Tuesday, June 22, 2010

गर्ल्स स्कूल पार्ट --59

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

गर्ल्स स्कूल पार्ट --59

हेल्लो दोस्तों मैं यानिआप्का दोस्त राज शर्मा पार्ट 59 लेकर हाजिर हूँ अब आप कहानी का मजा लीजिये

उधर राज जैसे ही कमरे से निकल कर बाहर आया, उसने प्रिया को अपने इंतजार में बाहर खड़ी पाया.. राज मंद मंद मुस्कुराते हुए सीधा उसके पास जा पहुँचा..
"हां.. प्रिया.. बोलो!"
"मैं.. नही.. मैने तो नही बुलाया.. किसने बोला?" प्रिया राज की शरारत भारी नज़र देख सकपका गयी...
"चलो.. रिया ने यूँ ही बोल दिया होगा.. कुच्छ देर तुम्हारे पास बैठ सकता हूँ क्या?" राज उसके दिल की हालत समझ रहा था...
प्रिया को समझ ही नही आया की क्या बोले," हां.. नही... मतलब.. वो.. मैं..!"
"थॅंक्स!" राज हंसा और कमरे के अंदर आ गया... इस तरह अकेलेपन में उसके साथ खुद को पाकर हड़बड़ाई हुई प्रिया बहुत प्यारी लग रही थी... और सबसे प्यारी लग रही थी उसकी आँखें.. जो उपर उठने का नाम ही नही ले रही थी...
"क्या बात है..? तुम नही आओगी क्या अंदर..? मैं क्या तुम्हे खा जाउन्गा.." राज अंदर जाते ही बिस्तेर पर पसर गया...
प्रिया सिर झुकाए हुए अंदर आ गयी.. धीरे धीरे चलते हुए उसका पूरा बदन लरज रहा था.. अंदर आकर प्रिया बेड के दूसरी तरफ जा कर खड़ी हो गयी.. हुल्के से नज़रें उठाकर उसने राज की तरफ देखा पर अपनी और ही देखता पाकर तुरंत गर्दन घुमा ली....
"बात क्या है प्रिया? मुझसे कोई नाराज़गी है क्या? अगर है तो बिना वजह पूच्छे ही मैं माफी माँग लेता हूँ.. पर तुम ऐसे गम्सम बिल्कुल अच्छि नही लगती.. तुम्हारी मुस्कान ही तो मेरी जान है.. एक बार हंस दो ना..." राज उठकर बैठ गया..
ये बात सुनकर प्रिया मुस्कुराए बिना ना रह सकी.. और अपनी प्रशंसा सुनकर अधरों पर आ गयी हँसी को च्छुपाने के लिए घूम कर उसने राज की तरफ पीठ कर ली...
राज तो कब से उसके बेपनाह हुश्न का दीवाना था.. और आज उसको लग रहा था कि बड़े दिनों से दिल में दबी हुई हसरतें आज पूरी हो सकती हैं... रात में हुई जिस बात को प्रिया आनंद का चरम मानकर अब तक उस खुमारी से नही निकल पाई थी.. राज ने उसको उनके संबंधों की प्रगाढ़ता की नीव मान रखा था.. उसको तो पता ही था.. मंज़िलें अभी और भी हैं...
राज उठा और दरवाजे को बंद करके चितखनी लगाने लगा.. प्रिया के रोम रोम में झुरजुरी सी उठ गयी," ययए.. ये क्या कर रहे हो...?"
"तुमसे कुच्छ खास बात कहनी है प्रिया!" राज मुस्कुराता हुआ उसकी और बढ़ा..
प्रिया के बदन में कल वाले कामुक आनंद की खुमारी अभी तक कायम थी.. अचानक उसका सारा बदन अंगड़ाई सी लेने लगा.. पर उसकी ज़ुबान कुच्छ और ही भाषा बोल रही थी..," नही प्ल्स.. दरवाजा खोल दो.. मेरे पास मत आओ प्ल्स.. मुझे.." कहते हुए पिछे हट'ते हट'ते प्रिया कमरे की दीवार से जा लगी..," नही प्ल्स... मान जाओ ना..!" उसके लब थिरकने लगे थे..
राज पर उसकी बातों का कोई असर नही हुआ.. वह धीरे धीरे मुस्कुराता हुआ जाकर उसके पास खड़ा हो गया.. करीब एक फुट की ही दूरी अब उन्न दोनो के दरमियाँ थी..," क्यूँ? आज किसका डर है? और देख लो.. आज भी तुमने ही बुलाया है.. फिर मेरा क्या कुसूर..?"
प्रिया ने राज को उसके और करीब आने से रोकने के लिए अपने हाथ उठाकर राज की छाती पर रख दिए.. अपने दायें हाथ के नीचे राज के दिल की धड़कनो को महसूस कर रही थी,"क्या करोगे?" प्रिया ने उसकी आँखों में आख़िर आँखें डाल ही ली..
"जो तुमने किया है?" राज अपने होंठो पर जीभ फेरता हुआ शरारत से मुस्कुराने लगा...
"क्या?" धीरे धीरे प्रिया की हिचक टूट रही थी.. और वो भी बात कहते हुए कभी कभी शर्मकार मुस्कुराने लगी...
"तुम्ही देख लो तुम क्या कर रही हो.. वही मुझे भी करना है!" राज ने अपनी छाती पर रखे उसके हाथों की और उंगली से इशारा करते हुए कहा...
प्रिया तुरंत समझ गयी.. अगले ही पल उसने वहाँ से हाथ हटाकर अपनी अनमोल कुँवारी छातियो को उनकी मदद से छुपा लिया.. राज मुस्कुराया तो प्रिया का दिल धौंकनी की तरह धड़कने लगा," नही.. मैं नही..." कहते हुए प्रिया घूमकर दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो गयी...
राज उसकी तरफ थोड़ा और बढ़ गया और आगे झुक कर उसके गालों के पास अपने होन्ट ले जाते हुए बोला," छ्छूने दो ना प्ल्स.. जाने कब से इनका प्यासा हूँ.. कितनी प्यारी हो तुम.. सिर्फ़ एक बार महसूस कर लेने दो.." राज ने प्रिया के कंधों पर अपने हाथ जमा दिए....
प्रिया की साँसें अचानक डाँवडोल होने लगी... राज की जांघों का अग्रभाग प्रिया के नितंबों से जा टकराया था.. इस अनोखे स्पर्श की मिठास के आगे उसको दुनिया की सारी खुशियाँ फीकी लगी.. पर शर्म की चादर उसके दिमाग़ पर से उतरने को तैयार ही नही थी..," आह.. राज.. प्ल्स.. मत करो ना ऐसे.."
"मैने अभी तक किया ही क्या है?" राज ने अंजान बन पूचछा.. उस कामुक मीठास में वैसा ही सुख राज को भी मिला था.. प्रिया के मादक और गदराए नितंबों की थिरकन अपनी जांघों पर महसूस करके.. बोलते हुए उसने हल्का सा दबाव और बढ़ा दिया...
प्रिया सिसक उठी.. राज को पीछे धकेलने के लिए जैसे ही वो अपने हाथों को नीचे लेकर आई.. राज ने भी तुरंत हाथ नीचे लाकर उसके कलाईयों को पकड़ लिया .. इस धक्का मुक्की में प्रिया झुक कर थोड़ी और पिछे सरक गयी और उसके मुँह से 'अयाया' निकल गयी.. उसने राज को अपने नितंबों से बिल्कुल चिपका हुआ महसूस किया...

