Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट--17

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गहरी चाल पार्ट--17

षत्रुजीत उसके सीने पे गिर गया & उसकी नर्म,गद्देदार चूचियो को तकिया बना उनपे सर रख लंबी-2 साँसे भरने लगा.कामिनी भी हाँफ रही थी.उसने शत्रुजीत के सर को अपने हाथो मे ले लिए & उसके सर को चूमने लगी.

"तो जीत बुलाओगी तुम मुझे?",शत्रुजीत ने सर उठा कर उसकी आँखो मे झाँका.

"हां,इतनी प्यारी चीज़ का मलिक मेरा शत्रु तो हो ही नही सकता!",कामिनी का इशारा उसके लंड को ओर था जो सिकुड़ने के बावजूद उसकी चूत के अंदर था.दोनो हंस पड़े.शत्रुजीत ने उसके उपर से हटना चाहा तो कामिनी ने उसे रोक दिया,"थोड़ी देर ऐसे ही रहो ना,अच्छा लगता था."

शत्रुजीत ने झुक कर उसके गाल को चूम लिया.कामिनी उसके सीने के बालो मे हाथ फिरने लगी.माहौल फिर मस्त हो रहा था.थोड़ी ही देर बाद,शत्रुजीत का लंड खड़ा हो चुका था & वो 1 बार फिर कामिनी की चुदाई मे जुट गया.

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जगबीर ठुकराल अपनी ऐषगाह मे अकेला बेचैनी से चहलकदमी कर रहा था,उसने दीवार घड़ी को देखा-11 बज रहे थे,अभी तक माधो ने फोन क्यू नही किया था?!बेचैनी बढ़ी तो वो ऐषगाह से बाहर निकल लड़कियो के रहने के कमरो की ओर बढ़ा & उनमे से 1 मे दाखिल हो गया.

लड़की शायद नहा रही थी,बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.उसने हाथ मे पकड़ा मोबाइल मेज़ पे रखा & अपना ड्रेसिंग गाउन उतार मुस्कुराता हुआ बाथरूम मे घुस गया.

"हान्न्ह...!",शवर के नीचे खड़ी लड़की चौंक पड़ी क्यूकी ठुकराल ने उसे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ लिया था,"..ओह्ह..आप हैं...ऊओवव...!",ठुकराल ने उसके कान पे हौले से काट लिया.उसने उसकी च्चाटिया मसली तो लड़की ने हाथ पीच्चे ले जाके उसके सोए लंड को पकड़ लिया.ठुकराल उसकी नाभि कुरेदते हुए,उसकी जीभ से अपनी जीभ लड़ते हुए उसकी चूचिया मसल रहा था की तभी उसके कानो मे उसके मोबाइल बजने की आवाज़ आई.

वो भागता हुआ बाथरूम से निकला,"हेलो.",लड़की आके उसके पीछे से उस से चिपक गयी & अपने हाथो मे उसके लंड को थाम उसकी पीठ चूमने लगी.

"..बहुत अच्छे माधो!",उसने मोबाइल बंद किया & घूम कर लड़की को उठा कर उसके बिस्तर पे लिटा दिया & उसकी टांगे फैला उसकी चूत मे अपना लंड घुसाने लगा.

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कामिनी की नींद खुली तो उसने देखा की दिन बहुत चढ़ आया था.वो उठी तो उसने पाया की शत्रुजीत वाहा नही था.वो बिस्तर से उतर कर बाथरूम मे चली गयी.जब बाहर आई तो देखा की शत्रुजीत 1 कुर्सी पे बैठा अख़बार पढ़ रहा था.उसने 1 बाथिंग गाउन पहना हुआ था,शायद थोड़ी देर पहले ही वो नाहया था.

उसे देख शत्रुजीत ने अख़बार किनारे रखा दिया & उसके नंगे जिस्म को निहारने लगा.कामिनी उसके पास आई & उसके गले मे बाहे डाल उसे चूमने लगी.शत्रुजीत उसकी जंघे & पीठ सहलाते हुए उसकी किस का जवाब देने लगा कि उसका मोबाइल बजा.उसने किस तोड़ मेज़ से फोन उठाया,"हां,बेटा?...क्या?!..मैं अभी ऑफीस आ रहा हू."

