गर्ल्स स्कूल पार्ट --45
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा हाजिर हूँ नेक्स्ट पार्ट लेकर
टफ जैसे ही वापस ऑफीस में आया, मुरारी की हालत देखकर वो अपनी हँसी नही रोक पाया.. वो मुरारी को बैठने को बोलकर गया था.. और मुरारी ठीक उसी जगह जाकर नीचे बैठा हुआ था जिस जगह पर कुच्छ मिनिट पहले वो दो आदमी बैठे थे.. बिल्कुल उसी अंदाज में.. शरीफ आदमियों की तरह... उसके दोनो हाथ घुटनो पर रखे हुए थे..
" यहाँ आ जाओ.. उपर.. कुर्सी पर.." टफ ने अपनी कुर्सी पर जमाते हुए कहा....
मुरारी की जान में जान आई.. वो तो ये सोच रहा था कि उसके साथ भी अब कुच्छ ऐसा ही होने वाला है.. पर अभी भी उसके दिल को पूरी तसल्ली नही हुई थी..," आप कहो तो मैं तो नीचे भी बैठ जाउन्गा.. इनस्पेक्टर........ साहब! मैं तो ज़मीन से जुड़ा हुआ आदमी हूँ.." मुरारी ने थूक गटका....
"हां.. तुम्हारी ज़मीन कल देख ली थी.. रही सही.. आज रात को देख लेंगे.." टफ ने मुस्कुराते हुए कहा..
"कककक.. क्या मतलब...?" मुरारी सिहर उठा...
"कुच्छ नही.. किसी आदमी का फोन आया था.. कह रहा था..."
मुरारी की आँखें चमक उठी..," देल्ही से आया था क्या फोन????"
"देल्ही वालों को भूल जाओ मुरारी.. दरअसल उनके कहने पर ही आपकी हवा टाइट की गयी है.. पार्टी आपकी वजह से अपनी छवि बदनाम नही करना चाहती.. खैर जिसका भी फोन आया था.. कह रहा था की उसको पता है की इस वक़्त तुम्हारी बेटी कहाँ है..?" टफ ने वहाँ रखे एक गिलास पानी से अपना गला तर किया.. .
"प्लीज़ इनस्पेक्टर साहब.. मुझे उस आदमी से मिलवा देजिये.. मैं भी परेशान हूँ.. अपनी बेटी के लिए... चाहे आप जो भी खर्चा पानी कहें.. मैं देने को तैयार हूँ...
टफ ने उसकी बात को नज़रअंदाज करके अपनी बात जारी रखी...," उसका नाम विकी है.. मैने उसको बुलवाया है.. वो बस आने ही वाला होगा..."
"विकी कौन.. रोहतक वाला.. जो विरोधी पार्टी में वहाँ से टिकेट का दावेदार है..?" मुरारी के दिमाग़ में खलबली मच गयी...
"वो मुझे नही पता.. पर हां.. है वो रोहतक से ही.." टफ ने अंजान बनते हुए कहा..
"वही होगा ज़रूर.. उसकी ही साजिस है ये.. किसी ने मेरी बेटी को उसके साथ देखा भी था.. वारदात वाले दिन.. इनस्पेक्टर साहब.. उसने मेरी बेटी को बहला रखा है.. आप यकीन कीजिए..." मुरारी कुर्सी पर बैठा बैठा हाँफने लगा.. एक ही साँस में वो ये सब बोल गया था....
"मैं तो यकीन कर भी लूँ.. पर कोर्ट तो सबूत माँगेगा.. और तुम्हारी बेटी के बयान तुम्हारे खिलाफ है.. फिर भी चलो.. आने दो.. देखते हैं बात करके..." टफ ने कहा ही था की दरवाजे पर राजेश प्रकट हुआ," जनाब.. कोई विकी आया है.. कह रहा है.. आपसे मिलने का टाइम माँगा है...
"भेज दो उसको अंदर...!" टफ ने कहा... मुरारी का चेहरा तमतमा उठा...
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"नमस्कार जनाब!" विकी ने ऑफीस में दाखिल होते हुए कहा...
"नमस्कार! क्या तुम ही...."
"जी हां जनाब.. मैं ही विकी हूँ.. ये मुझे अच्छि तरह से जानते हैं..! क्यूँ नेता जी..?" विकी ने मुरारी की और आँख दबा दी..
"इनस्पेक्टर साहब..! मुझे 100 प्रतिशत विस्वास है कि यही आदमी मेरी बर्बादी के पिछे ही है.. आप इसको अभी गिरफ्तार कर लीजिए.. मैं बेकसूर हूँ.." रो ही तो पड़ा था मुरारी....
"तुम फ़ैसला सुना रहे हो की राय दे रहे हो...?" टफ ने दीवार के साथ कुर्सी सरकाते हुए कहा.....
"नही इनस्पेक्टर साहब.. मैं फ़ैसला कैसे सुना सकता हूँ.. फ़ैसला करने वाले तो आप हैं.. फिर भी मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ की इसके पीछे इसीका हाथ है.. इसने मेरी बेटी बहका ली.. मुझे बदनाम कर दिया...." मुरारी को टफ ने बीच में ही टोक दिया...
"और शालिनी.. उसके कपड़े भी इसी ने फ़ाडे थे क्या?"
"ववो.. मैं बहक गया था.. गुस्से मैं था मैं.. मुझे माफ़ कर दो इनस्पेक्टर साहेब.. मैं शालिनी बिटिया से भी माफी माँग लूँगा.." मुरारी ने कहा..
विकी मुरारी का ये दब्बु रूप देखकर मुश्किल से अपनी हँसी रोक पा रहा था.. इनस्पेक्टर साहिब को इज़्ज़त जो बख्सनि थी..
"हाँ तो विकी जी.. क्या कहना है आपका..?" टफ विकी से मुखातिब हुआ...
"यही की मुझे पता है की इसकी लड़की इस वक़्त कहाँ है.. वो पोलीस के पास और कोर्ट में अपने बयान देना चाहती है.. इसी सिलसिले में किसी ने मुझसे कॉंटॅक्ट किया था..." विकी बोल ही रहा था की मुरारी बीच में टपक पड़ा..
"नही इनस्पेक्टर साहब.. इसकी सारी बातें झूठी हैं.. इसने खुद ये ड्रामा रचा है और अब यहाँ मुझे ब्लॅकमेल करने आया है..."
"तुम चुप हो जाओगे या मुझे तुम्हे हवालात में भेजना पड़ेगा...?" टफ ने रूखी आवाज़ में मुरारी से कहा," मैं कोई पागल तो नही हूँ.. मैं पूच्छ रहा हूँ ना सब कुच्छ.."
"जी!" मुरारी भीगी बिल्ली बन गया...
"हां तो विकी जी... ये ब्लॅकमेलिंग का क्या फंडा है.." टफ ने विकी से पूचछा...
"कुच्छ नही है जनाब! मैं इसको ब्लॅकमेल क्यूँ करूँगा.. इस जैसे लोगों की तो मैं शकल भी देखना नही चाहता.. मैं तो सिर्फ़ आपको जानकारी देने आया था.. वो भी इसीलिए की खुद इसकी बेटी ऐसा चाहती है..." विकी ने सहज भाव से कहा...
"हूंम्म.. तो कहाँ है लड़की.. चलिए उसके बयान लेकर कोर्ट में पेश कर देते हैं.. ये अपने आप भुगतेगा..!" टफ ने विकी से कहा.. कार्य वाही एक तरफ़ा चल रही थी.. हर तरफ से मुरारी को दबाया और डराया जा रहा था..
"चलिए.. मैं तो इसी काम से आया हूँ..!" विकी खड़ा हो गया...
