Monday, June 14, 2010

गहरी चाल पार्ट--33

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गहरी चाल पार्ट--33


लंच के बाद कामिनी करण से मिलने लॉक-अप पहुँची.उसने देखा की वाहा संजीव मेहरा भी मौजूद हैं,थोड़ी देर करण के साथ बाते करने के बाद वो उसके चाहचहा को 1 तरफ ले गयी,"मिस्टर.मेहरा,मुझे आपसे 1 काम है?"

"हां,कामिनी जी,बोलिए."

"देखिए,मेहरा साहब,इस काम से करण को बचाने मे हमे काफ़ी मदद मिल सकती है,इसलिए मैं चाहती हू कि आप जल्द से जल्द इस काम को पूरा करें."

"आप काम बताइए तो कामिनी जी,अपने भतीजे को यहा से निकालने के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा."

"मिस्टर.मेहरा,मुझे शीना के लंडन के उसके फोने की कॉल डीटेल्स चाहिए."

संजीव मेहरा थोड़ी सोच मे पड़ गये,"क्या हुआ,मेहरा साहब?"

"जी..",वो अपने ख़यालो से बाहर आए,उनके चेहरे पे थोड़ी झिझक दिख रही थी,लेकिन फिर जैसे उन्होने पक्का इरादा कर लिया,"..इस से करण को निकालने मे हमे मदद मिलेगी ना?'

"आप मुझपे भरोसा रखिए,मिस्टर.मेहरा.अब कारण को मैं यहा से निकाल के ही रहूंगी."

"ठीक है,मैं अभी ही लंडन बात करता हू."

"1 बात का ख़याल रखिएगा,मेहरा साहब..इस बात का आप चाहे जैसे भी पता लगाएँ,शीना & उसके परिवार वालो को इसकी भनक भी नही लगनी चाहिए."

"आओ बेफ़िक्र रहें,कामिनी जी."

कामिनी वाहा से निकल कर वापस अपने ऑफीस पहुँची,आज शाम उसके प्लान का पहला हिस्सा शुरू होने वाला था,मगर उसके पहले उसे फिर से मोहसिन जमाल से 1 काम करवाना था,"हेलो,मोहसिन?"

"हां,कामिनी जी,बोलिए."

"1 और काम है."

"बताइए."

"मोहसिन,तुम्हे जगबीर ठुकराल का पीछा कर के ये पता लगाना है कि वो कहा-2 जाता है..खास तौर से कोई रेस्टोरेंट,होटेल..वग़ैरह."

"ओके,कामिनी जी,समझिए काम शुरू हो गया."

"थॅंक्स,मोहसिन.",कामिनी ने फोन बंद कर दिया.

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"आउच...!",षत्रुजीत सिंग के कमरे की ओर जाती कामिनी वाहा से निकल रहे किसी आदमी से टकरा गयी थी.कुच्छ सिक्के खनखनाने की आवाज़ आई तो उसने देखा की वो अपना बटुआ ठीक करते हुए निकल रहे अब्दुल पाशा से टकरा गयी थी,"सॉरी!",उसने ज़मीन पे पड़े 1-2 सिक्के उठाके उसके हवाले किए & अंदर चली गयी.शत्रुजीत शायद बाथरूम मे था,कामिनी ने अपना सूटकेस खोला & अपना समान उसमे डालने लगी.

"अब कहा जा रही हो?",शत्रुजीत बाथरूम से बाहर आया.

"अपने घर.",कामिनी कपड़े तह लगाके बक्से मे डाल रही थी.

"मगर क्यू?..तुम जानती हो तुम्हारी जान को ख़तरा है..ऐसे मे तुम वाहा अकेले कैसे रहोगी?!"

"तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही शत्रुजीत,तुम बस अपनी फ़िक्र करो."

"कामिनी..",शत्रुजीत की थयोरियाँ चढ़ गयी,"..ये क्या तरीका है बात करने का!"

"जो भी है,बिल्कुल सही है..",कामिनी ने सूटकेस बंद किया,"..तुम 1 झूठे & 1 खूनी हो शत्रुजीत सिंग..& मैं तुमसे नफ़रत करती हू."

"क्या झूठ बोला है मैने?",शत्रुजीत बाहे अपने सीने पे बँधे उसे घूर रहा था.

"नंदिता का खून तुम ही ने किया है..अब तक तुम मुझसे झूठ बोलते आ रहे हो कि तुम बेकसूर हो..तुम मुझसे शादी करना चाहते थे मगर नंदिता के रहते ऐसा नही कर सकते थे,इसलिए तुमने उस बेचारी को मार दिया."

"क्या सबूत है तुम्हरे पास?"

"वो तो मैं अदालत मे पेश करूँगी!",कामिनी ने सूटकेस उठाया & निकल गयी.शत्रुजीत बस उसे जाते देखता रहा.

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इस सबके 2 दिन बाद मोहसिन ने दोपहर को कामिनी को फोन किया,"कामिनी जी,ठुकराल वैसे तो अपने घर से अपने दफ़्तर & पार्टी ऑफीस के अलावा दिन मे कही नही जाता मगर हर शाम को बरटन होटेल के लावा लाउंज बार मे ज़रूर जाता है..वाहा उसका अपना 1 प्राइवेट लाउंज है."

