Monday, June 21, 2010

गर्ल्स स्कूल पार्ट --38

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

गर्ल्स स्कूल पार्ट --38


दोस्तो आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट 38 लेकर हाजिर है . अब ये तो आप ही बताएँगे की ये पार्ट आपको कैसा लगा दोस्तो कमेंट देना मत भूलना
स्नेहा बाथरूम से नहा धोकर निकली.. विकी भी फोन करके लगभग तभी कमरे में आया था...इश्स नये अवतार में स्नेहा को देखते ही विकी की आँखें उस पर जम सी गयी.. चाहकर भी वो अपनी नज़रों को इश्स कातिल नज़ारे से दूर ना कर सका.. स्नेहा ने शायद अब ब्रा नही पहनी थी.. इसीलिए उसकी सेब जैसी चुचियाँ हल्का सा झुकाव ले आई थी.. पर तनी अब भी हुई थी.. सामने की और.. स्कर्ट नीचे घुटनो से कुच्छ उपर तक था.. मांसल लंबी जांघों का गोरापन और गड्रयापन विकी की सहनशीलता के परखच्चे उड़ाने के लिए काफ़ी था..
स्नेहा ने विकी को घूरते देख एक बार नीचे की और देखा," क्या हुआ.. ? आच्छि नही लग रही क्या..?"
विकी जैसे किसी सपने से बाहर निकला..," श.. नही.. ऐसी बात नही है.. मैं तो बस यूँही.. किसी ख़याल में खोया हुआ था...!"
"सपनो से बाहर निकलो जी और खाने का ऑर्डर दे दो.. बहुत भूख लगी है.." कहकर स्नेहा ने टी.वी. ओन कर दिया और 'हरयाणा न्यूज़' सर्च करने लगी....

जिस बात का अंदेशा विकी ने जताया था.. वही हुआ.. 'हरयाणा न्यूज़' की टीम मुरारी के बंगले के बाहर का कवरेज ले रही थी.. करीब 500 के करीब कार्यकर्ता विरोधी पार्टी के खिलाफ नारे लगाने में अपना पसीना बहा रहे थे... तभी स्क्रीन पर न्यूज़ रीडर की तस्वीर उभरी....
"जैसा की हम आपको बता चुके हैं.. आज शाम पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री. मुरारी लाल की इकलौती बेटी का कथित रूप से अपहरन हो गया.. पोलीस से मिली जानकारी के मुताबिक उस कार को बरामद कर लिया गया है जिसमें स्नेहा जी सवार होकर जा रही थी... घटनास्थल के आसपास खून बिखरा पाया गया है.. इश्स'से पोलीस अंदाज़ा लगा रही है की खून ड्राइवर मोहन का हो सकता है.. पोलीस को आशंका है की कहीं ड्राइवर की हत्या ना कर दी हो.. क्यूंकी उसकी भी अभी तक कोई खबर नही है... इसके अलावा पोलीस इश्स मामले में कुच्छ नही कर पाई है.. श्री मुरारी लाल जी ने आरोप लगाया है की ये
विरोधी पार्टी में उनके कट्टर प्रतिद्विंदी श्री. माखन लाल' और उनके दाहिने हाथ
माने जाने वाले विकी की शाजिस है.... उन्हे तोड़ने के लिए.... ताकि वो आगामी
लोकसभा चुनावों में ना खड़े हों.. कहा ये भी गया है की उनसे 50 करोड़ की
फिरौती माँगी गयी है......"

विकी मामले में अपना नाम सुनकर एक पल को सकपका गया... शुक्रा है उसने अपना नाम 'मोहन' ही बताया था... स्नेहा बेचैनी से खबर में डूबी हुई थी...

रीडर का बोलना जारी था...," हमारे संवाद-दाता ने श्री. मुरारी लाल से संपर्क करने की कोशिश की.. पर वो अवेलबल नही हुए.. हालाँकि फोन पर उनसे बात हुई.. आइए आपको सुनते हैं.. उन्होने क्या कहा:
स्नेहा ने रिमोट फैंकर अपने कान पूरी तरह से टी.वी. पर लगा लिए..
"देखिए.. मैं सबको बार बार बता चुका हूँ कि इश्स घृणित कार्य में माखन और विकी जैसे घटिया आदमी का हाथ है.. विकी ने खुद मुझे फोन करके 50 करोड़ की फिरौती माँगी है... वो लोग मुझे अगले एलेक्षन से हटने की धमकी भी दे रहे हैं.. पर मुझे प्रसाशन पर पूरा यकीन है..मेरी बेटी मुझे जल्द से जल्द वापस मिलेगी.. और जनता इन्न चोर लुटेरों, उठाईगीरों को एलेक्षन में सबक ज़रूर सिखाएगी.."
स्नेहा का सिर फट पड़ने को हो गया... उसके पापा उस वक़्त भी नशे में ही थे.. बातों से सॉफ पता चल रहा था.. अब स्नेहा को यकीन हो गया था की सिर्फ़ अपने राजनीतिक लालच के लिए ही उन्होने इतना घटिया गेम खेला है.... वो सुबकने लगी.. आँखों से अविरल आँसू बहने लगे... विकी ने पास बैठकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया...," तुम रो क्यूँ रही हो.. तुम तो सही सलामत हो ना!"
"क्या सबके पापा ऐसे ही होते हैं...? उन्हे मेरी कोई फिकर नही... सिर्फ़ अपने और अपनी अयाशियों के लिए जीने वाले बाप को क्या 'बाप' कहलाने का हक़ है..." स्नेहा रोती हुई विकी से अपने सवाल का जवाब माँग रही थी...

