गहरी चाल पार्ट--19
उस काली फ़ोर्ड एंडेवर मे बैठे माधो & जगबीर ठुकराल ने ये देखा & वाहा से निकल गये,"सब ठीक जा रहा है,माधो."
"हां,हुज़ूर."
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"मिस्टर.सिंग,इस आदमी ने 2 दीनो से कुच्छ नही खाया है,केवल पानी पिया है.इसकी हालत देखते हुए मुझे लगता है की उसके पहले भी इसने ठीक से खाया-पिया नही है.इसी वजह से ये बहुत कमज़ोर हो गया है & अभी इसे 3-4 दीनो तक तो यहा रहना ही होगा.",डॉक्टर शत्रुजीत सिंग & अब्दुल पाशा को उस अंजान शख्स की हालत से वाकिफ़ करा रहा था.
"आप जो ठीक समझे वो करे,डॉक्टर.इसके इलाज का पूरा खर्च मैं दूँगा.",उसने डॉक्टर से हाथ मिलाया & दोनो वाहा से निकल आए.
दूसरे दिन सुबह दोनो भाई फिर हॉस्पिटल पहुँचे तो देखा कि वो आदमी जगा हुआ था,"अब तबीयत कैसी है तुम्हारी?",शत्रुजीत ने उस से पुचछा.
"जी,अब पहले से बेहतर लग रहा है."
"मेरा नाम शत्रुजीत सिंग है & ये मेरा भाई अब्दुल पाशा.",उसने सर हिला के दोनो का अभिवादन किया.
"मेरा नाम टोनी है."
"टोनी,तुम क्या काम करते हो?"
"कुच्छ नही.",वो खिड़की से बाहर देखने लगा.दोनो भाइयो ने 1 दूसरे की तरफ देखा,शत्रुजीत ने बात आगे बढ़ाई,"तुम यही पंचमहल के हो?",उसने इनकार मे सर हिला दिया.शत्रुजीत & पाशा 1-1 कुर्सी खींच कर बैठ गये.
"टोनी,हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं.तुम्हारी इस हालत की वजह अगर तुम ना बताना चाहो तो भी हुमारे इरादे से हम नही डिगेंगे.फिर भी,अगर तुम अपने बारे मे हमे सब बता दो तो हमे तुम्हारी मदद करने मे शायद आसानी ही होगी."
"या शायद आप भी मुझे नीची नज़र से देखने लगेंगे.",टोनी के होंठो पे फीकी सी मुस्कान थी.
"नही,हम ऐसा नही करेंगे.तुम अपनी कहानी सूनाओ.",टोनी ने 1 लंबी सांस भरी & फिर शत्रुजीत की ओर देखने लगा.
"मेरा पूरा नाम अँतोनी डाइयास है & मैं गोआ का रहने वाला हू.स्कूल के दीनो से ही मुझे आक्टिंग का शौक रहा है & बड़ा होते-2 ये शौक जुनून बन गया.गोआ मे नाटको & 1-2 टीवी प्रोग्रॅम्स मे मेरी आक्टिंग की लोगो ने तारीफ की & मैं अपने बूढ़े मा-बाप को छ्चोड़ किस्मत आज़माने बोम्बे चला गया.वाहा बहुत दीनो तक आएडियाँ घिसने के बावजूद मुझे कोई कामयाबी हासिल नही हुई & मैं मायूस हो गया.मायूसी मुझे कब शराब & ड्रग्स की ओर ले गयी मुझे याद नही."
"..इस दौरान मैं 1 बड़ी प्यारी लड़की से मिला,हम दोनो ने शादी भी कर ली पर वो मेरी बुरी आदते च्छुडा नही पाई.अब ज़िंदगी चलाने के लिए पैसे तो चाहिए थे ना,कभी कही छोटा-मोटा रोल मिल जाता तो कर लेता नही तो विदेशी सैलानियो को चरस,सस्ते होटेल रूम या फिर उनकी हवस मिटाने के लिए लड़के-लड़किया दिलवा देता.इस काम मे मेरी अछी अँग्रेज़ी & 1-2 और विदेशी ज़बानो का काम चलाऊ ज्ञान मेरी बहुत मदद करता.मगर यही काम मुझे क़ानून की नज़र मे मुजरिम बनाता था.",दोनो गौर से उसकी बात सुन रहे थे.