"ओके,मोहसिन,ऐसा करो की आज शाम भी वी जैसे ही वाहा पहुँचे मुझे खबर करना,बस तुम्हारा काम पूरा हो गया समझो."

"ओके,कामिनी जी."

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कामिनी बरटन होटेल की बेसमेंट पार्किंग मे अपनी कार मे बैठी मोहसिन के फोन का इंतेज़ार कर रही थी,तभी घंटी बजी,"बोलो,मोहसिन!"

"उसकी कार होटेल के गेट पे है,कामिनी जी."

"थॅंक्स,मोहसिन.अब उसका पीचछा करने की कोई ज़रूरत नही.तुम कल आके अपनी फीस ले लेना."

"ओके,कामिनी जी,थॅंक्स."

कामिनी तेज़ी से अपनी कार से उतरी & लिफ्ट से थोड़ी ही देर मे लावा मे पहुँच गयी.वाहा पहुँच के बार पे उसने 1 कॉकटेल का ऑर्डर दिया & फिर 1 बरस्तूल पे काफ़ी परेशान सी सूरत बनाके बैठ गयी.बारटेंडर ने कॉकटेल उसके सामने रख दिया तो वो उसे बेमन से पीने का नाटक करने लगी.

ठुकराल ने तो घुसते ही उसे देख लिया था,कोई थोड़ी देर बाद वो उसके पास आया & चौंकने का नाटक किया"अरे,कामिनी जी!आप यहाँ."

"ओह!हेलो,ठुकराल साहब,कैसे हैं?",कामिनी ने भी वैसे ही हैरान होने का नाटक करते हुए अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया जिसे ठुकराल ने खुशी-2 थाम लिया.हाथ मिलाते हुए कामिनी को 1 बार फिर पक्का यकीन हो गया की इस आदमी को औरतो का शौक है & जो काम वो करने जा रही थी उसे उसमे ज़रूरा कामयाबी मिलेगी.

"कुच्छ परेशान नज़र आती हैं?",ठुकराल ने उसका हाथ छ्चोड़ा.

"जी..",कामिनी के चेहरे पे फिर से परेशानी के भाव आ गये.

"कही इस परेशानी की वजह शत्रुजीत सिंग तो नही?"

"आपने बिल्कुल ठीक समझा,ठुकराल साहब.",कामिनी ने अपने कॉकटेल का 1 सीप लिया,"..मुझे तो लगता है कि उस इंसान का केस लेके मैने बहुत बड़ी ग़लती की..अरे आप कुच्छ लेंगे,सॉरी!मैने आपसे पहले नही पुचछा.",कामिनी ने आज 1 स्लीव्ले,हॉल्टर नेक का टॉप & टाइट जीन्स पहनी थी & पैरो मे ऊँची हील वाले जूते.कसे लिबास मे उसके बदन का 1-1 कटाव उभर के ठुकराल की नज़रो के सामने आ रहा था.उस हवस के पुजारी के दिल मे इस हुस्न की मल्लिका की जवानी को भोगने का ख़याल सिर उठाने लगा.

"अरे,नही.थॅंक्स..अगर आप बुरा ना माने तो थोड़ी शांत जगह जाके बात करें,यहा बहुत भीड़ है."

कामिनी थोड़ा पशोपेश मे दिखी,"यही..इसी तरफ मेरा प्राइवेट लाउंज है,आपको वाहा कोई तकलीफ़ नही होगी."

"ओके,चलिए."

दोनो लाउंज मे आ पहुँचे जहा 1 मेज़ के गिर्द 3 सोफे लगे थे,हर सोफा था तो 2 लोगो के लिए लेकिन उसपे बिना सटे 2 जान नही बैठ सकते थे.लाउंज के 1 कोने मे 1 बार था जिसके पीछे खड़े बारटेंडर ने ठुकराल के घुसते ही उसे सलाम किया.कामिनी 1 सोफे पे बैठ गयी तो ठुकराल ने बारटेंडर को 2 कॉकटेल्स का ऑर्डर दिया.जब बारटेंडर ने दोनो ड्रिंक्स मेज़ पे रखी तो ठुकराल ने उसे बाहर जाने का इशारा किया & फिर खुद कामिनी के बगल मे बैठ गया.

"आच्छा किया जो यहा आ गये,ठुकराल साहब वरना बाहर कोई देख लेता तो बेवजह बाते बनाता.",कामिनी ने 1 सीप लिया,"..अब आपको तो पता ही है कि लोग आपको शत्रुजीत सिंग का दुश्मन समझते हैं."

ठुकराल हंसा,"क्या करें,कामिनी जी!दुनिया तो मुझे हमेशा ही ग़लत समझती आई है",वो कामिनी के बाए तरफ बैठा था & उसने अपनी दाई टांग उसकी बाई टांग से सटा दी थी.कामिनी सब कुच्छ देख रही थी मगर जानबूझ कर अंजान बन रही थी,"अब आप खुद को ही लीजिए..आपने भी तो हमारा ऑफर ठुकरा दिया & शत्रुजीत सिंग से हाथ मिला लिया."

