गर्ल्स स्कूल पार्ट --34
हेल्लोदोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट 34 लेकर हाजिर हूँ कहानी का ये पार्ट आपको कैसा लगा बताना ना भूलें
मोटी सी एक करीब 40 साल की औरत गुस्से से तमतमाति हुई अपने घर से बाहर निकली
"तुम लफंगों को शरम नही आती... भला ये भी कोई तरीका है?"
"सीसी..क्या हुआ आंटी जी?" राज ने जब उस औरत के शब्डबानो को खुद की और आते देखा तो विचलित सा हो गया..
"हुउऊउ.. क्या हो गया आंटी जी?" आंटी जी ने मुँह फुलाते हुए राज की नकल उतारी," यहाँ हमारे घर के बाहर बैठहे तुम्हे आधा घंटा हो गया है.. घर में कोई काम नही है क्या? बेशार्मों की तरह दूसरों के घरों में झाँकते हो....."
"पर.... पर मैने तो कुच्छ नही किया आंटी जी.. आप खामखाँ नाराज़ हो रही हैं..." राज को कुच्छ समझ ना आया...
"तुम चुपचाप यहाँ से दफ़ा होते हो की नही.. अब अगर यहाँ खड़े रहे तो मुझसे बुरा कोई ना होगा... मेरे पति थानेदार हैं.. एक फोन करूँगी ना..!" औरत का गुस्सा शांत होने का नाम नही ले रहा था...
"आ..आप क्या बकवास कर रही हैं... क्या मैं अपने रूम के बाहर भी नही बैठ सकता...!" राज के सब्र का बाँध भी टूट'ता जा रहा था...
सुनकर औरत एक पल के लिए सकपका गयी," तुम्हारा कमरा?"
"हाँ.. कल ही किराए पर लिया है...!" राज ने मुँह फूला लिया...
"तो कमरा ही किराए पर लिया होगा ना.. पूरी कॉलोनी तो नही खरीद ली.. यहाँ बाहर आकर इश्स... नेकर में बैठ गये... कमरा लिया है तो कमरे में ही रहा करो.. यहाँ बेहन बेटियाँ भी रहती हैं.. समझे" हालाँकि औरत को अपनी ग़लती का अहसास हो गया था.. उसने तो सोचा था की कहीं से कोई लफंगा आकर उसकी बेटी पर लाइन मार रहा है.. पर थानेदारनी 'सॉरी' कैसे बोलती...
राज ने गुस्से से पैर पटका और अंदर चला गया..
"यार.. ये कहाँ पागल लोगों के बीच फँसा दिया यार.. ये कोई जगह है.. अब बाहर भी नही बैठ सकते.. हुउन्ह!" राज ने अंदर लेते हुए वीरेंदर को अपना बरमूडा दिखाते हुए कहा..
"क्या हुआ?" वीरेंद्र ने चौंकते हुए कहा...
"हुआ क्या यार.. ये सामने वाली आंटी......." राज ने सारा किस्सा वीरेंद्र को सुना दिया....
"हाहहः... हाहहाहा... हाहहाहा.... तू उसके सामने ऐसे चला गया... " कहकर वीरेंदर पेट पकड़ कर हँसने लगा...
"अब इसमें हँसने वाली क्या बात है..." राज का पहले से ही खराब मूड और खराब हो गया...
"बुरा मत मान'ना यार.. पर इश्स औरत से सम्भल कर रहना.... पर उसकी भी क्या ग़लती हो.. जिसकी पटाखे जैसी 2-2 जवान बेटियाँ हों.. उसका ऐसा व्यवहार लाजिमी ही है.. दोनो मस्त माल हैं यार.. जुड़वा हैं... देखते ही बेहोश ना हो जाओ तो कहना.. एक दम मक्खन के माफिक बदन है.. तू देखना उनको.. पर टोकने की गुस्ताख़ी मत करना.. और आइन्दा ऐसे बाहर मत बैठना कभी..." वीरेंद्र ने सीरीयस होते हुए कहा...
"पर यार.. बेटियाँ हैं तो हैं.. इसमें हमारी नाक में दम कर देना.. ये कहाँ जायज़ है..." राज को बात हजम नही हुई...
"कह तो तू ही ठीक रहा है.. पर एक तो थानेदारनी की चौधर.. दूसरा शक्की मिज़ाज.. बाप भी ऐसा ही है... हालत यहाँ तक है की लड़कियों को स्कूल लाने ले जाने तक के लिए एक बुड्ढे सिपाही की ड्यूटी लगा रखी है.. चल छ्चोड़.. आ खाना खाकर आते हैं....
