Saturday, June 12, 2010

बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई {पार्ट --2}

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बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई {पार्ट --2}
सुबह लीना ने उठकर रवि को उठाया. रात की मस्ती झड़ी नही थी. एक बार फिर दोनो आपस मे लग कर चुदाई शुरू कर दी. रवि लीना को नीचे ले कर कस कस कर उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. सिसकारीओं से कमरे का वातावरण काफ़ी मदहोश हो गया. लीना नीचे से हर धक्के का जवाब अपनी सिसकारी से दे रही थी. "सचमुच तुम्हारा लंड तो बहुत लंबा और मोटा है. उस लड़की को बहुत मज़ा आएगा जो तुमसे चुड़वाएगी," लीना रवि से चुदवाती हुई बोली. रवि कस-कस कर धक्के मारते हुए बोला, "हां जाने-बहार, तुम्हारी चूत भी एकदम लाज़वाब है. लगता है इसे चोदता ही जाऊं." नीचे से लीना सिसकारी मारते हुए बोली, "ओह्ह! मेरे राजा और पेलो और पेलो अपनी रानी की चूत मे अपना मोटा लंड. आ! मेरी चूत तुम्हारा लंड खा कर निहाल हो रही है. हाया! लंबे और मोटे लंड की चुदाई ही कुछ और ही होती है. बस मज़ा आ गया. हाँ हाँ, तुम ऐसे ही अपनी कमर उच्छाल उच्छाल कर मेरी चूत मे अपने लंड से धक्का मारते रहो. मेरी चूत को भी बहुत दीनो से शौक था तगड़ा और लंबा लंड खाने का. उसको और ज़ोर ज़ोर से खिलाओ अपना लंबा-तगड़ा लंड." लेकिन जल्दी ही ख़तम हो गयी उनकी चुदाई. दोनो का पानी आधे मिनिट के फराक पर निकल गया. लीना ऐसी चुदाई पा कर मस्त हो गयी. रात की चुदाई से ज़्यादा कड़क चुदाई उसे अभी वाली लगी. हॉस्पिटल जाकर रीमा को देखने और रोमा को फ्री करने के कारण रवि को बिस्तर पर से जल्दी उतना पड़ा. बाथरूम मे जाने के बाद पता चला की बाथटब का शावर और नाल दोनो खराब हो गये है. पानी नही आ रहा था. तो रवि यह कहकर निकल गया की मैं प्लमबर को भेज रहा हून. अगर जल्दी आ गया तो ठीक है नही तो रोमा को बता देना की प्लमबर से नाल ठीक करवाना है. रवि ने हॉस्पिटल जाकर रोमा को फ्री किया और बोला की घर पहुँचकर लीना को जल्दी भेज देना ताकिवो खुद ऑफीस जा सके. रोमा घर पहुँची तो लीना बाथरूम से निकल कर अपने कपद बदल रही थी. बाथरूम मे स्टोरेज किए हुए पानी से उसने अपना काम चला लिया था. लीना के चेहरे पर छायी हुई खुशी को देखकर रोमासमझ गयी की रात भर क्या क्या हुआ होगा. फिर भी अंजान बनते हुएउसने लीना को छेदते हुए पूचछा, "है मेरी जान, बड़ी खुश दिखरही हो. रात भर सोई नही थी क्या? लगता है जीजू ने बहुत परेशान किया है." "नही तो. ऐसी तो कोई बात नही है." "अच्छा हमसे ही नाटक." "जब कुच्छ हुआ ही नही तो क्या नाटक करूँ." फिर धीरे धीरे सारी बात रात की उगल दी लीना ने. रोमा और लीना रात की बात करते करते दोनो ही उत्तेजित हो गये. आपस मे अंजाने ही एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे. दोनो की चूते अंदर की गर्मी से पिघलाने लगी. तभी टेलिफोन की घंटी बाजी. लीना ने फोन उठाया. "मैं रवि बोल रहा हून." "बोलो जीजू, मैं लीना बोल रही हून.""