"..पोलीस लॉक-अप आना-जान तो मेरे लिए आम बात हो गयी.इस बीच मेरे मा-बाप भी गुज़र गये & 1 दिन मेरी हर्कतो से परेशान हो मेरी बीवी भी मेरे बेटे के साथ मुझे छ्चोड़ गयी.उस दिन मुझे एहसास हुआ की मैं कितनी ग़लत ज़िंदगी जी रहा था.अगर चाहता तो मैं शराफ़त से भी चार पैसे कमा सकता था,मगर नही मुझे तो नशा भी करना था ना!..& उसके लिए जो पैसे चाहिए थे वो शराफ़त की कमाई से तो नही मिलते.",उसका गला भर आया था & वो 1 बार फिर खिड़की के बाहर देखने लगा.
"..मैने अपने बीवी-बच्चे को बहुत ढूनदा पर वो नही मिले...इधर-उधर भटकता हुआ यहा पहुँचा & फिर आपसे मुलाकात हो गयी.",दोनो खामोशी से उसे देख रहे थे.
"टोनी,अब तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही.तुमने अपनी मुश्किल दास्तान सुनके मेरी नज़र मे और ऊँचे ही हो गये हो.1 इंसान जो 2 दिन से भूखा हो & फिर भी वो हज़ारो रुपये ठुकरा दे,वो इंसान ग़लत नही हो सकता...हां!तुम भटक गये थे मगर अब सही रास्ते पे हो.तुम्हे मैं कोई ना कोई काम दिलवा दूँगा लेकिन शर्त ये है की तुम नशे से दूर रहोगे."
"मुझे मंज़ूर है,साहब."
"तो ठीक है,अब तुम आराम करो.यहा से छुट्टी मिलते ही तुम हुमारे साथ काम करोगे.",दोनो वाहा से निकल गये.
"अब्दुल..",दोनो कार मे बैठ गये.
"हां,भाई.पता तो लगे ये सच बोल रहा है की नही."
"ठीक है,भाई.",उसने कार गियर मे डाली,"..मगर भाई.."
"हां.."
"काम क्या दोगे उसे?"
"ड्राइवर बना लूँगा."
"हैं?!"
"हां...आबे तू कब तक ड्राइवरी करता रहेगा....& फिर सोच ऐसा ड्राइवर कहा मिलेगा जो 24 घंटे बस हमारी खिदमत मे लगा रहेगा!",दोनो हंस पड़े.ये 1 ऐसा लम्हा था जो कभी-2 ही आता था-पाशा को हंसते शायद कभी ही किसी ने देखा हो.
सुबह चूत मे कुच्छ महसूस होने पे कामिनी की नींद खुली,उसने देखा कारण उसके पेट पे हाथ फेरते हुआ उसकी चूत चाट रहा है.कल रात को वो करण के साथ उसके घर आ गयी थी & उसके बाद दोनो ने पूरी रात जम कर चुदाई की थी.उसने प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा तो करण की जीभ उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगी,"..उउम्म्म्मम...!"
विवेक उसे कभी भी सुबह को नही चोद्ता था,दोनो को काम पे जाने की इतनी जल्दी होती थी कि वो उठ के बस तैय्यार हो कोर्ट पहुँचने की हड़बड़ाहट मे रहते थे.मगर उसके तीनो आशिक़ तो जैसे उसे बस दिन हो या रात अपने बिस्तर मे अपनी बाहो मे सुलाए रखना चाहते थे!
उसकी चूत गीली हो चुकी थी & उसमे वही मीठा तनाव बन चुका था जोकि उसे झड़ने के पहले महसूस होता था.उसने करण के बाल पकड़ कर हल्के से खींचा,करण उसका इशारा समझ गया.वो उसकी चूत से मुँह हटा उसके पेट को चूमते हुए उपर आने लगा.कामिनी ने टांगे फैलाते हुए उसे बाहो मे भर लिया.
करण उसकी चूचियो के कड़े हो चुके निपल्स को चूसने के बाद उसके चेहरे को हाथो मे ले चूमने लगा.कामिनी भी गर्मजोशी से उसकी किस का जवाब देने लगी.उसकी बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी,उसने अपना बाया हाथ करण की पीठ पे ही रखा & दाए को दोनो के जिस्मो के बीच ले जाके उसके लंड को पकड़ अपनी चूत का रास्ता दिखाया.
"..ऊओउउइई...!",करण ने 1 ही झटके मे पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत मे घुसा दिया.कामिनी के हाथ उसके सर से ले के उसकी गंद तक फिसलने लगे.करण कभी उसके चेहरे को चूमता तो कभी चूचियो को.उसके हाथ तो बदस्तूर उन बड़ी गोलैयो को दबाए जा रहे थे.
