FUN-MAZA-MASTI
नौकरी हो तो ऐसी--9
गतान्क से आगे......
मैं अपने कमरे से उठा, बाथरूम मे जाके फ्रेश हो गया और नीचे सेठ जी से मिलने के लिए चला गया, मुझे देख के सेठ जी ने नाश्ता लाने को बोला और
मुझे पूछा “हो गयी नींद..”
मैने हां कहा और उनके साथ बैठ गया.
उधर से चाय नाश्ता लेके आ गयी, लग ही नही रहा थी कि वो इस घर की नौकरानी है, उसकी चाल वो मदमस्त साड़ी मे लपेटा हुआ उसका बदन..बहू के बदन को टक्कर दे रहा था… उसकी माँग के सिंदूर का रंग देख के प्रतीत हो रहा था कि इसकी चूत का रंग भी ऐसे ही होगा, मेरे दिल मे बस अभी छाया का बदन बस गया था…
मैने नाश्ता किया और सेठ जी बोले कि आओ मैं तुम्हे अपने बेटो से मिलावाता हू फिर सेठ जी उधर से उठ कर चलाने लगे मैने भी उनके साथ चलने लगा… मैं एक बड़े से कमरे मे आ गया उनके साथ साथ उधर 4 लोग बैठे थे …. सबकी उम्र करीब 35 से 45 तक लग रही थी.
फिर सेठ जी मेरा परिचय कराते हुए बोले कि ये मेरे साथ शहर से आया है अपने दीवान जी की जगह जो कि अब नही रहे उनकी जगह ये आज से काम करेगा, सबने मुँह हिलाते हुए हाँ भर दी. फिर सेठ जी ने मुझे सब बेटो का परिचय देते हुए बोला ये मेरा बड़ा बेटा(राव साब), ये उससे छोटा(वकील बाबू), वो तीसरा ये(कॉंट्रॅक्टर बाबू) और वो जो कौने मे बैठा है वो सबसे छोटा(मास्टर जी)… हमारे साथ जो बहूरानी आई थी ट्रेन मे वो मेरे छोटे बेटे की की बीवी है.
मैने सबको नमस्कार किया और सेठ जी के सबसे बड़े बेटे ने जिसे सब लोग राव साब कहते थे, मुझे अपने पास आके बैठने को बोला
और पूछा “कहाँ तक पढ़ाई की है तुमने ”
मैने कहा “ग्रॅजुयेट हूँ”
राव साब बोले “अरे वाह अच्छी बात है नही तो हमारे दीवान जी ये सब नयी पद्धति का अकाउंट समझ नही पाते थे..अच्छा है अच्छा है”
फिर हम लोगो ने उधर ही बैठ के थोड़ी देर बातें की.. अब 8 बज चुके थे. बाहर अंधेरा हो चुका था. तभी सेठ जी ने बोला की हमे आरती के लिए गाव के बाहर लगभग 2 घंटे का सफ़र करके मंदिर जाना है जहाँ आज बहू आने की खुशी मे माताजी की पूजा रखी है.
