Friday, June 18, 2010

गर्ल'स स्कूल पार्ट--1

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गर्ल'स स्कूल पार्ट--1

गर्ल'स स्कूलभिवानी जाने के लिए जैसे तैसे उसने बस पकड़ी. भीड़ ज़्यादा होने की वजह
से वो बस में पिच्चे जाकर खड़ा हो गया.
शमशेर सिंग मंन ही मंन बहुत खुश था. 9 साल की सर्विस में पहली बार उसकी
पोस्टिंग गर्ल'स स्कूल में हुई थी. 6 फीट से लंबा कद, कसरती बदन रौबिला
चेहरा; उसका रौब देखते ही बनता था. 32 का होने के बावजूद उसने शादी नही
की थी. ऐसा नही था की उसको किसी ने दिल ही ना दिया हो. क्या शादी शुदा
क्या कुँवारी, शायद ही कोई ऐसी हो जो उसको नज़र भर देखते ही मर ना मिटे.
पिच्छले स्कूल में भी 2-4 मॅडमो को वो अपनी रंगिनियत के दर्शन करा चुका
था. पर आम राई यही थी की वो निहायत ही सिन्सियर और सीरीयस टाइप का आदमी
है. असलियत ये थी की वो कलियों का रसिया था, फूलों का नही. और कलियों का
रश पीने का अवसर उसको 6-7 साल से नही मिला था. यही वजह थी की आज वो खुद
पर काबू नही कर पा रहा था.
उसका इंतज़ार ख़तम होने ही वाला था.
अचनाक उसके अग्रभाग में कुच्छ हलचल होने से उसकी तंद्रा भंग हुई. 26-27
साल की एक औरत का पिच्छवाड़ा उसके लिंगा से जा टकराया. उसने उस्स औरत की
और देखा तो औरत ने कहा,"सॉरी, भीड़ ज़्यादा है."
"इट'स ओक", शमशेर ने कहा और थोड़ा पिछे हो गया.
औरत पढ़ी लिखी और सभ्य मालूम होती थी. रंग थोड़ा सांवला ज़रूर था पर यौवन
पूरे शबाब पर था. वो भी शमशेर को देखकर अट्रॅक्ट हुए बिना ना रह सकी.
कनखियों से बार बार पिच्चे देख लेती.
तभी बस ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे शमशेर का बदन एक दम उस्स
औरत से जा टकराया. वो गिरने को हुई तो शमशेर ने एक हाथ आगे ले जाकर उसको
मजबूती से थाम लिया. किस्मत कहें या दुर्भाग्या, शमशेर के हाथ में उसका
दायां स्तन था.
जल्दी ही शमशेर ने सॉरी बोलते हुए अपना हाथ हटा लिया, पर उस्स औरत पर जो
बीती उसको तो वो ही समझ सकती थी.
"अफ, इतने मजबूत हाथ!" सोचते हुए औरत के पुर बदन में सिहरन दौड़ गयी.
उसके एक बार च्छुने से ही उसकी पनटी गीली हो गयी. वो खुद पे शर्मिंदा सी
हुई पर कुच्छ बोल ना सकी.
उधर शमशेर भी ताड़ गया की वो कुँवारी है. इतना कसा हुआ बदन शादीशुदा का
तो हो नही सकता. उसने उससे पूच्छ ही लिया, जी क्या मैं आपका नाम जान सकता
हूँ."
थोड़ा सोचते हुए उसने जवाब दिया,
"जी मेरा नाम अंजलि है"
शमशेर: कहाँ तक जा रही हैं आप?
अंजलि: जी भिवानी से आगे लोहरू गाँव है. मैं वहाँ गर्ल'स स्कूल में
प्रिन्सिपल हूँ.
सुनते ही शमशेर चौंक गया. यही नाम तो बताया गया था उसे प्रिन्सिपल का. पर
कुच्छ सोचकर उसने अपने बारे में कुच्छ नही बताया.
अजीब संयोग था. अंजलि को पकड़ते ही वो भाँप गया था की यहाँ चान्स हैं
रास्ते भर अच्च्चे टाइम पास के.
धीरे धीरे बस में भीड़ बढ़ने लगी और अंजलि ने पिच्चे घूम कर शमशेर की और
मुँह कर लिया. तभी एक सीट खाली हुई पर जाने क्यूँ अंजलि को शमशेर से दूर
जाना अच्च्छा नही लगा. उसने सीट एक बुढ़िया को ऑफर कर दी और खुद वही खड़ी
रही.
