Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट--30

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गहरी चाल पार्ट--30

चंद्रा साहब कामिनी के उपर अभी भी चढ़े हुए थे & उसके चेहरे & गर्दन को चूम रहे थे,"उफ़फ्फ़....बस यही करते रहेंगे क्या!..मुझे भूख लग रही है,कुच्छ खाने को तो मँगवैइए."

"अभी लो.",चंद्रा साहब ने वैसे ही उसके उपर से हटे बिना,हाथ बढ़कर साइड-टेबल से मेनू कार्ड उठाया & नीचे दबी कामिनी को थमाया,फिर उसी साइड-टेबल पे रखे फोन से खाने का ऑर्डर कर दिया.

थोड़े ही देर बाद कमरे की घंटी बजी,"चलिए..अब हटिए.",चंद्रा साहब कामिनी के उपर से हटे & वॉर्डरोब से निकल के 1 बेदिंग गाउन पहन लिया,कामिनी वैसे ही नंगी बातरूम मे चली गयी.वेटर के जाने के बाद चंद्रा साहब दरवाज़ा बंद कर मुड़े तो देखा की कामिनी अभी तक बाथरूम से बाहर नही आई है.

वो बाथरूम के दरवाज़े के पास गये तो पाया की कामिनी ने दरवाज़ लॉक नही किया था बस भिड़ा दिया था.उन्होने हौले से बिना आवाज़ किए दरवाज़ा खोला तो देखा की कामिनी वॉशबेसिन पे झुक के अपना मुँह धो रही है.झुके हुए होने के कारण उसकी चौड़ी गंद कुच्छ और ज़्यादा उभर आई थी & उसकी फांको के बीच उपर उसकी गंद का गुलाबी छेद & नीचे उसकी चूत दिखा रहे थे जिसमे से अभी भी उनके लंड के पानी की बूंदे टपकती दिख रही थी.

इस मस्त नज़ारे को देखते ही चंद्रा साहब का लंड 1 बार फिर जोश मे आने लगा.उन्होने बातरोब उतारा & चुपके से कामिनी के पीछे पहुँच गये,फिर उसकी कमर को थाम कर 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे अपना लंड पूरा घुसा दिया,"हााअ.....!",कामिनी अचानक हुए इस हमले से चौंक के सीधी होने लगी तो वॉशबेसिन के उपर के शीशे मे उसे अपने गुरु का चेहरा नज़र आया जिसके हर पोर मे बस उसके जिस्म की चाहत नज़र आ रही थी.

कामिनी ने झुक के वॉशबेसिन के किनारो पे अपनी बाहे टीका के फौसेट के नॉब्स को सहारे के लिए थाम लिया & उनके धक्को का मज़ा लेने लगी,"..ऊओन्नह.....आअनन्नह....!"

चंद्रा साहब उसकी कमर को थामे उसकी चूत चोद रहे थे मगर उनका इरादा उसकी चूत मे झड़ने का नही था.कामिनी की मस्त,भारी गंद ने उन्हे पहले दिन से ही दीवाना बना लिया था & इस बार वो उसी का लुत्फ़ उठाने की फिराक़ मे थे.उन्होने शीशे के पास के शेल्फ से 1 क्रीम उठाई & अपनी उंगली मे लगा कामिनी को चोद्ते हुए उस उंगली को उसकी गंद मे अंदर-बाहर करने लगे,"....हाऐईयईईईईईईई....!",कामिनी भी उनका इरादा भाँप गयी & उसके बदन मे और भी मस्ती भर गयी & नतीजतन उसकी आहे & तेज़ हो गयी.

चंद्रा साहब गहरे धक्को से कामिनी की चूत की चुदाई करते हुए उंगली से क्रीम को उसकी गंद के छेद मे अंदर तक लिसेद रहे थे.जब उनकी उंगली गंद के छेद के अंदर तक जाती तो कामिनी की गंद अपनेआप सिकुड कर उंगली को चारो तरफ से दबा लेती.उसकी इस हरकत से चंद्रा साहब को ख़याल आया की इस उंगली की जगह जब उनका लंड लेगा तो उसे कैसा महसूस होगा!इस ख़याल से उनका दिल & मदहोशी से भर उठा & उन्होने फ़ौरन लंड को बाहर खींच लिया.

फिर अपनी दाई टांग को वॉशबेसिन के स्लॅब पे चढ़ाया & कामिनी की टांगे और फैला दी.कामिनी अब वॉशबेसिन के उपर बिल्कुल दोहरी होके खड़ी थी.चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी नाज़ुक कमर को थामा & दाए हाथ से उसके पानी से भीगे लंड को उसकी गंद पे लगा के 1 धक्का दिया,"...ऊओउउउइईईईई.....!",कुछ दर्द & कुच्छ मज़े से कामिनी करही.

लंड का सूपड़ा उसकी गंद मे दाखिल हो चुका था.कामिनी ने फॉसट को कस के बाए हाथ से थामा & अपना सर उठा के शीशे मे अपने गुरु की ओर मदमस्त निगाहो से देखा & होंठो को गोल कर के उन्हे चूमने का इशारा किया & फिर अपने दाए हाथ को नीचे ले जाके अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.चंद्रा साहब अपनी शिष्या की इस अदा से पागल हो गये & उन्होने बहुत तेज़ी से लंड को गंद मे अंदर धकेलना शुरू कर दिया.कामिनी अब मस्ती मे चीखने लगी.बाथरूम की टाइल्स लगी दीवारो से टकरा के गूँजती उसके गले से निकल रही कामुक आवाज़ें माहौल को मस्ताना बना रही थी & उसके गुरु को और जोशीला.

उसकी गंद का छेद वैसे ही सिकुड-2 कर उनके लंड को बहुत ज़ोर से कस के अपनी गिरफ़्त मे ले रहा था.कामिनी की चूत बहुत कसी हुई थी & चंद्रा साहब जब भी उसे चोद्ते तो हर बार इस बात पे हैरान & खुश हुए बिना नही रह पाते,मगर उसकी गंद की तो बात ही कुच्छ और थी!चंद्रा साहब का लंड बहुत फूल गया था & उनके अंडे भी बिल्कुल कस चुके थे & उनमे उबाल रहा लावा धीरे-2 आगे बढ़ रहा था.