मैने पूछा “सेठ जी अभी तो 8 बज चुके है और 2 घंटे का सफ़र मतलब 10 बज जाएँगे ”
तो सेठ जी बोले “हाँ पर पूजा का शुभ मुहूरत रात 11 बजे का है जो साल मे दो ही बार आता है तो हमे जाना ही पड़ेगा ”
हम लोग फिर सब उस बड़े कमरे से बाहर आ गये और खाना खाने के बाद सब लोग जैसे कि मुझे पता था सब लोग पूजा के लिए निकलने वाले थे
ठीक से लाइट नही होने के कारण किसी के चेहरे अच्छे से नही दिख रहे थे. फिर सब लोग 3 गाडियो मे बैठ गये. लग भग 8.30 बज चुके थे. मेरी गाड़ी मे ड्राइवर जो आगे बैठा जिसके साथ सेठ जी बैठे थे. मैं बीच मे राव साब, वकील बाबू और कॉंट्रॅक्टर बाबू के साथ बैठ गया और पीछे 2 बहू जिनको मैं देख नही पा रहा था और समझ नही पा रहा था कि कौन किसकी बीवी है वो और 2 नौकरानी के साथ बैठ गयी. आज चौथी गाड़ी मे खराबी होने के कारण 1 कार और 2 बड़ी गाडिया ही निकाली थी और सब लोग दबकर बैठे थे
सब गाड़िया निकल पड़ी और कच्चे रास्ते से पक्के रास्ते पे लग गयी…
गाड़ी की लाइट खराब होने के कारण किसिको कुछ नही दिख रहा था, कभी कभी 5 मिनट बाद कोई गाड़ी सामने से जाती तो थोड़ी लाइट आ जाती.. लगभग 15 मिनट के बाद हम ने देखा कि हमारे साथ जो कार थी वो रास्ते मे एक बाजू खड़ी है और देखा कि उसमे बैठे सब लोग बाहर खड़े हैं …हम उतर गये और देखा तो गाड़ी का टाइयर पंक्चर हो गया था
सेठ जी आगे जाके बोले “साले तुम लोग कभी नही सुधरोगे मैं 10-15 दिन शहर क्या चला गया तुम लोगो ने गाडियो की देख भाल करनी छोड़ दी”
इतना कह के सेठ जी ने बोला कि सब लोग बाकी बची 2 गाडियो मे अड्जस्ट हो जाओ फिर सेठानी सेठ जी की बगल मे हमारी गाड़ी मे बैठ गयी… और उनके साथ वाली बहुए दूसरी गाड़ी मे बैठ गयी अभी सिर्फ़ वकील बाबू की लड़की बची थी,
तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले “तुम हमारी गाड़ी मे आ जाओ”
और उसे हमारी गाड़ी मे ले लिए पीछे भी जगह नही थी और आगे पूजा का बहुत सारा समान था , सेठ जी सेठानी के बैठने के कारण उधर भी पॅक हो गया था.
फिर वकील बाबू बोले “आओ बेटी मेरे उपर बैठ जाओ”
वकील बाबू की लड़की उनकी गोद पे बैठ गयी. जो मेरे से दो सीट दूर बैठे थे. फिर गाड़ी चालू हुई और आगे का सफ़र कटने लगा
मुझे नींद नही आ रही थी लेकिन मैने आखे बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगा, थोड़ी देर होते ही मुझे थोड़ी हलचल सी लगने लगी, मैं क्या हो रहा है ये देखने की कोशिश करने लगा लेकिन जैसे कि पूरा अंधेरा था क्या हो रहा है समझ नही आ रहा था…मैने सोने का नाटक चालू ही रखा था तभी सामने से एक गाड़ी गयी और गाड़ी के अंदर थोड़ी सी रोशनी हुई तो मैने देखा कि, वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे सर्की हुई है और उसकी चुचिया पे राव साब के हाथ है, इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू का तंबू बना दिख रहा था और हलचल अभी ज़रा ज़्यादा तेज़ होते हुए दिखने लगी… मुझे अभी अंधेरे मे भी थोड़ा थोड़ा दिखने लगा था …राव साब के हाथ वकील बाबू की लड़की को दबा रहे थे और वकील बाबू नीचे से अपने लंड को कुछ कशमकश के साथ अड्जस्ट कर रहे थे जो कि हो नही रहा था ऐसे उनके चहरे से भाव दिख रहे थे, मैने गाड़ी के काँच पर अपना सर टिका दिया, थोड़ा सा आगे सरक गया और अपना सर आगे से नीचे करके ..और चुपके से एक आँख खोल के तिरछी नज़र से देखने लगा…..
वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे तक सरक गयी थी, और कॉंट्रॅक्टर बाबू अपने हाथ से अपने तंबू को रगड़ रहे थे. अचानक से आआआआआआअह……. की आवाज़ आई किसी ने ध्यान नही दिया, सबको लगा गाड़ी ने धक्का खा लिया इसलिए किसी के मुँह से निकली होगी परंतु वो आवाज़ वकील बाबू का लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर जाने के वजह से निकली थी… मुझे अभी थोड़ी थोड़ी बारीकी से आह… आह… की आवाज़ सुनाई देने लगी …. उधर रावसाब भी अपने तंबू को हिला रहे थे और वकील बाबू की बेटी की चुचियो को चुपके से सहला रहे थे.
