Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट--27

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,




गहरी चाल पार्ट--27

कामिनी मुकुल के साथ अपने ऑफीस मे बैठी थी.षत्रुजीत सिंग को ज़मानत मिलने से वो उसकी तरफ से तो थोड़ी बेफ़िक्र हो गयी थी मगर करण की चिंता उसे लगातार खाए जा रही थी...आख़िर उसने ऐसी ग़लती कैसे कर दी?!

उसके लॅपटॉप पे पोलीस से ली हुई बॉर्नीयो के सीक्ट्व कमेरे की फुटेज चल रही थी.बार के सामने की दीवार पे लगे कमेरे की ब्लॅक & वाइट तस्वीर मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण 1 आदमी से उलझा हुआ था & जयंत पुराणिक दोनो को अलग करने की कोशिश कर रहे थे.उसी बीच शीना ने उसकी जॅकेट उसे थमाते हुए पीछे खींचना चाहा तो करण का हाथ जेब पे लगा & उसने अपनी पिस्टल निकाल के तान दी & फिर गोली चली जो सीधा पुराणिक के सीने मे लगी & वो वही ढेर हो गये.

कामिनी का दिमाग़ लगातार चल रहा था...गन...जब करण ने कहा की उसे अच्छी तरह से याद था की उसने गन वापस सेफ मे रखी थी तो फिर वो उसकी जॅकेट मे कैसे आ गयी?..कही शीना का तो इसमे कोई हाथ नही?..मगर वो बेचारी तो लगातार करण के साथ बनी हुई है..कल कोर्ट मे भी उसका काला चश्मा बड़ी मुश्किल से उसके आँसुओ को छुपा पा रहा था..लेकिन फिर गन जॅकेट मे आई कैसे?..या फिर करण को ही कुच्छ याद नही..

कामिनी ने सर झटक के नंदिता के केस की तरफ ध्यान लगाया.ये भी कम पेचीदा मामला नही था.1 किले जैसे घर मे दरवाज़ा खोल कर कोई किसी को गोली मार देता है,जिसकी आवाज़ भी किसी को सुनाई नही देती.ये तो ज़रूर किसी अंदर के आदमी का काम है!...मगर कौन?पाशा & जीत तो 1 साथ थे..फिर और कौन?

उसने मुकुल को शत्रुजीत के घर मे मौजूद सभी लोगो की लिस्ट बनाने को कहा,"मुकुल,सबके नाम के साथ ये भी पता करो की वो कब से वाहा काम कर रहे हैं?"

"ओके,मॅ'म."

कोई 2 घंटे बाद मुकुल लिस्ट लेकर उसके सामने हाज़िर था,"वाह,मुकुल बड़ी जल्दी कर लिया."

कामिनी गौर से लिस्ट पढ़ रही थी की उसकी नज़र आंतनी डाइयास के नाम पे अटक गयी...सिर्फ़ 2 महीने हुए इसे काम करते हुए...आख़िर ये जीत को मिला कैसे..उसने घड़ी देखी 11 बज रहे थे,इस वक़्त बॉर्नीयो खाली होगा..वाहा तो रात को रौनक होती है..उसने वाहा जाके 1 नज़र वारदात की जगह पे डालने की सोची.

अपनी कार मे बैठते हुए उसने शत्रुजीत को फोन मिलाया,"हाई!जीत."

"..हां..मैं अभी बॉर्नीयो जा रही हू.शाम को मिलते हैं.",थोड़ी देर की बात चीत के बाद उसने फोन रख दिया.आज उसका ड्राइवर नही आया था तो वो अकेली ही ड्राइवर कर पब पहुँची.वाहा पहुँच कर उसने 1 बार बार का जायज़ा लिया.इस वक़्त वाहा सॉफ-सफाई का काम चल रहा था.कामिनी ने 1 बार उस सीक्ट्व कमेरे की पोज़िशन देखी & फिर उस जगह खड़ी हो गयी जहा हाथापाई हुई थी,सिर उसने सामने बार के पीछे की दीवार पे देखा.उसे लगा की वाहा पे भी 1 कॅमरा है.

थोड़ी देर बाद कामिनी पब के मॅनेजर के ऑफीस मे बैठी थी,"..क्या बार के पीछे की दीवार पे भी कॅमरा लगा है?"

"जी..ना-..मेरा मतलब है हां,मगर वो तो खराब पड़ा है."

"तो आपने उसे ठीक क्यू नही करवाया?"

"दूसरे कमेरे से काम चल ही रहा था..आपने भी तो फुटेज देखी होगी..वो कॅमरा पूरा बार कवर कर लेता है."

"ह्म्म...एनीवे थॅंक्स,अगर ज़रूरत पड़ी तो फिर आऊँगी."

"यू'आर ऑल्वेज़ वेलकम."

कामिनी सोच मे डूबी पब से बाहर आ अपनी कार का दरवाज़ा खोल ही रही थी की तभी उसे आँखो के कोने से बड़ी तेज़ी से 1 टाटा सफ़ारी आती दिखी.कामिनी ने फ़ौरन गर्दन घुमाई तो देखा की कार सीधा उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही है.कामिनी ने अपनी कार का दरवाज़ा बंद किया & उच्छल कर अपनी कार की बॉनेट पे कूदी,पर संतुलन बिगड़ने से बॉनेट के उपर से फिसलते हुए अपनी कार के सामने गिरी.सफ़ारी के ब्रेक्स ने बहुत तेज़ आवाज़ की & वो थोड़ा आगे जा के रुकी.

