Sunday, June 20, 2010

गर्ल्स स्कूल पार्ट --21

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गर्ल्स स्कूल--21

अंदर शमशेर तैयार हो चुका था.. दिशा अंदर गयी तो वह सिर्फ़ अंडरवेर में बेड पर बैठा था... "बहुत जल्दबाज़ी करते हो.. मैं अगर ना आती तो.." "उठा लाता तुम्हे.. ज़बरदस्ती.. आज नही रुकता; किसी भी कीमत पर.. दिशा अपनी नाइटी निकाल कर शमशेर के उपर जा गिरी... और उसके छाती के बालों को सहलाने लगी...," तुम जब यूँ ज़बरदस्ती सी करते हो तो मज़ा और बढ़ जाता है.." "इसका मतलब तुम्हारा रेप करना पड़ेगा.." शमशेर ने दाई और पलट कर उसको अपने नीचे ले आया.. और उसकी छातियों को मसालने लगा.. उसके होंटो से खेलने लगा.. 5 मिनिट में ही सब कुछ दिशा की बर्दास्त के बाहर था.. वह अपनी चूत पर हाथ फिरा रहे शमशेर के लंड को अपनी मुति में भींच कर बोली..," अब और मत तद्पाओ जान अंदर कर दो... मुझसे सहन नही हो रहा.. उसने आँखें बंद कर ली.. शमशेर ने सीधा लेट कर दिशा की दोनो टाँगों को अपनी कमर के गिर्द करके उपर बिठा लिया.. दिशा की चूत का मुँह शमशेर के लंड के ठीक उपर रखा था.. शमशेर ने उसकी चूचियों को दोनो हाथों से संभाला हुआ था.. "ऐसे मज़ा नही आता जान.. आ.. मुझे नीचे लिटा लो ना..!" दिशा लंड की मोटाई अपनी चूत के मुहाने पर महसूस करती हुई बोली... "मेरी जान.. प्यार आसन बदल बदल कर करना चाहिए.. " कहते हुए शमशेर ने दिशा को थोड़ा उपर उठाया और अपना सूपड़ा सही जगह पर रख दिया...

 अपने आपको उसमें फाँसती चली गयी," आआअहहााआहहाा..आइ लव यू जाआआआआन!" उसने शमशेर की छाती से चिपकने की कोशिश की.. पर शमशेर उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलता; दबाता.. उसको धीरे धीरे उपर नेचे करने लगा..... दोनो सबकुछ भूल चुके थे.. वाणी को बाहर ढेरे धीरे आ रही उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी.. उसका मन पढ़ाई में नही लगा.. वा अपने बेडरूम में गयी और बेड पर लेट कर स्कर्ट ऊँचा उठा कर अपनी गीली हो चुकी चूत से खेलने लगी... जाने कब शमशेर दिशा की बेस्ट पोज़िशन.. में उसको ले आया था.. दिशा टाँगें उठाए सिसक रही थी.. शमशेर दनादन धक्के मार रहा था...... दिशा के 2 बार झड़ने पर भी शमशेर ने उसको नही छ्चोड़ा.. वह सारी कसर निकाल लेना चाह रहा था... जब तीसरी बार भी दिशा ने जवाब दे दिया तो शमशेर ने अपना लंड बाहर निकाला और अपने हाथ से ही स्ट्रोक चालू कर दिए... दिशा आँखें बंद किए... उसकी गोलियों को सहला रही थी... अचानक एक तेज झटकेदार धार ने दिशा की छाती को प्यार के रस से बुआर दिया.. दोनो निहाल हो उठे........ दिशा जब अपने आपको सॉफ करके बाहर आई तो वाणी सो चुकी थी... अपनी भूख अपने हाथों से शांत करके... दिशा वापस शमशेर के पास गयी और बेड पर उससे लिपट गयी... "का बात है..? पढ़ाई नही करनी क्या?" शमशेर ने उससे मज़ाक किया..! "हुम्म... इतना तक जाने के बाद पढ़ाई हो सकती है भला... दिशा ने शमशेर की छाती पर सिर रखा और अपनी आँखें बंद कर ली...... अगले दिन टफ ने सदर थाने ले जाकर शिवानी की स्टेट्मेंट रेकॉर्ड की और फिर कोर्ट ले जाकर अंडर सेक्षन 64 के तहत सी जे एम कोर्ट में पेश कर दिया... शिवानी ने अपनी स्टेट्मेंट में शिव के साथ ही ओम पर भी आरोप लगाए.. शिव को शाह देने और उकसाने के लिए.. जज साहब ने दफ़ा 363, 366, 373 और 506 की धारायें शिव पर लगाई और शिव और ओम की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया.... इंक्वाइरी ऑफीसर ए.एस.आइ. अभिषेक ने उन्हे 3 दिन के अंदर गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया जहाँ से दोनो को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जैल भेज दिया गया...... अंजलि को सुनकर धक्का सा लगा.. पर उसने ये सोचकर संतोष कर लिया की करनी का फल तो उसको भुगतना ही पड़ेगा... और फिर राज तो साथ था ही... उसकी तन की आग शांत करने के लिए... गौरी यह सब जान कर उद्वेलित सी हो गयी और मन ही मन शिवानी और राज से खार खाने लगी... आख़िर जैसा भी था.. उसका बाप था... फिर उसने कुछ किया भी तो नही था....!

पूरा दिन ना तो सीमा का फोन आया था और ना ही उसने उठाया.. टफ बेचैन हो गया.. सुबह से करीब 50वा फोन था जो अब जाकर सीमा ने उठाया..," हेलो!" सीमा की आवाज़ सुनकर टफ की जान में जान आई.. ," कहाँ थी आप.. सारा दिन?" "मैं लाइब्ररी में थी.. एग्ज़ॅम की तैयारी घर पर नही होती.. कोई ना कोई आया ही रहता है दुकान पर... " "पर कम से कम फोने उठा कर बता तो देती.. मैं कितना परेशान रहा सारा दिन..!" "सच में.." सीमा के चेहरे पर उसके प्यार में पागल आशिक की तड़प की चमक तेर उठी.." लगता है आपको किसी से प्यार हो गया है.." सीमा ने इठलाते हुए कहा.. "प्यार की तो... बताओ ना क्यूँ नही उठाया फोन?" टफ के मुँह से कुछ उल्टा पुल्टा निकालने वाला था... "अरे ये साइलेंट पर रखा हुआ था... टेबल पर.. मैने देखा ही नही.. अब घर फोन करने के लिए निकाला तो आपकी कॉल आती हुई देखी... "कब से हैं आपके एग्ज़ॅम?" "तीन तो अभी हैं इसी हफ्ते में.. एक 28 एप्रिल को है..." सीमा ने पूरी डटे शीट ही बता डाली... " क्या हम नेक्स्ट सनडे मिल सकते हैं..?" टफ उसको देखने के लिए बेचैन हो उठा था... " नेक्स्ट सनडे क्यूँ.. कभी भी मिल लो घर आकर..! तुम्हे तो वैसे भी कोई नही रोक सकता.. पोलीस इनस्पेक्टर हो!" सीमा ने कहा!"

