raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,
धोबन और उसका बेटा--21
मैने धक्का लगाते हुए कहा "है मा बहुत मज़ा आ रहा है, बहुत कसी हुई है तुम्हारी बुर तो, मेरा लंड तो एक दम फस फस के जा रहा है तेरी बुर में, ऐसा लग रहा है जैसे किसी बॉटल में लकारी का ढक्कन फसा रहा हू, है क्या सच में मेरा बापू तुझे चोद्ता ऩही था क्या, या फिर तुम उस को चोदने ऩही देती थी, तुम्हारी चूत इतनी कसी हुई कैसे है मा, जबकि मेरे दोस्त कहते थे की उमर के साथ औरतो की चूत ढीली हो जाती है, है तुम्हारी तो एक डम कसी हुई है". इस पर मा ने अपने पैरो का शिकंजा और कसते हुए दाँत पीसते हुए कहा "साला तेरा बाप तो गान्डू है, वो क्या खा के चोदेगा मुझे, उस गान्डू ने तो मुझे ना जाने कब से चोदना छ्होरा हुआ है, पर मैं किसी तरह से अपने चूत की खुजली को अंदर ही दबा लेती थी, क्या करती किस से चुड़वति, फिर जिसके पास चुड़वाने जाती वो कही मुझे संतुष्ट ऩही कर पाता तो क्या होता, बदनामी अलग से होती और मज़ा भी ऩही आता, तेरा हथियार जब देखा तो लग गया की तू ना केवल मुझे संतूश कर पाएगा बल्कि, तेरे से चुड़वाने से बदनामी भी ऩही होगी, और तू भी मेरी चूत का पायसा है फिर अपने बेटे से चुड़वाने का मज़ा ही कुच्छ और है, जॉब सोच के इतना मज़ा आ रहा था तो मैने सोचा की क्यों ना चोदवा के देख लिया जाए"
"है मा तो फिर कैसा लग रहा है अपने बेटे से चुड़वाने में, मज़ा आ रहा है ना, मेरा लॉरा अपने चूत में ले के, बोलो ना बुर मारनी, साली मेरा लॉरा तुझे मज़ा दे रहा है या ऩही"
"है गजब का मज़ा आ रहा है राजा, तेरा लॉरा तो मेरी चूत के जर तक टकरा रहा है और मेरी चूत के दीवारो को मसल रहा है और मेरी नाभि तक पहुच जा रहा है, तू बहुत सुख दे रहा है अपनी मा को मार कस के मार धक्का बेटीचोड़, चोदु राम हलवाई, चोद ले अपनी मैया के चूत को और इसको दो फाँक कर दे मधर्चोड़"
"है जब चुड़वाने में इतना मज़ा आ रहा है और छोड़वाने का इतना मन था तो फिर सोते वाक़ूत इतना नाटक क्यों कर रही थी, जब मैं तुझे नंगा हो कर दिखाने को बोल रहा था"
"है रे मेरे भोलू राम, इतना भी ऩही समझता क्या, इसको कहते है नखरा, औरते दो तरह का छिनाल पं दिखा सकती है या तो सीधा तेरा लंड पकर के कहती की चोद मुझे या फिर धीरे धीरे तुझे तरपा तरपा के एक एक चीज़ दिखती और तब तरपा तरपा के चुदवाति, मुझे सीधे चुदाई में मज़ा ऩही आता, मैं तो खूब खेल खेल के चुदवाना चाहती थी, चक्की जितनी धीरे चलती है उतना ही महीन पीसती है साले, इसलिए मैने थोरा सा च्चिनाल पं दिखया था, समझा अब बाते चोदना बंद कर और लगा ज़ोर ज़ोर से धक्का और चोद मेरी बुर को मधर्चूऊऊऊद्दद ड्ड, तेरी मा की छूततततत्त में डंडा डालु बहन्चोद माररर्ररर ज़ोर से और बक्चोदि बंद कर"
"ठीक मेरी च्चिनाल मा अब तो मैं भी पूरा सिख गया हू, देख अब मैं कैसे चोदता हू तेरी इस मसतनी चूत को और कितना मज़ा देता हू तुझे, देख साली बुरचोदि फिर ना बोलना की बेटे ने ठीक से चोदा ऩही, रंडी जितना तूने मुझे सिखाया है मैं उस से कही ज़यादा मज़ा दूँगा तुझे,,,,,,, ,,साली मधर्चोड़"
