Monday, June 14, 2010

गहरी चाल पार्ट--35

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गहरी चाल पार्ट--35

गतान्क से आगे...............

"आनन्नह...उउउन्न्ह...!"

"ऊहह...आहह..!"

1 बार फिर कामिनी & ठुकराल 1 साथ झाड़ रहे थे.

"कामिनी..",ठुकराल बिस्तर पे लेटी कामिनी के उपर चढ़ा हुआ था & उसके गाल सहला रहा था.

"हूँ.",कामिनी की आँखे बंद थी & चेहरे पे बहुत ही संतोष का भाव था.

"मैने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत & मस्त लड़की नही देखी!",ठुकराल ने आज तक ना जाने ये बात कितनी ही लड़कियो से कही थी मगर कहते वक़्त उसके दिल मे सच्चाई शायद आज से पहले कभी नही थी.उसने अपने दिल मे तय कर लिया था की उसे वो अपनी रानी बना के रखेगा.आजतक उसके हराम मे सैकड़ो लड़किया आई थी मगर उसने किसी को भी अपनी बाँदी से ज़्यादा नही समझा था.ये पहली लड़की थी जिसके लिए उसके दिल मे ऐसा ख़याल आया था.उसने सोच लिया था की षत्रुजीत सिंग के जैल जाते ही वो शॅरन को किनारे कर कामिनी को अपने इस घर मे ले आएगा.ऐसा नही था कि अब वो दूसरी लड़कियो को नही चोदेगा मगर दिल ही दिल मे उसे पता था कि कामिनी को इस बात पे कोई ऐतराज़ नही होगा बल्कि वो तो शायद इसमे उसका साथ भी दे.

"मैने भी तुम्हारे जैसे जोशीले मर्द से आजतक नही मिली,जगबीर.",ठुकराल के होंठो पे मुस्कान फैल गयी & वो उठने को हुआ,"..कहा जा रहे हो?",कामिनी ने उसकी बाहे पकड़ ली,"..ऐसे ही रहो ना..कितना सुकून मिल रहा है..आज तक कोई मर्द मेरे जिस्म की उन गहराइयो तक नही पहुँचा जहा तुम पहुँचे हो.",कामिनी ने अपनी बाहे उसकी पीठ पे कस दी तो ठुकराल 1 बार फिर उसके उपर लेट गया,"..हां..ऐसे ही रहो..हमेशा मुझे इसी तरह अपनी बाहो मे रखना,जगबीर..हमेशा!",ठुकराल झुक कर उसके गुलाबी होंठो को चूमने लगा & दोनो 1 बार फिर से मस्ती के समंदर मे गोते लगाने लगे.

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"मिस्टर.मुकुल?"

"जी,हां.कहिए?"

"मैं संजीव मेहरा बोल रहा हू."

"हां,मेहरा साहब,कहिए."

"मैने कामिनी जी का फोन ट्राइ किया था मगर उनसे बात नही हो सकी.उन्होने मुझसे कहा था कि शायद वीकेंड पे उनसे बात ना हो पाए & इसलिए उन्होने मुझे आपका नंबर दिया था."

"जी,मेहरा साहब,मुझे पता है.मेडम आज शहर से बाहर हैं इसलिए आपसे बात नही हो पाई.कहिए क्या कहना था आपको?"

"उन्होने मुझे 1 काम दिया था,वो हो गया है."

"यानी की सर,आपको कॉल डीटेल्स मिल गयी हैं?"

"जी,अब ये बताइए कि उन्हे आप तक कैसे पहुचाऊं?"

"सर,आप हमारे ऑफीस क्यू नही आ जाते?"

"अभी आ जाऊं?"

"ज़रूर,सर."

"ठीक है.मैं थोड़ी देर मे पहुँचता हू."

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"मेहरा साहब,थोड़ी मेरी मदद कीजिए.",ऑफीस मे संजीव मेहरा के लाए काग़ज़ो को मुकुल पलट रहा था.

"हां,बोलिए."

"आप इनमे से जिन फोन नंबर्स के बारे मे जानते हैं उनके बारे मे इस पॅड पे लिख दीजिए."

"ओके.",5 मिनिट के अंदर ही मेहरा साहब ने ये काम कर दिया.

"थॅंक्स,सर..",मुकुल पॅड को & कॉल डीटेल्स को मिलाने लगा,"..ये आपका नंबर है,ये करण जी का..ये आवंतिपुर मे शीना जी के पापा का है..ये उनकी बुआ का..ह्म्म....सर,ये नंबर भी इंडिया का ही लगता है,है ना?",उसने कॉल डीटेल्स मे से 1 नंबर के नीचे पेन से लाइन खींची.

"हां,लगता तो है..& इस्पे शीना लगभग रोज़ बात भी करती रही है."

"जी,सर & या तो वो फोने करती थी या इस नंबर से फोन उन्हे किया जाता था मगर लंडन से यहा आने से 10 दिन पहले से इस नंबर पे कोई फोन नही किया गया ना ही नंबर से कोई फोन हुआ."

"इसका क्या मतलब है,मुकुल जी?"

"सर,असली मतलब तो थोड़ी और छानबीन के बाद पता चलेगा,मैं अभी आपको केवल इतना बता सकता हू कि बहुत जल्द करण जी लॉक-अप के बाहर आपके साथ होंगे."