"ठुकराल साहब,आप ग़लत कह रहे हैं.शत्रुजीत मेरे पास आपसे पहले आया था..",फिर उसने सर झुका लिया जैसे बहुत परेशान हो,"..आज तो मुझे भी लगता है कि उसका ऑफर मान कर मुझे नुकसान ही हुआ है..अगर आपका ऑफर मान लेती तो..",उसने जान बुझ कर बात को अधूरा छ्चोड़ दिया.

"शत्रुजीत से आपकी अनबन के बारे मे मुझे पता चला है तो क्या आप उसका केस छ्चोड़ देंगी?",कामिनी के कान खड़े हो गये..इसे पता चल गया यानी टोनी अपना काम मुस्तैदी से कर रहा था..मगर उसने उस बात की ओर कोई ध्यान नही दिया.

"चाहती तो हू पर ऐसा कर नही सकती.",वो सोफे की पीठ से टेक लगाके ठुकराल की ओर घूमती हुई बाई कोहनी सोफे की पीठ पे टीका के उस हाथ को माथे पे रख लिया.

"कामिनी जी..",ठुकराल ने अपना ग्लास नीचे रख दिया & दाए हाथ से उसके बाए कंधे & उपरी नंगी बाँह को सहलाने लगा,"..मुझे अपना दोस्त ही समझिए..अगर ठीक समझे तो अपनी परेशानी कहिए..शायद मैं कुच्छ मदद कर सकु."

कामिनी थोड़ी देर तक वैसे ही रही फिर अपना हाथ अपने माथे से नीचे लिया,ठुकराल वैसे ही उसका कंधा सहला रहा था,"ठुकराल साहब..ये 2 केस..1 शत्रुजीत सिंग वाला & दूसरा वो ज्ययंत पुराणिक के मर्डर वाला..ये केसस तो मेरा करियर चौपट कर के रहेंगे!",वो सीधी हो गयी & बाई टांग को दाई पे चढ़ा लिया & हाथो को सीने पे बाँध लिया.ऐसा करते ही उसकी कसी जीन्स मे क़ैद भारी जाँघो का आकार ठुकराल के सामने आ गया & उसकी बँधी बाहो की वजह से उसकी मोटी चूचिया ऐसे लगने लगी मानो टॉप को फाड़ के बाहर आ जाएँगी.ठुकराल ने अब पूरा मन बना लिया था की चाहे जो भी हो इस हसीना की जवानी का वो मज़ा उठा के रहेगा!

"1 ने शराब पी के 1 बेकसूर,इज़्ज़तदार शहरी का खून कर दिया तो दूसरे ने अपनी बीवी का!",ठुकराल 1 बार फिर उसके कंधे को सहलाने लगा,"..पता नही किस मनहूस घड़ी मे मैने इन 2 बेवकूफो का वकील बनना मंज़ूर किया था!"

"..अब तो बस किसी तरह इन दोनो को मौत की सज़ा से बचा के उम्र क़ैद तक ले आऊँ ये बहुत होगा!"

"परेशान क्यू होती हैं,कामिनी जी..",ठुकराल थोड़ा और करीब हो आया,अब उसकी जंघे फिर से कामिनी की जाँघो से लग गयी थी,"..आप तो मानी हुई वकील हैं,आपके लिए तो ये छ्होटी-मोटी हार है..",उसने ललचाई निगाहो से उसकी चूचियो को देखा.

"बात सिर्फ़ वो नही है..",कामिनी परेशान हो बाहे खोल अपने हाथो की उंगलियो को बेसब्री से मसल्ने लगी.ठुकराल का दिल किया की इन कोमल उंगलियो मे अभी अपने लंड को फँसा दे & फिर झाड़ के उन गुलाबी हथेलियो को अपने पानी से भीगा दे.

"तो क्या बात है,कामिनी जी?",ठुकराल का हाथ अब उसकी पीठ पे पहुँच गया था.

"थोड़ी देर की खामोशी के बाद कामिनी वैसे ही सर झुकाए हुए बोली,"ठुकराल साहब,मैं 1 वकील हू मगर जो पेशा मुझे हमेशा से अपनी ओर खींचता आया है वो है पॉलिटोक्स.आप लोगो के पास होती है असली ताक़त..कुच्छ भी करने की..शत्रुजीत के साथ जुड़ के मुझे लगा था की वो जब एंपी बनेगा तो मुझे भी कम से कम एमएलए तो बनवा ही देगा..मगर उस बेवकूफ़ ने तो अपनी ज़िंदगी चौपट की ही साथ ही मेरी भी!"

"कामिनी जी,अब अगर आप मेरे साथ होती तो शायद आपका ये सपना अभी तक पूरा भी हो चुका होता..मगर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था."

"ह्म्म.",कामिनी वैसे ही सर झुकाए रही.

"अब आप शत्रुजीत के इतना करीब थी फिर भी देखिए.."