चंद्रा साहब ने टांग स्लॅब से उतरी & झुक के उसकी पीठ से अपने सीने को सटा उसके सर & उसकी पीठ पे फैले उसके बालो कॉ चूमने लगे.कामिनी ऐसे झुकी थी की उसकी भारी-भरकम छातिया वॉशबेसिन के अंदर लटकी हुई थी.चंद्रा साहब के हर धक्के पे दोनो के जिस्म टकराते & कामिनी की आहो के साथ-2 जिस्मो की ठप-2 की आवाज़ भी गूँज उठती,मगर उसके साथ 1 और ठप-2 की आवाज़ गूँजती-उसकी चूचियो का वॉशबेसिन से टकराने से पैदा हुई ठप-2 की आवाज़.

चंद्रा साहब ने उसके बालो को हटा के उसके बाए कंधे के उपर से आगे की ओर कर दिया & फिर उसके दाए कंधे को चूमते हुए उसी तरफ से उसके चेहरे & कान पे अपनी जीभ चलाने लगे.कामिनी ने आहे भरते हुए अपना चेहरा घुमाया & अपने बूढ़े प्रेमी के होंठो को अपने गुलाबी भरे-2 लबो की क़ैद मे गिरफ्तार कर लिया.जवाब मे चंद्रा साहब के धक्के और तेज़ हो गये & उन्होने वॉशबेसिन से टकराती उसकी चूचियो को अपने हाथो मे भर लिया & बेरहमी से दबाने लगे.कामिनी भी बहुत तेज़ी से अपने दाने को रगड़ रही थी.

चंदर साहब का बदन कड़ा होने लगा था तो कामिनी समझ गयी की वो अब झाड़ जाएँगे,वो उनके साथ-2 झड़ना चाहती थी,सो उसने अपनी उंगली की रफ़्तार और तेज़ कर दी.चंद्रा साहब ने उसे चूमना छ्चोड़ दिया था & वैसे ही उसकी पीठ से सटे आईने मे उसके प्यारे चेहरे को देखते हुए आहे भरते हुए धक्के लगा रहे थे.

"आहह....आअहह...आहह...आअहह...!",चंद्रा साहब ज़ोरो से कराहने लगे & उनके लंड से आंडो मे पैदा हुआ लावा बलबला के निकालने लगा & कामिनी की गंद मे भरने लगा,ठीक उसी वक़्त कामिनी की उंगली की मेहनत भी रंग लाई & उसके जिस्म मे झदने से पैदा हुए मज़े की फुलझारिया ज़ोरो से छूटने लगी.

झाड़ते ही दोनो वॉशबेसिन के उपर झुक के हाँफने लगे.थोड़ी देर बाद,चंद्रा साहब की साँसे संभाली तो उन्होने कामिनी के दाए कंधे के नीचे उसकी मखमली पीठ पे 1 प्यार भरी किस ठोनकी,"खाना खाने चले?",कामिनी ने बस हां मे सर हिला दिया.

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आज रविवार का दिन था & सुबह के सात बजे थे.मोहसिन जमाल 1 रेडियो टॅक्सी ड्राइवर की वर्दी पहने 1 कार की ड्राइविंग सीट पे उंघ रहा था.कार पे भी रेडियो टॅक्सी कंपनी के लोगो & नाम पैंट किए हुए थे,अंदर 1 वाइरीयल्स भी लगा हुआ था मगर जैसे मोहसिन टॅक्सी ड्राइवर नही था वैसे ही कार भी टॅक्सी नही थी.ये तो बस खुद को शक़ की निगाहो से बचाने के लिए 1 पैंतरा था.टॅक्सी तो कही भी खड़ी रहे कोई शक़ नही करता & रेडियो टॅक्सी को कोई ऐसे ही हाथ दे के रोक के कही चलने के लिए भी नही कहता.वाइर्ले सरकारी इजाज़त से लगाया गया था & मोहसिन की एजेन्सी के जासूसो के काम के लिए था.मगर मोहसिन उसका 1 इस्तेमाल और भी करता था जोकि थोड़ा ग़ैरक़ानूनी था,वो वाइर्ले की फ्रीक्वेन्सी चेंज कर कभी-2 पोलीस वाइर्ले पे कंट्रोल रूम & बाकी थानो & पेट्रोल क़ार्स की बाते भी सुनता था.इस से उसे ना जाने कितने केसस मे मदद मिली थी & सबसे बड़ी मदद तो ये थी की ट्रॅफिक जॅम्स की खबर उसे फ़ौरन मिल जाती थी & वो उनसे बच के निकल जाता था!

टॅक्सी इस वक़्त षत्रुजीत सिंग के बंगल से कुच्छ दूरी पे 1 पेड़ के नीचे खड़ी थी.पिच्छले 2 दीनो से मोहसिन & उसके साथी बारी-2 से टोनी का पीछा कर रहे थे मगर उसने अभी तक कुच्छ ऐसा नही किया था जोकि कामिनी को बताने लायक हो,वो तो शत्रुजीत की कार लेके उसके साथ निकलता & उसी के साथ घर वापस आ जाता,बहुत हुआ तो कभी-कभार सिगरेट खरीदने घर से बाहर आ जाता.मोहसिन को लगने लगा था की इस शख्स से कुच्छ नही पता चलने वाला,ये तो कमाल का नमकहलाल ड्राइवर था-साला कभी मलिक की बुराई भी नही करता था और ड्राइवर्स के साथ मिलके!

तभी बंगल का दरवाज़ा खुला & सफेद कमीज़ & हल्की नीली जीन्स पहने टोनी बाहर आया.मोहसिन ने वैसे ही उंघते रहने का नाटक करते हुए अपनी आँखो के कोने से उसे देखा..ये साला नहा धो के तैय्यार होके कहा जा रहा है?उसने देखा की टोनी रास्ते के मोड़ पे बनी फ्लवर शॉप से फूल खरीद रहा है.फूल खरीदने के बाद वो टॅक्सी ढूँदने लगा तो मोहसिन ने कार स्टार्ट की.जैसे ही टोनी 1 टॅक्सी मे बैठा मोहसिन ने अपनी कार उसके पीछे लगा दी.