अंजलि,"कहाँ खो गये आप"
शमशेर: कुच्छ नही बस यही सोच रहा था की आपकी अभी तक शादी क्यूँ नही हुई.
अंजलि सुनकर शर्मा सी गयी और बोली: ज..जी आपको कैसे मालूम.
शमशेर ने भी तीर छ्चोड़ा: आपके बदन की कसावट देखकर...शादी तो हमारी भी
नही हुई पर दुनिया तो देख ही चुके हैं.
अंजलि: जी.. क्या मतलब?
शमशेर: खैर जाने दें. पर इतनी कम उमर में आप प्रिन्सिपल! यकीन नही आता!
अंजलि: हो सकता है पर में 2 साल पहले डाइरेक्ट अपायंट हुई हूँ.
यूँही बातों का सिलसिला चलते चलते अंजलि को जाने क्या मस्ती सूझी उसने
उल्टियाँ आने की बात कही और शमशेर के कंधे पर सिर टीका लिया. शमशेर ने एक
लड़के की सीट खाली कराई और अंजलि को वहाँ बैठा दिया. अंजलि मायूस सी हो
गयी पर जल्दी ही उसके साथ वाली सवारी उठ गयी और शमशेर भी उसके साथ जा
बैठा. अंजलि ने उसकी छति पर सिर रख लिया.
शमशेर सम्झ गया था की वो चिड़िया फँसने वाली है. वा भी उसके बालों में
हाथ फिरने लगा. अंजलि ने नींद का बहाना किया और उसकी गोद में सिर रख
लिया.
अब ये शमशेर के भी सहन के बाहर की बात की. पॅंट में छिपा उसका औजार
अंगड़ाई लेने लगा. अंजलि भी क्यूंकी सोने की आक्टिंग कर रही थी इससलिए वो
उस्स हलचल को ताड़ गयी. नींद की आक्टिंग करते करते ही उसने अपना एक हाथ
सिर के नीचे रख लिया. अब वो उसकी बढ़ती लंबाई को डाइरेक्ट्ली फील कर सकती
थी.
अंजलि का चेहरा लाल होता जा रहा था. उसकी दबी हुई सेक्स भावना सुलगने लगी
थी. ऐसे शानदार मर्द को देखकर वो अपनी मर्यादा भूल गयी थी. फिर उसके लिए
तो वो एक अंजान मर्द ही था. फिर 2-3 घंटे के लिए...हर्ज़ ही क्या है?
अचानक कैथल बस स्टॅंड पर चाय पानी के लिए बस रुकी. शमशेर को भी अहसास था
वो जाग रही है पर अंजान बनते हुए वो उसके कुल्हों पर हाथ लगाकर उसको
उठाने लगा. 2-3 बार उसको हिलने पर जैसे उसने जागने की आक्टिंग करी फिर
बोली "ओह सॉरी"
शमशेर: अरे इसमें सॉरी की क्या बात है. पर ज़रा सी प्राब्लम है.
अंजलि: वो क्या?
शमशेर: वो ये की आपने मेरे एहसास को जगा दिया है. अब मुझे बाथरूम जाना
पड़ेगा. आपके लिए पानी और कुच्छ खाने का भी ले आता हूँ. कहकर वो बस से
उतर गया.
अंजलि खुद पर हैरान थी. माना वो मर्द ही ऐसा है पर वो खुद इतनी हिम्मत
कैसे कर गयी. उसके मॅन ही मॅन सोच रही थी की काश ये सफ़र कभी पूरा ना हो
और वो जन्नत का अहसास करती रहे. यक़ीनन आज से पहले उसकी जिंदगी में कभी
ऐसा नही हुआ था.
