Saturday, June 12, 2010

बाप बेटी की कहानी - बाप की हेल्पिंग बेटी--3

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पापा की हेल्पिंग बेटी. पार्ट-3


बातरूम के अंदर जाते ही पापा ने मुझे अपने से लिपटा लिया. बेड पेर तो मुझे अपनी हाइट का अंदाज़ा नही हुआ , मगर खरे हुए हालत मैं पता चला के मेरा सिर पापा के सीने तक ही पहुच पाया था. अभी सिर्फ़ मैं 13 साल की थी. हां थोरी सी मोटी थी. गोरा रंग था मेरा, जिस्म मेरा भरा भरा सा था और गांद मेरी खास तौर से बहुत मोटी और बाहर की तरफ निकली हुई थी. यह सब मैं इस लिये बता रहीं हूँ के मुझे पापा से लिपट कर अपने सरपे का एहसास हुआ. खरे होने की वजह से पापा का मुरझाया हुआ लंड मेरी टिट्स को छू रहा था.

पापा मुझे झुक कर प्यार कर रहे थे और मेरे सारे जिसम और मेरी गांद और चूत पेर हाथ फेर रहे थे.

"उफ़ जानू कितना प्यारा और सेक्सी जिसम हे मेरी बेटी का…. क्या करूँ तेरे साथ जानू ….. बिल्कुल मुलतानी चिकनी मिट्टी की तरह जिसम हे तेरा जानू ….. "

इस के साथ ही पापा ने जब मेरी चूत के दाने (क्लिट) पेर उंगली फेरी तो मेरे सारे जिसम मैं सनसनी दौर गई. पेशाब मुझे भोथ ज़ोर से आ रहा था. पिछळी शाम से मैं ने पेशाब नही काइया था.

"पापा मुझे बहुत ज़ोर से पी आ रही हे, निकल जाई गी"

मगर पापा ने मेरी एक ना सुनी और बाथरूम के टाइल वाले फरश पेर लेट कर उन्हो ने पाकर कर मुझे अपने मुँह पेर बिठा लिया.

मेरी हालत यह थी के एक तरफ मुझे फिर से चुड़वाने की शडीड खाविश हो रही थी, और दूसरी तरफ मुझे बरी ज़ोर का पेशाब आ रहा था, और तीसरी तरफ मैं स्क्वाटिंग पोज़िशन मैं पापा के मुँह के साथ अपनी चूत लगाए बैठी थी.

"पापा, प्लीज़ मुझे पी करने दें पहले …. निकल जाए गी नहीं तो ….."

"तो करो ने पी" पापा एक लम्हे के लिये मेरी चूत से मुँह हटा कर बोले. पापा की ज़बान मेरी चूत के पेशाब वाली जगह को चाट रही थी.

मैं हैरान रह गई. मुझे अपने कानो पेर यक़ीन नही आ रहा था के पापा ऐसा भी सोच सकते हैं.

"ची पापा …. आप के मुँह मैं चला जाए गा मेरी पी … पापा आप बोहट गंदे हैं .."

"जानू करो मेरे मुँह मैं … अपनी बेटी का पेशाब पीऊँगा … कर मेरी जान …"

पापा यह कहने के बाद मेरी गांद को ज़ोर से पाकर कर मेरी चूत पूरी की पूरी अपने मुँह मैं भर ली, के मैं अब कुत्छ भी नहीं कर सकती थी, सिवाए पापा के मुँह मैं पी करने के. पी को रोकना अब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. ऐसा लगता था के अगर मैं ने अब और एक सेकेंड भी देर की तो मेरा ब्लॅडर फॅट जाए गा.

फिर मेरी पेशाब के सुराख से पहली गरम गरम तेज़ धार मेरे पापा के मुँह मैं निकली. एक धार मार कर मेरा पेशाब रुक गया. मुझे लगा के पापा का मुँह मेरी एक धार से पूरा भर गया होगा. मेरी चूत चुनके पापा के मुँह मैं पूरी घुसी हुई थी, लहज़ा मुझे पापा के मुँह की मूव्मेंट से पता चल गया के पापा ने अपने मुँह मैं भरा हुआ मेरा यूरिन पी लिया हे.