कामिनी अपनी पॅंट & कमीज़ से धूल झाड़ती उठ रही थी की उसने देखा की सफ़ारी का ड्राइवर उसे रिवर्स करके बड़ी तेज़ी से उसे फिर से उसकी तरफ ला रहा था.कामिनी कार के दूसरे तरफ सड़क के किनारे बने पार्क की बाउंड्री वॉल की तरफ बिजली की तेज़ी से कूदी & 1 छलान्ग मे ही दीवार फाँद कर पार्क मे दाखिल हो गयी.

उसने धड़कते दिल से सफ़ारी को देखा,लग रहा था जैसे उसका ड्राइवर सोच रहा हो की उतर कर उसके पीछे आए या नही.थोड़ी देर तक वो कार वैसे ही खड़ी रही फिर तेज़ी के साथ वाहा से निकल गयी.कामिनी ने कार का नंबर देखने की कोशिश की मगर नंबर प्लेट पे कीचड़ जमा था...यानी की ये उसे कुचलने की सोची-समझी साज़िश थी मगर किसकी?

इस वक़्त इस इलाक़े मे भी चहल-पहल नही रहती थी.बस 1 माली था पार्क मे जिसने सब देखा था वोही भाग कर उसके पास आ गया था.कामिनी ने उस से पीने का पानी माँगा..इतने दीनो के करियर मे पहली बार उसपे जानलेवेआ हमला हुआ था..उसने काँपते हाथो से फोन निकाल कर शत्रुजीत को मिलाया,"हे-..हेलो..जीत.."

"हां,कामिनी?"

"ज-जीत.."

"बोलो कामिनी क्या हुआ?"

"त-तुम..बस..यहा..आ जाओ."

रात को कामिनी बाथटब मे बैठी दोनो केसस के बारे मे सोच रही थी.दिन मे हुए हमले से जो घबराहट उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छा गयी थी वो अब हट गयी थी..आख़िर कौन हो सकता है उस हमले के पीछे?..कोई था जो नही चाहता था की वो बॉर्नीयो मे पुचहताच्छ करे?...तो क्या इसका मतलब ये है की करण वाला केस इतना सीधा नही जितना दिखता है?....या फिर कोई है जो चाहता है कि वो करण को ना बचाए..मगर कौन?

षत्रुजीत सिंग तो नही?....सब जानते हैं की जयंत पुराणिक उसका कितना अज़ीज़ था...मगर जीत & ऐसी हरकत?..नही..वो तो सच्चाई & साफ़गोई की मिसाल है...ख़यालो का सिलसिला नंदिता के क़त्ल की ओर मूड गया...फिर नंदिता का क़त्ल किसने किया वो भी इस किले जैसे महफूज़ बंगल मे?

सवेरे हमले के कोई 10 मिनिट के अंदर ही टोनी & पाशा उसके पास पहुँच गये थे & उसे षत्रुजीत के घर ले आए थे जहा सबने ये फ़ैसला किया की उसकी हिफ़ाज़त के लिए वो अभी कुच्छ दिन अगर षत्रुजीत के घर मे ही रहे तो ठीक होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था..1 तो अपने प्रेमी का साथ दूसरे उसे उम्मीद थी की नंदिता के केस के लिए भी उसे कोई सुराग यहा से शायद मिल जाए.

...मगर क्या शत्रुजीत केवल इसलिए उसे डराने के लिए हमला करवा सकता था क्यूकी वो पुराणिक के क़ातिल को बचा रही थी?..उसका दिल इस बात को मानने से इनकार कर रहा था मगर उसका वकील का दिमाग़ कुच्छ और ही कह रहा था...ज़रूरी नही की गुनाह की वजह बहुत ठोस हो..ठोस तो सिर्फ़ सबूत होते हैं..उसने अपने करियर मे कितने ही ऐसे केस देखे थे जिसमे मामूली सी बात के लिए क़त्ल हुए थे...जो भी हो वो पीछे नही हटेगी & दोनो केसस की गुत्थी सुलझा के रहेगी...मगर करण के केस मे क्या गुत्थी हो सकती है?...ये तो 1 सीधा-सादा नशे की झोंक मे हुए झगड़े मे हुआ हादसे का केस था....लेकिन फिर करण को याद क्यू नही था की उसने गन अपनी जेब मे रखी थी...चाहे कुच्छ भी हो कल करण से इस बारे मे बहुत तफ़सील से बात करनी ही होगी.

तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला,"..ओह्ह!आइ'एम सॉरी!",शत्रुजीत बाहर जाने लगा तो कामिनी बातटब से निकल आई,"जीत,रूको.",वो उसके करीब आ गयी,"क्यू जा रहे हो?",शत्रुजीत ने उसे देखा तो उसकी निगाहे कामिनी के बदन को सर से पैर तक निहारने लगी & निहारती भी क्यू ना..उसका मदमस्त बदन पानी मे भीगा हुआ & भी हसीन & मदहोशी भरा लग रहा था.

बीवी की मौत के बाद से शत्रुजीत काफ़ी परेशान था & उसका हमेशा मुस्कुराता चेहरा अब बहुत तनाव भरा लगता था.कामिनी जानती थी की अभी भी उसकी बेरूख़ी इसी वजह से थी.10 दिन से उपर हो गये थे नंदिता की मौत को,अब वक़्त आ गया था कि शत्रुजीत वापस पहले की तरह हो जाए.

