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गहरी चाल पार्ट--28
गतान्क से आगे........
सुबह कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो षत्रुजीत सिंग के बिस्तर मे नंगी पड़ी है मगर उसका प्रेमी नदारद है.कल रात शत्रुजीत ने उसे 3 बार चोदा था & आख़िरी बार तो हद ही हो गयी थी.2 बार झड़ने के कारण तीसरी बार शत्रुजीत को झड़ने मे समय लग रहा था & वो करीब 25 मिनिट तक लगातार बिना रुके उसकी नाज़ुक चूत मे अपना दानवी लंड अंदर-बाहर करता रहा . इस दौरान कामिनी को होश नही वो कितनी बार झड़ी बस इतना याद था की जैसे ही उसकी चूत मे उसे शत्रुजीत के पानी का गीला एहसास हुआ उसकी चूत ने भी साथ मे 1 आख़िरी बार पानी छ्चोड़ & फिर उसके थके हुए बदन ने उसे सोने पे मजबूर कर दिया.रात की मस्त यादो ने कामिनी के होंठो पे मुस्कान खिला दी.
"..मैने कहा ना मुझे तीनो का रवैयय्या शुरू से ही नापसंद था...अंकल जे भी उनके चलते परेशान थे....वही सब टॉहने तो वो उन्हे अपने साथ बॉर्नीयो ले गये थे उस रात...इनका तो जाना तय है,अब्दुल...अच्छा चलो..ऑफीस मे बात करेंगे."
शत्रुजीत पाशा से बात कर रहा था,कामिनी को पाशा के जवाब नही सुनाई दिए मगर वो समझ गयी की वो दोनो जयंत पुराणिक के क़त्ल के वक़्त मौजूद त्रिवेणी के उन तीनो एंप्लायीस के बारे मे ही बाते कर रहे थे.वो झट से बिस्तर से उठी & अपना नाइट्गाउन पहन लिया.
"गुड मॉर्निंग.",शत्रुजीत कमरे मे आया.कामिनी ने देखा की वो दफ़्तर जाने के लिए तैय्यार था.
"गुड मॉर्निंग..सॉरी,मुझे उठने मे थोड़ी देर हो गयी.",शत्रुजीत उसके पास आ गया था & दोनो 1 दूसरे की बाहे थामे आमने-सामने खड़े थे,"कोई बात नही!मुझे भी आज थोड़ा जल्दी जाना था इसीलिए मैने तो नाश्ता भी कर लिया है.",शत्रुजीत ने उसके होंठ चूमे & अपना कोट कुर्सी से उठा लिया,"कामिनी,तुम्हे कुच्छ चाहिए तो नही?"
"नही,कपड़े & बाकी ज़रूरी समान तो मैं परसो ही ले आई थी..हां!..मगर जाने दो.."
"क्या हुआ?बोलो तो."
"वो मेक-अप का समान लाना भूल गयी थी....आज शाम को लौटते वक़्त घर से ले लूँगी."
शत्रुजीत हंसा फिर खामोश हो गया,"कामिनी..अगर चाहो तो नंदिता के ड्रेसिंग टेबल से तुम जो चाहो ले सकती हो..."
"नही..कोई परेशानी की बात नही है जीत..",मगर तभी उसके ज़हन मे 1 ख़याल कौंधा....उसने शत्रुजीत & नंदिता का कमरा जहा नंदिता का खून हुआ था पहले भी देखा था मगर 1 बार और देखने मे क्या हर्ज था,"..ठीक है..मैं देख लूँगी.."
"ओके.",शत्रुजीत ने कमरे मे बने वॉर्डरोब को खोला & 1 दराज मे से 1 चाभी निकाल कर कामिनी को थमायी,"..ये लो उस कमरे की चाभी.",वो दफ़्तर के लिए निकल गया.
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कामिनी तैय्यार हो शत्रुजीत की दी हुई चाभी से दरवाज़ा खोल कमरे मे दाखिल हुई.उसे 1 लिपस्टिक की ज़रूरत थी.ड्रेसिंग टेबल के सामने स्टूल पे बैठ के उसने उसकी दराज खोल लिपस्टिक ढूंदनी शुरू की.1 दराज मे उसे कोई 10-12 लिपस्टिक्स मिली तो कामिनी उन्हे खोल कर अपनी ज़रूरत के रंग की लिपस्टिक खोजने लगी.थोड़ी ही देर मे उसे वो रंग मिल गया.होतो पे उसे लगा जब उसने लिपस्टिक को वापस रख दराज बंद करनी चाही तो वो अटक गयी.कामिनी ने देखा की 1 लिप्स्तसिक दराज & ड्रेसिंग टेबल के बीच फँसी हुई है,उसने उसे खींच कर निकाला.