मैं... मैं मार जाउन्गि राज... प्लीज़.. छ्चोड़ दो मुझे.." साँसें तेज हो जाने की वजह से प्रिया की ज़ुबान लड़खड़ाने लगी थी...

"सच में छ्चोड़ डून क्या?" कहते हुए राज ने उसके हाथों को उपर उठाकर उन्हे कंधों की सीध में दीवार पर चिपका लिया.. और उसके गर्दन पर प्यार से चुंबन अंकित कर दिया.. ये राज को भी अहसास था की प्रिया की ज़ुबान कुच्छ और ही कह रही है और दिल कुच्छ और ही...
"क्या... करोगे तुम?" प्रिया ने कामुकता भारी लंबी साँस लेते हुए कहा... अब तक वा भी अपना बदन ढीला छ्चोड़ चुकी थी और राज की साँसों समेत उसके हर अंग को अपने में उतरता हुआ महसूस कर रही थी...
"सब कुच्छ.. जो करते हैं.. प्यार में.." राज उसकी घूम चुकी गर्दन के कारण नज़दीक आ गये होंतों को अपने होंटो से छ्छूता हुआ सा बोला...
"सब कुच्छ क्या? क्या क्या करते हैं प्यार में?" प्रिया ने कहा और अचानक झटके से अपने हाथ छुड़ाकर घूमी और उसकी छाती से लिपट गयी.. बहुत सहन कर लिया था उसने.. अब बर्दास्त के बाहर की बात थी, सीने को सीने से दूर रख तड़पने देना..
राज ने प्रिया को अपनी बाहों में कसते हुए जाकड़ सा लिया.. और प्रिया अपना चेहरा अपने आप ही उसके सामने लाकर उसके होंटो को जी भर कर चूमने का निमंत्रण देने लगी...
"तुम्हारे होन्ट भगवान का मुझे दिया गया सबसे अनमोल तोहफा हैं प्रिया.. मैं इन्हे देखते ही मचल जाता हूँ.. इनका सारा रस चूम लेने के लिए.."राज ने उसको भावुक सा कर दिया.. बिना कुच्छ बोले ही प्रिया ने अपनी आँखें बंद की और अपने रसीले गुलाबी अधरों को राज के होंटो पर टीका दिया.. राज ने भी अपनी आँखें बंद की और अपने होन्ट खोल कर मस्ती से उनका रास्पान करने लगा...
प्रिया की संतरी ठोस छातियो में घुटन सी होने लगी.. राज के सीने से चिपक कर दब गयी छातियो में अजीब सी कुलबुलाहट होने लगी थी.. प्रिया और राज एक दूसरे के होंतों को चूमने चूसने में लगे थे की अचानक राज ने अपनी जीभ निकल कर उसके होंटो में फँसा दी...
प्रिया को अचानक जाने क्या ख़याल आया की वो अपने होंटो को राज से मुक्त करके ज़ोर से हंस पड़ी...
राज भोंचक्का सा रह गया..," क्या हुआ? अच्च्छा.. जीभ नही डालूँगा.. होन्ट तो दे दो.."
"पर वजह कुच्छ और ही थी.. प्रिया तुरंत एक बार फिर उसके होंटो से लिपट गयी और इस बार उसने अपनी जीभ निकाल कर राज के मुँह में डाल दी.. दोनो पागल से हो चुके थे.. मानो चूमा चाति के इस खेल में एक दूसरे को हराकर ही दम लेंगे.. काफ़ी देर से वो वहीं खड़े थे.. राज ने उसको धीरे धीरे सरका कर बिस्तेर की तरफ ले जाना शुरू किया.. बिस्तेर के पास जाते ही प्रिया किसी हुल्‍के खिलौने की भाँति अपने आप ही बिस्तेर पर ढेर हो गयी.. और राज को प्यार से निहारने लगी...
"क्या हो गया था? तुम हँसी क्यूँ?" अगला कदम बढ़ाने से पहले राज अपनी उत्सुकता ख़तम कर लेना चाहता था..
"कुच्छ नही.." और प्रिया एक बार फिर हँसने लगी....
"ऐसे हँसोगी तो मैं तुम्हे छ्चोड़ूँगा नही.. देख लो.." राज ने बनावटी गुस्से से कहा और खुद भी हँसने लगा...
"मत छ्चोड़ो.. मैं कब कह रही हूँ.. छ्चोड़ने के लिए..!" प्रिया अब भी हंस रही थी..
राज ने उसकी बराबर में लेट कर फिर से चूमा चाती शुरू कर दी और उसके पेट पर जॅकेट के उपर से ही हाथ फिराने लगा..," इसको निकाल दो ना...?"
प्रिया तो जैसे उसके निमंत्रण का ही इंतजार कर रही थी... झट से उठी और जॅकेट उतार कर एक तरफ रख दी," बस.. खुश?" और बैठी रही...
"अच्च्छा.. यही बात है तो फिर ये टॉप भी निकाल दो ना.. अच्च्छा नही लग रहा.." राज शरारत से कहकर मुस्कुराया...
"मैं.. मैं तुम्हे छ्चोड़ूँगी नही.. टॉप निकाल दूं? अच्च्छा.. तुम तो पूरी बेशर्मी पर उतर आए.." कहते हुए प्रिया ने उस पर धावा बोल दिया.. उसके उपर जा गिरी और राज की गर्दन पर अपने दाँत चुभा दिए..
राज को हुए इस हल्के से दर्द में भी अजीब सा नशा था.. उसने अफ तक ना की और प्रिया को अपने उपर खींच लिया.. अब प्रिया की छातिया आधी राज के सीने में पायबस्त थी और आधी उसके चेहरे के बिल्कुल सामने..
पता नही जान बूझ कर या अंजाने में पर प्रिया ने अचानक ऐसी कामुक हरकत की की राज तड़प उठा.. प्रिया ने अपनी एक टाँग उठाकर राज की जांघों के उपर डाल दी.. और राज का पहले ही तननाया हुआ लिंग एक दम सिसक उठा.. प्रिया की जांघों के नीचे फुफ्कार उठा उसका लिंग प्रिया की कुँवारी चिड़िया की भनक अपने आसपास पाते ही दहाड़ उठा.. उसकी छट-पटाहट प्रिया को अपनी जांघों के बीच महसूस हुई तो उसने एकद्ूम अपनी टाँग वापस खेंच ली और फिर से हँसने लगी...
"तुम्हे आख़िर हो क्या गया है.. बार बार हंस क्यूँ रही हो..?" राज ने उसके होंटो से अलग होते हुए कहा...
इस बार प्रिया ने राज के सामने अपने हँसने का राज खोल ही दिया.. उसके उपर झुकते हुए वो अपने होंटो को राज के कान के पास ले गयी और बोली," तुम्हारा कुच्छ मुझे बार बार चुभ रहा है... और मुझे गुदगुदी सी हो जाती है.."
"मैं समझा नही..." राज सचमुच नही समझ पाया था...
"ये.." प्रिया ने तेज़ी से अपना हाथ नीचे ले जाकर राज के लिंग को च्छुआ और उतनी ही तेज़ी से उसको वापस खींच लाई...
राज प्रिया की बात सुनकर मस्ती से झूम उठा..," यही तो असली चीज़ है..." कहते हुए राज अपना हाथ प्रिया के सीने पर ले गया.. प्रिया को उनमें चीटियाँ सी रेंगती हुई महसूस हुई....
"हां.. हां.. मुझे सब पता है.. मुझे समझने की कोशिश मत करो..." प्रिया ने कहा और राज के होंटो को चूम लिया.. अब वह इंतजार कर रही थी की कब राज अपना हाथ उसकी जांघों के बीच लेजाकार उसको कल रात वाला मजेदार अहसास फिर से कराएगा....
"क्या पता है तुम्हे..?" राज मुस्कुराते हुए बोला...
"यही की इसी से बच्चे पैदा होते हैं.. शादी के बाद.." प्रिया ने भोलेपन से कहा...
"अच्च्छा.. और कैसे पैदा होते हैं भला..?" राज ने उसको छेड़ते हुए कहा..
"ज़्यादा बकवास मत करो.. मैं अब उठती हूँ.. कोई आ जाएगा..." प्रिया ने ऐसा जानबूझ कर कहा था.. क्यूंकी जांघों के बीच की बेचैनी उस'से सहन नही हो रही थी... वह चाह रही थी की अब जल्दी से जल्दी राज का हाथ वहाँ पहुँच जाए...
"अब तुम्हे उठने कौन देगा.." कहते हुए राज अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर उसकी जीन्स का हुक खोलने लगा.. प्रिया अब शुरू होने वाले खेल को जान कर एक दम बेदम सी गयी और राज के सीने पर सिर टीका अपने नितंबों को उपर उठा जीन खोलने में उसका सहयोग करने लगी..
हुक खोलते ही राज ने जीन की चैन भी नीचे सरका दी.. अब प्रिया राज को देखने की हिम्मत नही कर पा रही थी.. इसीलिए झुक कर उसकी गर्दन से लिपट गयी...
जैसे ही राज ने जीन को नीचे खींचा.. वह चिंहूक उठी..," ये.. ये क्यूँ निकाल रहे हो.. " गरम साँसें राज के कानो में छ्चोड़ती हुई वो धीरे से सिसकी..
राज ने उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नही दी और अपने काम में लगा रहा.. कुच्छ ही देर बाद प्रिया की जीन राज के हाथों में थी...
जैसे ही राज बैठने की कोशिश करने लगा.. हड़बड़ाई हुई प्रिया ने उसको वहीं दबोचने की कोशिश की..," उठो मत प्ल्स.. मुझे शरम आ रही है!" प्रिया का गाल एकद्ूम लाल हो गये...
"आज मत रोको प्रिया.. आआज मत रोको.. मुझे मंन की कर लेने दो प्ल्स.." कहते ही राज ने पलटा खाया और अगले ही पल सिसकती हुई प्रिया उसके नीचे थी.. शरम के मारे अब प्रिया अपनी आँखें नही खोल पा रही थी.. पर मन उसका भी बहकने लगा था.. वो भी मचल उठी थी.. अपने आपको राज की बाहों में पूरी तरह सौंप देने के लिए... राज ने जैसे ही नीचे देखा, उसने अपनी जांघों को एक दूसरे के उपर चढ़ा कर चिपका लिया...
एक दम मुलायम गोरी जांघों पर नायाब खजाने को छिपाये प्रिया की गुलाबी पॅंटी गजब ढा रही थी... योनि उसकी जांघों के बीच दुबकी हुई थी.. पर टॉप के उपर खिसक जाने की वजह से नाभि से नीचे का मादक कटाव ही राज के होश उड़ाने के लिए काफ़ी था... नाभि के आसपास लहराता हुआ राज का हाथ प्रिया की अपेक्षा के विपरीत उपर की और बढ़ने लगा तो वह कसमसा उठी और सिसकियाँ लेते हुए राज का ध्यान वहीं खींचने के लिए अपनी जांघों को सीधा करके ढीला छ्चोड़ दिया...
पर राज शायद स्टेप बाइ स्टेप आगे बढ़ने के मूड में था.. उसको प्रिया की बैचानी का अहसास तक नही हुआ.. और टॉप और समीज़ के अंदर धीरे धीरे उपर आता हुआ हाथ उसकी मादक छातियो की जड़ में आकर ठहर गया..
आँखें बंद किए सिसक रही प्रिया के होंटो का चुंबन लेते हुए राज ने आग्रह किया," इसको भी निकालने दो प्ल्स...!"
प्रिया तो जैसे वहाँ थी ही नही.. आनंद के सातवे आसमान में झूल रही प्रिया तो जैसे मदहोशी में पागल सी हुई जा रही थी.. उसने राज की बात पर कोई प्रतिक्रिया नही दी.. हां अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर राज को टॉप निकालने का इशारा ज़रूर कर दिया...
राज ने प्रिया को उपर से एक दम नंगी करने में कुच्छ पल ही लगाए.. और कपड़ों से छुट-कारा पाते ही एक लंबी सी साँस के साथ ही प्रिया के उरजों में कंपन का संचार हो गया.. गुलाबी रंग के उन्न गोलाइयों पर कसे हुए दाने अकड़ कर सीधे हो चुके थे.. राज ने ऐसे हसीन दृश्या की कल्पना तक नही की थी.. प्यार से एक उरोज को सहलाते हुए उसने अपनी तरफ वाले दाने को अपने दाँतों के बीच ले लिया.. इस हरकत पर प्रिया सिसक कर दोहरी सी हो गयी.. योवन फलों पर मानो बहार सी आ गयी.. प्रिया से रहा ना गया.. अपने हाथों से ही नीचे की खुजली मिटाने की फिराक़ में जैसे ही वो अपना हाथ नीचे ले जाने लगी.. राज ने उसको बीच में ही पकड़ कर अपना पहले ही बाहर निकल चुका हथ्यार उसके हाथों में पकड़ा दिया..

