Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट--24

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गहरी चाल पार्ट--24

उस रात शॅरन को एहसास हुआ कि वो आज तक कितनी बड़ी खुशी से महरूम थी.उस दिन से वो जगबीर ठुकराल की मुरीद बन गयी.उसे ठुकराल पे पूरा भरोसा था कि वो उसका काम हो जाने के बाद टोनी को रास्ते से हटा के उसे अपनी बीवी बनाएगा.बेचारी!

इस वक़्त माधो कार को ठुकराल के बंगल के अंदर दाखिल कर रहा था,"माधो.",उसने शॅरन को कार मे बैठे रहने का इशारा किया.

"जी,हुज़ूर."

"लगता है निचली मंज़िल पे कुच्छ लोग बैठे हैं.मैं उतरता हू,तुम मेमसाहब को लेकर बाहर जाओ,फिर उस दूसरी कार मे बिठा के बगल वाले मकान के रास्ते उपरी मंज़िल तक पहुँचा देना."

थोड़ी ही देर बाद शॅरन ठुकराल की ऐषगाह मे अकेली खड़ी वाहा की सजावट देख रही थी,"कैसा लगा मेरी जाना हुमारा आशियाना?",ठुकराल मुस्कुराता हुआ वाहा दाखिल हुआ.

"लगता है यहा हर रोज़ सुहाग रत मनाते थे तुम.",शॅरन उसके करीब आ उसके कोट के बटन्स से खेलते हुए शोखी से मुस्कुराइ.

"मेरी जान!ये सारी सजावट तुम्हारे आने की खुशी मे कराई गयी है..",ठुकराल संजीदा हो गया,"..ये सच है की अब तक मैं कोई संत नही था...ये जिस्म तो कभी-2 बेकरार हो उठता है ना!...तुमसे पहले भी मेरी ज़िंदगी मे लड़किया आई हैं मगर मेरा यकीन करो जब से तुम्हे देखा है बस तुम ही तुम इस दिल मे बस गयी हो.",उसने शॅरन का हाथ कोट के बटन से हटा के अपने दिल पे रख दिया.

"ओह्ह...तुमने तो बात दिल पे ले ली,डार्लिंग!..मैं तो बस तुम्हे छेड़ रही थी.",शॅरन ने उसके गाल पे चूम लिया,अपने प्रेमी को यू परेशान सा देख उसके चेहरे पे भी संजीदगी आ गयी थी.

"वादा करो,शॅरन..मुझे छ्चोड़ के कही नही जयोगी.",ठुकराल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले लिए,उसकी आँखो मे वही डर था जो किसी नये आशिक़ की आँखो मे होता है क्यूकी उंहे हर वक़्त अपनी महबूबा के बिछड़ जाने का डर जो होता है.

"जगबीर...तू,म्हरी बाहो मे मैने जन्नत पाई है.मर भी गयी तो इतनी खुशी नसीब नही होगी.वादा करती हू अब तुम्हे छ्चोड़ना तो दूर..अब किसी और का ख़याल भी नही आएगा इस दिल मे."

"श!शॅरन.",ठुकारल ने उसे अपने सीने से लगा लिया & उसके होंठो पे वही जानी-पहचानी शैतानी मुस्कान फैल गयी.कितनी आसानी से ये चिड़िया उसके जाल मे फँस गयी थी!...ये सोचती है की वो उसे पाने के लिए टोनी को काम के बहाने रास्ते से हटाएगा,जबकि सच तो ये था की टोनी से सही ढंग से काम करने के लिए उसने इस हसीना को अपने घर मे रखा था क्यूकी वो जानता था की जब तक ये उसके पास है,टोनी भी उसकी नज़रो से ओझल नही होगा.

"डार्लिंग!तुम इतने बड़े मकान मे अकेले रहते हो?",शॅरन ने उसके सीने पे सर रखे-2 अपनी नज़रे उपर की.

"हां,मेरी जान.बस मैं & माधो.",ठुकराल ने अपनी रखैलो को कुच्छ दीनो के लिए बाहर भेज दिया था.अभी सबसे ज़रूरी बात थी षत्रुजीत सिंग की बर्बादी.अगर उसके लिए कुच्छ दीनो तक उसे अपनी अययाशी को कम भी करना पड़े तो उसे कोई शिकवा नही था...और फिर ऐसी मस्त,खूबसूरत बदन की मल्लिका तो थी ही उसका दिल बहलाने के लिए.

"मगर अब इस वीराने मे भी बहार आ जाएगी.",ठुकराल ने उसे गोद मे उठा लिया & बिस्तर की ओर बढ़ गया.
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पूरा लॉन किसी दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था & बड़ी गहमा गहमी थी,होती भी क्यू ना आख़िर जायसवाल साहब की बेटी की शादी थी.कामिनी ने आज 1 काली सारी & स्लीव्ले ब्लाउस पहना था & अपने हुस्न की बिजली से उसने वाहा कयि मर्दो को अब तक घायल कर दिया था.

"हेलो,कामिनी..",कामिनी घूमी तो देखा की षत्रुजीत सिंग नंदिता के साथ खड़ा था.

"हाई!",उसने दोनो से हाथ मिलाया,"आप कैसी हैं,नंदिता जी?",कामिनी को खुद पे हैरत हुई,उसे लगा था की शत्रुजीत के साथ नाता जुड़ जाने पे वो शायद नंदिता का सामना नही कर पाएगी मगर ऐसा कुच्छ नही हुआ था.

"अच्छी हू,आप कैसी हैं?",थोड़ी देर तक कुच्छ रस्मी बात चीत के बाद दोनो आगे किसी और से मिलने को बढ़ गये.