"एक मिनिट.. दारोगा जी.. क्या मैं विकी से अकेले में बात कर सकता हूँ.." मुरारी को कुच्छ समझ नही आ रहा था.... उसका दिमाग़ खिसक चुका था...
"कर लीजिए.. मुझे क्या है.. हम तो दिलों को जोड़ने का ही काम करते हैं.. बशर्ते.. विकी जी को कोई ऐतराज ना हो तो..." कहकर टफ ने विकी की और देखा...
"नही.. मुझे इस घटिया इंसान से कोई बात नही करनी.. मैं तो रोज दुआ करता था की इसका असली चेहरा दुनिया के सामने आए... इसको 10 साल से कम तो क्या सज़ा होगी अब.. है ना जनाब?" विकी ने तिर्छि नज़रों से मुरारी का चेहरा देखते हुए कहा...
"हां.. अगर इसकी बेटी ने और शालिनी ने कोर्ट में इसके खिलाफ बयान दे दिए तो ये नही बच सकता.. हाँ अगर...!" टफ ने बात अधूरी छ्चोड़ दी...
"अगर क्या.. इनस्पेक्टर साहब.. मैं कुच्छ भी करने को तैयार हूँ.. मुझे बचा लीजिए प्लीज़.. मैं आपके पाँव पड़ता हूँ.. मैं कोई भी कीमत देने को तैयार हूँ..!" मुरारी कुर्सी से उठ गया...
"मैं ना तो आपको सज़ा से बचा सकता हूँ और ना ही सज़ा दिलवा सकता हूँ.. वैसे मेरी आपसे पूरी हुम्दर्दि है.. आख़िर आपके नीचे रहकर ही तो हमें काम करना है सारी उमर.. पर सब कुच्छ उन्न लड़कियों के ही हाथों में है..." टफ ने नकली सहानुभूति दर्शाते हुए कहा...
"पर एक तो आपके पास ही है ना.. कम से कम उसको तो समझा दीजिए.." मुरारी गिड़गिदा उठा था..
"एक से क्या होगा.. सज़ा तो दोनो की एक साथ ही मिलनी है.. अगर तुम्हारी लड़की वाला मामला सुलझता है तो मैं कोशिश कर सकता हूँ.. पर वो मामला तभी सुधार सकता है जब आपकी लड़की बयान ना दे.. या मीडीया को दिए बयानो से मुकर जाए.." टफ ने उसको इस उलझन से बाहर निकालने का रास्ता सुझाया.. और बाहर निकालने की चाबी सिर्फ़ विकी के पास ही थी..
"मैं अपनी बेटी को कैसे भी करके चुप करा दूँगा.. आप मुझे उस'से मिलवा दीजिए.." मुरारी हाथ जोड़कर गिड़गिडया..
"मिलवा दीजिए विकी जी.. अगर आप ठीक समझे.. बेचारे का भला हो जाएगा.. वैसे मुझे कोई दिक्कत नही है...." टफ ने चुटकी ली...
इस'से पहले विकी कुच्छ बोलता.. मुरारी उसके पैरों में गिर पड़ा..," विकी भाई.. एक बार बात कर लो प्लीज़.. मैं तुम्हे कभी हुल्के मैं नज़र नही आउन्गा.. और बोलो..."
विकी अपना मन सा बनाने की आक्टिंग करता हुआ टफ से बोला," ठीक है जनाब.. अगर आपको भी यही सही लगता है तो मैं बात कर लेता हूँ.. अकेले में...!"
"ठीक है.. तुम यहीं बैठो.. मुझे किसी काम से बाहर जाना है.. मैं आधे घंटे में आता हूँ.. " कहकर टफ बाहर निकल गया..
मुरारी भिखारी की तरह विकी के चेहरे को ताकने लगा...
"हां.. बोल मुरारी!" विकी ने मुरारी को घूरा...
"तू तो मुझसे भी बड़ा कमीना निकला रे.. सीधे मतलब की बात पर आजा.. बता.. मेरी बेटी मुझे सौंपने का क्या लेगा?" मुरारी की आवाज़ में गुस्सा और बेबसी सॉफ झलक रही थी...
"वो मल्टिपलेक्स!" विकी ने दो टुक जवाब दिया..
" जा ले ले... बदले में स्नेहा मुझे मिल जाएगी ना...." मुरारी ने कहा..
"मैने क्या उसका आचार डालना है? जहाँ चाहे चली जाए.. मुझे क्या? वैसे भी मैं तो लड़की को एक बार ही यूज़ करता हूँ...." विकी ने सिगरेट्टी निकाल कर सुलगा ली...
"ना.. ना.. मुझे चाहिए.. वो हरम्जदि... मंजूर हो तो बोलो..." मुरारी का चेहरा नफ़रत और कड़वाहट से भर उठा...
" तुझे मैं बता दूँ कि वो तेरे पास रहना नही चाहती.. नफ़रत करती है तुझसे.. तेरी शकल भी देखना नही चाहती... .. बयान में नही होने दूँगा.. मेरी गॅरेंटी..फिर तू क्या करेगा उसका ?" विकी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा..
मुरारी की आँखें लाल हो गयी.. नथुने फूल गये और किसी भेड़िए की तरह गुर्राने लगा," उसका वही करूँगा जो उसकी मा का किया था.. साली कुतिया... बेहन चोद.. उसको नंगी करके अपने सामने चुदवाउन्गा... फिर जंगली कुत्तों के आगे डाल दूँगा.. उसने सारी दुनिया को बता ही दिया की वो मेरी औलाद नही है... एक बार मुझे सौंप दे बस.. बोल मंजूर है की नही...?"
विकी के जहाँ से एक लंबी साँस आह के रूप में निकली.. कैसा है मुरारी? आदमी है या भेड़िया.. कुच्छ मिनिट के मौन के बाद बोला..," मजूर है.. लड़की तुम्हे मिल जाएगी.. मुझे मल्टिपलेक्स के कागज मिलने के बाद..."
"तो फिर मिलाओ हाथ.. तुम अपना फोन दो.. मैं अभी उसके मलिक को फोन करता हूँ.. तुम चाहो तो कल ही उसको पैसे देकर मल्टिपलेक्स अपने नाम करवा सकते हो..." मुरारी ने विकी का हाथ अपने हाथ मैं पकड़ लिया...
विकी ने अपना हाथ च्छुडवाया और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा...," तू क्या समझता है.. मैने इतनी मेहनत सिर्फ़ तुझसे नो ऑब्जेक्षन सर्टिफिकेट लेने के लिए की है.. नही! वो तो मैं कभी भी उसकी कनपटी पर रिवॉल्वेर रखकर खरीद सकता था... अब वो मल्टिपलेक्स तू खरीद कर मुझे देगा.. यानी पैसे तेरे होंगे.. और माल मुझे मिलेगा..!"
"मतलब तू समझता है की मैं अपने पास से तुझे 8 करोड़ रुपैया दूँगा... ?" मुरारी ने हैरत से उसकी और देखा...
"8 नही 10 करोड़.. और मुझे पता है की तू देगा.. क्यूंकी 10 करोड़ गँवाने 10 साल जैल में काटने से कहीं ज़्यादा आसान है तेरे लिए.. 10 सालों में तो तू पता नही कितने 10 करोड़ कमा लेगा...!" विकी ने कातिल मुस्कान मुरारी की और फैंकी...
मुरारी ने अपना सिर टेबल पर रख लिया और कुच्छ देर उधेड़बुन में पड़ा रहा... फिर अचानक उठकर बोला," मैं सिर्फ़ 8 करोड़ दूँगा.. और मुझे वो लौंडिया हाथ के हाथ चाहिए.. बोल कब दे सकता है...?"
"जब तुम चाहो.. पर अभी तो तुम्हारी 14 दिन की पोलीस कस्टडी है ना?" विकी ने मुरारी से सवाल किया...