जाने क्यूँ प्रिया को इस बार ज़रा सी भी हँसी नही आई.. बड़ी ही सिद्दत और प्यार से अपने हाथों में समेटे हुए राज के लिंग को वो उपर से नीचे सहलाने लगी.. ये सब उसको इतना आनंदित कर रहा था कि पॅंटी के अंदर अब तक छिपि बैठी उसकी नाज़ुक सी योनि पानी पानी हो गयी.. पर बेचैनी इस'से कम नही हुई.. बुल्की और बढ़ गयी.. प्रिया के पूर्ण स्खलन को अभी भी राज की उंगलियों का इंतजार था.. जब उस'से नीचे की तड़प सहन नही हुई तो उसके मुँह से निकल ही गया..," राआज.. नईएचए..!"

राज इशारा समझ गया.. वह धीरे धीरे उसके बदन को चूमता हुआ नीचे की और जाने लगा तो प्रिया आनंद की प्रकस्था की कल्पना करके पागल सी हो गयी और तेज तेज सिसकियाँ लेने लगी...
राज नीचे जाकर उसकी मखमली मांसल जांघों को सहलाता हुआ गौर से हुषन के इस नायाब तोहफे को देखने लगा.. पॅंटी के अंदर ही हाथ डाल कर राज ने पहले उसके नितंबों की बढ़ चुकी गर्मी को महसूस किया.. और फिर पॅंटी के उपर से ही उसकी तितली के होंटो का अनुमान लगा वहाँ अपने होन्ट रख दिए.. प्रिया उच्छल पड़ी.. हाथों से कहीं ज़्यादा जादू होंटो में था.. गरम साँसे पॅंटी में से छन छन कर उसकी योनि की गर्माहट को और हवा दे रही थी... राज ने जैसे ही उसकी पॅंटी निकाल कर उसको पूरी तरह अनावर्त किया.. उसके साँसों में तेज़ी और सिसकियों में पागलपन सा छाने लगा.. प्यार और हवस के भंवर में बुरी तरह फँस चुकी प्रिया ने राज के होंटो के दोबारा उसकी योनि के करीब आते ही अपनी जांघों को पूरी तरह खोल दिया.. और गोरी चिकनी योनि की छ्होटी फांकों के बीच उसका गुलबीपन राज को मदहोशी से भर गया..