उधर शमशेर बाकी रास्ते को रंगीन बनाने की तैयारी कर रहा था. उसने नशे की
गोली खरीदी और कोल्डद्रिंक में मिला दिया. अंधेरा हो गया था. उसने अपनी
पॅंट की ज़िप खुली छ्चोड़ ली ताकि अंजलि को उसे महसूस करने में आसानी हो
सके.शमशेर मॅन ही मॅन सोच रहा था अगर अंजलि ही वो लड़की है जिसके स्कूल में
जाकर उसको जोइन करना है, फिर तो उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में होंगी. उसको
अंजलि की हालत देखकर यकीन हो चला था की अगर वो शुरुआत करेगे तो अंजलि
पीच्चे नही रहेगी. पर अगर वो जान गयी की मैं उसके स्कूल मैं ही जोइन करने
जा रहा हूँ तो वो हिचक जाएगी. इसीलिए वो आज ही उसको पता लगने से पहले ही
उसकी चूत मार लेना चाहता था. साथ साथ उसको एक डर भी था! अगर अंजलि के मॅन
को वो भाँप नही पाया है और उसने खुद सुरुआत कर दी और अंजलि का रिएक्शण
अलग हुआ तो फिर मुस्किल हो जाएगी. ऐसे में वो स्कूल जाकर उसका सामना कैसे
करेगा. इसीलिए शमशेर चाहता था की पहल अंजलि की तरफ से ही होनी चाहिए.
अचानक बस स्टार्ट हो गयी और वो यही सोचता हुआ बस में चढ़ गया.
अंजलि: कहाँ रह गये तहे आप; मैने तो सोचा आप वापस ही नही आओगे.
शमशेर: अरे नही... आपके लिए कोल्डद्रिंक और फ्रूट्स लाने चला गया था.
कोल्डद्रिंक की वो बोतल जिसमें उसने नशे की गोलियाँ मिलाई थी उसकी तरफ
करते हुए कहा.
अंजलि: सॉरी सर, लेकिन मैं कोल्ड्रींक नही पीती.
शमशेर को अपने अरमानो पर पानी फिरता महसूस हुआ
शमशेर: अरे लीजिए ना, आपको उल्टियाँ आ रही थी, इसीलिए... इससे आपका दिल
नही मचलेगा.
अंजलि: थॅंक्स, बट मैं पी नही पाउन्गि, इनफॅक्ट मैं कभी नही पीती. हां
फ्रूट्स ज़रूर लूँगी. हंसते हुए उसने कहा.
शमशेर ने अंबूझे मॅन से कोल्ड्रींक की बोतल बॅग में रख ली. फिर बोला,"
लीजिए केला खाइए.
केले का साइज़ देखकर अंजलि को कुच्छ याद आया और उसकी हँसी छ्छूट गयी. वो
मुश्किल से 3 इंच लंबा था.
शमशेर: जी, क्या हुआ?
अंजलीहांसते हुए) जी कुच्छ नही.
अंजलि को केले की और देखता पाकर शमशेर कुच्छ कुच्छ समझ गया.
शमशेर: बताइए ना क्या बात है. वैसे आप हँसती हुई बहुत सुंदर लगती हैं.
अंजलि: क्या मतलब. वैसे नही लगती..
शमशेर: अरे नही....
अंजलि: जाने दीजिए, मैं तो आपके केले को देख कर हंस रही थी.
शमशेर का ध्यान सीधा अपनी पॅंट की तरफ गया. एक पल के लिए उसको लगा कहीं
ज़िप खुली होने से उसका केला तो बाहर नही निकल आया. सब ठीक ठाक था. फिर
केले के साइज़ को देखकर मामला समझ गया.
शमशेर: जी क्या करे, मैने खुद तो उगाया नही है. यहाँ बस यही मिले.
अंजलि की हँसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी. उसके मॅन में तो दूसरा ही
केला घूम रहा था. हालाँकि उसने अपने व्यक्तीता का हमेशा ख्याल रखा था. पर
शमशेर के नायाब जिस्म को देखकर उसमें खुमारी आती जा रही थी.
अंजलि: शमशेर जी, आप करते क्या हैं?
शमशेर: अजी जिन बातों का समय आने पर खुद ही पता चल जाना है उनके बारे में
क्या बात करनी. आप अपनी बताइए, आपने शादी क्यूँ नही की?
अंजलीकुच्छ देर सोचते हुए) है तो पर्सनल मॅटर पर मैं नही समझती की आपको
बताने से कोई नुकसान होगा. आक्च्युयली मेरी छ्होटी बेहन 6 साल पहले किसी
लड़के के साथ भाग गयी थी. बस तब से ही सब कुच्छ बिखर गया. पापा पहले ही
नही थे, मम्मी ने स्यूयिसाइड कर लिया... कहते हुए अंजलि फफक पड़ी. मुझे
नहीपाता मेरी ग़लती क्या है, पर अब मैने अकेला ही जीने की सोच ली है.
शमशेर बुरी तरह विचलित हो गया. उसे कहने को कुच्छ नही मिल रहा था. फिर
धीरे से बोला,"सॉरी अंजलि जी" मैने तो बस यूँही पूच्छ लिया था.