"क्या हुआ मम्मी..?" बाहर शोर शराबा सुनकर मुम्मी के घर के अंदर आते ही प्रिया ने सवाल किया...
"क्या बताऊं..? आज कल के लड़के भी इतने लुच्छे लफंगे हैं... तेरे पापा देख लेते तो उसकी तो खाल ही खींच लेते.. और ज़ुबान इतनी चलाता है की बस.. हे राम!"
"पर हुआ क्या मम्मी.. कौन था?" प्रिया को जानने की जिगयसा हो उठी..
"अरी.. यहीं.. सामने वाले मकान में रूम लिया होगा.. बाहर बैठा था.. कच्च्छा पहने.. चल तू पढ़ाई कर ले.. छुट्टियों का काम रहता होगा.. देख रिया पढ़ रही है की नही...
"क्या..???? कच्च्छा पहनकर.." प्रिया ने अपने मुँह पर हाथ रखकर अपनी शरम छिपाइ.. बड़ा बदतमीज़ होगा कोई.."
"चल तू अपना काम कर ले.. तेरे पापा आते ही होंगे... उनको मत बताना.. याद है ना.. पिच्छले लड़के को कितना मारा था....
राज की आँखों में कल गाँव वाला मंज़र जीवंत हो उठा.. वो लड़की कैसे अपनी देह को छिपाने की कोशिश कर रही थी.. ना चाहकर भी रह रह कर राज का ध्यान यहाँ वहाँ से छलक रही छातियों पर जा रहा था.. नंगा बदन देख कर कैसे उसके दिलो दिमाग़ में उथल पुथल सी होने लगी थी.. और जब वो अचानक अपने आपको मोबाइल में क़ैद किए जाने पर खड़ी हुई थी... अफ.. कैसे मैस्तियों का जाम सा उसकी नशों को नशे में तर कर गेया था.. भगवान ने भी क्या चीज़ बनाई है.. 'नारी'.. अगर वा वहाँ से बाहर नही जाता तो शायद ज़ज्बात इंसानियत पर हावी हो जाते.. और वह भी अपनी पौरुष्टा को उस लड़की के 'खून' में रंग चुका होता.. उसका कुन्नवारापन भंग हो गया होता...
राज ने अभी तक की अपनी पढ़ाई हिंदू बाय्स स्कूल, सोनीपत में होस्टल में की थी.. इसीलिए लड़कियों के 'सुरूर' से अभी तक अंजान ही था.. पर अब 12थ में उसके दोस्त वीरेंदर ने उसको रोहतक बुला लिया था.. घर वाले भी मान गये.. क्यूंकी होस्टल से कोचैंग क्लासस के लिए बाहर जाने की अनुमति नही थी.. यहाँ का स्कूल को-एड था..
"कहाँ खो गये भाई?" वीरेंद्र ने राज के कंधे को दबाया...
"उउउन्ह.. कहीं नही.. बस ऐसे ही.. यार में कभी लड़कियों के साथ नही पढ़ा हूँ.. हम तो वहाँ खुल कर हंसते खेलते थे.. यहाँ पर तो बड़ी बंदिशें होंगी...." राज ने अपनी किताब निकालते हुए पूचछा....
"अरे यार.. तू भी ना.. खामखाँ की टेन्षन क्यूँ ले रहा है.. को-एड के अपने ही मज़े होते हैं... पढ़ने में भी मज़ा आता है... और.."
"यार.. वो देख.. सामने वाले घर से कोई झाँक रहा है.. खिड़की में से.." राज ने वीरेंद्र को बीच में ही रोक दिया....
"कौन?.. अरे उधर मत देख यार.. नज़रों में चढ़ गये तो बेवजह टेन्षन हो जाएगी.. इधर आ जा... लगता है ये रूम छोड़ना ही पड़ेगा.." वीरेंदर ने राज को खींचने की कोशिश की...
पर राज तो जैसे जड़ सा हो गया था.. सम्मोहित सा.. सामने वाली खिड़की से उन्ही की और देख रहा चेहरा इश्स कदर हसीन था की राज वहाँ से अपनी नज़रें ना हटा पाया.. एक दम ताजे गुलाब जैसी नज़ाकत उस चेहरे से टपक रही थी.. रसीलापन इतना की फलों का राजा 'आम' भी शर्मा जाए.. आँखों में तूफान को भी अपने अंदर समा लेने की तड़प थी.. होंठ ऐसे की जैसे गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगा रखी हो...
"आई मम्मी!" कहकर वह नीचे भाग गयी..