"सीमा जी प्लीज़.. मुझे बार बार शर्मिंदा ना करें.. और मैं घर की बात नही कर रहा.. कहीं बाहर...?" "कभी नही...!" सीमा हँसने लगी.. "क्या कभी भी नही...?" टफ को झटका लगा.. "अच्छा जी.. सॉरी! अभी नही.. बस!" सीमा ने अपना वाक़्या सुधारा.. "अभी नही तो कब? देख लो मैं सीधा घर आ जवँगा..!" "क्यूँ.. उठाकर थाने ले जाने..!" सीमा ने फिर चोट की.. "आप क्यूँ बार बार मेरे जले पर नमक छिड़क रही हैं.... उठाकर तो अब मैं आआपको डॉली में ही लेकर अवँगा.." "देखते हैं.." खुद की शादी की सोच कर सीमा चाहक पड़ी... तभी टफ के फोन पर शमशेर की कॉल वेटिंग आने लगी..," अच्छा! शमशेर का फोन है.... मैं बाद में करता हूँ..बाइ!" बाइ कहकर सीमा ने फोन काट दिया... टफ ने शमशेर की कॉल रिसीव की," हां भाई!" "अबे कितनी देर से फोन कर रहा हूँ.. तेरे लिए एक इन्विटेशन आया है..!" "कैसा इन्विटेशन भाई?" "वो मेरे एक पुराने यार का फोन आया था.. कोई चिड़िया फँसाई है.. कह रहा था मस्त आइटम है... साथ एंजाय करेंगे... अब मैने तो; तुझे पता ही है.... मस्ती छोड़ दी है.. सो सोचा तुझे बता दूं...!" शमशेर ने टफ को इन्विटेशन के बारे में बताया.. टफ का माइंड 50-50 हो गया.. कभी उसको सीमा का चेहरा याद आता कभी नयी चिड़िया के साथ हो सकने वाली मस्ती... "अबे कुछ बोल.. क्या कहता है.." "ठीक है भाई.. एक पाप और सही.. बोल किधर आना है.... पर ये आखरी; हां!" "उसके बाद क्या सन्यासी बन'ने का इरादा है..?" शमशेर ने उसके मन को टटोला.. "सन्यासी नही भाई.... घरवासी.. सीमा का पति.. और पत्निवर्ता पति...!" "छोड़ साले! इस जानम में तो तू सुधार नही सकता.. लिख कर ले ले.." "बता ना भाई.. किधर आना है..?" "आना नही है.. जाना है.. रोहतक!" शमशेर ने बताया.. "अरे वाह.. एक तीर से दो शिकार.. सुबह सीमा से भी मिलता आउन्गा..... थॅंक यू बिग ब्रदर.. थॅंक यू.." टफ उछल पड़ा.. "जा ऐश कर साले!" शमशेर ने मज़ाक किया.... "भाई तूने गाली देनी सीख ली..?" टफ ने 'साले' पर ऐतराज किया.. "गाली नही है साले.. अपना रिश्ता बता रहा हूँ.. तूने वाणी को बेहन बोला था की नही...!" "आब्बी यार! तू तो मेरा फालूदा करवा कर मानेगा... चल ठीक है जीजा जी.. अब उस्स दोस्त का नंबर. तो लिखवाओ!" शमशेर ने टफ को उस्स दोस्त का नंबर बताया..," और हां तुम एक दूसरे को जानते हो!" "कौन है मदारचोड़!" टफ के दिल में उतार आई रंगीनियत उसके बोल में झलकने लगी... "शरद..!" "शरद कौन?" "अरे शरद ओला यार... कॉलेज में जो मुझसे जूनियर था.. प्रेसीडेंट बनवाया था जिसको हुमने...." शमशेर ने "अरे शरद यार! कॉलेज में जो मुझसे जूनियर था और हमने जिसको प्रेसीडेंट का एलेक्षन लॅड्वेया था.." शमशेर ने टफ को याद दिलाने की कोशिश की... "अर्रे शरद... भाई, वो मेरा दोस्त था पहले... अब आपका कोई अहसान नही है.... आपने तो हद कर दी यार... उसको कहाँ से ढूँढ निकाला.. क्या जिगर वाला लड़का था.." टफ शरद को याद करके खुश हो गया... "चल ठीक है..... कल शाम का प्रोग्राम कह रहा था.. तू उससे बात कर लेना..." "पर भाई उसको बताना नही की अजीत आ रहा है... मैं सर्प्राइज़ दूँगा.. तो उससे फोन करके पूछ लेना, वो कहाँ वेट करेगा... मैं अचानक एंट्री मारूँगा..." "ठीक है... ! ओक, बाइ..." "बाइ भाई... थॅंक युउउउउउउउउउउउ....." टफ बहुत खुश था अपने दोस्त को दोबारा पाकर... पर वो उस'से कयि साल बड़ा था.. करीब 4 साल.... टफ बेशबरी से अगले दिन का वेट करने लगा..

अगले दिन स्कूल से छुट्टी के वक़्त वाणी ने अपनी सहेली को कहा," मानसी! तुम आज भी मेरी बुक लेकर नही आई ना... कल से एग्ज़ॅम शुरू हैं.. अब क्या करूँ.." मानसी अपने माथे पर हाथ लगाकर बोली," ओहो! यार.. तू फोन पर याद दिला देती!" "अरे मुझे भी तो अब्भी याद आई है... चलो मैं तुम्हारे घर होते हुए निकल लेती हूँ." वाणी ने अपना बॅग उठाते हुए कहा... "व्हाट ए ग्रेट आइडिया! इसी बहाने तुम मेरा घर भी देख लॉगी... चलो!" मानसी खुस हो गयी... जल्दी ही दोनो घर पहुँच गयी.. दरवाजा मानसी के भाई ने खोला..," इनसे मिलो! ये हैं मेरे भैया, मनु! और भैया ये हैं मेरी प्यारी सहेली, वाणी! जिसके बारे में घर में हमेशा बात करती हूँ.. मनु वाणी को गौर से देखने लगा... वाणी तो थी ही गौर से देखने लायक... आँखों में चमक, होंटो पर अंत हीन मुस्कान और शरीर में कमसिन लचक.... मनु वाणी को देखता ही रह गया... अचानक वाणी अपने मुँह पर हाथ रखकर ठहाका लगा कर हंस पड़ी.. वो लगातार मनु की और देखे जा रही थी... और हंस रही थी.. बुरी तरह... "क्या हुआ वाणी?" मानसी ने वाणी को इश्स तरह बिना वजह ज़ोर ज़ोर से हुंस्ते देखकर पूछा... मनु की हालत खराब होने लगी...," अंदर आ जाओ.. बाहर क्यूँ खड़े हो..?" वाणी ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी," मानी! सच में यही तुम्हारा भाई है..?" "हां क्यूँ?" मानसी को सहन नही हो रहा था.. "वाणी अपना बॅग टेबल पर रखते हुए सोफे पर बैठ गयी और फिर हंसते हंसते लोटपोट हो गयी...! "बात क्या है वाणी.. बताओ भी.." मानसी ने रूखे स्वर में कहा... "मानी! तुम तो कहती थी.. तुम्हारा भाई बहुत इंटेलिजेंट है..आइ आइ टी की तैयारी कर रहा है... इसकी शर्ट तो देखो.." कहते हुए वाणी फिर खिलखिला पड़ी.. अब दोनो का ध्यान शर्ट पर गया.. मनु ने शर्ट उल्टी पहन रखी थी.. मनु देखते ही झेंप गया.. वो झट से अंदर चला गया... जिस वाणी के बारे में अपनी बेहन से सुनसून कर उससे एक बार मिलवा देने की भगवान से दुआ करता था... उसने आते ही उसको 'बकरा' साबित कर दिया..... "तो क्या हो गया वाणी.. तुम भी ना.. मौका मिलते ही इज़्ज़त उतार लेती हो बस... ये भोला ही इतना है... इसको पढ़ाई के अलावा कुछ नही आता...! हां पढ़ाई में इसका कोई मुकाबला कर नही सकता... वाणी अब तक बात को भुला चुकी थी," अच्छा मानी! अब बुक दे दो! मैं चलती हूँ... इतने में मनु एक ट्रे में चाय और नमकीन ले आया... बकायडा शर्ट सीधी पहन कर..," चाय लेती जाओ.." मानसी मनु का ये रूप देखलार चौंक पड़ी..," अरे भैया! आज कहीं सूरज पस्चिम से तो नही निकला था... क्या बात है.. इतनी सेवा! चिंता मत करो.. मेरी बेस्ट फ्रेंड है.. शर्ट वाली बात स्कूल में लीक नही होगी.. है ना वाणी.." "चाय पीकर बतावुँगी... क्या पता इसमें भी कुछ!" कहकर वाणी फिर हँसने लगी.. उसने चाय का कप उठा लिया.... मनु वाणी को चाय पीते एकटक देखता रहा.. हालाँकि जब वा देखती तो नज़रें हटा लेता... पहली नज़र में ही वा उसको अपना दिल दे बैठा था... चाय पीकर वाणी जाने लगी तो मनु को लगा.. दिन ढाल गया! पता नही यह कयामत फिर कक़्ब दर्शन देगी.

