Sunday, June 20, 2010

गर्ल्स स्कूल पार्ट --20

गर्ल्स स्कूल--20

पूरे 24 घंटे बीत जाने पर भी कोई जवाब ना आने पर टफ बेचैन हो गया था.. उसकी बेचैनी का ये आलम था की हर 15 मिनिट के बाद आज वो सिग्गेरेट निकल लेता... शमशेर ने उसके हाथ से सिग्गेरेट छीन ली," यार! क्या हो गया है तुझे; और कोई काम नही बचा क्या, खुद को जलाने के अलावा... "यार तू तो समझता है ना प्यार की तड़प! कुछ बता ना... ऐसे तो मैं मर ही जवँगा यार!" टफ ने दूसरी सिगरेट जलाते हुए कहा. शमशेर ने उसको गुरुमन्त्र देते हुए कहा," भाई, इशक़ आग का दरिया है... और अगर इसके पार उतरना है तो डूब कर ही जाना पड़ेगा... अगर तुझे लगता है की उसको गालियाँ निकालने के बाद तू एक लव लेटर उसके मुँह पर मारेगा, और वो हमेशा के लिए तेरी हो जाएगी; तो तुझसे बड़ा उल्लू पूरी दुनिया में नही है..." "तो भाई! तू ही बता ना, मैं क्या करूँ की मेरी लाइफ झक्कास हो जाए!" टफ ने शमहेर का हाथ पकड़ कर कहा. "मैं कुछ भी करूँगा यार, उसको पाने के लिए!" "तू तो कहता था तेरी लाइफ झकास है... ऐसे ही घुमक्कड़ बनकर यार दोस्तों में पड़े रहना और रोज़ नयी सुहाग्रात मानना! उसका क्या?" शमशेर ने उस्स पर कॉमेंट किया.. "नही यार! मुझे तो पता ही नही था अब तक की प्यार के बिना इस हसिनाओ के सागर में रहकर भी प्यास कभी नही बुझती... मेरी प्यास तो अब सीमा ही बुझा सकती है.." " तो फिर इंतज़ार काहे को करता है... पहुँच जा ना उधर ही उसके घर पे! बोल दे दिल की बात...!" फिर आगे भगवान की मर्ज़ी!" शमशेर ने उसके साथ मज़ाक किया. "यार तू मेरी बची कूची भी लुटवाएगा. कैसा भाई है रे तू!" टफ की हिम्मत ही ना हो रही थी सीमा के सामने जाने की. "फिर तो तेरे लिए ऐसे ही ठीक है... कोई बात नही.. साल छे महीने मैं भूल जाएगा.. पता है मुझे तेरा" "यार तू मेरे प्यार को गली दे रहा है... मैं सच में ही पहुँच जाउन्गा उसके घर...." टफ ने निर्णायक दाँव ठोका... "तो फिर रोका किसने है...? चल आजा खाना तैयार होगया होगा..." टफ ने घर की तरफ चलते हुए कहा....

 अंदर दिशा और वाणी उनका ही वेट कर रही थी.... दिशा शादी के बाद गुलाब के फूल की तरह खिल सी गयी थी.. शमशेर के प्यार से उसका अंग अंग जैसे निखार गया था.. उसकी छातियों का कसाव और बढ़ गया था.. उसके नितंबों में थिरकन पहले से भी कामुक हो गयी थी... कल की स्वर्ग की राअजकुमारी अब महारानी बन चुकी थी.. शमशेर की महारानी.. हां, पहले जैसा उसका गुस्सा अब उतना नही रहा था.. उसके शरीर की दबी हुई कामवासना उसके नाकचॅढी होने के लिए ज़िम्मेदार थी और जब वो शमशेर ने जगा दी तो अब वो खुलकर मज़ा लेती थी, सेक्स का; प्यार का... इसीलिए अब वा बहुत ही सन्तुस्त दिखने लगी थी... पर उसने ग्रॅजुयेशन से पहले खुद को मा ना बनाने का फ़ैसला किया था और शमशेर को भी इश्स-से कोई ऐतराज ना था... वाणी... दीनो दिन जवानी के करीब आती जा रही वाणी अब समझदार होती जा रही थी और ये समझदारी उसके अंगों में भी सॉफ देखी जा सकती