Monday, June 14, 2010

सेक्सी कहानिया ननद ने खेली होली--6

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ननद ने खेली होली--6



मैने भी उन दोनों के चेहरे पे लगे हुये वीर्य के थक्कों को अच्छी तरह फैला दिया...खूब लगा हुआ था...तब तक राजीव ने पकड के बारी बारी से दोनों के वीर्य लगे गालों चेहरे पे अपने गाल खूब कस कस के रगड दिये. जो गुलाल में मिला लाल रंग और कालिख उन दोनों ने इनके चेहरे पे लगाया था अब वो सब उन दोनों के चेहरे पे फैला हुआ..।

मैने राजीव का इशारा गुड्डी के खुले स्तनों की ओर किया जहां पे भी वीर्य बहोत लिथडा था...फिर क्या था उन्होने अपने दोनो गाल उन दोनो किशोर जोबनों पे...गोरे गोरे उभारों पे वो लाल गुलाबी रंग और बीच में कालिख के दाग ...और फिर अल्पी का भी नम्बर ..।

भाभी ...अरे आप क्यों भूखी बैठीं हैं....जरा आप भी भैया के माल का स्वाद चख लीजीये....आखिर आप का ही तो माल है.....गुड्डी ने मेरी ओर मुंह बढाया....अभी भी उसमें राजीव की लंड की मलाई भरी पडी थी।

मुंह बढा के मैने उसके होंठों से अपने हॊंठ सटा दिये और पल भर में ना सिर्फ उसके होंठं मेरे होंठो के बीच दबे कुचले जा रहे थे ...बल्कि मेरे जीभ भी उसके मुंह में...गुड्डी की गुलाबी जुबान पे गाढा...ढेर सारा वीर्य का थक्का....मेरी जीभ की नोक ने उसका स्वाद चखा और फिर उसके पूरे मुंह के अंदर घूम के...जहां थोडी देर पहले ही उसके भैया का मोटा कडा लंड....अभी भी उसका स्वाद....उसकी महक...जैसे मैने उसे सिखाया था वो कस के मेरी जीभ चूस रही थी चाट रही थी, उसकी जीभ बार बार उससे लड रही थी....जैसे मेरी जुबान नहो मेरे सैयां का मस्त लंड हो....कुछ देर में जो मैने मुंह ह्ल्के से खॊल के....मेरी जुबान वापस हुयी तो साथ साथ मे गुड्डी की जीभ भी....जैसे लडाई जीतने के बाद कोइ कैदी भी साथ लाये और साथ में गाढी मलाई भी....मैं भी उसे कस के चूस रही थी...आखिर मेरी प्यारी ननद की , मेरे सैयां के बचपन के माल की जुबान थी...और जैसे ही हम अलग हुए उस चालाक ने....अपने चेहरे का रंग मेरे चेहरे पे भी लिथड दिया।

भाभी इसमें भी तो भैया की मलाइ मिली है.....और फिर हम तीनों ही रंग गये तो आप कैसे बची रहतीं....हंस के वो छिनाल बोली।

तब तक पिकचर खतम हो गई।

गुड्डी और अल्पी के चेहरे भी....गोरे गालों पे लाल गुलाबी रंग...कालिख के छींटे और वीर्य की चमक....गुड्डी के तो बालों में भी एक थक्का अभी तक उलझा हुआ था लेकिन मैने बताया नहीं।

क्यों कैसे रही होली की शुरुआत .....मैने पूछा..।

अरे एक्दम गजब ...दीदी....लोग तो अपने जीजू के साथ पानी का रंग खेलते हैं लेकिन हमने तो जीजू की गाढी मलाई में लगे रंग के साथ होली खेली है...।

सोचो अगर आगाज ये है तो अंजाम कैसा होगा...उस कुडी के गुलाबी गालों पे कस के चिकोटी काटते हुये वो बोले।

अरे जीजू ये साल्ली डरने वाली नहीं हैं....लेकिन हां अपनी बहन से जरूर पूछ लीजिये. वो अदा से मटक के बोली।

अरे मेरी ननद किसी से कम नहीं है....लेकिन तेरे भी जीजा तो आने वाले होंगें...मैने पूछा।

अरे कोइ फरक नहीं पैंदा....आगे से उसके जीज पीछे से मेरे जीजा...अल्पी ने टुकडा लगाया।

प्लान हमारा ये था की हम सब पिकचर से हमारे घर चलते...और वहां २-३ घंटे मस्ती...लेकिन अल्पी बोली....की उसकी मम्मी को कहीं जाना है और उन्होने उसे सीधे घर आने को कहा है।

बेचारे राजीव....लेकिन अल्पी ने प्रामिस किया की वो कल शाम को जरूर आयेगी और तब तक वो गुड्डी की ओर इशारा करत्ती बोली,

मेरी इस चिकनी सह्लेली से काम चलाइये...ये भी कम प्यासी नहीं हैं।

लेकिन वो प्लान भी फेल हो गया. उसके जीजा जीत ( जिन्होने मेरे चढाने पे उसे शादी के समय कस के चोद के उसकी , चूत का उद्घाटन किया था और बहोत ही मस्त थे) और बहन लाली, ( गुड्डी की सबसे बडी बहन....अगर आपने नन्द की ट्रेनिंग पढी हो तो ये सब आपको मालूम होगा)....देर रात को आने वाले थे. लेकिन जब हम उसके घर पहुंचे तो वो लोग पहुंचे हुये थे.