देखो प्लमबर को बोल दिया है. थोड़ी देर मैं आ जाएगा. लेकिन तुम जल्दी आ जाओ. मुझे कुच्छ मेडिसिन्स लाना है फिर मैं ऑफीस निकल जाऊँगा." लीना जल्दी ही हॉस्पिटल के लिए निकल गयी साथ मे कह कर गयी की बाथरूम का नाल खराब है, प्लमबर आएगा. रोमा मान मसोस कर रह गयी. रात मे भी मौका नही मिला और अब सुबह थोड़ी बहुत गर्मी शांत होती वा भी नही हुई. आख़िर चूत तड़फती ही रह गयी. वो उसे शांत करने के लिए जीजी की एक नाइटी पहन कर बातरूम मे चली गयी. उससे बदन तो धक गया लेकिन गला काफ़ी खुला हुआ था और नीचे से भी घुटने के उपर तक ही थी. नाइटी को उतार कर जैसे हीनाल खोला तो ध्यान आया की वो तो खराब है. उसी हालत मे बैठी बैठी अपनी चूत को हाथ से सहलाने लगी. चूत को सहलाते-सहलाते उसे ध्यान ही नही पड़ा की डोर बेल कितनी देर से बाज रही है. फटा- फॅट नाइटी पहन कर बाहर निकली और गाते खोल दिया. सामने खड़ा था प्लमबर. एक मजबूत किस्म का इंसान. रंग सांवला लेकिन कद कती कसरती. वो भी अपने सामने खड़ी रोमा को देखता रह गया. अफ क्या नशीला बदन है. एक मिनी नाइटी पहने हुए तो कयामत ढा रही थी. छातियां नाइटी मे समा नही रही थी. आधे मुम्मे बाहर छलक रहे थे. गहरी साँस लेते हुए बोला, "रवि साहेब ने बुलाया है. क्या कोई नाल खराब है." "हन.. हन. बाथरूम का शावर और नाल दोनो खराब है. पानी नही आ रहा है." सुरेश, यही नाम था प्लमबर का, सीधे बाथरूम मे चला गया. बाथटब का शवर और नाल चालू कर के देखा लेकिन पानी नही आ रहा था. तो उसने शोवेर को निकाल दिया और फिर बाथरूम के अंदर बनी हुई टंकी जो सीलिंग से लगी हुई थी से नाल को चेक करने लगा. "लगता है की टंकी से पानी नही आ रहा है. उपर चेक करनापड़ेगा. कोई तबले है क्या?" रोमा ने एक मिड्ल साइज़ की तबले ला कर दी. वो उस पर चढ़ कर टंकी चेक करने लगा और बोला, "पानी तो पूरा भरा पड़ा है. पीपे और फिटिंग चेक करना पड़ेगा." यह कह कर अपनी पॅंट और शर्ट निकालने लगा. एक बनियान और स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम जैसा अंडरवेर पहने हुया तबले पर चढ़ गया. रोमा उसके गतीले बदन को देखी तो देखते ही रह गयी. मज़दूर आदमी का जिस्म था. एक दूं कड़क. उपर से पीपे को खोलते हुआ बोला "मेमसाहेब, आप ज़रा बाथटब के पास रहना. जब पानी आए तो शावर को पीपे के उपर पकड़ कर रखना." बाथरूम मे जगह कम थी. तबले ने जगह घेर कर रखी थी. रोमा बाथटब मे जाकर खड़ी हो गयी. जब पानी आने लगा तो वो शोवेर को पीपे के उपर लगाने लगी लेकिन बाथटब मे खड़ी होने की वजह से रोमा पूरी तरह से भीग गयी. उसका बदन नाइटी से झलकने लगा. उसके कबूतर नाइटी से आधे तो पहले ही दिख रहे थे अब बाकी आधेनाइटी के पारदर्शी (ट्रॅन्स्परेंट) हो जाने की वजह से दीखने लगे. उसके डार्क निपल एक दूं से तन कर आमंत्रण दे रहे थे. जाँघों से नाइटी चिपक गयी थी. उसके उभरे हुए नितंब आकर्षित कर रहे