गर्ल्स स्कूल पार्ट --48
"जब तक कोई रास्ता नही निकल जाता, तुम यहीं रहना.. किसी बात की चिंता मत करो.. हम सब तुम्हारे साथ हैं.. ये लो.. मेरा और शमशेर भाई का नंबर. ! कोई भी ज़रूरत पड़े तो फोन कर लेना.. ठीक है?" कहकर टफ वहाँ से उठ गया.. और वो कर भी क्या सकता था.. इस'से ज़्यादा!
बाहर निकल कर टफ वीरेंदर के पास जा बैठा और बाकी तीनो को अपने पास बुलाया.. राज आकर वीरू के साथ ही बैठ गया जबकि दोनो लड़कियाँ खड़ी थी... किसी को भी अब तक स्नेहा पर पहाड़ टूट पड़ने की भनक नही थी..
टफ प्रिया और रिया से मुखातिब हुआ," तुम दोनो स्नेहा के पास कैसे आई?"
"व..वो हम उसकी सहेलियाँ हैं.. उस'से मिलने आई थी.." रिया ने तपाक से झूठ बोला...
"मिल ली?" टफ का अगला सवाल था...
"हाँ.. मगर..!" रिया ने कुच्छ बोलना चाहा..
"मगर क्या? क्या तुम्हारे घर वालों को खबर है कि तुम इस वक़्त कहाँ हो..?" टफ ने दोनो से सवाल किया..
इस बात पर प्रिया चिंतित होकर बगले झाँकने लगी.. पर रिया ने हिम्मत ना हारी..," हां.. पता है उनको.. सब पता है.. और क्या हम भाग कर आए हैं..?" रिया ने बत्तीसी निकाल कर टफ की बात का जवाब दिया..
" लाओ.. मुझे उनका नंबर. दो.. मैं उनसे बात कर लूँ ज़रा.. अगर उनको कोई ऐतराज ना हो तो तुम कुच्छ दिन और स्नेहा के पास रुक जाना.." टफ ने अपना मोबाइल निकालते हुए कहा..
" नही.. वो.. हमने बात कर ली थी.. उनको कोई ऐतराज नही है.. चाहे हम कितने भी दिन रुकें.. स्नेहा के साथ.." रिया ने वीरू की ओर मुँह चिढ़ाते हुए कहा.. वीरू काफ़ी देर से उसी को घूर रहा था...
" मुझे नंबर. तो दे दो! मैं बात कर लेता हूँ.. क्या हर्ज़ है.." टफ ने फिर उस'से कॉंटॅक्ट नंबर. माँगा..
" पर घर का नंबर. तो है ही नही.. मम्मी ने तो एसटीडी से बात करी थी.. शाम को.." रिया तब तक संभाल चुकी थी...
"तुम चलने की तैयारी करो.. मैं तुम्हे भिवानी से बस मैं बैठा देता हूँ.." टफ ने राज और वीरू से कहा," यहाँ सबके रहने में दिक्कत आएगी... सॉरी!"
राज और वीरू एक दूसरे का मुँह ताकने लगे.. अब दूसरे के घर पर ज़बरदस्ती रहते भी तो कैसे.. राज ने अपना चेहरा घूमाकर प्रिया की ओर देखा.. वो आँखों ही आँखों में उस'से वहीं रुक जाने की प्रार्थना कर रही थी.. पर राज भी क्या करता बेचारा...
वीरू ने स्टिक के सहारे खड़ा होते हुए कहा," ठीक है.. मैं ज़रा स्नेहा से बात कर लूँ.. कहाँ है वो..?"
" अंदर है.. ठहरो.. मैं यहीं बुलाकर लाता हूँ.. " कहकर टफ अंदर चला गया...
