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गहरी चाल पार्ट--15
कामिनी करण के फ्लॅट के ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी थी & वो उसकी पॅंटी उतर रहा था,दोनो अब पूरे नंगे थे.करण आज सवेर ही टूर से लौटा था & अभी कुच्छ देर पहले ही दोनो बाहर से साथ खाना खा कर लौटे थे.
दोनो सोफे पे 1 दूसरे के बगल मे बैठे थोड़ा घूम के 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,करण ने उसकी कमर को अपने बाए हाथ से थामा & बाए से उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके होंठ चूमने लगा,"..उउंम.... मत कैसे बिताए मैने ये दिन..!",उसने उसके होंठ छ्चोड़ उसे अपने से सटा लिया,कामिनी ने अपने दाए हाथ मे उसका लंड ले लिया.
करण का दिल मज़े से भर उठा ,वो उसके चेहरे को चूमते हुए उसकी जाँघ सहलाने लगा.कामिनी को भी मज़ा आ रहा था.पिच्छले 4 दीनो तक वो चंद्रा साहब से चुद्ति रही थी,इसके बावजूद उसके जोश मे कोई कमी नही आई थी.लंड पे उसके हाथ की गिरफ़्त और कस गयी.
करण ने उसकी जाँघ से हाथ उपर ले जाते हुए उसकी गंद पे रख दिया & थोड़ी देर बाद उसकी गंद से होते हुए हाथ पीछे से उसकी चूत पे आ गया & वो 1उंगली से उसकी चूत कुरेदने लगा.कामिनी की आहे नही सुनाई पड़ रही थी क्यूकी उसके मुँह मे करण की जीभ घुसी हुई थी.
कामिनी के हाथो ने उसके लंड को भी बेचैन कर दिया था,अब वक़्त आ गया था की वो अपनी प्रेमिका की चूत मे उसे घुसा दे.उसने अपना बाई बाँह कामिनी की पीठ पे लगाई & दाई से उसकी दोनो टांगो को घुटने के थोड़ा उपर से पकड़ के उठा लिया & अपने कमरे मे ले गया.
कामिनी को बिस्तर पे लिटा वो उसकी चुचियो पे झुक गया,उसका 1 हाथ उसकी चूत से चिपका उसके दाने को रगड़ रहा था.कामिनी बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए आहे भरने लगी की तभी को दोनो को ड्रॉयिंग रूम से मोबाइल के रिंग टोन की आवाज़ आती सुनाई दी-ये करण का मोबाइल था.कामिनी को पूरी उम्मीद थी की करण उसे छ्चोड़ फोने के पास नही जाएगा,पर करण ने ऐसा नही किया.मोबाइल का बजना सुन वो कामिनी को छ्चोड़ फ़ौरन ड्रॉयिंग रूम मे चला गया.
कामिनी को ये बहुत बुरा लगा.... कौन था जिसके फोन के लिए वो उसका चमकता बदन छ्चोड़ कर चला गया?5 मिनिट बाद कारण कमरे मे वापस आया तो कामिनी ने उसे देख गुस्से से करवट बदलते हुए मुँह फेर लिया.
"आइ'एम सॉरी.",करण पीछे से उस से सॅट गया & उसके दाए कंधे के उपर से देखते हुए उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया,कामिनी ने उसका हाथ झटका दिया,"..इतना गुस्सा!"
"पहले सुन तो लो किसका फोन था..",उसने फिर से उसका चेहरा अपनी तरफ किया,उसका लंड कामिनी की गंद को च्छू रहा था,"..मेरे डॅड थे फोन पे..उन्होने कहा था की इस वक़्त फोन करेंगे.",कामिनी ने उसकी ओर सवालिया नज़रो से देखा,"..इतनी रात को..?"
करण ने उसके गाल पे चूमा,फिर उसे उसकी बाई करवट पे बाई कोहनी के बल लेटने को कहा.वो भी वैसे ही उसके पीछे लेट गया & अपने दाये हाथ से उसके पेट को पकड़ लिया,"..हां,क्यूकी वो जहा हैअभी वाहा शाम के 7 बजे हैं."