"सॉरी तो मुझे कहना चाहिए,बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर रही थी.",उसने बेदिंग गाउन पहने शत्रुजीत की बाँह सहलाई,"..नहाने आए थे?",& बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए उसका बेदिंग गाउन खोल दिया,"चलो..आओ.",शत्रुजीत ने गाउन के नीचे कुच्छ नही पहना था.

कामिनी का दिल तो करा रहा था की उसके सोए लंड को पकड़ के अपने मुँह मे भर ले मगर उसने अपनी हसरत पे काबू रखा & शत्रुजीत को बाथटब मे बिठा दिया,"मैं जानती हू,शत्रु तुम कितना परेशान हो..उपर से मैं भी करण का केस लड़ के तुम्हे कोई सुकून तो पहुँचा नही रही.",कामिनी टब मे उसके पीछे बैठ गयी & उसकी पीठ हल्के-2 रगड़ने लगी.उसने जान बूझ कर ऐसी बात कही थी,उसे अपने दिल का शक़ जो दूर करना था.

"कैसी बाते करती हो?",शत्रु ने थोड़ी देर के लिए उसका 1 हाथ पकड़ा,"..मैं समझता हू तुम्हारी स्थिति...क्या करे?उपरवाला कभी-2 हमारा ऐसे ही इम्तहान लेता है.",कामिनी के गुलाबी निपल्स ठंडे पानी की वजह से बिल्कुल कड़े हो चुके थे & शत्रुजीत की पीठ मे भले जैसे चुभ रहे थे.बीवी के क़त्ल के बाद आज पहली बार उसे थोडा सुकून महसूस हो रहा था & उसके बदन मे फिर से पुरानी उमंगे जाग रही थी.

कामिनी अपने घुटने उसकी दोनो जंघे के बगल मे सताए उसकी मज़बूत बाहो पे पानी डाल के उन्हे रगड़ रही थी,उसकी चूत से हल्के-2 पानी रिसने लगा था.पिच्छले 10 दीनो से उसकी चूत को भी कोई लंड नही नसीब हुआ था & आज की रात उसे इसकी पूरी भरपाई करनी थी.उसने शत्रुजीत का सर चूम लिया,"दट'स सो नाइस ऑफ यू,जीत.",उसके पीछे से उसके बदन से चिपके हुए दोनो हाथ आगे लाके वो उसकी बालो भारी छाती सहलाने लगी.

ऐसा करने से उसकी चूचिया शत्रुजीत की पीठ से बिल्कुल पिस गयी & उनके कोमल एहसास से उसका लंड अब बिल्कुल तन गया.कामिनी ने पानी मे से सर निकाल कर उस 1 आँख वाले रक्षःस को झाँकते देखा तो मन ही मन मुस्कुराइ,"मैं तुम्हे ज़्यादा परेशान तो नही करना चाहती,डार्लिंग..मगर पुच्छना तो पड़ेगा ही.",

"पुछो ना.",शत्रुजीत पीछे हो उसके बदन से टेक लगाके बैठ गया था.कामिनी उसके दाए कंधे के उपर से उसे देखते हुए उसका सीना सहला रही थी.

"तुम्हे क्या लगता है नंदिता का क़त्ल किसने किया होगा या फिर किसका हाथ है इसमे?"

"पता नही...ये सोच-2 के मेरा दिमाग़ खराब हो गया मगर मुझे कोई नाम नही सूझा...ना ही कोई वजह...ना मेरी किसी से दुश्मनी है ना नंदिता की थी..."

"फिर ऐसे बंद कमरे मे कोई कैसे घुस के ये काम कर सकता है?",कामिनी का हाथ उसके सीने के बालो से खेलते हुआ नीचे की तरफ जाने लगा था,"तुम्हे घर के किसी नौकर पे भी कोई शक़ नही?"

"नही.",शत्रुजीत का सर अब उसकी चूचियो पे रखा हुआ था & वो उसके घुटने सहला रहा था,कामिनी की चूत अब कसमसने लगी थी,"टोनी पर भी नही?"

"नही.",उसने कामिनी को टोनी से मुलाकात की पूरी कहानी सुनाई जिसके दौरान कामिनी का हाथ उसके लंड तक पहुँच गया,इधर शत्रु ने अपनी झांते सॉफ नही की थी & कामिनी उनके पीछे च्छूपे उसके आंडो को दबाने लगी,"..जो शख्स 2 दिन से भूखा होने के बावजूद हज़ारो रुपयो से भरा पर्स वापस कर दे वो ऐसा ज़लील काम कभी भी नही कर सकता.",उसने कामिनी का सर पकड़ उसे सामने की ओर खींचा तो कामिनी फ़ौरन सामने आ उसकी गोद मे बैठने लगी.

शत्रुजीत ने उसकी कमर पकड़ी & उसकी चूत को अपने लंड पे बिठाने लगा.जैसे ही लंड ने चूत को छुआ कामिनी की आँखे बंद हो गयी & उसे मानो नशा चढ़ने लगा,"..उउम्म्म्म....मगर खून तो किसी ऐसे ही इंसान ने किया है जोकि घर के अंदर से अच्छी तरह वाकिफ़ था..आआआआआअहह..!",अरसे बाद उसकी चूत इस लंबे,मोटे लंड का स्वाद चख रही थी.

वो शत्रुजीत के कंधो पे हाथ रखे आहे भरती हुई उच्छलते हुए उसके लंड को खुद ही चोदने लगी,शत्रुजीत ने उसकी पतली कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ कर उसके बदन को खुद से चिप्टा लिया & अपना चेहरा उसकी मोटी चूचियो के बीच च्छूपा लिया,"..जो भी हो,1 बार उसका नाम पता चल जाए...उसके बाद उसे मैं खुद अपने हाथो से सज़ा दूँगा." ,उसने कामिनी की गंद की फांको को दबोचते हुए उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & उसके साथ-2 नीचे से पानी कमर उचका कर चुदाई करने लगा.