"नमस्ते,कामिनी जी.",इस बार जगबीर ठुकराल खड़ा था.

"नमस्ते,ठुकराल साहब.",कामिनी ने गौर किया की ठुकराल बड़ी सफाई से फिर से उसके बदन की गोलाईयो का जायज़ा ले रहा है,उसकी चूत मे 1 कसक सी उठी...इतना तो तय था की ये आदमी 1 नंबर का आय्याश है!

जायसवाल ने सारा इंतेज़ाम 1 खुले लॉन मे किया था.मौसम खुशनुमा था & ठंडी हवा के झोंके बह रहे थे.ऐसे ही 1 झोंके ने कामिनी की सारी के आँचल को ज़रा उड़ाया तो उसका गोरा पेट नुमाया हो गया & ठुकराल की आँखे उसकी चिकने पेट से जैसे चिपक गयी.ठुकराल के दिल मे भी उस खूबसूरती की मिसाल को अपने बिस्तर मे खींच लेने की तमन्ना जाग उठी थी मगर कामिनी शरण 1 मानी हुई वकील थी,उसके साथ अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत की तो वो फँस सकता था.

दोनो ड्रिंक्स काउंटर के पास खड़े बातें कर रहे थे की तभी काउंटर के पीछे खड़े वेटर ने कामिनी को उसका ड्रिंक लेने को कहा.कामिनी जैसे ही घूमी वैसे ही चौंक पड़ी-ठुकराल ने उसकी कमर पे हाथ फिरा दिया था.वो फ़ौरन पलटी,"माफ़ कीजिएगा..मगर ये कीड़ा आपके बदन पे चल रहा था.",ठुकराल ने घास पे पड़े 1 कीड़े की ओर इशारा किया.

"कोई बात नही.",कामिनी ने उसकी ओर थोड़ी कड़ी नज़र से देखा & आगे बढ़ गयी.

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कहा घूम रही हो!इधर आओ..",शत्रुजीत ने उसकी बाँह पकड़ के खींच लिया.

"क्या करते हो!कोई देख लेगा.",लॉन काफ़ी बड़ा था & 1 कोने मे पेड़ो के झुर्मुट के साथ 1 छ्होटा सा तालाब भी बना था.कपड़े के पारटिशन से उस हिस्से को पारट वाले हिस्से से अलग कर दिया गया था & वाहा अंधेरा भी था.पारटिशन के 1 किनारे से निकल के शत्रुजीत उसे वही पेड़ो के झुर्मुट मे ले गया & उसके गले लग गया.

"कही तुम्हारी बीवी ने देख लिया तो?",कामिनी ने उसे बाहो मे भरते हुए उसके सीने मे चेहरा छुपा लिया.जवाब मे शत्रुजीत ने कुच्छ बोलने के बजाय उसके चेहरे को उठा उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.कामिनी को भी तो इसी बात का इंतेज़ार था,वो भी बड़ी शिद्दत के साथ उसे वापस चूमने लगी.

"नही..जीत..प्लीज़......ऊहह..!",शत्रुजीत ने उसे चूमते हुए उसकी सारी कमर तक उठा दी थी & पीछे से ही उसकी पॅंटी मे हाथ घुसा के उसकी गंद को मसलने लगा था.वो कामिनी की गर्दन चूम रहा था.कामिनी को मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर साथ ही किसी के देख लेने का डर भी था,उसने 15-20 फ्ट की दूरी पे लगे कपड़े के पारटिशन के पार नंदिता का अक्स देखा तो जैसे उसकी चूत की कसक दोगुनी हो उठी...शत्रुजीत की बीवी बस कुच्छ ही दूरी पे खड़ी थी,इस बात से बेख़बर की कामिनी उसके पति की बाहो मे है.उसने नंदिता की ओर देखते हुए शत्रुजीत के दाए कान पे हौले से काट लिया.

"हाई..रा..आमम..पागल हो गये हो!...नही पॅंटी नही...!",उसकी बातो को अनसुना करते हुए शत्रुजीत ने उसकी पॅंटी खींच के उतार दी & फिर बाए हाथ से उसकी सारी को वैसे ही कमर तक उठाए हुए दाए हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने लंड को बाहर निकाल लिया.

"तुम सच मे पागल हो गये हो!यहा कैसे करेंगे?!",कामिनी फुसफुसाई.शत्रुजीत ने मुस्कुराते हुए उसे पीछे के पेड़ से सटा दिया,फिर उसे सारी पकड़ने को कहा.कामिनी के दिल मे चाहे जितना भी डर हो,उसकी चूत तो बस लंड की आस मे गीली हुए जा रही थी.

कामिनी टाँगे फैला के पेड़ से सॅट के खड़ी हुई तो शत्रुजीत ने थोडा झुक के लंड को उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..उउंम्म...!",कामिनी ने सारी थामे हुए आँखे मूंद कर, सर पीछे कर लिया.ऐसा करने से उसकी गोरी,लंबी गर्दन शत्रुजीत के सामने उभर आई.उसने अपने हाथ उसकी जाँघो के भीतर से उसकी गंद की फांको के नीचे लगाके उसे उठा लिया & फिर गर्दन चूमते हुए 1-2 धक्को मे पूरा का पूरा लंड अपनी प्रेमिका की चूत मे घुसा दिया.

कामिनी ने अपनी सारी छ्चोड़ दी & बाहे उसके गले मे डाल दी & हवा मे उठी हुई उस से चुदने लगी.उसने अपनी बाहो मे शत्रुजीत की गर्दन को कस के उसके सर पे किस्सस की बौच्हर कर दी.इस तरह खुले मे नंदिता से कुच्छ ही दूरी पे चुदने मे उसे जैसा मज़ा महसूस हो रहा था ऐसा पहले कभी नही हुआ था.

