Monday, June 21, 2010

गर्ल्स स्कूल पार्ट --40

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गर्ल्स स्कूल पार्ट --40

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा फ़ि हाजिर हूँ विक्की और स्नेहा के प्यार की आगे की कहानी लेकर ...... अब आगे .....
थोड़ा सा हिचकते हुए स्नेहा ने अपने हाथ में पकड़े लंड को नीचे झुकाया और अपने होंठो से छुआ दिया.. और फिर होंठों पर जीभ फेरते हुए उसको दूर कर दिया...
"क्या हुआ?" विकी तड़प सा उठा और खुद ही नीचे झुक कर वापस उसके होंठो से भिड़ाने की कोशिश करने लगा..
"कुच्छ नही.. अजीब सा लग रहा है..." अब स्नेहा खुल गयी थी.. पूरी तरह...
" अच्च्छा नही लग रहा क्या..?" बेचैनी से विकी ने पूछा...
बिना कोई जवाब दिए.. स्नेहा ने अपने होंठो को आधा खोला और सुपादे के अगले भाग को होंटो में दबा लिया.. और विकी की और देखने लगी..
विकी को पहली बार इतना आनंद आया था की उसकी आँखें बंद हो गयी..," अयाया.. "
"अच्च्छा लग रहा है...?" अब की बार स्नेहा ने पूचछा...
"हाआँ..." जीभ निकाल कर चाटो ना.. प्लीज़..." विकी कराह उठा.. आनंद के मारे..
स्नेहा को कोई ऐतराज ना हुआ.. उसको ये जानकार बहुत खुशी हुई की विकी को अच्च्छा लग रहा है.. अपनी जीभ निकाली और लंड की जड़ से लेकर सुपादे तक नीचे से चाट'ती चली गयी...
"आआहह.. मार डालोगी.. तुम तो.. ऐसे ही करो.. और इसको मुँह के अंदर लेने की कोशिश करो..."
स्नेहा तो मस्त होती जा रही थी... उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था..
विकी ने देखा स्नेहा अपने हाथ को उसकी टाँगों के बीच से निकालकर नीचे ले जाने की कोशिश कर रही है.. विकी को समझते देर ना लगी... वो भी तो तड़प रही होगी," एक मिनिट.. कहकर विकी घूम गया और झुकते हुए अपनी कोहनियाँ स्नेहा की जांघों के बीच टीका दी.. स्नेहा की चिकनी चूत अब उसकी पहुँच में थी..
स्नेहा के लिए भी अब आसान हो गया.. लंड उसके मुँह के उपर सीधा लटक रहा था.. उसने अपने होंठ जितना हो सकता था उतने खोले और सूपदे को मुँह में भर लिया...
दोनो 69 की स्थिति में थे.. स्नेहा तो स्नेहा; विकी भी मानो आनंद के असीम सागर में तेर रहा हो.. बड़ी ही नाज़ूक्ता से उसने स्नेहा की जांघों को अपने हाथो से दबाया.. और एक हाथ की उंगली से उसकी चूत की कुँवारी फांकों को अलग करके उनके बीच छुपे हुए छ्होटे से दाने को देखा.. मस्ती से अकड़ा हुआ था.. चूत का रंग अंदर से स्नेहा के होंठो जैसा ही था.. एकद्ूम गुलाबी रंगत लिए हुए.
वह झुका और स्नेहा के 'दाने' को चूसने लगा..
स्नेहा एकद्ूम उच्छल सी पड़ी और इस उच्छलने में लंड सूपदे से कहीं ज़्यादा दूर उसके मुँह में हो आया...
स्नेहा इतनी उत्तेजित होने के बावजूद उसके सबसे अधिक संवेदनशील अंग के साथ छेड़ छाड सहन नही कर पा रही थी.. मस्ती से वा अपनी गांद को इधर उधर मटकाने लगी.. विकी ने भी उसको कसकर दबोच लिया.. और एक मुश्त कयि मिनूटों तक स्नेहा को जन्नत के प्रॅथम दर्शन कराता रहा...
दोनो ही बावले से हो चुके थे.. दोनो एक दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे.. की अचानक एक बार फिर स्नेहा के साथ वही स्थिति एक बार फिर उभर आई.. उसकी टाँगें काँपने लगी.. सारा बदन अकड़ सा गया और अपनी जांघों में उसने विकी का सिर जाकड़ लिया..
विकी को भी हटने की जल्दी ना थी.. स्नेहा की बूँद बूँद को वह मदहोशी के आलम में ही अपने गले में उतार गया...
उधर स्नेहा भी उसके लंड के साथ अब तक बुरी तरह व्यस्त थी... चाट चाट कर, चूस चूस कर... काट काट कर उसने सूपड़ा लाल कर दिया था...
स्नेहा के ढीली पड़ते ही विकी 'अपना' हाथ में लेकर घुटनो के बाल उसके मुँह के पास बैठ गया," तुम्हे भी पीना पड़ेगा...?"
"क्या?" स्नेहा के चेहरे से असीम तृप्ति झलक रही थी...
"यही.. इसका रस.. जो अभी निकलेगा..." विकी का हाथ बड़ी तेज़ी से चल रहा था..
"नही... रहने दो ना... प्लीज़.." स्नेहा ने रिक्वेस्ट की..
" रहने कैसे दूँ.. मुझे भी तो पीला दिया.. ज़बरदस्ती.. टाँगों में सिर भींच कर.."
उन्न पलों को याद करके स्नेहा बाग बाग हो गयी.. फिर शरारत से मुँह बनाते हुए बोली.. "ठीक है... लाओ पिलाओ.." कह कर उसने अपना मुँह खोल लिया...
उसके बाद तो 2 ही मिनिट हुए होंगे.. अचानक विकी रुका और स्नेहा के खुले होंठो में लंड जितना आ सकता था फँसा दिया.. रस की धारा ने स्नेहा का पूरा मुँह भर दिया.. आख़िर कार जब बाहर ना निकल पाई तो मुस्कुराते हुए गटक लिया...
विकी धन्य हो गया... हटा और बेड पर धदाम से गिर पड़ा.. स्नेहा उठी और अपनी चूचियों को विकी की छाती पर दबा कर उसके होंठों को चूमने लगी.. अजीब सी क्रितग्यता उसके चेहरे से झलक रही थी...
इतनी हसीन और कमसिन लड़की को अपनी बाहों में पाकर नशे में होने के बावजूद तैयार होने में विकी को 3-4 मिनिट ही लगे... वह अचानक उठा और स्नेहा को अपने नीचे दबोच लिया.. उसकी आँखों में फिर से वही भाव देखकर स्नेहा मुस्कुराइ," अब क्या है..?"
"अब अंदर..." कहते हुए. विकी ने फिर उसकी जांघें खोल दी.. और हौले हौले टपक रही चूत पर नज़र गढ़ा दी... और एक बार फिर उसको तैयार करने के लिए उंगली और होंठो को काम पर लगा दिया...
स्नेहा भी जल्द ही फिर से फुफ्कारने लगी... लुंबी लुंबी साँसे और योनि छिद्र में फिर से चिकनाई उतर आना इस बात का सबूत था की वो उस असीम आनंद को दोबारा पाने के लिए पहली बार होने वाले दर्द को झेल सकती है...
विकी पंजों के बल बैठ गया और स्नेहा के घुटनो के नीचे से बेड पर हाथ जमकर उसकी जांघों को उपर उठा सा दिया... चूत हूल्का सी रास्ता दिखाने लगी.. विकी ने सूपड़ा 'सही' सुराख पर सेट किया और स्नेहा के चेहरे की और देखने लगा..," एक बार दर्द होगा.. सह लोगि ना...?"
"तुम्हारे लिए...." स्नेहा हमला झेलने के लिए तैयार हो चुकी थी.. अपने पहले प्यार की खातिर...
विकी के भी अब बात बर्दास्त के बाहर थी.. ज़्यादा इंतज़ार वो कर नही सकता था.. सो स्नेहा की जांघों को पूरी तरह अपने वश में किया.. और दबाव अचानक बढ़ा दिया...
स्नेहा के मुँह से तो चीख भी ना निकल सकी.. एक बार में ही सूपड़ा अपना रास्ता अपने आप बनाता हुआ काफ़ी अंदर तक चला गया था.. स्नेहा ने पहले ही अपने मुँह को अपने ही हाथो से दबा रखा था... लंड सर्दियों में जमें हुए मक्खन में किसी गरम चम्मच की तरह घुस गया था.. कुच्छ देर तक विकी ना खुद हिला और ना ही स्नेहा को हिलने दिया.. और आगे झुक कर स्नेहा की छातियो को दबाते हुए उसको होंठो को भी अपने होंठों की गिरफ़्त में ले लिया..
धीरे धीरे 'चम्मच' की गर्मी से 'चूत' का जमा हुआ 'मक्खन' पिघल कर बहने सा लगा.. इश्स चिकनाहट ने दोनो के अंगों को तर कर दिया.. स्नेहा को लगा.. अब हो सकता है तो उसने अपनी गांद उचका कर विकी को सिग्नल दिया...
विकी ने थोड़ा पिछे हट'ते हुए एक बार और प्रहार किया.. इश्स बार अंदर लेने में स्नेहा को उतनी पीड़ा नही हुई..
करीब 5 मिनिट बाद स्नेहा सामान्य हो गयी और अजीब तरह की आवाज़ें निकालने लगी.. ऐसी आवाज़ें जो कामोत्तेजना को कयि गुना बढ़ा दें...
अब दोनो ही अपनी अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रहे थे.. विकी उपर से आता और आनंद की कस्ति पर सवार स्नेहा की गांद नीचे से उपर की और उच्छलती और दोनो की जड़ें मिल जाती.. दोनो एक साथ आ कर बैठते...
आख़िरकार स्नेहा आज तीसरी बार 'आ' गयी... विकी भी आउट ऑफ कंट्रोल होने ही वाला था.. उसने झट से अपना लंड बाहर निकाला और फिर स्नेहा के मुँह के पास जाकर बैठ गया.. जैसे वहाँ कोई स्पर्म बॅंक खोल रखा हो...
स्नेहा ने शरारत से एक बार अपने कंधे 'ना' करने की तरह उचकाए.. और फिर मुस्कुराते हुए अपने होंठ खोल दिए.. उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी... पहले प्यार की चमक!
सुबह विकी उठा तो स्नेहा उसके कंधे पर सिर रखे उसके बलों में हाथ फेरती हुई उसकी ही और देख रही थी.. अपलक!
"तुम कब जागी?" विकी ने हुल्की सी मुस्कान उसकी और फैंकते हुए पूचछा...
"मैं तो सोई ही नही.. नींद ही नही आई..?" नींद और पहले प्यार की खुमारी उसकी आँखों में हुल्की सी लाली के रूप में चमक रही थी.. और उसके चेहरे पर कली से फूल बन'ने का बे-इंतहा नूर था.. विकी ने उसकी आँखों में आँखें डाली तो स्नेहा ने पलकें झुका ली..
"कैसा रहा रात का अनुभव?" विकी ने उसकी और करवट लेते हुए स्नेहा की कमर में हाथ डाल कर अपनी और खींच लिया.. और स्नेहा मुस्कुरा कर उस'से चिपक गयी.....
" हम कहाँ रहेंगे मोहन?" स्नेहा ने उसके गले में अपनी गोरी बाँहें डाल दी..
" मतलब? " विकी ने नज़रें चुरा ली...
"मैं वापस हॉस्टिल नही जाना चाहती.. यहीं रहना चाहती हू.. तुम्हारे साथ.."
विकी ने बात टालने के इरादे से अपने एक हाथ से उसकी चूची को दबाया और उसके होंठो को अपने होंठो में लेने के लिए अपना चेहरा उसकी तरफ बढ़ा दिया..
कामुकता भरे आनंद की लहर स्नेहा के पुर बदन को दावादोल सा कर गयी.. पर वह अगले कदम के बारे में जान'ने को चिंतित थी.. उसने अपना चेहरा सिर झुका कर विकी की छाती में छुपा लिया," बताओ ना मोहन.. अब हम क्या करेंगे.. मुझे वापस तो नही भेजोगे ना? मुझे अब तुमसे दूर नही जाना.."
विकी एक पल के लिए असमन्झस में पड़ गया.. इश्स वक़्त उसको स्नेहा को वादों के जाल में उलझाए ही रखना था.. पर जाने क्यूँ.. स्नेहा के सीधे सवाल का टेढ़ा जवाब देने से वह कतरा रहा था..," पर तुम्हारे पापा.. उनका क्या करोगी..? विकी ने सवाल का जवाब सवाल से ही दिया...
स्नेहा का उम्मीदों से भरा मॅन क्षणिक कड़वाहट से भर उठा..," पापा! हुन्ह... उनकी पैदाइश होने के अलावा हमारा रिश्ता ही क्या रहा है.. मैं 8 साल की तही जब उन्होने मुझे हॉस्टिल में डाल दिया.. आज 11 साल होने को आ गये हैं.. और मुस्किल से 11 बार ही मैने उनका चेहरा देखा है.. मैं उनसे बहुत प्यार करती थी.. हमेशा उनसे मिलने को.. घर जाने को तड़पति रहती थी.. पर उन्होने.. पता नही क्यूँ.. मुझे प्यार दिया ही नही.. कभी हॉस्टिल से घर लेने भी आता तो उनका ड्राइवर.. घर जाकर पता चलता.. देल्ही गये हैं.. बाहर गये हैं.. और मुझे तकरीबन उसी दिन शाम को या अगले दिन वापस भेज हॉस्टिल में फैंक दिया जाता" स्नेहा की आँखों में अतीत में मिली प्यार के अभाव की तड़प के छिपे हुए आँसू जिंदा हो उठे..," सब फ्रेंड्स के मम्मी पापा.. उनसे मिलने आते.. उनको घर लेकर जाते और वो लड़कियाँ आकर घर जाकर की गयी मस्ती को सबको बताती.. सोचो.. मेरे दिल पर क्या बीत-ती होगी.. लड़कियाँ मुझे 'अनाथ' तक कह देती थी.. अगर पापा ऐसे ही होते हैं तो सबके क्यूँ नही होते मोहन.. हम अपने बच्चे को हॉस्टिल नही भेजेंगे.. अपने से कभी दूर नही करेंगे मोहन... मैने महसूस किया है.. बिना अपनों के साथ के जिंदगी कैसी होती है.. फिर भी मैं हमेशा यही सोचती थी की पापा बिज़ी हैं.. पर प्यार तो करते ही होंगे... पर कल तो उन्होने दिखा ही दिया की... मैं सच मैं ही 'अनाथ' हूँ.." कहते हुए स्नेहा का गला बैठ गया.. और दिल की भादास विलाप के रूप में बाहर निकालने लगी...
विकी से उसका रोना देखा ना गया.. चेहरा उपर करके उसके आँसू पौंच्छने लगा... पर दिल उसका भी ज़ोर से धड़क रहा था.. उसके रोने के पिछे असली कारण वही था," अब.. रोने से क्या होगा सानू? सम्भालो अपने आपको... " विकी ने उसको अपनी छाती से चिपका लिया....
" बताओ ना.. हम कहाँ रहेंगे.. कहाँ है अपना घर?" स्नेहा पूरी तरह से विकी के लिए समर्पित हो चुकी थी.. उसके घर को अपना घर मान'ने लगी थी...
" उस'से पहले तुम्हे मेरी मदद करनी पड़ेगी... सानू..!"
" मैं क्या मदद कर सकती हूँ..? मैं खुद अब तुम्हारे हवाले हूँ..!"
" वो तो ठीक है.. पर अगर तुम्हारे पापा को पता चल गया तो मेरी जिंदगी ख़तरे में पड़ जाएगी.. अब तक तो फिर भी हो चुकी होगी... ये पता चलते ही की मैं ठीक ठाक हूँ और तुम मेरे साथ हो.. पोलीस मुझे उठा लेगी.. उसके बाद तुम फिर अकेली हो जाओगी... मुझे जैल मैं भेज देंगे.. और तुम्हारे पापा कभी सच्चाई को सामने नही आने देंगे...." विकी ने अपनी अगले प्लान की भूमिका बाँधी....