स्नेहा यूँही बैठी थी.. जैसा टफ उसको बाहर निकलते हुए छ्चोड़कर गया था.. शुन्य को निहारते हुए..," देखो स्नेहा.. यहाँ किसी के सामने कुच्छ भी जाहिर मत करना.. बात पता नही कहाँ की कहाँ निकल जाती है.. तुम्हारी सहेलियाँ अभी वापस जाने से मना कर रही हैं.. उन्हे यहीं रहने दूँ.. एक आध दिन..? तुम्हारा मंन भी लग जाएगा..!"
स्नेहा ने कोई जवाब नही दिया.. बस पलकें उठाकर एक बार टफ को देखा और फिर से नीचे देखने लगी...
" दोनो लड़के जा रहे हैं.. आज ही.. अपना मुँह धो लो और एक बार बाहर आकर उनसे बात कर लो.. ऐसे मुँह क्यूँ लटकाए बैठी हो.. मैं कह रहा हूँ ना.. तुम्हे कुच्छ नही होगा.. आओ.. उठो" कहते हुए टफ ने उसको खड़ी कर दिया.. वह ऐसे बाथरूम क़ी ओर चल दी जैसे उसके पैरों में जान बची ही ना हो...
स्नेहा अपना चेहरा धोकर बाहर आई.. गालों पर आसुओं के निशान मिट गये पर दिल पर लगे घावों की परच्छाई और गाढ़ी हो गयी.. वह यूँ ही चलते चलते बेडरूम से बाहर निकली.. और वीरू और राज को देखते ही फिर से फुट फुट कर रोने लगी.. क्या ये भी कुच्छ 'पल' के ही भाई थे?
"क्या हुआ स्नेहा?" वीरू का ऐसा बोलना था की स्नेहा का करूँ क्रंदान और तेज हो गया.. सभी बेचैनी से उसकी और देखने लगे... टफ ने उसको ऐसा क्या बता दिया?
स्नेहा रोती हुई वीरू के सामने जाकर खड़ी हुई.. एक पल के लिए उसकी निगाहों में झाँका.. और फिर उसकी छाती से जा लिपटी," भैयाअ!"
वीरू की निगाहों में उसके लिए अब भी वैसा ही लावण्य था.. वैसा ही प्रेम! वो बादल की तरह पल पल रूप बदलने वालों में से नही था..
"पगली.. रो क्यूँ रही है..? हम फिर आ जाएँगे मिलने.. मिलते रहेंगे.. मोहन को बोल देना.. हर हफ्ते हमसे मिलाने लाया करे.. चुप हो जा.. पागल!" वीरू ने उसके गालों से आँसू पौंचछते हुए कहा...
मोहन का नाम वीरू की ज़ुबान पर आते ही स्नेहा यूँ बिलख पड़ी जैसे किसी ने उसकी वीना के तारों को बेदर्दी दे तोड़ दिया हो..," तुम मत जाओ भैया.. मैं मर जाउन्गि.. प्लीज़.. तुम तो मत जाओ छ्चोड़कर...!" स्नेहा ने नज़रें उठाकर वीरू से गुहार लगाई..
"हम स्नेहा को अपने साथ ही ले जाएँगे.. इसको कुच्छ नही होगा.. मेरा वादा है आपसे..." वीरू ने टफ की और देखते हुए कहा...
टफ बिना कुच्छ बोले बाहर निकल गया.. उसकी समझ में कुच्छ नही आ रहा था.. उसने शमशेर का नंबर. मिलाया..
"हां.. टफ.. बोलो..!" शमशेर ने फोन उठाते ही कहा..
"भाई.. यहाँ तो.. मेरी समझ में कुच्छ नही आ रहा.. ना तो वो लड़कियाँ जाने को तैयार हैं.. और ना स्नेहा उन्न लड़कों को जाने देना चाहती.. बताओ मैं क्या करूँ.. मुझसे स्नेहा का रोना भी देखा नही जा रहा.. कहो तो मैं इन्न सबको भिवानी ले जाउ? वही कर देता हूँ.. सबका रहने का...." टफ वाकई में परेशान लग रहा था...