मेरे नन्दोई ने पहुंचते ही मुझे बांहों में भर लिया....लेकिन अबकी वो थोडे कम चंचल लग रहे थे....क्यों क्या हुआ...मैने पूछा तो उन्होने बताया की यहां आने से पहले उनकी बीबी ने कुछ सखत पाबंदी लगा दी...शायद उन्हे कुछ् शक हो गया की जब वो शादी में आये थे तो उन्होने गुड्डी के साथ...तो बोलना रंग खेलने तक तो ठीक है लेकिन यहां वहां छूने पे भी पाबंदी और इससे आगे तो कुछ सोच भी नहीं सकते....कूवारी लडकी है अगर कहीं उंच नीच हो गया....अपनी बीबी की आवाज की नकल करते वो बोले।

अरे जीजू इत्ती सी बात...मैने उन्हे हिम्मत बंधाई. याद है पिछली बार जब आप शादी में आये थे...आप खुद कह रहे थे ना की आप की ये साल्ली....हाथ भी नहीं रखने देती थी....लेकिन मैं ने वो चक्कर चलाया की खुद उसने आप का हाथ पकड के अपने १७ साल के जोबन पे रख दिया था ...५-६ महीने पहले की ही तो बात है...और आप से एक नहीं दो दो बार...बिना किसी ना नुकुर...के ...तो आखिर आपकी बीबी भी तो ...उसी की बहन हैं मेरी ननद हैं....और ननदों को नचाना भाभी को नहीं तो और किसे आयेगा।

अरे मैने सोचा था, की अबकी साल्ली के साथ खूब जम के होली खेलूंगा, पहली होली में तो बिदक गयी थी लेकिन अबकी भरे आंगन में सबके सामने....क्या मस्त माल है औ कया मटकते हुये चूतड हैं....तब तक गु्ड्डी हमारे सामने से आंगन से गुजर रही थी...अपने जीजू को दिखा के उसने दोनो जोबन कस के उभार दिये और जीभ निकाल के चिढाया. पीछे से उनकॊ दिखा के चूतड भी मटका दिये...।

मन करता है गांड मार लूं साल्ली की....नन्दोई जी बोली लेकिन अपने बीबी की बात सोच के मन मसोस के रह गये.।

अरे गांड भी मारिये साल्ली की और गांड का मसाला भी चखाइये भी अपनी साल्ली को...बस अपनी इस सलहज पे भरोसा रखिये और हां होली में सलहज का हक साली से कम नहीं होता...पिछली बार तो उस कंवारी साल्ली के चक्कर में मैने छोड दिया था....अबकी मैं नहीं छोडने वाली अपन हक. और मैने दोनो जांघों के बीच कस के उनके तन्नये खडे खूंटे पे रगड दिया।

एक दम...मुस्करा के वो बोले।

तब तक राजीव वहां आ गये. जीत जीजू...अल्पना पे फिदा थे लेकिन शादी के समय तो उनका पूरा समय गुड्डी के साथ ही बीता और अल्पी भी अपने नये बने जीजू राजीव के साथ...जीत ने उनसे पूछा,

क्यों साल्ले...तेरी उस पंजाबी साल्ली की क्या हाल है।

मस्त है जीजा....वो बोले।

लगता है ननदॊइ जी का जी आपकी साली पे आ गया है....क्यों नहीं आप दोनो साली अदल बदल कर लेते...मैने चिढाया।

अरे क्या अदल बदल की बात हो रही है....ये मेरी बडी ननद और जीट ननदोई जी की पत्नी....लाली थीं...मुझसे उमर में २-३ साल ही बडी होंगीं, लेकिन खूब गदराइ, भरे बदन की बडे बडे चूतड...।

अरे ननद जी....जो आफर मैने आपको पिछली बार दिया था...सैंया से सैंया बदलने का...होली का मौका भी है....मैं नंदोई जी के साथ और आप मेरे सैंया के साथ ....साथ में मेरे दो चार देवर फ्री...क्यों मंजूर।

ना बाबा ना....तुम मेरे सैया को भी रखॊ....और अपने सैंया कॊ भॊ...दोनो ओर से ...आखिर छोटी भाभी हो.....मेरी ओर से होली गिफ्ट .....वो भी कम नहीं थीं. उन्होने दहला लगाया।

ना....मुझसे ये नहीं होगा....आखिर आप का काम कैसे चलेगा...और उपर से होली का मौसम....मुझसे तो एक रात नहीं रहा जाता....अरे स्वाद बद्ल लीजिये....और मेरे सैंया का आपके सैंया से कम नहीं है कहिये तो आप के सामने दोनो का नाप के दिखा दूं....बचपन में जो आपने पकडा पकडी की होगी तो जरूर छोटा रहा होगा लेकिन अब....मैने तुरुप का पत्ता जडा।

अरे मुझे तो शक है तब तक नाउन की नयी बहू बसंती...( जो बहू होने के नाते भाभियों के साथ ही रहती थी और ननदों को खुल के गाली देती थी) भी मैदान में आ गई की लाली बीबी....कहीं होली में गली के गदहों का देख के उन्ही के साथ तो नहीं...बडी ताकत है तुम्हारी ननद रानी।

तय ये हुआ की वो, गुड्डी, और जीत कल दोपहर में हम लोगों के यहां आयेंगें।

रात भर मैं सोचती रही की लाली के शक के बाव्जूद क्या चक्कर चलाउं....की जीत और इन का दोनो का काम हो जाये.












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