"सच?"

"हाँ,सर.मगर प्लीज़ भूल कर भी आप उनसे या शीना जी से या फिर किसी और से इस बात का ज़िक्र मत कीजिएगा.केस जीतने के लिए ये बहुत ज़रूरी है."

"आप बेफ़िक्र रहें मुकुल जी,मेरे होठ सिले हुए हैं..अच्छा अब मैं चलु."

"ओके,सर."

उनके निकलते ही मुकुल ने मोहसिन जमाल को फोन मिलाया,"मोहसिन भाई!मुकुल बोल रहा हू,1 काम है..आपके दफ़्तर आ जाऊं?"

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"ऊहह..क्या कर रहे हो?!..ये लो.",कामिनी बार पे खड़ी ठुकराल की ड्रिंक बना रही थी जब उसने उसे पीछे से बाहो मे कस लिया.उसकी कमर को बाए हाथ मे थामे उसने दाए से ग्लास लेके पहले 1 घूँट भरा फिर कामिनी के होंठो से सटा दिया,"ना..!मैं विस्की नही पीती..बस वाइन पीती हू.",ठुकराल का लंड उसकी गंद की दरार मे अटक गया था.दोनो अभी कोई 3 घंटे बाद सोके उठे थे & ठुकराल के लंड के एहसास ने कामिनी की चूत मे फिर से खाल बली मचा दी थी.

"..तो ठीक है..आज मैं भी इसे नही पियुंगा.",ठुकराल ने ग्लास किनारे रख दिया & पीछे से ही उसकी चूचिया दबाते हुए उसके चेहरे & गर्दन को चूमने लगा,"ऑफ..ओह्ह...बस..हो गया..!",कामिनी शोखी से मचलने लगी.

"अभी-2 1 बात पता चली है.",ठुकराल ने उसकी दाए घुटने को उठा के बार पे रख दिया तो कामिनी आगे को झुक गयी.

"क्या,जगबीर?..ऊओह..!",ठुकराल अब बाए हाथ से उसकी मखमली पीठ सहला रहा था & दाए की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर कर रहा था.

"तुम्हारा आशिक़ तो बहुत मायूस हो गया है तुम्हारे जाने के बाद..",वो बहुत तेज़ी से उंगली से उसकी चूत मार रहा था & कामिनी अब पूरी तरह से बार पे अपनी छातिया दबाए झुकी हुई आहे भर रही थी.उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया था.

"होने दो...आआन्न्न्नह....!",ठुकराल ने उसके रस से भीगी उंगलिया बाहर निकाली & उसके गंद के छेद मे घुसा दी,"..ऊऊव्व्वव..!"....वाहा नही,जगबीर..प्लीज़..!",उसे मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर फिर भी उसने डरने का नाटक किया.

"घबराओ मत,जानेमन!..कुछ नही होगा..मैं बहुत प्यार से करूँगा..ये देखो.",ठुकराल ने अपने लंड पे ठुका & उसके सूपदे को कामिनी की गंद के छेद पे रख के धक्का दिया,"..हााईयईईईईई....राआअम्म्म्म्म.....!",कामिनी चीखी & उसने बार को कस के जाकड़ लिया.

ठुकराल ने बहुत धीरे-2 उसकी गंद की फांको को फैला कर लंड को थूक से गीला कर-2 के अंदर घुसाना जारी रखा.थोड़ी ही देर मे लंड तीन चौथाई अंदर था,"..ऊओह....हाईईईई....बस जगबीर अब और अंदर नही जाएगा....आअनन्नह....!",कामिनी ने सच कहा था,ठुकराल का लंड कुछ ज़्यादा ही मोटा था,अगर वो उसे और अंदर पेलने की कोशिश करता तो थोड़े दर्द & बहुत से मज़े के बजाय केवल दर्द ही दर्द रह जाता.

"ठुकराल अब उसकी पीठ से सॅट गया & उसकी चूचिया मसलने लगा,"..बस हो गया,जानेमन.",उसके बाद वो हल्के-2 धक्को से उसकी गंद मारने लगा.गंद मारते हुए उसने बाए हाथ से उसकी चूचियो को दबाना जारी रखा मगर दाया उनसे हटा के उसकी चूत के दाने पे ले आया.कामिनी का दर्द भी अब कम हो गया था & मस्ती का नशा उसके दिलोदिमाग पे छाने लगा था,"..आआहह....हाऐईइ...1 बात बताओ..जाग..बीर..ऊओ..!"

"बोलो,मेरी रानी.",उसकी कसी गंद ने ठुकराल के लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की पुछो मत.उसके अंडे बिल्कुल कस गये थे & उसे 1 बहुत मीठे दर्द का एहसास हो रहा था.

"तुम्हे शत्रु.....जीत सिंग के बा..रे मे...ऊहह.....1-1 बात कई...से माल...उम हैई....पद जाती है?कोई जा..सूस रखा है क्या?"

"हां,मेरी जान.वो भी उसके घर के अंदर."

"ऊहह...माआ...!आराम से करो...ना..!कौन है वो?"

"है कोई.",ठुकराल उसके दाने को तेज़ी से रगड़ रहा था & अब कामिनी भी मस्ती मे कमर हिला रही थी.

"नही..बताओगे...आअहह...मत बताओ...मैं जान..ती...उउउहह...हू कौन है!"