उधर टफ शमशेर के बताए ठिकाने पर ठीक 6 बजे पहुँच गया.. उसको वाइट सिविक गाड़ी की पहचान बताई गयी थी.. टफ को गाड़ी डोर से ही दिखाई दे गयी.. टफ जान बूझ कर वर्दी में आया था.. उसने गाड़ी काफ़ी दूर पार्क की.. और उतर कर वाइट सिविक की और चल दिया.. गाड़ी के शीशे ज़्-ब्लॅक थे.. पर अगला शीशा खुला होने की वजह से उसको शरद बैठा दिखाई दे गया.. वो शमशेर की राह देख रहा था... टफ ने उसको देखते ही पहचान लिया पर शरद के द्वारा टफ को पहचान'ना मुश्किल काम था.. एक तो उस्स वक़्त और अब में डील डौल में काफ़ी फ़र्क आ गया था.. दूसरे शरद को अहसास भी नही था की कभी उसका खास दोस्त रहा अजीत अब उसको टोकने ही वाला है... "आए मिसटर... नीचे उतरो और कागज दिखाओ!" टफ ने उसके कंधे पर हाथ मार कर कहा... "कौन है बे तू? दिखाओ क्या कागज? चल मूड ऑफ मत कर... अपना रास्ता नाप.. नही तो अभी बेल्ट ढीली कर दूँगा.." शरद शुरू से ही दिलेर था.. और अब तो उसने पॉलिटिक्स में भी पैर जमा लिए थे.. उसकी पार्टी की ही हरयाणा में सरकार थी और नेक्स्ट एलेक्षन में उसका टिकेट भी पक्का था... टफ भी मान गया उसकी दिलेरी को.. पर उसने अपना रुख़ कड़क बने रखा....," नीचे उतार कर चुप चाप कागज दिखा वरना घुसेड दूँगा अंदर.... सफेद कपड़े पहन कर ये मत समझ की नेता बन गया है... नेता गीली कर देते हैं यहाँ....." शरद को सब सहन नही हुआ," तेरी तो..." उसने गाड़ी से उतरते ही अपना हाथ सीधा टफ के चेहरे की और किया... पर बिना एक पल गँवाए.. टफ ने उसका हाथ हवा में ही रोक लिया...," अबबे साले! शरद होगा अपने घर में... तेरे को बॉडी नही दिखती क्या सामने वाले की... रहम कर अपनी हड्डियों पर वरना भाभी जी....!" शरद अचंभे में पड़ गया," कौन है बे तू?... यानी तू मुझको जानता है... शरद गाड़ी के आगे जाकर खड़ा हो गया और उसको गौर से देखने लगा...," चल बता ना यार तू है कौन... बता दे चल..!" "साले तेरी 'कुतिया' वाली बात आज तक पेट में दबाए बैठा हूँ.. और तू है .... "आब्बी.. तेरी तो... अजीत... सुकड़े.. साले... तू इतना तगड़ा हो गया बे.." शरद ने भागकर टफ को अपनी छाती से लगा लिया.. उसकी आँखों में आँसू आ गये...," यार कितना प्यारा दिन है...,"अपने शमशेर भाई साहब भी आने वाले हैं... उनसे मिला है क्या तू.. कॉलेज के बाद!" "उन्होने ही तो भेजा है तेरे पास... झटका देने को... वो नही आ रहे... वो सुधर गये हैं ना..." "चलो अच्छा है.. चल आ बैठ गाड़ी में... आज तेरा अहसान चुका दूँगा.. कुतिया वाली बात पाते में रखने का.." दोनो ठहाका लगाकर हंस पड़े.. गाड़ी में बैठे और गाड़ी चल दी. टफ ने गाड़ी में बैठते ही पीछे की और देखा, 21-22 साल की लगने वाली दो हसीन लौंडिया पिछली सीट पर आराम से बैठी थी... ," इनमें से चिड़िया कौनसी है शरद...?" "अरे दोनो ही चिड़िया हैं मेरी जान... जा पीछे बैठ जा.. जी भर कर देख परख ले.. साली मस्त लड़कियाँ हैं दोनो.. किसी को हाथ तक नही लगाने देती थी... मैं रास्ते पर लेकर आया हूँ... दोनो की सील तोड़नी है आज! जा पीछे जा.." "क्या जल्दी है शरद.. पूरी रात ही अपने पास है..." "जैसी तेरी मर्ज़ी भाई...!" शरद ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी... सेक्टर वन में एक आलीशान कोठी के सामने गाड़ी रुकी.. गेट कीपर ने दरवाजा खोल दिया और गाड़ी सीधी अंदर चली गयी.... "यार! ये तेरा ही घर है क्या?" टफ ने आसचर्या से पूछा... "नही भाई! एक मंत्री का है... पर इसको यूज़ में ही करता हूँ... दिन में ये पार्टी का ऑफीस हो जाता है और रात को अयाशी का अड्डा.." शरद हंसते हुए बोला... "सही है बॉस! क्या अंदाज है; जनता की सेवा करने का.." टफ ने कॉमेंट किया.. "अरे आजकल तो पॉलिटिक्स ऐसे ही चलती है... अगर बिना घोड़े (रिवाल्वेर) और घोड़ी ( लड़की) के पॉलिटिक्स करने निकलोगे तो कोई वोट मिलना तो दूर की बात है.. टिकेट ही नही मिलेगा...." बात करते करते दोनो एक बड़े हॉल में पहुँच गये... उनके जाते ही सर्वेंट जॉनी वॉकर की 2 बोतलें और कुछ खाने पीने का सामान रखकर जाने लगा.. "जब तक कोई ना बुलाए, अपनी तशरीफ़ मत लाना..बहादुर!" "ठीक है शाब! वेटर ने बोला और चला गया.. "अरे मेरी अनारकलियो! अंदर आ जाओ.. काहे शर्मा रही हो... वो दोनो अंदर आकर उनके सामने सोफे पर बैठह गयी... "पैग बनाने आते हैं क्या?" शरद ने उनसे पूछा.. दोनो ने नज़रें झुका कर ना में सिर हिला दिया... "यार शरीफ लड़कियाँ चोदने का यही मज़ा है.. शरमाने की हद करती हैं... आखरी साँस तक.. अंदर डलवाकर भी शरमाती रहेंगी. ज़रा करीब आ जाओ मेरी तितलियो.. तुम्हे भी पीनी पड़ेगी.. हमारे साथ.. तभी तो महफ़िल का रंग जमेगा.." एक ने बोलने का साहस किया," नही सर! हम पी नही सकते.. हमें आदत नही है.." "अरे हम सीखा देंगे पीना भाई! ये कौनसी बड़ी बात है... और भूलो मत... आज की रात तुमपर मेरा हक़ है.. यही डील हुई थी ना! अगर जाना चाहो तो जा सकती हो... आइ हेट रेप!" और शरद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा... बातों बातों में वो पहला पैग ले चुके थे.. पर टफ खामोश था... दोनो लड़कियों ने एक दूसरी को देखा और दोनो आकर शरद और टफ के बीच में बैठ गयी..... "ये लो! जल्दी खाली करो.. और पैग भी बनाने हैं..." शरदने दोनो को पैग थमा दिए.. दोनो जैसे तैसे कड़वी दवाई समझ कर पहले पैग को अपने गले से नीचे उतार गयी... एक बार झुरजुरी सी आई.. और फिर नॉर्मल हो गयी.. शरद ने अपने सहारे बैठी लड़की की जांघों पर हाथ मार कर कहा..," देख भाई.. मुझे तो वो तेरी तरफ बैठी पतली जांघों वाली ज़्यादा पसंद है.. वैसे तेरी इच्छा..." शरद ने दूसरे पैग तैयार कर दिए थे.. टफ ने दोनो को उपर से नीचे तक देखा.. उसकी तरफ वाली हद से जाड़ा पतली थी.. हां छातियाँ देखकर उसकी उमर का अंदाज़ा हो जाता था.. पर बाकी तो वो सोलह से उपर की ही नही दिखती थी... दूसरी उसकी बजाय.. सारी गदराई हुई अच्छे जिस्म वाली थी.. जैसी टफ को पसंद होती हैं... रंग दोनो का सॉफ था और जीन्स टॉप में कमाल की सेक्सी लग रही थी.. एक से बढ़कर एक..... "टफ ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ दूसरा पैग भी गले से नीचे उतार लिया.. दोनो लड़कियाँ अब भी अपने हाथ में लिए गिलासों को देख रही थी... शरद के कहते ही उन्होने गिलास खाली कर दिए... दोनो लड़कियों पर शराब का असर सॉफ दिख रहा था.. अभी तक चुपचाप और चिंतित दिखाई दे रही दोनो अब कभी कभार एक दूसरी को देखकर मुश्कुरा जाती... अरे प्रिया.. ज़रा म्यूज़िक तो ऑन कर दे... वहाँ गेट की तरफ से दूसरा स्विच है... पतले वाली लड़की उठी और म्यूज़िक चल पड़ा... "शाम को दारू... रात को लड़की.... आए गनपत...."