"हमनें श्री मुररीलाल जी से मिलने की कोशिश की.. पर उन्होने बताया की वो किसी ज़रूरी मीटिंग में व्यस्त हैं... अभी नही मिल सकते...."

"मुझे पता है.. उनकी ज़रूरी मीटिंग क्या होती है.." कहते हुए स्नेहा का क्रंदन और बढ़ गया....
"अब चुप भी हो जाओ.. सब ठीक हो जाएगा..." विकी से स्नेहा का रोना देखा नही जा रहा था..
"क्या ठीक हो जाएगा, मोहन.. क्या? क्या मैं सिर्फ़ इश्स बात की सज़ा भुगत रही हूँ की मेरे पिता एक बड़े पॉलिटीशियन है.. ना मैं घर जा सकती हूँ.. ना मैं खुलकर घूम सकती हूँ.. ना मैं जी सकती और ना ही मर सकती... "
टी.वी. की और देख कर रो रही स्नेहा को अचानक विकी ने अपनी बाजुओं में समेत कर अपनी छाती से चिपका लिया.. और उसके बालों में हाथ फेरता हुआ उसको सहलाने, दुलार्ने लगा...
सहानुभूति की शरण में जाकर स्नेहा और भी भावुक हो गयी और उसकी छाती से चिपक कर ज़ोर ज़ोर से रोने लग गयी....

कारण ये नही था की विकी के ज़ज्बात बहक गये थे.. या कुच्छ और.. बुल्की कारण था.. अचानक टी.वी. की स्क्रीन पर माखन और उसकी तस्वीर का आना... अगर स्नेहा वो तस्वीर देख लेती तो किया धारा सब बेकार हो जाता.....

"हमने इश्स बारे में माखन जी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होने अपने उपर लगे सभी आरोपों को खारिज करके इसको राजनीति से प्रेरित बताया.. हालाँकि वो इश्स बात का जवाब नही दे पाए की आगामी विधानसभा एलेक्षन
में उनकी पार्टी के उम्मीदवार अचानक विदेश क्यूँ चले गये..."

यही वो पल था जब स्क्रीन पर विकी की क्लोसप फोटो दिखाई गयी थी... जान बची सो लाखों पाए....
विकी ने टी.वी. बंद कर दिया.. तभी खाना आ गया... और स्नेहा को अपने आँसू खुद ही पोंच्छ कर सामानया होना पड़ा... वह विकी की छाती से चिपकने का एक बहुत ही सुखद अहसास लेकर बाथरूम में चली गयी.. और विकी ने दरवाजा खोल दिया....

"मैं क्या करूँ मोहन? कहाँ जाऊं?.. क्या मेरा अलग संसार नही हो सकता...?" हालाँकि खाना खाने के बाद स्नेहा काफ़ी हद तक सामानया हो चुकी थी.. पर वो अपने बदन में विकी की चौड़ी छाती से अलग होने के बाद रह रह कर उठ रही कसक को एक बार फिर से मिटा लेना चाहती थी.. अपनी मनभावनी आँखों से विकी के सीने में अपना संसार ढूँढने की कोशिश कर रही थी... वहीं नज़र गड़ाए हुए...
"सब ठीक हो जाएगा.. सानू! मेरा भी दिमाग़ खराब हो गया है.. तुम कहो तो.. थोड़ी सी पी लूँ?" विकी ने झिझकते हुए स्नेहा से पूचछा...
"क्या?" स्नेहा समझ नही पाई थी.. विकी क्या पीने की इजाज़त माँग रहा है...
"वो..!" विकी ने टेबल पर साज़ी बोटेल की और इशारा किया...
"नहिईए.. तुम बहुत अच्छे हो.. मेरे पापा जैसे मत बनो.. प्लीज़!" सानू ने प्यार से कहा...
"ओके!" पूरे भगत बने विकी ने मुस्कुरकर अपने कंधे उचका दिए....
"मुझे नींद आ रही है.. तुम कहाँ सोवोगे..?" स्नेहा के इश्स प्रशन ने तो विकी को हिला ही दिया.. अगर वो ना पूछती तो बिना सोचे ही विकी को बेड पर ही सोना था.. बिना कहे....
"म्म्मै..? मैं कहाँ सोउंगा..? मतलब यहाँ सो जाउन्गा..." हड़बड़ाते हुए विकी ने टेबल की तरफ हाथ कर दिया...
स्नेहा खिलखिला उठी.. ज़ोर का ठहाका लगाया..," तुम इश्स टेबल पर सोवोगे? काँच की टेबल पर...?"
"नही.. मेरा मतलब है कि इसको एक तरफ करके.. नीचे सो जाउन्गा...!" विकी को कुच्छ बोलते ना बन रहा था..
स्नेहा अभी तक हंस रही थी.. एक दम संजीदा हो गयी," तुम ऐसे नही हो 'मोहन' जैसा मैं लोगों को समझा करती थी... तुम बहुत अच्छे हो.. एक दम पर्फेक्ट!" स्नेहा ने वैसा ही उंगली और अंगूठे का घेरा बनाकर कहा.. जैसा गाड़ी में विकी ने उसको देखकर बोला था...
"थॅंक्स...!" विकी ने ज़बरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की...
"व्हाट थॅंक्स..! हम दोनो यहीं सो सकते हैं.. बेड पर.. काफ़ी चौड़ा है.... आइ मीन.. मुझे कोई प्राब्लम नही है.. तुम्हारे साथ सोने में...!" स्नेहा के बदन में कहते हुए गुदगुदी सी हो रही थी...
"देख लो!" विकी ने चेतावनी दी...
"उम्म्म...देख लिया.. आ जाओ.. सो जाओ!" स्नेहा एक तरफ को हो गयी...," पर चादर तो एक ही है.."
विकी ने बेड पर रखा तकिया ठीक किया और स्नेहा के बाजू में लेट गया.. ," कोई बात नही.. तुम्हारा इतना ही रहम बहुत है..... गुड नाइट!"
"पर मुझे नींद नही आ रही..." स्नेहा उसकी और करवट लेकर लेट गयी...
"अभी तो कह रही थी.. अब क्या हुआ...?"
"हां.. तब आ गयी थी.. अब चली गयी.." ये सब तो होना ही था... पहली बार किसी मर्द के साथ बिस्तेर सांझा हुआ था.. नींद तो भागनी ही थी...
सो तो विकी भी कैसे सकता था.. कयनात का हुश्न जब बाजू में बिखरा पड़ा हो.. समेटने के लिए...
"एक बात पूच्छू.. सच सच बतओगि ना..!" विकी ने भी उसकी तरफ करवट ले ली.. दोनो आमने सामने थे..
"पूच्छो..!"
"तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड नही है क्या..?"
"नही.. उसका क्या करना है...!" स्नेहा शरारत से बोली.. बदन में अरमान अंगड़ाई लेने लगे थे.. बाय्फ्रेंड के लिए...
विकी कुच्छ ना बोला.....
"क्यूँ पूच्छ रहे हो...?"
"बस ऐसे ही पूच्छ लिया... और कोई बात ही नही सूझी....
"क्या अब भी दर्द है!" स्नेहा ने था सा आगे सरक कर विकी के दायें कंधे पर अपना हाथ रख दिया...