"हूंम्म.. एक मिनिट.. अंजलि कहाँ है..?" शमशेर ने पूचछा...
"किचन में होगी..!" टफ ने अंदर की और झाँकते हुए कहा..
"बात कराना एक बार..." शमशेर ने टफ से कहा...
"एक मिनिट.." कहकर टफ अंदर गया...," भाभी जी.. एक मिनिट बाहर आना.."
अंजलि बाहर आ गयी..
"लो बात करो.. शमशेर भाई से.." कहकर टफ ने फोन अंजलि को दे दिया..
"हां शाम...." अंजलि नाम लेते लेते बीच में ही रुक गयी...
"तुम आज कल में कोई स्कूल का टूर अरेंज नही कर सकती; 5-7 दिन के लिए...?" शमशेर ने अंजलि से पूचछा..
" आज-कल में? पर अगले महीने से बच्चों के टर्म एक्षाम हैं.. ऐसे में कौन जाएगा...? पर ये टूर का विचार कैसे आया..?" अंजलि ने सफाई देते हुए सवाल पूचछा...
" कोई जाए.. ना जाए.. पर बहुत ज़रूरी है.. इन्न बच्चों के लिए.. स्नेहा का मंन भी लग जाएगा.. बेचारी बहुत परेशान है.. दिशा और वाणी हो जाएँगी.. गौरी है.. बच्चे तो हो जाएँगे.. तुम किसी भी तरह से ये काम कर लो.. प्लीज़!" शमशेर ने विनयपूर्ण अर्थों में अंजलि से कहा...
" क्यूँ शर्मिंदा कर रहे हो..? हो जाएगा.. और बोलो..!" अंजलि ने शमशेर से कहा...
" थॅंक्स अंजलि.. अब सब ठीक हो जाएगा...! रियली थॅंक्स.." शमशेर ने अंजलि का धन्यवाद किया...
"थॅंक्स से काम नही चलेगा.." अंजलि ने एक तरफ होते हुए कहा..," तुम्हे भी चलना पड़ेगा.. आज आ रहे हो ना...!" अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा...
" मैं क्या करूँगा.. चलकर.. टूर से ही तो लौट रहा हूँ..!"
"तुमसे कुच्छ हिसाब किताब बाकी है.. पुराना.. चलना तो तुम्हे पड़ेगा ही.." कहकर मुस्कुराते हुए अंजलि ने फोन काट दिया और वापस आते हुए टफ को दे दिया," तुम फिकर ना करो.. आराम से खाना खाओ और चले जाओ.. मैं संभाल लूँगी...!" अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा...
स्कूल-ट्रिप की बात सुनकर सभी के चेहरे खिल गये... सभी खुशी से झूम उठे.. सिवाय एक चेहरे के.. उसकी मुस्कान तो अब मोहन ही वापस ला सकता था.. जिसका वजूद ही इश्स दुनिया में नही था कहीं...
टफ ने सभी के साथ नाश्ता किया.. स्नेहा को भी ज़बरदस्ती एक आध टुक खिलाया और सबको बाइ बोलकर चला गया...
सुबह उठते ही प्रिया की मम्मी की चीख निकल गयी.. उसने पूरा घर छान मारा था पर दोनो में से कोई भी दिखाई नही दी.. उपर ताला लगा हुआ था.. वह हड़बड़ाई हुई बेडरूम में आई," वो दोनो कहाँ हैं जी?"
"कौन दोनो?" विजेंदर ने लेटे लेटे ही पूचछा..
"पप्रिया.. और रिया?"
जवान बेटियों के बारे में ऐसा सुनते ही विजेंदर अपने घुटने के दर्द को भूल कर बिस्तेर से उच्छल पड़ा और खड़ा हो गया," कहाँ हैं? .. क्या हुआ?"