 तीसरा पैग लेते लेते लड़कियाँ बैठी बैठी ही गानो की धुन पर थिरकने सी लगी थी.... वो पूरी तरह अपने आपको भुला चुकी थी.. और शरद की बातो. पर ज़ोर ज़ोर से हुँसने लग जाती..... "चलो भाई.. एक मुज़रा हो जाए.. चलो दिखाओ अपनी नृत्या प्रतिभा.... मुझे पता है तुम दोनो ने यूनिवर्सिटी के यौथ फेस्टिवल में इनाम जीता था... मैं सी.एम. साहब के साथ वहीं था... तभी से तो मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था....." लड़कियाँ अपना आपा खो चुकी थी.. और उनमें भी पतले वाली... अपने प्राइज़ की याद करके वो दोनो अपने आपको ना रोक सकी और गाना बदल कर थिरकने लगी....... टफ दोनो लड़कियों के लहराते, बलखते बदन को गौर से देख रहा था.. वास्तव में ही उनके डॅन्स में क्वालिटी थी.. शरीर की लचक तारीफ़ के लायक थी.. टफ का ध्यान निरंतर उनके नितंबों की ताल पर ही थिरक रहा था.. कभी इश्स पर; कभी उस्स पर... नाचने की वजह से दोनो लड़कियों के खून का प्रवाह ज्यों ज्यो तेज होता जा रहा था.. वैसे वैसे उन पर शराब हावी होती जा रही थी.. अब उनके चेहरे से मजबूरी नही बुल्की उनकी अपनी इच्छा झलक रही थी.. समय बीतने के साथ दोनो के डॅन्स में कला कम और वासना अधिक होती गयी.. तभी शरद ने एक का नाम लेकर बोला और दोनो ने अपना टॉप उतार कर हवा में उछाल दिया.. अब उनकी चूचियाँ मस्ती से लरज रही थी, उछाल रही थी और बहक रही थी.. ब्रा से बाहर आने को... शरद ने काम आसान कर दिया.. वो सोफे से उठा और एक एक करके दोनो को अपने सीने से दबोच कर उनकी ब्रा के हुक खोल दिया.. एक बार दोनो हिचकी.. अपनी ब्रा संभालने की कोशिश की. पर हुक ना डाल पाने पर पतले वाली ने अपनी ब्रा निकाल कर फैंक दी... मोटी कहाँ पीछे रहती.. टफ का कलेजा मुँह को आने लगा.. उसका तो जैसे नशा ही उतर गया.. उसने एक पैग और बनाया और तुरंत खाली कर दिया... दोनो की छातियों में अद्भुत रूप से एक जैसी ही गति थी.. नशे में भी शर्म के चलते उनके निप्पल कड़क हो गये.. उनकी छातियाँ अचानक ही भारी और सख़्त लगने लगी... पेट दोनो का ही पतला और अंदर को धंसा हुआ था.. नाभि से नीचे जांघों के बीच जा रही हड्डियाँ इशारा कर रही थी.. अंदर क्या माल है... बहुत हो गया था... शरद ने टफ को कहा..," तू कुछ सीरीयस लग रहा है यार... एंजाय नही कर रहा महफ़िल को... तू मूड में भी है या मुझे ही दोनो उसे करनी पड़ेंगी..." "बेडरूम किधर है?" टफ ने शरद से पूछा.. "अरे हम दोनो में कैसी शरम यार.. यहीं चोद डालते हैं ना दोनो को बारी बारी... वैसे अगर तुझे एकांत चाहिए तो वो रहा बेडरूम का दरवाजा.. पतले वाली मेरी फॅवुरेट है.. वैसे जो तू चाहे ले जा.. ऐश कर... टफ ने मोटी को अपने कंधे पर उठाया और बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया...... उधर शरद ने इशारे से पतले वाली को अपने पास बुलाया.. उसका सिर चकरा रहा था.. वह आई और सोफे पर बैठ गयी.. उसकी छातियों से पसीना चू रहा था.. जम कर नाची थी वो... शरद ने बारी बारी से उसकी दोनो चूचियों को हाथों में लेकर देखा," हाए! क्या चीज़ है तू जाने-मन!" और एक चूची को ज़ोर से दबा दिया.. "ऊई मा.." लड़की के मुँह से निकला.. "कितनी प्यारी चूचियाँ है तेरी.. जानेमन..!" लड़की शर्मा कर उसकी छाती से लग गयी.. "ज़रा मेरे भी तो बटन खोल दे..." शरद ने उसके निप्पल पर उंगली घूमाते हुए कहा.. चल आजा मेरी गोद में बैठ जा.. शरद ने अपनी पॅंट निकालते हुए कहा.. लड़की बेहिचक उसके अंडरवेर के उभार पर बैठ गयी.. उसको अजीब सा अहसास हुआ... उसने अपनी कमर शरद के सीने से लगा ली और हाथ पीछे लेजकर उसका सिर पकड़ लिया.. शरद ने अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी जीन्स का बटन खोल दिया.. चैन नएचए सर्कायि और लड़की ने अपनी कमर उचका ली.. जीन्स निकलवाने के लिए... अब शरद का लंड उसके चूतदों के बीच फँसा हुआ था और शरद उसकी बाँह के नीचे से सिर निकाल कर उसकी चूची को चाट रहा था.. लड़की पागल सी हो चुकी थी... रह रह कर उसके मुँह से कामुक सिसकी निकल जाती.. मज़ा बढ़ने के साथ ही वा अपने चूतदों को नीचे ढकने की कोशिश करने लगी... अपनी चूत पर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा महसूस करने के लिए... शरद का हाथ उसके पेट से होता हुआ उसकी पनटी के अंदर उसकी चूत के दाने को कुरेदने लगा... हद से ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी लड़की हाए हाए करने लगी... अपनी एक खाली छाती को अपने ही हाथ से दबाने लगी.. आँख बंद करके... कसमसने लगी... शरद ने उसको अपने घुटनो के बीच नीचे बिता लिया और उसको तगड़े मोटे लंड का दीदार करा कर उसका काम समझाया.. लड़की तो आज प्यार का हर पाठ सीख लेना चाहती थी.. बेझिझक, बेहिचक... उसने लंड को अपने होंटो से रगड़ा.. होन्ट अपने आप खुलते चले गये..'