थी... उसके चेहरे और बातों की मासूमियत का उसके अंग विरोध करते दिखाई देते थे.. सहर में रहने के कारण उसको पहनावे का सलीका भी जल्दी ही आ गया.. अब दिशा उसकी वो तमाम हसरतें पूरी कर देना चाहती थी.. जो वो शादी से पहले खुद पूरी नही कर पाई.. ग़रीबी के कारण.. उसको जी भर कर अपनी पसंद के कपड़े खरीद वाती... सज़ा संवार कर रखती... वाणी अक्सर उसको टोक देती," दीदी! मैं क्या बच्ची हूं, आप मुझे 'ऐसे रहना! वैसे रहना!' समझाती रहती हैं..." "तू चुप कर! और जैसे मैं कहती हूँ, वैसे ही रहा कर... समझी.. कितनी प्यारी है तू.. राजकुमारी जैसी" और दिशा उसको अपने गले से लगा लेती. कल की गाँव की राजकुमारी... आज शहर की राजकुमारी को सारे शहर की धड़कन बना कर रखती थी.. और वाणी बन चुकी थी.. धड़कन, युवा दिलों की... जिधर से भी वा निकलती थी.. मानो कयामत आ जाती.. मानो समय रुक सा जाता... पर लड़कों के हर इशारे को समझने के बावजूद वो उनकी अनदेखी कर देती... उसको पता था.. समय आने पर उसको भी उसका राजकुमार मिल जाएगा... दिशा ने वाणी को बता दिया था की आजकल अजीत भी प्यार के जाल में उलझा हुआ है.. जब अजीत खाना खा रहा था तो वाणी रह रह कर उसके मुँह की और देखती और दिशा को हाथ लगाकर खिलखिला कर हंस पड़ती.. "क्या बात है? क्या मिल गया है तुझे वाणी" टफ ने वाणी को अपनी तरफ देख कर इस तरह हँसती पाकर पूछा. "भैया! ये टॉप सीक्रेट है..." वाणी ने उससे चुहल बाजी की... "देख भाई, पहले तो अपनी साली को समझा दे; मुझे भैया ना बोले.." टफ ने वाणी की शिकायत शमशेर से की.. "वाणी! ऐसे नही बोलते... तू अंकल भी तो कह सकती है.." और तीनो खिलखिला कर हंस पड़े... टफ का चेहरा देखने लायक था," भाई! यहाँ तो आना ही पाप है.. एक बार मेरा टाइम आने दे, देखना 'उससे' रखी ना बँधवाई तो मेरा भी नाम नही... कल ही जाता हूँ..

"उससे किस-से भैया! सीमा दीदी से, उसको तो मैने पहले ही दीदी बना लिया है..." टफ अपनी अंदर की बात का सबको पता लगे देख खीज गया," यार, तू तो बड़ा घनचक्कर है.. तूने तो मुनादी ही कर दी..." शमशेर ने वाणी की और देखकर इशारा किया और एक बार फिर से ठहाका गूँज उठा.. एक सुखी परिवार में... अगले दिन सुबह 11 बजे से ही टफ यूनिवर्सिटी के ईको देपारटमेंट के बाहर खड़ा था... वो बड़ी हिम्मत करके वहाँ आया था.. अपने दिल का हाल सुनने, उसका दिल हर लेने वाली सीमा को.. करीब 3 घंटे के सालों लंबे इंतज़्ज़ार के बाद टफ को सीमा दिखाई दी... डिपार्टमेंट से बाहर आते... टफ आज डंडा नही लाया था.. सीमा की नज़र टफ पर पड़ी.. पर वो अपनी सहेलियों के साथ थी.. उसने टफ को इग्नोर कर दिया और सीधी चली गयी.. टफ को अपने 3 घंटे पानी में जाते दिखाई दिए," सीमा जी!" टफ ने सीमा को पुकारा. "जी!" सीमा उसके पास आ गयी.. साथ ही सहेलियाँ भी थी. "वववो.. आपने जवाब नही दिया!" टफ की साँसे उखाड़ रही थी... जाने कितनो को पानी पीला पीला कर रुलाने वाला टफ आज प्यार की पतली डोर से ही अपने आपको जकड़ा हुआ सा महसूस कर रहा था..