कोई 45 मिनिट बाद टॅक्सी शहर के बीचोबीच बने चर्च पे आ रुकी..इसके घर के पास भी तो चर्च है वाहा ना जाके यहा क्यू आया है?मोहसिन ने अपनी शर्ट उतार दी,नीचे 1 टी-शर्ट थी,ड्राइवर की वर्दी की पॅंट की जगह वो हुमेशा जीन्स पहनता था.टॅक्सी पार्क कर के वो चर्च मे दाखिल हुआ तो वो बस 1 आम इंसान था जोकि सनडे को चर्च आया था ना की टॅक्सी ड्राइवर.वो सबसे आख़िरी बेंच पे बैठ गया.उसने देखा की बाहर से 1 कॅंडल खरीद कर टोनी अंदर आया & हाथ मे पकड़ा गुलदस्ता 1 बेंच पे रख के आगे गया & जाकर आल्टर पे कॅंडल जलाने लगा.

वाहा पहले से ही 1 पीले रंग की घुटनो तक की ड्रेस पहने लड़की खड़ी थी....मोहसिन सोच रहा था धर्म की आस्था भी अजीब चीज़ है!..ना जाने क्यू इंसान को किसी खास इबादट्गाह या उपरवाले के किसी 1 खास रूप मे इतना ज़्यादा विश्वास हो जाता है..हो सकता है टोनी को भी इस चर्च पे वैसा ही भरोसा हो.

मगर अगले पल मोहसिन ये सारी फलसफाई बाते भूल गया.वो लड़की & टोनी आल्टर से वापस आते समय आगे-पीछे चल रहे थे.लड़की आई & जहा फूल रखे थे उस बेंच पे अंदर की तरफ बैठ गयी,फिर मोहसिन आया,फूल उठाए & बैठ गया & फिर फूल उस लड़की की गोद मे रख दिए.अब मोहसिन पूरी तरह चौकन्ना था.उसने चर्च का जायज़ा लिया & ये पक्का किया की अंदर आने & बाहर जाने का 1 ही रास्ता है,फिर उठा & बाहर आके अपने मोबाइल से फोन मिलाया,"सुखी?"

"जी,सर."

"स्ट्रीट.थॉमस चर्च के पास आ जा."

"ओके,सर."

सुखी यानी सुखबीर सिंग भुल्लर,लंबा-चौड़ा सिख & मोहसिन की एजेन्सी का 1 तेज़-तर्रार जासूस.5 साल के आर्मी के कमिशन के बाद उसने मोहसिन की एजेन्सी जाय्न कर ली थी.दिलेर होने के साथ-2 सुखी बहुत तेज़ दिमाग़ का मालिक था.

"वो देख सुखी!",ड्राइविंग सीट पे बैठे मोहसिन ने अपने मोबाइल के हंडसफ़री कीट के स्पीकर मे बोला,"..वो पीली ड्रेस वाली लड़की के साथ-2 चल रहा है."

"देख लिया,सर..इस कौव्वे के हाथ ये मोती कहा से लग गया!",दोनो हंस पड़े & सुखी ने दोनो को टॅक्सी मे बैठते देख अपनी बाइक स्टार्ट कर दी & अपने बॉस के साथ-2 उनकी टॅक्सी के पीछे चलने लगा.कोई 35 मिनिट बाद टॅक्सी पंचमहल रेलवे स्टेशन के बाहर रुकी तो दोनो और चौक्काने हो गये,"कौव्वा उड़ने की तो नही सोच रहा सर?"

"देखते हैं,यार.अगर ऐसा हुआ तो मैं इसके पीछे ही लगा रहूँगा,तुम निकल जाना."

मगर कौव्वे उर्फ टोनी के दिमाग़ मे ऐसा कुच्छ नही चल रहा था,वो उस खूबसूरत लड़की के साथ स्टेशन के पास बने सस्ते होटेल्स मे से 1 मे जाने लगा.सुखी & मोहसिन अब साथ-2 उनसे कुच्छ दूरी पे पीछे चल रहे थे,"कौव्वा तो ऐश करने के मूड मे है सर!"

और क्यू ना होता आख़िर वो लड़की और कोई नही शॅरन ही तो थी कौव्वे की धर्मपत्नी.मोहसिन ने देखा की दोनो सतगुरु इंटरनॅशनल नाम के होटेल मे दाखिल हुए.सड़क के दूसरी तरफ से होटेल के शीशे के दरवाज़े के पीछे बना काउंटर सॉफ दिख रहा था.दोनो ने देखा की टोनी ने एंट्री करके 1 चाभी ले और होटेक ले और अंदर चला गया.घड़ी देख के ठीक 3 मिनिट बाद मोहसिन सुखी के साथ होटेल के काउंटर पे पहुँचा,"हेलो,सर जी.",1 गोल-मटोल सिख ने हंसते हुए उनका स्वागत किया,"दस्सो.की सेवा करू?"

"पाजी,आपसे 1 बात पुच्छनी है."

"हां-2 जी बोलो तो."

"पाजी,ये जो जोड़ा अभी आया है आपके होटेल मे हमे उसके बारे मे जानना है.",मोहसिन की बात सुनते ही सरदार के चेहरे से हँसी गायब हो गयी.मोहसिन पहली ही नज़र मे भाँप गया था कि यही मालिक है..अब इन सस्ते होटेल्स मे कौन रिसेप्षनिस्ट & मॅनेजर का खर्चा उठाता!आमतौर पे मॅनेजर ही वेटर के कामो के अलावा सारे काम करता था..ज़रूर इसका मॅनेजर कम रिसेप्षनिस्ट अभी आया नही है & इसे काउंटर संभालना पड़ रहा है.