अंन्जालि ने उसके कंधे पर सुर रखा और सुबकने लगी.
शमशेर को और कुच्छ नही सूझा तो वो बोला मुझसे नही पूच्चेंगी क्या मैने
शादी क्यूँ नही की!
अंजलि की आँखों में अचानक जैसे चमक आ गयी और हड़बड़ा कर बोली," क्या आपने
भी... मतलब क्या आपकी शादी...क्यूँ नही की आपने
शमशेर: कुच्छ फिज़िकल प्राब्लम है?
अंजलि जैसे अपने गुम को भूल गयी थी,"क्या प्राब्लम है"
शमशेर ने मज़ाक में कहा,"बताने लायक नही है मेडम"
अंजलि: क्यूँ नही है, क्या हम दोस्त नही हैं?
शमशेर: जी वो एररेक्टिओं में प्राब्लम है.
अंजलि एररेक्टिओं का मतलब अच्च्ची तरह समझती थी की वो अपना लंड खड़ा ना
हो सकने के बारे में कह रहा है. पर ये तो झूठ था, वो खुद महसूस कर चुकी
थी. पर वो कह क्या सकती थी? सो चुप रही.
शमशेर: क्या हुआ? मैने तो पहले ही कहा था की बताना लायक नही है.
अंजलि: (शरमाते हुए) मुझे नही पता, मुझे नींद आ रही है, क्या मैं आपकी
गोद में सर रखकर सो जाउ.
शमशेर: हां हां क्यूँ नही. और उसने अंजलि को अपनी गोद में लिटा लिया.
अंजलि ने वही किया, अपने हाथ को सर के नीचे रख लिया और धीरे धीरे हाथ
हिलाने लगी. ऐसा करने से उसने महसूस किया की शमशेर का लंड अपने विकराल
आकर में आता जा रहा है. अंजलि सोच रही थी की उसने झहूठ क्यूँ बोला. उधर
शमशेर ने भी सोने की आक्टिंग करते हुए अपने हाथ धीरे धीरे अंजलि के कंधे
से सरककर उसकी मांसल तनी हुई चूंचियों पर ले गया. दोनो की उत्तेजना बढ़ती
जा रही थी. जैसे ही शमशेर आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था
की अचानक अंजलि उठी और बोली,"झुटे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज़ में
मानो नाराज़गी नही, एक बुलावा था; सेक्स के लिए.
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है. वो धीरे धीरे बोल रही थी.
शमशेर: क्या चेक काइया है आपने.
अंजलि उसके बाद कुच्छ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी. कंडक्टर
ने बताया की बस खराब हो गयी है. आगे दूसरी सवारी मैं जाना पड़ेगा.
आमतौर पर इश्स सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लॅडीस की हालत खराब हो जाती है.
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा.,"अब मैं कैसे जौंगी".
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतरो"बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये. अंजलि से कॉंट्रोल नही
हो रहा था. वो सोच रही थी इतना कुच्छ होने के बाद भी ये पता नही किस बात
का इंतज़ार कर रहा है. एक एक करके सभी लोग चले गये. लेकिन ना तो शमशेर और
ना ही अंजलि को जाने की जल्दी थी. दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे
थे. फिर ड्राइवर और कंडक्टर भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नज़र आने लगा.
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे तहे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है, अब की बार कोई भी वेहिकल
आएगा तो लिफ्ट ले लेंगे.
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुच्छ देर बस में चलकर बैठें? मुझे
प्यास भी लगी है.
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये. फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो
उसने बॅग में रखी थी. वो अपना रंग दिखा सकती थी. शमशेर ने कहा,"प्यसस का
तो मेरे पास एक ही इलाज है.
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थॅंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्ल्स!
शमशेर ने बाग से निकल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली कर दी.
10 -15 मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी. अंजलि ने शमशेर से
कहा," क्या हम यही सो जायें. सुबह चलेंगे.
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था. अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी
चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना.
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो.
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ. मुझे अंजलि
कहो ना प्ल्स.. नही अंजू कहो. और हन तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं
की प्राब्लम है.
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला.
अंजलि: मैने चेक किया था ये.
शमशेर: ये क्या!
अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी. उसने कुच्छ सोचा और शमशेर की पॅंट को आगे
हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा हा.
