के पैकेट निकाल कर कुर्सी पर रख दिया और बोला, "जूही मेरा ट्रैक सुइट उतार दो."
मेरा दिल यह सुनते ही उछल पड़ा. मैंने बिलकुल भी वक़्त जाया नहीं किया. मैंने उसका पायजामा नीचे की और खींच दिया और उसके बाद उसका अंडरवियर भी. उसका उत्तेजित लिंग एकदम से बाहर की और निकाल पड़ा, वो बिलकुल सीधा, सख्त, और लाल हो रखा था. हलकी हलकी कंपकंपाहट भी दे रहा था.

मैंने उसके मोटे लिंग को देखते हुए सोचा कि अब तो यह पहले से भी ज्यादा बड़ा और कामुक लग रहा है. में उसे अपनी हथेलियों में लेने को बड़ी तो वो कंपकंपा रहा था , लगा जैसे मेरे अन्दर आने के लिए बड़ा आतुर हो. तभी उसने मुझे रोक दिया, और बोला,"इसे मत छुओ, मैं बहुत उत्तेजित हूँ. मेरा बाहर ही निकल जाएगा अगर तुमने इसे छुआ. मैंने तुम्हारे अन्दर ही निकालना चाहता हूँ."

इसके बाद हम दोनों बेड पर आ गए, वो बोला, "चलो जूही, अब मैं तुम्हे पूरा नंगा देखना चाहता हूँ."

मैंने उससे बोला,"रोहित मेरे साथ लेट जाओ न..!"

वो मेरे साथ बिस्तर पर बैठा और अपने आप को नीचे की और झुकाते हुए मेरे चेहरे पर चूमने लगा जबकि उसके हाथ मेरे स्तनों का मर्दन करने लगे. वो बोला, "जूही, समझ लो की आज हमारी सुहागरात है, इसलिए ही यह गुलाब के फूल मैं लाया था."

"पर मुझे शर्म आ रही है , यह नाईट लैंप बुझा दो न रोहित" मैंने उससे कहा

"नहीं, तुम्हे देखना चाहिए न की मैं कैसे तुम्हारे साथ सेक्स करता हूँ!' उसने जवाब दिया.

मैंने शर्म से आँखे बंद करली तो वो वोला, "अगर तुम आँखें बंद कर लोगी तो फिर तुम्हे कैसे पता लगेगा की क्या क्या हो रहा है?"

और उसके बाद उसने मेरे पेट पर किस किया और मेरी नाभि में अपनी ऊँगली डाल कर हिलाने लगा. मुझे बड़ी सेक्सुअल सी अनुभूति होने लगी. मैंने उसे मन करते हुए कहा, "प्लीज रोहित, मत करो...न."

पर वो तीन चार बार ऐसा ही करता रहा और बोला,"मैं तुम्हारी स्कर्ट उतार रहा हूँ"

और उसने स्कर्ट का साइड हूक खोला और जिप को नीचे खींच दिया. मेरी कमर अब फ्री महसूस कर रही थी.

उसके बाद उसने धीरे से मेरी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला और मेरी गीली पैंटी पर हाथ फेरने लगा. मैंने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश भी की, नहीं तो मैं जल्दी ही स्खलित हो जाती. उसने मेरे दोनों हाथ पकडे और मेरे सर के नीचे रखवा कर बोला, "अपने हाथ यहाँ रखो."

"चलो अपने हिप्स थोडा ऊपर उठाओ, मुझे तुम्हारी स्कर्ट उतारनी है." उसने मुझे बोला.

मैंने अपने हिप्स ऊपर की ओर उठा दिए. और उसने मेरी स्कर्ट को नीचे की ओर खिसका दिया और पैरों में से निकाल कर अलग फ़ेंक दी.

अब सिर्फ मैं अपनी गीली पैंटी में थी.

उसने मेरी जाँघों पर अपनी हथेलियाँ फेरी ओर उसकी उंगलियाँ मेरी पूसी फोल्ड के ऊपर आकर ठहर गयीं. "चलो अब यह पैंटी भी उतार देता हूँ", कहते हुए उसने पैंटी को दोनों तरफ से पकडा और नीचे खींच दिया. मेरे हिप्स अपने आप ऊपर की ओर उठे और पैंटी को नीचे की ओर उतर जाने दिया. उसने मेरी पैंटी को पैरों में से निकाल कर अलग कर दिया.