"किस बात का जवाब इनस्पेक्टर साहब?" सीमा ने अंजान बनते हुए पूछा... "क्या? क्या पीयान ने आपको कुछ नही दिया कल?" "हाँ! दिया तो था.. तो?" सीमा जी भर कर बदला लेना चाहती थी.. उसकी हर हरकत का "तो.. ट्त्तू... क्क्क.. कुछ नही... मतलब.. वो.. मैं.. " टफ को अब पता चला था की सही कहते हैं.. प्यार का इज़हार ही कर सको तो बहुत बड़ी बात है.. सारी लड़कियाँ उसकी हालत देखकर हंस पड़ी.. और चली गयी.. हंसते हुए ही.. सीमा को अपने से फिर दूर जाता देख टफ तड़प उठा.. आख़िर वो क्या मुँह दिखाएगा शमशेर को! उसने तो उसकी मुनादी ही करवा दी थी..," सीमा जी!" अब की बार सीमा अकेली आई.. उसकी सहेलियाँ दूर खड़ी होकर उसका इंतज़ार करने लगी... "बोलो इनस्पेक्टर साहब!" सीमा ने उसके पास आकर पूछा.. "सीमा जी! मेरा नाम अजीत है.. आप नाम से बुलाइए ना!" "पर मैं तो आपको एक बहुत ही अच्छे इनस्पेक्टर के रूप में जानती हूँ. मैं इतने बड़े आदमी का नाम कैसे लूँ?" "ज्जजई.. मैं बड़ा नही हूँ... 25 का ही हूँ..!" टफ ने अपनी उमर बताई.. सीमा उसके चेहरे पर जाने कहाँ से आई हुई मासूमियत देखकर हँसने को हुई पर उसने जैसे तैसे खुद को रोके रखा!"

 "इट्स ओके! आप काम की बात पर आइए..." सीमा ने टफ से कहा. "जी आपने उस्स खत का जवाब नही दिया" टफ अपना धीरज खोता जा रहा था. "हुम्म.. तो आपको लगता है की मुझे जवाब देना चाहिए था!" सीमा उसकी शहनशीलता की हद देखना चाहती थी.. "जी.. वो... मैने रात भर भी इंतज़ार किया.." टफ अपने घुटने टेक चुका था.. सीमा के प्यार में.. "वैसे आपको क्या लगता था.. मैं जवाब दूँगी!" "पता नही.. पर... मुझे अब भी उम्मीद है..!" सीमा ने उसको और तड़पाना ठीक नही समझा... आख़िर वो भी तो सारी रात बार बार लेटर पढ़ती रही थी... पर प्यार के बेबाक इज़हार की उसमें हिम्मत नही थी," हम दोस्त बन सकते हैं...!" सीमा ने अपना हाथ टफ की और बढ़ा दिया... "सिर्फ़ दोस्त?" टफ तो जैसे जिंदगी भर आज से ही उसके पहलू में रहना चाहता था... "अभी तो.... सिर्फ़ दोस्त ही..! मैं आपको रात को फोने करती हूँ...." टफ ने उसके वापस जाते हाथ को दोनो हाथों से पक्क़ड़ लिया...," सीमा जी! मैं इंतज़ार करूँगा!" "अब ये सीमाजी कौन है? मैं सीमा हूँ... आपकी दोस्त.. अब चलूं.." टफ कुछ ना बोल पाया.... जाते हुए सीमा अचानक पलट कर बोली," मैने सारी रात वो लेटर पढ़ा... बार बार.. और हूल्का सा शर्मा कर चली गयी..... टफ प्यार की पहली सीधी चढ़ चुका था..........! शिवानी और राज दो दिन से बिना बोले रह रहे थे.. रात को शिवानी से ना रहा गया.. उसने मुँह फेरे लेट राज को अपनी बाहों में भर लिया...," आइ लव यू राज!" राज के लिए ये शब्द उसके घान्वो पर नमक जैसे थे..," मुझे हाथ लगाने की जुर्रत मत करना हरमज़ड़ी..." राज ने शिवानी को अपने से परे धकेल दिया.. "एक छोटी सी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो राज.... प्लीज़.. मेरा दम निकला हुआ है तीन दिन से..." राज हद से ज़्यादा दूर कर चुका था शिवानी को... अपने दिल से...," साली कुतिया... दम निकल रहा है तो वहाँ जा.. जहाँ तू अपनी गांद मरवा कर आई है... साली... दम निकला जा रहा है तेरा.. अरे ये सब करने से पहले तूने ज़रा भी नही सोचा... अपने बारे में.... मेरे बारे में...."