कामिनी ने उसका अपना दाया हाथ पीछे ले जाके उसके सर को थाम अपने चेहरे पे झुका लिया,"अच्छा!",करण ने थोड़ी देर उसे चूमा,"..हां,मेरे डॅड लंडन मे रहते हैं.कामिनी,परिवार के नाम पे बस वोही हैं मेरे लिए..",करण का हाथ उसके पेट से उसकी चूत पे चला गया था & वो उसके दाने को सहला रहा था,"..मा तो काफ़ी पहले गुज़र गयी.मेरे चाचा रहते थे लंडन मे,उन्होने पापा को भी वही बुला लिया & वो भी वोही सेटल हो गये..",उसने देखा की कामिनी अब मस्ती मे कमर हिलाने लगी है.
"..मैं काम के सिलसिले मे यहा रहता हू.कभी-2 उनसे मिलने जाता हू.अब समझ मे आया क्यू भागा था फोन के लिए?",करण ने उसकी दाई टांग को हवा मे उठा दिया & पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"हां.",कामिनी ने मस्त हो उसके सर को खींचते हुए उसके होंठ चूम लिए.
करण वैसे ही घुटने से थोड़ा उपर उसकी जाँघ को हवा मे उठाए,उसे चूमते हुए उसे चोदने लगा.
आज शाम को कामिनी को षत्रुजीत सिंग की पार्टी मे जाना था & उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो क्या पहने.वो अपने कपबोर्ड के कपड़े उलट-पलट रही थी की उसकी नज़र 1 झीनी लाल सारी पे पड़ी & उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया...क्यू ना आज शत्रुजीत को थोड़ा तडपया जाए!वो हुमेशा उसकी हाकतो से -उसके च्छुने से...उसकी और लड़कियो के साथ की गयी कामुक हर्कतो से तड़प उठती थी,तो आज इस बात का बदला चुकाने का अच्छा मौका था.पार्टी की भीड़-भाड़ मे वो उसके बहुत ज़्यादा करीब भी नही आ सकता था ना ही उसके बदन को ज़्यादा च्छू सकता था बस देख कर आहे भर सकता था!
सारी के ब्लाउस को ब्लाउस कहना ठीक नही होगा,वो 1 स्ट्रिंग बिकिनी का ब्रा था.सामने 2 तिकोने छ्होटे कप्स थे जो छातियो को ढँकते & उनको 1 साथ जोड़े हुए डोरिया.1 डोरी जो दोनो कप्स से जुड़ी थी,उसे माला की तरह गले मे डालने के बाद दोनो कप्स के बाहर से निकलती 2 डोरियो को पीछे पीठ पे बाँध उस ब्रा को पहना जाता था....इस लिबास मे उसके बदन को देख कर शत्रुजीत पे क्या बीतेगी..ये ख़याल आते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान खींच गयी.उसने तय कर लिया की आज रात वो यही सारी पहनेगी.उसने सारी को वापस कपबोर्ड मे रख उसे बंद किया & कोर्ट के लिए तैय्यार होने लगी.
शाम को कामिनी पार्टी के लिए तैय्यार हो खुद को 1 आख़िरी बार शीशे मे देख रही थी.बँधे बॉल & उसके ब्लाउस की वजह से उसकी पीठ & कमर लगभग नंगे ही थे.झीनी सारी के पार से उसका क्लीवेज भी झलक रहा था.उसने सारी को थोड़ा ठीक किया & फिर पार्टी के लिए निकल पड़ी.
ऑर्किड होटेल बस कुच्छ महीने पहले ही खुला था.उसकी 21 मंज़िला इमारत बड़ी शानदार थी.कामिनी जैसे ही होटेल मे दाखिल हुई 1 स्ट्वर्डेस उसकी तरफ आई,"मिस.शरण?"
"एस."
"आप प्लीज़ इधर आइए.",वो उसे 1 लिफ्ट की ओर ले गयी.उसने कुच्छ बटन्स दबाए,"..ये लिफ्ट आपको सीधा मिस्टर.सिंग की पार्टी वाले फ्लोर पे ही छ्चोड़ेगी,मॅ'म."
"थॅंक्स.",लिफ्ट के दरवाज़े बंद हो गये.
"वेलकम कामिनी!",लिफ्ट खुलते ही कामिनी 1 आलीशान से सूयीट के ड्रॉयिंग एरिया मे दाखिल हुई...मगर उसे हैरत हो रही थी...पूरा कमरा खाली था.
