गहरी चाल पार्ट--5
जगबीर ठुकराल भी उसी पार्टी का मेंबर था जिसके टिकेट पे अमरजीत सिंग चुनाव लड़ते थे.शुरू मे उसने बहुत कोशिश की,कि उनकी जगह उसे लोक सभा चुनाव का टिकेट मिले पर अमरजीत सिंग के होते ये नामुमकिन था.अमरजीत सिंग 1 शरीफ इंसान थे & उन्होने राजनीति मे कदम रखने से पहले 1 समाज सेवक के तौर पे काफ़ी नाम कमाया था,दूसरे वो 1 कामयाब बिज़्नेसमॅन थे & उनके पास पैसे की कमी नही थी.अब 1 ऐसा इंसान जिसे आवाम पसंद करती हो & जिसके पास पैसे भी हो-उसे कौन सी पार्टी एलेक्षन का टिकेट नही देती. ठुकराल चाहता तो वो कोई दूसरी पार्टी भी जाय्न कर सकता था-पर उसने ऐसा नही किया क्यूकी वो जानता था कि अमरजीत सिंग के रहते वो कभी भी कोई चुनाव नही जीत सकता.उसने बड़ी चालाकी से राज्य की असेंब्ली के एमलए का चुनाव लड़ा & जीत गया,फिर तो उसने कभी वो सीट नही हारी.पूरे पंचमहल मे अमरजीत सिंग के नाम से उनकी पार्टी को जाना जाता था-पार्टी के नाम से अमरजीत सिंग को नही.इसी बात का फ़ायदा पंचमहल के उनकी पार्टी के सारे एलएलए को होता था.वो सारे अच्छे काम करते थे & ये एमएलए चुपचाप उनका साथ देते थे & हर बार चुनाव जीत जाते थे. अमरजीत सिंग की मौत के बाद ठुकराल को उम्मीद की 1 किरण दिखाई दी थी पर षत्रुजीत सिंग ने उस किरण को भी बुझा दिया था.पर ठुकराल इतनी आसानी से हार मानने वाले मे से नही था.उसने उपरी तौर पे तो पार्टी हाइ कमॅंड की बात मान ली थी पर उसका शैतानी दिमाग़ शत्रुजीत को रास्ते से हटाने की तरकीब सोच रहा था. पिच्छली रात से ले के आज सवेरे पंचमहल की फ्लाइट पकड़ने से पहले तक उसने दोनो कल्लगिर्ल्स-रानी & सोना को 3-3 बार चोद कर अपना मूड ठीक कर लिया था.औरत का जवान,खूबसूरत जिस्म उसकी कमज़ोरी या कह लीजिए की उसका शौक था.शायद ही कोई ऐसी रात जाती हो जब उसका तगड़ा लंड किसी चूत मे घुस उसकी जम कर चुदाई ना करता हो.पर आज तक किसी को उसके इस रूप की झलक भी नही दिखी थी.सब जानते थे कि वो पैसे कमाने के लिए उल्टे-सीधे हथकंडे अपनाता रहता है,पर किसी को भी ये नही पता था कि वो औरतो का इतना बड़ा रसिया है. प्लेन पे बैठे-2 ठुकराल के खुरापाति दिमाग़ ने अपना एंपी बनाने का सपना पूरा करने का 1 प्लान तैय्यार कर लिया था.बेख़बर शत्रुजीत को पता नही था की उसका 1 दुश्मन खड़ा हो गया है.1 ऐसा दुश्मन जो शातिर,चालक,मतलबी & वासना & हवस का पुजारी है & जो शायद उसकी जान लेने मे भी नही हिचकिचायगा. ------------------------------
------------------------------------------------- सवेरे दफ़्तर के लिए तैय्यार होते वक़्त कामिनी के ज़हन कल रात चंद्रा साहब & उनकी बीवी से हुई बाते घूम रही थी.चंद्रा साहब से बात करने के बाद भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था कि शत्रुजीत केवल उसकी काबिलियत के चलते उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना चाहता था.उसके मन के किसी कोने मे ये शुभा था कि वो ऐसा उसके नज़दीक आने के लिए कर रहा है...आख़िर उसकी अय्याशि के किस्से पूरे शहर मे माशूर थे!पर चंद्रा सर ने तो कहा था कि वो अपनी ज़ाति ज़िंदगी को अपने काम से बिल्कुल अलग रखता है & आम लोगो की नज़रो मे चाहे उसकी जो भी तस्वीर हो,उसके रिवल्स & दोस्त अच्छी तरह जानते थे कि वो कितना समझदार & सुलझा हुआ बिज़्नेसमॅन है.उसका सबूत थी आज के अख़बार मे छपी उसके ग्रूप की क्वॉर्टर्ली रिपोर्ट जिसमे सॉफ लिखा था कि इस बार ग्रूप का मुनाफ़ा पिच्छली बार के मुक़ाबले 5% ज़्यादा था. फिर भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था,वो केवल 1 वकील ही नही 1 जवान लड़की भी थी & हर लड़की के पास वो ताक़त होती थी जिस से वो मर्दो के पाक-नापाक इरादे भाँप लेती है.और यही ताक़त उसके मन मे ये शुभा पैदा कर रही थी...पर अगर वो उसके जिस्म को पाने के लिए ऐसा कर रहा है तो इसमे बुराई क्या है?शत्रुजीत के छुने भर से ही उसके बदन मे बिजली दौड़ जाती है....अगर वो उसके साथ हुमबईस्तर होगी तो कैसा लगेगा? ये शरारती ख़याल आते ही उसकी चूत मे कसक सी उठी & उसने ड्रेसिंग टेबल सामने बैठे-2 अपनी जाँघो को भींच लिया...अगर शत्रुजीत ये खेल खेलना चाहता है तो वो भी तैय्यार है...उसने फोन उठाया & उसका नंबर डाइयल किया,"हेलो..मिस्टर.सिंग?..गुड मॉर्निंग!मैं कामिनी बोल रही हू...मुझे आपका ऑफर मंज़ूर है...थॅंक यू...ठीक है,मैं आज शाम अपने असिस्टेंट के साथ आपके दफ़्तर आऊँगी.ओके.सी यू." ------------------------------------------------------------------------------- थोड़ी देर बाद ड्राइवर ने कामिनी की कार उसके दफ़्तर के बाहर रोकी,"मेडम.मैं पेट्रोल डलवा कर अभी आता हू." "ठीक है.",कामिनी अपने दफ़्तर मे दाखिल हुई.उसके दफ़्तर मे घुसते ही 1 हॉल था जिसमे 1 तरफ उसकी सेक्रेटरी रश्मि का डेस्क था & दूसरी तरफ लोगो के बैठने के लिए सोफे & कुर्सिया लगे हुए थे.उसी हॉल के 1 कोने को शीशे के पारटिशन लगा कर उसके असिस्टेंट मुकुल का कॅबिन बनाया गया था.और सामने 1 दरवाज़ा दिख रहा था जिसके उस तरफ कामिनी का कॅबिन था. कामिनी ने देखा कि हॉल मे ना उसकी सेक्रेटरी मौजूद थी ना ही उसका असिस्टेंट.इतनी देर तो दोनो कभी नही करते थे,लेकिन ऑफीस तो खुला हुआ है & यहा की चाभी तो इन दोनो के सिवाय बस उसी के पास थी,फिर है कहा ये दोनो?...सोचती हुई वो अपने कॅबिन की तरफ बढ़ी कि तभी रश्मि की आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,"...उउफफफ्फ़..नही कुर्ते के अंदर नही.." कामिनी ने हल्के से अपने कॅबिन का दरवाज़ा खोला,सामने दीवार से लगी रश्मि को बाहो मे भरे मुकुल चूम रहा था & अपना हाथ उसके कुर्ते मे घुसाने की नाकाम कोशिश कर रहा था. "..बस 1 बार दिखा दो...बस 1 बार 1!",मुकुल मिन्नते कर रहा था. "नही!पागल हो गये हो क्या?!मॅ'म अभी आती ही होंगी." "अभी बहुत वक़्त है उनके आने मे..प्लीज़ रश्मि बस 1 बार अपनी चूचिया दिखा दो ना..तुम्हे मेरी कसम!",दीवार से लगी रश्मि को मुकुल ने अपने जिस्म से पूरा दबा रखा था & रश्मि की भी आखें थोड़ी मदहोश होने लगी थी.आख़िर 1 जवान लड़की अपनी चूत पे दबे 1 जवान लंड के असर से कब तक सायंत रह सकती है. "तुम बड़े बदमाश हो!हर बार अपनी कसम खिलके अपनी मनमानी करते हो!",उसने उसके गाल पे 1 चपत लगाई. "क्या मनमानी की है भाई!आज तक तुमने चूमने से आगे बढ़ने ही कहा दिया है..प्लीज़ अब ज़्यादा देर ना करो..मॅ'म आ जाएँगी..बस 1 बार दर्शन तो करवा दो इनके..",उसने 1 हाथ से कुर्ते के उपर से ही उसकी छाती दबा दी. "औउ..!",तब तक 1 हाथ पीछे ले जा कर मुकुल ने उसके कुर्ते का ज़िप खोल दिया था & उसे कंधे से नीचे ढलकने की कोशिश कर रहा था. "नही!ऐसे नही!पागल कहीं के!",रश्मि ने उसके हाथ अपने कुर्ते से अलग किए & धीरे से कुर्ते को नीचे कर उसके गले को खोल दिया,"लो देखो!",उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था. "वाउ!",मुकुल ने कुर्ते के गले मे हाथ डाल उसके ब्रा मे से उसकी 1 चूची को निकाल लिया.रश्मि की चूचिया बहुत बड़ी तो नही थी मगर बहुत छ्होटी भी नही थी,उसकी नुमाया हुई चूची पे सज़ा भूरा निपल बड़ा प्यारा लग रहा था.मुकुल झुका & उस चूची को अपने मुँह मे भर लिया & तो रश्मि छटपटाते हुए आहें भरने लगी.ये सब देख कर कामिनी भी गरम होने लगी थी पर आज बहुत काम था & उसने सोचा कि अगर अभी ना रोका गया तो मुकुल तो आज रश्मि को चोदे बिना नही छ्चोड़ेगा. उसने दरवाज़ा बंद किया & वापस ऑफीस के मैं दरवाज़े पे आई & इस बार थोड़ी आवाज़ के साथ दरवाज़े को खोला,"अरे कहा हो भाई?मुकुल?रश्मि?" तुरंत उसका कॅबिन खुला & मुकुल बाहर आया,"गू-गुड मॉर्निंग,मॅ'म." "गुड मॉर्निंग.कॅबिन मे क्या कर रहे थे?" "वो केस फाइल पड़ी थी ना वही लेने गया था." "तो नही मिली क्या?",कामिनी ने उसके खाली हाथो की तरफ देखा. "जी..!ना-नही..वो रश्मि ढूँदने मे मेरी मदद कर रही है.रश्मि तुम्हे मिली फाइल?",उसने गर्दन घुमा कर कॅबिन की तरफ देखते हुए पूचछा. "हां..हां..ये लो..",रश्मि के चेहरे पे घबराहट सॉफ नज़र आ रही थी.कामिनी चुपचाप बिना कुच्छ बोले अपने कॅबिन मे दाखिल हो गयी.थोड़ी देर बाद उसने इंटरकम से रश्मि को अंदर बुलाया. "रश्मि,ये क्या है?",उसने अपने कॅबिन की ओर इशारा किया. "जी!मॅ'म?" "ये क्या है,रश्मि?",उसने सवाल दोहराया. "आपका ऑफीस,मॅ'म." "तो थोड़ी देर पहले तुम दोनो इसे अपना बेडरूम क्यू समझ रहे थे?",कामिनी अपनी कुर्सी से उठ खिड़की के पास खड़ी हो बाहर देख रही थी,उसकी पीठ रश्मि की तरफ थी.रश्मि को तो काटो तो खून नही!वो भागती हुई कामिनी के पास आ गयी,"आइ'एम सॉरी,मॅ'म.मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.प्लीज़ मॅ'म..मुझे निकालिएगा नही...प्लीज़...आइन्दा ये सब नही होगा.प्ल-.." कामिनी हंसते हुए घूमी तो रश्मि का मुँह आश्चर्या से खुल गया,"अरे पगली!मैने तुमसे 1 सवाल पुचछा & तुम तो पूरी रामायण पढ़ने लगी!मैने कब की तुम्हे निकालने की बात?",रश्मि की जान मे जान आई,"..वो..मॅ'म..",जल्दी मे कपड़े ठीक करने के कारण उसके कुर्ते के गले मे से उसके कंधे पे ब्रा स्ट्रॅप नज़र आ रहा था. "रश्मि,ये मर्द बड़े बेसबरे होते हैं..",कामिनी ने उसके ब्रा स्टरापको कुर्ते के नीचे कर उसके कुर्ते को सही किया,"..इन्हे हर वक़्त बस 1 ही बात सूझती है..पर हमे होश से काम लेना होता है..अगर मेरी जगह पीयान या कोई और तुम दोनो को देख लेता तो?" "..आगे से ध्यान रखना...& अपने दीवाने को मत बताना कि मुझे तुम दोनो के बारे मे पता चल गया है वरना मुझ से नज़रे नही मिला पाएगा & फिर काम भी ढंग से नही करेगा.चलो जाओ." "थॅंक यू,मॅ'म.",रश्मि घूम के जाने लगी. "और सुनो रश्मि,सॉरी." "जी,मॅ'म?" "आज शाम तुम्हे टॅक्सी से घर जाना पड़ेगा क्यूकी तुम्हारे ड्राइवर को मेरे साथ 1 मीटिंग मे जाना है.",मुकुल रोज़रशमी को अपनी बाइक से छ्चोड़ता था,कामिनी का इशारा उसी ओर था. "आप भी ना,मॅ'म.",रश्मि शरमाते हुए बाहर चली गयी. क्रमश.................. --
साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--5
Jagbir Thukral bhi usi party ka member tha jiske ticket pe Amarjeet Singh chunav ladte the.shuru me usne bahut koshish ki,ki unki jagah use lok sabha chunav ka ticket mile par amarjeet singh ke hote ye namumkin tha.amarjeet singh 1 shareef insan the & unhone rajniti me kadam rakhne se pehle 1 samaj sevak ke taur pe kafi naam kamaya tha,dusre vo 1 kamyab businessman the & unke paas paise ki kami nahi thi.ab 1 aisa insan jise aawam pasand karti ho & jiske paas paise bhi ho-use kaun si party election ka ticket nahi deti. thukral chahta to vo koi dusri party bhi join kar sakta tha-par usne aisa nahi kiya kyuki vo janta tha ki amarjeet singh ke rehte vo kabhi bhi koi chunav nahi jeet sakta.usne badi chalaki se rajya ki assembly ke MLA ka chunav lada & jeet gaya,fir to usne kabhi vo seat nahi hari.pure Panchmahal me Amarjeet Singh ke naam se unki party ko jana jata tha-party ke naam se amarjeet singh ko nahi.isi baat ka fayda panchmahal ke unki party ke sare MLAs ko hota tha.vo sare achhe kaam karte the & ye MLAs chupchap unka sath dete the & har bar chunav jeet jate the. amarjeet singh ki maut ke baad thukral ko ummeed ki 1 kiran dikhai di thi par Shatrujeet Singh ne us kiran ko bhi bujha diya tha.par thukral itni aasani se haar maanane wale me se nahi tha.usne upari taur pe to party high command ki baat man li thi par uska shaitani dimagh shatrujeet ko raste se hatane ki tarkeeb soch raha tha. pichhli raat se le ke aaj savere panchmahal ki flight pakadne se pehle tak usne dono callgirls-Rani & Sona ko 3-3 baar chod kar apna mood thik kar liya tha.aurat ka jawan,khubsurat jism uski kamzori ya kah lijiye ki uska shauk tha.shayad hi koi aisi raat jati ho jab uska tagda lund kisi chut me ghus uski jam kar chudai na karta ho.par aaj tak kisi ko uske is roop ki jhalak bhi nahi dikhi thi.sab jante the ki vo paise kamane ke liye ulte-seedhe hathkande apnata rahta hai,par kisi ko bhi ye nahi pata tha ki vo aurato ka itna bada rasiya hai. plane pe baithe-2 thukral ke khurapati dimagh ne apna MP banane ka sapna poora karne ka 1 plan taiyyar kar liya tha.bekhabar shatrujeet ko pata nahi tha ki uska 1 dushman khada ho gaya hai.1 aisa dushman jo shatir,chalak,matlabi & vaasna & hawas ka pujari hai & jo shayad uski jaan lene me bhi nahi hichkichayga. ------------------------------------------------------------------------------- savere daftar ke liye taiyyar hote waqt Kamini ke zehan kal raat Chandra sahab & unki biwi se hui baate ghum rahi thi.chandra sahab se baat karne ke baad bhi kamini ko yakeen nahi ho raha tha ki shatrujeet kewal uski kabiliyat ke chalte use apna legal advisor banana chahta tha.uske man ke kisi kone me ye shubha tha ki vo aisa uske nazdeek aane ke liye kar raha hai...aakhir uski ayyashi ke kisse pure shahar me mashoor the!par chandra sir ne to kaha tha ki vo apni zati zindagi ko apne kaam se bilkul alag rakhta hai & aam logo ki nazro me chahe uski jo bhi tasveer ho,uske rivals & dost achhi tarah jante the ki vo kitna samajhdar & suljha hua businessman hai.uska saboot thi aaj ke akhbar me chhapi uske group ki quarterly report jisme saaf likha tha ki is baar group ka munafa pichhli bar ke mukable 5% zyada tha. fir bhi kamini ko