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पापा की हेल्पिंग बेटी -लास्ट पार्ट
(एन ओरिजिनल वर्क ऑफ फॅंटेसी)
पहली ही दफ़ा मैं हम दोनो बाप बेटी चुदाई का इतना मज़ा ले चुके थे के शाएेद सुहाग रात को हज़्बेंड और वाइफ भी नही लेते होंगे. हम दोनो इतना थक चुके थे के अब और हिम्मत नही थी. जितना मैं पहली दफ़ा मैं छुड़वा चुकी थी और मज़े ले चुकी थी, उसके नशे मैं सिर से पाओं तक डूबी रहना चाहती थी.
कोई 15 मिनिट्स तक अपनी अपनी साँस ठीक करने के बाद हम दोनो उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया. दुनिया मैं कितने बाप बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब मैं नहाए हों? ठंडा ठंडा पानी जिसम से लगते ही मज़ा आ गया. पापा ने मेरे सारे जिसम पेर लक्स सोप लगा कर और मेरे बालों मैं सुनसिल्क शॅमपू अछी तारा लगा कर और मेरे पूरे जिसम हेड से ले कर फीट तक मल मल के मुझे नहलाया. मैं पापा की तरफ बॅक कर के उनके जिसम के साथ जूरी हुई थी. पापा ने मेरी नेक के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसे टिट्स को सोप लगा कर हाथों से मलना श्रु काइया तो मेरी टिट्स से ले कर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई.
फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेरलेस चूत पेर पहुँचा तो मैं एक बार मस्त होने लगी. सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपेर से पापा की उंगलियाँ जब मेरे चूत के दाने को मसाल्तीं तो मैं बे इक्तियार गांद को आगे पीछे करने लगती.
पापा के दोनो हाथ मेरी चूत से होते हुआी पीछे मेरी गोरी और मोटी मोटी गांद पेर सोप मलने लगे. पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटर मेलन जैसी गांद पेर फेरना शुरू काइया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं सोप के सड्स मलने लगे.
मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स श्रु हुआी थे. कच्ची जवानी मैं जब लर्की पहली दफ़ा चुड़वा लेती है तो उसका बस नहीं चलता के वो हर पल चुड़वाए. और यहाँ तो परदह ही कोई नही था. छुड़वाने वाली बेटी थी तो छोड़ने वाला मेरे पापा थे. और पापा मैं पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्यूँ क पापा से मुझे मम्मी के वक़्त से ही बोहट प्यार था. मगर वो पहले वाला प्यार रियल बाप बेटी वाला था. अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्सुअल्ली पापा को प्यार करने लगी थी. पापा पेर मेरा ट्रस्ट और भी ज़ियादा हो गया था. मैं शाएेद किसी अजनबी लरके से कभी इतना नही खुल सकती थी. अगर किसी लरके से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेर मैं नही जाती.
पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेर शुरू हुआ. पापा ने जो भी मेरे साथ काइया, मेरे एग्री होने पर काइया. मेरी बॉडी को अब्यूस नही काइया. मेरे जिसम के एक एक ऑर्गन को बोहट प्यार से हॅंडल काइया. यहाँ तक के मेरी चूत को भी आराम से और मुझ से पूछ पूछ कर छोड़ा, ताकि मुझे दर्द ना हो, तकलीफ़ ना हो. यह सब इस लिये हुआ के पापा भी मुझे बोहट प्यार करते थे (और करते हैं). मैं हमेशा पापा से बोहट क्लोज़ रही हूँ. और वो बाप बेटी के अनमोल प्यार का रीलेशन था. और एक ही रात मैं इतनी सी आगे मैं, मैं पापा की औरत बुन चुकी थी.
यह सूब सोचते सोचते हम दोनो बाप बेटी बाथ ले चुके थे के अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख़्त लंड पीछे से अपनी गांद के बीच मैं घुसता हुआ लगा. पापा का 7 इंच के लंड का हेड मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया. पापा ने ऐसा जान के नहीं काइया था. असल मैं पापा शवर को बूँद करने के लिये जब आगे हुआी तो आप ही आप ऐसा होगआया.