विकी की समझ में नही आ रहा था की वह अब अपने दिल की सुने या दिमाग़ की.. घायल होने को बेकरार हुश्न उसकी पहुँच में था.. सिर्फ़ करीब एक फुट का ही फासला था.. दोनो के बीच.. कसंकस में उलझा हुआ बेचारा दिल को लाख समझाने की कोशिश बार बार कर रहा था.. पर सानू के 'हाथ' ने सारी कोशिशों को सरेआम कतल कर ही दिया था.. उसके हाथ की च्छुअन उसको अपनी जांघों के बीच तक महसूस हुई.... पर प्लान की कामयाबी के लिए ज़रूरी था की उन्न दोनो में कोई संबंध ना बने.. क्यूंकी अगर बाद में अगर स्नेहा के विचार सच का पता लगने के बाद बदल जाते हैं.. तो उसका मेडिकल एग्ज़ॅमिनेशन हर झूठह से परदा उठा सकता है..," सोने दो स्नेहा.. नींद आ रही है...!"
"अरे.. यहाँ मेरा किडनॅप हो गया है.. और तुम्हे सोने की पड़ी है..." शरारती स्नेहा ने अपना हाथ कंधे से आगे सरका कर उसकी छाती पर रख दिया...
झटके तो विकी को पहले से ही लग रहे थे.. इश्स बार वाला 440 वॉल्ट का था.. स्नेहा थोड़ी और आगे की और झुक गयी थी.. और उसका हाथ विकी की छाती पर किसी नागिन की तरह रेंग रहा था... उसकी मर्दानगी को चुनौती देता हुआ.. स्नेहा की साँसों में रमाइ हुई उसकी कुंवारेपन की बू.. विकी के फेफड़ों से होती हुई सारे शरीर में हुलचल मचा रही थी..
विकी ने अचानक उसकी कमर में हाथ डालकर उसको अपनी तरफ खींच लिया..," आख़िर चाहती क्या हो अब.. सोने भी नही दोगि क्या..? प्राब्लम क्या है?..... सोने दो ना यार.. प्लीज़!"

विकी द्वारा रूखी आवाज़ में कही गयी पहले वाली पंक्तियाँ स्नेहा के दिल में गहरे तक चुभ गयी.. उसने आख़िर ऐसा किया ही क्या था.. सिर्फ़ छाती पर हाथ ही तो रखा था.. उसके चेहरे के भाव अचानक बदल गये.. खुद को बे-इज़्ज़त सा महसूस करके स्नेहा की आँखें नम हो गयी.. उसकी छाती में धड़क रहे 'कुंवारे' दिल की धड़कन विकी को अपनी छाती में महसूस हो रही थी.. स्नेहा की छातियाँ विकी की छाती में गढ़ी हुई थी.. उस बेचारी को कुच्छ और ना सूझा.. सिवाय अपने को छुड़ाकर करवट बदलने और रोना शुरू कर देने के..
"सॉरी सानू! मेरा ये मतलब नही था.. सच में....!" विकी ने करवट लेकर रो रही सानू के हाथ पर हूल्का सा अपने हाथ से स्पर्श किया...
स्नेहा ने झटका मार कर अपना हाथ आगे कर लिया.. और और तेज़ी से सूबक'ने लगी.....