तभी मैने देखा वकील बाबू ने ज़रा ज़ोर से धक्के मारना शुरू किया और अपनी बेटी को ज़ोर से उपर नीचे करने लगे. गाड़ी चले जा रही थी और वो अपनी बेटी को चोदे जा रहा था. ये देख के मैं बस पागल हो रहा था. मैने अपना एक हाथ आगे निकाल के सेठानी की चुचि को पकड़ लिया और मसलने लगा इससे सेठानी दंग रह गयी पर उसने मेरा हाथ हटाया नही बल्कि थोड़ा सा काँच की तरफ झुक के तिरछा हो गयी
इधर वकिलबाबू अपने धक्को मे बहुत ज़्यादा गति ला चुके थे जिसके कारण लड़की की बारीक आवाज़ आह …आह…. से उहह… उहह…मे बदल गयी वो बुरी तरह से दबी हुई थी और वकील बाबू फुल स्पीड मे अपना हथोडा उपर नीचे करके उसे नीचे की तरफ ज़ोर से दबा रहे थे. लड़की उपर उठने की कोशिश करती पर वकील बाबू उसे नीचे दबा देते. मुझे लग रहा था कि वकील बाबू का लंड उसके लिए ज़रा जायदा ही बड़ा था क्यू कि जैसे ही वो नीचे जाती वो उपर उठने की कोशिश करती, वकील बाबू फॅट से उसे नीचे दबा देते और उसके मुँह से उहह.. की आवाज़ निकल जाती … थोड़ी देर बाद उसने उठने की कोशिश की और इस बार रावसाब ने उसे नीचे दबा दिया, वो बरदाश्त करने की हालत मे नही थी …. और वकिलबाबू ने अपनी गति और ज़्यादा करदी और लड़की के मुँह से अभी उम्म्मह…. उंह की आवाज़े ज़्यादा ही निकलने लगी. इतने मे वकील बाबू शांत हो गये… लगता है उनकी शांति का कारण अपनी बेटी के चूत के अंदर अपन रस छोड़ना था… गाड़ी मे थोडिसी शांति होते दिखाई दी… तभी मैने देखा कि कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू के बेटी की चूत के छेद के अंदर उंगली डाल दी और अंदर तक घुसा दी और अपने मुँह से चाटने लागे. लड़की शांत हो गयी थी उसकी चूत से पानी टपक रहा था जो कि वकील बाबू का ही वीर्य था.
तभी मैने देखा तो दंग रह गया
रावसाब वकील बाबू की तरफ देखते हुए बोले “अरे तुम इस खिड़की पास आ जाओ ये काँच ठीक से लगने के कारण मुझे जोरोसे हवा लग रही है”
और फिर वकील बाबू काँच की तरफ सरक गये और रावसाब बीच मे, जैसे ही वकील बाबू की लड़की, वकील बाबू के साथ काँच की तरफ सरकने लगी, रावसाब ने उसकी कमर को पकड़ के अपनी गोद मे खीच लिया और बोले “अरे बेटी बैठो इधर मेरे गोद मे ही.. काँच के पास बहुत हवा आ रही है..”
वकील बाबू की लड़की ना चाहते हुए भी रावसाब की गोद मे बैठ गयी. वो बैठी ही थी कि मुझे पॅंट की चैन खोलने की हल्की सी आवाज़ आई. मैने थोड़ा मुँह नीचे करके देखा तो रावसाब अपना तगड़ा घोड़ा निकाल रखे थे और आक्रमण की तय्यारी मे थे, जब से मैने इन चारो भाइयो को देखा था तबसे मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी ये तीनो जो मेरे साथ बैठे वो काले और इतने तगड़े क्यू है और जो चार नंबर के है मास्टर जी वो गोरे और पतले क्यू है, ये बात मेरे समझ से इस वक़्त बाहर थी…
क्रमशः………………………………
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मैं अपने कमरे से उठा, बाथरूम मे जाके फ्रेश हो गया और नीचे सेठ जी से मिलने के लिए चला गया, मुझे देख के सेठ जी ने नाश्ता लाने को बोला और
मुझे पूछा “हो गयी नींद..”
