गहरी चाल पार्ट--11
करण ने सर उठाया तो दोनो 1 दूसरे को देख मुस्कुरा दिए.बढ़िया चुदाई से दोनो के जिस्मो की आग ठंडी हो गयी थी & अब दोनो के चेहरो पे संतोष & खुशी के भाव थे.कामिनी करण के चेहरे को अपने हाथो से सहलाने लगी.
करण के हाथ अभी भी उसकी मस्त गंद के नीचे दबे हुए थे.उसने उन्हे वाहा से खींचा तो तो वो कामिनी के पैरो से टकरा गये जिन्हे उसने उसकी कमर से उतार कर अब घुटनो को मोड़ बिस्तर पे रख लिया था,"इन्होने तो मेरी हालत खराब कर दी!",उसने उसकी हाइ हील सॅंडल्ज़ की ओर इशारा किया तो दोनो हँस पड़े.
कामिनी अपनी 1 टांग उठा हाथ बढ़ा के उस पैर की सॅंडल खोलने लगी तो करण,वैसे ही उसके उपर लेटे उसकी चूत मे अपना सिकुदा लंड डाले उसकी दूसरी सॅंडल उतारने लगा.थोड़ी ही देर बाद दोनो सॅंडल्ज़ ज़मीन पे गिरी हुई थी.
दोनो 1 दूसरे के चेहरो पे हाथ फेरते हुए 1 दूसरे को चूमने लगे,"आइ लो-.."
"प्लीज़ करण..",कामिनी ने उसके होंठो पे हाथ रख दिया & उसे अपने उपर से हटते हुए उठ बैठी.
"क्या हुआ कामिनी?",करण भी उठ गया & उसकी बगल मे बैठ उसे अपनी बाई बाँह के घेरे मे ले लिया.
"करण.."
"हां,कामिनी कहो."
"करण,प्लीज़ हुमारे रिश्ते को कोई नाम मत दो...प्लीज़!"
"मगर..-"
"प्लीज़ करण,ऐसा करना कोई ज़रूरी तो नही.देखो मुझे ग़लत मत समझना.जितनी खुशी मैने तुमसे अभी पाई है,उसे मैं लफ़ज़ो मे बयान नही कर सकती..",कामिनी थोडा घूम कर उसके सीने को सहला रही थी.करण का बाया हाथ तो अभी भी कामिनी के बाए कंधे पे था,मगर दाया अब उसकी भारी दाई जाँघ पे फिसल रहा था.
"..लेकिन मैं रिश्तो के पचदे मे पड़ हुमारे इस खूबसूरत एहसास को खोना नही चाहती....मुझे नही पता कल मेरी ज़िंदगी क्या मोड़ लेगी...हो सकता है,मैं फिर से शादी कर लू....या फिर हो सकता है ऐसे ही रहू...",उसका हाथ करण के सीने से सरक नीचे उसकी गोद मे लटक रहे लंड पे आ गया था,सिकुदे लंड को मुट्ठी मे भरने उसे बहुत अच्छा लगा.
करण भी अब उसकी जाँघो से आगे बढ़ हाथ को उसकी दोनो के रसो से भीगी चूत पे ले गया था.कामिनी ने थोडा आगे बढ़ जैसे उसकी उंगलियो को चूत के अंदर लेने की कोशिश की,"..मगर आज मैं बस अपनी ज़िंदगी भरपूर जीना चाहती हू..इसका पूरा लुत्फ़ उठना चाहती हू..बिना किसी बंधन के.",उसके हाथो की हर्कतो से करण का लंड 1 बार फिर खड़ा हो गया था & उसकी चूत भी करण की उंगलियो की रगड़ से कसमसने लगी थी.
"मैं तुम्हारी बात समझ गया,कामिनी.तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा.मैं हुमारे इस रिश्ते को कोई नाम नही दूँगा.",उसका जवाब सुनते ही कामिनी ने अपने होंठ उसके होंठो से सटा दिए.कारण ने चूमते हुए उसे लिटाया & उसकी टांगे फैला उसके उपर सवार हो 1 बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसाने लगा.