हॉट आइस्क्रीम' खाने को.... कुछ देर सूपड़ा मुँह में रखने के बाद शरद ने उसको नीचे से चटकार उपर आने को कहा.. अपनी गोलियों से सूपदे तक.. "तुम्हारा नाम ही भूल गया.. क्या बताया था?" शरद ने उसके होंटो को अपने लंड से सटा तेहुए पूछा... "प्रिया!" "हां प्रिया! ये होन्ट क्यूँ रग़ाद रही है.. अपनी जीभ बाहर करके चाट इसको..... ..".... हााआअँ आआहह.. ऐसेयययययययी... और दूसरी का क्या नाम है.. उफफफफफफफफफ्फ़.." "स्नेहा!" कहकर उसने फिर से सूपदे पर जीब घुमा दी...... "आआआआः मार दियाआ तूने तो ... मेरी जाअन... और ले.. नीचे से उपर तक..." शरद अपने बचे खुचे होश भी खो बैठा... प्रिया को भी खूब आनद आ रहा था.. अपनी जिंदगी की पहली नोन-वेज कुलफी को चूस्ते... चाट-ते... उसकी स्पीड लगातार बढ़ रही थी.. पर कुलफी पिघलने की बजाय सख़्त होती जा रही थी.. "ले अब मुँह में डाल ले... पूरा लेने की कोशिश करना.." ज्यूँ ही प्रिया ने अपना मुँह खोल कर... उसके सूपदे को मुँह में लिया.. शरद ने उपर से अपने हाथो का दबाव डाल दिया... प्रिया खाँसती हुई पीछे जा गिरी... उसकी आँखों में पानी आ गया... "कोई बात नही जान धीरे धीरे सब सीख जाएगी..." शरद ने उसकी पनटी पकड़ कर जांघों से नीचे खींच दी... क्या खूबसूरत फ़िज़ा थी.. उसकी जांघों के बीच.. लाल हो चुकी, गीली हो चुकी, फूल चुकी और तपाक रही चूत... शरद ने खुद उठाने की जहमत ना की.. उसके घुटने सोफे पर टिकवाए और थोड़ा सा नीचे सरक कर उसकी चूत से मुँह लगा दिया.. प्रिया ने आनंद सहन ना कर पाने की वजह से पिछे हटने की कोशिश की पर शरद ने उसकी गांद के दोनो उभारों को कसकर पकड़ लिया और अपनी जीभ से उसकी चूत में हुलचल मचा दी... "आआआआअ ईईईईईईई एयेए माआआ रीइ... ज़ाराआ आआराआामा से... प्लीज़ ज्जज्ज!" पर इसी सिसकारी को सुन'ने का तो मज़ा लेना था... शरद ना माना बुल्की जीभ उसकी चूत की फांको में घुस कर उसके छेद को कुरेदने लगी... "आआह आआह आअह आआह... मर गयी... शरद्द्दद्ड.. प्लीज़ सस्स्स्सहन नही हो रहा.. आआह"

शरद उसकी गांद के छेद को अपनी उंगली से सहला रहा था.. वह चूत के रस में उसको गीला करता और जब तक सूख ना जाती उसकी गांद के छेद पर घूमता रहता... प्रिया का आनंद काई गुना बढ़ गया... वह बरस पड़ी... अपनी चूत में से... झार झार रस का दरिया बहने लगा.. प्रिया ने शरद के सिर को ज़ोर से वहाँ पर ही दबा लिया.. और शरद ने अपने होंटो से बाँध बना दिया.. उसकी चूत के मुहाने पर...... रस का एक भी कतरा बाहर ना जाने दिया.. सब पी गया.. शरद को कुँवारा रस अमृत से भी प्रिय था... शरद ने उसको छोड़ा तो वह धदाम से सोफे पर गिर पड़ी... जैसे उसका सब कुछ निकल गया हो.. "ऐसे नही मेरी जान! अभी तो शुरुआत है... सारी रात बाकी है.. ऐसे गिर पड़ोगी तो काम कैसे चलेगा... प्रिया की वासना का नशा उतर चुका था.. पर शराब का नशा अभी बाकी था... शरद ने उसको प्यार से उठाया और फार्स पर घुटने टिकवा कर सोफे पर उल्टा कर दिया... प्रिया ने कोई विरोध ना किया.. शरद ने उसकी गांद को हाथों से फैलाकर देखा.. चूत अभी भी चिकनी थी.. सही टाइम था... शरद को पता था एक बार ये ज़रूर कूदेगी... चूत का बंद छेद इसकी पुस्ती कर रहा था.... वा पूरी तरह से प्रिया के उपर आ गया.. उसकी कमर को अपनी कमर से दबा लिया और उसके हाथो को ज़ोर से पकड़ लिया.. लंड सही जगह टीका हुआ था.. शरद ने दबाव डालना शुरू किया... प्रिया चिहुनकि पर हिल ना सकी.. वा भयभीत हो गयी.. अपने को फट-ता देख.. उसने गांद को इधर उधर किया.. पर लंड को रास्ता दिख चुका था.. वह चूत के मुँह पर चिपका हुआ ही इधर उधर होता रहा.. ज्यों ज्यों दबाव बढ़ता गया.. प्रिया की चीख तेज होती गयी.. पर 10000 वॉट के म्यूज़िक सिस्टम के आगे उसकी चीख कौन सुनता... "बस.. थोड़ा सा और... बस थोडा सा और.. करते करते शरद ने सूपड़ा ज़बरदस्ती अंदर फिट कर दिया.. लग रहा था जैसे पहले लंड डालकर फिर उसका साइज़ बढ़ाया है.. इतनी पतली चूत में इतना मोटा लंड घुस कैसे सकता है.. खुद शरद को हैरत थी.. पर अब उसने और घुसाना छोड़ कर प्रिया की कमर को चाटना शुरू कर दिया था.. ुआकी चूचियों को सहलाना और धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया था... प्रिया की चेखें कम होने लगी.. धीरे धीरे उसकी चीत्कार सिसकियों में बदलने लगी.. शरद ने उसके गालों पर चुंबन दिया तो वा भी उसको काट खाने को लालायित हो गयी.. अब चूत में आराम था.. उसने अपनी टाँगों को थोड़ा चौड़ा कर लिया ताकि दर्द में और आराम आ सके... पर टाँगों का चौड़ा होना प्रिया के लिए आराम देह भले ही साबित ना हुआ हो.. शरद के लिए आसान ज़रूर हो गया.. उसके और अंदर घुस जाना.. एक बार फिर प्रिया रो उठी.. एक बार फिर सिसकियाँ चीत्कार में बदल गयी.. पर इश्स बार पूरा काम हो गया.. और चीत्कार भी कम हो गयी.. प्रिया ने सुना था की पहली बार तो दर्द होता ही है.. लेकिन ये भी सुना था की बाद में मज़े भी आते हैं... दर्द को भूल चुकी प्रिया अब मज़े लेने के इंतज़ार में थी.. करीब 2 मिनिट बाद उसकी ये तमन्ना भी पूरी हो गयी... जैसे ही शरद ने अंदर बाहर करना शुरू किया.. प्रिया पागल हो उठी... ये चूत तो मज़े की ख़ान है.. उसने पहले क्यूँ नही लिए... वह बदहवासी और नशे की हालत में कुछ का कुछ बके जा रही थी..," सोचा था... आ... मेरा.. हुस्स्स्बंद.. चोदेगा... पर .. क्या..... आआह .. क्या पता था की... यहाँ.. ये मज़े मिलेंगे... पैसों के बदले... आअह... शरद... ... जब चाहे बुला लेना... पर... मेरी.. ज़रूरत ... पूरी .. कर देना..... मुझे... बहुत ... पैसों की.. ज़रूरत... है... अपने भाई को.... कोचैंग दिलानी है... प्लीज़... उसके .... पैसे/.. देते रहना.... उसमें... बहुत... आआएकमाआ... टॅलेंट ... हाईईईईईईईईय्ाआआआआआईयईईईई इमाआआआआ मररर्र्रर्ड गाइिईई... बुसस्स्स बुसस्स निकाल लो... मर गयी.... जलन हो रही है.... शरद ने बाहर लंड निकाल कर उसको पलटा और मुँह खोलने को कहा... ना चाहते हुए भी प्रिया ने अपना मुँह खोल दियाअ... और 2-4 बार हाथ आगे पीछे करने पर शरद अकड़ गया.. उसने लंड पूरा मुँह खोले बैठी.. प्रिया के मुँह में लंड थूस कर अपनी सारी मेहनत का फल अंदर निकाल दिया.. और लंड बाहर निकाल लिया... प्रिया ने नीचे मुँह करके होन्ट खोल दिए.. सारा रस ज़मीन पर गिर पड़ा...