मैंने शर्म से अपनी दोनों हथेलियों से अपनी पूसी को ढक लिया. फिर उसने एक गुलाब का फूल लिया और मेरी पूसी की दरार पर उसे फेरना शुरू कर दिया. वहां पर उगे बालों (झांटें) में से फेरते हुए वो मेरी दरार पर ऊपर से नीचे फूल को ले जाता. और धीरे से बोला, "थोडा अपने पैरों को खोलो."

पर मैंने ऐसा नहीं किया तो उसने मेरे घुटने पकडे और मेरे दांये पैर को साइड में खिसका दिया जिससे कि वो फूल को थोडा अन्दर डाल सके. और जब जब फूल मेरी क्लिटोरिस को छूता मेरी आह निकल जाती. मेरे से रहा नहीं गया और मैं थोडा पीछे की ओर होकर थोडा सा बैठ सा गयी और पाँव और फैला लिए और उसके चेहरे को मेरे जाँघों के बीच करने की कोशिश की.

उसने मेरे पूसी एरिया पर किस करना शुरू कर दिया. तब मेरे से नहीं रहा गया और मैं बोल पड़ी, "रोहित, इसे खोलो और चाटो." उसने अपने दोनों हाथों से मेरी दरार को खोला और एक बार जीभ से मेरी पूसी स्लिट को चाटा. एक बिजली का सा झटका मेरी पूरी बॉडी में दौड़ गया.

और वो बोला,"जूही अब मैं नहीं रुक सकता, मुझे जल्दी से स्खलित होना है."

मैंने अपने हाथ नीचे को लाई और उसके उत्तेजना से भरे सात इंच के मोटे लिंग को अपने हाथ में लिया. उसके लिंग के टॉप की आगे की खाल को ऊपर नीचे करते हुए उसके लिंग को हिलाना शुरू कर दिया. और चार पांच बार ही मैं कर पायी थी की उसका लिंग एकदम से कडा सा हुआ और आवेग के साथ एक के बाद एक फ़व्वारे छूट पड़े. पहला फवारा सीधा मेरे चेहरे पर जाकर लगा. मुझे बहुत ही सेक्सी फील हुआ उस समय. और उसके बाद काफी सारा मेरे पेट पर गिर गया.

वो बोला, "सॉरी जूही, मैं बहुत उत्तेजित था और काफी दिनों से तुम्हारे हाथों का स्पर्श भी नहीं मिला था, सो मैं रोक नहीं पाया और मेरा निकल गया."

"डार्लिंग, कोई बात नहीं, कुछ गलत नहीं हुआ. मैं समझती हूँ. अब अगली बार तुम मेरे साथ काफी देर तक सेक्स कर पाओगे." मैंने उसे जवाब दिया.

मेने उसके लिंग को सहलाया और उसे अपने ऊपर खींच लिया,मेरे पेट पर फैला उसका वीर्य मेरे और उकसे पेट पर फैलता चला गया.

कुछ देर बाद वो साइड में लेट गया और थका सा था.. मैंने उसे कहा, "लाओ रोहित , मैं उसे चूसती हूँ." और ऐसा कहते हुए, मेने अपना मुह उसके लिंग पर रखा और उसे मुह में लेकर ऊपर नीचे करने लगी, चाटने लगी, चूसने लगी... उसका लिंग अभी भी वीर्य से गीला था, जिसका नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में आ रहा था.

जैसे ही मैंने उसका लिंग चूसना शुरू किया, वो फिर से खडा होना शुरू हो गया. मुझे पता था कि इस बार उसे हाथ से नहीं निकलवाना पड़ेगा. और सेक्स से पहले के स्खलन के अपराधबोध से वो निकल जाएगा. और जैसे ही उसका लिंग फिर से अपने पूरे तनाव में आ गया में उसे देख कर सोचने लगी कि यही है वो लिंग जो अब मेरे अन्दर जाएगा.
उसने अपनी स्थिति बदली और मेरे स्तनों को मसलने लगा और फिर मेरी पूसी फोल्ड्स को खोल कर बोला, "अरे जूही, तुम्हरी पूसी तो बिलकुल गीली हो गयी है और बह रही है." वो उठा और कंडोम के पैकेट को खोलकर उसमे से एक कंडोम निकलने लगा. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, "अब तुम मेरे साथ बिना कंडोम के सहवास कर सकते हो!'