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जगबीर ठुकराल अपनी ऐसह्गह के फूलो से सजे बिस्तर पे अपनी 1 रखैल के उपर चढ़ा हुआ था.उस लड़की ने 1 बहुत ढीली,झीनी नाइटी पहनी थी जोकि उसके घुटनो के उपर तक आती थी.वो लड़की पीठ के बाल लेटी थी & केवल 1 अंडरवेर पहने ठुकराल उसके उपर लेट उसकी नाइटी के गले मे से उसकी 1 चूची निकाल कर चूस रहा था.3 लड़किया बिस्तर पे ही उनके पास बैठी उनके बदनो को सहलाती हुई उनका कामुक खेल देख रही थी.पाँचवी लड़की अभी-2 शवर क्यूबिकल से नहा के निकली थी & तौलिए से अपना बदन पोंच्छ रही थी.
तभी ठुकराल का मोबाइल बजा तो उसने लड़की की छाती से सर उठा कर फोन लाने का इशारा किया.वो नहा कर आई लड़की केवल 1 पॅंटी पहने आगे बढ़ी & मेज़ से मोबाइल उठाकर ठुकराल की पीठ पे अपनी नंगी चूचिया दबाती लेट गयी.अब 1 लड़की के उपर ठुकराल था & उसके उपर ये दूसरी लड़की.
लड़की ने मोबाइल ऑन कर पीछे से ठुकराल के दाए कान पे लगा दिया & उसके सर को चूमने लगी,"हेलो....अच्छा...ठीक है,मैं अभी नीचे आता हू,माधो..तुम गाड़ी निकालो.",ठुकराल लड़की के उपर से उठने लगा तो उसके उपर सवार लड़की भी उसकी पीठ से उतर गयी.ठुकराल बिस्तर से उतर कर खड़ा हुआ & उसकी ओर हाथ बढ़ाया.लड़की मुस्कुराती हुई उसकी बाहो मे आ गयी,"चलो घूमने चलते हैं."
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कोई भी इंसान अपने दिल मे खुद के कितने भी राज़ च्छूपा ले,उसे 1 राज़दार की ज़रूरत तो पड़ती ही है.ठुकराल का राज़दार था माधो.ठुकराल ने उसपे कभी कोई बहुत बड़ा एहसान किया था,उस दिन से माधो बस उसका भक्त बन गया.अब तो वो उसका सेक्रेटरी,बॉडीगार्ड,ड्राइवर सभी कुच्छ था...यू कहिए की वो ठुकराल की परच्छाई था.
दुनिया उसे उसका खास नौकर समझती थी.निचली मंज़िल की देख-रेख उसी के ज़िम्मे थी मगर उसे उपरी मंज़िल के बारे मे भी सब पता था & ठुकराल के बाद वही दूसरा मर्द था जो कभी भी वाहा जा सकता था.लंबा,तगड़ा घनी मूच्छो वाला माधो हुमेशा सफेद कुर्ते-पाजामे मे रहता था & उसकी सबसे बड़ी ख़ासियत-ठुकराल के लिए वफ़ादारी के अलावा ये थी की वो कभी भी औरतो पे गंदी नज़र नही डालता था.
पर उसे अपने मालिक की अययाशिया बुरी नही लगती थी,उसने उसपे एहसान किया था & अब वो उसके लिए हर काम करता था-अच्छा या बुरा.ठुकराल भी पूरी दुनिया के साथ कमीनपन करता पर माधो के साथ कभी भी नही.उसका & गाँव मे बसे उसके परिवार का उसने हुमेशा खास ख़याल रखा.
वही माधो इस वक़्त अपने मालिक को कार ड्राइव कर पंचमहल के बाहर अरना के जुंगलो की तरफ ले जा रहा था.शहर छ्चोड़ते ही 1 बस स्टॅंड दिखा,उस से थोड़ा आगे बढ़ माधो ने कार 1 कच्चे रास्ते पे उतार दी.