इस पोज़िशन मे शत्रुजीत का लंड उसकी चूत की दीवारो के साथ-2 उसके दाने को भी रगड़ रहा था.शत्रुजीत ने अब तक उसे काई बार चोदा था मगर हर बार वो कामिनी की चूत के कसाव से चौंक जाता था.जब वो झड़ती थी तो चूत उसके लंड को और जाकड़ लेती थी & उस वक़्त जो एहसास उसे होता था,वैसा एहसास उसे किसी लड़की के साथ कभी नही हुआ.

इस वक़्त भी वो वही महसूस कर रहा था,कामिनी झाड़ गयी थी & अपनी आहे दबाने के लिए उसना अपना चेहरा उसकी गारदन मे दबा लिया था.शत्रुजीत का लंड भी उसकी चूत की सिकुड़न को और नही झेल पाया & उसने अपना पानी छ्चोड़ दिया.

जब कामिनी थोड़ा संभली तो शत्रुजीत ने उसे नीचे उतरा,फिर दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए & वापस पार्टी मे चले गये.लोगो के बीच घुसते ही कामिनी को ध्यान आया की पॅंटी तो वही पेड़ो के पास रह गयी...अब दुबारा जाने पे भी अंधेरे मे वो उसे कहा ढूंडती फ़िरेगी.उसने बाथरूम जाने की सोची,लॉन के किनारे 1 बिल्डिंग बनी थी जिसमे कुच्छ कमरे & बाथरूमस बने थे.तभी किसी ने कहा की बारात आ गयी तो सारे लोग लॉन के गेट की ओर जाने लगे.उसी भीड़ मे किसी ने कामिनी की बाँह थामी,"अरे करण तुम कब आए?"

"थोड़ी देर पहले.आज तो कहर ढा रही हो.",उसने उसे सर से पाँव तक निहारा.

"अच्छा.",शोखी से मुस्कुराती हुई कामिनी बिल्डिंग की तरफ बढ़ गयी.

"उधर कहा जा रही हो?"

"फ्रेश होने."

"चलो मैं भी चलता हू."

"लॅडीस बाथरूम मे?"

"हां."

"जूते पड़ेंगे!"

"तुम्हारे लिए वो भी खा लेंगे!",दोनो हंसते हुए बिल्डिंग मे दाखिलहो गये.1 लंबे गलियारे के दोनो ओर कमरे बने हुए थे & गलियारे के अंत मे बाई तरफ लॅडीस & दाई तरफ जेंट्स बाथरूम था.कामिनी बाई तरफ घूमने ही वाली थी कि करण ने झटके से जेंट्स बाथरूम मे खींच लिया,"क्या कर रहे हो?"

"आज बड़ी खूबसूरत लग रही हो,जानेमन!ज़रा तुम्हे ढंग से देख तो लू."

"यहा?"

"नही यहा.",करण ने उसे 1 टाय्लेट मे खींच कर दरवाज़ा बंद कर लिया & फिर उसे बाँहो मे भर कर उसे पागलो की तरह चूमने लगा.

"प्लीज़,करण...बाहर चलो ना.".1 बार फिर कामिनी मदहोश होने लगी थी.करण ने पॉट की लीड गिराई & उस पे बैठ गया & कामिनी के पेट को चूमने लगा.उसकी जीभ लपलपाति हुई कामिनी की नाभि को चाटने लगी तो कामिनी का बदन फिर से मस्ती से भर गया.वो झुक कर पेट चूमते हुए करण के सर को पकड़ कर उसके बॉल खींचते हुए उसे चूमने लगी,"..पागल....कही..न्के...च..लो...बह..आर..ऊओफफफ्फ़....!"

करण ने हाथ पीछे ले जाके उसके ब्लाउस के हुक्स खोले & तेज़ी से उसके ढीले ब्लाउस & ब्रा को उपर कर दिया & मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी छातिया चूमने लगा.अब कामिनी बिल्कुल मदहोश हो गयी.शत्रुजीत से चुद्ते वक़्त उसके निपल्स इतने कड़े हो गये थे की उनमे दर्द होने लगा था.करण की ज़ुबान अभी जैसे मरहम का काम कर रही थी.करण के हाथ उसकी कमर से नीचे आ उसकी सारी उठा रहे थे.कामिनी ने आँखे खोली तो देखा की करण की खुली पॅंट मे से उसका लंड झाँक रहा है.उसने कब पॅंट खोली मदहोशी की वजह से उसे पता भी ना चला.

करण ने सारी उठाई तो पाया की कामिनी ने पॅंटी ही नही पहनी है,"वेरी गुड!",वो उसकी तरफ शरारत से मुस्कुराया & उसकी कोमल गंद को सहलाते हुए 1 उंगली उसकी चूत से लगा दी जहा की कामिनी & शत्रुजीत का मिला-जुला पानी अभी भी मौजूद था,"वाउ..तुम इतनी गीली हो.",करण की उंगली भीग गयी थी.उसने फ़ौरन कामिनी की कमर को पकड़ कर अपने उपर आने का इशारा किया.कामिनी फ़ौरन उसकी गोद मे बैठने लगी,"..ऊवन्न्न्नह...",जैसे-2 वो बैठ रही थी,वैसे-2 करण का लंड उसकी चूत मे घुस रहा था.जैसे ही लंड पूरा गया कामिनी ने उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.करण उसकी कमर को थामे उसकी पीठ सहलाता हुआ उसकी चूचिया चूसने लगा.