"आपको कैसे पता की मैं शत्रुजीत के कितना करीब थी?",कामिनी ने सर उठाया & उसकी ओर गहरी निगाहो से देखा.

"वो कहते हैं ना कामिनी जी..की इंसान को अपने दोस्तो को करीब रखना चाहिए & दुश्मनो को उस से भी ज़्यादाद करीब."

"तो बात सच है की आप शत्रुजीत के दुश्मन हैं?"

ठुकराल हंसा,"वैसा नही जैसा आप सोचती हैं..मुझे बस लगता है की उसे अपने बाप के बल पे सब मिल रहा है."

"ये तो सच है.",कामिनी ने फिर सर झुका लिया.

"कामिनी जी आपको उदास होने की ज़रूरत नही..",ठुकराल अब उसकी पूरी पीठ सहला रहा था,"..आप चाहे तो अभी भी आपका सपना सच हो सकता है."

"क्या?!",कामिनी ने झटके सर उठाया,"..मगर कैसे?"

"केस के बाद आप मुझे जाय्न कर लीजिए."

"ओह्ह!थॅंक्स,ठुकराल साहब..थॅंक यू सो मच!",कामिनी ने उसका बाया हाथ अपने कोमल हाथो मे पकड़ लिया.उन नाज़ुक उंगलियो को देखते ही ठुकराल को ख़याल आया की इसी तरह अगर वो उसके लंड को थाम के रगडे तो उसे उन गुलाबी हथेलियो को अपने पानी से भिगोने मे कोई देर नही लगेगी.

"वैसे आपको क्या लगता है..शत्रुजीत सिंग को कितनी सज़ा होगी?"

"उसे तो पक्का फाँसी लगेगी मगर मैं किसी ना किसी तरह उसे कम करके उम्र क़ैद तक ले आऊँगी."

"अच्छा.मगर आपको क्या लगता है,उसकी बीवी का खून उसी ने लिया है?"

"बिल्कुल.इसमे कोई शुभा नही है मुझे.अब आप ही बताइए,ठुकराल साहब..",कामिनी अभी उसका हाथ थामे थी,"..उसके बंगल मे उसी के कमरे मे घुस के और कौन क़त्ल कर सकता है..और कर भी देतो बच के कैसे जाएगा!ये तो शत्रुजीत का ही काम है..& बेवकूफ़ मुझसे भी झूठ बोल रहा है."

"ओह्ह,तो क्या इसलिए आप उसके घर से चली आई?..आप तो उसके काफ़ी करीब थी?"

"आपको काफ़ी पता है,ठुकराल साहब!",कामिनी उसका हाथ हल्के से सहलाते हुए शोखी से मुस्कुराइ,"वैसे आपकी भी मेहेरबानी की वजह पुच्छ सकती हू?"

ठुकराल थोडा सोच मे पड़ गया,उसने पहले कभी नही सोचा था की कामिनी के दिल मे ऐसे पॉलिटीशियन बनने के अरमान होंगे & वो भी उसी की तरह अपने मतलब को अपना ईमान मानने वाली इंसान होगी.उसने अभी तक उसके हाथो की हर्कतो पे भी कोई ऐतराज़ नही जताया था मगर क्या वो उस से खुल के अपने दिल की बात कह सकता था?

"मेहेरबानी तो आपने मुझपे की है मेरा ऑफर कबुक करके."

"अच्छा."

"जी,हां!बंदा तो सिर्फ़ आपकी दोस्ती चाहता है."

"सिर्फ़ दोस्ती?",कामिनी वैसे ही शोख निगाहो से उसे देख रही थी.

"जी हां..",ठुकराल उसके तोड़ा और करीब आ गया & उसकी गहरी निगाहो मे झाँकने लगा & उसका हाथ वापस सहलाया,"..बस अपना खाली वक़्त मेरे साथ गुज़र लिया करें."

कामिनी बस मुस्कुराती रही,"बोलिए,गुज़रेंगी?"

"हां,ठुकराल साहब.आपके जैसे दिलवाले दोस्त के साथ कौन वक़्त नही गुज़ारना चाहेगा."

"तो यहा से कही और चलें?"

"ना-ना,आज नही."

"मगर क्यू?",ठुकराल ने अपना दाया हाथ उसकी पीठ से उसके दाए कंधे पे लगाके उसे पूरा ही अपनी ओर घुमा लिया.

"अरे!आप तो बेसबरे होने लगे.",कामिनी ने अपने दोनो हाथ उसके बाए हाथ से अलग किए & उसके सीने पे रख के उसे और करीब आने से रोका..1 बात तो तय थी ठुकराल काफ़ी कामुक आदमी था.

"प्लीज़!",ठुकराल ने उसके कंधे को दबाया.

"नही,ठुकराल साहब.जब तक केस चलता है,हम नही मिल सकते.आप मीडीया वालो को तो जानते ही हैं..कही किसी को भनक लग गयी..तो मेरे केसस तो चौपट होंगे ही,मेरी प्रॅक्टीस पे भी बुरा असर पड़ेगा..& फिर आप भी शायद मुझसे पल्ला झाड़ लेंगे.",कामिनी ने उसे छेड़ा.