शरद उठा और बेडरूम के दरवाजे के पास जाकर ज़ोर से बोला," अरे भाई बदलनी है क्या..?" "नहिी.. यही ठीक है... मुझे.. पतली पसंद नही.." टफ की आवाज़ आई.. "अरे थोड़ा साँस भी लेने दे... उसको.. बाहर आजा एक एक पैग पीते हैं.. टफ दरवाजा खोलकर अपनी पॅंट की जीप बंद करते हुए बाहर आया..... "कैसी लगी..?" विकी ने पूछा..... "एकद्ूम मस्त आइटम है यार... पहली बार था पर क्या चुदाई करवाई है..." टफ ने पैग बनाते हुए कहा.. "चल तू तब तक पैग बना और इससे मुलाक़ात कर.. मैं 20 मिनिट में आया, स्नेहा से मिलकर.." टफ ने उसका हाथ पकड़ लिया..," रहने दे यार... अभी चोद कर हटा हूँ... कुछ तो दया कर.." "क्या बात है.. क्या बात है.. लगता है तुझे तो प्यार हो गया है उससे..." शरद ने मज़ाक किया.... प्यार शब्द सुनते ही टफ की आँखों के सामने सीमा का चेहरा घूम गया... वह खुद पर ही शर्मिंदा हो गया और नज़रें धरती में गाड़ ली... "ठीक है दोस्त.. मैं एक बार और इसको लपेट लूँ... फिर आराम से नींद आ जाएगी....." शरद ने टफ से कहा... टफ उठा और बेडरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया... शरद ने प्रिया को उठाया और उसको फिर से तैयार करने लगा.... टफ अंदर जाते ही बिना स्नेहा से बात किए... सीमा की यादों में खोया खोया.. आँखों में आँसू लिए सो गया..... स्नेहा टफ की और देखती रही... उसकी आँखों में नींद नही थी... सुबह टफ उठा तो स्नेहा वहाँ नही थी, अपनी अड़खुली आँखों को मालता हुआ वह बाहर आया; देखा शरद अभी भी सो रहा है.. उसने हाथ मारकर उसको उठाया," उठ जा भाई!" शरद ने एक ज़ोर की अंगड़ाई ली..," ओवाआआ! साली सुबह सुबह भाग गयी... एक बात और लेनी थी यार... स्नेहा को तो मैं चोद ही नही पाया.. कैसी थी?" टफ ने वॉश बेसिन के सामने अपनी आँखों पर छीते मारे... आँखें शायद शराब के कारण लाल हो चुकी थी...," ठीक थी.. कुछ खास कोपरेशन नही किया..." "अगली बार मैं सिख़ावँगा उसको साथ देना..." शरद सोफे से ही उठते ह बोला... "यार तू उनको यहाँ लाया कैसे?.. दिखती तो दोनो शरीफ ही थी.." "सबको ये चाहिए होता है बेटे!" शरद ने अपने अंगूठे को अपनी उंगली पर चलाया...," यहीं पढ़ती हैं यूनिवर्सिटी में.. घर से पूरा खर्च मिलता नही.. तो अयाशी और मौज मस्ती के लिए ऐसे ही रातों को आती जाती रहती हैं.. हम जैसे ज़रूरतमंदों के पास..." "यार! इतनी पढ़ी लिखी होकर भी... कैसे कर लेती हैं ये सब...." टफ सीमा को याद करके बेचैन हो गया... उसको यहाँ नही आना चाहिए था.. ये सोचकर वो रह रह कर परेशन हो रहा था... "आबे साले! तू अंबिया चूस कर गुठली गिन'ने में लग गया... चल आ चाय पी ले...!" नौकर अभी अभी टेबल पर चाय रखकर गया था....