"ये क्या है स्नेहा.. मैने तो बस सोने के लिए रिक्वेस्ट्की थी.... सॉरी बोला ना..." विकी का दिल पिघल रहा था.. और जांघों के बीच वाला 'दिल' जम कर ठोस होता जा रहा था.. और अधिक ठोस...
"हाँ हाँ.. तुमने तो बस सोने की रिक्वेस्ट की है.. अगर सोना ही था तो जाने देते मुझे.. उन्न दरिंदों के साथ.. तब क्यूँ बचाया था.." स्नेहा अपनी आँखें पोंचछते हुए फिर से करवट लेकर सीधी हो गयी.. उसके कातिल उभार कपड़ा फाड़ कर बाहर छलक्ने को बेताब लग रहे थे... और खास बात ये थी की अपनी दाई और करवट लेकर कोहनी के बल सर रखकर अधलेटे विकी के 'खूनी' जबड़े से सिर्फ़ इशारा करने भर की दूरी पर थे... उसके उभार..
"वो.. दरअसल.. स्नेहा.. बुरा मत मान'ना.. पर जब तुम्हारा हाथ.. मेरी छाती पा लगा तो पता नही अचानक मुझे क्या हुआ.. लगा जैसे मैं बहक रहा हूँ.. सॉरी..!"
"अच्च्छा! तुमने जो मेरे यहाँ पर हाथ रख दिया था... गाड़ी में.. सिर्फ़ तुम्ही बहक सकते हो क्या..?" स्नेहा ने रोना छ्चोड़ खुलकर बहस करने की ठान ली...
"पर... हाँ.. पर मुझे तुम बहुत अच्च्ची लगी थी यार..." सानू ने उसके रेशमी बालों में हाथ फेरा....
"मुझे भी तो तुम अच्छे लगते हो.... तो क्या मैं तुम्हे नही छ्छू सकती...!" स्नेहा ने कहते हुए.. झिझक के मारे अपनी आँखें बंद कर ली...
स्नेहा के मुँह से ऐसी बात सुनकर विकी का सारा खून उबाल खा गया..," सच.. तुम्हे में अच्च्छा लगता हूँ क्या...?"

अब की बार स्नेहा बोल ना पाई.. जाने कैसे बोल गयी थी...
"बोलो ना सानू.. प्लीज़!" विकी ने स्नेहा की दूसरी और वाली बाजू अपने हाथ में पकड़ ली.. उसका हाथ सानू के पेट को हल्का सा छ्छू रहा था.. जो आग भड़काने को काफ़ी था...
कुच्छ देर बाद की चुप्पी के बाद अचानक स्नेहा पलटी और लगभग उसकी पूरी जवानी विकी की बाहों में समा गयी...," और नही तो क्या.. अगर अच्छे नही लगते तो क्या मैं किडनॅपिंग का खुलासा होने के बाद भी तुम्हारे साथ आने को राज़ी होती.... तुम बहुत अच्छे हो 'मोहन' बहुत अच्छे... दिल करता है.. हमेशा तुम्हारी छाती से लिपटी रहू.. मैं वापस नही जाना चाहती.. मुझे अपने घर ले चलो... अपने पास..." कहते हुए स्नेहा अपने बदन में हुलचल महसूस कर रही थी.. वह विस्मयकारी थी.. उसकी जांघों के पास.. कोई ठोस सी चीज़ उसके बदन में गढ़ी जा रही थी.. पर हैरानी की बात ये थी की ये चुभन स्नेहा को बहुत अच्च्ची लग रही थी.. वह सरक कर विकी के और ज़्यादा करीब हो गयी.. उसकी साँसें धौकनी के माफिक चल रही थी.. तेज तेज... गरम गरम....
शब्र रखने की भी तो कोई हद होती है ना.. विकी की हद टूट चुकी थी.. स्नेहा का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और होंठो पर एक रसीला चुंबन रसीद कर दिया...," तुम.. तुम मुझे छ्चोड़ कर तो नही जाओगी ना..."
रठाने मनाने तक तो सब ठीक था.. पर इश्स चुंबन की गरमाहट कच्ची उमर की स्नेहा सहन ना कर सकी.. बदहवास सी होकर अचानक पलट गयी और दूसरी और मुँह करके और लंबी साँसे लेने लगी... उसके गुलाबी होंठ खुले थे.. शायद विकी की दी हुई छाप को एक दूसरे से चिपक कर मिटाना नही चाहते थे...
मुँह फेर कर लेटी स्नेहा के नितंबों का उभार वासना की चर्बी चढ़कर इतना उभर चुका था की बीच रास्ते वापस लौटना किसी 'ब्रह्मचारी' के लिए भी असंभव था.. सारा प्लान विकी को ध्वस्त होता नज़र आने लगा... विकी को लगा ... अगर 2 और पल दूरी रही तो वह फट जाएगा... जांघों के बीच से...
बिना देर किए विकी थोड़ा खुद आगे हुआ और थोड़ा सा स्नेहा की कमर से चिपके पेट पर हाथ रखकर उसको अपनी और खींच लिया.. रोमांच और पहले अनुभव के कामुक धागे से बँधी स्नेहा खींची चली आई.. और दोनो अर्धनारीश्वर का रूप हो गये.. बीच में हवा तक को स्थान नही मिला.. अंग से अंग चिपका हुआ था..
"अब क्या हुआ..?" विकी ने उसके गालों पर जा बिखरे बालों को अपने बायें हाथ से ही जैसे तैसे हटा कर उसके गालों को च्छुआ...
अपने नरित्व में मर्दानी चुभन को महसूस करके स्नेहा पागल सी हो गयी थी.. आँखें जैसे पथरा सी गयी थी.. आधी खुली हुई... लगता था.. वह यहाँ है ही नही.. मॅन सांतवें आसमान में कुलाचें भर रहा था......


