गर्ल्स स्कूल पार्ट --47
टफ उन्न सबको लेकर लोहरू पहुँचा तो सुबह के तीन बज चुके थे.. सभी नींद में लुढ़क चुके थे..
टफ ने अंजलि के घर के सामने रोकी और उनको सोता हुआ छ्चोड़कर आँगन से होता हुआ दरवाजे तक जा पहुँचा और जाते ही बेल बजाई..
अंजलि उनका ही वेट कर रही थी.. उसने तुरंत दरवाजा खोला," आ गयी...?"
"आ गयी नही भाभिजी.. आ गये! गाड़ी में पूरे 5 हैं..!"
"मतलब?.. तुम... वो क्या नाम है... स्नेहा को लेने गये थे ना?" अंजलि ने गाड़ी की और देखते हुए कहा..
"हां.. लेने तो स्नेहा को ही गया था.. पर क्या करता? वो अपने साथ दो और को ले आई और उन्न दो के साथ दो और आ गये?" टफ ने तपाक से उत्तर दिया," स्नेहा को हर हाल में लाना ज़रूरी था.. क्या करता?"
"पर यहाँ.. इतने सारे अड्जस्ट कैसे होंगे?... मेरा मतलब सिर्फ़ लिविंग रूम ही खाली है!" अंजलि ने कुच्छ सोचते हुए कहा...
"मुझे नही पता भाभी जी.. शमशेर ने मुझसे कहा था की मैं स्नेहा को आपके पास छ्चोड़ दूँ.. मेरा काम ख़तम.. अब आप उनसे ही बात करें!" टफ ने रूखा सा उत्तर दिया...
"अरे मैने ऐसा बोला है क्या?.. तुम तो इस तरह से कह रहे हो जैसे मैं खुश नही हूँ.. इनको अपने पास रखकर.. मेरा मतलब था कि....." अंजलि ने सफाई देने की कोशिश की तो टफ बीच में ही बोल पड़ा..," आप एक बार भाई साहब से बात क्यूँ नही कर लेती...? वो ही कुच्छ रास्ता निकलेंगे अब..."
"चलो ठीक है.. मैं उनसे बात कर लेती हूँ.. आप उनको अंदर तो ले आइए..."
"नही.. पहले आप बात कर लो.. मैं बच्चों की वजह से खुलकर बात ही नही कर पाया.. रास्ते में.." कहकर टफ ने फोन मिलाकर अंजलि को दे दिया...
"उठा ही नही रहे!" अंजलि ने कहा..
"एक बार फिर से ट्राइ करो ना.. सो रहे होंगे..!" टफ ने कहा...
इस बार शमशेर ने फोन उठा लिया," हां टफ.. पहुँच गये क्या?"
"हां.. पहुँच गये!" जवाब अंजलि ने दिया..
"कौन.. अंजलि?" शमशेर ने पूचछा..
"शुक्र है.. आवाज़ नही भूले!.. आ.. तुम तो कह रहे थे.. यहाँ कोई स्नेहा आने वाली है...?" अंजलि ने एक तरफ होते हुए कहा.. शमशेर की आवाज़ भर से उसके अरमान खिल से गये..
"तो.. स्नेहा नही आई क्या?" शमशेर ने चौक्ते हुए कहा...
"आई है.. आई है.. पर उसके साथ चार और हैं...!" अंजलि ने जवाब दिया..
"चार और??? वो कौन?" शमशेर का माथा ठनका...
" लो.. अजीत से ही पूच्छ लो..!" कहकर अंजलि ने वापस आकर फोन टफ को पकड़ा दिया..
"हां.. भाई..!"
" ये तू और किसको उठा लाया भाई?" शमशेर ने पूचछा..
" मुझे नही पता भाई.. मैने तो रास्ते भर कोई पूच्छ ताछ भी नही की.. कहीं डर ना जायें.. 2 को तो अपनी सहेलियाँ बता रही है.. और दो वो हैं.. जिनके पास विकी उसको छ्चोड़कर गया था... तुमने बोला था.. स्नेहा को हर हाल में लेकर आना है.. सो मैं ले आया..." टफ अपनी जगह पर सही था...
" चल.. कोई बात नही.. तू लड़को को अपने साथ ले जाएगा ना..?" शमशेर ने कहा...
"हां.. मुझे तो कोई प्राब्लम नही है.. पर अगर उनको वापस जाना ही होता तो वो वहीं पर ना रह जाते..?" टफ ने कहा...
"फिर तू ऐसा ही कर.. सुबह उनको रोहतक वाली बस में बैठा देना.. चले जाएँगे.. और 'वो' लड़कियाँ?? वो कौन हैं..? उनको भी आजकल में वापस भेज दे यार.. वो यहाँ कोई पिक्निक मनाने थोड़े ही आए हैं.. बाकी तू देख लेना.." शमशेर ने कहा...
"ठीक है भाई.. मैं देख लूँगा.. और कुच्छ..?" टफ ने कहा...
" वो रेकॉर्डिंग सुना देना स्नेहा को.. विकी और मुरारी वाली.. उसको ऐसे विस्वास ना हो शायद.. प्यार का मामला है..." शमशेर ने कहा...
"वो मैं सुबह ही सुनाउन्गा.. अब तो सो लेने दो बेचारी को.. सच में यार.. बहुत मासूम है बेचारी..!"
" वो तो मुझे विकी ने ही बता दिया था.... मैं सुबह विकी से बात करके उसको समझाने की कोशिश करूँगा.. चल ठीक है.. सुबह मुझे भी वापस चलना है.. अब सो लेता हूँ.." शमशेर ने कहा...
"ओके भाई.. मुझे भी नींद आ रही है.. मैं तो भाभी के पास जाकर सोऊगा.." टफ ने मज़ाक किया...
"तुझे लात पड़ेगी.. तब अकल आएगी.." शमशेर ने हंसते हुए कहा..
"मैं वो नही कह रहा भाई.. जो तू समझ रहा है.. मेरा मतलब था.. उनके घर जाकर..." टफ ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा...
"चल अब रख दे.. साला!" कहकर शमशेर ने फोन काट दिया...
"क्या कह रहे हैं", टफ की बात ख़तम होते ही अंजलि ने उसे टोका.
" सुबह मैं बाकी लोगों को वापस भेज दूँगा... पर अब रात भर के लिए तो कुच्छ ना कुच्छ करना ही पड़ेगा..." टफ ने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा..
" ठीक है.. मैं देखती हूँ.. तुम लेकर तो आओ सबको!" अंजलि ने जवाब दिया...
टफ ने जाकर राज को जगाया.. एक बार टोकते ही वो उंघता हुआ उठ बैठा," आ गये क्या?"
"हां.. आ गये.. सबको उठा कर अंदर ले आओ!" कहकर टफ वापस चला गया...