"हैरानी हो रही है ना?..आप सोच रही हैं कि बाकी लोग कहा हैं..?",कामिनी बस सर हिला दी.
"कामिनी,आप मेरे लिए मुक़दमे लड़ती हैं & उनमे जीतने पे खुशी या तो आपको होगी या मुझे...तो मैने सोचा की इस खुशी का जश्न भी केवल हम दोनो ही मनाए.",उसने वाइन का ग्लास कामिनी की ओर बढ़ाया जिसे कामिनी ने मुस्कुराते हुए थाम लिया..ये तो पासा ही पलट गया था....आज तो शत्रुजीत ने पूरी तैय्यारि की हुई थी उसे सिड्यूस करने की...ठीक है...अगर वो खेल खेलना चाहता है तो वो भी..कोई कम तो नही थी...,"अच्छा!लेकिन मुझे आपके इरादे कुच्छ ठीक नही लगते,मिस्टर.सिंग!",उसने 1 घूँट भरा.
"मेरे इरादे तो हुमेशा नेक रहते हैं,कामिनी & ये आप मुझे हमेशा मिस्टर.सिंग कह के क्यू बुलाती हैं...शत्रु कहिए.मेरे सारे दोस्त मुझे शत्रु ही बुलाते हैं."
"कैसे दोस्त हैं जो आपको दुश्मन कहते हैं!",कामिनी ने 1 और घूँट भरते हुए उसकी तरफ शोखी से देखा & फिर ग्लास मेज़ पे रख दिया & फिर खिड़की के पास जाकर उसके बाहर देखने लगी.नीचे पंचमहल की बत्तियाँ जगमगा रही थी & उपर आसमान मे तारे-बड़ा ही दिलकश नज़ारा था.
"तो फिर आप क्या कह के बुलाएँगी?"
"मैं आपकी दोस्त कहा हू!",कामिनी ने उसी शोख मुस्कान के साथ उसे पलट के देखा.शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली पीठ का मुआयना कर रही थी,"..तो दुश्मन भी तो नही हैं!"
उसने रिमोट से म्यूज़िक ऑन किया,"शल वी डॅन्स?"
उसने आगे बढ़ कामिनी का दाया हाथ अपने बाए हाथ मे थामा & उसे कमरे के बीच मे ले आया & फिर अपना दाया हाथ उसकी पतली,नंगी कमर मे डाल उसके साथ डॅन्स करने लगा.कामिनी के जिस्म मे सनसनाहट सी दौड़ गयी.शत्रु का बड़ा सा हाथ उसकी कमर से चिपका हुआ था & उसकी उंगलिया बहुत हल्के से बीच-2 मे उसे सहला रही थी.
"आप सभी लड़कियो को ऐसे ही इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं?",कामिनी का बाया हाथ उसके दाए कंधे पे था.
"सभी को नही,सिर्फ़ आपको.",शत्रुजीत ने उसके हाथ & कमर को 1 साथ बड़े हल्के से सहलाया तो कामिनी सिहर उठी & उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी.
"मुझपे इतनी मेहेरबानी की कोई खास वजह?",उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हुआ था..उसका जी तो कर रहा था की अभी,इसी वक़्त इस आदमी के चौड़े सीने मे अपना चेहरा च्छूपा ले & वो उसे बस अपनी बाहो मे कस ले.
"आप तो है ही खास!अब इस से खास कोई वजह हो सकती है भला?"
"आपने मुझे अपना वकील भी इसी लिए बनाया था ना की मेरे करीब आ सकें?",शत्रुजीत के माथे पे शिकन पड़ गयी.
"कामिनी,मुझे पता है कि मेरे बारे मे तुम क्या सोचती हो..",उसकी आवाज़ संजीदा हो गयी थी,"..लेकिन मैं अपने काम के साथ कभी भी खिलवाड़ नही करता.तुम्हे अपना वकील बनाने के पीछे बस 1 ही कारण था-तुम्हारी काबिलियत.",दोनो ने डॅन्स करना बंद कर दिया था मगर कामिनी का 1 हाथ अभी भी उसके कंधे पे & दूसरा उसके हाथ मे था.