"पाजी,हमे ग़लत मत समझिए..",मोहसिन ने उसके चौकन्ना चेहरे को देखा & फिर जेब से 1 कार्ड निकल के उसे दिखाया,"..मैं सरकार से अप्रूव्ड जासूस हू..",उसने कार्ड वापस जेब मे रखा & 1 1000 का नोट काउंटर पे रखा,"..ये जो औरत अंदर गयी है ना इसका पति हमारे पास आया था..उसे शक़ था की इसका चक्कर चल रहा है..अब हमे इस औरत के & इसके प्रेमी के कुच्छ फोटो मिल जाते तो..",मोहसिन 1 और नोट काउंटर पे रखा.

"जी,हम अपने कस्टमर्स के साथ ऐसा काम नही करते..",सरदार ने ललचाई निगाहो से नोटो को देखा.

"अरे पाजी,आपसे कौन सा हम कोई ग़लत काम करवा रहे हैं!",अब बातचीत की बागडोर सुखी ने संभाली,"..आप हमे बस उनके फोटो लेने का रास्ता बता दो..".मोहसिन ने 2 और नोट काउंटर पे रख दिए थे,"..आपकी तकलीफ़ की भरपाई भी तो हम कर रहे हैं.",सुखी उसकी तरफ देख के मुस्कुराया.

"..पर..",सरदार जी नोटो को खा जाने वाली नज़रो से देख रहे थे.

"की पर पाजी,तुसी बस मुश्किल दस्सो हम आसान करांगे..!",सुखी ने उसके कंधे पे हाथ रख उसके कान मे कहा.

"..पर,यारा..मैने उन्हे जो कमरा दिया है,वाहा आपलोग किसी भी तरह फोटो नही ले सकते.."

"कोई बात नही,पाजी!..",मोहसिन ने 1 और 1000 का नोट काउंटर पे रखा & फिर पाँचो नोटो को उठा के मुट्ठी मे बंद कर लिया,"..कोई दूसरा कमरा तो होगा.",फिर मुट्ठी मे बंद पाँचो नोटो को सरदार जी की शर्ट की जेब मे डाल दिया.

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"ओह्ह..माइ डार्लिंग!....माइ लव..!....शॅरन..",टोनी अपनी बीवी को बाहो मे भरे बिस्तर पे बैठा चूम रहा था,"..मैं तुम्हे कितना मिस करता हू..",वो उसकी गर्दन चूम रहा था.शॅरन के चेहरे पे घिन के भाव थे मगर जैसे ही टोनी ने सर उपर उठाया वो बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उसके गालो को चूमने लगी,"..मैने भी,टोनी डार्लिंग.",टोनी ने उसकी पीठ पे लगी ज़िप खोल के उसकी ड्रेस को उसके बाए कंधे से सरकया & फिर ब्रा स्ट्रॅप को नीचे कर उसके कंधे को चूमने लगा कि तभी दरवाज़े पे ज़ोर की दस्तक हुई.

"बस्टर्ड..!",टोनी भूंभूनाया,"कौन है?"

"मैं,सर..मॅनेजर.."

"क्या बात है?",उसने बिस्तर पे बैठे-2 ही पुचछा.

"प्लीज़,सर.1 मिनिट दरवाज़ा खोलिए.",शॅरन ने आँखो से दरवाज़ा खोलने का इशारा किया तो टोनी बेमन से उठा.

"हां,बोलो.",उसने दरवाज़ा खोला तो सामने सरदार जी हंसते हुए खड़े थे.सरदार जी ने टोनी के कंधे के उपर से झाँका तो उन्हे ड्रेस ठीक करती शॅरन नज़र आई,"बोलो भाई!",टोनी को उसपे बहुत गुस्सा आया.

"ये सर...सॉरी...सर..!",सरदार जी सकपका गये,"..आइ मीन..सर..आपको इस रूम से निकलना पड़ेगा."

"क्यू?!",टोनी की थयोरियाँ चढ़ गयी..साला सरदार सारे मूड का सत्यानाश कर रहा था!

"माइ मिस्टेक,सर!..दारसला इस रूम का एसी खराब है..अभी तो ठीक चल रहा है मगर थोड़ी देर मे आवाज़ करता हुआ बंद हो जाएगा..आज मेकॅनिक को बुलाया था..अब खमखा आपके काम पे बीच मे खलल पड़ जाए तो..",सरदार जी मुस्कराए.

"तो क्या करे?"

"आप दूसरे रूम मे शिफ्ट हो जाइए,सर..इस से बड़ा है & बेहतर भी,प्लीज़!"

"ओके."
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"ईडियट..!,1 तो वैसे ही टाइम नही अपन के पास,उपर से ये बेवकूफ़!",दूसरे कमरे मे घुसते ही टोनी झल्लाया तो शॅरन उसके करीब आ गयी,"रिलॅक्स,डार्लिंग!",&दोनो 1 दूसरे की बाहो मे खो गये इस बात से अंजान की उस रूम मे जो 1 बंद दरवाज़ा दिख रहा था उसके दूरी तरफ बैठे मोहसिन & सुखी उनकी सारी बाते ना केवल सुन रहे हैं बल्कि कमेरे के ज़रिए रेकॉर्ड भी कर रहे हैं.मोहसिन ने 2 कमेरे इस तरह लगाए थे की 1 पूरे बेड को & दूसरा कमरे के दरवाज़े & अटॅच्ड बाथरूम के दरवाज़े को कवर कर रहे थे.

"ऊन्न्नह.....वाउ..डार्लिंग शॅरन!",तुम तो दिन बा दिन और खूबसूरत होती जा रही हो.बिस्तर पे नंगी पड़ी अपनी बीवी को देखते हुए टोनी अपना अंडरवीअर उतार रहा था.फिर वो उसके उपर चढ़ गया & उसके बदन को चूमने,चाटने लगा.वो बिल्कुल पागल हो गया था.. आख़िर पूरे 1 हफ्ते के बाद अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी बीवी के हुस्न का दीदार कर रहा था,उसे प्यार कर रहा था!

और शॅरन..उसके चेहरे पे बस खीज & नफ़रत के भाव थे..उसे अब इस इंसान से कोई लगाव नही रह गया था,"..बस कुच्छ ही दीनो की बात है डार्लिंग!..फिर तुम,मैं & हमारा बेटा-तीनो 1 साथ रहेंगे आवंतिपुर मे..",उसकी चूत चूमने के बाद वो उसकी टाँगे फैला के उनके बीच आ रहा था,"..हमे पैसो की भी कोई चिंता नही रहेगी.",उसने अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया तो लंड 1 ही झटके मे अंदर घुस गया,"..आअहह...!",शॅरन बनावटी लहजे मे करही,"..मुझे उस दिन का इंतेज़ार रहेगा,टोनी डार्लिंग....ऊऊन्न्नह....ईएसस्सस्स.....ईएससस्स...!",वो उसे बाहो मे भर के जोश मे होने का नाटक करने लगी.

जब से उसने जगबीर ठुकराल के लंड का स्वाद चखा था उसे टोनी किसी काम का नही लगता था,वो बस ठुकराल के कहने पे उसके प्लान की कामयाबी के चलते टोनी से हर हफ्ते मिलती थी.टोनी का छोटा सा कमज़ोर लंड जब उसकी चूत मे घुसा तो उसे कुच्छ भी महसूस नही हुआ था मगर वो नीचे से ऐसे कमर हिला रही थी मानो मस्ती मे पागल हो गयी हो,"..हाऐईयईई.....ऊओह....मययी...गोद्द्दद्ड.....टोनन्य्यययी....ई लोवे ौउूउ.......आअहह...!",टोनी के झाड़ते ही उसने भी झड़ने का नाटक किया.टोनी उसके सीने पे सर रखे हाँफ रहा था.उसने उसके सर को सहलाते हुए आँखे खोली,थोड़ी देर पहले उसने अपने पति से झूठ नही कहा था,उसे सचमुच बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार था जब ये प्लान कामयाब हो जाएगा & उसे इस मनहूस,कमज़ोर शख्स से छूटकारा मिल जाएगा & वो हमेसा-2 के लिए अपने प्यारे जगबीर को हो जाएगी.

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टोनी ने 1 बार और अपनी बीवी को चोदा & फिर दोनो कमरे से निकल लिए.उनके पीछे-2 मोहसिन & सुखी भी बाहर आए.काउंटर पे टोनी ने चाभी लौटाई & शॅरन के साथ होटेल के बाहर चला गया.मोहसिन & सुखी उसके निकलते ही काउंटर पे आए,"थॅंक्स,पाजी!",मोहसिन ने सरदार जी से हाथ मिलाया.सरदार जी ने हाथ मिलाने के बाद अपने हाथ को देखा तो वाहा 2000 रुपये और थे,"यू'आर मोस्ट वेलकम,सिरजी!",उनकी घनी मूछ & दाढ़ी से भरे चेहरे पे मुस्कान की लंबी लकीर खींची हुई थी.

मोहसिन & सुखी मुस्कुराते हुए होटेल से बाहर आए & 1 बार फिर टोनी & शॅरन के पीछे लग गये.
क्रमशः.............................



GEHRI CHAAL paart--30

Chandra Sahab kamini ke upar abhi bhi chadhe hue the & uske chehre & gardan ko chum rahe the,"ufff....bas yehi karte rahenge kya!..mujhe bhookh lag rahi hai,kuchh khane ko to mangwaiye."

"abhi lo.",chandra sahab ne vaise hi uske upar se hate bina,hath badhakar side-table se menu card uthaya & neeche dabi kamini ko thamaya,fir usi side-table pe rakhe fone se khane ka order kar diya.

thode hi der baad kamre ki ghanti baji,"chaliye..ab hatiye.",chandra sahab kamini ke upar se hate & wardrobe se nikal ke 1 bathing gown pehan liya,kamini vaise hi nangi bathroom me chali gayi.waiter ke jane ke baad chandra sahab darwaza band kar mude to dekha ki kamini abhi tak bathroom se bahar nahi aayi hai.

vo bathroom ke darwaze ke paas gaye to paya ki kamini ne darwaz lock nahi kiya tha bas bhida diya tha.unhone haule se bina aavaz kiye darwaza khola to dekha ki kamini washbasin pe jhuk ke apna munh dho rahi hai.jhuke hue hone ke karan uski chaudi gand kuchh aur zyada ubhar aayi thi & uski fanko ke beech upar uski gand ka gulabi chhed & neeche uski chut dikha rahe the jisme se abhi bhi unke lund ke pani ki boonde tapakti dikh rahi thi.

is mast nazare ko dekhte hi chandra sahab ka lund 1 baar fir josh me aane laga.unhone bathrobe utara & chupke se kamini ke peechhe pahunch gaye,fir uski kamar ko tham kar 1 hi jhatke me uski gili chut me apna lund pura ghusa diya,"haaaaa.....!",kamini achanak hue is humle se chaunk ke seedhi hone lagi to washbasin ke upar ke sheeshe me use apne guru ka chehra nazar aaya jiske har pore me bas uske jism ki chahat nazar aa rahi thi.

kamini ne jhuk ke washbasin ke kinaro pe apni baahe tika ke faucet ke knobs ko sahare ke liye tham liya & unke dhakko kam maza lene lagi,"..ooonnhhh.....aaannnhhh....!"

chandra sahab uski kamar ko thame uski chut chod rahe the magar unka irada uski chut me jhadne ka nahi tha.kamini ki mast,bhari gand ne unhe pehle din se hi deewana bana liya tha & is baar vo usi ka lutf uthane ki firaq me the.unhone sheeshe ke paas ke shelf se 1 cream uthayi & apni ungli me laga kamini ko chodte hue us ungli ko uski gand me andar-bahar karne lage,"....haaaiiiiiiiiii....!",kamini bhi unka irada bhanp gayi & uske badan me aur bhi masti bhar gayi & nateejatan uski aahe & tez ho gayi.

chandra sahab gehre dhakko se kamini ki chut ki chudai karte hue ungli se cream ko uski gand ke chhed me andar tak lised rahe the.jab unki ungli gand ke chhed ke andar tak jati to kamini ki gand apneaap sikud kar ungli ko charo taraf se daba leti.uski is harkat se chandra sahab ko khayal aaya ki is ungli ki jagah jab unka lund lega to use kaisa mehsus hoga!is khayal se unka dil & madhoshi se bhar utha & unhone fauran lund ko bahar khinch liya.

fir apni daayi tang ko washbasin ke slab pe chadhaya & kamini ki taange aur faila di.kamini ab washbasin ke upar bilkul dohri hoke khadi thi.chandra sahab ne baaye hath se uski nazuk kamar ko thama & daaye hath se uske pani se bheege lund ko uski gand pe laga ke 1 dhakka diya,"...ooouuuuiiiiiiii.....!",kuch dard & kuchh maze se kamini karahi.

lund ka supada uski gand me dakhil ho chuka tha.kamini ne faucet ko kas ke baaye hath se thama & apna sar utha ke sheeshe me apne guru ki or madmast nigaho se dekha & hotho ko gol kar ke unhe chumne ka ishara kiya & fir apne daaye hath ko neeche le jake apni chut ke dane ko ragadne lagi.chandra sahab apni shishya ki is ada se pagal ho gaye & unhone bahut tezi se lund ko gand me andar dhakelna shuru kar diya.kamini ab masti me chikhne lagi.bathroom ki tiles lagi deewaro se takra ke gunjti uske gale se nikal rahi kamuk aavazen mahaul ko mastana bana rahi thi & uske guru ko aur joshila.

uski gand ka chhed vaise hi sikud-2 kar unke lund ko bahut zor se kas ke apni giraft me le raha tha.kamini ki chut bahut kasi hui thi & chandra sahab jab bhi use chodte to har baar is baat pe hairan & khhush hue bina nahi reh pate,magar uski gand ki to baat hi kuchh aur thi!chandra sahab ka lund bahut phool gaya tha & unke ande bhi bilkul kas chuke the & unme ubal raha lava dheere-2 aage badh raha tha.

chandra sahab ne tang slab se utari & jhuk ke uski pith se apne seene ko sata uske sar & uski pith pe faile uske baalo koc humne lage.kamini aise jhuki thi ki uski bhari-bharkam chhatiyaa washbasin ke andar latki hii thi.chandra sahab ke har dhakke pe dono ke jism takrate & kamini ki aaho ke sath-2 jismo ki thap-2 ki aavaz bhi gunj uthati,magar uske sath 1 aur thap-2 ki aavaz gunjti-uski choochiyo ka washbasin se takrane se paida hui thap-2 ki aavaz.

chandra sahab ne uske baalo ko hata ke uske baaye kandhe ke upar se aage ki or kar diya & fir uske daaye kandhe ko chumte hue usi tarafs e uske chehre & kaan pe apni jibh chalane lage.kamini ne aahe bharte hue apna chehra ghumaya & apne boodhe premi ke hotho ko apne gulabi bhare-2 labo ki qaid me giraftar kar liya.jawab me chandra sahab ke dhakke aur tez ho gaye & unhone washbasin se takrati uski chhatityo ko apne hatho me bhar liya & berahmi se dabane lage.kamini bhi bahut tezi se apne dane ko ragad rahi thi.

chandar sahab ka badan kada hone laga tha to kamini samajh gayi ki vo ab jhad jayenge,vo unke sath-2 jhadna chahti thi,so usne apni ungli ki raftar aur tez kar di.chandra sahab ne use chumna chhod diya tha & vaise hi uski pith se sate aaine me uske pyare chehre ko dekhte hue aahe bharte hue dhakke laga rahe the.

"aahhhh....aaahhh...aahhhh...aaahhh...!",chandra sahab zoro se karahne lage & unke lund se ando me paida hua lava balbala ke nikalne laga & kamini ki gand me bharne laga,thik usi waqt kamini ki ungli ki mehnat bhi rang layi & uske jism me jhdne se paida hue maze ki phuljhariya zoro se chhutne lagi.

jhadte hi dono washbasin ke upar jhuk ke hanfne lage.thodi der baad,chandra sahab ki saanse sambhali to unhone kamini ke daaye kandhe ke neeche uski makhmali pith pe 1 pyar bhari kiss thonki,"khana khane chale?",kamini ne bas haan me sar hila diya.

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aaj ravivar ka din tha & subah ke saat baje the.Mohsin Jamal 1 radio taxi driver ki vardi pehne 1 car ki driving seat pe ungh raha tha.car pe bhi radio taxi company ke logo & naam paint kiye hue the,andar 1 wireless bhi laga hua tha magar jaise mohsin taxi driver nahi tha vaise hi car bhi taxi nahi thi.ye to bas khud ko shaq ki nigaho se bachane ke liye 1 paintara tha.taxi to kahi bhi khadi rahe koi shaq nahi karta & radio taxi ko koi aise hi hath de ke rok ke kahi chalne ke liye bhi nahi kehta.wireless sarkari ijazat se lagaya gaya tha & mohsin ki agency ke jasooso ke kaam ke liye tha.magar mohsin uska 1 istemal aur bhi karta tha joki thoda gairkanooni tha,vo wireless ki frequency change kar kabhi-2 police wireless pe control room & baki thano & patrol cars ki baate bhi sunta tha.is se use na jane kitne cases me madad mili thi & sabse badi madad to ye thi ki traffic jams ki khabar use fauran mil jati thi & vo unse bach ke nikal jata tha!

taxi is waqt Shatrujeet Singh ke bungle se kuchh duri pe 1 ped ke neeche khadi thi.pichhle 2 dino se mohsin & uske sathi bari-2 se Tony ka peechha kar rahe the magar usne abhi tak kuchh aisa nahi kiya tha joki kamini ko batane layak ho,vo to shatrujeet ki car leke uske sath nikalta & usi ke sath ghar vaps aa jata,bahut hua to kabhi-kabhar cigarette kharidne ghar se bahar aa jata.mohsin ko lagne laga tha ki is shakhs se kuchh nahi pata chalne vala,ye to kamal ka namakhalal driver tha-sala kabhi malik ki burai bhi nahi karta tha aur drivers ke sath milke!

tabhi bungle ka darvaza khula & safed kamiz & halki neeli jeans pehne tony bahar aaya.mohsin ne vaise hi unghte rehne ka natak karte hue apni aankho ke kone se use dekha..ye sala naha dho ke taiyyar hoke kaha ja raha hai?usne dekha ki tony raste ke mod pe bani flower shop se phool kharid raha hai.phool kharidne ke baad vo taxi dhoondne laga to mohsin ne car start ki.jaise hi tony 1 taxi me baitha mohsin ne apni car uske peechhe laga di.

koi 45 minute baad taxi shahar ke beechobeech bane church pe aa ruki..iske ghar ke paas bhi to church hai vaha na jake yaha kyu aaya hai?mohsin ne apni shiart utar di,neeche 1 t-shirt thi,driver ki vardi ki pant ki jagah vo humesha jeans pehanta tha.taxi park kar ke vo church me dakhil hua to vo bas 1 aam insan tha joki sunday ko church aaya tha na ki taxi driver.vo sabse aakhiri bench pe baith gaya.usne dekha ki bahar se 1 candle kharid kar tony andar aaya & hath me pakda guldasta 1 bench pe rakh ke aage gaya & jakar altar pe candle jalane laga.

vaha pehle se hi 1 peele rang ki ghutno tak ki dress pehne ladki khadi thi....mohsin soch raha th dharm ki aastha bhi ajeeb chiz hai!..na jane kyu insan ko kisi khas ibadatgah ya uparwale ke kisi 1 khas roop me itna zyada vishvas ho jata hai..ho sakta hai tony ko bhi is church pe vaisa hi bharosa ho.

magar agle pal mohsin ye sari falsafai baate bhul gaya.vo ladki & tony altar se vapas aate samay aage-peechhe chal rahe the.ladki aayi & jaha phool rakhe the us bench pe andar ki taraf baith gayi,fir mohsin aaya,phool uthaye & baith gaya & fir phool us ladki ki god me rakh diye.ab mohsin puri tarah chaukanna tha.usne church ka jayza liya & ye pakka kiya ki andar aane & bahar jane ka 1 hi rasta hai,fir utha & bahar aake apne mobile se fone milaya,"sukhi?"

"ji,sir."

"St.Thomas Church ke paas aa ja."

"ok,sir."

sukhi yani Sukhbir Singh Bhullar,lamba-chauda sikh & mohsin ki agency ka 1 tez-tarrar jasoos.5 saal ke army ke commission ke baad usne mohsin ki agency join kar li thi.diler hone ke sath-2 sukhi bahut tez dimagh ka malik tha.

"vo dekh sukhi!",driving seat pe baithe mohsin ne apne mobile ke handsfree kit ke speaker me bola,"..vo pili dress vali ladki ke sath-2 chal raha hai."

"dekh liya,sir..is kauwwe ke hath ye moti kaha se lag gaya!",dono hans pade & sukhi ne dono ko taxi me baithate dekh apni bike start kar di & apne boss ke sath-2 unki taxi ke peechhe chalne laga.koi 35 minute baad taxi Panchmahal railway station ke bahar ruki to dono aur chaukkane ho gaye,"kauwwa udne ki to nahi soch raha sir?"

"dekhte hain,yaar.agar aisa hua to main iske peechhe hi laga rahunga,tum nikal jana."

magar kauwwe urf tony ke dimagh me aisa kuchh nahi chal raha tha,vo us khubsurat ladki ke sath station ke paas bane saste hotels me se 1 me jane laga.sukhi & mohsin ab sath-2 unse kuchh duri pe peechhe chal rahe the,"kauwwa to aish karne ke mood me hai sir!"

aur kyu na hota aakhir vo ladki aur koi nahi Sharon hi to thi kauwwe ki dharmpatni.mohsin ne dekha ki dono Satguru International naam ke hotel me dakhil hue.sadak ke dusri taraf se hotel ke sheeshe ke darwaze ke peechhe bana counter saaf dikh raha tha.dono ne dekha ki tony ne entry karke 1 chabhi le aur hotek Le aur andar chala gaya.ghadi dekh ke thik 3 minute baad mohsin sukhi ke sath hotel ke counter pe pahuncha,"hello,sir ji.",1 gol-matol sikh ne hanste hue unka swagat kiya,"dasso.ki sewa karu?"

"paaji,aapse 1 baat puchhni hai."

"haan-2 ji bolo to."

"paaji,ye jo joda abhi aaya hai aapke hotel me hume uske bare me jaanana hai.",mohsin ki baat sunte hi sardar ke chehre se hansi gayab ho gayi.mohsin pehli hi nazar me bhanp gaya tha ki yehi malik hai..ab in saste hotels me kaun receptionist & manager ka kharcha uthata!aamtaur pe manager hi waiter ke kaamo ke alawa saer kaam karta tha..zarur iska manager cum receptionist abhi aaya nahi hai & ise counter sambhalna pad raha hai.

"paaji,hume galat mat samajhiye..",mohsin ne uske chaukanna chehre ko dekha & fir jeb se 1 card nikal ke use dikhaya,"..main sarkar se approved jasoos hu..",usne card vapas jeb me rakah & 1 1000 ka note counter pe rakha,"..ye jo aurat andar gayi hai na iska pati humare paas aaya tha..use shaq tha ki iska chakkar chal raha hai..ab hume is aurat ke & iske premi ke kuchh foto mil jate to..",mohsin 1 aur note counter pe rakha.

"ji,hum apne customers ke sath aisa kaam nahi karte..",sardar ne lalchai nigaho se noto ko dekha.

"are paaji,aapse kaun sa hum koi galat kaam karwa rahe hain!",ab baatchit ki bagdor sukhi ne sambhali,"..aap hume bas unke foto lene ka rasta bata do..".mohsin ne 2 aur note counter pe rakh diye the,"..aapki taklif ki bharpai bhi to hum kar rahe hain.",sukhi uski taraf dekh ke muskuraya.

"..par..",sardar ji noto ko kha jane vali nazro se dekh rahe the.

"ki par paaji,tusi bas mushkil dasso hum aasan karaange..!",sukhi ne uske kandhe pe hath rakh uske kaan me kaha.

"..par,yaara..maine unhe jo kamra diya hai,vaha aaplog kisi bhi tarah foto nahi le sakte.."

"koi baat nahi,paaji!..",mohsin ne 1 aur 1000 ka note counter pe rakah & fir pancho noto ko utha ke mutthi me band kar liya,"..koi dusra kamra to hoga.",fir mutthi me band pancho noto ko sardar ji ki shirt ki jeb me daal diya.

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"ohh..my darling!....my love..!....sharon..",tony apni biwi ko baaho me bhare bistar pe baitha chum raha tha,"..main tumhe kitna miss karta hu..",vo uski gardan chum raha tha.sharon ke chehre pe ghin ke bhav the magar jaise hi tony ne sar upar uthaya vo bade pyar se muskurate hue uske galo ko chumne lagi,"..maine bhi,tony darling.",tony ne uski pith pe lagi zip khol ke uski dress ko uske baaye kandhe se sarkaya & fir bra strap ko neeche kar uske kandhe ko chumne laga ki tabhi darwaze pe zor ki dastak hui.

"bastard..!",tony bhunbhunaya,"kaun hai?"

"main,sir..manager.."

"kya baat hai?",usne bistar pe baithe-2 hi puchha.

"please,sir.1 minute darwaza kholiye.",sharon ne sue aankho se darwaza kholne ka ishara kuiya to tony beman se utha.

"haan,bolo.",usne darwaza khola to samne sardar ji hanste hue khade the.sardar ji ne tony ke kandhe ke uapr se jhanka to unhe dress thik karti sharon nazar aayi,"bolo bhai!",tony ko uspe bahut gussa aaya.

"ye sir...sorry...sir..!",sardar ji sakpaka gaye,"..i mean..sir..aapko is room se nikalna padega."

"kyu?!",tony ki tyoriyan chadh gayi..sala sardar sare mood ka satyanash kar raha tha!

"my mistake,sir!..darasla is room ka AC kharab hai..abhi to thik chal raha hai magar thodi der me aavaz karta hua band ho jayega..aaj mechanic ko bulaya tha..ab khamakha aapke kaam pe beech me khalal pad jaye to..",sardar ji muskraye.

"to kya kare?"

"aap dusre room me shift ho jaiye,sir..is se bada hai & behtar bhi,please!"

"ok."
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"idiot..!,1 to vaise hi time nahi apan ke paas,upar se ye bevkuf!",dusre kamre me ghuste hi tony jhallaya to sharon uske kareeb aa gayi,"relax,darling!",&dono 1 dusre ki baaho me kho gaye is baat se anjan ki us room me jo 1 band darvaza dikh raha tha uske duri taraf baithe mohsin & sukhi unki asre baate na kewal sun rahe hain balki camere ke zariye record bhi kar rahe hain.mohsin ne 2 camere is tarah lagaye the ki 1 pure bed ko & dusra kamre ke darvaze & attached bathroom ke darvaze ko cover kar rahe the.

"oonnnhhh.....wow..darling sharon!",tum to din ba din aur khubsuart hoti ja rahi ho.bistar pe nangi padi apni biwi ko dekhte hue tony apna unerwear utar raha tha.fir vo uske upar chadh gaya & uske badan ko chumne,chatne laga.vo bilkul pagal ho gaya tha.. aakhir puer 1 hafte ke baad apni jaan se bhi zyada pyari biwi ke husn ka deedar kar raha tha,use pyar kar raha tha!

aur sharon..uske chehre pe bas kheej & nafrat ke bhav the..use ab is insan se koi lagav nahi reh gaya tha,"..bas kuchh hi dino ki baat hai darling!..fir tum,main & humara beta-teeno 1 sath rahenge Avantipur me..",uski chut chumne ke baad vo uski tange faila ke unke beech aa raha tha,"..hume paiso ki bhi koi chinta nahi rahegi.",usne apna lund uski chut me ghusaya to lund 1 hi jhatke me andar ghus gaya,"..aaahhhhhh...!",sharon banawati lahje me karahi,"..mujhe us din ka intezar rahega,tony darling....oooonnnhhhh....yeeesssss.....yeeessss...!",vo use baaho me bhar ke josh me hone ka natak karne lagi.

jab se usne Jagbir Thukral ke lund ka swad chakha tha use tony kisi kaam ka nahi lagta tha,vo bas thukral ke kehne pe uske plan ki kamyabi ke chalte tony se har hafte milti thi.tony ka chhot sa kamzor lund jab uski chut me ghusa to use kuchh bhi mehsus nahi hua tha magar vo neeche se aise kamar hila rahi thi mano masti me pagal ho gayi ho,"..haaaiiiii.....ooohhhh....myyy...goddddd.....tonnyyyyy....i love youuuu.......aaahhhhh...!",tony ke jhadte hi usne bhi jhadne ka natak kiya.tony uske seene pe sar rakhe hanf raha tha.usne uske sar ko sehlate hue aankhe kholi,thodi der pehle usne apne pati se jhuth nahi kaha tha,use sachmuch besabri se us din ka intezar tha jab ye plan kamyab ho jayega & use is manhoos,kamzor shakhs se chhutkara mil jayega & vo humehsa-2 ke liye apne pyare jagbir ko ho jayegi.

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tony ne 1 baar aur apni biwi ko choda & fir dono kamre se nikal liye.unke peechhe-2 mohsin & sukhi bhi bahar aaye.counter pe tony ne chabhi lautayi & sharon ke sath hotel ke bahar chala gaya.mohsin & sukhi uske nikate hi counter pe aaye,"thanx,paaji!",mohsin ne sardar ji se hath milaya.sardar ji ne hath milane ke baad apne hath ko dekha to vaha 2000 rupaye aur the,"you're most welcome,sirji!",unki ghani moochhh & dadhi se bhare chehre pe muskan ki lambi lakir khinchi hui thi.

mohsin & sukhi muskurate hue hotel se bahar aaye & 1 baar fir tony & sharon ke peechhe lag gaye.









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