ऐसी लिपस्टिक उसने पहले कभी नही देखी थी.हल्के ग्रे कलर की बॉडी पे कही कोई नाम या लोगो नही था.उसका ढक्कन भी आम लिपस्टिक से छ्होटा था.उसने ढक्कन खोला तो पाया की अंदर भूरे रंग की लिपस्टिक भी काफ़ी छ्होटे साइज़ की है.उसने ये सोच कर लिपस्टिक घुमाई की शायद थोड़ी और स्टिक बाहर आई मगर ये क्या!..घूमने से लिपस्टिक तो बाहर नही आई बल्कि उसका नीचे का हिस्सा खुल गया & कामिनी की आँखो के सामने यूएसबी ड्राइव आ गयी....वाउ!
और क्या था इस कमरे मे.पोलीस ने सुराग के लिए पूरा कमरा छाना था मगर उनके हाथ कुच्छ खास नही लगा था & यहा कामिनी को बैठे-2 1 पेन ड्राइव मिल गयी थी!थोड़ी देर मे उसने पूरा ड्रेसिंग टेबल छान मारा मगर उसे कुच्छ और नही मिला.वो स्टूल से उठी & उसे पैर से धकेल कर ड्रेसिंग टेबल के शीशे के नीचे घुसाने लगी.ड्रेसिंग टेबल की बनावट ऐसी थी की शीशे के नीचे दोनो तरफ दराज बनी थी & उनके बीच मे स्टूल घुस जाता था.
तभी कामिनी का ध्यान स्टूल पे गया,उसने उसपे रखा कुशन उठाया तो उसके नीचे 1 ढक्कन दिखा.कामिनी ने उसे उठाया तो अंदर उसे सिंगार के समान के अलावा कुच्छ बिल्स मिले.वो उन्हे देखने लगी & 1 बिल पे उसकी निगाह अटक के रह गयी.बिल हाथो मे लिए हुए उसने कमरे की चाभी को देखा.शत्रुजीत के पूरे घर मे कस्टम मेड ताले लगे हुए थे यानी की 1 कंपनी ने उसके घर के लिए खास ताले लगाए थे & ऐसे ताले किसी और के लिए नही बनाए गये थे.कामिनी ने चाभी को गौर से देखा,करीब 3 इंच लंबी स्टील की चाभी का हेड चंदे से मढ़ा हुआ था जिसपे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 1 लिखा हुआ था.
बिल पे उस अमेरिकन कंपनी का नाम & पता लिखा हुआ था.बिल 1 ड्यूप्लिकेट चाभी की बनवाई की फीस का था.कंपनी ने घर मे ताले इनस्टॉल करते वक़्त 2 चाभीया मुहैय्या की थी....यानी की 1 चाभी गुम हो गयी थी & उसकी जगह 1 ड्यूप्लिकेट चाभी बनवाई गयी थी.कामिनी ने कमरे के सभी शेल्फ & वॉर्डरोब छान मारा & उसके हाथ जो लगा उस से उसे नंदिता के क़त्ल की गुत्थी का 1 सिरा सुलझता नज़र आया.वॉर्डरोब मे 1 चाभियो के गुच्छे मे उसे वो चाभी मिल गयी जिसके चंदे के हेड पे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 2 लिखा था....जब दोनो चाभीया मौजूद थी तो फिर आख़िर ड्यूप्लिकेट चाभी क्यू बनवाई गयी.कामिनी ने दोनो चाभीया,पेनड्राइव & बिल अपने पर्स मे डाला & कमरे से निकल गयी.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी कार की पिच्छली सीट पे बैठी करण से मिलने जा रही थी.उसने अपना लॅपटॉप ऑन कर नंदिता की पेन ड्राइव लगाई.ड्राइव के आइकान पे क्लिक करते ही उसने उस से पससवाओर्ड माँगा....अब पासवर्ड कहा से लाए वो?उसने शत्रुजीत टाइप किया.मेसेज आया: इनकरेक्ट पासवर्ड.यू हॅव 4 मोरे चान्सस लेफ्ट.इफ़ यू डॉन'ट एंटर दा करेक्ट पासवर्ड थे ड्राइव विल ऑटोमॅटिकली फॉर्मॅट इटसेल्फ.