 करीब सुबह 9 बजे टफ यूनिवर्सिटी के गेट नंबर. 2 पर खड़ा था.. सीमा को सर्प्राइज़ देने के लिए... ऑटो से उतारकर प्रिया को अपनी और आते देख टफ भौचक्का रह गया.. वह दूसरी तरफ घूम गया ताकि अगर प्रिया ने उसको ना देखा हो तो वो उस'से बच सके.. पर प्रिया तो उसको देखकर ही उतरी थी.. वरना तो उसको अगले गेट पर जाना था..," हे फ्रेंड! कैसे हो?" प्रिया उसके आगे आकर खड़ी हो गयी.. टफ ने अब और तब में उसमें बहुत फ़र्क देखा.. तब वह पैसों की खातिर बिकने वाली एक वेश्या लग रही थी और अब अपने करियर के लिए यूनिवर्सिटी आने वाली एक सभ्या लड़की...," ठीक हूँ... जाओ यहाँ से...!" "हां हां! जा रही हूँ.. एक रिक्वेस्ट करनी थी.." प्रिया ने टफ की तरफ प्यासी निगाहों से देखा.. "जल्दी बोलो.. मुझे यहाँ पर ज़रूरी काम है.." टफ ने अपनी बेचैनी दर्शाई... "वो... सर आप बड़े लोग हैं... आपके लिए पैसा कोई मायने नही रखता होगा... मेरे जैसी घरों की लड़कियों को पैसे की बहुत ज़रूरत होती है.... अपने और परिवार के सपनो को जिंदा रखने के लिए... उम्मीद है आप समझ रहे होंगे... बदले में हमारा शरीर ही होता है.. आप बड़े लोगों का दिल बहलाने के लिए......" "अपनी चौन्च बंद करो और भागो यहाँ से..!" टफ गुस्से से दाँत पीस रहा था... सीमा के आने का टाइम हो चुका था... "सॉरी टू डिस्टर्ब... बट कभी आप अपनी सेवा का मौका दे सकें तो... प्लीज़ आप अपना नंबर. दे दीजिए......." तभी मानो टफ पर आसमान टूट पड़ा...," अरे प्रिया! तुम इनको कैसे जानती हो? ... और आप यहाँ कैसे..?" सीमा की आवाज़ सुनकर टफ पलटा... उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया... "मैं तो बाद में बतावुँगी.. पहले तुम बताओ.. तुम इनको कैसे जानती हो?" प्रिया ने सीमा के गले मिलते हुए कहा... "बस यूँही... आप यहाँ कब आए... बताया भी नही... अच्छा मैं अभी आती हूँ.. 1 घंटे में... मुझे ज़रूरी एषाइनमेंट्स जमा करना हैं... मिलेंगे ना..! मैं जल्द से जल्द अवँगी..." अपने सपनो के राजकुमार को देखकर उसने लाइब्ररी जाने का प्लान कॅन्सल कर दिया था... "सीमा.. एक मिनिट! सुनो तो सही...!" टफ का गला भर आया.. "मैं बस अभी आई.." कहती हुई सीमा प्रिया का हाथ पकड़ कर खींचती हुई ले गयी.. टफ अपने माथे पर हाथ लगा वहीं घुटनों के बाल बैठ गया... सीमा और प्रिया के गले मिलने को देखते हुए ये अंदाज़ा लगाना बिल्कुल आसान था की दोनो पक्की सहेलियाँ थी.... सीमा ने अंजलि से पूछा," तूने बताया नही.. अजीत को कैसे जान'ती है..?" प्रिया ने टालने की कोशिश की," यार.. बस ऐसे ही एक फ्रेंड के दोस्त के पास मुलाक़ात हो गयी थी..." "चल छोड़! ये बता.. कैसा लगा तुझे ये.." सीमा ने अपनी पसंद पर मोहर लगवानी चाही... "रॉकिंग मॅन! कुछ भी तो कमी नही है... पर तू ये बता तू ऐसा क्यूँ पूच रही है..?" प्रिया ने शंकित निगाहों से सीमा की और देखा... "बस ऐसे ही.. चल छोड़.. जल्दी चल.. लेट हो रहे हैं!" अब की बार सीमा ने टालने की कोशिश करी.... "नहिी ! तुम्हे बताना पड़ेगा... मेरी कसम!" प्रिया को दाल में कुछ काला सा लगा.. "वो.. ये.. अजीत मुझसे प्यार करता है..." "Wहाआआआआत?" प्रिया ने ऐसे रिक्ट किया मानो 'प्यार' शब्द प्यार ना होकर कोई बहुत बड़ी गाली हो... "क्या हुआ?" प्रिया का रिएक्शन देखकर सीमा की धड़कन बढ़ गयी.... "तू बहुत ग़लत कर रही है सीमा! तू एक बहुत अच्छी लड़की है.. और ये प्यार व्यार तेरे लिए नही बना." प्रिया ने लुंबी साँस लेते हुए कहा.... "अच्छी हूँ तो इसका ये मतलब तो नही की मैं शादी के सपने भी ना देख सकूँ!..." सीमा ने प्रिया से सवाल किया... "तो तू ये समझती है की ये लड़का तुझसे शादी करेगा... है ना?" प्रिया उसको इशारों में समझना चाहती थी... टफ जैसों की तासीर. "तू पहेलियाँ क्यूँ बुझा रही है... खुल कर बता ना.. क्या बात है?" प्रिया बताती भी तो क्या बताती.. वो सीमा के पड़ोस में रहती थी.. उनकी भी कॉलोनी में उतनी ही इज़्ज़त थी.. जितनी सीमा और उसकी मा की.. पर वो सीमा को इश्स दलदल में नही जाने देना चाहती थी... और सीमा पर भरोसा भी कर सकती थी.. उसका काला 'सच' छुपा कर रखने के लिए...," तू एषाइनमेंट दे आ सीमा.. मैं तुझे सब बताती हूँ..." "ओ.के... मैं अभी आई" सीमा ने बेचैन निगाहों से प्रिया को देखते हुए कहा.. उसका दिल बैठा जा रहा था.. जाने.. प्रिया उसको क्या बताएगी.... सीमा जितनी जल्दी हो सका; वापस आ गयी.. प्रिया के पास.. उसके कॉमेंट ने सीमा के दिल की धड़कन बढ़ा दी थी..," हाँ प्रिया.. जल्दी बता दे.. तू कहना क्या चाहती है..?" प्रिया उसका हाथ पकड़ कर रोज़ पार्क में ले गयी... "देख सीमा! मैं तुझको जो बताने जा रही हूँ.. वो बताने लायक नही है.. हम दोस्त हैं.. इसीलिए मैं तुझे इश्स प्यार के गटर में ढकेले जाने से बचना चाहती हूँ.. और जो कुछ मैं बतावुँगी.. सुनकर तुझे एक नही दो झटके लगेंगे... प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना.. और मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करना.." "यार तू डरा मत प्लीज़.. मेरी जान निकली जा रही है..." सीमा सुन'ने से पहले ही कुछ कुछ समझने लगी थी.. "मुझे पता है.. पर तुझे सुन ही लेना चाहिए...!.. तरुण पढ़ाई में बहुत अच्छा है.. तुझे पता है.. पर कॉंपिटेशन के जमाने में सिर्फ़ इंटेलिजेन्सी से काम नही चलता... उसकी कोचैंग के लिए 50000 रुपए चाहियें... घर वालों ने उसको बी.एस सी. करने को कहकर अपने हाथ उठा लिए हैं..." "तू सीधी सीधी असली बात पर क्यूँ नही आती?" सीमा ना चाहकर भी वो सुन'ने के लिए बेचैन थी... क्या पता उसका अंदाज़ा ग़लत ही निकल जाए... प्रिया ने थूक गटकते हुए अपनी बात जारी रखी," बता तो रही हूँ... मेरा भाई डॉक्टर बन'ना चाहता है.. और मैं जान'ती हूँ वो बनेगा..." प्रिया का गला भर आया... आँखों में आँसू आ गये," और मैने फ़ैसला किया की उसको डॉक्टर बना'ने के लिए मैं अपना जिस्म बेच दूँगी!" कह कर वो फुट फुट कर रोने लगी.. सीमा की छाती पर सिर रखकर वो झार झार बरसने लगी... "ये क्या कह रही है तू प्रिया" सीमा ने कसकर उसको अपने सीने से भींच लिया... पर उसको पता था ये बेहन का प्यार है... कुछ भी कर गुजरेगा.. अपने भाई के सपने को पूरा करने की खातिर... करीब पाँच मिनिट तक दोनो में चुप्पी छाई रही.. सीमा की हिम्मत ना हुई; प्रिया के बलिदान की आँच पर अपनी जिगयसा की रोटियाँ सेकने की... प्रिया ने खुद ही अपने आपको संभाला और आगे बोलना शुरू किया..," मैने एक डील करी... 