"अच्छा,बताओ कौन है?",ठुकराल ने ज़िंदगी मे ऐसी चौड़ी,मस्त & कसी गंद नही मारी थी & वो भी अब अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.

"टोनी.",ठुकराल रुक गया,"तुम्हे कैसे पता?"

"ऊहह..रुक क्यू गये..",कामिनी ने बनावटी गुस्से से गर्दन घुमा के उसे देखा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद पे रख के अपनी ओर खींचा,"चिंता मत करो.शत्रुजीत के यहा किसी को उसपे शक़ नही है,उल्टा सब उसे बहुत शरीफ समझते हैं मगर उसकी यही शराफ़त मेरी नज़रो मे खटक गयी."

"कैसे?"

"ऑफ..ओह!जगबीर..तुम्ही बताओ आज के ज़माने मे कोई ऐसा नेक्दिल इंसान हो सकता है जो 2 दिन से भूखा हो फिर भी नोटोसे भरा पर्स ठुकरा दे..फिर आम नौकरो की तरह कोई छुट्टी नही लेता..अरे कितना भी तन्हा इंसान क्यू ना हो..खुद के लिए तो वक़्त चाहिए ना उसे!तुम मत घबराओ मुझे तो केवल शक़ था तुमने अभी यकीन दिला दिया.मैने किसी को नही बाते है उसके बारे मे & अब तो बताने का सवाल भी नही उठता....अब करो ना..प्लीज़!"

ठुकराल ने फिर से उसकी चूत से खलेते हुए उसकी गंद मारना शुरू कर दिया & 1 बार फिर कामिनी की आहो से हॉल गूँज उठा,"मान गये आपको,आड्वोकेट कामिनी शरण.सचमुच आपके पैने दिमाग़ का जवाब नही!",ठुकराल बहुत ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.

"आअनह...तुम्हारे सामने कुच्छ भी नही जानेमन..मैं तो बस सोचती & बोलती हू....ऊउउईईई..हान्न्न्न्न...तुम तो कर..के दिख..आते हो......मेरी जाआआअन्न्न्न..!",कामिनी को बहुत मज़ा आ रहा था..ठुकराल आदमी जितना भी कमीना हो चुदाई मे महारथी था.कामिनी का रोम-2 खिल गया था इस आदमी की चुदाई से & 1 बार फिर वो अपनी मंज़िल की ओर उड़ी चली जा रही थी,"जान..तुम्हे..ये..आदमी..मी...ला का..इसे?"

"उसकी बीवी के ज़रिए.",ठुकराल की उंगली & कमर-दोनो की रफ़्तार बढ़ गयी थी.

"क्या उसे भी...हाईईईईई...तुमने अपन दी..वाना..बना..लिया..मे..री तरह...?"

"हां,जानेमन."

"ऊहह...ऊउईईइ....चलो झू..ठे..!",ठुकराल की उंगली ने उसके दाने को ऐसे रगड़ा की कामिनी की चूत ने बस पानी की धार पे धार छ्चोड़ना शुरू कर दिया,"ऊहह...हाईईईई.....!",वो झाड़ रही थी & उसके पीछे उसकी कमर थामे ठुकराल भी अब बड़े गहरे धक्के लगा रहा था,"तुम्हे यकीन नही आता?"

"उउन्ण..उउन्न्ह..ना!",कामिनी बार पे सर झुकाए पड़ी थी & उसके धक्के झेल रही थी.

"ठीक है.मेरी रानी.कल अपनी आँखो से देखना.",ठुकराल ने उसकी कमर को थाम 1 ज़ोरदार धक्का लगाया & उसकी गंद को अपने गाढ़े पानी से भर दिया.

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"हेलो."

"हां,मुकुल.मोहसिन बोल रहा हू."

"बोलिए मोहसिन भाई."

"तुम्हारे दिए नंबर के बारे मे पता चल गया."

"हैं!इतनी जल्दी!",मुकुल ने अभी 3 घंटे पहले ही तो उसके दफ़्तर मे उसे नंबर के बारे मे बताया था.पता नही मोहसिन ऐसे काम करता था! या नही

"हाँ,भाई.कोई शक़ है क्या?"

"नही-2,मोहसिन भाई.आप ग़लत समझ रहे हैं.अब आपके लिए ये सब बाए हाथ का खेल है मेरे जैसा इंसान तो हैरान ही होगा ना!"

मोहसिन हंसा,"मेरे भाई,अपनी हैरानी को नंबर के मालिक का नाम सुनने के लिए बचा के रखो."

"कौन है वो?",नाम सुन के सचमुच मुकुल की हैरानी की सीमा नही रही,"..& सुनो मुकुल,मैने उस नंबर के भी कॉल डीटेल्स निकलवा लिए हैं.सब तुम्हे कल दे दूँगा.देख लेना,हो सकता है उसमे से भी कुच्छ काम की बात पता चल जाए."

"ओके,मोहसिन भाई."