मैं ने झट से पापा के लौरे की टॉप को अपनी मुथि मैं पाकर लिया और अपनी मुथि को लंड पे आगे पीछे करने लगी.
"जानू काइया फिर चुदना चाहती हो" पापा ने पूछा.
"नही पापा … बोहट ज़ियादा हम दोनो थक नही गये … हन बेड पे आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूस कर इसकी गरम गरम मनी मुँह मैं निकल कर पीऊँगी .. ठीक हे ना पापा?"
बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गौड़ मैं उठा कर बेड पेर ले गाए. मैं नंगी पापा की गौड़ मैं अजीब सी लग रही थी. छोटी सी नन्नी बेबी की तरह मैं मैं पापा की बाहों मैं थी.
बेड पेर पापा की तरफ करवट ले कर लेट कर मैं ने अपनी मुथि मैं पापा का खरा हुआ सख़्त लंड पाकर लिया और आहिस्ता आहिस्ता पापा के लंड को सहला ती रही. मुझे अपने पापा पेर बे हुड प्यार आ रहा था, जिन्होने एक ही रात मैं अपनी बेटी को काली से फूल बना दिया था. मैं लर्की और लरके के सेक्स रिलेशन्स (जिन्सी रिश्ते) से ना आशना थी. पापा के साथ एक ही रात मैं, मैं सूब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मज़े के साथ.
पापा का लंड पाकरे पाकरे मैं पापा के सीने के ऊपर हो कर अपने पापा को किस करने लगी. पापा आँखें बूँद किए लेते थे. मैं ने पापा के लिप्स अपनी लिप्स मिला कर खूब किस करने लगी. फिर पापा की आँखो, गालों और नेक पेर किस करती रही. पापा ने अपने एक हाथ बघल के नीचे डाल कर मुहज़े अपने साथ ज़ोर से चिमटा लिया. किस्सिंग करते करते मैं ने पापा से पूछा:
"पापा मैं कैसी लगती हूँ आप को?"
"बहुत पियरी, बहुत खूबसूरत" पापा ने जवाब दिया.
"आप कितना प्यार करते हैं मुझसे, पापा?"
"मेरी बेटी बहुत ही प्यारी हे और मैं अपनी बेटी से बहुत ज़ियादा प्यार कर्ता हूँ"
"पापा आप अब मुझे बेटी वाला प्यार ज़ियादा कराईं गे, या ये सेक्स वाला?"
"यह सूब तुम क्यूँ पूच रही हो जानू"
"बताएँ ना पापा…"
"मेरे और तुम्हारे डर्मायाण असल रिश्ता तो बाप बेटी का ही हे, जिस के नाते मैं अपनी बेटी को जान से भी ज़ियादा प्यार करता हूँ" पापा कहते जा रहे थे .. "तुम मेरी ज़िंदगी हो बेटी, बोहट ही प्यारी, और इतनो हसीन और मासूम के बता नही सकता. बाप बेटी होने की वजह से हमारे बीच जो कुत्छ भी हुआ, वो घालत हुआ. गुनाह हुआ. लेकिन जो कुछ भी सेक्षुयली हमारे बीच हुआ, वो सेक्स की भूक की वजह से हुआ. इंसान कमज़ोर होता है. मैं एक साल से सेक्स नही कर सका था. सेक्स की शिद्दत और डिमॅंड मेरे जिसम के अंदर आग लगा रही थी. मैं सेकेंड मॅरेज कर सकता था, मगर इस लिये नही काइया के उस की वजह से मेरी बेटी की लाइफ पेर बुरा असर होता." पापा तोरा साँस लेने को रुके, फिर कहने लगे ..
"बेटी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, वो बिल्कुल अचानक और आक्सिडेंट्ली हो गया. ना मैं नंगा हो के अपने लंड की मुथि लगा रहा होता, ना तुम डर कर अचानक पापा के बेडरूम मैं एंटर होतीं, ना मुझे इस हालत मैं देख कर तुम्हारी जज़्बात भरकते. खैर अब तो जो होना था वो हो गया … मैं अपनी जानू को बेटी और सेक्स लवर दोनो तरह प्यार करता हूँ. आस आ सेक्स लवर, तुम बे हुड मज़ेदार चीज़ हो. मेरी बेटी का जिसम बिल्कुल बटर जैसा चिकना और सॉफ्ट हे. तुम से ज़ियादा मज़ा मुझे छोड़ने का कभी नही आया – तुम्हारी मम्मी के साथ भी नही."
