Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट--12

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गहरी चाल पार्ट--12

"क्या मैं यहा बैठ सकता हू?"

"ज़रूर."

वेटर उसे भी 1 जूस का ग्लास दे गया,शायद उसने पहले ही ऑर्डर कर रखा था.दोनो बाते करने लगे.षत्रुजीत सिंग इस तरह बैठा था की कामिनी से बातें करने के साथ-2 वो पूल को भी देख पा रहा था जिसमे अभी 1 गोरी,विदेशी लड़की तेर रही थी.लड़की ने 1 सफेद रंग की 2 पीस बिकिनी पहन रखी थी.

वो पूल से निकली & उसके पास बने शवर के नीचे जा खड़ी हुई.लड़की खूबसूरत थी & उसका फिगर कमाल का था.उसके बदन पे कही भी माँस की 1 भी फालतू परत नही दिख रही थी.कामिनी को उसकी शक्ल जानी-पहचानी लग रही थी.

शवर से निकल के वो लड़की तौलिए से अपने बॉल पोन्छ्ति हुई,मुस्कुराते हुए उनकी तरफ आने लगी.कामिनी साँचे मे ढले उसके बदन की मन ही मन तारीफ किए बिना ना रह सकी.गीले ब्रा मे उसके निपल्स का उभार सॉफ पता चल रहा था & लड़की इस वक़्त बड़ी सेक्सी लग रही थी.

कामिनी ने देखा की शत्रुजीत भी उस लड़की को देख के मुस्कुरा रहा था.वो लड़की आई & शत्रुजीत की कुर्सी के बाए हत्थे पे बैठ गयी & अपनी दाई बाँह उसके कंधे पे रख दी,"हाउ वाज़ दा स्विम?",शत्रुजीत ने अपनी बाई बाँह उसकी कमर मे डाल दी,"ग्रेट!"

"ओह!सॉरी,मैने आप दोनो का परिचय नही कराया....शी'स एलेना,शी'स आ मॉडेल..",उसने लड़की की ओर इशारा किया,"..& शी'स कामिनी शरण,वन ऑफ और बेस्ट लॉयर्स & माइ लीगल आड्वाइज़र.",कामिनी को समझ आ गया कि क्यू उसकी शक्ल उसे जानी हुई लगी थी.उसने उसे अख़बारो & मॅगज़ीन्स मे छपे फॅशन शोस की तस्वीरो मे देखा था.

"हेलो,कामिनी."

"हेलो,एलेना.",कामिनी को उसका बोलने का लहज़ा थोड़ा अजीब लगा,"आइ'वी सीन युवर पिक्चर्स & मस्ट से यू'आर वेरी ब्यूटिफुल."

"..& सो आर यू कामिनी....आइ फ़ीएल सो रेफ़र्रेशेद आफ़तरर दट स्विंम..इट'स सो डिफफ्फ़ेररेंट फ्ररों रशिया...आइ'एम फ्ररों रशिया यू नो..",इसीलिए उसका लहज़ा थोडा अजीब था.थोड़ी देर बाते करने के बाद एलेना ने शत्रुजीत के कान मे कुच्छ कहा तो वो खड़ा हो गया,"अच्छा,अब मैं इजाज़त चाहूँगा,कामिनी."

"ओके,मिस्टर.सिंग.",वो एलेना की तरफ घूमी,"इट वाज़ नाइस मीटिंग यू,एलेना."

"सेम हेररे,कमिनीई.",दोनो 1 दूसरे की कमर मे बाहे डाले पूल से थोडा हट के बने चेंजिंग रूम्स मे चले गये.मर्दो & औरतो के लिए अलग-2 चेंजिंग रूम्स बने थे मगर वो दोनो 1 ही रूम मे घुस गये.

कामिनी का दिल धड़क उठा...दोनो 1 ही कमरे मे गये..क्या ये दोनो वाहा कुच्छ करेंगे?उसने आस-पास देखा,कोई भी उसकी ओर ध्यान नही दे रहा था.वो उठी & चेंजिंग रूम्स की तरफ चली गयी.

चेंजिंग रूम्स लकड़ी के बने हुए थे.1 बड़े से लकड़ी के कॅबिन को ही पारटिशन करके 4 रूम्स बनाए गये थे-2 मर्दो के लिए & 2 औरतो के लिए.दोनो के 1 लॅडीस चेंजिंग रूम मे घुसे थे.कामिनी उसके साथ वाले दूसरे लॅडीस रूम मे चली गयी.8 फ्ट ऊँचे पारटिशन & कॅबिन की छत के बीच कोई 2 फिट का फासला था...अगर कुच्छ चढ़ने को मिल जाता तो वो पारटिशन & छत के बीच के गॅप से उस कमरे मे देख सकती थी.कमरे मे तो उसे कुच्छ नही नज़ारा आया..हां!बाहर पड़ी कुर्सियाँ.

वो बाहर गयी & लोगो की नज़रे बचा के 1 कुर्सी अंदर ले आई.कुर्सी पे चढ़ अंदर का नज़ारा देख उसका हाथ खुद बा खुद उसकी चूत पे चला गया-शत्रुजीत & एलेना पूरे नंगे होके 1 दूसरे से लिपटे किस्सिंग कर रहे थे.एलेना का बस बाया हाथ शत्रुजीत के गले मे था & दाया उन दोनो के जिस्मो के बीच..शायद वो उसका लंड हिला रही थी.

दरअसल शत्रुजीत की पीठ कामिनी की तरफ थी & उसे उसकी पूरी हरकते दिख नही रही थी,फिर उसे बीच-2 मे झुकना भी पड़ रहा था क्यू की एलेना का मुँह उसी की तरफ था & जब वो आँखे खोलती तो उसे डर था की वो उसे देख ना ले.

"ओह्ह्ह....इट'स सो बीगग,शत्र्रु....उऊहह.."...हां,
वो लंड ही मसल रही थी & शत्रुजीत शायद उसकी गंद.शत्रुजीत ने उसे दीवार से सटा दिया & झुक के उसकी चूचियो से खेलने लगा.वो जब एलेना की बाई चुचि चूमने के लिए झुका तो कामिनी को उसकी दाई चुचि नज़र आ गयी.मॉडेल होने की वजह से उसकी चूचिया बहुत बड़ी तो नही थी मगर बिल्कुल गोल & कसी हुई थी & उनपे छ्होटे,हल्के भूरे रंग के निपल्स बिल्कुल सख़्त नज़र आ रहे थे.

"ऊहह....आहह...इय्य्ाआ...",एलेना मस्ती मे आहे भर रही थी,शत्रुजीत का 1 हाथ अब उसकी टाँगो के बीच घूम रहा था.कामिनी ने अब अपना हाथ अपनी स्कर्ट उठा के अपनी पॅंटी मे घुसा दिया था & बस अपनी चूत को रगडे जा रही थी.वो किसी भी तरह शत्रुजीत के लंड की बस 1 झलक पाना चाहती थी पर उसकी पीठ कामिनी की तरफ होने का कारण ऐसा मुमकिन नही हो रहा था.

