गर्ल्स स्कूल--17
नीरू के मन में पता नही क्या क्या ख्याल आ रहे थे... पहली बार, उसने डर कर ही सही. किसी मर्द को अपने जिस्म की झलक दिखाई थी... वह बेचैन सी हो गयी थी और उसके दिल को बहुत बुरा लगा जब राज ने उसको कमरे से जाने के लिए कहा..
'क्या सच में 'मर्द' का हाथ लगने पर इतना ही मज़ा आता है... वो जान-ने के लिए तड़प उठी....करीब 10-15 लड़कियाँ उसके ही रूम में बैठी थी," क्या कहा सर ने?" लगभग सभी ने एक साथ सवाल किया...
कुछ"नही" पर उसकी आँखों में बेचैनी कुछ ना कुछ कहने का दावा कर रही थी.... "'बताओ ना यार!' क्या उन्होने गुस्सा किया" कोमल ने बेड पर बैठ चुकी नीरू का हाथ पकड़ कर पूछा..
"कह दिया ना कुछ नही कहा!" नीरू गुस्से में फट पड़ी...
लड़कियों को लगा जैसे सर ने ज़रूर नीरू के साथ गुस्से से बात करी हैं... उनकी हमेशा अगुवाई करने वाली नीरू के बारे में ऐसा सोच कर लड़कियाँ भड़क गयी...... कोमल अपने गुस्से का इज़हार करते हुए बोली," हम क्या बेवकूफ़ हैं... स्ट्राइक कर देंगे..... हम सर से बात करना बंद कर देंगे... और हम दिलवांगे उनको सेक्स एजुकेशन... क्यूँ बहनो!"
"हां! हम अभी से एलान कर देते हैं की हम कोई गेम वेम नही खेलेंगे... और दूसरी लड़कियों को भी कह देंगे... अगर किसी ने बकवास करने की कोशिश की तो हम गाँव में जाते ही उनके घरवालों को बता देंगे..."
अचानक ही उस्स लड़की की भासन बाजी बंद हो गयी.. नीरू ने खड़े होते हुए कहा.. "नही... हम गेम ज़रूर खेलेंगे... इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा... हमारी आने वाली जिंदगी के लिए... और बेवजह की झिझक भी दूर हो जाएगी...! मैं सर को कहने जा रही हूँ की हम खेलेंगे! अगर किसी को कोइ आपत्ति हो तो अभी बता दो!"
अँधा क्या माँगे; दो आँखे! बड़ी लड़कियों में से कुछ तो मस्ती करने का प्लान बना ही रही थी... और जो चुप थी, वो भी अपनी नेता नीरू के कारण... सभी ये सोच रही थी की कल जो होगा... देखा जाएगा... आज तो जी भर कर जी कर देख लें...!
सभी ने नीरू को कह दिया.. ठीक है अगर तुम कह रही हो तो हम भी खेलेंगे... पर छोटी लड़कियों को सख्तयि से समझना पड़ेगा की गाँव में किसी भी तरह से बात का पता ना चले...
नीरू ने एक कागज लिया और पेन उठाकर सभी की सहमति लिखा कर लेने के लिए एक एक कमरे में जाकर उनके हस्ताक्षर लेने लगी...
साथ ही बड़ी लड़कियाँ.. समझती जा रही थी... की इश्स सेक्स एजुकेशन के बारे में किसी भी सूरत में गाँव में नही बताना है...
बेशक लड़कियाँ खेलने को तैयार हो गयी थी... पर उनकी समझ में नही आ रहा था की सर के सामने वो कपड़े कैसे उतार देंगी...!
नीरू राज के कमरे में गयी...," मे आइ कम इन सर?"
राज ने नीरू को अंदर आने का इशारा किया...
"सर, मैने सब से लिखवा लिया है की वो अपनी मर्ज़ी से इश्स खेल में भाग ले रही हैं... और उनको समझा भी दिया है की ये बात किसी भी सूरत में घर पता नही चलनी चाहिए!" उसकी आँखों में मुस्कान तेर रही थी... सर का दिल जीतने की उम्मीद से भारी मुस्कान...
राज उसको देखता ही रह गया," अरे हां! ये तो हुमने, सोचा ही नही था.तुम बहुत अछी हो नीरू!"
"पर सर' थोड़ी देर पहले में अच्छी नही थी.. " उसने राज पर कटाक्ष किया और बाहर निकल गयी......
रात को गेम होना तय हो गया... सेक्स गेम, स्कूल गर्ल'स का!
शाम के करीब 6 बजे तक लड़कियाँ पागल सी हो चुकी थी... कुछ मारे शर्म के, कुछ मारे उत्तेजना के और जो बची वो यही सोचकर पॅनियाटी जा रही की आदमी के सामने तो क्या... उन्होने कभी अपनी मा के आगे भी कपड़े नही उतारे... इश्स कॉंटेस्ट को कोई जीतना नही चाहती थी... बस जैसे तैसे इश्स विरली सेक्स एजुकेशन को पार कर लेना चाहती थी...... ज्यों ज्यों टाइम नज़दीक आता जा रहा था, त्यों त्यों उनका गला शूखता चला गया...
करीब इसी समय पर शिवानी लोहरू के स्टॅंड पर उतरी... ( दोस्तो शिवानी को तो आप नही भूले होंगे अरे यार अपने राज की पत्नी चलो अब ज़रा राज ओर अंजलि के घर पर भी चल कर देखते है उधर क्या हो रहा है) उसको पता नही था की ट्रिप जा चुकी है... हां राज का मोबाइल 2 दिन से स्विच ऑफ आने की वजह से उसको अंदेशा ज़रूर था...
अंजलि का पति और उसका एक दोस्त शिव अकेले पन का लुत्फ़ उठा रहे थे... जाम से जाम टकराकर....