अब इंतजार किस बात का.. और कर भी कौन रहा था.. राज ने हल्क बालों वाली योनि पर अपनी जीभ घुमाई और पूरी तरह उसको अपने होंटो में क़ैद कर लिया.. प्रिया की सिसकियाँ पागलपन की हद को पार कर गयी.. उसको अहसास ही नही था कि वो ज़मीन पर है या आसमान में.. वो उच्छलती रही.. सिसकती रही और अपनी छातियो को अपने आप ही मसल्ति रही.. अचानक प्रिया को अपने बदन में कंपकपि सी महसूस हुई और उसकी योनि रस से सराबोर हो गयी.. राज कच्चा खिलाड़ी था.. इसीलिए तो अपना चेहरा हटा लिया.. वरना इतनी प्यारी महक वाले रस का कतरा भी कोई बिस्तेर पर नही गिरने देता...
अब बारी राज की थी इतनी मेहनत का प्रतिफल लेने की थी... आँखें बंद किए उस आनंद को अब तक भी अपने मॅन में ही समेटे रखने की कोशिश में प्रिया के चेहरे पर मंद मंद मुस्कान च्छाई हुई थी.. जैसे ही उसने अपनी टाँगों को हवा में उठता हुआ महसूस हुआ.. उसने झट से चौंक कर अपनी आँखें खोल दी," नही.. ये नही राज.. प्ल्स..!"
"ये क्यूँ नही कह देती कि ख़ुदकुशी कर लो.. अब अगर तुमने मुझे रोका तो वैसे भी मुझे मर ही जाना है.. राज ने कहा और लंबी लंबी साँसे सी लेता हुआ अपने औजार को प्रिया की कुँवारी योनि में डालने की तैयारी करने लगा..
प्रिया उसके बाद कुच्छ नही बोली पर उसको डर लग रहा था.. कयि तरह का.. और जैसे ही राज ने हल्का सा उसकी योनि में डाला.. उसका डर सच साबित हो गया..,"ऊहह.. मर गयी राज.. बहुत दर्द हो रहा है... फट जाएगी..."
"कुच्छ नही होगा प्रिया.. बस एक पल की बात और है.." राज ने कहते हुए उसकी बात को अनसुना सा कर दिया और फिर से अभियान में जुट गया..
राज जब भी ज़ोर लगाता.. प्रिया की चीख सी निकल जाती.. पर हर कोशिश में लिंग इंच आध इंच सरक ही जाता.. अंत में चैन की साँस लेते हुए राज प्रिया की और देख कर मुस्कुराया," हो गया...हे हे हे!" मानो उसने आवरेस्ट फ़तह करी हो अभी अभी...
प्रिया की आँखों में अब पीड़ा नही थी.. पर बेचैनी ज़रूर थी...," हो गया तो निकाल लो अब!.. मुझे मार कर ही हटोगे क्या..?"
"वो थोड़े ही हुआ है मेरी जान.. अंदर गया है अभी तो.. बस एक दो मिनिट में ही दर्द ख़तम हो जाएगा और बहुत मज़े आएँगे.. मेरा विस्वास करो.." कहते हुए राज ने योनि को देखते हुए धीरे धीरे लिंग बाहर निकलना शुरू किया.. लिंग के साथ ही योनि के पतले पतले होन्ट बाहर निकल आए.. राज का लिंग योनि में बुरी तरह फँसा हुआ था... जैसे योनि की दीवारें उसको हिलने ही नही देना चाहती हों... इस बार राज ने जैसे ही अपना लिंग वापस अंदर धकेला.. प्रिया चिंहूक उठी.. राज ने एकद्ूम से अंदर धकेल दिया था उसको..
"अया.. आराम से करो ना प्ल्स..." प्रिया ने सिसकते हुए कहा...
"मज़ा तो आने लगा है ना.." राज ने बाहर निकाल कर धीरे धीरे एक बार फिर अंदर करते हुए पूचछा...
प्रिया ने शर्मकार तकिया अपने चेहरे पर रख लिया और अपना जवाब अपनी टाँगों को राज की कमर पर लपेट कर दिया...
राज तो धन्य सा हो गया.. कुच्छ देर धीरे धीरे अंदर करते रहने के बाद जब प्रिया ने लिंग को अंदर लेते हुए अपने नितंबों को हल्का हल्का उपर उठना शुरू किया तो राज की खुशी का ठिकाना ना रहा..," तेज तेज कर लूँ क्या?"
"हूंम्म.. मुझसे मत पूच्छो.. जैसे मर्ज़ी कर लो.." तकिये के नीचे से आनंद से सराबोर आवाज़ आई...
और फिर असली खेल शुरू हुआ.. राज ने उसकी टाँगों को मोदकर उसके नीचे अपनी हथेलिया बेड पर टीका ली और दनादन धक्के लगाने लगा... प्रिया और राज दोनो ही आपे में नही थे... या शायद धरती पर थे ही नही.. कामुक और युवा सिसकियों से पूरे कमरे में संगीतमय माहौल बन गया.. वासना रूपी संगीत के सातों सुर अपनी पूरी ले में थे.. दोनो ही अनाड़ी थे.. दोनो ही अंजान.. करीब पाँच मिनिट तक चला ये खेल अचानक बंद हो गया और चिंघाड़ता हुआ सा राज प्रिया के उपर गिर पड़ा... प्रिया को अपनी योनि में तेज़ी से कोई द्रव प्रविष्ट होता महसूस हुआ और इस गरमागरम रस के स्वागत में प्रिया ने भी अपने रस कपाट पूरी तरह खोल दिए.. दोनो के अंग एक दूसरे के प्रेम रस से नहा से उठे और बाग बाग हो गये... प्रिया ने राज की कमर में हाथ डाल उसको सख्ती से अपने से चीका लिया.. और पागलों की तरह उसके होंटो को चूमने लगी...
राज को रंग में वापस आते देर ना लगी.. अंदर पड़ा पड़ा उसका लिंग फिर से उभरने लगा और कुच्छ ही मिनिट में फिर से योनि में फँस कर खड़ा हो गया.. मान अभी तक दोनो में से किसी का नही भरा था.. इसीलिए फिर से दोनो इस खेल में मशगूल हो गये... इश्स बार दोनो ने ही करीब 15 मिनिट तक जी भर कर धक्के लगाए और वासना के सागर में तैरते हुए फिर से मंज़िल को पा लिया...
बड़ा ही मनोहारी द्रिश्य था.. शरीर छक चुके थे पर अभी भी एक दूसरे के प्यासे थे.. जाने कितनी ही देर वो एक दूसरे से चिपके रहते अगर उनका दरवाजा किसी ने ना खटखटाया होता...
दोनो की जान सी निकल गयी.. हड़बड़ाहट में प्रिया अपने कपड़े उठा बाथरूम की और भागी.. राज ने पॅंट पहन कर अपने आपको संभाला और हिच-किचाते हुए दरवाजा खोल दिया....
"क्या है.. कितनी बार आकर दरवाजा खटखटा चुकी हूँ.. सो गये थे क्या?" अंदर आते ही रिया ने सवाल किया...
"हां.. नही.. मतलब मैं सो गया था और प्रिया शायद नहा रही है.." राज ने एकद्ूम से कहा और तपाक से बाहर निकल गया... वह एक बार भी रिया से नज़रें चार नही कर पाया...
पागल को ये नही पता था की रिया खुद ही उस'से नज़रें चुरा रही है.. रिया ने भी उसकी और एक बार भी नही देखा था.. वो भी तो अभी अभी ही प्रेमरस में नहा कर आई थी..
राज रूम से बाहर निकल कर गया था की दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई.. वापस मुड़ते हुए रिया ने दरवाजा खोल कर देखा.. बाहर वाणी खड़ी थी..," दीदी.. प्रिया दी कहाँ हैं?"
"वो बाथरूम में है.. तुम अकेली क्या कर रही थी रूम में.. हमारे पास आ जाती.." रिया ने औपचारिकता निभाई...
वाणी बेड पर जाकर बैठ गयी," आ तो रही थी दीदी.. पर वो.. राज को रूम में आता देख वापस चली गयी..."
वाणी के कहते कहते ही प्रिया भी कपड़े पहनकर बाहर आ गयी थी.. उसकी बात सुनकर दोनो सकपका गयी.. रिया ने बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा," हां.. वो आया था.. कुच्छ काम से.. हमें उस'से कुच्छ ज़रूरी बातें करनी थी..."
"पर दीदी.. आप तो वीरू के पास थी ना.. अब तक..?" वाणी की इस बात से तो रिया के होश ही फाक़ता हो गये..
"क्या बोल रही है तू पागल? मैं तो यहीं थी... कोई सपना आया था क्या?" रिया को समझ नही आ रहा था की कमरों की अदला बदली के लिए कैसे सफाई दे..
"झूठ मत बोलो दीदी.. मुझे सब पता है.. मैं तब से अपने कमरे के दरवाजे पर ही तो खड़ी हूँ.." वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा...
"प्ल्स वाणी.. किसी और को मत बोलना.. पता नही कैसी कैसी बातें शुरू हो जाएँगी हमारे बारे में.. तू समझ रही है ना.." रिया बचाव की मुद्रा में आ गयी..
इस'से पहले की वाणी कुच्छ बोलती.. प्रिया ने आकर उसके दोनो गाल प्यार से खींच लिए..," इस'से डरने की ज़रूरत नही है.. इसका भी एक राज मेरे पास है.. क्यूँ वाणी?"
वाणी उठकर प्रिया की तरफ लपकी और हल्की सी शरम चेहरे पर लिए रुनवासी सी होकर बोली..,"दिदीईइ.. प्ल्स!"
"अच्च्छा.. अपनी बारी आ गयी तो प्ल्स.. और हमको ऐसे बोल रही है जैसे तूने पता नही क्या देख लिया हो.. क्या कर रही थी रात को? ... बस में.." प्रिया ने बेड पर बैठकर उसके दोनो हाथ पकड़ते हुए अपने पास खड़ी कर लिया...


