FUN-MAZA-MASTI
नौकरी हो तो ऐसी--17
गतान्क से आगे…………………………………….
वकील बाबू ने उंगलियो का नृत्य बंद करके ताइजी की घोड़ी बनाई, दो हाथ उसे पकड़ा, उल्टा किया सर दीवान के सामने वाले बाजू पे रखा और अपने सूपदे की चमड़ी को पीछे करके उसपे थोड़ी सी थूक लगा डाली, सूपड़ा लाल काले रंग पर चमक रहा था …. वकील बाबुने ताइजी की गांद को दोनो हाथो से फैलाया… और निशाना लगा डाला…ताइजी के मुँह से चीख सी निकल गयी…वकिलबाबू प्रहार करते रहे अपनी कमर को आगे पीछे करते रहे …ताइजी चुदति रही ..कुछ तो बड़बड़ा रही थी …उन्हे शायद और दारू चाहिए थी ….. ताइजी की गांद एक दम मस्त हिल रही थी ….दीवान से कुई कुई की आवाज़ निकल रही थी …..लगभग 5 मिनट के बाद वकिलबाबू ढेर हो गये और पूरी वीर्य ताइजी की नदी मे छोड़ दिया ….ताइजी के उपर गिर पड़े…और बोले “तुझे चोदने के लिए क्या क्या नही करना पड़ता रंडी …. पर तुझे चोदने मे जो मज़ा है उसके सामने कुछ भी फीका है ….” उनका लंड बुर से बाहर निकल आया…बुर से वीर्य रस की गंगा बह रही थी … आधे से अधिक चादर दारू और वीर्य की वजह से गीला हो चुका था और ताइजी को पता भी नही था कि यहाँ पर क्या हो रहा है और कैसे उनका एक एक भाई उनकी ले रहा है ….
मेरी चादर मे पॅंट के अंदर पता नही कितनी बार तंबू बने और तंबू उखड़ गये….वकील बाबू दीवान से उठ खड़े हुए एक बॉटल मे थोड़ी सी दारू बाकी थी वो पी ली और कपड़े पेहेन्के चुपकेसे दारवाजा खोल के निकल गये…..
अभी जैसे कि कंट्रेटरबाबू और वकील बाबू अपना अपना काम करके चले गये थे, मुझे पूरी आशंका थी अभी और कोई नही रावसाब ही आएँगे…. पर बहुत टाइम होनेपर भी कोई नही आया…. उधर ताइजी थोडिसी नींद मे थी और तभी भी थोडिसी बड़बड़ा रही थी…. उसकी बुर पे हुए प्रहार से उन्हे मज़ा और सज़ा दोनो मिल रही थी… बुर पूरी तरह से सूजी थी …लाल लाल दिख रही थी …बुर के होठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे खून छोड़ रहे है इतने लाल थे …उसके उपर वो मुलायम रेशमी बॉल एक दम आकर्षक और मस्त दिख रहे थे….. और उसमे उनके गोल मटोल बड़े बड़े लाल लाल निपल वाले दूध मेरी काम अग्नि को और जला रहे थे…..
बहुत वक़्त होने पर भी कोई नही आया.. मैं सोच रहा था कि अभी कोई तो आएगा पर बहुत वक़्त होनेपर कोई नही आया…. दरवाजा खुला ही था …. मैं सोच रहा था मैं भी हाथ सॉफ करलू…. वीर्य की वो खुशबू पूरे कमरे मे घूम रही थी और उससे मैं पूरा पागल हो गया था…. कब जाके ताइजी के उपर मैं चढ़ु ऐसे मुझे हो रहा था पर मैं यहा हू ये बात जो छुपी थी वो मैं छुपी ही रहने देना चाहता था इसलिए कुछ कदम उठाए बिना अपने लंड की नाराज़गी सहते हुए पड़ा ही रहा था….
लगभग एक घंटा हुआ पर कोई नही आया, अब मेरे मे हिम्मत आ गयी थी… पूरी सावधानी से मैं उठा और जाके दरवाजे को बंद कर दिया…. अपनी पॅंट उतार दी और अपने लंड थोड़ा सा सहलाया और जाके ताइजी के मम्मे पकड़ लिए… उनके वो चूतर और वो मम्मे मुझे कभी छोड़ने का मन ही नही कर रहा था… उनके मम्मे गोल मटोल और इतने रसभरे थे कि मैं उनको दांतो मे पकड़ के चूसने लगा, मम्मो के निपल्स पे दाँत के निशान गढ़े थे और निशान हल्के फुल्के नही बल्कि बहुत ही अंदर तक गये थे…. निपल्स पूरे उभर कर कठोर हो रखे थे. मैं एक एक करके चुसता गया वाह क्या आनंद था उन मम्मो को चूसने का…..