मैने हां कहा और उनके साथ बैठ गया.
उधर से चाय नाश्ता लेके आ गयी, लग ही नही रहा थी कि वो इस घर की नौकरानी है, उसकी चाल वो मदमस्त साड़ी मे लपेटा हुआ उसका बदन..बहू के बदन को टक्कर दे रहा था… उसकी माँग के सिंदूर का रंग देख के प्रतीत हो रहा था कि इसकी चूत का रंग भी ऐसे ही होगा, मेरे दिल मे बस अभी छाया का बदन बस गया था…
मैने नाश्ता किया और सेठ जी बोले कि आओ मैं तुम्हे अपने बेटो से मिलावाता हू फिर सेठ जी उधर से उठ कर चलाने लगे मैने भी उनके साथ चलने लगा… मैं एक बड़े से कमरे मे आ गया उनके साथ साथ उधर 4 लोग बैठे थे …. सबकी उम्र करीब 35 से 45 तक लग रही थी.
फिर सेठ जी मेरा परिचय कराते हुए बोले कि ये मेरे साथ शहर से आया है अपने दीवान जी की जगह जो कि अब नही रहे उनकी जगह ये आज से काम करेगा, सबने मुँह हिलाते हुए हाँ भर दी. फिर सेठ जी ने मुझे सब बेटो का परिचय देते हुए बोला ये मेरा बड़ा बेटा(राव साब), ये उससे छोटा(वकील बाबू), वो तीसरा ये(कॉंट्रॅक्टर बाबू) और वो जो कौने मे बैठा है वो सबसे छोटा(मास्टर जी)… हमारे साथ जो बहूरानी आई थी ट्रेन मे वो मेरे छोटे बेटे की की बीवी है.
मैने सबको नमस्कार किया और सेठ जी के सबसे बड़े बेटे ने जिसे सब लोग राव साब कहते थे, मुझे अपने पास आके बैठने को बोला
और पूछा “कहाँ तक पढ़ाई की है तुमने ”
मैने कहा “ग्रॅजुयेट हूँ”
राव साब बोले “अरे वाह अच्छी बात है नही तो हमारे दीवान जी ये सब नयी पद्धति का अकाउंट समझ नही पाते थे..अच्छा है अच्छा है”
फिर हम लोगो ने उधर ही बैठ के थोड़ी देर बातें की.. अब 8 बज चुके थे. बाहर अंधेरा हो चुका था. तभी सेठ जी ने बोला की हमे आरती के लिए गाव के बाहर लगभग 2 घंटे का सफ़र करके मंदिर जाना है जहाँ आज बहू आने की खुशी मे माताजी की पूजा रखी है.