स्नेहा सुनकर डर गयी.. उसके पापा 'पॉवेरफूल थे.. और सच में ऐसा कर सकते थे.. स्नेहा के लिए तो विकी उसके बाप का एस.ओ. ही था..," फिर.. अब हम क्या करें मोहन!"
"सिर्फ़ एक ही रास्ता है.. तुम पहले मीडीया में जाकर सच्चाई बता दो.. की तुम्हारे बाप ने ही ये सब किया है.. और ये भी कहना की तुम अब वापस नही जाना चाहती.. फिर कुच्छ दिन तुम्हे छिप कर रहना पड़ेगा..!" विकी ने स्नेहा को वो रास्ता बता दिया जो उसको मंज़िल तक ले जाने के लिए काफ़ी था..
"उसके बाद तो सब ठीक हो जाएगा ना?"स्नेहा को अब भी चिंता सता रही थी..
"हाँ.. उसके बाद हम साथ रह सकते हैं.. खुलकर.." स्नेहा की सहमति जानकर विकी खिल उठा और उसने अपना हाथ स्नेहा की जांघों के बीच फँसा दिया...," पर याद रखना.. तुम्हे मेरा कहीं जिकर नही करना है.. यही कहना की मैं किसी तरह उनके चंगुल से बचकर अपनी किसी सहेली के घर चली गयी थी.. अगर मेरा नाम आया तो वो मुझे ढ़हूंढ लेंगे...!"
"आआहह.. ये मत करो.. मुझे कुच्छ हो रहा है.." अपनी पॅंटी में विकी की उंगलियाँ महसूस करके तड़प उठी...
"तुमने सुन लिया ना..." विकी ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया..
"हां.. बाबा! सुन लिया.. कब चलना है.. मीडीया के सामने..?"
"मैं नही जाउन्गा.. तुम्हे किसी दोस्त के साथ भेज दूँगा.. चिंता मत करो.. मैं आसपास ही रहूँगा.." कहकर विकी उठ गया...
"अब कहाँ भाग रहे हो.. मुझे छेड़ कर..!" स्नेहा ने विकी को बेड पर वापस गिरा लिया और उसके उपर आ चढ़ि... अपनी टाँगें विकी की जांघों के दोनो तरफ रखकर 'वहाँ' बैठ गयी और सामने की और झुक कर अपनी चूचियों विकी की छाती पर टीका दी....
नया नया खून मुँह लगा था.. ये तो होना ही था...
कुच्छ ही देर बाद दोनो के कपड़े बेड पर पड़े थे और दोनो एक दूसरे से 'काम-क्रीड़ा' कर रहे थे.. स्नेहा की आँखों में अजीब सी तृप्ति थी.. 'अपनी मंज़िल' को प्राप्त करने की खुशी में वो भाव विभोर हो उठी थी.. प्यार करते हुए भी उसकी आँखों में नमी थी... खुशी की!

"रिया.. आज वो लड़का नही आया ना...!" क्लास में बैठी प्रिया की नज़रें किसी को ढ़हूंढ रही थी...
"ओहूओ... क्या बात है.. आजकल...."
"ज़्यादा बकवास मत्कर.. पहले तो मेरी फाइल दे दी उस घंचक्कर को .. अब मज़ाक सूझ रहे हैं... आज प्रॅक्टिकल है.. केमिस्ट्री का.. अगर नही आया तो मैं क्या करूँगी.." प्रिया ने मुँह बनाकर अपने चेहरे पर उभर आए शर्मीलेपान को छिपाने की कोशिश की...
"हमारे सामने ही तो रहता है.. घर जाकर माँग लाना..!" रिया ने चुटकी ली.. उसको पता था की उसके घर में ये सब नही चलता....
"तू पागल है क्या..? मैं उसके घर जाउन्गि? मरवा दे मुझे!....... तू ले आना अगर हिम्मत है तो!" प्रिया ने रिया को झिड़कते हुए कहा...
"मैं तो कभी ना जाउ? हां.. वीरेंदर को कह सकती थी पर आज तो वो भी नही दिख रहा..
तभी क्लास में सर आ गये और उनकी गुफ्तगू बंद हो गयी
दोस्तो इधर मुरारी का क्या हाल हो रहा है ज़रा इसे भी देंखे ......
" मे आइ कम इन सर?" 22-23 साल की चुलबुली सी एक छर्हरे बदन की युवती ने मुरारी से अंदर आने की इजाज़त माँगी...
"आओ जान ए मंन.." मुरारी खुश लग रहा था..
" सर.. देल्ही से पांडे जी का फोन है.." कहकर वो वापस चली गयी..
"नशे में होने के बावजूद मुरारी खुद को रिसीवर उठाकर खड़ा होने से ना रोक पाया," जैहिन्द सर..!"
" ये क्या तमाशा है मुरारी..? तुम्हारी बेटी तो सही सलामत है..?" उधर से गुर्राती हुई आवाज़ आई..
मुरारी चौंके बिना ना रह सका.. उसने तो स्नेहा को मना किया था.. किसी को भी कुच्छ भी बताने से.. फिर बात देल्ही तक कैसे पहुँच गयी...," हां.. हां सर.. मैं अभी आपको फोन करने ही वाला था.. ववो स्नेहा का फोन ..आया था.. अभी अभी.. बस उस'से ही बात कर रहा था.. वो.. किसी ने अफवाह फैलाई थी.. सर... मैं आपको बताने ही वाला था.."
"अच्च्छा.. अफवाह फैलाई थी.. ज़रा एक बार टीवी ऑन करके इब्न7 देखो.. तुम्हारी अकल ठिकाने आ जाएगी.. हाउ मीन यू आर!" कहकर पांडे ने फोन काट दिया..
टी.वी. तो पहले ही ऑन था.. बस चॅनेल ज़रा दूसरा था.. एफटीवी! मुरारी ने हड़बड़ाहट में चॅनेल सर्च करने शुरू किए.. जैसे ही इब्न& स्क्रीन पर आया.. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी.. उसकी बेटी जैसी लड़की टीवी पर थी... अर्रे हाँ.. वही तो थी..!
मुरारी को एकदम ऐसा अहसास हुआ मानो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी हो... वो खड़ा ना रह सका और धम्म से सोफे पर आ गिरा...
स्नेहा बार बार टीवी स्क्रीन पर वो बातें कह रही थी.. जिनको वो 100% सच मान रही थी.. उसके बाप का उसको घूमकर आने के लिए कहने से लेकर बाप के गुण्डों से बचकर वहाँ तक आने की.... कुच्छ ही बातों में मिलावट थी.. जैसे उसको नही पता की ड्राइवर कहाँ है.. और वो अब अपनी किसी पुरानी सहेली के पास रह रही है..
"अब मैं आपको वो रेकॉर्डिंग सुनाती हूँ.. जो मेरे फोन में डिफॉल्ट सेट्टिंग होने की वजह से सेव हो गयी.... मेरे पापा ने मेरे पास कॉल की थी.." कहते हुए स्नेहा बीच बीच में सूबक रही थी.. और न्यूज़ रीडर बार बार उसको धैर्य रखने की गुज़ारिश कर रही थी..
रेकॉर्डिंग सुनकर मुरारी का चेहरा लाल हो गया.. उसके द्वारा कही गयी बातें जाने अंजाने मुरारी की और ही उंगली उठा रही थी.. बेशक उसके दिमाग़ में ये ख़याल बहुत बाद में.. विरोधी पार्टियों की तरफ से धमकी भरे फोन आने के झूठे आरोपों को सच साबित करने के उद्देश्या से आया था...
चॅनेल वाले टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में बाल की खाल उतारने में लगे थे.. टीवी स्क्रीन पर नीचे लगातार फ्लश हो रहा था.. " मुरारी या दुराचारी! एक्सक्लूसिव ऑन इब्न7"
" स्नेहा जी.. कहीं इसमें आपका ड्राइवर भी तो शामिल नही है..?" आंकर ने सवाल किया...
"नही.. मैं आपको बता ही चुकी हूँ की उन्होने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी.. मुझे बचाने की.. पर वो उसको भी मेरे साथ ही डाल कर ले गये.. फिर उसने वहाँ से निकालने में भी मेरी मदद की... बाकी रेकॉर्डिंग से सब कुच्छ सॉफ है.."
आंकर ने नहले पर दहला ठोंका..," पर रेकॉर्डिंग मैं तो आप कह रही हैं कि आप ड्राइवर के साथ ही हैं... और अब आप कह रही हैं की आपको ड्राइवर के बारे में नही पता.. वो कहाँ है.. इसकी वजह?"
स्नेहा एक पल को सकपका गयी.. पर जल्द ही संभालते हुए बोली...," वो.. वो मैने तब झूठ बोला था.. ताकि पापा मेरी लोकेशन के बारे में आइडिया ना लगा पायें..!"
" पर अगर गुंडे आपके पापा ने ही भेजे थे.. तो उनको तो मालूम होना चाहिए था कि ड्राइवर उनके गुण्डों के ही पास है.. फिर उन्होने आपसे पूचछा क्यूँ?" आंकर ने एक और बआउन्सर मारा...
ये सवाल सुनकर मुरारी के चेहरे पर हूल्का सा सुकून आया.. ," इश्स लौंडिया को तो सीबीआइ में होना चाहिए.." उसके मुँह से निकला..
" ये सवाल आप मेरे पापा से ही करें.. उन्होने क्यूँ पूचछा..? या फिर हो सकता है.. वो भी मेरे बाद बच निकलने में कामयाब हो गये हों.. इसीलिए उन्होने फोन किया हो..?"