मैने अब वक़्त जाया नही किया औरअपने नाग को थोडिसी थूक लगाई और बुर के प्रवेष्द्वार पे रख के ताइजी की दोनो टाँगे जितना फैला सकता था उतनी फैला दी… प्रवेष्द्वार पहले से ही बहुत सारे वीर्य रस से चिकना हो रखा था… मुझे थूक भी लगाने की ज़रूरत नही थी…उलटा बुर से ही उलटी गंगा बह रही थी जिसमे अब मैने देर ना करते हुए अपने लंड को पेल दिया और एक ही झटके मे आधा लंड बुर मे घुसा दिया…. वाह वाहह…अजब ….मस्त ……लाजवाब….. दिलखुश…. मन खुश … क्या अनुभव था ऐसा लग रहा था कि लंड इस जनम मे इस बुर से फिर कभी नही निकालु…..मैं हल्के हल्के लंड को पेलने लगा और एक हाथ से बुर के रेशमी बालो को सहलाने लगा क्या अदभुत क्षण था वो….
मेरा लंड अंदर जाते ही धक्को से पच्चक पच्छाक आवाज़ होने लगी मैने अपनी गति बढ़ा दी और लंड को ताइजी के चूतरो को हाथ मे पकड़ के बुर की आखरी सीमा तक घुसने लगा पूरा लंड अंदर जाने से ताइजी की आवाज़ अब ज़रा ज़्यादा निकल रही थी… और उससे उसका हुस्न और मस्त और लुभावना लग रहा था ….. मैं पेलता रहा… कुछ देर बाद मैं ताइजी पे गिर पड़ा और अपनी पिचकारी ताइजी की बुर मे रंग दी….. मुझे अंदर बहुत दबाव महसूस हुआ क्यू कि उसमे पहलेसे ही बहुत सारा रस भरा था …मैने अपने लंड को बाहर निकाला और ताइजी के पेटको पोछ के थोड़ा साफ किया और उनके मुँह के पास जाके उनके होटोसे लगा के होंठो को और रस भरित कर दिया…. क्या मज़ा आया था ….जिंदगी मे सबसे ख़ास चुदाई मे एक ये चुदाई थी…..
अब ताइजी पूरी तरह रस से भर गयी थी उनके हर एक अंग पर वीर्य ही वीर्य लगा हुआ था बालो मे वीर्य की बूंदे गिरी थी और उन्हे इस बात का ज़रा भी ख़याल नही था….. अब मैं क्या करूँ इस बात का मुझे ठिकाना नही था … क्यू कि सबेरे जब वो उठेगी तो मुझसे कुछ ना कुछ तो ज़रूर पूछेगी….?
मैने उनकी ब्रा पहेना के, उपर से ब्लाउस चढ़ा दी….. ब्लाउस के उपर से एक बार उनके मम्मो को चूस लिया और थोड़ा आगे पीछे करके उनके पूरे अंगो को सारी ढक दिया…
और अब मैं आके अपने दीवान पे शांति से सो गया… मैं पूरी तरह खुश हो गया था ताइजी की बुर मे अपना पानी छोड़ के…जिसकी गंध अभी भी पूरे कमरे मे घूम रही थी…..ऐसे ही सोते सोते मैं कब सो गया पता ही नही चला
सबेरे जब मैं उठा तो लगभग 7 बज गये थे. मैं उठ कर नीचे जाके नहा धो लिया और सेठ जी के साथ काम पे चल दिया…
आज मुझे खुदसे काम करना था… सेठ जी ने मुझे एक बड़ी लिस्ट दे दी और बोले कि ये लोग है जिनके कुछ पैसे आने है तुम ड्राइवर को साथ लेके जाओ और इन सबसे पूछ के आओ के पैसे कब देनेवाले हो…
मैं पैसे वसूलने के लिए निकल पड़ा, पहला कोई किसान था…मुझे ड्राइवर ने बोला कि ये जो किसान है ये बहुत ही स्याना है…. पैसे होनेपर ऐयाशी करता है…. इसके पास पैसे होनेपर भी सेठ जी का पैसा नही देता …जो भी इसके पास पैसे माँगने जाता है वो वापस से सेठ जी के पास उसे थोड़ा टाइम दे दो कहके बिना पैसे वैसे ही आता है …… थोड़ी देर मे हम जब उसके घर के पास पहुचे तो पाया कि उसका घर नदी के उस पार है उस पूल पे से गाड़ी नही जा सकती. मैने ड्राइवर को नदी के उस पार ही गाड़ी को संभालते हुए बैठने को बोला और मैं वो छोटे से पूल को पार करके उसके घर के पास पहुचा… नदी मे थोड़ा पानी था जो कि धीरे धीरे बह रहा था …. आजूबाजू हल्की हल्की हरियाली थी…. उस किसान का घर ठीक ठाक ही था… मैने उधर खड़े आदमी को पूछा कि इस नाम का व्यक्ति इधर रहता है तो उसने हां मे जवाब दिया… और मुझे उस घर के अंदर लेके गया…..
