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ननद ने खेली होली--7
जीत को मैने समझा दिया थी...मिल बांट के खाने को....लाली को अपने ‘सीधे साधे भाइ’ पे तो शक होगा नहीं इसलिये उन के साथ वो गुड्डी को छोडने को तैयार भी हो जायेंगी...और मैने राजीव को भी...सालीयों की अदला बदली के लिये तैयार कर लिया....तो मिल के खाओगे तो ज्यादा मजा आयेगा.....वो बिचारा ननदोइ मान भी गया।
मर्द बेचारे होते ही बुद्ढू हैं और खास कर जहां चूत का चक्कर हो..।
और साथ ही साथ अगर मेरी उस ननद को एक साथ दो मर्दों का शौक लग गया तो जो बची खुची शरम है वो भी खतम हो जायेगी और जब वो होली के बाद हम लोगों के साथ चलेगी तो....फिर उसके साथ जो कुछ होने वाला है उसके लिये....तो एक तीर से तीन शिकार...।
लेकिन लाली को वहां से ह्टाना जरूरी था....उसके सामने जीत की कुछ हिम्मत नहीं पड सकती थी....वो भी शरमाते और गुड्डी भी...।
पर उसका भी रास्ता मैने निकाल लिया...।
अगले दिन आईं मेरी ननद लाली, गुड्डी और जीत।
पतली शिफान की गुलाबी साडी और मैचिंग ब्लाउज में उनका भरा बदन और गदराया लग रह। खूब देह से चिपकी...ब्लाउज से छलकते भरे भरे जोबन...।
बांहों में भर के उन्हे चिढाती मैं बोली, बीबी जी....लगता है रात भर ननदोई जी ने चढाई की जो सुबह देर से उठीं और आने में..।
बात काट के मुझे भी वो कस के भींच के मेरे कान में बोलीं,
अरे तो क्या मेरे भाई ने छोडा होगा मेरी इस मस्त भाभी को।
उन्हे छोड के एक बार मैने फिर उपर से निहारा....वास्तब में असली मजा औरतों को इस उमर में ही आता है...गोरे चिकने गाल, कटाव खूब भरे भरे खेले खाये उभार, भरे हुये कुल्हे...और उपर से कामदार साडी...और लाल चोली कट ब्लाउज,।
सच में मैं गारंटी के साथ कहती हूं नजर न लगे आपको....आज जिस जिस मर्द ने देखा होगा ना आपको....सबका खडा हो गया होगा....इन्क्ल्युडिंग आपके गली के गधों के...वैसे ननद रानी मेरे पास होता ना तो मैं तो यहीं अभी ..।
वो सच में शरमा सी गयीं लेकिन मैं छोडने वाली नहीं थी...और मेरे ख्याल से आपके भाई का भी आपको देख के.....मैने फिर छेडा। पर वो भी..।
अरे तेरे ननदोई का तो एक दम खडा है और वो आज आये भी हैं इसलिये की सलहज कॊ अपनी पिचकारी का दम दिखायेंगें।
वो तो मैं देखूंगी ही छोडूंगी थोडी आखिर छोटी सलहज हूं और होली का मौका है ...और फिर मैने गूड्डी की ओर देखा....।
सफेद शर्ट और स्ट्राईप्ड स्कर्ट में वो भी गजब की लग रही थी...हल्का सा मेक अप....मैने उसे भी बांहों में ले के कस के भींच लिया पर तब तक मेरे नन्दोई जीत की आवाज आई,
अरे भाभी मेरा नम्बर कब लगेगा....अपकी ननदें तो बडी लकी हैं...।
और गुड्डी को छोड के मैने अपने बेताब नंदोई को बांहों में बांध लिया।
भाभी मेरा कुछ....वो बिचारे परेशान ...और निगाहें साली के मस्त उभारों पे गडी...।
देखूंगी....हो सकता है...मैं उनकॊ और परेशान कर रही थी...लेकिन ननदोई जी मेरी एक शर्त है..।
अरे आपकी शर्त मंजूर हैं बस एक घंटे के लिये अकेले में ये साल्ली मिल जाय ना..।
एक क्या पूरे तीन घंटे का सो करिये....लेकिन आज जीजा साले मिल के इस साल्ली की ऐसी सैंड विच बनाइये की चल ना पाये....आगे पीछे दोनो ओर से...मैने और आग लगाई।
एक्दम ...वो बोले और कस के अपना ८ इंच का खूंटा मेरी जांघों के बीच में..।
मैं जो खास डबल भांग वाली गुझिया बना के लाई थी वो ठंडाई के साथ ले आई।
मेरी बडी ननद लाली को पूरा शक था...।
देखॊ मैं भांग वांग....कहीं इसमें कुछ पडा तो नहीं हैं....वो चिहुंक के बोली।
अरे नहीं आप को तो मालूम है मैं कूछ खुद नहीं ...और उन्होने एक गुझिया लेके खा ली।