" तो देखा आपने.. हमारे देश की राजनीति किस कदर गिर चुकी है.. चंद वोटों की खातिर जो नेता.. अपनी इतनी प्यारी बेटी तक को दाँव पर लगाने से नही चूकते.. उनके लिए आप और हम जैसे इंसानो की क्या कीमत है.. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं.. बहरहाल.. हम मुरारी से कॉंटॅक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.. तब तक लेते हैं एक छ्होटा सा ब्रेक.. आप देखते रहिए.. आज की सबसे सनसनीखेज वारदात.. ' मुरारी या दुराचारी ' सिर्फ़ और सिर्फ़ इब्न पर.. जाइएगा नही.. अभी और भी खुलासे होने बाकी हैं.. मिलते हैं ब्रेक के बाद!"
पागल से हो उठे मुरारी ने टेबल पर रखी बोतल टीवी पर दे मारी.. स्क्रीन टूट कर टीवी से धुंवा निकलने लगा.. हड़बड़ाहट में मुरारी ने पांडे के पास फोन मिलाया...
" प्पंडे जी.. सब बकवास है.. झूठह है.. मेरे खिलाफ बहुत बड़ी साजिस हो रही है.. विरोधियों की और से..."
" व्हाट दा हेल आर यू टॉकिंग अबौट.. ये मुहावरा बहुत पुराना हो गया मुरारी.. मत भूलो की स्क्रीन पर तुम्हारी अपनी बेटी है.. जो तुम्हारे शड्यंत्रा का खुलासा कर रही है... अब हो सके तो जल्दी से अपनी बेटी को अपने कंट्रोल में लो.. वरना आप कल से पार्टी में नही हैं.. आप जैसे आदमी की वजह से हम पार्टी की छवि को नुकसान नही पहुँचा सकते..!" पार्टी आलाकमान का गुस्सा सातवें आसमान पर था..
"सर.. सुनिए तो.. वो.. वो मेरी बेटी नही है... मैं ये बात प्रूव कर सकता हूँ.. मैं वो डीएनए पीएनए के लिए भी तैयार हूँ. सर.. वो मेरी बीवी की नाजायज़ औलाद है.. साली कुतिया.. अपनी मा पर गयी है.. मादर चोद.. बिक गयी! वो मेरा खून नही है सर.." मुरारी अनाप शनाप जाने क्या क्या उगले जा रहा था..
"माइंड उर लॅंग्वेज.. मुरारी! वी हॅव नतिंग टू डू व्ड उर पास्ट ऑर वॉटेवर यू आर टॉकिंग अबौट.. जस्ट ट्राइ टू टेक बॅक उर चाइल्ड इन उर फेवर ओर बी रेडी टू बी किक्ड आउट...!" कहकर पांडे ने पटाक से फोन काट दिया..

काफ़ी देर से वो दरवाजे पर खड़ी मुरारी की कॉल के ख़तम होने का इंतज़ार कर रही थी... जैसे ही कॉल डिसकनेक्ट हुई.. उसने अंदर आने की इजाज़त माँगी," मे आइ कम इन,सर?"
"तू.. साली कुतिया.. यहाँ खड़ी होकर क्या सुन रही है..? बेहन्चोद.. अंदर आ.."
शालिनी डर के मारे काँपने लगी.. 2 दिन पहले ही उसने मुरारी के ऑफीस को जाय्न किया था.. यूँ तो ऑफीस के हर एंप्लायी को मुरारी की चरित्रहीनता का पता था.. पर नौकरी का लालच और सुन्दर और कुँवारी लड़कियों को अच्च्ची तनख़्वाह देने का मुरारी का रेकॉर्ड लड़कियों को वहाँ खींच ही लाता था.. वैसे भी मुरारी ऑफीस में 5-6 महीनों से ज़्यादा किसी लड़की को रखता नही था...," सर्र.. वो.. इब्न7 से बार बार आपके लिए कॉल आ रही है.." शालिनी सूखे पत्ते की तरह थर थर काँपती थोडी सी अंदर आकर खड़ी हो गयी...

" उन्न बेहन के लोड़ों को तो मैं बाद में देख लूँगा.. पहले तू बता.. क्या सुन रही थी.. छिप कर..!" मुरारी खड़ा होकर शालिनी के पास गया और उसका गिरेबान पकड़ कर खींच लिया.. शर्ट का एक बटन टूट कर फर्श पर जा गिरा.. शालिनी की सफेद ब्रा शर्ट में से झलक उठी..
" कुच्छ.. नही सर्र.. मैने कुच्छ नही सुना.. म्म्मै तो अभी आई थी.. प्लीज़ सर.. मुझे माफ़ कर दीजिए.. आइन्दा ऐसी ग़लती नही होगी..." शालिनी ने मुरारी के मुँह से आ रही तेज बदबू से बचने के लिए अपना चेहरा एक तरफ करके अपना हाथ उपर उठाया और.. उसके और मुरारी के चेहरे के बीच में ले आई...
मुरारी ने शालिनी का वही हाथ पकड़ा और उसको मोड़ दिया.. दर्द के मारे वो घूम गयी.. उसकी गांद मुरारी की जांघों से सटी हुई थी..," आ.. छ्चोड़ दीजिए सर.. प्लीज़.. मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ...
अब तक शालिनी के कुंवारे और गरम खून की महक पाकर मुरारी की आँखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे..," छ्चोड़ दूं.. साली.. कुतिया.. तुझे छ्चोड़ दूँगा तो क्या तेरी मा को चोदुन्गा... च्छुपकर बात सुन'ने की सज़ा तो तुझे मिलेगी ही.." कहते हुए मुरारी ने उसको ज़ोर से धक्का दिया और संभालने की कोशिश करती हुई सी शालिनी बेड के कोने पर जा गिरी..
तुरंत ही उठते हुए उसने जहाँ से बटन टूटा हुआ था.. वहाँ शर्ट को अपने हाथ से पकड़ लिया.. और गिड़गिदाने लगी..," मैं बर्बाद हो जाउन्गि सर्र.. मुझे नही करनी नौकरी.. आप मुझे जाने दीजिए प्लीज़.. जाने दीजिए.." जो कुच्छ होने वाला था.. उसकी कल्पना करके ही शालिनी सिहर उठी.. और फफक कर रोने लगी...
"चुप कर कुतिया.. ज़्यादा नाटक मत कर.. नही तो कभी वापस नही जा पाएगी... तू मेरी बातें सुन्न'ने की हिम्मत करती है.. मुरारी की बातें.." मुरारी ने कहते हुए उसके बालों को पकड़ कर उपर की और खींच लिया.. असहाय सी हो उठी शालिनी की आइडियान दर्द को कम करने की खातिर उपर उठ गयी.. तब भी बात नही बनी तो उसके हाथ उपर उठकर अपने बालों को नीचे की और खींचने लगे...," प्लीज़.. सर.. मैं मर जाउन्गि.. मुझे जाने दो...!"
मुरारी ने एक बार फिर उसकी शर्ट को पकड़ कर खींचा और शर्ट पर उसकी इज़्ज़त के रखवाले बटन दम तोड़ गये.. फटी हुई शर्ट में शालिनी का कमसिन बदन दारू के नशे में और इज़ाफा कर रहा था... बाल खींचे होने की वजह से वो बैठकर अपने आपको छुपा भी नही सकती थी.. असहाय खड़ी थी.. बिलबिलाते हुए.. बिलखते हुए...
"इसको खोल साली..! वरना इसे भी फाड़ दूँगा.." नशे में टन मुरारी ने शालिनी की ब्रा में हाथ डाल दिया... उसकी चूची पर उभरा हुआ मोटा दाना मुरारी की उंगलियों से टकरा कर सहम गया... मुरारी अपनी बेटी का गुस्सा उस बेचारी पर निकाल रहा था....
"प्लीज़ सर.. मेरे बाल छ्चोड़ दीजिए.. बहुत दर्द हो रहा है..." शालिनी चीख सी पड़ी...
"ब्रा निकल पहले.. नही तो उखाड़ दूँगा सारे..?" मुरारी ने बालों को और सख्ती से खींच लिया..
"अया.. निकालती हूँ.. सर.. भगवान के लिए.. प्लीज़.. एक बार छ्चोड़ दीजिए बाल.. अया.."
मुरारी ने झटका सा देते हुए उसके बालों को छ्चोड़ दिया... और जाकर दरवाजा बंद कर दिया..
शालिनी ने एक बार अपनी नज़रें उठाकर मुरारी की तरफ इस तरह देखा जैसे कोई मासूम हिरण शेर के पंजों से घायल होकर उसके पैरों में पड़ा हो और अपनी जिंदगी की भीख माँग रहा हो.. पर मुरारी पर इसका कोई फ़र्क़ नही पड़ा.. वह शेर थोड़े ही था.. वह तो भेड़िया था.. जो बिना भूख लगे भी शिकार करते हैं.. सिर्फ़ शिकार करने के लिए.. अपनी कुत्सित राक्षशी भावनाओ की तृप्ति के लिए..," निकालती है साली या खींच कर फाड़ दूं..."
और कोई रास्ता बचा भी ना था... शालिनी ने पिछे हाथ लेजाकार ब्रा के हुक खोल दिए.. ब्रा ढीली होकर नीचे सरक गयी.. उसने झुक कर 50 साल के राक्षस के सामने नंगे खड़े अपने जिस्म को देखा और फूट फूट कर रोने लगी...
" क्या री शालिनी तेरी चूचियाँ तो बड़ी मस्त हैं.. क्या मसल्ति है इन्न पर!" शालिनी के क्रंदन से बेपरवाह मुरारी ने आगे बढ़कर ब्रा को खींचकर निकाल दिया और उसकी मस्त कबूतरों जैसी गोरी चूचियों को बारी बारी से मसालने लगा... शालिनी को चक्कर आ रहे थे.. मुरारी इतनी कामुकता से उनको मसल रहा था की यदि उसकी जगह उसका 'रोहित' होता तो नज़ारा ही कुच्छ और होता.. जिसको उसने आज तक खुद को उनके पास फटकने तक नही दिया था... शालिनी के लगातार बह 5रहे आँसुओं से उसकी चूचियाँ गीली हो गयी थी...
"चल जीन्स खोल..! तेरी चूत भी इनकी तरह करारी होगी.. शेव कर रखी है या नही.... अगर..." मुरारी का वाक़या अधूरा ही रह गया.. दरवाजे पर जोरों से खटखट होने लगी...
"कौन है मदर्चोद.. किसने हिम्मत की दरवाजे तक आने की.." उसने फोन उठाकर गार्ड को फोन मिलाया.. पर किसी ने फोन नही उठाया..!
" आबे... कहाँ अपनी मा का.. कौन है बे.. चल फुट..." पर दरवाजे पर खटखट की आवाज़ बढ़ती ही गयी...," तू रुक एक बार.. साले बेहन के..." दरवाजे के खुलते ही मुरारी का सारा नशा उतर गया.. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी...... अधूरी बात उसने अपने गले में थूक के साथ गटक ली.. और दरवाजा बाहर से बंद करते हुए निकल गया...
" वी आर फ्रॉम सी.आइ.ए. भिवानी मिस्टर. मुरारी, दुराचारी और वॉटेवर.. यू आर अंडर अरेस्ट.." 3 सिपाहियों और एक ए.एस.आइ. के साथ खड़े इनस्पेक्टर ने उसका स्वागत किया...
मुरारी फटी आँखों से उसको देखता रहा.. फिर संभालते हुए बोला..," तू जानता तो है ना मैं कौन सू!" मुरारी ने बंदर घुड़की दी...
" हां.. कुच्छ देर पहले टी.वी. पर देखा था.. कुत्ते से भी गया गुजरा है तू.. लानत है 'बाप' के नाम पर.. पर तू शायद मुझे नही जानता.. मुझे टफ कहते हैं.. टफ.. चल थाने.. बाकी की कुंडली वहाँ सुनता हूँ.. डाल लो इसको.." टफ ने सिपाहियों की और इशारा किया....
"एक मिनिट.. तुम तो भिवानी से हो.. तुम मुझे कैसे अरेस्ट कर सकते हो..?" मुरारी उसकी टोन से बुरी तरह डर गया था..
"अबबे चुतिये.. हिन्दी समझता ही नही है.. सालो.. इतने क्राइम करते हो.. तो थोड़ा सा जी.के. भी रखा करो.. किडनॅपिंग वाला नाटक तूने वही रचाया था ना.. तो क्या पोलीस लंडन से आएगी.. भूतनि के..." कहकर टफ ने उसको सिपाहियों की और धकेला.. और जाने के लिए वापिस मूड गया....