हसीन अदाओ का जब जाल बिछ जायेगा
तेरा पूरा वजूद जलवों के जाल में फस जायेगा
कातिल निगाहों का जादू काली घटा बन कर
तेरी अखियों के रस्ते तेरी रग-रग में असीम नशा भर जायेगा
बाहों की सलाखों का मखमली पिंजरा जब बदन पे कब्जा जमायेगा
शरीर का कतरा-कतरा भूकम्प के झटके खायेगा
तू लाख कोशिश कर ले मर्दानगी का हर जज्बा दम तोड़ जायेगा
हर लम्हा अरे पगले वही दफन हो जायेगा
कब्र में दफन एहसास को केवल यही याद आयेगा
जान मेरी कर दो रहम इस बीमार पर
ये उबलता ज्वालामुखी बिना फटे नही रह पायेगा
जिन्दगी वीरान है बिन तेरे
हूँ गुलाम तेरे प्रेम का तेरे अहसासों के सजदे करता चला जायेगा
--





साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
girls school--part --38
dosto aapka dost raj sharma paart 38 lekar haajir hai . ab ye to aap hi bataayenge ki ye paart aapko kaisa laga dosto kament dena mat bhulana
Sneha bathroom se naha dhokar nikli.. Vicky bhi fone karke lagbhag tabhi kamre mein aaya tha...Iss naye avtaar mein Sneha ko dekhte hi Vicky ki aankhein Uss par jam si gayi.. Chahkar bhi wo apni najron ko iss katil najare se door na kar saka.. Sneha ne shayad ab bra nahi pahni thi.. Isiliye uski seb jaisi chuchiyan halka sa jhukav le aayi thi.. Par tani ab bhi huyi thi.. Saamne ki aur.. Skirt neeche ghutno se kuchh upar tak tha.. Mansal lambi jaanghon ka gorapan aur gadrayapan vicky ki sahansheelta ke parkhachche udane ke liye kafi tha..
Sneha ne vicky ko ghoorte dekh ek baar neeche ki aur dekha," Kya hua.. ? Achchhi nahi lag rahi kya..?"
Vicky jaise kisi sapne se bahar nikla..," ohh.. Nahi.. Aisi baat nahi hai.. Main toh bus yunhi.. Kisi khayal mein khoya huaa tha...!"
"sapno se bahar niklo ji aur khane ka order de do.. Bahut bhookh lagi hai.." kahkar sneha ne T.V. On kar diya aur 'Haryana News' search karne lagi....

jis baat ka andesha vicky ne jataya tha.. Wahi hua.. 'Haryana News' ki team Murari ke bangle ke bahar ka coverage le rahi thi.. Kareeb 500 ke kareeb karyakarta virodhi party ke khilaf naare lagane mein apna pasina baha rahe thhe... Tabhi screen par news reader ki tasvir ubhari....
"jaisa ki hum aapko bata chuke hain.. Aaj sham party ke varisth neta sh. Murari lal ki iklouti beti ka kathit roop se apharan ho gaya.. Police se mili jankari ke mutabik uss car ko baramad kar liya gaya hai jismein Sneha ji sawar hokar ja rahi thi... Ghatnasthal ke aaspas khoon bikhra paya gaya hai.. Iss'se police andaja laga rahi hai ki khoon Driver mohan ka ho sakta hai.. Police ko aashanka hai ki kahin driver ki hatya na kar di ho.. Kyunki uski bhi abhi tak koyi khabar nahi hai... Iske alawa police iss mamle mein kuchh nahi kar payi hai.. Shri Murari lal ji ne aarop lagaya hai ki ye
virodhi party mein unke kattar pratidwindi Sh. Makhan Lal' aur unke dahine haath
maane jane wale Vicky ki sazis hai.... Unhe todne ke liye.... taki wo aagami
loksabha chunavon mein na khade hon.. Kaha ye bhi gaya hai ki unse 50 karod ki
firouti maangi gayi hai......"

Vicky mamle mein apna naam sunkar ek pal ko sakpaka gaya... Shukra hai usne apna naam 'Mohan' hi bataya tha... Sneha bechaini se khabar mein doobi huyi thi...