"पापा अब आप ऐसे ही करते रहें गे ना मेरे साथ? मैं आप से प्रॉमिस करती हूँ के कभी भी किसी को मेरे आप के इस रीलेशन के बारे मैं नही बताऊँगी. आप को एक आक्ची बेटी का प्यार भी दूँगी, और एक सेक्स-लविंग वाइफ का प्यार भी दूँगी." मैं कहती गई --- "पापा जब आप का दिल करे, मुझे छोदान. और जिस तरह भी आप का दिल करे, आप मुझे छोदान. मेरा पूरा जिसम आप के लिये हे पापा. मेरे मुँह मैं लंड डाल कर चोदे, या मेरी चूत को चोदे, या मेरे जिसम से खेलें. मैं आपको पूरा एंजाय करावाऊंगी."
यह कहते हुआी मैं ने पापा का लंड ज़ोर से अपनी मुथि मे भींच लिया. पापा की सिसकारी निकल गई. पापा का लॉरा काउ की नुल्ली की तरह सख़्त हो रहा था.
"पापा, बोहट सख़्त और मोटा लंड हे आप का, तभी तो मेरी चूत मैं जा कर फँस गया था. मैं तो दर गई थी के अब कभी बाहर निकले गा ही नही, और हमे इसी हालत मैं डॉक्टर के पास जाना परे गा."
पापा मेरी बात सुन कर हंस परे.
"पापा चूसूं आप का लंड?"
"जानू, पापा का लंड तुम्हारे हाथ मैं है, जो जी चाहे करो!"
पापा बिल्कु सीधे लेते हुआी थे और उनका लंड बिल्कुल स्ट्रेट सीलिंग की तरफ मुँह किये तना हुआ खरा था. मेरा दिल चाहा के पापा के इतने हसीन लंड पे, के जिस की पर्पल टोपी से चिकना चिकना पानी निकल रहा था, मैं अपनी चूत रख के बैठ जौन. लेकिन टाइयर्डनेस की वजह से हिम्मत नही हो रही थी. मैं ने लेते ही लेते पापा के ऊपेर आ कर अपनी टांगायन पापा के मुँह की तरफ करते हुआी पापा के लंड की टोपी को अपने मुँह मैं ले कर चूसना शुरू कर दिया. पापा के लंड का चिकना चिकना ट्रॅन्स्परेंट पानी मेरे मुँह के अंदर टपकने लगा.
पापा ने भी मेरी गांद को पाकर कर मेरी चूत मैं उंगली करनी श्रु करदी, और साथ ही साथ मेरी गांद पेर भी हाथ फेरते रहे. मुझे मस्ती छरहने लगी थी. लेकिन इस से पहले के मैं कुछ चोदने के बारे मैं सोचती, पापा एक दूं अपनी हिप्स को ऊपेर उठा कर लंड मेरे मुँह मैं देने लगे, और फ्यू सेकेंड्स मैं ही पापा के लंड से गरम गरम क्रीमिन जैसी टेस्टी मनी मेरे मुँह मैं जेट की तरह निकलने लगी. मैं जल्दी जल्दी अपने पापा की सारी मनी पीटी गई. एक ड्रॉप भी मैं ने बाहर नही निकलने दिया. पापा अपनी हिप्स को उठा उठा कर अपना लंड मेरे मुँह मैं डाल रहे थे.
पापा की मनी (स्पर्म) पी कर मैं फिर पापा के चिकने लंड के ऊपर ही सिर रख कर सो गई.
तो दोस्तो अब जान ही गये होगे आप सब की हम बाप बेटी का जब भी चुदाई का मन करता
हमजी भरकर चुदाई करते हैं
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का यहीं एंड करता हूँ
ओर आशा करता हूँ की कहानी आपको पसंद आई होगी अपनी राय देना ना भूलना
....... राज शर्मा ...........
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