" दोनो में से कोई भी घर पर नही है जी.. कहाँ गयी मेरी बच्चियाँ..?" मम्मी दहाड़ मारकर रोने लगी..
"चुप करो.. सारे मोहल्ले को सूनाओगी क्या अब? ढॉनढो उनको.. नही तो कहीं मुँह दिखाने के लायक नही रहेंगे.. मैं पहले ही कहता था.. इन्न पर नज़र रखा करो..! बाथरूम में देखा है?" विजेंदर ने उसको चुप रहने का इशारा करते हुए कहा...
"देख लिया जी.. हर जगह देख लिया.. मैं तो उपर भी देख आई.. कहाँ गयी मेरी बच्चियाँ...?" मम्मी का रोना कम ना हुआ...
"ये सब तुम्हारे ही लाड़ प्यार का नतीजा है.. भुग्तो अब..!" विजेंदर ने झल्लाते हुए कहा...
"लाड प्यार से कोई घर से दूर नही जाता जी.. तुमने ही हर जगह उन्न पर पहरा लगवा दिया था.. जाने कहाँ चली गयी.. आपसे इतना डरती थी.. " मम्मी रोती रही...
"अब चुप भी करो.. आस पड़ोस में जिकर मत करना.. इज़्ज़त के चिथड़े ऊड जाएँगे हमारी.. फोन वोन आए तो प्यार से बुला लेना उनको.. मैं कुच्छ नही कहूँगा... पता नही आजकल के बच्चे.. कहाँ गयी होंगी हरामखोर..?" विजेंदर की कुच्छ समझ में नही आ रहा था.. क्या करें.. क्या ना करें.. वो अपना सिर पकड़ कर बेड पर बैठ गया.......
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विकी सुबह करीब 9 बजे वीरू और राज के कमरे पर पहुँचा.. कमरे पर टला लगा देख उसका माथा ठनक गया.. कुच्छ सोचते हुए वह बाहर निकला और रोड पर खड़ी अपनी गाड़ी में बैठ गया और बैठते ही उसने राज का नंबर. डाइयल किया..
"हेलो.. मोहन भाई साहब?" राज ने फोन उठाते ही पूचछा...
" हां.. कहाँ हो यार? तुम्हारे रूम पर तो ताला लगा है!" विकी ने पूचछा...
"हम तो यहाँ आ चुके हैं... लोहरू! आप वहाँ क्यूँ गये?" राज ने सहज भाव से पूचछा..
"लोहरू????? वहाँ क्या लेने गये हो यार तुम.. मैने कहा तो था.. मैं सुबह अपने आप ले जाउन्गा..." विकी झल्ला उठा.. वह पहले ही लेट हो रहा था.. डील का टाइम होने वाला था..
"पर आपने ही तो अजीत भाई साहब को भेजा था.. स्नेहा को लेने.. हम भी आ गये साथ ही..." राज ने जवाब दिया...
"अजीत?? कौन अजी.. ओह शिट.. टफ?" विकी को सब किए कराए पर पानी फिरता नज़र आने लगा..
"कौन टफ?" राज की आवाज़ उभरी...
" खैर छ्चोड़ो... अभी कहाँ है वो?.. अजीत?" विकी ने बात को संभालते हुए पूचछा...
"वो तो चले गये.. अभी आधा घंटा पहले ही निकले हैं..."
"कोई बात नही.. स्नेहा कहाँ है...?" विकी ने पूचछा...
"वो अंदर लेटी है.. उसकी तबीयत ठीक नही है..." राज ने जानबूझ कर ये नही बताया की वो बहुत रोई है.. वो किसी भी हालत में स्कूल ट्रिप मिस नही करना चाहते थे...
"वैसे तो सब ठीक है ना.. मतलब.. !" विकी बोलता हुआ अचानक रुक गया.. उसके फोन पर बांके की कॉल आ रही थी..
" हां.. सब ठीक है.." राज की तरफ से जवाब आया..