थे. सुरेश ने जब नज़र नीचे कर यह नज़ारा देखा तो उसका लंड दान-दान करता हुआ खड़ा हो गया. उसका लंड एक गोरी और मस्त लौंडिया को देख कर फड़फड़ाने लगा. वो पीपे वापस फिटिंग करते हुए कभी पीपे को देख रहा था तो कभी रोमा की उफनती हुई जवानी को देख रहा था. तभी उसके हाथ से रेंच-पाना (आन इन्स्ट्रुमेंट तो टाइट पीपे) नीचे बाथटब मे गिर गया और उसके हाथ से पीपे भी छूट गया. पानी उपर पीपे से नीचे गिरने लगा. खुद भी पूरी तरह से भीग गया. उसके बदन के कपड़े भी भीग गये. कॉस्ट्यूम जैसे अंडरवेर से लंड का साइज़ सॉफ दिख रहा था. उपर से ही कहा, "मेमसाहेब, ज़रा वारेणच-पाना देना प्ल्ज़्ज़." रोमा ने रेणच-पाना उठाया तो शवर अपनी जगह से खिसक गया. जिसकी वजह से पानी फिर गिरने लगा. एक हाथ से शवर को पकड़े हुए दूसरे हाथ से उस रेणच-पाना को देने लगी. लेकिन पानी गिरते रहने की वजह उसका ध्यान शवर की तरफ ही था. दूसरा हाथ रेणच-पानासुरेश को देने के लिए आयेज बढ़ाया हुआ था. उपर सुरेश भी पीपे से पानी गिरते रहने की वजह से पीपे की और ही देख रहा था. उसने उपर ही मूह किए हुए वापस कहा, "मेमसाहेब, प्ल्ज़्ज़. वा रेणच-पाना देना." रोमा भी शवर की और देखते देखते बोली, "दिया तो है. लेलो." तभी दोनो की नज़र आपस मे टकराई तो देखा की रेणच-पाना रोमा ने अंजान-वश सुरेश के मोटे फूले हुए लंड मे फँसा दिया था. सुरेश यह देखकर मुश्कराया और रोमा ने अपनी नज़र नीचे झुका ली. सुरेश रेणच-पाना अपने लंड पर से निकाल कर पीपे को फिटिंग करने लग गया. रोमा ने नज़र उठा कर देखा की है रब्बा कितना मजबूत लंड है. एक मूसल की तरह खड़ा था. उसकी साइज़ 10" इंच से कम नही होगी और मोटा भी पूरा था. उसकी छूट तो कल रात से ही उसके काबू मे नही थी. अब तो उसकी हालत एकद्ूम से बेकाबू हो गयी. पूरे बदन मे खून सई-सई कर के बहने लगा. चूत का पानी रोके से नही रुक रहा था.बार-बार नज़र सुरेश के लवदे पर जाकर अटक रही थी. "उफ़फ्फ़," ऐसी सिसकारी निकल पड़ी. "काश ऐसे लंड से मेरी चुदाई हो जाती तो मैं निहाल हो जाऊं."उधर सुरेश का मान भी कुच्छ ऐसा ही सोच रहा था. "काश मेमसाहिबकी गौरी चूत चोदने को मिल जाए तो .. " तभी पीपे को आधा फिट किया तो शवर का पानी आना बंद हो गया. सो उसने रोमा से कहा, "मेमसाहिब, आप ज़रा यहाँ तबले पर खड़ी हो जाए तो मैं शवर को भी वापस चेक कर लू."रोमा तो लंड और चुदाई की सोच मे खोई हुई तबले पर खड़ी हो गयी. उसे होश ही नही था की उसकी भीगी हुई नाइटी से उसका पूरा जिस्म झाँक रहा है. बदन की कोई भी चीज़ छुपि हुई नही थी. उसकी मखमली झाँटे केवल उसकी चूत को हल्का सा उपर से केवल च्छुपाए हुई थी. जब उसने अपना हाथ बढ़ा कर पीपे को पकड़ा तो उसकी नाइटी भी उपर हो गयी. चूत जो तोड़ा बहुत झांतों से च्छूपी हुई थी वा भी बेपर्दा हो गयी. वासना की आग मे जलते हुए बदन की गर्मी पूरे बाथरूम मे तूफान ला दिया. सुरेश ने नीचे से यह नज़ारा देखा तो सुलग उठा. उसके सामने रोमा का नशीला बदन ही नाच रहा था. सुडोल बदन की मल्लिका, गड्राया हुआ सनडर बदन, गोल-गोल गाल, होंठ एसे की जेसे शहद से भारी दो पंखुड़ीयान, बॉल लूंबे-लंबे नितंब को छूते हुए, गर्दन सुराही की तरह, उरोज मुम...