Reader ka bolna jari tha...," hamare sanwad-data ne Sh. Murari laal se sampark karne ki koshish ki.. Par wo available nahi huye.. Halanki fone par unse baat huyi.. Aayiye aapko sunate hain.. Unhone kya kaha:
Sneha ne remote fainkar apne kaan poori tarah se T.V. Par gada liye..
"Dekhiye.. Main sabko baar baar bata chuka hoon ki iss ghrinit karya mein Makhan aur vicky jaise ghatiya aadmi ka hath hai.. Vicky ne khud mujhe fone karke 50 karod ki firouti maangi hai... Wo log mujhe agle election se hatne ki dhamki bhi de rahe hain.. Par mujhe prasashan par poora yakeen hai..meri beti mujhe jald se jald wapas milegi.. Aur janta inn chor luteron, uthhayigiron ko election mein sabak jaroor sikhayegi.."
Sneha ka sir fat padne ko ho gaya... Uske papa uss waqt bhi nashe mein hi thhe.. Baton se saaf pata chal raha tha.. Ab sneha ko yakeen ho gaya tha ki sirf apne rajnitik lalach ke liye hi unhone itna ghatiya game khela hai.... Wo subakne lagi.. Aankhon se aviral aasoon bahne lage... Vicky ne paas baithkar uske kandhe par hath rakh diya...," tum ro kyun rahi ho.. Tum toh sahi salamat ho na!"
"kya sabke papa aise hi hote hain...? Unhe meri koyi fikar nahi... Sirf apne aur apni aiyaashiyon ke liye jeene wale baap ko kya 'baap' kahlane ka haq hai..." Sneha roti huyi Vicky se apne sawaal ka jawaab maang rahi thi...

"hamnein Shri Murarilal ji se milne ki koshish ki.. Par unhone bataya ki wo kisi jaruri meeting mein vyast hain... Abhi nahi mil sakte...."

"mujhe pata hai.. Unki jaruri meeting kya hoti hai.." kahte huye Sneha ka krandan aur badh gaya....
"ab chup bhi ho jao.. Sab thheek ho jayega..." vicky se Sneha ka rona dekha nahi ja raha tha..
"kya thheek ho jayega, Mohan.. Kya? Kya main sirf iss baat ki saja bhugat rahi hoon ki mere pita ek bade politician hai.. Na main ghar ja sakti hoon.. Na main khulkar ghoom sakti hoon.. Na main ji sakti aur na hi mar sakti... "
T.V. Ki aur dekh kar ro rahi Sneha ko achanak Vicky ne apni bajuon mein samet kar apni chhati se chipka liya.. Aur uske balon mein hath ferta hua usko sahlane, dularne laga...
Sahanubhuti ki sharan mein jakar Sneha aur bhi bhawuk ho gayi aur uski chhati se chipak kar jor jor se rone lag gayi....

Karan ye nahi tha ki Vicky ke jajbaat behak gaye thhe.. Ya kuchh aur.. Bulki karan tha.. Achanak t.v. Ki screen par makhan aur uski tasvir ka aana... Agar sneha wo tasvir dekh leti toh kiya dhara sab bekar ho jata.....

"Humne iss baarey mein makhan ji se sampark karne ki koshish ki toh unhone apne upar lage sabhi aaropon ko kharij karke isko raajniti se prerit bataya.. Halanki wo iss baat ka jawaab nahi de paye ki aagami vidhansabha election
mein unki party ke ummeedwar achanak videsh kyun chale gaye..."

Yahi wo pal tha jab screen par vicky ki closeup foto dikhayi gayi thi... Jaan bachi so laakhon paye....
Vicky ne T.V. Band kar diya.. Tabhi khana aa gaya... aur Sneha ko apne aansoo khud hi ponchh kar samanya hona pada... Wah vicky ki chhati se chipakne ka ek bahut hi sukhad ahsaas lekar bathroom mein chali gayi.. Aur vicky ne darwaja khol diya....