"ऐसा कभी नही होगा..& फिर हमारे मुल्क मे तो आदमी की उम्र गुज़र जाती है मगर क़ानूनी केस नही ख़त्म होते..मैं इतना लंबा इंतेज़ार नही कर सकता!",उसने 1 बार फिर कामिनी को अपनी ओर खींचना चाहा.

"ओह्ह....प्लीज़ ठुकराल साहब बात को समझिए.आज मैं आपके साथ नही जा सकती....& फिर अगर आप मुझ से मिलना चाहते हैं तो किसी महफूज़ जगह का इंतेज़ाम कीजिए."

"मेरे घर से महफूज़ कौन सी जगह हो सकती है!"

"और मुझे किसी ने वाहा आते देख लिया तो?"

"वो सब मुझ पे छ्चोड़ दीजिए."

"तो ठीक है,आज तो नही पर आगे आप जब कहेंगे मैं हाज़िर हो जाऊंगी."

"ठीक है,मैं आपको फोन करूँगा."

"ओके.तो अब मैं चलती हू.",कामिनी धीरे से उसकी बाहो से निकल के खड़ी हो गयी.

"कामिनी जी,दोस्ती की शुरुआत मे अपने इस दोस्त को कोई निशानी तो देते जाइए.",ठुकराल ने इस बार उसे सीधा अपनी बाहो मे जाकड़ लिया.

"ऑफ....ओह्ह..!",कामिनी हंसते हुए उसे परे धकेलने लगी,"..आप बड़े बेसबरे हैं!..अच्छा रुकिये..ये लीजिए..!",ठुकराल उसके होंठो पे झुकता इस से पहले ही उसने उसके गाल को चूमा & उसे परे धकेल खिलखिलाती हुई वाहा से निकल ली.लाउंज के दरवाज़े पे रुक के 1 बार पलट के उसने ठुकराल की ओर 1 शोख मुस्कान फेंकी & वाहा से चली गयी.ठुकराल की खुशी का ठिकाना नही था,इतनी खूबसूरत लड़की उसके जाल मे फँस गयी थी..उसका दिमाग़ जल्द से जल्द उस से खुल के मिलने & उसके जिस्म का जम के लुत्फ़ उठाने का रास्ता ढूँदने लगा.



GEHRI CHAAL paart--33


Lunch ke baad Kamini Karan se milne lock-up pahunchi.usen dekha ki vaha Sanjiv Mehra bhi maujood hain,thodid er karan ke sath baate karne ke baad vo uske chahcha ko 1 taraf le gayi,"Mr.Mehra,mujhe aapse 1 kaam hai?"

"haan,kamini ji,boliye."

"dekhiye,mehra sahab,is kaam se karan ko bachane me hume kafi madad mil sakti hai,isliye main chahti hu ki aap jald se jald is kaam ko pura karen."

"aap kaam bataiye to kamikni ji,apne bhatije ko yaha se nikalne ke liye main kuchh bhi karunga."

"mr.mehra,mujhe Sheena ke London ke uske phone ki call details chahiye."

sanjiv mehra thodi soch me pad gaye,"kya hua,mehra sahab?"

"ji..",vo apne khayalo se bahar aaye,unke chehre pe thodi jhijhak dikh rahi thi,lekin fir jaise unhone pakka irada kar liya,"..is se karan ko nikalne me hume madad milegi na?'

"aap mujhpe bharosa rakhiye,mr.mehra.ab karan ko main yaha se nikal ke hi rahungi."

"thik hai,main abhi hi london baat karta hu."

"1 baat ka khayal rakhiyega,mehra sahab..is baat ka aap chahe jaise bhi pata lagayen,sheena & uske parivar valo ko iski bhanak bhi nahi lagni chahiye."

"aao befikr rahen,kamini ji."

kamini vaha se nikal kar vapas apne office pahunchi,aaj sham uske plan ka pehla hissa shuru hone wala tha,magar uske pehle use fir se Mohsin Jamal se 1 kaam karwana tha,"hello,mohsin?"

"haan,kamini ji,boliye."

"1 aur kaam hai."

"bataiye."

"mohsin,tumhe Jagbir Thukral ka peechha kar ke ye pata lagana hai ki vo kaha-2 jata hai..khas taur se koi restaurant,hotel..vagairah."

"ok,kamini ji,samajhiye kaam shuru ho gaya."

"thanx,mohsin.",kamini ne fone band kar diya.

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"ouchh...!",Shatrujeet Singh ke kamre ki or jati kamini vaha se nikal rahe kisi aadmi se takra gayi thi.kuchh sikke khankhanane ki aavaz aayi to usne dekha ki vo apna batua thik karte hue nikal rahe Abdul Pasha se takra gayi thi,"sorry!",usne zamin pe pade 1-2 sikke uthake uske hawale kiye & andar chali gayi.shatrujeet shayad bathroom me tha,kamini ne apna suitcase khola & apna saman usme dalne lagi.