शमशेर को पता था वो नशे में है. वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सुर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता. अगर मैं इसको खड़ा कर
दूं तो तुम मुझे क्या दोगे.
शमशेर कुच्छ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओक निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालून?
अंजलि: च्चि च्चि नाम नही लेते. ठीक है मैं खुद निकल लेती हूँ. कहते हुए
वो भूखी शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी.
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था. उसने अंजलि को जैसे लपक लिया.
नीचे सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा. अंजलि
बदहवास हो चुकी थी. उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके
होंठों को अपने होठों में दबा लिया. शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर
ढा रहे तहे. एक एक करके वा दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. अंजलि
अब उसकी छति सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी थी..ओह लोवे मे प्ल्स लव मे... आइ
कांट वेट. आइ कांट लिव विदाउट यू जान.
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था. एक एक करके जब शमशेर ने
अंजलि का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया.
स्वर्ग से उतरी मेनका जैसा जिस्म... सुडौल चुचियाँ... एक दम तनी हुई.
सुरहिदार चिकना पेट और मांसल जांघें... चूत पर एक भी बॉल नही था. उसकी.
चूत एक छ्होटी सी मच्चली जैसी सुंदर लग रही थी. उसने दोनों चूंचियों को
दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूत पर मुँह लगा दिया. अंजलि उबाल पड़ी.
साँसे इतनी तेज़ चल रही थी जैसे अभी उखाड़ जाएँगी. पहले पहल तो उसे अजीब
से लगा अपनी चूत चत्वाते हुए पर बाद में वा खुद अपनी गांद उच्छल उच्छल कर
उसकी जीभ को अपने योनि रश का स्वाद देने लगी.
शमशेर ने अपनी पॅंट उतार फंकी और अपना 8.5 इंचस लंबा और करीब 4 इंचस मोटा
लंड उसके मुँह में देने लगा. पर अंजलि तो किसी जल्दबाज़ी में थी.
बोली,"प्ल्स घुसा दो ना मेरी चूत में प्ल्स. शमशेर ने भी सोचा अब तो केयी
सालों का साथ है ओरल बाद में देख लेंगे.
उसने अंजलि की टाँगों को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड का सूपड़ा अंजलि
की चूत पर रखकर दबाव डाला. पर वो तो बिल्कुल टाइट थी. शमशेर ने उसकी योनि
रस के साथ ही अपना थूक लगाया और दोबारा ट्राइ किया. अंजलि चिहुनक उठी.
सूपड़ा योनि के अंदर थे और अंजलि की हालत आ बैल मुझे मार वाली हो रही थी.
उसने अपने को पीच्चे हटाने की कोशिश की लेकिन उसका सिर खिड़की से लगा था.
अंजलि बोली,"प्ल्स जान एक बार निकाल लो. फिर कभी करेंगे. पर शमशेर ने अभी
नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और आधा लंड उसकी चूत में
घुस गया. अंजलि की चीख को सुनके अपने होटो से दबा दिया. कुच्छ देर इसी
हालत में रहने के बाद जब अंजलि पर मस्ती सवार हुई तो पूच्छो मत. उसने
बेहयाई की सारी हदें पर कर दी. वा सिसकारी लेते हुए बड़बड़ा रही थी. "ही
रे, मेरी चूत...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी.
चोद दे जान मुझे... आ. आ कभी मत निकलना इसको ... मेरी चू...त आ उधर शमशेर
का भी यही हाल था. उसकी तो जैसे भगवान ने सुन ली. जन्नत सी मिल गयी थी
उसको.. उच्छल उच्छल कर वो उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था की अचानक
अंजलि ने ज़ोर से अपनी टांगे भींच ली. उसका सारा बदन अकड़ सा गया था.
उसने उपर उठकर शमशेर को ज़ोर स पकड़ लिया. उसकी चूत पानी छ्चोड़ती ही जा
रही थी. उससे शमशेर का काम आसान हो गया. अब वो और तेज़ी से ढ़हाक्के लगा
रहा था. पर अब अंजलि गिरगिरने लगी. प्ल्स अब निकल लो. सहन नही होता.