काफ़ी ज़्यादा हो चुकी थी... दोनो बहकने लगे थे... शिव ने अपना 10वा पैग खाली करते ही ओमप्रकाश से कहा," साले! तूने शादी के बाद भाभी से नही मिलवाया... बड़ी तमन्ना थी उनको करीब से देखने की..."
"आबे भूट्नी के... वो तेरी लुगाई है क्या जो करीब से देखेगा...! दूर से दिखा दूँगा जब वो आ जाएगी... बात करता है.... अपनी तो संभाल नही सकता... मेरी को देखेगा... करीब से...!"
शिव करीब 35 साल का हटता कटता आदमी था... अपनी खुद की बीवी से तलाक़ ले चुका शिव 1 नंबर का औरत खोर था.... उसके अपने फार्म हाउस पर नौकरों से ज़्यादा नौकराणीयाँ थी... जो उसकी आवभगत का काम देखती थी... मोटी तनख़्वा देकर वो काफ़ी कम उमर की और हसीन बालाओं को ही नौकरी करने का मौका देता था...
तभी दरवाजे पर बेल हुई.... ओमपारकश टहलता हुआ गया और उसने दरवाजा खोल दिया...,"शी... वाणी!" आओ आओ.... उसने अपने दाँत निकल दिए... उसके मुँह से शराब की तीवरा दुर्गंध आ रही थी...!
शिवानी उसको इश्स हालत में देखकर ठिठकि फिर बिना बोले उसकी साइड से निकल गयी...
"शिवानी जी.... मैने कहा... सब ठीक तो है ना...."
शिवानी बिना बोले अपने बेडरूम में घुस गयी....
ओमपारकश वापस शिव के पास आ गया... शिव ने उसको दरवाजे के आगे से निकलते देखा था..," आबे तूने भी नौकरानी रख ली क्या?"
बात इतनी ज़ोर से कही गयी थी.. की शिवानी के कानो में भी चुबी..."
"आबे गान्डू! तेरे को वो नौकरानी दिखती है क्या... वो तो अंजलि के स्कूल के एक मास्टर की लुगाई है...!" ओमपारकश ने अपने तरीके से शिवानी का परिचय दिया....!
शिव ने उसके कान के पास मुँह लेजाकार कहा...," आबे कभी ली भी है या नही...?" पर उसकी आवाज़ फिर भी पहले जितनी थी...
"तू है ना शिव भाई... कभी गांद से उपर उठकर सोचता ही नही है.. तुम्हारा बस चले तो किसी की चूत मारे बिना छोड़ो ही ना" ओमप्रकाश की आवाज़ सहज थी...
"क्या बकता है..... मैने जिसको नज़र भर कर देख लिया.. समझो यहाँ आकर बैठ गयी.. " शिव ने कcचे पर हाथ मारते हुए कहा... वो कच्चे और बनियान में ही था....!"" साली ये लुगाई होती ही ऐसी हैं..., जो जितनी शरीफ नज़र आती है... उतनी ही चुड़ाकड़ होती है साली... वैसे तेरे वाली कैसी है..."
"बेडरूम के दूसरी और अपने बेडरूम में जाकर बैठह गयी शिवानी को एक एक शब्द सुन-ना असहनीया हो रहा था...
और जब बात हद से गुजर गयी तो वा दहाड़ती हुई उनके बेडरूम के दरवाजे पर गयी," वॉट ईज़ दिस नॉनसेन्स! यू हॅव ड्रंक, डोवेसन्ट लेट यू टू इंटरूड इंटो अदर'स लाइफ.... जस्ट स्टॉप डॅट!" उसने दरवज्जा 'भड़क' से बंद किया और वापस चली गयी...
"क्या बोल के गयी है ये रंडी?... साली को औकात दिखा दूँगा..."
"ओमप्रकाश थोडा ढीला पद गया... जाने दे.. उसको अपने धंधे का पता नही है... तू ठंड रख..."
"आबे उसकी मा की चूत में रखकर ठंडा करूँ क्या अब, समझती क्या है... आज तक शिव भाई को किसी ने आँख उठा कर भी नही देखा!" वो मेरे सामने अँग्रेज़ी बोल कर चली गई....
"अब यार तू चुप कर ना! बेकार में... पता नही है उसको तेरे बारे में...!" ओमपारकश ने उसका ध्यान बटाने की कोशिश करी," ले तू पैग लगा... ले!"
"आबे पैग लगाने को बोलता है... उसको बता के आ तू के अँग्रेज़ी बोलने वालियों को भाई अपने यहाँ रखता है.... नौकरानी साली..!" उसका इशारा फिर से अपने लंड की और था...'यहाँ रखता है' में!
शिवानी ने राज के पास फोन ट्राइ किया... पर वो नही मिला... शिव की बातें सुनकर उसको उल्टियाँ आ रही थी... और कोई चारा ना देख उसने लिविंग रूम में जाकर टीवी ऑन करके उसका वॉल्यूम फुल कर दिया... उस्स पर कोई मूवी आ रही थी...
शिव का ध्यान मूवी की और गया... यार! चल मूवी देखते हैं.... " वह उठा और चल दिया... उसको लिविंग रूम में आया देख शिवानी रिमोट फैंक कर अपने बेडरूम में जा घुसी... दरवाजा बंद कर लिया... ओमपारकश भी बाहर आ गया.. दारू की दूसरी बोतल उठाकर.........
कुछ देर में ही दोनो शिवानी का टॉपिक भूल कर अपनी बातो में और फिल्म में डूब गये... शिवानी भी उनकी बातो का टॉपिक बदलने पर कुछ निसचिंत सी हो गयी.... उसने बाथरूम में घुस कर अपने कपड़े उतारे और नाहकार अपनी लंब सफ़र की थकान दूर करने लगी...
