FUN-MAZA-MASTI
नौकरी हो तो ऐसी--15
गतान्क से आगे…………………………………….
हम लोगो का भोजन होने के बाद घर की सभी महिलाओ ने भोजन कर लिया और सब लोग अपने अपने कमरो की तरफ चल पड़े……
मैं अपने कमरे के तरफ जानेवाला था कि मुझे कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की मालंबंती ने पूछा “आप कौन है” मैं उसके सामने गया और बोला “मैं इस घर मे काम करता हू..”
मालंबंती की चुचिया छोटे छोटे सेब की तरह थी और उस टांग कमीज़ के अंदर से बाहर आने के लिए तरस रही थी..उसने कमीज़ के अंदर कोई अन्तवस्त्र नही पहना होने के कारण उसके छोटे छोटे अंगूर के जैसे चूचुक(निपल्स) का आकार मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर रहा था
मालंबंती ने पूछा “कैसा काम…”
मैं – “जो भी तुम कहो वो काम”
मालंबंती – आप सब काम करते हो क्या आपको कहानी सुनाना आता है”
मैं अर्श्चर्य मे पड़ गया इस उमर मे भला ये कहानी सुनने की बात क्यू कर रही है तभी वहाँ पे नलिनी और नसरीन (वकील बाबू की सबसे छोटी लड़की) चहल पहल करते हुए आ गयी. नसरीन एक दम मालंबंती के जैसी दिखती थी.. उसने भी तंग कमीज़ पहनी थी.. उस वजह से उसके चूचुक(निपल्स) भी नमस्ते कह रहे थे और हमारे लंड महाराज भड़क रहे थे… मेरी पॅंट को अगर कोई ठीक से देखता तो जान जाता कि मैं किस हाल से गुजर रहा था….
नसरीन बोली “अरे वाह आप हमे कहानी सूनाओगे.. आपको आती है कहानी..”
मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला- “हां आती है और मैं तुम्हे सबको कहानी सुनाउन्गा”… ज़रूर सुनाउन्गा और मैने उसके गाल पे हाथ पे रख के ईक चिमती काट ली…
नलिनी बोली- “चलो ना हमारे कमरे मे हमे कहानी सूनाओ ना…”
उतने मे उधर ताइजी अपनी सारी के पेड्र को ठीक करते हुए और अपने सुंदर पेट पर धकते हुए आई और बोली “लड़कियो तुम सब सो जाओ कल तुम्हे सुनाएँगे ये कहानी…”
सब लड़किया एक सूरमे बोली “नही अभी सुननी है कहानी ..”
ताइजी बोली “नही आज नही कल…सोने जाओ तुम लोग अभी ”
लड़किया ना चाहते हुए भी अपने अपने कमरे मे चली गयी… मैं उनके मस्त मस्त चूतड़ देखते रह गया… ये मेरे खड़े लंड पे वार था…
ताइजी मुझे देखकर बोली “तुम किधर सोवोगे”
मैं – वही जहाँ मैं दोपेहर मे सोया था
ताइजी – अरे नही वहाँ तुम नही सो सकते… उस कमरे मे मैने आज समान रखवाया है
मैं – तो फिर........कहाँ........
ताइजी – तो एक काम करो मेरे कमरे मे दो पलंग है.. तुम एक पे सो जाना
मेरे लंड ने ये सुनके फिरसे लार टपकानी शुरू करदी, फिर भी मैं बोला
मैं – पर….
ताइजी – अरे शरमाओ नही… आ जाओ
अब आदेश तो आदेश…वैसे भी अकेले सोने से अच्छा किसिके साथ सोना चाहिए चुदाई के ज़्यादा आसार रहते है... मैं ताइजी के पीछे उनके मुलायम सारी के अंदर के चूतादो का नाप लेते लेते उनके साथ पहला माला चढ़ने लगा, जैसे ही वो पैर उपर रखती चूतड़ मस्त सुर ताल ले मे हिलता और मज़ा आ जाता….