राज की नज़र सबसे पहले प्रिया पर पड़ी.. चाँद की चाँदनी में वो उसका ही प्रतिरूप लग रही थी.. गोल गोल छ्होटा सा प्यारा चेहरा; कितनी निसचिंत होकर सोई हुई थी.. रास्ते भर वो राज की साइड में बैठकर ही आई थी.. राज का मंन कयि बार उसको छ्छूने का हुआ था.. पर हर बार उसके दिमाग़ में वो बात कौंध जाती..," मैं तुम्हे अच्च्छा लड़का समझती थी.. और वो अपना हाथ वापस खींच लेता.. यूँही सोचते सोचते कब उसको नींद ने अपने आगोश में ले लिया, उसको पता ही नही चला था. उसको यकीन ही नही हो रहा था की प्रिया अब हर पल उसके साथ ही रहने वाली है... उसको वो इतना तडपा देगा कि वो खुद उसकी बाहों में आने के लिए तडपेगी.. और फिर वो उसको एक बार ज़रूर कहेगा," मैं तुम्हे ऐसी लड़की नही समझता था..". राज मन ही मन खिल उठा..
राज ने बड़े प्यार से उसके गालों पर हाथ लगाया," उठो प्रिया!"
प्रिया पर उसके छ्छूने का कोई असर दिखाई नही दिया..
"प्रिया.. उठो.. गाँव आ गया है.. अंदर चलना है..!" इश्स बार उसकी आवाज़ भी कुच्छ तेज थी और स्पर्श भी कुच्छ सख़्त.. पर नतीजा वही.. प्रिया गहरी नींद में थी..
प्रिया के रसीले होंठ बरबस ही उसको अपनी और खींच रहे थे... उसके होंठो को.. एक रसीले चुंबन के लिए.. राज ने बड़ी मुश्किल से खुद को कंट्रोल किया पर वह अपनी हथेली को ना रोक पाया.. उन्न नाज़ुक गुलाबी होंटो की छाप उसस्पर लेने से.. राज ने इस तरह उसका चेहरा अपने हाथ में लिया की होंठो ने हथेली को चूम लिया.. उसके लिए ये एक अविस्मरणीया अनुभव था.. होंटो से होंठो को छ्छू लेने की कल्पना जैसा ही मादक.. प्रिया नींद में ही उसकी और लुढ़क गयी.. उसका एक हाथ राज के कंधे पर था और उसका सिर राज की छाती पर टीका हुआ था.. राज की साँसे तेज हो गयी.. प्रिया के कोमल पर सुडौल वक्ष राज की बाँह से सटे हुए थे...
"प्रिया! उठो ना.." राज और सहन करने की स्थिति में नही था.. किसी भी पल उसका मन शरारत करने को मचल सकता था..
" उम्म्म्म.. अभी तो सोई थी.. थोडा और सोने दो ना मम्मी..!" कहकर प्रिया ने राज को अपनी और खींच लिया.. मानो अपने तकिये को अपने सिर के नीचे लगाने की कोशिश कर रही हो.. स्पर्श और अधिक आनंदकारी हो गया.. और अधिक कामुक.. प्रिया का चेहरा राज की गर्दन के साथ चिपका हुआ था.. होंठो ने बस राज को छ्छू ही लिया था..
प्रिया के शरीर में हुई हुलचल से उसके साथ बैठी स्नेहा जाग गयी.. जागते ही जब इस मनमोहक दृश्य को देखा तो वो अपनी हँसी ना रोक पाई.. उसने हाथ लगाकर रिया को जगा दिया.. रिया आँखें मसल्ते हुए उठ बैठी और वो भी राज और प्रिया को देखकर 'हाए राम' कह बैठी...
राज को लगा की जैसे वो बिना कुच्छ किए ही रंगे हाथों पकड़ा गया है.. उसने तपाक से प्रिया को स्नेहा की तरफ उच्छालने की कोशिश की.. पर प्रिया तो जैसे उस'से चिपकी हुई थी.. राज उसको अपने से अलग ना कर पाया..
राज ने रिया और स्नेहा को देखा और खिसियाया हुआ सा शर्मकार मुश्कूराने लगा," नींद में है.. हे हे!"
"हाए राम.. तुम दोनो सारे रास्ते ऐसे ही आए हो..?" रिया ने शरारत से कहा और प्रिया को ज़ोर से झकझोर दिया..
प्रिया हड़बड़कर उठी तो सबसे पहले राज की और आस्चर्य से देखा.. उसकी बाँहे राज की गर्दन से लिपटी हुई थी.. और राज ना हंस रहा था.. ना रो रहा था.. ऐसी हालत में था..
वह संभाल भी नही पाई थी की अपने पिछे से उसको प्रिया और स्नेहा की खिलखिलाती आवाज़ सुनाई दी.. वो हड़बड़कर उठ बैठी.. उसकी चुननी राज की जांघों पर पड़ी थी.. उसने झट से उसको संभालते हुए नज़र नीचे करे हुए ही कहा..," पहुँच गये क्या..?"
"हम तो पहुँच गये.. तुम्हारा पता नही?" स्नेहा ने खिलखिलाते हुए गाड़ी से उतरते हुए कहा.. रिया पहले ही उतर चुकी थी..
प्रिया इस तरह गाड़ी से उतरकर रिया के पिछे भागी जैसे पहले राज ने उसको ज़बरदस्ती पकड़ रखा हो," क्या है.. नींद में थी.. बता नही सकती थी क्या..?"
राज ने आगे आकर खिड़की खोली और वीरू को हिलाया," उठ ले भाई; आ गये..!"
वीरू ने उठते ही पीछे देखा," स्नेहा कहाँ है?"
"गयी वो अंदर यार.. इतनी फिकर मत कर.. आजा!" राज ने नीचे उतरने में उसकी मदद की...
"पता नही यार.. मुझे सब गड़बड़ लग रहा है.. इसको लेने मोहन भी तो आ सकता था.. और फिर इतनी रात को वहाँ लेने जाने की क्या ज़रूरत थी.. सुबह भी तो आ सकता था.. कुच्छ ना कुच्छ तो बात ज़रूर है.. तू स्नेहा का ध्यान रखना...! मैं तो उसके साथ घूम नही पाउन्गा ज़्यादा.." वीरेंदर को ख़तरे की बू आनी शुरू हो गयी थी...
"चिंता क्यूँ करता है यार..? वो मोहन का ही दोस्त है.. फिर स्नेहा भी कोई पागल तो नही है ना..." राज ने कहा...
"हूंम्म.." कहते हुए वीरू राज के साथ अंदर घुस गया..
" कितनी प्यारी प्यारी लड़कियाँ हैं सारी..... लग रहा है जैसे कोई सौंदर्या प्रतियोगिता होने वाली है घर में..." अंजलि ने सभी को दुलारते हुए कहा...," मेरे पास भी है एक.. तुम्हारे ही जैसी.. अंदर सोई पड़ी है.. सुबह मिलाववँगी.. अभी सो जाओ... नीचे ही सोना पड़ेगा.. सॉरी.. मैने बिस्तेर लगा दिए हैं अंदर.. लड़के बाहर सो जाएँगे.. लिविंग रूम में!"
"ठीक है दीदी.. नीचे तो और मज़ा आएगा... है ना प्रिया?" स्नेहा अंजलि का दुलार देख कर बाग बाग हो गयी...
"हां.." प्रिया और रिया एक साथ बोल पड़ी...
"अच्च्छा बच्चो.. मैं तो चलता हूँ.. सुबह मिलेंगे..!" टफ ने निकलते हुए कहा...