यानी की अगर ग़लत पासवर्ड डाला गया तो उसका सारा डाटा गायब हो सकता था.इस नयी उलझन से निपटने की तरकीब सोचती कामिनी की कार पोलीस थाने के अहाते मे पहुँच गयी.
उसने लॉक-अप मे कारण के पास जाने से पहले मुकुल को फोन मिलाया,"हेलो,मुकुल?"
"जी,मॅ'म."
"मैं 1 घंटे मे ऑफीस पहुचूंगी.तुम ऐसा करो की मोहसिन को बुला लो."
"ओके,मॅ'म."
कामिनी करण के पास पहुँची & थोड़ी देर तक उसका हाल पुच्छने के बाद शीना के मुद्दे पे आ गयी,"शीना ने एमबीए के पहले की पढ़ाई वही आवंतिपुर से ही की थी?"
"हां,ए.पी.कॉलेज से..एकनॉमिक्स मे ग्रॅजुयेशन कर रही थी..मगर फाइनल एअर का एग्ज़ॅम उसने थोड़ा देर से दिया था."
"क्यू?"
"वो बीमार पड़ गयी थी."
"ओह.क्या हुआ था?"
"पता नही.इस बारे मे कभी उसने तफ़सील से बताया नही."
"तुम दोनो का रिश्ता कैसे शुरू हुआ?"
"उसकी बुआ & मेरी चाची की कोशिशो की बदौलत.दोनो चाहते थे की हम 1 हो जाएँ इसीलिए हमे हुमेशा किसी ना किसी बहाने से मिलाते रहते थे."
"करण,तुम्हारे & शीना के बीच सब ठीक तो चल रहा था ना?"
"हा,क्यू?"
"नही,वो अचानक इस तरह लंडन से यहा आ गयी-.."
"-वो तो मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए उसने ऐसा किया था."
"अच्छा,तुम यहा थे & वो वाहा लंडन मे,फिर तो दोनो को 1 दूसरे के लिए बड़ी बेताबी होती होगी?"
"हां,रोज़ाना ही हम फोन पे बाते करते थे."
"अच्छा,कैसी बाते करते थे तुमलोग..आइ मीन कभी फोन पे झगड़ा वग़ैरह तो नही हुआ?"
"नही!नही!..बल्कि हम तो-..",कुछ कहते हुए करण रुक गया & ज़मीन की ओर देखने लगा.
"बोलो,करण.",कामिनी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रखा.
"हम फोन पे हर तरह की बाते करते थे..",थोड़ी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी,"..यहा तक की...यहा तक की....फोन सेक्स भी."
"ओह!",यानी इनका रिश्ता तो अच्छा जा रहा था मगर..तभी 1 और इंसान की आहट ने कामिनी के ख़यालो का सिलसिला तोड़ दिया.कामिनी ने सर घुमाया तो 1 बुज़ुर्ग इंसान खड़े थे,"हेलो,मैं करण का चाचा संजीव मेहरा हू & आप शायद आड्वोकेट कामिनी शरण हैं?"
"जी,हां.नाइस टू मीट यू.",कामिनी उठ खड़ी हुई,"ओके.करण मैं चलती हू."
"करण,मैं ज़रा वकील साहिबा को छ्चोड़ कर आता हू,फिर हम बाते करेंगे."
"ठीक है,चाचजी."
संजीव मेहरा कामिनी के साथ बाहर आने लगे,"मैं कल ही लंडन से यहा आया.करण के पिता को हमने कुच्छ नही बताया है..दरअसल उनकी तबीयत कुच्छ ठीक नही रहती..कामिनी जी,आपको क्या लगता है..क्या होगा मेरे भतीजे का?"