"जान वो ज़बरदस्ती थी... तुम्हे नही पता.. मैं पल पल कैसे रोई हूँ... वो एक हादसा था... रेप था मेरा! और तुमने उसकी तो रिपोर्ट भी करनी ज़रूरी नही समझी... जिसने तुम्हारी बीवी की धज्जियाँ उड़ा दी... क्या उसके लिए मैं दोषी हूँ..." "मैं उसकी बात नही कर रहा कुतिया! जान बूझ कर अंजान मत बन... मुझे झूठ बोल कर अपने यार के पास रहकर आई... भूल गयी तू..." "कौन यार! तुम किसकी बात कर रहे हो?" राज से शिवानी का ये नाटक शहान नही हुआ.. वो बैठ कर शिवानी को ताबड़तोड़ मारने लगा.. शिवानी बेजान की तरह मार खाती रही," साली! ये ले.. मैं बतावँगा नाम भी तेरे यार का... बता कहाँ गयी थी... बता साली बता!!!" शिवानी कुछ ना बोली... राज की अपराधी तो वो थी ही.. उससे इसकी जिंदगी का एक अहम राज छिपा कर रखने की... पर जो इल्ज़ाम राज ने उसस्पर लगाया.. उसने तो उसको अंदर तक तोड़ दिया... वा विकी के पास गयी थी.. अपने प्यारे विकी के पास... पर लाख चाहकर भी राज को वो कुछ नही बता सकती थी.. पर ये इल्ज़ाम लगने के बाद उस-से छुपा कर रखना भी मुश्किल हो गया... आख़िर किसी के लिए ही क्यूँ ना हो.... वो अपने घर की खुशियों को आग कैसे लगा सकती थी.... जब राज मार मार कर थक गया और बेड से खड़ा होकर जाने लगा तो शिवानी धीरे से बोली," तुम विकी से मिलना चाहते हो?" "क्या यही नाम है तेरे यार का? साली कितनी बेशर्म से नाम ले रही है... साली!" राज ने शिवानी की और देखकर ज़मीन पर थूक दिया... "हाँ यही नाम है, जिसके लिए मैने तुमसे झूठ बोला.. और सिर्फ़ अभी नही... मैं पहले भी काई बार उससे मिलने गयी हूँ... अपनी शादी के बाद... पर आप मिलकर सब समझ जाओगे! अब मैं इस राज को राज रखकर तुम्हारी नफ़रत शहन नही कर पाउन्गि.... मिलोगे ना... विकी से... राज ने कुछ ना बोला और बेड पर गिरकर चादर औधली... उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था.....

/ "कल से बोर्ड के एग्ज़ॅम शुरू हो रहे हैं..! आपको नही लगता की बच्चों की तैयारी कुछ खास नही है?" अंजलि ने ऑफीस में बैठे स्टाफ से पूछा. "नही मेडम! ऐसी तो कोई बात नही है.. आप खुद क्लास में चलकर बच्चों की तैयारी का जायजा ले सकती हैं!" एक मेडम ने अंजलि से कहा. "इट्स ओके! मैं बस यही जान'ना चाहती हूँ की आप लोग संत्ुस्त हैं या नही... और एक और मॅत टीचर शायद अगले हफ्ते तक जाय्न कर लेंगे.. न्यू अपायंटमेंट है.. उम्मीद है.. अब स्टाफ की कोई समस्या नही रहेगी...नेक्स्ट सेशन के लिए..मिस्टर. वासू को अपायंटमेंट लेटर मिल चुका है... बस मेडिकल वैईगारह की फॉरमॅलिटी बाकी है... राज जी आज नही आएँगे... उन्हे कहीं जाना है.. वैसे भी कल किसी भी क्लास का साइन्स का पेपर नही है... आप चाहें तो उनकी क्लास ले सकती हैं.... राज और शिवानी बस में बैठे जा रहे थे... शिवानी उसको विक्ककी से मिलाने लेकर जा रही थी... उस्स राज से परदा हटाने के लिए जो उसने शादी के 6 महीने बाद तक भी अपने राज से छिपाए रखा था... पानीपत आर्या नगर जाकर शिवानी ने एक घर का दरवाजा खटखटाया... अंदर से कोई पागल सी दिखने वाली महिला निकली...," तुम फिर आ गयी.. हूमें नही चाहिए कुछ.. अपना अपने पास रखो... चाहो तो जो है वो भी ले जाओ... मैं अब जीकर क्या करूँगी... तुम तो