कामिनी आहे भरते हुए उसके सर को अपने सीने से जकड़े बस उच्छले जा रही थी...ऐसे किसी पब्लिक प्लेस मे जहा की पकड़े जाने का डर हो,वाहा चुदाई करने मे इतना रोमांचित कर देने वाला मज़ा आएगा उसे तो अंदाज़ा ही नही था!करण भी अब नीचे से अपनी कमर हिला रहा था.कामिनी की चूत का तो हाल बुरा था,अचानक कामिनी ने करण को कस के जाकड़ लिया तो करण भी उसकी बाई चूची को मुँह मे भर कर लगातार चूसने लगा,उसकी कमर भी अपनेआप झटके खा रही थी.दोनो 1 साथ झाडे & कामिनी की चूत मे अब उसके पानी के साथ-2 शत्रुजीत & करण-दोनो का पानी मिल गया.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,फिर उठ कर अपने कपड़े ठीक किए & करण ने सावधानी के साथ दोनो को वाहा से बाहर निकाला.ख़ैरियत थी की उनकी चुदाई के बीच किसी ने भी बाथरूम इस्तेमाल नही किया नही तो दोनो ज़रूर पकड़े जाते.बाहर से बंद का शोर आ रहा था,लग रहा था की बारात दरवाज़े पे आ गयी है.

दोनो बिल्डिंग से बाहर निकल ही रहे थे कि दोनो मिसेज़. & मिस्टर.चंद्रा से टकरा गये,"अरे कामिनी,कैसी हो?"

"ठीक हू आंटी.आप कैसी हैं?",कामिनी ने दोनो को प्रणाम किया & फिर करण से मिलवाया.करण उनसे मिलकर पार्टी मे वापस चला गया,"अरे कामिनी बाथरूम किधर है?",मिसेज़.चंद्रा ने पूचछा.

"आइए आंटी,मैं दिखाती हू."

"अच्छा हुआ तुम मिल गयी.हम दोनो बाथरूम ही ढूंड रहे थे.",चंद्रा साहब ने उसकी तरफ हसरत भारी निगाहो से देखा.मिसेज़.चंद्रा थोड़ा आयेज चल रही थी.इसी बात का फयडा उठा के चंद्रा साहब ने कामिनी की गंद को दबा दिया.कामिनी ने उन्हे बनावटी गुस्से से देखा & फिर मिसेज़.चंद्रा को लड़ीसे बाथरूम मे ले गयी.अंदर मिसेज़.चंद्रा जैसे ही 1 टाय्लेट मे घुसी रेस्टरूम का दरवाज़ा खुला & चंद्रा साहब अंदर घुस आए & कामिनी को बाहो मे भर लिया,".प्लीज़..सर..यहा नही..कही आंटी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा!"

"उसे बहुत टाइम लगता है,मेरी जान!..और आज तुम इतनी कमाल लग रही हो..फिर इतने दीनो से अपने सर से मिलने भी नही आई इसकी सज़ा तो तुम्हे मिलनी ही चाहिए..",वो फुसफुसते हुए उसके चेहरे,होंठो & गले को चूमते हुए उसकी गंद दबा रहे थे.

"..उउंम्म..क्या करती?आंटी के होते कैसे आऊँ!..आप ही आ जाते मेरे घर..मैं तो अकेली रहती हू..",कामिनी की बात से चंद्रा साहब और जोश मे आ गये.उन्होने कामिनी को घुमाया & उसकी सारी उठाने लगे,"नही..सर...आंटी..",वो इतना ही कह पाई क्यूकी उसकी सारी उठा के चंद्रा साहब ने जीभ उसकी चूत से लगा दी थी,"..तुम तो अभी से ही इतना पानी छ्चोड़ रही हो,कामिनी.",वो उठ खड़े हुए-उस बेचारे को क्या पता था कि ये सिर्फ़ कामिनी का ही नही शत्रुजीत & करण का भी पानी था.

कामिनी वॉशबेसिन के दोनो तरफ हाथ रख के खड़ी थी..पहले शत्रुजीत,फिर करण..& अब चंद्रा साहब-उसका बदन तो आज जैसे मस्ती से बाहर ही नही आने वाला था.चंद्रा साहब ने उसकी सारी को उसकी कमर तक उठा के अटकाया & तुरंत अपना लंड निकाल कर कामिनी की चूत मे घुसा दिया.चूत इतनी गीली थी की लंड सरर से अंदर चला गया,"..ऊओवव..!"

"क्या हुआ कामिनी?",टाय्लेट के अंदर से मिसेज़.चंद्रा की आवाज़ आई.चंद्रा साहब झुकी हुई कामिनी के उपर अपनी छाति उसकी पीठ से सताए झुक के बाए हाथ से उसकी कमर & दाए हाथ से उसकी चूचियो को पकड़ कर उसकी कनपटी चूमते हुए बड़ी तेज़ी से उसे चोद रहे थे.

"कुच्छ नही..आंटी.1 चूहा अचानक आ गया था..अब अपने बिल मे चला गया.",उसने सामने लगे शीशे मे अपने गुरु को देख कर उन्हे चूमने का इशारा किया.कामिनी की नशीली आँखे,मस्ती भरे चेहरे के साथ ऐसी हरकत ने चंद्रा साहब को पागल कर दिया.उन्होने उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठो को अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया & ऐसे धक्के मारे की कामिनी को भी शक़ हो गया की ये बुद्धा आदमी सच मे बुद्धा है भी या नही!आज दूसरी बार कामिनी 1 मर्द से उसकी अंजान बीवी की मौजूदगी मे चुद रही थी.इस ख़याल ने उसकी मस्ती और बढ़ा दी.उसने 1 नज़र टाय्लेट के बंद दरवाज़े पे डाली & दूसरी शीशे मे दिख रहे अपने आशिक़ पे & उनके लंड का लुत्फ़ उठाने लगी.