"अच्च्छा.. मैं 2 मिनिट के बाद फोन करता हूँ.. तुम स्नेहा को फोन दे आओ.. मुझे उस'से कुच्छ बात करनी है.. अकेले में..!" विकी ने कहा..
"अच्च्छा भाई साहब!" कहकर राज ने फोन काट दिया...
विकी ने बांके के पास फोन मिलाया..," हां बोल!"
"माल तैयार हैं.. कब आना है?" उधर से आवाज़ आई...
" कितने हैं?" विकी ने पूचछा...
" पूरे हैं.. 8! लड़की साथ लाना...." बांके ने कहा...
" हूंम्म.. पर मैने जगह बदल दी है... पहले वाली जगह कॅन्सल!"
"क्यूँ?" बांके ने सवाल किया..
" लड़की वहाँ नही है जहाँ थी.. अब मुझे उसको लाना पड़ेगा.. तुम भिवानी के पास पहुँचो... मैं 3 घंटे बाद.. उसके आस पास ही कहीं बुलाउन्गा.."
"ठीक है.. पर वो जगह तो फाइनल होगी ना..." बांके ने फिर पूचछा...
विकी ने बिना सुने ही फोन काट दिया और राज का नंबर. डाइयल किया...
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज
girls school-48
"Jab tak koyi rasta nahi nikal jata, tum yahin rahna.. kisi baat ki chinta mat karo.. hum sab tumhare sath hain.. ye lo.. mera aur Shamsher bhai ka no. ! koyi bhi jarurat pade toh fone kar lena.. theek hai?" Kahkar tough wahan se uth gaya.. aur wo kar bhi kya sakta tha.. iss'se jyada!
Bahar nikal kar tough Virender ke paas ja baitha aur baki teeno ko apne paas bulaya.. Raj aakar viru ke sath hi baith gaya jabki dono ladkiyan khadi thi... kisi ko bhi ab tak Sneha par pahad toot padne ki bhanak nahi thi..
Tough Priya aur Riya se mukhatib hua," tum dono Sneha ke paas kaise aayi?"
"w..wo hum uski saheliyan hain.. uss'se milne aayi thi.." Riya ne tapak se jhooth bola...
"mil li?" Tough ka agla sawaal tha...
"Haan.. magar..!" Riya ne kuchh bolna chaha..
"Magar kya? kya tumhare ghar walon ko khabar hai ki tum iss waqt kahan ho..?" Tough ne dono se sawaal kiya..
Iss baat par Priya chintit hokar bagle jhankne lagi.. par Riya ne himmat na hari..," haan.. pata hai unko.. sab pata hai.. aur kya hum bhag kar aaye hain..?" Riya ne batteesi nikal kar tough ki baat ka jawaab diya..
" Lao.. mujhe unka no. do.. main unse baat kar loon jara.. agar unko koyi aitraaj na ho toh tum kuchh din aur Sneha ke paas ruk jana.." Tough ne apna mobile nikalte huye kaha..
" Nahi.. wo.. humne baat kar li thi.. unko koyi aitraaj nahi hai.. chahe hum kitne bhi din rukein.. Sneha ke sath.." Riya ne viru ki aur munh chidhate huye kaha.. Viru kafi der se usi ko ghoor raha tha...
" Mujhe no. toh de do! main baat kar leta hoon.. kya harz hai.." Tough ne fir uss'se contact no. manga..
" par ghar ka no. toh hai hi nahi.. mummy ne toh STD se baat kari thi.. Sham ko.." Riya tab tak sambhal chuki thi...
"tum chalne ki taiyari karo.. main tumhe bhiwani se bus main baitha deta hoon.." tough ne Raj aur viru se kaha," yahan sabke Rahne mein dikkat aayegi... sorry!"