पागल हो गयी हो... यहाँ मत आया करो.. उस्स औरत की बातों का कोई मतलब नही निकल रहा था.. शिवानी ने कुछ ना कहा और अंदर चली गयी... पीछे पीछे राज भी अंदर घुस गया और वहाँ पड़े पुराने सोफे पर बैठ गया... घर काफ़ी पहले का बना हुआ लगता था... उसकी देख रेख भी लगता था होती ही नही है... जगह जगह दीवारों से रोगन उतरा हुआ था... राज के लिए सब कुछ असचर्या करने जैसा था... इश्स औरत और इश्स घर से शिवानी का क्या संबंध हो सकता है..भला!" वा मूक बैठा कभी उस्स औरत को कभी शिवानी को देखता रहा.. तभी एक 5-6 साल का प्यारा सा बच्चा बाहर से अंदर आया..," नमस्ते मम्मी.. और वो शिवानी से लिपट गया... "विकी तो तेरे बिना जी नही सकता... जब साथ नही रख सकती तो क्यूँ लाई थी इश्स दुनिया में... क्यूँ पैदा किया था उसको" बुढ़िया की बात सुनकर राज के पैरों तले की ज़मीन खिसाक गयी... शिवानी ने बेटा पैदा किया है... राज को लगा जैसे घर की दीवारें गिरने वाली हैं.. उसको चक्कर सा आ गया.. उसने अपना सिर पकड़ लिया... वो एक बच्चे की मा का पति है... विकी की मा का पति.... शिवानी अंदर से पानी का गिलास लेकर आई और राज को दे दिया.. पागल सा हो चुका राज गिलास को हाथ में लेकर देखता रहा.. उसने जितना सोचा था.. शिवानी तो उस्स-से कहीं गिरी हुई निकली... वो तो सिर्फ़ ये सोच रहा था की उसने बाहर कोई यार पाल रखा है, और उससे गुलचर्रे उड़ाने जाती है... पर यहाँ तो मामला उससे भी भयानक निकला.. 5-6 साल का बेटा... राज के जी में आया वहीं सब को काट कर रख दे पर उसका शरीर जवाब दे चुका था.. उसमें तो कुछ पूछने तक की हिम्मत ना बची थी... वो टुकूर टुकूर शिवानी की गोद में बैठे विकी को देखता रहा,"मम्मी! ये अंकल कौन हैं.." शिवानी ने अपने साथ लाए कुछ खिलौने और खाने पीने की चीज़े विकी को दी," ये लो बेटा! मम्मी जुल्दी ही वापस आएगी..." "मम्मी आप मुझे साथ लेकर क्यूँ नही जाते! मेरा यहाँ पर दिल नही लगता!" शिवानी की आँखों में आँसू आ गये...,"जवँगी बेटा! तू थोड़ा सा बड़ा हो जा... हुम्म... फिर तू मेरे साथ ही रहना...जा अपनी दादी के साथ खेल ले दूसरे कमरे में..""अच्छा मम्मी!" अच्छे बच्चे की तरह विकी दूसरे कमरे में चला गया..राज शिवानी को आँखें फाड़कर देख रहा था.. पता नही अब अपने बेटे से मिलकर ये अपने आपको क्या शबित करना चाहती है...शिवानी अब और ज़्यादा सस्पेनस बनाकर नही रखना चाहती थी,"राज!ये मेरा बेटा नही है.. मेरी बेहन का बेटा है...."

 "व्हाट? तुम्हारी बेहन कहाँ है?" "है नही थी..." शिवानी ने लंबी साँस लेते हुए कहा.. "प्लीज़ शिवानी! मेरा सिर फटा जा रहा है... तुम सेधे सीधे बताओ.. क्या चक्कर है विकी और तुम्हारा.. जहाँ तक मुझे पता है तुम तो अपने मा बाप की अकेली लड़की हो... और ये औरत कौन है? "ये मेरी बेहन की सास है...! मैं शुरू से बताती हूँ... शिवानी राज को फ्लेश बॅक में ले गयी... करीब 7 साल पहले...... मेरी एक बड़ी बेहन थी.. मुझसे 2 साल बड़ी... मीनू नाम था उसका... वह 17 साल की थी. उसको संजय से प्यार हो गया.. संजय राजपूत.. इश्स औरत का लड़का.. उसकी क्लास में ही पढ़ता था.. दोनो ने प्यार करने की हद लाँघते हुए एक दूसरे से शारीरिक संबंध बना लिए... मेरी बेहन को गर्भ ठहर गया... जमाने का डर और साथ जीने के सपने को साकार करने के लिए दोनो घर से भाग गये... एक दूसरे के भरोसे.... घर से कहीं दूर जाकर उन्होने शादी कर ली और मीनू ने घर पर फोने करके सूचना दी... पर मेरे घर वालों को ये शादी मंजूर नही हुई... मीनू नाबालिग थी... घर वालों ने एफ.