बेचारी उन्होने अपने ‘सीधे साधे भाई’ पे यकीन कर लिया।
( मैं जानती थी इसलिये मैने पहले से उनसे बोल के रखा था....और बीबी के लिये आदमी थोडा बहोत तो झूठ बोल ही लेता है और भांग सिर्फ गुझिया में नहीं ठंडाई में भी पडी थी वो भी स्पेशल)
ननद रानी आपने मेरे बात पे यकीन नहीं किया ना इसलिये एक मेरे हाथ से और खाइये और मैने जबरन एक गुझिया उनके मुंह में ठूंस दी।
अरे ननदोई जी...बेचारे जीत लाली के सामने उनकी हिम्मत नहीं पड रही...साली ऐसे बैठी है, डालिये ना उसके मुंह में.....और फिर अपने हाथ से जीत ने गुड्डी को एक भांग भरी गुझिया खिला दी।
फिर ठंडाई....थोडी देर में कस के सुरुर आने लगा।
जीत गुड्डी को खुल के नान वेज जोक सुना रहे थे।
ननद रानी, वो जॊ दूबे भाभी हैं ना आप को बहोत याद कर रही थीं, कह रही थीं की आप आयें तो मिलने के लिये मैं उन्हे बता दूं। तो मैने बोल दिया की नहीं हमीं दोनो आ के आप से मिल लेंगीं....या तो आप कहिये तो उन्हे बुला ही लूं।
दूबे भाभी ....३४-३५ के दरमयान उमर, दीर्घ स्तना...३८ डी डी, खूब खुल के मजाक करने वाली, बडे नितंब...कन्या प्रेमी....और साथ में मर्द मार भी...कोई भी चीज शायद ही उनसे बची हो, लेकिन गाली गाने में खुले मजाक में...और`खास तौर से ननदों नन्दोईयों से...।
नहीं नहीं तुमने ठीक सोचा....हमीं लोग चल के मिल आयेंगें अच्छा थोडी लगेगा...आखिर उमर में बडी हैं.....मेरा भी बडा मन कर रहा था ...मेरी शादी में उन्होने वो जलवे दिखाये थे.....लाली बोलीं।
जब कल रात मैने सोचा तो मैं उन के मन की बात समझ गई थी.असल में खतरा उन्हे जीत से गुड्डी को नहीं था बल्की गुड्डी से जीत को था। वो ये समझ तो अच्छी तरह गयीं थीं की...लेकिन डर ये रही थीं की कहीं साली जीजा का कोई सीरियस चक्कर चल गया तो वो कहीं किनारे ना हो जायं....मध्यम उमर में कम उमर की लड्कियों से डर होना स्वाभाविक है और यही तीर मैने दूबे भाभी के लिये भी छोडा। वो जानती थी की अगर दूबे भाभी आ गयीं तो अपने नन्दोइ जीत को तो छोडेंगी नहीं और फिर होली का मौका....जीत भी दिल फेंक तो हैं हीं....इसलिये वो चट से चलने को तैयार हो जायेंगी और यहां उनका सीधा साधा भाई तो है ही..।
बस थोडी देर में आते हैं हम लोग दूबे भाभी के यहां से, मैं बोली।
बस पास में है १० मिनट....में आ ते हैं लाली बोलीं।
दरवाजे के पास से निकलते हुये मैने मुड के देखा ....गुड्डी इनके और नन्दोइ जी के बीच में...जीत ने मेरी ओर देखा तो मैने अंगूठे और उंगली से चुदाई का इंटरनएशन्ल सिम्बल बना के लाइन क्लियर का इशारा दे दिया।
ननद ने खेली होली २ जब हम लोग दूबे भाभी के यहां पहुंचे तो वो खुशी से फूली नहीं समाई। बस उन्होने मेरी बडी ननद को बांहों में भर लिया।
अरे आओ ननद रानी....कितने दिन हुये तुमसे मिले...तुम्हारी शादी के बाद तो बस पहली बार मिल रही हो..।
कस के उनके दीर्घ उरोज मेरी ननद लाली के गदराये जोबन् दबा रहे थे। लेकिन जब दूबे भाभी ने मुझे आंख मारी तो मैं समझ गयी की प्लान पक्का..।
अरे भाभी हमारे नन्दोई इनको एक मिनट के लिये छोडते ही नहीं होगे इन बिचारी की क्या गलती - मैं बोली।
अरे तो हमारे नन्दोइ जी की भी क्या गलती...इतनी गद्दर जवानी है हमारी ननद की...देख दबा दबा के कैसे नारंगी से काबुली अनार बना दिया है। दूबे भाभी अब सीधे आंचल के उपर से उनके उभार दबाते बोलीं।
लेकिन चल जरा पानी वानी लाती हूं...व्ररना ननद रानी क्या कहेंगी की होली में आई और भाभी ने पानी भी नहीं पूछा।
जैसे ही दूबे भाभी पानी ले के आयीं पता नहीं कैसे उन्हे पता चल गया...नहीं भाभी नहीं रंग नहीं...बडी महंगी साडी और इस पे रंग छूटेगा भी नहीं...झट से लाली पीछे हट गईं।