बाथरूम मे कामिनी की गरम आहे,शत्रुजीत की ज़बान की लपलपहट & दोनो बदनो के मिलन से च्चपच्छपते पानी की आवाज़ो का मस्त शोर भर गया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शॅरन की गुलाबी चूत से उसका रस टपक रहा था,वो जल बिन मच्चली की तरह फूलो भरे गोल बिस्तरा पे तड़प्ते हुए कराह रही थी,"..आअननह...उउउन्न्ह...ऊऊुुइईईईईई.....ऊऊहह....जाग...बीइररर....अब....ना..ही...हाईईईईईईईईईई...!,मगर जगबीर ठुकराल उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी 2 उंगलियो से लगातार उसकी चूत मारे जा रहा था.बेचैन हो शॅरन ने उसका हाथ पकड़ कर खींचने की कोशिश की मगर ठुकराल ने उसके दोनो हाथो को अपने बाए हाथ मे जाकड़ लिया & दाए से उसकी चूत वैसे ही मारता रहा.शॅरन का हाल बुरा था,ना जाने अब तक वो कितनी बार झाड़ चुकी थी,"..जगबीर..प्ले..असे...मत करो ना..!"

इस बार ठुकराल ने उसकी बात मानते हुए अपनी उंगलिया खींच ली मगर अगले ही पल उसके उपर झुक कर उसने अपना मोटा लंड उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..हाइईईईईई....!",शॅरन के चेहरे पे अजीब से भाव थे-खुशी के भी,दर्द के भी,तकलीफ़ के भी & मज़े के भी.ठुकराल ने लंड जड़ तक उसकी चिकनी चूत मे धंसा दिया & फिर उसके हसीन चेहरे को अपने हाथो मे भर बड़े प्यार से चूमने लगा.वो जानता था की शॅरन काफ़ी थक चुकी है & ऐसे मे अगर उसने चोदना शुरू किया तो वो उसका ढंग से साथ नही दे पाएगी.अगर अभी वो लंड नही डालता तो वो ज़रूर सो जाती मगर वो अभी तक झाड़ा नही था & उसके झाडे बिना शॅरन को सोने का कोई हक़ नही था.

इस तरह लंड चूत मे पड़े होने से ना उसे नींद आएगी & वो धक्के नही लगाएगा तो वो ज़्यादा परेशान भी नही होगी.बिस्तर के बगल मे रखा इंटरकम बजा तो उसने रिसीवर उठाया,"बोलो माधो."

"हुज़ूर,वकील कामिनी शत्रुजीत के घर रह रही है."

"ये तो अच्छी बात है,अब हमारा प्यादा बड़ी आसानी से दुश्मन की सारी चालो की खबर हमे दे सकता है.",दोनो ने थोड़ी देर & बात की.ठुकराल ने महसूस किया की शॅरन उसकी पीठ सहला रही है & उसने अपने घुटने भी मोड़ लिए थे.वो समझ गया की वो चुदाई के लिए तैय्यार है,उसने रेसिवेर फेंका & उसके घुटनो को मोड़ कर उन्हे पकड़ कर अपने होंठ उसके नर्म होंठो पे कस दिए & गहरे धक्के लगाने लगा & 1 बार फिर से कमरे मे शॅरन की आहे गूंजने लगी.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"..मुझे बिल्कुल भी याद नही की पिस्टल मेरी जेब मे कैसे आई!..प्लीज़ कामिनी बार-2 1 ही सवाल करके मुझे परेशान मत करो!..मुझे मेरे हाल पे छ्चोड़ दो..",करण ने अपना चेहरा अपने हाथो मे च्छूपा लिया & रोने लगा.कामिनी फ़ौरन उसके पास पहुँची,"..नही करण!ऐसे हौसला मत खोयो प्लीज़!",उसने उसके हाथ उसके चेहरे से हटाए & उसे अपने सीने से लगा लिया & उसकी पीठ सहलाने लगी.कुच्छ पॅलो बाद करण शांत हुआ,"आइ'एम सॉरी."

"कोई बात नही...अच्छा चलो शीना के बारे मे बताओ.",उसने करण का मूड बेहतर करने की गरज से कहा,"तुम दोनो पहली बार कब मिले?"

"लंडन मे.",करण ने अपना चेरा पोंच्छा,"..1 पार्टी मे ."

"वो भी लंडन मे ही रहती है?"

"हां,लेकिन उस वक़्त वो वाहा नयी-2 आई थी."

"अच्छा."

"हां,वो तो यही आवंतिपुर की है.उसकी फॅमिली तो अभी भी वही रहती है."

"तो शीना लंडन कैसे पहुँच गयी?"

"पढ़ाई के लिए.उसकी बुआ वही रहती है ना.वो मेरी चाची की दोस्त हैं.उन्ही की पार्टी मे तो हम पहली बार मिले थे."

"ओह."

"हाई!करण.",दोनो मुड़े तो देखा की शीना 1 बुज़ुर्ग से इंसान के साथ खड़ी है.उन्हे देखते ही करण की नज़रे झुक गयी.कामिनी ने शीना को सर झुका के उसकी हाई का जवाब दिया.वो बुस्ज़ुर्ग करण के करीब आए & उसके कंधे पे हाथ रखा तो 1 बार फिर से उसके आँसू निकल पाए.वो उसे समझाने लगे तो कामिनी शीना से मुखातिब हुई,"शीना.करण ने बताया की तुम आवंतिपुर से हो."