आइ.आर. कर दी.. संजय को मीनू से प्यार का आरोपी बना दिया गया.. पोलीस उन्हे ढूँढने लगी... यहाँ आकर संजय की मा को पोलीस ने इतना सताया की ये बेचारी पागल हो गयी.. एक तो बेटे के जाने का गुम और दूसरे रोज़ रोज़ पोलीस की गाली गलोच... इसके पति तो पहले ही नही थे... संजय और मीनू ने खूब कोशिश की घरवालों और पोलीस से बचने की पर पैसे की तंगी और कम उमर के चलते वो जहाँ भी जाते.. लोगों को उन्न पर शक हो जाता और उन्हे वहाँ से भागना पड़ता... करीब 6 महीने बाद पोलीस ने दोनो को पकड़ लिया.. अदालत ने संजय को जैल भेज दिया. पर मेरी बेहन ने घर आने से माना कर दिया... वो नारी निकेतन चली गयी... वहीं पर मीनू ने विकी को जनम दिया... संजय मीनू की जुदाई और जैल में कदियो के ताने सहन ना कर सका और उसने जैल में ही फाँसी लगा ली... प्यार करने की सज़ा उसको समाज के हाथों से मंजूर नही थी.... मेरी बेहन को पता लगा तो उसके होश उड़ गये.. मैं उससे घरवालों से छिप कर मिलने जाती थी... उसकी तबीयत हर रोज़ बिगड़ने लगी.. उसको अपने अंत का अहसास हो गया था," शिवानी! मेरे बेटे को लावारिस मत होने देना... मैने प्यार किया था.. पाप नही... " ये उसके आखरी शब्द थे जो मैने सुने थे... कुछ दिन बाद में गयी तो पता चला मीनू नही रही.. मैने सभी जारूरी कागजात पुर किए और विकी को अपने साथ ले आई... पर घर वालों ने सॉफ मना कर दिया," इस पाप को हम अपने सिर पर नही धोएंगे... हूमें तुम्हारी शादी भी करनी है..." मैं क्या करती.. विकी को लावारिस तो नही छोड़ सकती थी.. सो इसको यहाँ ले आई.. पागल हो चुकी इसकी दादी के पास.. तब से लेकर अब तक.. मैं लगभग हर महीने घर वालों से और बाद में तुमसे झूठ बोलकर यहाँ आती रही.. काई बार सोचा.. तुम्हे बता दूं.. पर 6 महीने के बाद भी मुझे विस्वास नही होवा था की तुम मेरी बेहन के इश्स 'पाप' को अपने साथ रख लोगे.. बस अच्छे दिनों के इंतज़ार में थी......" राज ने शिवानी की आँखों से आँसू पोंछे और उसको सीने से लगा लिया," पगली! क्या मैं इतना बुरा हूँ..." राज ने विकी को पुकारा.. विकी के हाथ में हवाई जहाज़ था..," हां! अंकल!" राज ने उसको गोद में उठा लिया.. उसके गाल पर एक प्यार भरी पुचि दी," बेटा! मैं तुम्हारा अंकल नही पापा हूँ... मम्मी से बोलो... चलो अपने घर चलते हैं... शिवानी उठकर राज से चिपक गयी," आइ लव यू जान!... आइ लव यू..............

/ टफ शमशेर के पास ही था जब उसके फोने पर सीमा की कॉल आई. टफ ख़ुसी से नाच उठा," ये लो बेटा... अब तुम बन गये ता उ... मेरी तो निकल पड़ी भाई.." "क्या हुआ भैया?" "तू चुप हो जा बस.. घुस जा अंदर... बहुत हंस रही थी ना दिन में.." टफ ने वाणी को प्यार से दुतकारा... वाणी मायूस होकर अंदर जाने लगी... तो टफ ने उसको पकड़ लिया," मेरी छोटी बहना.. तेरी भाभी आने वाली है... गुस्सा मत हो.. तू मुझे भैया बोल लिया कर... ठीक है?" "नही! मुझे नही बोलना आपसे!" वाणी