दीवार से सटी एलेना आहे भरते हुए अपनी कमर आगे-पीछे करने लगी थी.ये देख शत्रुजीत ने अपना हाथ उसकी टांगो के बीच से निकाल लिया.एलेना ने अपनी दाई टाँग उठा दी तो शत्रुजीत थोड़ा झुक कर अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा,"..उऊहह..!"

पूरा लंड अंदर घुसने के बाद उसने अपने दोनो हाथो मे उसकी जांघे थाम ली & फिर खड़े-2 धक्के लगाकर एलेना को चोदने लगा.कामिनी पहली बार किसी और की चुदाई देख रही थी & इस कारण वो बहुत मस्त हो गयी थी,उसकी उंगलिया बस उसकी चूत को घिसे जा रहे थी.शत्रुजीत के गले मे बाहे डाले,उस से चिपकी हुई एलेना आँखे बंद किए उस से चुदे जा रही ही.

उसे चोद्ते हुए खड़े शत्रुजीत के फौलादी बदन की पीठ की 1-1 मांसपेशी फदक रही थी,उसकी टांगे खंबो की तरह अटल खड़ी थी & एलेना की जंघे उठाए उसकी मज़बूत बाजुओ की बाइसेप्स बिल्कुल उभर आई थी.

कामिनी की नज़रे उस खूबसूरत मर्दाना जिस्म से चिपकी हुई थी.वो मन मे ये सोच कर उंगली से अपनी चूत मार रही थी की एलेना की जगह वो शत्रुजीत की बाहो का सहारा लिए खड़ी उसका लंड अपने अंदर लिए उस से चुद रही है.

शत्रुजीत की कसी हुई गंद अब बहुत तेज़ी से हिल रही थी & साथ-2 कामिनी की उंगलियो की रफ़्तार भी बढ़ गयी थी.अचानक एलेना के होंठ "ओ" के आकर मे गोल हो गये & शत्रुजीत का बदन भी झटके खाने लगा-दोनो झाड़ रहे थे.ठीक उसी वक़्त शत्रुजीत के ख़यालो मे डूबी कामिनी की चूत ने भी पानी छ्चोड़ दिया.

एलेना ने आँखे खोली तो कामिनी फ़ौरन झुक गयी & कुर्सी सेउतर कर उसपे बैठ गयी.थोड़ी देर बैठ के उसने अपने को संभाला,फिर उठी & उन दोनो के दूसरे कॅबिन से निकलने से पहले वाहा से बाहर चली गयी.

झड़ने के बावजूद कामिनी बेचैन थी...करण को भी आज ही जाना था!उसे एलेना से जलन हो रही थी..उसे यकीन था की दोनो क्लब से कही और जा के इतमीनान से चुदाई करेंगे& वो...वो अकेली बैठी अपनी उंगली से काम चलाएगी!

इन्ही ख़यालो मे गुम वो रिक्रियेशन रूम मे दाखिल हुई & घुसते ही वाहा 1 कोने की कुर्सी पे बैठे उसे चंद्रा साहब दिखाई दिए,"सर.."

"अरे,कामिनी.वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!तुम यहा कैसे?"

"मैने कुच्छ ही दिन पहले क्लब जाय्न किया है,सर.",वो टांग पे टांग चढ़ा उनके सामने की कुर्सी पे बैठ गयी.

"दट'स ग्रेट!"

"अब आपकी तबीयत कैसी है,सर?"

"बिल्कुल बढ़िया..",चंद्रा साहब ने 1 नज़र उसकी गोरी टाँगो पे डाली,"..तभी तो आज यहा बैठा हू.तुम्हारी आंटी बहुत दीनो से अपने भाई से मिलने जाना चाह रही थी पर मेरी बीमारी की वजह से जा नही पा रही थी.अब तबीयत संभाल गयी तो आज उसे नौकर के साथ 4 दीनो के लिए वाहा भेज दिया & सोचा की आज खाना यहा खाया जाए."चंद्रा साहब की नज़रे 1 पल को उसके स्कर्ट की बगल से झँकते जाँघो के हिस्से पे गयी & फिर उठ के उसके चेहरे को देखने लगी.

उनकी इस हरकत पे कामिनी मन ही मन मुस्कुराइ,"आज मैं भी आपके साथ ही खाऊंगी सर!"

"हां-2 क्यू नही!"

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खाना ख़त्म करने के बाद दोनो घर जाने के लिए बाहर आए,"सर,कार अचानक खराब हो गयी है.",ये चंद्रा साहब का ड्राइवर था,"..& अब इस वक़्त कोई मेकॅनिक भी नही मिल रहा है."

"सर,मैं आपको छ्चोड़ देती हू.",कामिनी के दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा,शायद आज रात उसे अकेली नही सोना पड़े.

"तुम्हे खमखा तकलीफ़ होगी."

"तकलीफ़ कैसी,सर.मेरा घर आपके घर से कोई ज़्यादा दूर तो है नही."

"अच्छा..",वो ड्राइवर की ओर घूमे,"..सुनो,तुम अभी अपने घर जाओ,कार यही रहने दो.कल सवेरे बनवा के घर ले आना."

"ठीक है,सर."

दोनो कामिनी की कार मे बैठ के चंद्रा साहब के घर के लिए रवाना हो गये.कार चलते हुए कामिनी ने देखा की बगल की सीट पे बैठे चंद्रा साहब चोर निगाहो से उसकी नंगी टाँगो को देख रहे हैं.उसने उन्हे थोड़ा और तड़पने की गरज से कार के 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे रुकते ही उनकी नज़र बचा के अपनी स्कर्ट थोड़ा उपर कर ली.अब घुटनो के उपर उसकी नर्म जाँघो का हिस्सा भी दिख रहा था.चंद्रा साहब तो अब बस उसकी जाँघो को घूर्ने लगे.कामिनी को इस खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था & चंद्रा साहब तो उनके घर पहुँचने तक बुरी तरह बेचैन हो गये थे-इसका सबूत था उनका बार-2 अपने लंड पे हाथ फेरना जैसे उसे शांत रहने को कह रहे हो.

"सर,आज तो आप घर मे बिल्कुल अकेले हैं ना?",कामिनी भी उनके साथ कार से उतरी.

"हां."

"तो चलिए,मैं देख लेती हू की आपकी ज़रूरत की सारी चीज़े है ना..फिर अपने घर जाऊंगी."

"तुम बेकार मे परेशान हो रही हो,कामिनी."

"कोई बात नही,सर.",उसने उनके हाथ से चाभी लेके दरवाज़ा खोला & दोनो अंदर आ गये.

"आप जाके कपड़े बदलिए,सर.मैं तब तक किचन & फ्रिड्ज देख लेती हू की उनमे सुबह के नाश्ते के लिए क्या है."

चंद्रा साहब अपने बेडरूम मे गये,तब तक कामिनी ने फटाफट फ्रिड्ज चेक किया-वो पूरा भरा हुआ था.ये वो पहले से जानती थी की आंटी ने सब इंतेज़ाम कर रखा होगा.उसे तो बस उनके साथ घर मे घुसने का बहाना चाहिए था.इसके बाद वो उनके बेडरूम मे घुस गयी,चंद्रा साहब ने शर्ट उतार दी थी & अपनी अलमारी मे कुच्छ ढूंड रहे थे,"क्या ढूँढ रहे हैं,सर?"

"वो..",वो केवल पॅंट मे थे & उनका सफेद बालो से ढँका सीना नंगा था,ऐसी हालत मे उन्हे कामिनी के सामने थोड़ी झिझक हो रही थी पर उसे तो जैसे कोई परवाह ही नही थी,"..कुर्ता-पाजाम ढूंड रहा था,पता नही तुम्हारी आंटी ने कहा रख दिया है."

"लाइए मैं ढूंडती हू.",कामिनी उनके बगल मे खड़ी हो अलमारी मे कपड़े ढूँदने लगी तभी उसे अपनी गंद पे वोही पुराना एहसास हुआ-उसके गुरु उसकी गंद को सहला रहे थे.कामिनी ने पलट के उनकी आँखो मे आँखे डाल दी तो उन्होने सकपका के हाथ खींच लिया & घूम कर बिस्तर के पास खड़े हो गये.

कामिनी उनके पास गयी & उन्हे घुमा कर उनका चेहरा अपनी तरफ किया,"आपने हाथ क्यू खींच लिया,सर?"

चंद्रा साहब ने चेहरा घुमा लिया,"...प्लीज़,सर बोलिए ना."

"आइ'एम सॉरी,कामिनी."

"मगर क्यू?मुझे तो बिल्कुल बुरा नही लगा,सर.",चंद्रा साहब ने हैरत से उसे देखा,"..हां..जब मैं आपके साथ काम करती थी तो भी तो आप मुझे छुते थे,सर..मगर मैने कभी कुच्छ नही कहा..वो शाम जब लाइट चली गयी थी याद है आपको..उस दिन भी मैने कुच्छ नही कहा था...क्यू सर जानते हैं?",चंद्रा साहब बस इनकार मे सर हिला पाए.

"क्यूकी मुझे आपकी हरकत बिल्कुल बुरी नही लगी,सर बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आआया था..मगर आपने शायद शर्मिंदगी महसूस की..कि आप अपनी इतनी कम उम्र की असिस्टेंट के साथ ऐसी हरकत कैसे कर सकते हैं..इसीलिए अपने विकास & मुझे अलग प्रॅक्टीस करने को कहा था.है ना?"

चंद्रा साहब ने हां मे सर हिलाया.

"मगर क्यू,सर?इसमे शर्म की क्या बात है!आप अच्छी तरह जानते हैं की अगर मेरी रज़ामंदी नही होती तो आप मेरा नाख़ून भी नही च्छू सकते थे.तो जब मेरी भी रज़मदी थी फिर आपको शर्मिंदा होने की क्या ज़रूरत थी?"

"मगर..-"

"नही,सर,इसमे कोई बुराई नही है.आप क्यू अपना मन मार रहे हैं?..और इसमे कुच्छ ग़लत नही है..आज ही की बात लीजिए..हुमारा क्लब मे मिलना,आपकी कार का खराब होना...यू घर का खाली होना..क्या सब इत्तेफ़ाक़ है या शायद कुद्रत भी हमे आज मिलाना चाहती है...& कुद्रत के खिलाफ जाने वाले हम कौन होते हैं.",उसने उनका दाया हाथ थामा & अपनी गंद पे रख दिया,"..अब बेझिझक होके च्छुईय मुझे."

चंद्रा साहब उसकी बातो को सुन फिर से गरम हो गये थे.इतनी खूबसूरत,जवान लड़की खुद उन्हे अपने पास बुला रही थी,फिर उन्हे क्या ऐतराज़ हो सकता था.वो दोनो हाथो से उसकी गंद की फांको को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगे,"उउन्न्नह..",कामिनी ने उनके कंधे पे हाथ रख दिए & आँखे बंद करके आहे भरने लगी.धीरे-2 चंद्रा साहब के हाथो का दबाव बढ़ने लगा तो कामिनी भी उनके सीने को सहलाते हुए वाहा के सफेद बालो से खेलने लगी.

उसके हाथ उनके सीने से फिसलते हुए नीचे गये & उनकी पॅंट से टकराए तो उसने उसे फ़ौरन उतार दिया,फिर उनकी छाती पे हाथ रख के हल्के से धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गये & अपनी पॅंट को अपने पैरो से निकाल दिया.अब वो अंडरवेर पहने पलंग पे बैठे थे,कामिनी उनके करीब गयी & उनकी टाँगो के बीच खड़ी हो अपना दाया घुटना उनकी बाई जाँघ के बगल मे बिस्तर पे रखा दिया & फिर उनके हाथो को अपनी गंद से लगा दिया.चंद्रा साहब फिर से उसकी गंद से खेलने लगे.कामिनी ने आँखे बंद कर अपनी बाहे उनके कंधो पे टीका दी & हाथो से उनके सर को सहलाने लगी.

चंद्रा साहब ने उसकी स्कर्ट उठा दी थी & अब उसकी पॅंटी के उपर से उसकी गंद को छेड़ रहे थे.उनके हाथ घुटनो तक उसकी जाँघ पे फिसल कर नीचे आते & फिर वैसे ही उपर जा के उसकी गंद की फांको को दबाने लगते.कामिनी मस्त हो आहे भर रही थी.अचानक उसे महसूस हुआ की चंद्रा साहब अपने हाथ उसके जिस्म से हटा रहे हैं.उसने फ़ौरन उनकी कलाया पकड़ हाथो को गंद पे वापस दबा दिया & आँखे खोल उन्हे सवालिया नज़रो से देखा,"..तुम्हारी शर्ट.."

"..आप सिर्फ़ हुक्म कीजिए,सर.काम करने के लिए आपकी ये असिस्टेंट है ना!",उसके जवाब ने चंद्रा साहब के जोश को और बढ़ा दिया & उन्होने बेदर्दी से उसकी गांद भींच दी,"..ऊओवव्व...!",कामिनी ने अपनी शर्ट के बटन खोल उसे ज़मीन पे गिरा दिया.चंद्रा साहब 1 तक उसकी सफेद ब्रा मे कसी चूचियो को देख रहे थे.ब्रा मे से नज़र आता उसका क्लीवेज बड़ा प्यारा लग रहा था.उन्होने हल्के से उसके क्लीवेज को चूमा,"..उउंम.."

"इसे भी हटा दो.",कामिनी ने उनकी आँखो मे झँकते हुए अपना ब्रा खोल दिया,चंद्रा साहब की आँखो के सामने उसकी बड़ी,मस्त चूचिया छलक उठी.नंगी होते ही उन्होने अपना मुँह उनके बीच घुसा दिया,"..ऊहह...",कामिनी ने उनके सर को बड़े प्यार से हाथो मे थाम लिया & वो उसकी गंद मसल्ते हुए चूचियो को चूमने,चूसने लगे.काफ़ी देर तक वो वैसे ही उसकी छातियो पे लगे रहे & जब उठे तो कामिनी ने देखा की उसका सीना उनकी ज़ुबान ने पूरा गीला कर दिया था.

चंद्रा साहब अब उसके पेट को चूम रहे थे.उनकी जीभ उसके मखमली पेट को चाटते हुए उसकी नाभि मे घुस गयी तो कामिनी की जैसे सांस अटक गयी & वो उनके सर को अपने पेट पे दबाते हुए झुक के उनके सर को चूमने लगी.उसकी नाभि को जी भर के चाटने के बाद उन्होने ने अपना सर उठाया & उसकी स्कर्ट की ओर इशारा किया.शोखी से मुस्कुराती हुई कामिनी ने हौले से स्कर्ट के हुक्स खोल दिए.स्कर्ट उसके पैरो के गिर्द दायरे मे ज़मीन पे गिर गयी.छ्होटी सी सफेद पॅंटी मे खड़ी कामिनी को देख चंद्रा साहब की खुशी का ठिकाना नही था.

उन्होने उसकी कमर को अपनी बाहो मे कस लिया & उसकी कमर के बगल मे चूमते हुए उसकी पॅंटी से ढँकी गंद को देखने लगे.उनके दिल मे उस गंद को नंगी देखने की हसरत जागी & उन्होने बिजली की तेज़ी से उसकी पॅंटी उतार उसे पूरा नगी कर दिया.पहली बार वो अपनी असिस्टेंट की मस्त गंद को-जिसने उन्हे पहले दिन से दीवाना कर रखा था,नंगी देख रहे थे.वो अपना सर उसकी कमर पे टिकाए उसकी गंद को देखते हुए अपने हाथो से उसे मसल रहे थे.

"ऊन्न्ह्ह....उउंम्म....".कामिनी अपना बाया हाथ उनके सर पे रखे & दाया हाथ अपने मज़े मे पीछे झुके सर पे रख आहे भरे जा रही थी.चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए सामने उसकी चूत पे चूमने ही वाले थे की उसने उन्हे परे कर दिया.चंद्रा साहब ने चौंक कर उसे देखा तो वो झुक के उनके पैरो के बीच बैठ गयी & उनका अंडरवेर खींच दिया.उसकी आँखो के सामने उनका 7 इंच लंबा लंड पूरा तना हुआ नाच उठा.लंड का सूपड़ा प्रेकुं से गीला था.कामिनी ने लंड को अपने हाथो मे पकड़ा तो चंद्रा साहब ने मज़े मे आँखे बंद कर अपना सर पीछे झुका लिया.कामिनी ने लंड के गीलेपान को चाट कर सॉफ कर दिया.चंद्रा साहब ने उसका सर थाम लिया तो वो समझ गयी की अगर उसने थोड़ी देर और लंड को मुँह मे रखा तो वो झड़ जाएँगे.

1 तो वो बूढ़े थे दूसरे अभी बीमारी से उठे उन्हे ज़्यादा समय नही हुआ था.कामिनी जानती थी की अगर अभी वो झाड़ गये तो दुबारा खड़ा होने मे लंड को वक़्त लग सकता है & शायद वो प्यासी भी रह जाए.उसने लंड को छ्चोड़ा & फ़ौरन बिस्तर पे चढ़ गयी.वो बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी.उसने अपनी बाहे अपने सर के बगल मे उपर कर फैला दी,ऐसा करने से उसकी बड़ी चूचिया कुच्छ और उभर गयी,उसने अपनी टाँगो को भी थोड़ा फैला लिया,"आइए,सर.कर लीजिए अपनी तमन्ना पूरी.आज मैं आपकी हू...मुझे जी भर के प्यार कीजिए."

इन लफ़ज़ो ने जैसे चंद्रा साहब की रागो मे बह रहे खून को फिर से जवान कर दिया.वो अपनी असिस्टेंट पे टूट पड़े..कभी वो उसकी मस्त चूचिया चूमते तो कभी गोल पेट..उनके हाथ कभी उसके चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी बिना बालो की,चिकनी,गुलाबी चूत को.उनकी हालत इस वक़्त उस बच्चे की तरह थी जिसे उसकी सालगिरह पे ढेर सारे खिलोने मिले हैं & उसे ये समझ मे नही आ रहा की पहले वो किस खिलोने से खेले!

चंद्रा साहब ने उसके उपर चढ़ उसके गुलाबी होंठो को चूमा तो कामिनी ने अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे घुसा उनकी जीभ से लड़ा दी.चंद्रा साहब तो जैसे पागल से हो गये.अपने हाथो से उसकी छातियो को बेदर्दी से मसल्ते हुए वो पूरे ज़ोर-शोर से उसे चूमने लगे.कामिनी भी बेचैनी से उनके पूरे बदन पे हाथ फिरा रही थी.उसे उनसे इतनी गर्मजोशी की उम्मीद नही थी & अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

चंद्रा साहब उसके होतो को छ्चोड़ नीचे उसके सीने पे पहुँचे & काफ़ी देर तक जाम कर उसकी गोलैईयों को दबाया,मसला,चूमा,चॅटा & चूसा.उसके पेट को चूमने के बाद उन्होने उसकी कमर पकड़ उसे पलट दिया & उसकी मखमली पीठ को चूमने लगे.उसकी पीठ चूमते हुए वो नीचे बढ़े तो कामिनी अपनी कोहिन्यो पे अपने बदन का भर रहते हुए अपना सर बिस्तर से उठा लिया & आहे भरने लगी.

चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए उसकी गंद तक पहुँचे & उसे अपने हाथो मे दबोच लिया.गंद की 1 फाँक उनके हाथो मे होती तो दूसरी पे उनकी ज़ुबान चल रही होती.कामिनी तो बस मस्ती मे उड़ी जा रही थी.1 शादीशुदा इंसान के साथ उसकी बीवी की गैरमौजूदगी मे उसी के बिस्तर पे ये सब करना उसके जोश को और बढ़ा रहा था & उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी.

"ऊऊहह.....!",चंद्रा साहब ने उसकी गंद को ज़रा सा फैलाया & उसकी टाँगो के बीच अपने घुटनो पे झुक अपना मुँह पीछे से उसकी चूत पे लगा दिया था.अब तो कामिनी पागल ही हो गयी.चंद्रा साहब हाथो से उसकी गंद को मसल्ते हुए उसकी चूत चाटे जा रहे थे & वो बस मस्ती मे दीवानी हो रही थी.उसने अपनी कमर थोड़ी सी उठा ली & हिला के चंद्रा साहब के मुँह पे रगड़ने लगी.वो बस मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी चूत चाटे जा रहे थे.कामिनी अब अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रही थी की तभी चंद्रा साहब ने उसकी कमर को हवा मे उठा दिया.

वो अपना लंड थामे उसके पीछे अपने घुटनो पे आ गये तो कामिनी समझ गयी को वो उसे डॉगी स्टाइल मे चोदेन्गे.उसने अपना सर गद्देदार बिस्तर मे धंसा दिया & गर्दन मोड़ कर देखने लगी की कैसे उनका लंड उसकी गीली चूत मे घुस रहा है.चंद्रा साहब ने धीरे-2 करके पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया & उसकी कमर पकड़ धक्के लगाने लगे.

"तड़क..!",उन्होने उसकी गंद पे 1 चपत मारी,"ऊव..!",कामिनी करही पर साथ ही उसे मज़ा भी आया.चंद्रा साहब वैसे ही उसकी गंद पे चपत लगाते हुए धक्के लगा के उसकी चुदाई करने लगे.कामिनी को भी इसमे बहुत मज़ा आ रहा था.अचानक चंद्रा साहब ने चपत लगाना छ्चोड़ दिया & दोनो हाथो से उसकी कमर थामे बड़े गहरे धक्के लगाने लगे,कामिनी समझ गयी की वो अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे हैं पर उसकी मंज़िल अभी दूर थी.

"सर,ज़ा...रा इन...हे भी तो डब...आइए...ना..आ..न्न्ह..!",उसने वैसे ही झुके हुए अपनी छातियो की ओर इशारा किया तो चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी कमर थामे दाए को उसकी दाई चुचि से चिपका दिया.कामिनी वैसे ही झुके हुए अपनी बाई बाँह पे अपने बदन को टिकाए दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.कमरे मे बस दोनो की आहो का शोर गूँज उठा & थोड़ी ही देर बाद चंद्रा साहब आहे भरते हुए कामिनी की चूत को अपने पानी से भर रहे थे,ठीक उसी वक़्त उनके लंड & अपनी उंगली की मिली-जुली रगड़ से कामिनी भी झाड़ गयी.

चंद्रा साहब ने लंड निकाला & हान्फ्ते हुए बिस्तर पे लेट गये.कामिनी भी उठी & उनकी बाई तरफ करवट से लेट गयी1 चादर खींच उसने दोनो के जिस्मो को ढँका,फिर उसने उन्हे अपनी ओर घुमाया & उनका सर अपनी छातियो मे दबा लिया & अपनी बाहो मे कस लिया.चंद्रा साहब वैसे ही नींद के आगोश मे चले गये तो कामिनी ने भी आँखे बंद कर ली.उसके चेहरे पे काफ़ी सुकून का भाव था.



GEHRI CHAAL paart--12

"Kya main yaha baith sakta hu?"

"zaroor."

waiter use bhi 1 juice ka glass de gaya,shayad usne pehle hi order kar rakha tha.dono baate karne lage.Shatrujeet Singh is tarah baitha tha ki Kamini se baaten karne ke sath-2 vo pool ko bhi dekh pa raha tha jisme abhi 1 gori,videshi ladki tair rahi thi.ladki ne 1 safed rang ki 2 piece bikini pehan rakhi thi.

vo pool se nikli & uske paas bane shower ke neeche ja khadi hui.ladki khubsurat thi & uska figure kamal ka tha.uske badan pe kahi bhi maans ki 1 bhi faltu parat nahi dikh rahi thi.kamini ko uski shakl jani-pehchani lag rahi thi.

shower se nikal ke vo ladki tauliye se apne baal ponchhti hui,muskurate hue unki taraf aane lagi.kamini sanche me dhale uske badan ki man hi man tareef kiye bina na reh saki.gile bra me uske nipples ka ubhar saaf pata chal raha tha & ladki is waqt badi sexy lag rahi thi.

kamini ne dekha ki shatrujeet bhi us ladki ko dekh ke muskura raha tha.vo ladki aayi & shatrujeet ki kursi ke baaye hatthe pe baith gayi & apni daayi banh uske kandhe pe rakh di,"how was the swim?",shatrujeet ne apni baayi banh uski kamar me daal di,"great!"

"oh!sorry,maine aap dono ka parichay nahi karaya....she's Elena,she's a model..",usne ladki ki or ishara kiya,"..& she's Kamini Sharan,one of our best lawyers & my legal advisor.",kamini ko samajh aa gaya ki kyu uski shakl use jani hui lagi thi.usne use akhbaro & magazines me chhape fashion shows ki tasveero me dekha tha.

"hello,kamiinii."

"hello,elena.",kamini ko uska bolne ka lehja thoda ajeeb laga,"i've seen your pictures & must say you're very beautiful."

"..& so are you kamini....i feeel so refrreshed afterr that swimm..it's so diffferrent frrom Russia...i'm frrom russia you knnow..",isiliye uska lehja thoda ajeeb tha.thodi der baate karne ke baad elena ne shatrujeet ke kaan me kuchh kaha to vo khada ho gaya,"achha,ab main ijazat chahunga,kamini."

"ok,mr.singh.",vo elena ki taraf ghumi,"it was nice meeting you,elena."

"same herre,kamiinii.",dono 1 dusre ki kamar me baahe dale pool se thoda hat ke bane changing rooms me chale gaye.mardo & aurato ke liye alag-2 changing rooms bane the magar vo dono 1 hi room me ghus gaye.

kamini ka dil dhadak utha...dono 1 hi kamre me gaye..kya ye dono vaha kuchh karenge?usne aas-paas dekha,koi bhi uski or dhyan nahi de raha tha.vo uthi & changing rooms ki taraf chali gayi.

changing rooms lakdi ke bane hue the.1 bade se lakdi ke cabin ko hi partition karke 4 rooms banaye gaye the-2 mardo ke liye & 2 aurato ke liye.dono ke 1 ladies changing room me ghuse the.kamini uske sath vale dusre ladies room me chali gayi.8 ft oonche partition & cabin ki chhat ke beech koi 2 ft ka fasla tha...agar kuchh chadhne ko mil jata to vo partition & chhat ke beech ke gap se us kamre me dekh sakti thi.kamre me to use kuchh nahi nazara aaya..haan!bahar padi kursiyaan.

vo bahar gayi & logo ki nazre bacha ke 1 kursi andar le aayi.kursi pe chadh andar ka nazara dekh uska hath khud ba khud uski chut pe chala gaya-shatrujeet & elena pure nange hoke 1 dusre se lipte kissing kar rahe the.elena ka bas baay hath shatrujeet ke gale me tha & daaya un dono ke jismo ke beech..shayad vo uska lund hila rahi thi.

darasal shatrujeet ki pith kamini ki taraf thi & use uski puri harkate dikh nahi rahi thi,fir use beech-2 me jhukna bhi pad raha tha kyu ki elena ka munh usi ki taraf tha & jab vo aankhe kholti to use darr tha ki vo use dekh na le.

"ohhh....itt's so biigg,shatrru....uuhhhh.."...haan,vo lund hi masal rahi thi & shatrujeet shayad uski gand.shatrujeet ne use deewar se sata diya & jhuk ke uski choochiyo se khelne laga.vo jab elena ki baayi chhati chumne ke liye jhuka to kamini ko uski daayi chhati nazar aa gayi.model hone ki vajah se uski chhatiya bahut badi to nahi thi magar bilkul gol & kasi hui thi & unpe chhote,halke bhure rang ke nipples bilkul sakht nazar aa rahe the.

"oohhh....aahhhh...yyyaaaa...",elena masti me aahe bhar rahi thi,shatrujeet ka 1 hath ab uski taango ke beech ghum raha tha.kamini ne ab apna hath apni skirt utha ke apni panty me ghusa diya tha & bas apni chut ko ragde ja rahi thi.vo kisi bhi tarah shatrujeet ke lund ki bas 1 jhalak pana chahti thi par uski pith kamini ki taraf hone ka karan aisa mumkin nahi ho raha tha.

deewar se sati elena aahe bharte hue apni kamar aage-peechhe karne lagi thi.ye dekh shatrujeet ne apna hath uski tango ke beech se nikal liya.elena ne apni daayi tanh utha di to shatrujeet thoda jhuk kar apna lund uski chut me ghusna laga,"..uuhhh..!"

pura lund andar ghusane ke baad usne apne dono hatho me uski jaanghe tham li & fir khade-2 dhakke lagakar elena ko chodne laga.kamini pehli baar kisi aur ki chudai dekh rahi thi & is karan vo bahut mast ho gayi thi,uski ungliya bas uski chut ko ghise ja rahe thi.shatrujeet ke gale me baahe dale,us se chipki hui elena aankhe band kiye us se chude ja rahi hi.

use chodte hue khade shatrujeet ke fauladi badan ki pith ki 1-1 maanspeshi phadak rahi thi,uski taange khambo ki tarah atal khadi thi & elena ki janghe uthaye uski mazboot bazuo ki biceps bilkul ubhar aayi thi.

kamini ki nazre us khubsurat mardana jism se chipki hui thi.vo man me ye soch kar ungli se apni chut mar rahi thi ki elena ki jagah vo shatrujeet ki baaho ka sahara liye khadi uska lund apne andar liye us se chud rahi hai.

shatrujeet ki kasi hui gand ab bahut tezi se hil rahi thi & sath-2 kamini ki ungliyo ki raftar bhi badh gayi thi.achanak elena ke honth "O" ke aakar me gol ho gaye & shatrujeet ka badan bhi jhatke khane laga-dono jhad rahe the.thik usi waqt shatrujeet ke khayalo me dubi kamini ki chut ne bhi pani chhod diya.

elena ne aankhe kholi to kamini fauran jhuk gayi & kursi seutar kar uspe baith gayi.thodi der baith ke usne apne ko sambhala,fir uthi & un dono ke dusre cabin se nikalne se pehle vaha se bahar chali gayi.

jhadne ke bawjood kamini bechain thi...Karan ko bhi aaj hi jana tha!use elena se jalan ho rahi thi..use yakeen tha ki dono club se kahi aur ja ke itminan se chudai karenge& vo...vo akeli baithi apni ungli se kaam chalayegi!

inhi khayalo me gum vo recreation room me dakhil hui & ghuste hi vaha 1 kone ki kursi pe baithe use Chandra sahab dikhayi diye,"sir.."

"are,kamini.what a pleasant surprise!tum yaha kaise?"

"maine kuchh hi din pehle club join kiya hai,sir.",vo tang pe tang chadha unke samne ki kursi pe baith gayi.

"that's great!"

"ab aapki tabiyat kaisi hai,sir?"

"bilkul badhiya..",chandra sahab ne 1 nazar uski gori tango pe dali,"..tabhi to aaj yaha baitha hu.tumhari aunty bahut dino se apne bhai se milne jana chah rahi thi par meri bimari ki vajah se ja nahi pa rahi thi.ab tabiyat sambhal gayi to aaj use naukar ke sath 4 dino ke liye vaha bhej diya & soch ki aaj khana yaha khaya jaye."chandra sahab ki nazre 1 pal ko uske skirt ki bagal se jhankte jangho ke hisse pe gayi & fir uth ke uske chehre ko dekhne lagi.

unki is harkat pe kamini man hi man muskurayi,"aaj main bhi aapke sath hi khaoongi sir!"

"haan-2 kyu nahi!"

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khana khatm karne ke bad dono ghar jane ke liye bahar aaye,"sir,car achanak kharab ho gayi hai.",ye chandra sahab ka driver tha,"..& ab is waqt koi mechanic bhi nahi mil raha hai."

"sir,main aapko chhod deti hu.",kamini ke dimagh me 1 khayal kaundha,shayad aaj raat use akeli nahi sona pade.

"tumhe khamakha taklif hogi."

"taklif kaisi,sir.mera ghar aapke ghar se koi zyada door to hai nahi."

"achha..",vo driver ki or ghume,"..suno,tum abhi apne ghar jao,car yehi rehne do.kal savere banwa ke ghar le aana."

"thik hai,sir."

dono kamini ki car me baith ke chandra sahab ke ghar ke liye rawana ho gaye.car chalate hue kamini ne dekha ki bagal ki seat pe baithe chandra sahab chor nigaho se uski nangi taango ko dekh rahe hain.usne unhe thoda aur tadpane ki garaj se car ke 1 traffic signal pe rukte hi unki nazar bacha ke apni skirt thoda upar kar li.ab ghutno ke upar uski narm jangho ka hissa bhi dikh raha tha.chandra sahab to ab bas uski jangho ko ghurne lage.kamini ko is khel me bahut maza aa raha tha & chandra sahab to unke ghar pahunchne tak buri tarah bechain ho gaye the-iska saboot tha unka baar-2 apne lund pe hath pherna jaise use shant rehne ko keh rahe ho.

"sir,aaj to aap ghar me bilkul akele hain na?",kamini bhi unke sath car se utari.

"haan."

"to chaliye,main dekh leti hu ki aapki zaroorat ki sari chize hai na..fir apne ghar jaoongi."

"tum bekar me pareshan ho rahi ho,kamini."

"koi baat nahi,sir.",usne unke hath se chabhi leke darwaza khola & dono andar aa gaye.

"aap jake kapde badaliye,sir.main tab tak kitchen & fridge dekh leti hu ki unme subah ke nashte ke liye kya hai."

chandra sahab apne bedroom me gaye,tab tak kamini ne fatafat fridge check kiya-vo pura bhara hua tha.ye vo pehle se janti thi ki aunty ne sab intezam kar rakha hoga.use to bas unke sath ghar me ghusne ka bahan chahiye tha.iske baad vo unke bedroom me ghus gayi,chandra sahab ne shirt utar di thi & apni almari me kuchh dhoond rahe the,"kya dhjoond rahe hain,sir?"

"vo..",vo kewal pant me the & unka safed baalo se dhanka seena nanga tha,aisi halat me unhe kamini ke samne thodi jhijhak ho rahi thi par use to jaise koi parwah hi nahi thi,"..kurta-pajam dhoond raha tha,pata nahi tumhari aunty ne kaha rakh diya hai."

"laiye main dhoondti hu.",kamini unke bagal me khadi ho almari me kapde dhoondne lagi tabhi use apni gand pe vohi purana ehsas hua-uske guru uski gand ko sehla rahe the.kamini ne palat ke unki aankho me aankhe dal di to unhone sakapaka ke hath khinch liya & ghum kar bistar ke paas khade ho gaye.

kamini unke paas gayi & unhe ghuma kar unka chehra apni taraf kiya,"aapne hath kyu khinch liya,sir?"

chandra sahab ne chehra ghuma liya,"...please,sir boliye na."

"i'm sorry,kamini."

"magar kyu?mujhe to bilkul bura nahi laga,sir.",chandra sahab ne hairat se use dekha,"..haan..jab main aapke sath kaam karti thi to bhi to aap mujhe chhute the,sir..magar maine kabhi kuchh nahi kaha..vo sham jab light chali gayi thi yaad hai aapko..us din bhi maine kuchh nahi kaha tha...kyu sir jante hain?",chandra sahab bas inkar me sar hila paye.

"kyuki mujhe aapki harkat bilkul buri nahi lagi,sir balki mujhe to bahut maza aaaya tha..magar aapne shayad sharmindgi mehsus ki..ki aap apni itni kam umra ki assistant ke sath aisi harkat kaise kar sakte hain..isiliye apne Vikas & mujhe alag practice karne ko kaha tha.hai na?"

chandra sahab ne haan me sar hilaya.

"magar kyu,sir?isme sharm ki kya baat hai!aap achhi tarah jante hain ki agar meri razamandi nahi hoti to aap mera nakhun bhi nahi chhu sakte the.to jab meri bhi razamdi thi fir aapko sharminda hone ki kya zarurat thi?"

"magar..-"

"nahi,sir,isme koi burai nahi hai.aap kyu apna man maar rahe hain?..aur isme kuchh galat nahi hai..aaj hi ki baat lijiye..humara club me milna,aapki car ka kharab hona...yu ghar ka khali hona..kya sab ittefaq hai ya shayad kudrat bhi hume aaj milana chahti hai...& kudrat ke khilaf jane vale hum kaun hote hain.",usne unka daay hath thama & apni gand pe rakh diya,"..ab bejhijhak hoke chhuiye mujhe."

chandra sahab uski baato ko sun fir se garam ho gaye the.itni khubsurat,jawan ladki khud unhe apne paas bula rahi thi,fir unhe kya aitraz ho sakta tha.vo dono hatho se uski gand ki phanko ko skirt ke upar se sehlane lage,"uunnnhhh..",kamini ne unke kandhe pe hath rakh diye & aankhe band karke aahe bharne lagi.dheere-2 chandra sahab ke hatho ka dabav badhne laga to kamini bhi unke seene ko sehlate hue vaha ke safed baalo se khelne lagi.

uske hath unke seene se fisalte hue neeche gaye & unki pant se takraye to usne use fauran utar diya,fir unki chhati pe hath rakh ke halke se dhakela to vo bistar pe baith gaye & apni pant ko apne pairo se nikal diya.ab vo underwear pehne palang pe baithe the,kamini unke kareeb gayi & unki tango ke beech khadi ho apna daaya ghutna unki baayi jangh ke bagal me bistar pe rakha diya & fir unke hatho ko apni gand se laga diya.chandra sahab fir se uski gand se khelne lage.kamini ne aankhe band kar apni baahe unke kandho pe tika di & hatho se unke sar ko sehlane lagi.

chandra sahab ne uski skirt utha di thi & ab uski panty ke upar se uski gand ko chhed rahe the.unke hath ghutno tak uski jangh pe fisal kar neeche aate & fir vaise hi upar ja ke uski gand ki phanko ko dabane lagte.kamini mast ho aahe bhar rahi thi.achanak use mehsus hua ki chandra sahab apne hath uske jism se hata rahe hain.usne fauran unki kalaiyaa pakad hatho ko gand pe vapas daba diya & aankhe khol unhe sawaliya nazro se dekha,"..tumhari shirt.."

"..aap sirf hukm kijiye,sir.kaam karne ke liye aapki ye assistant hai na!",uske jawab ne chandra sahab ke josh ko aur badha diya & unhone bedardi se uski gaand bheench di,"..ooowww...!",kamini ne apni shirt ke button khol use zamin pe gira diya.chandra sahab 1 tak uski safed bra me kasi chhatiyo ko dekh rahe the.bra me se nazar aata uska cleavage bada pyara lag raha tha.unhone halke se uske cleavage ko chuma,"..uumm.."

"ise bhi hata do.",kamini ne unki aankho me jhankte hue apna bra khol diya,chandra sahab ki aankho ke samne uski badi,mast choochiyaa chhalak uthi.nangi hote hi unhone apna munh unke beech ghusa diya,"..oohh...",kamini ne unke sar ko bade pyar se hatho me tham liya & vo uski gand masalte hue chhatiyo ko chumne,chusne lage.kafi der tak vo vaise hi uski chhatiyo pe lage rahe & jab uthe to kamini ne dekha ki uska seena unki zuban ne pura gila kar diya tha.

chandra sahab ab uske pet ko chum rahe the.unki jibh uske makhmali pet ko chaatate hue uski nabhi me ghus gayi to kamini ki jaise sans atak gayi & vo unke sar ko apne pet pe dabate hue jhuk ke unke sar ko chumne lagi.uski nabhi ko ji bhar ke chaatane ke bad unhone ne apna sar uthaya & uski skirt ki or ishar kiya.shokhi se muskurati hui kamini ne haule se skirt ke hooks khol diye.skirt uske pairo ke gird dayre me zamin pe gir gayi.chhoti si safed panty me khadi kamini ko dekh chandra sahab ki khushi ka thikana nahi tha.

unhone uski kamar ko apni baaho me kas liya & uski kamar ke bagal me chumte hue uski panty se dhanki gand ko dekhne lage.unke dil me us gand ko nangi dekhne ki hasrat jagi & unhone bijli ki tezi se uski panty utar use pura nagi kar diya.pehli baar vo apni assistant ki mast gand ko-jisne unhe pehle din se deewana kar rakha tha,nangi dekh rahe the.vo apna sar uski kamar pe tikaye uski gand ko dekhte hue apne hatho se use masal rahe the.

"oonnhh....uummm....".kamini apna baaya hath unke sar pe rakhe & daya hath apne maze me peechhe jhuke sar pe rakh aahe bhare ja rahi thi.chandra sahab uski kamar ko chumte hue samne uski chut pe chumne hi wale the ki usne unhe pare kar diya.chandra sahab ne chaunk kar use dekha to vo jhuk ke unke pairo ke beech baith gayi & unka underwear khinch diya.uski aankho ke samne unka 7 inch lamba lund pura tana hua nach utha.lund ka supada precum se gila tha.kamini ne lund ko apne hatho me pakda to chandra sahab ne maze me aankhe band kar apna sar peechhe jhuka liya.kamini ne lund ke gilepan ko chat kar saaf kar diya.chandra sahab ne uska sar tham liya to vo samajh gayi ki agar usne thodi der aur lund ko munh me rakha to vo jhd jayenge.

1 to vo boodhe the dusre abhi bimari se uthe unhe zyada samay nahi hua tha.kamini janti thi ki agar abhi vo jhad gaye to dubara khada hone me lund ko waqt lag sakta hai & shayad vo pyasi bhi reh jaye.usne lund ko chhoda & fauran bistar pe chadh gayi.vo bistar pe pith ke bal let gayi.usne apni baahe apne sar ke bagal me upar kar faila di,aisa karne se uski badi choochiya kuchh aur ubhar gayi,usne apni tango ko bhi thoda faila liya,"aaiye,sir.kar lijiye apni tamanna puri.aaj main aapki hu...mujhe ji bhar ke pyar kijiye."

in lafzo ne jaise chandra sahab ki rago me beh rahe khoon ko fir se jawan kar diya.vo apni assistant pe toot pade..kabhi vo uski mast chhatiya chumte to kabhi gol pet..unke hath kabhi uske chehre ko sehlate to kabhi uski bina baalo ki,chikni,gulabi chut ko.unki halat is waqt us bachche ki tarah thi jise uski salgirah pe dher sare khilone mile hain & use ye samajh me nahi aa raha ki pehle vo kis khilone se khele!

chandra sahab ne uske upar chadh uske gulabi hotho ko chuma to kamini ne apni zuban unke munh me ghusa unki jibh se lada di.chandra sahab to jaise pagal se ho gaye.apne hatho se uski chhatiyo ko bedardi se masalte hue vo pure zor-shor se use chumne lage.kamini bhi bechaini se unke pure badan pe hath fira rahi thi.use unse itni garmjoshi ki ummeed nahi thi & ab use bahut maza aa raha tha.

chandra sahab uske hotho ko chhod neeche uske seene pe pahunche & kafi der tak jam kar uski golaiyon ko dabaya,masla,chuma,chata & chusa.uske pet ko chumne ke bad unhone uski kamar pakad use palat diya & uski makhmali lith ko chumne lage.uski pith chumte hue vo neeche badhe to kamini apni kohinyo pe apne badan ka bhar rahte hue apna sar bistar se utha liya & aahe bharne lagi.

chandra sahab uski kamar ko chumte hue uski gand tak pahunche & use apne hatho me daboch liya.gand ki 1 phank unke hatho me hothi to dusri pe unki zuban chal rahi hoti.kamini to bas masti me udi ja rahi thi.1 shadishuda insan ke sath uski biwi ki gairmaujoodgi me usi ke bistar pe ye sab karna uske josh ko aur badha raha tha & uski chut to bas pani chhode ja rahi thi.

"OOOOHHH.....!",chandra sahab ne uski gand ko zara sa failaya & uski tango ke beech apne ghutno pe jhuk apna munh peechhe se uski chut pe laga diya tha.ab to kamini pagal hi ho gayi.chandra sahab hatho se uski gand ko masalte hue uski chut chaate ja rahe the & vo bas masti me deewani ho rahi thi.usne apni kamar thodi si utha li & hila ke chandra sahab ke munh pe ragadne lagi.vo bas mazbooti se uski kamar thame uski chut chate ja rahe the.kamini ab apni manzil ke kareeb pahunch rahi thi ki tabhi chandra sahab ne uski kamar ko hawa me utha diya.

vo apna lund thame uske peechhe apne ghutno pe aa gaye to kamini samajh gayi ko vo use doggy style me chodenge.usne apna sar gaddedar bistar me dhansa diya & gardan mod kar dekhne lagi ki kaise unka lund uski gili chut me ghus raha hai.chandra sahab ne dheere-2 karke pura lund uski chut me utar diya & uski kamar pakad dhakke lagane lage.

"tadak..!",unhone uski gand pe 1 chapat mari,"oow..!",kamini karahi par sath hi use maza bhi aaya.chandra sahab vaise hi uski gand pe chapat lagate hue dhakke laga ke uski chudai karne lage.kamini ko bhi isme bahut maza aa raha tha.achanak chandra sahab ne chapat lagana chhod diya & dono hatho se uski kamar thame bade gehre dhakke lagane lage,kamini samajh gayi ki vo apni manzil ke kareeb pahunch rahe hain par uski manzil abhi door thi.

"sir,za...ra in...he bhi to dab...aiye...na..aa..nnhh..!",usne vaise hi jhuke hue apni chhatiyo ki or ishara kiya to chandra sahab ne baaye hath se uski kamar thame daaye ko uski daayi chhati se chipka diya.kamini vaise hi jhuke hue apni baayi banh pe apne badan ko tikaye daaye hath se apni chut ke daane ko ragadne lagi.kamre me bas dono ki aaho ka shor goonj utha & thodi hi der baad chandra sahab aahe bharte hue kamini ki chut ko apne pani se bhar rahe the,thik usi waqt unke lund & apni ungli ki mili-juli ragad se kamini bhi jhad gayi.

chandra sahab ne lund nikala & haanfte hue bistar pe let gaye.kamini bhi uthi & unki baayi taraf karwat se let gayi1 chadar khinch usne dono ke jismo ko dhanka,fir usne unhe apni or ghumaya & unka sar apni chhatiyo me daba liya & apni baaho me kasliya.chandra sahab vaise hi neend ke agosh me chale gaye to kamini ne bhi aankhe band kar li.uske chehre pe kafi sukun ka bhav tha.













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