"हां."

"वाहा कहा घर है तुम्हारा?"

"कमाल कुंज मे."

"अच्छा & यहा पंचमहल मे कहा रहते हो तुमलोग?"

"यहा तो हमारा कोई घर नही है."

"तो फिर तुम यहा कैसे आई?"

"मैं तो आवंतिपुर से यहा आती हू."

"2 घंटे का सफ़र तय करके?"

"हां."

"देखो,अगर चाहो तो मेरा घर खाली है या फिर मैं कोई & इंतेज़ाम करा सकती हू."

"नही..वो डॅडी को ये जगह पसंद नही..."

"अच्छा..क्यू?",कामिनी समझ गयी कि यही शख्स शीना का बाप है.करण अब संभाल गया था & वो शख्स कामिनी को देख रहा था,"हां,शीना जगह की-.."

"पहले डॅडी से मिलिए?",शीना ने दोनो का परिचय कराया,"शीना कह रही थी की आपको पंचमहल पसंद नही.बुरा ना माने तो वजह जान सकती हू?",मित्तल साहब 1 पल के लिए संजीदा हो गये & अपनी बेटी को घूरा,लेकिन फ़ौरन संभाल गये & मुस्कुराए,"..यहा का पानी रास नही आता मुझे."

"ओह."

बाप-बेटी को करण के पास छ्चोड़ कामिनी वाहा से निकल आई,आज उसका ड्राइवर कार चला रहा था.कामिनी के ज़हन मे कुच्छ खटक रहा था....रोज़ 2 घंटे का सफ़र करके आना मंज़ूर है मगर यहा रहना नही..आख़िर ऐसी क्या वजह थी पंचमहल मे?..जोकि बताई भी नही जा सकती....& शीना ही थी जोकि करण के साथ हादसे के वक़्त थी & 1 वही थी जिसने गन को देखा था....कही शीना ने ही तो गन?कामिनी का दिमाग़ तेज़ी से घूमने लगा..इस शीना का भी इतिहास पढ़ना पड़ेगा..मगर कैसे?
क्रमशः.......................


GEHRI CHAAL paart--27

Kamini Mukul ke sath apne office me baithi thi.Shatrujeet Singh ko zamanat milne se vo uski taraf se to thodi befikr ho gayi thi magar Karan ki chinta use lagatr khaye ja rahi thi...aakhir usne aisi galti kaise kar di?!

uske laptop pe police se li hui Borneo ke cctv camere ki footage chal rahi thi.bar ke samne ki deewar pe lage camere ki black & white tasveer me saaf nazar aa raha tha ki karan 1 aadmi se uljha hua tha & Jayant Puranik dono ko alag karne ki koshish kar rahe the.usi beech Sheena ne uski jacket use thamate hue peechhe khinchna chaha to karan ka hath jeb pe laga & usne apni pistol nikal ke taan di & fir goli chali jo seedha puranik ke seene me lagi & vo vahi dher ho gaye.

kamini ka dimagh lagatar chal raha tha...gun...jab karan ne kaha ki use achh e se yaad tha ki usne gun vapas safe me rakhi thi to fir vo uski jacket me kaise aa gayi?..kahi sheena ka to isme koi hath nahi?..magar vo bechari to lagatr karan ke sath bani hui hai..kal court me bhi uska kala chashma badi mushkil se uske aansuo ko chhupa pa raha tha..lekin fir gun jacket me aayi kaise?..ya fir karan ko hi kuchh yaad nahi..

kamini ne sar jhatak ke Nandita ke case ki taraf dhyan lagaya.ye bhi kam pechida mamla nahi tha.1 kile jaise ghar me darwaza khol kar koi kisi ko goli mar deta hai,jiski aavaz bhi kisi ko sunai nahi deti.ye to zarur kisi andar ke aadmi ka kaam hai!...magar kaun?Pasha & Jeet to 1 sath the..fir aur kaun?

usne mukul ko shatrujeet ke ghar me maujood sabhi logo ki list banane ko kaha,"mukul,sabke naam ke sath ye bhi pata karo ki vo kab se vaha kaam kar rahe hain?"

"ok,ma'am."

koi 2 ghante baad mukul list lekar uske samne hazir tha,"vaah,mukul badi jaldi kar liya."

kamini gaur se list padh rahi thi ki uski nazar Anthony Dias ke naam pe atak gayi...sirf 2 mahine hue ise kaam karte hue...aakhir ye jeet ko mila kaise..usne ghadi dekhi 11 baj rahe the,is waqt borneo khali hoga..vaha to raat ko raunak hoti hai..usne vaha jake 1 nazar vardat ki jagah pe dalne ki sochi.

apni car me baithate hue usne shatrujeet ko fone milaya,"hi!jeet."

"..haan..main abhi borneo ja rahi hu.sham ko milte hain.",thodi dr ki baat chit ke baad usne fone rakh diya.aaj uska driver nahi aaya tha to vo akeli hi driver kar pub pahunchi.vaha pahunch kar usne 1 baar bar ka jayza liya.is waqt vaha saaf-safai ka kaam chal raha tha.kamini ne 1 baar us cctv camere ki position dekhi & fir us jagah khadi ho gayi jaha hathapayi hui thi,sir usne samne bar ke peechhe ki deewar pe dekha.use laga ki vaha pe bhi 1 camera hai.

thodi der baad kamini pub ke manager ke office me baithi thi,"..kya bar ke peechhe ki deewar pe bhi camera laga hai?"