मैं – आपका कमरा कौन्से माले पे है
ताइजी – तीसरे माले पे
मैं – इतना उपर क्यू
ताइजी – मुझे पसंद है…. उपर शान्ती होती है और उपर से सब गाव भी दिखता है ठंडी हवा आती है इसलिए
हम एक बड़े कमरे मे पहुच गये…कमरे मे दो दीवान-पलंग, एक बड़ी मेज, 2-3 कुर्सियाँ, सजने सवरने के लिए एक बड़ा आयना बहुत कुछ था…. ताइजी ने दूसरे पलंग पर पड़ा हुआ बिस्तर थोड़ा ठीक ठाक किया मैं वही खड़ा उनके दूध को और चूचुक(निपल) की मस्ती को देख रहा था… वो चादर डाल रही थी… इससे उनकी चोलिसे उनके मुलायम दूध बाहर आनेकी नाकाम कोशिश कर रहे थे… वो पीछे पीछे आ रही थी… अचानक उनकी बड़ी गांद मेरे जाँघोसे टकरा गयी…
ताइजी – अरे मैने देखा ही नही… माफ़ करदेना
मैं – अरे माफी क्यू.. आप हम से बड़े हो ऐसा मत बोलिए
ताइजी – (हस के)ठीक है… (और बिस्तर ठीक करने लगी)
वाह क्या चेहरा था क्या रुतबा था उस अदा मे, क्या कम्सीन अदा थी … सेठानी की पूरी जवानी और गरमी ताइजी मे उतरी थी… जब वो रास्ते से चलती होगी तो सबके लंड लार ज़रूर टपकाते होंगे…
ताइजी – ये हो गया तुम्हारा बिस्तर तैय्यार अभी तुम सो सकते हो आराम से..( उन्होने हॅस्कर कहा)
मैने हां भरी और पलंग पर गिर गया…
ताइजी बोली – थोड़ी ही देर मे रमिता, रजिता के पिताजी भी आ जाएँगे
मैं – रमिता, रजिता????
ताइजी – ये मेरी दो प्यारी और नटखट बेटियाँ है…जल्द ही मिलवाउंगी मैं तुम्हे उनसे… मैं नीचे जाके आती हू तुम सोजाओ और कुछ लगे तो चंपा को आवाज़ देना
ताइजी नीचे चली गयी… मेरा मान आज सेठानी और छोटी बहुको बहुत याद कर रहा था और याद कर रहा था वो हर एक पल जो मैने उनकी चुदाई करते हुए ट्रेन मे बिताए थे… पर यहा मुझे जागरूक रहना था.. सब परिस्तिथि का अंदाज़ा लेने के बाद ही मैं अपना असली रंग दिखानेवाला था क्यू कि किसिको पता नही चलना चाहिए था कि मैं क्या चीज़ हू नहितो मेरी पूरी आमदनी, नौकरी और पता नही क्या क्या जाना संभव था…
मैने आँख बंद की पर लंड महाराजा चादर को अपनी करतूतो से उपर उठा रहे थे… मैने उपर हाथ रखा पर इससे वहाँ पहाड़ बन गया… मैं एक बाजू पे सोने की कोशिश करने लगा पर वैसे मुझे जल्दी नींद नही आती थी….
लगभग आधा पौना घंटे के बाद कमरे मे किसीकि आहट हुई… दरवाजा बंद हुआ मैं जाग रहा पर आँखे बंद थी… मैने हल्केसे आँखे मिचमिची करके देखा कोई आदमी था… वो मेरे दीवान के पास खड़ा रहा.. काफ़ी अंधेरा था… वो 2-3 मिनट खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंद करके मेरे पलंग पे बैठ गया.. मेरे मुँह की अपोजिट दिशा मे…
अब हल्केसे उसने मेरी गांद पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा… मैं अंदर हॅकबॅक्का रह गया… मुझे इस तरह कभी किसी पुरुष ने स्पर्श नही किया था… पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया पर थोड़ा अच्छा भी लगने लगा… वो गांद को सहलाते सहलाते मेरी जाँघो तक पहुच गया और उन्हे सहलाने लगा.. मेरे मन मे एक गुदगुदी होने लगी… मुझे पता नही पर मज़ा आ रहा था….
तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ा मैने भी पता नही क्यू… बेझिझक अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.. और अपनी चड्डी मे घुसा दिया और मेरे हाथो को अचानक से कुछ गरम लगा.. वो उसका लंड था.. वो मेरा हाथ उसके लंड पे रखके उपर से अपना हाथ रख के हिलाने लगा… उसका लंड बड़ा ही छोटा लग रहा था पर गरम बहुत था… मेरा लंड पूरा तन गया था पर इसका बिल्कुल ही छोटा सा क्यू था… उसका लंड गरम तो लग रहा था पर अभी भी सोया हुआ था और बहुत ही छोटा, बस करीब 2 इंच तक का लग रहा था…
वो दीवान से उठा और फिरसे दरवाजे की तरफ जाके एक बड़ी कील को दरवाजे मे घुसा के अच्छे से बंद कर लिया…. वो फिर मेरे पास आके दीवान पे बैठा और चादर को मेरे मुँह की तरफ धकेला… मुँह पे पूरी चादर थी मेरा मुँह पूरा ढका गया.. मैं कुछ समझ नही पा रहा था… उसने एकदम फटाक से मेरी पॅंट को नीचे खिचा…. फिर मेरे निक्कर को भी नीचे खीच के मेरे काले पहाड़ को हाथ मे ले लिया और गपक कर मुँह मे भर लिया… मैं दंग रह गया पर मज़ा आ गया…वो बहुत ही कसा हुआ खिलाड़ी मालूम हो रहा था उसने पूरा लंड एक ही बार मे मुँह मे ले लिया और अपने मुँह मे अंदर तक घुसा दिया.. मेरा पूरा लंड मुँह मे जाने की वजह से उस की साँसे फूल गयी और कुछ पल बाद उसने आधे अधिक उसे बाहर निकाल दिया…. और अपनी लार उस पे टपका के चाटने लगा मैं सातवे आसमान पे था मुझे नही पता था कि आदमी भी औरत का मज़ा दे सकता है… वो मेरे सुपरे की चमड़ी अपने मुँह के अंदर बड़ी आसानी से उपर नीचे करके अपनी जीब से घिस रहा था…. अब वो मेरी गांद के नीचे हाथ डाल के मेरे निचले शरीर को उपर उठाते हुए लंड को मुँह मे अंदर ही अंदर भर रहा था… मेरा बालो का जंगल उसकी नाक मे दस्तक दे रहा था… उसकी साँसे फूली जा रही थी पर रुक ने का कुछ भी नाम नही था… घ्घ्घ्घ्ग्गाअताक्क्क…. गुपप्प्प्प….गाअत्ट….गगगगगगगग…. .गुपप्प्प्प्प्प्प्प्प गुपप्प्प गुपप्प्प्प्प्प्प्ुउुुऊउक्
ककककककक…गगगगगगज्गगगग्गगुउुुुु उउप्प आवाज़े आ रही थी …मैं अपने आप को पूरी तरह नियंत्रण मे रखे हुए था
इतने मे उसने मेरे काले घोड़े को मुँह से निकाला और मेरी गोटियो को हाथ मे पकड़ के उनको तान के उनपर थुका.. और अपनी जीब उन पर फेरने लगा.. जीब फेरते फेरते उसने मेरी दोनो गोटियो को मुँह मे भर लिया और उनके साथ मुँह मे मस्ती करने लगा… जैसे वो गोटियो के साथ पकड़ा पकड़ी का खेल रहा हो मेरी गोटियो को बहुत ही मस्त मस्साज़ मिल रहा था….. गोतिया बाहर निकाल के वो मेरे मुण्ड पे थूकने लगा उसकी वो गाढ़ी थूक को वो फिर चाट के पूरे लंड पे पसार देता…. मेरा अभी रुकना नामुमकिन के बराबर था.. इतने मे उसने अपनी नाक मेरी दो गोटी के बीच की चमड़ी पे रगड़ना शुरू किया और एक हाथ मेरे सूपदे की चमड़ी को हिलाने लगा.... उसका वो कोमल चेहरा मेरे लंड महाराज से टकराने लगा … मेरा नियंत्रण अभी छूटने वाला था…
तभी उसने फिरसे मेरा लंड मुँह मे भर लिया और चूसने लगा… मैं चरम सीमा लाँघ चुका था… मैने अपनी मलाई उसके मुँह के अंदर ही छोड़ना चालू किया…. वैसे ही उसने मेरे लंड से निकलती पूरी मलाई को अपने जीब पे जमाए रखा और धीरे से निगलने लगा…..वो निगलता गया और मैं छोड़ता गया… मा कसम क्या मज़ा आया था…. उसने मेरे लंड को पूरी तरह चाट लिया….