मैने पूछा “सेठ जी अभी तो 8 बज चुके है और 2 घंटे का सफ़र मतलब 10 बज जाएँगे ”
तो सेठ जी बोले “हाँ पर पूजा का शुभ मुहूरत रात 11 बजे का है जो साल मे दो ही बार आता है तो हमे जाना ही पड़ेगा ”
हम लोग फिर सब उस बड़े कमरे से बाहर आ गये और खाना खाने के बाद सब लोग जैसे कि मुझे पता था सब लोग पूजा के लिए निकलने वाले थे
ठीक से लाइट नही होने के कारण किसी के चेहरे अच्छे से नही दिख रहे थे. फिर सब लोग 3 गाडियो मे बैठ गये. लग भग 8.30 बज चुके थे. मेरी गाड़ी मे ड्राइवर जो आगे बैठा जिसके साथ सेठ जी बैठे थे. मैं बीच मे राव साब, वकील बाबू और कॉंट्रॅक्टर बाबू के साथ बैठ गया और पीछे 2 बहू जिनको मैं देख नही पा रहा था और समझ नही पा रहा था कि कौन किसकी बीवी है वो और 2 नौकरानी के साथ बैठ गयी. आज चौथी गाड़ी मे खराबी होने के कारण 1 कार और 2 बड़ी गाडिया ही निकाली थी और सब लोग दबकर बैठे थे
सब गाड़िया निकल पड़ी और कच्चे रास्ते से पक्के रास्ते पे लग गयी…
गाड़ी की लाइट खराब होने के कारण किसिको कुछ नही दिख रहा था, कभी कभी 5 मिनट बाद कोई गाड़ी सामने से जाती तो थोड़ी लाइट आ जाती.. लगभग 15 मिनट के बाद हम ने देखा कि हमारे साथ जो कार थी वो रास्ते मे एक बाजू खड़ी है और देखा कि उसमे बैठे सब लोग बाहर खड़े हैं …हम उतर गये और देखा तो गाड़ी का टाइयर पंक्चर हो गया था
सेठ जी आगे जाके बोले “साले तुम लोग कभी नही सुधरोगे मैं 10-15 दिन शहर क्या चला गया तुम लोगो ने गाडियो की देख भाल करनी छोड़ दी”
इतना कह के सेठ जी ने बोला कि सब लोग बाकी बची 2 गाडियो मे अड्जस्ट हो जाओ फिर सेठानी सेठ जी की बगल मे हमारी गाड़ी मे बैठ गयी… और उनके साथ वाली बहुए दूसरी गाड़ी मे बैठ गयी अभी सिर्फ़ वकील बाबू की लड़की बची थी,
तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले “तुम हमारी गाड़ी मे आ जाओ”
और उसे हमारी गाड़ी मे ले लिए पीछे भी जगह नही थी और आगे पूजा का बहुत सारा समान था , सेठ जी सेठानी के बैठने के कारण उधर भी पॅक हो गया था.
फिर वकील बाबू बोले “आओ बेटी मेरे उपर बैठ जाओ”
वकील बाबू की लड़की उनकी गोद पे बैठ गयी. जो मेरे से दो सीट दूर बैठे थे. फिर गाड़ी चालू हुई और आगे का सफ़र कटने लगा
मुझे नींद नही आ रही थी लेकिन मैने आखे बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगा, थोड़ी देर होते ही मुझे थोड़ी हलचल सी लगने लगी, मैं क्या हो रहा है ये देखने की कोशिश करने लगा लेकिन जैसे कि पूरा अंधेरा था क्या हो रहा है समझ नही आ रहा था…मैने सोने का नाटक चालू ही रखा था तभी सामने से एक गाड़ी गयी और गाड़ी के अंदर थोड़ी सी रोशनी हुई तो मैने देखा कि, वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे सर्की हुई है और उसकी चुचिया पे राव साब के हाथ है, इधर कॉंट्रॅक्टर बाबू का तंबू बना दिख रहा था और हलचल अभी ज़रा ज़्यादा तेज़ होते हुए दिखने लगी… मुझे अभी अंधेरे मे भी थोड़ा थोड़ा दिखने लगा था …राव साब के हाथ वकील बाबू की लड़की को दबा रहे थे और वकील बाबू नीचे से अपने लंड को कुछ कशमकश के साथ अड्जस्ट कर रहे थे जो कि हो नही रहा था ऐसे उनके चहरे से भाव दिख रहे थे, मैने गाड़ी के काँच पर अपना सर टिका दिया, थोड़ा सा आगे सरक गया और अपना सर आगे से नीचे करके ..और चुपके से एक आँख खोल के तिरछी नज़र से देखने लगा…..
वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे तक सरक गयी थी, और कॉंट्रॅक्टर बाबू अपने हाथ से अपने तंबू को रगड़ रहे थे. अचानक से आआआआआआअह……. की आवाज़ आई किसी ने ध्यान नही दिया, सबको लगा गाड़ी ने धक्का खा लिया इसलिए किसी के मुँह से निकली होगी परंतु वो आवाज़ वकील बाबू का लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर जाने के वजह से निकली थी… मुझे अभी थोड़ी थोड़ी बारीकी से आह… आह… की आवाज़ सुनाई देने लगी …. उधर रावसाब भी अपने तंबू को हिला रहे थे और वकील बाबू की बेटी की चुचियो को चुपके से सहला रहे थे.