"ji..na-..mera matlab hai haan,magar vo to kharab pada hai."

"to aapne use thik kyu nahi karwaya?"

"dusre camere se kaam chal hi raha tha..aapne bhi to footage dekhi hogi..vo camera pura bar cover kar leta hai."

"hmm...anyway thanx,agar zarurat padi to fir aaoongi."

"you're always welcome."

kamini soch me doobi pub se bahar aa apni car ka darvaza khol hi rahi thi ki tabhi use aankho ke kone se badi tezi se 1 Tata Safari aati dikhi.kamini ne fauran gardan ghumayi to dekha ki car seedha usi ki taraf badhi chali aa rahi hai.kamini ne apni car ka darwaza band kiya & uchhal kar apni car ki bonnet pe kudi,par santulan bigadne se bonnet ke upar se fisalte hue apni car ke samne giri.safari ke brakes ne bahut tez aavaz ki & vo thoda aage ja ke ruki.

kamini apni pant & kamiz se dhool jhadti uth rahi thi ki usne dekha ki safari ka driver use reverse karke badi tezi se use fir se uski taraf la raha tha.kamini car ke dusre taraf sadak ke kinare bane park ki boundary wall ki taraf bijli ki tezi se kudi & 1 chhalang me hi deewar fand kar park me dakhil ho gayi.

usne dhadakte dil se safari ko dekha,lag raha tha jaise uska driver soch raha ho ki utar kar uske peechhe aaye ya nahi.thodi der tak vo car vaise hi khadi rahi fir tezi ke sath vaha se nikal gayi.kamini ne car ka number dekhne ki koshish ki magar number plate pe kichad jama tha...yani ki ye use kuchalne ki sochi-samjhi sazish thi magar kiski?

is waqt is ilake me bhi chahal-pahal nahi rehti thi.bas 1 mali tha park me jisne sab dekha tha vohi bhag kar uske paas aa gaya tha.kamini ne us se peene ka pani manga..itne dino ke career me pehli baar uspe jaanlewea humla hua tha..usne kaanpte hatho se fone nikal kar shatrujeet ko milaya,"he-..hello..jeet.."

"haan,kamini?"

"j-jeet.."

"bolo kamini kya hua?"

"t-tum..bas..yaha..aa jao."

Raat ko Kamini bathtub me baithi dono cases ke bare me soch rahi thi.din me hue humle se jo ghabrahat uske dilo-dimagh pe chha gayi thi vo ab hat gayi thi..aakhir kaun ho sakta hai us humle ke peechhe?..koi tha jo nahi chahta tha ki vo Borneo me puchhtachh kare?...to kya iska matlab yhai ki Karan vala case itna seedha nahi jitna dikhta hai?....ya fir koi hai jo chahta hai ki vo karan ko na bachaye..magar kaun?

Shatrujeet Singh to nahi?....sab jante hain ki Jayant Puranik uska kitna aziz tha...magar Jeet & aisi harkat?..nahi..vo to sachchai & saafgoi ki misal hai...khayalo ka silsila nandita ke qatl ki or mud gaya...fir nandita ka qatl kisne kiya vo bhi is kile jaise mehfuz bungle me?

savere humle ke koi 10 minute ke andar hi Tony & Pasha uske paas pahunch gaye the & use Shatrujeet ke ghar le aaye the jaha sabne ye faisla kiya ki uski hifazat ke liye vo abhi kuchh din agar Shatrujeet ke ghar me hi rahe to thik hoga.kamini ko bhala is se kya aitraz ho sakta tha..1 to apne premi ka sath dusre use ummeed thi ki nandita ke case ke liye bhi use koi surag yaha se shayad mil jaye.

...magar kya shatrujeet kewal isliye use darane ke liye humla karwa sakta tha kyuki vo puranik ke qatil ko bacha rahi thi?..uska dil is baat ko maanane se inkar kar raha tha magar uska vakil ka dimagh kuchh aur hi keh raha tha...zaroori nahi ki gunah ki vajah bahut thos ho..thos to sirf saboot hote hain..usne apne career me kitne hi aise case dekhe the jisme mamooli si baat ke liye qatl hue the...jo bhi ho vo peechhe nahi hategi & dono cases ki gutthi suljha ke rahegi...magar karan ke case me kya gutthi ho sakti hai?...ye to 1 seedha-sada nashe ki jhonk me hue jhagde me hua hadse ka case tha....lekin fir karan ko yaad kyu nahi tha ki usne gun apni jeb me rakhi thi...chahe kuchh bghi ho kal karan se is bare me bahut tafsil se baat karni hi hogi.

tabhi bathroom ka darwaza khula,"..ohh!i'm sorry!",shatrujeet bahar jane laga to kamini bathtub se nikal aayi,"jeet,ruko.",vo uske kareeb aa gayi,"kyu ja rahe ho?",shatrujeet ne use dekha to uski nigahe kamini ke badan ko sar se pair tak niharne lagi & niharti bhi kyu na..uska madmast badan pani me bheega hua & bhi haseen & madhoshi bhara lag raha tha.

biwi ki maut ke baad se shatrujeet kafi pareshan tha & uska humesha muskurata chehra ab bahut tanav bhara lagta tha.kamini janti thi ki abhi bhi uski berukhi isi vajah se thi.10 din se upar ho gaye the nandita ki maut ko,ab waqt aa gaya tha ki shatrujeet vapas pehle ki tarah ho jaye.