दोनो की ही मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी.कामिनी के नाख़ून करण की गंद पे निशान छ्चोड़ रहे थे तो करण के धक्के भी बड़े गहरे हो गये थे.कामिनी ने अपनी टांगे उसकी कमर पे कस दी & उसकी गंद मे नाख़ून धँसते हुए उठाते हुए करण के बाए कान मे पागलो की तरह जीभ फिराने लगी,उसकी चूत करण के लंड पे और कस गयी थी.करण समझ गया की उसकी प्रेमिका अपनी मंज़िल तक पहुँच गयी है,उसने उसी वक़्त अपने गाढ़े पानी को उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया & अपना सफ़र भी पूरा कर लिया.
झड़ने के बाद दोनो वैसे ही 1 दूसरे को बाहो मे कसे प्यार से 1 दूसरे के चेहरे को चूम रहे थे की कामिनी का मोबाइल बजा,"हेलो!",दूसरी तरफ षत्रुजीत सिंग था.
"कामिनी,क्या तुम कोर्ट जाने से पहले सिटी हॉस्पिटल आ सकती हो?"
"हॉस्पिटल!सब ठीक है ना?",करण अभी भी उसके उपर चढ़ा उसके बाए निपल पे जीभ फिरा रहा था.
"हां-2,घबराने की कोई बात नही है...शायद हमे अपने केस के लिए 1 बड़ा अहम गवाह मिल गया है."
"ओके.मैं आ जाऊंगी.",कामिनी ने मोबाइल किनारे रखा,"..चलो हटो अब...ऑफीस नही जाना?"
"दिल तो नही कर रहा.",करण ने मुँह हटाया तो हाथ को निपल पे लगा दिया.
"मगर फिर भी जाना तो पड़ेगा!".कामिनी ने मुस्कुरा के उसके हाथ को अपनी छाती से अलग किया & उसे अपने उपर से उतार बाथरूम मे चली गयी.
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"ये आदमी 14 तारीख को बहार गूँज के 1 होटेल मे था,मैने अपनी आँखो से देखा है,सर.",आंतनी डाइयास उर्फ टोनी हॅयास्पिटल बेड पे लेटा शत्रुजीत से मुखातिब था.कामिनी & अब्दुल पाशा गौर से उसकी बात सुन रहे थे.शत्रुजीत पाशा के साथ जब सवेरे उसे देखने आया तो वो टीवी पे न्यूज़ देख रहा था & उसी मे जब नत्थू राम वाली खबर मे नत्थू राम के चेहरा दिखाया गया तो वो चौंक पड़ा.
"..मैं रेलवे स्टेशन से निकल कर इधर-उधर भटक रहा था.अब बहार गूँज कैसा बदनाम इलाक़ा है ये तो आप सब मुझसे बेहतर जानते होंगे-आख़िर आप सब तो यही के हैं.14 तारीख को वही के 1 फूटपाथ के किनारे अख़बार बिच्छा के पड़ा हुआ था.उसी वक़्त ये आदमी सामने के होटेल से निकला & शराब की दुकान पे गया.1 बॉटल खरीद के उसने कुर्ते की जेब मे डाल ली & फिर बगल मे खड़े अंडे के ठेले से उबले अंडे खरीदने लगा.."
"..अंडे वाले को पैसे देने के लिए उसने जेब से पैसे निकाले तो 1 हवा का झोंका आया & नोट उसके हाथो से उड़ गये,1 50 का नोट मेरे पास भी आया.मैने वो उठा के उसे वापस किया तो वो बाकी पैसे भी सड़क से उठा अंडे वाले को उसकी कीमत चुकाने के बाद मुझे शुक्रिया अदा कर चला गया."
क्रमशः........................
GEHRI CHAAL paart--19
Us kali ford endeavour me baithe Madho & Jagbir Thukral ne ye dekha & vaha se nikal gaye,"sab thik ja raha hai,madho."
"haan,huzur."
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"Mr.Singh,is aadmi ne 2 dino se kuchh nahi khaya hai,kewal pani piya hai.iski halat dekhte hue mujhe lagta hai ki uske pehle bhi isne thik se khaya-piya nahi hai.isi vajah se ye bahut kamzor ho gaya hai & abhi ise 3-4 dino tak to yaha rehna hi hoga.",doctor shatrujeet Singh & Abdul Pasha ko us anjan shakhs ki halat se wakif kara raha tha.
"aap jo thik samjhe vo kare,doctor.iske ilaj ka pura kharch main dunga.",usne doctor se hath milaya & dono vaha se nikal aaye.
dusre din subah dono bhai fir hospital pahunche to dekha ki vo aadmi jaga hua tha,"ab tabiyat kaisi hai tumhari?",shatrujeet ne us se puchha.
"ji,ab pehle se behtar lag raha hai."