थोड़ी देर के लिए शमशेर रुक गया और अंजलि की होटो और चूंचियों को चूसने
लगा. वो एक बार फिर अपने चूतड़ उच्छलने लगी. इश्स बार उसने अंजलि को
उल्टा लिटा लिया. अंजलि की गांद सीट के किनारे थी और उसकी मनमोहक चूत
बड़ी प्यारी लग रही थी. अंजलि के घुटने ज़मीन पर तहे और मुँह खिड़की की
और. इश्स पोज़ में जब शमशेर ने अपना लंड अंजलि की चूत में डाला तो एक अलग
ही आनंद प्राप्त हुआ. अब अंजलि को हिलने का अवसर नही मिल रहा था. पर मुँह
से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी. हर पल उसे जन्नत तक लेकर जा रहा था.
इश्स बार करीब 20 मिनिट बाद वो दोनों एक साथ झाडे और शमशेर उसके उपर ढेर
हो गया. कुच्छ देर बाद वो दोनों उठे लेकिन अंजलि उससे नज़रें नही मिला पा
रही थी. प्यार का खुमार जो उतार गया था. उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने
और एक सीट पर जाकर बाहर की और देखने लगी. शमशेर को पता था की क्या करना
है. वा उसके पास गया, और ुआके पास बैठकर बोला... आइ लव यू अंजलि. अंजलि
ने उसकी छति में मुँह च्चिपा दिया और सुबकने लगी. ये नही पता.. पासचताप
के आँसू थे या मंज़िल पाने की खुशी के....
एक दूसरे की बाहों में लेते लेते कब सुबह हो गयी पता ही नही चला. सुबह के
5 बाज चुके थे. अभी वो भिवानी से 20 मिनिट की दूरी पर थे. जबकि अंजलि को
आगे लोहरू तक भी जाना था. जाना तो शमशेर को भी वही था पर अंजलि को नही
पता था की उनकी मंज़िल एक ही है. वो तो ये सोचकर मायूस थी की उनका अब
कुच्छ पल का ही साथ बाकी है. रात को जिसने उसको पहली बार औरत होने का
अहसास कराया था और जिसकी च्चती पर उसने आँसू बहाए तहे उससे बात करते हुए
भी वो कतरा रही थी.
अंत में शमशेर ने ही चुप्पी तोड़ी,"चलें"
अंजलि: जी... आप कहाँ तक चलेंगे?
शमशेर: तुम्हारे साथ... और कहाँ?
अंजलि: नही!...म..मेरा मतलब है ये पासिबल नही है.
शमशेर: भला क्यूँ?
अंजलि: वो एक गाँव है और सबको पता है की मैं कुँवारी हूँ. वहाँ लोग इश्स
बात को हल्के से नही लेंगे की मेरे साथ कोई मर्द आया था. फिर वहाँ मेरी
इज़्ज़त है.
शमशेर ने चुटकी ली," हां, आपकी इज़्ज़त तो मैं रात अच्च्ची तरह देख चुका हूँ.
अंजलि बुरी तरह झेंप गयी. काटो तो खून नही. तभी बस आने पर वो उसमें बैठ
गये. अंजलि ने फिर उसको टोका,"बता दीजिए ना की आप क्या करते हैं, कहाँ
रहते हैं कोई कॉंटॅक्ट नंबर.
शमशेर ने फिर चुटकी ली,"अब तो आपके दिल मैं रहता हूँ आपसे प्यार करता
हूँ, और आपका कॉंटॅक्ट नंबर. ही मेरा कॉंटॅक्ट नंबर. है.
अंजलि: मतलब आप बताना नही चाहते. ये तो बता दीजिए की जा कहाँ रहे हैं?
तभी भिवानी बस स्टॉप पर पहु च कर बस रुक गयी. अंजलि और शमशेर बस से उतर
गये. अंजलि ने हसरत भारी निगाह से शमशेर को आखरी बार देखा और लोहरू की बस
में बैठ गयी. उसकी आँखो में तब भी आँसू थे.
कुच्छ देर बाद ही वा चाउंक गयी जब शमशेर आकर उसकी साथ वाली सीट पर बैठ गया.
अंजलि को भी अब अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था. ये आदमी जिसको उसने स्वयं
को सौप दिया, ना तो अपने बारे में कुच्छ बता रहा है ना ही उसका पीचछा
छ्चोड़ रहा है. उसकी साथ आने वाली हरकत तो उसको बचकनी लगी. कहीं ये उसको
ब्लॅकमेल करने की कोशिश तो नही करेगा. वा सिहर गयी. वा उठी और दूसरी सीट
पर जाकर बैठ गयी.
शमशेर उसका डर समझ रहा था. वा अचानक ही बस से उतार गया और बिना मुड़े
उसकी आँखों से गायब हो गया.