"नहीं, तुम प्रेग्नेंट हो जाओगी पागल!", वो विरोध कि मुद्रा में बोला.

"नहीं ... ऐसा कुछ नहीं होगा. मैंने पिल्स खानी शुरू कर दी हैं."

ऐसा सुनकर उसे पता लग गया कि मैं कितनी उत्तेजित थी उसके साथ सेक्स करने के लिए. वो आया और मेरे ऊपर चड़ने लगा और मैंने अपनी टाँगे फैला दी. अपने एक हाथ से अपनी पूसी लिप्स को खोला और फिर दुसरे हाथ से उसके लिंग को अपनी पूसी की और ले गयी. उसको कोई आमंत्रण नहीं चाहिए था. उसने अपने लिंग को नीचे की और धकेला, मैंने उसके लिंग के मुह को अपनी पूसी के छेद पर रखा और बोली, "एक जोर का धक्का दो और अन्दर तक दाल दो रोहित...प्लीज."

वो मिसनरी पोजीशन में मेरे ऊपर आ गया था और वो एक झटका उसके लिंग को मेरी पूसी की गहराईयों में ले गया. पहली बार मेरे मुह से निकला, "फक मी रोहित. प्लीज "
उसने अपने लिंग को लगातार मेरी पूसी में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं इतनी देर से उत्तेजना में थी, इतने दिनों बाद उसे फिर से नंगा देखा था, उसके उत्तेजित लिंग को छुआ, चाटा और चूसा था की मैं पूसी बहुत ही संवेदनशील हो चुकी थी और
वो एक बार स्खलित हो चूका था पर मैं नहीं, सो मैं उसके लिंग के जल्दी जल्दी अन्दर बाहर होने को सेहन नहीं कर पाई और ओर्गास्म पर पहुँच गयी....मेरी पूसी पानी छोड़ने लगी, जबी वो जोर जोर से धक्के लगा रहा था, मैं चिल्लाने लगी, "रुको...रुक जाओ रोहित....आयी ऍम कमिंग....डार्लिंग...स्टाप..डोंट फक्क मी...स्टाप प्लीज."

पर वो नहीं रुका और एक मशीन की तरह चालू रहा और मेरी पूसी यह सब झेल नहीं पाए और मुझे फिर से एक और छोटा सा ओर्गास्म हो गया....मेरी पूसी में से पानी ऐसे बह रहा था कि जैसे झरना बहने लगता है.

मैं सिर्फ उससे रेकुएस्ट ही कर सकती थी..."प्लीज रोहित रुक जाओ...मेरी पूसी अब नहीं सह पाएगी...!"

करीब तीन मिनट बाद उसका वीर्य फिर से निकल गया. उसका सर ऊपर कि और उठ गया जिस समय वो अपने वीर्य कि धार मेरी योनी के अन्दर छोडे जा रहा था. उसके वीर्य की गरम गरम धार मैं अपने अन्दर महसूस कर पा रही थी. और उसका मुह बुदबुदा रहा था, "ओह.. जूही...उफ़. जूही.."

जल्दी ही वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गया. और हम लोग सहवास के बाद के सुख को महसूस करने लगे. उसने मुझे मेरे चेहरे पर किस किया और मैंने भी बदले मैं उसे किस किया. हम लोग ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे कि एक युगल जोड़ा प्यार मैं डूबने पर करता है.

उसका ढीला ढाला लिंग अभी भी मेरी योनी के अन्दर था, और मेरी टाँगे उसकी कमर पर लिपटी हुयी थीं.
कुछ देर बाद उसने अपने धड को ऊपर की और उठाया, और मैंने अपनी जांघों की पकड़ को ढीला किया और उसके लिंग को बाहर आने दिया. और जैसे ही उसके लिंग का मुंड मेरी संवेदनशील पूसी के बाहर आया, मेरे मुह से 'आह' निकल पड़ी. वो साइड में लुड़क गया और अपनी छाती पर मेरा सर रख लिया और बोला, "यह तो बहुत अच्छा था."

'बिना कंडोम के तुम्हे अच्छा ही लगना था..कंडोम के साथ ऐसा मजा नहीं आता." मैंने उसे कहा. और थैंक्स कहने के अंदाज में उसे फिर से किस कर दिया.

"जूही, मैं तुम्हारे साथ और सहवास करना चाहता हूँ", वो बोला.

"मैं पूरी तुम्हारी हूँ. मेरे साथ जब सहवास करना चाहो तुम कर सकते हो.", मैंने उसे जवाब दिया.