सही बात है...और फिर रंग ननद से खेलना है उनकी साडी से थोडी...और मैने झट से आंचल पकड के खींचना शुरु कर दिया।
और दूबे भाभी भी ग्लास एक ओर रख के पेटीकोट में फंसी साडी उन्होने कमर पे खोलनी शुरु कर दी...जैसे ही वो मेरा हाथ पकड्तीं तो दूबे भाभी...कमर पर से और झुक के वो दूबे भाभी को रोकतीं तो मैं चक्कर ले के....थोडी देर में ही पूरी की पूरी साडी मेरे हाथ में....और उस का गोला बना के उपर दुछत्ती पे...।
सिर्फ साया ब्लाउज में मेरी ननद बेचारी खडी...और मेरी निगाहें....लो कट लाल ब्लाउज से छ्लकते दोनों उभारों पे..।
पास आगंदके निपल के बस थोडा उपर ह्ल्के से मैने दबाते हुये शरारत से उनकी आंखों में आंखे डाल के देखा और कहा, क्यों दीदी...ग.ये ब्लाउज भी तो मैचिंग है....उतना ही महंगा होगा साडी के ही पीस का लगता है।
मेरा मतलब समझ के घबडा के वो बोलीं....नहीं नहीं इसे नहीं...इसे रहने दो..।
जब तक वो रोक पातीं दूभे भाभी ने पीछे से उनके दोनो हाथ पकड के मोड दिये।
अरे क्यों शरमा रही हैं अंदर ब्रा वा नहीं पहनी हैं क्या...मेरी उंगली अब सीधे निपल तक पहुंच गई थी, उसे फ्लिक करते हुये मैने पूछा।
वो कस मसा रही थीं हाथ छुडाने की कोशिश कर रही थीं ...पर दूबे भाभी की पकड।
मैने आराम से धीरे धीरे उनके एक दो ...ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और बटन खोलने के साथ अब खुल के मेरी उंगलियां उनके उभारों को रगड रही थीं, छेड रही थीं। ब्लाउज निकाल के उनके हाथ तक ...।
उधर दूबे भाभी ने उनके हाथ छोडॆ और इधर मैने ब्लाउज निकाल के ...वो भी सीधे दुछतॊ पे साडी के पास....।
तेरी साडी भी तो कम अच्छी नहीं हैं...अब लाली का हाथ मेरी साडी पे...।
मुझॆ लगा की दूबे भाभी मेरा साथ देंगी पर वो अंदर चली गयीं थी...और गुथम गुथा के बाद थोडी देर में मेरी हालत भी उन्ही के जैसी और जब दूबे भाभी लौटीं तो...।
कुछ ही देर में हम तीनों ब्रा पेटीकोट में थे।
लाली..टेबल पे रखे ग्लास को झुक के देख रही थी...जिस में रंग के डर से...।
वो ग्लास खाली था। तब तक पीछे से मैने और दूबे भाभी ने उन्हे एक साथ दबोच लिया। दूबे भाभी ने गाढे लाल रंग की टुयूब मुझे पकडा दी थी और उनके दोनों हाथों मे तवे की गाढी कालिख....मेरे दोनों हाथ सीधे उनकी ब्रा में....बहोत दिनों के बाद होली में किसी ननद के गदराये जोबन मेरी मुटठी में थे...पहले तो मैने कस के कच कचा के दोनों हाथों का गाढा लाल रंग उनकी चूंचियों पे कस कस के रगडा, लगाया। एक द्म्म पक्का रंग...और उधर दूबे भाभी ने मेरी ननद के गोरे गाल काला करने में कोई कसर नहीं छोडी। वो छट्पटा रहीं थीं, गुत्थ्मगुथा कर रही थीं पर मैं और दूबे भाभी दोनो एक साथ पीछे से...मेरे हाथ ...उनके उरोजों के सीधे स्पर्श का अब मजा ले रहे थे ...खूब मांसल और कडे....निपल भी बडे बडॆ..।
ननद रानी मैं आपसे कहती थी ना अदला बदली कर लो ...अरे होली में जरा अपनी भाभी के भी सैयां का मजा ले के देखो....चलिये अभी तो भाभी से ही काम चलाइये...मैं बताती हूं की कैसे आपके भैया...जोबन मर्दन करते हैं....धीरे से मैने दोनो चूंचीयां नीचेसे कप कीं और पहले तो हल्के हल्के दबाया..और फिर थोडा सा दबाव बढा के अंगुठे और तर्जनी के बीच कस के निपल को दबा दिया...।
उइइइ....उनके मुंह से चीख निकल पडी।
अरे ये तो शुस्रुआत है और दूसरे निपल को खूब कस के खींच के जोर से पिंच किया। जिस तरह से ननद रानी के निपल खडे थे, ये साफ था की उनको भी जबर्दस्त मजा आ रहा है.फिर तो मैने खूब कस कस के उनके उभार दबाने शुरु कर दिये..।
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