"Main kya karoon vicky? Kahan jaaoon?.. Kya mera alag sansaar nahi ho sakta...?" halanki khana khane ke baad Sneha kafi had tak samanya ho chuki thhi.. Par wo apne badan mein Vicky ki chodi chhati se alag hone ke baad rah rah kar uthh rahi kasak ko ek baar fir se mita lena chahti thi.. Apni manbhawni aankhon se Vicky ke seene mein apna sansaar dhoonshne ki koshish kar rahi thi... Wahin najar gadaye huye...
"sab thheek ho jayega.. Sanu! Mera bhi dimag kharaab ho gaya hai.. Tum kaho toh.. Thhodi si pi loon?" vicky ne jhijhakte huye Sneha se poochha...
"kya?" Sneha samajh nahi payi thi.. Vicky kya pine ki ijajat maang raha hai...
"wo..!" Vicky ne table par sazi botel ki aur ishara kiya...
"nahieee.. Tum bahut achchhe ho.. Mere papa jaise mat bano.. Pls!" Sanu ne pyar se kaha...
"OK!" poorey bhagat bane Vicky ne muskurakar apne kandhe uchaka diye....
"Mujhe neend aa rahi hai.. Tum kahan sowoge..?" Sneha ke iss prashan ne toh vicky ko hila hi diya.. Agar wo na poochhti toh bina soche hi vicky ko bed par hi sona tha.. Bina kahe....
"mmmain..? Main kahan sounga..? Matlab yahan so jaaunga..." hadbadate huye vicky ne table ki taraf hath kar diya...
Sneha khilkhila uthhi.. Jor ka thhahaka lagaya..," tum iss table par sowoge? Kaanch ki table par...?"
"nahi.. Mera matlab hai ki isko ek taraf karke.. Neeche so jaaunga...!" Vicky ko kuchh bolte na ban raha tha..
sneha abhi tak hans rahi thi.. Ek dum sanjeeda ho gayi," Tum aise nahi ho 'Mohan' jaisa main logon ko samjha karti thi... Tum bahut achchhe ho.. Ek dum perfect!" sneha ne waisa hi ungali aur angoothhe ka ghera banakar kaha.. Jaisa gadi mein vicky ne usko dekhkar bola tha...
"thanx...!" Vicky ne jabardasti muskurane ki koshish ki...
"what Thanx..! Hum dono yahin so sakte hain.. Bed par.. Kafi chouda hai.... I mean.. Mujhe koyi problem nahi hai.. Tumhare sath sone mein...!" Sneha ke badan mein kahte huye gudgudi si ho rahi thi...
"Dekh lo!" Vicky ne chetawani di...
"ummm...dekh liya.. Aa jao.. So jao!" Sneha ek taraf ko ho gayi...," par chadar toh ek hi hai.."
Vicky ne bed par rakha takiya thheek kiya aur sneha ke baju mein Late gaya.. ," Koyi baat nahi.. Tumhara itna hi raham bahut hai..... Gud Night!"
"par mujhe neend nahi aa rahi..." Sneha uski aur karwat lekar late gayi...
"abhi toh kah rahi thi.. Ab kya huaa...?"
"haan.. Tab aa gayi thi.. Ab chali gayi.." ye sab toh hona hi tha... Pahli baar kisi mard ke sath bister saanjha huaa tha.. Neend toh bhagni hi thi...
So toh vicky bhi kaise sakta tha.. Kaynaat ka hushn jab baaju mein bikhra pada ho.. Sametne ke liye...
"ek baat poochhoon.. Sach sach bataogi na..!" Vicky ne bhi uski taraf karwat le li.. Dono aamne saamne thhe..
"poochho..!"
"tumhara koyi boyfriend nahi hai kya..?"
"Nahi.. Uska kya karna hai...!" Sneha sharaarat se boli.. Badan mein armaan angdayi lene lagey thhe.. BoyFriend ke liye...
vicky kuchh na bola.....
"kyun poochh rahe ho...?"
"bus aise hi poochh liya... Aur koyi baat hi nahi soojhi....
"kya ab bhi dard hai!" Sneha ne thhoda sa aage sarak kar Vicky ke dayein kandhe par apna hath rakh diya...


Vicky ki samajh mein nahi aa raha tha ki wah ab apne dil ki sune ya dimag ki.. Ghayal hone ko bekraar hushn uski pahunch mein tha.. Sirf kareeb ek foot ka hi faasla tha.. Dono ke beech.. Kasamkas mein uljha hua bechara dil ko lakh samjhane ki koshish baar baar kar raha tha.. Par Sanu ke 'hath' ne sari koshishon ko sareaam katal kar hi diya tha.. Uske hath ki chhuan usko apni jaanghon ke beech tak mahsoos huyi.... Par plan ki kaamyabi ke liye jaruri tha ki unn dono mein koyi sambandh na baney.. Kyunki agar baad mein agar sneha ke vichar sach ka pata lagne ke baad badal jate hain.. To uska medical examination har jhoothh se parda utha sakta hai..," Sone do sneha.. Neend aa rahi hai...!"
"arey.. Yahan mera kidnap ho gaya hai.. Aur tumhe sone ki padi hai..." shararati sneha ne apna hath kandhe se aagey sarka kar usk chhati par rakh diya...
jhatke toh Vicky ko pahle se hi lag rahe thhe.. Iss baar wala 440 volt ka tha.. Sneha thhodi aur aagey ki aur jhuk gayi thi.. Aur uska hath Vicky ki chhati par kisi nagin ki tarah reng raha tha... Uski mardanagi ko chunouti deta huaa.. Sneha ki sanson mein rami huyi uski kunwarepan ki boo.. Vicky ke fefdon se hoti huyi sare shareer mein hulchal macha rahi thi..
Vicky ne achanak uski kamar mein hath daalkar usko apni taraf kheench liya..," Aakhir chahti kya ho ab.. Sone bhi nahi dogi kya..? Problem kya hai?..... Sone do na yaar.. Pls!"

Vicky dwara rookhi aawaj mein kahi gayi pahle wali panktiyan Sneha ke dil mein gahre tak chubh gayi.. Usne aakhir aisa kiya hi kya tha.. Sirf chhati par hath hi toh rakha tha.. Uske chehre ke bhav achanak badal gaye.. Khud ko be-ijjat sa mahsoos karke Sneha ki aankhein nam ho gayi.. Uski chhati mein dhadak rahe 'kunware' dil ki dhadkan vicky ko apni chhati mein mahsoos ho rahi thhi.. Sneha ki chhatiyan vicky ki chhati mein gadi huyi thi.. Uss bechari ko kuchh aur na soojha.. Sivay apne ko chhudakar karwat badalne aur Rona shuru kar dene ke..
"sorry Sanu! Mera ye matlab nahi tha.. Sach mein....!" vicky ne karwat lekar ro rahi sanu ke hath par hulka sa apne hath se sparsh kiya...
Sneha ne jhatka maar kar apna hath aagey kar liya.. Aur aur tezi se subak'ne lagi.....