आवाज़ भी इश्स कदर सुरीली थी जैसे सातों सुर स्वारबद्ध होकर अपना जादू बिखेरने लगे हों.. वह करीब 10 सेकेंड खिड़की पर रही.. इतने में ही जाने सुंदरता के जाने कितने अलंकरण राज ने अपने दिल से उसको दे दिए..
"यह लड़की तो बड़ी प्यारी है यार..!" राज ने खिड़की पर से नज़र हटा'ते हुए कहा. उसकी की आँखों से सौंड्राया दर्शन की तृप्ति झलक रही थी..
"तो मैं क्या दोपहर को बीन बजा रहा था.. बताया तो था.. दोनो बहनें लाखों में एक हैं..." वीरेंदर किताब उठा कर पढ़ने बैठ गया..
"ये कौनसी थी..? बड़े वाली की छ्होटी.."
"यार.. दोनो जुड़वा हैं.. मैं तो आज तक पहचान नही पाया हूँ.. तू पहचान सके तो पहचान लेना.. पर यहाँ नही.. कल स्कूल में.. अब पढ़ने दे..!" वीरेंदर बोला..
"सच... क्या ये हमारे ही स्कूल में प्पढ़ती हैं.. यकीन नही होता यार.. यकीन नही होता..."
"अरे ओ भाई.. माफ़ कर.. ये लड़किया दूर से ही प्यारी दिखाई देती हैं.. तू कभी साथ रहा नही ना.. धीरे धीरे सब समझ आ जाएगा.. कम से कम इनके चक्कर में मत पड़ना.. लेने के देने पड़ जाएँगे..."
"मैं तो बस ऐसे ही पूच्छ रहा था यार..." राज ने मायूस होते हुए जवाब दिया..
"चल ठीक है.. आजा.. अब खिड़की बंद कर... और पढ़ ले!"
और उस रात राज पढ़ ना पाया.. दिमाग़ में खिड़की में खड़ी होकर झाँक रही वही दो आँखें घूमती रही.... खुमारी भर देने वाली आँखें....
नये स्कूल का पहला दिन... राज बहुत रोमांचित था पर अंदर ही अंदर झिझक की एक हुल्की सी मेहराब उसको उसके फुदकते दिल को काबू में रखने की नसीहत दे रही थी... जैसे ही उसने स्कूल के गेट से प्रवेश किया.. हज़ारों की संख्या में यहाँ वहाँ मंडरा रही 'तितलियों' के हृदयस्पर्शी दृश्यों ने उसका स्वागत किया.. 'आ.. लड़कियाँ कितनी प्यारी होती हैं.. कितनी स्वप्निल, कितनी कातिल.. नज़र के ही एक वार से घायल कर दें.. '
पर राज की आँखें तो उसी चेहरे को ढ़हूंढ रही थी जो उसको कल खिड़की में से नज़र आया था.. और फिर सारी रात निकल ही नही पाया.. उसके ख़यालों से..
"चल यार.. क्या ढूँढ रहा है..? आरती मेडम की क्लास है प्रेयर से पहले.. अगर आ गयी होंगी तो दरवाजे पर ही क्लास ले लेंगी..." वीरेंद्र ने राज के बॅग को पकड़ कर खींचा...
"आन....हाँ.. चल!" राज की नज़रें फिर भी उसके कदमों का साथ नही दे रही थी...
"श.. लगता है मेडम आ गयी.. अब देखना..."
"मे आइ कम इन मेडम?" वीरेंद्र ने एक हाथ में राज का हाथ पकड़े दूसरा हाथ आगे बढ़ाया...
"ये लो भाई... हाइह्कोर्ट ने 'गे ऑर्डर' क्या पास कर दिया.. लोगों ने तो हम लॅडीस को नोटीस करना ही छ्चोड़ दिया.. अब तक कहाँ रंगरलियाँ माना रहे थे..?" और क्लास में ठहाका गूँज उठा... आरती मेडम की तीखी आवाज़ वीरेंद्र के कानों में मिर्ची की तरह पड़ी...
"नही.. मेडम.. वो.. इसने अभी अड्मिशन लिया है.. आज पहला दिन था.. सो...." वीरेंद्र ने बच्चों के ठहाकों पर ध्यान नही दिया..
"ओह्ह्हो.. नया लड़का...! गॅल्स.. देखो..! नया लड़का आया है.... तो क्या आरती उतारें इसकी.. स्कूल के टाइम का नही पता क्या तुम लोगों को.." आख़िरी लाइन बोलते बोलते आरती मेडम चीख सी पड़ी थी..
"सॉरी मेडम.. वो.. आगे से ऐसा नही होगा..! प्लीज़ लेट अस कम इन..!"