अंदर जाके मैने देखा कि वो किसान और उसकी धर्मपत्नी जो अपने छोटे बच्चे को दूध पिला रही थी… बैठे थे… सामानेवाले आदमी ने जब बोला कि ये सेठ जी के यहाँ से आए है तो वो उठा खड़ा हुआ ..और मुझे “आइए आइए बाबूजी..” बैठने को बोला. अंदर जाके पानी लेके आया, उसकी बीवी उधर ही मेरे सामने बैठे बिना कुछ लाज शरम किए बच्चे को दूध पिला रही थी… जैसे कोई उसके सामने कोई है ही नही..
मैं : तुम्हारे 12 हज़ार रुपये आने बाकी है
किस्सान: हाँ बाबूजी
मैं : सेठ जी ने मुझे पैसे लेने भेजा है
किस्सन: बाबूजी पैसे तो नही है
मैं: फिर कब मिलेंगे
किस्सन : फसल निकलने पे मिलेंगे बाबूजी
मैं: सेठ जी ने मुझे आज ही पैसे लाने को कहा है
किस्सन : मैने बहुत जुगाड़ करना चाहा बाबूजी पर कुछ बना नही बाबूजी
सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे इशारा करके निकल गया…. किसान की बीवी के मम्मे मस्त थे… बहुत बड़े नही थे पर बहुत ही गोल और छोटे छोटे टमाटर की तरह उसके छाती से चिपके हुए थे….
किसान फिर बोला: बाबूजी कुछ जुगाड़ कीजिए… इसबार सेठ जी को मना लीजिए कि मैं पैसा फसल निकलने पे दे दूँगा
मैं : अरे भाई मेरी अभी अभी नौकरी लगी है… मैं ऐसे खाली हाथ जाउन्गा तो सेठ जी क्या कहेंगे… मैं भी एक नौकर हू मालिक नही
किसान: पर आप उन्हे मना सकते है …कुछ तो कीजिए बाबूजी
उतने मे उसकी बीवी उठी और अंदर चली गयी… वो मेरे पास आके बैठ गया… मैं उसे क्या बोलू कुछ समझ नही आ रहा था…. उसने मेरे जाँघो पे हाथ रख दिया… और हल्केसे सहलाने लगा…. मैं गरम होने लगा…. मतलब ये सेठ जी का पैसा ना चुकाने के बदले कुछ तो देना चाह रहा था….
मैं भी इसी खोज मे था कि अगर पैसा नही दे रहा है तो कुछ और तो दे सकता है जैसे कि कुछ सामान वमान… पर ये तो पूरा चालू निकला साला …अपनी गांद ही दे रहा था … मेरे से पूरा सॅट कर बैठ गया…. जाँघोसे घुमा के उसने अपना हाथ अभी मेरी पॅंट के बीचोबीच लाया और सहलाने लगा….
थोड़ी देर मे मेरा तंबू बड़ा हो गया… और उसने मेरे तंबू को अपने हाथो से और अच्छे सहलाना शुरू किया… मुझे तो मुफ़्त मे मेज़वानी मिल रही थी…. उतने मे उसकी बीवी आ गयी… और मेरे दूसरे बाजू बैठ गयी…. इतना सॅट के बैठ गयी कि उसकी एक चुचि मेरे हाथ को चिपक रही थी….
इधर इसने मेरा चैन खोला और मेरा लॉडा एक क्षण मे मुँह मे भर लिया….. और चूसने लगा… मैने भी उसके बीवी के साथ रति क्रीड़ा शुरू की और उसके दूध से भरे मम्मो को दोनो हाथो से रगड़ने लगा….. उसने अपना ब्लाउस खोल दिया और एक मम्मा मेरे मुँह मे दे दिया …. मम्मे को मुँह मे लेके मैने अपना ट्रेन वाला सफ़र याद किया जिसमे मैने छोटी बहू के मम्मो मे से दूध पिया था…. मैं देखते ही देखते उसकी चुचियोसे दूध चूसने लगा…ऐसे कि मानो सालो का भूका हू…
नीचे उसका पति मेरा लंड मुँह मे लेके चूसे जा रहा था. पूरा लंड उसने अपने मुँह मे भर लिया था और गोटियो के साथ खेलते खेलते चुसाइ का मज़ा ले रहा था… उसकी थूक मेरे पूरे लंड पे फैल गयी थी…. मज़ा बहुत आ रहा था …उपर दूध और नीचे चुसाइ ….स्वर्ग मे रहने आया हू बल्कि यही स्वर्ग है ऐसा प्रतीत हो रहा था …..