ंउम्मे भरे-भरे, दो कलश, गोल-गोल उभरे हुए सख़्त-सख़्त कसे हुए हापूस-आम. मलाई जैसा बदन, गुलाबी होत चूसने के लिया तैयार और न्योता देते हुए. चुची उठी हुई मस्त मस्त नाइटी से बाहर आने के लिए बेकरार. देखते ही लगता था हाथ बढ़ा कर दबा दो. कब इसे चोद पाऊँगा, कब इसकी चूत कोचूसूंगा, कब इसकी चुचियों को कस कर दब्ाओंगा, कब इसके होठों को चूस चूस कर मज़ा लूँगा, कब इसकी चूत मे मेरा लंड घुसेगा, और कब इसे कस कस कर दबोच पाऊँगा. आह हा, क्या माममे हैं - एकद्ूम ताने हुए मानो की कह रहे हों - आओ मुझे पकड़ लो, मुझे दब्ाओ, मुझे चूसो. होठों पर एक मुस्कुराहट सी खेल रहती है. गीला गीला गुलाबी जिस्म बुला रहे है की आओआ ना, मुझे चूसो ना. यह सोचते सोचते उससे रहा नही गया. उसने शवर को छ्चोड़ बाथटब से बाहर आ कर अपने होतो से उसकी चूत के होतो के साथ संगम कर लिया. "उफ़फ्फ़.. कितनी गरम है." रोमा चुदाई के सपने मे खोई हुई थी की उसे लगा की यह चूत मे अचानक वोल्टेज कैसे बढ़ गया. नीचे देखा तो सुरेश अपने होठों से उसकी चूत चूज़ रहा है. वो मान कड़ा कर बोली, "यह क्या कर रहे हो." सुरेश ने कुच्छ भी ना बोलते हुए उसकी चूत और उसके दाने को चूसना चालू रखा. रोमा विरोध करती रही लेकिन धीरे-धीरे उसका विरोध सिसकारीओं मे बदल गया. अब यह छूसा उसे शकून दे रही थी. शकून के साथ-साथ जिस्म मे एक आग भी भर रही थी.चूत पर से मुहन ना हटते हुए सुरेश ने रोमा को तबले से उतारकर बाथटब पर बैठा दिया. बाथटब पर बैठी हुई वा अपने हाथ से सुरेश का बॉल पकड़ कर उसे और ज़ोर से चूसने के लिए प्रेरित कर रही थी. उसकी सिसकारियाँ बड़ाती ही जेया रही थी. तभी उसके मुहन से निकलना शुरू हो गया, "एस.. एस.. ज़ोर से चूसो मेरी चूत को.. अफ .. जीभ पूरी अंदर डाल दो. एस... मेरी चूत की गर्मी पूरी तरह से शांत कर दो. चूसाते रहो.. आअहह.. मुझसे अब रहा नही जेया रहा है... अफ.. क्या ... एस... जीभ से ऐसे ही चोदो.. चूवसो..." सुरेश अपनी जीभ की स्पीड उसकी चूत मे बढ़ा दी. जब जीभ थोड़ी तक जाती तो अपने नाक से उसके दाने को सहलाने लगता. रोमा कीसिसकारियाँ चालू थी, "चाट मेरी चूत, छूतिए! खा जा मेरी रसभरी चूत को!" थोड़ी देर बाद सुरेश ने अपना अगला कदम बढ़ते हुए उसे बाथटब मे लिटा दिया और खुद उसकी बर्दास्त से बाहर होते हुए अपने लंड को रोमा के मुहन के सामने लहरा दिया. बाकी का काम रोमा ने खुद अपने हाथ ले लिया. सुरेश का 10" का पीपे उसके हाथो मे तड़प रहा था. हाथो से आयेज पिकचे करते हुए उसके लंड के सुपारे को जीभ से चाटने लगी. सुरेश का पूरा शरीर कांप उठा. गरम जीभ का स्पर्श पाते ही बदन का लहू `वन-वे' हो गया लॉड की तरफ. रोमा अपनी जीभ से उस मोटे लूंबे लॉड की लंबाई नाप रही थी. जीभ से उसके अंगूर को