Raj aur viru ek dusre ka munh taakne lage.. ab dusre ke ghar par jabardasti rahte bhi toh kaise.. Raj ne apna chehra ghumakar Priya ki aur dekha.. wo aankhon hi aankhon mein uss'se wahin ruk jane ki prarthna kar rahi thi.. Par Raj bhi kya karta bechara...
Viru ne Stick ke sahare khada hote huye kaha," theek hai.. main jara Sneha se baat kar loon.. kahan hai wo..?"
" andar hai.. thahro.. main yahin bulakar lata hoon.. " kahkar Tough andar chala gaya...
Sneha yunhi baithi thi.. jaisa tough usko bahar nikalte huye chhodkar gaya tha.. shunya ko niharte huye..," Dekho Sneha.. yahan kisi ke saamne kuchh bhi jahir mat karna.. baat pata nahi kahan ki kahan nikal jati hai.. tumhari saheliyan abhi wapas jane se mana kar rahi hain.. unhe yahin rahne doon.. ek aadh din..? tumhara mann bhi lag jayega..!"
Sneha ne koyi jawab nahi diya.. bus palkein uthakar ek baar tough ko dekha aur fir se neeche dekhne lagi...
" dono ladke ja rahe hain.. aaj hi.. apna munh dho lo aur ek baar bahar aakar unse baat kar lo.. aise munh kyun latkaye baithi ho.. main kah raha hoon na.. tumhe kuchh nahi hoga.. aao.. utho" kahte huye tough ne usko khadi kar diya.. wah aise bathroom ki aur chal di jaise uske pairon mein jaan bachi hi na ho...
Sneha apna chehra dhokar bahar aayi.. gaalon par aasuon ke nishan mit gaye par dil par lage ghavon ki parchhayi aur gadhi ho gayi.. wah yun hi chalte chalte bedroom se bahar nikli.. aur Viru aur Raj ko dekhte hi fir se foot foot kar rone lagi.. kya ye bhi kuchh 'pal' ke hi bhai the?
"kya hua Sneha?" Viru ka aisa bolna tha ki Sneha ka karun krandan aur tej ho gaya.. sabhi bechaini se uski aur dekhne lage... tough ne usko aisa kya bata diya?
Sneha roti huyi viru ke saamne jakar khadi huyi.. ek pal ke liye uski nigahon mein jhanaka.. aur fir uski chhati se ja lipti," bhaiyaaa!"
Viru ki nigahon mein uske liye ab bhi waisa hi lawanya tha.. waisa hi Prem! wo badal ki tarah pal pal roop badalne walon mein se nahi tha..
"Pagli.. ro kyun rahi hai..? hum fir aa jayenge milne.. milte rahenge.. Mohan ko bol dena.. har hafte humse milane laya kare.. chup ho ja.. pagal!" Viru ne uske gaalon se aansoo pounchhte huye kaha...
Mohan ka naam Viru ki juban par aate hi Sneha yun bilakh padi jaise kisi ne uski vina ke taaron ko bedardi de tod diya ho..," Tum mat jao bhaiya.. main mar jaaungi.. pls.. tum toh mat jao chhodkar...!" Sneha ne najrein uthakar Viru se guhar lagayi..
"Hum Sneha ko apne sath hi le jayenge.. isko kuchh nahi hoga.. mera wada hai aapse..." Viru ne tough ki aur dekhte huye kaha...
Tough bina kuchh bole bahar nikal gaya.. uski samajh mein kuchh nahi aa raha tha.. usne Shamsher ka no. milaya..
"haan.. tough.. bolo..!" Shamsher ne fone uthate hi kaha..
"bhai.. yahan toh.. meri samajh mein kuchh nahi aa raha.. na toh wo ladkiyan jane ko taiyaar hain.. aur na Sneha unn ladkon ko jane dena chahti.. batao main kya karoon.. mujhse Sneha ka rona bhi dekha nahi ja raha.. kaho toh main inn sabko bhiwani le jaaun? wahi kar deta hoon.. sabaka rahne ka...." Tough wakai mein pareshan lag raha tha...