तभी मैने देखा वकील बाबू ने ज़रा ज़ोर से धक्के मारना शुरू किया और अपनी बेटी को ज़ोर से उपर नीचे करने लगे. गाड़ी चले जा रही थी और वो अपनी बेटी को चोदे जा रहा था. ये देख के मैं बस पागल हो रहा था. मैने अपना एक हाथ आगे निकाल के सेठानी की चुचि को पकड़ लिया और मसलने लगा इससे सेठानी दंग रह गयी पर उसने मेरा हाथ हटाया नही बल्कि थोड़ा सा काँच की तरफ झुक के तिरछा हो गयी
इधर वकिलबाबू अपने धक्को मे बहुत ज़्यादा गति ला चुके थे जिसके कारण लड़की की बारीक आवाज़ आह …आह…. से उहह… उहह…मे बदल गयी वो बुरी तरह से दबी हुई थी और वकील बाबू फुल स्पीड मे अपना हथोडा उपर नीचे करके उसे नीचे की तरफ ज़ोर से दबा रहे थे. लड़की उपर उठने की कोशिश करती पर वकील बाबू उसे नीचे दबा देते. मुझे लग रहा था कि वकील बाबू का लंड उसके लिए ज़रा जायदा ही बड़ा था क्यू कि जैसे ही वो नीचे जाती वो उपर उठने की कोशिश करती, वकील बाबू फॅट से उसे नीचे दबा देते और उसके मुँह से उहह.. की आवाज़ निकल जाती … थोड़ी देर बाद उसने उठने की कोशिश की और इस बार रावसाब ने उसे नीचे दबा दिया, वो बरदाश्त करने की हालत मे नही थी …. और वकिलबाबू ने अपनी गति और ज़्यादा करदी और लड़की के मुँह से अभी उम्म्मह…. उंह की आवाज़े ज़्यादा ही निकलने लगी. इतने मे वकील बाबू शांत हो गये… लगता है उनकी शांति का कारण अपनी बेटी के चूत के अंदर अपन रस छोड़ना था… गाड़ी मे थोडिसी शांति होते दिखाई दी… तभी मैने देखा कि कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू के बेटी की चूत के छेद के अंदर उंगली डाल दी और अंदर तक घुसा दी और अपने मुँह से चाटने लागे. लड़की शांत हो गयी थी उसकी चूत से पानी टपक रहा था जो कि वकील बाबू का ही वीर्य था.
तभी मैने देखा तो दंग रह गया
रावसाब वकील बाबू की तरफ देखते हुए बोले “अरे तुम इस खिड़की पास आ जाओ ये काँच ठीक से लगने के कारण मुझे जोरोसे हवा लग रही है”
और फिर वकील बाबू काँच की तरफ सरक गये और रावसाब बीच मे, जैसे ही वकील बाबू की लड़की, वकील बाबू के साथ काँच की तरफ सरकने लगी, रावसाब ने उसकी कमर को पकड़ के अपनी गोद मे खीच लिया और बोले “अरे बेटी बैठो इधर मेरे गोद मे ही.. काँच के पास बहुत हवा आ रही है..”
वकील बाबू की लड़की ना चाहते हुए भी रावसाब की गोद मे बैठ गयी. वो बैठी ही थी कि मुझे पॅंट की चैन खोलने की हल्की सी आवाज़ आई. मैने थोड़ा मुँह नीचे करके देखा तो रावसाब अपना तगड़ा घोड़ा निकाल रखे थे और आक्रमण की तय्यारी मे थे, जब से मैने इन चारो भाइयो को देखा था तबसे मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी ये तीनो जो मेरे साथ बैठे वो काले और इतने तगड़े क्यू है और जो चार नंबर के है मास्टर जी वो गोरे और पतले क्यू है, ये बात मेरे समझ से इस वक़्त बाहर थी…
क्रमशः………………………………
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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