"जानू ….. अब खरी हो कर अपने पापा पेर पेशाब करो … लेकिन आहिस्ता आहिस्ता …. जितना भी रुक रुक कर कर सकती हो … मेरे मुँह पेर …. मेरी बॉडी पेर और पापा के लंड पेर …"

मैं पापा के मुँह पेर से उठ कर खरी हो गई. मैं ने अपनी गांद बिल्कुल आगे की तरफ करते हुआी, अपनी चूत को अपनी उंगलिओन से चीरते हुआी पेशाब की एक सीधी धार पापा के चेहरे पेर मारी. पापा मुँह को पूरा खले हुआी थे. मेरे गोलडेन कलर की गरम पेशाब की फुल तेज़ धार पापा के चेहरे पेर पार्टी हुई उनके मुँह मैं गई. मुझे पापा के हलाक़ से गर्र्र्र…गर्र्र्र…ग.र.र.र.र.र की आवाज़ आई, और पापा का खुला हुआ मुँह मेरे पेशाब से पूरा भर गया, बुलके उनके होंटो के किनारों से मेरा पेशाब झाग की शकल मैं बह रहा था. पापा के मुँह मैं अपनी पी देख कर मेरी जो मस्ती से हालत हो रही थी वो मैं बता नहीं सकती. जी चाहता था के अपने पापा के मुँह से अपना मुँह लगा कर उन्हे खूब प्यार करूँ और पापा के साथ अपनी पी शेर करूँ.

मेरी पी अब रुक नही रही थी. मेरी चूत से मेरी गोलडेन पी अब पापा के बॉडी पेर गिर रही थी. फिर पीछे हट तय हुआी मैं ने पापा के हाफ हार्ड लंड पे पेशाब करना श्रु काइया. इसी तरह मैं ने आगे पीछे होते हुआी पापा को पूरा का पूरा अपने यूरिन से नहला दिया. बात रूम का पूरा वाइल टाइल्ड फ्लोर मेरे यूरिन से गोलडेन हो रहा था. पापा ने फिर मेरा हाथ पाकर कर मुझे अपने ऊपेर गिरा लिया. मेरा पेशाब अब भी मेरी चूत से निकल रहा था. इतना ज़ियादा पेशाब मैं कर रही थी के मैं हैरान रह गई. पापा के जिसम से लिपटने की वजह से मैं भी अपने यूरिन मैं गीली हो गई. पापा ने अपने मज़बूत बाज़ू मैं मुझे जाकरा हुआ था और मेरे मुँह की चूमियँ ले रहे थे. मुझे अपने पी की तेज़ स्मेल अपने और पापा के जिसम से आ रही थी.

"अब खुश पापा? मज़ा आया आपको?" मैं ने पापा से पूछा.

"उफ़ जानू इतना मज़ा आया के मैं बता नहीं सकता! मेरी बेटी को मज़ा आया?"

"पापा मुझे पता नहीं था इस तरह करने मैं इतना मज़ा आता है. भोथ ज़ोर से पी आ रही थी, इस लिये मज़ा भी भोथ आया, बस अब चोदो मुझे…"

यह कहते हुआी मैं पापा के लंड पेर अपनी चिकनी हेरलेस चूत को रगार्ने लगी. मेरे चूत रगार्ने की वजह से पापा का लंड पूरा तन कर सख़्त हो गया, और मेरे पायट मैं घुसने लगा.

"जानू अभी मज़ा तुम ने और मैं ने पूरा कहा लिया हे … मुझे भी तो पी करनी हे. मैं ने भी कल आफ्टरनून के बाद से पी नहीं की … "

यह सुन कर के अब पापा पी कराईं गे और वो भी मेरा ऊपेर, मैं लिज़्ज़त और मस्ती मैं पूरी भर गई.

पापा ने मुझे बात टब के अंदर बैयतने को कहा. फिर उन्हो ने बात टब की ड्रेन को रब्बर प्लग से बूँद कर दिया. मैं समझ गई के पापा अपना यूरिन बात टब मैं से ड्रेन आउट नही करना चाहते थे.

मैं बात टब मैं अपनी नीस पेर खरी हो गई, और पापा ने मेरे सामने खरी हो कर अपना लंड की टोपी मेरे मुँह मैं डाल दी.

"जानू, अब पापा की पी निकलने वाली हे …. तय्यार हो?"

मैं ने इशारे से सिर हिला कर हन कहा. रात से मैं जिस सिचुयेशन से गुज़र रही थी, ये मेरी लाइफ की सूब से थ्रिलिंग सिचुयेशन थी. मुझे कभी इन सूब बातों का तस्सावार भी नही आया था, और ऊपेर से यह यूरिन वाली सिचुयेशन ने तो मुझे मस्ती की इंतिहा बुलंडीओन पेर फॉनचा दिया था.

अचानक पापा के लौरे से पेशाब की गरम गरम नमकीन धार मेरे मुँह मैं निकली, और मेरा मुँह भर गया. मैं बे इकतियार पापा का पेशाब पीने लगी. धार इतनी तेज़ी से निकल रही थी के पापा का पेशाब मेरे मुँह के किनारों से निकल कर मेरे जिसम पेर बह रहा था.