चुसाइ के बाद मैने उसकी बीवी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सारी उपर उठा दी…. साड़ी उसकी पीठ पे चढ़ गयी मैने पीछे से जाके उसके बुर मे उंगली डाली… मस्त बुर थी …. जाने किस जमाने से बल निकाले नही गये थे …बालो मे छिप सी गयी थी ….. मैने 2-3 उंगलिया घुसाई… उधर वो मेरा लंड नीचे सहला रहा था …मैने उसे बाजू किया और घोड़ी बनी उसकी बीवी पे चढ़ा… और उसकी बुर मे उसके पति के थूक से लिच्पिच लंड घुसा दिया…. और पेलने लगा …उसके चूतर मस्त हिलने लगे….
मेरे दिमाग़ मे एक ख़याल आया क्यू ना इसकी गोरी गान्ड मारी जाए…. मैने अपने लंड बाहर निकाला उसकी गांद का छेद पूरा सिकुदा सा और पूरी तरह बंद था
मैने किसान को बोला -कि इसके दोनो चूतरो को फैला तो
उसने पूछा: क्यू बाबूजी वो बोला
मैं: क्यू कि मुझे इसकी गांद मारनी है ….
वो बोला: बाबूजी उधर मत डालना उधर इसने कभी लिया नही है
मैं : तो क्या हुआ अब ले लेगी
वो : बाबूजी चाहे तो आप मेरी ले लो पर इसकी मत लो इसको इस चीज़ का ज़रा भी अनुभव नही है
मैं: पहली बार जब तूने इसकी बुर मे लंड डाला था तो क्या इसको अनुभव था …नही ना …फिर
वो : ठीक है बाबूजी जैसा आप कहे
उसने अपने बीवी के सामने से आके उसकी घोड़ी पे चढ़के उसके गांद को फैला दिया… मैने अपन लंड उसके छेद पे रखा और सवारी की तैय्यारि करने लगा ….
मैने एक दो बार प्रयत्न किया पर कुछ फ़ायदा नही हुआ …लंड सटके जा रहा था …छेद बहुत ही छोटा था… मैने उसे उसपे थूकने को कहा वो 2-3 बार थूकने पर भी लंड नही गया
मैने उसे अंदर जाके तेल की सीसी लाने को बोला, वो थोड़ी देर मे तेल ले आया हमने मिलके उसके बीवी के गांद के छेद पे अच्छे तेल पोत दिया और निशाना लगाया…. चिकनाई के कारण इस बार सूपड़ा थोड़ा अंदर चला गया.. और उधर उसकी बीवी चिल्लाने हिलने लगी “बाहर निकालो….बहुत बड़ा है ….”