"नो! नो वे.. जस्ट स्टे आउटसाइड..!" कहकर आरती ने क्लास की और रुख़ कर लिया..
मायूस वीरेंदर और राज कॅंटीन में आकर बैठ गये...
"यार यहाँ तो बड़ा स्ट्रिक्ट माहौल है.. पहले ही दिन किरकिरी हो गयी.." राज ने भावपूर्ण तरीके से वीरेंदर की और देखा...
"नही यार.. सब ऐसे नही हैं.. बस यही एक खड़ूस मेडम है जो बच्चों की नाक में दम रखती है.. पता नही कब रिटाइर होगी... " वीरेंदर ने उसको दिलासा दी...
"यार.. वो लड़की भी इसी स्कूल में है.. तू कह रहा था..?" राज मतलब की बात पर आ गया...
"यार तू आदमी है की बंदर.. एक बात के पिछे ही चिपक गया.. इसी स्कूल में ही नही.. इसी क्लास में भी है.. पर यार.. तू उसका चक्कर छ्चोड़ दे.. मरवा देगी.. देखा नही.. कैसे दाँत निकल कर हंस रही थी अभी.. क'मिनी!"
"क्या? अपन ही क्लास में है.. " और राज की आँखें चमक उठी....
प्रेयर की बेल होते ही सभी ग्राउंड में जाकर कक्षानुसार पंक्तिबद्ध होना शुरू
हो गये.. लड़कियाँ एक तरफ खड़ी थी.. लड़के दूसरी तरफ.. राज और वीरेंद्र कक्षा के सबसे लंबे लड़के थे सो वो दोनो सबसे पिछे खड़े थे...
"ओये राज.. वो देख प्रिया!" वीरेंदर ने अपनी कोहनी से राज के पेट पर टच किया..
"कहाँ?" राज के दिल में घंटियाँ सी बज उठी..
"वहाँ... सामने मंच पर.. पाँचों लड़कियों के बीच में खड़ी है.. अब जी भर कर देख लेना... " वीरेंदर हल्क से फुसफुसाया...
"ओह... " सिर्फ़ यही वो शब्द थे जो राज के मुँह से प्रतिक्रिया के रूप में निकले.. उसका मुँह खुला का खुला रह गया.. धरीदार स्कर्ट और जगमगाती हुई सफेद शर्ट पहने प्रिया को सिर से पाँव तक देखकर राज की साँसे सीने में ही अटक गयी..
प्रिया हाथ जोड़े नज़रें झुकाए प्रेयर करने लगी.. नख से सिख तक उसके शरीर का कतरा कतरा शरबती मिठास संजोए हुए था.. कपड़ों में से झाँकते संतरी उभारों में मानो नयन चुंबक लगा हो.. नज़रें चिपक जायें.. जैसे राज की चिपकी हुई थी.. लंबा छरहरा वक्राकार बदन किस को पागल ना बना दे.. सो राज भी हो गया.. पहली नज़र में ही घायल... उसकी आँखें बंद ही ना हुई.. प्रेयर के लिए.. उसको लगा जैसे प्रिया उसी के लिए गा रही है.. 'प्रेम-गीत'
उसका ये सुखद अहसास प्रेयर के ख़तम होने के बाद भी जारी रहा और उसकी नज़रें प्रेयर के बाद अपनी लाइन में जाकर खड़ी हुई प्रिया का पिच्छा करते हुए लगभग 90 डिग्री पर घूम गयी.. उसके चेहरे के साथ...
"हे यू! लास्ट बॉय इन 12थ.. वॉट'स अप?" आगे खड़ा एक टीचर गुस्से में गुर्राया..
वीरेंद्र ने कोहनी मार कर राज का ध्यान भंग किया..," तू तो गया यार...!"
"सस्स्सोररी सर.." कहकर राज ने सीधा खड़ा होकर नज़रें झुका ली...
प्रेयर के बाद राज क्लास में घुसा ही था की एक लड़की ने उसका रास्ता रोक लिया," नये हो..?"
"हाँ.." जब आगे जाने का रास्ता नही मिला तो राज ने वही खड़े होकर एक शब्द में उत्तर दिया....
"सुनो! सुनो! सुनो! ये नया है.. अभी बनकर आया है.." लड़की के ऐसा कहते ही क्लास में हँसी का ठहाका गूँज उठा...