च्छेद रही थी. अब सुरेश से रहा नही जराहा था. वो एकदम काँपति हुई आवाज़ मे बोला, ""वाउ, मज़ा आ रहा है. छातो मेरे लंड को.. किसीने ऐसे चटा नही मेरे लंड को पहले. मेरे लंड को जन्नत मिल गयी, आज. ले चूस मेरे लंड को. मेरे लंड को पूरा मूह मे ले करचूसो." रोमा ने अपने होतो का एक गोल सर्कल बनाया और उसके लंड के केवलसुपरे को ही अंदर लिया. पूरा लंड लेना उसके बस की बात नही थी. वा रुक रुक कर तोड़ा तोड़ा लंड को मुहन मे ले रही थी. सुरेश एक दूं से बेसबरा हो रहा था. वा एक झटके से लंड को पूरा मुहन मे डालने के लिए एक धक्का मार दिया. रोमा ने तड़फते हुए लंड मुहन से निकाल दिया और खाँसते हुए बोली, "जालिम, पहले अपने लंड को तो देख. साला पूरा गढ़े जैसा है. पूरा मेरे मुहन मे कैसे जाएगा. तोड़ा रहम कर." सुरेश बोला, "अच्च्छा मेमसाहिब, अब धक्का नही दूँगा. मैं तोढ़ा ज़्यादा ही जोश मे आ गया था. लेकिन अब इसे चूसो. तड़फाव मत मुझे." रोमा उसके लंड को छत रही थी उपर से फव्वारे से पानी गिर रहा था. सुरेश को जन्नत का मज़ा मिल रहा था. तभी सुरेश को महसूस हुवा की अगर लंड को रोमा के मुहन से नही निकाला तो फव्वारे की तरह उसका लंड भी पानी फेंकने लगेगा. उसने रोमा को बाथटब मे लेटाकार उस पर छा गया और उसके मम्मे अपने हाथों से पकड़ एक को मुहन मे लेकर आम की तरह चूसने लगा. रोमा के मुहन से सिसकारी निकल गयी. सुरेश बगैर दंटो से नुकसान पहुँचाए उसके एक-एक करके दोनो उरजो को बरी-बरी से मुहन मे लेकर चूस रहा था. साथ मे बोलता भी जा रहाथा, "मेमसाहेब, तुम्हारे स्तन्नो का जवाब नहिन.....तुम्हरे बूब्स कितनेमलाई जिट्नी चिकान्य है....ऽउर तुम्हारे गुलाबी निपल्स... उफ्फ....इनेह तो मैं खा जाऊँगा." रोमा सिसकारी लेते हुए बोली, ""ही! और ज़ोर से मेरी चुची मसालो, इनको खूब दब्ाओ, दबा दबके इनका सारा रूस पी जाऊ. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. मेरे पूरे बदन मे नशा च्छा रहा है. ही मुझको इतनामज़ा कभी नही मिला. और दब्ाओ मेरी चुची को." सुरेश उसके मम्मे चुसते हुए अपने एक हाथ को उसके मुममे से सरकते हुए उसकी छूट के उपर हाथ से मालिश करने लगा. रोमा का जोश दुगुना हो गया. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी. जिनको सुनकर सुरेश का भी जोश बढ़ गया. उसका मुहन और दोनो हाथ की स्पीड डबल हो गयी. अपनी जीभ से उसकी कड़क हुई निपल्स को चूसने के साथ उसकी छूट और झांतों पर अपनी रग़ाद बढ़ा डी. आआह्ह्ह्ह......प्लेअसे आहिस्ता करो. रागडो मेरी चूत को.. आराम से करो.. मज़ा आ रहा है तुम ने क्या कर दिया है.. आज ऐसा पहली बार फील कर रही हून औरबहुत अछा लग रहा है.. हन ऐसे.. आराम से.. मगर रुकना मत.. करते रहो.. ऑश." लोहे को गरम होते देख सुरेश ने अब अपना हात्ोड़ा मारना ही अच्च्छा समझा. उसने रोमा को दीवाल के सहारे खड़ा कर उसके पीच्चे से अपने दोनो हाथो से उसके चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया. अफ... क्या