फिल्म में गुंडे किसी आदमी को पकड़ कर अपने आका के पास ले गये... सरदार ने उस्स आदमी से कहा," तो तू वो प्रॉपर्टी हमारे नाम नही करेगा... हां!"
वो आदमी हीरो का दोस्त था... जैसा अक्सर हिन्दी मूवीस में होता है...," नही! मैं मार जवँगा, पर अपने पुरखों की ज़मीन किसी भी कीमत पर तुम्हे नही दूँगा...!"
"अच्छा! सरदार ने अपनी बंदूक निकाली और उसके सीने में गोलियाँ दाग दी!"
शिव बहुत खुश हुआ," साला! ये तरीका मेरे को बहुत पसंद है.... दूसरी बार पूछने का ही नही.... मस्त है... भाई... और वो तेरी नजभगढ़ वाली प्रॉपर्टी का क्या चल रहा है? हां... सौदा हो गया...?"
"हो जाएगा, बात चल रही है..." ओमपारकाश ने उसको ठंडा होने की सलाह दी...
"तेरी मा की.. साला तेरी गांद में यही प्राब्लम है.. देख हम दोनो ने साथ ही काम शुरू किया था... तू कहाँ रह गया.. और मैं कहाँ पहुँच गया...! पर तेरे भेजे में बात कौन डाले...! बातों को ही छोड़ने में लगा रहता है..."
शिवानी नहा कर बाहर आई.... उसने एक रेशमी नाइटी पहन ली थी... अब उसको जोरों की भूख लगी हुई थी... पर किचन का रास्ता लिविंग रूम से होकर जाता था... उसने दरवाजे के पास आँख लगाकर देखा... वो दोनो हंस रहे थे... मूवी को देखकर... शिवानी ने सोचा... अब इनका नशा हूल्का हो गया है... उसने दरवाजा खोला और किचन में जा घुसी...
शिव का ध्यान उस्स पर गया...," क्या मस्त आइटम है यार! भाभी जी आप की नाइटी बहुत अच्छी है... " कह कर वो ज़ोर से हँसने लगा...
शिवानी ने उस्स की बात पर कान नही दिए... वो किचन में घुश कर कुछ पकाने की तैयारी करने लगी...
सच में ही, वो बला की खूबसूरत तो थी ही... उस्स रेशम की मुलायम नाइटी में उसका हर उभार उभर कर सामने आ गया था...
रही सही कसर मूवी के इश्स सीन ने पूरी कर दी..., सरदार हीरो की बेहन का रेप कर रहा था... वो चिल्ला रही थी... पर सरदार का हौसला उसके चिल्लाने के साथ ही बढ़ता जा रहा था... हीरो की बेहन.. किसी कबूतर की तरह फड़फदा रही थी.....
शिव की आँखें इश्स सीन के अंदर तक घुसती चली गयी... जाने क्या सोचकर उसकी आँखें चमक उठी," ओम! तूने कभी रेप किया है...?" उसने धीरे से कहा...
"क्या बकवास कर रहा है यार... दिखता नही घर में अकेली औरत है?"
"तभी तो पूच रहा हूँ! करना है क्या?"
ओम ने अचरज से शिव के चेहरे को देखा, उसके दिमाग़ की खुरापाट उसकी शराब के नशे में डूबी लाल आँखों में सॉफ दिखाई दे रही थी...," चल अंदर चलते हैं... बंद कर दे टी.वी.!"
शिव किसी ख़ूँख़ार भेड़िए की तरह मुस्कुरा रहा था... शिकार करना वो जनता था... शिकार उसके सामने था.... किचन में... उसने धीरे से ओम के कान में कहा," सिर्फ़ ट्राइ करते हैं... मान गयी तो ठीक है... वरना अपना क्या बिगड़ लेगी...."
"नशे में नही होता तो ओम कभी भी उसको इश्स बात की इजाज़त नही देता... पर जाने क्या बात होती है शराब में... आदमी 2 घंटे बाद क्या होगा, ये भी भूल जाता है..," तू मरवाएगा यार..! कहकर वो फिलम देखने लगा.. हीरो की बेहन ने कुए में कूद कर जान दे दी.....
शिव सोफे से उठकर किचन की और गया...और दरवाजे पर खड़ा हो गया... अपने साथ होने जा रही वारदात से अंजान शिवानी कुछ गुनगुनाती हुई सी रोटियाँ सके रही थी... पसीने के कारण उसकी नाइटी पूरी तरह भीग गयी थी... उसके चूतदों का गड्रयापन उसकी नाइटी के नीचे पहनी हुई उसकी पनटी के किनारों के अहसास के साथ सॉफ झलक रहा था... टी.वी. का वॉल्यूम उतना ही था... जितना शिवानी ने कर दिया था... फुल! शिव उस्स पर किसी बाज की तरह से झपटा... शिवानी कसमसा कर रह गयी... शिव का एक हाथ उसके मुँह पर था... और दूसरा उसके पेट पर... शिवानी के गले से आवाज़ निकालने ही ना पाई... शिव ने उसको उठाया और उसी के बेडरूम में ले गया... दरवाजे की कुण्डी लगाई... और शिवानी को बेड पर लेजाकार पटक दिया.....
उसकी हाव भाव देखकर शिवानी की ये कहने की भी हिम्मत नही हुई की आख़िर कर क्या रहा है... वा सब समझ गयी थी.. शिव नीचे खड़ा मुस्कुरा रहा था...
अचानक ही दरवाजे पर दस्तक हुई... शिवानी उठकर दरवाजे की और भागी... पर वहाँ तक पहुँच ना पाई... शिव के हाथों में जकड़ी ज़ोर से चिल्लाई," बचाअओ!"