उसकी चूत का हाल बाद से बदतर हो गया..वो ज़्यादा देर तक चंद्रा साहब के लंड को बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.चंद्रा साहब को भी जल्दी थी,उन्हे भी डर था की कही उनकी बीवी बाहर ना आ जाए.उन्होने जल्दी-2 कुच्छ तेज़,गहरे धक्के लगाके अपनी शिष्या की चूत को अपने पानी से भर दिया.

जब मिसेज़.चंद्रा बाहर आई तो कामिनी अकेली वाहा उनका इंतेज़ार कर रही थी & चंद्रा साहब वापस पार्टी मे जा चुके थे.

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ठुकराल लॉन के बाहर पार्किंग मे आया तो माधो उसकी कार को दरवाज़ा खोल खड़ा हो गया.उसकी कार से कुच्छ दूरी पे 1 और कार खड़ी थी जिसका ड्राइवर खड़ा सिगरेट पी रहा था.ठुकराल ने अपनी जेब से पॅकेट निकाल कर 1 सिगरेट निकाली.उसने जेब मे दुबारा हाथ डाला पर लाइटर शायद वो घर भूल आया था,"अरे भाई!ज़रा सुनो.",
वो ड्राइवर पलटा तो ठुकराल ने उसे सिगरेट दिखा के माचिस माँगी.

ड्राइवर पास आया & ठुकराल की सिगरेट जलाने लगा,"सारी बाते हो चुकी हैं.शुक्रवार की रात को काम ठीक से हो जाना चाहिए."

"आप बेफ़िक्र रहे,सर.",टोनी ने सिगरेट जला के माचिस बुझाई & वापस अपने कार की ओर चला गया.ठुकराल सिगरेट पीते हुए अपनी कार मे बैठ गया.अब्दुल पाशा भी पार्किंग ही की तरफ आ रहा था मगर ये कह पाना मुश्किल है की उसने ठुकराल & टोनी को साथ देखा या नही.जो भी हो,शुक्रवार की रात शायद सबकी ज़िंदगी मे उथल-पुथल मचाने वाली थी.
क्रमशः.................


GEHRI CHAAL paart--23

Us raat Sharon ko ehsas hua ki vo aaj tak kitni badi khushi se mehrum thi.us din se vo Jagbir Thukral ki murid ban gayi.use thukral pe pura bharosa tha ki vo uska kaam ho jane ke baad Tony ko raste se hata ke use apni biwi banayega.bechari!

is waqt Madho car ko thukral ke bungle ke andar dakhil kar raha tha,"madho.",usne sharon ko car me baithe rehne ka ishara kiya.

"ji,huzur."

"lagta hai nichli manzil pe kuchh log baithe hain.main utarta hu,tum memsahab ko lekar bahar jao,fir us dusri car me bitha ke bagal vale makan ke raste upari manzil tak pahuncha dena."

thodi hi der baad sharon thukral ki aishgah me akeli khadi vaha ki sajawat dekh rahi thi,"kaisa laga meri jaana humara aashiyana?",thukral muskurata hua vaha dakhil hua.

"lagta hai yaha har roz suhagraat manate the tum.",sharomn uske kareeb aa uske coat ke buttons se khelte hue shokhi se muskurayi.

"meri jaan!ye sari sajawat tumhare aane ki khushi me karai gayi hai..",thukral sanjeeda ho gaya,"..ye sach hai ki ab tak main koi sant nahi tha...ye jism to kabhi-2 bekarar ho uthata hai na!...tumse pehle bhi meri zindagi me ladkiya aayi hain magar mera yakeen karo jab se tumhe dekha hai bas tum hi tum is dil me bas gayi ho.",usne sharon ka hath coat ke button se hata ke apne dil pe rakh diya.

"ohh...tumne to baat dil pe le li,darling!..main to bas tumhe chhed rahi thi.",sharon ne uske gaal pe chum liya,apne premi ko yu pareshan sa dekh uske chehre pe bhi sanjeedgi aa gayi thi.

"vaada karo,sharon..mujhe chhod ke kahi nahi jayogi.",thukral ne uske dono hath apne hatho me le liye,uski aankho me vahi darr tha jo kisi naye aashiq ki aankho me hota hai kyuki umhe har waqt apni mehbooba ke bichhad jane ka darr jo hota hai.

"jagbir...tu,mhari baaho me maine jannat payi hai.mar bhi gayi to itni khushi naseeb nahi hogi.vada karti hu ab tumhe chhodna to door..ab kisi aur ka khayal bhi nahi aayega is dil me."

"ohh!sharon.",thukarl ne use apne seene se laga liya & uske hotho pe vahi jani-pehchani shaitani muskan fail gayi.kitni aasani se ye chidiya uske jaal me fans gayi thi!...ye sochti hai ki vo use pane ke liye tony ko kaam ke bahane raste se hatayega,jabki sach to ye tha ki tony se sahi dhang se kaam karane ke liye usne is haseena ko apne ghar me rakha tha kyuki vo janta tha ki jab tak ye uske paas hai,tony bhi uski nazro se ojhal nahi hoga.

"darling!tum itne bade makan me akele rehte ho?",sharon ne uske seene pe sar rakhe-2 apni nazre upar ki.