"क्या हुआ?"

"तुम्हारी ज़रूरत पड़ी है,कामिनी.चलो,रास्ते मे सब बताता हू."

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"..तो ये है उस नत्थू राम का परिचय जिसके बारे मे उसकी बेटी ने आज पोलीस मे रपट लिखाई है कि वो गायब हो गया है .",दोनो पहले कामिनी के घर गये थे जहा उसने कपड़े बदले & अब शत्रुजीत की कार मे बैठे त्रिवेणी ग्रूप के दफ़्तर को जा रहे थे,"..चूँकि वो मुझे अपना घर बेच नही रहा था तो पोलीस को कुच्छ तो शक़ होगा ही,बस इसी सिलसिले मे वो मुझसे कुच्छ पुछ्ताछ करना चाहती है.जब अब्दुल को पता चला तो उसने उन्हे ऑफीस बुला लिया.",थोड़ी ही देर बाद कार ऑफीस के बाहर खड़ी थी.

"नत्थू राम कल दोपहर को बाज़ार के लिए निकला & फिर उसके बाद घर नही लौटा.उसकी बेटी दूसरे शहर से यहा चुट्टियो मे अपने बच्चो के साथ उसके पास आई थी.उसी ने पोलीस मे रिपोर्ट दर्ज कराई & साथ ही ये भी कहा कि वो आजकल परेशान था क्यूकी..",इनस्पेक्टर 1 पल के लिए रुका,"..क्यूकी आपलोग उसपे घर बेचने के लिए बहुत दबाव डाल रहे थे."

"इनस्पेक्टर,मेरी कंपनी के लोग..ये मेरा भाई अब्दुल & मैं खुद भी उस से मिल चुके थे & हर बार उसने मकान बेचने से इनकार ही किया था.इस से ज़्यादा ना हमने उस से कुच्छ कहा ना उसने हमसे.मेरी समझ मे ये नही आता की आप मुझसे उसके बारे मे क्यू पुच्छ रहे हैं.",षत्रुजीत सिंग ने इनस्पेक्टर की तरफ देख.उसके अलावा कमरे मे अब्दुल पाशा,जयंत पुराणिक & कामिनी मौजूद थे.

"इनस्पेक्टर,मैं कामिनी शरण,मिस्टर.सिंग की वकील हू.आप मेरे क्लाइंट से आगे कुच्छ पुच्छें,उसके पहले मैं आपको 1 बात बता देना चाहती हू.नत्थू राम सुभाष नगर मे अकेला आदमी था जिसे अपना मकान बेचने से ऐतराज़ था.बाकी सभी लोगो ने खुशी-2 अपने मकान बेच दिए सिवाय उसके.हम उसके खिलाफ कोर्ट मे केस करने वाले थे & हमे पूरा यकीन था की फ़ैसला हमारे ही हक़ मे होता.अब ऐसी सूरत मे मेरे क्लाइंट का उसके साथ कुच्छ गैर क़ानूनी करने की वजह मेरी समझ मे तो नही आती."

"देखिए वकील साहिबा,मैं रिपोर्ट दर्ज होते ही सीधे यहा नही आ गया हू.हमने पूरी तहकीकात कर ली है-ना ही उसका आक्सिडेंट हुआ है, और ना किसी हॉस्पिटल मे उसके भरती होने की खबर है.वो शराबी था,मगर आज तक उसने पी कर कोई बखेड़ा नही किया.दुनिया मे बेटी के सिवा उसका कोई रिश्तेदार नही,उस से & उसके ससुराल वालो से भी उसकी अच्छी बनती है.अगर किसी बात का उसे तनाव था तो वो यही मकान वाली बात हो सकती है.अब इस मे तो हमे यहा पुचहताच्छ करने आना ही था ना."