पर बचाने वाला कोई ना था... हां शिव को समझने वाला तो था... ओम! पर वो भी एक बार दरवाजा थपथपा कर वापस चला गया... जब दरवाजा नही खुला..!
शिव शिवानी के उपर गिर पड़ा... उसको नोचने लगा... वो चिल्लती रही... शिव ने उसकी नाइटी गले से पकड़ी और खींच दी... नाइटी चीरती चली गयी... शिवानी की चूचियाँ अब नंगी थी.. उसने अपने आप को समेटने की कोशिश करी... शिव ने उसके दोनो हाथ पकड़े और पीछे करके एक हाथ से दबा लिए...
शिवानी चिल्ला रही थी... अपने पैर चला रही थी.. खुद को बचाने के लिए... शिव उठकर उसकी जांघों पर बैठ गया...
ठीक उसकी योनि पर... हाथ शिव के काबू में होने की वजह से शिवानी असहाय हो गयी... भला 22-23 साल की 35 साल के आगे क्या बस चलती..... उसने शिव की कलाई को ज़ोर से अपने दाँतों के बीच ले लिया.. और लगभग उसकी खाल को काटकर अलग ही कर दिया...
शिव के क्रोध का ठिकाना ना रहा... उसने झुक कर शिवानी के गाल को काट खाया... उसी जालिम तरीके से... शिवानी का दिल और दिमाग़ काँप उठे... इश्स दर्द को महसूस करके.. उसने अपने दाँत हटा लिए.... समर्पण कर दिया...
पर इश्स समर्पण से शिव संत्ुस्त नही था... उसने थोड़ा पीछे होकर शिवानी की जांघों के बीच हाथ दे दियाअ....
शिवानी ने एक आखरी कोशिश और की... अपनी अस्मत बचाने की... उसने ज़ोर लगाकर निसचिंत से हो चुके शिव को पिछे धक्का दे दिया... शिव बेड से पिछे जा गिरा...
शिवानी उठने को भागी... पर उठते हुए उसकी नाइटी में उसका घुटना आ फँसा और वो मुँह के बाल आ गिरी... चोट सीधी शिव द्वारा कटे गये उसके गाल पर लगी... शिवानी दर्द से तिलमिला उठी...
शिव को उठ ने में कम से कम 1 मिनिट लगा.. पर तब तक शिवानी ना उठ पाई...
अब शिव ख़ूँख़ार हो चुका था... उसने लगभग हार चुकी शिवानी को आधा बेड पर गिरा दिया... शिवानी के घुटने ज़मीन से लगे थे... उसके दोनो हाथ पीछे शिव के हाथों में थे.. पैरों को शिव ने अपने घुटने से दबा दिया... बेड के कोने पर शिवानी का वो भाग था जिसको शिव भोगना चाहता था....
शिव ने उसकी नाइटी उपर खींच दी... और पॅंटी नीचे...
शिवानी असहाय सी हीरो की बेहन की तरह सिसक रही थी... उसकी आँखों के आगे आँधेरा छाया हुया था....
शिवानी की योनि के कटाव को देखकर शिव एक हाथ से अपने को तैयार करने लगा...
और तैयार होते ही उसने अपनी हसरत पूरी कर दी... शिवानी मानसिक दर्द से तिलमिला उठी.... उसकी चीत्कार सुनकर ओम फिर दरवाजे पर आया," शिव भाई... ज़बरदस्ती नही... तुमने बोला था....
शिव को गुस्सा आ गया अपने कुत्सित आनंद में विघन पड़ते देखकर... और ये सब शिवानी की चीखों की वजह से हो रहा था....
शिव ने अपना मोटा हाथ शिवानी के मुँह पर रख दिया... शिवानी का सब कुछ घुट गया....
शिव धक्के लगाकर अपनी वासना की पूर्ति करने लगा... धीरे धीरे शिवानी का विरोध कम होता होता बिल्कुल ही बंद हो गया... अब वो चिल्ला नही रही थी...
शिव जब अपनी कुत्सित वासना शांत करके उठा... तो शिवानी ना उठी... वा नीचे गिर पड़ी... धदाम से...
शिव ने उसकी छाती पर हाथ रखा.. वो खामोश हो चुकी थी... शिव के हाथ के नीचे उसकी साँसों ने दम तोड़ दिया...
शिव अपना सिर खुजाता हुआ बाहर आया... उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे... उसकी नज़र टी.वी. पर गयी... हीरो... उस्स सरदार को उसके कर्मों का फल दे रहा था...
शिव डर गया... उसने ओम को सब कुछ बताया... ओम के हाथ पैर फूल गये....
करीब 1 घंटे बाद उनकी कार गेट से निकली और गायब हो गयी.... शिवानी की लाश लिए.
ओर उधर
मनाली में करीब 8:00 बजे टफ ने नीचे जाकर मॅनेजर को 1000 रुपए का नोट दिया... और 8:30 बजे तक उपर खाना लगाने का आदेश दिया.... और उसके बाद किसी को भी उपर ना आने देने के लिए कहा.... मॅनेजर ने खुशी से नोट अपनी जबे में डाला और साहब को इनायत बखसने के लिए धन्यवाद दिया...उसको तो 10:00 बजे निकलना ही था... होटेल का हाउस फुल होने की वजह से कस्टमर की तो उम्मीद थी ही नही... उसने रूम सर्विस देने वेल अपने एक मात्रा वेटर को बुलाया और सब समझा दिया....
उसके बाद वा होटेल के किचेन में गया... खाना उसके कहते ही बन-ना शुरू हो गया था...
राज ने केमिस्ट की दुकान से लाई गयी कुछ नशे की दवाइयाँ उसको दे दी थी.... खाने में मिलाने के लिए... टफ ने वैसा ही किया... और 500 का नोट वेटर को दे दिया.... ," शाब! क्या मामला है... आज क्या कुछ बड़ा हाथ मारना है.."