तभी किसीकि दूर से आहट सुनाई दी उसने मेरी पैंट और चड्डी को उपर उठा दिया और मेरी चादर ठीक कर दी. और फाटक से जाके दरवाजे से कील निकाल ली और जाके बाजुवाले दीवान पे सो गया…
मैं अभी संभल गया था और कुछ समझ पा रहा था… इसका मतलब ये था कि रमिता और रजिता का बाप था ये… ताइजी का पति परमेश्वर.. पर ये तो लंड की तलाश मे था… मेरे सर मे बहुत सारे प्रश्नो का कोलाहल मच गया….
उतने मे दरवाजा खुला और ताइजी अंदर आ गयी. उन्होने मेज पे रखी मोमबत्ती जला दी…
मोमबत्ती के प्रकाश मे ताइजी का वो चिकना चेहरा, टमाटर जैसे लाल लाल गाल और चुचिया अति उभरकर दिखने लगी… उन्होने सफेद ब्लाउस को ठीक किया…
मैने पीछेसे देखा तो मुझे ब्लाउस के अंदर का अंतरवस्त्र(ब्रा) कीपत्तिया नही दिखी मतलब ताइजी ब्रा निकाल के आई थी… लाल सारी और सफेद ब्लाउस मे वो काम की देवी दिख रही थी…. उनके माथे का सिंदूर तो और भी चमक रहा था….
ताइजी ने बाल खोल दिए…उनके वो लंबे बाल ठीक गांद के उभार तक जाके गांद से चिपक गये .. ताइजी अपने पति के बाजू दीवान पे लेट गयी….. ताइजी का पति खिड़की के बाजू मे था उनके बाजू ताइजी और दूसरे दीवान पे मैं था… उन्होने लेटते ही अपनी सारी का पल्लू उन्होने अपनी चुचियो से हटा दिया.. और मैं देखते रह गया….
क्या दूध थे… एक से एक …तरबूज की तरह… पूरा दिन उनमे मुँह घुसाए रखो ऐसे….एक दम कड़क और मोटे….सीधी पीठ पे सोने से वो पहाड़ के जैसे उँचे उँचे ….चुचियोसे चूचुक आसमान को पुकार रहे थे ..
चूचुक(निपल्स) बड़े बड़े गुलाबी गुलाबी अंगूरो की तरह दिखने लगे…. ताइजी अभी मेरे बाजू मुँह कर के सोई… वैसे उनके वो दोनो चूचुक मेरे तरफ निसाना करके मुझे निमंत्रित करने लगे…. इससे मेरे लंड महाराज फिरसे उठने की कोशिश करने लगे और इससे थोड़ा मेरे लंड को दर्द होने लगा.
क्रमशः...................
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मैं अपने कमरे के तरफ जानेवाला था कि मुझे कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की मालंबंती ने पूछा “आप कौन है” मैं उसके सामने गया और बोला “मैं इस घर मे काम करता हू..”
मालंबंती की चुचिया छोटे छोटे सेब की तरह थी और उस टांग कमीज़ के अंदर से बाहर आने के लिए तरस रही थी..उसने कमीज़ के अंदर कोई अन्तवस्त्र नही पहना होने के कारण उसके छोटे छोटे अंगूर के जैसे चूचुक(निपल्स) का आकार मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर रहा था
मालंबंती ने पूछा “कैसा काम…”
मैं – “जो भी तुम कहो वो काम”
मालंबंती – आप सब काम करते हो क्या आपको कहानी सुनाना आता है”
मैं अर्श्चर्य मे पड़ गया इस उमर मे भला ये कहानी सुनने की बात क्यू कर रही है तभी वहाँ पे नलिनी और नसरीन (वकील बाबू की सबसे छोटी लड़की) चहल पहल करते हुए आ गयी. नसरीन एक दम मालंबंती के जैसी दिखती थी.. उसने भी तंग कमीज़ पहनी थी.. उस वजह से उसके चूचुक(निपल्स) भी नमस्ते कह रहे थे और हमारे लंड महाराज भड़क रहे थे… मेरी पॅंट को अगर कोई ठीक से देखता तो जान जाता कि मैं किस हाल से गुजर रहा था….
नसरीन बोली “अरे वाह आप हमे कहानी सूनाओगे.. आपको आती है कहानी..”
मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला- “हां आती है और मैं तुम्हे सबको कहानी सुनाउन्गा”… ज़रूर सुनाउन्गा और मैने उसके गाल पे हाथ पे रख के ईक चिमती काट ली…
नलिनी बोली- “चलो ना हमारे कमरे मे हमे कहानी सूनाओ ना…”
उतने मे उधर ताइजी अपनी सारी के पेड्र को ठीक करते हुए और अपने सुंदर पेट पर धकते हुए आई और बोली “लड़कियो तुम सब सो जाओ कल तुम्हे सुनाएँगे ये कहानी…”
सब लड़किया एक सूरमे बोली “नही अभी सुननी है कहानी ..”
ताइजी बोली “नही आज नही कल…सोने जाओ तुम लोग अभी ”
लड़किया ना चाहते हुए भी अपने अपने कमरे मे चली गयी… मैं उनके मस्त मस्त चूतड़ देखते रह गया… ये मेरे खड़े लंड पे वार था…
ताइजी मुझे देखकर बोली “तुम किधर सोवोगे”
मैं – वही जहाँ मैं दोपेहर मे सोया था
ताइजी – अरे नही वहाँ तुम नही सो सकते… उस कमरे मे मैने आज समान रखवाया है
मैं – तो फिर........कहाँ........
ताइजी – तो एक काम करो मेरे कमरे मे दो पलंग है.. तुम एक पे सो जाना
मेरे लंड ने ये सुनके फिरसे लार टपकानी शुरू करदी, फिर भी मैं बोला
मैं – पर….
ताइजी – अरे शरमाओ नही… आ जाओ
अब आदेश तो आदेश…वैसे भी अकेले सोने से अच्छा किसिके साथ सोना चाहिए चुदाई के ज़्यादा आसार रहते है... मैं ताइजी के पीछे उनके मुलायम सारी के अंदर के चूतादो का नाप लेते लेते उनके साथ पहला माला चढ़ने लगा, जैसे ही वो पैर उपर रखती चूतड़ मस्त सुर ताल ले मे हिलता और मज़ा आ जाता….
मैं – आपका कमरा कौन्से माले पे है
ताइजी – तीसरे माले पे
मैं – इतना उपर क्यू
ताइजी – मुझे पसंद है…. उपर शान्ती होती है और उपर से सब गाव भी दिखता है ठंडी हवा आती है इसलिए
हम एक बड़े कमरे मे पहुच गये…कमरे मे दो दीवान-पलंग, एक बड़ी मेज, 2-3 कुर्सियाँ, सजने सवरने के लिए एक बड़ा आयना बहुत कुछ था…. ताइजी ने दूसरे पलंग पर पड़ा हुआ बिस्तर थोड़ा ठीक ठाक किया मैं वही खड़ा उनके दूध को और चूचुक(निपल) की मस्ती को देख रहा था… वो चादर डाल रही थी… इससे उनकी चोलिसे उनके मुलायम दूध बाहर आनेकी नाकाम कोशिश कर रहे थे… वो पीछे पीछे आ रही थी… अचानक उनकी बड़ी गांद मेरे जाँघोसे टकरा गयी…
ताइजी – अरे मैने देखा ही नही… माफ़ करदेना
मैं – अरे माफी क्यू.. आप हम से बड़े हो ऐसा मत बोलिए
ताइजी – (हस के)ठीक है… (और बिस्तर ठीक करने लगी)
वाह क्या चेहरा था क्या रुतबा था उस अदा मे, क्या कम्सीन अदा थी … सेठानी की पूरी जवानी और गरमी ताइजी मे उतरी थी… जब वो रास्ते से चलती होगी तो सबके लंड लार ज़रूर टपकाते होंगे…
ताइजी – ये हो गया तुम्हारा बिस्तर तैय्यार अभी तुम सो सकते हो आराम से..( उन्होने हॅस्कर कहा)
मैने हां भरी और पलंग पर गिर गया…
ताइजी बोली – थोड़ी ही देर मे रमिता, रजिता के पिताजी भी आ जाएँगे
मैं – रमिता, रजिता????