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"..उउन्न्ह....ऊओह.....!",कामिनी बिस्तर पे पड़ी हुई थी & उसकी फैली टांगो के बीच लेटा ठुकराल उसकी चूत चाट रहा था.कामिनी का दाया हाथ उसके सर पे उसके बालो से खेल रहा था & बाए से वो अपनी चूचिया दबा रही थी.उसने सर घुमा के दीवार घड़ी की ओर देखा,शाम के 4 बज रहे थे.कल दोपहर 12 बजे से वो नगी इस आदमी के साथ इस हॉल मे बंद थी,दोनो जम के 1 दूसरे के जिस्मो का लुत्फ़ उठाया था मगर इस आदमी के जोश मे कोई कमी नही आई थी.कामिनी को इंतेज़ार था अब शॅरन का.ठुकराल ने कल रात ही उसे बताया था की वो टोनी की बीवी थी & कैसे उसने उसे अपने जाल मे फांसा था.

तभी ठुकराल का इंटरकम बजा मगर ठुकराल ने उसपे कोई ध्यान नही दिया मगर खुमारी के उस आलम मे भी कामिनी को होश था,"जगबीर.."

"हूँ.",ठुकराल वैसे ही उसकी गंद की फांको को सहलाता हुआ उसकी चूत मे जीभ चला रहा था.

"इंटरकम बज रहा है."

"बजने दो.",कहके वो फिर चूत पे जुट गया.

"उउन्न्ह..कुच्छ ज़रूरी भी तो हो सकता है..जाओ देखो."कामिनी ने उसके बाल पकड़ के सर चूत पे से उठाया.

ठुकराल ने मुस्कुरा के उसे देखा & बिस्तर से उतर के मेज़ पे रखे इंटरकम के रिसीवर को उठाया,"बोलो,माधो."

कामिनी भी बिस्तर से उतर कर उसके पीछे से उसे अपनी बाहो मे घेर कर उसके कंधे से सर लगाके खड़ी हो गयी,"अच्छा ठीक है..उसे आने दो."

उसने रिसीवर रखा & दाया हाथ पीछे ले जाके कामिनी को अपने सामने किया,"वो आ गयी है..अब तुम खुद ही देख लेना."

"ठीक है मगर कैसे?कहा से देखु?"

ठुकराल ने चारो तरफ नज़र दौड़ाई,"हां..बार के पीछे चुप जाओ..वाहा से बिस्तर साफ दिखेगा..देखना कैसे वो खुद मेरी बाहो मे आती है."

"ठीक है.",कामिनी ने अपना बुर्क़ा,ड्रेस,पॅंटी,बूट्स & पर्स समेटा & जल्दी से बार के पीछे छुप गयी.

"आओ,जान..कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हू!कितनी देर कर दी तुमने!",ठुकराल बिस्तर पे नंगा लेटा हुआ था.कामिनी ने अपने पर्स से अपना मोबाइल निकाला & उसका कॅमरा ऑन कर दिया.उसने देखा कि वही लड़की जिसका & टोनी का वीडियो उसे मोहसिन ने दिया था,आ के ठुकराल से लिपट गयी.

"ओह्ह..जगबीर..",उस लड़की ने गुलाबी कलर की घुटनो तक की स्लीवेलेस ड्रेस पहनी हुई थी जिसके उपर से ठुकराल उसकी पीठ पे अपने हाथ चला रहा था.

अचानक वो लड़की उसकी बाँहो से निकली & बिस्तर के किनारे पे बैठ गयी.अब उसका चेहरा छिपि हुई कामिनी की ओर ही था,"मुझ से अब और नही होता,जगबीर."

"क्या मेरी जान?",ठुकराल ने उसके पीछे से आकर उसके दोनो तरफ अपनी टाँगे बिस्तर से लटका दी & उसके कंधो को दबाने लगा.

"तुम जानते हो मैं क्या कह रही हू.मैं अब टोनी के साथ ये नाटक और नही कर सकती."

"बस कुछ ही दीनो की बात है,शॅरन."ठुकराल ने उसकी ड्रेस के स्ट्रॅप्स को नीचे कर दिया & उसके नंगे कंधो को सहलाने लगा,"..1 बार शत्रुजीत सिंग मेरे रास्ते से हट जाए बस!उसके बाद सिर्फ़ तुम और मैं & तुम्हारा बेटा.",ठुकराल ने उसके ब्रा स्ट्रॅप्स को भी नीचे कर के उसकी चूचियो को नुमाया कर दिया.

"फिर भी..-"

"देखो,शेरन तुम टोनी की बीवी हो..",ठुकराल उसकी चूचियो से खेल रहा था & शॅरन ने भी थोडा घूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसके लंड को थाम लिया था,"..अगर उस से नही मिलॉगी तो उसे शक़ होगा & वो सारा प्लान चौपट कर सकता है फिर हम कभी 1 नही हो पाएँगे."

"जगबीर,मैं उसे अब अपना पति नही मानती..मैं तुम्हे अपना सब कुछ मानती हो..उस आदमी के साथ सोना...",शॅरन के चेहरे पे बहुत दर्द का भाव था,"..& वो तो कुच्छ और ही कहता है..कहता है की प्लान ख़त्म होने के बाद वो मुझे लेके यहा से दूर चला जाएगा!"

"रहने दो उस बेवकूफ़ को इस ग़लतफहमी मे!तुम्हे क्या जाता है,शॅरन मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा उसके पास जाना.",ठुकराल उसकी चूचियो से खेलता हुआ उसकी आँखो मे झाँक रहा था.कामिनी उसकी आक्टिंग की दाद दिए बिना नही रह सकी,"..मेरी जान,बस कुच्छ दिन और प्लीज़..मेरी खातिर.",ठुकराल ने उसकी ड्रेस मे नीचे से हाथ घुसा दिया.