राज ने उसके गाल पर एक ज़ोर का तमाचा दिया.... कुक सब समझ गया," सॉरी, शाब! मैं तो ऐशी पूछ रहा था...
उसके बाद टफ वापस आ गया... आज वह पहली बार किसी के कहे पर चल रहा था... पता नही राज का दिमाग़ अचानक कैसे चलने लगा था....
प्यारी ने नीरू को बुलाकर कहा... आज खाना जल्दी खाना है.... उसके बाद तैयार हो जाना... सेक्स गेम के लिए...!
जैसे जैसे सबने डिन्नर शुरू किया... नशे की गोलियाँ अपना रंग दिखाने लगी... लड़कियों को आज स्वाद कुछ अजीब लग रहा था... पर आज तो सभी कुछ अजीब सा हो रहा था... इसीलिए... गेम की चिंता में डूबी लड़कियाँ.. आपस में ख़ुसर फुसर करते करते खाती रही.....
खाने के करीब 15 मिनिट बाद उनके हाव भाव में परिवर्तन आना शुरू हो गया... उनकी एक दूसरी से बात करते हुए झिझक कम होती जा रही थी... कोमल ने नीरू से कहा," क्या तू सच में गेम में हिस्सा लेगी..."
नीरू हँसने लगी," जो वाआअदाअ कियाअ है वो निभाना पदेयययगाअ.. हमनेययय बुलायाअ तुमको आआना पड़ेगाअ...!" जब सबसे ज़्यादा अपनी इमेज का ख्याल रखने वाली समझदार नीरू का ये हाल था... तो दूसरों के तो कहने ही क्या थे... अब उनमें इश्स बात पर बहस होने लगी थी की आज के कॉंटेस्ट में प्राइज़ कौन जीत सकता है...!"
"एक दूसरी लड़की अनिता सबको अपना आइडिया बता रही थी," मैं तो चार चार सूट पहन कर जवँगी... फिर कोई मुझे कैसे नंगा करेगा...!" और लड़कियाँ हंस पड़ी... उन्न पर गोलियों का शुरूर छा गया था...! सब लड़कियाँ बारी बारी से बाथरूम में जाती और देख कर आती की वो नंगी होने पर भद्दी तो नही लगेंगी... हर तरफ हँसने गाने की आवाज़ें गूंजने लगी... शरम हया होटेल से कहीं दूर जा चुकी थी... सारा होटेल ही जैसे किसी बहुत ही शानदार फेस्ट की तैयारी कर रहा था...
करीब 9:30 बजे... टफ ने ड्राइवर और कंडक्टर को बुलाया..," हां साहब! बताइए... वो अभी तक इश्स बात से अंजान थे की वहाँ क्या कुछ होने वाला है...
"ये पाकड़ो अपना किराया... और यहाँ से फुट लो!" टफ ने अपनी रौबिली आवाज़ में कहा..
"क्यूँ जनाब! हमसे कोई ग़लती हो गयी क्या?" ड्राइवर ने पूछा...
" वो हम शायद कुछ दिन और रुकेंगे! तुम चले जाओ!"
"पर जनाब! हूमें कोई काम नही है... हम रुक जाएँगे..." हसीन परियों के बाजू वाले कमरों में कौन नही रहना चाहता... धंधा अपनी मा चुडवाए...
"तुमसे कह दिया ना... अभी चल दो.. सुबह तक पहुँच जाऊगे.. या दूसरे तरीके से समझना पड़ेगा!"
" ठीक है जनाब, हमें पूरा किराया मिल गया.. हमें और क्या चाहिए..." दोनो को पता चल चुका था की ये भिवानी मैं सब इनस्पेक्टर है... वो चुप चाप वहाँ से खिसक लिए...
करीब 9:45 पर प्यारी देवी ने सभी लड़कियों को उपर डाइनिंग हाल में बुलाया," सुनो लड़कियो! इश्स खेल का नियम है की कोई भी लड़की 4 से ज़्यादा कपड़े अपने सरीर पर नही डालेगी... सिर्फ़ तुम्हारी ब्रा, पनटी, कमीज़ और सलवार के अलावा कुछ नही होना चाहिए.... हां कम चाहे तो पहन सकती हो... याद रखना... जो ग्रूप में सबसे पहले अपने कपड़े उतार देगी.. वही विजेता होगी... अभी तुम जाओ और तैयार होकर जल्दी आ जाओ....
करीब 10:15 पर राज और टफ ने डाइनिंग हाल में प्रवेश किया... लगभग सभी लड़कियाँ अपनी सीटो पर कब्जा जमा चुकी थी.... सुबह तक जो लड़कियाँ... सबसे पीछे वाली से भी पीछे बैठने की जुगत में थी.. अब उनमें आगे बैठने की कसक थी...
कुछ ही देर बाद गौरी और अंजलि ने प्रवेश किया... गौरी लड़कियों में जाकर बैठ गयी.. अंजलि टफ की बराबर में जाकर बैठ गयी... उसने भी वही भोजन किया था जो लड़कियों ने किया था... गौरी लगातार टफ को घूरे जा रही थी... पता नही क्या ढूँढ रही थी...
राज रेफ़री था... आगे आया और बोला.. इन्न पर्चियों में सबके नाम लिखे हैं... अब कोई एक लड़की आए और इनको 11-11 में बाँट कर 4 ढेरी बना दे... उसके बाद हम खेल शुरू करेंगे...
लड़कियों के बीच से नीरू उठ कर आगाई... वो राज के पास जाकर ऐसे मुस्कुराइ जैसे उसको दिन वाली बात याद दिला रही हो... जब उसने राज का हाथ अपनी छातियों पर ही पकड़ लिया था...