ताइजी – ये मेरी दो प्यारी और नटखट बेटियाँ है…जल्द ही मिलवाउंगी मैं तुम्हे उनसे… मैं नीचे जाके आती हू तुम सोजाओ और कुछ लगे तो चंपा को आवाज़ देना
ताइजी नीचे चली गयी… मेरा मान आज सेठानी और छोटी बहुको बहुत याद कर रहा था और याद कर रहा था वो हर एक पल जो मैने उनकी चुदाई करते हुए ट्रेन मे बिताए थे… पर यहा मुझे जागरूक रहना था.. सब परिस्तिथि का अंदाज़ा लेने के बाद ही मैं अपना असली रंग दिखानेवाला था क्यू कि किसिको पता नही चलना चाहिए था कि मैं क्या चीज़ हू नहितो मेरी पूरी आमदनी, नौकरी और पता नही क्या क्या जाना संभव था…
मैने आँख बंद की पर लंड महाराजा चादर को अपनी करतूतो से उपर उठा रहे थे… मैने उपर हाथ रखा पर इससे वहाँ पहाड़ बन गया… मैं एक बाजू पे सोने की कोशिश करने लगा पर वैसे मुझे जल्दी नींद नही आती थी….
लगभग आधा पौना घंटे के बाद कमरे मे किसीकि आहट हुई… दरवाजा बंद हुआ मैं जाग रहा पर आँखे बंद थी… मैने हल्केसे आँखे मिचमिची करके देखा कोई आदमी था… वो मेरे दीवान के पास खड़ा रहा.. काफ़ी अंधेरा था… वो 2-3 मिनट खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंद करके मेरे पलंग पे बैठ गया.. मेरे मुँह की अपोजिट दिशा मे…
अब हल्केसे उसने मेरी गांद पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा… मैं अंदर हॅकबॅक्का रह गया… मुझे इस तरह कभी किसी पुरुष ने स्पर्श नही किया था… पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया पर थोड़ा अच्छा भी लगने लगा… वो गांद को सहलाते सहलाते मेरी जाँघो तक पहुच गया और उन्हे सहलाने लगा.. मेरे मन मे एक गुदगुदी होने लगी… मुझे पता नही पर मज़ा आ रहा था….
तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ा मैने भी पता नही क्यू… बेझिझक अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.. और अपनी चड्डी मे घुसा दिया और मेरे हाथो को अचानक से कुछ गरम लगा.. वो उसका लंड था.. वो मेरा हाथ उसके लंड पे रखके उपर से अपना हाथ रख के हिलाने लगा… उसका लंड बड़ा ही छोटा लग रहा था पर गरम बहुत था… मेरा लंड पूरा तन गया था पर इसका बिल्कुल ही छोटा सा क्यू था… उसका लंड गरम तो लग रहा था पर अभी भी सोया हुआ था और बहुत ही छोटा, बस करीब 2 इंच तक का लग रहा था…
वो दीवान से उठा और फिरसे दरवाजे की तरफ जाके एक बड़ी कील को दरवाजे मे घुसा के अच्छे से बंद कर लिया…. वो फिर मेरे पास आके दीवान पे बैठा और चादर को मेरे मुँह की तरफ धकेला… मुँह पे पूरी चादर थी मेरा मुँह पूरा ढका गया.. मैं कुछ समझ नही पा रहा था… उसने एकदम फटाक से मेरी पॅंट को नीचे खिचा…. फिर मेरे निक्कर को भी नीचे खीच के मेरे काले पहाड़ को हाथ मे ले लिया और गपक कर मुँह मे भर लिया… मैं दंग रह गया पर मज़ा आ गया…वो बहुत ही कसा हुआ खिलाड़ी मालूम हो रहा था उसने पूरा लंड एक ही बार मे मुँह मे ले लिया और अपने मुँह मे अंदर तक घुसा दिया.. मेरा पूरा लंड मुँह मे जाने की वजह से उस की साँसे फूल गयी और कुछ पल बाद उसने आधे अधिक उसे बाहर निकाल दिया…. और अपनी लार उस पे टपका के चाटने लगा मैं सातवे आसमान पे था मुझे नही पता था कि आदमी भी औरत का मज़ा दे सकता है… वो मेरे सुपरे की चमड़ी अपने मुँह के अंदर बड़ी आसानी से उपर नीचे करके अपनी जीब से घिस रहा था…. अब वो मेरी गांद के नीचे हाथ डाल के मेरे निचले शरीर को उपर उठाते हुए लंड को मुँह मे अंदर ही अंदर भर रहा था… मेरा बालो का जंगल उसकी नाक मे दस्तक दे रहा था… उसकी साँसे फूली जा रही थी पर रुक ने का कुछ भी नाम नही था… घ्घ्घ्घ्ग्गाअताक्क्क…. गुपप्प्प्प….गाअत्ट….गगगगगगगग….
इतने मे उसने मेरे काले घोड़े को मुँह से निकाला और मेरी गोटियो को हाथ मे पकड़ के उनको तान के उनपर थुका.. और अपनी जीब उन पर फेरने लगा.. जीब फेरते फेरते उसने मेरी दोनो गोटियो को मुँह मे भर लिया और उनके साथ मुँह मे मस्ती करने लगा… जैसे वो गोटियो के साथ पकड़ा पकड़ी का खेल रहा हो मेरी गोटियो को बहुत ही मस्त मस्साज़ मिल रहा था….. गोतिया बाहर निकाल के वो मेरे मुण्ड पे थूकने लगा उसकी वो गाढ़ी थूक को वो फिर चाट के पूरे लंड पे पसार देता…. मेरा अभी रुकना नामुमकिन के बराबर था.. इतने मे उसने अपनी नाक मेरी दो गोटी के बीच की चमड़ी पे रगड़ना शुरू किया और एक हाथ मेरे सूपदे की चमड़ी को हिलाने लगा.... उसका वो कोमल चेहरा मेरे लंड महाराज से टकराने लगा … मेरा नियंत्रण अभी छूटने वाला था…
तभी उसने फिरसे मेरा लंड मुँह मे भर लिया और चूसने लगा… मैं चरम सीमा लाँघ चुका था… मैने अपनी मलाई उसके मुँह के अंदर ही छोड़ना चालू किया…. वैसे ही उसने मेरे लंड से निकलती पूरी मलाई को अपने जीब पे जमाए रखा और धीरे से निगलने लगा…..वो निगलता गया और मैं छोड़ता गया… मा कसम क्या मज़ा आया था…. उसने मेरे लंड को पूरी तरह चाट लिया….
तभी किसीकि दूर से आहट सुनाई दी उसने मेरी पैंट और चड्डी को उपर उठा दिया और मेरी चादर ठीक कर दी. और फाटक से जाके दरवाजे से कील निकाल ली और जाके बाजुवाले दीवान पे सो गया…
मैं अभी संभल गया था और कुछ समझ पा रहा था… इसका मतलब ये था कि रमिता और रजिता का बाप था ये… ताइजी का पति परमेश्वर.. पर ये तो लंड की तलाश मे था… मेरे सर मे बहुत सारे प्रश्नो का कोलाहल मच गया….
उतने मे दरवाजा खुला और ताइजी अंदर आ गयी. उन्होने मेज पे रखी मोमबत्ती जला दी…
मोमबत्ती के प्रकाश मे ताइजी का वो चिकना चेहरा, टमाटर जैसे लाल लाल गाल और चुचिया अति उभरकर दिखने लगी… उन्होने सफेद ब्लाउस को ठीक किया…
मैने पीछेसे देखा तो मुझे ब्लाउस के अंदर का अंतरवस्त्र(ब्रा) कीपत्तिया नही दिखी मतलब ताइजी ब्रा निकाल के आई थी… लाल सारी और सफेद ब्लाउस मे वो काम की देवी दिख रही थी…. उनके माथे का सिंदूर तो और भी चमक रहा था….
ताइजी ने बाल खोल दिए…उनके वो लंबे बाल ठीक गांद के उभार तक जाके गांद से चिपक गये .. ताइजी अपने पति के बाजू दीवान पे लेट गयी….. ताइजी का पति खिड़की के बाजू मे था उनके बाजू ताइजी और दूसरे दीवान पे मैं था… उन्होने लेटते ही अपनी सारी का पल्लू उन्होने अपनी चुचियो से हटा दिया.. और मैं देखते रह गया….
क्या दूध थे… एक से एक …तरबूज की तरह… पूरा दिन उनमे मुँह घुसाए रखो ऐसे….एक दम कड़क और मोटे….सीधी पीठ पे सोने से वो पहाड़ के जैसे उँचे उँचे ….चुचियोसे चूचुक आसमान को पुकार रहे थे ..
चूचुक(निपल्स) बड़े बड़े गुलाबी गुलाबी अंगूरो की तरह दिखने लगे…. ताइजी अभी मेरे बाजू मुँह कर के सोई… वैसे उनके वो दोनो चूचुक मेरे तरफ निसाना करके मुझे निमंत्रित करने लगे…. इससे मेरे लंड महाराज फिरसे उठने की कोशिश करने लगे और इससे थोड़ा मेरे लंड को दर्द होने लगा.
क्रमशः...................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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