फिर पापा ने लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरे हेर्स, फेस और टिट्स पेर अपने गोलडेन, गरम पेशाब की तेज़ धार मरते रहे. मेरा बस नही चल रहा था के मैं काइया करूँ. मैं अपने दोनो पाम्स ज़ोर कर पापा का पेशाब उसमे भारती और अपने फेस तो धोती और अपनी छातियों पेर डालती रही.

जुब मैं मज़े और मस्ती की हाइट पेर थी तो पापा का पेशाब एक दूं रुक गया.

"पापा काइया हुआ?"

"अभी तो श्रु हुआ हे जानू" पापा ने यह कह कर मुझे टब मैं लेटने को कहा. मैं चिट हो लेट गई और अपनी तांगे खोल दी.

पापा ने मेरे पावं के तरफ खरे हो कर अपना लंड पाकर के मेरी पूरी बॉडी पेर अपने पेशाब की गोलडेन और गरम गरम नमकीन धार मारनी श्रु करदी. मैं सिर के बलों से ले कर फीट तक पापा के गोलडेन पेशाब मैं डूब गई. पापा के पेशाब की धार मेरी आँखों पेर, होंतों पेर, मुँह मैं, छातियों पेर, मेरे पायट और चूत पेर गिर रही थी. मैं बुरी तरह से पापा का पेशाब अपने पूरे जिसम पेर माल रही थी और अपनी चूत को पापा के पी से नहला रही थी.

पापा के गरम गरम पेशाब की तेज़ धार मेरी बॉडी पेर अजीब सा मज़ा दे रही थी. बात टब का होल बूँद होने की वजह से, बात टब मैं पापा का गोलडेन यूरिन भरा हुआ था, और मैं उस यूरिन मैं जैसे स्विम कर रही थी. पापा का जुब पेशाब ख़तम हुआ तो वो बात टब मैं मेरे फीट के पास बैठ गाए.

"पापा अब चोदोना मुझे … मुझ से बर्दाश्त नही होता ….. मैं मार जाऊंगी पापा ….. अपना लंड डालो मेरी चूत मैं …" . मेरी हालत चुड़वाने की खाविश की वजह से बहुत बुरी हो रही थी.

बाथ टब की स्पेस टाइट हनी की वजह से पापा को मेरी टांगें उठा कर मुझे चोदने मैं मुश्किल हो रही थी. पापा ने मुझे उल्टी हो जाने को कहा. मैं औंधी हो गई और अपनी गांद पूरी ऊपर उठा दी, ताकि पापा को अपना लंड मेरी चूत मैं डालने मैं मुश्किल ना हो. मगर औंधी होने मैं मेरा चेहरा आधे से ज़ियादा पापा के यूरिन मैं डूबा हुआ था. जनरली, यूरिन की स्मेल अछी नही लगती, मगर उस वक़्त मुझे अपने पापा के पेशाब की स्मेल बोहट अछी लग रही थी. पापा का गोलडेन पेशाब मेरी नोस और मेरे मुँह मैं जा रहा था.
पापा ने झुक कर अपना लंड मेरी चूत मैं डालने की कोशिश की, लेकिन जगह तुंग हो ने की वजह से उन्हे मुश्किल हो रही थी.

"जानू, बाथ टब से बाहर जा कर तुम्हे चोदना परे गा" पापा ने कहा.

"नहीं पापा यहीं चोदो … आप के पेशाब मैं लिपट कर चुड़वऊंगी"

पापा ने मुझे उठने को कहा, और खुद बाथ टब के फ़राश पेर हेड रेस्ट के साथ अपनी कमर टीका कर और अपनी टांगायन लंबी कर के बैठ गये. पापा का लॉरा फुल तना हुआ खरा था और मेरी पी मैं भीगा हुआ था. मैं पापा की तरफ मुँह कर के पापा के लंड पेर इस तरह बैठी के पापा के लंड की 3 इंच मोटी पर्पल टोपी मेरी चूत के छेद से लगी हुई थी. मैं ने नीचे हाथ डाल कर पापा के लंड को अपनी मुथि मे जकर लिया और लौरे को अपनी खुली हुई चूत के बीच मैं ओपपेर से नीचे की तरफ फेरने लगी. जुब मैं पापा के लंड की टोपी को अपनी क्लिट पेर फेरती तो मेरे पूरे जिसम मैं गुदगुदी हों ने लगती. मैं फुल मस्त हो चुकी थी. मैं इन सूब बातों को भूल चुकी थी के मैं अपने सगे बाप के साथ ये कर रही हूँ.

अब पापा से भी बर्दाश्त नही हो रहा था.