"hummm.. ek minute.. Anjali kahan hai..?" Shamsher ne poochha...
"kitchen mein hogi..!" Tough ne andar ki aur jhankte huye kaha..
"baat karana ek baar..." Shamsher ne tough se kaha...
"Ek minute.." kahkar tough andar gaya...," bhabhi ji.. ek minute bahar aana.."
Anjali bahar aa gayi..
"lo baat karo.. Shamsher bhai se.." kahkar tough ne fone Anjali ko de diya..
"Haan Sham...." anjali naam lete lete beech mein hi ruk gayi...
"tum aaj kal mein koyi School ka tour arrange nahi kar sakti; 5-7 din ke liye...?" Shamsher ne anjali se poochha..
" aaj-kal mein? par agle mahine se bachchon ke term exam hain.. aise mein koun jayega...? par ye tour ka vichar kaise aaya..?" Anjali ne safayi dete huye sawaal poochha...
" koyi jaye.. na jaye.. par bahut jaroori hai.. inn bachchon ke liye.. Sneha ka mann bhi lag jayega.. bechari bahut pareshan hai.. Disha aur vani ho jayengi.. Gouri hai.. bachche toh ho jayenge.. tum kisi bhi tarah se ye kaam kar lo.. pls!" Shamsher ne vinaypoorn arthon mein Anjali se kaha...
" kyun Sharminda kar rahe ho..? ho jayega.. aur bolo..!" Anjali ne Shamsher se kaha...
" Thanx Anjali.. ab sab theek ho jayega...! Really thanx.." Shamsher ne anjali ka dhanyawad kiya...
"thanx se kaam nahi chalega.." anjali ne ek taraf hote huye kaha..," tumhe bhi chalna padega.. aaj aa rahe ho na...!" Anjali ne muskurate huye kaha...
" main kya karoonga.. chalkar.. tour se hi toh lout raha hoon..!"
"Tumse kuchh hisab kitab baki hai.. purana.. chalna toh tumhe padega hi.." kahkar muskurate huye Anjali ne fone kaat diya aur wapas aate huye tough ko de diya," tum fikar na karo.. aaram se khana khao aur chale jao.. main sambhal loongi...!" anjali ne muskurate huye kaha...
School-Trip ki baat sunkar sabhi ke chehre khil gaye... sabhi khushi se jhoom uthe.. sivay ek chehre ke.. uski muskaan toh ab Mohan hi wapas la sakta tha.. jiska wajood hi iss duniya mein nahi tha kahin...
Tough ne sabhi ke sath nashta kiya.. Sneha ko bhi jabardasti ek aadh took khilaya aur sabko bye bolkar chala gaya...
Subah uthte hi Priya ki mummy ki cheekh nikal gayi.. usne poora ghar chhan mara tha par dono mein se koyi bhi dikhayi nahi di.. upar tala laga hua tha.. wah hadbadayi huyi bedroom mein aayi," wo dono kahan hain ji?"
"koun dono?" Vijender ne latey latey hi poochha..
"Ppriya.. aur Riya?"
jawan betiyon ke bare mein aisa sunte hi Vijender apne ghutne ke dard ko bhool kar bister se uchhal pada aur khada ho gaya," kahan hain? .. kya hua?"
" dono mein se koyi bhi ghar par nahi hai ji.. kahan gayi meri bachchiyan..?" mummy dahad maarkar rone lagi..
"chup karo.. Sare mohalle ko sunaogi kya ab? dhoondho unko.. nahi toh kahin munh dikhane ke layak nahi rahenge.. Main pahle hi kahta tha.. inn par najar rakha karo..! bathroom mein dekha hai?" Vijender ne usko chup rahne ka ishara karte huye kaha...
"Dekh liya ji.. har jagah dekh liya.. main toh upar bhi dekh aayi.. kahan gayi meri bachchiyan...?" mummy ka rona kum na hua...
