Monday, June 14, 2010

सेक्सी कहानिया ननद ने खेली होली--4

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ननद ने खेली होली--4



लेकिन जिस तरह से कम्मों की टाँगे फैली थीं, ये साफ था की उसे भी बहोत रस आ रहा था। मेरे हाथ अपने आप उसके जाँघों पे. ..क्या चिकनी मांसल रस दार झान्घे थीं.....और झान्घों के बीच....वो तरीकों...हल्का हल्का झलक रहा था. कच्ची कलियों को भोगने का शौक तो मुझे भी बचपन से लग गया था, होली का तो मौका था जब भाभी ने रंग लगाने के बहाने ना सिर्फ़ मेरी जम के उंगली की बल्कि पहली बार झाडा...इससे सात आठ महीने ही ज्यादा बड़ी रही हौंगी और फ़िर बोर्डिंग में....११ विन से थी...टेंथ पास कर के ही तो लड़कियां आती थीं...लेकिन आने के हफ्ते भर के अन्दर ही ऐसे जबरदस्त रागिंग....पूरी चूत पुरान. ..और सार्री नई लड़कियां....एक दूसरे की चूत में उंगली...लेस्बियन रेसलिंग....और जो सबसे सटी सावित्री बनने का नाटक करतीं उन्हें तोड़ने का काम मेरा होता...एक से एक सीधी साधी भोली भाली लड़कियों को भोगा मैंने...लेकिन ये तो उन सब से कच्ची. ...पर तन और मन दोनों से ज्यादा रसीली....मुझसे नहीं रहा गया और मैंने सहलाते सहलाते...एक झटके में पैंटी को नीचे खींच के फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा और स्कर्ट पड़ी थीं....

इतनी सेक्सी...मुझे तो लगा मैं देख के ही झड़ जाउंगी....खूब कसी कसी गुलाबी पुतियाँ....बस हलकी सी दरार दिख रही थी...और झांटे बस आना शुरू ही हुयीं थी....वो बहोत गोरी थी और उस की झांटे भी हलकी भूरी। मुझसे नही रहा गया और मैंने उंगलियों से हलके हलके घुमाना शुरू कर दिया। उसकी पुतियों में हलकी सी हरकत हुयी तो मैंने दूसर्रे हाथ से वहाँ हलके से दबा दिया...क्या मस्त मुलायम....

उधर राजीव के होंठ अब उसकी छोटी छोटी चून्चियों के बेस पे....पहले चूम के फ़िर लिक कर के. ..और थोडी देर में उसका एक कडा गुलाबी चुचुक राजीव के होंठों के बिच में....चूभालाते चूसते चूमते. ...वो अब सिसक रही थी दोनों हाथ राजीव के सर को पकडे अपनी और खींच रहा था।

मस्ता रही है साली...मैंने सोचा...फ़िर मेरी उंगली की टिप पुतियों के बीच... हल्का सा गीलापन था वहाँ...मैं बस हलके बिना दबाये ऊपर निचे...अंगुली की टिप करती रही।

राजीव के होंठ अब उसकी गहर्री नाभि को चूम रहे थे....मैं समझ गई की उनकी मंजिल क्या है इसलिए अब मैं फ़िर उसके सर की ओर चली गई.

क्या गुलाबी रसीले होंठ थे और चूंचिया भी एक दम कड़ी मस्त....मुझसे नहीं रह गया और मेरे होंठ उसके होंठों पे और दोनों हाथ रसीले जोबन पे....

और उसके साथ ही राजीव के होंठ उस कली के निचले होंठों पे....

तड्पाने में तो राजीव का सानी नहीं था. उसकी जीभ कभी पंख की तरह गुदगुदाती, कभी...

जीभ की बस नोक से वो उस कलि के लेबिया के किनारे किनारे...और दो चार बार चाटने के बाद उसी तरह. ..दोनों निचले होंठों को अलग कर जीभ अन्दर पेबस्त हो गई और उसने कस के अपने दोनों होंठों के बीच. ..कम्मो के निचले होंठों को....कभी वो हलके हलके चूसते तो कभी कास के उन संतरे की फानकों का रस लेते...

और साथ में मेरी जुबान भी बस अभी उसके सर उठा रहे निप्पल को फ्लिक करते....

चार पाँच बार वो उसे किनार्रे पे ले गए फ़िर रुक गए।

मैंने आँख के इशार्रे से डांटा....एक बार झड़ जाने दो बिचार्री को।

जब एक बार झड़ जायेगी तभी तो उसके चूत के जादू का पता लगेगा।

वो बिचार्री कसक मसक रही थी। चूतड़ पटक रही थी....