5 रातों के बदले 50000... ... और कल में पहली रात बिता कर आ चुकी हूँ..." "क्या? ... किसके साथ..?" "तुम्हारे इश्स अजीत के साथ.... सीमा सुनते ही सब कुछ भूल गयी... बस याद रहा तो टफ का वो खत जिसने उसको सपना दिखाया था.. जिसने उसको जीना सिखाया था.. सपने के साथ.. सीमा को लगा जैसे पार्क में खिले गुलाब उसकी हँसी उड़ा रहे हैं.. उसको सब कुछ घूमता सा लगा... सपनें पिघल कर लुढ़क आए... उसके गालों पर.. प्रिया उसको एकटक देखे जा रही थी... सीमा को अब भी विस्वास सा नही हुआ.. क्या आदमी की जात इतनी घटिया भी हो सकती है..," क्या सच में इसने तुम्हारे साथ...." "नही.. इसने नही.. पर ये भी था किसी दूसरी के साथ.. नाम बताना नही चाहती... खुद पर लांछन लगा कर तुमको रास्ता दिखाने से मुझे कोई हर्ज़ नही.. पर हुमने एक दूसरी को वादा किया है.. नाम ना बताने का.. सॉरी..!" प्रिया ने अपने आँसू पोछते हुए कहा... सीमा के पास अब जैस उसका कहने को कुछ बचा ही ना था... वह प्रिया का धन्यवाद करना भी भूल गयी... उसको इस गर्त में गिरने से बचाने के लिए...... उसके मनमोहक चेहरे पर चाँदी सी नफ़रत तैरने लगी.. वह उठी और टफ के पास जाने लगी... पीछे पीछे उसकी सहेली प्रिया चल दी... हर बात के सबूत के तौर पर...... टफ अपनी गाड़ी से कमर लगाए खड़ा था... सीमा की सूरत देखकर ही वो समझ गया... सीमा ने पास आते ही भर्रय हुई आवाज़ में उसको जाने क्या का कहना शुरू कर दिया," तुमको तो जीना आ गया है ना.. तुम तो मुझे देखकर ही पागल हो गये थे.. तुमने.... कहा था ना... कहा था ना तुमने की... मेरे बिना जी नही पाओगे... ये जीना है तुम्हारा.." टफ कुछ बोल नही पा रहा था.. और ना ही कुछ सुन पा रहा था.. बस जैसे सब कुछ लूट चुका हो.. और वो चुपचाप खड़ा अपनी बर्बादी के जनाज़े में शामिल हो.. सीमा की बड'दुआयं जारी थी," तुम बड़े लोग.. लड़की को समझते क्या हो.. सिर्फ़ सेक्स पूर्ति का साधन.. मुझमें तुम्हे कौनसी बात लगी की मुझे भी खिलौना समझ बैठे... क्यूँ दिखाए मुझे सपने.. क्यूँ रुला मुझे... बोलते क्यूँ नही..!" आँखों में आँसू लिए सीमा ने टफ के कंधे को पकड़ कर हिलाया और सिसकती हुई नीचे बैठ गयी... उसमें खड़ा रहने की हिम्मत ही ना बची थी... टफ ने बड़ी कोशिश के बाद अपने मुँह से शब्द टुकड़ो के रूप में निकले..," सी..मा ( गला सॉफ करके)... उससे एक बार पूछ तो लो.. सीमा!" प्रिया पास खड़ी सब सुन रही थी... "क्या पूछ लूँ... की कैसे तुमने उस्स बेचारी की मजबूरी का फयडा उठाया होगा.. की कैसे तुमने उसको रौंदा होगा... क्या पूछ लू हां.... सीमा खड़ी हुई और अपनी बहती आँखों से एक बार देख कर पलट कर जाने लगी.. प्रिया का हाथ पकड़ कर.. धीरे धीरे! टफ का रोम रोम काँप उठा... उस्स'से ये क्या हो गया... अपने ही अरमानो के तले उस्स'ने अपने सपनो का गला घोंट दिया... वह गाड़ी में बैठ गया.. और अपने मर्दाना आँसू निकालने लगा.. जी भर कर... प्रिया को टफ की एक बात बार बार कौंध रही थी.. " उस्स'से एक बार पूछ तो लो.. सीमा!" "सीमा! मैं अगर तुम्हे उस्स लड़की से मिलवा दू तो तुम उसकी बात को राज रख सकती हो ना?" "क्या करना है अब मिलकर..? बचा ही क्या है मिलने को.." "नही प्लीज़.. एक बार.. मैं उसको फोन लगती हूँ.. प्रिया ने अपना फोन निकाला और स्नेहा का नंबर. डाइयल कर दिया... लाउडस्पिकर ऑन करके.. "हेलो!" "स्नेहा?" "हां प्रिया बोलो....." स्नेहा शायद घर पर ही थी.... "यार कल रात से रिलेटेड एक बात पूछनी थी..." "मैं तुम्हे दो मिनिट में फोन करती हूँ..." स्नेहा ने कहकर फोन काट दिया... प्रिया और सीमा एक दूसरी को देखने लगी.. मानो उम्मीद की कोई किरण नज़र आ ही जाए.. 2 मिनिट से कम समय में ही स्नेहा का फोन आ गया," हां प्रिया! बोलो.." "यार वो जो कल दूसरा लड़का नही था.. शरद के साथ.. वो आज रात के लिए बुला रहा है.. क्या करूँ?.. जाऊं क्या?" प्रिया ने सही तरीका अपनाया था बात शुरू करने का... सीमा साँस रोके सब सुन रही थी..... "कौन? अजीत जी!" स्नेहा ने प्रिया से पूछा.. "हां हां.. ज़्यादा तंग तो नही करता ना?" प्रिया ने उसको उकसाया.. "तुम अब 4 दिन बाद एप्रिल फूल बना रही हो क्या.. या मुझे जला रही हो!" स्नेहा ने स्टीक उत्तर दिया.. "क्या मतलब?" प्रिया ने चौंकते हुए से पूछा.. "मतलब क्या? उनके जैसा देवता इंसान तो मैने आज तक देखा ही नही... वो किसी की मजबूरी का फयडा उठाने वालों में से नही है... जाने कैसे वो शरद के साथ आ गया.." सीमा की आँखें चमक उठी.. दिल फिर से धड़क उठा.. अपने अजीत के लिए..... "तुम थोड़ा खुलकर नही बता सकती क्या?" प्रिया सबकुछ जान'ना चाहती थी... "यार उस्स आदमी से तो मुझे प्यार सा हो गया है.. अगर कहीं मिल गया तो... पर यार मैं अब इश्स लायक कहाँ हूँ... खैर.. तुम्हे याद होगा जब शरद ने उसको कहा था.... "यार! तुम्हारा मूड खराब लग रहा है.. कोई इचा भी है या दोनो को मैं ही संभालू" ऐसा करके कुछ!" "हां हां! याद है.." प्रिया ने याद करते हुए बताया... "तो वो मुझे उठाकर बेडरूम में ले गया था.. क्यूंकी शरद ने कहा था की उसको तुम पसंद हो.." "हां हां.." "अंदर जाते ही उसने मुझे चादर औधा दी थी.. और सॉरी बोला था.. और ये भी कहा था की मुझे वहाँ ना लाता तो तुम भी बर्बाद हो जाती..... उसने सारी रात मेरी और देखा तक नही.. छूना तो दूर की बात है यार... सच ऐसे आदमी भी होते हैं दुनिया में..." सीमा का हर शक़ दूर हो गया था.. पर प्रिया के मॅन में संशय बाकी था," पर यार मैने देखा था.. जब वो बाहर आया था तो उसने अपनी ज़िप बंद करी थी.." प्रिया ने सीमा से शरमाते हुए से ये बात कही.. "हो सकता है.. इसका मुझे नही पता.. हां शायद उसने मुझको कहा था की अगर शरद पूछे तो उसको ये नही बताना है की मैने कुछ नही किया... वरना वो मुझको बाहर ले जाएगा... शायद शरद को दिखाने के लिए ऐसा कहा हो... उसने तो यार अपना नंबर. भी नही दिया... भगवान बस एक बार उससे मिलवा दे..." "ठीक है स्नेहा! मैं तो एप्रिल फूल ही बना रही थी.. पर मुझे क्या पता था.. एनीवेस थॅंक्स...." स्नेहा हँसने लगी.. और फोन कट गया...... तो भाई लोगो बताना मत भूलना ये पार्ट कैसा लगा दोस्तो आगे की कहानी जानने के लिए पाट-22 का इंतजार करे
 आपका दोस्त
राज शर्मा --
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj --









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