नाराज़ होकर चली गयी.... एक बार फिर से फोने बज उठा... टफ फोने लेकर छत पर जा चढ़ा.. उसने फोने काटा और खुद डाइयल किया," हेलो!" टफ की आवाज़ इतनी मधुर थी जैसे वो कड़क इनस्पेक्टर नही, कोई गवैया हो. "मैं बोल रही हूँ; सीमा!" "हां हां! मुझे पता है.. थॅंक्स फॉर कॉलिंग!" "वाडा जो किया था!" सीमा की आवाज़ में ले थी, मधुरता थी... और हूल्का हूल्का प्यार भी मानो छान कर आ रहा था.. "थॅंक्स!" "अब सारे थॅंक्स बोल लिए हों तो....." सीमा बीच में ही रुक गयी... "सॉरी!" मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट हो रहा हूँ......" फिर चुप हो गया.. "तुम लेटर बहुत अच्छा लिखते हो...." "थॅंक्स" "फिर थॅंक्स... अभी तक तुमने थॅंक्स और सॉरी के अलावा कुछ नही बोला है...." सीमा उसको उकसा रही थी.. उस बात के लिए जो उसने लेटर मैं पढ़ी थी और खुद भी कहना चाहती थी... "आइ लव यू सीमा!" "मैं कैसे मान लूँ?" "मैं वेट कर सकता हूँ... तुम्हारे मान लेने तक.." "बहुत देर हो गयी तो?" "मार जाउन्गा.." "क्यूँ... मेरे बिना?" "नही! तुम्हे साथ लेकर..." पता नही इतनी हाज़िर जवाबी कहाँ से आई टफ को... सीमा हन्स पड़ी... टफ फोने के अंदर से आ रही उस्स वीना के तारों की खनक सुनकर मंतरा मुग्ध सा हो गया. उसने पहली बार सीमा को हुंस्ते देखा था..," आपकी हुनसी बहुत प्यारी है.." "क्या तुम सच में सारी उमर मुझे झेल सकते हो!" सीमा ने गॅरेंटी माँगी.. अगर पहले वाला टफ होता तो यक़ीनन यही कहता," पेल (चोद) सकता हूं; झेल नही सकता," आजमा कर देखना!" "क्या मैं मम्मी को बता दूं?" "क्यूँ नही! तुम हां कर दो! मम्मी को तो मैं ही बता दूँगा.." "वैसे पूच सकती हूँ की ये प्यार मुझ पर कैसे लूटा रहे हो..?" "सच बोलता हूँ सीमा! तुमने मुझे इंसान बना दिया है... शायद अगर तुम ना मिलती तो मैं वैसा ही रहता.. पर मुझे लगता है भगवान ने तुम्हे मुझे सुधारने के लिए ही भेजा था....." "सुनो!" सीमा ने टफ को बीच में ही रोक दिया.... "क्या?" "मैं मम्मी को बता दूं और उन्होने मना कर दिया तो..?" टफ कुछ बोल ही ना पाया... .... "मज़ाक कर रही हूँ.... मैने मम्मी को बोल दिया है और उन्हे तुम पसंद हो..." टफ खिल उठा," और तुम्हे!" "देखती हूँ..... अच्छा मेरे एग्ज़ाम नज़दीक हैं... अब मुझे पढ़ाई करनी है.. ओ.के.?" टफ ने एक लुंबी साँस ली.... उस्स साँस में जुदाई की कशिश थी..," ओके.. गुड नाइट.." "गुड नाइट! स्वीट ड्रीम्स!"" कह कर सीमा ने फोने काट दिया.... राज शिवानी और विकी के साथ घर पहुँचा तो ओम वहाँ आ चुका था.. राज का खून खौल उठा... शिवानी की आत्मा पर लगे घाव राज को अब उसके पाक सॉफ साबित होने पर चुभने लगे थे. राज ने ओम का गला पकड़ लिया," हररंजड़े! तू भेड़ की शकल में भेड़िया है कुत्ते.. " राज ने ओम को झकझोर दिया... तभी अंजलि बीच में आ गयी," प्लीज़ राज! अपने आपको संभलो, जो कुछ हुआ; इसमें इनका दोष नही है.. इन्होने मुझे सबकुछ बता दिया है... चाहो तो शिवानी से पूछ लो... इन्होने तो उल्टा शिवानी की जान बचाई है... शिव इसको नदी में फैंकने जा रहा था...!" "पर सबकुछ इश्स हरमजड़े की वजह से ही हुआ है.. ये चाहता तो उसको पहले ही रोक सकता था.." राज को शिवानी बीच रास्ते सब बता चुकी थी...