इनस्पेक्टर ने शत्रुजीत & पशा से उनकी नत्थू राम से की गयी मुलाक़ातो के बारे मे कुच्छ और सवाल किए & फिर चला गया.

"शत्रुजीत,मुझे ये मामला कुच्छ ठीक नही लग रहा."

"क्यू,अंकल जे?"

"पता नही.मुझे लगता है कि इसके पीछे किसी दुश्मन का हाथ है?"

"दुश्मन!कौन?!"

जवाब मे पुराणिक खामोश रहे मगर ऐसा लगता था जैसे उन्हे अंदाज़ा था कि वो दुश्मन कौन था.

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कामिनी अपनी सारी उठाए करण के ऑफीस के डेस्क पे झुकी हुई थी & वो नीचे बैठा उसके पीछे से उसकी चूत चाट रहा था,"..ऊवन्न्नह...करण,डर लग रहा है.कही कोई आ ना जाए."

दोनो ने साथ लंच किया था,उसके बाद करण ने उसे कार मे ऐसे गर्मजोशी से चूमा & उसके नाज़ुक अंग दबाए की दोनो बहुत गरम हो गये & उसके ऑफीस चले आए अपनी प्यास बुझाने के लिए,वैसे भी कामिनी आज रात उस से मिल नही सकती थी क्यूकी आज की रात वो 1 बार फिर शत्रुजीत की बाहो मे गुज़रने वाली थी,"घबराव मत,मेरी जान!कोई नही आएगा.",करण खड़ा हुआ & अपनी पॅंट खोल कर पीछे से लंड उसकी गीली चूत मे घुसाने लगा.लंड पूरा अंदर जाते ही वो झुक कर उसकी पीठ से सॅट गया,उसने हाथ आगे ले जाके ब्लाउस के उपर से ही उसकी चूचिया दबानी शुरू कर दी & धक्के लगाने लगा.उसके ऐसा करते ही कामिनी गर्दन घूमकर उसे चूमने लगी & उसकी चुदाई का मज़ा उठाने लगी.

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"माधो,तुम्हे उसे सबकी नज़रो से छुप के वाहा पहुचना है.मैं जानता हू तुम्हारे लिए ये बाए हाथ का खेल है मगर फिर भी सावधान रहना.",जगबीर ठुकराल फूलो से सजे बिस्तर पे अपनी रखैलो से घिरा बैठा था.1 उसके लंड को चूस रही थी & 2 उसके पीछे बैठी उसके सर & बदन को सहला रही थी.ठुकराल उनकी बड़ी,गोरी छातियो से टेक लगाके बैठा था.1 उसके पहलू मे बैठी अपने हाथो से उसे शराब पीला रही थी & 1 वाहा हाथो मे नोटो की गॅडी लिए खड़ी थी.सभी लड़कियो के बदन पे 1 पॅंटी के अलावा कोई कपड़ा नही था.

"आप फ़िक्र मत करे,हुज़ूर.",माधो पे जैसे इस गरम नज़ारे का कोई असर ही नही था.

"ये पैसे रख लो & उन दोनो को आगे का प्लान 1 बार फिर समझा देना.अब जाओ.",माधो ने पैसे लिए & अपने मालिक को हाथ जोड़ कर चला गया.ठुकराल ने उस खड़ी हुई लड़की को इशारा किया तो उस लड़की ने अपनी पॅंटी उतारी & उसके खड़े लंड को अपनी चूत मे घुसाते हुए उसकी गोद मे बैठने लगी.

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रात कामिनी फिर शत्रुजीत के साथ उसके बिस्तर मे नंगी पड़ी हुई थी.वो उसकी चूचिया दबा & चूस रहा था & वो अपना हाथ नीचे ले जाके उसके अंडे दबा रही थी,"जीत....उउउम्म्म्मम..!"

"ह्म्‍म्म..बोलो.",शत्रुजीत उसके निपल को अपने अंगूठे & उंगली के बीच पकड़ के मसल रहा था.

"..आननह..तुम्हे क्या लग..ता है..कोई तुम्हे फॅन..सा..ना च..आह रहा... है..?"