गुदाज़किस्म के उसके चुतताड थे. ढूढ़ मे सिंदूरी कलर डाले हुए रंग के चूतड़. वो अपनी किस्मत पर यकीन ही नही कर पा रहा था. वाकई मेऐसी चूत और चूतड़ किस्मत वाले को ही मिलते है. उसने अपनी जीभ निकल कर उसके चूतड़ को चाटना चालू कर दिया. रोमा के मादक बदन मे एक सिहरन दौड़ गयी. उसका बदन का एक-एक रोया शिहर उठा. पूरे बदन मे बिजली कड़क रही थी. चूतड़ को छत-ते छत-ते अपनी जीभ को उसकी पीछे से उभर कर बाहर आई हुई चूत पर लगा दिया. जीभ चूत पर लगते ही रोमा के मुहन से "ओफ्फ्फ...ओफ्फ्फ" की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. अपनी जीभ को सुरेश ने धीरे धीरे आयेज बढ़ते हुए चूत की चुदाई अपनी जीभ से चालू कर डी. चोदना-चाटना, चोदना-चाटना, चोदना-चाटना यही कर रहा था अपनी जीभ से उसकी चूत को. "ऊवू माआ.. ओह आहाा.. यह क्या कर रहे हो, बहुत मज़ा आ रहा है और छातो, चूस डालो... पानी निकल दो इसका.... बहुत प्यासी है मेरी चूत," रोमा की लहराती हुई आवाज़ बाथरूम मे गूँज रही थी. मेरी प्यास बुझा दो, मुझे ठंडा करदो.. मेरा जिस्म बहुत जल रहा है.. कुच्छ कुच्छ हो रहा है मान मे, प्ल्ज़्ज़ मेरी आग बुझा दो मेरी.. प्ल्ज़्ज़." सुरेश ने उसकी रसीली चूत की छूसा कर उसे वैसे ही खड़ा रहने दिया और अपने सख़्त लंड को उसके चूतड़ पर दबाना शुरू कर दिया. लंड को एकदम नज़दीक देख उसकी चूत का पानी बहना चालू हो गया. चूत एकदम से जुवैसी हो गयी. अपने हाथ को पीछे ले कर सुरेश को अपने बदन से चिपका लिया. उसकी चूत की भूख अब बढ़ती ही जेया रही थी. अब उससे सहन नही हो पा रहा था. वो भड़क कर बोली, "उफ़फ्फ़... देख क्या रहे हो... चालू करो.... लगाओ अपने लंड कोनिशाने पर और मरो धक्का." सुरेश ने अपने लंड को उसकी चूत के निशाने पर ला तोड़ा सा धक्का दिया. आधा सुपरा लंड का चूत मे जेया कर फँस गया. दूसरा धक्का मारा तो उसके लंड का पूरा सुपरा उसकी चूत मे जेया कर धँस गया. तीसरा धक्का मारा तो आधा लंड उसकी गुफा मे गायब हो गया. साथ ही रोमा की आनंद भारी चीख भी निकल गयी. "है.... क्या लंड हैतुम्हारा.... एक दूं से तगड़ा.... अफ ..... वाकई मे ही... जैसे कोई गरम गरम हात्ोड़ा जाकर मेरी चूत मे फँस गया हो." अब सुरेश ने अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए. खड़े होने की वजह से पूरा लंड तो अंदर नही जा रहा था लेकिन जितना भी जा रहा था वा रोमा की चूत मे खलबली ज़रूर मचा रहा था. थोड़ी देर इस तरह डक्के मरने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और रोमा को बाथरूम के फर्श पर लेता कर अपने लंड को उसके मुहन मे डाल दिया. रोमा ने गॅप से उसको मुहन मे ले लिया. थोड़ी देर चूसने के बाद बाहर निकाल उसके लंड को हाथ से पकड़ सुरेश को कहा, "प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत मैं डाल दो. मुझे और मत तड़पाव ज़ालिम. मुझे चोदो, मैं तुम्हारे लंड की दीवानी बन गयी हून. अपने लंड से मेरी चूत की प्यास भुझाओ." सुरेश