"haan,meri jaan.bas main & madho.",thukral ne apni rakhailo ko kuchh dino ke liye bahar bhej diya tha.abhi sabse zaroori baat thi Shatrujeet Singh ki barbadi.agar uske liye kuchh dino tak use apni ayyashi ko kam bhi karna pade to use koi shikva nahi tha...aur fir aisi mast,khubsurat badan ki mallika to thi hi uska dil behlane ke liye.

"magar ab is veerane me bhi bahar aa jayegi.",thukral ne use god me utha liya & bistar ki or badh gaya.

Pura lawn kisi dulhan ki tarah saja hua tha & badi gehma gehmi thi,hoti bhi kyu na aakhir Jaiswal sahab ki beti ki shadi thi.Kamini ne aaj 1 kali sari & sleeveless blouse pehna tha & apne husn ki bijli se usne vaha kayi mardo ko ab tak ghayal kar diya tha.

"hello,kamini..",kamini ghumi to dekha ki Shatrujeet Singh Nandita ke sath khada tha.

"hi!",usne dono se hath milaya,"aap kaisi hain,nandita ji?",kamini ko khud pe hairat hui,use laga tha ki shatrujeet ke sath nata jud jane pe vo shayad nandita ka samna nahi ar payegi magar aisa kuchh nahi hua tha.

"achhi hu,aap kaisi hain?",thodi der taak kuchh rasmi baat chit ke baad dono aage kisi aur se milne ko badh gaye.

"namaste,kamini ji.",is bar Jagbir Thukral khada tha.

"namaste,thukral sahab.",kamini ne gaur kiya ki thukral badi safai se fir se uske badan ki golaiyo ka jayza le raha hai,uski chut me 1 kasak si uthi...itna to tay tha ki ye aadmi 1 number ka ayyash hai!

jaiswal ne sara intezam 1 khule lawn me kiya tha.mausam khushnuma tha & thandi hawa ke jhonke beh rahe the.aise hi 1 jhonke ne kamini ki sari ke aanchal ko zara udaya to uska gora pete numaya ho gaya & thukral ki aankhe uski chikne pet se jaise chipak gayi.thukral ke dil me bhi us khubsurati ki misal ko apne bistar me khinch lene ki tamanna jaag uthi thi magar Kamini Sharan 1 mani hui vakil thi,uske sath agar koi aisi-vaisi harkat ki to vo fans sakta tha.

dono drinks counter ke paas khade baaten kar rahe the ki tabhi counter ke peechhe khade waiter ne kamini ko uska drink lene ko kaha.kamini jaise hi ghumi vaise hi chaunk padi-thukral ne uski kamar pe hath fira diya tha.vo fauran palti,"maaf kijiyega..magar ye keeda aapke badan pe chal raha tha.",thukral ne ghas pe pade 1 keede ki or ishara kiya.

"koi baat nahi.",kamini ne uski or thodi kadi nazar se dekha & aage badh gayi.

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kaha ghum rahi ho!idhar aao..",shatrujeet ne uski banh pakad ke khinch liya.

"kya karte ho!koi dekh lega.",lawn kafi bada tha & 1 kone me pedo ke jhurmut ke sath 1 chhota sa talab bhi bana tha.kapde ke partition se us hisse ko parte vale hisse se alag kar diya gaya tha & vaha andhera bhi tha.partition ke 1 kinare se nikal ke shatrujeet use vahi pedo ke jhurmut me le haya & uske gale lag gaya.

"kahi tumhari biwi ne dekh liya to?",kamini ne use baaho me bharte hue uske seene me chehra chhupa liya.jawab me shatrujeet ne kuchh bolne ke bajay uske chehre ko utha uske gulabi honth chum liye.kamini ko bhi to isi baat ka intezar tha,vo bhi badi shiddat ke sath use vapas chumne lagi.

"nahi..jeet..please......oohhhhh..!",shatrujeet ne use chumte hue uski sari kamar tak utha di thi & peechhe se hi uski panty me hath ghusa ke uski gand ko maslane laga tha.vo kamini ki gardan chum raha tha.kamini ko maza to bahut aa raha tha magar sath hi kisi ke dekh lene ka darr bhi tha,usne 15-20 ft ki duri pe lage kapde ke partition ke paar nandita ka aks dekha to jaise uski chut ki kasak doguni ho uthi...shatrujeet ki biwi bas kuchh hi duri pe khadi thi,is baat se bekhabar ki kamini uske pati ki baaho me hai.usne nandita ki or dekhte hue shatrujeet ke daaye kaan pe haule se kaat liya.

"hai..ra..aamm..pagal ho gaye ho!...nahi panty nahi...!",uski baato ko ansuna karte hue shatrujeet ne uski panty khinch ke utar di & fir baaye hath se uski sari ko vaise hi kamar tak uthaye hue daaye hath se apni pant ki zip khol apne lund ko bahar nikal liya.