मैने बोला : अभी तो ये बाहर नही निकलेगा अभी बस ये अंदर ही जाएगा
और मैने अपने आप को ठीक करके सूपदे को अंदर घुसा दिया.. वैसे ही उसकी गांद मेरे लंड पर सिकुड़ने लगी…मेरा लंड एक दम पक्का बैठ गया था थोड़ी भी हिलने की जगह नही थी और उसकी हालत बहुत ही खराब हो रही थी वो सिर्फ़ बाहर निकालो मर गयी मर गयी बोल रही थी…
मैने लंड को एकबार बाहर निकाला और थोड़ा तेल डालके फिरसे घुसा दिया इस बार ज़ोर्से धक्का मारा वैसे ही वो ज़ोर्से आगे सरक गयी….. उसके पति ने उसे आगे पकड़े रखा और मैने फिर ज़ोर्से धक्का मारा …गांद फॅट गयी
उसकी…मेरा आधा लंड उसकी पकई और ना चुदी गांद मे पूरा जम गया और आगे जाने की राह ढूँढने लगा …वो पागलो की तरह चिल्लाने लगी पर उसे पकड़े होने के कारण वो ज़्यादा हिल नही सकती थी….. मैने भी पीछे नही देखा और उसके पिछवाड़े को पेलने लगा …अपनी गति बढ़ा दी मेरी कमर अभी अच्छी ख़ास्सी हिल रही थी …उसका पति असमंजस से देख रहा था …अभी उसकी आवाज़े थोड़ी कम हुई… उसकी गांद को मेरे लंड ने थोड़ा ढीला कर दिया था इसलिए शायद…. वो साँसे ले रही थी और अपनी गांद को थोड़ा थोड़ा ढीला छोड़ रही थी …वैसेही मैने पूरा लंड एक दम घुसा दिया ….वो एक दम आगे सरक गयी और मेरे लंड को फटक से बाहर छोड़ नीचे बैठ गयी और मुझसे नही होगा नही होगा….. ये बहुत बड़ा बहुत बड़ा लंड है मैं मर जाउन्गि चिल्लाने लगी पर अब उसके पति ने ही उसे मनाया…
और फिर घोड़ी बना दिया… मैने अपना नाग बिल मे घुसा दिया और उसकी अनचुदी गांद को फिरसे मस्त चोदने लगा… उसका मुँह पूरा लाल लाल हो गया था गांद सूज गयी थी…. उसे थोड़ा हिलने पर भी तकलीफ़ हो रही थी …. गांद जो फॅट गयी थी उसकी…. दस बारह धक्को के बाद मैं उसकी गांद मे ही ढेर हो गया और नीचे दबा के उसके पीठ पे ही गिर पड़ा… वाह क्या मज़ा आया था इस वसूली मे बहुत ही ज़्यादा मज़ा था …
क्रमशः...................
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बहुत वक़्त होने पर भी कोई नही आया.. मैं सोच रहा था कि अभी कोई तो आएगा पर बहुत वक़्त होनेपर कोई नही आया…. दरवाजा खुला ही था …. मैं सोच रहा था मैं भी हाथ सॉफ करलू…. वीर्य की वो खुशबू पूरे कमरे मे घूम रही थी और उससे मैं पूरा पागल हो गया था…. कब जाके ताइजी के उपर मैं चढ़ु ऐसे मुझे हो रहा था पर मैं यहा हू ये बात जो छुपी थी वो मैं छुपी ही रहने देना चाहता था इसलिए कुछ कदम उठाए बिना अपने लंड की नाराज़गी सहते हुए पड़ा ही रहा था….
लगभग एक घंटा हुआ पर कोई नही आया, अब मेरे मे हिम्मत आ गयी थी… पूरी सावधानी से मैं उठा और जाके दरवाजे को बंद कर दिया…. अपनी पॅंट उतार दी और अपने लंड थोड़ा सा सहलाया और जाके ताइजी के मम्मे पकड़ लिए… उनके वो चूतर और वो मम्मे मुझे कभी छोड़ने का मन ही नही कर रहा था… उनके मम्मे गोल मटोल और इतने रसभरे थे कि मैं उनको दांतो मे पकड़ के चूसने लगा, मम्मो के निपल्स पे दाँत के निशान गढ़े थे और निशान हल्के फुल्के नही बल्कि बहुत ही अंदर तक गये थे…. निपल्स पूरे उभर कर कठोर हो रखे थे. मैं एक एक करके चुसता गया वाह क्या आनंद था उन मम्मो को चूसने का…..
मैने अब वक़्त जाया नही किया औरअपने नाग को थोडिसी थूक लगाई और बुर के प्रवेष्द्वार पे रख के ताइजी की दोनो टाँगे जितना फैला सकता था उतनी फैला दी… प्रवेष्द्वार पहले से ही बहुत सारे वीर्य रस से चिकना हो रखा था… मुझे थूक भी लगाने की ज़रूरत नही थी…उलटा बुर से ही उलटी गंगा बह रही थी जिसमे अब मैने देर ना करते हुए अपने लंड को पेल दिया और एक ही झटके मे आधा लंड बुर मे घुसा दिया…. वाह वाहह…अजब ….मस्त ……लाजवाब….. दिलखुश…. मन खुश … क्या अनुभव था ऐसा लग रहा था कि लंड इस जनम मे इस बुर से फिर कभी नही निकालु…..मैं हल्के हल्के लंड को पेलने लगा और एक हाथ से बुर के रेशमी बालो को सहलाने लगा क्या अदभुत क्षण था वो….