"ab kaha ja rahi ho?",shatrujeet bathroom se bahar aaya.

"apne ghar.",kamini kapde teh lagake bakse me daal rahi thi.

"magar kyu?..tum janti ho tumhari jaan ko khatra hai..aise me tum vaha akele kaise rahogi?!"

"tumhe fikr karne ki koi zarurat nahi shatrujeet,tum bas apni fikr karo."

"kamini..",shatrujeet ki tyoriyaan chadh gayi,"..ye kya tarika hai baat karne ka!"

"jo bhi hai,bilkul sahi hai..",kamini ne suitcase band kiya,"..tum 1 jhuthe & 1 khuni ho shatrujeet singh..& main tumse nafrat karti hu."

"kya jhuth bola hai maine?",shatrujeet baahe apne seene pe bandhe use ghur raha tha.

"Nandita ka khun tum hi ne kiya hai..ab tak tum mujhse jhuth bolte aa rahe ho ki tum bekasur ho..tum mujhse shadi karna chahte the magar nandita ke rehte aisa nahi kar sakte the,isliye tumne us bechari ko maar diya."

"kya saboot hai tumhre paas?"

"vo to main adalat me pesh karungi!",kamini ne suitcase uthaya & nikal gayi.shatrujeet bas use jate dekhta raha.

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is sabke 2 din baad mohsin ne dopahar ko kamini ko fone kiya,"kamini ji,thukral vaise to apne ghar se apne daftar & party office ke alawa din me kahi nahi janta magar har sham ko Burton hotel ke Lava lounge bar me zarur jata hai..vaha uska apna 1 private lounge hai."

"ok,mohsin,aisa karo ki aaj sham bhi vi jaise hi vaha pahunche mujhe khabar karna,bas tumhara kaam pura ho gaya samjho."

"ok,kamini ji."

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kamini burton hotel ki basement parking me apni car me baithi mohsin ke fone ka intezar kar rahi thi,tabhi ghanti baji,"bolo,mohsin!"

"uski car hotel ke gate pe hai,kamini ji."

"thanx,mohsin.ab uska peechha karne ki koi zarurat nahi.tum kal aake apni fees le lena."

"ok,kamini ji,thanx."

kamini tezi se apni car se utari & lift se thodi hi der me lava me pahunch gayi.vaha pahunch ke bar pe usne 1 cocktail ka order diya & fir 1 barstool pe kafi pareshan si surat banake baith gayi.bartender ne cocktail uske samne rakh diya to vo use beman se pine ka natak karne lagi.

thukral ne to ghuste hi use dekh liya tha,koi thodi der baad vo uske paas aaya & chaunkne ka natak kiya"are,kamini ji!aap yahan."

"oh!hello,thukral sahab,kaise hain?",kamini ne bhi vaise hi hairan hone ka natak karte hue apna hath uski or badhaya jise thukral ne khushi-2 tham liya.hath milate hue kamini ko 1 baar fir pakka yakin ho gaya ki is aadmi ko aurato ka shauk hai & jo kaam vo karne ja rahi thi use usme zarura kamyabi milegi.

"kuchh pareshan nazara aati hain?",thukral ne uska hath chhoda.

"ji..",kamini ke chehre pe fir se pareshani ke bhav aa gaye.

"kahi is pareshani ki vajah shatrujeet singh to nahi?"

"aapne bilkul thik samjha,thukral sahab.",kamini ne apne cocktail ka 1 sip liya,"..mujhe to lagta hai ki us insan ka case leke maine bahut abdi galti ki..are aap kuchh lenge,sorry!maine aapse pehle nahi puchha.",kamini ne aaj 1 sleeveless,halter neck ka top & tight jeans pehni thi & pairo me oonchi heel vale joote.kase libas me uske badan ka 1-1 katav ubhar ke thukral ki nazro ke samne aa raha tha.us hawas ke pujari ke dil me is husn ki mallika ki jawani ko bhogne ka khayal sir uthane laga.

"are,nahi.thanx..agar aap bura na mane to thodi shant jagah jake baat karen,yaha bahut bheed hai."

kamini thoda pashopesh me dikhi,"yahi..isi taraf mera private lounge hai,aapko vaha koi taklif nahi hogi."

"ok,chaliye."

dono lounge me aa pahunche jaha 1 mez ke gird 3 sofe lage the,har sofa tha to 2 logo ke liye lekin uspe bina sate 2 jan nahi baith sakte the.lounge ke 1 kone me 1 bar tha jiske peechhe khade bartender ne thukral ke ghuste hi use salam kiya.kamini 1 sofe pe baith gayi to thukral ne bartender ko 2 cocktails ka order diya.jab bartender ne dono drinks mez pe rakhi to thukral ne use bahar jane ka ishara kiya & fir khud kamini ke bagal me baith gaya.