"tum sach me pagal ho gaye ho!yaha kaise karenge?!",kamini phusphusayi.shatrujeet ne muskurate hue use peechhe ke ped se sata diya,fir use sari pakadne ko kaha.kamini ke dil me chahe jitna bhi darr ho,uski chut to bas lund ki aas me gili hue ja rahi thi.

kamini tange faila ke ped se sat ke khadi hui to shatrujeet ne thoda jhuk ke lund ko uski chut me dakhil kara diya,"..uummm...!",kamini ne sari thame hue aankhe mund kar, sar peechhe kar liya.aisa karne se uski gori,lambi gardan shatrujeet ke samne ubhar aayi.usne apne hath uski jangho ke bhitar se uski gand ki fanko ke neeche lagake use utha liya & fir gardan chumte hue 1-2 dhakko me pura ka pura lund apni premika ki chut me ghusa diya.

kamini ne apni sari chhod di & baahe uske gale me daal di & hawa me uthi hui us se chudne lagi.usne apni baaho me shatrujeet ki gardan ko kas ke uske sar pe kisses ki bauchhar kar di.is tarah khule me nandita se kuchh hi duri pe chudne me use jaisa maza mehsus ho raha tha aisa pehle kabhi nahi hua tha.

is position me shatrujeet ka lund uski chut ki deewaro ke sath-2 uske dane ko bhi ragad raha tha.shatrujeet ne ab tak use kayi baar choda tha magar har baar vo kamini ki chut ke kasav se chaunk jata tha.jab vo jhadti thi to chut uske lund ko aur jakd leti thi & us waqt jo ehsas use hota tha,vaisa ehsas use kisi ladki ke sath kabhi nahi hua.

is waqt bhi vo vahi mehsus kar raha tha,kamini jhad gayi thi & apni aahe dabane ke liye usna apna chehra uski garadn me daba liya tha.shatrujeet ka lund bhi uski chut ki sikudan ko aur nahi jhel paya & usne apna pani chhod diya.

jab kamini thoda sambhali to shatrujeet ne use neeche utara,fir dono ne apne kapde thik kiye & vapas party me chale gaye.logo ke beech ghuste hi kamini ko dhyan aaya ki panty to vahi pedo ke paas reh gayi...ab dubare jane pe bhi andhere me vo use kaha dhundti firegi.usne bathroom jane ki sochi,lawn ke kinare 1 building bani thi jisme kuchh kamre & bathrooms bane the.tabhi kisi ne kaha ki barat aa gayi to sare log lawn ke gate ki or jane lage.usi bheed me kisi ne kamini ki banh thami,"are karan tum kab aaye?"

"thodi der pehle.aaj to kehar dha rahi ho.",usne use sar se paanv tak nihara.

"achha.",shokhi se muskurati hui kamini building ki taraf badh gayi.

"udhar kaha ja rahi ho?"

"fresh hone."

"chalo main bhi chalta hu."

"ladies bathroom me?"

"haan."

"joote padenge!"

"tumhare liye vo bhi kha lenge!",dono hanste hue building me dakhilho gaye.1 lambe galiyare ke dono or kamre bane hue the & galiyare ke ant me baayi taraf ladies & daayi taraf gents bathroom tha.kamini baayi taraf ghumne hi vali thi ki karan ne jhatke sue gents bathroom me khicnh liya,"kya kar rahe ho?"

"aaj badi khubsurat lag rahi ho,janeman!zara tumhe dhang se dekh to lu."

"yaha?"

"nahi yaha.",karan ne use 1 toilet me khinch kar darvaza band kar liya & fir use banho me bhar kar use paglo ki tarah chumne laga.

"please,karan...bahar chalo na.".1 bar fir kamini madhosh hone lagi thi.karan ne pot ki lid girayi & us pe baith gaya & kamini ke pet ko chumne laga.uski jibh laplapati hui kamini ki nabhi ko chatne lagi to kamini ka badan fir se masti se bhar gaya.vo jhuk kar pet chumte hue karan ke sar ko pakad kar uske baal khinchte hue use chumne lagi,"..pagal....kahi..nke...cha..lo...bah..ar..oooffff....!"

karan ne hath peechhe le jake uske blouse ke hooks khole & tezi e uske dheele blouse & bra ko upar kar diya & mazbooti se uski kamar thame uski chhatiyaa chumne laga.ab kamini bilkul madhosh ho gayi.shatrujeet se chudte waqt uske nipples itne kade ho gaye the ki unme dard hone laga tha.karan ki zuban abhi jaise marham ka kaam kar rahi thi.karan ke hath uski kamar se neeche aa uski sari utha rahe the.kamini ne aankhe kholi to dekha ki karan ki khuli pant me se uska lund jhank raha hai.usne kab pant kholi madhoshi ki vajah se use pata bhi na chala.

karan ne sari uthayi to paya ki kamini ne panty hi nahi pehni hai,"very good!",vo uski taraf shararat se muskuraya & uski komal gand ko sehlate hue 1 ungli uski chut se laga di jaha ki kamini & shatrujeet ka mila-jula pani abhi bhi maujood tha,"wow..tum itni gili ho.",karan ki ungli bhig gayi thi.usne fauran kamini ki kamar ko pakad kar apne upar aane ka ishara kiya.kamini fauran uski god me baithne lagi,"..ooonnnnhhhh...",jaise-2 vo baith rahi thi,vaise-2 karan ka lund uski chut me ghus raha tha.jaise hi lund pura gaya kamini ne uchhal-2 kar chudai shuru kar di.karan uski kamar ko thame uski pith sehlaat hua uski choochiya chusne laga.

kamini aahe bharte hue uske sar ko apne seene se jakde bas uchhle ja rahi thi...aise kisi public place me jaha ki pakde jane ka darr ho,vaha chudai karne me itna romanchit kar dene wala maza aayega use to andaza hi nahi tha!karan bhi ab neeche se apni kamar hila raha tha.kamini ki chut kka to haal bura tha,achanak kamini ne karan ko kas ke jakad liya to karan bhi uski baayi chhati ko munh me bhar kar lagatar chusne laga,uski kamar bhi apneaap jhatke kha rahi thi.dono 1 sath jhade & kamini ki chut me ab uske pani ke sath-2 shatrujeet & karan-dono ka pani mil gaya.

thodi der tak dono vaise hi baithe 1 dusre ko chumte rahe,fir uth kar apne kapde thik kiye & karan ne savdhani ke sath dono ko vaha se bahar nikala.khairiyat thi ki unki chudai ke beech kisi ne bhi bathroom istemal nahi kiya nahi to dono zaroor pakde jate.bahar se band ka shor aa raha tha,lag raha tha ki barat darwaze pe aa gayi hai.

dono building se bahar nikal hi rahe the ki dono Mrs. & Mr.Chandra se takra gaye,"are kamini,kaisi ho?"