कार की पिच्छली सीट पे ठुकराल बैठा था & उसकी गोद मे वही लड़की.लड़की ने घुटनो तक की कॅप्री & बिना ब्रा के टॉप पहना था.ठुकराल को अपने लंड पे उसकी नाज़ुक मगर चौड़ी गंद का कोमल एहसास बड़ा मज़ेदार लग रहा था.उसने लड़की का टॉप उठा कर उसकी चूचिया नुमाया कर दी थी.उसका बाया हाथ उसकी कमर को मसल रहा था & दाए से उसकी बाई चुचि दबाते हुए वो उसकी बाई चुचि चूस रहा था.लड़की उसके बालो को खींचती आहे भर रही थी.
"हम पहुँच गये,मालिक.",जंगल के अंदर 1 वीरान जगह पे कार रुक गयी थी.
"वो आ गया मलिक.."
"अच्छा..",ठुकराल ने लड़की को गोद से उतारा,"..यही बैठो..मैं अभी आया.",ठुकराल कार से उतर कर उस अंजन शख्स से थोड़ी दूर पे खड़ा हो बाते करने लगा.माधो वही कार के पास खड़ा दोनो को देख रहा था & लड़की कार के काले शीशो के पीछे बैठी ठुकराल का इंतेज़ार कर रही थी.
"..समझ गये ना.किसी को कानोकान खबर नही होनी चाहिए की तुम मुझे जानते हो.इसीलिए इस वीराने मे तुम्हे बुलाया था.बस कुच्छ ही दीनो मे प्लान शुरू हो जाएगा..& माधो तुम्हे खबर करेगा.कोई तकलीफ़ हो उसे बताना,वो तुम्हारी पूरी मदद करेगा.अब जाओ."
वो आदमी निकला तो ठुकराल वापस गाड़ी मे बैठ गया.लड़की वैसे ही टॉप उठाए उसका इंतेज़ार कर रही थी.ठुकराल ने पॅंट की ज़िप खोल अपना लंड निकाला तो लड़की सीट पे अपने घुटनो पे बैठ झुक गयी & उसका लंड मुँह मे ले लिया.ठुकराल उसकी नंगी पीठ पे हाथ फेरने लगा.कार तेज़ी से वापस शहर की ओर जा रही थी.
उस बस स्टॅंड को पार करते ही 1 बूढ़ा सा आदमी दिखा.उसे देखते ही माधो ने कार उसके पास लेक रोक दी.ठुकराल ने लड़की को लंड से उठने का इशारा किया,"..ज़रा वो पैसे तो दो.",लड़की उठी & पास रखे अपने पर्स मे से 1 100 के नोटो की गद्दी निकली.
"अब करो..",ठुकराल ने पैसे ले लड़की को वापस लंड चूसने को कहा तो लड़की ने फिर से उसके लंड से अपने होंठ चिपका दिए.ठुकराल ने खिड़की का शीशा बस इतना नीचे किया की बस उसकी आँखे बाहर खड़े बुड्ढे को नज़र आए & वो अंदर की कोई भी हरकत ना देख पाए,"..ये लो..बाकी पैसे काम पूरा होने के बाद तुम्हे मिल जाएँगे.",बुड्ढे को पैसे थमाते ही कार का शीशा बंद हुआ & कार वाहा से तेज़ी से निकल गयी.
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अगले दिन कामिनी शाम को क्लब गयी,आज करण काम के सिलसिले मे 2 दीनो के लिए बाहर चला गया था.पिच्छली रात दोनो ने 3 बार चुदाई की थी & कामिनी को लगा था की कम से कम आज रात उसे करण की कमी नही खलेगी,पर शाम से ही उसकी चूत ने उसे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया था.
आज वो क्लब के पीछे बने स्विम्मिंग पूल पे चली गयी.पूल के पास कुर्सियो पे कुच्छ लोग बैठे हुए थे.पूल के अंदर भी 2 लोग तेर रहे थे.कामिनी 1 टेबल पे बैठ गयी & 1 ऑरेंज जूस का ऑर्डर दिया.वेटर जूस ले आया तो वो उसे धीरे-2 पीने लगी.आज उसने 1 ढीली सफेद,घुटनो तक की स्कर्ट &1 काली छ्होटी बाजुओ वाली शर्ट पहनी थी.