"मुझे बचाओ प्लीज़.. मुझे यहाँ से निकालो.." दरवाजा अंदर से थपथपाया गया तो टफ चौंक कर पलटा.. एक पल भी बिना गँवाए उसने दरवाजा खोल दिया.. और अंदर का द्रिस्य देखकर चौंक पड़ा..
फर्श पर शराब की बोतल टूटी पड़ी थी.. टीवी का स्क्रीन टूटा हुआ था... और टफ की आँखों के सामने आँखें झुकाए अपनी फटी हुई शर्ट को अपने बदन पर किसी तरह लपेटे खड़ी शालिनी भी जैसे टूटी हुई ही थी.. उसके बॉल बिखरे पड़े थे और बदहवास सी लगातार बह रहे अपने आँसुओं को अपनी आस्तीन से पौंच्छने की कोशिश कर रही थी..
"ओह्ह्ह.. एक मिनिट.." टफ लगभग भागते हुए अंदर गया और बेड की चादर खींच कर शालिनी के बदन को ढक दिया...
"ये सब क्या है?" टफ ने सिपाहियों के साथ जा रहे मुरारी को आवाज़ लगाकर वापस बुला लिया," अंदर लाओ इसको!"
मुरारी विकी के बिच्छाए जाल, अपनी नियत और नियती के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फँस गया था.. हमारी मीडीया आजकल एकमात्र अच्च्छा काम यही कर रही है कि वो मुद्दों को इस तरह उठाती है जैसे इस-से पहले ऐसा कभी नही हुआ... और उनके द्वारा दिखाई गयी खबर पर अगर प्रसाशण तुरंत कार्यवाही नही करता तो वे प्रायोजित करना शुरू कर देते हैं की सब मिले हुए हैं.. बड़ी मछ्लियो के मामले में तो वो खास तौर पर ऐसा करते हैं.. बेशक ऐसा वो अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए करते हैं.. पर आज उनके दिखाए टेलएकास्ट से कम से कम जो एक अच्च्छा काम हुआ वो ये.. की बेचारी शालिनी की इज़्ज़त तार तार होने से बच गयी.. देल्ही में बैठे पार्टी के आला नेताओ ने पार्टी की छवि बचाने के लिए अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही का दबाव बनाया और उसका ही नतीजा था.. की भिवानी पोलीस डिपार्टमेंट में हाल ही में प्रमोशन पाकर इनस्पेक्टर बने सबसे काबिल और दबंग टफ को ये काम सौंपा गया....
"ये क्या है मुरारी..?" टफ को लगा शालिनी बात करने की हालत में नही है... इसीलिए मुरारी से ही पूच्छ लिया...
" कुच्छ नही है.. ये.. कुच्छ भी नही.. बस.. वो इसकी शर्ट उलझ कर फट गयी थी.. तो उससे बदलने ये मेरे बाथरूम में गयी होगी... है ना बेटी!"
शालिनी ने आगे बढ़ कर एक जोरदार तमाचा उसके मुँह पर रसीद दिया..और फुट पड़ी," हराम्जादे, कुत्ते.. तुझे पता भी है की बेटी क्या होती है... कामीने.. तुझसे ज़्यादा गिरा हुआ इंसान मैने अपनी जिंदगी मैं नही देखा.. थ्हू..!" शालिनी के मुँह से थ्हूक के रूप में निकली बद्दुआ मुरारी के बदसूरत चेहरे पर जाकर चिपक गयी...
" यहाँ सिटी थाने का नंबर. क्या है.. ज़रा पूच्छ कर बताओ!" टफ क़ानूनी तौर पर इश्स मामले को डील नही कर सकता था.... इसीलिए ए.एस.आइ. को उसने रोहतक सिटी में कॉंटॅक्ट करने को कहा...
कुच्छ देर बाद विकी ने सिटी थाना इंचार्ज को फोन किया..
"सिटी थाना रोहतक से हवलदार ब्रिज्लाल, बताइए क्या सेवा करें.." फोन पर एक रॅटी रटाई सी आवाज़ निकली..
" मैं भिवानी सी.आइ.ए. स्टाफ से इनस्पेक्टर अजीत बोल रहा हूँ.. एस.एच.ओ. साहब से बात करवायें ज़रा..
" जैहिन्द जनाब.. अभी करवाता हूँ.. कहकर ब्रिजलाल ने लाइन फॉर्वर्ड कर दी..
"हेलो!"
" मैं भिवानी सी.आइ.ए. स्टाफ से इनस्पेक्टर अजीत बोल रहा हूँ.. आपके यहाँ से मुरारी जी को अरेस्ट करके ले जा रहा था.. यहाँ कुच्छ और भी पंगा है.. आप आ जाइए ज़रा... लेडी स्टाफ को लाना मत भूलना" टफ ने उसकी पहचान जाने बिना ही अपनी बात पूरी कर दी..
"क्यूँ क्या हुआ..? मुरारी जी अरेस्ट हो गये..?" विजेंदर चौंक कर चेर से खड़ा हो गया..
"हां.. मुरारी जी अरेस्ट हो गये.. और हो सकता है की आज रात इन्हे आप ही की सेवा की ज़रूरत पड़े.. आप आ जाइए..!" टफ ने मुरारी को कड़वाहट से देखते हुए कहा.. वो सहमा हुआ था.. पर विजेंदर के पास रहने की सोच कर उसके चेहरे पर रौनक सी आ गयी... वो तो उसका ही पाला हुआ कुत्ता था...
"ठीक है.. हम अभी आते हैं.. कहकर विजेंदर ने फोन रख दिया और हड़बड़ाहट में चलने की तैयारी करने लगा...

वहाँ पहुँचते ही विजेंदर सारा माजरा समझ गया.. मुरारी रह रह कर उसकी और कुच्छ इशारा सा करने की कोशिश कर रहा था.. पर विजेंदर ने उसकी और देखा ही नही..
पूरी बात सुन्न'ने के बाद विजेंदर बोला..," तब तो आज आपको इसकी कस्टडी हमें देनी होगी.. हम दोनो को लेजाकर लड़की के बयान लिखवा लेते हैं.. अगर ज़रूरत पड़ी तो इसको सुबह कोर्ट में पेश कर देंगे.. आप वहाँ से इनकी कस्टडी ले लेना..
"ओके सर.. हम कल मिलते हैं....!" कहकर टफ ने विजेंदर से हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ाया ही था कि अब तक चुप चाप खड़ी शालिनी चीख उठी...," नही.. मैं इनके साथ नही जाउन्गि.. ये तो यही पड़े रहते हैं हमेशा.. इस कुत्ते के पास...!"
शरम के मारे विजेंदर की आँखें झुक गयी..," ऐसी बात नही है मेडम.. ड्यूटी ईज़ ड्यूटी.." उसने शालिनी को आसवस्त करने की कोशिश की...
" नही प्लीज़.. मुझे इनके भरोसे छ्चोड़ कर मत जाइए.. मेरे बयान यहीं लिख लीजिए और मुझे जाने दीजिए...
" देखो बेटी. ऐसा हो नही सकता है.. आपको थाने चलना ही पड़ेगा...!" विजेंदर ने अपने गले का थूक गटका..
टफ अब तक स्थिति को समझ गया था," क्यूँ नही हो सकते सर..? यहाँ बयान क्यूँ नही हो सकते..? क्या मैं जान सकता हूँ..?"
"इधर तो आओ यार एक बार.." विजेंदर ने टफ का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले जाने की कोशिश की..
"नही.. मैं इधर उधर नही जाता... आप यहीं लड़की के बयान लिखिए और इसको जाने दीजिए.. आज मुरारी आप का मेहमान है.. जी भर कर खातिरदारी करना.. कल इसकी सारी दूध दही मैं बाहर निकाल दूँगा..." टफ ने अपनी पोलीस कॅप सिर पर रखते हुए अपने इरादों का परिचय दिया...
विजेंदर कुच्छ ना बोला.. और मुंशी को जीप से कागजात उठाकर लाने को कहा..," हां बोलिए मेडम.. क्या शिकायत है..." उसके बोल में रूखापन सॉफ झलक रहा था...
शालिनी के बयान लिखवाने के बाद टफ उसकी और मुखातिब हुआ..," तो शालिनी जी.. आप घर जा सकती हैं.. या हम आपको छ्चोड़ कर आयें..."
शालिनी सुबकने लगी... कुच्छ देर बाद संभाल कर बोली..," मेरा घर नही है.. मैं तो महिला आश्रम में रहती हूँ.."
"यार ये सारे किस्मत के मारे रोहतक में ही रहते हैं क्या.." टफ मंन ही मंन बुदबुडाया.. फिर प्रत्यक्ष में बोला," ओह्ह.. आइ मीन.. वहाँ छ्चोड़ देते हैं.. या कोई और प्राब्लम है..?"
" वहाँ से इनके लिए लड़कियाँ और औरतें भेजी जाती हैं.. वहाँ तो ये कुच्छ भी करा सकते हैं.." शालिनी ने नज़रें झुकाए हुए ही जवाब दिया..
टफ के जी मैं आया.. वहीं पर मुरारी का राम नाम कर दे.. पर आजकल वो क़ानून से कुच्छ ज़्यादा ही बँध गया था.. सीमा ने उसको कितना बदल दिया," साला कुत्ता!" कहते हुए टफ ने फोन निकाला और सीमा के पास फोन मिलाया..,"
" मिल गयी फ़ुर्सत तुम्हे.. सुबह से फोन लगा रही हूँ.. उठा क्यूँ नही रहे.." सीमा के बोल में प्यार और गुस्सा.. दोनों महक आ रही थी.. और दोनो बड़ी लाजवाब थी...
" तुम्हारी एक सहेली घर आ रही है.. अपनी तैयारी कर लेना.. बाद में मत कहना बताया नही.." टफ का इंस्पेक्टोरी लहज़ा गायब होकर 'म्याउ' हो गया
" क्या.. कौन.. कब?" सीमा ने चहकति हुई आवाज़ में जाने कितने सवाल दाग दिए...
" अभी रोहतक मैं हूँ.. करीब 2 घंटे लगेंगे.. आने में.. बाकी बाद में..."
"सुनो.. सुनो.. सुनो.." सीमा बोलती रह गयी और टफ ने फोन काट दिया...
" मेरे साथ मेरे घर चलने में तो कोई प्राब्लम नही है ना.. मेरी पत्नी भी यहीं से हैं.. रोहतक से..
शालिनी ने नज़रें उठाकर टफ को क्रितग्यता की द्रिस्ति से देखा.. किस्मत के मारे चेहरे पर खुशी की सहमति की हल्की सी मुस्कान उभर आई...
टफ ने विजेंदर से कंप्लेंट की रिसीविंग ली, कुच्छ और खाना पूर्ति की और ,"अच्च्छा तो जनाब.. हम चलते हैं.. जैहिन्द!" कहकर गाड़ी की और चल पड़ा..... शालिनी उसके पिछे पिछे चल दी और गाड़ी में बैठ गयी....
"यार... तुझसे एक मदद चाहिए थी..." विकी ने स्नेहा से अलग होते हुए टफ को फोन किया...
"बोल मेरे यार... जान दे दूँ???" टफ शालिनी को लेकर घर की और चला ही था...
"वो तूने न्यूज़ तो देखी ही होगी.. मुरारी कांड!" विकी ने अपना सिर खुजलाया... वो समझ नही पा रहा था बात कहाँ से शुरू करे!
"सच में यार.. मुरारी जैसे घटिया लोग कैसे राजनीति में बने रहते हैं.. इतना बकवास आदमी मैने आज तक नही देखा.. कल साले की अकल ठिकाने लगा दूँगा..!" टफ ने कहते हुए कनखियों से शालिनी की और देखा.. हालाँकि कपड़े चेंज करने के बाद वो काफ़ी हद तक नॉर्मल महसूस कर रही थी पर उसकी आँखें अब भी सहमी हुई थी.. दूध का जला छाछ को भी फूँक फूँक कर पीता है..
"अकल ठिकाने लगा देगा मतलब...??? तुम उसको पर्सनली जानते हो क्या?" विकी को उसकी बात कुच्छ अटपटी सी लगी...
"मैं ऐसे कुत्तों से इत्तिफाक नही रखता.... दरअसल उसका केस मुझे ही हॅंडोवर किया हुआ है....." और विकी ने टफ को बीच में ही रोक दिया," क्याअ????"
"हां.. उसकी चाँदी का माप मुझे ही लेना है... खैर छ्चोड़.. तू बता.. किसलिए फोन किया..?" टफ ने काम की बात पर आते हुए कहा...
"नही.. कुच्छ नही.. बस ऐसे ही याद कर लिया था... अच्च्छा अब रखता हूँ... बाहर कोई है शायद..." कहकर विकी ने तुरंत फोन काट दिया...
"अजीब आदमी है.. अब तो कह रहा था की कुच्छ काम है.." मंन ही मंन बड़बड़ाते हुए टफ ने गाड़ी अपने घर की पार्किंग में घुसा दी... वहाँ सीमा उनका बेशबरी से इंतज़ार कर रही थी...