राज और वीरू बाहर लेटकर सो गये....
"ये सब कौन हैं दीदी?" नींद से जागते ही गौरी ने अंजलि के पास किचन में आकर पूचछा.
"मुँह तो धोले पहले! उठते ही तहक़ीक़ात शुरू हो गयी तेरी.. देख मुझे स्कूल में देरी हो जाएगी.. तू जल्दी से फ्रेश होकर सबको जगा दे.. तब तक में नाश्ता तैयार कर देती हूँ.. जल्दी करना.. तू ऐसा कर आज स्कूल से छुट्टी कर ले.." अंजलि ने काम करते हुए ही कहा...
"पर बताओ तो सही... और कब आए ये सब?" गौरी ने अंजलि को पीछे से बाहों में भरते हुए कहा..
"छ्चोड़ मुझे.. बता दूँगी.. पहले मेरे काम में मदद कर ज़रा..!" अंजलि ने अपने आपको छुड़ाते हुए कहा..
गौरी लिविंग रूम में आई.. राज और वीरू को गौर से देखा और बाथरूम में घुस गयी...
"अरे अंजलि दी.. मुझे ना बुला लिया होता.. लाओ चाकू मुझे दो!" शिवानी अंजलि की बातें सुनकर अपने बेडरूम से आ गयी...
"मैने सोचा तुम्हे विकी को भी तैयार करना है स्कूल के लिए.. इसीलिए.." अंजलि कुच्छ कह ही रही थी की शिवानी बीच में ही बोल पड़ी..," मैं भी सुबह दोनो को देखकर हैरान रह गयी थी.. ये कब आए?"
"रात को 3 बजे के आसपास आए थे.. अजीत के साथ.. मेरी तो अभी इनसे जानपहचान भी नही हुई है ढंग से...!" अंजलि ने आटा गूँथते हुए जवाब दिया...
बाथरूम से निकल कर गौरी ने स्नेहा को जगाया," गुडमॉर्निंग!"
"हाय!" स्नेहा उठ बैठी!
"क्या नाम है तुम्हारा?" गौरी ने उसके पास बैठते हुए कहा..
"स्नेहा; और आपका?"
"गौरी! उठकर फ्रेश हो लो जल्दी.. मम्मी खाना लगा रही हैं..." गौरी औरों के सामने अंजलि को मम्मी ही बोलती थी...
"ओके!" स्नेहा ने बाथरूम का रास्ता पूचछा और अंदर चली गयी...
"ओये दीदी.. ये देखो... सेम टू सेम!" एक दूसरी की और मुँह किए सो रही प्रिया और रिया को देखकर गौरी खिलखिलाकर हंस पड़ी...
रिया की आँख खुल गयी.. कभी उसको और कभी सो रही प्रिया को अभी तक आसचर्या से देख रही गौरी को देखकर रिया ने खुलासा किया," हम दोनो जुड़वा बहने हैं.. मैं रिया और ये प्रिया.. मुझसे 8 मिनिट छ्होटी.."
"ये तो कमाल हो गया.. जुड़वाँ तो मैने पहले भी देखे हैं.. पर बिल्कुल एक जैसे कभी नही देखे.. वैसे मैं गौरी हूँ..." गौरी ने अपना परिचय दिया..
"और वो जो बाहर सो रहे हैं वो?" गौरी उनके बारे में जान'ने को ज़्यादा उत्सुक थी...
"वो.. वो तो स्नेहा के भाई हैं..वीरू और राज..!" रिया ने उनका परिचय दिया...
"और तुम्हारे?" गौरी ने यूँही पूच्छ लिया...
"हमारे..? हमारे कुच्छ नही.." कहकर रिया ने बत्तीसी निकाल दी...
"फिर ठीक है.. एक बात तो है.. दोनो बहुत सेक्सी हैं!" गौरी पर मस्ती चढ़ि हुई थी.. जाने कितने दीनो से.. उसको उसकी मस्ती उतारने वाला कोई मिला ही नही था.. ढंग
का...
"एक बात बोलूं?" रिया ने धीरे से कहा..
"हां! बोलो?" उत्सुकतावश गौरी ने उसकी तरफ कान कर लिए..
"उस.. मोटू को ये बात मत बोलना..!" रिया ने दरवाजे में से दिखाई दे रहे वीरेंदर की तरफ उंगली करके कहा..
"क्यूँ?" गौरी ने पूच्छ ही लिया...
"पागल है.. चप्पल निकाल कर तुम्हारे पिछे भाग लेगा.. हे हे हे"
"हैं... सच में..?" गौरी भी हँसने लगी...
"यकीन नही आता तो करके देख लेना...."
तभी स्नेहा बाथरूम से बाहर आ गयी और रिया चली गयी...
स्नेहा ने आकर प्रिया को उठाया और तीनो इधर उधर की बात करने लगे...
तभी टफ वहाँ आ गया...," उठ गये तुम लोग.. मैने सोचा इंतज़ार करना पड़ेगा.." फिर उसने प्रिया और गौरी की और इशारा करके कहा," जाओ; जाकर उनको भी उठा दो.. मुझे स्नेहा से कुच्छ बात करनी है.. बाहर ही रहना.. कुच्छ देर..!"
दोनो चली गयी तो टफ ने अंदर से कुण्डी बंद कर ली.. स्नेहा सहम सी गयी," क्या बात है.. सर?"
"तुम्हे ये तो विस्वास हो ही गया होगा की मैं मोहन का दोस्त हूँ..?"
"हां.. पर..!"
"पर क्या?"
" पर आप ऐसे क्यूँ पूच्छ रहे हैं? कहाँ हैं वो.. कब तक आ जाएँगे?" स्नेहा ने एक ही साँस में काई सवाल पूच्छ डाले...
"देखो.. मेरी बात ध्यान से सुन'ना.. किसी भी पिच्छली बात को याद करके मायूस होने की ज़रूरत नही है.. हमने.. जो कुच्छ भी किया है.. सब तुम्हारी भलाई के लिए..." टफ ने भूमिका बाँधनी शुरू की...
"आप मुझे डरा क्यूँ रहे हैं..? सही सही बताइए ना मोहन कब तक आ जाएँगे..." स्नेहा को टफ की बातों के अंदाज से बेचैनी सी होने लगी...
"मैं कह तो रहा हूँ.. तुम्हे जान प्यारी है की नही.." टफ झुंझला उठा..
सहमी हुई स्नेहा ने 'हां' में सिर हिला दिया...
"जीना चाहती हो ना..?"
"ज्जई.. हां.. मगर मोहन..."
"कौन मोहन? किसका मोहन.. तुम मेरी बात ही नही सुन रही हो.. कब से कह रहा हूँ की मेरी बात सुनो.. मेरी बात सुनो.. अकल है या नही.. " दरअसल टफ समझ ही नही पा रहा था कि विकी का राज स्नेहा के सामने खोले तो कैसे खोले.. स्नेहा खुद इतनी नाज़ुक थी.. उसका दिल कैसा होगा.. क्या सह पाएगी वो? इसी बात ने सारी रात टफ को सोने नही दिया था..," देखो.. ठंडे दिमाग़ से सुनो.. प्लीज़!" टफ ने यथा संभव सामानया होने की कोशिश की...