"..हां,मैं चाहता हू तुम्हारे करीब आना..तुम्हे वैसे प्यार करना जैसे केवल 1 मर्द 1 औरत को कर सकता है..मगर इसके लिए मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर तुम्हारी तौहीन नही करूँगा.आज तक मैने तुम्हारी जितनी भी तारीफ की है तुम उसकी हक़दार हो.तुम जानती हो मुझे तुम मे सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?",कामिनी ने बस आँखो से इशारा किया मानो पुच्छ रही हो की क्या.
"..तुम्हारा खुद पे विश्वास.तुम बहुत खूबसूरत हो & तुम्हारे इस बदन ने तो मुझे पहले दिन से ही दीवाना किया हुआ है मगर जो बात कामिनी शरण को कामिनी शरण बनाती है & मुझे तुम्हारी ओर खींचती है वो यही है-तुम्हारा अपने उपर भरोसा..तुम अगर अभी मुझे ना कह दो तो मैं इसी वक़्त तुम्हारे जिस्म से अपने हाथ खींच लूँगा..",दोनो बड़ी गहरी नज़रो से 1 दूसरे को देख रहे थे,"..मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर सकता हू,कामिनी..पूरी ज़िंदगी."
"तुम्हारी इतनी अच्छी बीवी है,फिर भी तुम दूसरी औरतो के पीछे क्यू भागते हो?",कामिनी आज शत्रुजीत नाम की इस पहेली को सुलझा ही लेना चाहती थी.
"नंदिता बहुत अच्छी है पर शायद हम दोनो 1 दूसरे के लिए नही बने हैं."
"अगर वो और मर्दो के साथ सोए तो?"
"उसकी मर्ज़ी..मगर वो ऐसा करेगी नही.ऐसा करेगी तो उसमे & मुझमे कोई फ़र्क नही रहेगा & मेरे जैसा बनना उसे कभी भी मंज़ूर नही होगा.",उसने कामिनी के हाथ को छ्चोड़ा तो कामिनी ने अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे कंधे पे रख दिया,अब शत्रुजीत दोनो हाथो से उसकी कमर थामे हुए था.
"..वैसे भी किसी को बाँधने से क्या मिलता है!पता है,कामिनी मैं क्या सोचता हू?..अगर कोई औरत & मर्द 1 दूसरे को चाहते हैं तो उन्हे कभी भी शादी नही करनी चाहिए."
"क्यू?"
"चाहत का मतलब 1 दूसरे को बाँधना नही,आज़ाद छ्चोड़ना है."
"तो आज रात के बाद भी तुम मेरी ज़ाति ज़िंदगी से जुड़ा मुझसे कोई सवाल नही करोगे?"
"नही.अगर तुम खुद बोलो तो अलग बात है...मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा,दिल से चाहूँगा की तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो,मगर तुमपे कभी हक़ जता के तुम्हारी मर्ज़ी से नही रोकुंगा..देखो अगर हम दोनो 1 दूसरे के साथ खुश रहेंगे तो अपने आप ही हम 1 दूसरे की पसंद-नापसंद का ख़याल रखेंगे..अब ज़बरदस्ती तो कोई किसी को नही चाह सकता ना..तो अगर मैं तुम्हे किसी बात से तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ रोकू तो फिर रिश्ते मे कड़वाहट आ जाएगी!"
"मेरा तो मानना है,कामिनी की जितने भी दिन हम साथ रहे हैं..बस हंसते-खेलते गुज़ारदे...1 पल के लिए भी कड़वाहट हो ही क्यू ज़िंदगी मे!",कामिनी को लगा जैसे वो खुद को बोलते हुए सुन रही हो.वो अपने पंजो पे उचकी & शत्रुजीत की गर्दन को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए अपने रसीले होंठ उसके होंठो से सटा दिए.
GEHRI CHAAL paart--15
Kamini Karan ke flat ke drawing room ke sofe pe baithi thi & vo uski panty utar raha tha,dono ab pure nange the.karan aaj saver hi tour se lauta tha & abhi kuchh der pehle hi dono bahar se sath khana kha kar laute the.
dono sofe pe 1 dusre ke bagal me baithe thoda ghum ke 1 dusre ki aankho me jhank rahe the,karan ne uski kamar ko apne baaye hath se thama & baaye se uski thuddi pakad ke uske honth chumne laga,"..uumm...puchho mat kaise bitaye maine ye din..!",usne uske honth chhod use apne se sata liya,kamini ne apne daaye hath me uska lund le liya.