"aachha kiya jo yaha aa gaye,thukral sahab varna bahr koi dekh leta to bevajah baate banata.",kamini ne 1 sip liya,"..ab aapko to pata hi hai ki log aapko shatrujeet singh ka dushman samajhte hain."

thukral hansa,"kya karen,kamini ji!duniye to mujhe humesha hi galat samajhti aayi hai",vo kamini ke baaye taraf baitha tha & usne apni daayi tang uski baayi tang se sata di thi.kamini sab kuchh dekh rahi thi magar janbujh kar anjan ban rahi thi,"ab aap khud ko hi lijiye..aapne bhi to humara offer thukra diya & shatrujeet singh se hath mila liya."

"thukral sahab,aap galat keh rahe hain.shatrujeet mere paas aapse pehle aaya tha..",fir usne sar jhuka liya jaise bahut pareshan ho,"..aaj to mujhe bhi lagta hai ki uska offer maan kar mujhe nuksan hi hua hai..agar aapka offer maan leti to..",usne jan bujh kar baat ko adhura chhod diya.

"shatrujeet se aapki anban ke bare me mujhe pata chala hai to kya aap uska case chhod dengi?",kamini ke kaan khade ho gaye..ise pata chal gaya yani tony apna kaam mustaidi se kar raha tha..magar usne us baat ki or koi dhyan nahi diya.

"chahti to hu par aisa kar nahi sakti.",vo sofe ki pith se tek lagake thukral ki or ghumti hui baayi kohni sofe ki pith pe tika ke us hath ko mathe pe rakh liya.

"kamini ji..",thukral ne apna glass neeche rakh diya & daaye hath se uske baaye kandhe & upari nangi banh ko sehlane laga,"..mujhe apna dost hi samajhiye..agar thik samjhe to apni pareshani kahiye..shayad main kuchh madad kar saku."

kamini thodi der tak vaise hi rahi fir apna hath apne mathe se neeche liya,thukral vaise hi uska kandah sehla raha tha,"thukral sahab..ye 2 case..1 shatrujeet singh vala & dusra vo Jyayant Puranik ke murder vala..ye cases to mera career chaupat kar ke rahenge!",vo seedhi ho gayi & baayi tang ko daayi pe chadha liya & hatho ko seene pe bandh liya.aisa karte hi uski kasi jeans me qaid bhari jangho ka aakr thukral ke samne aa gaya & uski bandhi baaho ki vajah se uski moti chhatiyaa aise lagne lagi mano top ko phaad ke bahar aa jayengi.thukral ne ab pura man bana liya tha ki chahe jo bhi ho is haseena ki jawani ka vo maza utha ke rahega!

"1 ne sharab pi ke 1 bekasur,izzatdar shehri ka khun kar diya to dusre ne apni biwi ka!",thukral 1 baar fir uske kandhe ko sehlane laga,"..pata nahi kis manhus ghadi me maine in 2 bevkufo ka vakil banana manzur kiya tha!"

"..ab to bas kisi tarah in dono ko maut ki saza se bacha ke umra qaid tak le aaoon ye bahut hoga!"

"pareshan kyu hoti hain,kamini ji..",thukral thoda aur karib ho aaya,ab uski janghe fir se kamini ki jangho se lag gayi thi,"..aap to mani hui vakil hain,aapke liye to ye chhoti-moti haar hai..",usne lalchai nigaho se uski choochiyo ko dekha.

"baat sirf vo nahi hai..",kamini pareshan ho baahe khol apne hatho ki ungliyo ko besabri se masalne lagi.thukral ka dil kiya ki in komal ungliyo me abhi apne lund ko fansa de & fir jhad ke un gulabi hatheliyo ko apne pani se bhiga de.

"to kya baat hai,kamini ji?",thukral ka hath ab uski pith pe pahunch gaya tha.

"thodi der ki khamoshi ke baad kamini vaise hi sar jhukaye hue boli,"thukral sahab,main 1 vakil hu magar jo pesha mujhe humehsa se apni or khinchta aaya hai vo hai politocs.aap logo ke paas hoti hai asli taaqata..kuchh bhi karne ki..shatrujeet ke sath jud ke mujhe laga tha ki vo jab MP banega to mujhe bhi kam se kam MLA to banwa hi dega..magar us bevkuf ne to apni zindagi chaupat ki hi satyh hi meri bhi!"

"kamini ji,ab agar aap mere sath hoti to shayad aapka ye sapna abhi tak pura bhi ho chuka hota..magar honi ko kuchh aur manzur tha."

"hmm.",kamini vaise hi sar jhukaye rahi.

"ab aap shatrujeet ke itna kareeb thi fir bhi dekhiye.."

"aapko kaise pata ki main shatrujeet ke kitna kareeb thi?",kamini ne sar uthaya & uski or gehri nigaho se dekha.

"voh kehte hain na kamini ji..ki insan ko apne dosto ko kareeb rakhna chahiye & dushmano ko us se bhi zyadad kareeba."

"to baat sach hai ki aap shatrujeet ke dushman hain?"

thukral hansa,"vaisa nahi jaisa aap sochti hain..mujhe bas lagta hai ki use apne baap ke bal pe sab mil raha hai."

"ye to sach hai.",kamini ne fir sar jhuka liya.

"kamini ji aapko udas hone ki zarurat nahi..",thukral ab uski puri pith sehla raha tha,"..aap chahe to abhi bhi aapka sapna sach ho sakta hai."