"पता नही.अंकल जे ऐसा सोचते हैं.अब्दुल को भी लगता है मगर मुझे अभी तक ऐसा कुच्छ नही लगता.",वो अब उसकी बड़ी-2 आँखो मे झाँकते हुए अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहा था.

कामिनी ने उसका हाथ अपनी चूत से अलग किया & उसे पलट के उसपे सवार हो उसके चेहरे को चूमने लगी,शत्रुजीत के हाथ उसकी पीठ से ले उसकी गंद तक फिसलने लगे,"1 बात पुच्छू?",वो उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए उसके गाल चूम रही थी,"..पुछो?"

"अब्दुल & तुम्हारा क्या रिश्ता है?",वो नीचे आ उसके सीने को चूम रही थी,"..पता है..",उसने सर उठा कर शत्रुजीत की आँखो मे देखा,"..मुझे उस से बहुत डर लगता है.."

"क्या?!हा..हा..हा..!",शत्रुजीत हंस पड़ा,"..अब्दुल से डर!...",कामिनी और नीचे जा उसके लंड को हाथो मे ले उसके आस-पास शत्रुजीत के पेट को चूम रही थी,"..वैसे मैं समझ सकता हू.केयी लोगो पे अब्दुल का ऐसा असर होता है,मगर वो बहुत अच्छा इंसान है,कामिनी.उस बेचारे की कहानी बहुत दर्द भारी है.",कामिनी उसके लंड को चूसने लगी थी.शत्ृजीत ने हाथ बढ़ा के उसकी बाई जाँघ को पकड़ के अपनी तरफ खींच के उसे अपने उपर 69 पोज़िशन मे ले लिया.अब कामिनी उसके उपर,उसके मुँह पे अपनी चूत दबाए उसके लंड को चूस रही थी.

"अब्दुल अफ़ग़ानिस्तान का रहने वाला है.वाहा हो रहे गृह-युद्ध ने उसके पिता की जान ले ली तो उसके चाचा ने उसे,उसकी बीमार मा & बेहन के साथ देल्ही ले जाने का फ़ैसला किया.उनके जाने से ठीक 1 दिन पहले 1 हवाई हमले मे अब्दुल की आँखो के सामने उसकी बहन की मौत हुई.",कामिनी ने लंड से सर उठा के गर्दन घुमा के शत्रुजीत को देखा,वो उसकी गंद को मसल्ते हुए 1 उंगली उसकी चूत मे अंदर-बाहर कर रहा था.

"..अब्दुल को अपनी बेहन से बहुत प्यार था & इस बात का उसपे गहरा सदमा पहुँचा.उसका चाचा उसे & अपनी भाभी को किसी तरह देल्ही तो ले आया मगर उसे वापस किसी काम से आफ्गानिस्तान लौटना पड़ा.उसके बाद से उसके चाचा की आज तक कोई खबर नही है...",कामिनी ने वापस अपने होंठ उसके लंड पे कस दिए,"..आअहह..",शत्रुजीत ने आह भरी,"..यहा 1 हॉस्पिटल मे इलाज करने पे पता चला की उसकी मा को कॅन्सर है.11 साल के अब्दुल की कुच्छ समझ मे नही आ रहा था की वो इन मुश्किलो का सामना कैसे करे.इसी समय किसी रिपोर्टर को उसके बारे मे पता चला & उसने उसकी कहानी अख़बार मे छाप दी...",शत्रुजीत ने उसकी गंद की फांको को अपने हाथो मे मसल्ते हुए उसकी चूत पे अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया,"..आअनंह..ऊओईय्यीए...",कामिनी उसके लंड को मसल्ते हुए,आहे भरती हुई अपनी कमर बेचैनी से हिलाने लगी.

थोड़ी देर चूत को चाटने के बाद शत्रुजीत ने अपनी ज़ुबान उसकी चूत से अलग की,"..पिताजी उस वक़्त देल्ही मे ही थे.कहानी सुनते ही वो फ़ौरन अब्दुल से मिले & उसकी मा के इलाज का पूरा खर्चा उठाया,मगर वो बच नही सकी.इसके बाद अब्दुल दुनिया मे अकेला रह गया..",शत्रुजीत बोलते हुए उसके चूत के दाने को उंगली से रगड़ रहा था,"..पिताजी ने बहुत कोशिश की मगर उसके चाचा या किसी & रिश्तेदार का कोई पता नही चला.",कामिनी अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी.उसने उठाते हुए शत्रुजीत की पकड़ से अपनी कमर को खींचा & आगे सरक के अपने हाथ से पकड़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले,उसकी ओर पीठ किए बैठ कर उच्छल-2 कर उसे चोदने लगी.

"..पिताजी को उस से बहुत लगाव हो गया था & फिर वो उसे यहा ले आए.हम सब ने उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया.मेरी ज़िंदगी मे भी छ्होटे भाई की कमी पूरी हो गयी.वो पिताजी को भी अब्बू बुलाता था & मुझे भी भाई ही कहता है.अगर खुद के बाद मुझे किसी पे भरोसा है कामिनी तो वो अब्दुल ही है.",वो उसकी गंद को सहला रहा था,"..मगर शायद उसने लड़ाई के दौरान इंसान का जो घिनोना रूप देखा है,जो खून-ख़राबा देखा है...उसने उसकी आँखो & उसकी शख्सियत मे 1 ठंडा पन भर दिया है..शायद वही है जो लोगो की घबराहट का सबब बन जाता है.",कामिनी अब बहुत तेज़ी से उच्छल रही थी,शत्रुजीत उठा & पीछे से अपनी प्रेमिका को जाकड़ उसकी बड़ी,मोटी चूचियो को हाथो मे भर उसकी कसी चूत का लुत्फ़ उठाने लगा.

क्रमशः..................


GEHRI CHAAL paart--17

Shatrujeet uske seene pe gir gaya & uski narm,gaddedar chhatiyo ko takiya bana unpe sar rakh lambi-2 saanse bharne laga.Kamini bhi hanf rahi thi.usne shatrujeet ke sar ko apne hatho me le liye & uske sar ko chumne lagi.

"to jeet bulaogi tum mujhe?",shatrujeet ne sar utha kar uski aankho me jhanka.

"haan,itni pyari chiz ka malik mera shatru to ho hi nahi sakta!",kamini ka ishara uske lund ko or tha jo sikudne ke bavjood uski chut ke andar tha.dono hans pade.shatrujeet ne uske upar se hatna chaha to kamini ne use rok diya,"thodi der aise hi raho na,achha lagta tha."

shatrujeet ne jhuk kar uske gaal ko chum liya.kamini uske seene ke baalo me hath firane lagi.mahaul fir mast ho raha tha.thodi hi der baad,shatrujeet ka lund khada ho chuka tha & vo 1 bar fir kamini ki chudai me jut gaya.

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Jagbir Thukral apni aishgah me akela bechaini se chahalkadmi kar raha tha,usne deewar ghadi ko dekha-11 baj rahe the,abhi tak Madho ne fone kyu nahi kiya tha?!bechaini badhi to vo aishgah se bahar nikal ladkiyo ke rehne ke kamro ki or badha & unme se 1 me dakhil ho gaya.

ladki shayad naha rahi thi,bathroom se pani girne ki aavaz aa rahi thi.usne hath me pakda mobile mez pe rakha & apna dressing gown utar muskurata hua bathroom me ghus gaya.

"haannh...!",shower ke neeche khadi ladki chaunk padi kyuki thukral ne use peechhe se apni baaho me jakad liya tha,"..ohh..aap hain...oooww...!",thukral ne uske kaan pe haule se kaat liya.usne uski chhatiya masli to ladki ne hath peechhe le jake uske soye lund ko pakad liya.thukral uski nabhi kuredte hue,uski jibh se apni jibh ladate hue uski choochiya masal raha tha ki tabhi uske kano me uske mobile bajne ki aavaz aayi.

vo bhagta hua bathroom se nikla,"hello.",ladki aake uske peechhe se us se chipak gayi & apne hatho me uske lund ko tham uski pith chumne lagi.

"..bahut achhe madho!",usne mobile band kiya & ghum kar ladki ko utha kar uske bistar pe lita diya & uski taange faila uski chut me apna lund ghusane laga.

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kamini ki neend khuli to usne dekha ki din bahut chadh aaya tha.vo uthi to usne paya ki shatrujeet vaha nahi tha.vo bistar se utar kar bathroom me chali gayi.jab bahar aayi to dekha ki shatrujeet 1 kursi pe baitha akhbar padh raha tha.usne 1 bathing gown pehna hua tha,shayad thodi der pehle hi vo nahaya tha.

use dekh shatrujeet ne akhbar kinare rakha diya & uske nange jism ko niharne laga.kamini uske paas aayi & uske gale ma baahe daal use chumne lagi.shatrujeet uski janghe & pith sehlate hue uski kiss ka jawab dene laga ki uska mobile baja.usne kiss tod mez se fone uthaya,"haan,beta?...kya?!..main abhi office aa raha hu."

"kya hua?"

"tumhari zarurat padi hai,kamini.chalo,raste me sab batata hu."

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"..to ye hai us Natthu Ram ka parichay jiske bare me uski beti ne aaj police me rapat likhayi hai ki vo gayab ho gaya hai .",dono pehle kamini ke ghar gaye the jaha usne kapde badle & ab shatrujeet ki car me baithe Triveni group ke daftar ko ja rahe the,"..chunki vo mujhe apna ghar bech nahi raha tha to police ko kuchh to shaq hoga hi,bas isi silsile me vo mujhse kuchh puchhtachh karna chahti hai.jab Abdul ko pata chala to usne unhe office bula liya.",thodi hi der baad car office ke bahar khadi thi.

"Natthu Ram kal dopahar ko bazar ke liye nikla & fir uske baad ghar nahi lauta.uski beti dusre shahar se yaha chhuttiyo me apne bachcho ke sath uske paas aayi thi.usi ne police me report darj karai & sath hi ye bhi kaha ki vo aajkal apreshan tha kyuki..",inspector 1 pal ke liye ruka,"..kyuki aaplog uspe ghar bechne ke liye bahut dabav daal rahe the."

"inspector,meri company ke log..ye mera bhai Abdul & main khud bhi us se mil chuke the & har baar usne makan bechne se inkar hi kiya tha.is se zyada na humne us se kuchh kaha na usne humse.meri samajh me ye nahi aata ki aap mujhse uske bare me kyu puchh rahe hain.",Shatrujeet Singh ne inspector ki taraf dekh.uske alawa kamre me Abdul Pasha,Jayant Puranik & Kamini maujood the.

"inspector,main Kamini Sharan,mr.singh ki vakil hu.aap mere client se aage kuchh puchhen,uske pehle main aapko 1 baat bata dena chahti hu.natthu ram Subhash Nagar me akela aadmi tha jise apna makan bechne se aitraz tha.baki sabhi logo ne khushi-2 apne makan bech diye siway uske.hum uske khilaf court me case karne vale the & hume pura yakeen tha ki faisla humare hi haq me hota.ab aisi surat me mere client ka uske sath kuchh gair kanooni karne ki vajah meri samajh me to nahi aati."

"dekhiye vakil sahiba,main report darj hote hi seedhe yaha nahi aa gaya hu.humne puri tehkikat kar li hai-na hi uska accident hua hai,an kisi hospital me uske bharti hone ki khabar hai.vo sharabi tha,magar aaj tak usne pi kar koi bakheda nahi kiya.duniya me beti ke siwa uska koi rishtedar nahi,us se & uske sasural valo se bhi uski achhi banti hai.agar kisi baat ka use tanav tha to vo yehi makan vali baat ho sakti hai.ab iase me to hume yaha puchhtachh karne aana hi tha na."

inspector ne shatrujeet & pasha se unki natthu ram se ki gayi mulakato ke bare me kuchh aur sawal kiye & fir chala gaya.

"shatrujeet,mujhe ye mamla kuchh thik nahi lag raha."

"kyu,uncle jay?"

"pata nahi.mujhe lagta hai ki iske peechhe kisi dushman ka hath hai?"

"dushman!kaun?!"

jawab me puranik khamosh rahe magar aisa lagta tha jaise unhe andaza tha ki vo dushman kaun tha.

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kamini apni sari uthaye Karan ke office ke desk pe jhuki hui thi & vo neeche baitha uske peechhe se uski chut chaat raha tha,"..ooonnnhhh...karan,darr lag raha hai.kahi koi aa na jaye."

dono ne sath lunch kiya tha,uske baad karan ne use car me aise garmjoshi se chuma & uske nazuk ang dabaye ki dono bahut garam ho gaye & uske office chale aaye apni pyas bujhane ke liye,vaise bhi kamini aaj raat us se mil nahi sakti thi kyuki aaj ki raat vo 1 baar fir shatrujeet ki baaho me guzarne vali thi,"ghabrao mat,meri jaan!koi nahi aayega.",karan khada hua & apni pant khol kar peechhe se lund uski gili chut me ghusane laga.lund pura andar jate hi vo jhuk kar uski pith se sat gaya,usne hath aage le jake blouse ke upar se hi uski chhatiyya dabani shuru kar di & dhakke lagane laga.uske aisa karte hi kamini gardan ghumakar use chumne lagi & uski chudai ka maza uthane lagi.

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"Madho,tumhe use sabki nazro se chhupa ke vaha pahuchana hai.main janta hu tumhare liye ye baaye hath ka khel hai magar fir bhi savdhan rehna.",Jagbir Thukral phoolo se saje bistar pe apni rakhailo se ghira baitha tha.1 uske lund ko chus rahi thi & 2 uske peechhe baithi uske sar & badan ko sehla rahi thi.thukral unki badi,gori chhatiyo se tek lagake baitha tha.1 uske pahlu me baithi apne hatho se use sharab pila rahi thi & 1 vaha hatho me noto ki gaddi liye khadi thi.sabhi ladkiyo ke badan pe 1 panty ke alawa koi kapda nahi tha.

"aap fikr mat kare,huzur.",madho pe jaise is garam nazare ka koi asar hi nahi tha.

"ye paise rakh lo & un dono ko aage ka plan 1 baar fir samjha dena.ab jao.",madho ne paise liye & apne malik ko hath jod kar chala gaya.thukral ne us khadi hui ladki ko ishara kiya to us ladki ne apni panty utari & uske khade lund ko apni chut me ghusate hue uski god me baithne lagi.

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raat kamini fir shatrujeet ke sath uske bistar me nangi padi hui thi.vo uski choochiyaa daba & chus raha tha & vo apna hath neeche le jake uske ande daba rahi thi,"jeet....uuummmmm..!"

"hmmm..bolo.",shatrujeet uske nipple ko apne anguthe & ungli ke beech pakad ke masal raha tha.

"..aannhhh..tumhe kya lag..ta hai..koi tumhe phan..sa..na ch..ah raha... hai..?"

"pata nahi.uncle jay aisa sochte hain.abdul ko bhi lagta hai magar mujhe bahi tak aisa kuchh nahi lagta.",vo ab uski badi-2 aankho me jhankte hue apni ungli se uski chut maar raha tha.

kamini ne uska hath apni chut se alag kiya & use palat ke uspe savar ho uske chehre ko chumne lagi,shatrujeet ke hath uski pith se le uski gand tak fisalne lage,"1 baat puchhu?",vo uske seene pe bechaini se hath firate hue uske gaal chum rahi thi,"..puchho?"

"abdul & tumhara kya rishta hai?",vo neeche aa uske seene ko chum rahi thi,"..pata hai..",usne sar utha kar shatrujeet ki aankho me dekha,"..mujhe us se bahut darr lagta hai.."

"kya?!haa..haa..haa..!",shatrujeet hans pada,"..abdul se darr!...",kamini aur neeche ja uske lind ko hatho me le uske aas-paas shatrujeet ke pet ko chum rahi thi,"..vaise main samajh sakta hu.kayi logo pe abdul ka aisa asar hota hai,magar vo bahut achha insan hai,kamini.us bechare ki kahani bahut dard bhari hai.",kamini uske lund ko chusne lagi thi.shatrujeet ne hath badha ke uski baayi jangh ko pakad ke apni taraf kheench ke use apne upar 69 position me le liya.ab kamini uske upar,uske munh pe apni chut dabaye uske lund ko chus rahi thi.

"abdul Afghanistan ka rehne vala hai.vaha ho rahe grih-yuddh ne uske pita ki jaan le li to uske chacha ne use,uski bimar maa & behan ke sath Delhi le jane ka faisla kiya.unke jane se thik 1 din pehle 1 hawai humle me abdul ki aankho ke samne uski bahan ki maut hui.",kamini ne lund se sar utha ke gardan ghuma ke shatrujeet ko dekha,vo uski gand ko masalte hue 1 ungli uski chut me andar-bahar kar raha tha.

"..abdul ko apni behan se bahut pyar tha & is baat ka uspe gehra sadma pahuncha.uska chacha use & apni bhabhi ko kisi tarah delhi to le aaya magar use vapas kisi kaam se afghanistan lautna pada.uske baad se uske chacha ki aaj tak koi khabar nahi hai...",kamini ne vapas apne honth uske lund pe kas diye,"..aaahhhhh..",shatrujeet ne aah bhari,"..yaha 1 hospital me ilaj karane pe pata chala ki uski maa ko cancer hai.11 saal ke abdul ki kuchh samajh me nahi aa raha tha ki vo in mushkilo ka samna kaise kare.isi samay kisi reporter ko uske bare me pata chala & usne uski kahani akhbar me chhap di...",shatrujeet ne uski gand ki phanko ko apne hatho me masalte hue uski chut pe apni jibh chalana shuru kar diya,"..aaannhh..oooiiyyeee...",kamini uske lund ko masalte hue,aahe bharti hui apni kamar bechaini se hilane lagi.

thodi der chut ko chaatne ke baad shatrujeet ne apni zuban uski chut se alag ki,"..pitaji us waqt delhi me hi the.kahani sunte hi vo fauran abdul se mile & uski maa ke ilaj ka pura kharcha uthaya,magar vo bach nahi saki.iske baad abdul duniya me akela reh gaya..",shatrujeet bolte hue uske chut ke dane ko ungli se ragad raha tha,"..pitaji ne bahut koshish ki magar uske chacha ya kisi & rishtedar ka koi pata nahi chala.",kamini ab puri tarah se mast ho chuki thi.usne uthste hue shatrujeet ki pakad se apni kamar ko khincha & aage sarak ke apne hath se pakad uske lund ko apni chut me le,uski or pitha kiye baith kar uchhal-2 kar use chodne lagi.

"..pitaji ko us se bahut lagav ho gaya tha & fir vo use yaha le aaye.hum sab ne use apne parivar ka hissa bana liya.meri zindagi me bhi chhote bhai ki kami puri ho gayi.vo pitaji ko bhi abbu bulata tha & mujhe bhi bhai hi kehta hai.agar khud ke baad mujhe kisi pe bharosa hai kamini to vo abdul hi hai.",vo uski gand ko sehla raha tha,"..magar shayad usne ladai ke dauran insan ka jo ghinona roop dekha hai,jo khoon-kharaba dekha hai...usne uski aankho & uski shakhsiyat me 1 thandapan bhar diya hai..shayad vahi hai jo logo ki ghabrahat ka sabab ban jata hai.",kamini ab bahut tezi se uchhal rahi thi,shatrujeet utha & peechhe se apni premika ko jakad uski badi,moti choochiyo ko hatho me bhar uski kasi chut ka lutf uthane laga.












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