नीरू ने बंद पर्चियों को अलग अलग करके 4 ग्रूप्स में बाँट दिया... राज ने एक ग्रूप की पर्चियाँ उठाई... सभी लड़कियाँ अपना अपना ग्रूप जान-ने को बेचैन थी... बिना बात ही... नंगा तो सभी को होना था...
सभी के ग्रूप घोसित कर दिए गये... निशा सरिता के ग्रूप में आई थी... गौरी.. और नीरू का दूसरा ग्रूप था... कोमल, अदिति, तीसरे ग्रूप में थी... स्वाती, और मुस्कान और नेहा का नंबर चौथे ग्रूप में पड़ा था... हर ग्रूप में 11 लड़कियाँ थी... हर लड़की का चेहरा लाल हो चुका था.. और तकरीबन सभी.. जीतना चाहती थी...
पहले ग्रूप को बुलाया गया... सभी 11 लड़कियाँ स्टेज पर पहुँच गयी... निशा ही कुछ हिचकिचा रही थी.. बाकी सब मस्त थी...
सबने अपने अपने क्वेस्चन लिखे थे... उनकी पर्चियों को मिला कर राज ने एक पर्ची को उठाया... सरिता का नाम आया..
प्यारी खुश हो गयी.. पर सरिता उदास थी... इश्स बार वो कपड़े नही उतार पाएगी...
राज बाकी लड़कियों की और मुड़ा और उनको अपना एक वस्त्रा उतारने को कहा... सबने अपनी सलवार उतार दी... सबसे कम नगी होने के लिए सलवार ही सबको ठीक लगी...
निशा की मांसल गोले जांघों पर सबकी नज़र पड़ी... टफ के साथ पीछे की और बैठे राकेश ने अपना लंड संभाल लिया... दूसरी लड़कियाँ भी घुटनो से कुछ उपर तक नंगी हो चुकी थी... नशे में भी सलवार उतारते ही उनकी जांघों के बीच सीटी बाज गयी... राज ने सब लड़कियों को उपर से नीचे तक देखा... लड़कियाँ अब भी कुछ शर्मा रही थी...
कुर्सियों पर अपने अपने ग्रूप में बैठी लड़कियाँ.. उनकी हालत देखकर सकपका गयी.. वो अपने आपको उनकी जगह देख कर....सोचने लगी.. मिस्रित सी भावना अब उनकी आँखो में थी.. शर्म की भी, बेशर्मी की भी....
राज ने सरिता से उसका सवाल पूचछा... सरिता ने बेहिचक कहा," सर, प्यार क्यूँ होता है?
राज ने सवाल लिख लिया...
लड़कियाँ जाकर वापस बैठ गयी...
2न्ड ग्रूप का नंबर आया..... गौरी और नीरू इश्स ग्रूप में एक दूसरे से मुकाबला कर रही थी...
पर्ची कीर्ति की निकली... वो बच गयी....
नीरू और गौरी ने एक दूसरी की और देखा... गौरी ने झुक कर अपनी लोवेड उतार दी.. वो सूट और लोवर में थी... उसके सलवार निकलते ही हर जगह सीटी बाज गयी... लड़कियों की और से... वो थी ही इतनी सुन्दर की लड़कियाँ भी उस्स पर जान छिडकती थी.......
नीरू ने अपने हाथ उपर उठाए और अपना कमीज़ निकल दिया... राज तो जैसे पीछे गिरते गिरते बचा... नीरू ने अपनी ब्रा नही पहनी हुई थी.......
राज ने मुश्किल से अपने को गिरने से बचाया........... उसने देखा... टफ अभी भी सो रहा है.... उसने टफ को उठाया... अभी भी वो शानदार सपने के जाल से निकला नही था...तो भाई लोग आप समझ गये होंगे ये सब एक सपना था जो राज देख रहा था
टफ ने उठकर टाइम देखा," सुबह के 10 बाज चुके थे...
राज ने उससे पूचछा," क्या बात है.. घर नही चलना क्या? हमें तो रात को ही निकलना था ना! राज ने ज़ोर की जमहाई लेते हुए कहा...
"कोई सपना देख है क्या भाई.. अभी 5-6 घंटे पहले तो पहुँचे हैं... तू वापसी की बात कर रहा है....
राज का ध्यान अपने कच्चे पर गया... वो पूरी तरह उसके रस से चिपका सा हुआ था... शायद रात को काई बार नाइटफॉल हो गया...
राज ने उठकर परदा हटाया... दूर चोटियों पर जमी बर्फ सूर्या की रोशनी से चमक रही थी... वो बाथरूम में घुसकर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा....
करीब 12 बजे तक सभी नहा धोकर तैयार हो चुके थे... बाहर मस्ती करके आने के लिए...
दिन भर सबने खूब मज़ा लिया... मनाली में घूमने का और मार्केट में खरीदारी करने का....
रात को टफ और अंजलि ने रूम चेंज कर लिया... जैसे राज के सपने में हुआ था... बस गौरी, सरिता और कामना गायब थी...
अगले दिन वो रोहतांग दर्रे पर घूम कर आए... सबने खूब मज़ा लिया... रास्ते भर तीनो माले मस्ती करते गये लड़कियों के साथ... अपने अपने तरीक़ो से....
रात को राकेश ने दिव्या से अपने कमरे में ले जाकर प्यार किया और टफ ने सरिता को बुलाकर उसकी मा के सामने ही चोदा... और मा को फिर सरिता के सामने...
अगले दिनभर जिसका जो दिल चाहा किया... घूमे फिरे थकान उतरी और शाम को घर वापसी की तैयारी की...