"तुम्हे जब चाहे पैसे मिल जाएँगे.. तुम बताओ.. कब ला सकते हो स्नेहा को..?" मुरारी ने सवाल पर सवाल मारा...
" मैं बांके को बता दूँगा...! सोचकर.." विकी ने अजीब से अंदाज में बांके का नाम लिया...
"बांके... तुम बांके को कैसे जानते हो?" मुरारी चौंक कर उच्छल पड़ा....
"क्यूँ हैरानी हुई ना... मुझे किडनॅप करने कुच्छ चूजो को साथ लेकर आया था.. अभी मेरे गुसलखाने में क़ैद हैं तीनो.. अगर तुम आज नही मानते तो तुम पर एक केस और लगना था.. " विकी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा....
तभी टफ ने ऑफीस में प्रवेश किया..," लगता है कुच्छ सौदेबाज़ी हो गयी तुम दोनो की...?"
"नही.. इनस्पेक्टर साहब.. हम दोनो में कुच्छ ग़लतफ़हमियाँ थी.. जो आज साथ बैठने से दूर हो गयी.. वैसे विकी जी कह रहे हैं की ये स्नेहा को मनाने की कोशिश करेंगे... अपने बयान वापस लेने के लिए.. क्यूँ विकी जी?" मुरारी ने बात सपस्ट की...
"हां मुरारी जी.. " और कहते हुए विकी ने टफ की और आँख मारी...
"राजेश!" टफ ने आवाज़ लगाई....
"जी जनाब.."
"नेता जी को पूरी इज़्ज़त से हवालात में छ्चोड़ आओ.. सुबह मिलते हैं इनसे.. इनका ख़याल रखना..." टफ ने व्यंग्य किया...
"इनस्पेक्टर साहब.. अगर बुरा ना मानो तो.. मैं यहीं सो जाऊं... वहाँ मच्छर और गर्मी जान निकल देते हैं..."
"आप चिंता ना करें नेता जी.. सरकार कुच्छ ही दिनों में हवालात में भी एसी लगवाने पर विचार कर रही है... तब तक प्लीज़.. किसी तरह से काट लें...!" टफ ने मुस्कुराते हुए कहा...
"कब.. ये कैसे हो सकता है..? मुरारी को विस्वास नही हुआ..
"हो क्यूँ नही सकता नेता जी.. आजकल हवालात में आते ही नेता लोग हैं.. फिर कुच्छ ना कुच्छ तो सरकार को सोचना ही पड़ेगा.." टफ ने कहा और राजेश को उसे वहाँ से ले जाने को कहा....
"तू बुरा फँसेगा किसी दिन..!" मुरारी के जाते ही टफ ने विकी को आगे बढ़कर गले लगा लिया...," हो गया तुम्हारा काम?"
विकी कुच्छ ना बोला.. आँख बंद होते ही उसको स्नेहा का मासूम सा चेहरा दिखाई दिया.. वो बिल्कुल नंगी पड़ी थी.. जंगली कुत्तों के बीच.....
टफ और विकी दोनो थाने से निकल कर टफ के घर की और चल पड़े.. लगभग सारे रास्ते विकी चुप ही रहा...
"क्या बात है.. तुम्हे मल्टिपलेक्स मिल तो गया ना? या कुच्छ अड़चन है.. ?" टफ ने उसको गुम्सुम बैठे देख कहा....
"हूंम्म... हां.. मिल जाएगा!.......... कोई अड़चन नही है..अब!" विकी ने लंबी गहरी साँस छ्चोड़ी...
"फिर भी तू परेशान लग रहा है.. क्या बात है यार...? बता तो!" टफ ने उसका चेहरा देखते हुए पूचछा...
"नही... कुच्छ नही है... कुच्छ भी तो नही.. बस मुरारी का चेहरा देखकर ही उल्टियाँ सी आने लगती हैं.. बहुत कमीना है साला.. सौ कुत्ते मारकर ये 'एक' पैदा हुआ होगा..." विकी के जबड़े भिच गये.. पर वो आधी बात मन में ही पी गया.. कैसे बताता की वो भी इस बार 'उसके' कामीनेपन में हिस्सेदार होने वाला है... स्नेहा को उसे सौंपकर...'" बस! बहुत हो गया.. ये आख़िरी बार है..!" अचानक विकी के मुँह से निकला...
"क्या बहुत हो गया? क्या आख़िरी बार है? कहाँ अटका हुआ है भाई...?" टफ ने गाड़ी रोक दी...
"बस यार.. ये पॉलिटिक्स.. बहुत ही कुत्ति चीज़ है.. सोच रहा हूँ.. छ्चोड़ दूं.. जाने क्या क्या करवाती है साली... बस ये मल्टिपलेक्स मिल जाए.. उसके बाद में अपने बारे में सोचूँगा..." विकी की तबीयत सी खराब हो गयी थी.. उसको अपना शरीर टूट'ता हुआ लग रहा था...
"एक बात तो बता यार.. स्नेहा बयान नही देती ... ठीक है... पर क्या तू उसको सच्चाई बताएगा? क्यूंकी आज नही तो कल उसको वापस जाने पर पता लग ही जाएगा.. सच्चाई का... फिर क्या वो तुझ पर उल्टा केस नही ठोंक देगी....?" टफ को पूरी बात का ज्ञान नही था...
"तू छ्चोड़ ना यार.. स्नेहा को.. गाड़ी चला.. मेरे सिर में दर्द है..." विकी का सिर पहले ही स्नेहा के बारे में सोचकर फटा जा रहा था...
"ऐसे सिर दर्द करने से काम थोड़े ही चलेगा..? आगे का सोचकर तो चलना ही पड़ेगा... तूने सोचा है की अगर उसके बयानो का मुँह तेरी तरफ घूम गया तो क्या होगा? मुरारी की जगह तू मेरे थाने में बैठा होगा.. और मैं कुच्छ कर भी नही पाउन्गा......." टफ ने पते की बात कही थी...
"ऐसा नही होगा याआआर.. तू समझता क्यूँ नही है.... वो कभी ऐसा नही करेगी..?" विकी झल्लाते हुए बोला.. टफ उसको बार बार अंजाने में ही याद दिला रहा था की स्नेहा के साथ क्या होने वाला है...
"क्यूँ.. क्यूँ नही करेगी..?" टफ ने फिर उसके दिल के तारों को छेड़ा..
"हेययय भग्वाआअन... वो मुझसे प्यार करती है.. मेरे लिए मर सकती है.. मर जाएगी...! प्लीज़ तू ये बात बंद कर दे यार..." विकी का अंतर्मन उसको कचोट रहा था...
"और तू..??? तू नही करता क्या उस'से प्यार? तुझे अच्छि नही लगती क्या वो...? अगर तू जिंदगी के बारे में सोच ही रहा है तो वो क्यूँ तेरी जिंदगी का हिस्सा नही हो सकती...? तू ही तो कह रहा था भाई के सामने.. कि ऐसी लड़की तूने आज तक देखी ही नही..." टफ टॉपिक बंद करने को तैयार ही नही था.. उल्टा बात को और ज़्यादा कुरेद रहा था..
विकी झल्लाते हुए गाड़ी से उतर गया.. टफ भी उतर कर उसके पास चला गया...," किस'से भागने की कोशिश कर रहा है तू.. मुझसे? या अपने आप से..? कहाँ तक भाग सकता है भाग ले..
"विकी प्यार नही करता.. बस! मेरी लाइफ में प्यार के कोई मायने नही हैं.. मैं अपने लिए जीता था.. जीता हूँ.. और जियूंगा... ! मुझे वापस छ्चोड़ दे.. मुझे गाड़ी लेकर कहीं जाना है.. अभी.." विकी बिफर उठा.. अपने आप से ही..