"जी.... " स्नेहा बिल्कुल चुप हो गयी...
"दरअसल.. वो.. वो मोहन नही है... जिसे तुम मोहन समझ रही हो.."
स्नेहा कुच्छ समझ ही नही पाई.. मोहन वो है या कोई और.. इस बात से उसको क्या लेना देना... वो तो उसका इंतज़ार कर रही थी जिसने उसके जीवन को एक नयी दिशा दी.. एक नयी रोशनी दिखाई.. नाम में क्या रखा है.. पर जो कोई भी वो था, उसका अपना था..," कहाँ है वो...? मुझे उसके पास ले चलो.. प्लीज़ मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ..."
बौखला से गये टफ ने तुरंत अपनी जेब से मिनी रेकॉर्डर निकाला और उसको ऑन कर दिया.. हर वो बात जो विकी और मुरारी ने थाने में की थी.. दोहराई जाने लगी:
"हां.. बोल मुरारी!" विकी ने मुरारी को घूरा...
"तू तो मुझसे भी बड़ा कमीना निकला रे.. सीधे मतलब की बात पर आजा.. बता.. मेरी बेटी मुझे सौंपने का क्या लेगा?" मुरारी की आवाज़ में गुस्सा और बेबसी सॉफ झलक रही थी...
"वो मल्टिपलेक्स!" विकी ने दो टुक जवाब दिया..
" जा ले ले... बदले में स्नेहा मुझे मिल जाएगी ना...." मुरारी ने कहा..
"मैने क्या उसका आचार डालना है? जहाँ चाहे चली जाए.. मुझे क्या? वैसे भी मैं तो लड़की को एक बार ही यूज़ करता हूँ...." विकी ने सिगरेट निकाल कर सुलगा ली...
"ना.. ना.. मुझे चाहिए.. वो हरम्जदि... मंजूर हो तो बोलो..." मुरारी का चेहरा नफ़रत और कड़वाहट से भर उठा...
" तुझे मैं बता दूँ कि वो तेरे पास रहना नही चाहती.. नफ़रत करती है तुझसे.. तेरी शकल भी देखना नही चाहती... .. बयान में नही होने दूँगा.. मेरी गॅरेंटी..फिर तू क्या करेगा उसका ?" विकी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा..
मुरारी की आँखें लाल हो गयी.. नथुने फूल गये और किसी भेड़िए की तरह गुर्राने लगा," उसका वही कर्रून्गा जो उसकी मा का किया था.. साली कुतिया... बेहन चोद.. उसको नंगी करके अपने सामने चुदवाउन्गा... फिर जंगली कुत्तों के आगे डाल दूँगा.. उसने सारी दुनिया को बता ही दिया की वो मेरी औलाद नही है... एक बार मुझे सौंप दे बस.. बोल मंजूर है की नही...?"
विकी के जहाँ से एक लंबी साँस आह के रूप में निकली.. कैसा है मुरारी? आदमी है या भेड़िया.. कुच्छ मिनिट के मौन के बाद बोला..," मजूर है.. लड़की तुम्हे मिल जाएगी.. मुझे मल्टिपलेक्स के कागज मिलने के बाद..."
"तो फिर मिलाओ हाथ.. तुम अपना फोन दो.. मैं अभी उसके मालिक को फोन करता हूँ.. तुम चाहो तो कल ही उसको पैसे देकर मल्टिपलेक्स अपने नाम करवा सकते हो..." मुरारी ने विकी का हाथ अपने हाथ मैं पकड़ लिया...
विकी ने अपना हाथ च्छुडवाया और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा...," तू क्या समझता है.. मैने इतनी मेहनत सिर्फ़ तुझसे नो ऑब्जेक्षन सर्टिफिकेट लेने के लिए की है.. नही! वो तो मैं कभी भी उसकी कनपटी पर रिवॉल्वेर रखकर खरीद सकता था... अब वो मल्टिपलेक्स तू खरीद कर मुझे देगा.. यानी पैसे तेरे होंगे.. और माल मुझे मिलेगा..!"
"मतलब तू समझता है की मैं अपने पास से तुझे 8 करोड़ रुपैया दूँगा... ?" मुरारी ने हैरत से उसकी और देखा...
"8 नही 10 करोड़.. और मुझे पता है की तू देगा.. क्यूंकी 10 करोड़ गँवाने 10 साल जैल में काटने से कहीं ज़्यादा आसान है तेरे लिए.. 10 सालों में तो तू पता नही कितने 10 करोड़ कमा लेगा...!" विकी ने कातिल मुस्कान मुरारी की और फैंकी...
मुरारी ने अपना सिर टेबल पर रख लिया और कुच्छ देर उधेड़बुन में पड़ा रहा... फिर अचानक उठकर बोला," मैं सिर्फ़ 8 करोड़ दूँगा.. और मुझे वो लौंडिया हाथ के हाथ चाहिए.. बोल कब दे सकता है...?"
"जब तुम चाहो.. पर अभी तो तुम्हारी 14 दिन की पोलीस कस्टडी है ना?" विकी ने मुरारी से सवाल किया...
"तुम्हे जब चाहे पैसे मिल जाएँगे.. तुम बताओ.. कब ला सकते हो स्नेहा को..?" मुरारी ने सवाल पर सवाल मारा...
" मैं बांके को बता दूँगा...! सोचकर.." विकी ने अजीब से अंदाज में बांके का नाम लिया...
"बांके... तुम बांके को कैसे जानते हो?" मुरारी चौंक कर उच्छल पड़ा....
"क्यूँ हैरानी हुई ना... मुझे किडनॅप करने कुच्छ चूजो को साथ लेकर आया था.. अभी मेरे गुसलखाने में क़ैद हैं तीनो.. अगर तुम आज नही मानते तो तुम पर एक केस और लगना था.. " विकी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा....
तभी टफ ने ऑफीस में प्रवेश किया..," लगता है कुच्छ सौदेबाज़ी हो गयी तुम दोनो की...?"
"नही.. इनस्पेक्टर साहब.. हम दोनो में कुच्छ ग़लतफ़हमियाँ थी.. जो आज साथ बैठने से दूर हो गयी.. वैसे विकी जी कह रहे हैं की ये स्नेहा को मानने की कोशिश करेंगे... अपने बयान वापस लेने के लिए.. क्यूँ विकी जी?" मुरारी ने बात सपस्ट की...
रेकॉर्डिंग ख़तम होते होते स्नेहा के आँसुओं का दरिया भी सूख चुका था. अपने घुटनो को मोड़ कर उन्न पर अपना सिर रखे स्नेहा शुन्य को घूर रही थी. वह समझ ही नही पा रही थी की अब किसकी छाती पर सिर रखकर रोए. उसके अरमान उसकी सिसकियों में दफ़न होते जा रहे थे, पल भर को मिली खुशियाँ उमर भर के लिए उसके नादान और तन्हा दिल पर कहर बन कर टूट पड़ी थी. अब ना कुच्छ सपनो का कारवाँ सजाने में रखा था, और ना ही ना-उम्मेदि को दरकिनार कर नयी किरण ढूँढने में. चंद मिनिट पहले तक मोहब्बत के नूर से खिला खिला सा चेहरा अब अपने वजूद को तलाश रहा लगता था.. ना वो मुरारी की बेटी है, ना वो विकी की महबूबा.. मोहन का तो खुद का ही अस्तिताव नही है, उस'से उम्मीद करे भी तो क्या करे.....?