"आ स्वाती! माइंड उर लॅंग्वेज.. जस्ट श्युटप आंड पुट डाउन युवर..." वीरेंदर का रुतबा ही ऐसा था की लड़कियाँ तो उसके नाम से ही बिदक्ति थी.... शानदार गठीले बदन का जवान होने के कारण लड़कियाँ उस पर जान तो छिदक्ति थी पर जान जाने का डर भी उनके मॅन में रहता था.. सुनते हैं की एक लड़की के प्रपोज़ करने पर वीरेंदर ने उसको खींच कर एक तमाचा दे दिया था.. पाँचों उंगलियाँ उसके चेहरे पर छप गयी थी.. तब से ही लड़कियाँ.. बस दूर से ही आ भर कर काम चला रही थी..
"मैं तुमको क्या कह रही हूँ.. " और लड़की की आँखों में आँसू उतर आए.. वह वापस अपनी बेंच पर जा बैठी..
"यार... लड़की को ऐसे नही डांटना चाहिए.." राज ने वीरेंदर के साथ अपनी बेंच पर
बैठते हुए कहा..
"हाँ.. नही कहना चाहिए.. मैं भी मानता हूँ.. पर लड़की को भी तो अपनी मर्यादायें याद रखनी चाहियें...
"यार.. उसने मज़ाक ही तो किया था.. मैं सॉरी बोलकर आता हूँ.." इससे पहले की वीरेंद्र कुच्छ बोलता.. राज उसके बेंच तक पहुँच गया था..
उसने वहाँ जाकर 'सॉरी' बोला ही था की दरवाजे से वही सुरीली आवाज़ आई जो उसने रात को सुनी थी.."नया लड़का कौन है?"
और एक बार फिर पूरी क्लास में ठहाके गूँज उठे... 'नया लड़का!'
"इसमें हँसने वाली क्या बात है.. मैने कोई जोक सुनाया है.." प्रिया को एक मिनिट पहले हुए तमाशे की जानकारी नही थी...
राज पलट गया.. उसका दिल एक बार फिर धड़कना भूल गया..,"मैं हूँ.. राज!" राज का हाथ अपने आप ही उसकी तरफ बढ़ गया..
"तुम्हे गौड़ सर बुला रहे हैं.. स्टाफ रूम में..!" प्रिया ने बढ़े हुए हाथ को नही थामा..
"पर ... मुझे स्टाफ रूम का पता नही है..!" राज ने शर्मकार हाथ वापस खींच लिया...
"चलो.. मैं लेकर चलती हूँ.." कहकर प्रिया बाहर निकल गयी.. राज की आँखों में पनप रहे अपने पन को उसने कोई तवज्जो नही दी.. शायद सुन्दर लड़कियों को इसकी आदत होती है..
बिना एक भी शब्द बोले दोनो स्टॅफरुम पहुँच गये...
"कम इन सर?" प्रिया और राज पर्मिशन लेकर गौड़ सर की चेर के पास जा पहुँचे.. ये वही थे जिन्होने राज को प्रेयर में टोका था...
"क्या बात है सर..?" राज को लगा प्रिया के सामने ही उसकी किरकिरी होगी..
"हूंम्म...! मिस्टर. हॅंडसम, यहाँ पढ़ने आए हो की तान्क झाँक करने..?"
"सर.. मैं समझा नही.. " राज ने भोलेपन से कहा..
"समझ तो तुम सब गये हो बेटा.. तुम दिखने में सुंदर हो.. इसका मतलब ये नही की.. खैर छ्चोड़ो.. 10थ में कितने मार्क्स आए हैं..?"
"सर.. 95%!" बोलते हुए राज की आँखों में चमक थी.. गर्व था.."
"हाउ मच?!!!!" प्रिया ने ऐसा रिक्ट किया मानो उसको विस्वास ना हुआ हो..
"95%!"
"हूंम्म.. थ्ट्स लाइक ए गुड बॉय.. शायद मुझसे ही कोई चूक हो गयी होगी.. जाओ.. एंजाय युवर स्टडीस!" और गौड़ सर ने राज की कमर पर थ्हप्कि देकर उसको वापस भेज दिया..
क्लास की और जाते हुए राज मन ही मन उच्छल रहा था.. प्रिया ने उसकी स्कोरिंग पर आसचर्या व्यक्त किया था.. प्रभावित ज़रूर हुई होगी.. उसने साथ चुपचाप चल रही प्रिया के मॅन को सरसरी नज़र से पढ़ने की कोशिश की.. पर कुच्छ खास अब लगा नही..,"आ.. आपके कितने मार्क्स हैं.. 10थ मैं.."
"अच्च्चे हैं.. पर तुम्हारे आगे कुच्छ नही.. बस यूँ समझ लो की तुमसे पहले मैं ही स्कूल की टॉपर थी..