"kya?!",kamini ne jhatke sar uthaya,"..magar kaise?"

"case ke baad aap mujhe join kar lijiye."

"ohh!thanx,thukral sahab..thank you so much!",kamini ne uska baay hat apne komal hatho me pakad liya.un nazuk ungliyo ko dekhte hi thukral ko khayal aaya ki isi tarah agar vo uske lund ko tham ke ragde to use un gulabi hatheliyo ko apne pani se bhigone me koi der nahi lagegi.

"vaise aapko kya lagta hai..shatrujeet singh ko kitni saza hogi?"

"use to pakka fansi lagegi magar main kisi na kisi tarah use kam karake umra qaid tak le aaoongi."

"achha.magar aapko kya lagta hai,uski biwi ka khun usi ne liya hai?"

"bilkul.isme koi shubha nahi hai mujhe.ab aap hi bataiye,thukral sahab..",kamini abhi uska hath thame thi,"..uske bungle me usi ke kamre me ghus ke aur kaun qatl kar sakta hai..aur kar bhi deto bach ke kaise jayega!ye to shatrujeet ka hi kaam hai..& bevkuf mujhse bhi jhuth bol raha hai."

"ohh,to kya isliye aap uske ghar se chali aayi?..aap to uske kafi karib thi?"

"aapko kafi pata hai,thukral sahab!",kamini uska hath halke se sehlate hue shokhi se muskurayi,"vaise aapki bhi meherbani ki vajah puchh sakti hu?"

thukral thoda soch me pad gaya,usne pehle kabhi nahi socha tha ki kamini ke dil me aise politician banane ke arman honge & vo bhi usi ki tarah apne matlab ko apna iman maanane vali insan hogi.usne abhi tak uske hatho ki harkato pe bhi koi aitraz nahi jataya tha magar kya vo us se khul ke apne dil ki baat keh sakta tha?

"meherbani to aapne mujhpe ki hai mera offer kabuk karke."

"achha."

"ji,haan!banda to sirf aapki dosti chahta hai."

"sirf dosti?",kamini vaise hi shokh nigaho se use dekh rahi thi.

"ji haan..",thukral uske thoda aur kareeb aa gaya & uski gehri nigaho me jhankne laga & uska hath vapas sehlaya,"..bas apna khali waqt mere sath guzar liya karen."

kamini bas muskurati rahi,"boliye,guzarengi?"

"haan,thukral sahab.aapke jaise dilwale dost ke sath kaun waqt nahi guzarna chahega."

"to yaha se kahi aur chalen?"

"na-na,aaj nahi."

"magar kyu?",thukral ne apna daya hath uski pith se uske daaye kandhe pe lagake use pura hi apni or ghuma liya.

"are!aap to besabre hone lage.",kamini ne apne dono hath uske baaye hath se alag kiye & uske seene pe rakh ke use aur karib aane se roka..1 baat to tay thi thukral kafi kamuk aadmi tha.

"please!",thukral ne uske kandhe ko dabaya.

"nahi,thukral sahab.jab tak case chalta hai,hum nahi mil sakte.aap media valo ko to jante hi hain..kahi kisi ko bhanak lag gayi..to mere cases to chaupat honge hi,meri practice pe bhi bura asar padega..& fir aap bhi shayad mujhse palla jhad lenge.",kamini ne use chheda.

"aisa kabhi nahi hoga..& fir humare milk me to aadmi ki umra guzar jati hai magar kanooni case nahi khatm hote..main itna lamba intezar nahi kar sakta!",usne 1 baar fir kamini ko apni or khinchna chaha.

"ohh....please thukral sahab baat ko samajhiye.aaj main aapke sath nahi ja sakti....& fir agar aap mujh se milna chahte hain to kisi mehfuz jagah ka intezam kijiye."

"mere ghar se mehfuz kaun si jagah ho sakti hai!"

"aur mujhe kisi ne vaha aate dekh liya to?"

"vo sab mujh pe chhod dijiye."

"to thik hai,aaj to nahi par aage aap jab kahenge main hazir ho jaoongi."

"thik hai,main aapko fone karoonga."

"ok.to ab main chalti hu.",kamini dheere se uski baaho se nikal ke khadi ho gayi.

"kamini ji,dosti ki shuruat me apne is dost ko koi nishani to dete jaiye.",thukral ne is baar use seedha apni baaho me jakad liya.

"off....ohh..!",kamini hanste hue sue pare dhakelne lagi,"..aap bade besabre hain!..achha rukiye..ye lijiye..!",thukral uske hontho pe jhukta is se pehle hi usne uske gaal ko chuma & use pare dhakel khilkhilati hui vaha se nikal li.lounge ke darwaze pe ruk ke 1 baar palat ke usne thukral ki or 1 shokh muskan fenki & vaha se chali gayi.thukral ki khushi ka thikana nahi tha,itni khubsurat ladki uske jaal me fans gayi thi..uska dimagh jald se jald us se khul ke milne & uske jism ka jum ke lutf uthane ka rasta dhoondne laga.








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