मैं अब पूरे जोश के साथ धक्का मरने लगा था और मेरा पूरा लंड सुपरे तक निकल कर बाहर आ जा रहा था, फिर सीधा सरसरते हुए गचक से अंदर मा की चूत की गहराइयों में समा जा रहा था. लंड की चमरी तो अब सयद पूरी तरह से उलट चुकी थी, और चुदाई में अब कोई दिक्कत ऩही आ रही थी. मा की चूत एक डम से गरम भट्टी की तरह ताप रही थी और मेरे लंड को सता सात लील रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हू. मेरी गांद पर मा का हाथ था और वो उपर से दबाते हुए मुझे अपनी चूत पर दबा रही थी और साथ में नीचे गांद उच्छल कर मेरे लौरे को अपनी चूत में ले रही थी. बर के होंठो को मसलते हुए मेरा लंड सीधा बुर की जर से टकराता था और फिर उतनी ही तेज गति से बाहर आ कर फिर घुस जाता था. कमरे का माहौल फिर से गरम हो गया था और वातावरण में चुदाई की महक फैल गई थी. पूरे कमरे में गछ गछ फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. हम दोनो की साँसे धोकनि की तरह से चल रही थी. दोनो के बदन से निकलता पसीना एक दूसरे को भिगो रहा था मगर, इसकी फिकर किसे थी.
मा नि अपने तेज चलती सांसो के बीच से बर्बरते हुए मेरा उस्टस बढ़ाया "ओह ओहस्सस्स्स्स्स्स्स्सिईईईई, चोदो और ज़ोर से पेलो अपना डंडा, घुमा घुमा के डालो राजा, सस्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईई अब तो बस अपने रस से बुझा दे मेरी चूत के पायस को, चोद दे मुझे मधर्चोड़, साले मेरे सैया, ऐसे ही धक्का मारे जा, ऐसे ही चोद कर मुझे ठंडा कर दे, तेरे डंडे से ही ठंडी होगी तेरी मा, पँखे से ठंडे होनी वाली ऩही हू मैं, तेरी मा को तो तेरा मोटा मुसलांड चाहिए जो की उसकी बुर को दो फाँक कर के उसकी चूत के अंदर की ज्वाला को ठंडा कर दे, मार साले बहँचोड़, तेरी बहन के गांद में लंड डालु, ज़ोर से मार ना, बेटीचोड़, गन्दू, है रे आज से तू ही मेरा भरतार है तू ही मेरा सैय्या और तू ही मेरा चोदु है"
"है, ले साली बुरछोड़ी और ले, और ले मेरे लंड को अपनी मस्तानी चूत में, ले ना च्चिनाल खा जा मेरे लौरे को अपनी बुर से, पूरा लंड खा जा साली बेताचोड़ी मा, है रे मेरी चुड़दकर मैया, कहा से सिकहा है तूने इँटना मज़ा देना, ओह मेरा तो जानम सफल हो गया रीईईई हाईईईईईईई साली और ले मधर्चोद्द्द्द्द्द्दद्ड"
"दे और कस कस के दे बेटा, इसी लंड के लिए तो मैं इतनी पयासी थी, ऐसे ही लंड से चुड़वाने की चाहत को पाले हुए थी मैं मन में ना जाने कब से, आज मेरी तम्माना पूरी हो गई, आने दे तेरे उस भारुए बाप को अगर कभी हाथ भी लगाया मेरे इस बदन को तो साले के गांद पर च्चर लात मार कर घर से निकल दूँगी, सला मधर्चोड़ वो क्या जानेगा चॉड्ना, अभी यहा होता तो दिखती की चॉड्ना किसको कहते है, तू लगा रह बेटा चोद के मेरी **** को मत दे और इसमे से अपने लिए मक्खन निकल ले, मेरे चुड़दकर बलम"
अब तो बस आँधी आए या तूफान कोई भी ह्यूम ऩही रोक सकता था हम दोनो अब अपने चरम पर पहुच चुके थे और चुदाई की रफ़्तार में कोई कमी ऩही चाहते थे. चाहते थे तो बस इतना की कैसे भी एक दूसरे के बदन में समा जाए और मार मार के चोद चोद के एक दूसरे के लंड और चूत का भुर्ता बना दे. मा की सिसकारिया तेज हो गई थी और अब दोनो में से कोई भी एक दूसरे को छ्होर्ने वाला ऩही था दोनो, जी जान से एक दूसरे से चिपके हुए धक्के धक्के पर धक्का लगाए जा रहे थे मैं ुअपर से और मा नीचे से.
मा सिसकते हुए बोली "है राजा ऐसे ही मेरा निकलने वाला है, मरता रह धक्का धीरे मत करियो, ऐसे ही मधर्चोड़ अब निकल जाएगा मेरा, सस्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईई ऊऊऊऊउगगगगगगगगगग ग बेटीचोड़ मारे जा माआ सस्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईई मधर्चूऊऊऊऊओ ऊओद्दद्ड, निकल जाएगाआआआआआअ, सलीईईई, मेरा निकल रहा हाईईईईईईईईई मधर्चोड़,, ,,,,,,,, चोद कस के और ज़ोर ज़ोर से माआआआआअरर्र्र्ररर र्र, गंद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्डुऊऊउ अयू, छोद्द्द्द्द्द्द्दद्ड डाआाआल मिटा दे खुज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्जलीइीईई ईई, चोद, चोद ज़ोर ज़ोर सीईईईईई, तेरी मा के बुर में गढ़े का लॉरा डालुउउुुुुुुुुउउ चोद ना साले और मारीईईई जा, निकलाआआआआआअ रे मेरा तो निकलाआाआ, झारी रीईईई मैं तो झरीईईईईईईई कह कर मेरे मेरे कंधो पर अपने दाँत गर्अ दिए.
मेरा भी अब निकलने वाला था और मैं भी ज़ोर ज़ोर से धकका लगते हुए छोड़ने लगा और गालिया बकते हुए झरने लगा "ओह साली मेरा भी निकल रहा है रीईईई, मधर्चोद्द्द्द्द्द्द्दद्ड द, निकल रहा है मेरााआआआआअ, ओह रंडी, छीनाल साली, तूने तो आज जन्नत की सैर कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररा आआआआआअ डीईईईईईई रे, ओह माआआआअ, गया मैं तो, ओह चुड़ैल सलिइीईईईई तेरी बुर में मेरा पानी निकल रहा है रीईईईईई लीईईई पे ले अपनी चूत से मेरे लौरे के पानी को पे ले और निगल ज़ाआाआआआआ मेरे लौरे को पूरा का पूरा बुर मारनी बुरछोड़ी"''' ''....... ......... ... है रे रंडी निकल गया रे मेरा तो पूरााआआआआआ" कह कर मैं मा के उपर लेट गया. हम दोनो की आँखे बंद थी और दोनो एक दूसरे बदन से चिपके हुए थे. थकान के मारे दोनो में से किसी को होश ऩही था की कया हो गया है.
एक दूसरे से चिपके हुए कब आँख लगी कब मेरा लंड उसकी चूत से बाहर निकल गया कब हम दोनो सो गये इसका पाता हमे ऩही लगा.
सुबह जब सूरज की तेज रोशनी आँखो पर परी तो.......... ......... ......... .........
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