ने उसकी जाँघो को चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया. फिर कस कर एक धक्का मारा. लंड उसकी रस से भारी हुई उसकी चूत की अंदर वाली दीवार से सीधा जा टकराया. रोमा तो एक बार पूरी तरह कांप गयी. लंड को बाहर निकाल वापस धक्का मारा तो उसकीसिसकारी निकलनी चालू हो गयी. "अफ... आह..." सुरेश अपनी फुल स्पीड से उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था. रोमा बड़बड़ा रही थी, "ऑश... क्या चोद रहे हो तुम.... वाकई मे मेरी चूत धान्या हो रही है... तुम्हारी चुदाई से.... उफ़फ्फ़.... मेरी चूत को आज चोद-चोद कर खूब रगड़ाई करो.... ह.... चोदो.... चोदो.... और चोदो.... चोदते ही जाओ." "हन रानी.... खूब छोड़ूँगा तुझे आज...तुम्हरि जी भर की कसर निकालूँगा आज मे....लो संभलो मेरे लंड को.....उफ्फ्फ....तुम्हरि चूत..... क्या नाज़ुक है....तुम्हरे संतरों का भी जवाब नहि....उफ्फ क्या चुचिया है तुम्हरि...ऽअज तुझे ऐसा चोदुन्गा मैं की जिंदगी भर याद रखोगी." धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी. दोनो मदहोश हुए चुदाई मे लगे हुए थे. घचा-घच....फच-फॅक. दोनो आँखो से एक-दूसरे को देखते हुए एक दूसरे मे ज़्यादा से ज़्यादा सामने की कोशिश मे लगे हुए थे. लंड अंदर जाता फिर बाहर आकर दुगने जोश से वापस अंदर चला जाता. चूत उसका तोड़ा उपर उठके स्वागत करती फिर गुप से उसको अपने अंदर समा लेती. रोमा की चीखें बढ़ती गयी, "राजा चोदो मुझे. और तेज.. और ज़ोर्से... चोदो. उउफ़फ्फ़, ऑश, आहह, उउई मया, मार गयी मैं आज. फार दो मेरी चूत को.... और ज़ोर से चोदो मुझे..ऽप्ने लंड से फाड़ दो मेरी चूत को... मुजको अपना बनलो.... चोदो मुझको... ज़ोर से छोड़ो... प्लेअसे.....इस्को अंदर तक चोदते रहो....ऊईए...उफ्फ... कितना मोटा लंड है, ऐसा लगता है की गधे का लंड हो...ंउझे ऐसा लगा रहा है की मैं पहली बार चूदि हुन....तुम बहुत मज़े का चोद्ते हो." सुरेश अपने लंड को तोड़ा निकाल उसकी जाँघो को और फैला कर उसकी चूत की चुदाई चालू कर डी. अंदर तक जेया रहे लंड से अब उसकी चूत पिघलने को त्यार हो गयी. रोमा ने अपनी टॅंगो से उसकी टॅंगो को एकद्ूम से जाकड़ लिया और बड़बड़ाई, एस्स... मेरे राजा... चोदो मुझे....उफ्फ्फ...ऽउर...ऽउर....ऽह्ह्ह...ंएर पानि...्ऐईइ..ंएर पानी निकालने वाला है....रज.... चोद...ंएर पानी निक्ल....्आन...ंइक्ल....्आन....ंइकल गया." सुरेश के साथ एक-दूं से छिपात कर अपनी चूत के पानी से उसके लंड को सींच ही रही थी की लंड ने भी अपना फव्वारा छ्चोड़ दिया. चूत और लंड का मिलन अपने चरम पर पाहूंछ गया. दोनो एक दूसरे की बाहों मे खोते हुए निढाल हो कर फर्श पर ही लेट गये. थोड़ी देरबाद सुरेश उठा और अपनी नज़रे रोमा की आँखों मे गाड़ते हुए बोला, "मेमसाहिब ये चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी." रोमा ने भी कहा,"और नही चोदोगे मुझे." "नही मेमसाहिब, अब दूकान पर जाना होगा. नही तो सेठ को बोलना