"ye kya hai Sneha.. Maine toh bus sone ke liye requestki thi.... Sorry bola na..." vicky ka dil pighal raha tha.. Aur janghon ke beech wala 'dil' jam kar thhos hota ja raha tha.. Aur adhik thhos...
"haan haan.. Tumne toh bus sone ki request ki hai.. Agar sona hi tha toh jaane dete mujhe.. Unn darindon ke sath.. Tab kyun bachaya tha.." Sneha apni aankhein ponchhte huye fir se karwat lekar seedhi ho gayi.. Uske katil ubhar kapda fad kar bahar chhalakne ko betaab lag rahe thhe... Aur khas baat ye thi ki apni dayi aur karwat lekar kohni ke bal sar rakhkar adhlete Vicky ke 'khooni' jabde se sirf ishara karne bhar ki doori par thhe... Uske ubhaar..
"wo.. Darasal.. Sneha.. Bura mat maan'na.. Par jab tumhara hath.. Meri chhati pa laga toh pata nahi achanak mujhe kya huaa.. Laga jaise main bahak raha hoon.. Sorry..!"
"achchha! Tumne jo mere yahan par haath rakh diya thha... Gadi mein.. Sirf tumhi behak sakte ho kya..?" Sneha ne rona chhod khulkar behas karne ki thhan li...
"par... Haan.. Par mujhe tum bahut achchhi lagi thhi yaar..." Sanu ne uske reshami balon mein hath fera....
"mujhe bhi toh tum achchhe lagte ho.... Toh kya main tumhe nahi chhoo sakti...!" Sneha ne kahte huye.. Jhijhak ke marey apni aankhein band kar li...
sneha ke munh se aisi baat sunkar Vicky ka sara khoon ubaal kha gaya..," Sach.. Tumhe mein achchha lagta hoon kya...?"

Ab ki baar sneha bol na payi.. Jane kaise bol gayi thi...
"bolo na sanu.. Pls!" Vicky ne sneha ki dusri aur wali baju apne hath mein pakad li.. Uska hath sanu ke pate ko halka sa chhoo raha thha.. Jo aag bhadkane ko kafi thha...
Kuchh der baad ki chuppi ke baad achanak Sneha palti aur lagbhag uski poori jawani vicky ki bahon mein sama gayi...," aur nahi toh kya.. Agar achchhe nahi lagte to kya main kidnapping ka khulasa hone ke baad bhi tumhare sath aane ko raji hoti.... Tum bahut achchhe ho 'Mohan' bahut achchhe... Dil karta hai.. Hamesha tumhari chhati se lipti rahu.. Main wapas nahi jana chahti.. Mujhe apne ghar le chalo... Apne paas..." kahte huye Sneha apne badan mein hulchal mahsoos kar rahi thi.. Wah vismaykari thi.. Uski jaanghon ke paas.. Koyi thhos si cheej uske badan mein gadi ja rahi thi.. Par hairani ki baat ye thhi ki ye chubhan Sneha ko bahut achchhi lag rahi thhi.. Wah sarak kar vicky ke aur jyada kareeb ho gayi.. Uski saansein dhoukni ke mafik chal rahi thhi.. Tej tej... Garam garam....
Sabra rakhne ki bhi toh koyi had hoti hai na.. Vicky ki had toot chuki thi.. Sneha ka chehra apne haathhon mein pakda aur honton par ek rasila chumban raseed kar diya...," tum.. Tum mujhe chhod kar toh nahi jaogi na..."
Ruthhne manane tak toh sab thheek tha.. Par iss chumban ki garamahat kachchi umar ki sneha sahan na kar saki.. Badhawas si hokar achanak palat gayi aur dusri aur munh karke aur lambi saanse lene lagi... Usk gulabi hont khule thhe.. Shayad vicky ki di huyi chhap ko ek dusre se chipak kar mitana nahi chahte thhe...
Munh fer kar leti sneha ke nitambon ka ubhar wasna ki charbi chadhkar itna ubhar chuka tha ki beech raaste wapas loutna kisi 'brahmchari' ke liye bhi asambhav tha.. Sara plan vicky ko dhwast hota najar aane laga... Vicky ko laga ... Agar 2 aur pal doori rahi toh wah fat jayega... Jaanghon ke beech se...
Bina der kiye Vicky thhoda khud aage hua aur thhoda sa sneha ke kamar se chipke pate par hath rakhkar usko apni aur kheench liya.. Romanch aur pahle anubhav ke kamuk dhagey se bandhi Sneha kheenchi chali aayi.. Aur dono ardhnarishwar ka roop ho gaye.. Beech mein hawa tak ko sthan nahi mila.. Ang se ang chipka hua tha..
"ab kya huaa..?" Vicky ne uske galon par ja bikhre balon ko apne bayein hath se hi jaise taise hata kar uske galon ko chhuaa...
Apne naritva mein mardani chubhan ko mahsoos karke Snahe pagal si ho gayi thi.. Aankhein jaise pathra si gayi thi.. Aadhi khuli huyi... Lagta tha.. Wah yahan hai hi nahi.. Mann saantwein aasmaan mein kulaachein bhar raha thaa......

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj







Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories,aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories ,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator