Saturday, June 19, 2010

गर्ल'स स्कूल पार्ट --9

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गर्ल्स स्कूल पार्ट -9

शमशेर को डी.ओ. ऑफीस जाना था; कुच्छ कागजात लाने के लिए, क्यूंकी अंजलि च्छुटी पर थी... वो लॅब से निकलने ही वाला था की नेहा ने प्रयोगशाला में प्रवेश किया; सेक्स लॅबोरेटरी में, "मे आइ कम इन सर?"
शमशेर: यस, कम इन!
नेहा आकर शमशेर के साथ खड़ी हो गयी; शमशेर को जब भी मौका मिलता था, नेहा के पिच्छवाड़े पर हाथ सॉफ कर देता... और उसको फिर अपनी प्यास बुझाने बाथरूम जाना पड़ता... आज नेहा फ़ैसला कर के आई थी; आर या पार," सर, आप ऐसे मत किया करें!
शमशेर: कैसे ना किया करूँ?
नेहा: वो सर... वो आप ... यूँ... यहाँ हाथ लगा देते हो; नेहा ने अपनी गांद की तरफ इशारा करके कहा; वो हज़ारो में एक थी... अभी तक कुँवारी!
शमशेर: ठीक है; सॉरी, आइन्दा नही करूँगा!
नेहा: नही सिर, मैं आपको ऐसा नही कह रही.
शमशेर मुस्कुराया," तो कैसा कह रही हो नेहा?" उसने नेहा के एक चूतड़ को अपने हाथ से मसल दिया!
"आ...सर!"
शमशेर: क्या?... शमशेर ने फिर वैसी ही हरकत की; बल्कि इश्स बार तो उसने अपनी उंगली उसकी चूत के 'बॉर्डर' तक पहुँचा दी...
नेहा: प्लीज़ सर, मैं बेकाबू हो जाती हूँ, मेरा ध्यान हमेशा आप पर ही रहता है... कुच्छ करिए ना... इसका इलाज!... उसके पैर खुल गये थे.. और ज़्यादा मज़ा लेने को.
शमशेर को जल्दी निकलना था," ओके. कल छुट्टी के बाद यहीं मिलना... कर देता हूँ इसका इलाज.." शमशेर बाहर चला गया और नेहा अंदर.... बाथरूम में!"

ऑफीस से गाँव वापस आते हुए शमशेर के साथ कोई और भी था... उसका दोस्त... मुझे नाम तो पता नही पर शमशेर उसको 'टफ' कह रहा था... टफ007...

"तो मुझे कितने दिन के लिए ले जा रहे हो?" मिस्टर. टफ ने कहा. नाम के मुताबिक ही वा सच में सख़्त था... बिल्कुल टफ! शमशेर जितना लंबा... शमशेर जितना हेल्ती और शमशेर से सुदर... उसकी उमर करीब 25 की थी.

शमशेर: जीतने दिन चाहो! तेरा ही घर है पगले!
टफ: यार; तू भी ना, ऐसे टाइम पर खींच लेता है, अपने साथ... आज कल कितना बोझ है ड्यूटी का. वो क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्तेर था," और सुना तेरी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है... सुधरेगा या नही...
शमशेर ने कहा," नही!" और दोनों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे! तभी अचानक शमशेर ने ब्रेक लगा दिए," देख तुझे एक मस्त मेडम से मिलता हूँ"
शीशा खोल कर शमशेर ने आवाज़ दी," अरे मेडम यहाँ कैसे?" प्यारी मेडम खड़ी थी! शमशेर ने उसको लिफ्ट के लिए ऑफर किया. प्यारी आकर गाड़ी में बैठ गयी," अरे भैया! सब तुम्हारी ही मेहरबानी है! दिशा को इतनी सी सज़ा देने पर तुमने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दिलवा दी! अब यहाँ आती हूँ रोज 20 किलो मीटर" अब तुम्हारे जैसे दयावान रोज तो नही मिलते ना... और ये तेरा भाई है क्या?
शमशेर: भाई जैसा ही है मेडम! क्यूँ?

प्यारी: शादी हो गयी इसकी या तेरी तरह खुद पका खा रहा है....

शमशेर: कहाँ मेडम; हम शादी के लायक कहाँ हैं... शमशेर की टोन सेक्सी थी... प्यारी ताड़ गयी... और उसने किया ही क्या था आज तक!
प्यारी: भैया तुम भरी जवानी में ऐसे कैसे रहते हो... प्यारी ने अपनी ब्रा को ठीक किया...
शमशेर: तैयार हो जाओ टफ भाई... इसके पाप तो तुझे ही धोने पड़ेंगे!
प्यारी: क्या मतलब?
शमशेर: कुच्छ नही; पर्सनल बात है कुच्छ...


प्यारी: अरे सही तो कह रही हूँ भैया; इंसान की और भी ज़रूरतें होती हैं... रोटी, कपड़ा; मकान के अलावा... जवान मर्द हो, लड़कियाँ कितनी दीवानी रहती होंगी ना तुम जैसों की तो!

टफ ने इशारा किया. शमशेर ने गाड़ी रोक दी. टफ उतार कर पीछे जा बैठा," सही कह रही हैं आंटी जी!" उसने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया!
प्यारी: अरे! तेरे को तो बोलने की ही तमीज़ ना है.. मैं क्या.... आंटी दिखाई देती हूँ तेरे को; ज़रा एक बार उपर से नीचे तो देख.

टफ: हाए.......और क्या बोलूं........ आंटी

प्यारी: फिर से...! अरे मेरे आगे तो कुँवारी लड़कियाँ भी पानी भरती हैं.... सरिता भी मुझसे जलती है!... वैसे नाम क्या है तेरा... मैं तो तुझे नाम से ही बोलूँगी!.... तू चाहे तो मुझे 'प्यारी कह सकता है... मेरा नाम है प्यारी...

टफ: मुझे 'प्यारा' कहते हैं प्यारी... और उसने प्यारी की जांघों पर रखे अपने हाथ को अंदर की तरफ घुसा दिया.... प्यारी ने उसका हाथ दोनों हाथों से पकड़ लिया....," धात ये भी कोई जवानी दिखाने की जगह है.... कभी हवेली पर आना.. दिखती हूँ मैं... क्या चीज़ हूँ!

टफ उसका सिग्नल मिलते ही उसकी 40" की कसी हुई चूचियों को दोनों हाथों में जैसे लपक लिया," ट्रेलर तो देख ही सकता हूँ प्यरी !"

इतने मजबूत हाथो में खुद को जकड़ा पाकर प्यारी धन्य हो गयी... उसने अपना सूट उपर उठा दिया... और ब्रा नीचे सरका दी, उसकी चूचियाँ सच में ही कुँवारियों को भी पानी पीला सकती थी! छ्होटे पपीते के आकर की प्यारी की छातिया और उन्न पर तने हुए उसके अंगूर जैसे निप्पल्स ने टफ को सिसकारी भरने पर मजबूर कर दिया!


गाड़ी चलती रही... हौले हौले!

टफ उसकी छतियो पर नहा धोकर टूट पड़ा... दोनों हाथो से वो प्यारी पर प्यार लूटा रहा था... मजबूती से... प्यारी को भी ऐसे ही मर्दों को अपनी सवारी करना पसंद था," तू अपना तो ट्रेलर दिखा दे रे प्यारे!" कहकर उसने टफ की पॅंट के उपर से ही उसके मोटे, लूंबे, अब तक टाइट हो चुके उसके लॅंड को पकड़ लिया; मजबूती से, मानो एलान कर दिया हो "अब गियर वही बदलेगी.... वही चलाएगी अब प्यार की गाड़ी!"

प्यारी ने जीप खोली और टफ के 'टफ' लंड को चेक करने लगी," अरे तुम शहर वोलोन का लौदा तो बड़ा प्यारा होता है... सॉफ सुत्हरा... गाँव में तो साले लंड के साथ अपने बॉल भी बॅट देते हैं... और उसने बिना बालों वाला 'लाउडा' अपने गले तक उतार दिया... और उस्स पर इतनी शख़्ती से दाँत गाड़ा दिए.. की टफ को लगा... वो काट कर गिर पड़ेगा... उसने प्यारी को एक ही झटके में अपने से दूर फाँक दिया," साली कुतिया... अपने साथ ही ले जाएगी क्या इसको.." और अपने हाथ ही जैसे सलवार के उपर से ही उसकी चूत में घुसा दिया!
"ऊईइ मार दी रे... तरीका भी नही पता क्या साले रंडवे! रुक जा, पहले अपना लौदा खिला दे फिर इसको चाहे काट कर अपने साथ ले जाना.

टफ ने उसका सिर पकड़ा और नीचे झुककर अपने लंड को उसके मुँह में भर दिया... गले तक... जैसे बोतल के मुँह पर कॉर्क फिट कर दिया हो!

प्यारी अंदर ही अंदर छ्टपटाने लगी.. टफ की इश्स अनोखे बदले से छुटकारा पाना प्यारी के वश की बात ना थी... वो इधर उधर बदहवासी में हाथ मारने लगी!

"आबे जान लेगा क्या इसकी, टफ ने आगे देखते देखते कहा...," छ्चोड़ दे इसको, मर जाएगी."

"मर जाएगी तो मर जाएगी साली.... लावारिस दिखा के फूँक देंगे साली को... और उसने प्यारी देवी को छ्चोड़ दिया... अब उसकी हिम्मत भी ना हो रही थी उसके लौदे की और देखने की... उसने अपनी सलवार का नाडा खोला और पैर 'प्यारे के आगे खोल दिए!

"मस्त माल है भाई... अभी तक गॅरेंटी में ही था लगता है... तू गाड़ी वापस ले ले! इसको आज ही एक्सपाइर कर दूँगा!

शमशेर ने गाड़ी सीधी स्कूल में ले जाकर घुसा दी और उन्न दोनों को "उसी प्यार की प्रयोगशाला" में क़ैद करते हुए बोला..." टफ, आराम से करना... जान से मत मार देना.... मैं 1 घंटे में आउन्गा" कहकर वह लॅब का ताला लगाकर चला गया!

अंदर आते ही टफ ख़ूँख़ार भेड़िए की तरह प्यार करने को आतुर प्यारी देवी पर टूट रहा था. वा ये गाना गुनगुना रहा था... हम तूमम्म इक कमरे में बंद हूऊओ, और.....!

"ठ्हहर तो जा निकम्मे; कभी लड़की देखी नही क्या?"

"देखी हैं... पर तेरे जैसी जालिम नही देखी"... टफ को पता था... औरत और लड़की की सबसे बड़ी कमज़ोरी.. अपनी प्रशंसा सुन-ना होती है.

प्यारी ने झट से अपने कपड़े उतार दिए... उसका भरा भरा शरीर, 40" तनी लगभग तनी हुई चुचियाँ, मोटी मोटी जांघें, जाँघो के बीच डुबकी बॉल सॉफ की हुई... मोटी मोटी फांको वाली चूत, करीब 46" की डबल गांद और उसके बीचों बीच कसे हुए चूतदों की वजह से बनी गहरी घाटी को देख टफ अपना आपा खो बैठा... उसमें शमशेर जितना कंट्रोल नही था... उसने झट से प्यारी की एक टाँग उठा कर टेबल के उपर रख दी. प्यारी की गांद फटने को हो गयी... उसकी चूत गांद के बीच में से झहहांक रही थी... टफ की और...
टफ ने घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी... अंदर तक...
अपनी मोटी जांघों की वजह से प्यारी को ये आसान पसंद नही आ रहा था.. उसने उतने की कोशिश करी पर टफ ने उसको मैंने की तरह दबोच रखा था... एक मोटा मैमना!

"जान से मरेगा क्या? तेरी... कुत्ते ... आ.. एक बार छ्चोड़ दे... सीधी... आ.. होकर लेट लेने दे जालिम.... अपनी चूत में रेसीली जीभ को घुसा पाकर वा आपा खोती जा रही थी... पर टाँगों का दर्द उसको परेशान कर रहा था... लेकिन टफ उसके साथ किसी तरह की रियायत के मूड में नही था... उसने जीभ अंदर तो घुसा ही रखी थी... अपनी उंगली उसकी गांद के काले हो चुके च्छेद में घुसा दी...

"हाइयी मा.. सारा मज़ा खुद ही लेगा क्या... मुझे भी तो लेने दे... प्यारी का भी तो ख़याल रख... सीधा होने दे साले... " प्यारी देवी जवान खून के आगे अपने घुटने टेक दिए... वो अब उठने की कोशिश नही कर रही थी.. हाँफ रही थी.. और विनती करके अपने लिए थोड़ी दया की भीख माँग रही थी... उसका सिर टेबल से लगा हुआ था और उसकी चुचियाँ टेबल में जैसे घुसी हुई थी... उसको तने हुए अपने निप्पालों के टेबल से रग़ाद खाने की वजह दर्द हो रहा था.

टफ अपनी उंगली इतनी तेज़ी से उसकी गांद में पेल रहा था की लगता था जैसे प्यारी के च्छेद में मोटर से चलने वाली कोई रोड अंदर बाहर हो रही हो... उसको अब बोलने का भी अवसर नही मिल रहा था... आख़िरकार, उसकी चूत "रोने" लगी... वो गाढ़े गाढ़े आँसू टपकाने लगी... टफ इश्स रस का सौकीन था... उसने रस ज़मीन पर नही टपकने दिया...

उसके बाद प्यारी को थोड़ी देर के लिए राहत मिली," मार ही दिया था तूने तो... क्या नाम है तेरा! टफ को उसकी सुननी नही थी.. अपनी करनी थी! प्यारी को पलट कर टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी सलवार उठा ली.

सलवार का एक कोना अपनी उंगली से लपेट कर उसने प्यारी की टाँगो को ऊपर उठा कर फिर से उनको चौड़ा कर दिया...और कपड़े से ढाकी उंगली को उसकी गांद में घुसेड दिया!
" ये क्या कर रहा है तू? पागल है क्या... मैं कहाँ फँस गयी रे अम्मा!"

टफ उसकी चूत को अंदर से सॉफ कर रहा था.. बिल्कुल सूखी! उसको दर्द देकर मज़ा लेने में ही आनद आता था... और प्यारी की गीली चूत में दर्द कहाँ होता.

टफ ने टाइम वेस्ट नही किया.. अपनी उंगली निकाल दी और अपने लंड को आज़ाद करके उसकी मुँह बाए पड़ी चूत में धकेल दिया.... चूत बिल्कुल सूखी होने की वजह से जैसे प्यारी की प्यासी की दीवारें छिल गयी.. वो कराह उठी.. फिर से छ्टपटाने लगी.. पर आज़ाद ना हो पाई...

टफ में कमाल की तेज़ी सी... लंड इतनी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था की जैसे प्यारी में भूकंप आया हो... शमशेर ने देखा उसकी मोटी चूचियाँ बुरी तरह हिल रही हैं... प्यारी देवी कुतिया की तरह भोंके जा रही थी, पर टफ को उस्स वक़्त कुच्छ नही सुन रहा था.. वो टेबल पर ही चढ़ बैठा.. प्यारी को और आगे धकेल कर... अब प्यारी देवी के खुल चुके बॉल और उसकी गर्दन दोनों ही नीचे लटक रहे थे.

टफ ने उसकी टाँगो के दोनो और से अपने हाथ निकाल कर उसकी चूचियों को मजबूती से बुरी तरह जाकड़ लिया.. और फिर वैसे ही झटके शुरू कर दिए.. अब उसकी चूचियाँ हिल नही रही थी.. पर टफ की जाकरने में वो और भी व्याकुल हो उठी. बकती बकती प्यारी की चूत को उस्स वक़्त ही आराम मिल पाया जब उसकी चूत फिर से गीली हो गयी... पर अब जैसे ही टफ का लंड उसकी चूत में फिसलने सा लगा... टफ का मज़ा कूम हो गया....करीब 20 मिनिट बाद..!

पर उसको मज़ा लेना आता था... दर्द देकर.. उसने तुरंत उसकी चूत में से लंड निकाल लिया...
"कर ना साले... अभी तक तो तू मेरी मा चोद रहा था... और अब मज़ा आने लगा तो तूने निकाल दिया... फाड़ दे साले मेरी चू...
"ये तो पहले ही फटी पड़ी है... इसको ये 8" और क्या फड़ेगा! इसके लिए तो मुझे कोई मूसल लाना पड़ेगा.... ळाउ क्या?"

"नही रे! मर जाउन्गि... बस तू मुझे अब छ्चोड़ दे जाने दे!"

ऐसे कैसे जाने देता... टफ ने उसको पकड़ कर फिर से उसी पोज़िशन में ला दिया जिस पोज़िशन में वो पहले थी... उसकी गांद फट गयी!

टफ ने उसकी गांद को घूरा और अपने लंड के लिए सही लगा तो उसमें उतारने लगा... प्यारी रोने लगी.. सूबक सूबक कर.. और 5-6 झटकों में टफ ने उसकी अंतडियों को हिला कर रख दिया... लंड दूर गांद में उतार गया था... प्यारी को होश नही था," प्लीज़ एक बार थूक लगा लो.... और इश्स बार टफ ने उसकी मान ली... टफ उसकी गांद को चौड़ा करके दूर से ही इश्स तरह थूकने लगा जैसे वा गांद नही कोई डस्टबिन हो... 4-5 कोशिशों के बाद निशाना लग गया... और थूक उसकी गांद ने पी लिया!

अब फिर वही कहानी शुरू... पर प्यारी को अब आराम था... वा 35 मिनिट में पहली बार खुश दिखाई दी... उसकी बकबक बढ़ने लगी, दर्द के मारे नही अब की बार; उत्तेजना के मारे, टफ की स्पीड अब भी वही थी जो उसकी चूत में थी..
प्यारी निहाल हो गयी.. टफ ने गांद से निकल कर चिकना लंड उसकी चूत में काम पर लगा दिया... प्यारी सिसकारने लगी और तभी उसकी चूत ने फिर पानी छ्चोड़ दिया.. वो सीधी होकर इश्स जाबाज को अपने गले से लगा लेना चाहती थी... पर टफ ने उसकी आख़िरी इच्च्छा भी पूरी ना की... उसके पलटते ही उसको बालों से पकड़कर नीचे बैठाया और... लगभग ज़बरदस्ती करते हुए.. उसका मुँह खुलवाया और लंड की सारी मेहनत का फल उसको पीला दिया... टफ ने उसको तब तक नही छ्चोड़ा.. जब तक उसके गले में से रस गेटॅक्न का आभास होता रहा

प्यारी देवी उसको टुकूर टुकूर देख रही थी... टफ ने अपना लंड बाहर निकाला और कपड़े पह्न-ने शुरू कर दिए! उसके चेहरे पर अजीब सी शांति थी... प्यारी को दर्द देने की!

"गभ्रू! आपना नाम तो बता दे!" प्यारी भी कपड़े पहन रही थी...

"टफ मुश्कुराया और बोला," मुझे अजीत कहते हैं.... आंटी जी!"

प्यारी सोच रही थी...," सला चोद चाड कर आंटी जी कह रहा है...!"

अजीत ने शमशेर के पास फोने किया और बोला आ जाओ भाई!

शमशेर और अजीत प्यारी को वापस गाँव के बाहर छ्चोड़ आए और घर चले गये!.....

"टफ,कैसी रही प्यारी?",शमशेर ने आते हुए पूचछा.
"साली बहुत कड़वी थी?" अजीत और शमशेर ज़ोर से हँसे!, अजीत ने म्यूज़िक ओन कर दिया.

घर जाकर वो सीधे उपर चले गये... दिशा और वाणी नीचे खिड़की में बैठी शमशेर का ही इंतज़ार कर रही थी... पर जब उन्होने किसी और को भी देखा तो वो बाहर ना निकली और दिशा उनके लिए चाय बनाने लगी.

चाय बना कर दिशा उपर देने गयी... वाणी भी साथ गयी... दिशा की जासूस! अब वो एक पल के लिए भी दिशा को शमशेर के पास अकेले नही छ्चोड़ना चाहती थी.

अजीत ने जब दुनिया की तमाम सुंदरता, मासूमियत और कशिश से भारी उन्न जवान लड़कियों को देखा तो बस देखता ही रह गया. जब वो चाय देकर चली गयी तो अजीत शमशेर से बोला," भईई! तू तो जन्नत में आ गया है... मैं भी कहूँ, तू कभी फोन ही नही करता... तेरे तो घर में दीवाली है दीवाली..."



शमशेर: प्लीज़ यार, इनके बारे में ऐसा कुच्छ मत बोल!
अजीत: क्यूँ, तूने बहन बनानी शुरू कर दी क्या 'भाई!'?

शमशेर ने एक धौल अजीत की पीठ पर जमाया और उसकी आँखों की नमी देखकर अजीत सब समझ गया," कौनसी है उस्ताद... तेरे वाली?"

शमशेर ने चाय का कप अजीत को दिया," बड़ी! वो मुझसे बहुत प्यार करती है!"

अजीत: और तू?... उसने गौर से शमशेर की आँखों में देखा...

शमशेर: पता नही! चाय पी ले ठडी हो जाएगी!

अजीत: और छ्होटे वाली, उसको भी कुच्छ ना बोलूं; वो भी तो कयामत है...

शमशेर: छ्चोड़ ना यार, कितनी छ्होटी है!

अजीत: छ्होटी है!..... चल भाई तू कहता है तो छ्होटी ही होगी... पर मेरी समझ में नही आता वो छ्होटी है कहाँ से!...... अजीत के सामने उस्स बाला की सुंदर युवती का चेहरा घूम गया!

शमशेर: यार तू तो बस बॉल की खाल निकाल लेता है... तू उसकी बातें सुन के देखना! चल इश्स टॉपिक को छ्चोड़.... तुझे दिशा कैसी लगी?

अजीत: दिशा? ये दिशा कौन है... तूने प्यारी का नाम प्यार से दिशा तो नही.....

शमशेर: बड़े वाली... ये जो अभी आई थी... वाणी के साथ!

अजीत गंभीर होकर शमशेर की और देखने लगा, दिशा का नाम आते ही उसको शमा याद आ गयी, शमशेर की शमा... जिसके लिए शमशेर ने अपना नाम दीपक से शमशेर कर लिया.... शमा;शमशेर.... अजीत अतीत में खो गया!

बात कॉलेज के दिनों की थी... आज से करीब 13 साल पहले की; अजीत का भाई सुमित और 'दीपक' साथ साथ पढ़ते थे.. तब 'दीपक' ऐसा नही था. ना तो इतना तगड़ा और ना ही इतना शांत;निसचिंत वो एक लड़की के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ की क्या रात को नींद और क्या दिन को चैन... "शमा" यही नाम था उसका... शमशेर उसको पागलों की तरह से चाहता था... और शायद शमा भी... चाहती क्यूँ नही होगी.. एक आइ.पी.एस. ऑफीसर का बेटा था शमशेर; निहायत ही शरीफ और इंटेलिजेंट... शमा भी मॉडर्न परिवार की लड़की थी... कॉलेज में हर कोई उसका दीवाना था.. एक लड़के का तो 'दीपक' से काई बार झगड़ा भी हुआ था, शमा के लिए... और बात 'दीपक' के बाप तक पहुँच गयी थी... समाज में इज़्ज़त के झॅंड गाड़े हुए लोग रात को चाहे कितनी ही होली खेल ले; पर दिन में अपने कपड़ों को सॉफ ही रखना चाहते हैं... बेदाग!

दीपक के पिताजी ने दीपक को वॉर्निंग दे रखी थी... रोज़ रोज़ की बदनामी अगर यूँ ही होती रही तो उसको वो घर से निकाल देंगे!

पर प्यार का ज़हरीला बिच्छू जिसको डस लेता है वो समाज से बग़ावत कर लेता है... और बदले में मिलने वाली जलालत को अपनी मोहब्बत का इनाम...

शमशेर ने भी यही किया... उसके शमा से प्यार को देखकर उसके दोस्त उसको शेर कहने लगे; शमा का शेर! और वो दीपक से शमशेर हो गया; शमा का शमशेर!

उस्स पागल ने डॉक्युमेंट्स में भी अपना नाम बदल लिया... इश्स बात से खफा उसके पिता जी ने उसको धक्के दे दिए; 'अपने घर से' और तभी से वो अजीत के घर रहने लगा... उनके भाई की तरह!

कुच्छ दिनों बाद की बात है... शमशेर की क्लास के एक लड़के ने सबको अपनी बर्थडे पार्टी के लिए इन्वाइट किया, शमशेर को भी; अपने फार्म हाउस पर;

ये वही लड़का था जिसके साथ पहले झगड़ा हो चुका था, शमा के लिए.... शमशेर जाना नही चाहता था... पर शमा उसको ज़बरदस्ती ले गयी, अपने साथ; फार्महाउस पर....

वो ही वो कयामत की रात थी.. जिसने शमशेर को ऐसा बना दिया... बिल्कुल शांत... बिल्कुल निसचिंत!


दिनेश ने केक काटा और सबसे पहले शमा को खिलाया, फिर उसके होंटो को चूम लिया; शमा ने भी उसको अपनी बाहों में भर लिया और एक लुंबी फ्रेंच किस दी... ये किस दिनेश की केवल वेल विशेज़ नही थी; दोनों के चेहरों से वासना टपक पड़ी रही थी... शमशेर को एक पल तो जैसे यकीन नही हुआ... फिर खून का घूँट पीकर रह गया; आख़िर उस्स किस में शमा की मर्ज़ी शामिल थी.

हद तो जब हो गयी, जब कुच्छ देर बाद दिनेश उसको अपने कंधे पर उठा कर जाने लगा...शमा ने शमशेर को बाइ किया, मुस्कुराते हुए!

"दिनेश!" शमशेर की आँखों में खून उतार गया... सभी की आँखों में उतर जाता... बेवफ़ाई का ऐसा नंगा पारदर्शन देखकर.

दिनेश ने शमा को अपने कंधे से उतारा," क्या है बे! अभी तेरी 'बहन को चोदुन्गा साले! आजा देखना हो तो!"... शमा अब भी मुश्कुरा रही थी

शमशेर उसकी और भागा... पर दिनेश के दोस्तों ने मिलकर उसको पहले ही लपक लिया... नही तो एक खून और हो जाता... दिनेश का या शमा का... एक खून तो पहले ही हो चुका था... 'शमशेर' के अरमानों का..

"साले को अंदर ले आओ!" दिनेश दाहदा.... और वो उसको एक बेडरूम में ले गये... आलीशान बेडरूम में; और शमशेर को वहाँ घुटनों में लाठी देकर बाँध दिया... शमशेर ज़मीन पर पड़ा था... असहाय और लाचार!

शमा और दिनेश कमरे में आ गये. दिनेश ने इशारा किया और शमा अपने शरीर का एक एक कपड़ा उतार कर शमशेर की और फांकति गयी... आख़िर में अपनी पनटी भी.... शमशेर का चेहरा भीग गया था...उसके लचर आँसू फर्श पर बह रहे थे... उसने आँख खोल कर शमा को देखा... शमा दिनेश के अंग को मुँह में ले कर चूस रही थी... शमशेर की आँखे बंद हो गयी... उसके बाद कमरे में करीब 30 मिनिट तक शमा की आँहे गूँजती रही... सिसकियाँ गूँजती रही... जो शमशेर के कानो में पिघले हुए लावे की तरह जा रही थी! शमशेर लाख कोशिश करने के बाद भी अपने कान बंद नही कर पाया... उसको सब कुच्छ सुन-ना पड़ा; सब कुच्छ.

अंत में जब सिसकिया बंद हो गयी तब शमशेर ने आँखें खोली... दिनेश उसकी नंगी छतियो पर पड़ा था... शमा ने बोला," आइ लव यू दिनेश!" उसी लहजे में जिस लहजे में उसने हज़ारों बार बोला था... आइ लव यू दीपक.... आइ लव यू माइ शमशेर!

शमशेर ने कपड़े पहनकर बाहर जाती हुई शमा से पूचछा," तुमने..... ऐसा क्यूँ किया, शमा! "

"क्यूंकी तुम्हारे पास अब पैसा नही है... जान!" और वो मुश्कूराती हुई चली गयी...

दिनेश ने अपने दोस्तों को बुलाया," खोल दो साले को; अगर ज़रा भी गैरत होगी तो खुद ही मर जाएगा... बहन का....!"

उसके दोस्तों ने शमशेर को खोल दिया; पर शमशेर नही उठा... अब उठने को रहा ही क्या था!

उसके दोस्तों ने शमशेर को फार्म हाउस से बाहर फैंक कर अजीत के भाई को फोन कर
दिया. वो अपने दोस्तों के साथ आया और शमशेर को ले गया. कॉलेज में जिसको भी पता चला; वो खूब रोया, पर शमशेर के आँसू नही निकले... उसके सारे आँसू निकल चुके थे; शमा के सामने!

शमशेर के पिता को पता चला तो भागा हुआ आया, लंबी लंबी लाल्बत्ति वाली गाड़ियों में. और अपने वंश को ले गया...

उसके दो दिन बाद ही शमा और दिनेश मरे पाए गये! पोलीस ने अपनी केस डाइयरी में लिखा," वो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, पर समाज ने उनको मिलने ही नही दिया... इसीलिए दोनों ने सुसाइड कर लिया!

कहते हैं समय सब कुच्छ भुला देता है... शमशेर भी बदल गया... पर दो चीज़े उसने नही बदली... एक तो अपना नाम... और दूसरा उस्स रात के बाद वाला अपना नेचर;..... बिल्कुल शांत.... बिल्कुल निसचिंत...

वो प्यार से नफ़रत करने लगा... उसको तब के बाद लड़कियों से एक ही मतलब रहता था... सेक्स... सेक्स और सेक्स....

शमशेर ने अजीत को देखा... वो आँखे बंद किए रो रहा था.... बिना बोले.... लगातार...!

शमशेर ने अजीत के हाथ से कप ले लिया... चाय तो कब की ठंडी हो चुकी थी. वो कुच्छ ना बोला. उसके दोस्त जब भी उससे मिलते थे तो शमशेर के अतीत को याद करके ऐसे ही सुबक्ते थे... भीतर ही भीतर...

शमशेर उसके लिए पानी ले आया," लो, टफ! मुँह धो लो!... कुच्छ देर बाद सब नॉर्मल हो गया और वो फिर से मस्ती भारी बातें करने लगे

"शमशेर भाई! ये तो बता ये सरिता क्या बाला है?"

"कौन सरिता?", शमशेर को याद नही आया!

अरे वो मेरी 'प्यारी' गाड़ी में कह नही रही थी!" मुझसे तो सरिता भी जलती है."

"ओह अच्च्छा! सरिता! वो उसी की तो बेटी है...

"मस्त है क्या?"

"देखेगा, तो खुद ही समझ जाएगा!"

"भाई! वो भी दिख जाएगी क्या?"

"हां, हां; क्यूँ नही दिखेगी?"

"लगता है खानदान ही धंधे में है, भाई!"

तभी दिशा उपर आई," खाना लगाना है क्या.... सर". दिशा दरवाजे की साइड में खड़ी थी, शरमैई सी, और वाणी उसकी साइड में..... जासूस!

अजीत: एक बार अंदर आना!.... वो शमशेर के नये प्यार को अपनी आँखों से परखना चाहता था.....

दिशा अंदर आ गयी... नज़रें झुकाए.... और वाणी ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था... वो इश्स नये मेहमान को घूर रही थी!

"अच्च्छा! एक बात तो बताओ; तुम्हारा फॅवुरेट टीचर कौन है....." अजीत ने कहा

दिशा निशब्द खड़ी रही... वो उसके सर थोड़े ही थे! पर वाणी ने एक भी सेकेंड नही गवाई, और बेड पर चढ़कर सर से लिपट गयी," शमशेर सर!"

अजीत ने उसकी और हाथ बढ़ाया," हाई! आइ एम अजीत आंड यू"

वाणी ने दोनों हाथ जोड़ दिए," नमस्ते! और हाथ नही मिलवँगी; दीदी कहती हैं, बाहर वाले लड़कों को ज़्यादा मुँह नही लगाते!"

ऐसा सुनते ही तीनों की ज़ोर से हँसी छुट गयी! वाणी को लगा कुच्छ ग़लत कह दिया, दीदी से पूच्छ लो; इन्होने ही बोला था!

दिशा शर्मकार नीचे भाग गयी... और वाणी उसके पीछे पीछे... ये पूच्छने के लिए की उसने क्या ग़लत कह दिया!

नीचे जाते ही दिशा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी... वाणी ने पूचछा," क्या हुआ दीदी! बताओ ना!"
दिशा हंसते हुए बोली," कुच्छ नही तू भी कितनी उल्लू है, कोई किसी के सामने ऐसे ही थोड़े बोलता है!.... और फिर वे इनके दोस्त हैं!"
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वाणी: सॉरी दीदी! मैं उपर सॉरी बोलकर आऊँ?

दिशा: नही रहने दे! ...... फिर कुच्छ सोच कर बोली," वाणी! एक बात पूच्छून तो बताएगी!

वाणी: पूच्छो दीदी!

दिशा: मान लो तेरी किसी के साथ शादी हो जाती है...
वाणी: मैं तो सर से ही शादी करूँगी दीदी....

दिशा सिहर गयी... वाणी के प्यार का रंग बदलता जा रहा था...

दिशा: वाणी!........... शमशेर से मैं प्यार करती हूँ;( वो भावुक हो गयी थी) मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ... क्या तू मेरे और उसके बीच में आएगी? क्या तू कभी अपनी दीदी का दिल तोड़ सकती है...

वाणी ने उसका हाथ पकड़ लिया .... ," क्या ऐसा नही हो सकता की सर हम दोनों से शादी कर लें, दीदी! मेरी एक सहेली की दो मुम्मिया हैं"

दिशा ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा," हम हिंदू हैं, वाणी! हमारे धरम में ऐसा नही होता....

"पर दीदी; हम कह देंगे हम तो मुसलमान बन गये!"

"ऐसे नही होता वाणी! और मान भी लो; ऐसा हो जाए तो क्या हम एक दूसरे को शमशेर और अपने बीच एक दूसरी को सहन कर लेंगे...."

"बीच में कहाँ दीदी; एक तरफ में और एक तरफ तुम..."

दिशा: तू तो है ना; बिल्कुल पागल है; एक बात बता, ये जो सर के दोस्त हैं..... कैसे लगते हैं तुझे..?

वाणी: बहुत सुंदर है दीदी... सर से भी सुंदर!

दिशा: तू उनसे शादी कर ले ना! में शमशेर से बात कर लूँगी!
अगले दिन सुबह सुभह जब दिशा शमशेर और अजीत के लिए चाय देने आई तो अजीत को वहाँ ना पाकर वो बहुत खुश हुई, क्यूंकी वो अकेली थी; वाणी सोई हुई थी... पुर 24 घंटे से शमशेर ने उसको च्छुआ नही था," आपके दोस्त कहाँ गये?"

शमशेर ने उसको देखते ही अपनी बाहों में उठा लिया... दिशा उससे लिपट गयी... उसके साथ के बिना दिशा को एक एक पल अधूरा सा लगता था...

जी भर कर उसके चेहरे को चूमने के बाद बोला," उसको भी ड्यूटी करनी है भाई! वैसे कोई काम था क्या? ... और वाणी नही आई उपर तेरे साथ!"

वाणी: आपका उसके बिना, और उसका आपके बिना दिल ही नही लगता. मैं तो बस ऐसे ही काँटा बनी हुई हूँ!...... वो सोई हुई है...

शमशेर: सोई हुई है... स्कूल नही जाना क्या?

दिशा: नही!

शमशेर: क्यूँ?

दिशा सकुचती हुई सी...," बस... ऐसे ही!"

शमशेर: ऐसे ही का क्या मतलब है? आज तो स्कूल में बेस्ट ड्रेस कॉंपिटेशन भी है ना!

दिशा: हां........ इसीलिए तो...

शमशेर: तो तुम्हारे बिना क्या वहाँ भूत अवॉर्ड लेंगे? चलो उसको उठा कर जल्दी तैयार होने को कहो!

दिशा, अपना सिर नीचा करके.... " वो.... हमारे पास ड्रेस नही है!" उसके चेहरे से कॉंपिटेशन में भाग ना ले सकने की मजबूरी सॉफ झलक रही थी...

शमशेर: तो ये बात है... मुझे क्यूँ नही बोला... मैं क्या कुच्छ लगता नही हूँ... तुम्हारा किरायेदार हूँ आख़िर!

दिशा ने अपने हाथ का मुक्का बना कर उसको दिखाया और उसकी छति पर सिर टीका दिया...

शमशेर: चलो, अकेलेपन का फयडा उठाओ; कपड़े निकल दो आज तो!

दिशा: अभी!.... मॅन तो उसका भी मचल रहा था!

शमशेर: हां अभी!

दिशा आँखें बंद करके बेड पर लेट गयी... खुले कमीज़ में भी उसकी छतियो का कसाव गजब ढा रहा था... शमशेर अंदर गया और एक डिब्बा उसके पेट पर रख दिया!

दिशा ने आँखें खोल दी," क्या है ये?"

शमशेर: चलो तैयार हो जाओ! स्कूल चलना है... वाइट जीन्स टॉप तुम्हारे लिए
है और वाणी के लिए वाइट स्कर्ट टॉप!

दिशा शमशेर से लिपट गयी... उसकी आँखों से निकले आँसू शमशेर को "आइ लव यू" बोल रहे थे; उसकी केअर करने के लिए.....

दिशा और वाणी जब नयी ड्रेस में स्कूल पहुँची तो मानो स्कूल का हर कोना उनकी तरफ खींचा आया था.. दोनों स्वर्ग से उतरी अप्सरायें लग रही थी.... लड़कियाँ उनको हैरत से देख रही थी, जैसे उनको पहचाना ही ना हो! इश्स तरह सबको अपनी और देखता पाकर दोनों फूली नही समा रही थी...

दिशा तो पहले ही लड़कों के लिए कयामत ही थी... आज तो लड़किययाँ भी जैसे उसको दिल दे बैठी हों! सफेद टाइट टॉप में उसकी छतिया इश्स कदर सपस्ट दिखाई दे रही थी... कि बाहर से गेस्ट आए बूढो तक की आँखें बाहर निकालने को हो गयी! चारों और से सीटियाँ ही सीटियाँ कॉंटेस्ट शुरू होने से पहले ही ये एलान कर रही
थी की आज का विन्नर कौन होगा. उसका टॉप उसकी कमर को पूरा नही ढक पा रहा था... उसकी नाभि के कटाव पर सभी "भूखे कुत्तों की भी ... और छके हुए "बूढ़े कुत्तों" की भी जीभ लपलपा रही थी.. वह जिधर भी जाती... सभी आँखें वही मूड जाती... दिशा से सब सहन नही हो रहा था... अपनी खुशी पर काबू पाना उसके वश में नही था... उसके पिच्छवाड़े की गोलाइयाँ इतनी गोल थी मानो उन्हे किसी किसी ड्रॉयिंग एक्विपमेंट की सहायता से निशान लगाकर तराशा गया हो... सब कुच्छ सही सही..... शी वाज़ जस्ट ए पर्फेक्ट लेडी ऑन अर्थ; आइ बिलीव!

उधर वाणी भी कम कहर नही ढा रही थी... सब कुच्छ दिशा जैसा ही, नपा तुला! पर दिशा के मुक़ाबले उतनी 'जवान' नही होने की वजह से वो आँखों को अपने से लपेट नही पा रही थी... फिर भी वो बहुत खुश थी... उसके सर जो उसको देख रहे थे...! और उस्स नादान दीवानी को क्या चाहिए था...

कॉंपिटेशन शुरू हो गया... बहुत सी लड़कियाँ तो दिशा और वाणी को देखकर स्टेज पर ही नही चढ़ि... और जो चढ़ि वो भी दर्शकों की हँसी का पात्रा बनकर रह गयी.

अंत में दो ही नाम मैदान में रहे.......बताने की ज़रूरत नही है.

मिस्टर जज मंच पर चढ़े और उन्होने बोलना शुरू किया... दोनों की ख़्ूबसूरती का नशा उस्स पर से अभी उतरा नही था...

" प्यारे बच्चो; टीचर्स और इश्स कॉंपिटेशन की शोभा बढ़ने आए मेहमानो," कहते हैं की सुंदरता मॅन की होती है; तंन की नही, पर आज के.. ...... वग़ैरा वग़ैरा......!
अंत में मैं इश्स नतीजे पर पहुँचा हूँ कि 2 बच्चियों को किसी भी तरह से तंन और उनके द्वारा पहनी गयी ख़्ूबसूरत ड्रेसस के आधार पर कहीं से भी एक दूसरी से कम या ज़्यादा नही ठहराया जा सकता... और जब ये दोनों चीज़े बराबर हैं तो हमें चाहिए हम उनके मॅन की सुंदरता से उन्हे तोले! अब क्यूंकी मैं इनको जानता नही हूँ इसीलिए दिशा और वाणी में से विजेता चुन-ने के लिए में प्रिन्सिपल को मंच पर इन्वाइट करना चाहूँगा...

प्रिन्सिपल तो छुट्टी पर थी; स्टाफ वालों ने टीचर इन चार्ज शमशेर को मंच पर धकेल ही दिया... हां धकेलना ही कहेंगे क्यूंकी एक भंवरे को अपने दो फूलों में से एक को छाती में लगाना था और दूसरे को पैरों पर गिराना था.....

कैसी घड़ी आ गयी... इससे अच्च्छा तो वो ड्रेसस का सर्प्राइज़ ना ही देने की सोचता तो अच्च्छा था... शमशेर बहके कदमों से स्टेज पर चढ़ा.......


शमशेर ने स्टेज पर चढ़कर दोनों परियों को देखा... दोनों इतरा रही थी... अपने आप पर... उसी के कारण... ना वो ड्रेस लेकर आता ना ही वो स्कूल आती! ये सब उसका खुद का किया धरा है.... दोनो को ही अपनी अपनी जीत का विश्वास था... दोनों को यकीन था की शमशेर सिर्फ़ उसी से प्यार करता है.... दोनो ही बस भागने को तैयार बैठी थी... अपना नाम बोलते ही भाग कर स्टेज पर जाने के लिए... जब सीटियों का शोर तेज हो गया तो शमशेर को होश आया..... उससे और कुच्छ ना बोला गया..... उसने 'वाणी!' कहा और स्टेज से उतर गया.... वाणी भागती हुई आई और सर से लिपट गयी... उसकी आँखों में चमक थी, जीत की; अपनी दीदी से जीत की... पर शमशेर
का ध्यान दिशा पर गया... वो क्लास की और जा रही थी... आँसू पूछ्ते हुए!


इनाम लेकर वाणी किसी गुड़िया की तरह उच्छल रही थी... सबको दिखा रही थी... शमशेर सीधा ऑफीस में चला गया... उसने मॅन देखा था... तंन नही!

वाणी भागती हुई ऑफीस में आई और अपना इनाम सर को दे दिया," लो सर!"
शमशेर ने वाणी से कहा," तुम्हारा इनाम है, तुम्ही रखो!"

वाणी ने शमशेर को उसी की बात याद दिला दी," नही सर, मेरा नही है..... अपना है!"

शमशेर का गला रुंध गया... वो कुच्छ भी ना बोल पाया!

"एक बात कहूँ सर जी!"

"हुम्म..."

"आप मुझसे ही शादी करोगे ना....."

दोस्तो ये पार्ट भी काफ़ी लंबा हो गया है बाकी की कहानी

पार्ट 10 मैं बता पा उँगा तब तक के लिए विदा
आपका दोस्त
राज शर्मा


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