"thik hu aunty.aap kaisi hain?",kamini ne dono ko pranam kiya & fir karan se milwaya.karan unse milkar party me vapas chala gaya,"are kamini bathroom kidhar hai?",mrs.chandra ne poochha.

"aaiye aunty,main dikhati hu."

"achha hua tum mil gayi.hum dono bathroom hi dhoond rahe the.",chandra sahab ne uski taraf hasrat bhari nigaho se dekha.mrs.chandra thoda aage chal rahi thi.isi baat ka fayda utha ke chandra sahab ne kamini ki gand ko daba diya.kamini ne unhe banawati gusse se dekha & fir mrs.chandra ko ladise bathroom me le gayi.andar mrs.chandra jaise hi 1 toilet me ghusi restroom ka darwaza khula & chandra sahab andar ghus aaye & kamini ko baaho me bhar liya,".please..sir..yaha nahi..kahi aunty ne dekh liya to gazab ho jayega!"

"use bahut time lagta hai,meri jaan!..aur aaj tum itni kamal lag rahi ho..fir itne dino se apne sir se milne bhi nahi aayi iski saza to tumhe milni hi chahiye..",vo phusphusate hue uske chehre,hotho & gale ko chumte hue uski gand daba rahe the.

"..uummm..kya karti?aunty ke hote kaise aaoon!..aap hi aa jate mere ghar..main to akeli rehti hu..",kamini ki baat se chandra sahab aur josh me aa gaye.unhone kamini ko ghumaya & uski sari uthane lage,"nahi..sir...aunty..",vo itna hi keh payi kyuki uski sari utha ke chandra sahab ne jibh uski chut se laga di thi,"..tum to abhi se hi itna pani chhod rahi ho,kamini.",vo uth khade hue-us bechare ko kya pata tha ki ye sirf kamini ka hi nahi shatrujeet & karan ka bhi pani tha.

kamini washbasin ke dono taraf hath rakh ke khadi thi..pehle shatrujeet,fir karan..& ab chandra sahab-uska badan to aaj jaise masti se bahar hi nahi aane vala tha.chandra sahab ne uski sari ko uski kamar tak utha ke atkaya & turant apna lund nikal kar kamini ki chut me ghusa diya.chut itni gili thi ki lund sarr se andar chala gaya,"..oooww..!"

"kya hua kamini?",toilet ke andar se mrs.chandra ki aavaz aayi.chandra sahab jhuki hui kamini ke upar apni chhati uski pith se sataye jhuk ke baaye hath se uski kamar & daaye hath se uski chhatiyo ko pakad kar uski kanpati chumte hue badi tezi e use chod rahe the.

"kuchh nahi..aunty.1 chuha achanak aa gaya tha..ab apne bil me chala gaya.",usne samne lage sheeshe me apne guru ko dekh kar unhe chumne ka ishara kiya.kamini ki nashili aankhe,masti bhare chehre ke sath aisi harkat ne chandra sahab ko pagal kar diya.unhone uska chehra ghuma kar uske hontho ko apne hontho ki qaid me le liya & aise dhakke mare ki kamini ko bhi shaq ho gaya ki ye buddha aadmi sach me buddha hai bhi ya nahi!aaj dusri baar kamini 1 mard se uski anjan biwi ki maujoodgi me chud rahi thi.is khayal ne uski masti aur badha di.usne 1 nazar toilet ke band darwaze pe dali & dusri sheeshe me dikh rahe apne aashiq pe & unke lund ka lutf uthane lagi.

uski chut ka haal bad se badtar ho gaya..vo zyada der tak chandra sahab ke lund ko bardasht nahi kar payi & jhad gayi.chandra sahab ko bhi jaldi thi,unhe bhi darr tha ki kahi unki biwi bahar na aa jaye.unhone jaldi-2 kuchh tez,gehre dhakke lagake apni shishya ki chut ko apne pani se bhar diya.

jab mrs.chandra bahar aayi to kamini akeli vaha unka intezar kar rahi thi & chandra sahab vapas party me ja chuke the.

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thukral lawn ke bahar parking me aaya to Madho uski car ko darwaza khol khada ho gaya.uski car se kuchh duri pe 1 aur car khadi thi jiska driver khada cigarette pi raha tha.thukral ne apni jeb se packet nikal kar 1 cigarette nikali.usne jeb me dubara hath dala par lighter shayad vo ghar bhul aaya tha,"are bhai!zara suno.",
vo driver palta to thukral ne use cigarette dikha ke machis mangi.

driver paas aaya & thukral ki cigarette jalane laga,"sari baate ho chuki hain.shukravar ki raat ko kaam thik se ho jana chahiye."

"aap befikr rahe,sir.",Tony ne cigarette jalake machis bujhai & vapas apne car ki or chala gaya.thukral cigarette peete hue apni car me baith gaya.Abdul Pasha bhi parking hi ki taraf aa raha tha magar ye keh pana mushkil hai ki usne thukral & tony ko sath dekha ya nahi.jo bhi ho,shukravar ki raat shayad sabki zindagi me uthal-puthal machane vali thi.






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