चूसो ना जीजा कस के और कस के....ओह्ह ओह्ह....जल बिन मछली की तरह वो तड़प रही थी।

क्या चूसून साली....चूत से मुंह उठा के पूछा उन्होंने।

अरे बोल दे ना....चूत....मैंने धीरे से उसके कान में कहा.

चूत..... बहोत डरते हुए सहमते हुए उसने कहा.

अरे मैंने सूना नहीं ज़रा जोर से बोल ना। फ़िर उन्होंने कहा।

जिजू....प्लीज...मेरी चूत. .चूसिये ना...चूत.

अरे अभी लो मेरी प्यारी साली और फ़िर दुबारा उनके होंठ उसकी चूत की पंखुडियों पे....

और अब वह जब झड़ने लगी तो वो रुके नहीं...बस अपने दोनों हाथों से उसकी कोमल कलाई पकडली और कस कस के. ..जैसे जीभ से ही उसकी कुंवार्री कच्ची चूत चोद देन....कस कस के...

वो झड़ रही थी...अपने चूतड़ पटक रही थी. ...

पर वो रुके नहीं कस के चूसते रहे... चूसते रहे....

थोडी देर में फ़िर दुबारा...अब वो चिल्ला रही थी. ...नहीं हाँ....प्लीज जिजू छोड़ दो.....

जब वो एक दम शिथिल हो गई तभ छोडा उन्होंने उसे....लथ पथ आँखे बंद किए पड़ी हुयी थी।

मैंने होंठ बढ़ा के उनके होंठों से उस कच्ची कलि का रस चख लिया....

क्या स्वाद था....फ़िर एक अंगुली से सीधे उसके मधु कोशः से...

खूब गाधा शहद वो अब मेरे पास आ के बैठ गए थे,

क्यों मजा ले लिया ना साली का। तभ तक वो कुनामुनाने लगी।

हल्के से एक चुम्बन पहले उसकी अधखुली अलसाई पलकों पे फ़िर गुलाबी गालों पे ... रसीले होंठों पे. वो हलके से अंगडाई ले के मस्ती में बोली, जिजू

और जवाब में उनके होंठों ने फ़िर से खड़े होते निपल को मुंह में भर लिया और हलके चूसने लगे।

होंठों का ये सफर कुछ देर में अपनी मंजिल पे पहुँच गया औसकी गुलाबी रस भर्री पंखुडियां उनके होंठों के बीच थीं और कुछ देर में वो फ़िर से चूतड़ पटक रही थी ,

हाँ हाँ जिजू..और कस के चूसो मेरी चूत ओह ओह।

अबकी और तड़पाया उन्होंने। ५-६ बार किनार्रे पे ले जा के और फ़िर अंत में दोनों किशोर चूतड़ कस के पकड़ के उस की चूत की पुतियों को रगड़ रगड़ के जो चूसना शुरू किया।

वो झड़ती रही. झड़ती रही

और वो चूसते रहे चूसते रहे

बीचार्री मजे से बिल्बिलाती रही लेकिन. वो

वो बेहोश सी हो गई थक के तभ जा के उठे;.

तारीफ भर्री निगाहों से देखते हुए मैंने कहा, बहोत अच्छा अब तुमने उसे ऐसा मजा चखा दिखाया है इस उमर में की ख़ुद लंड के लिए भागती फिरेगी।

एकदम और प्यार से वो उसके बाल सहलाते रहे।

और जब थोडी देर में उसने आँखे खोली तो मैं बोली, देख तेरे जिजू क्या होली का गिफ्ट लाये हैं,

और उनसे मैंने कहा और आप पहना भी तो दीजिये अपने हाथ से लेविस की लो कट जीन्स टैंक टाप और सबसे बढ़ के पिंक लेसी ब्रा और थांग का सेट और ब्रा भी पुश अप थोडी पैदेदा। जब पहन के वो तैयार हुयी तो किसी सेक्सी टीन माडल से कम नहीं लग रही थी।

शीशे में देख के वो इती खुश हुयी की उसने ख़ुद उनको गले लगा लिया और बोली

थैंक्स जिजू मैं कितने दिनों से सोच रही थी..ऐसी जींस पर ये तो छोटा शहर है ना

उम्म्म जीजा को कभी थैंक्स नहीं देते मैंने हंस के कहा

जान बूझ के बड़ी अदा से वो बोली। आँख झपका के वो बोली, तो क्या देते हैं

चुम्मी हंस के राजीव बोले ...

अरे तो लीजिये ना जिजू और ख़ुद उनको बांहों में ले के कम्मो ने चूम लिया।

हम लोग चलने वाले थे की मैंने रुक के कहा, तुमने मेरी छोटी बहन के साथ नाइंसाफी की है ये नहीं चलेगा।

वो चकित और कम्मो भी

देखो तुमने तो उसका सब कुछ देख लिया और अपना अभी तक छुपा के रखा है उनके अब तक तन्नाये बल्ज पे हाथ रगड़ के मैं बोली।

हाँ सार्री लेकिन मैंने ख़ुद खोल के देखा था अगर साली चाहे तो ...वो बोले।

क्यों चैलेन्ज एक्सेप्ट करती हो मैंने कम्मो से पूछा नाक का सवाल है मेरी।

एक दम दीदी और उसने उनकी जिप खोल दी।

जैसे कोई स्प्रिंग वाला चाकू निकलता है एक बालिष्ट का पूरी तरह तन्नाया हुआ लंड बाहर आ गया।

अरे पकड़ लो काटेगा नहीं हंस के उन्होंने चिढाया

आप भी क्या याद करिएगा जिजू किस साली से पाला पडा था और उसने दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया।

मुंह खोल के तो देख ले, मैं भी बोली।

लाल गरम खूब मोटा पहाडी आलू ऐसा तन्नाया सूपाडा सामने

बस एक बात बाकी है इन्होने तुम्हार्रे वहाँ किस्सी की थी तुम भी ले लो।

रात भर मैंने उन्हें खूब तड़पाया लेकिन झाड़ने नहीं दिया।

वैसे तो मेरी छुट्टी आज रात खत्म हो जाने की थी....पर कुछ कम्मो के साथ खेल तमाशा...एक दिन और....

वो अभी छोटी तो नहीं है....कितनी कसी हुयी पुत्तियाँ...और मेरा इतना मोटा...बेचारे परेशान।

अरे कुछ नहीं मेरे साजन ...ले लेगी बस थोडा सम्हालना पड़ेगा...उनके तनाये मस्त सुपाडे पे जीभ से फ्लिक करते मैं बोली। बाबी देखा था....पूरा हिन्दुस्तान डिम्पल को देख के मुठ मारता था क्या उमर रही होगी....और क्या पता पिकचर में रोल देने के पहले....

सही कहती हो....एक दम देखने में बाबी ऐसे ही लगती है, लम्बी गोरी, मस्त मुट्ठी में भर जायं उस साईज़ के मम्मे....गुलाबी कचकचा के काटने लायक गाल...वो और मस्ती से पागल हो गए।

और रेखा को, सावन भादों में...लगे पचासी झटके...क्या मस्त गदराये उभार थे...सोलह साल की थी....मैं अब उनकी एक बौल मुंह में ले के चूस रही थी और हाथ एक दम खड़े लंड को मुठिया रहा था...एक मिनट उसे निकाल के मैं बोली...और फ़िर दूसरी बौल को मुंह में ले के चुभालाने लगी.

और साथ साथ सोच रही थी तभी तो मैंने,....चलने के पहले मैंने कहा की बाथ रूम जाना है....तो हम साथ साथ बाथ रूम गए ...और मैंने फ़िर उसे समझाया...चूत में बीच वाली सबसे बड़ी मंझली उंगली करनी चाहिए...ना सिर्फ़ इसलिए की वो सबसे लंबी होती है बल्की अगल बगल की दोनों उंगलियों से पुत्तियों को रगड़ सकते है....और अंगूठा सीधे क्लिट पे...हल्के हल्के दबाना...और फ़िर एक बार मैंने ख़ुद किया और फ़िर उससे अपने सामने करवाया भी....जोर दे के लगभग दो पोर तक गुसवाया....इन्होने जो चुसाई की थी उसका रस अभी तक उसकी बुर में था....मैंने बोला की हम लोग के जाने के बाद.....अभी तो मम्मी के आने में टाईम है....एक बार हलके हलके....देर तक कम से कम दो बार झाड़ना....और रात में सोने के पहले...हाँ उस समय अच्छी तरह वैसलीन लगा के....फ़िर जब भी टायलेट जाय....नहाते समय...हाँ हर समय बस यही सोचे की उसके जीजू का मोटा लंड जा रहा है उसकी चूत में...और अगर किसी दिन ५-६ बार से कम उंगली किया ना तो बहोत मारूंगी उसकी पीठ पे धोल जमाते हुए मैंने कहा।

एकदम दीदी....

और इसलिए जब वो हम लोगों को छोड़ने बाहर तक आयी तो मैंने हंस के कहा ,

याद रखना, थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी।

हंसते हंसते वो अन्दर चली गयी।








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