करीब 7:00 बजे वो घर के लिए निकल पड़े..... ये वही रात थी जिस दिन शिवानी के साथ वो हादसा हुआ....
पर राज इश्स बात से बेख़बर था...........निसचिंत......
हर एक के चेहरे पर तौर से कुछ ना कुछ मिलने की खुशी थी..........
बस में आते हुए राज का ध्यान बड़ी शालीनता के साथ बैठी हुई नीरू पर था... आज उसने उसके सपने में अपनी कमीज़ उतार दी थी और बिना शरमायें सबको अपनी उभरती जवानियों का दीदार करा दिया था...
राज का ध्यान बार बार उसकी तरफ जा रहा था... क्या ऐसा कभी असलियत में हो सकता है?....
नीरू अपनी सॉफ सुथरी इमेज के लिए पुर गाँव में प्रसिद्ध थी... कोई लड़का उसकी तिरछी नज़रों से भी कभी देखता नही पाया गया था... फिर उसकी मस्कराहट किसी पर मेहरबान हुई हो... ये तो कभी किसी ने उसके 16 पर के बाद देखा ही नही था.. दिशा की तरह... अपनी नाक पर मक्खी तक को ना बैठने देने वाली...
स्कूल की सभी लड़कियाँ उसको अपना निर्विवाद नेता मानती थी... जब भी कभी किसी बात पर दो राय हो जाती... नीरू से ही पूछा जाता...
नीरू थी भी इश्स सम्मान के लायक... एक ग़रीब घर में पैदा होने के बावजूद.. उसने अपन पहचान बनाई थी... अपनी समझदारी, बेबाकी और बेदाग चरित्रा से...
हालाँकि वा इतनी हॅस्ट पुस्त नही थी... पर उसकी इमेज उसको उससे कही ज़्यादा सुंदर लड़कियों से भी सेक्सी बनती थी... गरमा-गरम... पर फिर भी बिना पका हुआ... बिना 'फुक्कका' हुआ...
राज को अपनी और देखता पाकर नीरू उसकी सीट के पास गयी," सर! कुछ कह रहे थे क्या?"
राज हड़बड़ा गया, यह सिर्फ़ वही जानता था की उसके सपने में वो आई थी... बिना ढके... ," आअ..नही कुछ नही"
ऐसी लड़की से दर होना लाजमी था.. किसी की आज तक उसको प्रपोज़ करने की हिम्मत ना हुई थी..
नीरू वापस अपनी सीट पर कोमल के साथ बैठ गयी... सुबह के 3:00 बजे वो भिवानी जा पहुँचे...
उधर शिवानी की लाश को भिवानी हाँसी रोड पर लेकर चल रहे शिव और ओम का नशा काफूर हो चुका था... अब उनकी समझ नही आ रहा था की क्या करें..
ओम ने कार चला रहे शिव को देखकर कहा," यार तूने तो अपने साथ मुझे भी फंस्वा दिया... कम से कम ये जिंदा होती तो बलात्कार का ही इल्ज़ाम लगता, वो भी तुझपर... मर्डर में तो मैं भी साथ ही जवँगा!" यार तुझे जान लेने की क्या ज़रूरत थी...
"आबे! मैं कोई गधआ हूँ क्या.. जो जान बूझ कर जान लूँगा..! वो चिल्ला रही थी.. मैने उसका मुँह दबा लिया... नशे में ये होश ही नही रहा की उसकी साँस भी बंद हो सकती है..."
"तो फिर इसका करना क्या है अब?"
शिव चलता रहा...," इसको बहुत दूर जाकर फैंकना पड़ेगा.. ताकि कोई इसको आसानी से पहचान ना सके...!"
"मेरे पास एक आइडिया है... ये साँस बंद होने से मारी है... अगर हम इसको नदी में फैंक दे तो?"
शिव को आइडिया बेहद पसंद आया.. , उसने गाड़ी वापस घुमाई और करीब 5 किलो मीटर पीछे रह चुकी नहर की और चलने लगा....
नहर के पुल पर जाकर शिव ने गाड़ी पटरी पर दौड़ा दी... रात का समय था... बंदे की जात भी नज़र नही आ रही थी... थोड़ी दूर जाकर शिव ने गाड़ी नहर के साथ लगा दी...
"ओम! इसको पानी में फैंक दो...!"शिव ने ओम से कहा..
ओम पागल नही था..," बहुत अच्छे... करम करो तुम! भुगतें हम! ये काम में नही करूँगा... खुद उतरो.. और जो करना है करो..."
" तो तुम नीचे नही उतरोगे...! तुम भी बराबर के दोषी हो मत भूलो! मैं तुम्हारे ही पास था... तुमने ही मुझे शराब पिलाई.. और ना ही त्मने मुझे कुछ करने से रोका... और तो और तुमने ही इसके हाथ पैर पकड़े और इससे बलात्कार भी किया..!"
"क्या बक रहे हो?" ओम ने उसको हैरानी से देखा... ," ऐसा कब हुआ था..?"
"पर अगर कुछ गड़बड़ हुई तो पोलीस को मैं यही बतावँगा...!" शिव ने धूर्त-ता से कहा...
ओम मुनु बनाकर उतार गया... खिड़की खोलकर उसने शिवानी को बाहर की और खिछा..," वो आसचर्या और ख़ुसी से उछाल पड़ा..," ओह! तेरे की, ये तो जिंदा है...!"
"कयय्य्ाआआआअ?" शिव को भरोसा ना हुआ... वा तेज़ी से पिछे पलटा...," का बकवास कर रहे हो?...
"हां भाई... देख हाथ लगाकर देख..."
शिव ने उसका कलाई पकड़ी.. नब्ज़ चल रही थी... पर शिवानी में कोई गति ना थी... वा शायद बेहोशी या सदमें में थी...," अब क्या करें... मर गये!.. अब तो इसको मारना ही पड़ेगा..! चल इसको पानी में फैंक दे... अपने आप मर जाएगी!"