"ye sab tumhare hi laad pyar ka nateeja hai.. bhugto ab..!" Vijender ne jhallate huye kaha...
"laad pyar se koyi ghar se door nahi jata ji.. tumne hi har jagah unn par pahra lagwa diya tha.. jane kahan chali gayi.. aapse itna darti thi.. " Mummy roti rahi...
"ab chup bhi karo.. aas pados mein jikar mat karna.. ijjat ke chithde udd jayenge hamari.. fone vone aaye toh pyar se bula lena unko.. main kuchh nahi kahoonga... pata nahi aajkal ke bachche.. kahan gayi hongi haramkhor..?" Vijender ki kuchh samajh mein nahi aa raha tha.. kya karein.. kya na karein.. wo apna sir pakad kar bed par baith gaya.......
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Vicky subah kareeb 9 baje Viru aur Raj ke kamre par pahuncha.. kamre par tala laga dekh uska matha thanak gaya.. kuchh sochte huye wah bahar nikla aur road par khadi apni gadi mein baith gaya aur baithte hi usne Raj ka no. dial kiya..
"hello.. Mohan bhai sahab?" Raj ne fone uthate hi poochha...
" haan.. kahan ho yaar? tumhare room par toh tala laga hai!" Vicky ne poochha...
"hum toh yahan aa chuke hain... Loharu! aap wahan kyun gaye?" Raj ne sahaj bhav se poochha..
"Loharu????? wahan kya lene gaye ho yaar tum.. maine kaha toh tha.. main subah apne aap le jaaunga..." Vicky jhalla utha.. wah pahle hi late ho raha tha.. deal ka time hone wala tha..
"par aapne hi toh Ajeet bhai sahab ko bheja tha.. Sneha ko lene.. hum bhi aa gaye sath hi..." Raj ne jawaab diya...
"Ajeet?? koun ajee.. oh shit.. Tough?" Vicky ko sab kiye karaye par pani firta najar aane laga..
"koun tough?" Raj ki aawaj ubhari...
" khair chhodo... abhi kahan hai wo?.. Ajeet?" Vicky ne baat ko sambhalte huye poochha...
"wo toh chale gaye.. abhi aadha ghanta pahle hi nikle hain..."
"koyi baat nahi.. Sneha kahan hai...?" Vicky ne poochha...
"wo andar leti hai.. uski tabiyat theek nahi hai..." Raj ne jaanboojh kar ye nahi bataya ki wo bahut royi hai.. wo kisi bhi halat mein school trip miss nahi karna chahte the...
"waise toh sab theek hai na.. matlab.. !" Vicky bolta hua achanak ruk gaya.. uske fone par baanke ki call aa rahi thi..
" haan.. sab theek hai.." Raj ki taraf se jawab aaya..
"achchha.. main 2 minute ke baad fone karta hoon.. tum Sneha ko fone de aao.. mujhe uss'se kuchh baat karni hai.. akele mein..!" Vicky ne kaha..
"achchha bhai sahab!" kahkar Raj ne fone kaat diya...
Vicky ne baanke ke paas fone milaya..," haan bol!"
"maal taiyaar hain.. kab aana hai?" Udhar se aawaj aayi...
" Kitne hain?" Vicky ne poochha...
" poore hain.. 8! ladki sath lana...." Baanke ne kaha...
" hummm.. par maine jagah badal di hai... pahle wali jagah cancel!"
"kyun?" baanke ne sawaal kiya..
" ladki wahan nahi hai jahan thi.. ab mujhe usko lana padega.. tum bhiwani ke paas pahuncho... main 3 ghante baad.. uske aas paas hi kahin bulaaunga.."
"theek hai.. par wo jagah toh final hogi na..." Baanke ne fir poochha...
Vicky ne bina sune hi fone kaat diya aur Raj ka no. dial kiya...
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj
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