"देखिए,सर.मैं आपको झूठी तसल्ली तो नही दूँगी!करण के खिलाफ सारे सबूत बड़े पुख़्ता हैं मगर मैं भी आख़िर तक कोशिश करूँगी & इसमे शायद मुझे आपकी मदद लेनी पड़ सकती है.",करण की बातो से कामिनी के दिमाग़ मे 1 नया ख़याल कुलबुलाने लगा था.
"ज़रूर,कामिनी जी!अपने भतीजे के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा."
"ठीक है,सर..तब शायद हम करण को यहा से निकाल ही लेंगे.",कामिनी कार मे बैठ गयी तो ड्राइवर ने कार उसके दफ़्तर की दिशा मे बढ़ा दी.
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मोहसिन जमाल,35 बरस का लंबा,खुशदील इंसान जिसका पेशा था जासूसी-वो इस वक़्त कामिनी के ऑफीस मे बैठा मुकुल & रश्मि को कुच्छ मज़ेदार किस्से सुना रहा था जब कामिनी अंदर दाखिल हुई,"हेलो,कामिनी जी.",वो अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ.
"हेलो,मोहसिन..आओ..मुकुल तुम भी..रश्मि,ज़रा सबके लिए कुच्छ ठंडा मंगवा लो."
"ओके,मॅ'म.",रश्मि कोल्ड ड्रिंक्स के इंतेज़ाम मे लग गयी & बाकी तीनो कामिनी के चेंबर मे आके बैठ गये.थोड़ी ही देर मे तीनो अपने-2 ग्लासस से घूँट भर रहे थे जब कामिनी ने मुद्दे की बात छेड़ी,"मोहसिन,ये लो.",उसने 1 लिफ़ाफ़ा आगे किया,"..ये है आंतनी डाइयास उर्फ टोनी-षत्रुजीत सिंग का ड्राइवर.."मोहसिन लिफाफे से तस्वीर निकाल कर देख रहा था,साथ ही 2 काग़ज़ भी थे,"..मैं इसके बारे मे जो भी जानती हू इसमे लिखा है..",उसने काग़ज़ो की ओर इशारा किया,"..तुम्हे साए की तरह आज से ही इसके पीछे लग जाना है & हमेशा की तरह हम तीनो के अलावा किसी को भी इस बात की भनक नही लगनी चाहिए."
मोहसिन कोई 23 बरस की उम्र से 1 जाने-माने प्राइवेट डीटेक्टिव के साथ काम करने लगा था.30 बरस का होते-2 उसने खुद की एजेन्सी खोल ली थी & अपने पेशे का जाना हुआ नाम बन गया था.कामिनी की बात सुन के वो मुस्कुराया,"सिर्फ़ पीछा करना है?"
"फिलहाल तो बस पीछा ही करो..",कामिनी ने 1 घूँट भरा,"..मोहसिन,मुझे शक़ है ये आदमी किसी और के लिए काम करता है..तो हो सकता है वो किसी से मिले.वो किस से मिलता है,कहा जाता है..क्या बाते करता है..सबकी रिपोर्ट मुझे चाहिए."
"ओके,कामिनी जी.काम शुरू हो गया समझिए.",मोहसिन ने अपना ग्लास 1 साँस मे ही खाली कर दिया & उठ खड़ा हुआ तो कामिनी ने अपने बॅग मे से 1 लिफ़ाफ़ा निकाल के उसे थमाया,"..तुम्हारी पहली किश्त मोहसिन.बाकी भी तुम्हे समय पे मिल जाएँगी."
"थॅंक यू.",मोहसिन जमाल पक्का प्रोफेशनल था-अगर काम पूरा नही होता तो वो क्लाइंट की 1-1 पाई वापस कर देता नही तो काम के शुरू से अंत तक क्लाइंट को 4 किष्तो मे उसकी फीस देनी होती थी.
"ध्यान रहे,मोहसिन.हम तीनो के अलावा & कोई ना जानने पाए.मैने शत्रुजीत सिंग को भी इस बारे मे कुच्छ नही बताया है."
"डॉन'ट वरी,कामिनी जी.",मोहसिन चेंबर से बाहर निकल गया.
क्रमशः.......................
GEHRI CHAAL paart--28
gataank se aage........
Subah Kamini ki nind khuli to usne paya ki vo Shatrujeet Singh ke bistar me nangi padi hai magar uska premi nadarad hai.kal raat shatrujeet ne use 3 baar choda tha & aakhiri baar to had hi ho gayi thi.2 baar jhadne ke karan teesri baar shatrujeet ko jhadne me samay lag raha tha & vo kareeb 25 minute tak lagatar bina ruke uski nazuk chut me apna daanvi lund andar-bahar karta raha . is dauran kamini ko hosh nahi vo kitni baar jhadi bas itna yaad tha ki jaise hi uski chut me use shatrujeet ke pani ka gila ehsas hua uski chut ne bhi sath me 1 aakhiri baar pani chhod & fir uske thake hue badan ne use sone pe majboor kar diya.raat ki mast yaado ne kamini ke hotho pe muskan khila di.
"..maine kaha na mujhe teeno ka ravaiyya shuru se hi napasand tha...uncle Jay bhi unke chalte pareshan the....vahi sab tohne to vo unhe apne sath Borneo le gaye the us raat...inka to jana tay hai,Abdul...achha chalo..office me baat karenge."
shatrujeet Pasha se baat kar raha tha,kamini ko pasha ke jawab nahi sunai diye magar vo samajh gayi ki vo dono Jayant Puranik ke qatl ke waqt maujood Triveni ke un teeno employees ke bare me hi baate kar rahe the.vo jhat se bistar se uthi & apna nightgown pehan liya.
"good morning.",shatrujeet kamre me aaya.kamini ne dekha ki vo daftar jane ke liye taiyyar tha.
"good morning..sorry,mujhe uthne me thodi der ho gayi.",shatrujeet uske paas aa gaya tha & dono 1 dusre ki baahe thame aamne-samne khade the,"koi baat nahi!mujhe bhi aaj thoda jaldi jana tha isiliye maine to nashta bhi kar liya hai.",shatrujeet ne uske honth chume & apna coat kursi se utha liya,"kamini,tumhe kuchh chahiye to nahi?"
"nahi,kapde & baki zaruri saman to main parso nhi le aayi thi..haan!..magar jane do.."
"kya hua?bolo to."
"vo make-up ka saman lana bhul gayi thi....aaj sham ko lautate waqt ghar se le lungi."
shatrujeet hansa fir khamosh ho gaya,"kamini..agar chaho to Nandita ke dressing table se tum jo chaho le sakti ho..."
"nahi..koi pareshani ki baat nahi hai Jeet..",magar tabhi uske zehan me 1 khayal kaundha....usne shatrujeet & nandita ka kamra jaha nandita ka khun hua tha pehle bhi dekha tha magar 1 baar aur dekhne me kya harj tha,"..thik hai..main dekh lungi.."
"ok.",shatrujeet ne kamre me bane wardrobe ko khola & 1 daraj me se 1 chabhi nikal kar kamini ko thamayi,"..ye lo us kamre ki chabhi.",vo daftar ke liye nikal gaya.
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Kamini taiyyar ho shatrujeet ki di hui chabhi se darwaza khol kamre me dakhil hui.use 1 lipstick ki zarurat thi.dressing table ke samne stool pe baith ke usne uski daraje khol lipstick dhoondni shuru ki.1 daraj me use koi 10-12 lipsticks mili to kamini unhe khol kar apni zarurat ke rang ki lipstick khojne lagi.thodi hi der me use vo rang mil gaya.hotho pe use laga jab usne lipstick ko vapas rakh daraj band karni chahi to vo atak gayi.kamini ne dekha ki 1 lipstcik daraj & dressing table ke beech fansi hui hai,usne use khinch kar nikala.
aisi lipstick usne pehle kabhi nahi dekhi thi.halke grey color ki body pe kahi koi naam ya logo nahi tha.uska dhakkan bhi aam lipstick se chhota tha.usne dhakkan khola to paya ki andar bhure rang ki lipstick bhi kafi chhote size ki hai.usne ye soch kar lipstick ghumayi ki shayad thodi aur stick bahar aayi magar ye kya!..ghumane se lipstick to bahar nahi aayi balki uska neeche ka hissa khul gaya & kamini ki aankho ke samne USB drive aa gayi....wow!
aur kya tha is kamre me.police ne surag ke liye pura kamra chhana tha magar unke hath kuchh khas nahi laga tha & yaha kamini ko baithe-2 1 pen drive mil gayi thi!thodi der me usne pura dressing table chhan mara magar use kuchh aur nahi mila.vo stool se uthi & use pair se dhakel kar dressing table ke sheeshe ke neeche ghusane lagi.dressing table ki banawat aisi thi ki sheeshe ke neeche dono taraf daraje bani thi & bunke beech me stool ghus jata tha.
tabhi kamini ka dhyan stool pe gaya,usne uspe rakha cushion uthaya to uske neeche 1 dhakkan dikha.kamini ne sue uthaya to andar use singar ke saman ke alawa kuchh bills mile.vo unhe dekhne lagi & 1 bill pe uski nigah atak ke reh gayi.bill hatho me liye hue usne kamre ki chabhi ko dekha.shatrujeet ke pure ghar me custom made taale lage hue the yani ki 1 company ne uske ghar ke liye khas taale lagaye the & aise taale kisi aur ke liye nahi banaye gaye the.kamini ne chabhi ko gaur se dekha,kareeb 3 inch lambi steel ki chabhi ka head chamde se madha hua tha jispe 1 taraf SS & dusri taraf 1 likha hua tha.
bill pe us American company ka naam & pata likha hua tha.bill 1 duplicate chabhi ki banwai ki fees ka tha.company ne ghar me taale install karte waqt 2 chabhiya muhaiyya ki thi....yani ki 1 chabhi gum ho gayi thi & uski jagah 1 duplicate chabhi banwayi gayi thi.kamini ne kamre ke sabhi shelf & wardrobe chhan mara & uske hath jo laga us se use nandita ke qatl ki gutthi ka 1 sira sulajhta nazar aaya.wardrobe me 1 chabhiyo ke guchhe me use vo chabhi mil gayi jiske chamde ke head pe 1 taraf SS & dusri taraf 2 likha tha....jab dono chabhiya maujood thi to fir aakhir duplicate chabhi kyu banwayi gayi.kamini ne dono chabhiya,pendrive & bill apne purse me dala & kamre se nikal gayi.
thodi hi der baad kamini apni car ki pichhli seat pe baithi karan se milne ja rahi thi.usne apna laptop on kar nandita ki pen drive lagayi.drive ke icon pe click karte hi usne us se passwaord maanga....ab password kaha se laye vo?usne shatrujeet type kiya.message aaya: Incorrect Password.you have 4 more chances left.if you don't enter the correct password the drive will automatically format itself.
yani ki agar galat password dala gaya to uska sara data gayab ho sakta tha.is nayi uljhan se nipatne ki tarkeeb sochti kamini ki car police thane ke ahate me pahunch gayi.
Usne lock-up me Karan ke paas jane se pehle Mukul ko fone milaya,"hello,mukul?"
"ji,ma'am."
"main 1 ghante me office pahuchungi.tum aisa karo ki Mohsin ko bula lo."
"ok,ma'am."
Kamini karan ke paas pahunchi & thodi der tak uska haal puchhne ke baad Sheena ke mudde pe aa gayi,"sheena ne MBA ke pehle ki padhai vahi Avantipur se hi ki thi?"
"haan,A.P.College se..economics me graduation kar rahi thi..magar final year ka exam usne thoda der se diya tha."
"kyu?"
"vo bimar pad gayi thi."
"oh.kya hua tha?"
"pata nahi.is bare me kabhi usne tafsil se bataya nahi."
"tum dono ka rishta kasie shuru hua?"
"uski bua & meri chachi ki koshisho ki badaulat.dono chahte the ki hum 1 ho jayen isiliye hume humesha kisi na kisi bahane se milate rehte the."
"karan,tumhare & sheena ke beech sab thik to chal raha tha na?"
"haa,kyu?"
"nahi,vo achanak is tarah London se yaha aa gayi-.."
"-vo to mujhe surprise dene ke liye usne aisa kiya tha."
"achha,tum yaha the & vo vaha london me,fir to dono ko 1 dusre ke liye badi betabi hoti hogi?"
"haan,rozana hi hum fone pe baate karte the."
"achha,kaisi baate karte the tumlog..i mean kabhi fone pe jhagda vagairah to nahi hua?"
"nahi!nahi!..balki hum to-..",kuch kehte hue karan ruk gaya & zamin ki or dekhne laga.
"bolo,karan.",kamini ne uske hath pe apna hath rakha.
"humk fone pe har tarah ki baate karte the..",thodi der baad usne apni chuppi todi,"..yaha tak ki...yaha tak ki....fone sex bhi."
"oh!",yani inka rishta to achha ja raha tha magar..tabhi 1 aur insan ki aahat ne kamini ke khayalo ka silsila tod diya.kamini ne sar ghumaya to 1 buzurg insan khade the,"hello,main karan ka chacha Sanjiv Mehra hu & aap shayad advocate Kamini Sharan hain?"
"ji,haan.nice to meet you.",kamini uth khadi hui,"ok.karan main chalti hu."
"karan,main zara vakil sahiba ko chhod kar aata hu,fir hum baate karenge."
"thik hai,chachaji."
sanjiv mehra kamini ke sath bahar aane lage,"main kal hi london se yaha aaya.karan ke pita ko humne kuchh nahi bataya hai..darasal unki tabiyat kuchh thik nahi rehti..kamini ji,aapko kya lagta hai..kya hoga mere bhatije ka?"
"dekhiye,sir.main aapko jhuthi tasalli to nahi dungi!karan ke khilaf sare saboot bade pukhta hain magar main bhi aakhir tak koshish karungi & isme shayad mujhe aapki madad leni pad sakti hai.",karan ki baato se kamini ke dimagh me 1 naya khayal kulbulane laga tha.
"zarur,kamini ji!apne bhatije ke liye main kuchh bhi karunga."
"thik hai,sir..tab shayad hum karan ko yaha se nikal hi lenge.",kamini car me baith gayi to driver ne car uske daftar ki disha me badha di.
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Mohsin Jamal,35 baras ka lamba,khushdil insan jiska pesha tha jasoosi-vo is waqt kamini ke office me baitha mukul & Rashmi ko kuchh mazedar kisse suna raha tha jab kamini andar dakhil hui,"hello,kamini ji.",vo apni kursi se uth khada hua.
"hello,mohsin..aao..mukul tum bhi..rashmi,zara sabke liye kuchh thanda mangwa lo."
"ok,ma'am.",rashmi cold drinks ke intezam me lag gayi & baki teeno kamini ke chamber me aake baith gaye.thodi hi der me teeno apne-2 glasses se ghunt bhar rahe the jab kamini ne mudde ki baat chhedi,"mohsin,ye lo.",usne 1 lifafa aage kiya,"..ye hai Anthony Dias urf Tony-Shatrujeet Singh ka driver.."mohsin lifafe se tasveer nikal kar dekh raha tha,sath hi 2 kagaz bhi the,"..main iske bare me jo bhi janti hu isme likha hai..",usne kagazo ki or ishara kiya,"..tumhe saye ki tarah aaj se hi iske peechhe lag jan hai & humesha ki tarah hum teeno ke alawa kisi ko bhi is baat ki bhanak nahi lagni chahiye."
mohsin koi 23 baras ki umra se 1 jane-mane private detective ke sath kaam karne laga tha.30 baras ka hote-2 usne khud ki agency khol li thi & apne peshe ka jana hua naam ban gaya tha.kamini ki baat sun ke vo muskuraya,"sirf peechha karna hai?"
"filhal to bas peechha hi karo..",kamini ne 1 ghunt bhara,"..mohsin,mujhe shaq hai ye aadmi kisi aur ke liye kaam karta hai..to ho sakta hai vo kisi se mile.vo kis se milta hai,kaha jaata hai..kya baate karta hai..sabki report mujhe chahiye."
"ok,kamini ji.kaam shuru ho gaya samajhiye.",mohsin ne apna glass 1 saans me hi khali kar diya & uth khada hua to kamini ne apne bag me se 1 lifafa nikal ke use thamaya,"..tumhari pehli kisht mohsin.baki bhi tumhe samay pe mil jayengi."
"thank you.",mohsin jamal pakka professional tha-agar kaam pura nahi hota to vo client ki 1-1 pai vapas kar deta nahi to kaam ke shuru se ant tak client ko 4 kishto me uski fees deni hoti thi.
"dhyan rahe,mohsin.hum teeno ke alawa & koi na jaanane paaye.maine shatrujeet singh ko bhi is bare me kuchh nahi bataya hai."
"don't worry,kamini ji.",mohsin chamber se bahar nikal gaya.
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