"sorry to mujhe kehna chahiye,bina tumhari ijazat ke tumhara bathroom istemal kar rahi thi.",usne bathing gown pehne shatrujeet ki banh sehlayi,"..nahane aaye the?",& bina uske jawab ka intezar kiye uska bathing gown khol diya,"chalo..aao.",shatrujeet ne gown ke neeche kuchh nahi pehna tha.

kamini ka dil to kara raha tha ki uske soye lund ko pakad ke apne munh me bhar le magar usne apni hasrat pe kaboo rakha & shatrujeet ko bathtub me bitha diya,"main janti hu,shatru tum kitna pareshan ho..upar se main bhi karan ka case lad ke tumhe koi sukun to pahuncha nahi rahi.",kamini tub me uske peechhe baith gayi & uski pith halke-2 ragadne lagi.usne jaan boojh kar aisi baat kahi thi,use apne dil ka shaq jo door karna tha.

"kaisi baate karti ho?",shatru ne thodi der ke liye uska 1 hath pakda,"..main samajhta hu tumhari sthiti...kya kare?uparwala kabhi-2 humara aise hi imtehan leta hai.",kamini ke gulabi nipples thande pani ki vajah se bilkul kade ho chuke the & shatrujeet ki pith me bhale jaise chubh rahe the.biwi ke qatl ke baad aaj pehli baar use thoda sukun mehsus ho raha tha & uske badan me fir se purani umange jag rahi thi.

kamini apne ghutne uski dono janghe ke bagal me sataye uski mazbut baaho pe pani daal ke unhe ragad rahi thi,uski chut se halke-2 pani risne laga tha.pichhle 10 dino se uski chut ko bhi koi lund nahi naseeb hua tha & aaj ki raat use iski puri bharpai karni thi.usne shatrujeet ka sar chum liya,"that's so nice of you,jeet.",uske peechhe se uske badan se chipke huedono hath aage lake vo uski baalo bhari chhati sehlane lagi.

aisa karne se uski chhatiyaa shatrujeet ki pithnse bilkul pis gayi & unke komal ehsas se uska lund ab bilkul tan gaya.kamini ne pani me se sar nikal kar us 1 aankh vale rakshahs ko jhankte dekha to man hi man muskurayi,"main tumhe zyada pareshan to nahi karna chahti,darling..magar puchhna to padega hi.",

"puchho na.",shatrujeet peechhe ho uske badan se tek lagake baith gaya tha.kamini uske daaye kandhe ke upar se use dekhte hue uska seena sehla rahi thi.

"tumhe kya lagta hai nandita ka qatl kisne kiya hoga ya fir kiska hath hai isme?"

"pata nahi...ye soch-2 ke mera dimagh kharab ho gaya magar mujhe koi naam nahi sujha...na hi koi vajah...na meri kisi se dushmani hai na nandita ki thi..."

"fir aise band kamre me koi kaise ghus ke ye kaam kar sakta hai?",kamini ka hath uske seene ke baalo se khelte hua neeche ki taraf jane laga tha,"tumhe ghar ke kisi naukar pe bhi koi shaq nahi?"

"nahi.",shatrujeet ka sar ab uski choochiyo pe rakha hua tha & vo uske ghutne sehla raha tha,kamini ki chut ab kasmasane lagi thi,"tony par bhi nahi?"

"nahi.",usne kamini ko tony se mulakat ki puri kahani sunai jiske dauran kamini ka hath uske lund tak pahunch gaya,idhar shatru ne apni jhante saaf nahi ki thi & kamini unke peechhe chhupe uske ando ko dabane lagi,"..jo shakhs 2 din se bhukha hone ke bavjood hazaro rupayo se bhara purse vaps kar de vo aisa zalil kaam kabhi bhi nahi kar sakta.",usne kamini ka sar pakad use samne ki or kheencha to kamini fauran samne aa uski god me baithne lagi.

shatrujeet ne uski kamar pakdi & uski chut ko apne lund pe bithane laga.jaise hi lund ne chut ko chhua kamini ki aankhe band ho gayi & use mano nasha chadhne laga,"..uummmm....magar khoon to kisi aise hi insan ne kuya hai joki ghar ke andar se achhi tarah vakif tha..aaaaaaaaaaahhhhh..!",arse baad uski chut is lumbe,mote lund ka swad chakh rahi thi.

vo shatrujeet ke kandho pe hath rakhe aahe bharti hui uchhalte hue uske lund ko khud hi chodne lagi,shatrujeet ne uski patli kamar ko apni baaho me jakad kar uske badan ko khud se chipta liya & apba chehra uski moti chhatiyo ke beech chhupa liya,"..jo bhi ho,1 bar uska naam pata chal jaye...uske baad use main khud apne hatho se saza dunga." ,usne kamini ki gand ki fanko ko dabochte hue uski choochiyo ko munh me bhar liya & uske sath-2 neeche se pani kamar uchka kar chudai karne laga.

bathroom me kamini ki garam aahe,shatrujeet ki zaban ki laplapahat & dono badno ke milan se chhapchhapate pani ki aavazo ka mast shor bhar gaya.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Sharon ki gulabi chut se uska ras tapak raha tha,vo jal bin machhli ki tarah phoolo bhare gol bistra pe tadapte hue karah rahi thi,"..aaannhhhh...uuunnhhhhh...oooouiuiiiiiiii.....oooohhhhhhh....jag...biiirrr....ab....na..hi...haiiiiiiiiiii...!,magar Jagbir Thukral uski baat ansuni karte hue apni 2 ungliyo se lagatr uski chut mare ja raha tha.bechain ho sharon ne uska hath pakad kar khinchne ki koshish ki magar thukral ne uske dono hatho ko apne baaye hath me jakd liya & daaye se uski chut vaise hi maarta raha.sharon ka haal bura tha,na jane ab tak vo kitni baar jhad chuki thi,"..jagbir..ple..ase...mat karo na..!"