"श.." राज ने ऐसे रिक्ट किया मानो प्रिया का रेकॉर्ड खराब करने पर उसको बहुत अफ़सोस हुआ हो.. इश्स'से पहले वो कुच्छ और बोलता.. उसकी आँखें आसचर्या से फट गयी.. वह एक बार सामने से आ रही रिया को देखता तो एक बार साथ चल रही प्रिया को...
"ये मेरी बेहन है.. रिया! मुझसे 8 मिनिट छ्होटी.. रिया! ये हैं मिस्टर..??" प्रिया की प्रशंसूचक नज़रों ने राज के दिल पर कहर सा ढाया..
"मुझे राज कहते हैं.. !"
"तूमम.. तो हमारे घर के सामने ही रहते हो ना...?" रिया ने तपाक से पूचछा...
"क्या???" प्रिया ने आसचर्या व्यक्त किया..
"जी.. मुझे नही पता आप कहाँ रहती हैं.. मैं तो मॉडेल टाउन 82-र मैं रहता हूँ.." राज ने अंजान बन'ने की कोशिश की...
"अच्च्छा.. तो वो तुम्ही हो.. जो..." कुच्छ सोचकर प्रिया आगे की बात खा गयी..
"जी क्या?" राज असमन्झस में पड़ गया..
"कुच्छ नही.. क्लास का टाइम हो रहा है.. " कहकर प्रिया रिया का हाथ पकड़ कर क्लास की और आगे बढ़ गयी..
राज उनके पीछे पीछे चलता हुआ उनको घूरता रहा.. क्या समानता थी.. उनकी हाइट में भी.. उनकी हँसी में भी.. उनकी चाल में भी.. और चलते हुए लचक रहे उनके मादक कुल्हों में भी... 'आ! किस किस को.... '
राज मॅन ही मन मुस्कुराया और क्लास में घुस गया...
"क्या बात थी.. अंदर घुसते ही वीरेंदर ने चिंता से पूचछा " डाँट पड़ी क्या?"
"नही.. शाबाशी मिली.. " राज ने मुस्कुराते हुए कहा..
"सच! किसलिए?
"अब मैं स्कूल का टॉपर हूँ.. इसलिए..!" राज ने सीना तान कर कहा...
---------
"आ तुझे पता है.. राज के 10थ में 95% मार्क्स हैं.." प्रिया ने साथ बैठी रिया के कान में कहा..
"सच... दिखने में तो एकद्ूम भोला.. स्वीट सा लगता है.. इसने चीटिंग कर ली होगी क्या???" रिया शरारत से राज की और देखकर मुस्कुराइ...
"अच्च्छा.. तो तेरे कहने का मतलब ये है की मेरे 91 चीटिंग की वजह से आए हैं.. हे भगवान.. जब टीचर्स को पता चलेगा तो मेरी तो हवा ही खराब हो जाएगी..." प्रिया को अपनी कुर्सी हिलती नज़र आई....
..........
"हे वीरेंद्र! देख.. प्रिया मुझे देखकर मुस्कुरा रही है..." राज ने रिया को अपनी और मुस्कुराते देख वीरेंदर से कहा...
"वो रिया है.. चक्कर में मत आना.. शिकायत करने में भी सबसे आगे रहती है.. मुस्कुराती है बस! सबको पता है..." वीरेंदर ने अपने हाथ से राज की उनकी ओर निकली हुई बतीसि बंद करके उसको सीधा कर दिया..
"पर तुझे कैसे पता.. दोनो एक जैसी हैं.. बिल्कुल! और तूने कहा भी था.. की तू भी उनको नही पहचान पता!" राज ने उत्सुकता से पूचछा..
"ऐसे तो उनकी मा भी उनको नही पहचानेगी.. रिया कान में बाली डालती है.. पर प्लीज़ यार.. ये सब मुझे अच्च्छा नही लगता.. तू पढ़ाई में ध्यान लगा.. बस!" वीरेंद्र ने उसको नसीहत दी...
"बस एक आख़िरी बात.. इनमें से किसी का बाय्फ्रेंड है क्या?"
"क्यूँ? मैं इनका असिस्टेंट हूँ क्या? अब कुच्छ पूच्छना है तो सीधा जा और उनसे पूच्छ ले..."
"बुरा क्यूँ मानता है यार.. मैं तो.." तभी क्लास में सर आ गये और सारी क्लास खड़ी हो गयी....
"क्या हाल हैं.. थानेदार साहब!" विकी घर के अंदर घुसते ही ड्रॉयिंग रूम में पड़े सोफे पर फैल गया...
"कौन?" पर्दे के पिछे से कड़क आवाज़ आई...