अंजलि ने राहत की साँस ली. पर उसको दुख भी था की उस्स मर्द से दोबारा नही
मिल पाएगी. सोचते सोचते लोहरू आ गया और वो अनमने मंन से स्कूल में दाखिल
हो गयी.
ऑफीस मैं बैठहे बैठे वो शमशेर के बारे मैं ही सोच रही थी, जब दरवाजे पर
अचानक शमशेर प्रकट हुआ,"मे ई कम इन मॅ'म?"
अंजलि अवाक रह गयी, मुश्किल से उसने अपने आप पर कंट्रोल किया और बाकी
स्टाफ लॅडीस को बाहर भेजा.
अंजलि(धीरे से) आप क्या लेने आए हो यहाँ. प्ल्स मुझे माफ़ कर दीजिए और
यहाँ से चले जाइए.
शमशेर: रिलॅक्स मॅ'म! आइ'एम हियर फॉर माइ ड्यूटी. आइ हॅव टू जाय्न हियर
अस साइन्स टीचर. प्लीज़ लेट मे जाय्न आंड ऑब्लाइज.
अंजलि अपनी कुर्सी से उच्छल पड़ी,"वॉट?" ख़ुसी और आसचर्या का मिला जुला
रूप उसके "वॉट" में था. पहले तो उसको यकीन ही नही हुआ पर औतॉरिटी लेटर को
देखकर सारा माजरा उसकी समझ में आ गया. पर अपनी ख़ुसी को दबाते हुए उसने
पेओन को बुलाकर रिजिस्टर निकलवाया और शमशेर को जाय्न करा लिया.
फिर अपनी झेंप च्चिपते हुए बोली, मिस्टर. शमशेर आप 10 क्लास के इंचार्ज
है पर पीरियड्स आपको 6थ से 10थ तक सभी लेने होंगे. हमारे यहाँ पर मथ्स का
टीचर नही है अगर आप 8थ और 10थ की एक्सट्रा क्लास ले सकें तो मेहरबानी
होगी.
शमशेर: थॅंक्स मॅ'म पर एक प्राब्लम है?
अंजलि: जी बोलिए!
शमशेर: जी मैं कुँवारा हूँ....मतलब मैं यहाँ अकेला ही रहूँगा. अगर गाँव
में कहीं रहने का इंतज़ाम हो जाए तो...
अंजलि उसको बीच में ही टोकते हुए बोली. मैं पीयान को बोल देती हूँ. देखते
हैं हम क्या कर सकते हैं.
शमशेर (आँख मरते हुए) थॅंक्स मॅ'म!
अंजलि उसकी इश्स हरकत पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी.
शमशेर ने रिजिस्टर उठाए और 10थ क्लास की और चल दिया...
शमशेर क्लास तक पहुँचा ही था की एक लड़की दौड़ती हुई आई और बोली, गुड
मॉर्निंग सर. लड़की 10थ क्लास की लगती थी. शमशेर ने उसको गौर से उपर से
नीचे तक देखा. क्या कोरा माल था हाए! भारी भारी अमरूद जैसी गोल गोल
चुचियाँ, गोल मस्त गंद, रसीले गुलाबी आनच्छुए होंट, लगता था मानो भगवान
से फ़ुर्सत से बनाया है. और बोल भी उतना ही मधुर," सर, आपको बड़ी मॅ'म
बुला रही हैं.
शमशेर," चलो बेटा"
"सिर, क्या आप हमें भी पढ़ाएँगे?"
"कौनसी क्लास में हो बेटा? क्या नाम है?"
"सर मेरा नाम वाणी है और मैं 8वी में हूँ"
"क्या... 8वी में!" मैं तपाक ही गया था जैसे उस्स पर! 8वी का ये हाल है
तो उपर क्या होगा." हां बेटा, तुम्हे मैं साइन्स पढ़ौँगा"
कहकर मैं ऑफीस की तरफ चल पड़ा. वाणी मुझे मूड मूड कर देखती जा रही थी.
ऑफीस में गया तो अंजलि अकेली बैठी थी. मैने जाते ही जुमला फंका,"यस, बड़ी मॅ'म"
अंजलि सीरीयस थी," सॉरी शमशेर...आइ मीन शमशेर जी. मैं भिवानी आपको ग़लत
समझ बैठी थी. पर आपने मुझे बताया क्यूँ नही."
शमशेर: बता देता तो तुम्हे अपना थोड़े ही बना पता.