मेरा लंड अंदर जाते ही धक्को से पच्चक पच्छाक आवाज़ होने लगी मैने अपनी गति बढ़ा दी और लंड को ताइजी के चूतरो को हाथ मे पकड़ के बुर की आखरी सीमा तक घुसने लगा पूरा लंड अंदर जाने से ताइजी की आवाज़ अब ज़रा ज़्यादा निकल रही थी… और उससे उसका हुस्न और मस्त और लुभावना लग रहा था ….. मैं पेलता रहा… कुछ देर बाद मैं ताइजी पे गिर पड़ा और अपनी पिचकारी ताइजी की बुर मे रंग दी….. मुझे अंदर बहुत दबाव महसूस हुआ क्यू कि उसमे पहलेसे ही बहुत सारा रस भरा था …मैने अपने लंड को बाहर निकाला और ताइजी के पेटको पोछ के थोड़ा साफ किया और उनके मुँह के पास जाके उनके होटोसे लगा के होंठो को और रस भरित कर दिया…. क्या मज़ा आया था ….जिंदगी मे सबसे ख़ास चुदाई मे एक ये चुदाई थी…..
अब ताइजी पूरी तरह रस से भर गयी थी उनके हर एक अंग पर वीर्य ही वीर्य लगा हुआ था बालो मे वीर्य की बूंदे गिरी थी और उन्हे इस बात का ज़रा भी ख़याल नही था….. अब मैं क्या करूँ इस बात का मुझे ठिकाना नही था … क्यू कि सबेरे जब वो उठेगी तो मुझसे कुछ ना कुछ तो ज़रूर पूछेगी….?
मैने उनकी ब्रा पहेना के, उपर से ब्लाउस चढ़ा दी….. ब्लाउस के उपर से एक बार उनके मम्मो को चूस लिया और थोड़ा आगे पीछे करके उनके पूरे अंगो को सारी ढक दिया…
और अब मैं आके अपने दीवान पे शांति से सो गया… मैं पूरी तरह खुश हो गया था ताइजी की बुर मे अपना पानी छोड़ के…जिसकी गंध अभी भी पूरे कमरे मे घूम रही थी…..ऐसे ही सोते सोते मैं कब सो गया पता ही नही चला
सबेरे जब मैं उठा तो लगभग 7 बज गये थे. मैं उठ कर नीचे जाके नहा धो लिया और सेठ जी के साथ काम पे चल दिया…
आज मुझे खुदसे काम करना था… सेठ जी ने मुझे एक बड़ी लिस्ट दे दी और बोले कि ये लोग है जिनके कुछ पैसे आने है तुम ड्राइवर को साथ लेके जाओ और इन सबसे पूछ के आओ के पैसे कब देनेवाले हो…
मैं पैसे वसूलने के लिए निकल पड़ा, पहला कोई किसान था…मुझे ड्राइवर ने बोला कि ये जो किसान है ये बहुत ही स्याना है…. पैसे होनेपर ऐयाशी करता है…. इसके पास पैसे होनेपर भी सेठ जी का पैसा नही देता …जो भी इसके पास पैसे माँगने जाता है वो वापस से सेठ जी के पास उसे थोड़ा टाइम दे दो कहके बिना पैसे वैसे ही आता है …… थोड़ी देर मे हम जब उसके घर के पास पहुचे तो पाया कि उसका घर नदी के उस पार है उस पूल पे से गाड़ी नही जा सकती. मैने ड्राइवर को नदी के उस पार ही गाड़ी को संभालते हुए बैठने को बोला और मैं वो छोटे से पूल को पार करके उसके घर के पास पहुचा… नदी मे थोड़ा पानी था जो कि धीरे धीरे बह रहा था …. आजूबाजू हल्की हल्की हरियाली थी…. उस किसान का घर ठीक ठाक ही था… मैने उधर खड़े आदमी को पूछा कि इस नाम का व्यक्ति इधर रहता है तो उसने हां मे जवाब दिया… और मुझे उस घर के अंदर लेके गया…..
अंदर जाके मैने देखा कि वो किसान और उसकी धर्मपत्नी जो अपने छोटे बच्चे को दूध पिला रही थी… बैठे थे… सामानेवाले आदमी ने जब बोला कि ये सेठ जी के यहाँ से आए है तो वो उठा खड़ा हुआ ..और मुझे “आइए आइए बाबूजी..” बैठने को बोला. अंदर जाके पानी लेके आया, उसकी बीवी उधर ही मेरे सामने बैठे बिना कुछ लाज शरम किए बच्चे को दूध पिला रही थी… जैसे कोई उसके सामने कोई है ही नही..