karan ka dil maze se bhar utha ,vo uske chehre ko chumte hue uski jangh sehlane laga.kamini ko bhi maza aa raha tha.pichhle 4 dino tak vo Chandra sahab se chudti rahi thi,iske bavjood uske josh me koi kami nahi aayi thi.lund pe uske hath ki giraft aur kas gayi.
karan ne uski jangh se hath upar le jate hue uski gand pe rakh diya & thodi der baad uski gand se hote hue haath peechhe se uski chut pe aa gaya & vo 1ungli se uski chut kuredne laga.kamini ki aahe nahi sunai pad rahi thi kyuki uske munh me karan ki jibh ghusi hui thi.
kamini ke hatho ne uske lund ko bhi bechain kar diya tha,ab waqt aa gaya tha ki vo apni premika ki chut me use ghusa de.usne apna baayi banh kamini ki pith pe lagayi & daayi se uski dono tango ko ghutne ke thoda upar se pakad ke utha liya & apne kamre me le gaya.
kamini ko bistar pe lita vo uski chhatiyo pe jhuk gaya,uska 1 hath uski chut se hipka uske dane ko ragad raha tha.kamini bechaini se apni kamar hilate hue aahe bharne lagi ki tabhi ko dono ko drawing room se mobile ke ringtone ki aavaz aati sunai di-ye karan ka mobile tha.kamini ko puri ummeed thi ki karan use chhod fone ke paas nahi jayega,par karan ne aisa nahi kiya.mobile ka bajna sun vo kamini ko chhod fauran drawing room me chala gaya.
kamini ko ye bahut bura laga...aakhir kaun tha jiske fone ke liye vo uska chamakta badan chhod kar chala gaya?5 minute baad karan kamre me vapas aaya to kamini ne use dekh gusse se karwat badalte hue munh fer liya.
"i'm sorry.",karan peechhe se us se sat gaya & uske daaye kandhe ke upar se dekhte hue uska chehra apni or ghumaya,kamini ne uska hath jhataka diya,"..itna gussa!"
"pehle sun to lo kiska fone tha..",usne fir se uska chehra apni taraf kiya,uska lund kamini ki gand ko chhu raha tha,"..mere dad the fone pe..unhone kaha tha ki is waqt fone karenge.",kamini ne uski or sawaliya nazro se dekha,"..itni raat ko..?"
karan ne uske gaal pe chuma,fir use uski baayi karwat pe bayi kohni ke bal letne ko kaha.vo bhi vaise hi uske peechhe let gaya & apne daaye hath se uske pet ko pakad liya,"..haan,kyuki vo jaha abhi vaha sham ke 7 baje hain."
kamini ne uska apna daya hath peechhe le jake uske sar ko tham apne chehre pe jhuka liya,"achha!",karan ne thodi der use chuma,"..haan,mere dad London me rehte hain.kamini,parivar ke naam pe bas vohi hain mere liye..",karan ka hath uske pet se uski chut pe chala gaya tha & vo uske dane ko sehla raha tha,"..maa to kafi pehle guzar gayi.mere chacha rehte the london me,unhone papa ko bhi vahi bula liya & vo bhi vohi settle ho gaye..",usne dekha ki kamini ab masti me kamar hilane lagi hai.
"..main kaam le silsile me yaha rehta hu.kabhi-2 unse milne jata hu.ab samajh me aaya kyu bhaga tha fone ke liye?",karan ne uski daayi tang ko hawa me utha diya & peechhe se apna khada lund uski chut me ghusa diya,"haan.",kamini ne mast ho uske sar ko khinchte hue uske honth chum liye.
karan vaise hi ghutne se thoda upar uski jangh ko hawa me uthaye,use chumte hue use chodne laga.
Aaj sham ko Kamini ko Shatrujeet Singh ki party me jana tha & uski samajh me nahi aa raha tha ki vo kya pehne.vo apne cupboard ke kapde ulat-palat rahi thi ki uski nazar 1 jhini laal sari pe padi & uske dimagh me 1 khayal aaya...kyu na aaj shatrujeet ko thoda tadpaya jaye!vo humesha uski hakato se -uske chhune se...uski aur ladkiyo ke sath ki gayi kamuk harkato se tadap uthati thi,to aaj is baat ka badla chukane ka achha mauka tha.party ki bheed-bhad me vo uske bahut zyada kareeb bhi nahi aa sakta tha na hi uske badan ko zyada chhu sakta tha bas dekh kar aahe bhar sakta tha!
sari ka blouse ko blouse kehna thik nahi hoga,vo 1 string bikini ka bra tha.samne 2 tikone chhote cups the jo chhtiyo ko dhankte & unko 1 sath jode hue doriya.1 dori jo dono cups se judi thi,use mala ki tarah gale me dalne ke baad dono cups ke bahar se nikalti 2 doriyo ko peechhe pith pe bandh us bra ko pehna jata tha....is libas me uske badan ko dekh kar shatrujeet pe kya beetegi..ye khayal aate hi kamini ke hotho pe muskan khinch gayi.usne tay kar liya ki aaj raat vo yehi sari pehnegi.usne sari ko vapas cupboard me rakh use band kiya & court ke liye taiyyar hone lagi.
sham ko kamini party ke liye taiyyar ho khud ko 1 aakhiri baar sheeshe me dekh rahi thi.bandhe baal & uske blouse ki vajah se uski pith & kamar lagbhag nange hi the.jheeni sari ke paar se uska cleavage bhi jhalak raha tha.usne sari ko thoda thik kiya & fir party ke liye nikal padi.
Orchid hotel bas kuchh mahine pehle hi khula tha.uski 21 manzila imarat badi shandar thi.kamini jaise hi hotel me dakhil hui 1 stewardess uski taraf aayi,"Ms.Sharan?"
"yes."
"aap please idhar aaiye.",vo use 1 lift ki or le gayi.usne kuchh buttons dabaye,"..ye lift aapko seedha mr.singh ki party vale floor pe hi chhodegi,ma'am."
"thanx.",lift ke darwaze band ho gaye.
"welcome kamini!",lift khulte hi kamini 1 aalishan se suite ke drawing area me dakhil hui...magar use hairat ho rahi thi...pura kamra khali tha.
"hairani ho rahi hai na?..aap soch rahi hain ki baki log kaha hain..?",kamini bas sar hila di.
"kamini,aap mere liye mukadame ladti hain & unme jeetne pe khushi ya to aapko hogi ya mujhe...to maine socha ki is khushi ka jashn bhi kewal hum dono hi manaye.",usne wine ka glass kamini ki or badhaya jise kamini ne muskurate hue tham liya..ye to pasa hi palat gaya tha....aaj to shatrujeet ne puri taiyyari ki hui thi use seduce karne ki...thik hai...agar vo khel khelna chahta hai to vo bhi..koi kam to nahi thi...,"achha!lekin mujhe aapke irade kuchh thik nahi lagte,Mr.Singh!",usne 1 ghunt bhara.
"mere irade to humesha nek rehte hain,kamini & ye aap mujhe humehs mr.singh keh ke kyu bulati hain...Shatru kahiye.mere sare dost mujhe shatru hi bulate hain."
"kaise dost hain jo aapko dushman kehte hain!",kamini ne 1 aur ghunt bharte hue uski taraf shokhi se dekha & fir glass mez pe rakh diya & fir khidki ke paas jakar uske bahar dekhne lagi.neeche Panchmahal ki battiyaan jagmaga rahi thi & upar aasmaan me tare-bada hi dilkash nazara tha.
"to fir aap kya keh ke bulayengi?"
"main aapki dost kaha hu!",kamini ne usi shokh muskan ke sath use palat ke dekha.shatrujeet ki nazre uski makhmali pith ka muayana kar rahi thi,"..to dushman bhi to nahi hain!"
usne remote se music on kiya,"Shall we dance?"
usne aage badh kamini ka daaya hath apne baaye hath me thama & use kamre ke beech me le aaya & fir apna daaya hath uski patli,nangi kamar me daal uske sath dance karne laga.kamini ke jism me sansanahat si daud gayi.shatru ka bada sa hath uski kamar se chipka hua tha & uski ungliya bahut halke se beech-2 me use sehla rahi thi.
"aap sabhi ladkiyo ko aise hi impress karne ki koshish karte hain?",kamini ka baya hath uske daaye kandhe pe tha.
"sabhi ko nahi,sirf aapko.",shatrujeet ne usek hath & kamar ko 1 sath bade halke se sehlaya to kamini sihar uthi & uski chut me kasak si uthne lagi.
"mujhpe itni meherbani ki koi khas vajah?",usne badi mushkil se khud ko sambhala hua tha..uska ji to kar raha tha ki abhi,isi waqt is aadmi ke chaude seene me apna chehra chhupa le & vo use bas apni baaho me kas le.
"aap to hai hi khas!ab is se khas koi vajah ho sakti hai bhala?"
"aapne mujhe apna vakil bhi isi liye banaya tha na ki mere kareeb aa saken?",shatrujeet ke mathe pe shikan pad gayi.
"kamini,mujhe pata hai ki mere bare me tum kya sochti ho..",uski aavaz sanjeeda ho gayi thi,"..lekin main apne kaam ke sath kabhi bhi khilwad nahi karta.tumhe apna vakil banane ke peechhe bas 1 hi kaaran tha-tumhari kabiliyat.",dono ne dance karna band kar diya tha magar kamini ka 1 hath abhi bhi uske kandhe pe & dusra uske hath me tha.
"..haan,main chahta hu tumhare kareeb aana..tumhe vaise pyar karna jaise kewal 1 mard 1 aurat ko kar sakta hai..magar iske liye main tumhari jhuthi tareef kar tumhari tauheen nahi karunga.aaj tak maine tumhari jitni bhi tareef ki hai tum uski haqdar ho.tum janti ho mujhe tum me sabse zyada kya achha lagta hai?",kamini ne bas aankho se ishara kiya mano puchh rahi ho ki kya.
"..tumhara khud pe vishvas.tum bahut khubsurat ho & tumhare is badan ne to mujhe pehle din se hi deewana kiya hua hai mgara jo baat Kamini Sharan ko kamini sharan banati hai & mujhe tumhari or khinchti hai vo yehi hai-tumhara apne upar bharosa..tum agar abhi mujhe na keh do to main isi waqt tumhare jism se apne hath khinch lunga..",dono badi gehri nazro se 1 dusre ko dekh rahe the,"..main puri zindagi tumhara intezar kar sakta hu,kamini..puri zindagi."
"tumhari itni achhi biwi hai,fir bhi tum dusri aurato ke peechhe kyu bhagte ho?",kamini aaj shatrujeet naam ki is paheli ko suljha hi lena chahti thi.
"Nandita bahut achhi hai par shayad hum dono 1 dusre ke liye nahi bane hain."
"agar vo aur mardo ke sath soye to?"
"uski marzi..magar vo aisa karegi nahi.aisa karegi to usme & mujhme koi fark nahi rahega & mere jaisa banana use kabhi bhi manzur nahi hoga.",usne kamini ke hath ko chhoda to kamini ne apna dusra hath bhi uske dusre kandhe pe rakh diya,ab shatrujeet dono hatho se uski kamar thame hue tha.
"..vaise bhi kisi ko bandhne se kya milta hai!pata hai,kamini main kya sochta hu?..agar koi aurat & mard 1 dusre ko chahte hain to unhe kabhi bhi shadi nahi karni chahiye."
"kyu?"
"chahat ka matlab 1 dusre ko baandhana nahi,azad chhodna hai."
"to aaj raat ke baad bhi tum meri zati zindagi se juda mujhse koi sawal nahi karoge?"
"nahi.agar tum khud bolo to alag baat hai...main tumhara pura khayal rakhunga,dil se chahunga ki tumhe koi taklif na ho,magar tumpe kabhi haq jata ke tumhari marzi se nahi rokunga..dekho agar hum dono 1 dusre ke sath khush rahenge to apne aap hi hum 1 dusre ki pasand-napasand ka khayal rakhenge..ab zabardasti to koi kisi ko nahi chah sakta na..to agar main tumhe kisi baat se tumhari marzi ke khilaf roku to fir rishte me kadwahat aa jayegi!"
"mera to manana hai,kamini ki jitne bhi din hum sath rahe hain..bas hanste-khelte guzarde...1 pal ke liye bhi kadwahat ho hi kyu zindagi me!",kamini ko laga jaise vo khhud ko bolte hue sun rahi ho.vo apne panjo pe uchki & shatrujeet ki gardan ko apni baaho me qaid karte hue apne rasile honth uske hotho se sata diye.
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