अंजलि के सामने रात की बात घूम गयी. अब उसको ये भी अहसास हो गया की शमशेर
ने रात को चुदाई में पहल क्यूँ नही की. फिर मीठी आवाज़ में बोली," शमशेर
जी, हम स्कूल में ऐसे ही रहेंगे. मैने आपके रहने खाने का मॅनेज करने को
बोला है. हो सका तो मेरे घर के आसपास ही कोशिश करूँगी.
शमशेर: अपने घर में क्यूँ नही?
अंजलि: अरे मैं भी तो किराए पर ही रहती हूँ. हालाँकि वहाँ नीचे 2 कमरे
खाली हैं. पर गाँव का माहौल देखते हुए ऐसा करना ठीक नही है. लोग तरह तरह
की बातें करेंगे.
शमशेर: बड़ी मॅ'म, प्यार किया तो डरना क्या?
अंजलि: ष्ह..ह! प्लीज़.... खैर मैने आपको कुच्छ ज़रूरी बातों पर डिसकस के
लिए बुलाया है.
शमशेर: जी बोलिए!
अंजलि: आपने देखा भी होगा यहाँ पर कोई भी मेल टीचर या स्टूडेंट नही है.
शमशेर: क्या मैं नही हूँ?
अंजलि: अरे आप अभी आए हो. सुनिए ना!
शमशेर: जी सुनाए!
अंजलि: लड़कियाँ लड़कों के बगैर काफ़ी उद्दंड हो जाती हैं. ज़रा भी ढिलाई
बरतने पर वो अश्लीलता की हदों को पार कर जाती हैं. इसीलिए उनको डिसिप्लिन
में रखने के लिए सखटायी बहुत ज़रूरी है. मैने गाँव वालों को विस्वास में
ले रखा है. आप उन्हे जो भी सज़ा देनी पड़े पर डिसिप्लिन नही टूटना चाहिए.
वैसे भी यहाँ लड़कियाँ उमर में काफ़ी बड़ी हैं. 10+2 में तो एक लड़की
मुझसे 5 साल छ्होटी है बस.
शमशेर मॅन ही मॅन उच्छल रहा था. पर अपनी ख़ुसी च्छुपाकर बोला, ओक बड़ी
मॅ'म ! मैं संभाल लूँगा!
अंजलि: प्लीज़ आप ऐसे ना बोलिए!
शमशेर: ओक अंजू! सॉरी मॅ'म!
अंजलि मुस्कुरा दी!
"आप एक बार स्कूल का राउंड लगा लीजिए!"
"ओक"
कहकर शमशेर राउंड लगाने के लिए निकल गया. अंजलि भी उसके साथ थी. एक क्लास
में उसने देखा, 2 लड़कियाँ मुर्गा सॉरी मुर्गी बनी हुई थी. गॅंड उपर उठाए
दोनो ने शमशेर को देखा तो शर्मा कर नीचे हो गयी. नीचे होते ही मेडम ने
गॅंड पर ऐसी बेंट जमाई किबेचारी दोहरी हो गयी. एक की जाँघो से सलवार फटी
पड़ी थी. शमशेर के जी में आया जैसे वो अपना लंड उस्स फटी सलवार में से ही
लड़की की गन्ड में घुसा दे. सोचते ही उसका लंड पॅंट के अंदर ही फुफ्करने
लगा.
उसने अंजलि से पूचछा," मॅ'म, किस बात की सज़ा मिल रही है इन्हे?"
अंदर से मॅ'म ने आकर बताया," अजी, दोनु आपस मे लेडन लग री थी भैरोइ. सारा
दिन कोए काम नही करना, गॅंड मटकंडी हांडे जा से"
उसकी बात सुनकर शमशेर हक्का बक्का रह गया.उसने अंजलि की और देखा लेकिन वो
आगे बढ़ गयी.
आगे चल कर उसने बताया ये इसी गाँव की है. सरपंच की बहू है. बहुत बदला पर
ये नही सुधरी. बाकी टीचर्स अच्च्ची हैं."
स्कूल का राउंड लगाकर शमशेर वापस ऑफीस में आ गया. लंच हो चुका था और चाय
बनकर आ गयी थी. अंजलि ने सभी टीचर्स से शमशेर का परिचय करवाया पर उसको तो
लड़कियों से मिलने की जल्दी थी. जल्दी जल्दी चाय पीकर स्कूल देखने के
बहाने बाहर चला आया...(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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