"ठीक है.. नो प्राब्लम! चल आ.. वापस छ्चोड़ देता हूँ.." टफ ने उसको एक बार भी रुकने के लिए नही बोला... गाड़ी में बैठे और वापस थाने पहुँच गये..
" एक बात मानेगा?" विकी ने टफ से कहा..
"हां बोल!"
"मुझे एक बार और मुरारी से मिलने दे... अकेले में.. मुझे कुच्छ ज़रूरी बात करनी हैं.. आख़िरी बार.." विकी ने कहा..
"तू एक मिनिट यहीं ठहर.. मैं आता हूँ.." कहकर टफ ऑफीस में गया और कुच्छ देर बाद वापस आया," चल तू ऑफीस में बैठ.. मैं मुरारी को वहीं भेजता हूँ.."
"ठीक है.." कहकर विकी ऑफीस में जाकर बैठ गया...
कुच्छ देर बाद बदहाल मुरारी भी वहीं आ पहुँचा," क्या यार.. तूने मेरी मा चुदवा दी.. देख कितने मच्च्छार काट चुके हैं.."
"काम की बात कर.. स्नेहा तुझे कल ही मिल जाएगी.. बोल पैसे कहाँ दे रहा है..?" विकी ने कहा...
"जहाँ तू मुझे स्नेहा देगा.. वहीं.. टाइम भी तेरा.. जगह भी तेरी..." मुरारी ने दाँत पीसते हुए कहा....
"ठीक है.. कल शाम 6 बजे.. पानीपत से देल्ही की और जो दो नहरें जाती हैं.. बवाना से कुच्छ पहले उन्न दोनो नहरों के बीच मिलते हैं... कैसे करना है.. ये तुम बता दो.." विकी ने कहा..
"ओके! मेरे पास ऐसा प्लान है जिसमें हम में से कोई चीटिंग नही कर सकता.." और मुरारी प्लान बताने लगा...
सच में ही प्लान फुलप्रूफ था.. कहीं चीटिंग करने की गुंजाइश ना थी.. या तो दोनो पार्टियों को अपना अपना 'माल' मिल जाएगा.. या किसी को भी कुच्छ नही...," लाओ.. तुम्हारे फोन से अभी फोन कर दूं.. अपने किसी खास को.. बांके को तो तुम छ्चोड़ ही दोगे ना..." मुरारी ने कहा...
"हां.. जाते ही.."
विकी ने फोन ऑन करके मुरारी को दे दिया......
मुरारी ने फोन करके अपने किसी आदमी को सबकुच्छ समझा दिया.. और बाद में कहा," याद रखना.. मेरी जमानत होने तक किसी को भी खबर नही होनी चाहिए की स्नेहा हमारे पास है.. उसको क़ैद करके रखना है... समझ गये ना...!"
"यस सर..!"
"लो.. हो गयी बात!" मुरारी ने विकी को फोन दे दिया....
विकी बिना कोई शब्द बोले ऑफीस से बाहर निकल गया.. वह जाते हुए टफ से भी नही मिला....
विकी मुश्किल से 5 मिनिट ही चला था की उसका फोन बज उठा..
"ओह! फोन ऑफ करना तो भूल ही गया था.. उसने फोन उठाकर देखा.. कोई अंजान नंबर. था.. विकी ने फोन वापस डॅशबोर्ड पर रख दिया... कॉल स्नेहा की हो सकती थी...
बेल बंद हो जाने के बाद वह फोन को उठाकर ऑफ करने ही वाला था कि फिर से उसी नंबर. से कॉल आ गयी... कुच्छ सोचते हुए उसने फोन उठा लिया," हेलो!"
स्नेहा फोन लेकर बाहर भाग आई," जान! कहाँ रह गये तुम? मैं मर जाती तो?"
अचानक विकी को कुच्छ सूझा ही नही," मैं आकर बतौन्गा सानू.. तुम्हे नही पता मेरे साथ क्या हुआ..?"
"है राम! क्या हुआ.. तुम ठीक तो हो ना..?" स्नेहा ने अपने दिल पर हाथ रखकर पूछा... उसकी धड़कने बढ़ गयी थी...
"हां, अभी मैं बिल्कुल ठीक हूँ.. तुम चिंता ना करो..!"
"अब आ रहे हो ना मेरे पास..?" स्नेहा का दिल खुशी के मारे धड़क रहा था...
" तुम ठीक तो हो ना..?" विकी को ताज्जुब हुआ.. यूँही उसकी आँखें नम हो गयी थी..
"हां मैं बिल्कुल ठीक हूँ.. वीरू और राज भैया बहुत अच्छे हैं.. पता है.. मैने अपनी जिंदगी मैं पहली बार रक्षाबन्धन मनाया है.. मैने दोनो को राखी बँधी..... कितनी देर में आ रहे हो...?" स्नेहा फूली नही समा रही थी..
"अब नही आ सकता मैं.. कल आउन्गा.. बहुत दूर हूं.. और गाड़ी भी नही है मेरे पास..." विकी ने झूठ बोला..
स्नेहा मायूस हो गयी," हां.. गाड़ी तो मेडिकल में ही खड़ी है ना..?"
"हां.. अब रखूं..?" विकी ने कहा..
"नआईईई.. कुच्छ देर और बात करो ना... प्लीज़.. तुम्हे पता है.. तुमसे बात करते ही 'तुम्हारी चिड़िया' उच्छलने लगी है.. इसका क्या करूँ..?"
"मेरी चिड़िया..? क्या मतलब?? " विकी की कुच्छ समझ में नही आया..
"इसको तुमने चिड़िया ही तो कहा था.. छ्होटी सी..?" स्नेहा ने अपनी जांघें कस ली और उस 'चिड़िया' को फुदकने से रोकने की कोशिश करने लगी..
"श.. अच्च्छा.. हा हा हा" विकी फीकी सी हँसी हंसते हुए बोला..," कल आ रहा हूँ. ना.. अब फोन रख दो... मैं बहुत परेशान हूँ.. इस वक़्त.."
"अच्च्छा.." स्नेहा ने मुँह बना लिया... पर अचानक उसके चेहरे की रौनाक़ लौट आई," याद है ना तुमने क्या वादा किया था..?"
विकी का चेहरा मुरझा गया," हां याद है.. अब रख दो फोन.."
"हां हां रखती हूँ.. पहले बोलो.. आइ लव यू!" स्नेहा फोने रखना ही नही चाह रही थी...
" रखो ना यार फोन.. कह तो रहा हूँ.. कल आ जाउन्गा.." कहकर विकी ने फोन काट दिया....
स्नेहा कुच्छ देर यूँही फोन को देखती रही.. फिर अंदर जाते ही बोली," मोहन बहुत परेशान है.. वो किसी प्राब्लम में है.. अच्छे से बात भी नही कर पाया... आज आएगा भी नही..."
"तुम्हे यहाँ कोई दिक्कत है?" वीरू ने पूचछा...
"नही तो.. मैं तो यहाँ बहुत खुश हूँ.." स्नेहा ने चहकते हुए कहा..
"फिर क्यूँ चपर चपर लगा रखी है... चल आजा शतरंज खेलते हैं.." वीरू ने कहा.. एक ही दिन में वो कितना घुलमिल गये थे...
"अभी लाई.. दिन वाली बाज़ी का बदला भी लेना है मुझे.." कहते हुए स्नेहा ने चेस-बोर्ड उठाया और वीरू के पास बेड पर बाज़ी जमा दी... उसका अहसास तक नही था.. कि कोई उसको भी ऐसे ही चल चुका है.. जिंदगी की बिसात पर.. और वहाँ हारते ही मौत है.. सिर्फ़ मौत...