और फिर पता नहीं कब हम लोग सो गए एक दुसरे की बाहों में.
मैं सुबह के चार बजे उठी जब वो मेरी पलकों पर किस कर रहा था. मैंने उससे पुछा, "क्या हुआ, कुछ चाहिए मेरे रोहित को?"

"हाँ, मैं सेक्स करना चाहता हूँ...एक बार फिरसे...!!", वो बोला. मैंने कोई जवाब नहीं दिया पर उसका साथ देने लगी. जब वो मुझे उत्तेजित करने के लिए मेरे स्तनों और मेरी पूसी को दबाने लगा तो मेरे हाथ उसके लिंग से टकराए और मेने महसूस किया की वो एकदम सख्त और लम्बा हो चूका था.

जब मैं हॉट हो गयी तो उसने मुझे उठने का इशारा करते हुए कहा की, "मैं डौगी स्टाइल चाहता हूँ".

पर पलंग शायद इतना मजबूत नहीं था इसलिए उसने जमीन पर एक तकिया रखा और मुझे डौगी की तरह होने को कहा मेरे हाथों और पांवों के सहारे. और फिर मेरे पीछे की ओर आ गया. उसका कठोर लिंग मेरे हिप्स के बीच टकरा रहा था और उसने बाएँ हाथ से मेरे स्तनों को मसलना शुरू कर दिया और दायें हाथ से मेरी कमर की तरफ से मेरी पूसी की दरार तक पहुँच गया. अपनी ऊँगली से उसने मेरी पूसी लिप्स को खोला और धीरे से अपने लिंग के टिप को मेरी खुली हुयी पूसी पर रखा और एक धक्का दे दिया.

उसका मोटा और सख्त लिंग तपाक से अन्दर चला गया.
उसके लिंग का प्रवेश इतना तगड़ा था कि मैंने अपना मुह तकिये में छिपा लिया और मेरे हिप्स ऊपर हवा में ऊँचे रह गए. मेरे मुह से 'उह माँ ...' की आवाज आ रही थी. सबसे पहले तो उसने धीरे धीरे और लम्बे धक्के लगाये, और फिर जैसे ही वो उत्तेजना में आया तो ऐसे जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा जैसे कि कुत्ते अपनी कुत्तिया के साथ करते हैं.

मेरे मुह से सिर्फ आवाजे ही निकल पा रही थी. और मैं उसे मेरी क्लिटोरिस को पिंच करने के लिए उकसा भी रही थी. और वो पीछे से मेरे स्तनों को भी दबा रहा था और मेरी क्लिटोरिस को भी उमेठ रहा था. और क्लिटोरिस पर ऐसे करने के साथ मैं ओर्गास्म कि ओर बाद चली और मेरी योनी अन्दर से संकुचन देने लगी और हम दोनो लगभग साथ ही स्खलित हो गए.

उसके बाद हम दोनो फर्श पर लेट गए. उसका लिंग मेरी योनी में अभी भी पड़ा था.

दस मिनट बाद हम दोनो अलग हो गए, उसने मुझे उठाया और पलंग पर बिठा दिया, और मेरे साथ ही लेट गया. और बोला, "मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना अच्छा लगता है जूही...सच में."

उसके बाद हम दोनो एक दुसरे को किस करते हुए फिर से लेट गए.
जब मैं सोकर उठी तो सूरज कि किरणे आसमान में छा चुकी थी और मैं अपने भाई रोहित कि बाहों में लेती हुयी थी. वो शांति से सो रहा था. हम दोनो बिलकुल नंगे थे उस समय. मैं रात को बिताये पल याद करने लगी. रोहित ने मेरी पूसी में घुसने से पहले ही अपना वीर्य निकलवा लिया. उसके बाद एक जोरदार सहवास का चरण आया. पहले पलंग पर मिशनरी पोजीशन में और फिर एक नींद के बाद, फर्श पर डौगी स्टाइल में.

सब कुछ एक वासना से भरा हुआ था.

मैं सोचने पर मजबूर थी कि मेरी पूसी कि हालत अन्दर से कैसी हो गयी होगी इतने सारे सेक्स राउंड होने के बाद? मुझे उठकर बाथरूम जाना था सो मैंने अंगडाई ली और रोहित तुंरत उठ गया. उठते ही वो बोला, "तुम क्या जल्दी ही उठ गयी थीं?"