अंदर जाने पर सीमा ने मुस्कुरकर शालिनी का स्वागत किया.. उसकी आँखें अतीत में जाकर सामने खड़ी उस हमउम्र लड़की को पहचान'ने की कोशिश करती रही.. दूसरी और शालिनी दरवाजे से अंदर जाकर नज़रें झुककर खड़ी हो गयी....
"अरे आओ ना.. अंदर आओ.. यहाँ बैठहो.. आराम से...
शालिनी चुपचाप सोफे पर बैठ गयी...
"क्या तुम मुझे जानती हो?" पानी का ग्लास शालिनी की और करते हुए सीमा ने पूचछा.. टफ कपड़े चेंज करने अंदर चला गया था....
शालिनी ने 'ना' में अपना सिर हिला दिया.. और सिर झुकाए ही रही...
सीमा असमन्झस में पड़ गयी.. कुच्छ देर बैठहे रहने के बाद वो 'एक मिनिट' कह कर अंदर चली गयी," हां जी.. मुझे तो ये आपकी सहेली लगती है कोई.. क्या चक्कर है? ना मैं इसको जानती हूँ.. और ना ये मुझे!" सीमा अपने कुल्हों पर हाथ रखकर शरारती अंदाज में मुस्कुराती हुई कपड़े बदल रहे टफ के सामने खड़ी हो गयी...
" बताता हूँ..." कहकर टफ ने अपनी पॅंट उपर की और रोहतक में जो कुच्छ घटा सब सीमा को बता दिया...
"ओह माइ गॉड..! आपने बहुत अच्च्छा किया जो इसको यहाँ ले आए.. कहकर सीमा टफ के गले लग गयी...
"आहा.. आराम से.. आदित्या का कुच्छ ख़याल है की नही.." टफ ने उसको बाहों में भर लिया...
"आदित्या नही.. वैशाली होगी.. मा को ज़्यादा पता होता है.. हां!" कहकर सीमा अलग हट कर नीचे झुक कर अपने हुल्के से उभरे हुए पेट को सहलाने लगी.. और एकद्ूम पलटकर बाहर चली गयी...
"आ अंदर बेडरूम में बैठते हैं.." सीमा ने शालिनी का हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले गयी....




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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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hello dosto main yaani aapka dost raj sharma fi haajir hun vikki our sneha ke pyaar ki aage ki kahani lekar ...... ab aage .....
Thhoda sa hichakte huye sneha ne apne hath mein pakde lund ko neeche jhukaya aur apne honton se chhua diya.. aur fir honton par jeebh ferte huye usko door kar diya...
"kya hua?" vicky tadap sa uthha aur khud hi neeche jhuk kar wapas uske honton se bhidaane ki koshish karne laga..
"kuchh nahi.. ajeeb sa lag raha hai..." ab sneha khul gayi thhi.. poori tarah...
" achchha nahi lag raha kya..?" bechaini se vicky ne poochha...
bina koyi jawab diye.. sneha ne apne honton ko aadha khola aur supade ke agle bhaag ko honto mein daba liya.. aur vicky ki aur dekhne lagi..
vicky ko pahli baar itna aanand aaya thha ki uski aankhein band ho gayi..," aaaah.. "
"achchha lag raha hai...?" ab ki baar sneha ne poochha...
"haaan..." jeebh nikal kar chato na.. pls..." vicky karah uthha.. anand ke maare..
sneha ko koyi aitraaj na hua.. usko ye jaankar bahut khushi huyi ki vicky ko achchha lag raha hai.. apni jeebh nikali aur lund ki jad se lekar supade tak neeche se chaat'ti chali gayi...
"aaaahhhh.. maar daalogi.. tum toh.. aise hi karo.. aur isko munh ke andar lene ki koshish karo..."
sneha toh mast hoti ja rahi thhi... usko bhi bahut maja aa raha thha..
vicky ne dekha sneha apne hath ko uski taangon ke beech se nikalkar neeche le jaane ki koshish kar rahi hai.. vicky ko samajhte der na lagi... wo bhi toh tadap rahi hogi," ek minute.. kahkar vicky ghoom gaya aur jhukte huye apni kohniyan sneha ki jaanghon ke beech tika di.. sneha ki chikni choot ab uski pahunch mein thhi..
sneha ke liye bhi ab aasan ho gaya.. lund uske munh ke upar seedha latak raha tha.. usne apne hont jitna ho sakta tha utne khole aur supade ko munh mein bhar liya...
dono 69 ki sthiti mein thhe.. sneha toh sneha; vicky bhi mano aanand ke aseem sagar mein tair raha ho.. badi hi najukta se usne sneha ki janghon ko apne hathhon se dabaya.. aur ek hath ki ungali se uski choot ki kunwari faankon ko alag karke unke beech chhupe huye chhote se daane ko dekha.. masti se akada hua tha.. choot ka rang andar se sneha ke honton jaisa hi thha.. ekdum gulabi rangat liye huye.
wah jhuka aur sneha ke 'daney' ko choosne laga..
sneha ekdum uchhal si padi aur iss uchhalne mein lund supade se kahin jyada door uske munh mein ho aaya...
sneha itni uttejit hone ke bawjood uske sabse adhik sanwedansheel ang ke saathh chhedchhaad sahan nahi kar pa rahi thi.. masti se wah apni gaand ko idhar udhar matkane lagi.. vicky ne bhi usko kaskar daboch liya.. aur ek musht kayi minuton tak sneha ko jannat ke prathham darshan karata raha...
dono hi baawle se ho chuke thhe.. dono ek dusre ka bharpoor sath de rahe thhe.. ki achanak ek baar fir sneha ke sath wahi sthiti ek baar fir ubhar aayi.. uski taangein kaampne lagi.. sara badan akad sa gaya aur apni jaanghon mein usne vicky ka sir jakad liya..
vicky ko bhi hatne ki jaldi na thhi.. sneha ki boond boond ko wah madhoshi ke aalam mein hi apne gale mein utaar gaya...
udhar sneha bhi uske lund ke sath ab tak buri tarah vyast thi... chaat chaat kar, choos choos kar... kaat kaat kar usne supada laal kar diya tha...
sneha ke dheeli padte hi vicky 'apna' hath mein lekar ghutno ke bal uske munh ke paas baith gaya," tumhe bhi peena padega...?"
"kya?" sneha ke chehre se aseem tripti jhalak rahi thhi...
"yahi.. iska ras.. jo abhi nikalega..." vicky ka hath badi tezi se chal raha thha..
"nahi... rahne do na... pls.." sneha ne request ki..
" rahne kaise doon.. mujhe bhi toh pila diya.. jabardasti.. taangon mein sir bheench kar.."
unn palon ko yaad karke sneha baag baag ho gayi.. fir sharaarat se munh banate huye boli.. "thheek hai... lao pilao.." kah kar usne apna munh khol liya...
uske baad toh 2 hi minute huye honge.. achanak vicky ruka aur sneha ke khule honton mein lund jitna aa sakta thha fansa diya.. ras ki dhara ne sneha ka poora munh bhar diya.. aakhir kaar jab bahar na nikal payi toh muskuraate huye gatak liya...
vicky dhanya ho gaya... hata aur bed par dhadam se gir pada.. sneha uthhi aur apni chhatiyon ko vicky ki chhati par daba kar uske honton ko choomne lagi.. ajeeb si kritagyata uske chehre se jhalak rahi thi...
itni haseen aur kamsin ladki ko apni baahon mein pakar nashe mein hone ke bawjood taiyaar hone mein vicky ko 3-4 minute hi lage... wah achanak uthha aur sneha ko apne neeche daboch liya.. uski aankhon mein fir se wahi bhaav dekhkar sneha muskurayi," ab kya hai..?"
"ab andar..." kahte huye. vicky ne fir uski jaanghein khol di.. aur houle houle tapak rahi choot par najar gada di... aur ek baar fir usko taiyaar karne ke liye ungali aur honton ko kaam par laga diya...
Sneha bhi jald hi fir se fufkaarne lagi... lumbi lumbi saanse aur yoni chhidra mein fir se chiknaayi utar aana iss baat ka saboot thha ki wo uss aseem anand ko dobara pane ke liye pahli baar hone waley dard ko jhel sakti hai...
vicky panjon ke bal baith gaya aur sneha ke ghutno ke neeche se bed par hath jamakar uski jaanghon ko upar uthhs diya... choot hulka si raasta dikhane lagi.. vicky ne supada 'sahi' surakh par set kiya aur sneha ke chehre ki aur dekhne laga..," ek baar dard hoga.. sah logi na...?"
"tumhare liye...." Sneha hamla jhelne ke liye taiyaar ho chuki thhi.. apne pahle pyar ki khatir...
Vicky ke bhi ab baat bardaast ke bahar thhi.. jyada intzaar wo kar nahi sakta thha.. so sneha ki jaanghon ko poori tarah apne vash mein kiya.. aur dabav achanak badha diya...
sneha ke munh se toh cheekh bhi na nikal saki.. ek baar mein hi supada apna raasta apne aap banata hua kafi andar tak chala gaya thha.. sneha ne pahle hi apne munh ko apne hi hathhon se daba rakha thha... lund sardiyon mein jamein huye makkhan mein kisi garam chammach ki tarah ghus gaya thha.. kuchh der tak vicky na khud hila aur na hi sneha ko hilne diya.. aur aagey jhuk kar sneha ki chhatiyon ko dabate huye usko honton ko bhi apne honton ki giraft mein le liya..
dheere dheere 'chammach' ki garmi se 'choot' ka jama huaa 'makkhan' pighal kar bahne sa laga.. iss chiknahat ne dono ke angon ko tar kar diya.. sneha ko laga.. ab ho sakta hai toh usne apni gaand uchka kar vicky ko signal diya...
vicky ne thhoda pichhe hat'te huye ek baar aur prahar kiya.. iss baar andar lene mein sneha ko utani peeda nahi huyi..
kareeb 5 minute baad sneha samanya ho gayi aur ajeeb tarah ki aawajein nikaalne lagi.. aisi aawajein jo kaamottejna ko kayi guna badha dein...
ab dono hi apni apni taraf se poora sahyog kar rahe thhe.. vicky upar se aata aur aanand ki kasti par sawar snehaki gaand neeche se upar ki aur uchhalti aur dono ki jadein mil jati.. dono ek sath aah kar baithhte...
aakhirkaar sneha aaj teesri baar 'aa' gayi... vicky bhi out of control hone hi wala thha.. usne jhat se apna lund bahar nikala aur fir sneha ke munh ke paas jakar baith gaya.. jaise wahan koyi sperm bank khol rakha ho...
Sneha ne shararat se ek baar apne kandhe 'na' karne ki tarah uchakaye.. aur fir muskurate huye apne hont khol diye.. uski aankhon mein ajeeb si chamak thhi... pahle pyar ki chamak!
Subah Vicky uthha toh Sneha uske kandhe par sir rakhe uske balon mein hath ferti huyi uski hi aur dekh rahi thi.. apalak!
"tum kab jaagi?" Vicky ne hulki si muskaan uski aur fainkte huye poochha...
"main toh soyi hi nahi.. neend hi nahi aayi..?" Neend aur pahle pyar ki khumari uski aankhon mein hulki si laali ke roop mein chamak rahi thi.. aur uske chehre par kali se phool ban'ne ka be-intha noor thha.. Vicky ne uski aankhon mein aankhein dali toh sneha ne palkein jhuka li..
"kaisa raha raat ka anubhav?" vicky ne uski aur karwat lete huye sneha ki kamar mein hath daal kar apni aur kheench liya.. aur Sneha muskura kar uss'se chipak gayi.....
" hum kahan rahenge Mohan?" Sneha ne uske gale mein apni gori banhein daal di..
" matlab? " vicky ne najrein chura li...
"main wapas hostel nahi jana chahti.. yahin rahna chahti hoon.. tumhare sath.."
Vicky ne baat taalne ke iraade se apne ek hath se uski chhati ko dabaya aur uske honton ko apne honton mein lene ke liye apna chehra uski taraf badha diya..
kamukta bhare aanand ki lehar Sneha ke poore badan ko dawadoul sa kar gayi.. par wah agle kadam ke baare mein jaan'ne ko chintit thhi.. usne apna chehra sir jhuka kar viky ki chhati mein chhupa liya," batao na mohan.. ab hum kya karenge.. mujhe wapas toh nahi bhejoge na? mujhe ab tumse door nahi jana.."
Vicky ek pal ke liye asamanjhas mein pad gaya.. iss waqt usko Sneha ko wadon ke jaal mein uljhaye hi rakhna thha.. par jane kyun.. Sneha ke seedhe sawaal ka tedha jawaab dene se wah katra raha thha..," par tumhare papa.. unka kya karogi..? Vicky ne sawaal ka jawaab sawaal se hi diya...
Sneha ka ummeedon se bhara mann kshanik kadwahat se bhar uthha..," Papa! hunh... unki paidayish hone ke alawa hamara rishta hi kya raha hai.. Main 8 saal ki thhi jab unhone mujhe hostel mein daal diya.. aaj 11 saal hone ko aa gaye hain.. aur muskil se 11 baar hi maine unka chehra dekha hai.. main unse bahut pyar karti thhi.. hamesha unse milne ko.. ghar jaane ko tadapti rahti thhi.. par unhone.. pata nahi kyun.. mujhe pyar diya hi nahi.. kabhi hostel se ghar lene bhi aata toh unka driver.. ghar jakar pata chalta.. Delhi gaye hain.. bahar gaye hain.. aur mujhe takreeban usi din shaam ko ya agle din wapas bhej hostel mein faink diya jata" Sneha ki aankhon mein ateet mein mili pyar ke abhav ki tadap ke chhipe huye aansoon jinda ho uthhe..," Sab friends ke mummy papa.. unse milne aate.. unko ghar lekar jaate aur wo ladkiyan aakar ghar jakar ki gayi masti ko sabko batati.. socho.. mere dil par kya beet-ti hogi.. ladkiyan mujhe 'anaath' tak kah deti thi.. agar papa aise hi hote hain toh sabke kyun nahi hote mohan.. hum apne bachche ko hostel nahi bhejenge.. apne se kabhi door nahi karenge mohan... Maine mahsoos kiya hai.. bina apnon ke sath ke jindagi kaisi hoti hai.. fir bhi main hamesha yahi sochti thhi ki papa busy hain.. par pyar toh karte hi honge... par kal toh unhone dikha hi diya ki... main sach main hi 'anaath' hoon.." kahte huye Sneha ka gala baith gaya.. aur dil ki bhadaas vilap ke roop mein bahar nikalne lagi...
Vicky se uska rona dekha na gaya.. chehra upar karke uske aansoon pounchhne laga... par dil uska bhi jor se dhadak rahah thha.. uske rone ke pichhe asli karan wahi thha," ab.. rone se kya hoga Sanu? Sambhalo apne aapko... " vicky ne usko apni chhati se chipka liya....
" batao na.. hum kahan rahenge.. kahan hai apna ghar?" Sneha puri tarah se vicky ke liye samarpit ho chhuki thhi.. uske ghar ko apna ghar maan'ne lagi thhi...
" uss'se pahle tumhe meri madad karni padegi... Sanu..!"
" main kya madad kar sakti hoon..? main khud ab tumhare hawaale hoon..!"
" wo toh theek hai.. par agar tumhare papa ko pata chal gaya toh meri jindagi khatre mein pad jaayegi.. ab tak toh FIR bhi ho chuki hogi... ye pata chalte hi ki main thheek thhaak hoon aur tum mere sath ho.. police mujhe uthha legi.. uske baad tum fir akeli ho jaaogi... mujhe jail main bhej denge.. aur Tumhare papa kabhi sachchayi ko saamne nahi aane denge...." vicky ne apni agle plan ki bhumika baandhi....