"आप कहाँ याद रखेंगे हमें.. हमें ही आकर बार बार आपको शकल दिखानी पड़ती है..." कहकर विकी हँसने लगा....
"ओह विकी भाई.. कैसे हो?" खिसियाए हुए से विजेंदर ने अंदर आकर बैठते हुए कहा..," सुनती हो? कुच्छ ठंडे वनडे का इंतज़ाम करो.."
"इतनी मेहरबानी का शुक्रिया.. वो सेक 4 वाला मल्टिपलेक्स आप कब बिकवा रहे हैं.. हमें जल्द से जल्द कब्जा चाहिए.. झकास जगह है!" विकी ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा..
"इतना आसान नही है भाई... मुरारी की भी पहुँच उपर तक है.. अब अगर सरकार नही बदली तो मेरे गले में फाँसी लटक जाएगी.. पर में देख रहा हूँ..." विजेंदर ने लुंबी साँस छ्चोड़ी.....
"मुरारी की मा का... साला उसके बाप का माल है क्या..?तो पहले मुझे उसकी मा बेहन करनी पड़ेगी पहले.. ये बोल ना.... साले की...." तभी अचानक विकी चुप होकर ड्रॉयिंग रूम में अचानक घुस आए जलवे को निहारने लगा...
"पापा! मुझे स्वेता के घर नोट्स लेने जाना है.. ज़ाउ क्या..?" रिया ने विकी पर धान नही दिया...
"कितनी बार कहा है की ये लेन देन स्कूल में ही किया करो.. चलो! कहीं जाने की ज़रूरत नही है.." विजेंदर ने पसीने के रूप में माथे पर छलक आया अपना गुस्सा पोंच्छा... रिया सहम कर अंदर चली गयी....
"ये... तुम्हारी बेटी है खन्ना?" विकी ना चाहकर भी उस हसीन काली के बारे में पूच्छ ही बैठा..
"यार.. कितनी बार कहा है की इन्न कामों के लिए ऑफीस में ही आ जाया करो.. घर में ऐसे बात करना अच्च्छा नही लगता.."
"कौनसा ऑफीस.. थाना?"
"हां!"
"पर आप वहाँ मिलते ही नही तो क्या करें.. मुझे भी जवान बेटियों वाले घरों में जाना वैसे अच्च्छा नही लगता.." विकी ने अपने होंठों पर जीभ फेरी...
"खैर छ्चोड़ो.. लाला 10 करोड़ माँग रहा है.. कहता है.. इससे कम पर बात ही नही करेगा..." विजेंदर ने बात पलट'ते हुए कहा..
"और मैं उसको 8 करोड़ से ज़्यादा नही दूँगा.."
"पर मुरारी 10 देने को तैयार है..."
" पहले कहे देता हूँ.. खो दूँगा मुरारी को.. इश्स दुनिया से.. बाद में मत कहना बताया नही था.. और बॉडी भी यहीं डाल कर जाउन्गा.. तेरे घर के सामने! चलता हूँ.. जै हो!" कहकर विकी घर से बाहर खड़ी सफ़ारी में जा बैठा..
"यार.. तुम पॉलिटिशियन्स का मैं क्या करूँ.. वो कहता है तुम्हे टपका देगा और तुम कहते हो...." विजेंदर अपनी बात पूरी नही कर पाया.. गाड़ी का शीशा उपर चढ़ा और विजेंदर पिछे हट गया.. गाड़ी सड़क किनारे की धूल उड़ाती हुई वहाँ से गायब हो गयी.....
"यार.. थानेदार की बेटी ने खड़ा कर दिया.. कोई ताज़ा माल है क्या...?" विकी ने जाने किसको फोन मिलया....
"कल तक खड़ा रख सको तो हो जाएगा विकी.. आज कोई चान्स नही है.. नयी का.. कहो तो......." सामने वाले की बात को विकी ने बीच में ही काट दिया...
"मुरारी की भी एक बेटी है ना...."
"तू पागल तो नही हो गया है विकी... क्या बक रहा है? बिज़्नेस अलग चीज़ है.. मस्ती अलग!"
"अरे बिज़्नेस को मारो गोली.. साला मुझे टपकाने की कह रहा है.. तू जल्दी उसका डाटा बता..." विकी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी...
"मान जा विकी.. उलझ जाएँगे.. मंत्री भी साथ नही देगा.."
"जो साथ नही देगा उसकी मा की चूत.. तू जल्दी बता.. नही तो.."
"ठीक है भाई.. पर मैं अब इश्स मामले में नही हूँ.. याद रखना.. और ये भी की सरकार आजकल उसी की है... लिख!"