ओम की मुश्किल से जान में जान आई थी... एक वही तो गवाह थी.. जो उसको बचा सकती थी...," तू पागल है क्या... अपने बचने की टिकेट सिर्फ़ इसी के पास है... अगर मर गयी तो दोनो में से एक के फँसते ही दोनो फँसेंगे... मेरे पास एक आइडिया है...!"
"क्या?" शिव की समझ में कुछ नही आ रहा था.. उसको सच में ही आइडिया की ज़रूरत थी...
"इसको अपने फार्म हाउस पर क़ैद करके रखो....! अगर कुछ समस्या आई.. तो हम इसको जिंदा तो बरामद करा सकते हैं... अगर कोई समस्या ना आई तो तुम बेशक इसको मार देना....!" ओम ने उसको समझाया...
"कम से कम फाँसी से बचने के लिए शिव को ये उपाय पसंद आया... वे दोनो गाड़ी में बैठे और वापस हँसी की और चल दिए... वाया रोहतक.. बहड़ुरगर्ह... अपने फार्महाउस पर जाने के लिए...!
"यार! तू मुझे वापस छोड़ दे? घर जाकर मैं वहाँ की हालत ठीक कर दूँगा...!" ओम अपने आपको अब इश्स वारदात से दूर कर लेना चाहता था...
शिव ने कुछ देर सोचा... उसको लगा ये ठीक ही कह रहा है... अगर किसी पर शक होगा तो सबसे पहले ओम पर ही होगा... घर की ऐसी हालत देखकर!" और ओम फँसा तो समझो शिव तो फँस ही गया... उसने फिर से गाड़ी घुमा दी और तेज़ी से भिवानी की और चलने लगा...
करीब 1 बजे शिव ने ओम को गाँव के बाहर उतार दिया.. और वापस घूम गया... उसने शिवानी का हाथ पकड़ा.. उसने कोई हुलचल नही दिखाई दी... उसने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी...
ओम ने घर पहुँच कर सबसे पहले दारू की बोतल वाहा से हटाई.. फिर किचन को सॉफ किया ... गॅस अभी तक चालू थी... रोटी 'रख' बन चुकी थी..... गॅस बंद करके ओम पहले बेडरूम में गया.. और बिस्तेर की सीवतें ठीक की... एक जगह फर्श पर खून लगा हुआ था... ओम की समझ में नही आया की वो खून आख़िर है किसका.. पर उसने उसको भी सॉफ किया...
किचन की सफाई करने के बाद उसने हर जगह घूम कर देखा.... सब कुछ ठीक ठाक था... वा निसचिंत होकर बेड पर लेट गया... पर नींद उसकी आँखों में नही थी... वा यूँही करवट बदलता रहा...
.... बाथरूम में हॅंगर पर शिवानी का सूट टंगा हुआ था... राज का मनपसंद सूट... जो शिवानी अपने मयके जाते हुए पहन कर गयी थी... और वही पहन कर भी आई थी.. अपने राज के लिए!!
यहाँ ओम ग़लती कर गया....
करीब 3:30 पर बस स्कूल के पास आकर रुकी... सभी सो रहे थे...
ड्राइवर ने हॉर्न देकर सबको जगाया... नींद में आंगड़ाई लेते हुए सभी स्कूल की लड़कियाँ नीचे उतार कर अपने कपड़ों को ठीक करने लगी....
टफ, राज, अंजलि और प्यारी सबसे आख़िर में उतरे...
प्यारी ने टफ की और मुस्कुरकर देखा... उसको टूर पर ले जाने के लिए.. और टूर पर मज़ा देने के लिए..
टफ मुस्कुरा दिया," अच्छा आंटी जी, फिर कभी मिलते हैं...."
अंजलि ने टफ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए राज से कहा," ये भी हमारे साथ ही चल रहे होंगे...
"नही नही.. मैं तो प्यारी आंटी के साथ ही जवँगा..." टफ ने हंसते हुए कहा और राज के साथ ही चलने लगा... गौरी ने निशा को भी अपने साथ ले लिया... सभी घर पहुँच गये...
अंजलि ने बेल बजाई... जागते हुए भी ओम ने थोड़ी देर से दरवाजा खोला.... ताकि उनको लगे की वो सो रहा था...
अंजलि ने अंदर आते ही टफ का इंट्रोडक्षन करवाया," ये हैं सब इनस्पेक्टर इन क्राइम ब्रांच, भिवानी! राज के...!"
सुनते ही ओम के माथे पर पसीना छलक आया... और दो बूंदे उसके लंड से भी चू पड़ी... पेशाब की... उसने अपना डर उससे नज़र हटा कर हटाया... वा कुछ ना बोला...
टफ की नज़र टेबल के पाए के साथ पड़े सिग्गेरेत्टे के टोटके पर पड़ी...," यार ये नेवी कट कौन पीता है... इसका तंबाकू तो बहुत तेज़ है!"
अंजलि ने जवाब दिया," यहाँ तो कोई सिग्गेरेत्टे पीता ही नही!" "या फिर छुप छुप के पीते हो!" अंजलि ने ओम की और मुखातिब होते हुए कहा....
"इश्स साले इनस्पेक्टर को भी अभी मरना था..!" ओम ने मॅन ही मान सोचा और कुछ बोला नही.. जाकर बिस्तेर पर ढेर हो गया...!"
उसका पसीना सूखने का नाम नही ले रहा था," पता नही क्या होगा!!!
तो भाई लोग कहानी अभी बाकी है .आगे का हाल जानने के लिए पार्ट 18 का इंतजार करे
आपका
राज शर्मा
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