भारी पड़ेगा मुझे." इच्च्छा नही होते हुए भी सुरेश को विदा करने रोमा उठ खड़ी हुई. सुरेश खड़ा होकर अपने कपड़े पहने और रोमा को चूमता हुवा बाथरूम से बाहर निकल गया. मैं-डोर पर फिर बगैर कपड़ों मे खड़ी रोमा को अपनी बाहों मे समेत-ते हुए उसके होठों को चूमा, चुचियो को सहलाया, चूत को मसला. रोमा भी उसकी बाहों से अपने एक हाथ को फ्री कर पंत के उपर से ही उसके लंड को मसालने लगी. लंड झत्ट से खड़ा हो गया. खड़े हुए लंड ने रोमा के हाथों मे फुर्ती ला दी. और ज़ोर से मसालने लगी और बोली, "देखो इसे. इसको अभी नही जाना है." फिर नीचे बैठ कर उसके लंड को पंत की चैन खोल कर बाहर निकाल ली और चूसने लग गयी. लंड मुहन मे जाते ही उच्छल कूद मचाने लगा. अपनी पंत को नीचे खिसका कर रोमा को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी नाज़ुक चूत मे पेल दिया. रोमा की जान मे जान आई. उसकी चूत लंड खाने को ही उतावली थी और उसे लंड मिल गया. "ही, मेरे चोदु राजा, मे कब से अपनी चूत मे तुम्हारे लंड के धक्के खाने के लिए तड़प रही हूँ, और तुम दुकान का बहाना बना रहेथे. अगर एक बार ही हमे चुदाना होता तो मे क्यों तेरे घोड़े के लंड जैसे लंड से अपनी चूत फड़वति. अब ज़ोर ज़ोर से चोद मुझे." सुरेश ने अपने लंड से उसकी चूत की कस कस कर चुदाई चालू रखी. थोड़ी देर मे ही रोमा का पानी निकलना चालू हो गया. लेकिन सुरेश का लंड नही झाड़ा. तो रोमा ने उसके लंड को चूत से निकाल कर अपने मुहन मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी छूसा के बाद जब सुरेश बड़बड़ाने लगा, "आहह... चूसो मेरे लंड को.... आहह... और ज़ोर से ... अफ ... मेरे लंड का पानी निकालने वाला है.... चूसो... चूवसूओ....." तभी रोमा ने उसके लंड को मुहन से बाहर निकाल अपने हाथ से उसके लंड को पेलने लग गयी. सुरेश ने गहरी साँस लेते हुए अपना पानीरोमा के चेहरे और मुममे पर डालना शुरू कर दिया. जब पानी पूरी तरह से झाड़ गया तो एक दूसरे को चूमते हुए एक-दो मिनिट तक दोनो आपस मे लिपटे हुए खड़े रहे. फिर सुरेश कपड़े पहन कर चला गया. रोमा अब बहुत खुश थी. उसकी चूत की फिसर्ट क्लास चुदाई हुई थी. कपड़े पहन रूम मे सोने चली गयी. आँख खूली तो शाम हो चुकी थी. थोड़ी देर बाद घंटी बाजी. गाते खोला तो सामने लीना खड़ी थी. "आज हॉस्पिटल मे डॉक्टर ने किसिके भी रुकने से माना कर दिया है," लीना ने घुसते हुए कहा. "क्यों. जीजू भी नही जाएँगे वहाँ." "नही. जीजू वहाँ जाकर थोड़े लाते आएँगे. लेकिन तुम्हारे चेहरे पर सुस्ती क्यो च्छाई हुई है," लीना ने पूचछा. "नही ऐसी कोई बात नही है. ज़रा नींद लग गैट ही. अभी अभी उठी हून," रोमा ने जवाब दिया. फिर दोनो एक साथ नास्टा कर क ईक ही बेड पर लेट गये. बातों बातों मे ही रोमा ने सुबह वाला किस्सा प्लमबर का सुना दिया. लीना एक अर्थ- पूर्णा मुस्कराहट से रोमा को देखने लगी.
एंड ऑफ दा पार्ट टू






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