तभी कामिनी की जैसे साँस अटक गयी,पूल के दूर वाले छ्होर से 1 आदमी तेर के निकल रहा था-वो षत्रुजीत था.उसका चौड़ा सीना बालो से भरा था & उसके सारे एबेस सॉफ झलक रहे थे,उसने पास की 1 लाउंज चेर से तौलिया उठा कर अपने सर से लगा बाल पोंच्चे तो उसके बाजुओ की मांसपेशिया फदक उठी.यू लग रहा था मानो कोई बॉडी बिल्डर पोस्टर से बाहर निकला आया हो.उसकी लंबी टाँगो & मज़बूत जाँघो के उपर काले स्विम्मिंग ट्रंक मे उसकी पुष्ट,कसी गंद देख कामिनी की चूत और बेचैन हो गयी,उसका दिल तो किया की बस वो अभी अपने इस गथिले मर्दाना जिस्म के नीचे उसके नाज़ुक बदन को बस मसल ही दे.
उसने टांग पे टांग चढ़ा उसे शांत करने की कोशिश की.तभी शत्रुजीत की नज़र उसपे पड़ी & उसने उसे हाथ हिलाया.जवाब मे कामिनी ने भी हाथ हिलाया.शत्रुजीत ने 1 छ्होटा सा रोब अपने बदन पे डाल लिया.उसका उपरी बदन तो ढँक गया मगर जंघे & बालो भरी टांग अभी भी दिख रहे थे.
"हेलो.क्या मैं यहा बैठ जाऊं?"
"ज़रूर,मिस्टर.सिंग."
क्रमशः........................
GEHRI CHAAL paart--11
Karan ne sar uthaya to dono 1 dusre ko dekh muskura diye.badhiya chudai se dono ke jismo ki aag thandi ho gayi thi & ab dono ke chehro pe santosh & khushi ke bhav the.Kamini Karan ke chehre ko apne hatho se sehlane lagi.
karan ke hath abhi bhi uski mast gand ke neeche dabe hue the.usne unhe vaha se kheencha to to vo kamini ke pairo se takra gaye jinhe usne uski kamar se utar kar ab ghutno ko mod bistar pe rakh liya tha,"inhone to meri halat kharab kar di!",usne uski high heel sandals ki or ishara kiya to dono hasn pade.
kamini apni 1 tang utha hath badha ke us pair ki sandal kholne lagi to karan,vaise hi uske upar lete uski chut me apna sikuda lund dale uski dusri sandal utarne laga.thodi hi der baad dono sandals zameen pe giri hui thi.
dono 1 dusre ke chehro pe hath ferte hue 1 dusre ko chumne lage,"i lo-.."
"pleasae karan..",kamini ne uske hotho pe hath rrakha diya & use apne upar se hatate hue uth baithi.
"kya hua kamini?",karan bhi uth gaya & uski bagal me baith use apni baayi banh ke ghere me le liya.
"karan.."
"haan,kamini kaho."
"karan,please humare rishte ko koi naam mat do...please!"
"magar..-"
"please karan,aisa karna koi zaroori to nahi.dekho mujhe galat mat samajhna.jitni khushi maine tumse abhi payi hai,use main lafzo me bayan nahi kar sakti..",kamini thoda ghum kar uske seene ko sehla rahi thi.karan ka baaya hath to abhi bhi kamini ke baaye kandhe pe tha,magar daaya ab uski bhari daayi jangh pe fisal raha tha.
"..lekin main rishto ke pachde me pad humare is khubsurat ehsas ko khona nahi chahti....mujhe nahi pata kal meri zindagi kya mod legi...ho sakta hai,amin fir se shadi kar lu....ya fir ho sakta hai aise hi rahu...",uska hath karan ke seene se sarak neeche uski god me latak rahe lund pe aa gaya tha,sikude lund ko mutthi me bharne use bahut achha laga.
karan bhi ab uski jangho se aage badh hath ko uski dono ke raso se bhigi chut pe le gaya tha.kamini ne thoda aage badh jaise uski ungliyo ko chut ke andar lena ki koshish ki,"..magar aaj main bas apni zindagi bharpoor jeena chahti hu..iska pura lutf uthana chahti hu..bina kisi bandhan ke.",uske hatho ki harkato se karan ka lund 1 baar fir khada ho gaya tha & uski chut bhi karan ki ungliyo ki ragad se kasmasane lagi thi.