"जानू जल्दी से मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ले कर मुझे चोदो, वरना मेरी मनी बाहर ही निकल जाएगी".

मैं ने पापा का लंड अपनी चूत के होल से लगाते हुआ पापा के लौरे पेर बैठती चली गई. पापा का लंड मेरी टाइट चूत को चीरता हुआ अंदर पूरा चला गया. इतना सख़्त पत्थर की तरह लंड था पापा का के मुझे ऐसे लगा के पापा का लंड मेरे पायट मैं से होता हुआ मेरे मुँह से बाहर आ जाए गा.

मेरी छोटी सी चूत मैं पापा का लंड पूरा फँस गया था, यहाँ टुक के मैं अपनी गांद को ऊपेर नीचे कर रही थी के पापा का लंड भी इसके साथ ही मेरी चूत मैं अंदर बाहर होता रहे, लेकिन लंड इतनी बुरी तरह मेरी नन्ही सी टाइट चूत मैं फँस चुका था के लंड अंदर बाहर भी नही हो रहा था.

"पापा भोथ सख़्त और मोटा लंड हे आपका … कैसे चोदु आप को"

पापा को भी मुश्किल हो रही थी मुझे चोदने मैं, इस लिये के वो नीचे से कुत्छ नही कर सकते थे. आख़िर उन्हो ने मेरी गांद के नीचे हाथ डाल कर और मुझे अपनी गोद मैं भरते हुआी उठ कर खरी हो गाए. मैं पापा के जिसम के साथ लिपट गईं. पापा इसी हालत मैं ले कर मुझे टब से बाहर आए, और फिर मुहज़े बाथरूम के फ्लोर पेर लिटा कर मेरी टाँग उठा कर मुझे चोदने लगे.

"उफ़ मेरी बेटी की चूत वाक़ई बोहट टाइट हे …. बोहट मूसखिल हो रही हे अपनी जानू को चोदने मे"

पापा अपना लंड जुब मेरी चूत मैं अंदर बाहर करने लगते तो उसके साथ ही मेरी चूत की अंदर की स्किन भी बाहर निकल आती. एक दफ़ा जो पापा ने ज़ोर लगा कर मेरी नाज़ुक चूत से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला तो झटके से पापा खुद भी पीछे चले गाए, और मेरी चूत मैं से बोहट ज़ोर की ऐसी आवाज़ आई जैसे के बॉटल का कॉर्क निकलने से या पेप्सी के बॉटल का ढक्कन खोलने से आती हे.

पापा ने हाथ बढ़ा कर आख़िर कोकनट आयिल की बॉटल उठाई और मेरी चूत और अपने लंड पेर खूब सारा आयिल माला. फिर जो उन्हो ने मेरी चूत से अपने लंड की टोपी को लगाया तो एक ही झटके मैं पापा का लंड फिसलता हुआ पूरा का पूरा मेरी चूत मैं चला गया. अब पापा आराम से मज़े ले ले कर मुझे छोड़ने लगे. छोड़ते हुआी कभी मेरी एप्रिकॉट जैसी टिट्स को पाकर कर चूस्टे, काहबी मुँह मैं अपनी ज़बान डाल कर मुझे प्यार करते.

"उफ़ जानू मज़ा आ रहा तुझे छोड़े मैं … चोद रहा हूँ तुझे जानू … चुद मेरे लंड से …. पूरा लंड गया मेरी बेटी की चूत मैं ….. चोद रहा हूँ अपनी बेटी को …..उफ़ तेरी टाइट चूत जानू …"

"पापा चोदो मुझे …. छोड़ो … और ज़ोर से चोदो अपनी बेटी को ….. मज़ा आ रहा हे पापा …. उफ़ पापा कितना मोटा और लंबा लंड हे मेरे पापा का …. उफ़ मार गई … पापा मेरे पेट मैं चला गया लंड आप का."

एक दम से पापा के धक्कों मैं तेज़ी आगाई. उन्हो ने मेरी गांड के नीचे हाथ डाल कर इतनी शिद्दत से धक्के मारनें शुरू किये की मस्ती से मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, और मैं चूत पानी छोरने लगी. उसके साथ ही पापा ने भी चीकथे हुआी मेरी चूत की गहराइयों मैं अपनी गरम गरम मनी की धार चोर दी. मेरी चूत पापा की मनी से लाबा लूब भर गई. पापा मेरे ऊपेर गिर परे. हम दोनो बाप बेटी जैसे नशे मैं टन हो चुके थे. हम दोनो के सर बुरी तरह घूम रहे थे. हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे, जैसे 5 किलोमीटर की रेस लगा कर आ रहे हों.










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