"अब हो गया यकीन? विकी ने शमशेर भाई के सामने अपनी मंशा जाहिर कर दी थी, इसीलिए मैने ये बातें रेकॉर्ड कर ली.. पर हमें इस बात का गुमान तक नही था कि ये भी हो सकता है.. शुक्र है हूमें पहले ही पता लग गया; तुम बच गयी...." टफ ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया.
"स्नेहा अचानक ही फट पड़ी," कहाँ बच गयी मैं? क्या बच गयी? किसके लिए? .. ये तो मैने कभी भी नही माँगा था.. भगवान से... ऐसा भी होता है कभी..?" स्नेहा की कराह उसकी आवाज़ के ज़रिए टफ का कलेजा चीर रही थी..
"दरअसल... विकी कैसा भी है.. पर दिल का उतना बुरा नही है.. एक बार उसके सिर से मल्टिपलेक्स का भूत उतर जाने दो.. मैं खुद भी उस'से बात करूँगा.. कोशिश करेंगे की तुम जिंदगी के इस दोराहे में अपना भविश्य निर्धारित कर सको...."
स्नेहा बहुत कुच्छ बोलना चाहती थी..कहाँ है दोराहा..? वो तो एक ऐसे गोल घेरे में लाकर खड़ी कर दी गयी है जिसके चारों और आग है.. अब उसके लिए एक ही रास्ता बचा है.. उस आग में कूदकर खुद को स्वाहा कर देना.. हां.. यही एक रास्ता है..
पर जैसे उसकी ज़ुबान पर ताला लग गया हो... बिना कुच्छ बोले ही हज़ारों सवालों में उलझी बैठी स्नेहा सिवाय सुबकने के और कर ही क्या सकती थी..
ना.. कुच्छ नही!
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज
girls school-47
Tough unn sabko lekar Loharu pahuncha toh subah ke teen baj chuke the.. sabhi neend mein ludhak chuke the..
Tough ne anjali ke ghar ke saamne roki aur unko sota hua chhodkar angan se hota hua darwaje tak ja pahuncha aur jate hi bell bajai..
Anjali unka hi wait kar rahi thi.. usne turant darwaja khola," Aa gayi...?"
"Aa gayi nahi bhabhiji.. Aa gaye! Gadi mein poore 5 hain..!"
"matlab?.. Tum... wo kya naam hai... Sneha ko lene gaye the na?" Anjali ne Gadi ki aur dekhte huye kaha..
"haan.. lene toh Sneha ko hi gaya tha.. par kya karta? wo apne sath do aur ko le aayi aur unn do ke sath do aur aa gaye?" Tough ne tapak se uttar diya," Sneha ko har haal mein lana jaruri tha.. kya karta?"
"par yahan.. itne sare adjust kaise honge?... mera matlab sirf living room hi khali hai!" Anjali ne kuchh sochte huye kaha...
"Mujhe nahi pata Bhabhi ji.. Shamsher ne mujhse kaha tha ki main Sneha ko aapke paas chhod doon.. mera kaam khatam.. ab aap unse hi baat karein!" Tough ne rukha sa uttar diya...
"arey maine aisa bola hai kya?.. tum toh iss tarah se kah rahe ho jaise main khush nahi hoon.. inko apne paas rakhkar.. mera matlab tha ki....." Anjali ne safai dene ki koshish ki toh tough beech mein hi bol pada..," aap ek baar bhai sahab se baat kyun nahi kar leti...? wo hi kuchh raasta nikalenge ab..."
"chalo theek hai.. main unse baat kar leti hoon.. aap unko andar toh le aayiye..."
"nahi.. pahle aap baat kar lo.. main bachchon ki wajah se khulkar baat hi nahi kar paya.. raaste mein.." kahkar Tough ne fone milakar Anjali ko de diya...
"utha hi nahi rahe!" Anjali ne kaha..
"ek baar fir se try karo na.. so rahe honge..!" Tough ne kaha...
iss baar shamsher ne fone utha liya," haan tough.. pahunch gaye kya?"
"haan.. Pahunch gaye!" Jawaab Anjali ne diya..
"koun.. anjali?" Shamsher ne poochha..
"shukra hai.. aawaj nahi bhoole!.. aa.. tum toh kah rahe the.. yahan koyi Sneha Aane wali hai...?" Anjali ne ek taraf hote huye kaha.. Shamsher ki aawaj bhar se uske armaan khil se gaye..
"toh.. Sneha nahi aayi kya?" Shamsher ne choukte huye kaha...
"aayi hai.. aayi hai.. par uske sath char aur hain...!" Anjali ne jawab diya..
"char aur??? wo koun?" Shamsher ka matha thanaka...
" lo.. Ajeet se hi poochh lo..!" kahkar Anjali ne wapas aakar fone tough ko pakda diya..
"haan.. bhai..!"
" ye tu aur kisko utha laya bhai?" Shamsher ne poochha..
" Mujhe nahi pata bhai.. maine toh Raaste bhar koyi poochh tachh bhi nahi ki.. kahin darr na jayein.. 2 ko toh apni saheliyan bata rahi hai.. aur do wo hain.. jinke paas vicky usko chhodkar gaya tha... tumne bola tha.. Sneha ko har haal mein lekar aana hai.. so main le aaya..." Tough apni jagah par sahi tha...
" chal.. koyi baat nahi.. tu ladko ko apne sath le jayega na..?" Shamsher ne kaha...
"haan.. mujhe toh koyi problem nahi hai.. par agar unko wapas jana hi hota toh wo wahin par na rah jaate..?" Tough ne kaha...
"fir tu aisa hi kar.. subah unko Rohtak wali bus mein baitha dena.. chale jayenge.. aur 'wo' ladkiyan?? wo koun hain..? unko bhi aajkal mein wapas bhej de yaar.. wo yahan koyi picnic manane thhode hi aaye hain.. baki tu dekh lena.." Shamsher ne kaha...
"theek hai bhai.. main dekh loonga.. aur kuchh..?" Tough ne kaha...
" wo recording suna dena Sneha ko.. vicky aur murari wali.. usko aise visvas na ho shayad.. Pyar ka maamla hai..." Shamsher ne kaha...
"wo main subah hi sunaaunga.. ab toh so lene do bechari ko.. sach mein yaar.. bahut masoom hai bechari..!"
" wo toh mujhe vicky ne hi bata diya tha.... main subah vicky se baat karke usko samjhane ki koshish karoonga.. chal theek hai.. subah mujhe bhi wapas chalna hai.. ab so leta hoon.." Shamsher ne kaha...
"OK bhai.. mujhe bhi neend aa rahi hai.. Main toh Bhabhi ke paas jakar sounga.." Tough ne majak kiya...
"tujhe laat padegi.. tab akal aayegi.." Shamsher ne hanste huye kaha..
"main wo nahi kah raha bhai.. jo tu samajh raha hai.. mera matlab tha.. unke ghar jakar..." Tough jor jor se hansne laga...
"chal ab rakh de.. sala!" kahkar Shamsher ne fone kaat diya...
"kya kah rahe hain", Tough ki baat khatam hote hi Anjali ne use toka.
" subah main baki logon ko wapas bhej doonga... par ab raat bhar ke liye toh kuchh na kuchh karna hi padega..." tough ne afsos jahir karte huye kaha..
" Theek hai.. main dekhti hoon.. tum lekar toh aao sabko!" Anjali ne jawaab diya...
Tough ne jakar Raj ko jagaya.. ek baar tokte hi wo unghata hua uth baitha," aa gaye kya?"
"haan.. Aa gaye.. sabko utha kar andar le aao!" kahkar tough wapas chala gaya...
Raj ki najar sabse pahle Priya par padi.. chand ki chandni mein wo uska hi pratiroop lag rahi thi.. gol gol chhota sa pyara chehra; kitni nischint hokar soyi huyi thi.. Raste bhar wo Raj ki side mein baithkar hi aayi thi.. Raj ka mann kayi baar usko chhoone ka hua tha.. par har baar uske dimag mein wo baat koundh jati..," main tumhe achchha ladka samajhti thi.. aur wo apna hath wapas kheench leta.. yunhi sochte sochte kab usko neend ne apne aagosh mein le liya, usko pata hi nahi chala tha. usko yakeen hi nahi ho raha tha ki Priya ab har pal uske sath hi rahne wali hai... usko wo itna tadpa dega ki wo khud uski baahon mein aane ke liye tadpegi.. aur fir wo usko ek baar jaroor kahega," main tumhe aisi ladki nahi samajhta tha..". Raj man hi man khil utha..
Raj ne bade pyar se uske gaalon par hath lagaya," Utho Priya!"
Priya par uske chhoone ka koyi asar dikhayi nahi diya..
"Priya.. utho.. gaanv aa gaya hai.. andar chalna hai..!" iss baar uski aawaj bhi kuchh tej thi aur sparsh bhi kuchh sakht.. par nateeja wahi.. Priya gahri neend mein thi..
Priya ke rasile hont barbas hi usko apni aur kheench rahe the... uske honton ko.. ek rasile chumban ke liye.. Raj ne badi mushkil se khud ko control kiya par wah apni hatheli ko na rok paya.. unn najuk gulabi honto ki chhap usspar lene se.. Raj ne iss tarah uska chehra apne hath mein liya ki honton ne hatheli ko choom liya.. uske liye ye ek avismarneeya anubhav tha.. honto se honton ko chhoo lene ki kalpana jaisa hi madak.. Priya neend mein hi uski aur ludhak gayi.. uska ek hath Raj ke kandhe par tha aur uska sir Raj ki chhati par tika hua tha.. Raj ki saanse tej ho gayi.. Priya ke komal par sudoul vaksh Raj ki baanh se sate huye thhe...
"Priya! uthho na.." Raj aur sahan karne ki sthiti mein nahi tha.. kisi bhi pal uska man sharaarat karne ko machal sakta tha..
" Ummmm.. abhi toh soyi thi.. thoda aur sone do na mummy..!" kahkar Priya ne Raj ko apni aur kheench liya.. mano apne takiye ko apne sir ke neeche lagane ki koshish kar rahi ho.. sparsh aur adhik aanandkari ho gaya.. aur adhik kamuk.. Priya ka chehra Raj ki Gardan ke sath chipka hua tha.. honton ne bus Raj ko chhoo hi liya tha..
Priya ke shareer mein huyi hulchal se uske sath baithi Sneha jaag gayi.. Jaagte hi jab iss manmohak drishya ko dekha toh wo apni hansi na Rok payi.. usne hath lagakar Riya ko jaga diya.. Riya aankhein masalte huye uth baithi aur wo bhi Raj aur Priya ko dekhkar 'Haaye Ram' kah baithi...
Raj ko laga ki jaise wo bina kuchh kiye hi Rangey haathon pakda gaya hai.. usne tapak se Priya ko Sneha ki taraf uchhalne ki koshish ki.. par Priya toh jaise us'se chipki huyi thi.. Raj usko apne se alag na kar paya..
Raj ne Riya aur Sneha ko dekha aur khisiaaya hua sa sharmakar mushkurane laga," Neend mein hai.. he he!"
"haye Ram.. tum dono sare raaste aise hi aaye ho..?" Riya ne sharaarat se kaha aur Priya ko jor se jhakjhor diya..
Priya hadbadakar uthi toh sabse pahle Raj ki aur aascharya se dekha.. uski baanhe Raj ki gardan se lipati huyi thi.. aur Raj na hans raha tha.. na ro raha tha.. aisi haalat mein tha..
Wah sambhal bhi nahi payi thi ki apne pichhe se usko Priya aur Sneha ki khilkhilati aawaj sunayi di.. wo hadbadakar uth baithi.. uski chunni Raj ki janghon par padi thi.. usne jhat se usko sambhalte huye najar neeche kare huye hi kaha..," pahunch gaye kya..?"
"hum toh pahunch gaye.. tumhara pata nahi?" Sneha ne khilkhilate huye gadi se utarte huye kaha.. Riya pahle hi utar chuki thi..
Priya iss tarah gadi se utarkar Riya ke pichhe bhagi jaise pahle Raj ne usko jabardasti pakad rakha ho," kya hai.. neend mein thi.. bata nahi sakti thi kya..?"
Raj ne aage aakar khidki kholi aur Viru ko hilaya," uthh le bhai; aa gaye..!"
Viru ne uthte hi peechhe dekha," Sneha kahan hai?"
"gayi wo andar yaar.. itni fikar mat kar.. aaja!" Raj ne neeche utarne mein uski madad ki...
"pata nahi yaar.. mujhe sab gadbad lag raha hai.. Isko lene mohan bhi toh aa sakta tha.. aur fir itni Raat ko wahan lene jane ki kya jarurat thi.. Subah bhi toh aa sakta tha.. kuchh na kuchh toh baat jaroor hai.. tu Sneha ka dhyan rakhna...! main toh uske sath ghoom nahi paaunga jyada.." Virender ko khatre ki boo aani shuru ho gayi thi...
"chinta kyun karta hai yaar..? wo mohan ka hi dost hai.. Fir Sneha bhi koyi pagal toh nahi hai na..." Raj ne kaha...
"hummm.." Kahte huye Viru Raj ke sath andar ghus gaya..
" kitni pyari pyari ladkiyan hain sari..... lag raha hai jaise koyi soundarya pratiyogita hone wali hai ghar mein..." Anjali ne sabhi ko dularte huye kaha...," Mere paas bhi hai ek.. tumhare hi jaisi.. andar soyi padi hai.. subah milawaaungi.. abhi so jao... neeche hi sona padega.. sorry.. maine bister laga diye hain andar.. Ladke bahar so jayenge.. living room mein!"
"theek hai didi.. neeche toh aur maja aayega... hai na Priya?" Sneha anjali ka dular dekh kar baag baag ho gayi...
"haan.." Priya aur Riya ek sath bol padi...
"achchha bachcho.. main toh chalta hoon.. subah milenge..!" Tough ne nikalte huye kaha...
Raj aur viru bahar latekar so gaye....
"Ye sab koun hain didi?" Neend se jaagte hi Gouri ne Anjali ke paas kitchen mein akar poochha.
"Munh toh dhole pahle! Uthte hi tahqiqat shuru ho gayi teri.. Dekh mujhe school mein deri ho jayegi.. Tu jaldi se fresh hokar sabko jaga de.. Tab tak mein Nashta taiyaar kar deti hoon.. Jaldi karna.. Tu aisa kar aaj school se chhutti kar le.." Anjali ne kaam karte huye hi kaha...
"par batao toh Sahi... Aur kab aaye ye sab?" Gouri ne anjali ko peechhe se bahon mein bharte huye kaha..
"chhod mujhe.. Bata doongi.. Pahle mere kaam mein madad kar jara..!" Anjali ne apne aapko chhudate huye kaha..
Gouri living room mein aayi.. Raj aur viru ko gour se dekha aur bathroom mein ghus gayi...
"Arey Anjali di.. Mujhe na bula liya hota.. Lao chaku mujhe do!" Shivani Anjali ki baatein sunkar apne bedroom se aa gayi...
"Maine socha tumhe vicky ko bhi taiyaar karna hai school ke liye.. Isiliye.." Anjali kuchh kah hi rahi thi ki Shivani beech mein hi bol padi..," Main bhi subah dono ko dekhkar hairan rah gayi thi.. Ye kab aaye?"
"Raat ko 3 baje ke aaspaas aaye the.. Ajeet ke sath.. Meri toh abhi inse jaanpahchan bhi nahi huyi hai dhang se...!" Anjali ne aata goonthte huye jawab diya...
Bathroom se nikal kar Gouri ne Sneha ko jagaya," GudMorning!"
"Hi!" Sneha uth baithi!
"Kya naam hai tumhara?" Gouri ne uske paas baithte huye kaha..
"Sneha; aur aapka?"
"Gouri! Uthkar Fresh ho lo jaldi.. Mummy khana laga rahi hain..." Gouri auron ke Saamne Anjali ko mummy hi bolti thi...
"OK!" Sneha ne bathroom ka raasta poochha aur andar chali gayi...
"oye didi.. Ye dekho... Same to same!" Ek dusri ki aur munh kiye so rahi Priya aur Riya ko dekhkar Gouri khilkhilakar hans padi...
Riya ki aankh khul gayi.. Kabhi usko aur kabhi so rahi Priya ko abhi tak aascharya se dekh rahi Gouri ko dekhkar Riya ne khulasa kiya," Hum dono judwa bahne hain.. Main Riya aur ye priya.. Mujhse 8 minute chhoti.."
"ye toh kamaal ho gaya.. Judwan toh maine pahle bhi dekhe hain.. Par bilkul ek jaise kabhi nahi dekhe.. Waise main Gouri hoon..." Gouri ne apna parichay diya..
"aur wo jo bahar so rahe hain wo?" Gouri unke baare mein jaan'ne ko jyada utsuk thi...
"wo.. Wo toh Sneha ke bhai hain..Viru aur Raj..!" Riya ne unka parichay diya...
"aur tumhare?" Gouri ne yunhi poochh liya...
"hamare..? Hamare kuchh nahi.." kahkar Riya ne batteesi nikal di...
"Fir theek hai.. Ek baat toh hai.. Dono bahut sexy hain!" Gouri par masti chadhi huyi thi.. Jane kitne dino se.. Usko uski masti utaarne wala koyi mila hi nahi tha.. Dhang
ka...
"ek baat bolun?" Riya ne dheere se kaha..
"haan! Bolo?" utsuktavash gouri ne uski taraf kaan kar liye..
"uss.. Motu ko ye baat mat bolna..!" Riya ne darwaje mein se dikhayi de rahe virender ki taraf ungali karke kaha..
"kyun?" Gouri ne poochh hi liya...
"pagal hai.. Chappal nikal kar tumhare pichhe bhag lega.. he he he"
"hain... Sach mein..?" Gouri bhi hansne lagi...
"yakeen nahi aata toh karke dekh lena...."
tabhi Sneha bathroom se bahar aa gayi aur Riya chali gayi...
Sneha ne aakar Priya ko uthaya aur teeno idhar udhar ki baat karne lage...
Tabhi tough wahan aa gaya...," uth gaye tum log.. Maine socha intzaar karna padega.." Fir usne priya aur gouri ki aur ishara karke kaha," jao; jakar unko bhi utha do.. Mujhe Sneha se kuchh baat karni hai.. Bahar hi rahna.. Kuchh der..!"
dono chali gayi toh tough ne andar se kundi band kar li.. Sneha saham si gayi," Kya baat hai.. Ssir?"
"tumhe ye toh visvas ho hi gaya hoga ki main Mohan ka dost hoon..?"
"haan.. Par..!"
"par kya?"
" par aap aise kyun poochh rahe hain? Kahan hain wo.. Kab tak aa jayenge?" Sneha ne ek hi saans mein kayi sawaal poochh dale...
"dekho.. Meri baat dhyan se sun'na.. Kisi bhi pichhli baat ko yaad karke mayoos hone ki jarurat nahi hai.. Humne.. Jo kuchh bhi kiya hai.. Sab tumhari bhalayi ke liye..." Tough ne bhumika baandhni shuru ki...
"aap mujhe dara kyun rahe hain..? Sahi sahi bataiye na Mohan kab tak aa jayenge..." Sneha ko tough ki baaton ke andaj se bechaini si hone lagi...
"main kah tih raha hoon.. Tumhe jaan pyari hai ki nahi.." Tough jhunjhla utha..
Sahmi huyi Sneha ne 'haan' mein sir hila diya...
"jeena chahti ho na..?"
"jji.. Haan.. Magar Mohan..."
"koun Mohan? Kiska Mohan.. Tum meri baat hi nahi sun rahi ho.. Kab se kah raha hoon ki meri baat suno.. Meri baat suno.. Akal hai ya nahi.. " darasal tough samajh hi nahi pa raha tha ki vicky ka Raj Sneha ke saamne khole toh kaise khole.. Sneha khud itni najuk thi.. Uska dil kaisa hoga.. Kya sah payegi wo? Isi baat ne sari raat Tough ko sone nahi diya tha..," Dekho.. Thande dimag se suno.. Pls!" Tough ne yatha sambha samanya hone ki koshish ki...
"ji.... " Sneha bilkul chup ho gayi...
"darasal.. Wo.. Wo Mohan nahi hai... Jise tum mohan samajh rahi ho.."
sneha kuchh samajh hi nahi payi.. Mohan wo hai ya koyi aur.. Iss baat se usko kya lena dena... Wo toh uska intzaar kar rahi thi jisne uske jeewan ko ek nayi disha di.. Ek nayi roshni dikhayi.. Naam mein kya rakha hai.. Par jo koyi bhi wo tha, uska apna tha..," kahan hai wo...? Mujhe uske paas le chalo.. Pls main aapke hath jodti hoon..."
boukhla se gaye tough ne turant apni jeb se mini recorder nikala aur usko on kar diya.. Har wo baat jo vicky aur Murari ne thane mein ki thi.. Doharayi jane lagi:
"haan.. bol Murari!" Vicky ne Murari ko ghoora...
"tu toh mujhse bhi bada kamina nikla re.. seedhe matlab ki baat par aaja.. bata.. meri beti mujhe sounpne ka kya lega?" Murari ki aawaj mein gussa aur bebasi saaf jhalak rahi thi...
"wo multiplex!" vicky ne do took jawab diya..
" ja le le... badle mein Sneha mujhe mil jayegi na...." Murari ne kaha..
"maine kya uska aachar daalna hai? jahan chahe chali jaye.. mujhe kya? waise bhi main toh ladki ko ek baar hi use karta hoon...." Vicky ne cigarettee nikal kar sulga li...
"na.. na.. mujhe chahiye.. wo haramjadi... manjoor ho toh bolo..." Murari ka chehra nafrat aur kadwahat se bhar uthha...
" tujhe main bata doon ki wo tere paas rahna nahi chahti.. nafrat karti hai tujhse.. teri shakal bhi dekhna nahi chahti... .. bayan mein nahi hone doonga.. meri guarantee..fir tu kya karega uska ?" Vicky ne uski aankhon mein jhankte huye kaha..
Murari ki aankhein laal ho gayi.. nathune fool gaye aur kisi bhediye ki tarah gurrane laga," Uska wahi karronga jo uski maa ka kiya tha.. sali kutiya... behan chod.. usko nangi karke apne saamne chudwaaunga... fir jangli kutton ke aage daal dunga.. usne sari duniya ko bata hi diya ki wo meri aulad nahi hai... ek baar mujhe sounp de bus.. bol manjoor hai ki nahi...?"
Vicky ke jahan se ek lambi saans aah ke roop mein nikli.. kaisa hai Murari? Aadmi hai ya bhediya.. kuchh minute ke moun ke baad bola..," majoor hai.. ladki tumhe mil jayegi.. mujhe multiplex ke kagaj milne ke baad..."
"to fir milao hath.. tum apna fone do.. main abhi uske malik ko fone karta hoon.. tum chaho toh kal hi usko paise dekar multiplex apne naam karwa sakte ho..." Murari ne vicky ka hath apne hath main pakad liya...
vicky ne apna hath chhudwaya aur jor jor se hansne laga...," tu kya samajhta hai.. maine itni mehnat sirf tujhse no objection certificate lene ke liye ki hai.. nahi! wo toh main kabhi bhi uski kanpati par rivolver rakhkar khareed sakta tha... ab wo multiplex tu khareed kar mujhe dega.. yani paise tere honge.. aur maal mujhe milega..!"
"matlab tu samajhta hai ki main apne paas se tujhe 8 karod rupaiya doonga... ?" Murari ne hairat se uski aur dekha...
"8 nahi 10 karod.. aur mujhe pata hai ki tu dega.. kyunki 10 karod ganwane 10 saal jail mein kaatne se kahin jyada aasan hai tere liye.. 10 saalon mein toh tu pata nahi kitne 10 karod kama lega...!" Vicky ne katil muskaan Murari ki aur fainki...
Murari ne apna sir table par rakh liya aur kuchh der udhedbun mein pada raha... fir achanak uthkar bola," main sirf 8 karod doonga.. aur mujhe wo loundiya hath ke hath chahiye.. bol kab de sakta hai...?"
"jab tum chaho.. par abhi toh tumhari 14 din ki police custody hai na?" vicky ne Murari se sawaal kiya...
"tumhe jab chahe paise mil jayenge.. tum batao.. kab la sakte ho Sneha ko..?" Murari ne sawaal par sawaal mara...
" main baanke ko bata doonga...! sochkar.." Vicky ne ajjeb se andaj mein baanke ka naam liya...
"baanke... tum baanke ko kaise jaante ho?" Murari chounk kar uchhal pada....
"kyun hairani huyi na... Mujhe kidnap karne kuchh chooson ko sath lekar aaya tha.. abhi mere gusalkhane mein kaid hain teeno.. agar tum aaj nahi maante toh tum par ek case aur lagna tha.. " Vicky jor jor se hansne laga....
tabhi tough ne office mein pravesh kiya..," lagta hai kuchh soudebazi ho gayi tum dono ki...?"
"nahi.. inspector sahab.. hum dono mein kuchh galatfahmiyan thi.. jo aaj sath baithne se door ho gayi.. waise vicky ji kah rahe hain ki ye Sneha ko manane ki koshish karenge... apne bayan wapas lene ke liye.. kyun vicky ji?" Murari ne baat sapast ki...
Recording khatam hote hote Sneha ke aansuon ka dariya bhi sookh chuka tha. Apne ghutno ko mod kar unn par apna sir rakhe Sneha shunya ko ghoor rahi thi. Wah samajh hi nahi pa rahi thi ki ab kiski chhati par sir rakhkar roye. Uske armaan uski siskiyon mein dafan hote ja rahe the, pal bhar ko mili khushiyan umar bhar ke liye uske nadan aur tanha dil par kahar ban kar toot padi thi. Ab na kuchh sapno ka karwan sajane mein rakha tha, aur na hi na-ummedi ko darkinar kar nayi kiran dhoondhne mein. Chand minute pahle tak mohabbat ke noor se khila khila sa chehra ab apne wajood ko talash raha lagta tha.. Na wo Murari ki beti hai, Na wo Vicky ki mahbooba.. Mohan ka toh khud ka hi astitav nahi hai, uss'se ummeed kare bhi toh kya kare.....?
"ab ho gaya yakeen? Vicky ne shamsher bhai ke saamne apni mansha jahir kar di thi, isiliye maine ye baatein record kar li.. Par hamein iss baat ka guman tak nahi tha ki ye bhi ho sakta hai.. Shukra hai humein pahle hi pata lag gaya; tum bach gayi...." Tough ne uske kandhe par hath rakh diya.
"Sneha achanak hi fat padi," Kahan bach gayi main? Kya bach gayi? Kiske liye? .. Ye toh maine kabhi bhi nahi manga tha.. Bhagwan se... Aisa bhi hota hai kabhi..?" Sneha ki karah uski aawaj ke jariye tough ka kaleja cheer rahi thi..
"darasal... Vicky kaisa bhi hai.. Par dil ka utna bura nahi hai.. Ek baar uske sir se multiplex ka bhoot utar jane do.. Main khud bhi uss'se baat karunga.. Koshish karenge ki tum jindagi ke iss dorahe mein apna bhavishya nirdharit kar sako...."
Sneha bahut kuchh bolna chahti thi..Kahan hai doraha..? Wo toh ek aise gol ghere mein lakar khadi kar di gayi hai jiske charon aur aag hai.. Ab uske liye ek hi rasta bacha hai.. Uss aag mein koodkar khud ko swaha kar dena.. Haan.. Yahi ek rasta hai..
Par jaise uski juban par tala lag gaya ho... Bina kuchh bole hi hajaron sawalon mein ulajhi Baithi Sneha sivay subakne ke aur kar hi kya sakt thi..
Na.. Kuchh nahi!
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories,aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories ,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,
No comments:
Post a Comment