वाणी ने अपने हाथ च्छुड़ाए और शर्मकार बेड पर औंधी होकर लेट गयी," मुझे कुच्छ मत बोलो...!"
ये सब देख रिया की जान में जान आई.. बेड पर लेटी वाणी को ज़बरदस्ती सीधा करते हुए बोली," आ.. बोल ना.. बता ना क्या बात है? किसी से प्यार करती है क्या?"
वाणी कुच्छ नही बोली.. बस आँखें बंद करके मुस्कुराने लगी.. प्रिया ने उसका राज रिया के सामने खोल दिया..," हां.. वो एक लड़का नही है.. क्या नाम है उसका वाणी?.. हां.. मोनू.. उसके साथ है कुच्छ इसका लेफ्डा है..."
"मोनू नही दीदी.. मनु" वाणी ने आँखे बंद किए हुए ही कहा और फिर से उल्टी होकर चदडार में मुँह छिपा लिया...
"वो तो बहुत ही शरीफ लड़का लगता है.. स्मार्ट भी बहुत है.. इनकी जोड़ी कितनी अच्छि जमेगी... वो भी प्यार करता है क्या तुमसे?" रिया ने वाणी को कुरेदना शुरू किया...
वाणी गुस्सा हो गयी.. तपाक से उठ बैठी," कुच्छ नही करता वो.. उसके बस का कुच्छ है ही नही.. उसी की वजह से मैं आज घूमने भी नही गयी और तब से दरवाजे पर खड़ी रही.. एक बार भी कमरे से बाहर नही निकला... इस'से अच्च्छा तो बाहर घूम आती..."
वाणी के मासूम से चेहरे पर गुस्से की लाली देख दोनो मुस्कुरा उठी," तो तू चली जाती वाणी.. अगर दिल नही लग रहा था उसके बिना..."

वाणी के चेहरे से पल भर में ही गुस्से का स्थान हुल्की नाराज़गी और उत्सुकता ने ले लिया.. यही उसकी सबसे शानदार बात थी.. गुस्सा तो जैसे पल भर का ही मेहमान होता था.. और वो भी बनावटी," पर आना तो उसको ही चाहिए था ना दीदी.. आना चाहिए था ना.. मेरे पास.. अगर वो भी मुझसे प्यार करता है तो..?"
"हां.. आना चाहिए था.. उसकी ग़लती है.. पर क्या पता उसको पता ही ना हो की तू उसका इंतजार कर रही है.. तू जाकर उस'से लड़ाई तो कर सकती है ना.. तेरे पास नही आने के लिए..." प्रिया ने प्यार से उसका माथा चूम लिया.. सच में.. कितनी प्यारी थी वो...
"हूंम्म.. लड़ाई तो कर सकती हूँ.. अभी जाउ दीदी!" वाणी एक दम उठ खड़ी हुई...
दोनो ज़ोर ज़ोर से उसकी बात सुनकर हँसने लगी..," हाँ.. जा कर ले.. लड़ाई.. और 2-4 हमारी तरफ से भी सुना देना.. ठीक है ना.." प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा..
"ठीक है दीदी.. मैं अभी उसको सबक सीखा कर आती हूँ.." कहते हुए वाणी वहाँ से उड़ान छ्छू हो गयी....
"ये लड़की कितनी प्यारी है ना रिया.. एक दम बच्चों की तरह बात करती है.. पर है बहुत समझदार.. कभी इस'से सीरीयस होकर बात करके देखना..." प्रिया के होंटो पर अब भी वाणी की बात याद करके मुस्कान तेर रही थी...
"हूंम्म.. और सुंदर भी तो कितनी है.. मुझे तो एकद्ूम परी के जैसे लगती है ये.." रिया ने प्रिया की बात को सत्यापित करते हुए कहा....
वाणी ने जैसे ही मनु के कमरे के बाहर जाकर खटखटने के लिए हाथ लगाया, दरवाजा अपने आप ही खुल गया.. दरवाजे को थोड़ा और खोलकर उसने झाँका तो मनु को चैन से कंबल में लिपटे हुए सोते पाया... वाणी ये देख आपे में ना रही.. तुनक्ति हुई बिस्तेर के पास गयी और झटके के साथ कंबल खींच दिया.. मनु हड़बड़कर उठ बैठा," वाणी.. तुम?"
"वाणी तुम?" वाणी ने मुँह बनाकर उसकी नकल की और गुस्से में भूंभूनती हुई बोली," किसी और का इंतजार कर रहे थे क्या?" मधुर आवाज़ में चीखती हुई भी वो उतनी ही मासूम लग रही थी जितनी वो रूठने पर लगती थी...
"नही.. वो.. मैं तो सो रहा था.. तुम कब आई.." मनु उठकर बाथरूम में मुँह धोने चला गया...