Sneha sunkar darr gayi.. Uske papa 'powerful thhe.. Aur sach mein aisa kar sakte thhe.. Sneha ke liye toh vicky uske baap ka S.O. hi thha..," Fir.. Ab hum kya karein Mohan!"
"sirf ek hi raasta hai.. Tum pahle media mein jakar sachchai bata do.. Ki tumhare baap ne hi ye sab kiya hai.. aur ye bhi kahna ki tum ab wapas nahi jana chahti.. Fir kuchh din tumhe chhip kar rahna padega..!" Vicky ne Sneha ko wo rasta bata diya jo usko manjil tak le jaane ke liye kaafi thha..
"uske baad toh sab thheek ho jayega na?"Sneha ko ab bhi chinta sata rahi thhi..
"haan.. Uske baad hum sath rah sakte hain.. Khulkar.." Sneha ki sahmati jaankar vicky khil uthha aur usne apna hath sneha ki jaanghon ke beech fansa diya...," Par yaad rakhna.. Tumhe mera kahin jikar nahi karna hai.. Yahi kahna ki main kisi tarah unke changul se bachkar apni kisi saheli ke ghar chali gayi thhi.. Agar mera naam aaya toh wo mujhe dhhoondh lenge...!"
"aaaahh.. Ye mat karo.. Mujhe kuchh ho raha hai.." Apni panty mein Vicky ki ungaliyan mahsoos karke tadap uthhi...
"tumne sun liya na..." Vicky ne apna hath bahar nikal liya..
"haan.. Baba! sun liya.. Kab chalna hai.. Media ke saamne..?"
"main nahi jaaunga.. Tumhe kisi dost ke sath bhej doonga.. Chinta mat karo.. Main aaspas hi rahunga.." kahkar vicky uthh gaya...
"ab kahan bhag rahe ho.. Mujhe chhed kar..!" Sneha ne vicky ko bed par wapas gira liya aur uske upar aa chadhi... Apni taangein vicky ki jaanghon ke dono taraf rakhkar 'wahan' baith gayi aur saamne ki aur jhuk kar apni chhatiyan vicky ki chhati par tika di....
Naya naya khoon munh laga thha.. Ye toh hona hi thha...
Kuchh hi der baad dono ke kapde bed par pade thhe aur dono ek dusre se 'kaam-krida' kar rahe thhe.. Sneha ki aankhon mein ajeeb si tripti thhi.. 'Apni Manjil' ko prapt karne ki khushi mein wo bhav vibhor ho uthhi thhi.. Pyar karte huye bhi uski aankhon mein nami thhi... Khushi ki!

"Riya.. aaj wo ladka nahi aaya na...!" Class mein baithhi Priya ki najrein kisi ko dhhoondh rahi thhi...
"ohooo... Kya baat hai.. aajkal...."
"jyada bakwas matkar.. Pahle toh meri file de di uss ghamchakkar ko .. Ab majaak soojh rahe hain... Aaj practical hai.. Chemistry ka.. agar nahi aaya toh main kya karoongi.." Priya ne munh banakar apne chehre par ubhar aaye sharmilepan ko chhipane ki koshish ki...
"hamare saamne hi toh rahta hai.. Ghar jakar maang lana..!" Riya ne chutki li.. Usko pata thha ki uske ghar mein ye sab nahi chalta....
"tu pagal hai kya..? main uske ghar jaaungi? marwa de mujhe!....... Tu le aana agar himmat hai toh!" Priya ne Riya ko jhidakte huye kaha...
"Main toh kabhi na jaaun? Haan.. Virender ko kah sakti thhi par aaj toh wo bhi nahi dikh raha..
Tabhi class mein Sir aa gaye aur unki guftgu band ho gayi

" may i come in Sir?" 22-23 saal ki chulbuli si ek chharhare badan ki yuvati ne Murari se anadar aane ki ijajat maangi...
"aao jaan e mann.." Murari khush lag raha thha..
" Sir.. Delhi si pandey ji ka fone hai.." kahkar wo wapas chali gayi..
"Nashe mein hone ke bawjood Murari khud ko receiver uthhakar kada hone se na rok paya," Jaihind Sir..!"
" ye kya tamasha hai Murari..? tumhari beti toh sahi salamat hai..?" udhar se gurrati huyi aawaj aayi..
Murari chounke bina na rah saka.. usne toh sneha ko mana kiya thha.. kisi ko bhi kuchh bhi batane se.. fir baat Delhi tak kaise pahunch gayi...," haan.. haan sir.. main abhi aapko fone karne hi wala thha.. wwo Sneha ka ffone ..aaya thha.. abhi abhi.. bus uss'se hi baat kar raha thha.. wo.. kisi ne afwah failayi thi.. sir... main aapko batane hi wala thha.."
"achchha.. afwah failayi thhi.. Jara ek baar TV on karke IBN7 dekho.. tumhari akal thhikane aa jaayegi.. How mean u r!" kahkar pandey ne fone kaat diya..
T.V. toh pahle hi on thha.. bus channel jara dusra thha.. Ftv! Murari ne hadbadahat mein channel search karne shuru kiye.. jaise hi IBN& screen par aaya.. uski aankhein fati ki fati rah gayi.. uski beti jaisi ladki TV par thhi... arrey haan.. wahi toh thhi..!
Murari ko ekdum aisa ahsaas hua mano uske pairon tale jameen khisak gayi ho... wo khada na rah saka aur dhamm se sofe par aa gira...
Sneha baar baar TV screen par wo baatein kah rahi thhi.. jinko wo 100% sach maan rahi thhi.. uske baap ka usko ghoomkar aane ke liye kahne se lekar baap ke gundon se bachkar wahan tak aane ki.... kuchh hi baton mein milawat thhi.. jaise usko nahi pata ki driver kahan hai.. aur wo ab apni kisi purani saheli ke paas rah rahi hai..
"ab main aapko wo recording sunati hoon.. jo mere fone mein default setting hone ki wajah se save ho gayi.... mere papa ne mere paas call ki thhi.." kahte huye Sneha beech beech mein subak rahi thhi.. aur news reader baar baar usko dhairya rakhne ki gujarish kar rahi thhi..
Recording sunkar Murari ka chehra laal ho gaya.. uske dwara kahi gayi baatein jaane anjaane Murari ki aur hi ungli uthha rahi thhi.. beshak uske dimag mein ye khayal bahut baad mein.. virodhi partiyon ki taraf se dhamki bhare fone aane ke jhhoothhe aaropon ko sach sabit karne ke uddeshya se aaya thha...
Channel wale TRP badhane ke chakkar mein baal ki khaal utaarne mein lage thhe.. TV screen par neeche lagataar flash ho raha tha.. " Murari ya Durachari! Exclusive on IBN7"
" Sneha ji.. kahin ismein aapka driver bhi toh shamil nahi hai..?" Anchor ne sawaal kiya...
"Nahi.. main aapko bata hi chuki hoon ki unhone apni taraf se poori koshish ki thhi.. mujhe bachane ki.. par wo usko bhi mere sath hi daal kar le gaye.. fir usne wahan se nikalne mein bhi meri madad ki... baki Recording se sab kuchh saaf hai.."
Anchor ne nahle par dahla thhonka..," par recording main toh aap kah rahi hain ki aap driver ke sath hi hain... aur ab aap kah rahi hain ki aapko driver ke baare mein nahi pata.. wo kahan hai.. iski wajah?"
Sneha ek pal ko sakpaka gayi.. par jald hi sambhalte huye boli...," wo.. wo maine tab jhooth bola thha.. taki papa meri location ke bare mein idea na laga paayein..!"
" par agar Gunde aapke papa ne hi bheje thhe.. toh unko toh maloom hona chahiye thha ki Driver unke gundon ke hi paas hai.. fir unhone aapse poochha kyun?" Anchor ne ek aur bouncer mara...
ye sawaal sunkar Murari ke chehre par hulka sa sukoon aaya.. ," iss loundiya ko toh CBI mein hona chahiye.." uske munh se nikla..
" ye sawaal aap mere papa se hi karein.. unhone kyun poochha..? ya fir ho sakta hai.. wo bhi mere baad bach nikalne mein kaamyab ho gaye hon.. isiliye unhone fone kiya ho..?"