"main tumhari baat samajh gaya,kamini.tum jaisa chahti ho vaisa hi hoga.main humare is rishte ko koi naam nahi dunga.",uska jawab sunte hi kamini ne apne homth uske hotho se sata diye.karan ne chumte hue use litaya & uski taange faila uske upar sawar ho 1 baar fir uski chut me apna lund ghusane laga.
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Jagbir Thukral apni aisahgah ke phoolo se saje bistar pe apni 1 rakhail ke upar chadha hua tha.us ladki ne 1 bahut dhili,jheeni nighty pehni thi joki uske ghutno ke upar tak aati thi.vo ladki pith ke bal leti thi & kewal 1 underwear pehne thukral uske upar let uski nighty ke gale me se uski 1 chhati nikal kar chus raha tha.3 ladkiya bistar pe hi unke paas baithi unke badno ko sehlati hui unka kamuk khel dekh rahi thi.paanchvi ladki abhi-2 shower cubicle se naha ke nikli thi & tauliye se apna badan ponchh rahi thi.
tabhi thukral ka mobile baja to usne ladki ki chhati se sar utha kar phone lane ka ishara kiya.vo naha kar aayi ladki kewal 1 panty pehne aage badhi & mez se mobile uthakar thukral ki pith pe apni nangi chhatiya dabati let gayi.ab 1 ladki ke upat thukral tha & uske upar ye dusri ladki.
ladki ne mobile on kar mpeechhe se thukral ke daaye kaan pe laga diya & uske sar ko chumne lagi,"hello....achha...thik hai,main abhi neeche aata hu,Madho..tum gaadi nikalo.",thukral ladki ke upar se uthne laga to uske upar sawar ladki bhi uski pith se utar gayi.thukral bistar se utar kar khada hua & uski or hath badhaya.ladki muskurati hui uski baaho me aa gayi,"chalo ghumne chalte hain."
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koi bhi insan apne dil me khud ke kitne bhi raaz chhupa le,use 1 razdar ki zarurat to padti hi hai.thukral ka razdar tha madho.thukral ne uspe kabhi koi bahut bada ehsan kiya tha,us din se madho bas uska bhakt ban gaya.ab to vo uska secretary,bodyguard,driver sabhi kuchh tha...yu kahiye ki vo thukral ki parchhayi tha.
duniya use uska khas naukar samajhti thi.nichli manzil ki dekh-rekh usi ke zimme thi magar use upari manzil ke bare me bhi sab pata tha & thukral ke bad vahi dusra mard tha jo kabhi bhi vaha ja sakta tha.lamba,tagda ghani moochho vala madho humesha safed kurte-pajame me rehta tha & uski sabse badi khasiyat-thukral ke liye wafadari ke alawa ye thi ki vo kabhi bhi aurato pe gandi nazar nahi dalta tha.
par use apne malik ki ayyashiya buri nahi lagti thi,usne uspe ehsan kiya tha & ab vo uske liye har kaam karta tha-achha ya bura.thukral bhi puri duniya ke sath kaminapan karta par madho ke sath kabhi bhi nahi.uska & gaanv me base uske parivar ka usne humesha khas khayal rakha.
vahi madho is waqt apne malik ko car drive kar Panchmahal ke bahar Arana ke jungalo ki taraf le ja raha tha.shahar chhodte hi 1 bus stand dikha,us se thoda aage badh madho ne car 1 kachche raste pe utar di.
car ki pichhli seat pe thukral baitha tha & uski god me vahi ladki.ladki ne ghutno tak ki capri & bina bra ke top pehna tha.thukral ko apne lund pe uski nazuk magar chaudi gand ka komal ehsas bada mazedar lag raha tha.usne ladki ka top utha kar uski chhatiya numaya kar di thi.uska baaya hath uski kamar ko masal raha tha & daaye se uski baayi chhati dabate hue vo uski baayi chhati chus raha tha.ladki uske baalo ko khinchti aahe bhar rahi thi.