"जब से मैं स्कूल से आया हूँ.. तुम लोगों ने एक भी अक्षर पढ़ने नही दिया है.. तुम दोनो चाहते क्या हो आख़िर?" राज अपने बिस्तेर पर खीजा हुआ बैठा था.. स्कूल से आने के बाद दोनो ने उसके खूब मज़े लिए थे... प्रिया का जिकर कर कर के!
"ओहो.. राज भैया.. हमें पता है.. आजकल आप पढ़ तो यूँ भी नही रहे.. यहाँ आकर मेरी मदद करो ना.. आपका दिल भी लग जाएगा.." स्नेहा के साथ मिलकर वीरू ने भी ज़ोर का ठहाका लगाया...
"आख़िर तुम लोग चाहते क्या हो यार..? ठीक है.. लो! बंद कर दी किताब.." राज ने किताब बंद करके टेबल पर रखी और उनके साथ ही बेड पर आ बैठा," चल घोड़ा चल... घोड़ाआ चल चुहिया.. मरवाएगी क्या रानी को!!!!!"
स्नेहा को ग़लती का अहसास हो गया," थॅंक यू भैया.. तुम कितने अच्छे हो.. तुम साथ बैठे रहे तो मैं जीत ही जाउन्गि.. पर अपना ध्यान सामने वाली खिड़की मैं मत लगा लेना.." राज को छेड़ने का कोई मौका दोनो हाथ से नही जाने दे रहे थे...
"मैं तुम्हे कितनी बार बता चुका हूँ कि ऐसा कुच्छ नही है... अगर थोडा बहुत कुच्छ था भी तो वो कल ख़तम हो गया.. अब बंद करो यार इश्स टॉपिक को.. और कुच्छ नही है क्या बात करने को..?" राज ने कहा..
"जब तक तुम सच सच नही बता देते की कल रात तुम्हारी कितनी पिटाई हुई, हम तुम्हारा पीछा नही छ्चोड़ने वाले.. क्यूँ स्नेहा?" वीरू ने कहा...
"सही बात है भाई.. बिल्कुल सही बात है ये तो हो हो... हा हा.. और ये गयी तुम्हारी रानी... मैं जीत गयी.. वाउ.." स्नेहा खड़ी होकर कूदने लगी...
"जा मुँह धोकर आ पहले.. हाथी भी कभी टेढ़ा चलता है..?" वीरू ने हंसते हुए कहा...
"मैं नही खेलती.. बकवास गेम है..!" कहते हुए स्नेहा ने सारे प्यादे बिखरा दिए," बताओ ना राज.. क्या हुआ तुम्हारे साथ कल.. प्लीज़ बता दो.. हम हँसेंगे नही.. प्रोमिस! है ना भैया!" स्नेहा ने वीरू की और देखा और दोनो एक बार फिर खिलखिला पड़े...
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज
girls school-45
hello dosto main yaani aapka dost raj sharma haajir hun next paart lekar
Tough jaise hi wapas office mein aaya, Murari ki halat dekhkar wo apni hansi nahi rok paya.. wo murari ko baithne ko bolkar gaya tha.. aur murari theek usi jagah jakar neeche baitha huaa tha jis jagah par kuchh minute pahle wo do aadmi baithe thhe.. bilkul usi andal mein.. shareef aadmiyon ki tarah... uske dono hath ghutno par rakhe huye thhe..
" yahan aa jao.. upar.. kursi par.." Tough ne apni kursi par jamte huye kaha....
Murari ki jaan mein jaan aayi.. wo toh ye soch raha tha ki uske sath bhi ab kuchh aisa hi hone wala hai.. par abhi bhi uske dil ko poori tasalli nahi huyi thi..," aap kaho toh main toh neeche bhi baith jaaunga.. inspector........ sahab! main toh jameen se juda huaa aadmi hoon.." Murari ne thhook gatka....
"haan.. tumhari jameen kal dekh li thi.. rahi sahi.. aaj rat ko dekh lenge.." Tough ne muskurate huye kaha..
"kkkk.. kya matlab...?" Murari sihar utha...
"kuchh nahi.. kisi aadmi ka fone aaya tha.. kah raha tha..."
Murari ki aankhein chamak uthhi..," Delhi se aaya tha kya fone????"
"Delhi walon ko bhool jao murari.. darasal unke kahne par hi aapki hawa tight ki gayi hai.. party aapki wajah se apni chhawi badnaam nahi karna chahti.. khair jiska bhi fone aaya tha.. kah raha tha ki usko pata hai ki iss waqt tumhari beti kahan hai..?" Tough ne wahan rakhe ek gilas pani se apna gala tar kiya.. .
"pls inspector sahab.. mujhe uss aadmi se milwa dejiye.. main bhi pareshan hoon.. apni beti ke liye... chahe aap jo bhi kharcha pani kahein.. main dene ko taiyaar hoon...
tough ne uski baat ko najarandaj karke apni baat jari rakhi...," uska naam vicky hai.. maine usko bulwaya hai.. wo bus aane hi wala hoga..."
"Vicky koun.. Rohtak wala.. jo virodhi party mein wahan se ticket ka dawedaar hai..?" Murari ke dimag mein khalbali mach gayi...
"wo mujhe nahi pata.. par haan.. hai wo rohtak se hi.." Tough ne anjan bante huye kaha..
"wahi hoga jaroor.. uski hi sajis hai ye.. kisi ne meri beti ko uske sath dekha bhi tha.. wardaat wale din.. inspector sahab.. usne meri beti ko behla rakha hai.. aap yakin kijiye..." Murari kursi par baitha baitha haanfne laga.. ek hi saans mein wo ye sab bol gaya tha....
"main toh yakeen kar bhi loon.. par court toh saboot maangega.. aur tumhari beti ke bayan tumhare khilaf hai.. fir bhi chalo.. aane do.. dekhte hain baat karke..." tough ne kaha hi tha ki darwaje par Rajesh prakat hua," Janab.. koyi vicky aaya hai.. kah raha hai.. aapse milne ka time maanga hai...
"Bhej do usko andar...!" tough ne kaha... Murari ka chehra tamtama uthha...
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"Namaskar janab!" vicky ne office mein dakhil hote huye kaha...
"namaskar! kya tum hi...."
"ji haan janab.. main hi vicky hoon.. ye mujhe achchhi tarah se jaante hain..! kyun neta ji..?" Vicky ne murari ki aur aankh daba di..
"Inspector sahab..! mujhe 100 pratishat visvash hai ki yahi aadmi meri barbadi ke pichhe hi hai.. aap isko abhi giraftaar kar lijiye.. main bekasoor hoon.." ro hi toh pada tha murari....
"tum faisla suna rahe ho ki rai de rahe ho...?" Tough ne deewar ke sath kursi sarkate huye kaha.....
"nahi inspector sahab.. main faisla kaise suna sakta hoon.. faisla karne wale toh aap hain.. fir bhi main yakeen ke sath kah sakta hoon ki iske peechhe isika hath hai.. isne meri beti behka li.. mujhe badnaam kar diya...." Murari ko tough ne beech mein hi tok diya...
"aur shalini.. uske kapde bhi isi ne faade thhe kya?"
"wwo.. main behak gaya tha.. gusse main tha main.. mujhe maaf kar do inspector saheb.. main shalini bitiya se bhi maafi maang loonga.." Murari ne kaha..
vicky Murari ka ye dabbu roop dekhkar mushkil se apni hansi rok pa raha tha.. inspector sahib ko ijjat jo bakhsani thi..
"haan toh vicky ji.. kya kahna hai aapka..?" tough vicky se mukhatib huaa...
"yahi ki mujhe pata hai ki iski ladki iss waqt kahan hai.. wo police ke paas aur court mein apne bayan dena chahti hai.. isi silsile mein kisi ne mujhse contact kiya tha..." vicky bol hi raha tha ki Murari beech mein tapak pada..
"nahi inspector sahab.. iski sari baatein jhoothi hain.. isne khud ye drama racha hai aur ab yahan mujhe blackmail karne aaya hai..."
"tum chup ho jawoge ya mujhe tumhe hawalat mein bhejna padega...?" tough ne rukhi aawaj mein Murari se kaha," main koyi pagal toh nahi hoon.. main poochh raha hoon na sab kuchh.."
"ji!" murari bheegi billi ban gaya...
"haan toh vicky ji... ye blackmailing ka kya funda hai.." Tough ne vicky se poochha...
"kuchh nahi hai janab! main isko blackmail kyun karunga.. iss jaise logon ki toh main shakal bhi dekhna nahi chahta.. main toh sirf aapko jaankari dene aaya tha.. wo bhi isiliye ki khud iski beti aisa chahti hai..." Vicky ne sahaj bhav se kaha...
"hummm.. to kahan hai ladki.. chaliye uske bayan lekar court mein pesh kar dete hain.. ye apne aap bhugtega..!" Tough ne Vicky se kaha.. karya wahi ek tarfa chal rahi thi.. har taraf se Murari ko dabaya aur daraya ja raha tha..
"chaliye.. main toh isi kaam se aaya hoon..!" Vicky khada ho gaya...
"ek minute.. daroga ji.. kya main vicky se akele mein baat kar sakta hoon.." Murari ko kuchh samajh nahi aa raha tha.... uska dimag khisak chuka tha...
"kar lijiye.. mujhe kya hai.. hum toh dilon ko jodne ka hi kaam karte hain.. basharte.. vicky ji ko koyi aitraj na ho toh..." kahkar Tough ne vicky ki aur dekha...
"nahi.. mujhe iss ghatiya insaan se koyi baat nahi karni.. main toh roj duaa karta tha ki iska asli chehra duniya ke saamne aaye... isko 10 saal se kum toh kya saja hogi ab.. hai na janaab?" vicky ne tirchhi najron se Murari ka chehra dekhte huye kaha...
"haan.. agar iski beti ne aur shalini ne court mein iske khilaf bayan de diye toh ye nahi bach sakta.. haan agar...!" Tough ne baat adhoori chhod di...
"agar kya.. inspector sahab.. main kuchh bhi karne ko taiyar hoon.. mujhe bacha lijiye pls.. main aapke paanv padta hoon.. main koyi bhi keemat dene ko taiyar hoon..!" Murari kursi se uthh gaya...
"Main na toh aapko saja se bacha sakta hoon aur na hi saza dilwa sakta hoon.. waise meri aapse poori humdardi hai.. aakhir aapke neeche rahkar hi toh hamein kaam karna hai sari umar.. par sab kuchh unn ladkiyon ke hi hathon mein hai..." Tough ne nakli sahanubhooti darshate huye kaha...
"par ek toh aapke paas hi hai na.. kum se kum usko toh samjha dijiye.." Murari gidgida utha tha..
"ek se kya hoga.. saja toh dono ki ek sath hi milni hai.. agar tumhari ladki wala maamla sulajhta hai toh main koshish kar sakta hoon.. par wo maamla tabhi sudhar sakta hai jab aapki ladki bayan na de.. ya media ko diye bayano se mukar jaye.." Tough ne usko iss uljhan se bahar nikalne ka raasta sujhaya.. aur bahar nikalne ki chabi sirf Vicky ke paas hi thi..
"main apni beti ko kaise bhi karke chup kara doonga.. aap mujhe uss'se milwa dijiye.." Murari hath jodkar gidgidaya..
"Milwa dijiye Vicky ji.. agar aap theek samjhe.. bechre ka bhala ho jayega.. waise mujhe koyi dikkat nahi hai...." Tough ne chutki li...
iss'se pahle vicky kuchh bolta.. Murari uske pairon mein gir pada..," Vicky bhai.. ek baar baat kar lo pls.. main tumhe kabhi hulke main najar nahi aaunga.. aur bolo..."
vicky apna man sa banane ki acting karta hua tough se bola," Theek hai janab.. agar aapko bhi yahi sahi lagta hai toh main baat kar leta hoon.. akele mein...!"
"theek hai.. tum yahin baitho.. mujhe kisi kaam se bahar jana hai.. main aadhe ghante mein aata hoon.. " kahkar tough bahar nikal gaya..
Murari bhikhari ki tarah vicky ke chehre ko taakne laga...
"haan.. bol Murari!" Vicky ne Murari ko ghoora...
"tu toh mujhse bhi bada kamina nikla re.. seedhe matlab ki baat par aaja.. bata.. meri beti mujhe sounpne ka kya lega?" Murari ki aawaj mein gussa aur bebasi saaf jhalak rahi thi...
"wo multiplex!" vicky ne do took jawab diya..
" ja le le... badle mein Sneha mujhe mil jayegi na...." Murari ne kaha..
"maine kya uska aachar daalna hai? jahan chahe chali jaye.. mujhe kya? waise bhi main toh ladki ko ek baar hi use karta hoon...." Vicky ne cigarettee nikal kar sulga li...
"na.. na.. mujhe chahiye.. wo haramjadi... manjoor ho toh bolo..." Murari ka chehra nafrat aur kadwahat se bhar uthha...
" tujhe main bata doon ki wo tere paas rahna nahi chahti.. nafrat karti hai tujhse.. teri shakal bhi dekhna nahi chahti... .. bayan mein nahi hone doonga.. meri guarantee..fir tu kya karega uska ?" Vicky ne uski aankhon mein jhankte huye kaha..
Murari ki aankhein laal ho gayi.. nathune fool gaye aur kisi bhediye ki tarah gurrane laga," Uska wahi karronga jo uski maa ka kiya tha.. sali kutiya... behan chod.. usko nangi karke apne saamne chudwaaunga... fir jangli kutton ke aage daal dunga.. usne sari duniya ko bata hi diya ki wo meri aulad nahi hai... ek baar mujhe sounp de bus.. bol manjoor hai ki nahi...?"
Vicky ke jahan se ek lambi saans aah ke roop mein nikli.. kaisa hai Murari? Aadmi hai ya bhediya.. kuchh minute ke moun ke baad bola..," majoor hai.. ladki tumhe mil jayegi.. mujhe multiplex ke kagaj milne ke baad..."
"to fir milao hath.. tum apna fone do.. main abhi uske malik ko fone karta hoon.. tum chaho toh kal hi usko paise dekar multiplex apne naam karwa sakte ho..." Murari ne vicky ka hath apne hath main pakad liya...
vicky ne apna hath chhudwaya aur jor jor se hansne laga...," tu kya samajhta hai.. maine itni mehnat sirf tujhse no objection certificate lene ke liye ki hai.. nahi! wo toh main kabhi bhi uski kanpati par rivolver rakhkar khareed sakta tha... ab wo multiplex tu khareed kar mujhe dega.. yani paise tere honge.. aur maal mujhe milega..!"
"matlab tu samajhta hai ki main apne paas se tujhe 8 karod rupaiya doonga... ?" Murari ne hairat se uski aur dekha...
"8 nahi 10 karod.. aur mujhe pata hai ki tu dega.. kyunki 10 karod ganwane 10 saal jail mein kaatne se kahin jyada aasan hai tere liye.. 10 saalon mein toh tu pata nahi kitne 10 karod kama lega...!" Vicky ne katil muskaan Murari ki aur fainki...
Murari ne apna sir table par rakh liya aur kuchh der udhedbun mein pada raha... fir achanak uthkar bola," main sirf 8 karod doonga.. aur mujhe wo loundiya hath ke hath chahiye.. bol kab de sakta hai...?"
"jab tum chaho.. par abhi toh tumhari 14 din ki police custody hai na?" vicky ne Murari se sawaal kiya...
"tumhe jab chahe paise mil jayenge.. tum batao.. kab la sakte ho Sneha ko..?" Murari ne sawaal par sawaal mara...
" main baanke ko bata doonga...! sochkar.." Vicky ne ajjeb se andaj mein baanke ka naam liya...
"baanke... tum baanke ko kaise jaante ho?" Murari chounk kar uchhal pada....
"kyun hairani huyi na... Mujhe kidnap karne kuchh chooson ko sath lekar aaya tha.. abhi mere gusalkhane mein kaid hain teeno.. agar tum aaj nahi maante toh tum par ek case aur lagna tha.. " Vicky jor jor se hansne laga....
tabhi tough ne office mein pravesh kiya..," lagta hai kuchh soudebazi ho gayi tum dono ki...?"
"nahi.. inspector sahab.. hum dono mein kuchh galatfahmiyan thi.. jo aaj sath baithne se door ho gayi.. waise vicky ji kah rahe hain ki ye Sneha ko manane ki koshish karenge... apne bayan wapas lene ke liye.. kyun vicky ji?" Murari ne baat sapast ki...
"haan murari ji.. " aur kahte huye vicky ne tough ki aur aankh mari...
"Rajesh!" Tough ne aawaj lagayi....
"ji janab.."
"neta ji ko poori ijjat se hawalat mein chhod aao.. subah milte hain inse.. inka khayal rakhna..." Tough ne vyangya kiya...
"inspector sahab.. agar bura na mano toh.. main yahin so jaaoon... wahan machchhar aur garmi jaan nikal dete hain..."
"aap chinta na karein neta ji.. sarkaar kuchh hi dinon mein hawalat mein bhi AC lagwane par vichar kar rahi hai... tab tak pls.. kisi tarah se kaat lein...!" tough ne muskurate huye kaha...
"kab.. ye kaise ho sakta hai..? Murari ko visvas nahi hua..
"ho kyun nahi sakta neta ji.. aajkal hawalat mein aate hi neta log hain.. fir kuchh na kuchh toh sarkar ko sochna hi padega.." Tough ne kaha aur Rajesh ko use wahan se le jaane ko kaha....
"tu bura fansega kisi din..!" Murari ke jate hi tough ne vicky ko aage badhkar gale laga liya...," ho gaya tumhara kaam?"
Vicky kuchh na bola.. aankh band hote hi usko Sneha ka masoom sa chehra dikhayi diya.. wo bilkul nangi padi thi.. jangli kutton ke beech.....
Tough aur vicky dono thane se nikal kar tough ke ghar ki aur chal pade.. lagbhag sare raste Vicky chup hi raha...
"kya baat hai.. tumhe multiplex mil toh gaya na? ya kuchh adachan hai.. ?" Tough ne usko gumsum baithe dekh kaha....
"hummm... haan.. mil jayega!.......... koyi adachan nahi hai..ab!" vicky ne lambi gahri saans chhodi...
"fir bhi tu pareshan lag raha hai.. kya baat hai yaar...? bata toh!" tough ne uska chehra dekhte huye poochha...
"nahi... kuchh nahi hai... kuchh bhi toh nahi.. bus murari ka chehra dekhkar hi ultiyan si aane lagti hain.. bahut kamina hai saala.. sou kutte markar ye 'ek' paida hua hoga..." Vicky ke jabde bhich gaye.. par wo aadhi baat man mein hi pi gaya.. kaise batata ki wo bhi iss baar 'uske' kaminepan mein hissedar hone wala hai... Sneha ko use sounpkar...'" bus! bahut ho gaya.. ye aakhiri baar hai..!" achanak vicky ke munh se nikla...
"kya bahut ho gaya? kya aakhiri baar hai? kahan atka huaa hai bhai...?" Tough ne gadi rok di...
"bus yaar.. ye politics.. bahut hi kutti cheej hai.. soch raha hoon.. chhod doon.. jane kya kya karwati hai sali... Bus ye multiplex mil jaye.. uske baad mein apne baare mein sochunga..." Vicky ki tabiyat si kharaab ho gayi thi.. usko apna shareer toot'ta hua lag raha tha...
"ek baat toh bata yaar.. Sneha bayan nahi deti ... theek hai... par kya tu usko sachchayi batayega? kyunki aaj nahi toh kal usko wapas jane par pata lag hi jayega.. sachchayi ka... fir kya wo tujh par ulta case nahi thhok degi....?" Tough ko poori baat ka gyan nahi tha...
"tu chhod na yaar.. sneha ko.. gadi chala.. mere sir mein dard hai..." Vicky ka sir pahle hi Sneha ke baare mein sochkar fata ja raha tha...
"aise sir dard karne se kaam thode hi chalega..? aage ka sochkar toh chalna hi padega... tune socha hai ki agar uske bayano ka munh teri taraf ghoom gaya toh kya hoga? Murari ki jagah tu mere thane mein baitha hoga.. aur main kuchh kar bhi nahi paaunga......." Tough ne pate ki baat kahi thhi...
"aisaa nahi hoga yaaaaaar.. tu samajhta kyun nahi hai.... wo kabhi aisa nahi karegi..?" Vicky jhallate huye bola.. tough usko baar baar anjane mein hi yaad dila raha tha ki Sneha ke sath kya hone wala hai...
"kyun.. kyun nahi karegi..?" tough ne fir uske dil ke taaron ko chheda..
"heyyy bhagwaaaaan... wo mujhse pyar karti hai.. mere liye mar sakti hai.. mar jayegi...! pls tu ye baat band kar de yaar..." Vicky ka antarman usko kachot raha tha...
"aur tu..??? tu nahi karta kya uss'se pyar? tujhe achchhi nahi lagti kya wo...? agar tu jindagi ke baare mein soch hi raha hai to wo kyun teri jindagi ka hissa nahi ho sakti...? tu hi toh kah raha tha bhai ke saamne.. ki aisi ladki tune aaj tak dekhi hi nahi..." Tough topic band karne ko taiyar hi nahi tha.. ulta baat ko aur jyada kured raha tha..
Vicky jhallate huye gadi se utar gaya.. tough bhi utar kar uske paas chala gaya...," kiss'se bhagne ki koshish kar raha hai tu.. mujhse? ya apne aap se..? kahan tak bhag sakta hai bhag le..
"vicky pyar nahi karta.. bus! meri life mein pyar ke koyi mayne nahi hain.. main apne liye jeeta tha.. jeeta hoon.. aur jiyunga... ! mujhe wapas chhod de.. mujhe gadi lekar kahin jana hai.. abhi.." Vicky bifar utha.. apne aap se hi..
"theek hai.. no problem! chal aa.. wapas chhod deta hoon.." Tough ne usko ek baar bhi rukne ke liye nahi bola... gadi mein baithe aur wapas thane pahunch gaye..
" ek baat maanega?" Vicky ne Tough se kaha..
"haan bol!"
"mujhe ek baar aur murari se milne de... akele mein.. mujhe kuchh jaruri baat karni hain.. aakhiri baar.." Vicky ne kaha..
"tu ek minute yahin thhahar.. main aata hoon.." kahkar tough office mein gaya aur kuchh der baad wapas aaya," chal tu office mein baith.. main murari ko wahin bhejta hoon.."
"theek hai.." kahkar vicky office mein jakar baith gaya...
kuchh der baad badhaal Murari bhi wahin aa pahuncha," kya yaar.. tune meri maa chudwa di.. dekh kitne machchhar kaat chuke hain.."
"kaam ki baat kar.. Sneha tujhe kal hi mil jayegi.. bol paise kahan de raha hai..?" Vicky ne kaha...
"jahan tu mujhe Sneha dega.. wahin.. time bhi tera.. jagah bhi teri..." Murari ne daant peeste huye kaha....
"theek hai.. Kal sham 6 baje.. panipat se delhi ki aur jo do nahrein jati hain.. bawana se kuchh pahle unn dono nahron ke beech milte hain... kaise karna hai.. ye tum bata do.." Vicky ne kaha..
"OK! mere paas aisa plan hai jismein hum mein se koyi cheating nahi kar sakta.." aur murari plan batane laga...
sach mein hi plan fulproof tha.. kahin cheating karne ki gunjayish na thi.. ya toh dono partiyon ko apna apna 'maal' mil jayega.. ya kisi ko bhi kuchh nahi...," lao.. tumhare fone se abhi fone kar doon.. apne kisi khas ko.. Baanke ko toh tum chhod hi doge na..." murari ne kaha...
"haan.. jate hi.."
Vicky ne fone on karke Murari ko de diya......
Murari ne fone karke apne kisi aadmi ko sabkuchh samjha diya.. aur baad mein kaha," yaad rakhana.. meri jamanat hone tak kisi ko bhi khabar nahi honi chahiye ki Sneha hamare paas hai.. usko kaid karke rakhna hai... samajh gaye na...!"
"yes sir..!"
"lo.. ho gayi baat!" Murari ne vicky ko fone de diya....
Vicky bina koyi shabd bole office se bahar nikal gaya.. wah jate huye tough se bhi nahi mila....
vicky mushkil se 5 minute hi chala tha ki uska fone baj uthha..
"oh! fone off karna toh bhool hi gaya tha.. usne fone uthakar dekha.. koyi anjaan no. tha.. vicky ne fone wapas dashboard par rakh diya... call Sneha ki ho sakti thi...
bell band ho jane ke baad wah fone ko uthakar off karne hi wala tha ki fir se usi no. se call aa gayi... kuchh sochte huye usne fone utha liya," Hello!"
Sneha fone lekar bahar bhag aayi," jaan! kahan rah gaye tum? main mar jati toh?"
achanak vicky ko kuchh soojha hi nahi," main aakar bataunga Sanu.. tumhe nahi pata mere sath kya huaa..?"
"hai Ram! kya hua.. tum theek toh ho na..?" Sneha ne apne dil par hath rakhkar poochha... uski dhadkane badh gayi thi...
"haan, abhi main bilkul theek hoon.. tum chinta na karo..!"
"ab aa rahe ho na mere paas..?" Sneha ka dil khushi ke maare dhadak raha thha...
" tum theek toh ho na..?" vicky ko tajjub hua.. yunhi uski aankhein nam ho gayi thi..
"haan main bilkul theek hoon.. Viru aur Raj bhaiya bahut achchhe hain.. pata hai.. maine apni jindagi main pahli baar rakshabandhan manaya hai.. maine dono ko rakhi bandhi..... kitni der mein aa rahe ho...?" Sneha fooli nahi sama rahi thi..
"ab nahi aa sakta main.. kal aaunga.. bahut door hoon.. aur gadi bhi nahi hai mere paas..." Vicky ne jhooth bola..
Sneha mayoos ho gayi," haan.. gadi toh medical mein hi khadi hai na..?"
"haan.. ab rakhoon..?" vicky ne kaha..
"nayiiiii.. kuchh der aur baat karo na... pls.. tumhe pata hai.. tumse baat karte hi 'tumhari chidiya' uchhalne lagi hai.. iska kya karoon..?"
"meri chidiya..? kya matlab?? " vicky ki kuchh samajh mein nahi aaya..
"isko tumne chidiya hi toh kaha tha.. chhoti si..?" Sneha ne apni jaanghein kas li aur uss 'chidiya' ko fudakne se rokne ki koshish karne lagi..
"ohh.. achchha.. ha ha ha" vicky feeki si hansi hanste huye bola..," kal aa raha hoon. na.. ab fone rakh do... main bahut pareshan hoon.. iss waqt.."
"achchha.." Sneha ne munh bana liya... par achanak uske chehre ki rounaq lout aayi," yaad hai na tumne kya wada kiya tha..?"
Vicky ka chehra murjha gaya," haan yaad hai.. ab rakh do fone.."
"haan haan rakhti hoon.. pahle bolo.. I love you!" Sneha fone rakhna hi nahi chah rahi thi...
" rakho na yaar fone.. kah toh raha hoon.. kal aa jaaunga.." kahkar vicky ne fone kaat diya....
Sneha kuchh der yunhi fone ko dekhti rahi.. fir andar jaate hi boli," Mohan bahut pareshan hai.. wo kisi problem mein hai.. achchhe se baat bhi nahi kar paya... aaj aayega bhi nahi..."
"tumhe yahan koyi dikkat hai?" Viru ne poochha...
"nahi toh.. main toh yahan bahut khush hoon.." Sneha ne chahakte huye kaha..
"fir kyun chapar chapar laga rakhi hai... chal aaja shatranj khelte hain.." viru ne kaha.. ek hi din mein wo kitna ghulmil gaye thhe...
"abhi laayi.. din wali baazi ka badla bhi lena hai mujhe.." kahte huye Sneha ne chess-board uthaya aur Viru ke paas bed par baazi jama di... uska ahsaas tak nahi tha.. ki koyi usko bhi aise hi chal chuka hai.. jindagi ki bisaat par.. aur wahan haarte hi mout hai.. sirf mout...
"jab se main school se aaya hoon.. tum logon ne ek bhi aksar padhne nahi diya hai.. tum dono chahte kya ho aakhir?" Raj apne bister par khija huaa baitha tha.. school se aane ke baad dono ne uske khoob maje liye thhe... Priya ka jikar kar kar ke!
"oho.. Raj bhaiya.. hamein pata hai.. aajkal aap padh toh yun bhi nahi rahe.. yahan aakar meri madad karo na.. aapka dil bhi lag jayega.." Sneha ke sath milkar viru ne bhi jor ka thahaka lagaya...
"aakhir tum log chahte kya ho yaar..? theek hai.. lo! band kar di kitab.." Raj ne kitab band karke table par rakhi aur unke sath hi bed par aa baitha," chal ghoda chal... Ghodaaa chal chuhiya.. marwayegi kya Rani ko!!!!!"
Sneha ko galati ka ahsaas ho gaya," thank you bhaiya.. tum kitne achchhe ho.. tum sath baithe rahe toh main jeet hi jaaungi.. par apna dhyan saamne wali khidki main mat laga lena.." Raj ko chhedne ka koyi mouka dono hath se nahi jane de rahe thhe...
"main tumhe kitni baar bata chuka hoon ki aisa kuchh nahi hai... agar thoda bahut kuchh tha bhi toh wo kal khatam ho gaya.. ab band karo yaar iss topic ko.. aur kuchh nahi hai kya baat karne ko..?" Raj ne kaha..
"jab tak tum sach sach nahi bata dete ki kal raat tumhari kitni pitayi huyi, hum tumhara peechha nahi chhodne wale.. kyun Sneha?" Viru ne kaha...
"sahi baat hai bhai.. bilkul sahi baat hai ye toh ho ho... ha ha.. aur ye gayi tumhari Rani... main jeet gayi.. wow.." Sneha khadi hokar koodne lagi...
"ja munh dhokar aa pahle.. hathi bhi kabhi tedha chalta hai..?" viru ne hanste huye kaha...
"main nahi khelti.. bakwas game hai..!" kahte huye Sneha ne sare pyade bikhra diye," batao na Raj.. kya huaa tumhare sath kal.. pls bata do.. hum hansenge nahi.. promice! hai na bhaiya!" Sneha ne viru ki aur dekha aur dono ek baar fir khilkhila pade...
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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