"मुझे और गुस्सा मत दिलवओ.. पहले बता रही हूँ.. पता है मैं 2 घंटे से अपने दरवाजे पर खड़ी हूँ.. इस इंतजार में की तुम बाहर निकलो और मैं तुम्हारी ये.. ये बदसूरत शकल देख सकूँ..." वाणी मनु के कंबल में अच्छि तरह लिपट कर आलथी पालती मार कर बैठ गयी....

मनु उसकी बात सुनकर मुस्कुराता हुआ बाहर आया," अच्च्छा.. मैं बदसूरत हूँ..?"
"जब तुम मुझे दिखाई ही नही दोगे तो मुझे क्या फरक पड़ता है.. चाहे बदसूरत हो या खूबसूरत..." मनु के बिस्तेर पर बैठते ही वाणी उस'से नाराज़ होकर मुँह फेर कर बैठ गयी.....

"वाणी... तुम जो ये बात बात पर नाराज़ हो जाती हो.. मुझे बिल्कुल अच्च्छा नही लगता.. प्ल्स.. मान जाओ.. इधर मुँह कर लो और मुस्कुरा दो.." मनु तकिये का सिरहाना लगाकर लेट गया...
आधी बात वाणी ने मान ली... वह तुरंत घूमकर उसकी और मुँह करके बैठ गयी.. आख़िर वह भी तो नही रह सकती थी ना.. उसका चेहरा देखे बगैर," क्यूँ मुस्कुरा दूं? तुम तो आराम से यहाँ सो गये.. और वहाँ खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगे..."

"अच्च्छा.. सॉरी.. पर तुम यहाँ भी तो आ सकती थी ना..."
"क्यूँ? तुम नही आ सकते तो मैं क्यूँ आऊँ..?" वाणी ने तपाक से कहा..
"अब भी तो आई हो ना.. बोलो!" मनु हँसने लगा...
"अब तो मैं.. वो.. अब तो मैं लड़ाई करने आई हूँ..." वाणी ने जवाब दिया...
"हा हा हा हा.. लड़ाई करने आई हो.. लो कर लो लड़ाई.. गुलाम हाज़िर है.." मनु उठकर बैठ गया...

"कर तो ली..." वाणी ने नाराज़ होते हुए कहा और अगले ही पल मनु को देख मुस्कुराने लगी...," इतनी ही करनी थी बस.."
मनु को उस पर इतना प्यार आ रहा था की जैसे उसको बाहों में उठाकर घूमता रहे.. चूमता रहे.. पर उसको मालूम था की होटेल में और भी बच्चे हैं.. इसीलिए संयम से काम ले रहा था.. इसीलिए वाणी के पास नही गया था," अच्च्छा.. चलो.. लड़ाई तो ख़तम हुई.. अब क्या इरादा है...?"

"मुझे प्यार करना है?" वाणी ने बिना अटके इस तरह कह दिया मानो यह कोई मामूली बात थी...
मनु सुनकर उच्छल पड़ा..," क्या? ... कैसा प्यार..?"

"वही जो प्यार करने वाले अकेले में करते हैं.. च्छुपकर.." वाणी के चेहरे पर कतयि उत्तेजना के भाव नही थे.. पर फिर भी वह प्यार करना चाहती थी.. मनु के साथ.. ताकि हमेशा हमेशा के लिए दोनो पर एक दूसरे की मोहर लग जाए.. ताकि फिर से वाणी को त्याग ना करना पड़े... ताकि वो कह सके," मनु सिर्फ़ मेरा है.. और किसी का नही...

"तुम पागल हो गयी हो क्या? तुम्हे कैसे पता...?" मनु वाणी के सिक्सर से बौखला गया...
"और क्या तुमने मुझे उल्लू समझ रखा है.. मुझे सब कुच्छ पता है.. मैं कोई बच्ची थोड़े ही हूँ अब.. मुझे ये भी पता है कि प्यार कैसे करते हैं.. तुम्हे ना भी पता हो तो मैं सीखा दूँगी.. चिंता मत करो..." वाणी सॉफ और सीधी बात कर रही थी....

"हे भगवान.. वाणी.. तुम समझ नही रही तुम क्या कह रही हो...? समझने की कोशिश करो.. मैं चाहता तो पता नही कब का ये सब हो चुका होता.. पर मैं अभी हदों को पार करना नही चाहता.. समझती क्यूँ नही मेरी जान... तुम कितनी भोली हो.. कितनी नादान.." मनु दरवाजा बंद करके आया और कंबल में लिपटी हुई वाणी के पास बैठकर अपनी बाहों में भरा और अपने सीने से दूबका लिया...
"ये क्यूँ नही कहते की तुम मुझसे प्यार ही नही करते.. उल्लू क्यूँ बना रहे हो मेरा.. जो प्यार करते हैं.. वो तो ये प्यार करते ही हैं.." वाणी ने सिर से कंबल हटा अपने गाल मनु की छाती से सटा लिए....

" हां करते हैं.. मैं कब मना कर रहा हूँ.. पर अभी हम दोनो की पढ़ाई करने की उमर है.. हम दोनो का ध्यान पढ़ाई से हट जाएगा.. हम अलग अलग नही रह पाएँगे फिर.. समझ रही हो ना जान!" मनु ने वाणी का चेहरा उपर उठा उसके गालों पर हल्का सा चुंबन अंकित कर दिया.. वो भावुक हो गया था.. वाणी के दिल में अपने लिए प्यार के अतः सागर को महसूस करके...

"पर मैं तुमसे अलग रहना ही नही चाहती मनु.. बहुत इंतजार हो गया.. अब और सहन नही होता.. तुम्हारी कसम.. मैं हर पल तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.. यूँही.. तुम्हारी बाहों में.. मेरी पढ़ाई पर असर नही पड़ेगा.. तुम्हारी कसम.. प्यार कर लो ना.. कर लो ना प्ल्स.. " बोलते बोलते मनु ने उसके तिरकते हुए गुलाब की नन्ही पंखुड़ियों जैसे गुलाबी अधरों पर अपने होन्ट रख दिए.. और वाणी की सिसकी के साथ उसकी बोलती बंद हो गयी.....