is baar thukral ne uski baat mante hue apni ungliya khinch li magar agle hi pal uske upar jhuk kar usne apna mota lund uski chut me dakhil kara diya,"..haaiiiiiii....!",sharon ke chehre pe ajeeb se bhav the-khushi ke bhi,dard ke bhi,taklif ke bhi & maze ke bhi.thukral ne lund jad tak uski chikni chut me dhansa diya & fir uske haseen chehre ko apne hatho me bhar bade pyar se chumne laga.vo janta tha ki sharon kafi thak chuki hai & aise me agar usne chodna shuru kiya to vo uska dhang se sath nahi de payegi.agar abhi vo lund nahi dalta to vo zaroor so jati magar vo abhi tak jhada nahi tha & uske jhade bina sharon ko sone ka koi haq nahi tha.

is tarah lund chut me pade hone se na use nind aayegi & vo dhakke nahi lagayega to vo zyada pareshan bhi nahi hogi.bistar ke bagal me rakha intercom baja to usne receiver uthaya,"bolo Madho."

"huzur,vakil kamini shatrujeet ke ghar reh rahi hai."

"ye to achhi baat hai,ab humara pyada badi aasani se dushman ki sari chaalo ki khabar hume de sakta hai.",dono ne thodi der & baat ki.thukral ne mehsus kiya ki sharon uski pith sehla rahi hai & usne apne ghutne bhi mod liye the.vo samajh gaya ki vo chudai ke liye taiyyar hai,usne reciver fenka & uske ghutno ko od kar unhe pakad kar apne honth uske narm hotho pe kas diye & gehre dhakke lagane laga & 1 bar fir se kamre me sharon ki aahe gunjne lagi.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"..mujhe bilkul bhi yaad nahi ki pistol meri jeb me kaise aayi!..please kamin baar-2 1 hi sawal karke mujhe pareshan mat karo!..mejhe mere haal pe chhod do..",karan ne apna chehra apne hatho me chhupa liya & rone laga.kamini fauran uske paas pahunchi,"..nahi karan!aise hausla mat khoyo please!",usne uske hath uske chehre se hataye & use apne seene se laga liya & uski pith sehlane lagi.kuchh palo baad karan shant hua,"i'm sorry."

"koi baat nahi...achha chalo Sheena ke bare me batao.",sune karan ka mood behtar karne ki garaj se kaha,"tum dono pehli baar kab mile?"

"London me.",karan ne apna chera ponchha,"..1 party me ."

"vo bhi london me hi rehti hai?"

"haan,lekin us waqt vo vaha nayi-2 aayi thi."

"achha."

"haan,vo to yahi Avantipur ki hai.uski family to abhi bhi vahi rehti hai."

"to sheena london kaise pahunch gayi?"

"padhai ke liye.uski bua vahi rehti hai na.vo meri chachi ki dost hain.unhi ki party me to hum pehli baar mile the."

"oh."

"hi!karan.",dono mude to dekha ki sheena 1 buzurg se insn ke sath khadi hai.unhe dekhte hi karan ki nazre jhuk gayi.kamini ne sheena ko sar jhuka ke uski hi ka jawab diya.vo buszurg karan ke kareeb aaye & uske kandhe pe hath rakha to 1 baar fir se uske aansoo nikal pae.vo use samjhane lage to kamini sheena se mukhatib hui,"sheena.karan ne bataya ki tum avantipur se ho."

"haan."

"vaha kaha ghar hai tumhara?"

"Kamal Kunj me."

"achha & yaha Panchmahal me kaha rahte ho tumlog?"

"yaha to humara koi ghar nahi hai."

"to fir tum yaha kaise aayi?"

"main to avantipur se yaha aati hu."

"2 ghante ka safar tay karke?"

"haan."

"dekho,agar chaho to mera ghar khali hai ya fir main koi & intezam kara sakti hu."

"nahi..vo daddy ko ye jagah pasand nahi..."

"achha..kyu?",kamini samajh gayi ki yehi shakhs sheena ka baap hai.karan ab sambhal gaya tha & vo shakhs kamini ko dekh raha tha,"haan,sheena jagah ky-.."

"pehle daddy se miliye?",sheena ne dono ka parichay karaya,"sheena keh rahi thi ki aapko panchmahal pasand nahi.bura na mane to vajah jaan sakti hu?",Mittal sahab 1 pal ke liye sanjeeda ho gaye & apni beti ko ghura,lekin fauran sambhal gaye & muskuraye,"..yaha ka pani raas nahi aata mujhe."

"oh."

baap-beti ko karan ke paas chhod kamini vaha se nikal aayi,aaj uska driver car chala raha tha.kamini ke zehan me kuchh khatak raha tha....roz 2 ghante ka safar karke aana manzoor hai magar yaha rehna nahi..aakhir aisi kya vajah thi panchmahal me?..joki batayi bhi nahi ja sakti....& sheena hi thi joki karan ke sath hadse ke waqt thi & 1 vahi thi jisne gun ko dekha tha....kahi sheena ne hi to gun?kamini ka dimagh tezi se ghumne laga..is sheena ka bh itihaas padhna padega..magar kaise?









Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator