गहरी चाल पार्ट--3
पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे सवेरे 7 बजे कानो मे इपॉड लगाए कामिनी भागी जा रही थी.उसने काले रंग की टी-शर्ट & ट्रॅक पॅंट पहनी थी,जोकि उसके बदन से चिपकी हुई थी.इस लिबास मे उसके बदन की गोलाइयाँ कुच्छ ज़्यादा उभर रही थी & सवेरे की सैर कर रहे बूढ़े & बाकी जॉगर्स को ललचा रही थी. उनकी निगाहो से बेपरवाह कामिनी जॉगिंग कर रही थी कि तभी उसके बगल मे जॉगिंग करते 1 शख्स ने उसके कंधे पे हाथ रखा,"हेलो!" कामिनी ने भागते हुए गर्दन घुमाई & उसके रसीले होंठो पे मुस्कान खिल उठी,उसने कान से इपॉड के प्लग्स निकाले,"हेलो!मिस्टर.मेहरा.",पा
र्टी की रात को 1 हफ़्ता बीत चुका था & कामिनी को ये मलाल था कि उसने करण से उस दिन ज़्यादा बातचीत क्यू नही की-हो सकता था ऐसा करने से अगली मुलाकात का कोई रास्ता खुल जाता.इसीलिए करण को देख उसे बहुत खुशी हुई. "प्लीज़,ये मिस्टर.मेहरा मत कहिए केवल करण कहिए,कामिनी जी.लगता है जैसे जॉगिंग नही,ऑफीस मे बैठा कोई मीटिंग कर रहा हू!" "ओके.तो आप भी मुझे कामिनी जी नही,केवल कामिनी कह के पुकारेंगे.",कामिनी हंस पड़ी. "ओके.डन!",उसने अपना हाथ कामिनी की ओर बढ़ाया & कामिनी ने अपना हाथ आगे कर उस से हाथ मिला लिया. "कामिनी,आपको पहले यहा नही देखा?" "मैं कभी-कभार ही आती थी,पर अभी 3 दिन पहले तय किया की रोज़ आऊँगी,कुच्छ वर्ज़िश तो होनी चाहिए ना!वरना तो दिन भर कुर्सी पे बैठे रहो." "बिल्कुल सही सोचा है आपने.अगर बिज़्नेस टूर पे ना राहु,तो मैं तो यहा रोज़ आता हू." "यानी की अब आप से रोज़ मुलाकात होगी ?" "बिल्कुल." ------------------------------------------------------------------------------- आज किसी केस की सुनवाई नही थी,इसीलिए कामिनी अपने ऑफीस जाने के लिए तैय्यार हो रही थी.काली पॅंट पे नीले रंग की धारियो वाली फॉर्मल शर्ट डाल कर वो आईने मे देखती हुई उसके बटन लगा रही थी.उसकी निगाह तो शीशे पे थी पर दिमाग़ मे सवेरे कारण से हुई मुलाकात घूम रही थी. कारण टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग करने आया था & उस से बाते करते वक़्त कामिनी चोर निगाहो से उसकी पुष्ट जंघे & बालो भारी टाँगो को देख रही थी.1 बार जब कारण उस से थोडा आगे हो गया तो उसकी नज़र उसकी कसी गंद पे पड़ी तो उसके दिमाग़ मे अचानक 1 तस्वीर उभरी की वो उसकी चूत मे अपना लंड घुसाए उसके उपर पड़ा है & वो उसकी गंद को अपने हाथो से मसल्ते हुए अपने नाख़ून उसमे गढ़ा रही है. शर्ट का आख़िरी बटन लगाते ही उसका मोबाइल बजा & वो अपने सपने से बाहर आई & उसकी निगाह शीशे मे अपने अक्स से जा मिली & शर्म की लाली उसके चेहरे पे फैल गयी-कैसी,कैसी बाते सोच रही थी वो! अपनेआप पे मुस्कुराते हुए उसने मोबाइल उठा कर देखा,उसकी सेक्रेटरी रश्मि फोन कर रही थी,"हेलो,रश्मि.कहो क्या बात है?" "गुड मॉर्निंग,मॅ'म.अभी मिस्टर.षत्रुजीत सिंग की सेक्रेटरी का फोन आया था,वो अपने बॉस के लिए इम्मीडियेट अपायंटमेंट माँग रही थी.मैने तो कह दिया कि अभी तो 2-3 दीनो तक मुश्किल है पर वो मान ही नही रही.वैसे अगर चाहे,मॅ'म तो आज दोपहर 12 बजे का टाइम मैं उन्हे दे सकती हू.अब बताएँ क्या करना है?" "ह्म्म..ज़रा सोचने दो..",आख़िर ये शत्रुजीत सिंग को उस से क्या काम आन पड़ा?..& वो भी इतनी अर्जेन्सी किस बात की है..?,"..रश्मि.." "जी,मॅ'म." "उन्हे आज 12 बजे का टाइम दे दो." "ओके,मॅ'म." "..& मुकुल आ गया?" "जी,अपनी टेबल पे कुच्छ काम रहा है." "ठीक है.उस से कहना विद्या खन्ना वाले केस की डीटेल्स रेडी रखे.मैं बस आधे घंटे मे पहुँचती हू." "ओके,मॅ'म.मैं अभी कह देती हू." ------------------------------------------------------------------------------- उधर घड़ी ने 12 बजाए & इधर रश्मि ने कामिनी को इंटरकम पे शत्रुजीत सिंग के आने की खबर दी.आदमी वक़्त का पाबंद था & ये बात कामिनी को बहुत अच्छी लगी.वक़्त की कद्र ना करने वालो से उसे बहुत चिढ़ होती थी. दरवाज़ा खुला & शत्रुजीत सिंग 2 और लोगो के साथ उसके कॅबिन मे दाखिल हुआ,"हेलो,मिस.शरण." "हेलो,मिस्टर.सिंग & यू कॅन कॉल मी कामिनी.प्लीज़ बैठिए.",उसने खड़े होकर उसके साथ आए बाकी 2 लोगो का भी सर हिला के अभि वादन किया & अपने डेस्क के दूसरी तरफ रखी कुर्सियो की तरफ इशारा किया. "थॅंक यू.",शत्रुजीत & उसके साथ आए दो लोगो मे से बुज़ुर्ग सा दिखने वाला शख्स तो बैठ गया पर वो तीसरा आदमी खड़ा ही रहा."ये हैं मिस्टर.जयंत पुराणिक,हमारे ग्रूप को यही चलाते हैं.मैं तो बस नाम का मलिक हू,ग्रूप की असली कमान तो अंकल जे के हाथो मे है." "हेलो,सर.",कामिनी ने पुराणिक की ओर देखा,वो 1 50-55 बरस का शख्स था जिसके बॉल पूरे के पूरे सफेद हो चुके थे.चेहरे पे 1 बहुत सौम्य मुस्कान थी.ग्रे सूट & नीली शर्ट मे बैठे पुराणिक को देख कामिनी को ऐसा लगा जैसे कि वो 1 यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के सामने बैठी है.उसे वो 1 निहायत ही शरीफ & समझदार इंसान लगा. "हेलो,मिस.शरण.",जवाब मे पुराणिक मुस्कुराए. "..और ये है पाशा,अब्दुल पाशा,मेरा छ्होटा भाई..",कामिनी चौंकी पर उसने अपने चेहरे पे कोई भी ऐसा भाव आने नही दिया...दोनो अलग-2 मज़हब के थे और भाई!पर खैर उसे क्या करना था इस बात से.. "हेलो,मिस्टर.पाशा.",उसने उस इंसान की तरफ देखा.25-26 साल का बहुत गोरा,खूबसूरत जवान,उसके बॉल गर्दन तक लंबे थे & चेहरे पे हल्की दाढ़ी थी.कद तो शायद शत्रुजीत से भे 2-3 इंच ज़्यादा ही था & बदन भी उसी के जैसा कसरती.उसने सफेद शर्ट & डीप ब्लू जीन्स पहन रखी थी.शर्ट की बाज़ुएँ कोहनियो तक मूडी थी & उसकी मज़बूत बाहे सॉफ दिख रही थी. कामिनी 1 बेहद निडर लड़की थी पर पाशा को देख उसे थोडा डर महसूस हुआ.कारण था पाशा की हरी आँखें-झील के रंग की आँखे.पर किसी बर्फ़ीली झील की तरह बिल्कुल ठंडी थी वो आँखे,लगता था जैसे खून जमा देंगी. "हेलो.",पाशा ने जवाब दिया. "कहिए क्या काम आ पड़ा मुझसे?" "कामिनी जी,मैं आपके पास 1 रिक्वेस्ट करने आया हू." "हां,हां.कहिए.",उसका चपरासी कोल्ड ड्रिंक के ग्लास लाकर टेबल पे रख रहा था.उसने उस खड़े हुए शख्स को भी 1 ग्लास दिया पर उसने सर हिलाकर मना कर दिया. "मैं चाहता हू कि आप हमारे ग्रूप की लीगल आड्वाइज़र बन जाएँ." "पर चंद्रा सर तो ऑलरेडी आपके आड्वाइज़र हैं?" "आपको शायद याद नही,कामिनी.मैने उस दिन पार्टी मे आपसे कहा था कि उनकी तबीयत अब ठीक नही रहती तो वो अब हमारे केसस नही देख पाते.आपका नाम भी उन्होने ही हमे सुझाया है." "अगर सर ने कहा है तब तो मैं मना नही कर सकती पर फिर भी मुझे 2 दिन की मोहलत दीजिए थोड़ा सोचने के लिए." "ज़रूर.टेक युवर टाइम...तो हम चले?आप फ़ैसला लेके मुझे खबर कर दीजिएगा." "ओके,मिस्टर.सिंग & आइ मस्ट से आइ'एम होनोरेड बाइ युवर ऑफर." "थॅंक यू,कामिनी.",शत्रुजीत ने अपना हाथ आगे किया तो कामिनी ने उसे थाम लिया.1 बार फिर उस बड़े से हाथ मे उसका कोमल हाथ खो गया & उसके बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी. "खुश रहो,बेटी.आओ बैठो",कामिनी ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पाँव च्छुए.षत्रुजीत के जाने के बाद ही उसने फ़ैसला कर लिया था कि आज वो चंद्रा साहब से मिलने उनके घर ज़रूर जाएगी. "आंटी कहा हैं,सर?",कामिनी सोफे पे बैठ गयी. "मैं यहा हूँ,आज याद आई हमारी !",चंद्रा साहब की पत्नी ड्रॉयिंग हॉल मे दाखिल हुई तो कामिनी ने उठ कर उनके भी पाँव च्छुए. "जीती रहो.",उसका हाथ पकड़ उन्होने बड़े सोफे पे उसे अपने साथ बिठा लिया. "सॉरी,आंटी.सोच तो बहुत दीनो से रही थी पर हुमेशा कुच्छ ना कुच्छ काम बीच मे आ जाता था.मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था कि मैं अभी तक सर का हाल पुच्छने नही आ सकी." "मेरा हाल क्या पूच्छना,बेटी.बुढ़ापे मे ये सब तो लगा ही रहता है.और अपनी आंटी की बातो पे ज़्यादा ध्यान मत दो,मैं समझता हूँ तुम्हारी परेशानी." "हां भाई.अपनी आंटी की बात पे नही केवल अपने सर की बात पे ध्यान देना!"चंद्रा साहब & कामिनी हँसने लगे. "कामिनी,आज का खाना तुम यही खओगि.",नौकर शरबत & कुच्छ नाश्ता रखा गया था.म्र्स.चंद्रा ने कामिनी लो शरबत का ग्लास बढ़ाया. "नही,आंटी.आप बेकार मे परेशान होंगी." "चुप चाप से बैठी रह!इतने दिन बाद आई है & बस 5 मिनिट मे भागना चाहती है.ज़्यादा नखरे करेगी तो फिर सवेरे के नाश्ते के बाद ही जाने दूँगी.",1 बार फिर ड्रॉयिंग हॉल मे हँसी का शोर गूँज उठा. "तो शत्रुजीत ने तुम्हे ऑफर दे ही दिया?",चंद्रा साहब दोनो औरतो के साथ खाने की मेज़ पे बैठे थे & नौकर सबको खाना परोस रहा था. "..उसने ठीक कहा कामिनी,मैने ही उसे तुम्हारा नाम सुझाया था." "सर,मैने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी आज तक नही उठाई है.1 पूरे बिज़्नेस हाउस को क़ानूनी मशविरे देना..मुझे नही लगता मैं ये कर पाऊँगी.",रीमा ने 1 नीवाला मुँह मे डाला. "हर बड़े काम के पहले ऐसा ही लगता है,बेटी.पर ये इस बात का इशारा होता है कि हम उस काम को करते वक़्त पूरी तरह से मुस्तैद रहेंगे कि कही हमसे कोई ग़लती ना हो जाए.कुच्छ लोग इस घबराहट के मारे काम को हाथ नही लगाते पर वो चंद लोग जो इस घबराहट के बावजूद काम करने का बीड़ा उठाते हैं,वो ज़रूर कामयाब होते हैं." "सर,मैं आपकी बात मान कर शत्रुजीत सिंग को हाँ तो कर दू,लेकिन मैं उसके बारे मे बिल्कुल नही जानती कि आख़िर वो किस तरह का इंसान है & उसके काम करने का ढंग कैसा है." "मुझे तो वो 1 नंबर का अय्याश लगता है,इतने शरीफ बाप का ऐसा बिगड़ा बेटा!",म्र्स.चंद्रा कामिनी के प्लेट मे थोड़ी सब्ज़ी डालते हुए बोली. "वो उसकी ज़ाति ज़िंदगी है,उस से उसके वकील का क्या लेना-देना,भाई!",चंद्रा साहब ने पानी का घूँट भरा,"..कामिनी,मैं अमरजीत सिंग को काफ़ी करीब से जानता था,वो 1 बहुत शरीफ & सच्चे इंसान थे.देखो,इतना बड़ा बिज़्नेस चलाने मे 1 इंसान को नियमो को तोड़ना नही मरोड़ना पड़ता है,वो भी करते थे मगर फिर भी मैं यही कहूँगा की वो 1 ईमानदार & सच्चे इंसान थे." "मैं आपका मतलब नही समझी." "बेटी,अगर नियमो को तोड़ेंगे तो आज नही तो कल सज़ा भी भुगतनी पड़ेगी,है ना?" कामिनी ने हां मे सर हिलाया. "..तो 1 अच्छा बिज़्नेसमॅन वो है जोकि नियमो को तोड़े नही बस उन्हे मोड अपने फ़ायदे के लिए.इस बात को इस तरह से समझो-अगर रास्ते मे ट्रॅफिक जाम है तो तुम क्या करोगी उस रास्ते को छ्चोड़ किसी & रास्ते को पाक्ड़ोगी & जाम से बच कर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ोगी." अब कामिनी की समझ मे उसके गुरु की बात आ गयी. "..तो अमरजीत सिंग 1 बहुत अच्छे बिज़्नेसमॅन थे पर उन्होने आज तक ना कभी झूठ बोला ना कभी किसी को धोखा दिया.हम वकील क्या चाहते हैं?यही ना की हुमारा मुवक्किल हमे पूरी सच्चाई बताए ताकि हम उसकी पूरी तरह से मदद कर सके तो कामिनी,अमरजीत सिंग ऐसे ही मुवक्किल थे." "..अब उनके बेटे के बारे मे मैं भी सुनता रहता हू कि वो अय्याश है,मगर जब से उसने त्रिवेणी ग्रूप जाय्न किया है,तब से मैने उसे भी करीब से देखा है & ये जाना है कि उसने अपने बाप के सारे गुण विरासत मे पाए हैं.उन्ही की तरह उसकी भी सबसे बड़ी ख़ासियत है उसकी सच्चाई." "बेटी,वो अपनी ज़ाति ज़िंदगी मे क्या करता है,उस से तुम्हे क्या लेना है?तुम्हे उसके बिज़्नेस से जुड़े क़ानूनी केसस मे उसकी मदद करनी है.अगर तुम उसका ऑफर कबूल करती हो,मैं यकीन से कहता हू जैसे उसके पिता मेरे लिए 1 आदर्श मुवक्किल थे वो भी तुम्हारे लिए वोही साबित होगा." "..& हां,1 बात और.अमरजीत सिंग संसद मे पंचमहल के एंपी थे.मैने कुच्छ उड़ती हुई ख़बरे सुनी है कि उनकी पार्टी चाहती है कि उनकी जगह उनके बेटे शत्रुजीत को एंपी का चुनाव लड़ने का टिकेट दिया जाय...& जहा तक मैं समझता हू,शत्रुजीत भी ऐसा चाहता है,आख़िर ये उसके बिज़्नेस के लिए भी फयदेमंद होगा.अगर ऐसा होता है,तब तुम्हारा काम थोड़ा पेचीदा हो सकता है." "वो कैसे,सर?",खाना ख़त्म हो चुका था & अब म्र्स.चंद्रा उसे खीर परोस रही थी. "बिज़्नेस मे शत्रुजीत को उसके बिज़्नेस रिवल्स से परेशानियो का सामना करना पड़ सकता है.पर ये आसान बात है,वो जानता है की उसके रिवल्स कौन हैं तो तुम्हारे लिए भी उनके खड़े किए हुए क़ानूनी रुकावतो को दूर करना आसान होगा." "..लेकिन बेटा अगर शत्रुजीत चुनाव लड़ने को तैय्यार हो जाता है,तो केवल विरोधी पार्टी वाले उसके लिए रुकावते नही खड़ी करेंगे बल्कि ऐसा भी हो सकता है कि कुच्छ उसकी अपनी पार्टी के लोग भी उसकी परेशानियो का सबब बने.आख़िर पॉलिटिक्स मे तो ये आम बात है-पता नही कौन आपसे कब नाराज़ हो जाए & फिर आपकी जड़े काटने की कोशिश करने लगे." चंद्रा साहब ने बिल्कुल सही कहा था.1 ऐसा शख्स था जोकि शत्रुजीत सिंग से बहुत नाराज़ था. क्रमशः....................
-- साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--3 Panchmahal Sports Complex ke jogging track pe savere 7 baje kano me ipod lagaye Kamini bhagi ja rahi thi.usne kale rang ki t-shirt & track pant pahni thi,joki uske badan se chipki hui thi.is libas me uske badan ki golaiyaan kuchh zyada ubhar rahi thi & savere ki sair kar rahe budhe & baki joggers ko lalcha rahi thi. unki nigaho se beparvah kamini jogging kar rahi thi ki tabhi uske bagal me jogging karte 1 shakhs ne uske kandhe pe hath rakha,"hello!" kamini ne bhagte hue gardan ghumai & uske rasile hotho pe muskan khil uthi,usne kaan se ipod ke plugs nikale,"hello!Mr.Mehra.",party ki raat ko 1 hafta beet chuka tha & kamini ko ye malal tha ki usne Karan se us din zyada baatchit kyu nahi ki-ho sakta tha aisa karne se agli mulakat ka koi rasta khul jata.isiliye karan ko dekh use bahut khushi hui. "please,ye mr.mehra mat kahiye kewal karan kahiye,kamini ji.lagta hai jaise jogging nahi,office me baitha koi meeting kar raha hu!" "ok.to aap bhi mujhe kamini ji nahi,kewal kamini kah ke pukarenge.",kamini hans padi. "ok.done!",usne apna hath kamini ki or badhaya & kamini ne apna hath aage kar us se hath mila liya. "kamini,aapko pehle yaha nahi dekha?" "main kabhi-kabhar hi aati thi,par abhi 3 din pehle tay kiya ki roz aaoongi,kuchh varjish to honi chahihye na!varna to din bhar kursi pe baithe raho." "bilkul sahi socha hai aapne.agar business tour pe na rahu,to main to yaha roz aata hu." "yani ki ab aap se roz mulakat hogi ?" "bilkul." ------------------------------------------------------------------------------- aaj kisi case ki sunwai nahi thi,isiliye kamini apne office jane ke liye taiyyar ho rahi thi.kali pant pe neele rang ki dhariyo wali formal shirt daal kar vo aaine me dekhti hui uske button laga rahi thi.uski nigah to sheeshe pe thi par dimagh me savere karan se hui mulakat ghum rahi thi. karan t-shirt & shorts me jogging karne aaya tha & us se baate karte waqt kamini chor nigaho se uski pusht janghe & baalo bhari taango ko dekh rahi thi.1 baar jab karan us se thoda aage ho gaya to uski nazar uski kasi gand pe padi to uske dimagh me achanak 1 tasveer ubhari ki vo uski chut me apna lund ghusaye uske upar pada hai & vo uski gand ko apne hatho se masalte hue apne nakhun usme gada rahi hai. shirt ka aakhiri button lagate hi uska mobile baja & vo apne sapne se bahar aayi & uski nigah sheeshe me apne aks se ja mili & sharm ki lali uske chehre pe phail gayi-kaisi,kaisi baate soch rahi thi vo! apneaap pe muskurate hue usne mobile utha kar dekha,uski secretary Rashmi phone kar rahi thi,"hello,rashmi.kaho kya baat hai?" "good morning,ma'am.abhi Mr.Shatrujeet Singh ki secretary ka phone aaya tha,vo apne boss ke liye immediate appointment maang rahi thi.maine to kah diya ki abhi to 2-3 dino tak mushkil hai par vo maan hi nahi rahi.vaise agar chahe,ma'am to aaj dopahar 12 baje ka time main unhe de sakti hu.ab batayen kya karna hai?" "hmm..zara sochne do..",aakhir ye shatrujeet singh ko us se kya kaam aan pada?..& vo bhi itni urgency kis baat ki hai..?,"..rashmi.." "ji,ma'am." "unhe aaj 12 baje ka time de do." "ok,ma'am." "..& Mukul aa gaya?" "ji,apni table pe kuchh kaam raha hai." "thik hai.us se kehna vidya khanna vale case ki details ready rakhe.main bas aadhe ghante me pahunchti hu." "ok,ma'am.main abhi kah deti hu." ------------------------------------------------------------------------------- udhar ghadi ne 12 bajaye & idhar rashmi ne kamini ko intercom pe shatrujeet singh ke aane ki khabar di.aadmi waqt ka paband tha & ye baat kamini ko bahut achhi lagi.waqt ki kadr na karne valo se use bahut chidh hoti thi. darwaza khula & shatrujeet singh 2 aur logo ke sath uske cabion me dakhil hua,"hello,Ms.Sharan." "hello,Mr.Singh & you can call me kamini.please baithiye.",usne khade hokar uske sath aaye baki 2 logo ka bhi sar hila ke abhi vadan kiya & apne desk ke dusri taraf rakhi kursiyo ki taraf ishara kiya. "thank you.",shatrujeet & uske sath aaye do logo me se buzurg sa dikhne wala shakhs to baith gaya par vo teesra aadmi khada hi raha."ye hain Mr.Jayant Puranik,humare group ko yahi chalate hain.main to bas naam ka malik hu,group ki asli kaman to uncle jay ke hatho me hai." "hello,sir.",kamini ne puranik ki or dekha,vo 1 50-55 baras ka shakhs tha jiske baal pure ke pure safed ho chuke the.chehre pe 1 bahut saumya muskan thi.grey suit & neeli shirt me baithe puranik ko dekh kamini ko aisa laga jaise ki vo 1 university professor ke samne baithi hai.use vo 1 nihayat hi sharif & samajhdar insan laga. "hello,Ms.Sharan.",jawab me puranik muskuraye. "..aur ye hai Pasha,Abdul Pasha,mera chhota bhai..",kamini chaunki par usne apne chehre pe koi bhi aisa bhav aane nahi diya...dono alag-2 mazhab ke the aur bhai!par khair use kya karna tha is baat se.. "hello,mr.pasha.",usne us insan ki taraf dekha.25-26 saal ka bahut gora,khubsurat javan,uske baal gardan tak lambe the & chehre pe halki dadhi thi.kad to shayad shatrujeet se bhe 2-3 inch zyada hi tha & badan bhi usi ke jaisa kasrati.usne safed shirt & deep blue jeans pahan rakhi thi.shirt ki bazuen kohniyo tak mudi thi & uski mazboot baahe saaf dikh rahi thi. kamini 1 behad nidar ladki thi par pasha ko dekh use thoda darr mehsus hua.karan tha pasha ki hari aankhen-jheel ke rang ki aankhe.par kisi barfeeli jheel ki tarah bilkul thandi thi vo aankhe,lagta tha jaise khoon jama dengi. "hello.",pasha ne jawab diya. "kahiye kya kaam aa pada mujhse?" "kamini ji,main aapke paas 1 request karne aaya hu." "haan,haan.kahiye.",uska chaprasi cold drink ke glass lakar table pe rakh raha tha.usne us khade hue shakhs ko bhi 1 glass diya par usne sar hilakar mana kar diya. "main chahta hu ki aap humare group ki legal advisor ban jayen." "par Chandra sir to already aapke advisor hain?" "aapko shayad yaad nahi,kamini.maine us din party me aapse kaha tha ki unki tabiyat ab thik nahi rahti to vo ab humare cases nahi dekh pate.aapka naam bhi unhone hi hume sujhaya hai." "agar sir ne kaha hai tab to main mana nahi kar sakti par fir bhi mujhe 2 din ki mohlat dijiye thoda sochne ke liye." "zaroor.take your time...to hum chale?aap faisla leke mujhe khabar kar dijiyega." "ok,mr.singh & i must say i'm honored by your offer." "thank you,kamini.",shatrujeet ne apna hath aage kiya to kamini ne use tham liya.1 bar fir us bade se hath me uska komal hath kho gaya & uske badan me jhurjhuri si daud gayi. "Khush raho,beti.aao baitho",Kamini ne Advocate Santosh Chandra ke paanv chhue.Shatrujeet ke jane ke baad hi usne faisla kar liya tha ki aaj vo Chandra sahab se milne unke ghar zaroor jayegi. "aunty kaha hain,sir?",kamini sofe pe baith gayi. "main yaha hoon,aaj yaad aayi humari !",chandra sahab ki patni drawing hall me dakhil hui to kamini ne uth kar unke bhi paanv chhue. "jiti raho.",uska hath pakad unhone bade sofe pe use apne sath bitha liya. "sorry,aunty.soch to bahut dino se rahi thi par humesha kuchh na kuchh kaam beech me aa jata tha.mujhe bhi bahut bura lag raha tha ki main abhi tak sir ka haal puchhne nahi aa saki." "mera haal kya poochhna,beti.budhape me ye sab to laga hi rahta hai.aur apni aunty ki baato pe zyada dhyan mat do,main samajhta hoon tumhari pareshani." "haan bhai.apni aunty ki baat pe nahi kewal apne sir ki baat pe dhyan dena!"chandra sahab & kamini hansne lage. "kamini,aaj ka khana tum yahi khaogi.",naukar sharbat & kuchh nashta rakha gaya tha.mrs.chandra ne kamini lo sharbat ka glass badhaya. "nahi,aunty.aap bekar me pareshan hongi." "chup chap se baithi rah!itne din baad aayi hai & bas 5 minute me bhagna chahti hai.zyada nakhre karegi to fir savere ke nashte ke baad hi jane doongi.",1 bar fir drawing hall me hansi ka shor goonj utha. "to shatrujeet ne tumhe offer de hi diya?",chandra sahab dono aurato ke sath khane ki mez pe baithe the & naukar sabko khana paros raha tha. "..usne theek kaha kamini,maine hi use tumhara naam sujhaya tha." "sir,maine itni badi zimmedari aaj tak nahi uthai hai.1 pure business house ko kanooni mashavire dena..mujhe nahi lagta main ye kar paoongi.",reema ne 1 nivala munh me dala. "har bade kaam ke pehle aisa hi lagta hai,beti.par ye is baat ka ishara hota hai ki hum us kaam ko karte waqt puri tarah se mustaid rahenge ki kahi humse koi galti na ho jaye.kuchh log is ghabrahat ke mare kaam ko hath nahi lagate par vo chand log jo is ghabrahat ke bavjood kaam karne ka beeda uthate hain,vo zaroor kamyab hote hain." "sir,main aapki baat maan kar shatrujeet singh ko haan to kar du,lekin main uske bare me bilkul nahi janti ki aakhir vo kis tarah ka insan hai & uske kaam karne ka dhang kaisa hai." "mujhe to vo 1 number ka ayyash lagta hai,itne sharif baap ka aisa bigda beta!",mrs.chandra kamini ke plate me thodi sabzi dalte hue boli. "vo uski zati zindagi hai,us se uske vakil ka kya lena-dena,bhai!",chandra sahab ne pani ka ghunt bhara,"..kamini,main Amarjeet singh ko kafi kareeb se janta tha,vo 1 bahut sharif & sachche insan the.dekho,itna bada business chalane me 1 insan ko niyamo ko todna nahi marodana padta hai,vo bhi karte the magar fir bhi main yahi kahoonga ki vo 1 imandar & sachche insan the." "main aapka matlab nahi samjhi." "beti,agar niyamo ko todenge to aaj nahi to kal saza bhi bhugatni padegi,hai na?" kamini ne haan me sar hilaya. "..to 1 achha businessman vo hai joki niyamo ko tode nahi bas unhe mode apne fayde ke liye.is baat ko is tarah se samjho-agar raste me traffic jam hai to tum kya karogi us raste ko chhod kisi & raste ko pakdogi & jam se bach kar apni manzil ki or badhogi." ab kamini ki samajh me uske guru ki baat aa gayi. "..to amarjeet singh 1 bahut achhe businessman the par unhone aaj tak na kabhi jhuth bola na kabhi kisi ko dhokha diya.hum vakil kya chahte hain?yehi na ki humara muwakkil hume puri sachchai bataye taki hum uski puri tarah se madad kar sake to kamini,amarjeet singh aise hi muwakkil the." "..ab unke bete ke bare me main bhi sunta rahta hu ki vo ayyash hai,magar jab se usne triveni group join kiya hai,tab se maine use bhi kareeb se dekha hai & ye jana hai ki usne apne baap ke sare gun virasat me paye hain.unhi ki tarah uski bhi sabse badi khasiyat hai uski sachchai." "beti,vo apni zati zindagi me kya karta hai,us se tumhe kya lena hai?tumhe uske business se jude kanooni cases me uski madad karni hai.agar tum uska offer kabool karti ho,main yakeen se kehta hu jaise uske pita mere liye 1 aadarsh muwakkil the vo bhi tumhare liye vohi sabit hoga." "..& haan,1 baat aur.amarjeet singh Sansad me Panchmahal ke MP the.maine kuchh udti hui khabre suni hai ki unki party chahti hai ki unki jagah unke bete shatrujeet ko MP ka chunav ladne ka ticket diya jaay...& jaha tak main samajhta hu,shatrujeet bhi aisa chahta hai,aakhir ye uske business ke liye bhi faydemand hoga.agar aisa hota hai,tab tumhara kaam thoda pecheeda ho sakta hai." "vo kaise,sir?",khana khatm ho chuka tha & ab mrs.chandra use kheer paros rahi thi. "business me shatrujeet ko uske business rivals se pareshaniyo ka samna karna pad sakta hai.par ye aasan baat hai,vo janta hai ki uske rivals kaun hain to tumhare liye bhi unke khade kiye huye kanooni rukawato ko door karna aasan hoga." "..lekin beta agar shatrujeet chunav ladne ko taiyyar ho jata hai,to kewal virodhi party vale uske liye rukawate nahi khadi karenge balki aisa bhi ho sakta hai ki kuchh uski apni party ke log bhi uski pareshaniyo ka sabab bane.aakhir politics me to ye aam baat hai-pata nahi kaun aapse kab naraz ho jaye & fir aapki jade kaatne ki koshish karne lage." chandra sahab ne bilkul sahi kaha tha.1 aisa shakhs tha joki shatrujeet singh se bahut naraz tha
-- साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--3 Panchmahal Sports Complex ke jogging track pe savere 7 baje kano me ipod lagaye Kamini bhagi ja rahi thi.usne kale rang ki t-shirt & track pant pahni thi,joki uske badan se chipki hui thi.is libas me uske badan ki golaiyaan kuchh zyada ubhar rahi thi & savere ki sair kar rahe budhe & baki joggers ko lalcha rahi thi. unki nigaho se beparvah kamini jogging kar rahi thi ki tabhi uske bagal me jogging karte 1 shakhs ne uske kandhe pe hath rakha,"hello!" kamini ne bhagte hue gardan ghumai & uske rasile hotho pe muskan khil uthi,usne kaan se ipod ke plugs nikale,"hello!Mr.Mehra.",party ki raat ko 1 hafta beet chuka tha & kamini ko ye malal tha ki usne Karan se us din zyada baatchit kyu nahi ki-ho sakta tha aisa karne se agli mulakat ka koi rasta khul jata.isiliye karan ko dekh use bahut khushi hui. "please,ye mr.mehra mat kahiye kewal karan kahiye,kamini ji.lagta hai jaise jogging nahi,office me baitha koi meeting kar raha hu!" "ok.to aap bhi mujhe kamini ji nahi,kewal kamini kah ke pukarenge.",kamini hans padi. "ok.done!",usne apna hath kamini ki or badhaya & kamini ne apna hath aage kar us se hath mila liya. "kamini,aapko pehle yaha nahi dekha?" "main kabhi-kabhar hi aati thi,par abhi 3 din pehle tay kiya ki roz aaoongi,kuchh varjish to honi chahihye na!varna to din bhar kursi pe baithe raho." "bilkul sahi socha hai aapne.agar business tour pe na rahu,to main to yaha roz aata hu." "yani ki ab aap se roz mulakat hogi ?" "bilkul." ------------------------------
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