yakeen nahi ho raha tha,vo kewal 1 vakeel hi nahi 1 jawan ladki bhi thi & har ladki ke paas vo taaqat hoti thi jis se vo mardo ke paak-napak irade bhanp leti hai.aur yehi taqat uske man me ye shubha paida kar rahi thi...par agar vo uske jism ko pane ke liye aisa kar raha hai to isme burai kya hai?shatrujeet ke chhune bhar se hi uske badan me bijli daud jati hai....agar vo uske sath humbistar hogi to kaisa lagega? ye shararati khayal ate hi uski chut me kasak si uthi & usne dresing table samne baithe-2 apni jangho ko bheench liya...agar shatrujeet ye khel khelna chahta hai to vo bhi taiyyar hai...usne phone uthaya & uska number dial kiya,"hello..mr.singh?..good morning!main kamini bol rahi hu...mujhe aapka offer manzoor hai...thank you...thik hai,main aaj sham apne assistant ke sath aapke daftar aaoongi.ok.see you." ------------------------------------------------------------------------------- thodi der baad driver ne kamini ki car uske daftar ke bahar roki,"madam.main petrol dalwa kar abhi aata hu." "thik hai.",kamini apne daftar me dakhil hui.uske daftar me ghuste hi 1 hall tha jisme 1 taraf uski secretary Rashmi ka desk tha & dusri taraf logo ke baithne ke liye sofe & kursiyaa lage hue the.usi hall ke 1 kone ko sheeshe ke partition laga kar uske assistant Mukul ka cabin banaya gaya tha.aur saamne 1 darwaza dikh raha tha jiske us taraf kamini ka cabin tha. kamini ne dekha ki hall me na uski secretary maujood thi na hi uska assistant.itni der to dono kabhi nahi karte the,lekin office to khula hua hai & yaha ki chabhi to in dono ke siway bas usi ke pas thi,fir hai kaha ye dono?...sochti hui vo apne cabin ki taraf badhi ki tabhi rashmi ki aavaz uske kano me padi,"...uuffff..nahi kurte ke andar nahi.." kamini ne halke se apne cabin ka darvaza khola,samne deewar se lagi rashmi ko baaho me bhare mukul chum raha tha & apna hath uske kurte me ghusane ki nakaam koshish kar raha tha. "..bas 1 baar dikha do...bas 1 baar 1!",mukul minnate kar raha tha. "nahi!pagal ho gaye ho kya?!ma'am abhi aati hi hongi." "abhi bahut waqt hai unke aane me..please rashmi bas 1 bar apni chhatiyaa dikha do na..tumhe meri kasam!",deewar se lagi rashmi ko mukul ne apne jism se pura daba rakha tha & rashm,i ki bhi aakhen thodi madhosh hone lagi thi.aakhir 1 jawan ladki apni chut pe dabe 1 jawan lund ke asar se kab tak sayant rah sakti hai. "tum bade badmash ho!har baar apni kasam khilake apni manmani karte ho!",usne uske gaal pe 1 chapat lagayi. "kya manmani ki hai bhai!aaj tak tumne chumne se aage badhne hi kaha diya hai..please ab zyada der na karo..ma'am aa jayengi..bas 1 baar darshan to karwa do inke..",usne 1 hath se kurte ke upar se hi uski chhati daba di. "ouuiii..!",tab tak 1 hath peechhe le ja kar mukul ne uske kurte ka zip khol diya tha & use kandhe se neeche dhalkane ki koshish kar raha tha. "nahi!aise nahi!pagal kahin ke!",rashmi ne uske hath