मैं : तुम्हारे 12 हज़ार रुपये आने बाकी है
किस्सान: हाँ बाबूजी
मैं : सेठ जी ने मुझे पैसे लेने भेजा है
किस्सन: बाबूजी पैसे तो नही है
मैं: फिर कब मिलेंगे
किस्सन : फसल निकलने पे मिलेंगे बाबूजी
मैं: सेठ जी ने मुझे आज ही पैसे लाने को कहा है
किस्सन : मैने बहुत जुगाड़ करना चाहा बाबूजी पर कुछ बना नही बाबूजी
सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे इशारा करके निकल गया…. किसान की बीवी के मम्मे मस्त थे… बहुत बड़े नही थे पर बहुत ही गोल और छोटे छोटे टमाटर की तरह उसके छाती से चिपके हुए थे….
किसान फिर बोला: बाबूजी कुछ जुगाड़ कीजिए… इसबार सेठ जी को मना लीजिए कि मैं पैसा फसल निकलने पे दे दूँगा
मैं : अरे भाई मेरी अभी अभी नौकरी लगी है… मैं ऐसे खाली हाथ जाउन्गा तो सेठ जी क्या कहेंगे… मैं भी एक नौकर हू मालिक नही
किसान: पर आप उन्हे मना सकते है …कुछ तो कीजिए बाबूजी
उतने मे उसकी बीवी उठी और अंदर चली गयी… वो मेरे पास आके बैठ गया… मैं उसे क्या बोलू कुछ समझ नही आ रहा था…. उसने मेरे जाँघो पे हाथ रख दिया… और हल्केसे सहलाने लगा…. मैं गरम होने लगा…. मतलब ये सेठ जी का पैसा ना चुकाने के बदले कुछ तो देना चाह रहा था….
मैं भी इसी खोज मे था कि अगर पैसा नही दे रहा है तो कुछ और तो दे सकता है जैसे कि कुछ सामान वमान… पर ये तो पूरा चालू निकला साला …अपनी गांद ही दे रहा था … मेरे से पूरा सॅट कर बैठ गया…. जाँघोसे घुमा के उसने अपना हाथ अभी मेरी पॅंट के बीचोबीच लाया और सहलाने लगा….
थोड़ी देर मे मेरा तंबू बड़ा हो गया… और उसने मेरे तंबू को अपने हाथो से और अच्छे सहलाना शुरू किया… मुझे तो मुफ़्त मे मेज़वानी मिल रही थी…. उतने मे उसकी बीवी आ गयी… और मेरे दूसरे बाजू बैठ गयी…. इतना सॅट के बैठ गयी कि उसकी एक चुचि मेरे हाथ को चिपक रही थी….
इधर इसने मेरा चैन खोला और मेरा लॉडा एक क्षण मे मुँह मे भर लिया….. और चूसने लगा… मैने भी उसके बीवी के साथ रति क्रीड़ा शुरू की और उसके दूध से भरे मम्मो को दोनो हाथो से रगड़ने लगा….. उसने अपना ब्लाउस खोल दिया और एक मम्मा मेरे मुँह मे दे दिया …. मम्मे को मुँह मे लेके मैने अपना ट्रेन वाला सफ़र याद किया जिसमे मैने छोटी बहू के मम्मो मे से दूध पिया था…. मैं देखते ही देखते उसकी चुचियोसे दूध चूसने लगा…ऐसे कि मानो सालो का भूका हू…
नीचे उसका पति मेरा लंड मुँह मे लेके चूसे जा रहा था. पूरा लंड उसने अपने मुँह मे भर लिया था और गोटियो के साथ खेलते खेलते चुसाइ का मज़ा ले रहा था… उसकी थूक मेरे पूरे लंड पे फैल गयी थी…. मज़ा बहुत आ रहा था …उपर दूध और नीचे चुसाइ ….स्वर्ग मे रहने आया हू बल्कि यही स्वर्ग है ऐसा प्रतीत हो रहा था …..
चुसाइ के बाद मैने उसकी बीवी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सारी उपर उठा दी…. साड़ी उसकी पीठ पे चढ़ गयी मैने पीछे से जाके उसके बुर मे उंगली डाली… मस्त बुर थी …. जाने किस जमाने से बल निकाले नही गये थे …बालो मे छिप सी गयी थी ….. मैने 2-3 उंगलिया घुसाई… उधर वो मेरा लंड नीचे सहला रहा था …मैने उसे बाजू किया और घोड़ी बनी उसकी बीवी पे चढ़ा… और उसकी बुर मे उसके पति के थूक से लिच्पिच लंड घुसा दिया…. और पेलने लगा …उसके चूतर मस्त हिलने लगे….