"नही,जगबीर..अभी नही..उस..उस नीच का मैल अभी भी वाहा है..मैं इसे सॉफ करके अभी आती हू.",शॅरन उठी & ऐषगाह से बाहर चली गयी.

"मान गये उस्ताद आपको!",तालिया बजाती कामिनी की आवाज़ सुनके ठुकराल अपने पीछे देखा की कामिनी अपनी ड्रेस का ज़िप उपर कर रही है.

"ये क्या जान!कपड़े क्यू पहन लिए?"

"कामिनी नेबोत्स के ज़िप्स को लगाया & अपने बुर्क़े मे बाँहे डाली,"वक़्त हो गया है,जानम.अब तुम्हारी उस छम्मक छल्लो जिसे तुमने इतना बड़ा झांसा दिया हुआ है देखा लिया तो सारा खेल बिगड़ नही जाएगा!"

"ये तो है.",करीब आके उसने कामिनी को बाहो मे भर लिया.

"इसलिए हुज़ूर अभी मेरा जाना ही ठीक होगा..& फिर ये तो शुरुआत है..अभी तो हमे पता नही ऐसे ही कितने और सुहाने पल 1 साथ बिताने हैं."

"उउंम्म...बस..आज के लिए इतना काफ़ी है.",ठुकराल ने जब उसे कोई 5 मिनिट तक बाँहो मे भर के चूम लिया उसके बाद कामिनी ने उसे परे धकेल दिया.थोड़ी ही देर मे वो जैसे आई थी वैसे हीमाधो के साथ ठुकराल की कार मे वाहा से निकल गयी.देर शाम घर पहुँच के कामिनी के मन मे दोनो केसस को सुलझा लेने की खुशी थी मगर साथ ही अब 1 और बात थी जिसके लिए उसे विकास & जड्ज रस्टों कवास की मदद लेनी थी.

उसने कपड़े उतारे & अपने बाथटब के गुनगुने,खुशाबूदार पानी मे बैठ गयी..वो काम कल होना था,आज तो उसे बस आराम करना था ..आख़िर उसने इतनी मेहनत जो की थी 2 दिन!
क्रमशः.....................


GEHRI CHAAL paart--35

gataank se aage...............

"Aannnhhh...uuunnhhhh...!"

"oohhhh...aahhhhh..!"

1 baar fir Kamini & Thukral 1 sath jhad rahe the.

"kamini..",thukral bistar pe leti kamini ke upar chdha hua tha & uske gaal sehla raha tha.

"hun.",kamini ki aankhe band thi & chehre pe bahut hi santosh ka bhav tha.

"maine aj tak tumhare jaisi khubsurat & mast ladki nahi dekhi!",thukral ne aaj tak na jane ye bat kitni hi ladkiyo se kahi thi magar kehte waqt uske dil me sachchai shayad aaj se pehle kabhi nahi thi.usne apne dil me tay kar liya tha ki use vo apni rani bana ke rahega.aajtak uske haram me saikdo ladkiya aayi thi magar usne kisi ko bhi apni baandi se zyada nahi samjha tha.ye pehli ladki thi jiske liye uske dil me aisa khayal aaya tha.usne soch liya tha ki Shatrujeet Singh ke jail jaet hi vo Sharon ko kinare kar kamini ko apne is ghar me le ayega.aisa nahi tah ki ab vo dusri ladkiyo ko nahi chodega magar dil hi dil me sue pata tha ki kamini ko is baat pe koi aitraz nahi hoga balki vo to shayad isme uska sath bhi de.

"maine bhi tumhare jaise joshile mard se ajtak nahi mili,jagbir.",thukral ke hotho pe muskan fail gayi & vo uthne ko hua,"..kaha ja rahe ho?",kamini ne uski baahe pakad li,"..aise hi raho na..kitna sukun mil raha hai..aaj tak koi mard mere jism ki un gehraiyo tak nahi pahuncha jaha tum pahunche ho.",kamini ne apni baahe uski pith pe kas di to thukral 1 bar fir uske upar let gaya,"..haan..aise hi raho..humesha mujhe isi tarah apni baaho me rakhna,jagbir..humesha!",thukral jhuk kar uske gulabi hotho ko chumne laga & dono 1 baar fir se masti ke samandar me gote lagane lage.

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"Mr.Mukul?"

"ji,haan.kahiye?"

"main Sanjiv Mehra bol raha hu."

"haan,mehra sahab,kahiye."

"maine kamini ji ka fone try kiya tha magar unse bat nahi ho saki.unhone mujhse kaha tha ki shayad weekend pe unse bat na ho paye & isliye unhone mujhe aapka number diya tha."

"ji,mehra sahab,mujhe pata hai.madam aaj shahar se bahar hain isliye apse baat nahi ho payi.kahiye kya kehna tha aapko?"

"unhone mujhe 1 kaam diya tha,vo ho gaya hai."

"yani ki sir,aapko call details mil gayi hain?"

"ji,ab ye bataiye ki unhe aap tak kaise pahuchaoon?"

"sir,aap humare office kyu nahi aa jate?"

"abhi aa jaoon?"

"zarur,sir."

"thik hai.main thodi der me pahunchta hu."

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"mehra sahab,thodi meri madad kijiye.",office me sanjiv mehra ke laye kagazo ko mukul palat raha tha.

"haan,boliye."

"aap inme se jin fone numbers ke bare me jante hain unke bare me is pad pe likh dijiye."

"ok.",5 minute ke andar hi mehra sahab ne ye kaam kar diya.

"thanx,sir..",mukul pad ko & calld etails ko milane laga,"..ye aapka number hai,ye Karan ji ka..ye Avantipur me Sheena ji ke papa ka hai..ye unki bua ka..hmm....sir,ye number bhi India ka hi lagta hai,hai na?",usne call details me se 1 number ke neeche pen se line khinchi.

"haan,lagta to hai..& ispe sheena lagbhag roz baat bhi karti rahi hai."

"ji,sir & ya to vo fone karti thi ys is number se fone unhe kiya jata tha magar London se yaha ane se 10 din pehle se is number pe koi fone nahi kiya gaya na hi number se koi fone hua."

"iska kya matlab hai,mukul ji?"

"sir,asli matlab to thodi aur chhanbeen ke baad pata chalega,main abhi aapko kewal itna bata sakta hu ki bahut jald karan ji lock-up ke bahar apke sath honge."

"sach?"

"han,sir.magar please bhul kar bhi aap unse ya sheena ji se ya fir kisi aur se is baat ka zikr mat kijiyega.case jeetne ke liye ye bahut zaruri hai."

"ap befikr rahen mukul ji,mere hoth sile hue hain..achha ab main chalu."

"ok,sir."

unke nikalte hi mukul ne Mohsin jamal ko fone milaya,"mohsin bhai!mukul bol raha hu,1 kam hai..aapke daftar aa jaoon?"

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"oohhh..kya kar rahe ho?!..ye lo.",kamini bar pe khadi thukral ki drink bana rahi thi jab usne use peechhe se baaho me kas liya.uski kamar ko baaye hath me thame usne daaye se glass leke pehle 1 ghunt bhara fir kamini ke hotho se sata diya,"na..!main whisky nahi piti..bas wine piti hu.",thukral ka lund uski gand ki darar me atak gaya tha.dono abhi koi 3 ghante bad soke uthe the & thukral ke lund ke ehsas ne kamini ki chut me fir se khal bali macha di thi.

"..to thik hai..aaj main bhi ise nahi piyunga.",thukral ne glass kinare rakh diya & peechhe se hi uski chhatiya dabate hue uske chehre & gardan ko chumne laga,"off..ohh...bas..ho gaya..!",kamini shokhi se machalne lagi.

"abhi-2 1 bat pata chali hai.",thuktral ne uski daaye ghutne ko utha ke bar pe rakh diya to kamini aage ko jhuk gayi.

"kya,jagbir?..ooohhhh..!",thukral ab baaye hath se uski makhmali pith sehla raha tha & daaye ki ungliya uski chut me andar-bahar kar raha tha.

"tumhara aashiq to bahut mayoos ho gaya hai tumhare jaane ke baad..",vo bahut tezi se ungli se uski chut maar raha tha & kamini ab puri tarah se bar pe apni chhatiya dabaye jhuki hui aahe bhar rahi thi.uski chut ne pani chhodna shuru kar diya tha.

"hone do...aaaannnnhhhh....!",thukral ne uske ras se bhigi ungliya bahar nikali & uske gand ke chhed me ghusa di,"..oooowwww..!"....vaha nahi,jagbir..please..!",use maza to bahut aa raha tha magar fir bhi usne darne ka natak kiya.

"ghabrao mat,janeman!..kuch nahi hoga..main bahut pyar se karunga..ye dekho.",thukral ne apne lund pe thuka & uske supade ko kamini ki gand ke chhed pe rakh ke dhakka diya,"..haaaaiiiiiiii....raaaaammmmm.....!",kamini chikhi & usne bar ko kas ke jakad liya.

thukral ne bahut dheere-2 uski gand ki fanko ko faila kar lund ko thuk se gila kar-2 ke andar ghusana jari rakha.thodi hi der me lund teen chauthai andar tha,"..ooohhhh....haiiiii....bas jagbir ab aur andar nahi jayega....aaannnhhhh....!",kamini ne sach kaha tha,thukral ka lund luchh zyada hi mota tha,agar vo use aur andar pelne ki koshish karta to thode dard & bahut se maze ke bajay kewal dard hi dard reh jata.

"thukral ab uski pith se sat gaya & uski choochiya maslane laga,"..bas ho gaya,janeman.",uske bad vo halke-2 dhakko se uski gand marne laga.gand marte hue sune baye hath se uski chhatiyo ko dabana jari rakha magar daaya unse hata ke uski chut ke dane pe le aaya.kamini ka dard bhi ab kam ho gaya tha & masti ka nasha uske dilodimagh pe chhane laga tha,"..aaaahhhh....haaaiii...1 baat batao..jag..bir..ooohhh..!"

"bolo,meri rani.",uski kasi gand ne thukral ke lund ko aise jakad rakha tha ki puchho mat.uske ande bilkul kas gaye the & use 1 bahut meethe dard ka ehsas ho raha tha.

"tumhe Shatru.....jeet Singh ke ba..re me...oohhhh.....1-1 baat kai...se mal...um haiii....pad jati hai?koi ja..soos rakha hai kya?"

"haan,meri jaan.vo bhi uske ghar ke andar."

"oohhh...maaa...!aaram se karo...na..!kaun hai vo?"

"hai koi.",thukral uske dane ko tezi se ragad raha tha & ab kamini bhi masti me kamar hila rahi thi.

"nahi..bataoge...aaahhhh...mat batao...main jaan..ti...uuuhhhhh...hu kaun hai!"

"achha,batao kaun hai?",thukral ne zindagi me aisi chaudi,mast & kasi gand nahi mari thi & vo bhi ab apni manzil ki or badh raha tha.

"tony.",thukral ruk gaya,"tumhe kaise pata?"

"oohh..ruk kyu gaye..",kamini ne banawati gusse se gardan ghuma ke use dekha & apne daye hath ko uski gand pe rakh ke apni or khincha,"chinta mat karo.shatrujeet ke yaha kisi ko uspe shaq nahi hai,ulta sab use bahut sharif samajhte hain magar uski yahi sharafat meri nazro me khatak gayi."

"kaise?"

"off..oh!jagbir..tumhi batao aaj ke zamane me koi aisa nekdil insan ho sakta hai jo 2 din se bhukha ho fir bhi notose bhara purse thukra de..fir aam naukaro ki tarah koi chhutti nahi leta..are kitna bhi tanha insan kyu na ho..khud ke liye to waqt chahiye na use!tum mat ghabrao mujhe to kewal shaq tha tumne abhi yakin dila diya.maine kisi ko nahi batay hai uske bare me & ab to batane ka sawal bhi nahi uthata....ab karo na..please!"

thukral ne fir se uski chut se khlete hue uski gand marna shuru kar diya & 1 bar fir kamini ki aaho se hall gunj utha,"man gaye aapko,advocate Kamini Sharan.sachmuch aapke paine dimagh ka jawab nahi!",thukral bahut zordar dhakke laga raha tha.

"aaanhhh...tumhare samne kuchh bhi nahi janeman..main to bas sochti & bolti hu....oouuiiiiiii..haannnnn...tum to kar..ke dikh..ate ho......meri jaaaaaaannnn..!",kamini ko bahut maza aa raha tha..thukral aadmi jitna bhi kamina ho chudai me maharathi tha.kamini ka rom-2 khil gaya tha is aadmi ki chudai se & 1 baar fir vo apni manzil ki or udi chali ja rahi thi,"jaan..tumhe..ye..aadmi..mi...la ka..ise?"

"uski biwi ke zariye.",thukral ki ungli & kamar-dono ki raftar badh gayi thi.

"kya use bhi...haiiiiii...tumne apan dee..wana..bana..liya..me..ri tarah...?"

"haan,janeman."

"oohhh...oouiiiii....chalo jhu..the..!",thukral ki ungli ne uske dane ko aise ragda ki kamini ki chut ne bas pani ki dhar pe dhar chhodna shuru kar diya,"oohhh...haiiiyee.....!",vo jhad rahai thi & uske peechhe uski kamar thame thukral bhi ab bade gehre dhakke laga raha tha,"tumhe yakin nahi aata?"

"uunn..uunnh..na!",kamini bar pe sar jhukaye padi thi & uske dhakke jhel rahi thi.

"thik hai.meri rani.kal apni aankho se dekhna.",thukral ne uski kamar ko tham 1 zordar dhaka lagaya & uski gand ko apne gadhe pani se bhar diya.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"hello."

"haan,mukul.mohsin bol raha hu."

"boliye mohsin bhai."

"tumhare diye number ke bare me pata chal gaya."

"hain!itni jaldi!",mukul ne abhi 3 ghante pehle hi to uske daftar me use number ke bare me bataya tha.pata nahi mohsin akise aise kam karta tha!

"han,bhai.koi shaq hai kya?"

"nahi-2,mohsin bhai.aap galat samajh rahe hain.ab aapke liye ye sab baaye hath ka khel hai mere jaisa insan to hairan hi hoga na!"

mohsin hansa,"mere bhai,apni hairani ko number ke malik ka naam sunane ke liye bachake rakho."

"kaun hai vo?",naam sun ke sachmuch mukul ki hairani ki seema nahi rahi,"..& suno mukul,maine us number ke bhi call details nikalwaliye hain.sab tumhe kal de dunga.dekh lena,ho sakta hai usme se bhi kuchh kaam ki baat pata chal jaye."

"ok,mohsin bhai."

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"..uunnhhhh....ooohhhh.....!",kamini bistar pe padi hui thi & uski faili tango ke beech leta thukral uski chut chaat raha tha.kamini ka daya hath uske sar pe uske balo se khel raha tha & baaye se vo apni choochiya daba rahi thi.usne sar ghuma ke deewar ghadi ki or dekha,sham ke 4 baj rahe the.kal dopahar 12 baje se vo nagi is aadmi ke sath is hall me band thi,dono jam ke 1 dusre ke jismo ka lutf uthaya tha magar is aadmi ke josh me koi kami nahi aayi thi.kamini ko intezar tha ab Sharon ka.thukral ne kal raat hi use bataya tha ki vo tony ki biwi thi & kaise usne sue apne jaal me faansa tha.

tabhi thukral ka intercom baja magar thukral ne uspe koi dhyan nahi diya magar khumari ke us alam me bhi kamini ko hosh tha,"jagbir.."

"hun.",thukral vaise hi uski gand ki fanko ko sehlata hua uski chut me jibh chala raha tha.

"intercom baj raha hai."

"bajne do.",kehke vo fir chut pe jut gaya.

"uunnhhh..kuchh zaruri bhi to ho sakta hai..jao dekho."kamini ne uske bal pakad ke sar chut pe se uthaya.

thukral ne muskura ke use dekha & bistar se utar ke mez pe rakhe intercom ke receiver ko uthaya,"bolo,Madho."

kamini bhi bistar se utar kar uske peechhe se use apni baaho me gher kar uske kandhe se sar lagake khadi ho gayi,"achha thik hai..use aane do."

usne receiver rakha & daaya hath peechhe le jake kamini ko apne samne kiya,"vo aa gayi hai..ab tum khu dhi dekh lena."

"thik hai magar kaise?kaha se dekhu?"

thukral ne charo taraf nazar daudayi,"haan..bar ke peechhe chhupjao..vahas e bistar saf dikhega..dekhna kaise vo khud meri baaho me aati hai."

"thik hai.",kamini ne apna burka,dress,panty,boots & purse samtea & jaldis e bar ke peechhe chhup gayi.

"aao,jaan..kab se tumhara intezar kar raha hu!kitni der kar di tumne!",thukral bistar pe nanga leta hua tha.kamini ne apne purse se apna mobile nikala & uska camera on kar diya.usne dekha ki vahi ladki jiska & tony ka video use mohsin ne diya tha,aa ke thukral se lipat gayi.

"ohh..jagbir..",us ladki ne gulabi color ki ghutno tak ki sleeveles dress pehni hui thi jiske upar se thukral uski pith pe apne hath chala raha tha.

achanak vo ladki uski baho se nikli & bistar ke kinare pe baith gayi.ab uska chehra chhipi hui kamini ki or hi tha,"mujh se ab aur nahi hota,jagbir."

"kya meri jaan?",thukral ne uske peechhe se aakar uske dono taraf apni tange bistar se latka di & suke kandho ko dabane laga.

"tum jante ho main kya kah rahi hu.main ab tony ke sath ye natak aur nahi kar sakti."

"bas kuch hi dino ki baat hai,sharon."thukral ne uski dress ke straps ko neeche kar diya & uske nange kandho ko sehlane laga,"..1 bar shatrujeet singh mere raste se hat jaye bas!uske bad sirf tum aur main & tumhara beta.",thukral ne uske bra straps ko bhi neeche kar ke uski chhatiyo ko numaya kar diya.

"fir bhi..-"

"dekho,shron tum tony ki biwi ho..",thukral uski choochiyo se khel raha tha & sharon ne bhi thoda ghumte hue hath peechhe le jake uske lund ko tham liya tha,"..agar us se nahi milogi to use shaq hoga & vo sara plan chaupat kar sakta hai fir hum kabhi 1 nahi ho payenge."

"jagbir,main use ab apna pati nahi maanti..main tumhe apna sab kuch manti ho..us aadmi ke sath sona...",sharon ke chehre pe bahut dard ka bhav tha,"..& vo to kuchh aur hi kehta hai..kehta hai ki plan khatm hone ke bad vo mujhe leke yaha se door chala jayega!"

"rehne do us bevkuf ko is galatfehmi me!tumhe kya lahta hai,sharon mujhe achha lagta hai tumhara uske paas jana.",thukral uski chhatiyo se khelta hua uski ankho me jhank raha tha.kamini uski acting ki dad diye bina nahi reh saki,"..meri jan,bas kuchh din aur please..meri khatir.",thukral ne uski dress me neeche se hath ghusa diya.

"nahi,jagbir..abhi nahi..us..us neech ka mail abhi bhi vaha hai..main ise saaf karke abhi aati hu.",sharon uthi & aishgah se bahar chali gayi.

"maan gaye ustad aapko!",taliya bajati kamini ki aavaz sunke thukral aplta tod ekha ki kamini apni dress ka zip upar kar rahi hai.

"ye kya jaan!kapde kyu pehan liye?"

"kamini nebots ke zips ko lagaya & apne burke me bahe dali,"waqt ho gaya hai,jaanam.ab tumhari us chhammak chhallone jise tumne itna bada jhansa diya hua hai dekha liya to sara khel bigad nahi jayega!"

"ye to hai.",karib aake usne kamini ko baaho me bhar liya.

"isliye huzur abhi mera jana hi thik hoga..& fir ye to shuruat hai..abhi to hume pata nahi aise hi kitne aur suhane pal 1 sath bitane hain."

"uummm...bas..aaj ke liye itna kafi hai.",thukral ne jab use koi 5 minute tak baho me bhar ke chum liya uske baad kamini ne sue pare dhakel diya.thodi hi der me vo jaise aayi thi vaise himadho ke sath thukral ki car me vaha se nikal gayi.der sham ghar pahunch ke kamini ke man me dono cases ko suljha lene ki khushi thi magar sath hi ab 1 aur baat thi jiske liye use Vikas & judge Rustom kavas ki madad leni thi.

usne kapde utare & apne bathtub ke gungune,khushbhudar pani me baith gayi..vo kaam kal hona tha,aaj to use bas aaram karna tha ..aakhir usne itni mehnat jo ki thi 2 din!










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