"हाँ, मुझे बहुत जोर से शु शु आ रही है...!", मैं उठी और पोट पर बैठ गयी, और कुछ ही पल में जैसे ही शु शु कि धार शुरू हुयी मुझे सुबह कि वो मोर्निंग आफ्टर प्लेज़र मिल गयी. मैं कंपकंपाते हुए सोचने लगी कि 'काश, यह एहसास हर बार शु शु करते समय होता...!"

शु शु करने के बाद मैं रोहित के पास वापस आयी
मैं पलंग पर जाकर बैठ गयी, उसके बगल में. उसने धीरे से मेरी कलाई पकड़ी और पुछा ,"आशा करता हूँ कि मैंने रात को तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं किया होगा? तुम्हे लगी तो नहीं "

"न", मैंने जवाब दिया.

"जरा देखने तो दो..", और उसने अपनी हथेली मेरे लिप्स से होते हुए मेरे स्तनों पर से मेरे निप्पलस पर होते हुए मेरे पेट पर से ले जाते हुए मेरे जाँघों के बीच तक ले गया. और मेरी बालों से घिरी पूसी पर हाथ फेरता हुआ बोला, "आज इसके सारे बाल साफ़ कर डालना "

"धत् !", कहके मैं हंसने लगी. पर वो मेरे बालों में ऊँगली डाल कर मेरी पूसी एरिया को महसूस करता रहा. उसके बाद उसने मेरी बगल के बाल भी देखे, जोकि ज्यादा तो नहीं थे पर हलके हलके थे....तो वो बोला, 'लगता है मुझे ही सारे बाल साफ़ करने पड़ेंगे."

उसने मुझे अपनी और खींचा और मेरे मुह पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया. और मेरी पीन्थ पर हाथ फेरता हुआ बोला, "यू रीअली फक वैरी वेल!"

मेने भी अपनी उंगलियाँ उसके आधे खड़े लिंग की और बड़ा दी , और जैसे ही मेरी ऊँगली उसके लिंग तक पहुंची मेने उसके लिंग को अपनी हथेलियों में लपेटकर लिंग की त्वचा को आगे और पीछे करना शुरू कर दिया जैसे की हस्तमैथुन करते समय किया जाता है.
फिर मैं नीचे झुकी और उसके लिंग के मुंड को किस करा और उसे हलके से चाटना शुरू कर दिया और इसी को करते करते मैं उत्तेजना से भरने लगी. वो पूछने लगा ,"क्या हुआ जूही ? क्या अभी सेक्स करोगी ?"

"नहीं नहीं...मैं तो बस किस कर रही थी..", मैंने शरमाते हुए जवाब दिया.

में उसके लिंग के नीचे उसके testis को अपने हथेलियों में भरा और पुछा, "तुम्हारा वीर्य यहीं बनता है न? मुझे तुम्हारे यह थैले जैसी चीज अच्छी लगती है...जब तुम मुझे फक कर रहे होते हो तो ये मेरी पूसी पर टकराते हैं ".

और फिर काफी देर तक हम लोग एक दुसरे की बाहों में छुपते, दुबकते रहे. हम लोग उस बंद कमरे में पूरी तरह से नग्न होकर पूर्णतया से स्वछंद सेक्स का मजा ले रहे थे.

रोहित ने घडी की और देखा, करीब दस बज रहे थे. वो धीरे से बोला, "जूही, चलो अब मुझे हाथ मुह धोकर तैयार होने दो और तुम भी हाथ मुह धो लो और फिर कुछ खा भी लें."

रोहित बाथरूम में अन्दर गया, उसने दरवाजा फेरा हुआ था, वो टॉयलेट कर रहा था. मैं उसके लिंग में से निकलती धार देख पा रही थी जो कमोड के पानी में गिर कर आवाज कर रहा था. फिर मैं अन्दर घुसी और ब्रश करने लगी. वो पहले मेरे पीछे आकर खडा हो गया और शीशे में मुझे देखने लगा. फिर धीरे से उसने मेरे दोनों स्तनों को अपनी दोनों हथेलियों में भर लिया और मेरी गर्दन पर किस करके बोला, "तुम्हारे ये दो गोल गोल बूब्स मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मैं इन्हें सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ."

जल्दी ही हमने कुल्ला करके मुह धोने का काम ख़तम किया. और बाहर आ गए और मेने उसे सुझाव दिया, "रोहित, क्यूँ न कमरे में थोडा हवा आने दें, इसलिए कपडे पहन लेना चाहिए. क्यूँ न तुम मेरी साड़ी को ही लुंगी की तरह लपेट को और मेरे पास एक और साड़ी है जिसे मैं भी लपेट लेती हूँ"

'क्यूँ ? साड़ी क्यूँ ?", उसने आश्चर्य से पुछा.

"अरे, उसे खोलना आसान होगा न, और मेरा मन जब भी करेगा मैं तुम्हारा लिंग कभी भी पकड़ सकती हूँ", मैंने उसे जवाब दिया.

मैंने उसे साड़ी दी और उसने उसकी दो तह करी और उसे लपेट लिया. मेने भी एक साड़ी ली और लपेट लिया, फिर रोहित की एक टी शर्ट को पहनना शुरू कर दिया. तभी रोहित आगे बड़ा और मुझे टी शर्ट को नीचे करने से रोका और फिर मेरे बूब्स को किस किया और फिर टी शर्ट पहन ले के लिए कह दिया. फिर वो मेरे पीछे आ गया और मुझे अपनी बाहों में भर कर बोला, "मुझे एक बार फिर से तुम्हारी पूसी एरिया को फील करने दो न...!"

और उसके बाद उसने अपना हाथ नीचे की और किया और मेरी पूसी पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. और बोला, "जूही , मैं तुम्हारी पूसी को एक बार फिर से सहलाना चाहता हूँ"

और उसने मेरी साड़ी को कमर से खोल दिया और वो फर्श पर गिर पड़ी.और उसने मुझे कुर्सी पर बिठा दिया और मेरी टांगों को थोडा सा फैला दिया. और फिर कुछ बार उसने मेरे पूसी के बालों में से मेरी पूसी की दरार को सहलाया. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी, मुझे अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी.
उसने मुझे किस किया और बोला, "चलो ठीक है अब इस साड़ी को तुम लपेट सकती हो..."

और फिर हमने साथ साथ नाश्ता किया. फिर हमने रात की घटनाओं को आपस में जिक्र किया. वो बोला, "यार जूही, तुम इतनी कामुक होती जा रही हो की मैं अपने को रोक नहीं पाया और सबसे पहली बार में मेरे जल्दी ही निकल गया."

मैंने उसे फिर से विश्वास दिलाया ,"अरे, कुछ गलत सोचने की जरूरत नहीं है...ऐसा कुछ भी गलत नहीं हुआ..मेरी कई सहेलियां कहती हैं कि उनके बॉय फ्रेंड तो अंडरवियर में ही निकाल देता हैं अपना वीर्य इससे पहले कि कुछ हो....और तुमने तो दो बार मेरे को फक किया उसके बाद...वो भी पूरे जोश से..!"

बातचीत में ही वो बोला, "आज मैं तुम्हे नहलाऊंगा ! और वो भी एक बार नहीं दो दो बार....!"

मैंने कहा ,"ओके "

तो वो बोला, "चलो, फिर मैं तुम्हे नहलाता हूँ."

मैं कपडे निकालने के लिए बैग खोलने लगी तो वो बोला, "अरे, कपडे...!? क्या नहाने के बाद तुम्हे वास्तव में कपडों कि जरूरत पड़ेगी ?'"

और उसने मुझे पकडा और मेरी टी शर्ट एक झटके से उतार ली, फिर मेरी साड़ी को भी खोल दिया. मैं फिर से बिलकुल नंगी हो गयी.

उसने मेरी दायीं कलाई पकडी और मुझे बाथरूम में ले गया.

अन्दर पहुँचने के बाद उसने मेरे बालों में शैंपू लगाया और मेरी पूरे शरीर पर साबुन भी लगाया. वो भी विशेष रूप से मेरे स्तनों पर, उनको सहलाता, मेरी निप्पलस को उमेठता फिर साबुन धोने के लिए उस पर पानी उडेल दे देता.

उसके बाद मैंने भी उसी तरह उसे भी नहलाया. उसके लिंग की खाल को पीछे करके उस पर साबुन लगाया और उसे अच्छी तरह से साफ़ किया. पर सच में, ऐसा लग रहा था की कल रात के सेक्स के बाद से वो बहुत संवेदनशील हो गया था और वो पूरा मजा ले रहा था मेरी हथेलियों के स्पर्श का उसके लिंग के टॉप पर.


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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