apne kurte se alag kiye & dheere se kurte ko neeche kar uske gale ko khol diya,"lo dekho!",uska dil bahut zoro se dhadak raha tha. "wow!",mukul ne kurte ke gale me hath daal uske bra me se uski 1 chhati ko nikal liya.rashmi ki chhatiyaan bahut badi to nahi thi magar bahut chhoti bhi nahi thi,uski numaya hui choochi pe saja bhura nipple bada pyara lag raha tha.mukul jhuka & us chochi ko apne munh me bhar liya & to rashmi chhatpatate hue aahen bharne lagi.ye sab dekh kar kamini bhi garam hone lagi thi paraaj bahut kaam tha & usne socha ki agar abhi na roka gaya to mukul to aaj rashmi ko chode bina nahi chhodega. usne darwaza band kiya & vapas office ke main darwaze pe aayi & is bar thodi aavaz ke sath darvaze ko khola,"are kaha ho bhai?mukul?rashmi?" turant uska cabin khula & mukul bahar aaya,"goo-good morning,ma'am." "good morning.cabin me kya kar rahe the?" "vo case file padi thi na vahi lene gaya tha." "to nahi mili kya?",kamini ne uske khali hatho ki taraf dekha. "ji..!na-nahi..vo rashmi dhoondne me meri madad kar rahi hai.rashmi tumhe mili file?",usne gardan ghuma kar cabin ki taraf dekhte hue poochha. "haan..haan..ye lo..",rashmi ke chehre pe ghabrahat saaf nazar a rahi thi.kamini chupchaap bina kuchh bole apne cabin me dakhil ho gayi.thodi der baad usne intercom se rashmi ko andar bulaya. "rashmi,ye kya hai?",usne apne cabin ki or ishara kiya. "ji!ma'am?" "ye kya hai,rashmi?",usne sawal dohraya. "aapka office,ma'am." "to thodi der pehle tum dono ise apna bedrom kyu samajh rahe the?",kamini apni kursi se uth khidki ke paas khadi ho bahar dekh rahi thi,uski pith rashmi ki taraf thi.rashmi ko to kato to khon nahi!vo bhagti hui kamini ke paas a gayi,"i'm sorry,ma'am.mujhse bahut badi galti ho gayi.please ma'am..mujhe nikaliyega nahi...please...aainda ye sab nahi hoga.pl-.." kamini hanste hue ghumi to rashmi ka mun aashcharya se khul gaya,"are pagli!maine tumse 1 sawal puchha & tum to puri ramayan padhne lagi!maine kab ki tumhe nikalne ki baat?",rashmi ki jan me jan ayi,"..vo..ma'am..",jaldi me kapde thik karne ke karan uske kurte ke gale me se uske kandhe pe bra strap nazar aa raha tha. "rashmi,ye mard bade besabre hote hain..",kamini ne uske bra strapko kurte ke neeche kar uske kurte ko sahi kiya,"..inhe har waqt bas 1 hi baat soojhti hai..par hume hosh se kaam lena hota hai..agar meri jagah peon ya koi aur tum dono ko dekh leta to?" "..aage se dhyan rakhna...& apne deewane ko mat batana ki mujhe tum dono ke bare me pata chal gaya hai varna mujh se nazre nahi mila payega & fir kaam bhi dhang se nahi karega.chalo jao." "thank you,ma'am.",rashmi ghum ke jane lagi. "aur suno rashmi,sorry." "ji,ma'am?" "aaj sham tumhe taxi se ghar jana padega kyuki tumhare driver ko mere sath 1 meeting me jana hai.",mukul rozrashmi ko apni bike se chhodta tha,kamini ka ishara usi or tha. "aap bhi na,ma'am.",rashmi sharmate hue bahar chali gayi.
साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--5
Jagbir Thukral bhi usi party ka member tha jiske ticket pe Amarjeet Singh chunav ladte the.shuru me usne bahut koshish ki,ki unki jagah use lok sabha chunav ka ticket mile par amarjeet singh ke hote ye namumkin tha.amarjeet singh 1 shareef insan the & unhone rajniti me kadam rakhne se pehle 1 samaj sevak ke taur pe kafi naam kamaya tha,dusre vo 1 kamyab businessman the & unke paas paise ki kami nahi thi.ab 1 aisa insan jise aawam pasand karti ho & jiske paas paise bhi ho-use kaun si party election ka ticket nahi deti. thukral chahta to vo koi dusri party bhi join kar sakta tha-par usne aisa nahi kiya kyuki vo janta tha ki amarjeet singh ke rehte vo kabhi bhi koi chunav nahi jeet sakta.usne badi chalaki se rajya ki assembly ke MLA ka chunav lada & jeet gaya,fir to usne kabhi vo seat nahi hari.pure Panchmahal me Amarjeet Singh ke naam se unki party ko jana jata tha-party ke naam se amarjeet singh ko nahi.isi baat ka fayda panchmahal ke unki party ke sare MLAs ko hota tha.vo sare achhe kaam karte the & ye MLAs chupchap unka sath dete the & har bar chunav jeet jate the. amarjeet singh ki maut ke baad thukral ko ummeed ki 1 kiran dikhai di thi par Shatrujeet Singh ne us kiran ko bhi bujha diya tha.par thukral itni aasani se haar maanane wale me se nahi tha.usne upari taur pe to party high command ki baat man li thi par uska shaitani dimagh shatrujeet ko raste se hatane ki tarkeeb soch raha tha. pichhli raat se le ke aaj savere panchmahal ki flight pakadne se pehle tak usne dono callgirls-Rani & Sona ko 3-3 baar chod kar apna mood thik kar liya tha.aurat ka jawan,khubsurat jism uski kamzori ya kah lijiye ki uska shauk tha.shayad hi koi aisi raat jati ho jab uska tagda lund kisi chut me ghus uski jam kar chudai na karta ho.par aaj tak kisi ko uske is roop ki jhalak bhi nahi dikhi thi.sab jante the ki vo paise kamane ke liye ulte-seedhe hathkande apnata rahta hai,par kisi ko bhi ye nahi pata tha ki vo aurato ka itna bada rasiya hai. plane pe baithe-2 thukral ke khurapati dimagh ne apna MP banane ka sapna poora karne ka 1 plan taiyyar kar liya tha.bekhabar shatrujeet ko pata nahi tha ki uska 1 dushman khada ho gaya hai.1 aisa dushman jo shatir,chalak,matlabi & vaasna & hawas ka pujari hai & jo shayad uski jaan lene me bhi nahi hichkichayga. ------------------------------
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