"hum pahunch gaye,malik.",jungle ke andar 1 veeran jagah pe car ruk gayi thi.
"vo aa gaya malik.."
"achha..",thukral ne ladki ko god se utara,"..yahi baitho..main abhi aaya.",thukral car se utar kar us anjan shakhs se thodi dur pe khada ho baate karne laga.madho vahi car ke paas khada dono ko dekh raha tha & ladki car ke kale sheesho ke peechhe baithi thukral ka intezar kar rahi thi.
"..samajh gaye na.kisi ko kanokaan khabar nahi honi chahiye ki tum mujhe jante ho.isiliye is veerane me tumhe bulaya tha.bas kuchh hi dino me plan shuru ho jayega..& madho tumhe khabar karega.koi takleef ho use batana,vo tumhari puri madad karega.ab jao."
vo aadmi nikla to thukral vapas gaadi me baith gaya.ladki vaise hi top uthaye uska intezar kar rahi thi.thukral ne pant ki zip khol apna lund nikala to ladki seat pe apne ghutno pe baith jhuk gayi & uska lund munh me le liya.thukral uski nangi pith pe hath ferne laga.car tezi se vapas shahar ki or ja rahi thi.
us bus stand ko paar karte hi 1 budha sa aadmi dikha.use dekhte hi madho ne car uske paas lake rok di.thukral ne ladki ko lund se uthne ka ishara kiya,"..zara vo paise to do.",ladki uthi & paas rakhe apne purse me se 1 100 ke noto ki gaddi nikali.
"ab karo..",thukral ne paise le ladki ko vapas lund chusne ko kaha to ladki ne fir se uske lund se apne honth chipka diye.thukral ne khidki ka sheesha bas itna neeche kiya ki bas uski aankhe bahar khade buddhe ko nazar aaye & vo andar ki koi bhi harkat na dekh paye,"..ye lo..baki paise kaam pura hone ke baad tumhe mil jayenge.",buddhe ko paise thamate hi car ka sheesha band hua & car vaha se tezi se nikal gayi.
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aglwe din kamini sham ko club gayi,aaj karan kaam ke silsile me 2 dino ke liye bahar chala gaya tha.pichhli raat dono ne 3 baar chudai ki thi & kamini ko laga tha ki kam se kam aaj raat use karan ki kami nahi khalegi,par sham se hi uski chut ne use fir se pareshan karna shuru kar diya tha.
aaj vo club ke peechhe bane swimming pool pe chali gayi.pool ke paas kursiyo pe kuchh log baithe hue the.pool ke andar bhi 2 log tair rahe the.kamini 1 table pe baith gayi & 1 orange juice ka order diya.waiter juice le aaya to vo use dheere-2 peene lagi.aaj usne 1 dhili safed,ghutno tak ki skirt &1 kali chhoti bazuo vali shirt pehni thi.
tabhi kamini ki jaise saans atak gayi,pool ke door vale chhor se 1 aadmi tair ke nikal raha tha-vo Shatrujeet tha.uska chauda seena baalo se bhara tha & uske sare abs saaf jhalak rahe the,usne paas ki 1 lounge chair se tauliya utha kar apne sar se laga baal ponchhe to uske bazuo ki manspeshiya fadak uthi.yu lag raha tha mano koi body builder poster se bahar nikla aaya ho.uski lambi taango & mazbut jaangho ke upar kale swimming trunk me uski pusht,kasi gand dekh kamini ki chut aur bechain ho gayi,uska dil to kiya ki bas vo abhi apne is gathile mardana jism ke neeche uske nazuk badan ko bas masal hi de.
usne tang pe tang chadha use shant karne ki koshish ki.tabhi shatrujeet ki nazar uspe padi & usne use hath hilaya.jawab me kamini ne bhi hath hilaya.shatrujeet ne 1 chhota sa robe apne badan pe daal liya.uska upari badan to dhank gaya magar janghe & baalo bhari tang abhi bhi dikh rahe the.
"hello.kya main yaha baith jaoon?"
"zaroor,mr.singh."
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