जाने कितनी ही देर वो अद्भुत जोड़ा एक दूसरे के होंटो को अपने होंटो से तर करता रहा.. एक दूसरे को अपने अंदर ज़्यादा से ज़्यादा समेट लेने की कोशिश में कंबल की दीवार उन्न दोनो के बीच से अलग होकर कब फर्श पर जा धूल फांकने लगी किसी को अहसास तक नही हुआ.. वाणी की एक जाँघ मनु की जाँघ के नीचे से दूसरी और निकली हुई थी और मनु की दूसरी जाँघ वाणी की दूसरी जाँघ के नीचे से दूसरी और.. जांघों से लेकर उनके होंटो तक, सिर्फ़ गर्दन को छ्चोड़ कर उनके शरीर का कोई भी हिस्सा ऐसा नही था जहाँ रत्ती भर भी जगह खाली हो.. बुरी तरह चिपके हुए दोनो अपनी साँसों से एक दूसरे के अंतर्मन को महकाते हुए सब कुच्छ भूल कर सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने अपने प्यार की गहराई साबित करने में लगे थे.. दोनो की आँखें बंद थी.. धड़कने स्वाभाविक रूप से बढ़ गयी थी और साँसें उखड़ कर एक दूसरे के अंदर दम तोड़ने लगी थी... कयि बार तो दोनो साँस लेना ही भूल जाते और जब याद आता तो अलग हटकर प्यार से एक दूसरे की आँखों में देखते और फिर से आँखें बंद करके इश्स अनोखे मेल को पूर्ण करने में जुट जाते.. वाणी को इस दौरान दो बार अपने ही रस से गीली होने का अहसास हुआ पर उसने परवाह ना की... हर बार के बाद वा और ज़्यादा जोश से जुट जाती.. उसकी तड़प ही इतनी थी.. मनु के लिए.. पर जब वाणी की जांघों के बीचों बीच 'खड़े' मनु की पिचकारियाँ छूटी तो फिर मनु मैदान में खड़ा नही रह पाया.. अचकचा कर उठा और 'एक मिनिट' कहकर लंबी साँसे लेते हुए बाथरूम में घुस गया....

जैसे ही मनु वापस आया, उसके इंतजार में बेड पर खड़ी हो चुकी वाणी उसके गले में बाहें डालकर उस'से लटक गयी.. अपनी जांघें उसने मनु की कमर में बाँध सी ली थी..," क्या हो गया था मनु?" होंटो पर एक प्यार भारी 'पुच्चि' लेते हुए वाणी ने पूचछा...

"तुम्हे तो सब कुच्छ पता है ना.. तुम्हे पूच्छने की क्या ज़रूरत है" मुस्कुराते हुए मनु ने उसको ज्यों का त्यों बिस्तेर पर गिरा लिया और उसके उपर लेता हुआ वाणी की गर्दन और गालों को चूमने चाटने लगा... वाणी ने अपने हाथों को पिछे गिरा लिया और मस्ती से आँखें बंद करके अपने शरीर को ढीला छ्चोड़ दिया...

वाणी के गदराए हुए अद्वित्या मखमली बदन से चिपके हुए मनु को टाइम ही कितना लगता, दौबारा उठ 'खड़ा' होने में.. जल्द ही वाणी को उसकी चुभन पहनी हुई अपनी लाइट ब्लू जीन के उपर से ही होने लगी और उसकी साँसों ने एक बार फिर गति प्राप्त करनी आरंभ कर दी.. उसको पता था की 'वो' जब खड़ा होता है तो क्यूँ होता है.. वाणी आज कुच्छ भी कर लेने को तैयार होकर आई थी.. सब कुच्छ कर लेने को बेकरार होकर आई थी...

वाणी के कंधों को दबोचे उसके चेहरे पर चुंबनो की बौछार सी लगा रहे मनु के हाथों का सफ़र जैसे ही वाणी के सीने की मस्त गोलाइयों पर पहुँचा, वाणी को झटका सा लगा.. वक्ष सौंदर्या का अप्रतिम नमूना उसकी गोल मटोल लेटने पर भी उपर को उठी छातिया झनझणा उठी.. इस झांझट को मनु ने अपने हाथों से स्थानांतरित होकर अपने दिल की गहराइयों तक और कल्पना की ऊँचाइयों तक महसूस हुआ.. उन्हे छूने भर से ही वह उनको बेपर्दा करके छ्छूकर महसूस करने और देखने को मचल उठा.. एक बार फिर वह झुक कर उसके कानो तक अपने होन्ट ले गया और सीने पर दबाव बढ़ाते हुए वाणी के कानो में अपनी जीभ से गुदगुदी करता हुआ बोला," मुझे इनको देखना है जान.. मुझे इनको छ्छूना है.."
"अया.." वाणी सिसक उठी.. प्यार करते समय जीभ कान में वही असर करती है जो लिंग योनि में... वाणी ने सिसकते हुए उत्तेजना में मनु की थोड़ी को काट खाया और मस्ती से मुस्कुराते हुए मनु को आगे बढ़ने की इजाज़त दे डाली...

मनु ने आहिस्ता से वाणी के सफेद टॉप को नीचे से पकड़ कर उपर उठना शुरू किया.. उसकी आँखें वाणी के नाभि क्षेत्र की कमणीयता और वहाँ से शुरू होकर नीचे की तरफ जांघों को एक दूसरी से अलग करने वाले अकल्प्नीय मादक नशीले कटाव को देख कर वहीं जम गयी.. वाणी के शरीर का रोम रोम अद्भुत था.. अंग अंग नशीला था.. मनु के हाथों की च्छुअन से उसकी नाभि के आस पास के हिस्से में अजीब सी लहरें उठ रही थी... वाणी की कामुक सिसकियों ने तो माहौल को और भी तरंगित कर दिया था...

मनु वही झुक गया और अपने होंटो से वाणी के बदन के उस हिस्से का रसास्वादन करने लगा..
"उफ़फ्फ़.. बस!" वाणी अपने हाथों को अपनी नाभि और मनु के होंटो के बीच ले आई.. इतना आनंद की सहा ही नही गया.. इतना रोमांच जो वाणी को 'बस' कहने पर विवश कर गया.. पर रास्ता अभी बहुत लंबा था.. मंज़िल अभी कोसों दूर थी....

मनु ने उसकी छ्ट-पटाहट को भाँपते हुए अपना चेहरा उपर उठाया और एक हाथ वहीं रखकर दूसरे हाथ से बचे हुए अधूरे काम को पूरा करने लगा.. टॉप उपर उठता गया और वाणी का मचलना बढ़ता गया.. गोलाइयों के पास आकर कपड़ा वहीं अटक गया.. टॉप स्किन टाइट था और वाणी की छातियो की उँचाई उसकी कमर से कहीं ज़्यादा थी.. इसीलिए..

ये रुकावट मनु से बर्दास्त नही हुई और उसने टॉप को उपर चढ़ना छ्चोड़ अपना हाथ ही उपर चढ़ा दिया.. टॉप के अंदर... वाणी तो वाणी उनको सिर्फ़ हाथों से महसूस कर रहे मनु की भी सिसकी निकल गयी.. मनु को महसूस हुआ जैसे उसके हाथ दो ऐसे अमर्फल लग गये हैं.. जो हिलते हैं.. मचलते हैं.. थिरकते हैं.. और जिनमें जीवन रस भरा हुआ है.. अभी से.. मनु की तीन उंगलियाँ उन्न मादक फलों के बीच की तंग घाटी में थी और अंगूठा और तर्जनी उंगली उन्न गोलाइयों पर मस्ती से पसरे हुए अपने आखरी पर्वों पर अद्भुत, छ्छूने में ही कमाल के, नटखट दानो का लुत्फ़ उठा रहे थे....