" toh dekha aapne.. hamaare desh ki rajniti kis kadar gir chuki hai.. chand voton ki khatir jo neta.. apni itni pyari beti tak ko daanv par lagaane se nahi chookte.. unke liye aap aur hum jaise insaano ki kya keemat hai.. aap andaja laga sakte hain.. beharhaal.. hum Murari se contact karne ki koshish kar rahe hain.. tab tak lete hain ek chhota sa break.. aap dekhte rahiye.. aaj ki sabse sansanikhej wardaat.. ' Murari ya Durachari ' sirf aur sirf IBN par.. jaayiyega nahi.. abhi aur bhi khulaase hone baki hain.. milte hain Break ke baad!"
Pagal se ho uthhe Murari ne table par rakhi Botal TV par de mari.. Screen toot kar TV se dhunwa nikalne laga.. hadbadahat mein Murari ne Pandey ke paas fone milaya...
" ppandey ji.. sab bakwaas hai.. jhoothh hai.. mere khilaf bahut badi sajis ho rahi hai.. virodhiyon ki aur se..."
" what the hell r u talking about.. ye muhawra bahut purana ho gaya Murari.. mat bhhoolo ki Screen par tumhari apni beti hai.. jo tumhare shadyantra ka khulasa kar rahi hai... ab ho sake toh jaldi se apni beti ko apne control mein lo.. warna aap kal se party mein nahi hain.. aap jaise aadmi ki wajah se hum party ki chhavi ko nuksaan nahi pahuncha sakte..!" party aalakamaan ka gussa saatwein aasman par thha..
"ssir.. suniye toh.. wo.. wo meri beti nahi hai... main ye baat prove kar sakta hoon.. Main wo DNA PNA ke liye bhi taiyar hoon. sir.. wo meri biwi ki najayaj aulaad hai.. sali kutia.. apni maa par gayi hai.. madar chod.. bik gayi! wo mera khoon nahi hai sir.." Murari anap shanaap jaane kya kya ugle ja raha thha..
"Mind ur language.. Murari! we have nothing to do wd ur past or whatever u r talking about.. just try to take back ur child in ur favour or be ready to be kicked out...!" kahkar Pandey ne patak se fone kaat diya..

kafi der se wo darwaaje par khadi Murari ki call ke khatam hone ka intzaar kar rahi thi... jaise hi call disconnect huyi.. usne andar aane ki ijaajat maangi," may i come in,Sir?"
"tu.. sali kutiya.. yahan khadi hokar kya sun rahi hai..? behanchod.. andar aa.."
Shalini darr ke maare kaampne lagi.. 2 din pahle hi usne Murari ke office ko join kiya thha.. yun toh office ke har employee ko Murari ki charitraheenta ka pata thha.. par noukri ka laalach aur sunder aur kunwari ladkiyon ko achchhi tankhwah dene ka Murari ka record ladkiyon ko wahan kheench hi lata thha.. waise bhi Murari office mein 5-6 mahinon se jyada kisi ladki ko rakhta nahi thha...," sirr.. wo.. IBN7 se baar baar aapke liye call aa rahi hai.." shalini sukhe patte ki tarah thar thar kaampti thhodi si andar aakar khadi ho gayi...

" unn behan ke lodon ko toh main baad mein dekh loonga.. pahle tu bata.. kya sun rahi thhi.. chhip kar..!" Murari khada hokar Shalini ke paas gaya aur uska girebaan pakad kar kheench liya.. shirt ka ek button toot kar farsh par ja gira.. Shalini ki safed Bra shirt mein se jhalak uthhi..
" kuchh.. nahi sirr.. maine kuchh nahi suna.. mmmain toh abhi aayi thhi.. pls sir.. mujhe maaf kar dijiye.. aayinda aisi galati nahi hogi..." Shalini ne Murari ke munh se aa rahi tej badbu se bachne ke liye apna chehra ek taraf karke apna hath upar uthhaya aur.. uske aur murari ke chehre ke beech mein le aayi...
Murari ne shalini ka wahi hath pakda aur usko mod diya.. dard ke maare wo Ghoom gayi.. uski gaand Murari ki jaanghon se sati huyi thhi..," aah.. chhod dijiye Sir.. pls.. main aapke hath jodti hoon...
Ab tak shalini ke kunware aur garam khoon ki mehak pakar Murari ki aankhon mein waasna ke laal dorey tairne lage thhe..," chhod dun.. sali.. kutiya.. tujhe chhod dunga toh kya teri maa ko chodunga... chhupkar baat sun'ne ki saja toh tujhe milegi hi.." kahte huye murari ne usko jor se dhakka diya aur sambhalne ki koshish karti huyi si shalini Bed ke kone par ja giri..
turant hi uthhte huye ussne jahan se button toota hua thha.. wahan shirt ko apne hath se pakad liya.. aur gidgidaane lagi..," main barbaad ho jaaungi Sirr.. mujhe nahi karni noukri.. aap mujhe jaane dijiye pls.. jaane dijiye.." jo kuchh hone wala thha.. uski kalpana karke hi shalini sihar uthhi.. aur fafak kar rone lagi...
"chup kar kutiya.. jyada natak mat kar.. nahi toh kabhi wapas nahi ja paayegi... tu meri baatein sunn'ne ki himmat karti hai.. Murari ki baatein.." Murari ne kahte huye uske baalon ko pakad kar upar ki aur kheench liya.. asahay si ho uthhi Shalini ki aidiyan dard ko kum karne ki khatir upar uthh gayi.. tab bhi baat nahi bani toh uske hath upar uthhkar apne balon ko neeche ki aur kheenchne lage...," pls.. sir.. main mar jaaungi.. mujhe jaane do...!"
Murari ne ek baar fir uski shirt ko pakad kar kheencha aur shirt par uski ijjat ke rakhwale button dum tod gaye.. fati huyi shirt mein Shalini ka kamsin badan Daru ke nashe mein aur ijaafa kar raha thha... baal kheenche hone ki wajah se wo baithkar apne aapko chhupa bhi nahi sakti thhi.. asahay khadi thhi.. bilbilate huye.. bilakhte huye...
"isko khol sali..! warna ise bhi faad dunga.." nashe mein tunn Murari ne Shalini ki bra mein hath daal diya... uski chhoochi par ubhara huaa mota daana Murari ki ungaliyon se takra kar saham gaya... Murari apni beti ka gussa uss bechari par nikal raha thha....
"pls sir.. mere baal chhod dijiye.. bahut dard ho raha hai..." Shalini cheekh si padi...
"Bra nikal pahle.. nahi toh ukhad dunga saare..?" Murari ne baalon ko aur sakhti se kheench liya..
"aaah.. nikalti hoon.. sir.. bhagwaan ke liye.. pls.. ek baar chhod dijiye baal.. aaah.."
Murari ne jhatka sa dete huye uske balon ko chhod diya... aur jakar darwaja band kar diya..
Shalini ne ek baar apni najarein uthhakar Murari ki taraf iss tarah dekha jaise koyi masoom hiran sher ke panjon se ghayal hokar uske pairon mein pada ho aur apni jindagi ki bheekh maang raha ho.. par Murari par iska koyi farq nahi pada.. wah sher thhode hi thha.. wah toh bhediya thha.. jo bina bhookh lage bhi shikar karte hain.. sirf shikar karne ke liye.. apni kutsit raakshashi bhawnao ki tripti ke liye..," Nikalti hai sali ya kheench kar faad doon..."
aur koyi raasta bacha bhi na thha... shalini ne pichhe hath lejakar bra ke hook khol diye.. bra dheeli hokar neeche sarak gayi.. usne jhuk kar 50 saal ke rakshas ke saamne nange khade apne jism ko dekha aur foot foot kar rone lagi...
" kya ri shalini teri choochiyan toh badi mast hain.. kya masalti hai inn par!" Shalini ke krandan se beparwah Murari ne aage badhkar bra ko kheenchkar nikal diya aur uski mast kabutaron jaisi gori choochiyon ko bari bari se masalne laga... Shalini ko chakkar aa rahe thhe.. Murari itni kamukta se unko masal raha thha ki yadi uski jagah uska 'Rohit' hota toh najara hi kuchh aur hota.. jisko ussne aaj tak khud ko unke paas fatakne tak nahi diya thha... Shalini ke lagataar bah 5rahe aansuon se uski choochiyan geeli ho gayi thi...
"chal jeans khol..! teri choot bhi inki tarah karaari hogi.. shave kar rakhi hai ya nahi.... agar..." Murari ka vakya adhura hi rah gaya.. darwaaje par joron se khatkhat hone lagi...
"koun hai madarchod.. kisne himmat ki darwaaje tak aane ki.." usne fone uthhakar guard ko fone milaya.. par kisi ne fone nahi uthhaya..!
" abey... kahan apni maa ka.. koun hai be.. chal fut..." par darwaje par khatkhat ki aawaj badhti hi gayi...," tu ruk ek baar.. saale behan ke..." darwaaje ke khulte hi Murari ka sara nasha utar gaya.. uski aankhein fati ki fati rah gayi...... adhuri baat usne apne gale mein thhook ke sath gatak li.. aur darwaja bahar se band karte huye nikal gaya...
" We r from C.I.A. Bhiwani Mr. murari, durachari aur whatever.. u r under arrest.." 3 sipahiyon aur ek A.S.I. ke sath khade Inspector ne uska swagat kiya...
Murari fati aankhon se usko dekhta raha.. fir sambhalte huye bola..," tu jaanta toh hai na main koun su!" Murari ne bandar ghudki di...
" haan.. kuchh der pahle T.V. par dekha thha.. kutte se bhi gaya gujra hai tu.. lanat hai 'baap' ke naam par.. par tu shayad mujhe nahi jaanta.. Mujhe Tough kahte hain.. tough.. chal thhane.. baki ki kundli wahan sunata hoon.. Daal lo isko.." tough ne sipahiyon ki aur ishara kiya....
"ek minute.. tum toh bhiwani se ho.. tum mujhe kaise arrest kar sakte ho..?" Murari uski tone se buri tarah darr gaya thha..
"abbey chutiye.. hindi samajhta hi nahi hai.. saaalo.. itne crime karte ho.. toh thhoda sa G.K. bhi rakha karo.. kidnapping wala natak tune wahi rachaya thha na.. toh kya police london se aayegi.. bhootni ke..." kahkar Tough ne usko sipaahiyon ki aur dhakela.. aur jaane ke liye wapis mud gaya....