"mera nam shatrujeet singh hai & ye mera bhai abdul pasha.",usne sar hila ke dono ka abhivadan kiya.
"mera naam Tony hai."
"tony,tum kya kaam karte ho?"
"kuchh nahi.",vo khidki se bahar dekhne laga.dono bhaiyo ne 1 dusre ki taraf dekha,shatrujeet ne baat aage badhayi,"tum yahi Panchmahal ke ho?",usne inkar me sar hila diya.shatrujeet & pasha 1-1 kursi khinch kar baith gaye.
"tony,hum tumhari madad karna chahte hain.tumhari is halat ki vajah agar tum na batana chaho to bhi humare irade se hum nahi digenge.fir bhi,agar tum apne bare me hume sab bata do to hume tumhari madad karne me shayad aasani hi hogi."
"ya shayad aap bhi mujhe nechi nazar se dekhne lagenge.",tony ke hotho pe fiki si muskan thi.
"nahi,hum aisa nahi karenge.tum apni kahani sunao.",tony ne 1 lambi sans bhari & fir shatrujeet ki or dekhne laga.
"mera pura naam Anthony Dias hai & main Goa ka rehne vala hu.school ke dino se hi mujhe acting ka shauk raha hai & bada hote-2 ye shauk junoon ban gaya.goa me natako & 1-2 tv programs me meri acting ki logo ne tarif ki & main apne budhe maa-baap ko chhod kismat azmane Bombay chala gaya.vaha bahut dino tak aediyaan ghisne ke bavjood mujhe koi kamyabi hasil nahi hui & main mayoos ho gaya.mayoosi mujhe kab sharab & drugs ki or le gayi mujhe yaad nahi."
"..is dauran main 1 badi pyari ladki se mila,hum dono ne shadi bhi kar li par vo meri buri adate chhuda nahi payi.ab zindagi chalane ke liye paise to chahiye the na,kabhi kahi chota-mota role mil jat to kar leta nahi to videshi sailaniyo ko charas,saste hotel room ya fir unki hawas mitane ke liye ladke-ladkiya dilwa deta.is kaam me meri achi angrezi & 1-2 aur videshi zabano ka kaam chalaoo gyan meri bahut madad karta.magar yehi kam mujhe kanoon ki nazar me mujrim banata tha.",dono gaur se uski bat sun rahe the.
"..police lock-up ana-jan to mere liye aam bat ho gayi.is beech mere ma-bap bhi guzar gaye & 1 din meri harkato se pareshan ho meri biwi bhi mere bete ke sath mujhe chhod gayi.us din mujhe ehsas hua ki main kitni galat zindagi ji raha tha.agar chahta to main sharafat se bhi char paise kam sakta tha,magar nahi mujhe to nasha bhi karna tha na!..& uske liye jo paise chahiye the vo sharafat ki kamayi se to nahi milte.",uska gala bhar aaya tha & vo 1 baar fir khidki ke bahar dekhne laga.
"..maine apne biwi-bachche ko bahut dhunda par vo nahi mile...idhar-udhar bhatakta hua yaha pahuncha & fir aapse mulakat ho gayi.",dono khamoshi se use dekh rahe the.
"tony,ab tumhe fikr karne ki koi zaroorat nahi.tumne apni mushkil dastan sunake meri nazar me aur oonche hi ho gaye ho.1 insan jo 2 din se bhookha ho & fir bhi vo hazaro rupaye thukra de,vo insan galat nahi ho sakta...haan!tum bhatak gaye the magar ab sahi raste pe ho.tumhe main koi na koi kaam dilwa dunga lekin shart ye hai ki tum nashe se door rahoge."
"mujhe manzoor hai,sahab."
"to thik hai,ab tum aaram karo.yaha se chutti milte hi tum humare sath kaam karoge.",dono vaha se nikal gaye.
"abdul..",dono car me baith gaye.
"haan,bhai.pata to lag ye sach bol raha hai ki nahi."
"thik hai,bhai.",usne car gear me dali,"..magar bhai.."
"haan.."
"kaam kya doge use?"
"driver bana lunga."
"hain?!"
"haan...abe tu kab tak drivery karta rahega....& fir soch aisa driver kaha milega jo 24 ghante bas humari khidmat me laga rahega!",dono hans pade.ye 1 aisa lamha tha jo kabhi-2 hi aata tha-pasha ko hanste shayad kabhi hi kisi ne dekha ho.
Subah chut me kuchh mehsus hone pe Kamini ki neend khuli,usne dekha Karan uske pet pe hath ferte hua uski chut chaat raha hai.kal raat ko vo karan ke sath uske ghar aa gayi thi & uske baad dono ne puri raat jam kar chudai ki thi.usne pyar se uske sar pe hath fera to karan ki jibh uski chut ke dane ko chhedne lagi,"..uummmmm...!"
Vivek use kabhi bhi subah ko nahi chodta tha,dono ko kaam pe jane ki itni jaldi hoti thi ki vo uth ke bas taiyyar ho court pahunchne ki hadbadahat me rehte the.magar uske teeno aashiq to jaise use bas din ho ya raat apne bistar me apni baaho me sulaye rakhna chahte the!
uski chut gili ho chuki thi & usme vahi meetha tanav ban chuka tha joki use jhadne ke pehle mehsus hota tha.usne karan ke baal pakad kar halke se khincha,karan uska ishara samajh gaya.vo uski chut se munh hata uske pet ko chumte hue upar aane laga.kamini ne taange failate hue use baaho me bhar liya.
karan uski chhatiyo ke kade ho chuke nipples ko chusne ke baad uske chehre ko hatho me le chumne laga.kamini bhi garmjoshi se uski kiss ka jawab dene lagi.uski bechaini bahut badh gayi thi,usne apna baaya hath karan ki pith pe hi rakha & daaye ko dono ke jismo ke beech le jake uske lund ko pakad apni chut ka rasta dikhaya.
"..OOOUUUIIIII...!",karan ne 1 hi jhatke me pura ka pura lund uski gili chut me ghusa diya.kamini ke hath uske sar se le ke uski gand tak fisalne lage.karan kabhi uske chehre ko chumta to kabhi choochiyo ko.uske hath to badastur un badi golaiyo ko dabaye ja rahe the.
dono ki hi masti ab bahut badh gayi thi.kamini ke nakhun karan ki gand pe nishan chhod rahe the to karan ke dhakke bhi bade gehre ho gaye the.kamini ne apni taange uski kamar pe kas di & uski gand me nakhun dhansate hue uthate hue karan ke baaye kaan me paaglo ki tarah jibh fiarne lagi,uski chut karan ke lund pe aur kas gayi thi.karan samajh gaya ki uski premika apni manzil tak pahunch gayi hai,usne usi waqt apne gaadhe pani ko uski chut me chhod diya & apna safar bhi pura kar liya.
jhadne ke baad dono vaise hi 1 dusre ko baaho me kase pyar se 1 dusre ke chehre ko chum rahe the ki kamini ka mobile baja,"hello!",dusri taraf Shatrujeet Singh tha.
"kamini,kya tum court jane se pehle City Hospital aa sakti ho?"
"hospital!sab thik hai na?",karan abhi bhi uske upar chadha uske baaye nipple pe jibh fira raha tha.
"haan-2,ghabrane ki koi baat nahi hai...shayad hume apne case ke liye 1 bada aham gawah mil gaya hai."
"ok.main aa jaoongi.",kamini ne mobile kinare rakha,"..chalo hato ab...office nahi jana?"
"dil to nahi kar raha.",karan ne munh hatay to hath ko nipple pe laga diya.
"magar fir bhi jana to padega!".kamini ne muskura ke uske hath ko apni chhati se alag kiya & use apne upar se utar bathroom me chali gayi.
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"ye aadmi 14 tarikh ko Bahaar Gunj ke 1 hotel me tha,maine ie apni aankho se dekha hai,sir.",Anthony Dias urf Tony haospital bed pe leta shatrujeet se mukhatib tha.kamini & Abdul Pasha gaur se uski baat sun rahe the.shatrujeet pasha ke sath jab savere use dekhne aaya to vo tv pe news dekh raha tha & usi me jab Natthu Ram vali khabar me natthu ram ke chehra dikhaya gaya to vo chaunk pada.
"..main railway station se nikal kar idhar-udhar bhatak raha tha.ab bahaar gunj kaisa badnaam ilaka hai ye to aap sab mujhse behtar jante honge-aakhir aap sab to yahi ke hain.14 tarikh ko vahi ke 1 footpath ke kinare akhbar bichha ke pada hua tha.usi waqt ye aadmi samne ke hotel se nikla & sharab ki dukan pe gaya.1 bottle kharid ke usne kurte ki jeb me daal li & fir bagal me khade ande ke thele se uble ande kharidne laga.."
"..ande wale ko paise dene ke liye usne jeb se paise nikale to 1 hawa ka jhonka aaya & note uske hatho se ud gaye,1 50 ka note mere paas bhi aaya.maine vo utha ke use vapas kiya to vo baki paise bhi sadak se utha ande vale ko uski kimat chukane ke baad mujhe shukriya ada kar chala gaya."
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