ओम राज के पैरों में गिर गया.. ," मुझे माफ़ कर दो भाई.. मैं नशे में था और मुझे समय से पहले होश नही आया... बाद में जब मुझे अहसास हुआ तो सभ कुछ खो चुका था..." ओम की आँखों में पासचताप के आँसू थे.. "तू मुझे उस्स कुत्ते का नाम पता बता... उसको तो में ऐसे छोड़ूँगा नही..." ओम शिव के बारे में जितना जानता था.. सब बक दिया.. राज ने टफ के पास फोन किया," दोस्त! मैं अपनी शिवानी को इंसाफ़ दिलाना चाहता हूँ... मैं ग़लत था... उसके साथ बहुत ही बुरा हुआ है.." "मेरे यार! मुझे जानकार बहुत खुशी हुई की देर से ही सही; तुम्हारा विस्वास, तुम्हारा प्यार तुम्हे वापस मिल गया... अब तुम मुझ पर छोड़ दो... और बीती बात को भुला कर अपनी खुशियाँ वापस ले आओ... मैं कल ही आकर शिवानी की स्टेट्मेंट दिलवा देता हूँ... उनको कोई नही बचा सकता... अब चैन से खा पीकर सो जाओ.." टफ को जानकार बड़ी खुशी हुई की राज का अपनी बीवी पर शक ग़लत था... दिशा और वाणी बैठी पढ़ाई कर रही थी... शमशेर ने दिशा को बेडरूम में बुलाया," दिशा! एक बार आना तो सही..!" दिशा अपनी किताब खुली छोड़ कर बेडरूम में गयी," क्या है!" शमशेर ने उसको पकड़ लिया और अपनी छाती से लगाने की कोशिश करने लगा... इश्स प्यार को देखकर कौन नही पिघल जाएगा पर दिशा ने उसको तड़पाने के इरादे से अपनी कोहनियाँ अपनी छतियो और शमशेर के सीने के बीच फँसा दी.. और मुँह एक और कर लिया," छोड़ो ना! मुझे पढ़ाई करनी है...!" "जान! ये पढ़ाई तो मेरी जान की दुश्मन बन गयी है... पता है आज तीसरा दिन है...! प्लीज़... बस एक बार.. 30 मिनिट में क्या होता है..? मान जाओ ना.." "नही! मुझे प्यार करने के बाद नींद आ जाती है... छोड़ो ना.. वाणी क्या सोचेगी.. पढ़ने भी नही देता...!" शमशेर ने उसकी हथेलियों को अपने हाथों में लेकर दोनो और दीवार से चिपका दिया.. अब दिशा कुछ नही कर सकती थी.. शमशेर को अपने उपर छाने से रोकने के लिए.. उसने आत्मसमर्पण कर दिया.. जब दिशा की छातियाँ शमशेर के चौड़े सीने से डब कर कसमसाई तो वो जन्नत में पहुँच गयी... उसको कुछ याद ना रहा.. ना वाणी, ना पढ़ाई.. अपने रसीले होन्ट भी उसने शमशेर के सुपुर्द कर दिए.. चूसने के लिए..

/ दिशा के वापस आने की राह देख रही वाणी को जब गड़बड़ का अहसास हुआ तो वा ज़ोर ज़ोर से गाने लगी..," तुम्हारे शिवा हम कुछ ना करेंगे जब तक जियेंगे जब तक रहेंगे उन दोनो को पता था.. वाणी उनको छेड़ने के लिए गाना गा रही है..," ज़रा एक मिनिट छोड़ दो.. मैं उसको सबक सीखा कर आती हूँ.." दिशा को वाणी पर गुस्सा आ रहा था.. उसने तो जैसे सपने से जगा दिया.. "मुझे पता है.. तुम कल की तरह मुझे चकमा देकर भाग जाओगी.. " शमशेर पागल हो उठा था.. उसमें डूब जाने के लिए.. "नही..! मैं अभी आआए.. दिशा ने खुद को चुडवाया और बाहर भाग आई," बनाउ क्या तुझे.. लता मंगेशकर..?" दिशा ने प्यार भरे गुस्से से वाणी को झिड़का.. "नही दीदी! मैं तो बस.. बॅक ग्राउंड म्यूज़िक दे रही थी.. अंदर चल रही पिक्चर के लिए..!" वाणी ने खिलखिला कर हंसते हुए अपनी बेहन पर तीर मारा.. "तू है ना! बहुत शैतान हो गयी है... अब जब तक मैं आऊँ.. सोना मत.. ये चॅप्टर कंप्लीट मिलना चाहिए.. समझी..." दिशा ने बात को टालते हुए कहा.. "दीदी! आपका कोई भरोसा नही है.. आप तो क्या पता सारी रात ही कमरे से बाहर ना निकलो.. तो क्या मैं आपका सारी रात वेट करूँगी?... मैं तो एक घंटे से ज़्यादा नही जागूंगी..." "ठीक है बाबा! एक घंटे में सो जाना. ओक?" कहकर दिशा ने अपनी किताब बंद करके रखी और अंदर चली गयी... अंदर से दिशा की सिसकारी सुनकर वाणी को अपने अंदर गीलापन महसूस हुआ...... दोस्तो आगे की कहानी जानने के लिए पाट-21 का इंतजार करे
आपका दोस्त राज शर्मा -- (¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj







 chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories ,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator