Friday, June 18, 2010

गर्ल'स स्कूल पार्ट --3

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गर्ल'स स्कूल पार्ट --3
शमशेर को वापस भी जाना था। अगर किसी ने उसको यहा देख लिया तो अंजलि के लिए प्राब्लम हो सकती थी। वो दोनों बाथरूम गये और नहाने लगे. अंजलि प्यार से उसकी छाती और कमर को मसल रही थी. वा बार बार उसको किस कर रही थी...पर शमशेर का ध्यान कहीं और था. वो दिशा के बारे में सोच रहा था. कस्स! वो लड़की हाथ आ जाए. अगर उसे उनके घर में रहने को मिल जाए तो काम बन सकता है. दिशा जैसी सेक्सी लड़की उसने आज तक नही देखी थी तौलिए से शरीर पौछ्ते हुए वो अंजलि से बोला," मकान का क्या रहा?" "वो हो जाएगा, तुम चिंता मत करो!" अंजलि ने पूरा अपनापन दिखाते हुए कहा. फिर बोली, ये गाड़ी किसकी लाए!" "अपनी ही है और किसकी होगी?" "तो फिर उस्स दिन बस में क्यूँ आए.?" "अरे वो भिवानी मेरा दोस्त है ना. वो लेकर आया था किसी काम के लिए, फिर मुझे भिवानी आना ही था तो मैने उसको बोल दिया की अभी अपने पास ही रखे" कौनसी है?अंजलि ने पूचछा! "स्कोडा ओक्टिवा!" क्यूँ? अंजलि: कुच्छ नही, बस ऐसे ही. शमशेर ने अंजलि को अपने सीने से लगाया और दोनों हाथों से उसकी गांद को दबाकर एक लंबी फ्रेंच किस दी और बोला," सॉरी जान, अब जाना पड़ेगा. सुबह स्कूल में मिलते हैं" अंजलि ने भी पूरा साथ दिया,"हां पता है! शमशेर ने कपड़े पहने और निकल गया! उधर छुट्टी के बाद घर जाते ही दिशा ने वाणी को उपर बुलाया. वहाँ 2 कमरे बने हुए थे जिनका कोई यूज़ नही होता था. एक रूम की खिड़की से जीना पूरा दिखाई देता था. दूसरा कमरा उससे अटॅच था जो बाहर की और भी खुलता था. वाणी ने उपर आते ही बोला,"हां दीदी?" दिशा: यहीं रहेंगे ना अपने सर. वाणी: हां, पर पापा से पूच्छ तो ले. दिशा: तू पूच्छ लेना ना. वाणी: पूच्छ लूँगी, पर तुझे क्या प्राब्लम है. दिशा: कुच्छ नही, पर तू ही पूच्छ लेना. जाने दिशा के मॅन में क्या चोर था. वो वाणी को समझाने लगी की क्या और कैसे कहना है. वाणी: मैं ये भी बोल दूँगी की बहुत स्मार्ट हैं. दिशा: धात पगली, इसीलिए तो तेरे को समझा रही हूँ! स्मार्ट होने से पापा के मान जाने का क्या कनेक्शन. उल्टा मना कर देंगे. वाणी: क्यूँ दीदी? दिशा: अब तू ज़्यादा स्वाल जवाब ना कर. जा बात कर ले पापा से. ध्यान रखना मैने क्या कहा है. वाणी: ठीक है दीदी. वाणी नीचे गयी अपने पापा के पास. उसके पापा की उमर 50 के पार ही लगती थी. खेती करते थे. घर का काम ठीक ठाक चल रहा था. मम्मी की उमर 40 के आसपास होगी. उसके पिता की ये दूसरी शादी थी. वाणी जाकर पापा की गोद में सिर रखकर लेट गयी. कुच्छ देर बाद बोली," पापा, बड़ी मॅ'म पूच्छ रही थी अगर हमारा उपर वाला मकान खाली हो किराए के लिए तो... पापा: लेकिन बेटा उनके पास तो काफ़ी अच्च्छा घर है अभी. वो खाली करवा रहे हैं क्या. वाणी: नही, अभी साइन्स के नये सर आए हैं. उनके लिए चाहिए. वाणी ने उनके चेहरे की और देखा. कुच्छ दिन पहले एक डॉक्टर उनके पास किराए पर रहने की पूच्छ रहा था. लेकिन अनमॅरीड होने की वजह से पापा ने मना कर दिया था. पापा: बेटी, क्या वो शादी- शुदा हैं? वाणी: पता नही, पर उससे क्या होता है. पापा: मैं कल स्कूल आउन्गा. फिर सोचकर बता दूँगा. वाणी: दे दीजिए ना पापा, हमें टूवुशन के लिए इतनी दूर नही जाना पड़ेगा. बहुत अच्च्छा पढ़ाते हैं.(दिशा ने उसको यही सिखाया था) प्लीज़ पापा मान जाइए ना. उसके पापा दोनों लड़कियों से बहुत प्यार करते थे. फिर उन्हे अपनी बेटियों पर भरोसा भी था. वो बोले,"ठीक है, तू ज़रा पढ़ाई कर ले मैं थोड़ी देर मैं बताता हूँ. उसके जाने के बाद वो अपनी पत्नी से बोला,"निर्मला, अगर वो कुँवारा हुआ तो!" निर्मला: आप तो हमेशा उल्टा ही सोचते हैं. क्या आपको दिशा पर यकीन नही है. आज तक उसने कोई ग़लती नही की. हर बात आकर मुझे बता देती है. वाणी को तो वो बच्ची ही समझती थी. पापा: वो तो ठीक है मगर... निर्मला: मगर क्या, बेचारियों को ट्यूशन पढ़ने के लिए कितनी दूर जाना पड़ता है. आप क्या हरदम उनकी रखवाली करते हैं. षर्दियो मैं तो अंधेरे हो जाता है आते आते. उपर से 1500 रुपए मिलेंगे वो अलग. क्या सोच रहे हैं जी, हां कर दीजिए. अनमने मॅन से दया चंद बोला," ठीक है फिर हां कर दो." निर्मला ने दिशा को आवाज़ लगाई. दिशा तो जैसे इंतज़ार में ही खड़ी थी. "हां मामी जी!अभी आई." निर्मला: बेटी एक बात तो बता. ये तुम्हारे जो नये सर हैं, कैसे हैं. दिशा: आपको कैसे पता मामी जी? निर्मला: अरे वो वाणी को उसकी बड़ी मॅ'म उपर वाले कमरों के लिए कह रही थी, तुम्हारे मास्टर के लिए; दे दें क्या? दिशा: देख लीजिए मामी जी. निर्मला: इसीलिए तो बेटी पूच्छ रही हूँ, कैसे हैं? दिशा: कैसे हैं का क्या मतलब; टीचर हैं, अच्च्छा पढ़ाते हैं, और क्या. निर्मला: बेटी, मैं सोच रही थी अगर उनको यहाँ रख लें, तो तुम्हे ट्यूशन की भी प्राब्लम नही रहेगी. दिशा: हां ये बात तो है मामी जी. ठीक है बेटी, जा पढ़ाई कर ले! दिशा जाने लगी. बेटी के लचकदार जिस्म को देखकर मामी जाने क्या सोचने लगी. उपर जाते ही दिशा ने वाणी को अपनी बाहों में भर लिया. वाणी ने खुश होकर पूचछा की क्या हुआ? दिशा: मामी ने हां कर दी, सर के लिए. वाणी ने चुटकी ली, "तुम तो बहुत खुश हो! कुच्छ चक्कर है क्या?" दिशा:धात! तू बड़ी शैतान होती जा रही है. वो मैने सिर को आज स्कूल में उल्टा सीधा कह दिया था ना. अब शायद वो मुझे माफ़ कर देंगे. आ चल सफाई करते हैं." दोनों ने मिलकर उपर वाले कमरों को अपनी तरफ से दुल्हन की तरह सज़ा कर तैयार कर दिया. दिशा बोली," आज हम उपर ही सोएंगे" "ठीक है दीदी" अगले दिन सुबह स्कूल जाते हुए दिशा और वाणी बहुत खुश थी. वाणी ने तो स्कूल जाते ही एलान कर दिया की सर हमारे घर रहेंगे. तभी स्कूल के बाहर एक चमचमाती स्कोडा रुकी. बच्चों ने ज़्यादा ऐसी कार देखी नही तो उसके चारों और इकट्ठे हो गये. जब उसमें से शमशेर उतरा तो वो पहले दिन से ज़्यादा स्मार्ट और सेक्सी लग रहा था. वाणी उसको देखते ही भाग कर आई और बोली, सर मम्मी ने बोला है आप हमारे घर में ही रहना! शमशेर: अच्च्छा! वाणी: हां सर, रहेंगे ना! शमशेर ने उसकी और देखते हुए कहा,"क्यूँ नही, वाणी" वाणी: सर, ये इतनी अच्छि गाड़ी आपकी है? शमशेर ने उसके कंधे को हल्का से दबाया," मेरी नही अपनी है" वाणी शमशेर को देखती रह गयी! इश्स छ्होटे से डाइयलोग ने उसपे जाने क्या जादू किया की उसको सर सिर्फ़ अपने से लगने लगे. वाणी दौड़ती हुई दिशा के पास गयी और बोली चल देख क्या दिखाती हूँ दीदी. स्कूल के बाहर लेजाकार उसने दिखाई, देख गाड़ी! गाँव में सच में ही वो गाड़ी अद्भुत लग रही थी. दिशा पहले तो उसको एकटक देखती रही फिर बोली, क्या देखूं इसका! वाणी: सर जी ने कहा है ये अपनी गाड़ी है. दिशा के दिमाग़ में भी इश्स बात का असर हुआ फिर संभाल कर बोली," चल पागल!" वाणी पर इसका कोई असर नही हुआ. वो उच्छलती कूदती वहाँ से चली गयी. बहुत खुश थी वो. शमशेर ऑफीस में दाखिल हुआ,"गुड मॉर्निंग मॅ'म" अंजलि की आँखो में कशिश थी, अपनापन था. लेकिन कॉंटरोल्ल करके बोली," गुड मॉर्निंग मिस्टर. शमशेर! कहिए कैसे हैं! शमशेर: जी अच्च्छा हूँ, आपकी दया से! हां वो मेरे रूम का अरेंज्मेंट हो गया है. अंजलि: कहाँ? शमशेर: वहीं...वाणी के घर, अभी बताया है. अंजलि: ये तो बहुत अच्च्छा हुआ.(मॅन में वो इसके उलट सोच रही थी) तो आपका समान रखवा दूं? शमशेर: अरे नही! मेरा सारा समान गाड़ी में है. छुट्टी के बाद सीधे वही उतरवा दूँगा. मैं पीरियड ले लेता हूँ. कहकर वो ऑफीस से बाहर चला गया और 10थ क्लास में एंट्री की. सभी लड़कियाँ सहमी हुई थी. एक तो मर्द टीचर, दूसरा शकल से ही राईश दिखाई देता था. बड़ी गाड़ी, गले में 4-5 तौले की चैन. उसका रौब ही अलग था. साइकल पर आने वाले मास्टर जियों से बिल्कुल अलग. क्लास में सन्नाटा छाया हुया था. शमशेर ने पूरी क्लास को देखा. सभी की निगाह उसस्पर थी, सिवाय दिशा को छ्चोड़कर. वो नीचे चेहरा किए बैठी थी. शमशेर: गुड मॉर्निंग गॅल्स! मुझे नही लगता की आपको डिसिप्लिन में रखने के लिए डंडे की ज़रूरत पड़ेगी. या है! कोई कुच्छ नही बोली! शमशेर: आप सभी जवान हैं...... नेहा ने उसके चेहरे की और देखा शमशेर: ...मतलब समझदार हैं. मुझे उम्मीद है आप कुच्छ ऐसा नही करेंगी जिससे मुझे डंडे का यूज़ करना पड़े... जिनकी समझ में बात आई, उनकी चूत गीली हो गयी. शमशेर: आप लोग समझ रहे होंगे ना मेरा मतलब. जिसको पढ़ाई करनी है वो पढ़ाइई करें. जिनको डंडा खाने का शौक है वो बता दें, वो भी मेरे पास है. मतलब मैं डंडे का यूज़ भी करना जनता हूँ. इसीलिए कोशिश करें स्कूल टाइम में पढ़ाई पर ही ध्यान दें. अन्या बातों पर नही. तभी क्लास में पीयान आई और बोली, सर दिशा को प्यारी मेडम बुला रही हैं! शमशेर: दिशा जी, आप जा सकती हैं. दिशा स्टाफ्फरूम में गयी. वाणी भी वही खड़ी थी. प्यारी मेडम काफ़ी गुस्से में लग रही थी. "मे आइ कम इन, मॅ'म?" प्यारी: आजा, राजकुमारी! वहाँ खड़ी हो जा दीवार के साथ. दिशा चुपचाप जाकर वाणी के साथ खड़ी हो गयी. वाणी रो रही थी. प्यारी: मैं तो तुम दोनों को अच्च्ची लड़की समझती थी. पर तुम तो... दिशा: सीसी॥क्या हो गया मेडम जी! प्यारी: चुप कर बहन की..., तुम्हे अपने मास्टर पर डोरे डालते हुए शरम नही आई. इतनी ही ज़्यादा खुजली हो रही थी तो गाँव के किसी लड़के को ख़सम बना लेती अपना. इतने पीच्चे पड़े रहते हैं तेरे. सो जाती किसी के साथ... मास्टर पर ही दिल बड़ा आया तेरा. गाड़ी में बैठकर करवाएगी क्या. दिशा की आँखो से पानी टपक रहा था. पहली बार किसी ने इतना जॅलील किया था उसे. "मेडम आप ऐसा क्यूँ कह रही हैं. क्या किया है मैने" "क्या किया है मैने! उसको घर जौंवाई बना के रखोगे तुम. क्या दे दिया बदले में उस्स सांड ने. दिशा से रहा ना गया और बोली," मेडम प्लीज़ बकवास बंद कीजिए. मुझे कुच्छ समझ नही आ रहा." इतना सुनना था की प्यारी के गुस्से का ठिकाना ना रहा. वा उठी और जाकर दिशा के चूतदों पर खींच कर डंडा मारा. वो दर्द से दोहरी हो गयी. यहीं पर वो नही रुकी. उसने दिशा के रेशमी बालों को पकड़कर खींचा तो वो घुटनों के बल आ गयी. प्यारी ने उसके निचले होंट को पकड़ कर खींच लिया. और एक और डंडा मारा जो उसकी बाईं चूची पर लगा. वो बिलख पड़ी. प्यारी: कान पकड़ ले साली कुतिया. मैं बकवाद करती हूँ हाँ. दिशा ने कान पकड़ लिए और मुर्गी बन गयी. प्यारी सच में ही कमिनि और घटिया औरत थी. उसने डंडा उसकी गांद के दरार के बीच रख दिया और उपर नीचे करने लगी," साली मैं बुझती हूँ तेरी चूत की प्यास, किसी को हाथ नही लगाने देती ना यहाँ. वाणी से अपनी प्यारी दीदी की ये दशा देखी ना गयी. वा कमरे से भाग गयी और बदहवास सी सर-सर चिल्लाने लगी. सभी बच्चे बाहर आ गये. अंजलि भी दौड़ी आई और उधर से शमशेर भी.... वा हैरान था. वाणी भागती हुई जाकर शमशेर से लिपट गयी," सर, दीदी...!" शमशेर को सब अजीब सा लगा. यौवन की दहलीज पर खड़ी एक लड़की उससे बेल की तरह लिपटी हुई थी. पर वक़्त ये बातें सोचने का नही था. शमशेर: क्या हुआ, वाणी? वाणी: स॥सर वो प्यारी मेडम..." सभी स्टाफ रूम की और भागे, दिशा ज़मीन पर लाश सी पड़ी थी, उसका कमीज़ फटा हुआ था जिससे उसके कसा हुआ पतला पेट दिख रहा था. शमशेर को समझते देर ना लगी. उसने फोन निकाला और भिवानी के एस.पी. को फोन किया. "हां शमशेर बेटा!" उधर से आवाज़ आई "अंकल, मैं लोहरू के एस टी. सेक. गर्ल्स स्कूल से बोल रहा हूँ. आप लेडी पोलीस भेजिए, यहाँ क्राइम हुआ है. "वेट्स अप बेटा, तुम्हारे साथ कुच्छ... "आप जल्दी फोर्स भेजिए अंकल जी" "ओक बेटा" प्यारी अब भी अकड़ में थी. उसको लगता था की उसके आदमी के थानों में संबंध हैं. उसका कोई कुच्छ नही बिगाड़ सकता. लेकिन जब पोलीस आई तो सारा सीन ही बदल गया. जीप से एक लेडी इनस्पेक्टर उतरी. डंडा घुमाती हुई आई और बोली," किसने फोने किया था एस.पी. साहब को?" शमशेर उसके पास गया और बोला, आइए मिस. और उसको दिशा के पास ले गया. दिशा अब ऑफीस में बैठी थी. अब भी वा बदहवास सी रो रही थी. शमशेर बोला,"हां दिशा मेडम को दिखाओ और बताओ क्या हुआ है." दिशा अपनी चुननी को हटाकर उसको अपना कमीज़ दिखाने ही वाली थी की वो रुक गयी और शमशेर की और देखने लगी. शमशेर समझ गया और बाहर चला गया. कुच्छ देर बाद लेडी इनस्पेक्टर बाहर आई और प्यारी को अपने साथ बिठा कर ले गयी. अंजलि ने डी.ओ. साहब को रिपोर्ट की और स्कूल की छुट्टी कर दी. शमशेर ने अंजलि को कहा की वो उसके साथ चले. अंजलि को घर छ्चोड़ देते हैं. शमशेर ने गाड़ी स्टार्ट की, वाणी आगे बैठ गयी. अंजलि और दिशा पीछे, और वो उनके घर पहुँच गये. घर जाते ही दिशा दहाड़े मारकर रोने लगी. धीरे धीरे शांत करके उनसबको सारा माजरा बताया गया. अंजलि ने बताया की वो ज़बरदस्ती शमशेर को अपने घर रखना चाहती थी. सब जानते थे की वो कैसी औरत थी. सुनकर वाणी के पापा चिंतित हो गये और बोले," अब क्या होगा बेटा?" "होगा क्या अंकल जी! प्यारी मेडम को सज़ा होगी. "नही नही बेटा! गाँव में दुश्मनी ठीक नही. तुम मामले को रुकवा दो. दिशा मामा की इश्स बात पर फुट पड़ी. शमशेर ने कहा देखते हैं अंकल जी. उधर सरपंच को पता लगते ही उसका पारा गरम हो गया. उसने तुरंत थाने में फोन किया. वहाँ से जो उसको पता चला, सुनते ही उसकी सिट्टी पिटी गुम हो गयी, शमशेर एक बड़े आइपीएस ऑफीसर का बेटा था. अब कुच्छ हो सकता है तो वही कुच्छ हो सकता है. सरपंच हाथ जोड़े दौड़ा दौड़ा आया. सारे गाँव ने पहली बार उसका ये रूप देखा. वा गिड़गिदाने लगा. फिर दायाचंद के कहने पर इश्स बात पर समझोता हुआ की प्यारी देवी पूरी गाँव के सामने दिशा से माफी माँगेगी और उसका ट्रान्स्फर गाँव से दूर कर दिया जाएगा. ऐसा ही हुआ. अब दिशा को भी तसल्ली हुई. कुच्छ ही देर में सब कुच्छ सामानया होगया जैसे कुच्छ हुआ हिना हो. गाँव वाले अंदर ही अंदर बहुत खुश थे. वाणी के पापा की तो रेप्युटेशन ही बढ़ गयी. इन सब में वो कुच्छ सवाल और कुच्छ शर्तें जो वा शमशेर को बताना चाहता था, उसके दिमाग़ से हवा हो गये. वा बोला," माफ़ करना मास्टर जी, हम तो चाय पानी ही भूल गये! "दिशा बेटी ज़रा मास्टर जी और मेडम के लिए चाय तो बनादे." "जी मामा जी" दिशा नॉर्मल नही हुई थी, उसको रह रह कर प्यारी देवी की बातें याद आ रही थी. उसकी चूत पर किसी ने टच किया हो, आज से पहले कभी नही हुआ था. अब भी उसको अपनी गॅंड के बीचों बीच डंडा घूमता महसूस हो रहा था. उसने शमशेर सर के बारे में कितनी गंदी बातें बनाई, सोचकर ही उसका चेहरा गुलाबी हो गया. फिर उसे ध्यान आया कैसे शमशेर सिर ने उसको हीरो की तरह बचाया और प्यारी देवी को सज़ा दिलवाई. चाय बनाते बनाते दिशा ने सोचा," क्या ये ही उसके हीरो हैं." सोचने मात्रा से ही दिशा शर्मा गयी और घुटनों में छिपा लिया. वा चाय बनाकर लाई और सबको देने लगी. शमशेर को चाय देते हुए उसके हाथ काँप रहे थे. अब तक भी वो उससे नाराज़ थी. चाय पीते ही वाणी ने शमशेर का हाथ पकड़ा और बोली," सर चलिए, आपको आपका घर दिखाती हूँ. उसके पापा को थोड़ा अजीब सा लगा और उसने वाणी को घूरा, पर उसस्पर इसका कोई असर नही हुआ; वह तो निशपाप थी. वा शमशेर को खींचते हुए उपर ले गयी. अपनी तरफ से उन्होने कमरे को पूरा सजाया था. शमशेर जाते ही बोला," मुझे सेट्टिंग करनी पड़ेगी" वाणी मायूस हो गयी," सर, दिशा दीदी और मैने इतनी मेहनत की थी" शमशेर हँसने लगा. वो नीचे जाकर अपना लॅपटॉप, एक फोल्डिंग टेबल, अपना. बॅग और बिस्तेर लेकर आया. और अपने हिसाब से कमरे में सेट्टिंग करने लगा. मम्मी ने वाणी को आवाज़ दी. वाणी दौड़ती हुई नीचे गयी. खिड़की से शमशेर ने देखा. वाणी का फिगर मस्त था. जब ये लड़की तैयार होगी तो शायद दिशा से भी मस्त होगी. उसने अपने होंटो पर जीभ फिराई और फिर से अपने समान को अड्जस्ट करने में जुट गया. "उपर क्या कर रही थी बेटी. सर को आराम करने दे." नही मम्मी, सर तो अपने रूम की सफाई कर रहे हैं. मैं उनकी मदद कर रही थी." दिशा चौकी," हमने सफाई करी तो थी कल वाणी." उससे मन ही मन गुस्सा आया. कल कितने अरमानों से उसने कमरे को सजाया था. वाणी: वो तो सर ने सारी सेट्टिंग ही चेंज कर दी. दिशा को इतना गुस्सा आया की अगर वो उसके सर ना होते तो अभी जाकर उससे लड़ाई करती. क्या समझते हैं खुद को. पर वो बोली कुच्छ नही और बाहर जाकर कपड़े धोने की तैयारी करने लगी. शमशेर सब अड्जस्टमेंट के बाद आराम से बेड पर बैठ गया. उसने देखा दिशा बाहर कपड़े धो रही हैखिड़की से वहाँ का दृश्या सॉफ दिखाई देता तहा. बेमिसाल हुश्न की मालकिन थी वह. कपड़े धोते धोते उसके चेहरे के रंग बार बार बदल रहे थे. कभी मंद मंद मुस्कुराती. कभी नर्वस हो जाती और कभी चेहरे पर वही भाव आ जाते जो पहली बार उसका नाम पुच्छने पर आए तहे. शायद कुच्छ सोच रही थी वा. अचानक वह झुकी और उसकी चूचियों की घाटी के अंदर तक दर्शन हो गये शमशेर को. उसकी सेब के साइज़ की चूचियाँ बिल्कुल गोले थी. वो भी बिना ब्रा के. क्या वो कभी उन्हे छ्छू भी पाएगा. काश ऐसा हो जाए. दिशा पहली लड़की थी जिसके लिए उसका सब्र टूटता जा रहा था, और वो लाइन ही नही दे रही. नही तो कितनी ही हसीनायें अपनी पहल पर उसके लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी. वह उठी और कपड़े निचोड़ने लगी. उसका मुँह दूसरी तरफ हो गया. उसकी कमीज़ उसकी गांद की दरार में फँसा हुआ था. कमीज़ गीला हो जाने की वजह से उसकी गांद का सही सही साइज़ शमशेर के सामने था. एक दम गोल गोल. जैसे आधे गोले तरबूज में किसी कलाकार ने बड़ी सफाई से एक छ्होटी फाँक को निकल दिया हो. शमशेर उसको प्यार का पहला पाठ पढ़ाने को तत्पर हो उठा. पर उसको डर था. वो बड़ी तुनकमिज़ाज थी. कही पासा उल्टा पड़ गया तो इसके चक्कर में बाकी स्कूल की लड़कियों से भी हाथ धोना न पड़ जाए. स्कूल में एक से एक मीठे फल थे हां इसके आगे सब कुच्छ फीका ही था. तभी फोन की घंटी बाजी. फोन अंजलि का था. "हेलो" "शमशेर" "हां जान" "ठीक अड्जस्ट हो गये हो ना" "हां, जान बस तुम्हारी कमी है" "तो आज रात को आ जाओ ना" अंजलि की चूत की प्यास भी अब बढ़ गयी थी. "सॉरी जान" पर इनको अजीब लगेगा." "कुच्छ देर के लिए आ जाना, घूमने का बहाना करके." "देखता हूं" "आइ लव यू!" "लव यू टू जान!" शमशेर का ध्यान अब दिशा की गांद के अलावा कहीं जाता ही नही था. उसके शरीर की हड्डियाँ गिनते गिनते शमशेर को नींद आ गयी. करीब 5 बजे दिशा ने चाय बनाई. उसकी मम्मी बोली बेटी तुम्हारे सर को भी दे आना. दिशा जाने लगी तो मामा ने टोक दिया," दिशा बेटी, रूको! वाणी चलो बेटा चलो सर को चाय देकर आओ! "पापा, मेरा काम ख़तम नही हुआ है अभी, मैं बाद में जाउन्गि. दीदी तुम्ही दे आओ." चाहती तो दिशा भी यही थी पर उसमें सर का सामना करने की हिम्मत नही थी, जाने क्यूँ. उपर चढ़ते चढ़ते उसके पैर भारी होते जा रहे थे. उपर जाकर उसने देखा, सर जी सो रहे थे. वा एकटक उसको देखती रही. कितना हसीन चेहरा था. कितनी चौड़ी छति थी, कमर पतली और... और ये क्या, शमशेर की पॅंट आगे से फूली हुई सी थी. इसमें छिपे खजाने की कल्पना करते ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया. "हाए राम!" conti...


क्या ये न्याय हो रहा है मेरे साथ मैं इतनी मेहनत से आप लोगोके लिए स्टोरी लिखता हूँ और आप लोग है की एक शाबाशी भी नहीं दे सकतेचलिए शाबाशी न सही एक एक कमेन्ट तो दे ही सकते हैंआप लोगो का एक एक कमेन्ट मेरे लिए बहुत महत्व रखता हैइसी लिए भाई लोग कमेन्ट देने मैं कंजूसी मत करोआपका दोस्त...राज शर्मा ...




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