"पेन नही है भोसड़ी के.. मेसेज कर दे.. और सुन.. तूने पक्का सोच लिया है ना तू मामले में नही है..."
"यार! तू समझता नही है.. पंगा हो जाएगा.. अगर उसको ज़रा भी भनक लग गयी तो वो इसका भी राजनीतिक फ़ायदा उठाने की सोचेगा.. फिर मीडीया हमें बकषेगी नही.. करियर चौपट हो जाएगा भाई... मान जा.."
"तू ऐसा कर.. उसकी लड़की की हिस्टरी मेसेज कर और मेरा रेसिग्नेशन लेटर.. टाइप करवा के रख..." कहकर विकी ने फोन काट दिया...
"हेलो!"
"जी मुरारी जी हैं?"
"तू कौन बे?"
"नमस्ते मुरारी जी.. मैं सिटी थाना इंचार्ज विजेंदर बोल रहा हूँ.." विजेंदर की आवाज़ घिघियाई हुई थी...
"हां... खन्ना! तेरी बक्शीश मिली नही क्या..." मुरारी ने लहज़ा नरम किया..
"वो बात नही है भाई साहब.... ववो.. विकी आया था.. काफ़ी बुकबुक करके गया है.. कह रहा था.." विजेंदर की बात अधूरी ही रह गयी...
"उस साले का नाम मेरे सामने मत ले.. अगर उस तरफ नज़र उठा कर भी देखा तो मार दूँगा साले को.. समझा चुका हूँ.. अगर वो ऐसे ही धमकी गिरी करता रहा तो जान से जाएगा.. मैं एलेक्षन्स की वजह से चुप हूँ.. वरना उसकी.. में ठुकवा देता.. समझा उसको.. कल का लौंडा है.. ज़्यादा गर्मी दिखाएगा तो महनगा पड़ेगा.."
"मैने उसको बोल दिया है.. बाकी आप देख लेना... कुच्छ ज़्यादा ही बोल रहा था.. मेरे तो दिल में आया था की उठाकर साले को अंदर कर दूँ.. पर आपकी वजह से ही चुप रहा.. कहीं आप पर बेवजह आरोप ना लगें..."
"तूने ठीक ही किया खन्ना.. एक बार एलेक्षन हो जाने दे.. फिर तू देखना.. मैं उसका क्या करता हूँ... अच्च्छा अब फोन रख.. कोई फोने आ रहा है वेटिंग में..." कहकर मुरारी ने दूसरी कॉल रिसीव की," हां मेरी गुड़िया रानी.. कैसी है मेरी बच्ची...."
"कितनी बार बताउ पापा.. मुझे गुड़िया नाम अच्च्छा नही लगता.. अब में बच्ची नही रही.. 19 की हो चुकी हूँ....!" उधर से कोमल सी आवाज़ आई..
"पर मेरे लिए तो तू गुड़िया ही रहेगी ना.. बोल कैसे याद किया.. पापा को अभी बहुत काम है....
"क्या पापा! मेरी सारी छुट्टियाँ ख़तम हो गयी... आप मुझे घर क्यूँ नही आने देते.. अब फिर स्कूल से बच्चे टूर पर चले गये हैं.. आपने मुझे वहाँ भी नही जाने दिया....मैं यहाँ अकेली बोर हो रही हूँ..."
"बेटा.. तू समझती नही है.. मुझे अक्सर बाहर ही रहना पड़ता है.. और फिर यहाँ भी तुम अकेली बोर ही होवॉगी... चल मैं तेरा पर्सनल तौर का इंतज़ाम करता हूँ.. अब तो खुश!"
"ओह थॅंक्स पापा.. यू आर सो ग्रेट.. उम्म्म्ममचा! कब भेज रहे हो गाड़ी..."
"कल ही भेज देता हूँ.. मेरी बच्ची.."
"ओकी पापा.. बाइ!"
"बाइ बेटा!"
मुरारी ने एक और फोने मिलाया..," हां मोहन!"
"येस सर!"
"कल ही मर्सिडीस लेकर होस्टल पहुँच जाओ.. 5-7 दिन...जहाँ भी वह कहे.. उसको घुमा लाना.. हर तरह का ख्याल रखना..
"ओके सर!"
मुरारी ने कॉल डिसकनेक्ट करते ही वहाँ निर्वस्त्रा लेती उसकी बेटी की ही उमर की लड़की की
चुचियों में सिर घुसा दिया....
ओके दोस्तो फिर मिलेंगे पार्ट--36 के साथ तब तक के लिए विदा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories,aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories ,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,
No comments:
Post a Comment