"Mujhe bachao pls.. mujhe yahan se nikao.." darwaja anadar se thhapthapay gaya toh tough chounk kar palta.. ek pal bhi bina gunwaye usne darwaja khol diya.. aur andar ka drisya dekhkar chounk pada..
Farsh par sharaab ki botal tooti padi thhi.. TV ka screen toota hua thha... aur tough ki aankhon ke saamne aankhein jhukaye apni fati huyi shirt ko apne badan par kisi tarah lapete khadi Shalini bhi jaise tooti huyi hi thi.. uske baal bikhre pade thhe aur badhawaas si lagaatar bah rahe apne aansuon ko apni aasteen se pounchhne ki koshish kar rahi thhi..
"ohhh.. ek minute.." tough lagbhag bhagte huye andar gaya aur bed ki chadar kheench kar Shalini ke badan ko dhak diya...
"ye sab kya hai?" Tough ne sipahiyon ke sath ja rahe Murari ko aawaj lagakar wapas bula liya," andar lao isko!"
Muraari vicky ke bichhaye jaal, apni niyat aur niyati ke chakravyuh mein buri tarah se fans gaya thha.. hamari media aajkal ekmatra achchha kaam yahi kar rahi hai ki wo muddon ko iss tarah uthhati hai jaise iss-se pahle aisa kabhi nahi hua... aur unke dwara dikhayi gayi khabar par agar prasashan turant karyawahi nahi karta toh ve prayojit karna shuru kar dete hain ki sab mile huye hain.. badi machhliyon ke maamle mein toh wo khas tour par aisa karte hain.. beshak aisa wo apni TRP badhane ke liye karte hain.. par aaj unke dikhaye telecast se kum se kum jo ek achchha kaam hua wo ye.. ki bechari Shalini ki ijjat taar taar hone se bach gayi.. Delhi mein baithhe party ke ala netaao ne party ki chhavi bachane ke liye adhikaariyon par turant karyawahi ka dabaav banaya aur uska hi nateeja thha.. ki bhiwani Police Department mein haal hi mein promotion pakar Inspector baney Sabse kaabil aur dabang Tough ko ye kaam sounpa gaya....
"ye kya hai Muraari..?" tough ko laga Shalini baat karne ki halat mein nahi hai... isiliye Murari se hi poochh liya...
" kuchh nahi hai.. ye.. kuchh bhi nahi.. bus.. wo iski shirt ulajh kar fat gayi thhi.. toh usse badlane ye mere bathroom mein gayi hogi... hai na beti!"
Shalini ne aage badh kar ek jordaar tamacha uske munh par raseed diya..aur foot padi," haraamjaade, Kutte.. tujhe pata bhi hai ki beti kya hoti hai... kaminey.. tujhse jyada gira huaa insaan maine apni jindagi main nahi dekha.. thhoo..!" Shalini ke munh se thhook ke roop mein nikli badduaa Murari ke badsoorat chehre par jakar chipak gayi...
" yahan city thhane ka no. kya hai.. jara poochh kar batao!" tough kanooni tour par iss maamle ko deal nahi kar sakta thha.... isiliye A.S.I. ko usne Rohtak City mein contact karne ko kaha...
kuchh Der baad Vicky ne city thhana incharge ko fone kiya..
"city thhana Rohtak se hawaldaar Brijlal, bataayiye kya sewa karein.." fone par ek rati ratayi si aawaj nikli..
" main Bhiwani C.I.A. Staff se Inspector ajeet bol raha hoon.. S.H.O. sahab se baat karwaayein jara..
" jaihind Janaab.. abhi karwata hoon.. kahkar brijlaal ne line forword kar di..
"Hello!"
" main Bhiwani C.I.A. Staff se Inspector ajeet bol raha hoon.. aapke yahan se Muraari ji ko arrest karke le ja raha thha.. yahan kuchh aur bhi panga hai.. aap aa jaayiye jara... lady staff ko lana mat bhoolna" Tough ne uski pahchaan jaane bina hi apni baat poori kar di..
"kyun kya huaa..? Murari ji arrest ho gaye..?" Vijender chounk kar chair se khada ho gaya..
"haan.. muraari ji arrest ho gaye.. aur ho sakta hai ki aaj raat inhe aap hi ki sewa ki jarurat pade.. aap aa jaayiye..!" Tough ne Muraari ko kadwahat se dekhte huye kaha.. wo sahma hua thha.. par vijender ke paas rahne ki soch kar uske chehre par rounak si aa gayi... wo toh uska hi pala huaa kutta thha...
"thheek hai.. hum abhi aate hain.. kahkar vijender ne fone rakh diya aur hadbadahat mein chalne ki taiyaari karne laga...

wahan pahunchte hi Vijender sara maajra samajh gaya.. Murari rah rah kar uski aur kuchh ishara sa karne ki koshish kar raha thha.. par vijender ne uski aur dekha hi nahi..
poori baat sunn'ne ke baad Vijender bola..," tab toh aaj aapko iski custody hamein deni hogi.. hum dono ko lejakar ladki ke bayan likhwa lete hain.. agar jarurat padi toh isko subah court mein pesh kar denge.. aap wahan se inki custody le lena..
"OK Sir.. Hum kal milte hain....!" kahkar Tough ne vijender se hath milane ke liye aage badhaya hi thha ki ab tak chup chap khadi Shalini cheekh uthhi...," nahi.. main inke sath nahi jaaungi.. ye toh yahi pade rahte hain hamesha.. iss kutte ke paas...!"
sharam ke maare vijender ki aankhein jhuk gayi..," aisi baat nahi hai madam.. duty is duty.." usne shalini ko aaswast karne ki koshish ki...
" Nahi pls.. mujhe inke bharose chhod kar mat jaayiye.. mere bayan yahin likh lijiye aur mujhe jaane dijiye...
" dekho beti. aisa ho nahi sakta hai.. aapko thhane chalna hi padega...!" Vijender ne apne gale ka thhook gatka..
Tough ab tak sthiti ko samajh gaya thha," Kyun nahi ho sakte sir..? yahan bayan kyun nahi ho sakte..? kya main jaan sakta hoon..?"
"idhar toh aao yaar ek baar.." vijender ne tough ka hath pakad kar ek taraf le jane ki koshish ki..
"nahi.. main idhar udhar nahi jata... aap yahin ladki ke bayan likhye aur isko jaane dijiye.. aaj Muraari aap ka mehmaan hai.. ji bhar kar khatirdari karna.. kal iski saari doodh dahi main bahar nikal doonga..." Tough ne apni police cap sir par rakhte huye apne iraadon ka parichay diya...
Vijender kuchh na bola.. aur munshi ko Jeep se kaagjaat uthhakar laane ko kaha..," haan boliye madam.. kya shikayat hai..." uske bol mein rukhapan saaf jhalak raha thha...
Shalini ke bayan likhwane ke baad Tough uski aur mukhatib huaa..," toh shivani ji.. aap ghar ja sakti hain.. ya hum aapko chhod kar aayein..."
Shalini subakne lagi... kuchh der baad sambhal kar boli..," mera ghar nahi hai.. main toh mahila aasharam mein rahti hoon.."
"yaar ye saare kismat ke maare rohtak mein hi rahte hain kya.." tough mann hi mann budbudaya.. fir pratyaksh mein bola," ohh.. i mean.. wahan chhod dete hain.. ya koyi aur problem hai..?"
" wahan se inke liye ladkiyan aur aurtein bheji jaati hain.. wahan toh ye kuchh bhi kara sakte hain.." Shalini ne najrein jhukaaye huye hi jawaab diya..
Tough ke ji main aaya.. wahin par Murari ka raam naam kar de.. par aajkal wo kaanoon se kuchh jyada hi bandh gaya thha.. seema ne usko kitna badak diya," sala kutta!" kahte huye tough ne fone nikala aur Seema ke paas fone milaya..,"
" mil gayi fursat tumhe.. subah se fone laga rahi hoon.. uthha kyun nahi rahe.." Seema ke bol mein pyar aur gussa.. donon mehak aa rahi thhi.. aur dono badi laajwaab thhi...
" tumhari ek saheli ghar aa rahi hai.. apni taiyaari kar lena.. baad mein mat kahna bataya nahi.." tough ka inspectory lehja gayab hokar 'myaaun' ho gaya
" kya.. koun.. kab?" Seema ne chahakti huyi aawaj mein jaane kitne sawaal daag diye...
" abhi rohtak main hoon.. kareeb 2 ghante lagenge.. aane mein.. baki baad mein..."
"suno.. suno.. suno.." Seema bolti rah gayi aur tough ne fone kaat diya...
" mere sath mere ghar chalne mein toh koyi problem nahi hai na.. meri patni bhi yahin se hain.. rohtak se..
Shalini ne najrein uthhakar tough ko kritagyata ki dristi se dekha.. kismat ke maare chehre par khushi ki sahmati ki hulki si muskaan ubhar aayi...
tough ne Vijender se complaint ki receiving li, kuchh aur khana poorti ki aur ,"Achchha toh janaab.. hum chalte hain.. Jaihind!" kahkar Gadi ki aur chal pada..... Shalini uske pichhe pichhe chal di aur gadi mein baith gayi....
"yaar... Tujhse ek madad chahiye thhi..." Vicky ne Sneha se alag hote huye tough ko fone kiya...
"Bol mere yaar... Jaan de doon???" Tough Shalini ko lekar ghar ki aur chala hi thha...
"wo tune news toh dekhi hi hogi.. Murari kaand!" Vicky ne apna sir khujlaya... Wo samajh nahi pa raha thha baat kahan se shuru karey!
"sach mein yaar.. Murari jaise ghatiya log kaise rajniti mein baney rahte hain.. Itna bakwas aadmi maine aaj tak nahi dekha.. Kal saale ki akal thhikane laga doonga..!" Tough ne kahte huye kankhiyon se Shalini ki aur dekha.. Halanki kapde change karne ke baad wo kafi had tak normal mahsoos kar rahi thhi par uski aankhein ab bhi sahmi huyi thhi.. Doodh ka jala chhachh ko bhi foonk foonk kar peeta hai..
"akal thhikane laga dega matlab...??? Tum usko personally jaante ho kya?" Vicky ko uski baat kuchh atpati si lagi...
"main aise kutton se ittifak nahi rakhta.... Darasal uska case mujhe hi handover kiya huaa hai....." Aur vicky ne tough ko beech mein hi rok diya," Kyaaa????"
"Haan.. Uski chamdi ka maap mujhe hi lena hai... Khair chhod.. Tu bata.. Kisliye fone kiya..?" Tough ne kaam ki baat par aate huye kaha...
"nahi.. Kuchh nahi.. Bus aise hi yaad kar liya thha... Achchha ab rakhta hoon... Baar koyi hai shayad..." kahkar vicky ne turant fone kaat diya...
"Ajeeb aadmi hai.. Ab toh kah raha thha ki kuchh kaam hai.." Mann hi mann badbadaate huye tough ne Gadi apne ghar ki parking mein ghusa di... Wahan Seema unka beshabri se intzaar kar rahi thhi...

Andar jaane par Seema ne muskurakar Shalini ka swagat kiya.. Uski aankhein ateet mein jakar Saamne khadi uss hamumra ladki ko pahchan'ne ki koshish karti rahi.. Dusri aur Shalini darwaje se andar jakar najrein jhukakar khadi ho gayi....
"arey aao na.. Andar aao.. Yahan baithho.. Aaram se...
Shalini chupchap sofe par baith gayi...
"kya tum mujhe jaanti ho?" pani ka glass Shalini ki aur karte huye Seema ne poochha.. Tough kapde change karne andar chala gaya thha....
Shalini ne 'na' mein apna sir hila diya.. Aur sir jhukaye hi rahi...
Seema asamanjhas mein pad gayi.. Kuchh der baithhe rahne ke baad wo 'ek minute' kah kar andar chali gayi," Haan ji.. Mujhe toh ye aapki saheli lagti hai koyi.. Kya chakkar hai? Na main isko jaanti hoon.. Aur na ye mujhe!" Seema apne kulhon par hath rakhkar shararati andaj mein muskurati huyi kapde badal rahe tough ke saamne khadi ho gayi...
" batata hoon..." kahkar tough ne apni pant upar ki aur Rohtak mein jo kuchh ghata sab Seema ko bata diya...
"oh my God..! Aapne bahut achchha kiya jo isko yahan le aaye.. Kahkar Seema Tough ke gale lag gayi...
"aaha.. Aaram se.. Aaditya ka kuchh khayal hai ki nahi.." Tough ne usko bahon mein bhar liya...
"aaditya nahi.. Vaishali hogi.. Maa ko jyada pata hota hai.. Haan!" kahkar Seema alag hat kar neeche jhuk kar apne hulke se ubhre huye pate ko sahlane lagi.. Aur ekdum palatkar bahar chali gayi...
"aa andar bedroom mein baithhte hain.." Seema ne Shalini ka hath pakda aur bedroom mein le gayi....









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