मेरे दिमाग़ मे एक ख़याल आया क्यू ना इसकी गोरी गान्ड मारी जाए…. मैने अपने लंड बाहर निकाला उसकी गांद का छेद पूरा सिकुदा सा और पूरी तरह बंद था
मैने किसान को बोला -कि इसके दोनो चूतरो को फैला तो
उसने पूछा: क्यू बाबूजी वो बोला
मैं: क्यू कि मुझे इसकी गांद मारनी है ….
वो बोला: बाबूजी उधर मत डालना उधर इसने कभी लिया नही है
मैं : तो क्या हुआ अब ले लेगी
वो : बाबूजी चाहे तो आप मेरी ले लो पर इसकी मत लो इसको इस चीज़ का ज़रा भी अनुभव नही है
मैं: पहली बार जब तूने इसकी बुर मे लंड डाला था तो क्या इसको अनुभव था …नही ना …फिर
वो : ठीक है बाबूजी जैसा आप कहे
उसने अपने बीवी के सामने से आके उसकी घोड़ी पे चढ़के उसके गांद को फैला दिया… मैने अपन लंड उसके छेद पे रखा और सवारी की तैय्यारि करने लगा ….
मैने एक दो बार प्रयत्न किया पर कुछ फ़ायदा नही हुआ …लंड सटके जा रहा था …छेद बहुत ही छोटा था… मैने उसे उसपे थूकने को कहा वो 2-3 बार थूकने पर भी लंड नही गया
मैने उसे अंदर जाके तेल की सीसी लाने को बोला, वो थोड़ी देर मे तेल ले आया हमने मिलके उसके बीवी के गांद के छेद पे अच्छे तेल पोत दिया और निशाना लगाया…. चिकनाई के कारण इस बार सूपड़ा थोड़ा अंदर चला गया.. और उधर उसकी बीवी चिल्लाने हिलने लगी “बाहर निकालो….बहुत बड़ा है ….”
मैने बोला : अभी तो ये बाहर नही निकलेगा अभी बस ये अंदर ही जाएगा
और मैने अपने आप को ठीक करके सूपदे को अंदर घुसा दिया.. वैसे ही उसकी गांद मेरे लंड पर सिकुड़ने लगी…मेरा लंड एक दम पक्का बैठ गया था थोड़ी भी हिलने की जगह नही थी और उसकी हालत बहुत ही खराब हो रही थी वो सिर्फ़ बाहर निकालो मर गयी मर गयी बोल रही थी…
मैने लंड को एकबार बाहर निकाला और थोड़ा तेल डालके फिरसे घुसा दिया इस बार ज़ोर्से धक्का मारा वैसे ही वो ज़ोर्से आगे सरक गयी….. उसके पति ने उसे आगे पकड़े रखा और मैने फिर ज़ोर्से धक्का मारा …गांद फॅट गयी
उसकी…मेरा आधा लंड उसकी पकई और ना चुदी गांद मे पूरा जम गया और आगे जाने की राह ढूँढने लगा …वो पागलो की तरह चिल्लाने लगी पर उसे पकड़े होने के कारण वो ज़्यादा हिल नही सकती थी….. मैने भी पीछे नही देखा और उसके पिछवाड़े को पेलने लगा …अपनी गति बढ़ा दी मेरी कमर अभी अच्छी ख़ास्सी हिल रही थी …उसका पति असमंजस से देख रहा था …अभी उसकी आवाज़े थोड़ी कम हुई… उसकी गांद को मेरे लंड ने थोड़ा ढीला कर दिया था इसलिए शायद…. वो साँसे ले रही थी और अपनी गांद को थोड़ा थोड़ा ढीला छोड़ रही थी …वैसेही मैने पूरा लंड एक दम घुसा दिया ….वो एक दम आगे सरक गयी और मेरे लंड को फटक से बाहर छोड़ नीचे बैठ गयी और मुझसे नही होगा नही होगा….. ये बहुत बड़ा बहुत बड़ा लंड है मैं मर जाउन्गि चिल्लाने लगी पर अब उसके पति ने ही उसे मनाया…
और फिर घोड़ी बना दिया… मैने अपना नाग बिल मे घुसा दिया और उसकी अनचुदी गांद को फिरसे मस्त चोदने लगा… उसका मुँह पूरा लाल लाल हो गया था गांद सूज गयी थी…. उसे थोड़ा हिलने पर भी तकलीफ़ हो रही थी …. गांद जो फॅट गयी थी उसकी…. दस बारह धक्को के बाद मैं उसकी गांद मे ही ढेर हो गया और नीचे दबा के उसके पीठ पे ही गिर पड़ा… वाह क्या मज़ा आया था इस वसूली मे बहुत ही ज़्यादा मज़ा था …
क्रमशः...................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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