पर इस आनंद ने वाणी को बुरी तरह पिघला कर रख दिया.. हाथों की छुअन से मिल रहे इस अधूरे पर अनोखे आनंद से वो तड़प कर इस आनंद को नयी उँचाई तक ले जाने को तड़प उठी और अपना हाथ खुद ही नीचे लाकर बेदर्दी से अपनी छातियो को रौन्द्ते हुए अपना टॉप उपर खींच दिया.. और मनु तो मानो जड़ सा होकर पागलों की तरह उन्हे निहारने लगा...
, चूचियाँ, गोलाइयाँ, कबूतर, सेब, अनार, संतरे, टेन्निस बॉल्स और ना जाने क्या क्या.. आदमी ने अपनी वासनात्मक सन्तुस्ति के लिए जाने कितने ही नाम नारी के इन्न अद्भुत और बेमिशल दुग्ध पत्रों को दिए हैं.. खुद हमने भी 'अपनी' स्टोरी में इन्ही उपनामों का प्रयोग हर जगह किया है.. पर वाणी के इन्न अंगों की उपमा इनमें से किसी के साथ भी करना उनका अपमान ही कहलाएगा.. क्या अंग होंगे जिन्होने मनु के सामने इतरा रहे इठला रहे होने पर भी उसको सम्मोहन में इस कदर जाकड़ लिया की वा उनको छ्छूना ही भूल गया....बस देखता ही रहा; अपलक! निहारता ही रहा.. जब तक खुद वाणी ने ही अधूरी च्छुअन की उस प्यास को तृप्ति तक पहुँचने के लिए खुद ही मनु का हाथ पकड़ कर उन्तक नही खींच लिया और एक मीठी सी 'सीटी' जैसी सिसकी लेकर उसको अहसास नही करा दिया कि वो क्या चाहती है...

मनु के भाव अब भी हतप्रभ कर देने वाले थे.. उसकी समझ में नही आ रहा था की कौनसा पकड़े और कौनसा छ्चोड़े... कौन्से के साथ क्या करे और कौन्से के साथ क्या.. उसकी हालत ठीक उस बच्चे की तरह थी जिसके दोनो और एक निसचीत दूरी पर दो खिलौने रख दिए जाते हैं और बीच में बैठकर दोनो में से कोई एक छांट लेने को बोल दिया जाता है.. पर बच्चा निर्णय ही नही कर पाता और दोनो के बीच बैठकर रोता रहता है...

काश कोई तीसरा वहाँ होता जो मनु के कान के नीचे बजाकर चिल्लाता.. 'आबे भूत्नि के, दूसरा हाथ किसलिए है?'


मनु के कंपकपाते हाथ का स्पर्श 'वहाँ' पाकर वाणी का सारा बदन अंगड़ाई लेने ले उठा.. अंगों की थिरकन से वशीभूत सा हो उठा मनु वाणी की जादुई आवाज़ सुनकर जैसे जागा..," मॅन्यूवूयूयुयूवयू... हाआआ... आआआअहह.. उश्ह्ह्ह्ह्ह्ह"
मनु ने वाणी के चेहरे को देखा.. वह बड़े ही कामुक अंदाज में आँखें आधी झपकाए हुए सिसकियाँ लेती हुई बिस्तेर पर किसी घायल नागिन की तरह थिरक रही थी.. नीचे कब से शुरू हो चुकी असहनीया गुदगुदी उसको उसके घुटनो को मॉड्कर इधर उधर पटाकने पर विवस कर रही थी... अचानक मनु को अपनी कसम्कस दूर करने का रास्ता मिल ही गया... वाणी के साथ सटकार लेट'ते हुए उसने 'एक' को चखना और 'दूसरे' को प्यार से मसलना चालू कर दिया... वाणी की च्चटपटाहत अब और बढ़ गयी.. दरअसल 'प्यार' करने की वाणी की ललक उसके सीने में छिपे दिल से चू चू कर नीचे टपकती हुई उसकी जांघों के बीच पहुँच गयी थी.. और आग अब वहीं लगी थी.. जब जांघों के बीच की तितली को ठंडक चाहिए तो वो तो वहीं पर दी जा सकती है.. उपर से तो वासना की ये अग्नि पल पल के साथ और भड़कती ही जानी थी...
जब अपने कामुक इशारों से वाणी ये बात मनु को समझा नही पाई तो अचानक उसके मन में जाना क्या आया की उल्टी होकर उसने अपने उपर वाले हिस्से को हाथों में छिपा बिस्तेर में गाड़ लिया.. मनु को इस'से कोई फ़र्क नही पड़ा.. उसकी तो आँखें बंद कर रखी थी.. देखने वाली भी.. और दिमाग़ वाली भी.. घूम गयी तो क्या हुआ.. फ़र्क सिर्फ़ इतना पड़ा की अब सीने की जगह कमर आ गयी.. वह वाणी को यूँ ही सहलाता रहा.. यूँही चूस्ता रहा.. वाणी के तो रोम रोम में मिठास थी.. उसका तो अंग अंग छलक रहा था.. यौवन रस से...

सब्र करने की इंतहा के बाद भी जब वाणी को इस बेताबी की दवा नही मिली तो अचानक गुस्से से उठ बैठी," मनु!" उसने अचानक और एकद्ूम कहा...
मनु ने हड़बड़कर आँखें खोली और खुद को बिस्तेर पर ही पाया.. नही तो वा तो किसी और ही लोक में विचरण कर रहा था शायद," हां.. वाणी! क्या हुआ?"
"अपनी शर्ट निकालो.. अपनी बनियान निकालो.. अपना सब कुच्छ निकाल दो.. एक मिनिट में.."
वाणी का चेहरा तमतमाया हुआ था.. गुस्से से नही.. वासना की अग्नि के जाने कितनी ही बार भड़क भक कर अपने आप ही बुझाने से.. उसको जो चाहिए था.. वा तो मिला ही नही अभी तक...

"निकालता हूँ ना जान.. पहले तुम्हारे तो पूरे कपड़े निकाल दूं...!" मनु ने जाने कहाँ से ये नियम सीखा था..

"जल्दीई करूओ ना मनुउऊउउ... प्लस्ससस्स" और वाणी च्चटपटती सी हुई अपना टॉप निकाल कर फैंकने के बाद वापस सीधी हो कर लेट गयी.. और अपनी जीन का बटन जल्दी से जल्दी खोलने की कोशिश में उसको जीन से अलग ही कर दिया...," निकाल दो जल्दी.. हइई..."

मनु ने उसके बाद कुच्छ पल ही लगाए.. जीन की चैन खोल कर वाणी के नितंबों के नीचे हाथ फँसाए और खींच खींच कर उसको पूरी तरह निकाल कर ही दम लिया... यहाँ का नज़ारा तो था ही पारलौकिक.. केले के मोटे ताने जैसी चीनी और गोल वाणी की जांघें दूधिया रंग में नहाई हुई थी... पॅंटी गीली हो हो कर रिसने लग गयी थी और उसके रस की भीनी भीनी मादक खुश्बू ने मनु के नथुनो तक को भी लपेटे में ले लिया था... चिकनी जांघों से फिसल फिसल कर उपर की और जा रही मनु की नज़रें कमसिन जांघों के नीली पॅंटी के पीछे छिपे मिलन बिंदु पर जाकर ठहर गयी.. मनु प्यार से वाणी की जांघों पर अपने हाथों की थिरकन का आनंद लेते और देता हुआ सिसक कर बोला," वाणीिइ.."
"मनुउउउउउ" वाणी की आवाज़ में उस'से भी कहीं अधिक तड़प थी.. वह बेकाबू हो चुकी थी...
"इसस्स.. इसको भी निकल दूं क्या?" मनु अब भी इजाज़त ले रहा था

वाणी ने मंन ही मंन मनु को कितनी गालियाँ दी होंगी, इसका तो पता नही.. पर एक ही झटके के साथ टाँगें उपर उठा पॅंटी को निकाल कर ज़ोर से एक कोने में फैंक अपने गुस्से का इज़हार तो कर ही दिया....


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj














Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories,aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories ,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator