Monday, June 14, 2010

गहरी चाल पार्ट--34

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गहरी चाल पार्ट--34

"हेलो,कामिनी जी.क्या हाल है?"

"मैं ठीक हू,ठुकराल साहब.आप सुनाए.",कामिनी ने मोबाइल कान से लगाए हुए खिड़की से बाहर देखा.

"हमारा हाल तो बिल्कुल भी ठीक नही.अब आप मिलिए तो कुच्छ चैन पड़े."

"आप तो बहुत बीमार लगते हैं,ठुकराल साहब.",कामिनी को उसके साथ ये खेल खेलने मे मज़ा आ रहा था.

"आपने बिल्कुल ठीक समझा & मेरी बीमारी की दवा तो आप ही के पास है.तो कहिए कब आ रही हैं मुझे दुरुस्त करने?"

"ठुकराल साहब,मिलना तो मैं भी चाहती हू मगर आप तो जाने हैं ना मेरी मुश्किल के बारे मे."

"उसका हल मैने ढूंड लिया है."

"अच्छा!क्या?"

"आप इस शनिवार को सेंट्रल मार्केट की पार्किंग मे पहुँच जाइए,वाहा से मेरा ड्राइवर आपको मेरे घर ले आएगा,फिर ये वीकेंड हमारे ही साथ गुज़ारिए.",ठुकराल अब सीधे-2 उसे उसके साथ सोने को कह रहा था.

"मगर किसी ने देख लिया तो?"

"आप 1 बुर्क़ा पहन लीजिए,उसके बाद किसी ने देखा भी तो यही देखेगा की 1 बुर्क़ा नॅशिन मेरे घर आई थी ना कि कामिनी शरण."

कामिनी थोड़ी देर तक इस बारे मे सोचती रही,ठुकराल के खिलाफ सबूत जुटाने का इस से अच्छा मौका उसे नही मिल सकता था & अपने जिस्म का इस्तेमाल करने के बारे मे तो वो पहले ही तय कर चुकी थी,"ओके,ठुकराल साहब.कितने बजे सेंट्रल मार्केट पहुचना है?"

"थॅंक यू,कामिनी जी!मेरा ड्राइवर 11 बजे पार्किंग मे आपका इंतेज़ार करेगा."

"ओके,ठुकराल साहब,बाइ!"

शनिवार को शॅरन अपने बेटे से मिलने उसके बोरडिंग स्कूल जा रही थी & फिर दूसरे दिन लौटते समय उसे टोनी से भी मिलना था.इस वजह से ठुकराल के पास शनिवार सुबह से रविवार शाम तक का समय था कामिनी के साथ रंगरलिया मनाने का.

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शनिवार को कामिनी 11 बजे ठुकराल की कार मे बैठ गयी & 40 मिनिट बाद वो उस कार से उसके बंगल के अंदर उतर रही थी.माधो ने उसे पहली मंज़िल पे बने ठुकराल की ऐषगाह तक पहुँचा दिया & खुद वाहा से चला गया.कामिनी अभी भी बुर्क़ा पहने हुए थी.

"वाउ!",उसने ऐषगाह को हैरत भरी निगाहो से देखा.

"वेलकम,कामिनी जी,वेलकम!",ठुकराल 1 बातरोब पहने हुए था & उसके चेहरे पे मुस्कान खेल रही थी,"..आपने तो आज इस खाकसार के ग़रीबखाने की इज़्ज़त बढ़ा दी."

"ये ग़रीबखाना है,ठुकराल साहब?!",ऐशागाह की हर 1 चीज़ वैसे भी बस जिस्मो के खेल को ध्यान मे रख के बनाई गयी थी & सोफे के उपर की नंगी मूर्तिया & बाकी नंगी पेंटिंग्स देख के कामिनी का वो शक़ की ठुकराल औरतो का रसिया है अब पूरे यकीन मे बदल गया.

"आपके हुस्न के सामने तो ये कुच्छ भी नही,कामिनी जी,..अब इस बुर्क़े को हटा के हम पर मेहेरबानी कीजिए & हमारी प्यासी आँखो को अपने बेमिसाल हुस्न का दीदार कराईए."

कामिनी ने मुस्कुराते हुए अपना बुर्क़ा उतार दिया.ऐसा करते ही ठुकराल के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी & उसके चेहरे पे वासना की परच्छाई आ गयी.कामिनी ने 1 गोलडेन कलर की स्लीव्ले,शॉर्ट ड्रेस पहनी थी जोकि उसके घुटनो से करीब 8 इंच उपर थी,उसके पैरो मे घुटनो तक के बूट्स थे.कसे लिबास मे उसके सारे उभार और निखर के सामने आ रहे थे.कामिनी ने ठुकराल की हालत तो देख ली थी मगर अंजान बनते हुए वो उसकी तरफ पीठ कर 1 बार फिर से ऐषगाह को निहारने लगी.

"ओह्ह्ह....क्या कर रहे हैं?!",ठुकराल ने उसे पीछे से अपनी बाहो मे भर लिया था & उसके बॉल चूमने लगा था,"..घर आए मेहमान से आप ऐसा ही सलूक करते हैं क्या?ना पानी पुचछा ना ही बैठने को कहा बस शुरू हो गये!",कामिनी ने नखरे भरे अंदाज़ मे कहा.

"आइए बैठ के बात करते हैं.",ठुकराल ने उसे खींचा & सोफे पे बैठ उसे अपनी गोद मे बिठा लिया & अपनी बाई बाँह उसकी पतली कमर मे डाल दी,"..& ये लीजिए,अंगूर का पानी पीजिए.",उसने मेज़ से उठा के वाइन का ग्लास उसकी ओर बढ़ाया.

"उउन्ण....बस..मैं दिन मे नही पीती.",कामिनी ने 1 घूँट भर के ग्लास वापस मेज़ पे रख दिया.

"सही कहा,आपके जैसी नशीली चीज़ को नशे की क्या ज़रूरत!",ठुकराल ने दाए हाथ से उसके चेहरे को नीचे झुकाया & उसके होंठो को अपने होंठो से सटा दिया.

"अफ....कितने बेसबरे हैं आप.",कामिनी ने किस तोड़ कर अपनी डाई बाँह उसके गले मे डाल दी & बाए हाथ से उसके चेहरे को सहलाने लगी.

"आपके जैसी हुसनपरी देख के तो फरिश्ते भी सब्र भूल जाएँ मैं तो अदना सा इंसान हू.",ठुकराल ने उसे फिर झुका के चूम लिया.कामिनी ने फिर छूटना चाहा मगर इस बार ठुकराल उसे छ्चोड़ने के मूड मे नही था.वो बड़ी शिद्दत एक साथ उसके होंठ चूमने लगा.थोड़ी ही देर मे कामिनी के दिल मे भी मस्ती भरने लगी & वो उसके सर को थामे उसकी किस का जवाब देने लगी.ठुकराल का बाया हाथ तो कामिनी की कमर सहला रहा था & दाया उसके बूट्स & ड्रेस के बीच से दिख रही उसकी जाँघो को सहला रहा था.

कभी वो अपनी ज़ुबान कामिनी के मुँह मे डालता तो कभी कामिनी उसके मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा उसकी जीभ से लड़ा देती.ठुकराल ने 1-1 करके उसके दोनो बूट्स उतार दिए & उसकी गोरी टॅंगो & मखमली जाँघो पे अपने हाथ फेरने लगा.कामिनी की मस्ती अब और बढ़ गयी थी.उसने बेचैन हो साँस लेने की गरज से अपने होंठ ठुकराल के होंठो से अलग किए तो ठुकराल ने उन्हे उसकी गर्दन पे लगा दिया.कामिनी को नीचे अपनी गंद पे बातरोब के भीतर से चुभता उसका लंड महसूस हो रहा था & उसे उसकी लंबाई का अंदाज़ा हो गया था.

कामिनी का प्लान था ठुकराल को अपने जिस्म की हवस मे अँधा कर उस से उसके राज़ निकलवाना & इसके लिए ज़रूरी था की वो उसपे पूरा भरोसा करे & ये तभी मुमकिन था जब वो पूरे दिल से उसके साथ चुदाई मे शरीक होती.ठुकराल की हर्कतो & लंड के एहसास से उसे यकीन हो गया था की उसे इस काम मे ना केवल कोई भी परेशानी नही होगी बल्कि शायद बहुत मज़ा भी आएगा.

"उउन्ण....नही..!",उसने अपनी जाँघो से फिसलते ठुकराल के डाए हाथ को अपनी ड्रेस मे घुसने से रोकना चाहा & उसकी कलाई पकड़ ली मगर ठुकराल भी पुराना खिलाड़ी था.उसने 1 बार फिर उसके होंठो को अपने होंठो की गिरफ़्त मे ले लिया & जैसे ही कामिनी उसकी किस से मदहोश होने लगी उसने फ़ौरन हाथ को उसकी ड्रेस मे घुसा दिया & उसकी पॅंटी के उपर से उसकी चूत पे फिराने लगा.

"उउन्न्ह...उऊन्ह...!",कामिनी चूमते हुए आहे भरते हुए छटपटाने लगी तो ठुकराल ने उसकी पॅंटी के किनारे से अपनी बीच की लंबी उंगली को घुसा सीधा उसके दाने पे लगा दिया & गोल-2 घूमने लगा.कामिनी तो मस्ती मे पागल हो गयी & ठुकराल के कंधो पे बाहे रख उसके सर के बॉल नोचती हुई उसे चूमती हुई अपनी कमर हिलाने लगी.ठुकराल ने उसे मज़बूती से थाम के पाने लंड पे बिठाए हुए उसे चूमते हुए उसके दाने पे उंगली चलाना जारी रखा.

कामिनी की चूत पानी छ्चोड़े जा रही थी & कामिनी अब हवा मे उड़ रही थी.उसने किस तोड़ी & ठुकराल के सर को अपनी बाहो मे कस लिया.जोश से उसकी चूचिया और फूल गयी थी & ड्रेस के गले मे से उसका क्लीवेज झाँकने लगा था.ठकुराल ने उसे थामे हुए उसके दाने को रगड़ते हुए उसके क्लीवेज को चूमना शुरू कर दिया.कामिनी के लिए बात अब बर्दाश्त के बाहर थी,उसने ठुकराल के सर को अपने सीने पे दबा दिया & उसकी उंगली की रगड़ ने उसके दाने को ऐसे छेड़ा की वो ज़ोर-2 से आहे भरते हुए झड़ने लगी.

ठुकराल ने उसकी पॅंटी से अपना हाथ निकाला & उसकी नशीली आँखो मे झाँकते हुए अपनी उंगली पे लगे उसकी चूत के रस को चाट लिया तो कामिनी ने उसके चेहरे को चूम लिया.ठुकराल ने उसकी पीठ पे लगे ज़िप को नीचे किया & उसकी पीठ पे हाथ फिराने लगा.कामिनी 1 बार फिर उसके होतो को चूमने लगी तो ठुकराल ने उसकी ड्रेस के स्ट्रॅप्स को कंधो से नीचे खींचना चाहा.

उसके ऐसा करते ही कामिनी उसके होंठो को छ्चोड़ हँसती हुई उसकी गोद से उतर गयी & उसके सामने खड़ी हो गयी.फिर उसने अपनी बाहे अपनी छातियो के नीचे लगाके बाए हाथ से दाए स्ट्रॅप & दाए से बाए स्ट्रॅप को नीचे किया & फिर बड़े नशीले अंदाज़ मे बदन को मटकते हुए ड्रेस को अपने जिस्म से अलग कर दिया.

उसने नीचे ब्रा नही पहनी थी & ड्रेस हटते ही उसकी बड़ी-2,मस्त चूचिया नंगी ठुकराल की आँखो के सामने चमक उठी & उसका मुँह उनकी खूबसूरती,उनके आकार & उनकी कसावट को देख के आश्चर्या से खुल गया.वो सर से पाँव तक कामिनी के हुस्न को निहारने लगा.उसने आज तक उसके जैसी खूबसूरत लड़की नही देखी थी..लगता था मानो 1-1 अंग को उपरवाले ने बड़ी मेहनत से केवल मर्दो को पागल करने के लिए बनाया था.

कामिनी मुस्कुराते हुए आगे आई & उसके बातरोब की डोरी खोल दी.बातरोब को फैलते ही उसकी आँखो के सामने ठुकराल का लंबा & बहुत ही मोटा लंड तुमक उठा.लंड के छेद पे प्रेकुं की 1 बूँद चमक रही थी.कामिनी ने उसकी टाँगे फैलाई & उनके बीच ज़मीन पे घुटने टीका के बैठ गयी & लिंग को अपने बाए हाथ मे ले लिया,फिर उसकी जड़ पे जहा वो आंडो से निकलता था,1 किस ठोंक दी.

"आहह..!",ठुकराल ने आँखे बंद कर सर सोफे की पीठ से टीका दिया.कामिनी लंड की लंबाई पे अपने रसीले होंठो की छाप छ्चोड़ने लगी.ठुकराल ने मस्ती मे आ उसके सर को पकड़ लिया & उसे लंड को मुँह मे लेने का इशारा किया.कामिनी ने लंड की फॉरेस्किन को अपने आगे के दन्तो मे पकड़ के हल्के से खींचा.ठुकराल के साथ आज तक किसी लड़की ने ऐसा नही किया था,ये एहसास उसके लिए बिल्कुल नया था & वो सोचता था कि वो चुदाई के हर पहलू से वाकिफ़ था!

कुच्छ दर्द मगर उस से भी ज़्यादा मज़े के एहसास से उसने अपनी गंद को सोफे से उठा दिया मानो कामिनी के गुलाबी मुँह मे लंड को पूरा घुसा देना चाहता हो मगर कामिनी ने उसे ऐसा करने से रोका & लंड के सूपदे पे फूँक मारने लगी.अब तो ठुकराल बेचैनी की सारी हदें पार कर गया & उसके सर को पकड़ के लंड पे दबाने की कोशिश करने लगा.कामिनी ने इस बार लंड पे अपनी जीभ फिराई & उस से निकले प्रेकुं को चाट लिया.

ठुकराल को थोड़ा चैन पड़ा.कामिनी ने लंड पे पहले बहुत धीरे-2 जीभ फिराई & फिर उसकी रफ़्तार को तेज़ करती गयी.ठुकराल के लंड को आजतक किसी ने ऐसे नही तडपया था & उसे बहुत मज़ा आ रहा था.कामिनी ने लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले जब उसे अपने मुँह मे भरा तो ठुकराल के मुँह से 1 और आह निकल गयी.अब कामिनी लंड को हिलाते हुए चूसने लगी & ठुकराल भी उसके सर को पकड़ अपनी कमर हिलाके उसके मुँह को चोदने लगा.

कामिनी ने 1 हाथ से लंड को हिलाते हुए उसे चूस्ते हुए दूसरे हाथ से ठुकराल के आंडो को पकड़ के ज़ोर से दबाया तो ठुकराल अपने उपर काबू नही रख पाया & कमर उचकर कर कामिनी के मुँह मे अपने पानी की धार छ्चोड़ने लगा.कामिनी भी उसके लंड पे मुँह कसे हुए उसे हिला-2 कर उसके लंड को मानो निचोड़ने लगी.उसने उसके लंड को तभी छ्चोड़ा जब तक उस से निकले पानी की 1-1 बूँद को उसने अपने हलक से नीचे नही उतार लिया.

ठुकराल को अपने उपर बड़ा गुमान था की वो जब चाहता तभी झाड़ता था मगर इस लड़की ने उसे हरा दिया था.हानफते हुए उसने नीचे देखा तो पाया की उसके सिकुदे लंड को मुँह से निकाल कर कामिनी उसी को ओर शोखी से देख रही है.उसने उसकी बाहे पकड़ उसे उठाया तो वो उसके उपर आ उसे चूमने लगी & चूमते हुए उसने उसके कंधो से उसके बातरोब को नीचे सरका दिया.

अब दोनो के बदनो के बीच बस कामिनी की पॅंटी की पतली सी दीवार थी.कामिनी ठुकराल के बालो भरे सीने पे अपनी भारी चूचिया दबाए उसे चूम रही थी & ठुकराल उसकी पीठ सहला रहा था.दोनो 1 बार फिर मस्त होने लगे थे.ठुकराल ने कामिनी की जंघे पकड़ के उसे सोफे के उपर कर लिया,अब कामिनी उसके दोनो तरफ घुटने टिकाए बैठी उसे चूम रही थी & ठुकराल उसकी गीली पॅंटी को नीचे कर रहा था.

पॅंटी उतार कर ठुकराल ने उसे कमर पकड़ कर सोफे पे खड़ा कर दिया & उसके चिकने पेट को चूमते हुए उसकी गोल,गहरी नाभि मे जीभ फिराने लगा.कामिनी की मस्ती और बढ़ने लगी & उसके गले से हल्की-2 आहे निकलने लगी.ठुकराल ने उसकी कमर को मज़बूती से थामा & उसकी चूत की दरार पे जीभ फिराई,"..आअनन्नह...!",कामिनी करही तो ठुकराल ने अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दी & चाटने लगा.कामिनी के बदन मे जैसे बिजली दौड़ने लगी.वो तेज़ी से आहे भरने लगी,ठुकराल की जीभ उसके दाने को छेड़ रही थी & उसे लग रहा था की उसकी टांगो मे जान ही नही है.

सोफे के उपर जो खजुराहो की मूर्तियो की नकल थी उनमे से 1 खड़ी हुई नंगी लड़की की चूचियो को सहारे के लिए कामिनी ने थाम लिया.ठुकराल किसी दूध पीते कुत्ते की तरह उसकी चूत चाट रहा था.कामिनी मूर्ति की चूचियो को पकड़े बेचैनी से पानी कमर हिला रही थी.ठुकराल ने अपनी जीभ की रफ़्तार बढ़ा दी & उसके दाने पे गोल-2 चलाने लगा.कामिनी जैसे ही झड़ने को हुई उसने दाने को छ्चोड़ जीभ को चूत के अंदर घुसा दिया & घुमाने लगा.कामिनी उसकी इस हरकत से पागल हो गयी & मूर्ति को पकड़े हुए अपनी कमर आगे-पीच्चे करते हुए उसके मुँह पे झाड़ गयी.

ठुकराल ने उसका सारा पानी पी लिया & निढाल होकर उसकी गोद मे बैठती हुई कामिनी की कमर को थाम उसकी चूत को सीधा अपने लंड पे लगा दिया.जैसे-2 कामिनी नीचे होते गयी उसका मोटा लंड उसकी चूत मे घुसता गया,"..ऊओवव्व...!",कामिनी अभी-2 झड़ी थी & इतनी जल्दी लंड घुसने से उसकी चूत मे खलबली मच गयी.वो आगे हो ठुकराल के गले लग गयी & कमर हिलाने लगी.ठुकराल का लंड बहुत मोटा था & ना केवल उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था बल्कि उसकी मोटाई ने चूत को कुच्छ ज़्यादा ही फैला दिया था.

कामिनी के लिए इस वक़्त ठुकराल केवल 1 मर्द था-1 तगड़े लंड वाला मर्द & वो उसके जिस्म का पूरा मज़ा उठाना चाहती थी.ठुकराल के सर को अपनी बाहो मे भर वो आगे-पीछे हो उसे चोदने लगी तो ठुकराल ने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी गंद को थाम लिया & फिर उठ खड़ा हुआ.कामिनी उसे चूमने लगी तो वो उसे लिए हुए अपने बड़े से गोल बिस्तर पे आके बैठ गया.बैठते ही कामिनी फिर से कमर हिलाकर चुदाई करने लगी.

ठुकराल के हाथ उसकी पूरी पीठ & चौड़ी गंद को मसला रहे थे & उसके जिस्म मे 1 बार फिर फुलझाड़ियाँ छूटने लगी थी.उसने धकेल कर ठुकराल को बिस्तरा पे लिटा दिया & उसके सीने पे हाथ जमा कर उचक-2 कर चुदाई करने लगी.ठुकराल बदस्तूर उसकी गंद मसले जा रहा था.कामिनी मस्ती मे डूबी हुई आहे भरते हुए बस लंड पे कूदे जा रही थी.चूत मे तनाव बहुत बढ़ गया तो वो थोडा पीछे झुक गयी & बाए हाथ को ठुकराल की जाँघ पे रखा दिया & दाए को वैसे ही उसकी छाती पे रखे ज़ोर-2 से कमर हिलाने लगी.

ठुकराल ने बाए हाथ से उसकी गंद की फाँक को मसल्ते हुए दाए को उसके पेट पे रखा & उस हाथ के अंगूठे से उसके दाने को रगड़ने लगा.अब तो कामिनी की खुमारी बिल्कुल आख़िरी मंज़िल पे पहुँच गयी.उसकी आहे अब बहुत तेज़ हो गयी & उसकी कमर झटके खाने लगी-वो तीसरी बार झाड़ रही थी.

ठुकराल फ़ौरन उठ बैठा & उसकी कमर को जकड़ते हुए अपने होंठ पहली बार उसकी चूचियो से लगा दिए.झड़ती हुई कामिनी के लिए ये बहुत मज़ेदार एहसास था लेकिन उसका जिस्म 1 बारी मे इतने मज़े को जैसे बर्दाश्त नही कर पाया & वो ठुकराल को पीछे धकेलने लगी मगर ठुकराल उसकी अनसुनी करते हुए उसकी मोटी चूचियो को चूसने लगा.कामिनी अभी भी पहले की खुमारी से बाहर आई नही थी & अब 1 बार फिर ठुकराल उसे स्वर्ग की ओर ले जा रहा था.

ठुकराल के हाथ उसके पूरी पीठ पे से फिसलते हुए आगे आए & उसकी चूचियो को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.उसके होंठ चूमती हुई कामिनी करही & फिर से अपनी कमर हिलाने लगी.उसकी किस का जवाब देते हुए ठुकराल ने उसकी गंद को थामा & उसे पलट के अपने नीचे बिस्तरा पे लिटा दिया & उसपे चढ़ के उसकी चूचियो को मसलते हुए उसकी चूत मे बड़े गहरे धक्के लगाने लगा.

वो उसके चेहरे & गर्दन को चूमते हुए उसके सीने के उभारो पे अपनी जीभ फिराते हुए उन्हे अपने मुँह मे भरने लगा तो कामिनी & मदमस्त हो गयी & अपनी टाँगे हवा मे उठा दी.ठुकराल ने जी भर के उसकी कसी हुई,मोटी चूचियो को मसला & चूसा & फिर अपने घुटनो पे खड़ा हो उसके हवा मे उठाए पैरो को पकड़ कर चोदने लगा.चोद्ते हुए उसने कामिनी की टांगो को आपस मे सटा कर सीधा खड़ा कर दिया.ऐसा करने से उसकी पहले से ही कसी चूत जैसे और कस गयी & उसका मोटा लंड उसकी चूत की दीवारो को और ज़्यादा रगड़ने लगा.

"हाइईईईई....आऐईयईईई....ऊऔुउईई....ऊओफफफफ्फ़....!",कामिनी अब आहे नही भर रही थी बल्कि चिल्ला रही थी.ठुकराल ने उसकी टाँगे पकड़ी & दोनो को दाई तरफ गिरा दिया,अब कामिनी का कमर से नीचे का हिस्सा मानो दाई करवट पे लेटा हुआ था & उपरी बदन सीधा.थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद ठुकराल ने पैंतरा बदला & कामिनी को पूरी तरह से दाई करवट पे करते हुए उसके पीछे खुद भी करवट से लेट गया & वैसे ही चोदने लगा.

उसने कामिनी की दाई टांग उठा के उसके नीचे से अपना दाया हाथ घुसा के उसकी जाँघ को उठा के बहुत ज़ोर से गहरे धक्के मारने लगा.ठुकराल इतनी ज़ोर से धक्के मार रहा था की वो पीछे होके बिस्तर पे लेट सा गया था.कामिनी ने अपना उपरी बदन घुमाया & दाए हाथ मे उसकी गर्दन को पकड़ कर खुद की ओर खींचा तो ठुकराल उसका इशारा समझते हुए उसे चूमने लगा.अब ठुकराल की भी मस्ती बहुत बढ़ गयी थी.उसने अपना दाया हाथ कामिनी की चूत के दाने पे लगा के रगड़ा तो कामिनी फिर से झाड़ गयी.

ठुकराल बिना लंड खींचे फिर से अपने घुटनो पे आ गया.अब कामिनी करवट पे थी & ठुकराल उसकी गंद पकड़े उसे चोद रहा था.कामिनी थोड़ा घूमते हुए आहे भरती हुई उसके सीने के बाल बेचैनी से नोचने लगी & वो कभी उसकी मोटी गंद तो कभी उसकी चूचियो को मसलते हुए धक्के मार रहा था.उसके आंडो मे मे अब मीठा दर्द होने लगा था मगर वो कामिनी को 1 बार और झाड़वाना चाहता था.

कामिनी ने भी उसे ज़्यादा इंतेज़ार नही कराया,उसकी चूत का तो बुरा हाल था.इस मोटे लंड ने उसे जैसे मस्ती मे उड़ाया था वैसे तो षत्रुजीत सिंग ने भी नही किया था.उसके चूत से लेके गले तक मानो कुच्छ भर सा गया था जोकि बाहर आना चाहता था.उसने दाया हाथ बढ़ा के ठुकराल को अपने उपर खींचा & उसके होंठो से अपने होठ सटा दिए.उसकी चूत मे खलबली मच गयी & वो सारा तनाव वो भरा हुआ एहसास जैसे बाहर आने लगा.ठुकराल बाए हाथ से उसकी गंद को दबाते हुए बाए से उसकी चूचियो को मसलते हुए उसे चूम रहा था जब कामिनी की चूत उसके लंड पे बहुत कस गयी & उसके गले से सिसकारिया निकलने लगी.

ठुकराल समझ गया की वो झाड़ रही है.कामिनी के नाख़ून उसकी पीठ छेद रहे थे & तभी उसके अंदो का मीठा दर्द भी जैसे बिल्कुल चरम पे पहुँच गया.उसके जिस्म के बाँध खुल गये & उसके आंडो मे उबाल रहा लावा बलबला के बाहर आ गया & कामिनी की चूत मे भरने लगा.दोनो बहुत ज़ोर से आहे भरते हुए 1 दूसरे से चिपके झाड़ रहे थे.दोनो ने अपने जिस्मो मे ऐसा एहसास पहले कभी नही महसूस किया था & दोनो ही जानते थे की ये तो बस शुरुआत है अभी उनके पास पूरे 2 दिन पड़े थे.
क्रमशः........................


GEHRI CHAAL paart--34

"Hello,Kamini ji.kya haal hai?"

"main thik hu,Thukral sahab.aap sunaiye.",kamini ne mobile kaan se lagaye hue khidki se bahar dekha.

"humara haal to bilkul bhi thik nahi.ab aap miliye to kuchh chain pade."

"aap to bahut bimar lagte hain,thukral sahab.",kamini ko uske sath ye khel khelne me maza aa raha tha.

"aapne bilkul thik samjha & meri bimari ki dawa to aap hi ke paas hai.to kahiye kab aa rahi hain mujhe durust karne?"

"thukral sahab,milna to main bhi chahti hu magar aap to jane hain na meri mushkil ke bare me."

"uska hal maine dhoond liya hai."

"achha!kya?"

"aap is shanivar ko Central market ki parking me pahunch jaiye,vaha se mera driver aapko mere ghar le aayega,fir ye weekend humare hi sath guzariye.",thukral ab seedhe-2 use uske sath sone ko keh raha tha.

"magar kisi ne dekh liya to?"

"aap 1 burka pahan lijiye,uske baad kisi ne dekha bhi to yahi dekhega ki 1 burka nashin mere ghar aayi thi na ki Kamini Sharan."

kamini thodi der tak is bare me sochti rahi,thukral ke khilaf saboot jutane ka is se achha mauka use nahi mil sakta tha & apne jism ka istemal karne ke bare me to vo pehle hi tay kar chuki thi,"ok,thukral sahab.kitne baje central market pahuchana hai?"

"thank you,kamini ji!mera driver 11 baje parking me aapka intezar karega."

"ok,thukral sahab,bye!"

shanivar ko Sharon apne bete se milne uske boarding school ja rahi thi & fir dusre din lautate samay use Tony se bhi milna tha.is wajah se thukral ke paas shanivar subah se ravivar sham tak ka samay tha kamini ke sath rangraliya manane ka.

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shanivar ko kamini 11 baje thukral ki car me baith gayi & 40 minute baad vo us car se uske bungle ke andar utar rahi thi.Madho ne use pehli manzil pe bane thukral ki aishgah tak pahuncha diya & khud vaha se chala gaya.kamini abhi bhi burka pehne hue thi.

"wow!",usne aishgah ko hairat bhari nigaho se dekha.

"welcome,kamini ji,welcome!",thukral 1 bathrobe pehne hue tha & uske chehre pe muskan khel rahi thi,"..aapne to aaj is khaksar ke garibkhane ki izzat badha di."

"ye garibkhana hai,thukral sahab?!",aishagah ki har 1 chiz vaise bhi bas jismo ke khel ko dhyan me rakh ke banayi gayi thi & sofe ke upar ki nangi murtiya & baki nangi paintings dekh ke kamini ka vo shaq ki thukral aurato ka rasiya hai ab pure yakeen me badal gaya.

"aapke husn ke samne to ye kuchh bhi nahi,kamini ji,..ab is burke ko hata ke humpe meherbani kijiye & humari pyasi aankho ko apne bemisal husn ka deedar karaiye."

kamini ne muskurate hue apna burka utar diya.aisa karte hi thukral ke chehre ki muskan gayab ho gayi & uske chehre pe vasna ki parchhayi aa gayi.kamini ne 1 golden color ki sleeveless,short dress pehni thi joki uske ghutno se karib 8 inch upar thi,uske pairo me ghutno tak ke boots the.kase libas me uske sare ubhar aur nikhar ke samne aa rahe the.kamini ne thukral ki halat to dekh li thi magar anjan bante hue vo uski taraf pith kar 1 bar fir se aishgah ko niharne lagi.

"ohhh....kya kar rahe hain?!",thukral ne sue peechhe se pani baaho me bhar liya tha & uske baal chumne laga tha,"..ghar aaye mehman se aap aisa hi saluk karte hain kya?na pani puchha na hi baithne ko kaha bas shuru ho gaye!",kamini ne nakhre bhare andaz me kaha.

"aaiye baith ke baat karte hain.",thukral ne use khincha & sofe pe baith use apni god me bitha liya & apni baayi banh uski patli kamar me daal di,"..& ye lijiye,angoor ka pani pijiye.",usne mez se utha ke wine ka glass uski or badhaya.

"uunn....bas..main din me nahi piti.",kamini ne 1 ghunt bhar ke glass vapas mez pe rakh diya.

"sahi kaha,aapke jaisi nashili chiz ko nashe ki kya zarurat!",thukral ne daaye hath se uske chehre ko neeche jhukaya & uske hotho ko apne hotho se sata diya.

"uff....kitne besabre hain aap.",kamini ne kiss tod kar apni daayi banh uske gale me daal di & baaye hath se uske chehre ko sehlane lagi.

"aapke jaisi husnpari dekh ke to farishte bhi sabr bhul jayen main to adna sa insan hu.",thukral ne use fir jhuka ke chum liya.kamini ne fir chhutna chah magar is baar thukral use chhodne ke mood me nahi tha.vo badi shiddat ek sath uske honth chumne laga.thodi hi der me kamini ke dil me bhi masti bharne lagi & vo uske sar ko thame uski kiss ka jawab dene lagi.thukral ka baaya hath to kamini ki kamar sehla raha tha & daaya uske boots & dress ke beech se dikh rahi uski jangho ko sehla raha tha.

kabhi vo apni zuban kamini ke munh me dalta to kabhi kamini uske munh me apni zuban ghusa uski jibh se lada deti.thukral ne 1-1 karke uske dono boots utar diye & uski gori tango & makhmali jangho pe apne hath ferne laga.kamini ki masti ab aur badh gayi thi.usne bechain ho saans lene ki garaj se apne honth thukral ke hontho se alag kiye to thukral ne unhe uski gardan pe laga diya.kamini ko neeche apni gand pe bathrobe ke bhitar se chubhta uska lund mehsus ho raha tha & use uski lambai ka andaza ho gaya tha.

kamini ka plan tha thukral ko apne jism ki hawas me andha kar us se uske raaz nikalwana & iske liye zaruri tha ki vo uspe pura bharosa kare & ye tabhi mumkin tha jab vo pure dil se uske sathn chudai me sharik hoti.thukral ki harkato & lund ke ehsas se use yakin ho gaya tha ki use is kaam me na kewal koi bhi pareshani nahi hogi balki shayad bahut maza bhi aayega.

"uunn....nahi..!",usne apni jangho se fisalte thukral ke daaye hath ko apni dress mes e ghusne se rokna chaha & uski kalai pakad li magar thukral bhi purana khiladi tha.usne 1 baar fir uske hontho ko apne hotnho ki giraft me le liya & jaise hi kamini uski kiss se madhosh hone lagi usne fauran hath ko uski dress me ghusa diya & uski panty ke upar se uski chut pe firane laga.

"uunnhhhh...uunhhhh...!",kamini chumte hue aahe bharte hue chhatpatane lagi to thukral ne uski panty ke kinare se apni beech ki lambi ungli ko ghusake seedha uske dane pe laga diya & gol-2 ghumane laga.kamini to masti me pagal ho gayi & thukral ke kandho pe baahe rakh uske sar ke baal nochti hui use chumti hui apni kamar hilane lagi.thukral ne use mazbuti se tham ke pane lund pe bithaye hue use chumte hue uske dane pe ungli chalana jari rakha.

kamini ki chut pani chhode ja rahi thi & kamini ab hawa me ud rahi thi.usne kiss todi & thukral ke sar ko apni baaho me kas liya.josh se uski chhtiya aur phool gayi thi & dress ke gale me se uska cleavage jhankane laga tha.thuykral ne use thame hue uske dane ko ragadte hue uske cleavage ko chumna shuru kar diya.kamini ke liye baat ab bardasht ke bahar thi,usne thukral ke sar ko apne seene pe daba diya & uski ungli ki ragad ne uske dane ko aise chheda ki vo zor-2 se aahe bharte hue jhadne lagi.

thukral ne uski panty se apna hath nikala & uski nashili aankho me jhankte hue apni ungli pe lage uski chut ke ras ko chat liya to kamini ne uske chehre ko chum liya.thukral ne uski pith pe lage zip ko neeche kiya & uski pith pe hath firane laga.kamini 1 baar fir uske hotho ko chumne lagi to thukral ne uski dress ke straps ko kandho se neeche khinchna chaha.

uske aisa karte hi kamini uske hotho ko chhod hansti hui uski god se utar gayi & uske samne khadi ho gayi.fir usne apni baahe apni chhatiyo ke neeche lagake baaye hath se daaye strap & daaye se baaye strap ko neeche kiya & fir bade nashile andaz me badan ko matkate hue dress ko apne jism se alag kar diya.

usne neeche bra nahi pehni thi & dress hatate hi uski badi-2,mast chhatiya nangi thukral ki aankho ke samne chamak uthi & uska munh unki khubsurti,unke aakar & unki kasavat ko dekh ke aashcharya se khul gaya.vo sar se paanv tak kamini ke husn ko niharne laga.usne aaj tak uske jaisi khubsurat ladki nahi dekhi thi..lagta tha mano 1-1 ang ko uparwale ne badi mehnat se kewal mardo ko pagal karne ke liye banaya tha.

kamini muskurate hue aage aayi & uske bathrobe ki dori khol di.bathrobe ko failate hi uski aankho ke samne thukral ka lamba & bahut hi mota lund thumak utha.lund ke chhed pe precum ki 1 boond chamak rahi thi.kamini ne suki tange failayi & unek beech zamin pe ghutne tika ke baith gayi & lind ko apne baaye hath me le liya,fir uski jad pe jaha vo ando se nikalta tha,1 kiss thonk di.

"aahhhh..!",thukral ne aankhe band kar sar sofe ki pith se tika diya.kamini lund ki lambai pe apne rasile hotho ki chhap chhodne lagi.thukral ne masti me auske sar ko pakad liya & use lund ko munh me lene ka ishara kiya.kamini ne lund ki foreskin ko apne aage ke danto me pakad ke halke se khincha.thukral ke sath aaj tak kisi ladki ne aisa nahi kiya tha,ye ehsas uske liye bilkul naya tha & vo sochta tha ki vo chudai ke har pehlu se wakif tha!

kuchh dard magar us se bhi zyada maze ke ehsas se usne apni gand ko sofe se utha diya mano kamini ke gulabi munh me lund ko pura ghusa dena chahta ho magar kamini ne sue aisa karne se roka & lund ke supade pe phoonk marne lagi.ab to thukral bechaini ki sari haden paar kar gaya & uske sar ko pakad ke lund pe dabane ki koshish karne laga.kamini ne is baar lund pe apni jibh firayi & us se nikle precum ko chat liya.

thukral ko thoda chain pada.kamini ne lund pe pehle bahut dheere-2 jibh firayi & fir uski raftar ko tez karti gayi.thukral ke lund ko aajtak kisi ne aise nahi tadpaya tha & use bahut maza aa raha tha.kamini ne lund ko apni giraft me le jab use apne munh me bharra to thukral ke munh se 1 aur aah nikal gayi.ab kamini lund ko hilate hue chusne lagi & thukral bhi uske sar ko pakad apni kamar hilake uske munh ko chodne laga.

kamini ne 1 hath se lund ko hilate hue use chuste hue dusre hath se thukral ke ando ko pakad ke zor se dabaya to thukral apne upar kabu nahi rakh paya & kamar uchkar kar kamini ke munh me apne pani ki dhar chhodne laga.kamini bhi uske lund pe munh kase hue use hila-2 kar uske lund ko mano nichodne lagi.usne uske lund ko tabhi chhoda jab tak us se nikle pani ki 1-1 boond ko usne apne halak se neeche nahi utar liya.

thukral ko apne upar bada guman tha ki vo jab chahta tabhi jhadta tha magar is ladki ne use hara diya tha.hanfte hue usne neeche dekha to paya ki uske sikude lund ko munh se nikal kar kamini usi ko or shokhi se dekh rahi hai.usne uski baahe pakad use uthaya to vo uske upar aa use chumne lagi & chumte hue usne uske kandho se uske bathrobe ko neeche sarka diya.

ab dono ke badno ke beech bas kamini ki panty ki patli si deewar thi.kamini thukral ke baalo bhare seene pe apni bhari chhatiya dabaye use chum rahi thi & thukral uski pith sehla raha tha.dono 1 baar fir mast hone lage the.thukral ne kamini ki janghe pakad ke use sofe ke upar kar liya,ab kamini uske dono taraf ghutne tikaye baithi use chum rahi thi & thukral uski gili panty ko neeche kar raha tha.

panty utar kar thukral ne sue kamar pakad kar sofe pe khada kar diya & uske chikne pet ko chumte hue uski gol,gehri nabhi me jibh firane laga.kamini ki masti aur badhne lagi & uske gale se halki-2 aahe nikalne lagi.thukral ne uski kamar ko mazbuti se thama & uski chut ki darar pe jibh firay,"..aaannnhhh...!",kamini karahi to thukral ne apni laplapati jibh uski chut me ghusa di & chaatne laga.kamini ke badan me jaise bijli daudne lagi.vo tezi se aahe bharne lagi,thukral ki jibh uske dane ko chhed rahi thi & use lag raha tha ki uski tango me jaan hi nahi hai.

sofe ke upar jo khajuraho ki murtiyo ki nakal thi unme se 1 khadi hui nangi ladki ki choochiyo ko sahare ke liye kamini ne tham liya.thukral kisi doodh peete kutte ki tarah uski chut chat raha tha.kamini murti ki choochiyo ko pakde bechaini se pani kamar hila rahi thi.thukral ne apni jibh ki raftar badha di & uske dane pe gol-2 chalane laga.kamini jaise hi jhadne ko hui usne dane ko chhod jibh ko chut ke andar ghusa diya & ghumnae laga.kamini uski is harkat se pagal ho gayi & murti ko pakde hue apni kamar aage-peechhe karte hue uske munh pe jhad gayi.

thukral ne uska sara pani pi liya & nidhal hokar uski god me baithati hui kamini ki kamar ko tham uski chut ko seedha pane lund pe laga diya.jiase-2 kamini neeche hote gayi uska mota lund uski chut me ghusta gaya,"..ooowww...!",kamini abhi-2 jhadi thi & itni jaldi lund ghusne se uski chut me khalbali mach gayi.vo aage ho thukral ke gale lag gayi & kamar hilane lagi.thukral ka lund bahut mota tha & na kewal uski chut ki puri gehrayi naap raha tha balki uski motai ne chut ko kuchh zyada hi faila diya tha.

kamini ke liye is waqt thukral kewal 1 mard tha-1 tagde lund wala mard & vo uske jism ka pura maza uthana chahti thi.thukral ke sar ko apni baaho me bhar vo aage-peechhe ho use chodne lagi to thukral ne uski gardan ko chumte hue uski gand ko tham liya & fir uth khada hua.kamini use chumne lagi to vo use liye hue apne bade se gol bistar pe aake baith gaya.baithate hi kamini fir se kamar hilakar chudai karne lagi.

thukaral ke hath uski puri pith & chaudi gand ko masla rahe the & uske jism me 1 baar fir phuljadiya chhutne lagi thi.usne dhakel kar thukral ko bistra pe lita diya & uske seene pe hath jama kar uchak-2 kar chudai karne lagi.thukral badastur uski gand masle ja raha tha.kamini masti me dubi hui aahe bharte hue bas lund pe kude ja rahi thi.chut me tanav bahut badh gaya to vo thoda peechhe jhuk gayi & baaye hath ko thukral ki jangh pe rakha diya & daaye ko vaise hi uski chhati pe rakhe zor-2 se kamar hilane lagi.

thukral ne baaye hath se uski gand ki fank ko masalte hue daaye ko uske pet pe rakha & us hath ke anguthe se uske dane ko ragadne laga.ab to kamini ki khumari bilkul aakhiri manzil pe pahunch gayi.uski aahe ab bahut tez ho gayi & uski kamar jhatke khane lagi-vo teesri baar jhad rahi thi.

thukral fauran uth baitha & uski kamar ko jakdate hue apne honth pehli baar uski chhatiyo se laga diye.jhadti hui kamini ke liye ye bahut mazedar ehsas tha lekin uska jism 1 baari me itne maze ko jaise bardasht nahi kar paya & vo thukral ko peechhe dhakelne lagi magar thukral uski ansuni karte hue uski moti choochiyo ko chusne laga.kamini abhi bhi pehle ki khumari se bahar aayi nahi thi & ab 1 baar fir thukral use swarg ki or le ja raha tha.

thukral ke hath uske puri pith pe se fisalte hue aage aaye & uski chhatiyo ko apni giraft me le liya.uske honth chumti hui kamini karahi & fir se apni kamar hilane lagi.uski kiss ka jawab dete hue thukral ne uski gand ko thama & use palat ke apne neeche bistra pe lita diya & uspe chadh ke uski choochiyo ko maslate hue uski chut me bade gehre dhakke lagane laga.

vo uske chehre & gardan ko chumte hue uske seene ke ubharo pe apni jibh firate hue unhe apne munh me bharne laga to kamini & madmast ho gayi & apni tange hawa me utha di.thukral ne ji bhar ke uski kasi hui,moti chhatiyo ko masla & chusa & fir apne ghutno pe khada ho uske hawa me uthae pairo ko pakad kar chodne laga.chodte hue usne kamini ki tango ko aaps me sata kar seedha khada kar diya.aisa akrne se uski pehle se hi kasi chut jaise aur kas gayi & uska mota lund uski chut ki deewaro ko aur zyada ragadne laga.

"haaiiiiii....aaaiiiieeee....ooouuiiiiii....ooofffff....!",kamini ab aahe nahi bhar rahi thi balki chilla rahi thi.thukral ne uski tange pakdi & dono ko daayi taraf gira diya,ab kamini ka kamar se neeche ka hissa mano daayi karwat pe leta hua tha & upari badan seedha.thodi der aise hi chodne ke baad thukral ne paintra badla & kamini ko puri tarah se daayi karwat pe karte hue uske peechhe khud bhi karwta se let gaya & vaise hi chodne laga.

usne kamini ki daayi tang utha ke uske neeche se apna daaya hatha ghusa ke fuski jangh ko utha ke bahut zor se gehre dhakke marne laga.thukral itni zor se dhakke mar raha tha ki vo peechhe hoke bistar pe let sa gaya tha.kamini ne apna upari badan ghumaya & daaye hath me uski gardan ko pakad kar khud ki or khincha to thukral uska ishara samajhte hue use chumne laga.ab thukral ki bhi masti bahut badh gayi thi.usne apna daay hath kamini ki chut ke dane pe laga ke ragda to kamini fir se jhad gayi.

thukral bina lund khinche fir se apne ghutno pe aa gaya.ab kamini karwat pe thi & thukral uski gand pakde use chod raha tha.kamini thoda ghumte hue aahe bharti hui uske seene ke baal bechaini se nochne lagi & vo kabhi uski moti gand to kabhi uski choochiyo ko maslate hue dhakke mar raha tha.uske ando me me ab meetha dard hone laga tha magar vo kamini ko 1 baar aur jhadwana chahta tha.

kamini ne bhi use zyada intezar nahi karaya,uski chut ka to bura haal tha.is mote lund ne use jaise masti me udaya tha vaise to Shatrujeet Singh ne bhi nahi kiya tha.uske chut se leke gale tak mano kuchh bhar sa gaya tha joki bahar aana chahta tha.usne daaya hath badha ke thukral ko apne upar khincha & uske hotho se pane hoth sata diye.uski chut me khalbali mach gayi & vo sara tanav vo bhara hua ehsas jasie bahar aane laga.thukral baaye hath se uski gand ko dabate hue baaye se uski chhatiyo ko maslate hue sue chum raha tha jab kamini ki chut uske lund pe bahut kas gayi & uske gale se siskariya nikalne lagi.

thukral samajh gaya ki vo jhaad rahi hai.kamini ke nakhun uski pith chhed rahe the & tabhi uske ando ka meetha dard bhi jaise bilkul charam pe pahunch gaya.uske jism ke bandh khul gaye & uske ando me ubal raha lava balbala ke bahar aa gaya & kamini ki chut me bharne laga.dono bahut zor se aahe bharte hue 1 dusre se chipke jhad rahe the.dono ne apne jismo me aisa ehsas pehle kabhi nahi mehsus kiya tha & dono hi jante the ki ye to bas shuruat hai abhi unke paas pure 2 din pade the.











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